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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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सर्दी में मामी की चूत चोदकर प्रेगनेन्ट किया




नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम अमन है और आज मैं पहली बार अपनी मामी की चुदाई के बारे में आप को Xforum की सहायता से बताने जा रहा हूं.
कुछ गलती हो तो माफ़ करना क्योंकि ये मेरी पहली रियल इन्सेस्ट चुदाई स्टोरी है।

गोपनीयता के कारण मैंने सभी नाम बदल दिये हैं. बाकी की कहानी वैसी ही है जैसी कि घटित हुई थी. अब आप कहानी का आनंद लें.

मेरी मामी का नाम कुसुम (बदला हुआ नाम) है. उनकी उम्र 26 साल और मेरी 21 साल है.

मुझे साइज का तो उतना पता नहीं था इसलिए मैं बता नहीं पाऊंगा कि उस समय उनका साइज कितना था लेकिन उनके चूचे पूरे हाथ में भर जाते थे।

बात तब की है जब मैं 12वीं के एग्जाम देने वाला था. उसमें कुछ ही दिन बचे थे।

उस वक्त मैं शहर में कमरा लेकर पढ़ रहा था.

मेरे एग्जाम होने में मुश्किल से दो महीने का वक्त ही बचा हुआ था और कमरे पर रहते हुए मेरा समय खाना बनाने और दूसरे कामों में बहुत ज्यादा व्यर्थ हो जा रहा था.

इस वजह से मेरे घरवालों ने कुछ दिन मेरी मामी को मेरे यहां भेजने का फैसला किया.

मेरी मां ने मामा से बात कर ली और वो मामी को कुछ दिन के लिए मेरे यहां पर भेजने को राजी हो गये.

जहाँ मैं रहता था वहां मैंने एक रूम लिया हुआ था जिसमें मैंने एक बेड एक टेबल और एक कुर्सी डाल रखी थी.
रूम बड़ा होने की वजह से काफी जगह और भी बची थी.

मामी के आने के बाद हम लोगों को सोने की दिक्कत तो होनी ही थी तो उसके पहले ही मैंने एक रजाई और गद्दा उनके लिए लिया था.
क्योंकि एग्जाम मार्च में होने थे और मामी को जनवरी में आना था तो ठंड बहुत थी उस समय।

जब वो अपने घर से चलीं तो मम्मी ने बोला था कि उनको जाकर बस स्टेशन से रिसीव कर लेना.
मैं उनके आने से आधा घंटा पहले ही बस स्टेशन पर पहुंच गया.

जब मामी बस से उतर रही थीं मैं उनको देखता ही रह गया.

पहले मामी पतली थी और अब मामी का बदन भर गया था. उनका फिगर कुछ ज्यादा ही उभर आया था. वो एकदम से टॉप क्लास सेक्सी औरत बन गई थी.
मेरा तो मन किया कि वहीं जोर से पकड़ कर भींच लूं लेकिन ऐसा हो नहीं सकता था।

फिर हम लोग सीधे अपने रूम पर आये और थोड़ा आराम किया.
फिर मामी ने पूछा कि अमन घर में बनाने के लिए क्या है और क्या खाना पसंद करोगे?

मैं बोला- जो रखा हुआ है वही बना दीजिए. अब कल सब सामान ले कर आऊंगा।

मामी ने खाना बनाया. हम लोगों ने साथ में खाया.
फिर हम लोग आपस में बातें करने लगे.

कुछ देर बात करने के बाद वो कहने लगी- अमन मैं बहुत थक गयी हूं, बस का सफर काफी थकान भरा था इसलिए मैं अब थोड़ी देर आराम करना चाहती हूं.

मैंने कहा- ठीक है, आप सो जाइये, कहां सोना है आपको? बेड पर या नीचे वाले गद्दे पर?
मामी बोली- मैं नीचे वाले गद्दे पर सो जाऊंगी, तुम बेड पर सो जाना.
मैंने कहा- ठीक है।

हम लोग सोने के लिए अपना अपना बिस्तर सही करने लगे और अपने अपने बिस्तर में घुस गए.
रात को मैंने देखा कि मामी को फर्श पर ठंड लग रही थी; उनका पूरा बदन सिकुड़ा हुआ था.

मैंने मामी से कहा कि आप ऊपर सो जाओ तो उसने मना कर दिया.
मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा था कि मैं ऊपर बेड पर सो रहा हूं और मामी नीचे गद्दे पर सो रही थी.
मैंने उनको फिर से बोला लेकिन उन्होंने फिर भी मना कर दिया.

किसी तरह से फिर मैंने उनको रिक्वेस्ट की और मनाया तो वो मान गयी और ऊपर सोने के लिए तैयार हो गयीं.
मैं नीचे जाकर फर्श पर बिछे गद्दे पर सो गया.

मगर फर्श बहुत ठंडा था और गद्दा भी नीचे से ठंडा पड़ा हुआ था.
मेरी तो ठंड में गांड फटने लगी. मैंने सोचा कि पता नहीं मामी ने इतनी देर इतनी ठंड को कैसे सहन कर लिया.

फिर मैं भी पैर सिकोड़ कर सो गया.
अगली सुबह मैंने मामी से पूछा कि आप इतनी ठंड में कैसे सोती रही?
तो वो बोली- अगर तुम बेड पर लेटने के लिए न पूछते तो नहीं सो पाती.

अगले दिन हमारा वक्त ऐसे ही गुजर गया. दिन में मैंने पढ़ाई की और मामी के साथ फिर शाम को मार्केट से सामान लेने चला गया.

रात को फिर से सोने की बारी आई तो मामी कहने लगी कि अगर तुझे ठंड लगती है तो मैं ही नीचे सो जाऊंगी. तुम ऊपर बेड पर सो जाना.

मैंने सोचा कि मैं मामी को नीचे नहीं सुला सकता. मगर खुद नीचे सोने में मेरी भी गांड फट रही थी.
फिर हम दोनों ने सोचा कि उसी बेड पर सो जायेंगे.

हमने अलग अलग कोने में सोने का फैसला किया.

मगर बेड सिंगल था तो उस पर ज्यादा जगह नहीं थी. फिर हम दोनों एक दूसरे की तरफ गांड करके सोने लगे.

रात को जब बगल से हवा लगने लगी तो मामी पीछे आ गई.
मुझे भी हवा लग रही थी तो मैं भी पीछे आ गया. हम दोनों की गान्ड टच होने लगी एक दूसरे से।

मामी ने अपना मुंह मेरी साइड कर दिया. मैं तब भी वैसे ही सोया था लेकिन रात को कब मैं घूम गया पता ही नहीं चला.

एक दूसरे की सांसें हमारे एक दूसरे के चेहरे पर पड़ रही थीं.

मैंने रात को नींद में ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन जब हम सुबह उठे तो बिल्कुल पास पास में ही थे।
तब मामी तुरंत उठ कर चली गई.

उसके बाद हम दोनों एक ही बेड पर सोने लगे.

फिर एक दिन ऐसा हुआ कि बात हमारी सोच से बहुत आगे तक चली गयी. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा।

एक रोज दोपहर में जब हम सो रहे थे तो मेरा हाथ पर मामी का सिर के आ गया.
मुझे जब पता चला तो मेरा हाथ उनके सिर के नीचे दबा हुआ था और मैंने मामी को उठाना ठीक नहीं समझा.

मैंने पाया कि मामी की गांड मेरे लंड के बहुत करीब आ गयी थी. उनकी गान्ड मेरे लंड को छूने लगी थी.
मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मेरा लंड खड़ा होने लगा; मन में चुदाई के ख्याल आने लगे.

फिर मैंने थोड़ा सा और अपनी गांड को आगे की ओर धकेला और अपना आधा तनाव में आ चुका लंड मामी की गांड से थोड़ा और ज्यादा सटा दिया.
मैंने थोड़ा सा आगे आकर थोड़ा और लंड को चुभाया. मैं भी गांड पर लंड से दबाव लगा.

मुझे महसूस हुआ कि मामी की गांड भी पीछे की ओर ही जोर लगा रही थी.
शायद मामी जाग रही थी.
मगर मैं अभी पूरे भरोसे के साथ नहीं कह सकता था.

फिर मैंने लंड का दबाव बढ़ाना रोका और देखने लगा कि क्या मामी भी मेरे लंड पर अपनी गांड को सटाने की कोशिश कर रही है?

मैंने पाया कि मामी की गांड मेरे लंड की ओर सटती चली आ रही थी.
अब मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने मामी की गांड की दरार के ठीक बीच में लंड का टोपे वाला नुकीला भाग लगाया और आगे हाथ ले जाकर उनकी चूची पकड़ ली.

मामी की चूत हाथ में आते ही मैं उसको जोर जोर से दबाने लगा और उनकी गांड पर लंड के धक्के देने लगा जैसे कि मैं उनको चोदने की कोशिश कर रहा हूं.

वो एकदम से हड़बड़ा कर उठी और मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी.
मामी बोली- ये क्या कर रहा है अमन तू … ये क्या हरकत है? मुझे नहीं पता था कि तू इतना बिगड़ चुका है. मैं आज ही तेरी मां से इसकी शिकायत करूंगी.

मैं तो घबरा गया.
मैंने सोचा था कि मामी चुदना चाह रही है और मैं भी मौके का फायदा उठा लूं लेकिन यहां तो सारी बात ही उल्टी पड़ गयी थी.
अब तो मेरी ही गांड की पिटाई होने वाली थी.

होश संभालकर मैंने बात को संभालने की कोशिश की और बोला- सॉरी मामी, मैं तो नींद में था. पता नहीं कैसा सपना देख रहा था कि हाथ आगे चला गया. मुझे माफ कर दो मामी. मेरी कोई गलती नहीं है, मैंने ऐसा कुछ भी जानबूझकर नहीं किया है.

फिर बहुत रिक्वेस्ट करने के बाद वो मानीं और मैंने उनको मेरे मामा की कसम दे दी कि वो इस बारे में किसी को नहीं कहेंगी।
उस दिन पर कुछ नहीं हुआ.

फिर रात को सोते समय फिर से वही होने लगा. मैं जब सोया हुआ था तो मामी की गांड मेरे लंड से सट गयी. मैं अबकी बार संभला और सीधा होकर लेट गया ताकि लंड गांड पर न जा लगे.

दस मिनट के बाद अचानक मेरी नींद फिर से टूटी. मैंने पाया कि मामी का हाथ मेरे लोअर पर ठीक मेरे झांटों के पास रखा हुआ था. ये अहसास पाकर मेरे लंड में तनाव आने लगा.

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मामी के हाथ को हटाऊं या लंड को खड़ा होता रहने दूं. मैं डर भी रहा था और मजा भी लेना चाहता था. मैंने उनके हाथ को हटाया नहीं.

मेरा लंड पूरा तन गया और झटके देने लगा. मामी का हाथ वहीं रखा हुआ था.

फिर मैंने धीरे से उनके हाथ को अपने हाथ से थोड़ा सा नीचे की ओर सरका दिया.
अब मामी का हाथ मेरे उठे हुए तंबू पर टिक गया.

मेरे लंड में झटके लगने लगे और मन करने लगा कि बस अब मामी मेरे लंड को पकड़ कर इसकी मुठ मार दें.

फिर वो हुआ जिसका मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था. मामी के हाथ की पकड़ मेरे लंड पर कस गयी. उसने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही हाथ में भर लिया और फिर पास आते हुए मेरे कंधे पर सिर रखकर मेरे कान में धीरे से सुबह के लिए सॉरी कह दिया.

मैं समझ गया कि वो दिन की बात के लिए सॉरी कह रही हैं.
मैंने उनके कंधे को सहलाना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को मेरी लोअर के ऊपर से ही सहलाने लगीं.

मेरे हाथ फिर उनकी चूचियों पर पहुंच गये.
अब मैं मामी की चूचियों को दबाने लगा. वो भी धीरे धीरे गर्म होने लगी.

फिर उसने मेरे लोअर के इलास्टिक के नीचे से ही मेरे अंडरवियर में हाथ डाल लिया और लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी.
मेरा लंड एकदम गर्म रॉड की तरह तप रहा था.

फिर हम दोनों के होंठ मिल गये और हम दोनों एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. अब हम दोनों के हाथ एक दूसरे के चेहरे पर आ गये थे. हम दोनों एक दूसरे के चेहरे को चूम रहे थे.

उसके बाद मैंने मामी के कपड़े उतारने शुरू कर दिये. उसकी साड़ी को खोला और ब्लाउज के ऊपर से उसके मम्मे दबाये.
वो भी काफी गर्म थी इसलिए जल्दी से सेक्स का मजा लेना चाहती थी.

