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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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पापा ने चोद कर माल बना दिया



दोस्तो, मेरा नाम सोनी कुमारी है और मैं बिहार के पटना जिले में रहती हूं.
मेरी उम्र 19 वर्ष है और मैं अभी बी ए की पढ़ाई कर रही हूं।

हमारे घर में कुल 4 लोग रहते हैं, मेरे मम्मी पापा मैं और मेरा छोटा भाई जिसकी उम्र अभी कम है।

मैं अपने बारे में बता दूं.
मेरी हाइट 4 फीट 11 इंच और मेरा पूरा बदन गठीला है पूरा भरा हुआ शरीर है.
मेरे बूब्स 34″ के हैं और मेरी कमर 32 की होगी।

मेरा शरीर इतना आकर्षक है कि मेरे मोहल्ले के सारे लड़के मेरे ऊपर फिदा रहते हैं।

मेरा भाई अभी छोटा है इसीलिए मैं घर में शॉर्ट्स या नाइटी कुछ भी पहन लिया करती हूं।
पर मेरे पिताजी मेरे साथ ऐसे करेंगे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

आज की यह Xxx बाप बेटी सेक्स कहानी मैं आप लोगों को बताने जा रही हूं जो कि एक सच्ची घटना है।

एक दिन मेरी मम्मी को मौसी के घर अचानक जाना पड़ा मम्मी ने दोपहर में मुझसे कहा- सोनी, मैं छोटू को लेकर सुनीता के पास जा रही हूँ.
सुनीता मेरी मौसी हैं।

मम्मी ने देखा कि पापा का फोन व्यस्त आ रहा था तो उन्होंने कहा- हो सकता है अभी किसी काम में बिजी होंगे तुम्हारे पापा. तुम बता देना उनको!
और छोटू को लेकर चली गई।

मेरे पापा जो कि लेडीस के सिंगार का सामान और कपड़े बेचते हैं.
शाम को दुकान से घर आए पापा!

मैं उनको बताने ही जा रही थी, तब तक शर्मा अंकल का फोन आ गया और उन्होंने पापा को बाहर बुला लिया और वे लोग टहलने के लिए चले गए।

मैंने सोचा कोई बात नहीं, खाना बना लेती हूं, पापा जब टहल के आएंगे तो उनके सारी बात बता दूंगी।

लगभग 10:00 बज चुके थे, पापा अभी भी घर नहीं आए थे मुझे डर लग रहा था इसीलिए मैं खाना जाकर मम्मी के रूम में सो गई।

मुझे पता ही नहीं चला कब मेरी आंख लग गई.

जब मेरे पापा आए तो उन्होंने सोचा कि उनकी बीवी सो रही है इसीलिए उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोले- सविता तुम इतनी जल्दी सोच कैसे सकती हो, अभी तो हम लोगों का रोज वाला खेल भी नहीं हुआ है।

यह कहते हुए पापा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बदन को सहलाने लगे, मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरे होठों पर किस करने लगे.
तभी मुझे पता चला कि पापा ने शराब पी हुई थी.

अब मैं डरने लगी क्योंकि पापा नशे में थे कुछ भी हो सकता था मैंने उनसे छुटना चाहा।

पर मेरे पापा इतने हट्टे कट्टे हैं कि उन्होंने मुझे पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया था.
और फिर उन्होंने मेरी नाइटी ऊपर सरका कर मेरी पैंटी को निकाल दिया और मेरी योनि को सहलाने लगे.

मैं हमेशा योनि के बाल साफ रखती हूं इसीलिए मेरी योनि मुलायम रहती है.

पापा बोले- क्या बात है सविता, आज तो तेरी चूत बिल्कुल पहली रात की तरह चिकनी और मुलायम दिखाई दे रही है।

फिर उन्होंने मेरी ब्रा को निकाल दिया और मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया।

इसके बाद वे बिल्कुल भूखे और कामुक शिकारी की तरह मेरे पूरे बदन को चाटने लगे और बोले- आज तो तेरे बदन से गजब की खुशबू आ रही है.
मैं उनका विरोध करना चाहती थी और उन्होंने मुझे पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया था.

धीरे-धीरे मैं भी गर्म होने लगी थी।

तभी पापा ने अपना औजार मेरी योनि पर सेट किया और धक्का मारने लगे.
मैं अभी वर्जिन थी इसीलिए उनका औजार फिसल जा रहा था.

पापा ने थूक लगाया और फिर एक जोरदार झटके में आधा औजार अंदर कर दिया.

मैं दर्द से छटपटाने लगी.
पापा बोले क्या बात है शादी को 20 साल हो गए, दो बच्चे भी हो गए. फिर भी बिल्कुल कुंवारी लड़कियों की तरह तेरी योनि टाइट है, कौन सी दवा खाने लगी है तू?

पापा नशे में बड़बड़ा रहे थे और धक्का लगा रहे थे.

अब धीरे-धीरे मुझे भी मज़ा आने लगा.
और पापा ने भी धक्का की स्पीड बढ़ा दी.

फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और मेरे पीछे अपना औजार सेट करके पूरा जोरदार झटका मारा मेरी तो जान ही निकल गई.
मैं खूब तेज चिल्ला पड़ी।

पापा बोले- क्या बात है, आज तो सुहागरात वाली दिन याद आ गई. तूने भी आज पूरा मूड बनाया है.
उनको अभी तक पता नहीं था कि मैं उनकी बीवी नहीं बल्कि उनकी बेटी हूं।

पापा नशे में थे पर उनका औजार बिल्कुल होश में था और वह चीरता हुआ मेरे पिछवाड़े में पूरा जा रहा था.
और मुझे भी धीरे-धीरे मजा आने लगा और पच पच की आवाज और मेरी कामुक सिसकारियों से पूरा कमरा भर चुका था।

फिर पापा बेड पर से उतरे और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिल्कुल अंग्रेजी फिल्मों की तरह मुझे अपनी बाहों में रखकर अपना लंड मेरी योनि में सेट कर दिया और मुझे ऊपर नीचे करने लगे.
अब उनका पूरा औजार मेरी योनि में जा रहा था.

मेरी योनि बिल्कुल थक चुकी थी और मैं झड़ चुकी थी.
करीब 15 मिनट की लगातार ऊपर नीचे करने के बाद मेरे पापा मेरी योनि में ही झड़ गए और फिर उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरी बूब्स को दबाने लगे और चाटने लगे।

करीब 15 मिनट बाद फिर पापा का मूड बना और उन्होंने अपना औजार मेरे पिछवाड़े में सेट करके धक्का लगाने लगे.

अब मेरा भी मूड बन चुका था, मेरा दर्द कम हो गया था और अब मुझे मजा आने लगा था.
मैं भी पापा का भरपूर साथ दे रही थी और अपने पिछवाड़े को उठा उठा कर करवा रही थी।

फिर मैंने उनका औजार अपनी योनि में सेट कर दिया और खुद ऊपर नीचे होने लगी.
तभी पापा ने कहा- क्या बात है मेरी सविता रानी, तुम तो 15 मिनट के बाद मेरा विरोध करने लगती थी. पर आज तो पूरा साथ दे रही हो?

और फिर मेरे पापा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।

मेरी योनि में पापा दूसरी बार झड़ चुके थे.
और फिर वे थक कर सो गए.

मैं भी उठी और बाथरूम में गई और नहाई.
फिर खाना खाने के लिए पापा को जगाने गई.

मैं चल नहीं पा रही थी, मुझे चलने में बहुत दिक्कत हो रहा था।

थकने के कारण पापा सो गए और उन्होंने खाना खाने से मना कर दिया।

सुबह हुई रात में जो हुआ उसके कारण मैं पूरी तरह से थक चुकी थी और मैं देर तक सोती ही रह गई.

मेरे पापा जब मॉर्निंग वॉक से लौट कर आए तो वे मेरी मम्मी को खोजने लगे.
और फिर वे मेरे रूम में आ गए और बोले- सोनी बेटा, तेरी मम्मी कहां है? सुबह-सुबह दिखाई नहीं दे रही!

तो मैंने पापा से कहा- पापा, मम्मी तो कल दोपहर में ही मौसी के घर चली गई थी.
पापा पूरी तरह चौंक गए और बोले- क्या बात कर रही हो? फिर रात को मेरे साथ!

मैं उठी और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में जाने लगी तो मैं चल नहीं पा रही थी, बहुत दर्द हो रहा था.
जिसके कारण पापा सब समझ गए।

पापा मेडिकल पर गए और गर्भनिरोधक गोलियां और पेन किलर लाकर मुझे दी और बोले- देखो सोनी बेटा, मुझे कुछ मालूम नहीं था. और गलती तुम्हारी भी है. तुम्हें हमारे कमरे में नहीं जाना चाहिए था।

मैंने दवा खाई और किचन में पापा के लिए चाय बनाने के लिए चली गई।

अभी मम्मी का फोन आया, मम्मी ने कहा कि मौसी की तबीयत काफी बिगड़ चुकी है इसीलिए उनको एक सप्ताह वहीं रुकना पड़ेगा।

मेरे पापा किचन में आये और बोले- सोनी बेटा, मैंने रात को जो भी किया … उसके लिए मुझे माफ कर दो!
मैं कुछ नहीं बोली.

तभी पापा ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और अपने रूम में ले जाकर बेड पर बैठा दिया और बोले- देखो, मैंने रात को जो भी किया था, मैं उसको सुधारना चाहता हूं.
मैंने सोचा कि पापा माफी माफी मांगेंगे.

पर उन्होंने अपना बेडरूम लॉक कर दिया और अपने सारे कपड़े निकाल दिए।

फिर वे अपना पहलवान जैसा शरीर लेकर मेरे ऊपर टूट पड़े.
मुझे मालूम था कि अब कुछ नहीं होने वाला।

पर मैंने पापा से कहा- पापा छोड़ो, मम्मी आती ही होगी.
पापा ने हंसते हुए जवाब दिया- देखो, अब प्रकृति ही चाहती है कि तुम संभोग का पूरा मजा लो!
मैं बोली- पापा, मैं कुछ समझी नहीं।

पापा मुझे किस करने लगे और बोले- अरे पगली, तेरी मम्मी का कॉल आया था. बोल रही थी कि 1 सप्ताह वहीं रुकेगी.

मैंने मन ही मन सोचा कि अब 1 सप्ताह तो मेरा बाजा बजने वाला है पूरा!

तभी पापा ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मेरे 34″ के बूब्ज़ मसलने लगे और बोले- सोनी, तुम बिल्कुल अपनी मां की तरह लग रही हो. उसको भी सुहागरात के दिन जब मैंने उसको पहली बार देखा था तो बिल्कुल वह भी तुम्हारे जैसे ही खूबसूरत बदन की मालिका थी।

यह कहते ही पापा मेरी योनि को चाटने लगे.
रात में संभोग के कारण मेरी योनि में हल्का-हल्का सूजन आ चुकी थी जिसके कारण वह पहले से ज्यादा आकर्षक लग रही थी.

पापा ने अपने औजार मेरी योनि के छेद पर रखा और जोरदार धक्का मारा.
सरसराता हुआ उनका पूरा औजार मेरी योनि में घुस गया और मेरे शरीर के अंदर एक करंट जैसा लहर दौड़ पड़ी और मैं चिल्ला पड़ी।

तभी पापा ने धक्के लगाना शुरू किया और धीरे-धीरे मुझे भी पूरा मजा आने लगा और कामुक सिसकारियां लेकर उनका साथ दे रही थीं।

करीब आधे घंटे की लगातार संभोग के बाद पापा ने अपनी जेब से एक दवा निकाली और खाकर फिर मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे पिछवाड़े पर अपना औजार सेट करके 15 मिनट तक लगातार आगे पीछे करते रहे।

मुझे पूरा मजा आ रहा था.
पापा ने मुझे बिल्कुल सुहागरात वाला मजा दिया था.

फिर पापा ने मुझे उठाया और बाथरूम में लेकर गए और झरने के नीचे मुझे खड़ा करके मेरे बूब्स को दबाने और चाटने लगे.
बाथरूम में भी मेरे पापा ने मुझे एक बार फिर से चोद डाला.

और फिर नहाकर मैंने खाना बनाया और हम लोगों ने खाना खाया.
फिर पापा दुकान पर चले गए और बोले- शाम को तैयार रहना, मैं जल्दी ही आऊंगा।

दोस्तो, 7 दिनों तक मेरे पापा ने मुझे दिन और रात दोनों एक जैसा Xxx बाप बेटी सेक्स करके भरपूर मजा दिया.

अब जब भी मम्मी नहीं रहती हैं, पापा मेरे साथ संभोग कर लिया करते हैं.
मेरे स्तन भी बड़े बड़े हो गए हैं, उनका साइज़ मम्मी के बूब्स की तरह हो चुका है और मेरी गांड पीछे की तरह निकल चुकी है।
 
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junglecouple1984

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मामीजान के साथ चुदाई का पूरा मजा



मेरा नाम जावेद है और मैं 23 साल का हूँ.
फिलहाल तो मैं एमबीए कर रहा हूँ और इस उम्र में मेरे काफ़ी दोस्तों की शादियां होती जा रही हैं.

मेरे ग्रुप की कुछ लड़कियां, जो मेरी दोस्त भी हैं, उनकी तो शादी होकर बच्चे भी हो गए हैं.

तो आप समझ सकते होंगे कि मेरी उत्तेजना कितनी बढ़ रही होगी.

कुछ साल पहले की बात है.
मेरे सबसे छोटे मामा फ़िरोज़ उर्फ़ फिज्जू की शादी मेरे छोटी मामी हाज़िका से हुई.

तब मैं नया नया जवान हुआ और मुझे सेक्स के बारे में कुछ ज़्यादा पता भी नहीं था.

फिर कुछ बरस बीते और मैं जवान हो गया, मेरी नसों में कुछ हरकत होने लगी.
तब मैं आने जाने वाली हर औरत को चुदाई की नज़र से देखा करता था.

तभी अचानक से मेरे मन में ख्याल आया कि मैं अपनी दोनों मामियों के साथ कुछ करने की कोशिश करता हूँ.
उनका ख्याल आते ही एक नंगी औरत का अक्श मेरी नजरों के सामने उभरा.

बस उसके बाद मुझे अपनी दोनों मामियों में से किसी एक के साथ भी चुदाई करने की तड़फ जाग गई.

बड़ी मामी का नाम फ़रीदा है और दूसरी का नाम हाज़िका.
मैं अक्सर फरीदा मामी के कमरे में जाया करता था.
कुछ छुपी हुई चीजों को देखने के लिए मैं उनके कमरों में छुप छुप कर देखता रहता था.

एक दिन मुझे अल्मारी के ऊपर रखा कंडोम का पैकेट मिला.
पहले पहल तो मैं उसे देख कर एकदम से दंग रह गया मगर फिर मैंने मन बना लिया और उस पैकेट को अपने पास रख लिया.

हालांकि वो बिना चूत के मेरे लिए किसी काम के नहीं थे.
मैं अब जब भी फरीदा मामी के घर जाता, तो उन्हें वासना और हवस की नज़रों से देखा करता.

फ़रीदा मामी के स्तन बड़े बड़े थे और उनके निप्पल काले रंग के.
उनकी गांड छोटी सी है.

वे जब भी अपने लड़के को दूध पिलातीं तो मैं उन्हें देखता रहता था.
उनके बड़े बड़े निप्पल देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता.

इसी तरह मेरी छोटी मामी के स्तन छोटे हैं मगर उनकी गांड एकदम ऐसी रसीली मानो जैसे कोई रसमलाई हो.
जब भी वे चलती थीं तो देखने में काफ़ी मज़ा आता.

चूंकि मैं छुट्टियां मनाने उनके घर गया था तो मैंने अपनी वही हरकतें शुरू कर दीं.
मगर इस बार फारीदा मामी के निप्पल देखे तो मुझसे रहा नहीं गया.

मैं उनके कमरे में आकर उनकी तस्वीरों को देख देख कर लंड हिलाने लगा.
कुछ ही देर में मैं झड़ गया.

अब ऐसा कई बार होने लगा.
जब दोनों मामी खाना बनातीं, तो मैं पीछे खड़े रह कर उनकी कमर देख कर आंखों को ठंडक पहुंचाता रहता था.

इसी तरह मैं हाज़िका मामी की तस्वीरों को एक एप के जरिए एडिट करके उन्हें नंगी तस्वीरों में तब्दील कर देता और उनकी तस्वीरों को देख देखकर अपना पानी झाड़ लेता.

हाज़िका मामी का मुखड़ा बड़ा ही सेक्सी था.
उनके चेहरे को किसी भी नंगी लड़की के साथ जोड़ कर देखता तो मुझे बड़ी उत्तेजना होती थी.

एक दफ़ा हुआ यूं कि मेरा मन हुआ कि मैं अपनी बड़ी गांड वाली हाज़िका मामी को चोदूं.
मैं वैसे ख्याल करता हुआ लंड हिलाने लगा. झड़ने के बाद मैं सो गया.

मैंने सपने में देखा कि एक बार मैं और मेरी हाज़िका मामी बाहर घूमने गए. वहां रिज़ॉर्ट पर पहुंच कर हमारा प्लान बना कि हम दोनों पूल में तैरने जाएंगे.

प्लान के मुताबिक मामी ने हां में हामी भरी और मामी झट से बाथरूम में जाकर कपड़े बदलकर आ गईं.
वे जैसे ही बाहर आईं, मेरी नज़र उन पर गई तो मैं अवाक रह गया.

मामी एकदम टाइट स्विमसूट में मेरे सामने हॉट लुक देती हुई खड़ी थीं.
मैं भौंचक्का होकर उन्हें देखता ही रह गया.

मामी ने कहा- ऐसे क्या देख रहे हो जावेद? क्या पहली बार किसी औरत को देखा है. मुझे पता है तुम मुझे किस नज़र से देखते हो!
मेरे मुँह से अल्फ़ाज़ ही नहीं निकल रहे थे.

मेरा लंड भी अचानक से खड़ा हो गया था, जिसे मामी ने भी जान लिया.
फिर मामी अपने आशिक़ाना अंदाज़ में कमर लचकाती हुई मेरे पास धीरे धीरे आईं और मेरे बाज़ू में आकर लेट गईं.

उन्होंने कहा- जावेद कर लो, जो भी करना है. यही वो एक मौका है.

बस फिर क्या था … मैंने मामी के शहद से रसीले होंठों को अपने होंठों से मिलाया और इस तरह से चुम्बन किया कि वो वहीं पर पिघल गईं.
मैं आगे बढ़ता गया. उनके गले पर, हाथों पर, नाभि पर, पैरों पर, कमर पर, हर जगह चुंबन किए.

वे भी मेरे साथ चुंबन में साथ देने लगीं.
उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसेड़ दी.
मैंने उनकी जीभ को अपने मुँह में ले कर चूसना चालू कर दिया.

मामी की लार मेरे मुँह में मेरी लार से मिलकर नशा दे रही थी.
मैं भी उनके दूध दबाते हुए उनकी जीभ को चूसता जा रहा था.

कुछ दस मिनट की चुसाई के बाद मैंने मामी को खड़ा किया और उनके स्विम सूट की ब्रा उतारी.
आह … मेरे सामने दो मदमाते दूध मुझे ललचा रहे थे कि आओ जावेद चूस लो इन रसीले आमों को.

मामी के सफेद मम्मों पर गहरे स्याह रंग के निप्पल एकदम कड़क थे.
मैंने एक को अपने मुँह में भर लिया और खींच कर चूसने लगा.

मामी के दुधारू मम्मे से उनका दूध मेरे मुँह में आने लगा था.
वे मेरे निप्पल को चूसने की शिद्दत से एकदम से कामुक सिसकारियां लेने लगीं.

दूसरी तरफ मेरा दूसरा हाथ उनकी गांड दबाते हुए उनके नर्म नर्म चूतड़ों का आनन्द ले रहा था.
वे मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहला रही थीं.

