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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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सेक्सी मामी स्लीपर बस में चुद गयी - 2



मेरी भाभी की मम्मी अस्पताल में भर्ती थी. भाभी वहां रह कर उनकी देखभाल कर रही थी. एक रात भाभी ने मुझे वहां बुलाया और फिर भाभी की चूत चुदाई कैसे हुई?

दोस्तो, मैं अनीश तिवारी इंदौर से हूं. मैं इधर नया हूं. इस साइट के बारे में मुझे अभी ही पता चला था. मैं भी अपना एक अनुभव आपको बताना चाहता हूं.
यह बात 2 साल पुरानी है.

एक दिन मैं अपने निजी काम से बाजार गया था, तभी घर से फ़ोन आया कि एक किलो दलिया और कुछ सेब फल ले आना.
मैंने पूछा- ये क्यों?
तो पता चला हमारी पूजा भाभी की माँ इंदौर के निजी हॉस्पिटल में एडमिट हैं. उनसे मिलने जाना है, तो साथ ले जाना है.

जैसे ही पूजा भाभी का नाम सामने आया. उफ्फ्फ क्या बताऊं … जैसे सामने कोई सिनेमाई चेहरा याद आ गया.

बड़ी ही सुन्दर शख्शियत … ऊंचाई करीब 5 फुट 5 इंच … छाती पर तने हुए दूध, तो जैसे एक तराशी हुई मूर्ति के मम्मे हों. पूरे 36 की साइज की चूचियां होंगी और पीछे गांड की गोलाई ऐसी, जैसे परफैक्ट साइज यही होती हो.
चिकनी कमर एकदम मदहोश कर देने वाली, उस पर भी भाभी डीप साड़ी पहनती हैं … अकसर उनका गोरा पेट और नाभि साड़ी में से झांकती रहती है.

उनको आंख बंद करके देख कर मैंने किसी अप्सरा की कल्पना कर ली. दूध सी गोरी, भरा हुआ बदन एकदम तीखे नैन नक्श. एक पल के लिए तो मुझे नशा सा छा गया और मेरी कल्पनाओं में बस सेक्सी पूजा भाभी ही घूमने लगीं.

जैसा मैंने लिखा कि उनकी माँ यहीं एडमिट थीं, तो सारी देखभाल सामान वगैरह देने या कुछ भी जरूरत होती, तो मुझे कॉल किया जाता था.

पूजा भाभी से मेरी नार्मल बातें होती थीं, उनके हस्बैंड कोई सीमेंट फैक्ट्री में काम करते हैं. उनका मार्केटिंग का काम था, तो वे ज्यदातर बाहर ही रहते थे. इस वजह से उन्हें सारे काम खुद अकेले करना पड़ते थे.

हॉस्पिटल में अकसर मैं सामान लेने या खाना देने के कामों के लिए जाता था.

एक दिन मुझे सुबह सुबह पूजा भाभी का कॉल आया- जल्दी से हॉस्पिटल आ जाओ.
मुझे लगा कुछ अर्जेंट होगा, तो मैं घर पर बोल कर तुरंत गया. पहुंच कर देखा, तो सब ठीक था.

मैंने पूजा भाभी से पूछा- आप भी न … एकदम से डरा दिया. क्या अर्जेंट था इतना?
भाभी बोलीं- बस था.
मैंने ज़िद की- बताओ!
तो बोलीं कि मुझे वाशरूम में टाइम लगेगा … तो उतने समय माँ के पास कोई होना चाहिए. अभी ड्यूटी वाले डॉक्टर भी देखने आएंगे … इसलिए तुमको नहीं बुलाती, तो किसे बुलाती?

ये सुनकर मुझे कुछ अजीब सा लगा. पहले उनके लिए मेरे मन में कुछ गलत तो नहीं था, पर उनकी इस बात से मुझे बड़ा अच्छा सा लगा.
फिर मैं भी ‘ठीक है..’ बोल कर बैठ गया.
मैं मन ही मन सोचता रहा कि ऐसा क्या हो सकता है कि वाशरूम में ज्यादा टाइम लगेगा.

तभी डॉक्टर आ गए और मरीज को चैक करके चले गए. ये रूम चौथे माले पर था. डॉक्टर के जाने के बाद अब रूम में मैं, भाभी और उनकी माँ थीं.

भाभी सामने सोफे पर पांव दोनों फोल्ड करके लेटी हुई टीवी देख रही थीं और में पेपर पढ़ रहा था. उनकी माँ लेटी थीं … वो सोई हुई थीं.

मैंने भाभी को देखा वो कुछ इस तरह से लेटी थीं कि उन्होंने अपने एक पांव को दूसरे के ऊपर रख कर इंग्लिश के एल आकर में बनाया हुआ था. उनका एक पैर सीधा था, जिससे कि उनके अन्दर की गोरी टांगें और वो उनकी गुलाबी कलर की फूल वाली पेंटी दिख रही थी. भाभी की फूल वाली पेंटी देख कर तो जैसे मेरे रोंगटे खड़े हो गए. मैंने उसी वक़्त सोच लिया था कि इस तरह से अपनी पेंटी दिखाने का मतलब है कि आज भाभी पक्का चूत देंगी.

अब मेरी रुचि भाभी में और भी ज्यादा बढ़ गई. मैं पेपर के पीछे से भाभी की चूत देखने की कोशिश करने लगा. शायद भाभी ने मुझे ये करते देख लिया था कि मैं उनकी खुली टांगों का निमंत्रण स्वीकार कर चुका हूं.

फिर अचानक से वो खड़ी हुई और बोलीं- चलो मैं नहा लेती हूं अनीश. तब तक तुम टीवी देख लो.
मैंने कहा- ठीक है.
वो बाथरूम में गईं … जो कि थोड़ा साइड में था … बेड से सीधा नहीं दिखता था.

जब भाभी नहाने अन्दर गईं, तो पहले तो सब नार्मल रहा. फिर मेरा मन नहीं माना तो मैं भी उठ कर बाथरूम में देखने की कोशिश करने लगा.

मुझे अन्दर झाँकने के लिए कोई सुराख नहीं मिला … पर शायद नसीब ने साथ दे दिया. मुझे रोशनदान का एक कांच निकला हुआ दिख गया. बस मेरे लिए इतना काफी था. मैंने झांक कर देखा, तो भाभी पूरी नंगी हो कर नहा रही थीं.

मैं गर्म हो गया. एक मिनट देखने के बाद मैं वापस आ गया.

कुछ देर बाद भाभी बाहर आ गईं. मैंने गौर किया कि भाभी ने जो गाउन पहना था, उसमें न पेटीकोट था … न पेंटी की धार दिखी … न ब्रा का आकार था.

मैं यही सब देखता रहा. भाभी भी समझ गईं कि मैं क्या गौर कर रहा हूं.

इसी दौरान कई ऐसे मौके मिले, जब मैंने किसी न किसी बहाने से उनके दूध टच किए या अपना लंड उनकी पीछे या उनकी बॉडी से टच किया … जिसका उन्होंने भी भरपूर मजा लिया.

फिर इसी तरह दो दिन बीत गए.

तीसरे दिन भाभी ने कहा- माँ की तबियत ठीक नहीं है, वो रात को बार बार उठती हैं. कुछ भी हो सकता है … तुम आज यहीं रुक जाओ.
मैं समझ गया … और मैं भी यही चाहता था. मैंने तुरंत हां बोल दिया और रात का खाना ले कर मैं हॉस्पिटल पहुंच गया.

करीब 9 बजे थे. भाभी ने कहा- चलो खाना खा लेते हैं.
मैंने कहा- ठीक है भाभी … मैं भी ये जींस उतार कर बॉक्सर पहन लेता हूं … फिर फ्रेश होकर खाते हैं.
भाभी ने भी कहा- हां, मैं भी नहा लेती हूं.

पहले मैं बाथरूम में गया और मुझे जाते ही मन में लगने लगा कि आज का दिन मेरे लिए कितना लकी होने वाला है. मेरे मन पूजा भाभी की चूत मिलने की उम्मीद जग गई थी. फिर मैंने मन ही मन सोचा कि चलो क्यों न मैं भी भाभी को थोड़ा रिझाऊं.

मैंने बाथरूम में हाथ मुँह धोने के बाद अपनी अंडरवियर नहीं पहनी. सिर्फ नीचे बॉक्सर ओर ऊपर टी-शर्ट को पहना और बाहर आ गया. अंडरवियर नहीं पहनने की वजह से मेरा लंड अपनी औकात में आ गया था.

मेरे बाहर आते ही पूजा भाभी भी अन्दर घुस गईं और वो भी नहा कर बाहर आ गईं. वो मेरे सामने वाले सोफे पर बैठी थीं और मैं एक चेयर पर था. मैं दोनों पांव चेयर पर ही रख कर ऐसे बैठा था कि मेरे लंड का नजारा भाभी को हो जाए.

जैसे भाभी ने मेरे बॉक्सर की तरफ देखा, तो थोड़ी खुली हुई जगह में से लंड दिख गया. मैंने ये पता करने के लिए कि भाभी दुबारा लंड देखती हैं या नहीं … एक पेपर उठा कर पढ़ने का नाटक करने लगा. मैं धीरे से पेपर की साइड में से देखने लगा.

भाभी मेरे लंड का मजा ले कर होंठों को दबा रही थीं. उनको लगा कि मैं पेपर पढ़ रहा हूं और मैं उन्हें नहीं देख रहा हूँ.

उनको लंड की तरफ देखने से मेरे लंड ने भी फुंफकार मारना शुरू कर दी. इस तरह से मैंने उन्हें अपने खड़े लंड के दर्शन करवा कर उनकी चूत की आग को और बढ़ा दिया.

इसके बाद मैं उठा और खाना खाने की बात कह कर खाना खाने लगा, भाभी भी मेरे साथ ही खा रही थीं. फिर थोड़ी देर हम दोनों टीवी देख कर सोने का जमाने लगे. उधर एक ही बेड था. उनकी माँ तो थोड़े ऊंचे बेड पर सोई थीं.

मैंने कहा- मैं नीचे बिछा लेता हूं, आप बेड पर सो जाओ.
पहले तो भाभी बोलने लगीं- नहीं … ऐसा अच्छा नहीं लगता. एक काम करो, तुम भी इसी बिस्तर पर आ जाओ.
मैंने भी अपने मन की होते देख कर धीमे से कहा- ठीक है … अब लाइट ऑफ कर देता हूँ.

भाभी ने हामी भर दी.

उनकी माँ तो शायद नींद की गोली दवाई की वजह से सोई हुई थीं. मैं भाभी से सट कर सोया था. हम दोनों की पीठ बस मिली थी. थोड़ा टाइम बीता. भाभी की तरफ से कुछ नहीं हुआ, तो मुझे लगा मुझे ही शुरूआत करनी होगी.

मैंने भाभी की तरफ मुँह करके सोने का नाटक किया. अपने एक हाथ की कोहनी से आंखों को ढक कर सोने लगा. इसी बीच मैंने मेरे बॉक्सर को थोड़ा नीचे कर दिया, जिससे मेरे लंड के बाल दिखने लगे. रूम में हल्की लाइट जल रही थी.

थोड़ी देर बाद भाभी बाथरूम जाने के लिए उठीं. जब वो वापस आईं, तो वे मुझे ऐसे सोते देख कर मेरे लंड के पास देखने लगीं. मैं आंखें मूंदे लेटा था.
भाभी मेरे लंड तक अपना मुँह ले आईं. उन्हें लगा कि मैं सो रहा हूं. उन्होंने करीब 2 या 3 मिनट तक ऐसा किया. मुझे लगा कि जैसे वो मेरे लंड की खुशबू को महसूस कर रही थीं.

फिर थोड़ी देर बाद मैं वैसे ही सोया रहा. भाभी ने लेट कर मेरी तरफ मुँह कर लिया. हम इतने अधिक करीब थे कि अब हमारी सांसें टकराने लगीं. अब मैंने मेरा बॉक्सर नीचे करके अपना पूरा खड़ा लंड बाहर निकाल लिया था.

भाभी ने भी सोने का नाटक करते हुए अनजान बनते हुए अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया. शायद भाभी मेरे लंड की साइज़ का अंदाजा लगाने लगी थीं. उनको भी पता था कि आगे क्या होगा.

फिर शायद भाभी से रहा नहीं गया और उन्होंने मेरे कान में बोल ही दिया- बस दिखाते ही रहोगे कि अन्दर भी डालोगे?
मैंने बोला- आपको पसंद आया?
तो भाभी बोलने लगीं- इतना बड़ा और मोटा लौड़ा मैंने आज तक नहीं देखा … बस कुछ भी नहीं करो, पहले सीधे मेरी चूत में डाल दो जल्दी से.
मैंने कहा- आप अपनी पेंटी तो उतारो.
वो बोलने लगीं- अभी बाथरूम में वही करने गई थी … आ जाओ जल्दी.

हम दोनों ने एक चादर अपने ऊपर ले लिया था … ताकि भाभी की माँ यदि जाग भी जाएं, तो कोई लफड़ा न हो सके.

बस अब मैंने भी आव देखा न ताव, उन्हें अपने नीचे लिटाया और एक बार में पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में पेल दिया. भाभी चिल्ला तो सकती नहीं थीं, इसलिए दर्द से उनकी आंख से आंसू आ गए.

वो कराहते हुए बोलने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… बड़ा हरामी मूसल है … मेरी फाड़ दी … मगर क्या मस्त लंड है यार … अब तो मुझे जिदगी भर तुझसे चुदने का मन करेगा..

उनके ये बात सुनकर मैंने एक जोर की ठाप मार दी.
भाभी- आह … आह … उफ्फ उइ माँ … और जोर से चोद … आह और जोर से!

मैंने बहुत तेज रफ्तार से भाभी की चूत चुदाई शुरू कर दी. करीब दस मिनट तक धकापेल चुदाई की … फिर भाभी की चूत में ही अपना पूरा पानी निकाल दिया.

भाभी मस्त होकर मेरे बदन से लिपटी पड़ी रहीं. उसके बाद मैंने उनके दूध चूस कर उनको दुबारा से गर्म किया और इस बार मैंने भाभी के साथ 69 भी किया. भाभी गजब का लंड चूसती हैं. फिर से चुदाई का मजा हुआ. दो बार की चुदाई के बाद हम दोनों सो गए.

उसके बाद अक्सर जब कभी हम मिलते थे … शादी में या कहीं और … तो बस चुदाई कर लेते थे. पर अब भाभी भैया लोग आउट ऑफ इंडिया चले गए हैं. इसलिए मेरा लंड अकेला हो गया है.
 

junglecouple1984

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गोवा में हुई घपाघप सामूहिक चुदाई




मेरा नाम रेहाना है दोस्तो!
मैं एक मदमस्त, खूबसूरत सेक्सी और हॉट लड़की हूँ, पढ़ी लिखी हूँ, बोल्ड हूँ और वर्किंग गर्ल हूँ।
मुझे अपनी जवानी की ज़िन्दगी एन्जॉय करना खूब आता है।

मेरा मानना है कि जब जवानी कुछ दिन के लिए ही आती है तो फिर उसको भर पूर एन्जॉय क्यों न किया जाए?
जवानी के हर एक पल का मज़ा क्यों न लिया जाये!

इसी बात ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है इसीलिए मैंने फ़टाफ़ट अपने कई दोस्त बना लिए।
सच बात तो यह है दोस्तो कि मैंने अभी तक केवल कटे लंड ही देखे हैं, कोई भी लंड ऐसा नहीं देखा जो कटा न हो.
कई कटे लंड से चुद चुकी हूँ मैं … लेकिन मुझे आजतक मालूम ही नहीं कि बिना कटा लंड होता कैसा है.
मेरी बड़ी इच्छा थी कि मैं अनकटे लंड देखूं … अनकटे लंड का मज़ा लूँ और उनसे चुदवाऊँ।

इसलिए मैंने दूसरे मजहब के कई लड़कों को अपना ज़िगरी दोस्त बना लिया, कुछ लड़कियों से भी दोस्ती गाँठ ली जो मेरे मजहब की नहीं थी।

मैं धीरे धीरे उन सबसे नजदीकियां बढ़ाने लगी।
लड़कों से खुल कर गन्दी गन्दी बातें करने लगी।

मजाक मजाक में मैं कभी उन्हें भोसड़ी वाला कह कर पुकारने लगी तो कभी माँ का लौड़ा कह कर!
वे भी मुझे कभी हरामजादी रेहाना कह कर तो कभी बहनचोद रेहाना कह कर जवाब देने लगे.

इससे मैं बहुत ज्यादा खुश होने लगी और रोमांचित भी होने लगी।
लड़कियों से भी खुल्लम खुल्ला लंड, बुर, चूत की खुल कर बातें होने लगीं।

इसी बीच, हमने एक बार अपने सभी साथियों के साथ बैठ कर बीतचीत की और गोवा जाने का प्लान बना लिया।
सबको एक दिन एयरपोर्ट पर पहुँचने का फरमान सुना दिया।

सबसे पहले मैं अपने सामान सहित एयरपोर्ट पहुँच गयी।
मेरे पीछे रम्भा आ गयी।

मैंने कहा- यार रम्भा, टाइम हो रहा है, ये चूत चोदी नेहा कहाँ रह गयी, अभी तक आई नहीं?
तब तक पीछे से आवाज़ आई- अरे यार मैं तो यही हूँ। तेरी गांड के पीछे खड़ी हूँ रेहाना।

मैंने पीछे मुड़ कर देखा और कहा- वैरी गुड, तू आ गई माँ की लौड़ी, बहुत अच्छा हुआ। सामने देखो वो हर्ष साला अपना लंड हिलाता हुआ आ रहा है और उसके पीछे यश भी है।

नेहा बोली- तो फिर वह मादरचोद संजय कहाँ रह गया? पता नहीं कहाँ गांड मरा रहा है अपनी?
रम्भा ने बताया- अरे वो भी आ ही रहा है यार!
फिर वह बोली- वो सामने देखो आ रहा है.