मामी ने अपना ब्लाउज और ब्रा जल्दी से खोल दिया और चूचे आजाद कर दिये.
मैंने उनकी चूचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया. एक चूची को पीते हुए मैं दूसरी को हाथ से दबा रहा था.

अब मेरा हाथ नीचे उनके पेटीकोट के ऊपर से उनकी चूत का स्पर्श पाने की कोशिश में लगा हुआ था.

मैंने मामी के पेटीकोट के नाड़े को खोलने की कोशिश की तो मामी ने नाड़ा खुद ही ढीला कर दिया.

तुरंत मैंने हाथ अंदर दे दिया. मेरा हाथ सीधा उनकी चूत पर पहुंच गया जिस पर मामी ने पैंटी भी नहीं पहनी थी.
फिर मैं उनकी चूत को सहलाते हुए उनके चूचे पीने लगा.

मामी एकदम से सिसकारने लगी- आह्ह … अमन … आह्ह … स्स … आह्ह … चूस ले … पी जा … इनको।
मैं जोर जोर से मामी के बूब्स का दूध निचोड़ता रहा.

जब फिर उनसे रहा न गया तो उन्होंने मेरी टीशर्ट उतरवा दी और मुझे ऊपर से नंगा करके चूमने लगीं.
फिर उन्होंने मेरे लोअर को भी नीचे खींच दिया और मेरे अंडरवियर को भी खींचकर उतार दिया.

मेरे तने हुए लौड़े को मामी मुंह में भरकर रंडी की तरह चूसने लगी. मेरे हाथ मामी के सिर पर आ गये और मैं लंड चुसवाने का आनंद लेते हुए उनके सिर को अपने लंड पर दबाता रहा।

अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने उनको हटाया और उनकी टांगों को चौड़ी करके उनकी चूत में मुंह लगा दिया.
मैं मामी की चूत चाटने लगा. मामी जोर जोर से आह्ह … आह्ह … आईई … स्स् … आह्ह करके सिसकारने लगी.

वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगीं.

अब दोनों से ही नहीं रुका जा रहा था. मैंने मामी की चूत में लंड डालने का सोचा ही था कि मामी ने मेरे मुंह को अपनी चूत से हटा दिया और मुझे नीचे लिटाकर मेरे लंड पर आ बैठीं.

मामी ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के द्वार पर लगा लिया. फिर उसने अपनी गांड आगे धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में धीरे धीरे अंदर लेना शुरू कर दिया.

देखते देखते मामी ने मेरे लंड को अपनी चूत में उतरवा लिया और फिर आगे पीछे होकर मेरे लंड से खुद ही चुदने लगीं.
वो चुदते हुए मस्त मस्त आवाजें करने लगी- आह्ह .. अमन … चोदो … आह्ह … चोदो मुझे … तुम्हारे मामा में वो दम नहीं है जो मेरी प्यास को बुझा सके।

मैं भी मामी की कामुक बातों से प्रेरित होकर उनकी गांड को पकड़ कर तेजी के साथ चूत में लंड के धक्के देने लगा.
मामी की चूचियां एकदम से तनकर टाइट हो गयीं थी जो हर धक्के के साथ हवा में डोल जाती थीं.

कुछ देर चुदने के बाद वो नीचे आकर लेट गयी और मुझे ऊपर आने को कहा.
मैंने भी देर न की और उनकी टांगों को फैलाकर उनकी चूत पर लंड लगाया और ऊपर लेट गया.

मैं तेजी से मामी की चूत में लंड के धक्के लगाते हुए फिर से एक बार चोदने लगा.
मामी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को पीने लगी.
मैं भी उनके होंठों को चूसते हुए उनकी चूत को चोदता रहा.

अब मामी की पकड़ और ज्यादा कसने लगी थी. फिर मामी ने मेरी गांड पर अपनी टांगों को लपेट लिया और मुझे कसकर भींचते हुए जोर से आह्ह … आह्ह … करते हुए झड़ गयी.

मामी की चूत से रस छूट गया और मेरा लंड पूरा उस रस में गीला हो गया.
अब जब मैं उनकी चूत में धक्के लगा रहा था तो पच पच की ध्वनि सी पैदा हो रही थी.

अब मैं भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था और फिर मैंने जोर जोर से मामी की चूत में धक्के लगाते हुए उनकी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.
हम दोनों हांफ रहे थे और सर्दी में भी पसीना पसीना हो गये थे।
मेरा स्पर्म उसकी चूत के अंदर ही गिर गया.

उस रात फिर ऐसे हम लोगों ने तीन बार चुदाई की और रोज ही करने लगे.
वहां पर हमें कोई रोकने वाला नहीं था.

मैं रोज ही मामी की चुदाई करने लगा और बहुत ही मजा आने लगा.
मैं तो अब मजे में था मगर धीरे धीरे चुदाई करते हुए टाइम का पता नहीं चला और मेरे एग्जाम पास आ गये.

फिर एग्जाम से कुछ दिन पहले वो अपने घर चली गई और मैं आगे की पढ़ाई के लिए तैयारी करने लगा.
एक दिन मामी का फोन आया और जो उसने बताया उसे सुनकर मैं हैरान हो गया.

मामी बोली- अमन … मेरे पेट में तुम्हारा बच्चा है। तुम पापा बनने वाले हो।
ये सुनकर मेरे हाथ पैर कांपने लगे.

मैं वहीं बैठ गया. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है.
फिर मैंने खुद को थोड़ा संभाला और कहा- क्या ये सच है मामी?
वो बोली- हां, बिल्कुल सच है, मेरे पेट में तुम्हारा ही बच्चा है और मैं इसे जन्म दूंगी.

वो बोली- मगर अमन तुम्हें मेरी कसम है कि ये बात सिर्फ तुम्हें और मुझे पता है. ये बात तुम किसी से नहीं कहोगे.
दोस्तो, अपने बच्चे के लिए मैंने भी कसम खा ली. आज तक भी मैंने वो कसम नहीं तोड़ी है.

फिर नौ महीने के बाद मामी ने एक बेटे को जन्म दिया. मैं एक बच्चे का बाप बन गया था.
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मामी के पेट से मेरा बच्चा निकला है. मगर मामी बहुत खुश थी. मैं भी खुश था.


 

junglecouple1984

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माँ की चूत पर बेटे की नजर- 1




आज रोहन बहुत खुश था. उसकी खुशी का कारण यह था कि वो आज अपने घर पूरे दो वर्ष बाद लौट रहा था.
रोहन जब 18 वर्ष का था, तब उसे आगे की पढ़ाई के लिए हॉस्टल भेज दिया गया था.

रोहन एक बहुत ही शांत स्वभाव का लड़का था, जो ना तो किसी से कोई मतलब रखता था … और न ही किसी से कोई फालतू की बात करता था.
वो बस अपने ही ख्यालों की दुनिया में ही खोया रहता था.

देहरादून से रोहन नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंचने वाला था, उसके पिताजी उसे लेने आये थे.
रोहन के पिताजी का नाम शेखर है और वो एक बिजनेसमैन हैं. उनकी उम्र 48 वर्ष है और वो दिखने में बहुत स्मार्ट और एक अच्छे शरीर के मालिक हैं.

उन्हें अभी स्टेशन पहुंचे दस मिनट ही हुए थे कि रोहन की ट्रेन आती हुई दिखी.

ट्रेन रुकने के बाद वो तुरंत ही रोहन के डिब्बे के पास पहुंचे, तो दरवाजे पर उन्हें रोहन खड़ा मिल गया.
रोहन अपने पिताजी से गले मिला और वो दोनों सामान लेकर बाहर आ गए.
फिर वो दोनों अपनी कार से घर की ओर चल दिए.

रोहन आज पूरे 2 वर्ष बाद अपनी मॉम से मिलने वाला था.
वो बहुत रोमांचित हो रहा था और उसका होना भी लाजिमी था.

रोहन ने जब अपनी युवावस्था में कदम रखा था, तभी से उसका अपनी मॉम के प्रति आकर्षण था. इसी आकर्षण की वजह से वो हर वक्त बस इसी कोशिश में रहता था कि किसी तरह मॉम के जिस्म को ताड़ पाए और उन्हें बहाने से इधर उधर छू सके.

रोहन की मॉम को भी जब उस पर थोड़ा शक हुआ तो उन्होंने रोहन के पापा से बोलकर इसे हॉस्टल में डलवा दिया था.

आज रोहन की मॉम कुसुम भी बहुत खुश थी. उसने अपने बेटे रोहन के लिए उसकी हर तरह की पसंद के पकवान बनाए थे.
एक ही तो बेटा था उसका, जिसे वो अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थीं. रोहन उसके लिए सब कुछ था.

उसको रोहन को दूर भेजने का बिल्कुल भी मन नहीं था, पर ये कुसुम की मजबूरी थी … जिसकी वजह उसे रोहन को अपने आप से अलग करना पड़ा था.
कुसुम को पता था कि ताक झांक के चक्कर में रोहन का पढ़ाई में बिल्कुल भी में नहीं है, इसलिए उसने रोहन को खुद से अलग कर दिया था.

करीब आधे घंटे के सफर के बाद रोहन अपने घर पहुंच गया. रोहन और उसके पिताजी दरवाजे पर दस्तक देने वाले थे कि रोहन की मॉम भागी भागी आ गई.
रोहन की मॉम ने दरवाजा खोल दिया, शायद उसने गाड़ी के आने की आवाज सुन ली थी.

दरवाजा खुलते ही सामने रोहन खड़ा था.
कुसुम ने तुरंत अपने लाल को अपने गले से लगा लिया.

पिछले दो साल में ये एक ऐसा क्षण आया था, जिसमें कुसुम को सुकून मिला था.
पर रोहन अपनी मॉम के गले लगते सनसना गया. उसके मन कुछ और ही घंटी बजी.
कुसुम के गले लगते ही रोहन को अपने सीने में अपनी मॉम के 38 साइज के बूब्स का बहुत मादक अहसास हुआ. उसे ऐसा लगा, जैसे दो फूले हुए गुब्बारे उसके और उसकी मॉम की बीच में दब रहे हों.

शेखर- रोहन बेटा, तुम अपने कमरे में जा कर नहा धो लो, फिर हम खाने पर मिलते हैं.
ये कहकर रोहन के डैड अन्दर चले गए.

रोहन भी अपने कमरे में सामान रखकर वॉशरूम में नहाने चला गया.

वॉशरूम में अन्दर रोहन को अपनी पैंट में तम्बू बना दिख रहा था. उसका लंड अपनी मॉम को देखते ही खड़ा हो गया था … और जब वो अपनी मॉम के गले लग कर मिला था, तब तो उसे लगा था कि उसका लंड पैंट फाड़कर ही बाहर आ जाएगा.

रोहन अब भी उस अहसास को भूल नहीं पा रहा था, जो उसे अभी थोड़ी देर पहले अपने सीने पर महसूस हुआ था.
ये सब सोचते हुए रोहन अपने हाथ को लंड पर ले गया और तेजी से लंड हिलाने लगा.

वो लंड हिलाते हुए अपनी मॉम के बारे में ही सोच रहा था. उसकी आंखें बंद हो गई थीं और मन में सिर्फ मॉम की चूचियों की रगड़न का ही अहसास हो रहा था.

तभी उसके लंड से वीर्य की पिचकारी तेजी से निकल कर सामने की दीवार से जा टकराई और उसके मुँह से ‘ओह मॉम ..’ निकल गया.

उसी समय ये सब कुसुम ने सुन लिया था क्योंकि वो रोहन के झड़ने के कुछ पल पहले ही यहां पर उसे तौलिया देने आई थी.

जब कुसुम को अपने बेटे रोहन की मादक सिसकारियां सुनाई दीं, तो वो सकते में आ गई और वापस जा ही रही थी कि ‘ओह मॉम ..’ सुनकर उसकी आंखें फैल गईं.
कुसुम को अहसास हो गया कि रोहन मेरे बारे में सोचकर मुठ मार रहा था.

ये अहसास कुसुम को अन्दर तक झिंझोड़ गया था. साथ ही न जाने क्यों उसकी चूत में भी गीलापन आ गया था.

फिर कुसुम ने एकदम से अपना सर झटका और अपने बेटे को आवाज लगाकर कहा- बेटा बाहर तौलिया टेबल पर रखी है … ले लेना.
ये कह कर वो नीचे चली गईं जहां शेखर पहले ही बैठा इंतजार कर रहा था.