कुछ देर यही करते हुए फिर मैंने मामी को अपने घुटनों पर बैठा दिया और झट से अपनी पैंट का ज़िप खोल कर उनके मुँह पर मेरा लंड रख दिया.

मेरे लंड के कसे हुए और टाइट नसें देख कर मामी चौंक गईं और कहने लगीं- तुम्हारे मामा के पास ऐसा है ही नहीं … और मैंने कभी भी ऐसा लंड नहीं देखा है.

मैंने कहा- तो आज देख लो मामी … मस्त चुदाई होगी आपकी बस आप जरा प्यार से चूस दो.
मामी- अरे इतना मोटा लंड मेरे मुँह में कैसे जाएगा?

मैंने उनकी एक नहीं सुनी और उनके होंठों से लंड लगा दिया.
मामी अपना मुँह नहीं खोल रही थीं और मैंने मन में ठान लिया था कि आज लौड़ा चुसवाना ही है.

जब मामी ने मुँह नहीं खोला तो मैंने अपने एक हाथ से लंड को उनके मुँह के बाहर लगा कर रखा और दूसरे हाथ से उनके एक दूध को जोर से मसल दिया.
उनकी आह निकली और मुँह खुल गया.

जैसे ही उनका मुँह खुला, मैंने अपना लंड उनके मुँह में भर दिया.
वे गों गों करने लगीं और मैंने उनके मुँह में अन्दर तक लंड ठांस कर रखा.

कुछ ही देर में मामी को लौड़े का स्वाद मजा देने लगा.
अब मामी मेरा लौड़ा चूसने और चाटने लगीं, साथ ही वो मेरी गोटियों से खेलने लगीं.

मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ.
मैंने कहा- मामी, इतना मस्त लौड़ा चूसती हो … फिर नखरे क्यों दिखा रही थीं?

मामी हंस कर आंख दबाने लगीं.
मैं समझ गया कि मामी ने इसलिए लंड चूसने में नखरे दिखाए थे ताकि मुझे ये न लगे कि मामी पक्की रांड हैं.

जिस तरह से वो लौड़ा चूस रही थीं उससे साफ लग रहा था कि आज हम दोनों की सारी तड़प को संतुष्टि प्राप्त हो जाएगी.

मामी ने मेरा लंड खूब चूसा और उसके बदले में मैंने अपनी जीभ और उंगलियों का प्रयोग करते हुए उनकी चूत को चाटा, उसमें उंगलियां डालीं और अन्दर बाहर करने लगा.

मामी कहने लगीं- जावेद, अब बस अपने लंड पर मुझे बिठाओ और सातवें आसमान पर पहुंचा दो.

बस फिर क्या था … मैं बिस्तर पर लेट गया और मामी को अपने लौड़े के ऊपर बिठा कर अपना लंड अन्दर पेल दिया.
मामी की आह निकली और वो मजे से लौड़े की सवारी करने लगीं.

मैंने उनके दूध दबाते हुए कहा कि अब तेज गति से घुड़सवारी करने का वक़्त हो गया है.

मामी ने धीरे धीरे से शुरूआत की और रफ़्तार बढ़ाने लगीं.
कुछ देर के बाद मैं भी नीचे से उन्हें धक्के देने लगा.

हम दोनों ने लगभग दस मिनट तक इस आसन में चुदाई का मजा लेने के बाद अपना आसन बदला.

मैंने उन्हें दीवार की तरफ मुँह करते हुए खड़ा कर दिया.
फिर पीछे से खड़े खड़े में मैंने उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया और उन्हें झटके देने लगा.

मामी कहने लगीं- जावेद, तुम पहली दफ़ा में ही इतने तरीकों से ना चोदो … मैं तुम्हारी दीवानी हो जाऊंगी.
मैं हँसते हुए उन्हें और ज़ोर ज़ोर से तेज़ी से झटके देने लगा साथ में उनके दूध मसलने लगा.

कुछ देर के बाद मैंने फिर से अपना आसन बदला.
इस बार मैंने बिना लंड चूत से निकाले मामी को कुतिया बना दिया.
मामी झुक गईं तो मुझे अपना लंड उनकी चूत में जाता हुआ साफ दिखाई दे रहा था.

मैंने लंड को सुपारे तक बाहर निकाल कर उनकी चूत पर थोड़ा सा थूक लगा दिया.
फिर एक ही झटके में अचानक से अपना लंड पूरा घुसा दिया.

मामी एकदम से इस हमले से अचकचा गईं और गिरने को हुईं मगर मैंने उनकी कमर को थाम लिया.
अब मैं मामी की चूत में से कभी पूरा बाहर निकाल देता, तो कभी पूरा घुसा देता.

वह मजे से कराहने लगीं और कुछ ही झटकों में कहने लगीं कि दर्द हो रहा है.

मैंने फिर से आसान बदला.
इस बार मैंने मामी को नीचे लिटाते हुए उनके ऊपर आ गया.

मामी कहने लगीं- बस रहने दो … कुछ मिनट और पेल लो मुझे, अब मैं झड़ना चाहती हूँ.
मैंने वक़्त बर्बाद ना करते हुए उन्हें शिद्दत से चोदना शुरू किया.

कुछ ही झटकों के बाद मामी झड़ने लगीं.
मैंने मामी से कहा- अब मेरी बारी है.

मामी ने आसन बदलने को कहा- मुझे कुछ इस तरह से चोदो कि मुझे झड़े वक्त तुम्हारा लस्सी की तरह गाढ़ा और ताकतवर पानी पीने मिल जाए.
मैंने कहा- ओके.

तब मैंने मामी को बिस्तर के किनारे गांड के बाल टिकाते हुए चोदना शुरू किया और जैसे ही झड़ने को हुआ, मैंने फट से अपना लौड़ा उनके मुँह में दे दिया.

मामी मेरा लंड अपने मुँह में डालकर चूसने लगीं.
मैं मामी को गालियां देता हुआ अपना रस पिलाने लगा- ले रंडी, लस्सी पीना था भैन की लौड़ी तुझे … पी हराम की जनी छिनाल लंड की लस्सी पी भोसड़ी की … आह चूस मादरचोदी!

मामी लंड चूसने लगीं और मैं भी अपने लौड़े को उनके मुँह में झटका देता हुआ झड़ने लगा.
अगले कुछ ही पलों में मेरे लंड का सारा पानी उनके हलक में उतरता चला गया था.

तभी अचानक से मेरी नींद खुल गई.
मैंने देखा कि सपने में मेरे लंड से पानी निकल गया था.
मेरी पैंट गीली हो गई थी.

मैं दौड़ते हुए बाथरूम में भागा और खुद को साफ किया.
 

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आंटी की चूत की खुशबू



यह उस वक्त की बात है, जब मैं कॉलेज में पढ़ाई करता था.

उस समय परीक्षा देने का सेन्टर मुझे मेरे शहर से बाहर मिला था.
मुझे सात पेपर देने थे लेकिन इस सात पेपर के लिए रोज अप-डाउन करना महंगा पड़ सकता था.

मैं सोचता था कि कैसे ये सारे पेपर दे पाऊंगा.

हमारे दूर के रिश्तेदार अंकल और आंटी उसी एक्ज़ाम सेन्टर वाले शहर में रहते थे.
तभी मम्मी ने पापा को उनकी याद दिलाते हुए बताया.

तो पापा ने कहा- हां ये अच्छा रहेगा. एक हफ्ते के लिए तू वहीं चला जा, पेपर खत्म होते ही वापस आ जाना.

पापा ने अंकल के साथ फ़ोन पर बात भी कर ली कि मैं आ रहा हूँ.
अंकल भला कैसे मना कर सकते थे. सात दिन की ही तो बात थी.

लेकिन इन सात दिनों में बहुत कुछ हो गया.
मुझे जन्नत मिल गई थी … आह … वो सब मैं आपको इस सेक्स कहानी में बता रहा हूँ.

दरअसल अंकल और आंटी अकेले रहते थे.
एक्जाम के तीन दिन पहले ही मैं वहां पहुंच गया था.

अंकल थोड़े बूढ़े थे लेकिन आंटी की तो क्या बात करूँ, वो तो अभी भी जवान लगती थीं.

यह कहानी इन्हीं आंटी की है.

आंटी का नाम शोभा था. उनके एकदम लम्बे बाल, सॉफ़्ट स्किन और टाइट देसी साड़ी पहन कर घर में ऐसे घूमा करती थीं, जैसे कोई अप्सरा जमीन पर उतर आई हो.
वे हाउस वाइफ थीं.

आंटी की गोलमटोल गांड साड़ी के ऊपर से साफ दिखती थी और उनके मम्मे भी किसी भी मर्द के कलेजे को हलक में ला देने के लिए काफी थे.
मुझे तो उनके घर रहकर सिर्फ पेपर देने से मतलब था, फिर ये सब कैसे हुआ?

हुआ यूं कि तीन पेपर देने के बाद एक दिन रात को मैं थोड़ा रिवीज़न करते हुए कमरे में बैठा था.
मेरा दिमाग घूम रहा था.

एक तरफ पेपर की टेंशन और दूसरी ओर बार बार आंटी का मादक हुस्न दिमाग में वासना को जगा रहा था.

तभी आंटी कमरे में आ गईं.
वे नाईटी पहने हुई थीं.

आंटी- अरे, अभी भी पढ़ रहे हो? सो जाओ, थक जाओगे.
मैंने ऊपर देखा, उनके बाल पूरे खुले थे और जांघें साफ दिख रही थीं.
मैंने वो सब नजरअंदाज किया.

मैंने कहा- ये बहुत मुश्किल वाला पेपर है. इतने पेपर और ऊपर से पूरे साल पागलों की तरह पढ़ना. सच में मैं पढ़ाई करते करते पागल ही हो जाऊंगा.
आंटी बोलीं- अरे ऐसा मत कहो. तुम पास हो जाओगे, रुको मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ.

“अरे नहीं, अब रात को क्यों चाय बनानी है … आप रहने दीजिए, खामखां आपको तकलीफ होगी.”
“इसमें तकलीफ कैसी … मैं अभी आई.”
यह कह कर आंटी चली गईं.

इस बार वो अपनी गांड मटकाती हुई ऐसे चलीं, मानो गांड देने का सिग्नल ही दे रही हों.

आंटी कुछ ही मिनट बाद चाय बनाकर लाईं और मैंने चाय पी ली.
मैंने कहा- आंटी, आप बहुत ही अच्छा खाना बनाती हैं और चाय भी … शुक्रिया!

आंटी आह भर के बोल उठीं- अरे बेटा, पता नहीं कितने सालों से मैं ये सब करती आ रही हूँ, अब तो जैसे आदत पड़ गई है. मशीन की तरह रोज जाग कर एक ही काम, झाड़ू पौंछा, कपड़े धोना, बर्तन, इतना हुआ नहीं कि फिर से सफाई. अब तो होता ही नहीं ये सब. मुझे तुम्हारे मुँह से तारीफ सुन कर अच्छा लगा.

आंटी ये सब बोलती हुई भावुक हो गई थीं और हल्का सा रोने भी लगी थीं.
मैंने उनके कंधों पर हाथ रखकर कहा- सबके घर में शायद ऐसा ही होता होगा. घर के काम की इज्जत बहुत कम होती है. लेकिन आप बहुत प्यारी हो.

आंटी मुझे देखती ही रह गईं.
फिर अचानक से उन्होंने मुझे अपनी गोद में ले लिया.

“हम दोनों एकदूसरे को राहत दे सकते हैं.”
ऐसा कह कर मेरे बालों में अपनी उंगलिया फेरने लगीं.

एक तो आंटी ने अन्दर कुछ पहना नहीं था, ऊपर से मेरा माथा वो अपनी गोद में लेकर अपनी जांघों से रगड़ रही थीं.

मेरे लौड़े में आग लगाने के लिए इतना ही काफी था. मेरी सांसें भारी हो गईं.

उन्होंने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में ले लिया और मुझे अपनी बांहों में ले लिया.

मैंने साइंस में पढ़ा है और मुझे मालूम भी है कि जब स्त्री पुरुष आलिंगन करते हैं, तो होर्मोंस का स्राव फैलता है. जो गुडफील करवाता है.
सही मौका देख कर मैंने आंटी को कमर से पकड़ा और उन्हें कसके अपनी बांहों में ले लिया.

मैं अपने हाथ आंटी की बगल में और पीठ पर फेर रहा था.
फिर मैंने अपने दोनों हाथ आंटी की मुलायम गांड पर रख कर उनके चूतड़ जोर से दबा दिए.

आंटी आहह कर उठीं.
उनकी सांसें तेज हो गईं.

कई मिनटों तक हम दोनों एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही समाए रहे.

काफी देर बाद आंटी मेरी बांहों से दूर हुईं और कातिल स्माइल देकर कहने लगीं- हाय, इतने सालों से तेरे अंकल ने कभी हग नहीं किया था. आज बहुत अच्छा लग रहा है … तेरी बांहों में मैं तो एकदम हल्की हो गई.
मैं उन्हें वासना से देखने लगा था.

फिर वे बोलीं- अरे, तुम्हारे माथे की लकीरें तन कर बाहर को क्यों दिख रही हैं?
‘हां वो … वो मैं खूब पढ़ाई करता हूँ ना … तो स्ट्रेस हो जाता है.’

आंटी ने कहा- मेरा प्यारा, क्यों इतना पढ़ा करते हो. गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बना लेते कोई … मन हल्का हो जाएगा.
“अरे आंटी … मैं कहां ये सब करूँ? लड़कियां पटाना मेरे बस की बात कहां?’ अपने को तो अपनी तन्हाई ही ठीक है.”

“ऐसा मत बोलो, तुम चाहो तो मेरे साथ वो सब कर सकते हो.” ये कहते हुए आंटी जरा शर्मा गईं.
“आर यू सीरियस? लेकिन आंटी ये गलत है. हमारा रिश्ता ये इजाजत नहीं देता है.”
“क्या फर्क पड़ता है? एक औरत को जब प्यार ही नहीं मिलता, तो फिर क्या फायदा उसकी जवानी का? बेटे, मैं कहती हूँ ना … आ जा मेरी बांहों में और ले ले मजे … कुछ देर को भूल जा पेपर्स.”

“आंटी कहीं आपके चक्कर में मैं फ़ेल हो गया तो?”
इस बात पर वो जोर से हंसने लगीं- अरे पागल … टेंशन नहीं लेने का!
ऐसा कह कर वो अपनी गोल गांड उठा कर मेरी गोद में बैठ गईं और उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों से कसके चिपका दिए.

आह … अंगारे सुलग उठे थे मेरे लौड़े के … पहली बार किसी औरत ने किस की थी … और वो भी इतनी जंगली औरत, जो भूखी शेरनी की तरह किस किए जा रही थी.
मेरा लंड कपड़े फाड़ कर बाहर आने को हो गया था. धमनियों में गजब का खून दौड़ने लगा था. लंड खड़ा हो गया था.

लंड खड़े होने की वजह से आंटी की गांड से जा टकराया था.
आंटी मेरी गोद में जो बैठी थीं.

“हाय रे … ये क्या है … तेरा केला है या खंबा है?” आंटी हंस रही थीं.

कसम से मेरी गोद में बैठी आंटी की खिलखिलाहट बहुत प्यारी लग रही थी.
मैं उन्हें देखता ही रहा.

फिर आंटी उठीं और नीचे आ गईं.
आंटी ने मेरे पैंट को हौले से खोला. पैंट के खुलते ही खड़ा लंड बन्दूक की गोली की तरह सटाक से बाहर आ गया और आंटी के गाल पर टकरा गया.

हर लंड अलग अलग आकार के होते हैं, कुछ सीधे होते हैं, कुछ केले की तरह नीचे से मुड़े हुए या ऊपर की तरफ होते हैं.
मेरा लंड केले की तरह ही है.

आंटी देख कर जरा डर सी गईं- बाप रे … तेरा तो बिल्कुल मोटे केले जैसा है. हाय कितना कड़क है!
यह कह कर उन्होंने मेरे लौड़े को हौले से हाथ में पकड़ लिया.

“ऊई मां … ये तो गुलाबी लंड है … आह काट कर खा जाऊंगी इसे तो!”
सच में मेरा लंड एकदम गुलाबी रंग का है. लंड का सुपारा बहुत ही सुन्दर लगता है.”

आंटी बोलीं- मैं इसे मुँह में ले लूँ?
“हां, आंटी ले लो. इसमें पूछना क्या … ये आपका ही है.”

आंटी ने अपना मुँह फैलाया और पूरे लंड को निगल गईं.
ऊपर नीचे मुँह करके वो लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगीं.

उनके होंठ काफी मोटे थे और मुँह ज्यादा खुलता था.
आंटी के रसीले होंठों के बीच मेरा लंड बड़ा ही कातिल लग रहा था. आंटी के गर्म मुँह में लंड मजे ले रहा था.

लंड के सुपारे पर आंटी अपनी जीभ जोर जोर से फेर रही थीं.

आह क्या नाजुक अहसास था वो … ऐसा लग रहा था मानो अभी पानी निकल जाएगा.

“आंटी थोड़ा धीरे से. मैंने पहले कभी ये सब नहीं किया है … जल्दी वीर्य छूट गया तो मजा बिगड़ जाएगा.”

आंटी ये सब जानती थीं- बात तो सही है तेरी. चल तू मेरे ऊपर आ जा!
इतना कह कर फक्क की आवाज कर साथ लंड मुँह से बाहर निकाला और पलंग पर पैर फैलाकर चित हो गईं.

आंटी का बदन एकदम गदराया था चर्बीदार.
उनके गोरे पैर बहुत खूबसूरत लगते थे.

अच्छा हुआ आंटी ने लंड मुँह से निकाल लिया.
वर्ना पानी मुँह में ही निकल जाता.

“ले मेरी चूत चाट, इसका पानी कितनी भी बार निकले, तेरा मजा नहीं बिगड़ेगा … चाट ले बेटा …”
ये कहती हुई आंटी सिसकने लगीं.

मैं 69 में उल्टा लेट गया, आंटी के पैर अपने हाथ में ले लिए और उनकी सेक्सी चूत को चाटने लगा.
‘आह ऊह्ह्ह्ह … ऐसे ही.’
आंटी ने अपने दोनों पैरो से मुझे बांध लिया, मेरा चेहरा उनकी चूत में जा घुसा.

आह क्या मस्त खुशबू थी उनकी चूत की.

मैंने आंटी की चूत बहुत देर तक चाटी.
आंटी का पानी दो बार छूट भी गया; चादर भीग गई.

चूत एकदम क्रीम जैसे पानी से भर गई थी.
ऐसी पानीदार चूत में लंड पेलने का मजा ही कुछ और होता है.
सूखी चूत में ऐसा मजा कहां!

अब आंटी ने कहा- अब बस भी कर … जल्दी से अपना केला इसमें डाल दे और आगे पीछे धक्के मार … घबरा मत … जी भर के चोद ले मुझे!

आंटी बड़ी पहुंची हुई बला थीं. वे जानती थीं कि ये मेरा पहला अनुभव है इसलिए वो मेरे लंड पर बार बार हाथ नहीं फेर रही थीं कि कहीं वीर्य छूट ना जाए.

मैंने हौले से अपना लंड चूत में डाला.
आह … क्या रसीली चूत थी … लंड सरकता हुआ चला गया.

आंटी आह भरती हुई बोलीं- आह अब सुनो … जल्दी मत करना … धीरे धीरे अन्दर बाहर करो. कुछ देर तक ऐसे ही करो!

मैं हौले हौले से आंटी को चोद रहा था. करीब बीस मिनट तक ऐसे ही सेक्स का मजा चलता रहा.

आंटी आंखें मूँद कर अपने स्तनों को मसलती हुई मजे ले रही थीं- बेटा अब थोड़ी स्पीड बढ़ाओ … और जोर से करो … मैं तड़प रही हूँ … आह फ़क मी फास्ट बेबी.

मैंने लंड की स्पीड बढ़ाना शुरू कर दिया.

“यस बेबी फक मी लाइक दिस … फक मी हार्ड … यस फ़क फ़क …” आहें भरती हुई आंटी बोले जा रही थीं.