इस तरह हम सब लोग इकट्ठे हो गए।
यानि तीन लड़कियां, मैं रेहाना, रम्भा और नेहा लड़कों में संजय, यश और हर्ष।

हमने टाइम से हवाई जहाज पकड़ लिया।
पणजी एयर पोर्ट पर उतरे, वहां से सीधे दो टैक्सी की और कुछ देर बाद होटल में पहुँच गए।

हमारे कमरे पहले से ही बुक थे।
हमने चेक इन किया और अपने अपने कमरे में चले गए।

तीन तीन बेड वाले दो कमरे अगल बगल में ही थे।
एक में तीनों लड़के और दूसरे में तीनों लड़कियां।

सबने अपना अपना सामान वगैरह ठीक तरह से जमा लिया और फिर सीधे मेरे कमरे में सब लोग आकर इकट्ठे हो गए।
सबने राहत की सांस ली, थोड़ी थकान मिटाई।

सबके चेहरे खिले हुए थे। ख़ुशी सबके चेहरे पर साफ़ साफ़ दिख रही थी।

इतने में संजय ने मेरे गले में बाहें डाल दीं और कहा- यार रेहाना, तुमने बहुत अच्छा काम किया। अब मज़ा आएगा यहाँ गोवा में!
मैंने आँख मारते हुए बड़ी सेक्सी अदा से कहा- मज़ा तो तब आएगा जब मैं तुम सबकी गांड मारूंगी। मैं तो ऐसे ही मौके की तलाश में थी।

मेरी बात सुनकर सब लोग एक साथ हंस पड़े।

रम्भा बोली- हां यार, गांड तो मैं भी मारूंगी सबकी!
नेहा बोली- अच्छा पहले लंड पकड़ना तो सीख ले बुरचोदी रम्भा, फिर गांड मारना।
यह सुनकर सबको खूब मज़ा आया।

रम्भा बोली- यहाँ क्या मैं सबकी झांटें उखाड़ने आई हूँ? यहाँ लंड पकड़ने ही तो आई हूँ! तेरी गांड पहले मारूंगी नेहा।

यह सुनकर लड़कों के लंड में आग लग गई।
सबकी भावनाएं एकदम से भड़क उठीं, सबकी फैंटसीज पूरी होती हुई दिखने लगीं।

सेक्स की उत्तेजना सबके चेहरे पर साफ़ झलकने लगी.
लड़कियां लड़कों के लंड देखने के लिए बेताब होने लगीं और लड़के लड़कियों को नंगी देखने के लिए व्याकुल होने लगे।

अब किसी को भी एक मिनट की भी देरी बर्दाश्त नहीं थी।
उतावले लड़के भी थे और उतावली लड़कियां भी थीं।

सब लोग अपने अपने घर से इतने दूर थे.
यहाँ हम लोग क्या कर रहे हैं किसी भोसड़ी वाले को क्या पता?
यह बात तो सबके मन में घूम रही थी।

तभी अचानक यश ने रम्भा को अपनी बाहों में भर लिया और हर्ष ने नेहा की कमर में हाथ डाल दिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

लड़का जब लड़की की चूची दबाता है तो उसे तो मज़ा आता ही है पर लड़की को उससे चौगुना ज्यादा मज़ा आता है।

धीरे धीरे सब लोग कुछ न कुछ करने लगे।

कमरे में एक्शन होने लगा और सन्नाटा छा गया।
कोई कुछ बोल नहीं रहा था।

मैं संजय का लंड टटोलने लगी, रम्भा यशा का लंड और नेहा हर्ष का लंड!
हम सबकी नज़र तो लंड पर ही लगी थी, हम तो सबसे पहले सबके लंड ही देखना चाहती थीं।

तब तक लड़के लड़कियों के कपड़ों के अंदर हाथ डालकर उनकी मस्तानी चूचियाँ मसलने लगे।
कोई रुकने वाला नहीं था, सबको बहुत जल्दी थी।

मुझे लगा कि ये लोग सब अभी अपनी अपनी गर्मी निकलवाकर कर ही मानेंगे।
मैं भी भोसड़ी वाली उनमे से एक थीं … मुझे भी बिना सबके लंड देखे चैन नहीं आ रहा था।

फिर मैं सामने पड़े सोफा पर बैठ गयी और संजय की पैंट खोल कर लंड बाहर निकालने लगी।
लंड तो पहले से ही खड़ा था।

मैंने उसकी कई बार चुम्मी ली और कहा- वाह … क्या मस्त लौड़ा है तेरा मादरचोद संजय … मज़ा आ गया यार! अब तो गोवा में बड़ा मज़ा आएगा।

उसका लंड सबको दिखाते हुए मैंने कहा- लो भोसड़ी वालियो, देखो इसे कहते हैं लंड!
तब तक उधर से रम्भा भी यश का लंड दिखाती हुई बोली- ले तू भी देख ले माँ की लौड़ी रेहाना, इसे कहते हैं लौड़ा!
फिर नेहा कहाँ चूकने वाली थी; उसने भी हर्ष का लंड बड़े प्यार से बाहर निकाला उसे थोड़ा हिलाया और सबको दिखाती हुई बोली- लो देख लो मादरचोदियो, अब मैं इसी लंड से फाड़ूंगी तुम सबकी बुर!

फिर हम तीनों लंड से कुछ देर तक खेलती रही, ब्लो जॉब करती रही।
एक दूसरी को ब्लोजॉब करती हुई देखती भी रहीं।

हम सब मस्ती से सटासट, घपाघप मारने लगीं लंड का मुट्ठ।
फिर अपने आप ही आपस में कम्पटीशन होने लगा कि कौन सबसे पहले निकाल लेती है लंड का मक्खन.

सबने मुट्ठ मारने की स्पीड तेज कर दी।

और फिर सबसे पहले रम्भा ने यश के लंड को खलास कर दिया और उसका वीर्य बिल्कुल उसी तरह चाटने लगी जैसे पोर्न में लड़कियां चाटती हैं।
फिर नेहा ने भी लगे हाथ हर्ष के लंड का वीर्य निकाला और चाटा।

सबसे बाद में मैंने संजय के लंड का वीर्य निकाला और उसे भूखी बिल्ली की तरह चाटा।
उसके बाद हम सब नहा धोकर तैयार हो गए और बाहर निकल पड़े।

तब तक लंच का टाइम हो गया था तो सबने बाहर ही लंच लिया और फिर निकल पड़े गोवा घूमने!

खूब घुमाई की, शॉपिंग भी सबने की और शाम को एक सी बीच पर पहुँच गए।
वहां भी खूब एन्जॉय किया और लगभग 8 बजे अपने होटल पर वापस आये।

सब लोग कपड़े चेंज करके मेरे कमरे में आ गए।

हम सब एक गोला बनाकर बैठ गए।
बातें होने लगीं, हंसी मजाक होने लगी, गंदे गंदे नॉन वेज चुटकुले होने लगे।
ठहाके पे ठहाके लगने लगे।

तब मैंने कहा- अच्छा सुनो, मैं लंड के बारे में एक दोहा सुना रही हूँ। लंड भोसड़ी का क्या करता है?

लण्ड कभी मुंह में घुसे, कभी चूत में लण्ड
कभी चूचियों में घुसे, कभी गांड में लण्ड

सबने खूब मज़ा लिया और तालियां बजाईं।

मैंने कहा- नेहा, अगर तुम्हें कोई लड़का धोखा दे तो तुम गुस्से में कैसी गालियां दोगी? ज़रा दे के सुनाओ।
वह बोली- भोसड़ी के, मादरचोद, तेरी बहन की बुर, चूतिया साले, मैं तेरी गांड में घुसा दूँगी लंड, तू मुझे धोखा देगा, अरे माँ के लौड़े, तू मेरी एक झांट भी नहीं उखाड़ पायेगा, गांडू, कुत्ते, कमीने, तेरी माँ का भोसड़ा।

सबने खूब एन्जॉय किया।

तब मैंने कहा- यार हर्ष, तुम नंगे होकर एक बच्चे की तरह रम्भा का दूध पी कर दिखाओ।

फिर क्या रम्भा अपनी चूचियाँ खोल कर पल्थी लगाकर बेड पर बैठ गयी।
उसके बड़े बड़े स्तन बड़े सेक्सी दिख रहे थे।

तब तक उधर से हर्ष नंगा नंगा आया और उसने अपना सिर रम्भा की जांघ पर रख दिया और थोड़ा आगे खसक कर उसकी चूची दोनों हाथ से पकड़ीं और निपल मुंह में डाल कर चूसने लगा।
वह बच्चे की तरह दूध पीने लगा।

रम्भा भी बुरचोदी बड़ी मस्ती से उसे पुचकारते हुए दूध पिलाने लगी और साथ ही साथ अपने एक साथ से उसका लंड पकड़ कर सहलाने लगी।

इत्तिफाक से लंड पर एक भी झांट नहीं थी. लंड एकदम चिकना था तो उसे भी मज़ा आने लगा।

सबने खूब तालियां बजाई और एन्जॉय किया।

दोस्तो, मैंने अपना मोबाइल का वीडियो ऑन करके एक जगह रख दिया था इसलिए आज जो भी कुछ हुआ, वह रिकॉर्ड हो गया।

तब तक डिनर का टाइम हो गया।
हम सब लोगों ने एक घटें तक डिनर लिया और फिर सब लोग हमारे कमरे में इकट्ठा हो गए।
कुछ हंसी मजाक तो होने लगा।

अचानक नेहा ने पूछा- रेहाना, तुझे लंड पकड़ने की बड़ी जल्दी है? तू कभी चुदी नहीं है क्या?
मैंने कहा- अरे यार, मैं जितनी बार चुदी हूँ उतनी बार तो मेरी माँ भी नहीं चुदी होगी नेहा … मैं खूब चुदी हुई हूँ।
रम्भा बोली- यार, चुदी हुई तो मैं भी हूँ। लेकिन मुझे लगता है की चुदी हुई लड़कियां ज्यादा चुदक्कड़ होती हैं।

नेहा ने कहा- तो फिर इन सब लड़कों के लंड भी चुदे हुए होंगे?
इस बात का जबाब मैंने दिया- हां बिल्कुल … इन भोसड़ी वालों के लंड भी चुदे हुए हैं।

पर हकीकत यह थी दोस्तो, कि अब किसी को बिना चोदे और बिना चुदाये चैन नहीं था। रात में तो वैसे भी न किसी का लंड काबू में रहता है और न किसी की चूत।

हमने तीसरा बेड भी डबल बेड से मिला लिया था ताकि ग्रुप चुदाई एक साथ हो सके।

हम सबने एक एक लंड तो पकड़ा ही था और बाकी दो दो लंड बहुत पास से ही देखे थे।
मज़ा तो सबको सबके लंड का लेना था।

मैं तो सच में अंदर से बड़ी गर्म हो गयी थी तो मैं हर्ष के बदन से लिपट गई; अपना जिस्म उसके जिस्म से रगड़ने लगी।
तब तक संजय ने रम्भा को अपनी बाहों में भर लिया और यश ने बुरी तरह से नेहा को अपने बदन से चिपका लिया।

हम सब एक दूसरे के कपड़े खोल खोल कर फेंकने लगीं।
लड़के भी लड़कियों के कपड़े उतार कर उन्हें नंगी करने लगे।

सच्चाई यह थी कि हर लड़का नंगा होना चाहता था और हर लड़की नंगी होनी चाहती थी, खुल कर मज़ा लेना चाहती थी।

मकसद तो गोवा आने का खुल्लम खुल्ला सामूहिक चुदाई करना ही था।
सबसे पहले मैं चूत चोदी नंगी हुई और फिर रम्भा और नेहा भी एकदम नंगी हो गई।

लड़कियों को नंगी देख कर लड़कों के लंड काबू के बाहर हो गए।
वो भी तीनों नंगे हुए तो माहौल एकदम से बड़ा गर्म हो गया, बड़ा रंगीन और सेक्सी हो गया।

हम सब एक गोलाकार स्थिति में लेटे हुए थे।
मैंने हर्ष का लंड हाथ बढ़ाकर कर पकड़ लिया और चाटने लगी.

तो हर्ष उधर रम्भा की चूत चाटने लगा, रम्भा संजय का लंड चाटने लगी तो संजय नेहा की चूत चाटने लगा।

नेहा यशा का लंड चाटने लगी तो यश मेरी चूत चाटने लगा।
अब हम तीनों को डबल मज़ा मिलने लगा।

यश मेरी चूत चाट रहा था और मैं हर्ष का लंड चाट रही थी।
यही हाल सबका था।
लड़के भी लंड किसी और से चटवाने लगे और चूत किसी और की चाटने लगे।

सचमुच सेक्स का यह नज़ारा अपने आप में बड़ा उत्तेजक था।

जिस तरह से यश मेरी चूत चाट था उस तरह से तो मेरी चूत किसी ने भी नहीं चाटी।
यश तो मेरी गांड भी चाटने लगा।

मुझे हर्ष का बिना कटा लंड बहुत ही अच्छा लग रहा था।
हर तरफ लंड चाटने की और चूत चाटने की आवाज़ आ रही थी।
यह मनमोहक आवाज़ सबको उत्तेजित कर रही थी।

इतने में हर्ष ने गच्च से पेल दिया लंड मेरी चूत में और चोदने लगा.
मैं भी मस्त होकर चुदवाने लगी।

मेरे बगल में रम्भा भोसड़ी की संजय से चुदवाने लगी.

तब तक यश ने लंड नेहा की चूत में घुसा दिया।
वह भी उफ़ कह कर मजे से चुदवाने लगी।

अब जो हो रहा था, मैं वही तो चाहती थी, मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।
गोवा में हो रही थी हम सबकी घपाघप सामूहिक चुदाई।

रम्भा बोली- हाय संजय, बड़ा मोटा है लंड तेरा यार। बड़ा मज़ा आ रहा है। मुझे खूब चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर। मैं तो यहाँ चूत चुदवाने ही आयी हूँ।
नेहा ने कहा- वॉवो, क्या मस्त लौड़ा है तेरा भोसड़ी के यश। मेरी चूत की खाल उधेड़ रहा है।

मैंने कहा- अरे यार, इधर देखो ये मादरचोद हर्ष किस तरह पागलों की तरह मेरी चूत ले रहा है। और मैं भी रंडी की तरह अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चूत दे रही हूँ। आज मुझे किसी अनकटे लंड से चुदवाने का अलौकिक आनंद आ रहा है। खुदा करे की हमारा हर दिन ऐसा ही हो, हर दिन हमें नए नए बिना कटे लंड चोदें। मेरी चूत लें और अपना लंड दें!

सब लोग अपने अपने हिसाब से चूत चोदन करने लगे।
हर्ष मुझे आगे से चोदने लगा.
संजय रम्भा की चूत पीछे से चोदने लगा और यश अपने लंड पर नेहा को बैठा कर चोदने लगा।

सबकी सब चूत चोदी चुदवाने का लुत्फ़ उठाने लगीं.

यश बोला- यार, कुछ भी हो पर मज़ा तो चुदी हुई चूत चोदने में ज्यादा आता है। मैं तो बहुत एन्जॉय कर रहा हूँ। किसी ने ठीक ही कहा है कि
कोरी चूत न चोदिये, चुद के करे घमंड
चुदी चुदाई चोदिये, लपक के लेवे लंड

हमारी चुदाई का एक मस्त वीडियो बन चुका था।

चुदाई के बाद हम सब नंगे नंगे उस वीडियो को टी वी पर लगा कर देखा।
सच दोस्तो, टी वी पर सबकी चुदाई होती हुई देख कर बहुत ज्यादा ही मज़ा आया, लगा कि हम सब एक लाइव ब्लू फिल्म देख रहे हैं।

चुदाई अगले दिन सुबह हमने एक टैक्सी की और कहा- हमें एक ऐसे सी-बीच में ले चलो जो थोड़ा दूर हो, बिल्कुल सुनसान हो लेकिन साफ़ सुथरा हो।

बस हम लोग 9 बजे एक बहुत अच्छे बीच पर पहुँच गए।
मैंने टैक्सी वाले से कहा- अब तुम दोपहर एक बजे आना हमको ले जाने के लिए!

वह चला गया और हम समंदर के किनारे पहुँच गए।

हमने एक चादर बिछाई और उस पर सारा सामान रख दिया।
बहुत सुंदर जगह थी और मौसम भी सुहावना था।

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये … यहाँ तक कि ब्रा भी!
और सिर्फ पैंटी पहन कर बोली- मैं तो जा रही हूँ समंदर में मस्ती करने!

मैं समंदर में लहरों के सामने चली गयी मेरे पीछे रम्भा और नेहा भी आ गयीं।
उनके भी बूब्स एकदम नंगे थे।

सबसे अच्छी बात यह हुई कि वे तीनों लड़के भी नंगे बदन केवल एक एक चड्डी पहन कर आ गए।

मैंने यश का हाथ पकड़ा और उसकी चड्डी निकाल कर फेंकते हुए कहा- भोसड़ी के, तुझे अभी भी शर्म आ रही है माँ के लौड़े? तेरी बहन की बुर … चल आ जा मेरे सामने!

उधर रम्भा ने हर्ष की चड्डी खोल कर उसका लौड़ा पकड़ के पानी में ही हिलाने लगी।

मेरे बगल में नेहा ने संजय को नंगा कर दिया और लंड पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।

धीरे धीरे हम सब नंगे नंगे मज़ा लेते रहे।
लड़कियों ने भी पैंटी खोल दी, हम सबकी चूत भी नंगी हो गयी।

अब हम सबको नंगे नंगे समंदर में बड़ा मज़ा आने लगा।

हमने दो घंटा पानी नंगे नंगे मज़ा किया, सबके लंड के साथ खेला और लड़कों ने भी हम लड़कियों के नंगे जिस्म से पानी में खूब खेला।
थोड़ी देर में हम तीनो लड़कियां एकदम नंगी नंगी एक लाइन से रेत में लेट गयी।

इतने में यश आया और उसने मेरी चूत में लंड पेल दिया।
मैं मस्ती से बिंदास चुदवाने लगी।
खुले आकाश के नीचे समंदर के किनारे सबके साथ ग्रुप में चुदवाने में जो मज़ा आ रहा था उसका कोई जवाब नहीं।

हर्ष रम्भा की चूत में लंड पेल कर चोदने लगा और संजय नेहा की चूत में लंड घुसेड़ कर चुदाई का मज़ा लेने लगा।

दो घंटे तक हम सब लंड अदल बदल कर चुदवाती रहीं।
लड़के भी लड़कियां अदल बदल कर चोदते रहे।

इस तरह हम सबने सबके लंड का मजा Xxx ग्रुप बीच सेक्स में लिया।
मैंने तो खास तौर से पहली बार बिना कटे तीन तीन लंड का मज़ा लिया।
मैंने सोच लिया कि अब मैं आगे भी बिना कटे लंड का मज़ा लूंगी।
 

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भाभी समझ कर भैया ने मुझे चोदा



दोस्तो, मेरा नाम आरती राजपूत है।
आज की ब्रदर सिस्टर सेक्स कहानी मेरी सच्ची घटना है।

यह बात जून माह की है जब मेरे भैया ने सारी रात मुझे भाभी समझ कर चोदते रहे।

मैं अपने बारे में बता दूं।
मेरी उम्र 19 वर्ष है। मेरा बदन पूरा भरा हुआ है। मेरी बूब्स आगे की तरफ तने हुए हैं और मेरी गांड पीछे की तरफ निकली हुई है।
मैंने तब तक एक बार भी सेक्स नहीं किया था।

हमारा पूरा परिवार 5 लोगों का है। मम्मी-पापा, मैं, मेरा भाई और उसकी पत्नी रानी।

मेरे भाई के शादी की 2 साल हो चुके हैं। पिछले जून माह में मेरे भाई के शादी की सालगिरह थी।
भाभी सालगिरह की शॉपिंग करने के लिए अपने मायके गई हुई थी और वह शाम को आने वाली थी।

मैंने अपने सारे कपड़े धो दिए थे इसीलिए मेरे पास पहनने के लिए और कोई कपड़े नहीं थे।
तो मैंने भाभी की लाल रंग की साड़ी और पिंक चोली पहन लिया और मैं किचन में खाना बनाने लगी।

तभी कुछ देर बाद भाभी का कॉल आया कि उनके पिताजी की तबीयत खराब है इसीलिए वे आज नहीं आएंगी।
भाभी ने मुझसे कहा- तुम अपने भैया को बता देना, उनका कॉल नहीं लग रहा है।

मैंने खाना बना लिया।
और उसके बाद मैं टीवी देख रही थी।

मुझे पता ही नहीं चला मेरी टीवी देखते देखते कब नींद आ गई और मैं भैया के रूम में ही सो गई।

मेरे भैया आए और बोले- क्या बात है रानी, आज तो तुम पहले से ही मूड बनाकर सोई हो।
मैं नींद में थी इसीलिए मुझे कुछ समझ में नहीं आया।

भैया पूरी तरह से मुझे अपनी बांहों में पकड़ कर मेरी चूचियों को मसलने लगे और अपने एक हाथ मेरी योनि को सहलाने लगे।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।
देखते देखते भैया ने मेरी चोली खोल दी और मेरे 36 के बूब्स को आजाद कर दिया और उनको मुंह में लेकर काटने लगे।

मैं कुछ बोल पाती इससे पहले उन्होंने मेरे दोनों होठों को अपने होठों से जाम कर दिया।

अभी धीरे मेरी शरीर में बिजली जैसी लहर दौड़ने लगी; मेरी योनि में पानी आ गया था।
भैया ने मेरी योनि चाटने लगे और अब मैं कामुक सिसकारियां लेने लगी।

फिर उन्होंने अपना लंबा और मोटा लिंग निकाल कर मेरी योनि पर सेट कर दिया।
और एक जोरदार झटके में अपना आधा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया.