कुसुम भी नीचे आकर नॉर्मल हो गई.

थोड़ी देर में रोहन भी तैयार होकर नीचे आ गया. सभी साथ में लंच करने लगे.

कुसुम की नजर इस समय अपने बेटे पर थी. वो उसे निहारे जा रही थी.
वो देख रही थी कि उसका बेटा इन दो सालों में कितना बड़ा हो गया था. उसकी दाढ़ी मूंछ भी आ गए थी और हाइट भी पहले के मुकाबले ज्यादा हो गई थी. कुसुम सोच रही थी कि रोहन शायद देहरादून में जिम भी जाता होगा. उसकी बॉडी भी अच्छी खासी मॉडलों जैसी हो गई थी.

शेखर- मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हूं. रोहन तुम्हें कुछ चाहिए हो, तो फोन पर बता देना. मैं शाम को बाहर से लेता आऊंगा.

ये बोलकर शेखर ऑफिस के लिए निकल गया. रोहन भी खाना खाकर अपने रूम में आराम करने चला गया.

कुसुम किचन में बर्तन धोने के साथ साथ पुरानी यादों में खो गई. वो सोच रही थी कि रोहन में जरा भी बदलाव नहीं आया है. वो अभी भी मेरे प्रति आकर्षित है.

पर इस बार हालात अलग थे. इस बार कुसुम को भी अपने बेटे के प्रति आकर्षण लग रहा था. उसे भी रोहन को देख कर मां बेटे के प्यार से अलग किसी और ही प्यार का आभास अपने अन्दर हो रहा था.

शाम को कुसुम रोहन को उठाने के लिए उसके रूम में गई.
रोहन का दरवाजा खुला ही था. वो अन्दर चली गई. अन्दर रोहन अपने सपने में खोया हुआ था. वो किस तरह के सपने में खोया था, ये उसकी पैंट में बना तम्बू बयान कर रहा था.

कुसुम रोहन के पास उसे उठाने के लिए गई, पर वो उसकी पैंट में बने तम्बू को देखकर उसी में खो गई.
वो अंदाज़ा लगाने लगी कि तम्बू के हिसाब से उसके बेटे का हथियार कितना बड़ा होगा.
उसके बेटे का लंड साधारण तो नहीं था, इतना उसे पता लग चुका था.

उसी समय अचानक से रोहन ने करवट बदली, जिससे कुसुम की तंद्रा टूट गई. उसे एकदम से ख्याल आया कि वो इस रूम में क्यों आई थी.
ध्यान आते ही वो बिना रोहन को जगाए बाहर आ गई और अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी.

अगली सुबह रोहन बिना किसी को बताए एक्सरसाइज करने के लिए बाहर निकल गया था.
कुसुम रोज की तरह उठ कर बाथरूम गई. फिर तैयार होकर किचन के कामों में व्यस्त हो गई. उसे लगा था कि रोहन अभी सो रहा होगा.

कुसुम किचन में अपनी धुन में मस्त होकर नाश्ता बना रही थी. तभी रोहन आ गया और वो अपनी मॉम को किचन में देखकर रुक गया.

वो किचन की तरफ गया. अन्दर उसकी मॉम एक चुस्त नाइटी में ब्रेकफास्ट बना रही थी.
रोहन अपनी मॉम को इस हालत में देख कर गर्म होने लगा था. क्योंकि इस समय उसकी मॉम की गांड नाइटी के ऊपर से ही बहुत सेक्सी लग रही थी.
शायद कुसुम ने ब्रा पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी, जिस वजह से जरा सा हिलने उसके मम्मे और गांड पर साफ़ नुमाया हो रहे थे.

अचानक से कुसुम के हाथ से एक चम्मच छूट कर नीचे गिर गई, जिसे उठाने के लिए वो नीचे झुकी.
इससे कुसुम की गांड एकदम से उभर कर रोहन के सामने आ गई.

अपनी मॉम की मादक गांड की दरार देख कर रोहन का लंड फिर से पैंट फाड़ने को तैयार हो उठा.
उस अद्भुत नजारे को छूने के लिए रोहन के हाथ अपने आप बढ़ गए और उसने अपना एक हाथ मॉम के एक चूतड़ पर रख दिया.

उसी समय कुसुम को अपनी गांड पर कुछ अहसास हुआ, तो वो अचानक से घूम गई.

अचानक घूमने से वो रोहन से सामने से टकरा गई. इस वक्त कुसुम के होंठ रोहन के होंठों के सामने थे और कुसुम की चूचियां रोहन की छाती में धंसी हुई थीं. कुसुम को अपनी चूत पर रोहन के कड़क हथियार का आभास हो रहा था.

करीब दस सेकंड तक दोनों समझ ही नहीं पा रहे थे कि क्या करें … वो दोनों बस आपस में खोए हुए थे.

रोहन ने धीरे से अपने मुँह को कुछ आगे को किया और उसने अपनी मॉम के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
इस हरकत से कुसुम की आंखें फैल गईं और उसे समझ में आ गया कि ये क्या हो रहा है.

उसी पल वो रोहन से अलग हो गई और भाग कर अपने रूम में चली गई.
अपने रूम में आकर कुसुम अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी थी.

रोहन अभी भी किचन में खड़ा था और अपने किए पर शर्मिंदा था.
उसे लग रहा था कि उसने जो किया, वो ग़लत था.
वो समझ ही नहीं पा रहा था कि अब वो अपनी मॉम का सामना कैसे कर पाएगा.

इसी के बारे में सोचते हुए वो अपने रूम में आकर फिर से लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा.

उधर कुसुम भी कुछ पल बाद संयत हुई और बाहर आकर उसने देखा कि रोहन बाहर नहीं है.
एक दो पल बाद वो अपना ध्यान घर के बाकी के कामों में लगाने लगी.

कुछ देर बाद शेखर भी उठ गया और नित्य क्रिया से फारिग होकर वो तैयार हुआ और बाहर ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गया.
वो रोहन का इंतजार करने लगा.

ऑफिस जाने से पहले आज शेखर अपने बेटे से कुछ बात करना चाहता था क्योंकि जब से रोहन आया था, वो उससे ठीक से मिल ही नहीं पाया था.
इसी सोच विचार में शेखर रोहन को बुलाने के लिए आवाज लगाने को हुआ.

तभी कुसुम ने उसे मना कर दिया- आप नाश्ता करो … वो सो रहा है. मैं उसे बाद में जगा कर नाश्ता करा दूंगी.
शेखर ने चुपचाप नाश्ता किया और ऑफिस के निकल गया.

अब कुसुम और रोहन ही घर में अकेले थे. कुसुम रोहन को ब्रेकफास्ट के लिए बुलाने गई.
उस समय रोहन लेटा हुआ उन्हीं पलों के बारे में सोच रहा था.

कुसुम वहां आ गई और रोहन को इस तरह खोया देख कर वो समझ गई कि वो क्या सोच रहा है.

कुसुम ने कमरे के बाहर से ही रोहन को ब्रेकफास्ट के लिए नीचे आने का बोला और नीचे चली गई.

नीचे रोहन और कुसुम दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे. दोनों की नजरें नीचे थीं. दोनों को ही उस घटना को लेकर अजीब सा महसूस कर रहे थे.

दोनों ब्रेकफास्ट खत्म करने के बाद अपने अपने रूम में चले गए.

कुसुम अपने रूम में आने के बाद उस पल को भूल ही नहीं पा रही थी, उसके हाथ अपने आप अपनी चूत पर चले गए थे.
वो आंखें बंद करके अपनी चूत को रगड़ रही थी और रोहन के लंड के बारे में सोच रही थी.

किचन में उसे अंदाज़ा हो गया था कि उसके बेटे का लंड मामूली नहीं है. वो किसी की भी चीखें निकलवा सकता है. यही सोचते सोचते वो झड़ने लगी.
आज झड़ने पर कुसुम को जो संतुष्टि मिली थी, वो उसे शेखर से सेक्स के दौरान भी नहीं मिलती थी.

ऐसा नहीं था कि कुसुम की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं थी. शेखर हफ्ते में दो तीन बार अच्छे से उसकी चुदाई की खुराक पूरी कर देता था.
पर ये आकर्षण और अहसास उस नए कड़क लंड का था, जो उसके बेटे का उसने महसूस किया था.

उधर रोहन समझ नहीं पा रहा था कि क्या करना चाहिए.
एक तरफ तो उसका दिल कह रहा था कि ये सब गलत है. उसे इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए … आखिरकार वो उसकी मॉम है.
परन्तु दिमाग कह रहा था कि कोई फर्क नहीं पड़ता, वो मॉम होने से पहले एक औरत हैं … वो भी इतनी सेक्सी.

रोहन इसी कमोवेश में खोया सोच रहा था कि क्या करना चाहिए.
फिर उसने फैसला कर लिया कि उसे मॉम के पास जाकर माफी मांग लेनी चाहिए और इन बातों को यहीं खत्म कर देना चाहिए.

यही सोचकर रोहन अपनी मॉम के पास आया.

वो अभी मॉम के कमरे के दरवाजे पर दस्तक देने वाला ही था कि अचानक से रुक गया. क्योंकि अन्दर से उसकी मॉम की सिसकारियों की आवाज आ रही थी.

ये वही पल था, जिसमें कुसुम अन्दर आकर अपने बेटे के बारे में सोच कर अपनी चुत में उंगली कर रही थी.

रोहन ने मादक आवाजों को सुना, तो उससे रहा न गया. उसने धीरे से रूम का दरवाजा धकेला तो दरवाजा खुल गया.

शायद कुसुम ने दरवाजा लॉक नहीं किया था. रोहन ने अन्दर का नजारा देखा कि उसकी मॉम अन्दर नंगी बेड पर लेटी हुई थी और उसकी आंखें बंद थीं.
वो तेज़ तेज़ अपनी चूत को रगड़ रही थी.

उसकी मॉम की चूत एकदम चिकनी थी और एकदम गोरी गुलाबी चूत थी.
ये देखकर रोहन के मुँह में पानी आ गया और तभी कुसुम रोहन का नाम लेते हुए झड़ गई.

पहले तो रोहन अपना नाम सुनकर चौंक उठा … फिर वो तुरंत वापस मुड़ा और अपनी मॉम के पता चलने से पहले अपने रूम में आ गया.


 

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माँ की चूत पर बेटे की नजर- 2




अब तक आपने पढ़ा था कि रोहन जब अपनी मॉम की मादक आवाजों को सुनकर उसके कमरे के दरवाजे को खोल कर अन्दर देखने लगा.
तो उसे अपनी मॉम एकदम नंगी हालत में बिस्तर पर अपनी चुत में उंगली करती हुई दिखीं.
जैसे ही उसने ये नजरा देखा, उसी वक्त उसकी मॉम के मुँह से उसने अपना नाम सुना और वो स्खलित हो गई.

अब आगे माँ बेटे की चुदाई कहानी:

रोहन को समझ में आ गया था कि आग दोनों तरफ से बराबर लगी हुई है. अब बस पहल करने की देर है.
यही सोच कर रोहन की बांछें खिल गई थीं कि उसकी मॉम भी उसके बारे में वैसा ही सोचती है, जैसा वो सोच रहा है.

दोपहर में कुसुम रोहन को लंच के लिए बुलाने आई तो उसने देखा कि रोहन चादर ओढ़े सो रहा था.
लेकिन उसका बम्बू अभी भी तम्बू बनाए खड़ा था.

एक पल को तो कुसुम उस तम्बू को देख कर मुस्कुरा उठी, फिर पास जाकर उसके लंड के उभार को बहुत गौर से देखने लगी.
कुसुम को अपने बेटे का लंड काफी मोटा लग रहा था.

मोटे लंड की कल्पना से ही कुसुम की चूत से पानी रिसने लगा. उसका मन लंड छूने को करने लगा था.

उसने अपने बेटे के ऊपर से चादर हटाई तो देखा कि रोहन चादर के नीचे बिल्कुल नंगा लेटा था और उसका लंड किसी नाग की तरह फुंफकार रहा था.
उसके लंड का टोपा बिल्कुल लाल टमाटर के जैसा था.

ये नजारा कुसुम को लालच रहा था. उसने एक बार रोहन के चेहरे को देखा, तो उसे देख कर लगा कि वो निश्चिंत होकर सो रहा है.

कुसुम ने हिम्मत करके अपने बेटे के तनतनाते हुए लंड को पकड़ लिया.
लंड पकड़ते ही उसके बदन में झुरझुरी सी होने लगी.