आंटी ने मेरी गांड अपने हाथों में ले ली और मिशनरी पोजीशन में अपने दोनों पैरों से मुझे जकड़ कर सिसकारियां लेने लगीं- चोद बेटा … जोर से चोदना शुरू कर दे … फुल स्पीड से गाड़ी चला न बेटे … चूत फाड़ दे मेरी … आह निकाल दे अपना रस इसके अन्दर ही.
ये कहती हुई आंटी शायद झड़ गई थीं.

अब मैं आत्मविश्वास से भर गया था; किसी पोर्नस्टार की तरह आंटी की चूत में धक्के लगाने लगा था.

आंटी की गीली चूत के अन्दर लंड रगड़ता हुआ फिसल रहा था.

कुछ बीस धक्के में ही सर्र करता हुआ मेरा गर्म वीर्य आंटी की चूत में चला गया.
मैं पागल हो गया.
पूरा लंड झटके से अन्दर ही रख कर मैं आंटी से चिपक गया.

आंटी ने मुझे तब तक कसके पकड़े रखा … जब तक लंड चूत में ही ढीला नहीं हो गया.
सच में सेक्स का मजा आ गया था.

हम दोनों पूरे थक गए थे और सो गए.

इस तरह बाकी चारों रातों में, आंटी कमरे में बूढ़े अंकल को नींद की गोलियां खिला कर आ जाया करती थीं और हम दोनों अलग अलग पोजीशन में हुस्न के मजे लेते.

डॉगी स्टाइल में तो आंटी की गांड ऐसी खुलती कि बस पकड़ कर ढोल ही बजाने लग जाओ.

इस तरह सात दिन पूरे हुए और मेरे जाने का वक्त आ गया.

दोपहर को मैं अपना सामान पैक कर रहा था.
आंटी दरवाजे पर खड़ी रो रही थीं और मुझे देख रही थीं.

मैंने उन्हें देखा, तो वो दौड़कर मेरी बांहों में आ गिरीं.

“जानू, इन चार रातों में तेरी बांहों में सांसें ली हैं, मानो फेरे ही ले लिए हों. अब तुम ही मेरे पति हो, तुम मुझे छोड़कर यूं नहीं जा सकते.”

सच में आंटी ने मुझे अपने शौहर की तरह ही रखा था. वे बहुत ख्याल रखती थीं.
वे बहुत इमोशनल हो गई थीं. मैं भी आंटी के प्यार में पड़ गया था.

“समझने की कोशिश करो, हम एक दूसरे के नहीं हो सकते. मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने मुझे जो सुख दिया है, वो बेमिसाल है, पर मुझे जाना ही होगा.”

फिर आखिरी बार हमने आलिंगन किया, किस किया और मैं बाहर चल दिया.
मैं भी रो रहा था … लेकिन क्या किया जाता.
प्यार का अंजाम ऐसा ही होता है.

इस रातों का असर भी हुआ, मेरा स्ट्रेस गायब हो गया था और रिजल्ट बहुत अच्छा आया.
शायद आज से पहले मेरा ऐसा रिजल्ट नहीं आया था.

ये आंटी के प्यार का ही कमाल था. इसलिए तो कहता हूँ कि लड़कों लड़कियों को मजे ले लेने चाहिए.

आंटी कभी अंकल से प्यार नहीं कर पाई थीं.

आज भी आंटी की गर्म सांसों की और आहों की याद आती है तो पानी छूट जाता है.

घर वाले चाहते थे कि मैं अरेन्ज मैरिज कर लूँ. लेकिन आंटी का गदराया बदन याद आते ही सब कुछ बदल जाता था.

अब क्या करूँ, जिस औरत को मैं चाहने लगा था, वो मेरी महबूबा नहीं बन सकती थी.
आनेवाली बीवी को मैं चाह भी पाऊंगा या नहीं … किसे पता?

लेकिन अचानक एक दिन कुछ यूं हुआ कि कमाल ही हो गया.

आंटी की एक बेटी थी जो बाहर पढ़ रही थी. यह उनकी सौतेली बेटी थी.

आंटी ने पापा को फ़ोन करके उससे मेरी शादी की बात की तो घर वाले मान गए.

मैं सोच रहा था कि अपनी बेटी को मुझसे ब्याह कराने का आंटी का इरादा क्या हो सकता है? क्या वो मेरे करीब भी रह सकें और सास भी बनी रहें?

आंटी दबाव दे रही थीं कि हां कर दो लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा था.

आखिर मैंने हां कर दी और मेरी शादी हो गई.

जब भी मैं अपनी ससुराल जाता हूँ तो आंटी मुझे छू लेती हैं, अकेले में प्यार कर लेती हैं.

मेरी बीवी भी बहुत अच्छी और सेक्सी है. एकदम अपनी मां की तरह गदराई गांड वाली है.

शोभा आंटी मेरी नजर में चरित्रहीन नहीं हैं. वो तो बस प्यार की भूखी थीं. चरित्रहीन तो ये समझ है, जिसने ये गुलामी जैसा सिस्टम बनाया है. जिसमें ना आज़ादी है … ना प्यार और ना ही मस्ती.

अब बस मुझे डर ये है कि मेरी बीवी को मालूम हो गया, तो उस पर क्या बीतेगी?
क्योंकि आंटी ने मुझे एक्सपिरियन्स देकर रोमांस का मास्टर बना दिया था.
इसी की वजह से मैं सुहागरात को जबरदस्त परफॉर्म कर पाया था.

मेरी बीवी आज भी ताने मारती है- हाय रे आप तो कामदेव ही हो, कहां से सीखा था?

आज सात साल हो गए इस बात को … आज भी उसे पता नहीं चला कि मेरी सास मेरी रति बनकर हजारों बार मुझसे चुद चुकी है.

फिलहाल अब वे थोड़ी बूढ़ी होने लगी हैं. उनका मेनोपॉज़ आ गया है, जिसकी वजह से वो कभी कभी थोड़ी चिड़चिड़ा जाती हैं.

अंकल मर गए हैं और अब वो विधवा हो गई हैं.
अब वे सेक्स के लिए नहीं बुलातीं … लेकिन कभी फ़ोन किया करती हैं तो कहती हैं कि मेरी बेटी को रोज रात प्यार करना, औरत बिना प्यार के जी नहीं सकती.
 

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मस्त माल खाला की प्यासी चूत चोद दी




मेरा नाम सलमान खान है और मैं राजस्थान के टोंक जिले का निवासी हूँ.
मेरे लंड का साइज 6.5 इंच है, जो किसी भी चूत को तृप्त करने के लिए काफी है.

मैं यौवनावस्था के दौर से गुजर रहा था और चूत की भूख मुझे रोज अपना लौड़ा हिलाने पर मजबूर करती थी.
रोजाना अपना हथियार हिलाकर मैं सिर्फ अपने आपको कमजोर कर रहा था.

मैंने अपने स्कूल में भी गर्लफ्रेंड बना रखी थी मगर स्कूल में चुदाई होना मुश्किल वाला काम था.

मैं रोजाना अपनी गर्लफ्रेंड को किस करता, उसके बोबे दबाता और घर आकर उस बात को याद करके लंड हिलाता.

मेरी वर्तमान जिंदगी की ये एक नियमित दिनचर्या बन गई थी.
कभी कभी एक दिन में 6 या 7 बार तक हिलाता था मगर लौड़े की चूत की भूख सिर्फ उसमें घुस कर ही पूरी होती है.

अब तो शायद ऊपर वाला भी मेरी हालत देख कर मुझ पर मेहरबान हो गया और वो दिन एक कहानी की तरह मेरे जीवन में आ गया.

तो मेरी मस्त मौसी Xxx कहानी पढ़ें.

मेरी एक खाला (मौसी) थीं, जिनका नाम करीमा था.
वे एक तरह से बिना बाप की संतान थीं. उनको मेरे माता पिता ने उन्हें बचपन से अपने पास ही रखकर बड़ा किया था.
क्योंकि नाना के मरने के बाद नानी को स्मैक जैसे गंदे नशे की लत लग गई थी.

करीमा मौसी हमारे घर कम उम्र में आईं और यहीं रह कर अपना जीवन यापन करने लगी थीं.
जब अम्मी उन्हें अपने साथ लेकर आई थीं, तब मैं उनसे चार साल छोटा था.

धीरे धीरे वक्त अपनी गति से चलता रहा और जब वो घर में एक सदस्य की तरह बन गईं.
वे फुल मस्त माल बन गई थीं और मुहल्ले के लौंडे उनको देख कर आहें भरने लगे थे.

अम्मी ने एक दिन किसी लड़के को उन पर फब्ती कसते सुन लिया.
उस दिन मैं, अम्मी और खाला सब एक साथ बाजार से वापस आ रहे थे.
उसी वक्त खाला जरा आगे को निकल गईं और मैं अम्मी के साथ पीछे आ रहा था.

एक लौंडे ने खाला के तने हुए चूचे देख कर कह दिया होगा- हाय जालिम … इन गुब्बारों की धमक किस पर गिरने वाली है!
अम्मी ने सुना तो उस लड़के को बुरा भला कहने लगीं.
वो लड़का भी उधर से रफूचक्कर हो गया.

बस उसी दिन अम्मी अब्बू ने उनकी शादी करने का फैसला कर लिया और अब्बू ने आनन-फानन में टोंक में ही एक ऑटो चलाने वाले के साथ उनका रिश्ता पक्का कर दिया.

उनकी शादी हुई और वो अपने ससुराल चली गईं.

अब वो कभी कभी हमारे घर आतीं और अपने हुस्न का जलवा दिखातीं.
मगर उन्हें देख कर सिर्फ मुठ मारने के अलावा मैं कुछ नहीं कर सकता था.

चूंकि वो मेरी मां की बहन थीं और मेरे परिवार में ये सब गलत समझा जाता था.
मगर जिस्म की आग कोई कैसे समझे.

मैं अपने दिल को समझाता रहा और मुठ मार कर काम चलाता रहा.

एक दिन मैं किसी ऑफिशियल काम से टोंक गया था क्योंकि टोंक हमारा जिला था.

आते वक्त मैंने खाला के घर जाने का मन बनाया और मैं उनके घर चला गया.

उनके घर जाते ही मैंने दरवाजा खटखटाया तो कोई आवाज नहीं आई.
फिर मैंने थोड़ा धक्का दिया तो गेट खुल गया और मैं सीधे कमरे में चला गया.
खाला शायद इस बात से अनजान थीं कि कोई आया है क्योंकि वे बाथरूम में नहा रही थीं.

नहाने के बाद वो तौलिया लपेट कर बाहर आ गईं और सीधा कमरे में आकर उन्होंने बिना कुछ देखे अपना तौलिया गिरा दिया.
मगर जब उन्होंने मुझे देखा तो चौंक गईं और जल्दी से तौलिया उठा कर दूसरे कमरे में चली गईं.

वापस आते ही वो बोलीं- सलमान, तुम कब आए?
वो मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखने लगीं.

मैं- खाला, मैं बस अभी ही आया. मैं आपको आवाज दे रहा था मगर किसी ने जवाब नहीं दिया तो कमरे में आकर बैठ गया.
खाला- मगर जब तुम आए और सब देख लिया!

मैंने नाटक करते हुए कहा- क्या देख लिया खाला?
तो मौसी सोचने लगीं कि शायद सलमान अभी तक छोटा है और वो कुछ नहीं जानता.

उन्होंने कुछ सोच कर अजीब अंदाज में कहा- सलमान, तुमने मेरा शरीर देख लिया. अब तुम भी अपना शरीर मुझे दिखाओ वरना तुम किसी से भी कह दोगे कि मैंने करीमा को नंगी देखा है.

मैं- ये क्या कह रही हो खाला … मैं आपके सामने नंगा कैसे?
खाला- अगर तुम नंगे नहीं हुए तो मुझे डर रहेगा कि तुम किसी से कह दोगे मगर तुम्हें देख लूंगी, तो मैं भी तुम्हारे लिए कहूंगी कि मैं भी तुम्हें नंगा देखा था.

ये सब मेरे लिए थोड़ा समझ से बाहर था.
मगर थोड़ा डर भी था क्योंकि मौसी को नंगा होकर दिखाया, तो डर था कि वो मां से कुछ न कह दें.

मैं- मौसी, ठीक है, मगर मैं नंगा होऊंगा ये बात किसी से मत कहना!
खाला- अरे डरो मत और जल्दी से अपनी पैंट उतारो.

फिर धीरे से बोलीं कि मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारा कैसा है!
मैंने पूछा- क्या कहा मौसी?
खाला- कुछ नहीं, तुम बस उतारो जल्दी से.

जैसे ही मैंने पैंट खोली.
मैंने खाला की आंखों में एक अलग नशा देखा और उन्होंने नशीली आंखों से कहा- सलमान चड्डी तो निकालो!
तो मैंने कहा- मौसी शर्म आ रही है.

फिर वो मेरे पास आईं और चड्डी को पकड़ कर जैसे ही उन्होंने खींचा, तो समझो बवाल हो गया.
उनके हाथ के स्पर्श से बदन में आग लग गई और लंड पर मानो तूफान आ गया, लंड झटके से खड़ा हो गया.

खाला- अरे यार तेरा कितना बड़ा है … मैंने ऐसा कभी नहीं देखा!
मेरा तो समझो बोल ही बंद हो गया था.

वे धीरे से लंड को पकड़ कर सहलाने लगीं.
मुझे भी एक अजीब सा नशा चढ़ने लगा और मैंने भी उनके बोबे पकड़ कर दबा दिए.

बोबे दबाते ही वो नशीली आंखों से मुझे देखने लगीं और बोलीं- सलमान, क्या तुम जन्नत का मजा लेना चाहोगे?

मैं भी अभी हवस से भरा था, तो मेरे जिस्म में आग लगी थी और चूत की भूख दिमाग पर हावी थी.
मैंने कहा- खाला जन्नत का मजा कैसे … मैं समझा नहीं?

मेरी बात सुनकर उन्होंने देर न करते हुए मेरे लबों को चूमना शुरू कर दिया.
ये सब मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं था; बहुत ही अच्छा लग रहा था.

मैं धीरे धीरे हवस के घेरे में डूबता चला गया और मैंने एक एक कर उनके बदन से कपड़ों को हटाना शुरू कर दिया.
कुछ ही पलों में वो मेरे सामने अपनी नंगी नशीली चूत खोले खड़ी थीं.

मैंने आज पहली बार अपनी खाला का नंगा जिस्म सामने देखा था.
उनके फिगर का साइज 36-30-38 का था. वे किसी अप्सरा के संगमरमरी बदन की तरह लग रही थीं, एकदम कागजी गोरी चमड़ी, जिसको हाथ लगाते ही मानो खून छलक पड़ेगा.
मेरे सर पर वासना हावी थी और हवस का नशा आसमान छू रहा था.

हम दोनों सिर्फ एक दूसरे में खोए थे.

मैंने धीरे से अपना हाथ मौसी की चूत पर रखा, वो पानी से गीली थी और भट्टी की तरह तप रही थी.

मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली तो उनकी एक मीठी सी आह निकली.
मुझे बहुत मजा आया और मैं उसे आगे पीछे करने लगा.
इससे वो मदमस्त होने लगीं और कामुक सिसकारियां लेने लगीं.

खाला- सलमान बुझा दो आज मेरे इस बदन की प्यास … आह चोद दो मुझे अपने इस कड़क लंड से.
वे लंड लेने के लिए पागल हो रही थी मगर मेरे लिए ये पहली बार था तो मैं चुदाई से अनजान था.
तब भी मैंने ब्लू-फिल्में देख कर चुदाई देखी थी.

मैं बस मौसी की चूत में उंगली करता रहा.
थोड़ी देर बाद मेरे गाल पर एक चांटा और मैं नशे से बाहर आ गया.

करीमा खाला- अबे चोदू … क्या उंगली से गांड मारेगा मेरी … भोसड़ा के लंड पेल मेरी चूत में … और जल्दी से खुश कर दे.

यह सुनकर मैं भी पागल हो गया और उन्हें लिटा कर लंड को चूत के मुँह पर सैट कर धक्का देने लगा.
मुझे उनकी चूत थोड़ी टाइट लगी.

मैंने कहा- खाला क्या खालू का लंड छोटा है … या वो तुम्हें चोदते नहीं हैं.
वो गुस्से में बोली- वो भोसड़ी का क्या मेरी आग बुझाएगा … उसके पास तुम्हारे जैसा लंड नहीं है, सिर्फ एक छोटी सी लुल्ली है. तुम बस जल्दी से चोद दो मुझे.

मैंने थोड़ी कोशिश करके अपना लंड खाला की चूत में घुसा दिया.

लंड जैसे ही चूत में गया, खाला चिल्लाने लगीं और कराहती हुई बोलीं- आह सलमान फट गई मेरी … आह छोड़ दे मुझे … जल्दी से निकाल अपना लंड … इससे तो मेरी चूत के चिथड़े चिथड़े उड़ जाएंगे. मुझे नहीं चुदाना तुझसे.

मैं भी अब पूरे नशे में था.
मैं बोला- बहन की लौड़ी पहले तो कह रही थी कि चूत की आग बुझा … और अब जब लंड घुस गया है … तो अब भागना चाहती है. आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना ही दूंगा और तेरी चूत का पानी पियूंगा.

मैं लगातार उन्हें चोदता रहा और वो चिल्लाती रहीं. मगर मेरा लावा भी कहां जल्दी छूटने वाला था.

मैंने लंड निकाला और खाला से घोड़ी बनने को कहा.
वो लड़खड़ाती हुई घोड़ी बन गईं.

मैंने पीछे से उसकी चूत को चोदना शुरू किया.
चूत रस छोड़ चुकी थी तो फच फचा फ़च की आवाज से कमरा गूंजने लगा.

थोड़ी देर में मुझे ऐसा लगा कि लंड बड़े आराम से अन्दर बाहर हो रहा है.
मुझे काफी चिकनाई महसूस हुई तो मैंने पूछा- खाला ये क्या हुआ? तुम्हारी चूत तो रो रही है.
वे हंसकर बोलीं- बेवकूफ मेरी चूत खुश हो गई … और ये उसकी खुशी के आंसू है. तू चालू रख अपना काम!

मैं और जोर से चोदने लगा. मैं धक्के मारता हुआ थोड़ा थक गया था, तो मैंने उनकी प्यारी सी गांड को दबाते हुए कहा- जान अब तुम ऊपर आ जाओ और लंड की सवारी करो!

वो तो शायद इसी इंतजार में थीं. मेरे ऐसा कहते ही लंड पर बैठ गईं और उछलने लगीं.
मस्त आलम था … चूत और लंड मिलकर बहुत खुश थे.

जब वो उछल रही थीं तो मुझे लंड में कुछ अजीब सा लगा.

मैंने कहा- खाला मुझे अजीब सा लग रहा है!
तब खाला ने कहा- इसी बात का तो इंतजार था. अब तुम्हारा माल अब मेरी चूत में निकलेगा.
कुछ देर उछलने के बाद लंड से ज्वालामुखी फूट गया और लंड ने पूरी चूत को अपने रस से भर दिया.

मस्त मौसी Xxx खुशी से झूम कर मेरे ऊपर गिर गईं और हांफने लगीं.

थोड़ी देर तक हम दोनों यूं ही मदहोश होकर एक दूसरे से लिपटे रहे.
बाद में जब होश आया तो मैं उनके मोटे बोबों के साथ खेलने लगा.

मौसी ने कहा- इतनी देर चोद कर भी मन नहीं भरा क्या … जो वापिस शुरू हो गया?
मैंने कहा- तुम चीज ही इतनी मस्त हो जान कि तुम्हारी चूत में अपना लंड फिट किए रहना चाहता हूँ और तुम्हारे दूध को दिन भर पीना चाहता हूँ.

वो हंसने लगीं और बोलीं- तुम जब चाहे आ जाना और अपने लंड की प्यास बुझा कर चले जाना.
मगर मैं अभी एक बार में कहां मानने वाला था.