मैं दर्द के कारण चिल्ला उठी।
मुझे ऐसा लगा मानो मेरी चूत फट गई हो।
मेरा पूरा बदन टूटने लगा और मैं सिसकने लगी।

तभी भैया बोले- क्या रानी, तुम भी बिल्कुल सुहागरात जैसी हरकतें कर रही हो। मैं तुमको इतनी बार चोद चुका हूं फिर भी आज तुम्हारी चूत टाइट क्यों है।

मैं दर्द के कारण कुछ बोल नहीं सकती थी।
पर मेरे भैया को क्या पता कि जिसको वे चोद रहे हैं वह उनकी बीवी नहीं बल्कि बहन है।

कुछ देर शांत रहने के बाद फिर भैया ने धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू किया।
अब उनका आधा लिंग मेरी योनि में आसानी से जा रहा था।

तभी मुझे कुछ महसूस हुआ कि मेरी योनि से खून निकल रहा है।
मुझे पता चल चुका था मेरी सील टूट गई है।

काफी देर संभोग करने के बाद मेरे भैया ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड चाटने लगे।
फिर उन्होंने अपना लिंग तेल लगा कर एक जोरदार झटके में पूरी तरह से मेरी गांड में घुस दिया।

मेरी कामुक सिसकारियां ‘आह ओह ओह माई गॉड … आह उफ़’ निकलने लगी।
पूरा घर कामुक सिसकारियां से पूछ रहा था से गूंज रहा था।

15 मिनट की लगातार गांड चुदाई के बाद उन्होंने अपना लिंग निकाला और मुझे अपनी बाहों में उठा लिया, नीचे से मेरी योनि में अपना लिंग सेट कर दिया और मुझे ऊपर नीचे करने लगे.

मेरी तेज तेज सिसकारियां निकल रही थी क्योंकि अबकी बार उनका लंबा लंड पूरी तरह से मेरी योनि में जा रहा था।

कुछ देर बाद मेरी योनि से पच पच की आवाजें निकलने लगी।
लगभग 5 मिनट बाद मेरा शरीर ढीला पड़ गया क्योंकि मैं झड़ चुकी थी।

परंतु भैया नहीं रुके और वह मुझे ऊपर नीचे करते रहे।
उनका काला नाग मेरी योनि में सीधा वार कर रहा था।

फिर उन्होंने मुझे बेड पर पटक दिया, वे मेरी चूचियों को मसलने और पीने लगे।

तब उन्होंने अपना काला लंड मेरे मुंह के सामने लाकर मुझे मुंह में लेने के लिए बोलने लगे।

मैंने इंकार कर दिया।
तभी भैया बोले- अरे रानी, एक बार तो ले लो. तुम तो बड़ी चाव से लेती हो मेरा लंड मुंह में … आज क्या हुआ है तुम्हें?

मुझे मजबूरन भैया का लिंग अपने मुंह में लेना पड़ा।
उनका लिंग मेरे मुंह में जाते ही मेरा पूरा मुंह भर गया और मुझे नमकीन जैसे स्वाद आने लगी।

वे मेरा बाल पकड़कर मेरे मुंह को आगे पीछे कर रहे थे और अपना पूरा लंड मेरे मुंह में देने की कोशिश कर रहे थे जिसके कारण मेरी खांसी निकलने लगी।

फिर उन्होंने कुछ देर मेरे बूब्स के साथ खेला और उनको पिया।

इसके बाद भैया मेरी योनि को चाटने लगे।
मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी जब वह अपनी जीभ से मेरी उन्हीं को चाट रहे थे।

एक बार फिर उनका लिंग खड़ा हुआ और उन्होंने मेरी एक टांग हवा में ऊपर उठाकर एक जोरदार झटके में अपना पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया।
मेरी चीख निकल गई।

और अब भैया नीचे से गांड उठा उठा कर चोद रहे थे।
मेरी चीख के साथ-साथ आंख से आंसू निकलने लगे।

फिर कुछ देर बाद मुझे मजा आने लगा और मैं सिसकारियां लेने लगी।
अब मुझे पता चला कि मेरी भाभी इतना खुश क्यों रहती हैं.

अब तक तो मैंने सिर्फ अपनी सहेलियों से सुना था कि चुदाई में मजा आता है।
पर आज पहली बार महसूस कर रही थी।

लगभग आधे घंटे बाद भैया मेरी चूत में झड़ गए और फिर मेरी योनि को चाटने लगे।
फिर मेरे बूब्स को दबाया और चाटा और सो गए।

इसके बाद मैं वहां से उठी और जाकर बाथरूम में फ्रेश हो गई‌ और अपने रूम में सो गई।

जब मैं सुबह उठी तो मेरी योनि लाल हो चुकी थी और फूल गई थी और मुझे चलने में भी काफी दर्द हो रहा था।

भाभी आ चुकी थी।
मैंने ब्रदर सिस्टर सेक्स की सारी वार्ता अपनी भाभी को बताई।

मेरी भाभी बोली- कोई बात नहीं, इसमें आपकी कोई गलती नहीं है।

भाभी ने मुझे कुछ दवाइयां लाकर दी और बोली- ये खा लेना, कल तक ठीक हो जाओगी।

फिर मेरे भैया उठे और भाभी को किचन में जाकर पकड़ लिया और बोले- सच में रानी, तुमने रात को बिल्कुल सुहागरात वाला मजा दिया।
मेरी भाभी उनको बोली- और मेरा जो आपने कचूमर बनाया उसका क्या?

फिर भैया उनको किस करके बाथरूम में नहाने चले गए।

दोपहर को भाभी मेरे रूम में आई और बोली- अब कैसा महसूस हो रहा है?
मैंने कहा- ठीक … पहले से ठीक हूं।

फिर भाभी बोली- अच्छा बताओ, मजा तो आया होगा ना?
मैंने कहा- क्या भाभी आप भी!

भाभी बोली- देखो कोई बात नहीं, अब तुम भी जवान हो चुकी हो और तुमको भी इसकी जरूरत है। और हमारी राजपूत खानदान की तो जानती ही हो अगर बाहर गए तो नाम बदनाम हो जाएगा इसीलिए घर का घर में रह जाए तो अच्छा है।

मैंने कहा- भाभी, भैया का काफी मोटा है और लंबा बिल्कुल गंदी फिल्मों की तरह। आप कैसे बर्दाश्त करती होंगी?
भाभी ने हंसते हुए जवाब दिया- जैसे तुमने किया था!
मैं शरमा गई और अपनी आंखें नीचे कर ली।

भाभी बोली- देखो आरती, तुम्हारा जब भी मन हो तुम मुझसे बोल देना, मैं पूरा इंतजाम कर दूंगी. तुम डरना मत, तुम्हारे भैया को कुछ नहीं पता चलने दूंगी।

लगभग दो-तीन दिन बाद मेरा दर्द ठीक हो गया था।
उसी रात भाभी आई और बोली- देखो आरती, आज मेरा पीरियड है। तुम्हारे भैया संभोग की जिद पकड़ कर बैठे हैं। मैंने उनको कुछ समझाया और वह नहीं मान रहे हैं अब तुम ही कुछ कर सकती हो।

मैं भाभी का इशारा समझ चुकी थी।
अंदर से तो मेरा भी मन था पर मैंने भाभी को कहा- नहीं भाभी, मैं ऐसा नहीं करूंगी।

फिर भाभी मुझ से रिक्वेस्ट करने लगी और मैंने हां कह लिया।
प्लान के मुताबिक खाना खाने के बाद भाभी नाइटी पहन कर मेरे रूम में आई, अपनी नाइटी मुझे पहना कर भैया के पास भेज दिया।

मैं जब गई तो मैंने देखा भैया बेड पर लेटे हुए थे और अपना लंड हिला रहे थे।
कमरे की लाइट बंद थी इसीलिए वह मुझे पहचान नहीं पाए।

मेरे बेड पर जाते ही उन्होंने मुझे पकड़ लिया और मेरी नाइटी उतार कर मेरी चोली और पेंटी भी खोल दी।

वे मुझे ऊपर से नीचे तक चाटने लगे।
उन्होंने अपना मोटा लिंग मेरे योनि में सेट किया और धक्का लगाने लगे।

मेरी सिसकारियां निकल रही थी और भैया मेरी बूब्स को भी दबा रहे थे।
फिर उन्होंने पोजीशन बदल बदल कर मुझे रात में देर तक चोदते रहे।

मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड चोदी और मुझे बेड पर लेटा कर मेरी योनि चोदी!

बीच-बीच में वे मेरी बूब्स को मसलते और उनको पीते और कभी-कभी अपना औजार मेरे मुंह में देकर हिलाने लगते।

आज की चुदाई में मुझे भरपूर मजा आया था क्योंकि अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था बल्कि हवस मिटाने के लिए मजा आ रहा था।

2 बजे मैं अपने रूम में गई और भाभी को जगा कर उनको बोल दिया- जाओ अपने रूम में!

आधा घंटा बाद फिर भाभी ने मुझे बुलाया और बोली- तुम्हारे भैया फिर तैयार हो चुके हैं।
मैं गई रूम में!

भैया ने मुझे बाहों में पकड़ लिया, मुझे बेड पर पटक कर मेरे शरीर को ऊपर से नीचे तक चाटने लगे।
मेरी योनि में जीभ से अपने चाट रहे थे और उंगली से मेरी योनि में अंदर बाहर कर रहे थे।

वे लगभग 10 मिनट तक ऐसे करते रहे।
उसी बीच में मैं झड़ी भी और भैया ने मेरा सारा पानी पी लिया।

और फिर भैया अपना औजार मेरी योनि में सेट करके जोरदार धक्का लगाने लगे।
पच पच की आवाज से और मेरी सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था।

लगभग आधे घंटे की लगातार संभोग के बाद मेरे भैया थक कर सो गए।
और मैं गई जाकर भाभी को भेज दिया।

अब लगभग एक महीना हो चुका है और मैं सप्ताह में एक बार अपने भैया से जरूर चुदाने जाती हूं।
ब्रदर सिस्टर सेक्स के कारण मेरा शरीर अब पहले से और ज्यादा खिल चुका है। मेरे चेहरे की रौनक बढ़ चुकी है। मेरा बदन पहले से ज्यादा गजरेला और भरा बदन हो चुका है। मेरी बूब्स और गांड पहले से ज्यादा बड़े हो चुके हैं।
मैं देखने में बिल्कुल अपनी भाभी की तरह लगने लगी हूं।
 

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ससुर के लण्ड की दीवानी हो गई मैं



दोस्तो, मेरा नाम रेहाना बेगम है.

मैं एक बेहद खूबसूरत गोरी चिट्टी हॉट बीवी हूँ।
ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं हूँ पर बहुत बोल्ड और निडर हूँ. मुझे सेक्स बहुत ज्यादा पसंद है।

मैं जब नई नई जवान हुई थी तो लड़कों की तरफ आकर्षित होने लगी थी, उनके पाजामे में हाथ घुसेड़ने लगी थी।
मैंने जब पहला लण्ड पकड़ा था, तभी मुझे मालूम हुआ था कि लण्ड एक ऐसी चीज है जो वैसे तो लुंज पुंज पड़ा रहता है लेकिन हाथ लगाते ही खड़ा हो जाता है और बढ़ने लगता है, मोटा होने लगता है।

सबसे पहले मैंने जो लण्ड पकड़ा था वह मेरी सहेली के चचेरे भाई जान का था।

हुआ यह कि एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया और कहा- यार, आज मैं घर में केवल मैं हूँ और मेरा चचेरा भाई जान है। मेरी अम्मी जान अब्बू के साथ कहीं बाहर गईं हैं। मेरा भाई जान तुमको बहुत पसंद करता है. चलो मैं तुमको उससे मिलवाती हूँ।

मैं जब उससे मिली तो मुझे बड़ा अच्छा लगा।

फिर वह मेरे कान में बोली- रेहाना मेरे भाई जान का लण्ड पकड़ोगी?
मैं थोड़ा शर्मा गई और बोली- नहीं बाबा नहीं, मैं नहीं पकड़ूँगी, पता नहीं पकड़ने से क्या होगा? पहले तो मैंने कभी पकड़ा नहीं लण्ड!

वह बोली- कुछ नहीं होगा, बड़ा मज़ा आएगा यार! एक बार पकड़ कर तो देखो!

ऐसा कह कर उसने अपने भाई जान का पजामा खोल दिया वह मेरे आगे नंगा हो गया।
मैंने नज़र उठा कर लण्ड देखा तो सिहर गई, थोड़ा सकपका गई.

लेकिन मुझे लण्ड बहन चोद बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं बार बार अपनी नज़रें उठा उठा कर लंड देखने लगी।

फिर उसने मेरे हाथ पकड़ कर लण्ड पर रख दिया।

मैंने झिझकते हुए लण्ड पकड़ लिया और मैं अपने आप ही हौले हौले उसे सहलाने लगी।

मुझे देख कर वह बोली- कैसा लगा तुझे मेरे भाई जान का लण्ड रेहाना?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लगा यार!

फिर उसने अपने कपड़े खोले और मेरे भी कपड़े खोलने लगी।
जैसे जैसे मेरे कपड़े खुलने लगे, वैसे वैसे मेरी चूत की आग भड़कने लगी।

इतने में हम तीनों एकदम नंगे हो गए तो मेरी शर्म ख़त्म हो गयी।
पहले उसने लण्ड चाटा, फिर मैं भी चाटने लगी।

फिर उसने लंड मुंह में लेकर चूसा … तो मैं भी उसका लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।

वह बोली- तू तो बुरचोदी … अच्छी तरह लण्ड चूस लेती है।
मैंने कहा- हां यार, बड़ा मज़ा आ रहा है।

फिर मैं मस्ती से लंड हिलाने और चूसने लगी … उसे अपने होठों से, अपने गालों से टकराने लगी।
मैं उसके पेल्हड़ भी सहलाने लगी।

उसने भी मेरी चुम्मी ली, मुझे प्यार किया, मेरी चूचियाँ दबायीं, मेरे नंगे बदन पर बड़े प्यार से हाथ फिराया।

मैं और ज्यादा बेशरम होने लगी मस्ती में आने लगी।
तब मैं अपने आप ही लण्ड मुठ्ठी में लेकर आगे पीछे करने लगी।
वह मेरा साथ देने लगी.

इतने में हम दोनों के चूसते चूसते ही लण्ड झड़ने लगा।
उसने मुझे झड़ता हुआ लण्ड चाटना भी सिखा दिया।

उस दिन मैंने पहली बार अपनी सहेली के साथ झड़ता हुआ लण्ड चाटा।

उसके बाद तो मैं बड़ी तेजी से जवान होने लगी, मेरे बूब्स भी तेजी से बढ़ने लगे और मैं लण्ड पे लण्ड पकड़ने लगी।
कुनबे के लोग भी मुझे लण्ड पकड़ाने लगे।

रियल फॅमिली Xxx स्टोरी मेरे खालू के लंड से शुरू हुई थी.

एक दिन मेरा खालू मेरे सामने लुंगी खोल कर खड़ा हो गया बोला- बेटी रेहाना, लो मेरा भी लण्ड पकड़ कर देखो!
तो मैंने मस्ती से मौसा का लंड पकड़ भी लिया।

उसने मुझे नंगी कर दिया और लण्ड पेल कर खोल दी मेरी बुर।
फिर मैं भी पेलवाने लगी लण्ड और चुदवाने लगी अपनी चूत।

इस तरह मैं अपनी शादी के पहले 6 /7 लोगों से चुदवा चुकी थी, मुझे बड़ा मज़ा आने लगा था और मैं भोसड़ी वाली बन गई थी एक चुदक्कड़ लड़की।
शादी के पहले ही अच्छी तरह चुद चुकी थी। कई लण्ड का मज़ा ले चुकी थी।

मैं शादी के बाद ससुराल आ गई तो सबसे पहले अपनी सास से मिली और फिर ननद से भी मिली।

वहां मैं अपनी सास को देख कर खुश इसलिए हुई कि वे अभी एकदम मस्त जवान और सेक्सी दिखतीं थी।
उनकी बेटी यानि मेरी ननद भी बेहद खूबसूरत और अच्छी नाक नक्श वाली है।

मेरी सास मेरी ननद की माँ नहीं बल्कि उसकी बड़ी बहन लगती थीं।

सास का नाम है आहिरा बेगम और मेरी ननद का नाम है हिना।

सच बताऊँ दोस्तो, मेरे मन आया कि अगर मैं लड़का होती तो सबसे पहले सास की चूत में लण्ड पेल देती. सास की चूचियों के बीच में भी घुसेड़ देती लण्ड! फिर उसी के सामने बड़े प्यार से चोदती उसकी बिटिया की बुर.

मेरी सास की बिटिया यानि मेरी ननद भी बुर चोदी बड़ी हॉट लड़की है।
मैं सोचने लगी कि मेरी शादी के एक साल पहले उसकी शादी हो चुकी है तो वह अब तक जाने कितने लण्ड खा चुकी होगी?

वैसे मैं भी अपनी शादी के पहले कई लण्ड खा कर आई हूँ। खूब मस्ती से कई लोगों से चुद कर आई हूँ।
यह बात केवल दो लोगों को मालूम है।
एक तो मुझे मालूम है और दूसरे मेरी चूत को!

बाकी किसी भोसड़ी वाले को कुछ नहीं मालूम!

अपनी सुहागरात में मैंने अपने शौहर से जिस अदा से कसमसाते हुए, सिसकारियों लेते हुए चुदवाया कि उसे पूरा यकीन हो गया कि आज ही उसने मेरी कुंवारी चूत की सील तोड़ी है।
मुझसे कहीं ज्यादा तो वह खुश था मुझे चोद कर!
यह बात मुझे बाद में मेरी ननद ने बताई।

मेरी ससुराल में सब मादरचोद मुझे बुरी नियत से देखने लगे।
मैं भी मज़ा लेने के लिए अपने जिस्म का प्रदर्शन करने लगी।
कभी अपनी मस्त मस्त टांगें और घुटने दिखाती, कभी अपने बड़े बड़े मम्मों के दीदार कराती, कभी अपनी आँखें मटका मटका कर बातें करती, कभी तिरछीं निगाहों से देख देख कर सबका मन मोह लेती।

एक दिन मैं सास और ननद तीनों बैठी हुई चुहलबाजी कर रहीं थीं, हंसी मजाक कर रहीं थीं।

तभी अचानक सास ने पूछा- बहू, मुझे सच सच बता कि तू शादी के पहले कितनी बार चुदी थी?
मैंने कहा- यह सच है कि मैं शादी के पहले कई बार चुदी थी. कॉलेज के लड़कों से भी चुदी थी और कुनबे के लोगों से भी!