उसके बेटे का लंड इतना सख्त था, जैसे उसने किसी लोहे की रॉड को पकड़ लिया हो.

अपने बेटे के लंड को पकड़ते ही कुसुम को पता चल गया कि ये चुत के अन्दर जाकर कितनी तबाही मचा सकता है.

यही सोचते सोचते कुसुम का चेहरा लंड पर झुकने लगा और उसने अपने बेटे के लंड के सुपारे को अपने मुँह में ले लिया.
कुसुम अपने बेटे के लंड के स्वाद में इतनी खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला कि रोहन ने कब अपनी आंखें खोल दी हैं.

कुसुम इस सबसे बेखबर अपने बेटे के लंड को चूसने में लगी रही.
उधर रोहन अपनी मॉम को लंड चूसते हुए देख रहा था.

दरअसल ये सब रोहन का ही प्लान था कि जब मॉम मुझे जगाने आएगी, तो मैं अपना लंड मॉम को दिखाऊंगा, जिससे मैं आगे बढ़ने की शुरुआत कर सकूं.
पर रोहन को ये नहीं पता था कि उसकी मॉम लंड देखते ही उसे चूसने तक पहुंच जाएगी.

अचानक रोहन की कामुक सिसकारी निकली तो कुसुम का ध्यान लंड से हटकर रोहन की तरफ आ गया.

तब कुसुम को अहसास हुआ कि वो क्या कर रही थी.
वो उठने को हुई ही थी कि तभी रोहन ने अपनी मॉम को पकड़कर बेड पर गिरा लिया और उसे अपने नीचे लेकर उसके ऊपर चढ़ गया.

अब कुसुम नीचे थी और उसका बेटा रोहन उसके ऊपर चढ़ा था.
रोहन का लंड कुसुम की चूत पर चुभ रहा था और रोहन की छाती से कुसुम के मम्मे पिसे जा रहे थे. रोहन ने अपनी मॉम के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

चूमाचाटी परवान चढ़ने लगी और उसी दौरान रोहन का हाथ धीरे धीरे अपनी मॉम की चूत पर चला गया.
वो कपड़ों के ऊपर से अपनी मॉम की चुत को रगड़ने लगा.

कुसुम भी बहुत गर्म हो चुकी थी. रोहन अपना हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी चूत पर अन्दर ले गया और उसने अपनी मॉम की चूत में एक उंगली डाल दी.

कुसुम अचानक से हुए इस हमले से चिहुंक उठी और वो पूरी ताकत से रोहन को पलटकर अपने ऊपर से हटा कर बाहर भाग गई.
रोहन आश्चर्य से उसे जाते देखता रहा.

कुसुम रोहन के कमरे से बाहर निकलकर अपने रूम में आ गई.
अपने कमरे में आकर कुसुम को अपनी गलती का अहसास हुआ कि वो अपने सगे बेटे के साथ कितना आगे बढ़ चुकी थी.
अगर थोड़ी देर और रुक जाती, तो आज उसकी चुदाई अपने बेटे से पक्का हो जानी थी.

कुसुम सोचने लगी कि इस मामले को यहीं रोका ना गया तो किसी न किसी दिन हम दोनों ये पाप कर बैठेंगे.

कुछ देर सोच विचार के बाद कुसुम कमरे से निकलकर बाहर आ गई और रोहन को आवाज दी.
रोहन को समझ नहीं आया कि अब उसकी मॉम उसे क्यों बुला रही है.

क्या वो अधूरा काम खत्म करना चाहती है?
ये सोचकर उसका लंड फिर से झटके मारने लगा.

वो कपड़े पहन कर नीचे आ गया.

कुसुम और रोहन दोनों टेबल पर आमने सामने बैठे थे.

अब कुसुम ने बोलना शुरू किया- देखो रोहन … जो हम लोग आज करने वाले थे, वो एक तरह का पाप है. तुम मेरे सगे बेटे हो … और मैं तुम्हारी सगी मॉम हूँ. हमें अब ये सब बंद कर देना चाहिए और अपने रिश्ते का लिहाज करना चाहिए. साथ ही ये सब करके हम तुम्हारे पापा को भी धोखा दे रहे हैं.

ये कहते हुए कुसुम की आंखें रुआंसी हो उठी थीं.

रोहन ने अपनी मॉम के हाथ को पकड़ा और कहा- मॉम मैं आपकी बात को अच्छे से समझ गया हूँ. मैं आगे से ख्याल रखूंगा कि आगे से हम कभी ऐसी गलती ना करें.

अगले दिन रोहन अपनी मॉम को किचन में उसकी थिरकती गांड देखकर फिर से पागल होने लगा.
वो बार बार अपना ध्यान अपनी मॉम की गांड पर से हटाना चाह रहा था … पर बार बार उसका ध्यान अपनी मॉम की सेक्सी गांड पर ही चला जा रहा था.

इससे उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. उसे अपने लंड को संभालना मुश्किल होने लगा था.

इधर भले ही कुसुम ने अपने बेटे को समझा दिया था लेकिन उसके दिमाग में अभी भी हमेशा अपने बेटे का मोटा और सख्त लंड घूम रहा था.
उसके मन से अपने बेटे के लंड के स्वाद का अहसास मिट ही नहीं रहा था.

उस पल को वो भूल ही नहीं पा रही थी, जब रोहन का लंड उसकी चूत पर टिक गया था. वो बार बार उसके लोहे जैसे लंड को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी जिससे उसकी चूत दिन भर गीली बनी रहती थी.

ऐसे ही दिन बीतने लगे.

कुसुम अब शेखर से बोलने लगी थी- तुम घर में आते ही मुझे चोद दिया करो … और सुबह जाने से पहले भी चोदकर जाया करो.

शेखर अपनी बीवी की ये बात सुनकर पहले तो चौंक गया, फिर वो खुश हो गया कि ये सही है. ऐसा उसे इसलिए लगा क्योंकि इतने सालों में कुसुम ने पहली बार शेखर को सामने से अपनी चूत चोदने के लिए बोला था.

शेखर अपनी बीवी की चुत को रात में आते ही और सुबह जाने से पहले धकापेल चोदने लगा था.
इससे कुसुम का ध्यान रोहन पर थोड़ा कम हो गया था.

लेकिन उधर रोहन का बुरा हाल हो रहा था. उसे अपने लंड पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो रहा था. उसकी नजर ना चाहते हुए भी अपनी मॉम कुसुम की गांड और मम्मों को ताड़ती रहती थी.

अब उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. उसने अपने कमरे से निकलना बंद कर दिया था. उसको समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, कैसे अपने लंड में काबू पाए.
उसे पता था कि उसकी मॉम सही है और ये रिश्ता उन दोनों के बीच पाप का रिश्ता कहलाएगा.

एक हफ्ते बाद रोहन ने अपनी मॉम को बोला कि मॉम मैं दो दिनों के लिए अपने कॉलेज के दोस्त के घर जा रहा हूं. हम दोनों ने कॉलेज में प्लान बनाया था कि घर जाकर हम कहीं घूमने जाएंगे. कल उसका फोन आया था कि वो और हमारे कुछ दोस्त दो दिनों के लिए ऋषिकेश जा रहे हैं.

कुसुम ने भी कहा- ठीक है, कोई बात नहीं … तुम घूम आओ. मैं रात को तुम्हारी सारी पैकिंग कर दूंगी और शाम को तुम अपने पापा से परमिशन भी ले लेना.

दरअसल कल रोहन के पास करण का फोन आया था. वो उससे ऋषिकेश चलने के लिए बोल रहा था. करण के साथ दो लड़के और थे, जो उन्हीं के क्लासमेट थे.

शाम को शेखर के आते ही कुसुम ने रोहन के बारे में बताया कि रोहन अपने कुछ दोस्तों के साथ ऋषिकेश जाना चाहता है.
शेखर ने कहा- ठीक है, उसे यहीं बुला लेता हूँ.

तब तक कुसुम ने रोहन को आवाज देकर बुलाया और उसे शेखर के सामने खड़ा कर दिया.
कुसुम खुद पलट कर कुछ काम करने लगी.

शेखर- बेटा तुम्हें कब निकलना है?
रोहन ने जवाब दिया- जी कल सुबह छह बजे.
शेखर ने कहा- ठीक है, ध्यान से जाना और ये कुछ पैसे रख लो.

शेखर ने उसको अपने पर्स से दस हजार रुपए निकाल कर दे दिए और कहा- लो बेटा, जाओ घूमो फिरो और ऐश करो.

रोहन जवाब में मुस्कुरा दिया.

उसका ध्यान अभी भी अपनी मॉम की सेक्सी गांड पर ही था.

सुबह रोहन निकलने वाला था. उस समय शेखर अभी भी सो रहा था. रात भर की चुदाई से वो थक गया था.

पापा के सोने के कारण कुसुम, रोहन को बाहर तक छोड़ने आई. रोहन की कैब आ गई थी.

रोहन ने कैब में बैठ कर अपनी मॉम से कहा कि मॉम मैंने आपके लिए एक लैटर लिखा है, वो मेरे रूम में टेबल पर रखा है. प्लीज उसे पढ़कर दिल से सोचना.
इतना कह कर रोहन ने कैब वाले को आगे बढ़ाने के लिए कहा और वो निकल गया.

कुसुम रोहन के जाने के बाद उसके रूम में गई. वहां टेबल पर एक लैटर रखा हुआ था.
कुसुम उसे उठा कर पढ़ने लगी.

लैटर में लिखा था:

डिअर मॉम, पिछले कुछ दिनों में जो भी कुछ हुआ, वो अजीब जरूर था … पर बहुत अच्छा था.
मॉम मैं जब से चीजें समझने लगा हूं, तब से मैंने सिर्फ आपको ही चाहा है.
मैं ये मानता हूं कि जो रिश्ता हम दोनों के बीच बनने जा रहा था, वो समाज के लिए गलत है. लेकिन मॉम समाज तो हमारे घर के बाहर है … ना कि घर के अन्दर. घर में तो सिर्फ हम दोनों ही होते हैं.
और मुझे पता है कि हम दोनों ही इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं, पर इस समाज की वजह से हम रुक रहे हैं.
मैं बस आपसे जानना चाहता हूं कि क्या आपके लिए समाज मुझसे बढ़कर है.
आपके पास तो पापा का सहारा है, पर मेरे लिए कौन है. मैं सिर्फ आपसे प्यार करता हूं और आपसे ही करता रहूंगा.
मेरे लिए इस चीज को भुला पाना नामुमकिन सा है. मैं चाहता हूं कि जब मैं वापस आऊं … तो हम दोनों एक दूसरे के लिए तैयार रहें.

कुसुम ये लैटर पढ़कर सोच में पड़ गई कि अब वो क्या करे.

वो इस बात से सहमत थी कि समाज, इस घर के बाहर है. घर में तो सिर्फ हम दोनों ही होते हैं. वो भी मन ही मन चाहती थी कि रोहन का लंड उसकी चूत की धज्जियां उड़ा दे.

अब उसे समाज का भी डर नहीं था.
लेकिन उसे फिर एक चिंता ने घेर लिया कि ये सब करके वो अपने पति शेखर को धोखा देगी.
वो शेखर को धोखा नहीं देना चाहती थी … और अब वो आगे भी बढ़ना चाहती थी.
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे.

तभी शेखर ने उठते ही कुसुम को आवाज दी.
कुसुम भागी भागी शेखर के पास आ गई.

शेखर ने उसे खींचा और अपने ऊपर लिटा कर उसे किस करने लगा.
कुछ ही पलों बाद शेखर ने कुसुम को अपने नीचे लेटाया और उसके ऊपर चढ़ गया. वो अपने शरीर को कुसुम के मादक शरीर पर रगड़ने लगा.

कुछ ही पलों के बाद शेखर धीरे से नीचे सरक गया और उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा कर अपना मुँह उसकी चूत के पास लगा दिया.
कुसुम की गर्मी बढ़ने लगी.

शेखर अपनी बीवी की संगमरमरी जांघों को चाटने के बाद उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा.
कुसुम की जोर की आह निकल गई.
और शेखर बड़े प्यार से उसकी चूत चाटने और कुरेदने लगा.

कुसुम की वासना से भरी हुई गर्म सिसिकारियां तेज़ होती चली गईं और उसे बहुत मज़ा आने लगा था.