थोड़ी देर में फिर से उनकी चूत को चोदने लगा.

उस दिन मैंने मौसी से तीन बार सेक्स का मजा लिया.
उनकी चूत को भी आज ही सही मायने में तृप्ति मिली थी.
वे खुश होकर हंसने लगी थीं.
 

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चाची और मम्मी की चूत गांड चोदी



दोस्तो, मेरा नाम कौशल है.
मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी 19 साल है.

हमारा घर एक संयुक्त परिवार है और मैं अपनी मम्मी चाची आदि सभी के साथ रहता हूँ.

एक दिन की बात है जब मेरी मम्मी किसी काम से बाहर गई थीं.

उस दिन रविवार था, मेरी कोचिंग क्लास भी बन्द थी.
तब घर पर मैं और मेरी चाची थीं.

मेरी चाची एक बड़ी गांड वाली और बड़ी बड़ी चूचियों वाली एक मादक महिला हैं.

मैंने अपनी चाची को चोदने का कभी नहीं सोचा था लेकिन जब मेरी चाची एक दिन नहा रही थीं तब गलती से मैंने उनको देख लिया था.

उस वक्त मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थीं.
वो अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर साबुन मल मल कर लगा रही थीं.

उस समय वो अपना पेटीकोट पहनी हुई थीं और अपना ब्लाउज उतारी हुई थीं.
तभी मैं वहां से अपने रूम में चला गया और चाची के नाम की मुठ मारने लगा.

मैं लंड हिलाते समय सोच रहा था कि मैं अपनी चाची के साथ सेक्स कैसे करूँ?
वही सोच आज फिर से मेरे दिमाग में घूमने लगी थी कि चाची को लौड़े के नीचे कैसे लाऊं.

तभी मैं उनकी पायल की आवाज सुनाई दी और मैं बाहर आ गया.
मैंने देखा कि चाची रसोई की तरफ जा रही थीं. मैं भी रसोई में चला गया.

मैंने चाची से कहा- चाची आपने अपनी पैंटी को अभी सूखने डाला था ना … और मैंने आपकी पैंटी पर उजला उजला सा कुछ लगा देखा था. वो क्या था?
मेरी चाची मुझे डांटती हुई बोलीं- शर्म कर जरा … अब तू अपनी चाची से ये सब भी पूछेगा क्या?

मैं उन्हें देख कर मुस्कुराने लगा.
मेरी चाची वहां से हंसती हुई चली गईं.

शाम को चाचा को बाहर जाना था तो वो निकल गए.
उनको दो तीन दिन के लिए बाहर का काम था.

उनके जाने के बाद चाची बाथरूम में जाकर अपनी चूत में उंगली कर रही थीं और दरवाजा अन्दर से बन्द की हुई थीं.

मुझे पेशाब लग रही थी, तो मैं भी बाथरूम की ओर गया.
मैंने बाहर से ही सुना कि बाथरूम से चाची की कामुक आवाजें निकल रही थीं ‘आह आह ऊँह …’

मैंने आवाज देकर चाची से कहा- चाची, आपको कुछ हो गया है क्या?
चाची कुछ भरी हुई आवाज में बोलीं- नहीं नहीं, मैं ठीक हूँ.

मैं- ओके चाची, आप जल्दी निकल आओ. मुझे जोर की पेशाब आई है.
चाची- अच्छा ठीक है, मैं निकल रही हूं.

मैं- ठीक है, पर आप जरा जल्दी निकलो.
चाची अपने कपड़े ठीक करती हुई बाहर निकलीं तो मुझे उनके चेहरे पर कुछ ऐसी थकान सी दिखी, जैसे वो अपनी चूत में उंगली करके झड़ कर आई हों.

फिर मैं अन्दर जाकर पेशाब करने लगा.
मैंने देखा कि अन्दर कुछ पानी की तरह लिसलिसा सा गिरा हुआ था.

मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और सुसू करके बाहर आ गया.

अब मैं चाची के कमरे में गया तो मैंने देखा कि मेरी चाची कमरे में फिर से वही सब कर रही थीं.

मैं देखता रहा और चुपचाप अपना पैंट उतार कर सीधे अन्दर घुस गया.
चाची मुझे देख कर सोने का नाटक करने लगी थीं.

मैंने चाची से कहा- चाची, मुझे डर लग रहा है. मैं आपके पास सो जाता हूँ.
चाची ने मुझसे कहा- हां ठीक है, सो जा!

मैं चाची के साथ सोने का नाटक कर रहा था.
चाची ने रात में मैक्सी पहनी हुई थी और मैं सिर्फ अपनी जांघिया में था.

उस वक्त रात के 11:00 बज चुके थे.
चाची सो गई थीं और मुझे नींद नहीं आ रही थी.

जब चाची गहरी नींद में सो रही थीं, तभी मुझे चुदास ने घेर लिया.
मैं नींद का नाटक करते हुए अपनी चाची की चूचियों पर हाथ रखकर धीरे धीरे सहलाने लगा.

उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैं उनकी एक चूची को दबाने लगा.
मुझे डर लग रहा था कि कहीं चाची उठ ना जाएं.

मगर यह लौड़े की हिमाकत थी, वो मेरा हौसला और ज्यादा बढ़ा रहा था.

मैंने चाची की नाइटी को ऊपर किया और उनकी संगमरमर सी चिकनी जांघ पर हाथ रखकर सहलाने लगा था.

उस समय मेरा लंड एकदम कड़क था और अपनी पूरी औकात में आकर ज्यादा बड़ा हो गया था.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी जांघिया फटने वाली है.

उसी वक़्त चाची उठ गईं और वे मुझसे बोलीं- तू ये क्या कर रहा है … अपने चाची को चोदने की फिराक में है. चल जा यहां से … और अपने कमरे में जाकर सो जा.
मैंने चाची से माफी मांगी और कहा- वो गलती से नींद में हो गया चाची.

लेकिन चाची नहीं मान रही थीं.
तभी मेरी चाची का ध्यान मेरे लंड पर चला गया.

वे हंस कर बोलीं- साले झूठे, ये तेरा नींद में इतना बड़ा हो गया. चल आ जा बेटा तू भी क्या याद करेगा. आज अपना लौड़ा निकाल और मुझे चोद दे … मुझे भी आज तेरे लंड से चुदने का मन है.

चाची के मुँह से इतनी साफ साफ चुदाई की बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई.

मैंने एक झटके में अपना जांघिया को नीचे करके निकाल दिया और चाची के ऊपर चढ़ गया.
वो भी मेरे हाथों से अपनी मादक जवानी को मसलवाने को राजी हो गई थीं.

चाची के साथ सेक्स की शुरुआत करते हुए मैंने उनको सीधा किया और उनके होंठों को चूसने लगा.
चाची भी मेरा साथ दे रही थीं.

कुछ देर यूं ही अपने भतीजे की कोरी जवानी से लबरेज होंठों का रस चूसने के बाद चाची ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और बोलीं- बड़ी चुल्ल है तुझे! मेरे होंठों का क्यों कचूमर बना रहा है. तुझे चूसने का इतना ही ज्यादा शौक है, तो नीचे आ जा … और मेरी चूत चूस!

मुझे उनकी बात से होश आया कि चाची की चूत और चूचियां भी चूसने वाली चीज हैं.
अब मैंने उनकी मैक्सी को हटाया और उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनकी चूचियों को पीने लगा.

मेरी चाची जोर जोर से कहने लगीं- आह आह … साले क्या मस्त चूसता है … आह अब पहले मुझे चोद दे … ये सब बाद में चूस लेना.
मैंने उनकी पैटी को हटाया और उसे उतार कर चाची की चूत को देखा.

उनकी हल्की हल्की झांटों से चूत रो रही थी. उसके आंसुओं से झांट के बाल गीले हुए पड़े थे.
चूत का दाना फाँकों से बाहर झांक कर मानो मुझे जीभ चिढ़ा रहा था.

मैंने एक पल को चूत को निहारा और नाक लगा कर चूत से आने वाली भीनी भीनी सुगंध को अपने नथुनों में भरने लगा.

आह क्या मस्त महक आ रही थी.
अगले ही पल मैंने उनकी चूत के दाने को अपनी जीभ से कुरेद दिया.

चाची एकदम से सिहर उठीं और उनकी टांगें खुद ब खुद फैलने लगीं.
मैं उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा.

मेरी चाची का हाथ मेरे सर पर जम गया था और वे मादक आवाजें निकाल रही थीं.

कुछ ही देर में मुझे चाची की चूत की नमकीन मलाई बड़ी ही स्वादिष्ट लगने लगी और मेरी जीभ किसी कुत्ते की मानिंद चूत पर चलने लगी.

चाची कसमसाती हुई आधी उठ कर बैठ गईं और मेरे सर को अपनी चूत में लगभग घुसेड़ती हुई बोलीं- आंह … क्या कर रहा है भोसड़ी के … जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे मादरचोद … आह मुझे चोद दे कमीने … साले बड़ी आग लगी है.

मैंने उनको धक्का देकर वापस बेड पर लिटा दिया और उनकी दोनों जांघों को फैला कर अपना लंड उनकी चूत पर लगा दिया.

अभी मैं लौड़े को चूत की फाँक में रगड़ ही रहा था कि चाची ने अपनी गांड उठा कर लंड के सुपारे को अपनी चूत से चूम लिया.
सुपारे ने चूत में घुस कर उन्हें मजा दे दिया था.

मुझे भी अपने सुपारे से चूत की गर्मी का अहसास हुआ और मैं धीरे धीरे उनकी चूत में लंड पेलने लगा.
मगर मुझे अन्दर लौड़ा पेलने में सफलता नहीं मिली.

उनकी बुर काफी टाइट थी.
इसी कारण मेरा लंड उनकी बुर में से यानि उनकी चूत में से निकल गया.

एक पल बाद मैंने फिर से प्रयास किया और इस बार मेरे लंड का सुपारा दुबारा से चूत के अन्दर घुस गया.
इस बार पूरा सुपारा घुस गया था … तो चाची की आवाज निकल आई- उई मां … मैं तो मर गई … आह!

तभी मैंने दूसरा धक्का भी लगा दिया.
अब मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा और चाची अपनी वासना से भरी आवाजें निकालने लगीं ‘आह … फ़क मी फ़क मी.’

इस तरह से दस मिनट तक खेल चला.
फिर मैंने चाची से कहा- चाची मेरा रस झड़ने वाला है.
वो बोलीं- मेरी चूत में ही टपका दे.

मैंने अपना सारा माल उनकी बुर में ही छोड़ दिया.
उसी के साथ चाची भी झड़ गई थीं.

हम दोनों एक साथ झड़ गए थे.
निढाल होकर हम वैसे ही नंगे सो गए.

बाद में मेरी अचानक से नींद टूटी तो मैंने देखा कि मेरा लंड मेरी चाची चूस रही हैं.
मैंने फिर से उनको ऊपर किया और कहा- चाची, मैंने आपकी बुर का स्वाद ले लिया. अब मुझे आपकी गांड चोदनी है.

कुछ देर बाद चाची गांड मरवाने रेडी हो गईं.
अब मैंने अपनी चाची की गांड में लंड पेल दिया और खूब धक्का दिए.

ऐसे में मैंने उनको रात भर चोदा.

अब मुझे जब भी अपनी चाची को चोदने का मन होता है, मैं उनके पास चल जाता हूँ और हम दोनों चुदाई करते हैं.

ऐसे में एक दिन जब अपनी चाची की चुदायी कर रहा था, तभी मेरी मम्मी मुझे अपनी चाची के साथ सेक्स करते हुए देख लिया.
मेरी मम्मी भी जोश में आ गईं. उन्होंने भी अपनी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट को उतार कर मेरे सामने खड़ी हो गईं.

मेरे तो होश ही उड़ गए.
मम्मी ने पिंक कलर की ब्रा पहनी हुई थी.

मैं उनकी तरफ वासना से देख ही रहा था कि उन्होंने किसी रांड की तरह मुझे देखा और अपना पेटीकोट उतार दिया.

आपको अपनी मम्मी के बारे में बताना मैं ही भूल गया था.
मेरी मम्मी मेरी चाची से भी हॉट हैं.

जब मेरी मम्मी ब्रा और पैंटी में आ गई तो मैंने तुरंत अपनी चाची की गांड में से लंड निकाला और मम्मी को लंड दिखाने लगा.

मम्मी बिस्तर के करीब आ गईं और मेरे लौड़े को पकड़ कर सहलाने लगीं.

मैंने मम्मी को बिस्तर पर खींचा और उनकी ब्रा और पैंटी को हटा दिया.
मैं मम्मी के मम्मों को दांत से काटने लगा और मम्मी की बुर को चूसने लगा.

चाची कहने लगीं- साले, तू तो चाची चोद की जगह पक्का मादरचोद बन गया.
मेरी मम्मी हंसने लगीं.

फिर मैंने अपनी चाची को अपने नीचे लिटाया और मम्मी को चाची के ऊपर रखकर इंग्लिश स्टाइल में मम्मी की बुर में जैसे ही लंड घुसेड़ा, मम्मी की तो चीख ही निकल गई.

फिर मैं मम्मी की गांड में लंड घुसाने लगा और उनकी चूत व गांड में बार बार लंड को घुसाता निकालता रहा.

मम्मी चीखने लगीं- साले, आज तू मेरी गांड फाड़ कर ही दम लेगा. तुमको इतना अनुभव कहां से आया?
तभी नीचे से चाची लंड में जीभ लगाती हुई बोलीं- ये मुझे हर रोज़ चोदता है दीदी.

हम तीनों चुदायी करने लगे थे.

कुछ देर बाद मम्मी ने कहा- मैं झड़ गई हूँ … अब तू चाची को चोद ले.
मम्मी अलग हो गईं.

उसके बाद मेरा लंड चाची की चूत गांड में चलने लगा.

उस दिन मैंने उन दोनों देवरानी जेठानी को चोद चोद कर संतुष्ट कर दिया था.

अब मेरी घर में ही मौज थी; मुझे दो चूत के छेद और दो गांड के छेद मिल गए थे, जिन्हें चोदकर मैं खूब मजा लेता हूँ.
 

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चिकनी चाची की रसभरी चुदाई



दोस्तो, मेरा नाम बबलू है, मेरी हाईट पाँच फुट सात इंच की है. मैं दिखने में आकर्षक हूँ.

मेरा लंड पाँच इंच का है और ये ढाई इंच व्यास का मोटा और गोरे रंग का है.
मेरे लंड की खासियत इसका गोरा रंग और ज्यादा मोटाई है.

यह मेरी पहली कहानी है, अगर कोई गलती या कमी दिखाई दे तो प्लीज नजरअंदाज कर दीजिएगा. यह सेक्स कहानी मेरी चाची भतीजा चुदाई कहानी है.

मेरी चाची के साथ ये चुदाई सन 2021 की जनवरी महीने की है.
हमारा परिवार एक संयुक्त परिवार है, जिसमें चाचा चाची, उनका बेटा व मम्मी पापा और मेरा छोटा भाई रहते हैं.

मेरे दोस्त ने मुझे उसकी चाची के बारे में बताया तो मेरे अन्दर भी अपनी चाची की गांड मारने के कीड़े ने जन्म ले लिया.

मेरी चाची का फिगर 34-30-38 का है.
जब भी मैं उनके तने हुए दूध को देखता हूँ तो बस देखता ही रह जाता हूँ.

वे मेरे सामने ही नहा लिया करती थीं क्योंकि उन्हें मैं बच्चों जैसा लगता था.
पर मैं सब समझता था.

एक दिन घर के सभी खेत पर गए थे.
उस दिन चाची नहाने गईं तो मैं उनके पीछे चला गया.

दरअसल उस समय हमारे घर में बाथरूम नहीं बना था. गांव के हिसाब से ही पुराने जमाने का एक बाथरूम जैसा बना था जिसमें दरवाजा नहीं था.

मैं अन्दर जाकर चाची को नहाते हुए देखने लगा.
उन्हें भी मालूम था कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.

मैंने हिम्मत करके उनसे पूछ लिया- क्या आप एक बात बताओगी?
उन्होंने हां करते हुए कहा- क्या?
मैंने कहा- पहले आप कसम खाओ कि किसी को नहीं कहोगी.
वो नहाते हुए अपने मम्मों को मसलती हुई बोलीं- बोल न … क्या बात है?

मैंने झट से कह दिया- सेक्स कैसे होता है?
उन्होंने गुस्से से मुझे देखा और मुझे बाहर भगा दिया.
वे कहने लगीं- तू अभी छोटा है, अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.

मैं डर गया और भाग आया.

अब उस बात को 15 दिन बीत गए थे.

उसके बाद एक दिन मैंने अपनी बात अपने दोस्त को बताई, तो वो कहने लगा- साले तू तो बड़ा हरामी निकला! अपनी चाची से ही चुदाई की पूछने लगा!
मैं कुछ नहीं बोला.

उसने मुझसे कहा- ओके तुम उन्हें टच करने की कोशिश करो और हो सके तो उनके दूध दबा देना.
मैंने उसकी बात मान ली और घर आ गया.

उसी रात को टीवी देखने के बाद मैं चाची से पहले उनके रूम में चला गया.

चाची किचन में जा रही थी, किचन उनके रूम से आगे था.

मैं मौका देख कर दरवाजा के पीछे छिप गया.
चाची जैसे ही अन्दर आईं, मैंने उनके दोनों बूब्स अपने हाथों में लिए और मसल दिए.

चाची एकदम से डर कर चिल्ला दीं.
इससे मेरी फट गई.

जब अंकल ने आवाज देकर पूछा तो वे कहने लगीं कि अरे कोई बात नहीं थी, बस एक चूहा था.
उस समय सभी लोग नीचे वाले हॉल में टीवी देख रहे थे.

फिर चाची ने मुझे एक थप्पड़ जड़ दिया मैं चुपचाप अपने रूम में चला गया और सो गया.

अब मुझे डर लगने लगा था.
इधर मेरा लंड भूखे शेर की तरह हलचल मचा रहा था.

इस बात को दो महीने बीत गए.
चाची ने किसी से कुछ नहीं कहा था.

अब गर्मी शुरू हो गई थी और स्कूल की छुट्टियां शुरू हो गई थीं.

एक दिन चाची नहाने जा रही थीं, उससे पहले मैं बाथरूम में चला गया.

दरअसल चाची को लंड दिखाना बहुत जरूरी था, जब तक उन्हें लंड के दीदार नहीं हो जाते, तब तक वो मुझे जवान मर्द नहीं समझ सकती थीं शायद.

ये मेरे एक दोस्त की सलाह थी कि बिना लंड दिखाए किसी भी महिला को सेक्स के लिए मनाना मुश्किल काम होता है.

फिर मैंने देखा कि चाची बाथरूम की तरफ आ रही हैं.
उसी वक्त मैंने फुल आवाज में पोर्न वीडियो चालू कर दिया और लंड बाहर निकाल कर मुठ मारने लगा.

चाची मुझे नंगा देख कर भाग गईं.
मुझे लगा कि अब जरूर ये मम्मी पापा से कह देंगी.
तो तुरंत मैंने अपना पैंट पहना और चाची के पीछे जाकर खड़ा हो गया.

जब तक चाची उधर से चली नहीं गईं, तब तक मैं वहीं खड़ा रहा.

अब मैंने चाची के नाम की मुठ मारना चालू कर दिया था.

चाची ने अपनी तरफ से मुझे कोई सिग्नल नहीं दिया.

इस बात को अरसा हो गया.

अब मेरा लंड भी बड़ा हो चुका था और हैल्थ भी काफी अच्छी हो गई थी.

वो ठंड का मौसम था. घर पर मम्मी पापा, मैं और चाची थीं.
मम्मी पापा सो रहे थे.

मैंने मौके की नजाकत को समझा और चाची के कमरे में घुस गया.

वे भी गहरी नींद में थीं और दरवाजे में कुंडी नहीं लगी थी.

मैंने चाची के रूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया और चाची को देखने लगा.