तब सास बोली- यार, चुदी हुई तो मैं भी बहुत थी अपनी शादी के पहले। मुझे इस बात की ख़ुशी है कि तू भी चुदी हुई है। मैं वास्तव में चुदी हुई बहू चाहती थी। और सुन, तेरी बुरचोदी ननद भी खूब चुदी थी अपनी शादी के पहले।
मेरी ननद बोली- अरे भाभी जान, तेरी सास ने खुद मेरी बुर चुदवाई थी अपने देवर से! अपने देवर लण्ड पेला था मेरी चूत में तेरी सास ने भाभीजान। फिर मैंने भी अपनी शादी के बाद अपने देवर का लण्ड इसकी चूत में पेला था और रात भर पेलती रही। मैंने खूब चुदवाया फिर तेरी सास का भोसड़ा। बदला तो लेना ही था तो ले ले लया।

मैंने दोनों की बातें सुनकर खूब एन्जॉय किया।

अब मुझे मालूम हो गया कि मुझे ससुराल में चुदाई का मज़ा खूब मिलेगा।

एक दिन मेरी फुफिया सास की बेटी हिबा आ गयी।
वह भी शादीशुदा है.

उससे भी बातें होने लगीं।
बातों बातों में मैं उससे पूछ बैठी- यार हिबा, यह बताओ कि इन कुनबे में सबसे बड़ा और सबके मोटा लण्ड किसका है?
उसने दिमाग दौड़ाया और फिर एकदम से बोली- यार, सबसे बड़ा और मोटा लण्ड तो तेरे ससुर का ही है भाभी जान. मेरे हाथ के बराबर तो लम्बा हैं उसका लण्ड और मेरी कलाई के बराबर मोटा!

तो मैंने पूछा- क्या तुमने कभी मेरे ससुर का लण्ड पकड़ा है?
वह बोली- हां पकड़ा है यार … और चुदवाया भी है। उसने तो मेरी बुर फाड़ डाली थी। तीन दिन तक मेरी चूत में दर्द होता रहा। अच्छा रुको!

उसने फोन अपनी अम्मी जान को लगाया और पूछा- अम्मी जान, कुनबे में सबसे बड़ा और मोटा लण्ड किसका है?
उसने जबाब दिया- हिना के अब्बू का लण्ड! उसके लण्ड के मुकाबले किसी का लण्ड नहीं है बहनचोद पूरे कुनबे में। उसके बाद तेरे ससुर का लण्ड आता है।

मैंने कहा- हाय दईया, तेरी अम्मीजान तो सबके लण्ड के बारे में जानतीं हैं।
हिबा बोली- अरे यार रेहाना भाभी, मेरी बुर चोदी अम्मीजान बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत है। पूरे कुनबे के लण्ड का मज़ा लेती है मादरचोद और मेरे मियां से भी खूब घपाघप चुदवाती है भोसड़ी वाली।

अपने ससुर लण्ड के बारे में सुनकर मेरी तो चूत की आग बहुत जयादा ही भड़क उठी।
मैंने ठान लिया कि अब मैं किसी न किसी दिन अपने ससुर का लण्ड पकड़ कर ही दम लूंगी।

मेरे ससुर का नाम है फ़िरोज़।
वह 48 साल का एकदम गोरा चिट्टा जवान मर्द है। वह अपने काम धंधे में मशगूल रहता है और उसकी बीवी और बेटी ग़ैर मर्दों लण्ड में मशगूल रहतीं हैं।
अब तो उसकी बहू भी यानि मैं सास ननद के साथ गैर मर्दों के लण्ड का मज़ा लूटने लगी हूँ।

मेरा ससुर न दाढ़ी रखता है और न टोपी पहनता है।
मुझे तो उसके सर की टोपी नहीं उसके लण्ड का टोपा परेशान कर रहा था।

मैं उसके लण्ड का टोपा देखने के लिए पागल बनी घूम रही थी।
उसके हर काम पर नज़रें गड़ाए हुए थी, उसके हर कदम को बड़ी बारीकी से देख रही थी।

मैं उसको नहाते धोते हुए, कपड़े पदलते हुए, लुंगी खोलते और पहनते हुए, नाड़ा खोलते और बांधते हुए इसी मकसद से देख रही थी कि कहीं से मुझे उसके लण्ड की झलक मिल जाए। कहीं से वह लण्ड का टोपा मुझे दिख जाए!
लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मैं दिन पर दिन बेकरार होती जा रही थी।

इधर मैं भी उसे अपने बड़े बड़े मम्मो का उभार दिखाती थी लेकिन निप्पल बिल्कुल नहीं, अपनी मोटी मोटी जांघें दिखाती थी लेकिन चूत बिल्कुल नहीं, अपने चूतड़ भी दिखाती थी लेकिन गांड का छेद बिल्कुल नहीं।

मैं उसे रिझाने में जुटी हुई थी; उसके लण्ड में आग लगाने में लगी हुई थी।
मैंने सोचा कि अगर वह मर्द है तो एक न एक दिन मुझ पर टूट पड़ेगा, दबोच लेगा मुझे … पेल देगा अपना लण्ड मेरे जिस्म के हर एक छेद में।
जब वह अपनी बहन का भोसड़ा चोद सकता है, उसकी बिटिया की बुर चोद सकता है तो मुझे क्यों नहीं चोद सकता?

जैसे कोई बिल्ली किसी चूहे की तलाश में रहती है वैसे ही मैं भी अपने ससुर लण्ड के तलाश में रहने लगी।

इत्तिफाक से एक दिन मेरी सास अपने मायके चली गई और ननद अपनी ससुराल।
घर में मैं थी और मेरा ससुर।
बस मुझे मौक़ा मिल गया।

रात को मेरा ससुर आ गया।
वह खा पीकर जब वह बिस्तर पर लेटने जा रहा था तो उसने मुझे देखा और बोला- वाह बहू रानी, तुम तो आज माशाल्ला बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।

मैं उस समय बाथ रूम से निकली थी और अपना पेटकोट ऊपर चूचियों तक उठा कर बाँध लिया था। मेरी बड़ी बड़ी चूचियों का उभार उसे साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था। और साथ में मेरे घुटने भी दिखाई पड़ रहे थे। मेरी बाहें तो एकदम खुली हुई थीं।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया बोला- मैंने तुमको इस तरह कभी नहीं देखा बहू! आज तुम मेरी जान ले रही हो। मेरी नीयत तुम पर ख़राब हो गई है बहू रानी। हटाओ ये बहनचोद पेटीकोट … यह यहाँ क्या कर रहा है?

ससुरे ने मेरे पेटीकोट में हाथ डाल दिया।
पेटीकोट के अंदर चूचियाँ भी थीं और चूत भी!

वह मेरे बड़े बड़े मम्मे दबाता हुआ बोला- क्या बात है … इतने बड़े बड़े दूध तो किसी के नहीं है बहूरानी! तुम तो बिल्कुल ज़न्नत को हूर हो. मुझे पता ही नहीं था कि इतनी बड़ी हुश्न की मलिका मेरे घर में ही मौजूद है।

उसने मुझे गोद में उठा लिया और पलंग पर पटक दिया, फिर मेरे ऊपर चढ़ गया।

मैंने कहा- अरे ससुर जी, मैं आपकी बहू हूँ। बहू तो बेटी के सामान होती है।
वह बोला- हां होती है. पर आजकल बेटियां भी बड़ी ख़ुशी ख़ुशी देतीं हैं अपनी बुर। तुम भी मुझे दो अपनी बुर बहूरानी।

इतने में उसने मेरा पेटीकोट नीचे उतार कर फेंक दिया।
मैं मादरचोद उसकी बाँहों में एकदम नंगी हो गयी।

वह मेरे दूध खूब अच्छी तरह से मसलने लगा, मेरी चूत सहलाने लगा और मेरे नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा।

फिर मैंने भी उसका लौड़ा टटोलना शुरू किया।

जैसे ही मेरा हाथ उसके लण्ड से टकराया, वह एकदम नंगा होकर अपना खड़ा लण्ड मुझे दिखाता हुआ बोला- लो मेरा लण्ड चूसो मेरी बहू रानी … जैसे कुनबे की सब बहू बेटियां चूसतीं हैं।

लण्ड देखते ही मेरी बहनचोद गांड फट गई।
मेरे मुंह से निकला- हाय दईया, इतना बड़ा लण्ड … बाप रे बाप … यह तो बिल्कुल घोड़े का लण्ड लग रहा है।

मुझे पहली बार इस बात का अहसास हुआ कि लण्ड इतने बड़े बड़े भी होते हैं।

मैंने कहा- मैं लण्ड चूसूंगी बाद में, पहले जी भर कर देख तो लूं तेरा ये भोसड़ी का लण्ड। तेरा लण्ड जितना खूबसूरत लग रहा है उतना ही खूंखार भी लग रहा है। तेरा तो लण्ड चूत क्या भोसड़ा भी फाड़ डालेगा बहनचोद।

फिर मैंने कहा- ससुर जी, तू बेटी चोद इतना हरामी है यह मुझे नहीं मालूम था। तू अपनी बेटी बहू की बुर लेता है। बेटी बहू की बुर में लण्ड पेलता है, तुझे शर्म नहीं आती?

वह बोला- यहाँ सब लोग लेते हैं अपनी बेटी बहू की बुर! हमारे यहाँ चुदाई में सब जायज़ है, कुछ भी गलत नहीं है। जब लण्ड खड़ा होता है तो उसे चाहिए बुर, वह बुर चाहे जिसकी हो. चूत जब गरमा जाती है तो उसे चाहिए लण्ड वह लण्ड चाहे जिसका हो. तूने भी तो बड़ी मस्ती से पकड़ लिया अपने ससुर लण्ड, तुझे शर्म आई क्या?

उसकी बात में दम था।

मैं लण्ड चारों तरफ से घुमा घुमा कर देखने लगी और बीच बीच में बड़े प्यार से उसका टोपा भी चूमने लगी।

फिर मैंने अपने पर्स से इंची टेप निकाला और लण्ड को नापा।
लण्ड साला 9″ लंबा और 6″ मोटा निकला।
मैंने इंची टेप लण्ड पर लपेट कर नापा।

मुझे लण्ड नापने का बड़ा शौक है, मैं जो भी नया लण्ड पकड़ती हूँ उसकी नाप लेकर अपनी डायरी में लिख लेती हूँ।

मैं एक भूखी बिल्ली की तरह लण्ड चाटने लगी, पेल्हड़ भी चाटने लगी।
उसकी झांटें बिल्कुल साफ़ थीं तो लण्ड चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

वह भी मेरी बुर चाटने लगा।

मैंने पूछा- तुमको अपनी बहू की बुर कैसी लगी ससुर जी?
तो वह बोला- तेरी बुर तो बड़ी लाजबाब है बहू रानी, एकदम मक्खन मलाई की तरह है। बड़ा मज़ा दे रही है मुझे!

वह मेरी गांड भी चाट रहा था। वह अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ मसल रहा था, मेरे नंगे जिस्म को अपने दांतों से पोले पोले काट काट कर मज़ा ले रहा था.

मैं भी हर पल उत्तेजित होती जा रही थी। मैं फिर लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी।
मुझे पराया मरद नंगा नंगा बहुत ही प्यारा लगता है।
मैं तो ससुर के लण्ड में खो गईं।

मैंने लण्ड को अपने चेहरे पर और अपनी चूचियों पर खूब मजे से रगड़ रगड़ कर मज़ा लिया।

मन में मैंने सोच लिया कि मेरा ससुर ही मेरा असली शौहर है। मैं इसके लण्ड का मज़ा खुल्लम खुल्ला लेती रहूंगी। मुझे किसी भोसड़ी वाले का डर नहीं है।

काफी देर तक यह सब होता रहा।

फिर उसने मेरी टांगें फैलाई और लण्ड धच्च से घुसा दिया मेरी चूत में अंदर!
मैं केवल उफ़ कह कर रह गयी क्योंकि मैं चुदी हुई थी इसलिए दर्द का तो कोई सवाल ही नहीं था.

उसकी चुदाई में मुझे ज़न्नत आने लगा। इतनी अच्छी तरह तो मेरे शौहर ने भी नहीं चोदा था.

उसे भी मज़ा आया तो बोलने लगा- तेरी चूत बड़ा मज़ा दे रही है बहू! मैं आज तेरी चूत फाड़ डालूँगा बुरचोदी रेहाना। तू बहुत गज़ब की चीज है यार। तू भोसड़ी की चुदवाने में बड़ी माहिर है। इतनी माहिर तो तेरी ननद भी नहीं है। हाय तेरी चूत बड़ी टाइट है बहन चोद। मेरा लण्ड चिपक कर घुस रहा है अंदर!

मैंने कहा- हाय रे ससुर जी, चोदे जाओ मेरी फुदी, तेरा लण्ड बड़ा जबरदस्त है यार, धज्जियाँ उड़ा दो मेरी चूत की, मेरी चूत लण्ड लण्ड बहुत चिल्लाती रहती है, आज इसे असली लण्ड मिला है।

फिर क्या … उसने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी।
धच्च धच्च, भच्च भच्च, गच्च गच्च की आवाज़ें लगीं।

मैं भी अपनी गांड उठा उठा के मजे से चुदवाने लगी, मस्ती में बोलने लगी- हाय मेरे राजा, खूब चोदो मुझे, तुम मेरे असली हीरो हो, मेरे असली शौहर हो! मैं ही तेरी बीवी हूँ, तेरी रानी हूँ, तेरी रखैल हूँ, तेरी रंडी हूँ, तेरी हरामजादी बुर चोदी चुदक्कड़ बहू हूँ! तू ही मेरी चूत का असली मालिक है. फाड़ डालो मेरी चूत, चीर डालो मेरी बुर, तेरा लण्ड मुझे बहुत पसंद है यार। मैं तेरे लण्ड की गुलाम हो गई हूँ।

फिर उसने मुझे इस कदर चोदा कि मैं दो मिनट में ही खलास हो गयी और उसके लण्ड ने भी उगल दिया वीर्य।

इस तरह मैं ससुर से रात भर चुदी और हर तरफ से चुदी।
आगे से भी चुदी, पीछे से भी चुदी और लण्ड पर बैठ कर भी चुदी।
मैं तो ससुर के लण्ड की दीवानी हो गयी, उसके लण्ड की गुलाम हो गई।

दूसरे दिन मेरी ननद अपने ससुर फ़राज़ के साथ आ गयी।

मैं तो फ़राज़ को देख कर मस्त हो गयी।
वह भी बहन चोद बड़ा बांका मरद था।
मेरा दिल उस पर आ गया।
मैं तो उसके लण्ड के बारे में सोचने लगी.

रात को जब हम दोनों ननद भौजाई बिस्तर पर आईं तो उधर से मेरा ससुर और मेरी ननद का ससुर भी आ गया।

तब मुझे मालूम हुआ कि मेरी ननद का ससुर मेरे ससुर का दोस्त है।
इसी दोस्ती के कारण मेरे ससुर ने अपनी बेटी की शादी फ़राज़ के बेटे से कर दी और हिना मेरी ननद बन गयी उसकी बहू।

मुझे यह भी मालूम हुआ कि ये दोनों अपने ज़माने में एक साथ मिलकर लड़कियां चोदा करते थे, दूसरों की बीवियां और बहू बेटियां भी चोदा करते थे।

मेरा ससुर एकदम खुल कर बोला- यार फ़राज़ तेरी बहू दिल खोल कर तुझे चूत देती है या नहीं? मेरी बहू तो एकदम बिंदास हो कर मुझे अपनी चूत देती है। मैंने कल रात भर कई बार उसकी चूत ली है।

वह बोला- अरे यार, मेरी बहू भी खूब मस्ती से दिल खोल कर देती है अपनी चूत! बड़ा मज़ा आता है उसे चोदने में। मैं तो मस्त हो जाता हूँ। कल मैंने भी रात भर मारी अपनी बहू की चूत!

तब तक मेरी ननद बोली- अच्छा ठीक है। तुम लोग अपनी अपनी बहू चोद चुके हो अब आज तुम लोग आमने सामने एक दूसरे की बहू चोदो। तब देखो कितना मज़ा आता है?

सब लोग उसकी बात मान गए।
मैं तो यही चाहती ही थी।
सबके चेहरे पर चमक आ गयी।

मुझे ननद के ससुर ने अपनी तरफ खींच लिया और मेरी बड़े प्यार से चुम्मी ली।

वह बोला- तुम मेरी बहू की भाभीजान हो. मेरा रिश्ता तो तुम्हें डबल चोदने का है रेहाना बहू।
मैंने कहा- हां तो फिर दो दो बार चोदो न मुझे! जितना चाहो उतना चोदो।

बस उसने मुझे अपने बदन से चिपका लिया।

उधर मेरी ननद मेरे ससुर से चिपक गयी यानी वह अपने अब्बू जान से चिपक गयी।

दोनों तरफ गज़ब की आग लगी हुई थी।

हम लोगों के धीरे धीरे कपड़े उतरने लगे।

जब मेरी ननद पूरी नंगी हुई तो उसे देखकर मैं मस्त हो गयी।

उसकी बड़ी बड़ी सख्त चूचियाँ बड़ी सेक्सी थीं, उसका कसा हुआ जिस्म और उसकी टाइट चूत किसी को भी अपना दीवाना बना सकती है।
मेरी ननद की खूबसूरत बाहें तो सबका मन मोह लेती हैं।

मुझे उसके ससुर का लण्ड देखने की जल्दी थी तो मैंने उसे पहले नंगा किया।
वह जब नंगा हुआ तो उसका लण्ड टन्न से मेरे गाल में लगा तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।

उसका लण्ड मेरे ससुर के लण्ड जैसा ही था।
दोनों लण्ड लगभग एक ही साइज के थे एक ही रंग रूप के भी थे।

बस फरक यह था की इसके लण्ड का टोपा एकदम गोल था जबकि उसके लण्ड का टोपा अंडाकार था।

मैं बिना रुके उसका लण्ड चाटने लगी और वह मेरे बदन का मज़ा लेने लगा।

मेरी ननद ने भी अपना नंगा जिस्म अपने अब्बू जान को सौंप दिया।
उसको मालूम था कि उसका शौहर उसकी माँ का भोसड़ा चोदता है इसलिए ननद को अपने अब्बू से चुदवाने में कोई शर्म नहीं थी।

उसका कहना था जो मेरे मियां से चुदवायेगी मैं उसके मियां से चुदवाऊंगी चाहे वह मेरा अब्बू जान ही क्यों न हो … मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कुछ देर बार ननद के ससुर ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया और मेरे ससुर ने लण्ड मेरी ननद की चूत में पेल दिया।

ये दोनों भोसड़ी वाले ससुर एक दूसरे की बहू की बुर बेहिचक चोदने लगे।
दूसरे की बहू की बुर अपनी बीवी की बुर समझ कर खूब घपाघप चोदने लगे।

फिर क्या … रियल फॅमिली Xxx चुदाई की आवाज़ बढ़ने लगी और चुदाई की महक भी पूरे घर में फ़ैलने लगी।

मुझे अपनी चुदाई से ज्यादा ननद की चुदाई देखने में मज़ा आ रहा था।

मैंने मन में सोच लिया कि कल जब मेरी ननद अपनी माँ को लिवाने उसके मायके जाएगी तब मैं इन दोनों के लण्ड का मज़ा एक साथ लूंगी। दोनों लण्ड से खूब धकाधक चुदवाऊंगी.