शेखर उठकर पलट गया और दोनों 69 की पोजिशन में आ गए.
अब कुसुम भी शेखर के लंड को बहुत अच्छे से चूस रही थी. वो उसके लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए सुपारे को चाटती और लंड के तने को बड़ी तल्लीनता से चूसने लगी.
लंड चूसने के साथ ही कुसुम मादक आहें भी भर रही थी.

कुछ पल बाद शेखर ने उसे सीधा कर दिया और अपना लंड उसकी चूत पर टिकाकर एक जोरदार शॉट मार दिया.
इससे कुसुम की चीख निकल गई- आहह ओह … ज़ोर से चोदो डियर … येसस्स … ऐसे ही अहह ऊऊओह येस … कितना मोटा लंड है तुम्हारा … आहह मेरी चुत को मज़ा आ गया … ऐसे ही … चोद दो मुझे आह.

शेखर धीरे उसको चोदने लगा.
फिर स्पीड बढ़ गई और इसी तरह दस मिनट तक धकापेल चोदने के बाद शेखर ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी.
स्पीड बढ़ाने के साथ साथ वो कुसुम की चूचियों को भी कसकर भींचने लगा.

शेखर का काम तमाम होने वाला था और कुसुम का भी स्खलन होने को था.

दो पल बाद कुसुम झड़ने लगी और उसके मुँह से ‘ओह रोहन आह रोहन …’ निकल गया.

शेखर भी कुसुम की चूत में झड़ गया … पर कुसुम के मुँह से रोहन का नाम सुनकर वो चौंक गया था.
झड़ने के बाद दोनों हांफ रहे थे.

तभी कुसुम शेखर से बोली- शेखर, मुझे तुम्हें कुछ दिखाना है.
ये बोलकर कुसुम ने शेखर को रोहन का लिखा हुआ लैटर दिखाया.

शेखर ने वो लैटर पढ़ा. मगर उसकी समझ में कुछ भी नहीं आया कि ये सब क्या है.
उसने कुसुम से पूछा कि ये सब क्या है?

कुसुम ने उसे रोहन के आने से आज सुबह तक की सारी बात शेखर को बता दी.
 

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माँ की चूत पर बेटे की नजर- 3



अब तक आपने पढ़ा था कि रोहन की मॉम ने अपने पति के साथ सुबह सुबह जमकर चुदाई का मजा लिया और झड़ते समय कुसुम के मुँह से अपने बेटे का नाम निकल गया और वो ओह रोहन कहते हुए झड़ गई.
इसके बाद उन दोनों में रोहन को लेकर बातचीत हुई … कुसुम ने रोहन के द्वारा लिखे लैटर को अपने पति शेखर को दिखाया और अब तक हुई सभी घटनाओं का जिक्र किया.

अब आगे मादरचोद लड़के की कहानी:

शेखर अपनी पत्नी के मुँह से अपने बेटे के बारे में ये सब सुन कर चौंक गया.
फिर उसने कुसुम से पूछा- क्या तुम भी रोहन से साथ सेक्स करना चाहती हो?

इस पर कुसुम शेखर से इतना ही बोल पाई- शेखर, मैं आपको धोखा नहीं देना चाहती. मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं. पर रोहन का क्या करूं, उसको समझाना मुश्किल है.

शेखर ने कुसुम से कहा कि कुसुम तुम दोनों के मन में जो हो, वो करो … मेरी तरफ से तुम दोनों को खुली छूट है. यार मैं, तुम दोनों की खुशी के लिए ही तो जीता हूं. मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है और रोहन ने लैटर में साफ साफ लिखा है. तुम दोनों जो भी रिश्ता बनाओगे, वो इस घर के अन्दर ही रहेगा. तो दिक्कत वाली कोई बात ही नहीं है.

कुसुम ये सुनकर खुशी से झूम उठी और शेखर का लंड मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी.

शेखर ने अब कुसुम को पूरी नंगी कर दिया और उसकी नंगी कोमल चूचियों को छूने मात्र से शेखर का लंड फिर से तन गया.

उसने इस बार कुसुम को बेड पर कुतिया वाले पोज में झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर लगा दिया.

फिर शेखर ने कुसुम की गांड के छल्ले पर थोड़ा थूक दिया, जिससे लंड को अन्दर जाने में कोई प्रॉब्लम ना हो.

कुसुम की गांड के छेद पर लंड सैट करके शेखर ने धक्का देना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे करके उसने अपना पूरा लंड कुसुम की गांड में सरका दिया.

कुछ मिनट तक लगातार धक्के मारते मारते शेखर कुसुम की गांड में ही झड़ गया.

ऐसे ही दो दिन निकल गए.

पति पत्नी दोनों ने पूरा मन बना लिया था कि कुसुम अपने बेटे से किस तरह से चुदेगी.

जिस दिन रोहन घर आने वाला था, उस दिन शेखर और कुसुम दोनों ने मिलकर रोहन के लिए सरप्राईज प्लान किया था.

शेखर उस दिन अपने ऑफिस में ही रुक गया था, जिससे कुसुम और रोहन को स्पेस मिल सके.

इधर कुसुम सुबह से ही रोहन के आने की तैयारी में लगी थी.

आज वो ब्यूटी पार्लर जाकर अपने आपको सजा संवार रही थी, वो खुद को आज की रात को स्पेशल बनाने के लिए तैयार कर रही थी.
अब उसे खुली छूट थी कि वो अपने बेटे के लंड से अपनी चुत चुदवा सके.

कुसुम ने ब्यूटीपार्लर में अपने आपको दुल्हन की तरह तैयार करवाया.
वो चाह रही थी कि रोहन और उसका मिलन बहुत स्पेशल हो.

कुसुम ने अपने कमरे को भी सुहागरात की तरह सजवाया था.

सब कुछ रेडी हो जाने के बाद वो खुद दुल्हन बनकर बेड पर रोहन के आने का इंतजार करने लगी.

रोहन ट्रिप से आज रात को आने वाला था. उसने अपनी पिता को कॉल कर दिया था कि वो रात के 10 बजे तक पहुंच जाएगा.

रोहन अपने टाइम पर घर पहुंच गया.
वो एक पल के लिए चौंका क्योंकि उसे घर का मेन दरवाजा खुला ही मिला था. घर में भी ज्यादा रोशनी नहीं थी.

उसने अपनी मॉम और डैड को आवाज दी.
मगर कोई जवाब ना पाकर वो मॉम के कमरे की तरफ बढ़ गया.

उसने जैसे ही अपनी मॉम के कमरे का दरवाजा खोला, तो रूम में पूरा अंधेरा था.

वो वापस मुड़ने को हुआ ही था कि कुसुम की आवाज ने उसे रोक लिया- रोहन मैं यहीं हूं.

रोहन अपनी मॉम की आवाज सुनकर चौंक गया और उसने पूछा- आप अंधेरे में क्यों बैठी हो.
ये कहते हुए रोहन ने रूम की लाइट ऑन कर दी.

रोशनी फैलने के साथ ही रोहन की आंखें भी फैल गईं. पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था. बिस्तर पर उसकी मॉम दुल्हन की तरह सजी हुई बैठी थी.

रोहन को ये सब देख कर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.

रोहन ने अपनी मॉम से पूछा- मॉम ये सब क्या है … और आप दुल्हन बनकर क्यों बैठी हो … डैड कहां हैं?

कुसुम बोली- तुम्हारे जाने के बाद रोहन मैंने तुम्हारा लैटर पढ़ा और मैं हमारे बारे में सोच ही रही थी कि शेखर ने मुझे आवाज दे दी. मैं जैसे ही उसके पास गई. उसने मुझे दबोच लिया और हम अपनी चुदाई में खो गए. शेखर के साथ होते हुए भी मुझे तुम्हारा ही अहसास हो रहा था. और झड़ते हुए अचानक मुँह से तुम्हारा नाम निकल गया. इस पर शेखर चौंक गया और उसने मुझसे इस बारे में पूछा, तो मैंने ही उसे हमारे बारे में सब कुछ बता दिया और तुम्हारा लैटर भी उसे दिखा दिया. मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती थी. शेखर पहले तो चौंक गया था फिर उसने मुझसे मेरी मर्जी पूछी तो मैंने उसे सब सच सच बता दिया. शेखर ने बोला कि हम दोनों को जो भी करना है, हम कर सकते हैं, बस ये सब इस दुनिया से छुपाकर ही करना है. उसने ये भी कहा है कि हम दोनों की खुशी में ही उसकी खुशी है. रोहन इसी लिए शेखर और मैंने तुम्हारे लिए ये सब प्लान किया. शेखर आज रात ऑफिस में ही रुकेगा.

रोहन ये सब सुनकर बहुत खुश हो गया और वो खुशी के मारे अपनी मॉम को किस करने लगा.

कुसुम ने उसे अलग करते हुए कहा- रोहन, मैं आज तुम्हारी ही हूँ. तुम पहले नहा कर आओ, आज हमारी सुहागरात है.

रोहन जल्दी से बाथरूम जाकर नहा धोकर वापस आ गया. उसके बदन पर बस कच्छा और बनियान ही था. रोहन अपनी मॉम के पास गया और उसे लिटा कर उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ टिका कर चूसने लगा. वो दोनों एक लम्बी किस में खो गए.

रोहन का लंड ये सोचकर पत्थर हो गया था कि आज के बाद वो कुसुम को कभी भी चोद सकता था.
दोनों किस में खोए हुए थे और रोहन का लंड कुसुम की जांघों पर टक्कर मार रहा था.

रोहन किस के साथ साथ अपनी मॉम के चूचों को भी भींचने लगा.
इससे कुसुम की मादक सिसकारियां निकलने लगीं- आह उंह आह ऐसे ही रोहन … और कसके दबाओ … आह कर लो अपने मन की मुराद पूरी.

तभी रोहन उठ कर बैठ गया और कुसुम का ब्लाउज खोलने लगा.
कुसुम ने भी रोहन का साथ दिया.

जल्द ही कुसुम ब्रा में थी. वो अपनी लाल रंग की रेशमी और छोटी सी ब्रा में बड़ी ही सेक्सी लग रही थी.

रोहन ब्रा के ऊपर से ही अपनी मॉम के चूचों को सहलाने लगा और साथ में उसका एक हाथ अपनी मॉम कुसुम के पेटीकोट में घुस गया.

कुसुम से इतनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और वो रोहन के हाथ पर ही झड़ने लगी.

रोहन ने अपनी मॉम के पेटीकोट को खींच कर अलग कर दिया.
अब कुसुम सिर्फ ब्रा पैंटी में थी और क़यामत लग रही थी.

रोहन एक बार फिर से उठा और अपनी मॉम को किस करते हुए उसकी ब्रा को भी खोल दिया.
कुसुम ऊपर से नंगी थी और एक मस्त माल लग रही थी.

अगले ही पल कुसुम के पहाड़ जैसे चूचे उसके बेटे रोहन के हाथों द्वारा मसले जा रहे थे.

कुसुम की वासनामयी सिसकारियां बहुत तेज़ निकलने लगी थीं. उसको इतना मजा आज से पहले कभी नहीं आया था. वो अपने बेटे के साथ ये सब कर रही है, यह अहसास ही उसे इतना मज़ा दे रहा था कि वो गर्मी की इन्तेहा को पार करते हुए फिर से कामोत्तेजित हो गई थी.

अपनी मॉम की चूचों को रोहन बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूस रहा था.

रोहन को इतने मुलायम चूचे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रहे थे. वो पूरी ताकत के साथ अपनी मॉम के मम्मों को काटने और दबाने लगा था.
साथ ही रोहन का लंड कुसुम की चूत पर बार बार दस्तक दे रहा था.

लंड चुत पर महसूस करके कुसुम बार बार अपना पानी छोड़ रही थी.
इतना पानी उसकी चूत से आज तक नहीं निकलता था. उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर बाद रोहन नीचे आ गया और अपनी मॉम कुसुम की नाभि पर किस करने लगा. फिर उसने कुसुम की पैंटी भी निकाल दी.

कुसुम अपने बेटे के सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी.

रोहन अपनी मॉम की चूत देखकर बहुत गर्म हो गया था. उसकी मॉम की बड़ी प्यारी सी चूत खुली हुई थी. कुसुम की चुत एकदम फूली हुई सी, मक्खन सी गोरी और सपाट चिकनी चुत थी.

उसकी मॉम की चूत की पंखुड़ियां किसी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह फैली हुई थीं.
अपनी मॉम की रसीली चुत देख रोहन के मुँह में पानी आने लगा था. उसने एक पल की भी देर न करते हुए अपना मुँह अपनी मॉम की चूत पर लगा दिया.