मेरा लंड भी ऐसे खड़ा हो गया मानो आज तो उसे मौका मिल ही गया था.
मैंने पैंट नीचे करके चाची को देखते हुए लंड सहलाना चालू किया.

फिर चाची के पास जाकर उनके बूब्स दबाने लगा.
उनके इतने मस्त और कसे हुए बूब्स मैंने आज तक नहीं हाथ में लिए थे.

हालांकि कॉलेज जाने के बाद मैं अब तक बहुत सारी चुत पेल चुका था.
मैंने लंड चाची के होंठों पर रगड़ना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में उनकी नींद खुल गई.

मुझे ऐसा करता देख कर चाची गुस्सा हो गईं. वे मुझे गुस्से से देखने लगीं.

हालांकि अब मैं काफी हट्टा कट्टा मर्द हो गया था और चाची भी मेरे सामने छोटी लगने लगी थीं.
वे बोलीं- ये सब क्या है बबलू?

मैंने पहले तो कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप सर झुकाए बैठा रहा.
चाची ने फिर से पूछा- कुछ बोलते क्यों नहीं हो?

मैंने कहा- चाची, मैं आपको भुला नहीं पाता हूँ. जबकि मैंने आपसे भी सुंदर और सेक्सी लड़कियों के साथ सेक्स कर लिया है.
वे मेरी तरफ देखने लगीं फिर मुस्कुरा कर बोलीं- ऐसा मुझमें क्या देखा तूने जो तेरे चाचा को नहीं दिखाई देता?

मैंने कहा- चाचा चूतिया है तो मैं क्या कर सकता हूँ.
इस बात पर चाची हंस दीं.

मैं अपनी पैंट पहनने लगा.

उन्होंने मना कर दिया और बोलीं- अब अपना अन्दर क्यों कर रहे हो. क्या तुम भी चूतिया हो?
मैंने उनकी तरफ देखा तो चाची की आँखों में वासना दिखाई दे रही थी.
साथ ही उनकी इस बात से मुझे हरी झंडी मिल गई.

मैंने फिर से अपने सारे कपड़े उतार दिए और चाची को देखने लगा.
मेरा लंड चाची की तरफ देखता हुआ उन्हें सलामी दे रहा था.

वे उठ कर मेरे पास आईं और मेरे लंड को देखने लगीं.
मैंने आगे बढ़ कर चाची को किस करना शुरू कर दिया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.

मैंने उनकी साड़ी ब्लाउज निकाल कर अलग कर दिए.
वो ब्रा पैंटी में मेरे सामने थीं.

मैंने उनकी ब्रा पैंटी भी निकाल कर अलग कर दी.
चाची को पूरी नंगी कर दिया था.
वे सच में नोरा फतेह अली खान लग रही थीं.

मैं उन्हें अपनी बांहों में भर कर किस करता रहा.
वे भी मेरी मजबूत भुजाओं में पिसने लगीं.

मैंने उन्हें खुद से जरा अलग किया और उनकी चूचियों को देखने लगा.
चाची शोखी से बोलीं- इन्हें देखा नहीं जाता बबलू … इनसे खेला जाता है.
मैंने कहा- हां चाची खेलने का मन तो है.

यह कह कर मैंने उनके एक दूध को अपने होंठों में दबा कर खींचा तो चाची की मीठी आह निकल गई.
वो बोलीं- ऊँह बिल्कुल जानवर हो गया है तू तो … क्या शहर में ऐसे ही चूसता है?
मैंने कहा- चाची, आज तक मैंने ऐसे आम चूसे ही नहीं हैं. आज मुझे रोको मत … मुझे जीभर के पी लेने दो.

वे मेरे सर को अपने मम्मों पर दबा कर बोलीं- पी ले मेरे राजा बेटा.

मैंने अब उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर उनके दूध पीने लगा.
कुछ देर बाद चाची बोलीं- अब तू नीचे आ जा, मैं तुझको लटकते आमों का रस पिलाती हूँ.

मैं नीचे लेट गया और चाची मेरे ऊपर चढ़ कर अपने दोनों दूध बारी बारी से मेरे मुँह में देने लगी थीं.
सच में चाची की चूचियों में अमृत था.
भले ही कुछ निकल नहीं रहा था लेकिन तृप्ति पूरी मिल रही थी.

कुछ मिनट बाद मैं उनके सामने नीचे हो गया और उनकी गुलाबी चुत को चाटना शुरू कर दिया.

मैंने जैसे ही उनकी चुत में मुँह लगाया वो एकदम से हड़बड़ा गईं और मुझे अपनी चुत से हटाने की कोशिश करने लगीं.

ऐसा इसलिए हुआ था कि चाची ने अब तक कभी भी चुत नहीं चटवाई थी.
मैं लगा रहा और चाची की लाख कोशिशों के बावजूद मैंने उनकी चुत से मुँह नहीं हटाया.

कुछ ही पलों में उनके मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह आह ओह … मर गई … अब मत तरसाओ प्लीज़ जल्दी डाल दो.

मैंने उन्हें लिटाया और उनके ऊपर चढ़कर किस करते हुए कहा- पहले मेरा लंड चूस दो!
उन्होंने मना कर दिया.

मैंने आग में घी पहले ही डाल दिया था. वे काफी गर्म हो चुकी थीं.
तभी मैंने कहा- चाची, जब तक लंड नहीं चूसोगी. मैं अन्दर नहीं डालूँगा.

अंत में हार मानकर चाची लंड चूसने लगीं.
आह क्या मस्त लंड चूस रही थीं मजा आ गया.

कुछ मिनट लंड चूसने के बाद चाची पलंग पर आकर बैठ गईं और चुत में उंगली करती हुई मुझे आंख मारी.

मैंने जल्दी से उन्हें किस किया और लंड का सुपारा चुत पर रगड़ने लगा.
चाची रोने जैसी मुँह करके बोलीं- क्यों तड़पा रहा है … अब डाल भी दे. मैं मर जाऊंगी, अब बर्दाश्त नहीं होता.

मैंने झट से लंड अन्दर डाल दिया.
आधा लंड अन्दर जाते ही चाची आह आह करने लगीं.

मैंने उनके होंठों पर किस करते हुए उनकी आवाज को दबाया और उनके बूब्स दबाने लगा.

चाची कई महीनों से चुदी नहीं थीं और इसलिए उनकी चुत काफी टाईट लग रही थी.

कुछ पल किस करता रहा, फिर एक जोर का धक्का दे दिया.
चाची अकड़ने लगीं- आह जोर से डाल आह आह!

मैंने धक्के देने की स्पीड बढ़ा दी और चाची झड़ कर निढाल हो गईं.
मैंने अपनी गाड़ी चालू रखी.

अब चाची को ज्यादा मजा आने लगा था.
वे बोल रही थीं- और तेज चोद, फाड़ दे मेरी चुत … ये कब से लंड की भूखी थी … आज इसे शांत कर दे.

लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने कहा- चाची कहां निकालूँ?
उन्होंने कहा- अन्दर ही डाल दे.
मैं अन्दर झड़ गया और उनकी चुचियों को चूसने लगा.

चाची को किस करते करते कब मुझे नींद आ गईं, कुछ पता ही नहीं चला.

एक घंटे बाद मैं उठा और चाची को जगाया.
हम दोनों ने कपड़े पहने.

किस करते करते चाची ने कहा- आज तुमने मुझे जन्नत की सैर करवाई है, आज से मैं तुम्हारी हूँ. जब चाहे, जैसे चाहे चोद लेना, मैं कभी मना नहीं करूंगी.

हम दोनों किस करके अलग हो गए.
 

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दीदी के साथ सेक्स भरी रात



बात आज से 18 साल पुरानी है. मैंने यह घटना सिर्फ मेरी गर्लफ्रेंड को और मेरी एक खास दोस्त को बता रखी है.
तब मैं किशोरवय का था और मेरी दीदी, आयशा जवान हो गई थीं. यानि उनकी और मेरी उम्र में कम फासला था.

तब मेरा अक्सर वक़्त स्कूल के बाद दीदी के साथ गुज़रता था. वे मुझसे अक्सर अकेले में मुझसे लिपट कर सोती थीं.
उनको ये बहुत पसंद था कि मैं उनके सीने मैं अपना मुँह लगाकर सोऊं, ठीक वैसे … जैसे एक बच्चा अपनी माँ के साथ सोता है.

कई बार तो अम्मी भी ये देखतीं और हमें अलग अलग सोने को कहतीं.
शायद उनको आयशा दीदी के अरमानों का आभास हो गया था.

लेकिन रात में मैं अब्बा के साथ ही सोता था.

यह सेक्सी दीदी हॉट कहानी यहाँ से शुरू होती है.

एक दिन की बात है.
अब्बा काम से बाहर गए थे और उस दिन अम्मी नानी के घर गईं और वहीं रुक गईं.

आयशा दी और मैं अकेले घर पर रह गए थे.
ज़ाहिर सी बात है कि उस रात हम दोनों साथ में सोने वाले थे.

अगले दिन रविवार था यानि स्कूल बंद था.

उस दिन खाना खाकर मैं और आयशा दी एक ही बिस्तर पर सोने लगे थे.
आयशा दी मुझे अपने दिन के बारे में बता रही थीं.
उन्होंने बातों बातों में अपने कुर्ते के बटन क्लीवेज तक खोल दिए थे.

उनके बड़े बड़े गोरी चमड़ी वाले बूब्स बिल्कुल मेरी आंखों के सामने चमकने लगे.
वे बातें करती गईं और न जाने मुझे कुछ अन्दर ही अन्दर होने लगा.
एक किशोर वय का लड़का, तब अपनी जवानी की दहलीज पर था.

मैं ये सब क्या ही इतना समझता था!
फिर भी न जाने क्यों मुझे आयशा दी के खुले क्लीवेज को इतने पास से देखकर ऐसा लग रहा था कि इस घाटी को और ज्यादा देख लूँ.

दीदी ने ये भांप लिया था कि मुझे अन्दर ही अन्दर कुछ हो रहा है.

अब आयशा दीदी ने विषय बदल कर कहा- सलमान, क्या तुझे पता है तू कैसे इस दुनिया में आया … और कैसे मैं आयी?
मैंने जानबूझ कर बड़े भोलेपन से कहा- हां, अस्पताल से.

मेरे ऐसा कहते ही वे जोर से हंसने लगीं और उन्होंने मुझे अपनी जांघों के बीच में फंसा लिया.
मैं कुछ कर पाता कि तभी दी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया.

फिर उन्होंने कहा- यह बात तुम किसी को ना बताना. अगर बताई तो हम दोनों को अब्बू अम्मी बहुत मारेंगे और घर से निकाल देंगे. आज मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि हम कैसे पैदा हुए. सीखना है ना … और यदि हां, तो ये बात हमारे बीच ही रखना!

मैंने कहा- हां … मुझे सीखना है.

आयशा दी ये सुनकर खुद को अब और ना रोक पाईं.
उन्होंने हमारे बीच वे भाई बहन के रिश्ते की लाइन को तोड़ दिया.
उस रात मैं उनका गुलाम बन गया और वे मेरी मालकिन.

यह घटना बड़ी ही कामुक है.

हुआ यूं कि मुझे चोदना सिखाने के लिए दी ने अपना कुर्ता उतारा और कहा- सलमान, आ मेरे पास और मेरे सीने से लग कर मेरे दोनों दूध मुँह लगा कर पी ले.
मुझे इतना सब कुछ सुनकर अजीब सा लगा.

रोज़ जिस दीदी के सीने में मुँह रखकर सोता था, आज वही दीदी का ये रूप मुझे बहुत अजीब लग रहा था.

लेकिन न जाने क्यों, उनको बिना टॉप के देखकर मुझे कुछ ऐसा होने लगा था, जैसे मैं बचपन से प्यासा हूँ और आज मुझे पानी का कुआं मिल गया हो.

उन्होंने जैसा कहा, मैंने वैसे किया.
मैं उनके बूब्स को ब्रा से निकालने लगा.

दी की ब्रा इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा हाथ कमज़ोर और छोटा पड़ने लगा.
उन्होंने मेरी कोशिश देखकर अपनी ब्रा पीछे से खोल दी और मेरे सर को अपने बूब्स के और पास ले आईं.

मैंने उनके नंगे बूब्स को देखा, तो समझ आया मानो बड़े बड़े गोरे खरबूजे हों.

उनके मम्मों का इतना गोरा रंग, जैसे दूध में नहलाए हुए फल हों. उनके निप्पल इतने कड़क और गुलाबी मानो गुलाब के फूल की कलि हों.

उनके निप्पलों के इर्द गिर्द बड़े बड़े भूरे रंग जैसी चमड़ी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया.

दीदी ने एक हाथ से अपने बूब को दबाया और निप्पल के इर्द गिर्द अपनी दो उंगलियां लगा कर अपने मम्मे को मेरे होंठों से लगा दिया.

मैंने अपने होंठों से उनके निप्पल को खींचा तो दी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं.
अब मैं उनके मम्मे को तोतापरी आम के जैसे चूसने लगा.

‘आअह … आह … सलमान … कैसा लग रहा तुझे … ऐसे ही तूने बचपन में दूध पिया होगा … म्म्ह्म्म आराम से पी … आह आज पूरी रात मैं तुझे सब सिखा दूँगी कि कैसे मेरे साथ तुझे खेलना है … आह जोर से … दांतों से काट ले … निशान … आह निशान बना दे … डर मत … कुछ नहीं होगा मुझे!’

मैं ये सुनकर जोर से उनके दाहिने उरोज को चूसने लगा. मेरे एक हाथ की हथेली उनके दूसरे स्तन को मसल रही थी.

मेरे हाथ के ऊपर उनका हाथ था जो मुझे उनके दूध को जोर से दबाने को मजबूर कर रहा था.
दी के बूब इतने बड़े थे कि मेरा मुँह उसमें समाए जा रहा था.

दीदी बिल्कुल मदहोश थीं और एक हाथ से उन्होंने मेरा सर अपने बूब में घुसा सा रखा था.

उसी मदहोशी में उन्होंने मेरी कमीज उतार दी और मेरी पैंट भी.
साथ ही उन्होंने अपना पजामा भी उतार फेंका.

जैसे ही उन्होंने अपना पजामा उतारा, उनकी जांघों के बीच से एक पागल कर देने वाली खुशबू मेरी नाक में आयी.

मैंने ऐसी खुशबू कभी नहीं सूंघी थी. उनकी पैंटी के ऊपर एक ऐसी सी गीली परत थी, जैसे अन्दर से पानी सा कुछ निकला हो.

उस वक्त मैं पूरा नंगा था और दीदी के ऊपर लेटा हुआ था.
उन्होंने सिर्फ पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी.

कैरोसीन वाली लैंप से जितनी रोशनी रूम में थी, उतने में मैं दीदी की लम्बी सांसें और बड़े बड़े मदहोश कर देने वाले निप्पलों को साफ देख पा रहा था.

उस समय लाइट नहीं आ रही थी, तो हमने लालटेन जलाई हुई थी.
उनका दाहिना दूध लाल हो गया था. क्योंकि मैंने उन्हें वहां काफी तेज काटा था.

शायद निप्पल के ऊपर थोड़ा खून सा भी आने लगा था.
ये देख कर मैं डर सा गया.

तो दीदी ने कहा- मेरी जान, आज तुझे यही जख्म मुझे देना है … और जहां मैं कहूँ, वहां वहां देना है.

ये सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी तो यही चाहता हूँ.
मैंने जोश में आकर दीदी के बांई तरफ वाले बूब को चूसना शुरू कर दिया.

‘मममम … आह ओह … आराम से भाई आह … म्ह्म्म् पूरी रात पड़ी है पागल … तू तो बचपन से प्यासा लगता है. आह अगर मुझे पता होता तू इतना मस्त चूसता है, तो मैं तुझे बहुत पहले ही स्तनपान करा देती रे … आह धीरे बाबू धीरे … आईइ!’
वे जोर से चीखीं.

दी इतनी जोर से चीखीं थीं कि उनकी चीख से घर गूंज उठा था.
पर सुनने वाला कोई ना था … ना ही हमें रोकने वाला.

मेरे दांत उनके निप्पल के ऊपर उनकी चीखें निकाल रहे थे.
तभी उन्होंने मेरा दूसरा हाथ उन्होंने अपने मुँह में लिया और दांतों से दबाने लगीं.
जैसे दर्द और मज़ा दोनों उन्हें पागल कर रहा हो.

मुझे उस वक़्त न जाने ऐसा क्यों लगने लगा कि आयशा दीदी के मम्मे में जैसे कोई अमृत भरा हो.
मैं इसका मर्दन और चूसन आज पहली बार कर रहा हूँ.

मैंने अपनी साथ की लड़कियों में ऐसी लड़की कभी नहीं देखी थी, जिसके इतने गोल और भरे भरे से स्तन हों.

आखिर ये तो आयशा दीदी के जवान बूब्स थे.

अब रात के करीब 3 बज रहे थे.
दो घंटे तक मैंने दीदी के सिर्फ बूब्स चूसे और उन्होंने आंखें मूँद कर सिसकियां लीं, चीखें मारीं.

अब मैं भी चूस चूस कर थक चुका था.
उनकी चूचियों से अब सच में हल्का सा खून आने लगा था और उनकी चूचियां पहले से कई गुना अधिक फूल सी गई थीं.
उनकी दोनों चूचियां लाल सी पड़ गई थीं.

उन्होंने बगल से मेरी कमीज उठाई और अपने बूब्स के ऊपर ऐसे डाल ली जैसे वे अब उन्हें मुझसे छुपाना चाहती हों.

उन्होंने कराहते हुए कहा- सलमान, तूने तो इनका हाल ऐसा बना दिया कि अब मैं एक हफ्ता तक ब्रा नहीं पहन सकती हूँ. तूने तो चीर ही डाला अपने दी के दूध … आह मगर मज़ा भी खूब आ गया!

मैं दूसरे कोने में लेटा हुआ उनके चेहरे को देखने लगा.
उनकी प्यारी सी नशीली गोल गोल आंखें, उनके फूले हुए लाल होंठ, गोरे गोरे गाल.

मैंने गांव के लोगों से मेरी दीदी के लिए सुन रखा था कि ये तो माधुरी नेने सी लगती है.

दीदी अभी जवान हुई ही थीं, पर लगती वे मस्त भरी हुई माल जैसी थीं.
उनके बड़े बड़े चूतड़ और जांघें इतनी कदली सी थीं कि जैसे वे ब्लू-फिल्म की कोई MILF हों.

उस दिन मैंने अपनी माधुरी के जैसी लगने वाली बहन के गोरे और नंगे बदन का मस्ती से रसपान भी कर लिया था.

शायद दीदी ने अपने स्कूल की सहेलियों के संग पोर्न मूवी देख रखी थीं जिससे उनके दिल में उसी तरह का सेक्स करने का मन था.

आज वे अपनी उस प्यास को अपने छोटे भाई से पूरा कर रही थीं.

ये सब होने के बाद दी को जोर से पेशाब आयी.
वे मुझे लेकर बाहर बाथरूम में चलने की कहने लगीं.

बाथरूम कमरे से थोड़ा दूर था पर घर के अन्दर ही था.
चूंकि अंधेरा था तो मैं बाथरूम के दरवाजे पर लालटेन लेकर खड़ा रहा.

दीदी सिर्फ पैंटी में बाथरूम गई थीं और कमर से पैंटी नीचे खिसका कर उन्होंने बाथ कर पेशाब करना शुरू की.

पेशाब की तेज़ धार छुर्र छुर्र की आवाज के साथ दूर को फिंकती हुई, मुझे साफ दिख रही थी.
उनकी चूत से निकलती ये धार और उससे आनी वाली महक मुझे पागल सी कर रही थी.

यह कामुक नजारा देख कर मेरा मन ये करने लगा कि मैं आयशा दीदी की चूत में मुँह लगाकर सारा मूत पी जाऊं.

कुछ ही पल तक वे झरना देखने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे वे ये धार मेरी प्यास बुझाने के लिए ही निकाल रही हों.