और मैंने अगले दिन दोनों लण्ड से एक साथ चुदवाया भी।

तो दोस्तो, मैं आज भी अपने ससुर से चुदवाती हूँ और उसके मस्ताने लण्ड का पूरा मज़ा लेती हूँ।
 

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भाभी की चूत को उसके मायके में जाकर चोदा - 1




पहले मैं अपने बारे में कुछ बता देता हूं. मेरे दोस्त मुझे प्यार से योगू बुलाते हैं. मैं एक 26 साल का सेक्सी, हैंडसम और अच्छे घर का लड़का हूं. जब से मैं जवान हुआ हूं मेरा लंड मुझे चैन से नहीं बैठने देता है. मैं रोज ही अपने लंड को हिलाता हूं. इसकी प्यास बुझती ही नहीं है. मुझे चुदक्कड़ आंटियां और प्यासी भाभियां बहुत पसंद हैं.

यह बात उन दिनों की है जब मैं बस से कॉलेज जाया करता था. आप सब तो जानते ही हैं कि सुबह के टाइम पर बसों में कितनी भीड़ होती है. मैं हमेशा की तरह अपने कॉलेज जा रहा था. उस दिन मेरे साथ ही मेरे पड़ोस की एक भाभी भी उस बस में चढ़ गई. बस में काफी भीड़ थी.

भाभी ने मेरी तरफ देखा और मैंने भाभी की तरफ. हम दोनों पास में ही खड़े हुए थे. फिर कुछ दूर चलने के बाद बस में और ज्यादा लोग चढ़ गये. अब बस बिल्कुल खचाखच भर गई. भाभी की मोटी गांड मेरे लंड से आकर सट गई. जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ कि भाभी की गांड मेरे लंड से सट चुकी है तो मेरा लंड मेरी पैंट में खड़ा होना शुरू हो गया.

मैंने हल्का सा जोर लगा कर अपने लंड को भाभी की गांड की दरार पर मसल दिया. भाभी ने पीछे मुड़ कर देखा. एक बार तो मैं डर गया कि शायद भाभी गुस्सा हो गई होगी. लेकिन उसने मुझे देख कर एक स्माइल दी और फिर मुझसे कहा- मेरे बैग को ऊपर रख दो.
मेरी जान में जान आई कि भाभी गुस्सा नहीं हो रही थी.

मैंने भाभी के बैग को ऊपर सामान रखने की जगह पर रख दिया. फिर भाभी आराम से खड़ी हो गई.
हम दोनों में बातें होने लगी.

मैंने भाभी से पूछा कि वो कहां जा रही है तो भाभी ने बताया कि वो अपने मायके जा रही है.

भाभी अकेली ही थी इसलिए मुझे भी कोई डर नहीं था. बीच बीच में जब धक्के लगते थे तो भाभी मुझसे बिल्कुल चिपक जाती थी. ऐसा करते करते मेरे लंड का तन कर बुरा हाल हो गया.

फिर मैंने महसूस किया कि भाभी भी अपनी गांड मेरे लंड पर धकेल रही थी. वो अपनी गांड की दरार को मेरे लंड पर सटा कर पीछे की तरफ दबाव बना रही थी. मैं भी बदले में अपने लंड को उनकी गांड की दरार में पूरा का पूरा घुसाने की कोशिश करने लगा. बहुत मजा आ रहा था. मन कर रहा था अभी भाभी को नंगी करके चोद दूं लेकिन जैसे तैसे मैंने खुद को कंट्रोल करके रखा हुआ था.

हम दोनों आपस में बातें करते हुए ऐसे दिखा रहे थे कि सब कुछ नॉर्मल ही हो रहा है.

उसके कुछ पल के बाद भाभी ने अपना हाथ धीरे पीछे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी. मेरी तो हवा टाइट हो गई. भाभी भरी बस में मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी.
मैंने भी पूरा जोर लगा कर भाभी की तरफ अपने शरीर के वजन को आगे धकेल दिया. हम दोनों इस कामुक मदहोश कर देने वाले पलों का मजा ले रहे थे.

तभी मैंने सीट वाले डंडे पर अपने हाथ को आगे की तरफ रख लिया. भाभी ने अपने मस्त चूचों को मेरी कुहनी के आगे वाले भाग की तरफ अपने चूचों को मेरे हाथ से सटा दिया और मेरे हाथ पर अपने चूचों को स्पर्श देने लगी.
मैं पागल सा होता जा रहा था. इधर भाभी के अंदर भी सेक्स पूरा भड़का हुआ था.

फिर मैंने आस पास देखा कि कोई हमारी इस हरकत पर ध्यान तो नहीं दे रहा. जब सब जगह नजर दौड़ाने के बाद मैंने ठीक ठाक पाया तो मैंने हल्के से अपने हाथ को भाभी के चूचों पर लाकर उनको छेड़ने लगा. मेरे हाथ की उंगलियां भाभी के चूचों के निप्पलों पर लग रही थीं.

भाभी की हल्की सी सिसकारी निकलना शुरू हो गई थी. भाभी के चूचों के निप्पल काफी टाइट थे. उसको छूकर पता नहीं चल रहा था कि वो दो बच्चों की मां है. मैंने जोर से उसके निप्पलों को मसलना शुरू किया तो भाभी बोली- आज मेरे साथ मायके ही चलो. मैं तुम्हें अपने मायके की सैर करवाऊंगी.

मैं भी समझ गया था कि भाभी मायके की नहीं अपनी चूत की सैर करवाने के मूड में लग रही है.

तभी भाभी ने अपने पर्स से फोन निकाला और अपने घर वालों को बता दिया कि उनके साथ मैं भी उनके मायके आ रहा हूं. भाभी के बदन को छेड़ते छेड़ते कब सफर कट गया कुछ नहीं पता लगा.

फिर उनके घर जाकर हमने आराम किया. अब मुझसे रात का इंतजार करना मुश्किल हो रहा था. उनके घर में मेरी काफी खातिरदारी हुई और फिर आखिरकार सोने का समय भी आ ही गया. भाभी और मैं दोनों एक ही कमरे में सोने वाले थे. ये सोच कर मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा होने लगा था. मेरे लंड ने कई बार चिपचिपा पदार्थ छोड़ दिया. भाभी की चूत के बारे में सोच कर ही मेरा कामरस निकला जा रहा था.

लेकिन तभी उसकी मां हमारे बीच में आ गई. वो अपनी बेटी से बात करने के लिए हमारे कमरे में ही आ गयी. मैं मन ही मन उसकी मां को गालियां देने लगा. मगर फिर मुझे इस बात से थोड़ा सन्तोष करना पड़ा कि हम दोनों का बिस्तर जमीन पर नीचे एक साथ लगा दिया गया. ऊपर बेड पर उसकी मां सोने वाली थी.

वो दोनों आपस में बातें करने लगीं और कुछ देर के बाद लाइट बुझा दी गई. लेकिन उन दोनों की बातें अभी भी चल रही थीं. मैं तो पहले से ही सोने का नाटक कर रहा था. जैसे ही लाइट बंद की गई मैंने धीरे अपने और भाभी के बदन को चादर के नीचे ढक लिया और मैं भाभी की गांड के साथ चिपक गया.

ज्यादा कुछ हरकत तो नहीं हो सकती थी क्योंकि उसकी मां को हमारे बारे में पता चल जाता. मैं धीरे धीरे भाभी की गांड को अपने हाथ से दबाने लगा. मैंने अपने लंड को साड़ी के ऊपर से ही भाभी की गांड से सटा रखा था. भाभी बातों में लगी हुई थी. फिर मैंने धीरे से उसकी साड़ी को ऊपर करना शुरू कर दिया. अंधेरे में कुछ पता नहीं चल रहा था लेकिन उसकी चिकनी टांगों पर उंगलियां फिराते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था.

जब पूरी साड़ी ऊपर तक आ गई तो मैं अपने पैरों को उसकी जांघों से घिसने लगा. फिर मैंने उसकी भारी सी गांड में फंसी हुई छोटी सी जालीदार पैंटी को उसके कूल्हों के बीच से उंगली घुसाते हुए खींच दिया. उसके बाद मैंने अपने अंडरवियर को भी नीचे किया और उसकी पैंटी के अंदर लंड को लगा कर उसकी जांघों के बीच में भाभी की चूत के पास फंसा दिया. मेरा लंड भाभी के चूतड़ों में जाकर सट गया.

मेरे तने हुए लंड की छुअन से भाभी की हल्की सी आह्ह निकली लेकिन भाभी ने खुद को रोका हुआ था. वो अपनी मां को बातों में लगाए हुए थी और साथ में ही मेरे लंड का मजा भी ले रही थी. मैं अपने लंड को उसकी गांड पर घिसने लगा. भाभी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

कुछ देर जब ऐसे ही घिसते हुए हो गई तो भाभी ने धीरे अपने हाथ पर थूक लगाया और अपना हाथ अपनी जांघों के बीच में लाकर मेरे लंड के सुपारे पर थूक को मलते हुए उसको चिकना करने लगी. भाभी ने मेरे लंड को पूरा चिकना कर दिया. मेरे लंड के सुपारे पर जब भाभी के हाथ घिस रहे थे तो मैं भाभी की चूत चूत को चोदने के लिए जैसे मरा जा रहा था. मेरे लंड के सुपारे में एक अजीब सी सरसराहट दौड़ रही थी.

फिर भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर लगा कर अपनी गांड को पीछे धकेल दिया. मुझे भाभी का इशारा मिल गया.

मैंने अपने लंड को भाभी की चूत पर सटे हुए आगे की तरफ एक हल्का सा धक्का मारा और मेरा लंड भाभी की गर्म चूत में घुस गया.
उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मजा आ गया.

भाभी की गर्म चूत में जाते ही मैंने उसकी कमर को अपने हाथों में थाम लिया और बिल्कुल धीरे-धीरे अपनी गांड को हिलाते हुए मैं भाभी की चूत में धक्के लगाने लगा. भाभी भी हल्के हल्के अंदाज में अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ धकेल रही थी.
धीमी चुदाई शुरू हो गई.

भाभी की चूत में जाते ही मेरा लंड और ज्यादा गर्म और टाइट हो गया था. भाभी की चूत ने जैसे मेरे लंड को अंदर ही जकड़ लिया था. मैं धीरे से लंड को बाहर लाता और फिर हल्के से धक्के के साथ भाभी की चिकनी चूत में फिर से धक्का लगा देता. पूरा लंड भाभी की चिकनी चूत की गहराइयों में उतरने लगा. उसकी चूत की पंखुड़ियां जैसे मेरे लंड को निचोड़ने में लगी हुई थी. मुझे जैसे जन्नत का मजा मिल रहा था.

कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मुझसे रहा न गया और मैंने अपने मोटे लंड जोर से भाभी की चूत में पेल दिया तो भाभी की आह्ह निकल गई.
उसकी ऐसी आवाज सुनकर उसकी मां बोली- क्या हुआ?
भाभी बोली- कुछ नहीं, ऐसा लग रहा था जैसे पीछे कुछ चुभ रहा हो.
उसकी मां बोली- लाइट जला कर देख लो.
भाभी तपाक से बोली- नहीं मां, सब ठीक है.

भाभी को भी डर हो गया था कि अगर लाइट जली तो सारा मजा खराब हो जायेगा. इसलिए उसने बात को तुरंत संभाल लिया. उसके बाद वो दोनों फिर से बातों में लग गई. कुछ देर तक मैंने भाभी की चूत में लंड डाल कर मजा लिया और फिर मैं भाभी की गांड के छेद पर भी उंगली चलाने लगा.

भाभी ने अपनी दोनों जांघों को थोड़ा सा और खोल दिया और मेरी उंगली भाभी की गांड में चली गई. भाभी उचक सी गई लेकिन उसने कोई आवाज नहीं की. एक दो बार मैंने भाभी की गांड में उंगली की और फिर वापस निकाल ली.

फिर पता नहीं भाभी को क्या शरारत सूझी कि उसने अपने एक हाथ को पीछे लाकर मेरी गांड पर टटोलते हुए मेरी गांड के छेद को ढूंढ लिया और अपनी उंगली मेरी गांड में घुसाने की कोशिश करने लगी. मुझे मजा तो नहीं आ रहा था लेकिन मेरे लिए यह एक नया अनुभव था. मेरा लंड भाभी की चूत में था और भाभी की उंगली मेरी गांड के छेद को सहला रही थी. फिर उसने अपने हाथ को वापस आगे की तरफ खींच लिया.

मुझे गांड में जलन सी होने लगी. शायद भाभी की उंगलियों का तेज नाखून मेरी गांड में लग गया था. मैंने जोर से भाभी की चूत को चोदना शुरू कर दिया. पच-पच की आवाज हो गई तो उसकी मां को फिर शक हो गया.
वो बोली- ये आवाज कैसी आ रही है?
भाभी बोली- कुछ नहीं, योगू को शायद मच्छर परेशान कर रहे हैं. वो मच्छर मार रहा है.

मैंने फिर से अपने धक्कों को धीमा कर दिया. जोर से चुदाई होना अभी संभव नहीं था. मैं धीरे धीरे ही भाभी चूत में लंड को चलाता रहा. भाभी भी पूरे रिदम में मेरा साथ देती रही.

दोस्तो, इस तरह धीमी चुदाई करने में भी बहुत मजा आता है. जिन लोगों ने इस तरह से प्यार वाली धीमी चुदाई का मजा लिया है वो जानते होंगे कि इस तरह की चुदाई में ताबड़तोड़ चुदाई से ज्यादा रस मिलता है. भाभी की चूत रस छोड़ते हुए पूरी चिकनी हो गई थी. उसकी चूत में लंड डालते हुए अब मुझे ऐसा लगने लगा था कि जैसे मैं किसी मक्खन के कटोरे में लंड को डाल रहा हूं.

गर्म चिकनी चूत की चुदाई का जो मजा भाभी उस रात को मुझे दे रही थी उसको अपने शब्दों में मैं लिख नहीं पा रहा हूं. मैं जोर से उसकी चूत को फाड़ देना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहा था. फिर मैंने उसके चूचों को पकड़ लिया और उसको कस कर बांहों में भरते हुए उसके चूचे भी साथ में दबाने लगा. भाभी का पूरा बदन मेरे बदन से सट गया था. उसके मोटे चूचे दबाते हुए मैं उसकी चूत में धीरे-धीरे लंड को घिसता रहा.

काफी देर तक ऐसे ही हम पड़े-पड़े हिलते रहे. भाभी की आवाज भारी होने लगी थी. उसकी आवाज से कामुकता साफ झलक रही थी. लेकिन अपने आप को कंट्रोल करके रखे हुए थी. उसकी मां को भी नींद नहीं आई थी. अब भाभी से जब रुका नहीं गया तो उसने पीछे हाथ लाकर मेरे चूतड़ों को अपने हाथों में पकड़ लिया और मेरी गांड को आगे की तरफ धकेलते हुए अपनी चूत के अन्दर मेरे लंड के धक्के मरवाने लगी.

मैं भाभी की बेबसी समझ सकता था. अगर उसकी मां वहां पर न होती तो मैं भाभी की चूत को फाड़ कर रख देता लेकिन हम दोनों ही मजबूर थे. मैंने भी थोड़ा और अंदर तक लंड को घुसाने की कोशिश की.

भाभी की गांड काफी भारी थी. इसलिए लंड पूरा जड़ तक भाभी की चूत में नहीं उतर रहा था. या फिर भाभी को और गहराई तक लंड लेने की आदत थी. वो बार-बार मेरी गांड को अपने हाथों के सहारे से अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी.

उसकी आवाज लड़खड़ाने लगी थी. लेकिन वो ऐेसे बर्ताव कर रही थी जैसे वो नींद आने के चलते बड़बड़ा रही है ताकि उसको मां को इस बात का शक न हो जाये कि उसकी बेटी एक मोटे और लंबे लंड के साथ नीचे फर्श पर पड़ी हुई अपनी चूत की चुदाई करवा रही है.

फिर मैंने तेजी से लंड को भाभी की चूत में चलाना शुरू कर दिया. मैंने भाभी को कस कर पकड़ लिया और तीन चार जोर के धक्के लगा दिये और फिर मेरे लंड ने जवाब दे दिया. मेरे लंड से गर्म गर्म वीर्य निकल कर भाभी की चिकनी चूत में भरने लगा. मैं झटके मारते हुए भाभी की चूत में वीर्य को गिराता चला गया.

मैंने सारा का सारा वीर्य उसकी चूत में खाली कर दिया. भाभी ने जैसे मेरे लंड को अपनी चूत में दबोच लिया था. ऐसा लग रहा था कि वो भी झड़ गई है. फिर हम दोनों नॉर्मल होते आ गये. अभी तक भी उसकी मां नहीं सोई थी. मुझे गुस्सा आ रहा था. लेकिन मैं चुपचाप भाभी की चूत में लंड को डाले हुए लेटा रहा.

जब काफी देर तक की उनकी बातें खत्म नहीं हुईं तो मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और अपने लंड को ऐसे ही उनकी चूत में रख कर सो गया.

सुबह जब उठा तो मैं अकेला ही वहां पर सोया हुआ था. मैंने उठ कर देखा तो चादर मेरे ऊपर थी और मेरा लंड अभी भी बाहर ही लटक रहा था लेकिन अब सोई हुई अवस्था में था इसलिए चादर के नीचे से पता नहीं लग रहा था.

वो दोनों मां-बेटी वहां कमरे में नहीं थी. फिर मैं भाभी के साथ ही अपने घर पर वापस आ गया. अब जब भी कभी मुझे मौका मिलता है मैं भाभी को कॉल कर लेता हूं. मुझे वो सेक्सी चुदक्कड़ भाभी पूरे मजे देती है.

अब तो मैं सोच रहा हूं कि कॉल ब्वॉय का धंधा ही शुरू कर दूं. मुझे भाभियों और आंटियों की चूत भी मिल जाया करेगी और इस तरह से मेरी चुदाई की इच्छा पूरी होने के साथ ही मेरी कुछ कमाई भी हो जाया करेगी.
 

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भाभी की चूत को उसके मायके में जाकर चोदा - 2




आपने मेरी पिछली स्टोरी में पढ़ा था कि कैसे मैंने भाभी के साथ उनके मायके में उनको चोदा था.

अब आगे

जब मैं सुबह नहा धोकर तैयार हो रहा था तो उसी दरमियान भाभी मेरे साथ लगातार हंसी मजाक करती हुई मुझे उकसा रही थीं.
मैंने भी देखा कि आस पास कोई नहीं है, तो उनको पीछे से अपनी बांहों में लेकर दबोच लिया और उनके बड़े बड़े मम्मों को आटे के जैसे गूँथने लगा.

वे भी मूड में थीं तो मेरे लंड को अपनी गांड से मसलने लगीं.
मैं और भाभी अब पूरे मस्त होकर एक दूसरे के बदन का सुख ले रहे थे.

मैंने उनकी एक चूची को मसलते हुए पूछा- आज तो सुबह सुबह से बिंदास हो रही हो भाभी … क्या बात है? क्या मम्मी पापा का डर खत्म हो गया है?
भाभी ने बताया कि उनकी मम्मी और पापा जी को अचानक ही किसी की मृत्यु के कारण बाहर जाना था, तो वे दोनों सुबह से ही चले गए.

यह सुनकर मैं समझ गया कि अब घर में सिर्फ मैं और भाभी ही बचने वाले थे.
अब हम दोनों की आंखों में बहुत कामुकता और शैतानी बढ़ने लगी.

मैंने उसी पल घर के मुख्य दरवाजे को बंद कर दिया और भाभी के पास आ गया.
हम दोनों एक-दूसरे को वासना से भूखी नजरों से देखने लगे.