अपने बेटे की जीभ का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर कुसुम की मादक चीख निकल गई और वो उसी पल झड़ने लगी.

रोहन ने अपनी मॉम की चूत का सारा पानी ऐसे चाट लिया जैसे उसे कोई अपनी पसंदीदा मीठी गुझिया मिल गई हो.

चुत का रस पीकर रोहन की आंखों में लाल डोरे तैरने लगे थे. उसका चेहरा मानो दो बोतल शराब के नशे से मदहोश हो गया था.

अब कुसुम ने रोहन को लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई. उसने अपने बेटे की बनियान को अलग कर दिया. उसका बेटा सिर्फ कच्छे में था.

कुसुम ने कच्छे के ऊपर से अपने बेटे के लंड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी.

वो जल्दी से रोहन के लंड को नजदीक से महसूस करना चाहती थी. उसने धीरे धीरे रोहन का कच्छा निकाल दिया.
उसकी आंखों के सामने उसके जवान बेटे रोहन का लम्बा और 3 इंच मोटा लंड फनफना रहा था.

अपने बेटे के मोटे लंड को सामने देखकर कुसुम की सांसें गर्म होने लगी थीं. उसकी आंखें फैल गई थीं और वो अपने गले में अटका थूक गुटक कर अपने बेटे के हब्शी लंड को देख कर एक बार डर सी गई.
तब भी चुत की लालसा ने कुसुम को लंड पकड़ने को मजबूर कर दिया.

उसने लंड को पकड़ कर उसकी चमड़ी को नीचे किया. जिससे रोहन की एक मादक आह निकल गई.

कुसुम से अब और सब्र नहीं हो रहा था वो चुदास के मद में झूम रही थी.
उसने अपने बेटे रोहन के लंड के सुपारे पर एक बार जीभ फेरी और लंड के प्रीकम का स्वाद लेकर एकदम भूखी शेरनी की तरह लंड पर झपट पड़ी.

उसने लंड को अपने में मुँह में ले लिया और धीरे धीरे पूरा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.

कुछ ही देर के प्रयास में कुसुम ने अपने बेटे का पूरा लंड मुँह में ले लिया.
लंड गले से टकरा रहा था जिससे कुसुम को तकलीफ हो रही थी. रोहन का लंड काफी लंबा और बहुत मोटा था.

रोहन को इस पल बहुत मज़ा आ रहा था. उसका लंड उसकी मॉम के मुँह से चुस रहा था, ये अहसास उसे मस्त किए दे रहा था.
इसी मजे के कारण उसकी गांड हवा में बार बार उछल रही थी और मॉम के मुँह में अन्दर तक लंड जा रहा था.

रोहन अब खुद अपनी मॉम के सर को पकड़ कर अपने लंड पर दबा रहा था. रोहन का लंड कुसुम के कंठ तक पहुंच कर आतंक मचा रहा था.

इससे कुसुम को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. वो बार बार रोहन के हाथों को अपने हाथों से पकड़ कर खींचती और इशारे से कहती कि अपना लंड बाहर निकाल ले.

रोहन ने इशारा समझ लिया और उसने अपनी मॉम की बात मान ली.
पर अब उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.

उसने अपनी मॉम को लिटा दिया और अपना लंड कुसुम की चूत के मुहाने पर लगाकर रगड़ने लगा.
कुसुम को जब अपनी चुत पर अपने बेटे के लंड का अहसास हुआ, तो वो मजे से झूम उठी.

उस पल एक बार उसे वो अहसास भी हुआ कि जिस चूत से उसने अपने इस बेटे को जन्म दिया था, आज वही बेटा अपना लंड उसी चूत में घुसेड़ने जा रहा है.

कुसुम उसी पल उत्तेजना में झड़ने लगी. चुत के रस की चिकनाई से रोहन से भी रहा न गया और उसने अपना लंड रगड़ते रगड़ते ही अन्दर की तरफ धकेल दिया.

पहली बार में ही रोहन का आधा लंड उसकी मॉम कुसुम की चूत में घुस गया.
लंड की मोटाई और लम्बाई से कुसुम की चुत चिर सी गई और उसके मुँह से तेज चीख निकल गई- आआ आहह उफ्फ़ … मादरचोद … धीरे कर रोहन … प्लीज़ … अहह!

उसी पल रोहन ने अपना लंड बाहर निकाला और एक और तेज धक्का देकर अपनी पूरी ताकत से लंड को कुसुम की चुत की गहराई तक पहुंचा दिया.
लंड चुत की गहराई में बच्चेदानी को टच कर गया था.

इस बार कुसुम की चीख पहले से तेज़ निकल गई थी और उसकी आंखों से आंसू की बूंदें भी छलक आई थीं- ऊऊओह येस … कितना मोटा है तेरा लंड रोहन … आहह मज़ा आ गया … उम्म्म … ओह … यसस्स.

अपनी मॉम की आंखों में आंसू देखकर रोहन रुक गया है और उसने अपनी मॉम की आंखों को चूम लिया. वो कुसुम के होंठों को चूसने लगा और साथ ही साथ कुसुम के चूचों को भी हल्के हल्के दबाने लगा.

कुसुम को मज़ा आने लगा और उसकी कमर नीचे से उठ कर लंड में धक्के लगाने लगी.
इससे रोहन भी धीरे धीरे अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा.

अब रोहन अपनी मॉम को जबरदस्त तरीके से चोदने में लगा था और कुसुम आंखें बंद करके बस अपने बेटे के लंड की चुदाई से मिल रहे मजे में खोई हुई थी.

कुसुम- आआहह ओह ईईईर … आई एम लविंग इट … यसस्स्स … फक माय होल … ओ माय गॉड … ऐसा मज़ा तो मुझे कभी नहीं मिला … अहह … ओह रोहन … यू आर फकिंग मी रियली गुड … फक मी विद युअर हार्ड कॉक … अह चोदो मुझे … मारो मेरी चूत … अहह.

अब तक ऐसी चुदाई में इतना मजा उसे कभी नहीं आया था. वो मजे से पागल हुई जा रही थी.

कुछ देर बाद रोहन ने अपनी मॉम को पलट दिया और उसे डॉगी पोजिशन में ले आया.
कुसुम भी झट से कुतिया बन कर अपनी गांड हिलाने लगी.

रोहन ने पीछे से अपना लंड अपनी मॉम की चूत में पूरा घुसा दिया.
इससे कुसुम की मादक सिसकारियां और तेज़ हो गईं- आआ आहह … ओह माय गॉड नोओओ उम्म्म्म … नोऊओ.

रोहन इस बार अपनी मॉम की कमर पकड़ कर पूरी ताकत से चुत में लंड के धक्के लगा रहा था.

लगभग 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद रोहन को लगा कि अब उसका लंड कभी भी पिचकारी छोड़ सकता है.
उसने तुरंत अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपनी मॉम को पलट कर उसके चेहरे के पास लंड ले आया.

वो ‘आआ आआहह … उम्म्म्म ..’ करता हुआ लंड हिलाने लगा.
अगले ही कुसुम के चेहरे पर सफेद रंग के मक्खन की बारिश होने लगी जिसे कुसुम अपनी उंगलियों की मदद से चाटने लगी.

काफी माल चाटने के बाद भी रोहन का माल उसके चेहरे से होता हुआ उसके चूचों तक आ गया था.
कुसुम एक एक बूंद को इकट्ठा करके उसे चाटने लगी.

दूसरी तरफ रोहन पूरा लंड खाली करके बिस्तर पर धड़ाम से गिर गया.

कुसुम अपने आपको साफ करने के लिए बाथरूम में चली गई.


 

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मामी को माँ बना कर इच्छा पूरी की -1



नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम कमल है, मैं मेरी मेरी Xforum मामी की चुदाई की कहानी आपके लिए लाया हूँ. आशा करता हूं कि आपको ये कहानी पसंद आयेगी.
मैं मुंबई में काम करता हूं। मैं एक हट्टा कट्टा, 24 वर्ष का नौजवान हूं। मेरा लिंग इतना बड़ा है कि अगर वो किसी महिला के सामने नंगा हो तो उसको अपने वस्त्र उतारने पर मजबूर कर सकता है.

काम की वजह से घर कम ही जाता हूँ। एक बार मैंने अपने घर जाने के लिए थोड़ी ज्यादा छुट्टी ले ली थी. उसी वक्त मेरी मामी की चुदाई की कहानी बनी थी.

मेरी मामी बहुत खूबसूरत है, बिल्कुल एक अप्सरा जैसी। उनकी उम्र मामाजी से थोड़ी कम है। उनके बदन का एक एक हिस्सा मानो आग में ताप पाकर सोने सा निखरा हो। उनके होंठ जैसे प्यास बुझाने वाली शीतल जल की धारा हों। मामी के वक्ष ऐसे जिनकी गहराई से बाहर निकलना संभव ही न हो. बस अंदर ही अंदर उस झील में गोते लगाते रहो.

एक दिन मैं अपने घर में अकेला था. मेरी मां कुछ काम से बाहर गई हुई थी. तभी मामा और मामी घर आ गये. उनकी नई नई शादी हुई थी. मेरे मामा का पानी का बिजनेस है.

आने के बाद मामाजी ने बताया- तुम्हारी मामी यहीं पर रुकेगी, मुझे कुछ काम है इसलिए इनको यहीं छोड़ कर जा रहूा हूं.
उसके बाद मामाजी चले गये.

मैं मामी से कई बार मिला हुआ था. किंतु इस तरह से घर में अकेले में वो मेरे साथ पहली बार थी.

उन्होंने उस दिन आसमानी रंग की एक साड़ी पहनी हुई थी. ऊपर से नीचे तक एक अप्सरा जैसी लग रही थी जो अभी अभी धरती पर आयी हो.
मैंने कहा- बताइये मामी, आप क्या खायेंगी?
वो बोली- घर से खाकर आई हूं.

मैंने कहा- फिर क्या करें? मैं कम्प्यूटर पर गाना लगा दूं? तब तक वही सुन लेते हैं.
कम्प्यूटर पर मैंने रोमांटिक गाने लगा दिये.

मामी से मैं बोला- चलिये मामी, डांस करते हैं.
वो बोली- मैंने कभी नहीं किया है डांस.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं आपको सिखा देता हूं.

फिर मैंने अपना हाथ उनकी कमर पर रख दिया. दूसरा हाथ उनके हाथ में रखा और हम डांस करने लगे.

धीरे धीरे हम करीब आ गये. मैंने मामी को उनके बदन पर जगह जगह छूकर देखा. कभी उनकी कमर पर तो कभी उनके गाल पर और कभी उनकी गांड पर.

मैं बोला- मामी आप तो बहुत ही खूबसूरत लग रही हो.
वो बोली- थैंक्स.
फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं अपनी गर्दन नीचे करता गया. मेरी सांसें उनके गालों से टकराने लगीं. वो भी थोड़ी शरमाने लगी और तेज सांसें लेने लगी.

किसी मदहोशी में मैंने मामी के होंठों को चूम लिया और उनको किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. ये सब कुछ बिना सोचे समझे हो रहा था.

कुछ देर तक मामी मुझे किस करती रही और फिर अचानक रुक गयी. वो पीछे हट गयी और बोली- ये सब ठीक नहीं है.
मैंने मामी से कहा- मामी प्यास तो दोनों ओर ही लगी हुई है, इसको दबाने से क्या फायदा?
मामी दूसरी तरफ घूम गयी. सामने शीशे में मुझे देखने लगी.

मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैं इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाह रहा था.
मैंने मामी को एक बार फिर से पुकारा- मामी?
उन्होंने मेरी ओर देखा.

मैं बोला- मामी, मैं आपको बहुत पसंद करता हूं. आप जैसी खूबसूरत महिला मैंने आज तक नहीं देखी है. मैं अपना प्यार आज आप पर लुटाना चाहता हूं.
मामी ने फिर से अपनी नजर नीचे कर ली और अपनी चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगी.

उनका इशारा मैं समझ गया. मैंने मामी को पीछे से जाकर पकड़ लिया. उनका बदन पूरी तरह तप रहा था. मैंने पीछे से ही मामी के गाल पर एक चुम्बन कर दिया. मामी को मैंने अपनी बांहों में जोर से जकड़ लिया था. मैं अब उनको छोड़ना नहीं चाहता था.

वो थोड़ा मना कर रही थी.
मगर मैंने उनको कहा कि आज वो मुझे उनको प्यार करने से नहीं रोक पायेंगी. मैंने उनके गले को चूमना जारी रखा. उनकी पीठ पर भी मैंने बहुत चुम्बन किये.