मैं बस उस धार को देखता ही रह गया.
अब तक वैसे मुझे उनकी चूत के सही से दीदार नहीं हुए थे.

दीदी ने सुसू करने के बाद खड़ी होकर अपनी पैंटी चढ़ाई और वापस मुझे लेकर कमरे में आकर बेड पर लेट गईं.

दीदी को ये आभास हो गया था कि मैं उनको मूतते हुए देखकर काफी उत्तेजित हो गया था.

अब मुझे लग रहा था शायद आज रात यहीं तक का सफर था.
शायद मुझे दी की पैंटी के अन्दर का नजारा देखने को नहीं मिलेगा.

उनकी पैंटी के अन्दर से आ रही महक अब मुझे और तेज़ आती सी प्रतीत हो रही थी और बेचैन कर रही थी.

दीदी ऊपर देखती हुई एक हाथ से अपने मम्मों को सहला रही थीं और दूसरे हाथ से मेरा सर सहला रही थीं.

मैंने थोड़ी चालाकी से उनसे पूछा- दी, आपने बच्चे की तरह दूध पीना तो सिखा दिया, लेकिन बच्चा पैदा करना तो सिखाया ही नहीं?

दीदी समझ गईं कि अब ये मेरी चूत देखना चाहता है.
तो दीदी ने कहा- हां लेकिन, तेरे पास वो तो नहीं है ना … जिससे पैदा होता है.
ये कहकर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और दबाने लगीं.

एक पल बाद उन्होंने कहा- अरे ये … ये तो अभी और लम्बा होगा. जब तू निकाह करने जाएगा, तब समझेगा.

जैसे ही उन्होंने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को दबाया, मेरे होश उड़ गए. अब तक मैं चुदाई के मज़े से भी अनजान था.
दीदी के हाथ मेरे लंड में लगते ही मेरे अन्दर जैसे करेंट सा दौड़ गया था.
मेरा लंड खुद ब खुद हिलने लगा था और फनफनाने लगा था. वह कड़क होकर लोहे की रॉड बन गया था.

आयशा दी को महसूस हुआ कि उनके दबाने से मेरा लंड थोड़ा सा मोटा और टाइट हो गया है.

वे ये महसूस करते ही चौंक गईं और उठ कर बैठ गईं.
उन्होंने मुझे पूरा लिटा दिया और वे गौर से मेरे लंड को देखकर धीरे धीरे उसे दबाने लगीं.

वे मेरे लौड़े को ऐसे देख रही थीं, जैसे पहली बार किसी का लंड देख रही हों जो उनको इतनी अधिक रोमांचक वस्तु लग रही थी.

हालांकि पहले भी स्कूल से आने के बाद वे मुझे बिना पैंट के देख चुकी थीं लेकिन आज उनका ये रिएक्शन अलग ही था.

मैंने देखा कि वे मेरे लंड के करीब आ गईं.
बिस्तर की चादर से उन्होंने मेरे लंड को पहले पौंछा और अपनी जीभ को लंड की टोपी पर रख कर मेरी तरफ देखा.

मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं उस रात जन्नत की सैर कर रहा हूँ.

मैंने न जाने कैसे, दी के सर के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया.
ऐसा करते ही उनका सर अब पूरी तरह नीचे जा चुका था और मेरा लंड उनके मुँह के अन्दर की गर्मी का लुत्फ उठा रहा था.

पहले तो उन्होंने अपने गले से खखारने की आवाज निकाली, शायद मेरे लंड से आ रही पसीने के स्मेल से ऐसा किया था.
पर तब रुकने का होश किसे था.

कुछ ही पलों बाद वे मेरे लंड को पूरी तरह अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

उनके जीभ की गर्म लार ने मेरे लंड को और बेबस कर दिया. पहली बार मेरे लंड को अहसास हो रहा था कि लड़की के मुँह के अन्दर का स्वाद कैसा होता है.
दीदी ऐसा कर ही रही थीं कि मुझे लगा मेरे लंड के अन्दर से कुछ निकल जाएगा.

उसी वक्त मेरे बदन में एकदम से बिजली सी कौंध गई.
मैंने दीदी के सर को पीछे धकेलना चाहा पर दीदी तब तक मेरे लंड को बिल्कुल अपने मुँह के काबू में कर चुकी थीं.

वे अपनी पूरी लज्जत से लंड चूस रही थीं कि तभी मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और मेरे जीवन का पहला गर्म वीर्य उनके मुँह में निकल गया.

वे वीर्य कम से कम इतना था कि आधे वीर्य से दीदी का मुँह भर गया और बाकी आधा बाहर गिर गया.

मैं जैसे सातवें आसामान में उड़ रहा था.
मैंने दीदी को देखा.
वे जैसे अपने मुँह में भरे वीर्य को बाहर थूकना चाहती थीं.
मगर ऐसा करने से पहले ही वे खाँसने लगीं और कुछ ऐसा हुआ कि वे मेरे लंड से निकला सारा वीर्य निगल गईं.

दीदी ने मदहोशी में अपनी आंखें मूँद लीं और अपने छोटे भाई के पहले वीर्य के स्वाद को आत्मसात करने लगीं.

हम दोनों मदहोशी में इतने ज्यादा डूबे थे कि दीदी को वे वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. मुझे तो जैसे जन्नत के दीदार हो गए थे.
मेरे वीर्य को निगल कर दीदी थक सी गईं और उन्होंने अपना सर मेरे लंड के ऊपर ही रख दिया.

इससे ये हुआ कि मेरे लवड़े पर सफ़ेद गाढ़ा वीर्य गिरा था, वह उनके चेहरे पर लग गया.

न जाने दीदी को वीर्य का टेस्ट इतना अच्छा लगा था या मदहोशी थी कि वे मेरे लंड और पेट पर पड़े वीर्य को चाटने लगीं और जीभ से सारा वीर्य कर साफ कर दिया.
इस तरह से मैंने उस दिन आयशा दी को एक अलग ही मूड में देखा.

वे कहने लगीं- क्या रे सलमान, तेरा पानी तो मैं पी गई. अब तुझे भी मेरा पानी पीना होगा, तभी हिसाब बराबर होगा!

यह कहकर उन्होंने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी गोरी टांगों को फैला कर मेरे सामने लेट गईं.
दीदी ने अपनी उंगली से इशारा किया- आ मेरे बच्चे, आ … अब इसको चाटने का मज़ा भी ले ले.

उस वक्त बाहर काफी अंधेरा था लेकिन अन्दर लालटेन की रोशनी इतनी थी कि गोरी टांगों के बीच में मैं दीदी का काला सा वह अद्भुत खजाना देख रहा था.

आयशा दी ने अपना ये खजाना अब तक कभी किसी को नहीं दिखाया था.
जहां से उनका पेशाब निकला था, मैं उसके पास गया.

आयशा दी ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के सांवली रंग की कलियों को अलग किया, जिसके अन्दर मैंने पिंक सा गीला गीला सा वे अद्भुत नजारा देखा.

दीदी ने कहा- सलमान, यहां चाट … अपनी जीभ लगा … आ जा जल्दी से!
वे जैसे तड़फ रही थीं- देख सलमान, मेरी जान … यहां काटना मत … हां, वरना तेरी दीदी मर ही जाएगी, बस तू इसे चाट ले!

यह कहते हुए उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया.

मैंने जब उनकी चूत का पहला स्वाद अपने मुँह में लिया तो ऐसा लगा जैसे कोई नशा चखा हो!
हाय … ये स्वाद मुझे पहले क्यों नहीं मिला!
उनकी पेशाब का स्वाद अब भी उनकी चूत में बाकी था.

दीदी की चूत में इतना गीलापन था कि मेरे होंठ तक गीले हो चुके थे.

मैं पागलों की तरह चाटता गया.
दीदी सिसकारियां लेने लगीं- आआअह आअ … मज़ा आ रहा है … आह मजा आ रहा रे … म्ह्म्म् रुकना मत … रुकना मत … तू पी ले ना मेरे राजा आह … ओह … इस्स्स्स्स … चाट और चाट … आह ऐसे चाट जैसे तुझे प्यास लगी हो … उम्ह्म्म् मेरे राजा … आह्ह!

मैं कैसे रुकता.
दीदी मेरा सर दबा रही थीं और मैं बिना हिले, लेटे लेटे हुए उनकी चूत की प्यास बुझा रहा था.

‘आअह काट ले साले तुझे काटना पसंद है ना कुत्ते … आह काट … तेरा ही माल है … जो मन करे, वे कर इसके साथ … आह हाय.’

दीदी अब चरम पर आ गई थीं; उन्होंने मेरा सर कसकर दबाया और अपनी जांघों से मुझे ऐसे दबोच लिया, जैसे कोई तकिया को दबाया हुआ है.

फिर वे ऐसे मचलने लगीं जैसे उनकी जान ही निकल रही हो.
मैंने महसूस किया कि उनकी चूत अब पहले से ज्यादा गर्म और गीली हो गई थी.
फिर उन्होंने एक जोर सी सिसकारी ली और मेरा मुँह पूरा उनके रस से भर गया.

मैं इतना मदहोश हो गया था कि सारा रस गटकने के बाद भी उनकी चूत को चाटता रहा.
तब मैं पागल हो रहा था.

आयशा दी अब थक चुकी थीं.
आखिर में उन्होंने वहीं मेरे मुँह में पेशाब हल्का सा निकाल दिया, उसे भी मैं पी गया.

अब मैं भी ऊपर से हट कर उनकी बगल में लेट गया.

मैंने कहा- दीदी, आपने तो सिर्फ मेरा सफ़ेद जूस पिया था. मैंने आपका पानी भी पिया और सारा मूत भी गटक गया.
हॉट दीदी बोलीं- हम्म … कैसा लगा तुझे?

‘मज़ा आ गया दी!’
सेक्सी दीदी बोलीं- आज के बाद ये बात किसी को नहीं बताना, समझे?
‘हां दीदी बिल्कुल.’

‘और सुन, हम ये खेल अब से हमेशा ही खेलेंगे. तुझे जब मन करे, तू मेरा मूत और पानी पी लेना और मेरे साथ ही सोना.’
मैंने हां में हां मिलाई, आखिर मैंने उस चरम सुख को पा जो लिया था!

उसके बाद दीदी ने कहा- अब बस कर … सो जा. कल तुझे इसके आगे का पाठ सिखाऊंगी, जिसमें बच्चा पैदा करने का तरीका बताऊंगी.
मैंने कहा- ओके दीदी लेकिन अभी काफी समय बाकी है सुबह होने में … यदि आप चाहें तो एक घंटा आराम करने के बाद हम दोनों अभी ही बच्चा पैदा करने का तरीका सीख सकते हैं.

दीदी ने हंस कर मुझे अपनी चूचियों में समेट लिया और हम दोनों सो गए.
 

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जवान भाभी के साथ सेक्स का फुल मजा




मेरा नाम सोनू है. मेरी उम्र 25 साल है
मेरा लौड़ा 7 इंच का है और ये 2.5 इंच मोटा भी है जो किसी की भी चूत की पहले नियत और बाद में हालत बिगाड़ देता है.

एक और खास बात कि मेरा लौड़ा बहुत कम टाइम ही बैठा हुआ रहता है, वरना ये साला खड़ा ही रहता है.
मतलब छोटा सा मज़ाक करने पर ही खड़ा हो जाता है.

सात इंच का मोटा खड़ा लंड फॉर्मल पैंट से साफ दिखता है.

वैसे तो मुझे लौड़ा चुसवाना भी बहुत पसंद है जिस कारण से मेरे लंड की लंबाई में कुछ और फ़र्क पड़ता जा रहा है.

यह मेरी पीकू भाभी की चुदाई की सच्ची कहानी है जब मैंने फुल सेक्स का मजा भाभी के साथ लिया.

भाभी दिखने में ठीक हैं. उनकी उम्र 28 साल है.
उनकी मोटी गांड भरी हुई चूचियां हैं. गोरा रंग है और प्राकृतिक रूप से बिना बालों वाली चूत है.
उन्होंने पार्लर का कोर्स भी किया हुआ है.
भाभी हर वक्त अपने शरीर की देखभाल करती रहती हैं.

यह बात 2015 की है; उस वक्त घर के सब बाहर गए हुए थे.
मैं और पीकू भाभी ही घर में थे.

ज्यादातर मैं भाभी के ही रूम में पड़ा रहता था.
चूंकि उस दिन कोई नहीं था तो ज्यादा अच्छा मौका था कि कुछ किया जा सकता था.
इसलिए मैं जानबूझ कर उनके कमरे में लेटा हुआ था.

वे मुझसे बोलीं- कहीं जाना मत, मैं अभी आई.

वैसे तो हम दोनों सब तरह का मज़ाक करते रहते थे, तो हम दोनों खुले हुए थे.
भाभी चली गईं.

वे कुछ देर बाद आईं तो उस समय उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.

गर्मी का मौसम था और दिन के 12 बज रहे थे.
वे मेरे करीब आकर बोलीं- मेरे ब्लाउज का हुक बंद नहीं हो रहा है सोनू, प्लीज बंद कर दो.

मैं भाभी के पीछे जाकर उनके ब्लाउज के हुक बंद करने लगा.

मैंने देखा कि उनकी नजर मेरे पैंट के ऊपर उठी हुई जगह पर थी.
मैं कुछ नहीं बोला.

जब मैं हुक बंद कर रहा था तो उन्होंने जानबूझ कर अपना हाथ मेरे लंड पर लगा कर कहा- हो गया क्या?
मैं अपने लौड़े पर उनके हाथ का स्पर्श पाकर पीछे को हटा.

वे बोलीं- सॉरी, वे ग़लती से लग गया.
उस दिन वे शायद कुछ और ही मूड में थीं.

एक तो साड़ी में वे वैसे ही सेक्सी लग रही थीं. फिर उन्होंने अपना हाथ भी खड़े लौड़े पर लगा दिया था.
मैं समझ गया कि दाल में कुछ काला है.

अब मैं जाकर सोफे पर बैठ गया और कहा- आज कुछ ज्यादा ही कड़क माल लग रही हो भौजी. क्या बात है किस पर बिजली गिराने वाली हो!
वे मेरे बात पर हंसी और बोलीं- हां बस ऐसे ही आज बिजली गिराने का मूड है.

मुझसे बात करते हुए वे झुक रही थीं तो उनकी चूचियां साफ साफ दिख रही थीं.

तेज हवा चलने के कारण भाभी का पल्लू भी नीचे गिर गया था जिसे उन्होंने उठाने की जरा सी भी कोशिश नहीं की.

वे अपनी साड़ी की प्लेटस को ठीक करने के लिए झुकी हुई थीं.
उनका ब्लाउज गहरे गले का था जिससे मुझे भाभी के मस्त भरे हुए चूचे बेहद दिलकश लग रहे थे.

और तभी मेरे लौड़े ने अपनी औकात दिखाना शुरू कर दी थी.

ठीक उसी वक्त भाई का फोन आया और उन्होंने भाभी से कहा कि कोई जरूरी काम निकल आया है और अब वे 3 दिन बाद वापस आएंगे.

भैया का फोन कटा और मैं बोला- आज तो किस करने को मन कर रहा है भौजी.
भाभी ने लाल लिपस्टिक लगा रखी थी.

वे गुस्से से बोलीं- चुप रह!
मैं डर गया.

फिर वे हंस कर बोलीं- ठीक है आ जा … कर ले किस, तू भी क्या याद करेगा!

जब तक वे हंसी नहीं थीं, जब तक तो मेरे भी पसीने छूटने लगे थे.
मैं उनके कहने के बावजूद भी उनके पास नहीं जा रहा था.

वे बोलीं- अब पास तो आओ! किस नहीं करोगे क्या?
मैं गया और मैंने छोटी सी किस की और हटने लगा.

पीकू भाभी ने मेरी शर्ट की कॉलर पकड़ी और मुझे अपनी तरफ़ खींच कर अपने होंठों से सटा लिया.

मैं एकदम से हड़बड़ा गया था.
लेकिन वे जब मेरे होंठों को चूमने लगीं तो मैं भी लग गया.

हम दोनों ने कम से कम 5 मिनट तक चुंबन किया.
भाभी की पूरी लिपस्टिक को मैं चाट गया था.

उनके साथ चुम्मी करने में ही मैं इतना ज्यादा गर्मा गया था कि मैं उनकी चूची दबाने लगा.
वे भी अपना हाथ मेरे लंड पर फेरने लगीं.

ये मेरा पहला अवसर था जब मैं किसी लड़की के साथ ये सब कर रहा था.
इससे हुआ ये कि जल्द ही मेरा पानी निकल गया.

बस इतना ही हुआ और हम दोनों अलग होकर बैठ गए और एक दूसरे को देखने लगे.

शाम के 4 बज गए थे. भाभी किचन का काम करने चली गई थीं.
वे कुछ टाइम बाद बाहर आईं और मुझको कसके पकड़ कर किस की.

मैं जब तक उन्हें पकड़ पाता, वे हंसती खिलखिलाती हुई बाहर चली गईं.

फिर भाभी रोटी बनाती हुई बोलीं- आज का खेल कैसा लगा?
मैं बोला- मज़ा आ गया भाभी, रात का प्लान क्या है?
वे बोलीं- तुम बैठक में सो जाना, मैं अपने कमरे में!

मैंने साथ सोने की जिद की तो बोलीं- नहीं, रात में कोई भी घर वापस आ सकता है और तुम मेरे कमरे में सोओगे तो मामला बिगड़ जाएगा.
तो मैं बोला- ठीक है भाभी.

मैं भाभी से ज्यादा जिद नहीं करता था क्योंकि उन्होंने मेरे लंड को सहलाया था तो मुझे पूरा विश्वास था कि भाभी को भी लौड़े की जरूरत है.
आज नहीं तो कल वे मेरे लौड़े के नीचे आ ही जाएंगी.

उस रात मुझे नींद नहीं आई, बस बार बार उनके दूध ही नजरों के सामने आ रहे थे.
मैंने अपने लंड को हिलाया और पानी निकाल कर सो गया.

उस दिन मेरे लौड़े से पानी भी कुछ ज्यादा ही निकला.
पर लंड पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा, वे कुछ टाइम बाद फिर वैसे ही तन कर खड़ा हो गया.

अब सुबह का इंतज़ार था.
जैसे तैसे रात कटी और सुबह 5 बजे नींद आई.
मैं 7 बजे पीकू भाभी के जगाने पर उठ सका था.

मैं नींद में कुनुमुना रहा था तो भाभी ने मेरे पास आकर गाल पर काट लिया.
उससे मैं जाग गया.

वे बोलीं- चाय नहीं पीनी, उठो!
मैं खड़ा होकर बाहर जाने लगा.

उन्होंने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे कान पर पीछे से किस करने लगीं.
मैंने उन्हें आगे आने को बोला.
वे आ गईं.

उनके आगे आते ही मैं ज़ोरदार लिप किस करने लगा.
काफी लंबी चुम्मी करने के बाद मेरा हाथ अपने आप उनके मम्मों पर चला गया और मैंने उनके दूध दबा दिए.

वे सिसकारी लेने लगीं.
उसी समय बाहर से किसी की आवाज़ आई- सोनू सोनू.

बाहर मेरा दोस्त आया था.
वह कार्ड देने आया था, बाहर से ही शादी का कार्ड देकर चला गया.
उसने कुछ देखा नहीं था.

मैं बाथरूम में चला गया.
वहां पर पीकू भाभी की चड्डी लटकी थी.

मैं उसे सूंघने लगा.
उसमें से हल्की हल्की मोगरा जैसे इत्र की महक आ रही थी.

वैसे पहले भी कई बार उसकी पैंटी देख कर मुट्ठ मारी थी.
वे कभी कभी ही अपनी पैंटी को बाथरूम में छोड़ती थी, वरना हर बार वे उठा कर ले जाती थीं.

भाभी ने मुझे अपनी पैंटी सूंघते हुए पकड़ लिया.
हालांकि वे कुछ नहीं बोलीं, बस मेरे हाथ से पैंटी छुड़ा कर हंस कर चली गईं.