अगले ही पल एक दूसरे को बांहों में जकड़ कर एक दूसरे को मस्त होकर चूमने चूसने लगे.
मेरी जीभ और भाभी की जीभ एक दूसरे के मुँह में लेकर हम दोनों स्मूच करने लगे.

मैंने उनकी गदरायी गांड को जोर से मसलते और थपथपाते हुए भींचना शुरू कर दिया.
वे भी मेरे साथ जोर से चिपक कर मुझे मसलने लगीं.

जैसे ही हम दोनों ने अपना चुंबन तोड़ा, मैं झट से उनके बड़े बड़े स्तनों को मसलते हुए उनकी गहरी नाभि और मांसल पेट को चूमने चाटने लगा.

वे भी जोर जोर से आहें भरने लगीं; मेरे सर में हाथ घुमाते हुए मेरे बालों को खींच कर अपनी ओर दबाने लगीं.

इधर मैंने नीचे से भाभी की साड़ी को उठाते हुए अन्दर हाथ डाला और सहलाते हुए उनकी जांघों को मसलने और सहलाने लगा.

भाभी की भरी हुई मांसल जांघों को मैं मस्त होकर सहलाते हुए ही अपनी गर्म गर्म सांसें छोड़ता जा रहा था जिससे भाभी सिहर रही थीं और उनकी जांघों की सिहरन से मुझे मजा आ रहा था.

मैंने उन्हें लिटा दिया और उनकी जांघों को चूमने लगा, उसी जगह से चाटते हुए ऊपर चूत की तरफ बढ़ने लगा.

मुँह के साथ मेरा हाथ भी भाभी की गदारायी गांड को दबा रहा था.
उनकी गांड की लकीर में मैं उंगली से छेड़खानी करने लगा.

भाभी जोर जोर से आहें भरती हुई मेरे मुँह को चूत की ओर दबाने लगीं.

उनकी चूत की मादक महक ने मेरे लंड में और ज्यादा आग लगाने का काम करना शुरू कर दिया था.
मैंने झट से उनकी पैंटी निकाली और चूत पर अपनी जीभ से एक बार चाट कर उनकी चूत को झटका लगा दिया.

भाभी अपना बदन सिहराते हुए मेरा सर जोर से चूत पर दबाने लगीं.
मैंने उनकी आंखों में देखा और पूरी जीभ उनकी रस टपकाती चूत में पेल दी.

भाभी की आह निकली और मैंने उसी समय उनकी चूत की फाँकों को चीरते हुए जीभ को चूत में घुसा दी.

मैं अपनी जीभ को ऐसे अन्दर बाहर करने लगा मानो कोई कुत्ता पानी पीते समय जीभ लपलपाता है.

भाभी जोर जोर से मस्त होकर मेरे बालों को खींचने लगीं.
उनके मुँह से ‘आहह आह योगू … ओह बेबी यस यस आह …’ निकलने लगा.

मैंने झट से अपने सीधे हाथ की बीच वाली फिंगर उनकी गांड में घुसा दी.
तब वे और जोर से कसमसाती हुई मेरे सामने छटपटाने लगीं.

उनके मुँह से बस कामुक आहें निकल रही थीं- आह आह … ओह बस यॉगू आह ओहम!

मैं भी अब जोर जोर से अपनी जीभ को उनकी चूत को चाटने लगा और हाथ से गांड को कचाकचा कर मसलने लगा.

वे भी 69 में हुईं और मुझे नंगा करके मेरे लंड को सहलाने लगीं.
भाभी ने जैसे ही मेरे लंड को पकड़ा, मैंने एक फुरफुरी सी ली और उसी पल भाभी ने लौड़े पर अपनी जीभ लगा दी.

भाभी ने अगले ही कुछ पलों में मेरे लंड को अपने मुँह में गप कर लिया और उसे चूसना चालू कर दिया.
उन्होंने मेरे लौड़े को अपने मुँह में जितना हो सकता था, अन्दर लेकर चूसना शुरू कर दिया.

मैं भी उनकी गांड पर चांटे मारते हुए एक चूतड़ को थपथपाने लगा.
अब हम दोनों को इस पोज में बहुत ज्यादा वासना चढ़ने लगी थी.

मैंने झट से पोजीशन बदली और उनको अपने नीचे लिटा लिया, उनके बड़े बड़े मम्मों को मसलते हुए उनके रसभरे होंठों को चूमने लगा, उसी पल जीभ मुँह में ठेल दी.

आह स्मूच करते ही हम दोनों को एक दूसरे की जीभ में लगा एक दूसरे के लंड चूत का स्वाद मिलने लगा.
नीचे मैं उनकी जांघों को अपनी जांघों से रगड़ कर लंड को चूत की लकीर से टच कराने लगा.

वे कसमसाती हुई छटपटाने लगीं.
अपनी कसमसाहट को वे मेरे होंठों से निकालने लगीं मेरे होंठ चूसते हुए मजा लेने लगीं.

मैंने उनकी आंखों में देखते हुए उनकी चूत में लंड को सैट करने लगा.
जैसे ही लंड ने चूत का मुँह अपने निशाने पर लिया, उसी समय मैं एक हल्के से धक्के के साथ चूत में लंड डालने लगा.

भाभी ने भी चूत खोल दी. फिर जैसे ही मैंने सुपारा अन्दर पेला, भाभी की एक मादक कराह निकल गई.

मैं धीरे धीरे चूत में अपना लंड घुसाने लगा.
वे जोर से कस कर पकड़कर मेरे मुँह में मुँह डालकर चूस रही थीं. साथ ही भाभी मेरी गांड को दबा रही थीं और मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ाती हुई मचल रही थीं.
साथ ही भाभी नीचे से अपनी गांड उठा कर मेरे लंड को पूरा अन्दर लेकर चुदवाने लगी थीं.

हम दोनों उस समय मिशनरी पोज में थे और मस्त होकर एक दूसरे को मस्त कसके जकड़े हुए थे. हमारे लंड और चूत दोनों अपनी अपनी आग बुझाने में जुट गए थे.
आपको सच बताऊँ, इस पोज में मर्द और औरत के बदन सबसे ज्यादा एक दूसरे से घिसते हैं.
ज्यादा से ज्यादा बदन घिसने से बहुत अच्छा संगम होता है.

ऐसे ही भाभी के बदन को अपने बदन से घिसते हुए मैं लंड पेल रहा था.
कभी वे नीचे आ जातीं … तो कभी ऊपर आकर मेरे लंड पर उछलने लगतीं.

जिस वक्त वे मेरे ऊपर चढ़ कर लंड ले रही थीं, तब उनके बड़े बड़े स्तनों को मैं अपने मुँह में लेकर खींच रहा था.
मैं उनके दूध को कभी हाथ में लेकर मसल देता, तो कभी दबाते हुए मरोड़ देता.

हम दोनों ने ऐसे ही बहुत देर तक रोमांटिक चुदाई की.
इस बीच वे दो बार अपनी चूत से कामरस भी छोड़ चुकी थीं.

वे मुझसे रुकने की कहने लगीं.
लेकिन मैं अभी झड़ा नहीं था तो मुझे भाभी की चूत में लगातार शंटिंग करने का मन था.

तब भी मैंने कुछ पल रुक कर उनकी चूचियों को चूसा और सहलाकर भाभी को जरा सुख दिया.
वे जल्द ही अपनी कमर नीचे से उठाने लगीं तो मेरी समझ में आ गया कि भाभी फिर से चार्ज हो गई हैं.

अब मैंने अपनी गांड को गोल गोल घुमाते हुए भाभी की चूत में अपना पूरा लंड डालकर कस कस कर शॉट लगाना चालू किया.
भाभी भी हम्म हम्म करती हुई मेरे धक्कों को झेलने लगी थीं.

कुछ ही देर में मामला चरम पर आने लगा और मेरे लंड ने रस छोड़ना शुरू कर दिया.
उसी समय भाभी भी पिघलने लगीं और मैंने अपने वीर्य से उनकी चूत को भरना चालू कर दिया.

मैं उस वक्त इतनी ज्यादा उत्तेजित अवस्था में था कि लंड को चूत में जड़ तक पेल कर रस फेंक रहा था और अपने होंठों से भाभी के होंठों को चूसते हुए उन्हें अपने जिस्म से लगभग रौंद रहा था.

शायद औरत इसी तरह से मर्द से चुदना और उसके नीचे पिसना पसंद करती है.
उस वक्त हमारे बदन थरथराते हुए हिलने लगे थे और हम दोनों नंगे एक दूसरे की बांहों में जकड़ कर बातें करते करते सो गए.

जब थोड़ी देर बाद हमें आराम मिल गया तो मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और हल्के हाथ से उनकी गांड को सहलाते हुए निप्पल को दांतों से काटने लगा.
वे आंख खोलकर मुझे देखती हुई मेरे बालों में उंगलियां फिराने लगीं.

मैंने भाभी से अलग होकर उनकी चूत को अपनी नाक से रगड़ा और अपनी जीभ को चूत की लकीर में डालकर चूसना शुरू कर दिया.
चूत में जीभ का अहसास पाते ही भाभी ने अपनी दोनों टांगें खोल दीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं.

मैंने उनकी मांसल जांघों पर दांतों से काटना शुरु कर दिया.
वे उम्म उम्म करती हुई अपनी जांघों को मेरे मुँह से अलग करने लगीं.

इसी तरह से कुछ देर में हम दोनों फिर से चुदास से भर गए और एक और पारी खेलने के लिए तैयार हो गए.

मैंने झट से भाभी की कमर में हाथ डालकर उन्हें घोड़ी बनने का इशारा किया और वे भी समझती हुई अपनी टांगें मोड़ कर चौपाया बन गईं.
मैं पीछे आ गया और उनकी गांड को चाटते हुए चूत तक जीभ फेरने लगा.

बीच बीच में मैं भाभी की गांड पर जोर जोर से चमाट भी लगाता जा रहा था.
उसकी गांड की जवानी देखकर मैं बौरा रहा था.
सच में क्या मस्त गदरायी गांड थी भाभी की … क्या बताऊँ आपको!

आपको तो पता ही है कि मुझे भरी हुए बदन वाली भाभी आण्टी कितनी पसंद आती हैं.

मैंने भाभी की गांड की लकीर के बीच में से लंड घुसा कर घिसना शुरू किया और जोर से लंड को चूत में डाल कर गांड को हाथ से पकड़कर हमला बोल दिया.

मैंने कचकचा कर रफ्तार से भाभी को चोदना शुरू कर दिया था.
वे मेरे इस अचानक हुए हमले से चिहुँक उठी थीं और आह आह करने लगी थीं.

मेरे हर झटके से भाभी की बड़ी बड़ी चूचियां जोर जोर से हिलती हुई हवा में झूलने लगीं.
‘फट फट पच पच …’

‘आह अह बेबी यस यस माय डियर चोदो आह और जोर से चोदो …’ ऐसी सीत्कारों से कराहती हुई भाभी अपनी गांड आगे पीछे करती हुई मेरा साथ दे रही थीं.

मैं अपने लंड को शताब्दी ट्रेन की रफ्तार से भाभी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा था.
वे आहें भरती हुई मजे ले रही थीं.

मैंने वैसे ही उन्हें झुकाया और उनके ऊपर से ही अपने हाथ नीचे ले जाकर उनके बड़े बड़े मम्मों को हथेलियों से मसलने लगा.

कुछ देर बाद भाभी ने लौड़े की सवारी करने की कामना जताई.
मैंने तुरंत पोज बदला.

अब वे मुझे नीचे लिटाकर मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं और मेरी आंखों में देखते हुए लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
लंड को बेहद मजा आ रहा था. कुछ देर बाद वे उठकर मेरे लंड पर चूत को सैट करके बैठ गईं.

जैसे ही लंड सैट हुआ, वे उस पर जोर जोर से उछलने लगीं.
मैं भी भाभी की गांड को पकड़ कर उन्हें अपने लौड़े का झूला झुलाने लगा.

कभी उनके थिरकते हुए दूध को पकड़ कर दबाते हुए चोदने लगता, तो कभी भाभी को अपनी तरफ खींच कर अपने मुँह में उनका थन दबा कर चुदाई का मजा लेने लगता.
कुछ देर बाद भाभी थक कर हांफने लगीं और मुझसे कहने लगीं कि उन्हें नीचे ले लो.

मैंने ओके कहा और बिना लंड चूत से निकाले मैंने उन्हें अपने नीचे लिया और कचकचा कर उनकी धकापेल चुदाई शुरू कर दी.
मैंने भाभी की दोनों टांगों को फैला कर टांगों के बीच में आते हुए सटासट दनादन अपना लंड चूत में अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.

वे भी कामोत्तेजना में पागल की तरह छटपटाती हुई मेरी पीठ पर अपने नाखून गाड़ रही थीं और कमर उठा उठा कर मेरा लंड ले रही थीं.
सच बताऊँ मुझे सेक्स करते वक्त अपनी पार्टनर के बदन से बदन रगड़ना बहुत पसंद है. इससे एक अलग ही अहसास और अपनापन लगता है.
पता नहीं आपको क्या लगता है … आप भी अपनी राय बताना.

हम दोनों की चुदाई की रफ्तार अपने चरम पर आ गई थी और किसी भी वक्त विस्फोट हो सकता था.
हमारी आवाजों से पूरा कमरा गूंज उठा था.

Xxx भाभी चोदन करती हुई जोर जोर से कसमसाती हुई बके जा रही थीं- आह योगू चोद मेरी जान … आह फाड़ दे … अह आह ओह जानू …
भाभी मुझे और जोश दिला रही थीं.

कुछ ही पलों में क्षरण होना शुरू हो गया और हम दोनों ने एक दूसरे को कुछ इस तरह से भींचा हुआ था मानो हम हवा को भी अपने बीच से नहीं निकलने देने की ठान चुके हों.

हम दोनों ने निढाल होने की अवस्था में आते हुए एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया था और थक कर एकदम से बेहोशी की स्थिति में चले गए.
हमारी आंखें मुँद गई थीं और कब नींद के आगोश में चले गए, कुछ पता ही नहीं चला था.

उसके बाद जब नींद टूटी, तो भाभी मेरे लंड से खेल रही थीं.
मैंने उन्हें अपनी ओर खींच और स्मूच करते हुए दूध दबा दिए.
वे हंस दीं और आई लव यू योगू कहने लगीं.
 

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सेक्सी मौसी को जमकर कर चोदा



यारो, मेरा नाम हरप्रीत है. मैं अब 27 साल का हूँ और मुम्बई में रहता हूँ.

यह कहानी पूरी सच है जो मेरे और मेरी मौसी के बीच हुई चुदाई की है.

मेरी मौसी का नाम रूपा है. यह नाम बदला हुआ है.
उनके 3 बच्चे हैं. दो लड़के और एक लड़की.

मौसी को मैंने बचपन से ही बहुत बार नंगी देखा था.
मैं जब से जवान हुआ, तभी से मौसी को चोदने की इच्छा रखता था.

इसलिए हर बार छुट्टी में मैं नानी के घर जाता था और मौसी के बाजू में ही सोया करता था.
तब मौसी की शादी नहीं हुई थी.

जब मौसी सो जाती थीं, तब मैं उनके दूध दबाया करता था और चूत में उंगली करता था.

वे उस वक्त मुझे रोकती नहीं थीं और मैं समझता था कि उन्हें मालूम नहीं चला है … इसी लिए मैं लगा रहा.
पर कभी उन्हें चोदने का मौका नहीं मिला.

इसलिए मैं उनके नाम की मुठ मारता था.
कभी कभी तो उनकी साड़ी पर ही अपना वीर्य गिरा देता था.

ऐसा मैंने बहुत बार किया, पर चूत में लंड पेलने का न तो मौका मिला और न ही हिम्मत हुई.

फिर उनकी शादी हो गई और वो मौसा जी के साथ रहने लगीं.
मैं भी उनके घर जाता रहा.

अब मैं गबरू जवान हो गया था लेकिन मेरी मौसी मुझे अभी भी उतना छोटा ही समझ कर प्यार करती थीं.
मैं भी उनकी इस बात का फायदा उठा कर उन्हें अपने गले से लगा कर चूम लिया करता था और उनकी और बड़ी हो चुकी चूचियों की रगड़ का अहसास कर लेता था.

हालांकि मैं उन्हें अभी भी चोद नहीं पा रहा था. कभी घर में मौसा जी होते, तो कभी उनके बच्चे.

फिर एक दिन मौसा जी सबको छोड़कर गांव रहने चले गए.
मौसी और बच्चे शहर में ही रह गए.

उनके बच्चे गांव में रह कर नहीं पढ़ पाते इसलिए वो शहर में ही रहने लगी थीं और मौसा जी गांव में अपनी खेती का काम देखने लगे थे.

मौसी के इस तरह से अकेले रहने से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं अपने घर से ऑफिस का काम बोल कर उनके घर चला जाता.
उधर दो तीन दिन रहकर आता.

इस तरह से मैं मौसी के नज़दीक आने लगा.

कुछ दिन बाद मैं महीने में 3 से 4 दिन मौसी के घर जाने लगा और मौसी के पास सोकर उनसे नज़दीकियां बढ़ाने लगा.

मौसी जिस तरह से मुझसे चिपक कर मिलती थीं, उससे मुझे समझ आने लगा था कि वो मुझसे चुदवा सकती हैं.

कभी कभी अब मैं उनके साथ ही सोने लगा था.
मौसी को भी मेरे साथ सोने में अच्छा लगता था.

मैं कभी कभी सोते समय मौसी की चूत में उंगली फेर देता, तो कभी उनके मम्मों पर हाथ फेर देता.

मौसी भी कुछ नहीं बोलती थीं तो उससे मेरा हौसला बढ़ने लगा था.
मैं अब उनके जागते समय भी उनके दूध कभी भी दबाने लगा था.

यह बात करीब चार साल पहले की है.

एक दिन मौसी बोलने लगीं- अब तेरी शादी करवानी पड़ेगी.
मैं हंस देता- मौसी आप तो हो, मुझे शादी की क्या जरूरत है?
वो बोलीं- मैं तेरी बदमाशी सब समझती हूँ.

इसी बीच एक बार कुछ ऐसा हुआ कि मेरी मौसी को पैसे की ज़रूरत पड़ गई.
मैंने उनकी मदद की और कहा- आप मुझे अपना ही क्यों नहीं मान लेती हैं?

मेरी इस बात से मौसी से भी मुझे ग्रीन सिग्नल मिलने लगे.
वे अब मेरे साथ और ज्यादा खुलने लगीं.

वे कभी सोते हुए मेरे लंड पर अपनी गांड लगा देतीं तो कभी मेरी गर्दन पर चूम लेतीं.
मैं भी उस समय उनसे पूरा लिपट जाता.

अब मैंने उनकी चूत पर सीधा हाथ लगाकर सहलाना शुरू कर दिया था.
वे समझ चुकी थीं कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ.
और तब भी वो पहल नहीं करना चाहती थीं और ना ही अपने मुँह से मुझे कुछ कहना चाहती थीं.

फिर वो दिन भी आ गया, जब मेरा और मौसी का मिलन हुआ.

वो दोपहर का वक्त था. मैं मौसी और उनकी लड़की एक ही बेड पर सोए हुए थे.
मैं बीच में था.

मैंने और मौसी ने एक ही चादर लिया था. मैं मौसी की चूत में उंगली कर रहा था.

तभी उनका हाथ आया और मेरी पैंट की चैन खोलने लगा.
मैं दम साधे हुए उनके हाथ की हरकत को महसूस करने लगा.