उनके हाथ जो उनके वक्ष उभारों पर रखे हुए उनको दबा रहे थे, उन्हीं पर मैंने भी अपने हाथों को रख दिया और उनकी मदद करने लगा. मैं ज्यादा जोर से उनकी चूचियों को दबाने लगा. उनकी मखमली साड़ी के ऊपर से उनकी चूचियों को दबाने का अहसास बहुत ही उत्तेजित करने वाला था.

उनके गालों को चूमता हुआ मैं उनकी आंखें, नाक और माथे को भी चूमने लगा. हर जगह चूम चूम कर उनके करीब जाने लगा। मुझे उनको बेतहाशा चूमने का मन हो रहा था। मैंने उनके हाथों को अपने हाथ में लिया और पूछा- कैसा लगा अपने भान्जे का प्यार?

वो बोली- मुझे और प्यार चाहिए, मुझे आज इस प्यार के समुद्र में डूब कर ही तृप्ति प्राप्त होगी।

ये सुनकर मैं उनको फिर से हर जगह चूमने लगा. उनके पेट पर, उनके वक्ष, उनके होंठ चूमते हुए मैंने उनकी साड़ी निकाल दी।

मामी इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मैं बस उनको चूम चूम कर खा जाना चाह रहा था. चाहे उनके वक्ष हों या गांड, उनके बदन का हर अंग, हर हिस्सा बहुत ही कोमल और मदहोश कर देने वाला था.

उनके शरीर की मादक खुशबू के आगे तो दुनिया के सारे गुलाबों की महक भी फीकी लग रही थी. उनके होंठ इतने रसीले थे कि उनको मैं जितना पी रहा था मेरी प्यास और ज्यादा बढ़ जा रही थी. काम की इस देवी को मैं आज जी भर कर प्यार करना चाह रहा था.

मैंने उनको अपनी गोद में उठा लिया और उनको बेड पर ले गया। उन्होंने अपने आपको पूरी तरह मुझे जैसे सौंप दिया था. अपने हाथों से मुझे बांहों में भर लिया।

वहाँ बिस्तर पर मैंने उनका ब्लाउज निकाला, फिर उनका पेटीकोट निकाला और फिर ब्रा के ऊपर से ही उनके वक्ष चूमने लगा. उनके वक्षों को बहुत जोर से दबाने लगा. फिर मैंने धीरे से उनकी ब्रा को भी निकाल दिया।

मामी की चूचियां नंगी हो गयीं. उनकी चूची एकदम से गोरी थी और उनके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. मैं उनकी चूचियों को पीने लगा. जोर जोर से उनको जीभ लगा लगाकर चूसने लगा. मामी बहुत गर्म हो गयी थी.

उनके मुंह से सिसकारियां निकलना शुरू हो गयीं- अम्म … ऊह्ह … आह्स्स… करते वो मेरे मुंह को अपनी चूचियों में दबाने लगी. पांच मिनट तक उनकी चूचियों का रसपान करने के बाद मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिये.

फिर मैं उनके पैरों की ओर जाने लगा. मैं उनकी जांघों के अंदर वाले हिस्से को चूमने लगा. मामी एकदम से सिमटने लगी. मैंने उनकी चूत के पास किस कर दिया तो उन्होंने अपनी जांघों को भींच लिया.

मैंने दोबारा से उनकी जांघों को खोल कर उनकी पैंटी को खींच दिया और मामी की चूत नंगी हो गयी. मामी की चूत बहुत ही खूबसूरत थी. उनकी चूत की फांकों के बीच में हल्का सी दरार के अंदर का हिस्सा एकदम से गुलाबी दिख रहा था.

मामी की चूत के बहुत पास जाकर मैंने एक जगह चूम लिया. फिर अगले ही पल मैंने मामी की चूत को भी चूम लिया और उस पर मुंह लगा कर उसको जोर जोर से चूसने लगा. मामी पागल सी होने लगी और अपनी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगी.

दो मिनट तक चूत को चूसने के बाद मैं उठा और उनको इसी अवस्था में निहारने लगा. वो मेरी ओर देख कर मुस्करा रही थी.
फिर बोली- ऐसे क्या देख रहे हो, अब मुझे क्यों तरसा रहे हो अपने प्यार के लिए?
मैं बोला- आपको इस तरह देख कर मैं आपकी खूबसूरती को निहारते हुए अपनी आंखों की प्यास को भी बुझा रहा हूं. ऐसा संगमरमरी बदन मैंने आज तक नहीं देखा.

मामी बोली- आज के बाद से ये सब तुम्हारा ही है. इसको जितना चाहो चोद लेना.
मैं बोला- सच?
मामी ने सिर हिला कर हामी भर दी.

उसके बाद मैंने धीरे से मामी की चोटी भी खोल दी. उनके बाल खुल गये और मामी अब और ज्यादा सेक्सी लगने लगी. उनके शरीर को मैंने पूरी तरह से अपने नीचे कर लिया और उनके बदन के हर हिस्से को छूकर देखने लगा.

ऊपर से नीचे जाते हुए फिर मैं उनके हर अंग को चूमता हुआ उनकी चूत पर पहुंच गया. मैंने उनकी चूत में जीभ दे दी और उसको जोर जोर से चूसने लगा.
मामी जोर जोर से सिसकारने लगी- आह्ह कमल, मर गयी … आईई … आह्ह … मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं.

मैं और जोश में आकर मामी की चूत को चाटने लगा. उनकी चूत से निकलने वाला नमकीन रस मुझे उनकी चूत को काट कर खा जाने के लिए प्रेरित कर रहा था. मामी मेरे सिर को पकड़ कर मेरे मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी.

फिर जोर से सिसकारते हुए बोली- अब चोद दे प्लीज … और नहीं रुक सकती मैं. अब रहा नहीं जा रहा. मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं.
मामी की विनती पर मैंने अपने लौड़े को उनकी चूत पर सेट कर दिया और उनके ऊपर मिशनरी पोजीशन में लेट गया और मेरा लंड अंदर प्रविष्ट कर गया.

मैं मामी की चूत को चोदने लगा. क्या बताऊं दोस्तो, मामी की चूत में लंड देकर चोदने में जो आनंद मुझे मिल रहा था उसकी तुलना में दुनिया का हर आनंद फीका था. मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर पर निकल गया था.

मामी भी मेरे लंड को पूरा अंदर लेते हुए चुदाई का मजा ले रही थी. मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि अपनी मामी की चुदाई मुझे अपने ही घर में करने का ये सुनहरा अवसर मिलेगा.

कई मिनट तक मैं मामी को उसी पोज में चोदता रहा. फिर मैंने उनको घोड़ी बनने के लिए कह दिया.
वो घोड़ी की स्थिति में आ गयी. मैंने पीछे से मामी की चूत में लिंग डाल दिया और चोदने लगा.

मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और जोर जोर से धक्के लगा कर मामी की चुदाई करने लगा.

मामी के मुंह से अब तेज तेज आवाजें आने लगीं- आह्ह चोदो… फक मी कमल … आह्ह मजा आ रहा है. बहुत दिनों के बाद चुदाई में ऐसा आनंद मिल रहा है. मैं तो तुम्हारे लंड की कायल हो गयी हूं. आह्ह चोदो मुझे… चोदते रहो।

मामी की ये बातें मुझे उनकी चूत को और जोर से ठोकने के लिए उकसा रही थीं. मैंने उनकी चूचियों को कस कर भींच लिया और उनके ऊपर झुक कर पूरी ताकत से उनकी चूत को फाड़ने लगा. हैरानी की बात थी कि मामी मेरे लंड के धक्कों को बर्दाश्त कर जा रही थी. मामी की चूत की गर्मी बहुत ज्यादा थी.

कुछ देर तक मैं उनको पूरी ताकत से चोदता रहा और फिर एकाएक दोनों ही साथ में झड़ गये.
मामी बोली- तुम तो बहुत अच्छे से चोदते हो. इतना मजा कभी नहीं आया मुझे सेक्स के दौरान.
फिर मामी मेरी छाती पर सिर रख कर आराम करने लगी.
मुझे अपनी मामी की चुदाई करने में बहुत मजा आया था.

हमें एक दूसरे की बांहों में आराम करते हुए एक घंटा बीत गया. तभी मामाजी का कॉल आया. वो बोले कि उन्हें 3-4 घंटे और लगेंगे आने में।
मैंने बोल दिया- कोई बात नहीं. अभी तो मामी आराम ही कर रही हैं. आप आराम से आ जाइयेगा.

उसके बाद मैंने मामी को बोला- अब क्या करना पसंद करेंगे आप?
वो बोली- एक और राउन्ड हो जाए, इतना प्यार आज तक नहीं मिला मुझे।

ये कह कर मामी मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूमने लगी। इस बार मैंने मामी की चुदाई अपनी गोद में बैठा कर की।
उनको ये तरीका बहुत पसंद आया। उनके गालों को चूमते हुए मैं उनको चोदता गया।

इस बार मैंने उनको बोला- चलो अब मामी की गांड की चुदाई की जाए.
वो मुस्कराते हुए खुद ही तैयार हो गई।

मैंने थोड़ा सा तेल लेकर उनकी गांड पर डाला और थोड़ा सा अपने लंड पर भी डाला. गांड को चिकनी करने के बाद मैंने लंड को धीरे धीरे उनकी गांड में पेलना शुरू कर दिया. उनको दर्द हो रहा था मगर वो मेरे प्यार के वशीभूत होकर सारा दर्द बर्दाश्त कर ले रही थी.

मामी की गांड को मैं तेजी से पेलने लगा. मामी के मुंह से निकलने वाली मादक सिसकारियों में अब मजे के साथ दर्द भी था. मगर मुझे तो केवल मजा आ रहा था. मैं जोर जोर से उनकी गांड में लंड को ठोकता रहा और मामी की चुदाई का पूरा मजा लिया.

जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने कहा- अबकी बार कहां निकालना है?
वो बोली- इस बार भी चूत में ही निकाल दो. मुझे वहीं पर माल निकलवाना पसंद है.

मैंने वैसा ही किया. उनको सीधी लेटाया और उनके ऊपर आ गया. उनकी चूत में अपना लंड बहुत आराम से अंदर बाहर करने लगा।
वो कहने लगी- कितना अच्छा चोदते हो आप, और जोर से करिए, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

फिर मैंने एक तकिया बगल से उठा लिया और उनकी गांड के नीचे रख दिया. अपने लंड को उनकी चूत पर सेट करके उनके ऊपर आ गया. अपने हाथ में मामी के हाथ ले लिए और उनके उनके गले पर जोर से चुंबन करने लगा. नीचे से उनकी चूत में लंड देकर अंदर तक चोदने लगा.

अब मुझे उनकी बच्चेदानी पर लंड टकराता हुआ महसूस हो रहा था. 10 मिनट तक मैं ऐसे ही उनको चोदता रहा और फिर उनकी चूत में अपना सारा रस छोड़ दिया।

इसके बाद मैं उनकी बगल में आ गया. हम दोनों ही अब बुरी तरह से थक गए थे। उनके शरीर से निकले पसीने में उनका गोरा बदन कमल जैसा चमक रहा था. मैं उनको गौर से देखता रहा.

उन्होंने मुझे फिर से शुक्रिया अदा किया।

मामी बोली- और क्या चाहिए आपको?
मैंने उनके होंठों को चूम कर कहा- मैं आपको दुल्हन की तरह सजा कर आपके साथ एक बार सुहागरात मनाना चाहता हूं.
वो बोली- ठीक है, कल मैं आपको फोन करके इस बारे में बता दूंगी. आप मेरे घर आ जाना.

हमने फिर एक घंटा आराम किया. दोनों ने कपड़े पहने और मैंने मामी के लिए चाय बनाई.

तभी मामाजी की आवाज़ आई।
वो आए और मामी को लेकर चले गये.

दूसरे दिन मामी का फोन आया. उन्होंने मुझे दोपहर में आने का बोला, तब मामाजी घर पर नहीं होते।

मैं मामी के घर गया. उनके लिए बहुत सारी चॉकलेट भी लेकर गया और साथ में ही एक डॉटेड कॉन्डम भी.

उनके घर पहुंचा तो मामी ने मुझे पानी दिया. मुझे बाहर बैठा कर बोली- दस मिनट के बाद अंदर बेडरूम में आना. आपकी दुल्हन आपका इंतजार करती हुई मिलेगी.