जाते जाते भाभी ने कहा- क्या रुका नहीं जाता. ये काम क्यों करते हो? ज्यादा हिलाने से नस खराब हो जाएगी.

वैसे हम दोनों कल के बाद खुल गए थे तो शर्म वाली बात तो थी नहीं.

हम दोनों एक ही कमरे में थे.
मैं प्रेस कर रहा था, मैंने कमर पर तौलिया बांध रखा था और सैंडो बनियान पहन रखी थी.

उस समय मैंने तौलिया के नीच कुछ नहीं पहना था तो उनसे बातें करते समय तौलिया के ऊपर से ही मेरा आइटम फूला हुआ साफ दिख रहा था.

वे कमेंट्स करती हुई बोलीं- मॉडल तो सही समझ आ रहा है.

मैंने उनकी बात सुनी और नजरों का पीछा किया तो मैं शर्मा कर अपना तौलिया ठीक करने लगा.

वे बोलीं- ऐसे ही रहो, क्या कोई दिक्कत हो रही है?
मैं बैठ गया मगर मेरा लंड उनकी बात सुनने के बाद खड़ा हो गया.

भाभी बोलीं- प्रेस बाद में कर लेना, पहले आ जा.
मैंने भाभी की तरफ देखा तो वे अश्लील इशारा करते हुए अपने होंठ गोल करके चुम्मी लेने का इशारा कर रही थीं.

मैं उनके पास को गया और उन्हें किस करने लगा.
भाभी ने मेरा तौलिया खोल दिया.

अब मैं सिर्फ़ बनियान में था.
मेरा लंड खड़ा था और भाभी के पेट में चुभ रहा था.

मैंने कहा- सलवार खोल कर मेज पर बैठ जाओ.

वे पास रखी मेज पर बैठ गईं और मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे नीचे की ओर खींच दिया.
ऊपर कुर्ता पहना हुआ मैंने ऊपर कर दिया.

भाभी की चूची सामने आकर फुदकने लगीं.
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी.

मैं भाभी की चूचियों पर किस करने लगा और किस करते हुए ही उनकी चूचियों को बारी बारी से काटने और दबाने लगा.
फिर मैंने अपना एक हाथ भाभी की चूत पर रख दिया.
उनकी चूत पूरी गीली थी.

वे आह आह करने लगी थीं.

मैंने नीचे बैठ कर उनकी टांगें फैला दीं और चूत पर अपनी जुबान फेरने लगा.

उनकी चूत तो पहले से ही गीली थी, जीभ लगाने से वह बह निकली.

मैं अन्दर जीभ डालने लगा और उनकी चूत से टपकता हुआ पानी चाट कर पीने लगा.

मुझे भाभी की चूत चाटने में बेहद मज़ा आ रहा था और वे आह आह करती हुई अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.

कुछ देर बाद भाभी मेरा एक हाथ अपने मम्मों पर रखवा कर बोलीं- लो हॉर्न भी तो बजाओ.
मैं उनकी चूत चाटने में इतना ज्यादा मगन हो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि वे फिर से पानी छोड़ने वाली हैं.

उन्होंने एकदम से अपने बदन को ऐंठाया और ‘आअह आह उफ्फ़ …’ की आवाज़ के साथ मेरा सिर चूत में दबाना शुरू कर दिया.
उसी के साथ वे भलभला कर झड़ गईं और निढाल हो गईं.

मैंने सारा पानी चाट कर साफ कर दिया.

वे बोलीं- तुमने तो आज मुझे वो मजा दिया है, जो मैंने कभी नहीं पाया है. अब मुझे भी तुम्हारा लौड़ा चूसना है.
मैंने कहा- हां आ जाओ भौजी.

मैं मेज पर बैठ गया और वे मेरी जगह घुटनों पर आ गईं.
अब भाभी मेरा लौड़ा चूसने लगीं.

मुझे मज़ा आ रहा था.
मैं उनकी चूचियां मसल कर और उनके बदन पर चुम्मियां करने लगा.

कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मैंने कहा- चलो भौजी, अब नीचे चित लेट जाओ.
वे लेट गईं.

मैंने उनकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और लंड को चूत के ऊपर रगड़ा.

भाभी गांड मटका रही थीं.
मैंने धक्का लगा दिया.

मेरा लंड आभी आधा ही अन्दर गया था कि वे चिल्लाने लगीं- आह मार दिया साले ने … आह निकाल भैन के लौड़े इसे … मेरी जान निकल गयी … आह मादरचोद भोसड़ी के … लंड बाहर निकाल ले आह मर गई मैं.

भाभी की आंख में से आंसू आने लगे पर मैंने उनकी एक नहीं सुनी, धीरे धीरे मैं लंड को चूत में अन्दर बाहर करता रहा.

फिर कुछ देर बाद भाभी भी अपनी गांड उठा कर साथ देने लगीं- ओफ आह उईई आह उफ्फ़!

वे लगातार आवाज निकालती हुई मेरी कमर को कसके पकड़ कर लंड की चोटें झेलने लगीं.

कोई 20 मिनट तक धकापेल चुदाई चली उसके बाद मैं झड़ गया.

तब भाभी बोलीं- तेरे भाई ने कभी भी ऐसे नहीं किया … और उनका तो छोटा सा है. पानी भी जल्दी निकल जाता है.

भाभी की चुदाई करने के बाद मैंने लिप किस की और नीचे फर्श पर ही उनके साथ चिपका पड़ा रहा.

कुछ देर बाद वे उठीं और मेरे ऊपर चढ़ गईं व किस करने लगीं.
मेरा लौड़ा फिर से तनाव में आ गया.

उनकी चुदास भी जाग गई. भाभी ने अपने हाथ से लंड को अपनी चूत पर सैट किया और अन्दर लेकर ऊपर नीचे होने लगीं.
उस समय भाभी किसी पॉर्न एक्ट्रेस से कम नहीं लग रही थीं. उनकी भरी हुई चूचियां मेरे मुँह में आकर बारी बारी से मजा दे रही थीं.

कुछ 5 मिनट बाद वे लंड से उतर कर उसको किस करने लगीं और बोलीं- अब खड़े हो जाओ देवर जी.
मैं खड़ा हो गया.

वे मेज पर घोड़ी बन कर झुक गईं.
मैं पीछे से भाभी की चूत में लंड पेल कर उन्हें चोदने लगा.

कुछ 10 मिनट बाद भाभी बोलीं- रूको.
मैं रुक गया.

भाभी मादक आवाज में बोलीं- डिअर अब मेरी चूत चाटो.

मैंने चूत पर मुँह लगा कर किस किया और कुल देर तक चाटी.
भाभी बोलीं- बस मेरी जान, अब अपना लंड पेल दो.

मैंने उसी मेज पर भाभी को झुकाया और धक्का दे मारा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें लिटा दिया और उनकी एक जांघ को पकड़ कर खींचा तो वे मेरे लंड से बिल्कुल सट गईं.

मैंने उनके दोनों पैरों को ऊपर करके पकड़ लिया और पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
भाभी की ‘आआह मर गई’ की आवाज़ निकल गई.

मैंने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी.
उनकी कामुक आवाजें कमरे में गूंजने लगीं- उफ्फ़ आआह उई … मर गई … आह आज क्या जान ही निकाल कर मानेगा आह बस कर मेरे राजा!

कुछ मिनट बाद मैं भी झड़ गया और वे भी झड़ गईं.
फुल सेक्स का मजा भाभी के साथ लेने के बाद हम दोनों हांफने लगे.

गर्मी का मौसम था तो हम पसीना पसीना हो गए.
मैं भाभी के ऊपर ही पड़ा रह गया.

एक मिनट बाद मैं खड़ा हुआ और उनकी चूत से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगा.

वे अभी भी वैसे ही लेटी थीं, बस टांगें मेज से नीचे लटका ली थीं.

कुछ देर बाद मैंने अपने कपड़े उठाए और रूम से बाहर चला गया.
वे भी दूसरे रूम में चली गईं और कूलर के सामने चूत खोल कर लेट गईं.

मैं कुछ देर बाद दोबारा से भाभी के कमरे में गया.

मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?
भाभी बोलीं- कुछ नहीं … तुमने तोड़ कर रख दिया!

मैंने कहा- बड़ी भूख लगी है … कुछ बना लो.
भाभी बोलीं- आज मुझसे कुछ नहीं बन पाएगा. तुम बाहर से ले आओ.

मैंने कहा- ओके … साथ में कुछ ऐसा भी ले आऊँ, जिससे थकान दूर हो जाए?
भाभी समझ गईं, उन्होंने हंस कर आंख दबा दी.

मैं एक व्हिस्की का हाफ और बाहर से खाना पैक करा लाया.

हम दोनों ने चार चार छोटे पैग लगाए और खाना खा लिया.
अच्छा खास नशा हो गया था तो हम दोनों चिपक कर लेट गए.

कुछ देर बाद मैं भाभी की गर्दन पर किस करने लगा.
वे भी मूड में आ गई थीं तो बोलीं- एक बार और हो जाए?
मैंने हां कह दिया.

वे उठी और उन्होंने जो ढीला सा कुर्ता पहना था, वो निकाल दिया.
नीचे कुछ पहना ही नहीं था तो वे एकदम नंगी हो गई थीं.

भाभी मुझसे बोलीं- अपने भी सारे कपड़े उतार कर आ जाओ.
मैंने पैंट शर्ट तो पहले ही निकाले हुए थे, बस कच्छा बचा था, तो वह भी निकाल दिया और नंगा होकर भाभी के पास आ गया.

भाभी बोलीं- अबकी बार कुछ अलग करो!
मैंने कहा- चलो करते हैं पर पहले हथियार तो रेडी कर दो.

हम दोनों 69 में हो गए और चुसाई में लग गए. पहले दो बार झड़ चुके थे, तो टाइम ज्यादा लगना था.
मैंने चूत को किस करना चालू कर दिया. वे भी लंड को पूरी तरह से गले तक ले जा रही थीं.

मेरे मुँह पर भाभी की चूत रखी हुई थी.
मैं उनकी गांड में उंगली कर रहा था और चूत चाट रहा था.

कुछ मिनट बाद भाभी ने फिर से पानी छोड़ दिया.
वे बोलीं- अब जल्दी से पेल दो यार, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

हम दोनों पलंग पर लेट कर सेक्स करने लगे.
वे मेरी आंखों में आंखें डाल कर बस देखे जा रही थीं और बोल रही थीं- जल्दी जल्दी करो … आह और तेज तेज करो आआह.

दस मिनट बाद हम दोनों झड़ गए.
इस बार हम दोनों काफी थक चुके थे और दारू का नशा हमको कुछ भी नहीं करने दे रहा था.
बाथरूम जाने की भी पोजीशन नहीं थी.

जल्दी ही हम दोनों सो गए.

इस तरह से मैंने पीकू भाभी को चोदा. अभी भी मैं फुल सेक्स का मजा भाभी के साथ लेता हूँ.
 

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छोटी कार में भाभी के साथ मस्ती



नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त दीप राइटर.

आज मैं आपके सामने अपनी भाभी की चुदाई की कहानी बयान करने जा रहा हूं कि कैसे मैंने अपनी प्यारी भाभी की चुदाई की और मजे दिए.

हमारे परिवार में 6 लोग हैं. मैं मेरी बहन आकांक्षा, मेरे माता पिता, भाई गौरव और भाभी रेणु.

मेरी भाभी का नाम रेणु है, वे बहुत ही सेक्सी हैं.
उनका बदन भरा हुआ है … मस्त 34-30-36 की फिगर है उनकी.

वे बहुत ही खूबसूरत हैं, पर रंग हल्का सा सांवला है. बिल्कुल विपाशा बसु लगती हैं.

यह Xxx कार सेक्स कहानी कुछ दिन पहले की है.
हम लोग किसी की शादी में गए थे.

हमारे पास एक कार है, जिसमें 5 लोग ही बैठ सकते हैं पर परिवार में 6 लोग हैं.
थोड़ी आर्थिक तंगी होने के कारण हम सब एडजस्ट कर लेते हैं.

तो शादी में हम सबको दूसरे शहर जाना था.
हम सब कार में फंस फंस कर बैठ गए.

पापा और भाई आगे बैठे थे.
मैं, भाभी मम्मी और बहन पीछे की सीट पर फंस कर बैठे थे.

थोड़ी दूर ही चले थे कि हमको दिक्कत हो रही थी.
मेरी और भाभी की बॉडी एक दूसरे से टकरा रही थी. कभी उनका हाथ मेरे बदन से लगता, तो कभी मेरा हाथ उनके बूब्स पर.

इस पर उनका कोई रिएक्शन नहीं था और मेरे मन में भी उनके लिए कुछ नहीं था.

कुछ और दूर चलने के बाद वह मुझसे बोलीं- या तो तू मेरी गोद में बैठ जा, या मुझे अपनी गोद में बैठने दे.

मैंने उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया.

जैसे ही वह मेरे लौड़े पर बैठीं, मेरी बॉडी में करंट सा दौड़ने लगा.
पर मैं खुद को संभाले हुए था.

गाड़ी खड्डों में गिरने से वह मेरे लौड़े के ऊपर उछल रही थीं और मेरा लंड खड़ा हुआ जा रहा था.

अब मेरे ख्याल उनके लिए बदले लगे थे पर मुझे डर भी था कि उनको पता ना चल जाए कि मेरा हथियार खड़ा हो गया है.

एक बार भाभी कुछ ऐसी उछलीं कि वह सीधा मेरे लंड पर आ बैठीं.
उनको भी अहसास हो गया कि मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो गया है.

मुझे लगा था कि वह मेरे ऊपर गुस्सा करेंगी कि ये क्या है.
पर उन्होंने मुझे स्माइल दी और मुँह घुमा लिया.

अब मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी.
मैंने उन्हें कसके पकड़ लिया. मैंने भाभी को ऐसे पकड़ा हुआ था कि किसी को शक भी ना हो.

धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैंने उनकी जांघों पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगा.
उनका कोई रिएक्शन नहीं था.

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं अपना हाथ उनकी चूत की तरफ ले गया.
पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और आंखें दिखाईं.

मैं डर गया और भाभी ने मेरा हाथ साइड में कर दिया.

परंतु शायद उनके मन में भी यही सब चल रहा था.

कुछ देर बाद उन्होंने अपने और मेरे ऊपर एक शॉल ओढ़ ली और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जांघों पर रख दिया.
मैं भी उनका इशारा समझ गया और कुछ देर जांघें सहलाने के बाद सलवार के ऊपर से ही चूत पर हाथ रख दिया.

उनके शरीर में जैसे 440 बोल्ट का करंट लगा हो.

उन्होंने हम दोनों के ऊपर शॉल ओढ़ा हुआ था इसीलिए किसी को कुछ दिख नहीं रहा था कि मेरा हाथ क्या हरकत कर रहा है.

मैंने सलवार के ऊपर से ही चूत सहलानी शुरू कर दी और वे भी भरपूर मजे ले रही थीं.

दूसरा हाथ मैंने उनके बूब्स पर रख दिया और एक दूध को मसलने लगा.

भाभी की मादक सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थीं पर वह होंठों को भींच कर अपनी आवाज को दबा रही थीं.
वे बहुत हिल रही थीं जिससे लौड़े को उनकी चूत में रगड़ मारने का मजा मिल रहा था.

दस मिनट तक ये सब चला.
अब उन्होंने अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर मेरा हाथ अन्दर कर दिया.

अभी तक मैंने भी उनकी कुर्ती के अन्दर मम्मों तक हाथ पहुंचा दिया था और एक को मसल रहा था.

भाभी ने मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया था.

कुछ समय उनकी चूत को सहलाने के बाद मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में डाल दीं.
उंगलियां अन्दर पाते ही वह उछल पड़ीं और उनके मुँह से चीख निकल गयी.
मैंने हाथ वहीं रोक दिया.

भाई ने पीछे मुड़ कर कहा- क्या हुआ?
भाभी ने होश संभालते हुए कहा- मुझे वाशरूम जाना है.
भैया बोले- आगे किसी ढाबे पर रोकते हैं.

वे गाड़ी चलाने लगे.

मैंने अब दोनों उंगलियों को भाभी की चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया था.

भाभी भी सातवें आसमान में थीं.
उनकी चूत की गर्मी मेरी उंगलियां अच्छे से महसूस कर रही थी.

जैसे ही उंगलियां अन्दर की ओर जातीं, वे ऊपर की ओर उठ जातीं.
इस सबसे मुझे भी काफी आनन्द आ रहा था.

इधर भाभी ने मेरी पैंट खोलनी शुरू कर दी थी.

मैं एक हाथ से चूत तो दूसरे हाथ से उनके बड़े बड़े दूध मसल रहा था.
हम दोनों को कोई होश नहीं था कि हम कहां हैं. बस वासना की आग में खोए हुए थे.

भाभी की गर्म गर्म चूत में जाती उंगलियां और दूध को मसलता हाथ, बड़ा आनन्द दे रहा था.
तभी अचानक से भाई ने गाड़ी ढाबे पर रोक दी.

हम दोनों ने खुद को संभाला और कपड़े ठीक कर लिए.
सब गाड़ी से उतरे.

एक तरफ उतर कर आराम भी मिला पर दूसरी तरफ दुख भी हुआ कि क्यों रोकी क्योंकि हम दोनों पूरे गर्म हो चुके थे.

नीचे उतरते ही भाभी टॉयलेट की तरफ जाने लगीं और मैं भी उनका पीछा करते हुए महिला टॉयलेट में घुस गया.

वहां कोई नहीं था इसलिए मैंने भाभी को पीछे से पकड़ा और गर्दन पर किस करने लगा.
भाभी भी मेरा खूब साथ दे रही थीं.

मैंने उनका कुर्ता उतार दिया.
अब भाभी ब्रा में थीं.
मैंने उन्हें घुमाया और उनके होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगा.

कोई 5 मिनट किस करने के बाद मैं नीचे की तरफ बढ़ा.
मैं भाभी के बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा.

भाभी का हाथ भी मेरे बालों में था.
तभी एक आवाज आई- भैया ये क्या कर रहे हो?

ये आवाज मेरी बहन आकांक्षा की थी.
उसने हम दोनों को ये सब करते हुए देख लिया था.

हम दोनों बहुत डर गए और वह भी भाग कर बाहर चली गयी.

हम दोनों भी उसके पीछे भागे.
मैंने उससे कहा कि किसी को ना बताए इस बारे में … उसे जो चाहिए, वह ले ले. पर किसी को ये बात ना बताए.

कुछ देर समझाने के बाद वह मान गयी.
पर उसने मुझसे कहा कि आप मेरे और भाभी से दूर रहिए.
मैंने भी उससे कहा- ठीक है, मैं दूर रहूँगा.

पर जो आग हम दोनों के अन्दर जाग चुकी थी, वह आग कहां ऐसे शांत होने वाली थी.

हम सबने वहां नाश्ता किया और फिर से गाड़ी में बैठ कर आगे चल दिए.
सब वैसे ही बैठे थे. भाभी मेरे ऊपर शॉल ओढ़े हुई बैठ गई थीं.

इस बार मेरी बहन बार बार हमें देख रही थी इसलिए हम थोड़ी देर तक शांत रहे.

कुछ देर बाद भाभी से रहा नहीं जा रहा था तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार में डाल दिया.

अभी मैं अपना हाथ चलाने ही वाला था कि आकांक्षा ने भी अपने हाथ शॉल से ढकने के लिए शॉल के अन्दर किए और उसे दिख गया कि मेरा हाथ भाभी की चूत पर है.

वह हम दोनों को घूर ही रही थी कि तभी भाभी ने शॉल उसके ऊपर भी ओढ़ा दिया और ये सब करते हुए उन्होंने आकांक्षा का एक बूब भी दबा दिया.

वह हम दोनों को घूरे जा रही थी.
इसी बीच भाभी ने आकांक्षा की चूत पर हाथ रख दिया और सहलाने लगीं.
आकांक्षा ने उन्हें हटाने की बहुत कोशिश की पर उन्होंने पूरे ज़ोर से आकांक्षा की चूत को दबोचा हुआ था और मसले जा रही थीं.