अचानक से उन्होंने मेरी पैंट के अन्दर हाथ डाला और वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं.
फिर धीमे से मेरे कान में बोलीं- यही पेलना था ना …. साले तू खुद देख ना कि तेरा कितना बड़ा है? ये मेरी में जाएगा भी … या तहस-नहस करके बाहर आ जाएगा. यदि ये मेरी में अन्दर घुस भी तो सब मटियामेट कर देगा.

मैंने बस हां बोला.

तब तक मौसी की लड़की बोली- तुम दोनों कितने हिलते हो. ठीक से सोने भी नहीं दे रहे हो.

उसकी इस आवाज से हम दोनों ही एकदम से घबरा गए और हम दोनों तत्काल चुप हो गए.
मौसी की लड़की का नाम जानू था. वह जागी हुई थी.

उसके जागने से मौसी को चोदने का मेरा सपना जैसे जाने ही वाला था.

तभी मौसी बोलीं- जानू को कुछ लाने भेज दे.
मैं हां कहता हुआ उठा और मैंने जानू से कहा- जानू, मुझे भूख लगी है, तू बाजार से कुछ अपनी पसंद का लेकर आ … और ये ले पैसे … तू अपना फेशियल करवाने की कह रही थी ना … तो वो भी करवा कर आ!

वह फेशियल करवाने की बात सुनकर एकदम से चहक उठी और झट से बाजार जाने की बात मान गई.

मैंने उसे 700 रुपए दे दिए और वो ये कहती हुई चली गई कि मुझे आने में कम से कम दो घंटा लगेंगे. तब तक आप कुछ ऑर्डर करके जोमटो से मँगवा लेना.

उसके जाने से मैं और मौसी बहुत खुश हुए.

जानू के जाने के बाद मैंने उठ कर दरवाजा बंद किया और वापस आकर मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया.
हम दोनों किस करने लगे और मैं मौसी की चूत में उंगली करने लगा.

मौसी कुछ ही पलों में पूरी गर्म हो गईं और बोलीं- अब जल्दी कर … मुझसे रहा नहीं जा रहा है. जानू भी वापस आ जाएगी.
मैंने मौसी की साड़ी ऊपर की और उनका ब्लाउज खोल दिया.

मौसी ने मेरी पैंट निकाली और लंड को लेकर अपनी चूत पर रख कर रगड़ने लगीं.
उनकी चूत भट्टी सी भभक रही थी.
मैं लंड अन्दर डालने लगा, तो वो जा नहीं रहा था.

मौसी बोलीं- इतना बड़ा लंड मैंने अब तक कभी लिया ही नहीं है. तू थोड़े आराम से कर!
मैंने हां बोल कर जोर से अन्दर पेल दिया.

मौसी थोड़ी चिल्लाईं और मुझे कसके पकड़ लिया.
मैं धक्के देने लगा.

मौसी की टाइट चूत में लंड पेलने में मस्त मज़ा आ रहा था.

कुछ ही देर में शायद मौसी ने रस छोड़ दिया था तो लंड को अन्दर जाने में चिकनाई मिल गई और सटासट लंड अन्दर बाहर होने लगा.

अब जैसे जैसे टाइम होता गया … मैंने भी धक्के देने तेज कर दिए.
मौसी की दोनों टांगें हवा में उठ कर 180 डिग्री पर फैल चुकी थीं.
और वे अपनी कमर उठा कर लंड का मजा लेने लगी थीं.

मौसी ‘आहह आहह अह उऊहह … और तेज कर …’ बोल रही थीं.
मैं भी फुल स्पीड में मौसी को चोद रहा था और उनके बूब्स चूस रहा था.

मौसी बोलीं- चल 69 करते हैं.
मैंने हां बोला और हम दोनों 69 में हो गए.

अब मैं नीचे था और मौसी मेरे ऊपर थीं.
मैं मौसी की चूत चाट रहा था और मौसी मेरा लंड.

दस मिनट चुदाई और दस मिनट 69 के बाद मौसी उठ गईं.
वे सीधी हुईं और मेरे लंड पर बैठ गईं.

लंड चूत में लेते ही मौसी ऊपर नीचे होने लगीं.

कुछ ही पलों बाद मौसी जोर जोर से उछलने लगीं और चूचियाँ मुझे पिलाती हुई मुझसे चुदती रहीं.

कोई 15 मिनट बाद मौसी थक गईं तो मैंने मौसी को अपने लौड़े के नीचे ले लिया और उनके ऊपर चढ़ गया.

इस बार मैं किसी सांड की तरह मौसी की चूत में लंड डाल कर उन्हें जोर जोर से धक्के देने लगा था.

कुछ ही देर में मौसी चिल्लाईं और गर्म गर्म पानी छोड़ कर हांफने लगीं.
पर मेरा अभी तक नहीं हुआ था.

मैं धक्के देता ही रहा और मौसी बोलती रहीं- आह जल्दी करो … मैं थक गई हूँ.

काफी देर के बाद मैं मौसी के अन्दर झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया.

दस मिनट बाद हम उठे और बाथरूम जाकर फ्रेश हुए.
फिर किस करके वापस बिस्तर पर आ गए.

मौसी बोलने लगीं- यह बात किसी को बताना मत!
मैंने हां बोलकर उनको किस किया और हम दोनों एक दूसरे से छेड़खानी करने लगे.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मौसी बोलीं- नहीं … मैं अभी थकी हुई हूँ, तो अभी मत करो!
मैंने कहा- एक बार और मौसी … सिर्फ़ एक बार.
मौसी मना करती रहीं पर मैंने कहा- ओके सिर्फ़ मुँह में लो और ऐसे ही मुझे शांत कर दो.

मौसी मान गईं और मेरा लंड मुँह में लेने लगीं.
मुझे मजा आ रहा था. मौसी को भी चुदवाने का मन हो गया और मौसी चूत और गांड को हाथ लगाती हुई बोलीं- ले अभी मेरा भी मन हो गया है.

मैंने ये सुनते ही कुछ नहीं देखा, बस मौसी को बेड पर डाला और पीछे से उनकी गांड में लंड पेल दिया.

मौसी जोर से चिल्लाईं- आह … बाहर निकाल … गलत जगह में पेल दिया है.
पर मैंने कुछ नहीं सुना और उन्हें पेलता रहा.

थोड़ी देर बाद मौसी को अच्छा लगने लगा और वो बोलने लगीं- आह और तेज कर आह तेज कर!

मैं मौसी की आवाज़ सुनकर और तेज हो गया और 30 मिनट बाद गांड में रस छोड़ कर लंड बाहर निकाल लिया.

मैं थक कर मौसी के ऊपर सो गया.
मौसी भी सो गईं.

मेरा लंड मौसी की गांड में ही था और हम दोनों गहरी नींद में सो गए थे.
कुछ देर बाद जानू आई और उसने दरवाजा बंद देखा तो वो पीछे के रास्ते से अन्दर आ गई.

उसने ये सब देख लिया पर वह कुछ नहीं बोली क्योंकि मौसी को चोदने से पहले मैंने जानू की सील तोड़ चुका था.
वह चुपचाप बाहर चली गई.

कुछ देर बाद मेरे फोन की घंटी बजने पर मेरी नींद खुली और मैंने जानू का फोन सुनकर दरवाजा खोला.
हम दोनों ठीक हुए और मैंने दरवाजा खोला.

तब तक मौसी बाथरूम में चली गई थीं.

जानू ने अन्दर आकर मेरे कान में कहा- मुझे तो चोदा ही … मेरी माँ को भी नहीं छोड़ा?
मैं ये सुनकर थोड़ा हंस दिया और बोला- बोलना मत किसी को!

तो वो बोली- नहीं बोलूँगी … पर तुझे हम दोनों को एक साथ चोदना पड़ेगा … और वो सब प्लान तू ही बना.
मैंने हां बोल दिया और जानू अन्दर चली गई. मौसी बाहर आ गईं. मैं और मौसी बात करने लगे.

उस दिन से मैं और मौसी पति पत्नी के जैसे रहने लगे.
मैं मौसी को पूरे जोर लगाकर पेलता रहता हूँ. कभी गांड, तो कभी चूत.
 

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मेरे सगे भाई ने मुझे बेहरमी से चोदा



मेरे प्यारे साथियो, मेरा नाम अस्मा है. मैं मुंबई की रहने वाली हूँ.

मेरी उम्र अभी 20 साल है.
हमारे परिवार में हम चार लोग हैं. मैं, मेरा भाई और अम्मी अब्बू.

यह बात मैं जो आपको बताने जा रही हूँ, कोई मनघड़ंत कहानी नहीं है बल्कि मेरे जीवन की घटी सच्ची घटना है.
जब मेरे सगे भाई ने अपनी छोटी बहन यानि मुझे बेहरमी से किसी दरिंदे की तरह चोदा था.

मैं सीधा ब्रो सिस Xxx कहानी पर आती हूँ.
मेरे भाई का नाम कैफ़ है और अभी उसकी उम्र 22साल की है.

यह पिछले साल तब की बात है, जब मैं जवान हो गई और मेरे भाई की उम्र भी जवानी से भरपूर थी.
मेरा भाई पोर्न एडिक्ट था और वो हर लड़की को हवस भरी आंखों से देखता था.

मैंने अभी अभी जवानी में पैर रखा था और मेरा भाई मुझे और मेरे बूब्स को घूरता था.
उस समय मैंने इतना ध्यान नहीं दिया.
मुझे उस समय सेक्स और इन सब चीजों के बारे में कुछ भी नहीं पता था.

एक दिन दोपहर को जब भाई नहाने गया था तो मैंने सोचा कि जब तक भाई नहा रहा है. जब तक मैं उसका कमरा साफ कर देती हूँ.

जब मैं कमरा की सफाई करने भाई के रूम में गयी तो मैंने देखा कि भाई का मोबाइल बेड पर चालू ही पड़ा है.

मैंने भाई का मोबाइल उठाया तो उसमें पोर्न वीडियो चल रही थी. मैंने उसको देखा और थोड़ा डर गयी, पर फिर पोर्न देखने लगी.

यह सब मैं पहली बार देख रही थी.
मुझे कुछ कुछ हो रहा था … मैं गर्म हो रही थी.

पोर्न देखते देखते मैंने अपनी ब्रा और पैंटी में हाथ डाला और अपने बूब्स मसलने लगी और अपनी चूत में उंगली करने लगी यह सब में पहली बार कर रही थी.
मुझे अपने आस-पास का कोई होश ही नहीं रह गया था.

इतने में मेरा भाई रूम में आ गया.
उसे देख कर मैं बहुत घबरा गयी, मैंने जल्दी से भाई का मोबाइल बंद किया और बेड ठीक करने में लग गयी.

मुझे डर लग रहा था कि कहीं भाई ने मुझे ये सब करते देख तो नहीं लिया.
लेकिन भाई ने कुछ नहीं बोला और मैं भाई के कमरे से बाहर आ गयी.

अब रात हो गयी थी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.

मेरी आंखों के सामने वही पोर्न वीडियो के सीन आ रहे थे कि कैसे एक व्यक्ति उस लड़की के बूब्स दबा रहा था और उसे किस कर रहा था. फिर उस व्यक्ति ने अपना लंड उस लड़की की चूत में डाल दिया और लड़की चीखने लगी.
लड़की के मुँह से अहह अहहस् ओह्म उफ्फ्फ की आवाज़ निकल रही थी.

वो सब सोचते सोचते मैं अपनी चूत में उंगली डालने लगी और मेरी बुर से पानी निकलने लगा.
यह मेरी जिंदगी का पहली बार का मामला था जब मैं पोर्न देख कर झड़ी थी.
अब मुझे भी इसमें मज़ा आने लगा था.

मुझे जब भी मौका मिलता, मैं भाई के मोबाइल में पोर्न देखने लगती.
कभी कभी तो मैं अब्बू के मोबाइल में भी पोर्न देख लेती.

अब मैं भी मेरे भाई की तरह पोर्न एडिक्ट बन गयी थी.
ऐसे ही मुझे पोर्न देखते देखते काफी समय हो गया और अब मुझे सेक्स के बारे में सब कुछ पता था.

अब मैंने भी अपनी पढ़ाई का हवाला देकर खुद के लिए एक स्मार्ट फोन ले लिया था और मैं अपने कमरे में रात को चुदाई की कहानी पढ़ती व चुदाई की फिल्म देखती, पूरी नंगी होकर अपनी बुर में उंगली करती व झड़ कर सो जाती.

अब मेरी जिंदगी का वह दिन आने वाला था जिसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकती थी.
यह तब की बात है, जब अम्मी अब्बू नाना के घर गए थे.

वे लोग हम दोनों भाई बहन को घर का ख्याल रखने के लिए यहीं छोड़ गए थे.

हमें पता था कि अम्मी अब्बू 15 दिन के लिए गए हैं. क्योंकि अम्मी अब्बू हर साल नाना के यहां जाते हैं और 15-20 दिन में ही वापस आते हैं.

अब होली वाला दिन आ चुका था. मुंबई में हम लोग बिना किसी भेदभाव के होली खेलते हैं.
भाई अपने दोस्तों के साथ होली मनाने चला गया और मैं भी अपनी सहेलियों के साथ होली खेल रही थी.

मैंने अपनी सहेलियों के साथ पूरे दिन मजे किए थे … और शाम को घर आ गयी थी.

घर आकर देखा तो भाई नहीं आया था.
मैंने भाई से फोन से पूछा तो उसने कहा कि उसे आने में देर हो जाएगी.

मैंने अपना मोबाईल खोला और नंगी होकर ब्लू-फिल्म देखने लगी.
दरवाजा बंद था तो किसी के आने की कोई चिंता ही नहीं थी.
जल्दी ही मैं झड़ गई और कपड़े पहन कर लेट गई.

मैं काफी थक गयी थी इसलिए मैं सोफे पर ही सो गयी और मेरी गहरी नींद लग गयी.

रात को जब आंख खुली तो उस समय 1:30 बज रहे थे और कोई दरवाजे की घंटी बजा रहा था.

जब मैंने जाकर दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि भाई का दोस्त भाई को घर पर लेकर आया है.
भाई ने बहुत ज्यादा शराब पी रखी थी और वो हद से ज्यादा नशे में था.

मैंने भाई के दोस्त को थैंक्स कहा और भाई को ले जाकर उसके कमरे में पलंग पर लिटा कर उसे सुला दिया.

अब मैं भी अपने रूम में सोने जा ही रही थी कि इतने में घर की बिजली चली गयी.
मुझे अंधेरे से काफी डर लगता है इसलिए मैं वापस भाई के रूम में सोने चली गयी.

बस यही मेरी जिंदगी की वह रात थी जब मेरे सगे भाई ने मुझे बेहरमी से दरिंदे की तरह चोद दिया था.

मैं भाई के पास बेड पर सो गयी.
कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि भाई का हाथ मेरे बूब्स पर था.

पहले तो मैंने नजरअंदाज किया और भाई का हाथ मैंने बूब्स पर से हटा दिया.
मुझे लगा कि भाई नींद में होगा लेकिन भाई नींद में नहीं बल्कि नशे में था.

अब वो नशे में ही कहने लगा- जब से मैंने तुझे मेरे मोबाइल में पोर्न देखते हुए देखा था, तब से मेरे दिमाग में तेरे लिए सोच बदल गयी थी. फिर जब मैंने तुझे बाथरूम में तुझे बिना कपड़ों के नहाते देखा था, जब से मैं तेरे नाम की मुठ मार रहा हूँ. आज प्लीज मुझे मत रोकना, मैं जो कर रहा हूँ … मुझे कर लेने देना.

यह बात सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए.
इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मेरे भाई ने मुझे जोर से जकड़ लिया और मेरी ब्रा और पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया.
वो मेरे बूब्स मसलने लगा और मेरी चूत में उंगली करने लगा.

अब मैं भी गर्म होने लगी थी. ब्रो सिस Xxx करने के ख्याल से मैं रोमांचित हो रही थी.

कुछ देर ऐसा करने के बाद मेरे भाई ने मेरी कुर्ती फाड़ दी और मेरी ब्रा खोल दी, जिससे मेरे दोनों बूब्स बाहर आ गए.
अब वह मेरे दोनों बूब्स को बारी बारी से अपनी जीभ से चाट रहा था और मेरी चूत में उंगली कर रहा था.

मैं भी उत्तेजित होने लगी थी.

मेरे भाई ने मेरी सलवार और पैंटी भी उतार दी और मेरी जवान और बिना सील टूटी छोटी गुलाबी गीली चूत को देखने लगा.

वो कहने लगा- आज तेरी चूत की सील तेरा सगा भाई तोड़ेगा … इस गुलाबी चूत को मुझसे छुपा कर क्यों रखा है!
यह कहकर भाई ने मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद सारे कपड़े उतार दिए.

जब मैंने अपने भाई का लंड देखा तो वो काफी बड़ा था.
इतना बड़ा लंड देखकर मैं डर गयी और उससे दूर हटने लगी.

मगर मेरे भाई ने मुझे पकड़ा और वो अपना लंड मेरे मुँह में देने लगा.

मैंने उसका लंड मुँह में लेने से मना कर दिया पर भाई ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
वह मेरे बाल पकड़ कर लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.

शुरू शुरू में मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था मगर बाद में मुझे उसका लंड चूसने में अच्छा लगने लगा.

मुझे भी ब्लू फिल्मों में लंड चूसने का सीन याद आ गया और मैं अपने भाई का लंड मजे से चूसने लगी.

करीब 5 मिनट बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गया और उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर ही नहीं निकाला.

मुझे ना चाहते हुए भी उसके लंड का पानी पीना पड़ा.
हालांकि मुझे अपने भाई का माल बड़ा अच्छा लगा और मैंने उसे सारा खा लिया.

अपने लंड का पानी पिलाने के बाद भी वो मेरे मुँह में अपने लंड को पेले रहा.
मुँह में ही मेरी जीभ उसके मुरझाए हुए लौड़े पर चलने लगी और उसका लंड वापस खड़ा होने लगा था.

अब मेरा भाई एक सांड बन गया था.
उसका लंड मेरे मुँह में ही एकदम लोहे सा कड़क होने लगा और जल्द ही वो लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया.
अब उसने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और मेरी चूत में डालने लगा.

मैं भाई से कहने लगी- भाई प्लीज मुझे छोड़ दो, मैं आपकी बहन हूँ.
हालांकि मैं भी उससे चुदने का मन बना चुकी थी लेकिन कुछ लज्जा के चलते मैं अपने भाई से ऐसा कह रही थी.

वह अपना लंड मेरी चूत पर रख कर धक्के देने लगा. उसका लंड मेरी चूत की चीर फाड़ कर रहा था.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं भाई से एक ही बात कह रही थी कि भाई प्लीज मुझे छोड़ दो, दर्द हो रहा है.

अब तक मेरी सील टूट चुकी थी और खून निकल रहा था.
मेरा भाई तेज तेज धक्के देते हुए मुझे चोद रहा था.

मैं दर्द की वजह से रो रही थी और भाई से रोते रोते कह रही थी कि भाई प्लीज मैं मर जाऊंगी.
पर मेरा भाई मेरी एक नहीं सुन रहा था और धक्के तेज किए जा रहा था.

अब मेरी आंखें बंद हो रही थीं और बस मुझे पच पच की आवाज आ रही थी.
मेरी बुर झड़ चुकी थी जिस कारण से उसके लंड पेले जाने से छप छप की आवाज आ रही थी.