इधर मेरा हाथ भाभी की चूत पर चल रहा था.
उनकी गर्म गर्म चूचियां जब मेरे सीने से लगीं, तो मुझे पता चला कि भाभी ने अपनी ब्रा उतार दी थी.
मेरा मुँह उनके गर्म गर्म मम्मों के बीच में था और हाथ पूरी तेजी से उनकी गर्म चूत में चल रहा था.

भाभी अपने एक हाथ से मेरी बहन की चूत को मसल रही थीं और दूसरे हाथ से मेरा लंड हिला रही थीं.

ऐसा कुछ देर चला और भाभी झड़ गईं.
उनका गर्म गर्म लावा जैसा निकलता पानी मेरे हाथों से होकर गुजर रहा था.
मेरा हाथ गीला हो चुका था.

मैंने हाथ बाहर निकाला और चाटने लगा.

ये सब आकांक्षा देख रही थी.
अब तक वह भी गर्म हो चुकी थी.

भाभी का हाथ मेरे लंड और आकांक्षा की चूत पर जोर जोर से चल रहा था.
मैं भी झड़ने वाला था और शायद आकांक्षा भी.

दो ही मिनट बाद हम दोनों के मुँह से आआहहह निकली और हम दोनों भाई बहन एक साथ झड़ गए.

हम तीनों अब थोड़े शांत होकर ढीले हो चुके थे.

पर असली आग लगनी शुरू हो चुकी थी.
अभी तक जो बहन हमारे खिलाफ थी, अब वह भी लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी.

कुछ देर के लिए हम तीनों थके होने के कारण सो गए.

अब तक हम वहां शादी की जगह पर पहुंच चुके थे.
सारी महिलाएं कपड़े बदलने के लिए जल्दी जल्दी कर रही थीं.

भाभी ने लाल रंग का लहंगा पहना था, जिसमें से उनकी नाभि दिख रही थी.
वे बहुत ही सेक्सी लग रही थीं.
मेरा मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर चोद दूँ.

पर अभी सबको शादी एन्जॉय करनी थी.

खाना आदि खा-पी कर जब सब थक कर बैठ गए तो मैंने भाभी को इशारा किया.

मैंने उनसे कहा- मैं थक गया हूं और सोने जा रहा हूं.
भाभी भी सबके सामने बोलीं- मैं भी थक गई हूं और मुझे ड्रेस भी बदलनी है.

यह कह कर हम दोनों साथ चल दिए.
पर ये सब मेरी बहन ने सुन लिया था.

हम दोनों रूम में पहुंचे और एक दूसरे को किस करने लगे.
मैंने उनके कपड़े उतारना शुरू किए.

जल्दी ही भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं.
मैंने उन्हें बेड पर धकेल दिया और उन्हें चूमने लगा.

सबसे पहले उन्हें गर्दन से चूमा, वह आंखें बंद करके सिसकारियां भर रही थीं ‘आआह उहह.’

अब मैं उनके बूब्स पर आया, एक दूध को चूसने लगा और दूसरे दूध को हाथ से दबाने लगा.

उनके मुँह से गालियां निकलनी शुरू हो गयी थीं ‘चूस ले बहनचोद … इन्हें पी जा सारा रस खाली कर दे इनका … ओहह मां …’

दस मिनट तक चूचे चूसने के बाद मैं और नीचे आ गया, अपनी जीभ नाभि पर रख दी और चाटने लगा.

भाभी की आवाज और तेज हो गयी थी- साले मादरचोद आहहह मार डालेगा ऊऊहह.

इसके बाद मैं और नीचे की तरफ गया और उनकी पैंटी अपने दांतों से नीचे कर दी.

उनकी चूत पर मुँह रख दिया और चाटने लगा.
अब वे उछल रही थीं और उनकी सिसकारियां चीखों में बदल गयी थीं.

भाभी बोल रही थीं- अब ना तड़पा बहनचोद … चोद दे मुझे.

मेरी नजर गेट की तरफ गयी तो वहां मेरी बहन खड़ी ये सब देख रही थी.
उसका एक हाथ चूत पर, दूसरा दूध पर था.

मुझे ये सब देख कर और जोश आ गया.
मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर लगाया और एक धक्का दे दिया.
पर लंड फिसल गया.

फिर मैंने उनकी चूत पर थूक लगाया और दुबारा धक्का लगा दिया.
इस बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में समा गया और उनकी चीख निकल गयी- आअहह कुत्ते … बाहर निकाल … बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने लौड़ा बाहर नहीं निकाला और उनके होंठों पर होंठ रख दिए.
भैया शायद भाभी को चोदते नहीं थे.

कुछ देर बाद उनका दर्द कम हुआ तो उन्होंने कमर उठा कर इशारा दे दिया.

मैं धक्के मारने लगा.
उनके मुँह से अब प्यार भरी सिसकारियां निकल रही थीं- अहह ऊऊहह उईईई मांआ मर गयी … चोद दे आज अपनी भाभी को … और बुझा दे जन्मों की प्यास … आह.

मैं ये सब सुनकर और जोश में आ गया और जोर जोर से पेलने लगा.

उधर मेरी बहन अपनी चूत में उंगली कर रही थी.

कुछ देर पेलने के बाद भाभी झड़ गईं और मैं भी झड़ने वाला था.

मैंने उनकी चूत में ही अपना सारा रस निकाल दिया और लंड उनके मुँह में दे दिया.

उन्होंने चाट चाट कर मेरा लंड बिल्कुल साफ कर दिया.

भाभी ने लौड़े को दुबारा कड़क कर दिया.

अब मैं उनकी गांड मारना चाहता था, तो मैंने भाभी से कहा.
उन्होंने मना कर दिया.

पर मेरे जोर देने पर वह मान गईं.
मैंने उनके पेट के नीचे तकिया रखा और अपने लंड और उनकी गांड पर तेल लगा कर लंड का धक्का मारा.

उनकी गांड में मेरा आधा से ज्यादा लंड समा गया.
भाभी रोने लगीं. उनकी आंखों में पानी आ गया था.

मैंने उन्हें शांत करने की कोशिश की पर वे नहीं मानी.
मैंने वापस लंड का एक और धक्का दे मारा तो पूरा लंड अन्दर समा गया.

भाभी बेहोश होने लगीं तो मैंने लंड बाहर निकाला और उन्हें पानी पिलाया.

थोड़ी देर बाद मैंने फिर से गांड मारने की ज़िद की पर वे नहीं मानी.

तो मैंने दोबारा जिद नहीं की.
 

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मेरी चालू मॉम की चुदाई




मेरा नाम दीपक कुमार है.
मेरी उम्र 20 साल है और मैं हरियाणा से हूं.
मेरे परिवार में कुल 5 सदस्य हैं. मैं, मम्मी पापा और दो बहनें हैं.

मां की उम्र लगभग 40 वर्ष है. पापा की उम्र लगभग 50 वर्ष है. मां का नाम ममता है. उनका फिगर लगभग 38-34-40 का है … रंग एकदम सफेद है.
ममता मेरी सगी माँ नहीं है. मेरी सगी माँ चल बसी थी. मेरे पापा की यह दूसरी पत्नी है.

यह मॅाम सेक्स कहानी लगभग एक वर्ष पहले की है.

मेरी मॉम एक ऑफिस में जॉब करती हैं.
डैड भी जॉब करते हैं और गुजरात में रहते हैं.
वे साल में एक-दो महीने ही घर रहते हैं.

मेरा दोस्त एक दोस्त है, वह मेरे साथ ही पढ़ा है, उसके पापा का नाम रमेश है.

राहुल की मम्मी का देहांत लगभग दो वर्ष पहले हो चुका था.
उसके पापा और मेरी मॉम दोनों साथ में जॉब करते हैं.

एक दिन सुबह राहुल मेरे पास आया और बोला कि उसके पापा और मेरी मॉम के बीच सेक्स संबंध हैं.

उसकी बात सुनकर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि मैं अपनी मॉम को बहुत शरीफ समझता था.

राहुल ने बताया कि जब वह घर गया और घर का गेट देखा कि वह बाहर से बंद था.
जब वह खिड़की के पास गया तो उसने अन्दर झांक कर देखा कि उसके पिता जी मेरी मां की चुदाई कर रहे थे. उन दोनों की चुदाई लगभग 20 मिनट तक चली. उसने खिड़की से उन दोनों का वीडियो भी बना लिया था.

वह मुझे मॅाम सेक्स वीडियो दिखाने लगा.
मैंने वीडियो में देखा कि रमेश अंकल मॉम को चोद रहे थे.

कुछ देर के बाद अंकल मॉम की गांड मार रहे थे.
बीच बीच में वे कभी अपना लौड़ा भी मेरी मॉम से चुसवा रहे थे.

यह वीडियो देख कर मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था.

उसके बाद मैंने राहुल से बोला कि यह वीडियो तुम किसी को मत दिखाना वर्ना सबको पता चल जाएगा.
उसने हां कह दी.

फिर ये वीडियो मैंने अपने फोन में ले लिया और राहुल से कहा- तुम अपने पापा और मेरी मम्मी पर नजर रखना.

कुछ देर के बाद मैं अपने घर आ गया.

घर आते ही मैंने अपने कमरे में जाकर अपनी मॉम की चुदाई का वीडियो दो-तीन बार देखा.
मुझे उनकी चुदाई की फिल्म देखने में बहुत मजा आ रहा था.

मेरी मॉम की गांड मुझे बड़ी मस्त लग रही थी.
वह वीडियो देख कर मैं दो बार मुठ भी मार चुका था.

उसके बाद मैं मॉम पर नज़र रखने लगा.
साथ ही मैं मॉम का वीडियो रोज़ देखता और मुठ मार लेता.

एक दिन रात को लगभग दस बजे मैं बाथरूम करने जा रहा था.

तभी मैंने देखा कि मॉम के कमरे से आवाज़ आ रही थी.
मैंने नजदीक जाकर देखा तो मॉम बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थीं और अंकल मॉम की चूत चाट रहे थे.
उसके लगभग 5 मिनट के बाद अंकल ने अपना लंड मेरी मॉम की चूत में घुसा दिया और चुदाई करने में लग गए.

अंकल ने लगभग 15 मिनट तक मॉम की चुदाई की और कुछ देर के बाद चले गए.

मैं और राहुल रोज साथ साथ कॉलेज जाते हैं लेकिन एक दो घंटे बाद वह वापस आ जाता था.

एक दिन लगभग 10 मिनट बाद मैं भी उसके पीछे आ गया.
मैंने उसका पीछा किया तो देखा कि वह मेरे घर जा रहा था.

मैं भी अपने घर आ गया.

वह मेरे घर में चला गया था.
मैं चुपके से उसे देखने लगा.

वह मेरी मॉम के कमरे में चला गया और उसने मेरी मॉम को पीछे से पकड़ लिया और मेरी मॉम को किस करने लगा.

उसके बाद उसने मॉम के कपड़े उतार दिए और अपने भी!
वह फिर से मेरी मॉम को किस कर रहा था और उनके दूध दबा रहा था.

कुछ देर के बाद उसने मॉम को चुदाई की पोजीशन में लिटाया और अपना लंड मॉम की चूत में घुसा दिया.
वह मेरी मॉम की चुदाई करने लगा.

उन दोनों की चुदाई काफी लंबी चली, देर तक वे दोनों सेक्स करते रहे.
फिर राहुल ने मॉम की चूत में अपना वीर्य गिरा दिया और वह अलग हो गया.

कुछ देर बाद वह कपड़े पहनने लगा.
मॉम ने अपने कपड़े पहन लिए.

राहुल अपने घर चला गया.

मैं सोचने लगा कि ये दोनों बाप बेटे मिल कर मेरी मां चोद रहे हैं और मैं अपना लंड हिला रहा हूँ.

अगले दिन सुबह जब राहुल मेरे पास आया तो मैंने उससे पूछा- तुमने मॉम को क्यों चोदा?
वह बोला- जब से मैंने तेरी मॉम और अपने डैड की चुदाई का वीडियो देखा था, तब से ही मैं मन बना लिया था कि तेरी मॉम को चोदना ही है.

मैं राहुल की तरफ देख कर पूछने की कोशिश करने लगा कि उसने मेरी मॉम को सैट कैसे किया?
वह शायद मेरे मन की बात समझ गया था इसलिए वह बोला- मैंने तेरी मॉम को उनकी चुदाई का वीडियो दिखाया और बस सेक्स करने के लिए बोला. तेरी मॉम भी झट से राजी हो गईं.

मैंने उससे पूछा- तूने कितनी बार मेरी मॉम को पेला है? और क्या तुझे पता है कि मेरी मॉम कितनों से सैट हैं?

राहुल ने बताया- मैंने तेरी मॉम को सिर्फ दो ही बार पेला है और वे अब तक कुल 17 लौड़े ले चुकी हैं.

उसने विस्तार से सब बताया कि मेरी मॉम अपने ऑफिस में भी अपने बॉस के अलावा चार और लोगों से चुदवाती हैं.
मेरे ये पूछने पर कि तुझे कैसे मालूम है, राहुल ने बताया कि उसे यह सब कुछ उन्होंने ही बताया है.

राहुल ने मुझे ये भी बताया कि आज मेरी मॉम उसके घर पर उसके पापा और अपने बॉस से चुदने वाली हैं.
मैंने कहा- मुझे भी उनकी चुदाई देखना है.
राहुल बोला- ठीक 9:00 बजे मेरे घर आ जाना.

उसके बाद मैं जब मैं राहुल के घर पहुंचा तो राहुल बाहर खड़ा हुआ था.

वह मुझे घर के अन्दर ले गया और अन्दर जाकर देखा तो मॉम, राहुल के पापा और मॉम के बॉस कमरे में बैठे बात कर रहे थे.

हम दोनों ने चुपके से खिड़की के पास जाकर देखा तो वह दोनों खड़े हो गए और मॉम अपने कपड़े उतार रही थीं.
रमेश अंकल और उसके बॉस दोनों ही अपने कपड़े उतारने लगे थे.

थोड़ी देर में ही सब नंगे हो चुके थे.
उसके बाद मॉम के बॉस ने मॉम की चुदाई शुरू कर दी.

लगभग 20 मिनट तक बॉस ने मॉम को चोदा.
उसके बाद रमेश अंकल ने मॉम को चोदा.

मैं और राहुल दोनों खिड़की पर चुदाई देख कर अपने अपने लौड़े की मुठ मार रहे थे.
मॅाम सेक्स के बाद अपने कपड़े पहन कर घर वापस आ गईं.

उनके घर आने से पहले मैं घर में आ चुका था.

मैंने मॉम से पूछा- आप कहां गई थीं?
मॉम बोलीं- उनकी सहेली की तबियत ख़राब थी, इसलिए वह उसे देखने अस्पताल गई थीं.

कुछ देर के बाद मॉम ने कहा- कल हम अपने गांव जाएंगे. उधर तेरे मामा की लड़की की शादी है.
मैंने कहा- ठीक है.

अगले दिन सुबह सुबह मैं और मॉम ट्रेन से मामा के गांव के लिए चल दिए.
लगभग 8 घंटे का सफर था इसलिए हम अपनी अपनी सीट पर सो गए.

तभी लगभग 30 वर्ष का एक आदमी आया और मॉम की सीट पर बैठ गया.
वह मॉम से बात करने लगा.

मैं सोने का नाटक करने लगा और कंबल ओढ़ कर लेट गया.

लगभग 2 घंटे बाद मैंने देखा वह आदमी मॉम के कम्बल में घुस गया था और मॉम को किस कर रहा था.

उसके बाद बोगी में टीटीई आ गया और वे दोनों अलग हो गए.
कुछ देर के बाद वह आदमी फिर से मॉम के कम्बल में घुस गया और मॉम के ऊपर चढ़ गया.

उन्हें देख कर लगा रहा था कि दोनों सेक्स कर रहे हैं.
लगभग एक घंटे बाद दोनों अलग हो गए क्योंकि हमारा स्टेशन आ गया था.

वह आदमी अभी भी हमारे साथ था.
हम दोनों स्टेशन से बाहर आ गए.

तब मॉम ने बताया कि वह आदमी भी मामा के गांव का है.
बचपन में मां और वह बेस्ट फ्रेंड थे.

हम दोनों मामा के घर पहुंच गए.
सब हम दोनों से मिल कर बहुत खुश थे.

मेरे मामा के घर में दो मामा, मामी नाना नानी सब हैं. बड़े मामा की दो लड़कियां हैं … एक लड़का है.
छोटे मामा की एक लड़की और एक लड़का था.

बड़े मामा की बड़ी लड़की की शादी थी. उसका नाम पायल है.
वह दिखने में काफी खूबसूरत है. उसके बड़े बड़े दूध, बड़ी सी गांड थी.

सबसे पहले मैं और मॉम बारी बारी से बाथरूम फ्रेश होने चले गए.
बाथरूम से आने के बाद मैं और मॉम ने खाना खाया.

उसके बाद मॉम के कमरे में गया.
मुझे मॉम की चुदाई याद आ रही थी; मैं भी मॉम को चोदना चाहता था.

थोड़ी देर बाद रूम में बड़ी मामी आईं.
उन्होंने मुझे सोता समझा और कपड़े बदलने लगीं.

वे केवल ब्रा और पैंटी में रह गई थीं.
उनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था.

उसके बाद वह कपड़े पहनने लगीं और उधर से बाहर चली गईं अब मुझे बिना मुठ मारे रहा नहीं गया.
मैंने मुठ मारी और सो गया.

कुछ देर बाद मुझे कुछ महसूस हुआ कि मेरे लौड़े से कोई खेल रहा है.

मैं चुपचाप लेटा रहा मगर मेरे लंड ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी.
वह खड़ा हो गया और तभी मेरे कान में मॉम की आवाज आई ‘चल तू भी मेरी चूत का मजा ले ले.’

उन्होंने इतना ही कहा और वह मेरे ऊपर चढ़ गईं.
मैंने अपने लंड पर उनका हाथ महसूस किया और अगले ही पल गीली सी झांटों का अहसास हुआ.

मॉम ने मेरे लौड़े को अपनी चूत में लगा लिया और उस पर बैठती चली गईं.
मेरी आह निकलने को हुई तो मॉम ने मेरे होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और वह मेरे लंड की सवारी गांठने लगीं.

मुझे मजा आने लगा और मैं अंधेरे कमरे में मॉम के होंठों को चूसता हुआ उनकी लेने लगा.

कुछ ही देर में मॉम हांफने लगीं और शायद वह झड़ गईं.
उन्होंने तेज तेज साँसों से मेरे कान में कहा- तेरा हुआ या नहीं?

मैंने कहा- अभी तो फिल्म शुरू ही हुई थी यार मॉम … अभी कहां कुछ मजा आया?
वह बोलीं- चल तू मेरे ऊपर आ जा.

वे मेरे ऊपर से उतर गईं और मेरे बाजू में अपनी टांगें खोल कर लेट गईं.
मैं उनकी टांगों के बीच में आया और चूत में लंड पेल दिया.

अब मैं अपनी माँ चोद रहा था और वह मस्ती से उंह आंह कर रही थीं.
करीब बीस मिनट तक मॉम को चोदने के बाद मेरा रस निकलने को हुआ.

मैंने कहा- रस अन्दर टपका दूँ?
मॉम ने हां कह दी.

मैंने उनकी चूत में रस टपका दिया.
अब मैं मॉम के ऊपर ही लुढ़क गया.

कुछ देर बाद मॉम ने कपड़े पहने और मुझसे भी कपड़े पहनने को कहा.
कपड़े पहनने के बाद हम दोनों चिपक कर लेट गए.

मैंने मॉम से कहा- कुछ कहूँ?
मॉम ने मेरे होंठों पर उंगली रख दी और कहा- जिंदगी में जवानी कुछ ही दिनों तक रहती है. इसलिए बस जवानी की मौज कर.
 
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