करीब आधा घंटा तक मुझे बेहरमी से चोदने के बाद भाई मेरी चूत में ही झड़ गया.
इस दौरान मैं दो बार और झड़ चुकी थी.

पहली बार झड़ जाने के बाद बुर में चिकनाहट या जाने से उसके मोटे लंड से बुर चुदवाने में मुझे मजा आने लगा था.

तब भी नई नकोर बुर होने के कारण और उसमें लंड पिला होने के कारण दर्द की अधिकता ज्यादा थी.
कुंवारी बुर की चुदाई में दर्द भरा मीठा मजा जिसे कहते हैं, वो मुझे आज महसूस हो रहा था.

जब भाई मेरी बुर में झड़ा, तब वो आनन्द बेहद सुकून देने वाला था.
इसका अहसास सिर्फ चुद कर ही किया जा सकता है.

उस रात भाई ने मुझे दो बार पेला और दोनों ही बार उसने मेरी बुर में अपना रस छोड़ा था.

उसके बाद से मैं भाई से लगभग रोज ही चुदने लगी थी.
 

junglecouple1984

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देसी चाची की मदमस्त चूत चुदाई



दोस्तो, आज मैं जो आपको कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वह एकदम सत्य है.

मेरा विजय (बदला हुआ) है. मैं 24 साल का हूँ.

मेरी चाची का नाम शर्मीला है.
चाचा उन्हें शम्मो कह कर बुलाते थे.
मुझे भी शम्मो नाम अच्छा लगता था.
चाची हमारे पड़ोस वाले मकान में रहती थीं.

उनकी उम्र 37 साल के करीब है. चाची को देखकर ही मैंने मुट्ठी मारना सीखा है.
इस बात से आप समझ सकते हैं कि मेरी चाची क्या माल होंगी.

चाची के 3 बच्चे भी हैं. तब भी मादक जवानी किसी भी मर्द को पिघलने पर मजबूर कर सकती है.

यह देसी चाची पोर्न कहानी अब से एक महीने पहले की है.
मेरी एक चचेरी बहन की शादी थी और उस शादी में बहुत सारे मेहमान आए थे.
मैं भी शादी के काम में बिज़ी था.

दूसरे दिन शादी की सब रस्में पूरी हो चुकी थीं, बस कंगना खिलाने वाली रस्म चल रही थी.
उस समय वहां पर काफ़ी भीड़ थी.
चाची भी वहीं खड़ी थीं.

जब मैंने चाची को अपने पास खड़ा देखा, तो मैं आराम से चाची के पीछे चिपक कर खड़ा हो गया.
चाची का ध्यान रस्म पर था और मेरा ध्यान चाची पर था.

मैं चाची के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया था तो चाची की गांड मेरे लंड पर लग रही थी.
इससे मैं जोश में आ रहा था.

मैंने धीरे धीरे अपना हाथ चाची की गांड पर फेरना चालू कर दिया और चाची की गांड से अपना खड़ा होता लंड घिसने लगा.

आह उस वक्त क्या मस्त अवसर मिला था … बड़ा मजा आ रहा था

ऐसा मीठा लगने वाला खेल कोई 15 से 20 मिनट तक चलता रहा.
उसके बाद ये रस्म खत्म हो गयी और मेरी बहन की विदाई हो गई.

उस रात को मैंने चाची को याद करके दो बार मुट्ठी मारी और सो गया.

अगली सुबह जब मैं उठा तो टेंट का सामान वापस जाना था.

मैं और मेरे दूसरे कजिन टेंट के सामान की गिनती करने लग गए.

जैसा कि आप जानते ही हैं कि गांव में लोग अक्सर शादी का खाना घर ले जाते हैं. उसी चक्कर में प्लेट्स गायब हो जाती हैं.

हमारे यहां भी लगभग 30-35 प्लेट नहीं मिल रही थीं. खाने का इंतजाम घर में ही किया गया था.
प्लेट्स की गिनती को पूरा करने की ज़िम्मेदारी मेरी थी.

मैं घर घर जाकर प्लेट्स के लिए पूछ रहा था.

फिर मैं अपने घर भी आ गया क्योंकि कुछ मेहमान खाना लेकर घर में भी आ रहे थे.

इधर मेरे घर पर चाची भी बैठी हुई थीं.
मैंने चाची से पूछा- चाची आपके यहां भी कोई प्लेट है क्या?
चाची बोलीं- अन्दर जाकर देखनी पड़ेगी.
मैंने कहा- ठीक है, चलो देख लो.

मैं भी चाची के साथ उनके पीछे पीछे चल दिया.

चाची का और मेरा घर बिल्कुल मिला हुआ है, बस एक दीवार का फासला है.

चाची घर में अन्दर गईं, तो वहां कोई नहीं था.
मैंने बोला- सब कहां चले गए हैं?

चाची बोलीं- दोनों बेटियाँ तुम्हारे यहां पर गई हैं. वेउधर खाना बना रही हैं. बेटा सुबह ही कोचिंग के लिए चला गया था.

ये मुझे भी मालूम था कि उसकी परीक्षा थीं और वेअपनी कोचिंग मेरठ में रह कर करता था.
अंकल अपनी ड्यूटी पर निकल गए थे.

मैंने चाची से कहा- फिर तो आप अकेली हो गईं?
चाची ने कहा- हां.

मैंने मौके का फायदा उठाया और चाची को पीछे से पकड़ लिया.
चाची एकदम से डर गईं और बोलीं- ये तू क्या कर रहा है … पीछे हट!

मैं डर गया था और एकदम से पीछे हट गया.

चाची बोलीं- तेरे अन्दर शर्म नाम की कोई चीज़ नहीं है क्या? चाची हूँ मैं तेरी!
उनकी कड़क आवाज सुनकर मेरी गांड फट गयी.

मैंने चाची के सामने हाथ जोड़े और उनसे माफी मांगने लगा.
मैंने कहा- चाची, ये बात किसी को भी नहीं बताना प्लीज … वरना मेरी बहुत बदनामी होगी.

चाची कुछ ठंडी होती हुई बोलीं- ठीक है, नहीं बताऊँगी किसी को!
हम दोनों प्लेट ढूँढने में लग गए.

कुछ देर बाद वेबोलीं- मुझे राशन लेने जाना है. तू मुझे राशन दिलाने चल!
अचानक से राशन की बात सुनकर मैं एक बार को तो चौंका लेकिन मैंने उन्हें मना नहीं किया क्योंकि मेरी फटी हुई थी.

मैं बोला- चाची अभी 10 मिनट रुको. मैं अभी आता हूँ.
चाची ने कहा- ठीक है, आराम से आ जाना.

मैं थोड़ी देर के बाद काम खत्म करके चाची के यहां गया और कहा- चलो चाची … चलते हैं.

हम दोनों बाइक पर बैठ कर राशन के लिए चल दिए.
उधर थोड़ी भीड़ ज्यादा थी तो नंबर लगा कर बैठ गए.

चाची ने कहा- चल जब तक बाजार चलते हैं.
मैंने ओके कहा और चाची के साथ बाइक पर चल दिया.

चाची मुझसे सामान्य होकर बात करने लगी थीं तो सुबह वाला मामला कुछ ठंडा सा लगने लगा था.

थोड़ा मजा लेने के लिए मैं बाइक को बार बार ब्रेक लगा रहा था, जिसकी वजह से चाची मुझसे एकदम चिपक जा रही थीं.

ऐसे ही जब हम दोनों कुछ दूर पहुंचे, तो मैंने चाची से कहा- चाची आज आपने मेरा दिल तोड़ दिया.
चाची बोलीं- क्यों?

मैंने चाची से कहा- मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ. मगर आपने एकदम से डरा दिया.
चाची धीमे से बोलीं- किसी को पता चल जाएगा, तो बहुत बदनामी होगी!
मैंने कहा- किसी को पता तो तब लगेगा, जब हम किसी को बताएंगे. हम ऐसा नहीं होने देंगे.

चाची बोलीं- फिर भी ये सब ग़लत है.
मैं बोला- सही और ग़लत कुछ नहीं होता है.

मैंने चाची को शादी वाली बात भी बता दी कि कल कैसे मैं उनके पीछे खड़ा था और गांड पर हाथ फेर रहा था.
चाची बोलीं- मुझे हल्का हल्का महसूस तो हो रहा था मगर मैंने कुछ कहा नहीं.
मैं ये सुनकर चौंक गया.

फिर मैंने बोला- तो आपने मुझे हटाया क्यों नहीं?
उन्होंने कहा- मुझे भी मजा आ रहा था, जिसकी वजह से हटा नहीं पाई.

मैंने चाची से कहा- मैंने रात में दो बार आपके नाम से मुट्ठी मारी थी.
चाची ये सुनकर हंसने लगीं और बोलीं- तुम पागल हो सच में!
मैंने कहा- हां आपके प्यार में.

इतने में चाची ने वापस चलने को कहा- वापस चलो, अपना नंबर आ गया होगा.

मैं वापस चल दिया और राशन की दुकान आ गई.

चाची राशन की लाइन मैं लग गईं.
उनका नंबर आने ही वाला था.
मैं कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया.

तभी चाची ने मुझे बुलाया- ये राशन वाला अभी दस मिनट मैं आने को की बोल रहा है.
मैंने कहा- ठीक है हम इंतजार कर लेते हैं.

हम दोनों लाइन से बाहर खड़े होकर बातें करने लगे.
चाची को मैंने किसी तरह से चुदाई के लिए राजी कर लिया.

फिर कुछ देर बाद राशन लेकर हम दोनों घर आ गए.
मैं अपने घर गया तो देखा कि खाना बनने में अभी कुछ देर है.

मैं सबकी नज़रों से बचता हुआ अपने घर के बाहर आ गया और अपनी गली के खाली होने का इन्तजार करता रहा.

मुझे चाची के यहां जाने का मौका मिल गया.
मैं अन्दर गया तो चाची को देखा.
चाची मेरा ही इन्तजार कर रही थीं.

मेरे जाते ही चाची ने इतरा कर पूछा- आ गए?
मैंने बोला- जी हां.

वे बोली- क्या सच में तुम मुझे प्यार करते हो?
मैं बोला- हां, अपनी जान से भी ज़्यादा!

वे बोलीं- अच्छा कब साथ रहोगे … शादी तक?
मैं बोला- नहीं जान … जिंदगी भर साथ निभाऊंगा!

वेबोली- मेरे सर पर हाथ रख कर कसम खा!
मैंने उनके सर पर हाथ रखा और कसम खा ली.

चाची मेरी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगीं.

अब मैंने कहा- अब तो दरवाजा बंद करके आ जाओ मैडम जी … या फेरे भी अभी ही लेने हैं?
वे हंस कर बोलीं- ठीक है मेरे राजा … मैं अभी दरवाजा बंद कर आती हूँ.

वे मेरी तरफ देखती हुई दरवाजा बंद करके आ गईं और मेरे सामने खड़ी हो गईं.

जैसे ही वे सामने खड़ी हुईं, मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपनी बांहों में खींच लिया.
चाची किसी कटी हुई डाली की तरह मेरे सीने से या लगीं.

मैंने एक पल की भी देर नहीं की और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वे भी मेरे साथ लग गईं.

हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया.
चाची के होंठ गर्म थे और रस भरे थे.

मैं आज पहली बार किसी को किस कर रहा था तो मैं पूरा मदहोश हो गया था.

लगभग दस मिनट किस करने के बाद वे मुझसे थोड़ा दूर जाकर खड़ी हो गईं.
मैंने चाची को सवालिया नजरों से देखा कि क्या हुआ?

चाची बोलीं- तुमने मुझे इतनी जोर से किस किया … आज तक मैंने ऐसा किस नहीं किया. मुझे बेहद सनसनी होने लगी थी.

मैं हंस दिया और उनसे कहा- चाची, मैंने तो आज किस ही पहली बार किया है. मैंने तो आज तक किसी के साथ चुम्मी की ही नहीं थी.
यह सुनकर चाची एकदम से दौड़ कर आईं और मेरे सीने से लग गईं- क्या सच में तू अभी तक सील पैक लौंडा है?
मैंने कहा- हां चाची, आज आप मेरा उद्घाटन करने वाली पहली महिला होंगी.

चाची ने यह सुनते ही मेरे कपड़े खोलना शुरू कर दिए और खुद का सूट भी निकाल दिया.
जल्द ही वे ब्रा मैं खड़ी थीं.

उन्होंने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी. मैंने उन्हें अपनी बांहों में भरा और उनकी ब्रा के हुक खोल दिए.
ब्रा खुलते ही चाची के दोनों रामू श्यामू हवा में फुदकने लगे.

इसके बाद मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खींचा और चाची को पैंटी में कर दिया.

वे खुद अपनी पैंटी की इलास्टिक में अपने हाथ फंसा कर उसे नीचे करती हुई उतारने लगीं और मेरे सामने वे एकदम नंगी हो गई थीं.

मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और चाची को किस करने लगा.
चाची बोलीं- किस करने में ही मजा लेगा या आगे भी कुछ करना है?

मैंने कहा- चाची यार, मेरा फर्स्ट टाइम है. मुझे मजे तो ले लेने दो.
वेबोलीं- आ, तुझे दूध पिलाने का मजा देती हूँ.

चाची ने मुझे अपने मम्मों से लगा दिया.
और मैंने उनके दूध को पीना शुरू कर दिया.

चाची की चूचियां एकदम रसीली थीं.
मुझे उनके मम्मे चूसने में बड़ा मजा आ रहा था, लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ.

चाची की मादक आवाजें निकल रही थीं.
वे ‘आआह … आआह …’ कर रही थीं और बोल रही थीं- आह चूसो मेरी चूचियों को … आह मजा आ रहा है.

मुझे भी चाची की बात सुनकर जोश आ रहा था.
इस बीच मैं एक बार झड़ भी चुका था.

आप समझ सकते हैं कि मेरा फर्स्ट टाइम था, मैं कब तक रुक सकता था.

हालांकि मैं अभी भी चाची के चूचे चूसे जा रहा था.

मेरे लंड ने फिर से कड़क होना शुरू कर दिया.

इतने में चाची ने अपना हाथ मेरे लंड तक पहुंचा दिया और मेरा लंड पकड़ कर बोलीं- तेरा लंड तो बहुत लंबा इतना लंबा कैसे हो गया?
मैं बोला- आपकी इस मादक जवानी की आग में जलता जलता ये इतना बड़ा हो गया. मैं आपके नाम से मुट्ठी जो मारता हूँ.

चाची ने लंड को टटोला और पूछा- नापा है कभी कि कितने इंच का हो गया है?
मैंने कहा- हां चाची मेरा लंड 7 इंच इंच लंबा है और 4 इंच मोटा है.

चाची बोलीं- ये तो मेरी फाड़ ही देगा.
यह कह कर वे मेरे लंड को आगे पीछे करने लगीं.

उनको लंड हिलाने में मजा आ रहा था और मेरा हथियार फनफना रहा था.

मैंने चाची से कहा- मुझे अन्दर डालना है.
चाची ने कहा- मैं तो कब से तड़प रही हूँ तेरे इस लंड को लेने के लिए!

मैंने कहा- कब से?
चाची ने कहा- चार साल से!

मैं सुनकर चौंक गया.
मैंने कहा- वो कैसे?

वे बोलीं- मैंने एक बार छत पर तुझे तेरे लंड की मुट्ठी मारते देखा था.
मैंने कहा- अरे … कब?
वे बोलीं- गर्मी में.

यह सुनकर मैं शॉक्ड हो गया और चाची से बोला- तो आज मिटा लो आप भी अपने दिल की हसरत!

चाची ने तभी मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सैट कर दिया.
मैंने उनसे कहा- बस एक मिनट रूको.
वे बोलीं- क्या हुआ?

मैं नीचे झुका और चाची की चूत पर अपनी जीभ लगा दी.

चाची सिहर कर बोलीं- इस्स … आज तो तू जान लेकर ही छोड़ेगा … अपने चाचा की तरह तू भी चाटेगा!
मैं बोला- हां, बिना इसे चाटे तो काम पूरा ही नहीं होगा.

बस मैं चूत पर ऐसे जीभ फेरने लगा मानो चाची ने अपनी गर्म चूत में चाशनी लगा रखी हो.

चूत मैं जीभ जाते ही चाची की ‘उउह … आह …’ शुरू हो गई.
वे मेरे बालों में हाथ फेरती हुई और मेरे सर को अपनी चूत में घुसेड़ती हुई बोलीं- आह चाटो इसको बड़ी आग फैंकती है ये … इसको आज फाड़ दो!
मैं ये सुनकर और जोश में आ गया और स्पीड से चूत चाटने लगा.

इस बीच चाची झड़ने लगीं ‘ऊऊह … ओह मर गई मैं तो … मार दिया तूने मुझे.’
चाची की चूत का रस बाहर बहने लगा और मैंने चाची का सारा रस पी लिया.

अब चाची बोलीं- और ना तड़पा … जल्दी से पेल दे अपना शेरू.
मैंने लंड को चूत के छेद पर सैट कर दिया और हल्का सा ज़ोर लगाया ही था कि लंड फिसल गया.

फिर चाची ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और चूत की फाँकों में लगा कर कहा- अब पेल.
मैंने ज़ोर लगा दिया.

गीली चूत पर सटीक निशाना था और लंड एकदम कड़क था.

मेरा आधा लंड चूत के अन्दर घुसता चला गया.
चाची की चीख निकल गई- ऊऊऊ चूत फट गई मेरी आह मर गई … तू रुकना मत आह डाल दे पूरा!

मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा और लंड पूरा अन्दर चला गया.
चाची कसमसा रही थीं और दर्द से ‘ऊऊह आह …’ कर रही थीं.

उस वक्त मैं तो मानो विजय रथ पर सवार था.
मुझे चाची की चूत चोदने में बड़ा मजा आ रहा था.

लगभग 5 मिनट के बाद मैं झड़ गया और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे.
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से किस करने लगे.

इतने में डोरबेल बजी.
हम कुछ नहीं बोले, बस अलग हो गए.

फिर जब दूसरी बार बेल बजी तो चाची ने पूछा- कौन है?
उधर से आवाज़ आई- मैं हूँ चाची, अजय.

यह मेरा कज़िन था.
उसने कहा- चाची खाना खा लो, खाना बन गया है.
चाची बोलीं- हां ठीक है, तुम चलो. मैं आती हूँ.

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और सामान्य हो गए.

चाची ने मुझे मेरे गाल पर किस करना शुरू कर दिया.
मैंने चाची से कहा- अभी चाची कहीं कोई आ जाएगा तो मजा खराब हो जाएगा.
वे बोलीं- कौन आ जाएगा?

मैंने कहा- खाने का बुलावा आ गया है, चलो खाना खाने चलते हैं.
उन्हें जैसे खाना याद आ गया, वे सर हिलाती हुई बोलीं- ठीक है चल.

तभी चाची ने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया.
मैंने चौंक कर कहा- चाची आपको पढ़ना तो आता नहीं है, फिर मोबाइल कैसे चलाती हो?
वेबोलीं- मैं बस इसमें सुनती हूँ, किसी को करती नहीं हूँ.

मैंने कहा- ठीक है, हम जल्द ही मिलते हैं. आपको अपना नंबर फास्ट डायलिंग में डाल देता हूँ.

मैंने उन्हें बताया कि ये वाला बटन दबाए रखना तो मेरे फोन में घंटी चली जाएगी. फिर मैं काट कर आपको फोन लगा लूँगा या बात कर लूँगा.

चाची को फोन करना समझ आ गया था.

उसके बाद अब तक मैं चाची को 12 बार चोद चुका हूँ.
 
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