दस मिनट के बाद मैं अंदर गया तो मामी ने पूरा रूम सजा रखा था. वो खुद बेड पर दुल्हन बन कर बैठी हुई थी. जाते ही मैंने उनको गोद में उठा लिया और उनको बेतहाशा चूमने लगा.

उनके इस रूप को देख कर मुझसे रहा न गया और मैंने दो मिनट में ही उनको नंगी कर दिया. मामी की नग्न चूत पर चॉकलेट लगाई और उसको चाटने लगा. मामी गर्म हो गयी.

उसके बाद मैंने अपने लंड पर कॉन्डम लगा लिया और उनकी चूत में लंड दे दिया. मैं मामी की चुदाई करने लगा. दोनों को मजा आने लगा. 15 मिनट तक मामी की चुदाई चली.

फिर मैं उनको बाथरूम में ले गया. मैं उनके साथ नहाना चाह रहा था. मैंने शावर ऑन कर दिया और मामी मेरे नंगे बदन से चिपकने लगी. वो मेरे बदन को हर जगह से चूमने लगी.

उसके बाद मामी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुठ मारने लगी. फिर मेरे बिना कहे ही वो मेरे घुटनों में बैठ गयी और मेरे लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी. मैं तो मारे मजे के पागल हो गया.

मैंने मामी के सिर को पकड़ लिया और उनके मुंह में लंड को पेलने लगा. मेरे मुंह से जोर जोर के सीत्कार फूट रहे थे और लंड भी फटने को हो रहा था. मैं तेजी से मामी के मुंह को चोदने लगा और एक बार फिर से मैंने मामी के मुंह में वीर्य निकाल दिया.

फिर बाहर आकर हमने कपड़े पहने और फिर उसके बाद खाना खाया. खाना खाकर हमने एक बार और चुदाई की. मैंने उनको वहीं डाइनिंग टेबल पर ही चोदा। वो बहुत खुश हो गई और खुद से बोली- आज मामी की गांड चुदाई नहीं करनी क्या?

उनकी बात पर मैं मुस्करा दिया और उनको गोद में उठा कर फिर से बेडरूम में ले गया. वहां उनको कुतिया बना कर उनकी गांड चोद दी. उसके बाद मैं अपने घर आ गया. तब से लेकर मामी की चुदाई का खेल यूं ही चल रहा है.
 

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मामी को माँ बना कर इच्छा पूरी की -2




उन हसीन पलों के बाद मामी और मैं फिर से मिले और जी भर के प्यार किया.

फिर मैं अपने काम के लिए शहर चला आया. उसके एक साल बाद मैंने अपनी फैमिली को भी यहां शिफ्ट कर लिया.

अब मुझे मामी जी से मिले दो साल हो गए हैं. उनके मम्मे और उनकी सुगंध आज भी दिमाग में आ जाती है तो बस मत पूछिये.
मगर अब कुछ कर नहीं सकता था.
दिल में मामी को चोदने की कल्पना करके अपने लंड की मुठ मार लेता था.

फिर एक दिन किस्मत ने मेरी सुन ही ली.

एक दिन मामाजी का फोन आया और उन्होंने बोला कि वो और मामी किसी काम से शहर आ रहे हैं.

मेरी माताजी तो ये खबर सुनकर बहुत खुश हो गईं. आखिर वो भाई बहन जो थे.

पर मैं सिर्फ अपनी मामी के लिए ही खुश था.
मैंने तुरंत मामी को मैसेज किया और उधर से सिर्फ दिल वाला निशान ही आया.
मैं इससे ही खुश हो गया.

फिर वो दिन भी आ गया, जब मामा मामी हमारे घर आए.
मम्मी उन दोनों को देखकर बहुत खुश हुईं और मैं सिर्फ मामी को देखकर खुश था.

वो दोनों थोड़ी देर बैठे ही थे कि माताजी और मामाजी पास में एक मंदिर जाने का मन बनाने लगे.

मामा ने मुझसे साथ चलने को कहा.

मैंने कहा- आप लोग हो आइए मुझे थोड़ा काम है.
मामा बोले- ठीक है, तेरी मामी भी घर पर आराम कर लेगी.

फिर माताजी और मामाजी घर से निकल गए.

उनके जाते ही मामी कहने लगीं- मैं नहा लेती हूँ.
मैंने उनकी तरफ प्यार से देखते हुए कहा- ठीक है, आओ मैं आपको वाशरूम दिखा देता हूँ.

मैं उनका सामान अपने कमरे में रखने चला गया. मामी मेरे पीछे आईं और कहने लगीं- मुझे अपने बैग में से कपड़े निकालने हैं.
मैंने बोला- हां ले लीजिए.

वो जैसे ही बैग के लिए आगे बढ़ीं, मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन पर चुंबन करने लगा.

मामी आह भरते हुए कहने लगीं- इतनी देर से क्यों तड़पा रहे थे?
मैंने कहा- बस अब नहीं तड़फाऊंगा मेरी जान.

मैंने तुरंत घर का मुख्य दरवाजा बंद किया, फिर अपने रूम का दरवाजा बंद कर लिया. ताकि कोई आ भी जाए तो हम दोनों को संभलने का मौका मिल सके.

मैंने मामी को अपनी बांहों में लेकर चुंबन करना शुरू कर दिया.

उनके बदन को चूमते हुए मैंने उनको बिस्तर पर धक्का दे दिया.
मामी बिस्तर पर गिरीं, तो मैंने उनके सारे कपड़े निकाल दिए.

अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने चित पड़ी थीं. मामी का गोरा बदन काले रंग की ब्रा पैंटी में अलग ही चमक रहा था.

मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उनके पूरे बदन को चाटने लगा. फिर मैंने उनकी ब्रा और पैन्टी भी निकाल दी और खुद नीचे जाकर उनकी चूत चाटने लगा.
मामी की चुत एकदम साफ़ थी, झांटों का नामोनिशान तक नहीं था.

मैंने मामी की ओर देखा, तो उन्होंने कहा- तुमसे मिलने की आस में सब कुछ रेडी करके आई हूँ.

मैं उनकी चुत को फिर से चाटने लगा और अपने हाथों से उनके मम्मे दबाने लगा.

आज दो साल बाद भी मामी का बदन इतना खूबसूरत था कि जन्नत की हूर भी उनकी खूबसूरत जवानी देख कर शर्मा जाए.

मैंने मामी को पीछे पलट दिया और उनकी पीठ पर चुम्बन करते हुए ऊपर आता चला गया.

उनके बदन को अच्छे से अपने नीचे करके पीछे से उनकी चूत में मैंने अपना लंड डाल दिया.
मामी के मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं.

मैं थोड़ी देर ऐसे ही उनको चोदता रहा, फिर मैंने उनको आगे पलटा दिया और उनके मम्मे पीते हुए उनको चोदने लगा.
कोई 20 मिनट तक हम ऐसे ही भानजा मामी सेक्स में लगे रहे, फिर मैंने अपना काम रस उनकी चूत के बाहर ही छोड़ दिया.

आप लोग तो जानते ही हैं कि मामी को ऐसे ही रस लेना पसंद है.

फिर हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए नहाने चले गए.

जब तक माताजी और मामाजी नहीं आए, हम दोनों ऐसे ही प्यार से एक दूसरे के साथ बैठे रहे और चुंबन करते रहे.

कुछ समय में मामाजी और माताजी भी आ गए.
फिर पूरी फैमिली ने मिलकर खाना खाया और बहुत सारी बातें होती रहीं.

तभी मामाजी मुझसे बोले- मुझे अपने एक मित्र के साथ बिजनेस के सिलसिले में मिलने जाना है. तुम अपनी मामी जी को शहर घुमा दो.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने माताजी को पूछा तो उन्होंने बोला- शाम को मंदिर में सोसायटी का प्रोग्राम है … मैं वहां जाऊंगी. तुम ही अपनी मामी को घुमा लाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

शाम को मैं और मामी जी तैयार होकर बाहर जाने लगे.
जब मामी जी तैयार होकर आईं, तो मैं उन्हें देखता ही रह गया.
मामी ने ब्लू जींस और पिंक टॉप पहना था. पहली बार आज मैंने मामी को जींस और टॉप में देखा था.
ऊपर से उनका गोरा बदन मानो बिजली गिरा रहा था.

हम दोनों जैसे ही लिफ्ट से नीचे जाने लगे, तो मैंने उनके दूध दबा दिए और होंठ पर एक चुंबन कर दिया.

वो इठला कर बोलीं- ये क्या था?
मैंने कहा- बस आप पर प्यार आ रहा था.

वो हंसने लगीं और उन्होंने भी मुझे चूम लिया.

मामी बोलीं- कमल, मुझे तुमसे कुछ चाहिए है.
मैंने कहा- बिंदास मांग लो, आपके लिए तो मेरी जान भी हाजिर है.

मामी ने झट से मेरे होंठों पर अपनी हथेली रख दी और बोलीं- शुभ शुभ बोला करो.
मैंने उनकी हाथ अपने हाथों में लिए और उनकी आंखों में प्यार से देख कर पूछा- बोलो मेरी जान … मैं क्या दे सकता हूँ?
मामी ने आंख दबाते हुए कहा- दो बूंद जिन्दगी की.

मैं समझ गया लेकिन मैंने उनसे कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि लिफ्ट रुक गई.

मैं मामी का हाथ पकड़ कर बाहर आ गया.

इसके बाद हम दोनों में इधर उधर की और प्यार मुहब्बत की बातें होती रहीं. मैंने उन्हें शहर में थोड़ा इधर-उधर घुमाया.

फिर मामी का मूवी देखने का मन हुआ, तो हम दोनों मूवी देखने चले गए.
मूवी काफी रोमांटिक थी, तो हम दोनों का ही मूड बन रहा था, पर वहां कुछ हो नहीं सकता था.

फिर हम दोनों मॉल में आ गए और हमने शॉपिंग की. मैंने मामी जी के लिए तीन ड्रेस पसंद किए, उन्होंने भी मुझे कपड़े दिलाए.

कुछ देर बाद मैंने मामी से कहा- आप इधर ही रुको, मैं टॉयलेट होकर आता हूँ.

मैं टॉयलेट जाने के बहाने से अलग हुआ और उस मॉल के वेडिंग स्पेशल सेल में चला गया.
वहां एक खूबसूरत सा लहंगा चुनरी टंगा हुआ था.
मैंने उसे खरीद लिया और पैक करवा कर ले आया.

जब मैं आया, तो मामी ने मेरे हाथ में बैग देखा. वो पूछने लगीं कि ये क्या ले लिया है?
मैंने कहा- कुछ स्पेशल लिया है. पर अभी नहीं, कमरे में चल कर बताऊंगा.

मामी मेरी तरफ जरा कौतूहल भाव से देखने लगीं, तो मैंने उन्हें आंखों से ही आश्वस्त किया और उन्हें चुप करा दिया.

फिर हम दोनों हाथ पकड़े एक दूसरे के साथ घूमने लगे; रेस्तरां में खाना खाने गए.

तभी बरसात होने लगी और घूमते हुए रात भी होने लगी थी.
हम दोनों भीग भी गए थे.

हम दोनों घर से दूर थे, मैंने सोचा बरसात में घर पहुंचना मुश्किल रहेगा और रात भी हो गई है.

मैंने मामी जी को समझाते हुए कहा- हम पास में कोई होटल में रुक जाते हैं.

वो मेरा मतलब तो समझ गई थीं, पर झिझक रही थीं.

मैंने कहा- मैं घर पर बता देता हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है.

फिर मैंने घर पर कॉल करके बता दिया कि हम दोनों सुबह आएंगे, बारिश होने से आने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है.

मेरी माता जी ने भी हां कह दी और हम एक होटल में रूम लेकर रुक गए.

हम होटल के रूम में जैसे ही अन्दर गए, तो मैंने अपने गीले हो चुके कपड़े निकाल दिए और मामी जी ने अपने कपड़े निकाल दिए.

हम दोनों साथ में ही नहा लिये. अब मैंने कमरे की रोशनी को हल्की कर दिया.

मैंने मामी को गोद में लेकर बेड पर लेटा दिया. उनके बालों को खोल दिया.

उनके हाथों में चूड़ियां खनक रही थीं. मैंने उनको भी निकाल दिया, उनके बदन को हर जगह चूमने लगा.

मैंने चूमते हुए मैंने उन्हें ‘आई लव यू ..’ बोला, उन्होंने भी मुझे ‘लव यू टू ..’ बोला.

सच बताऊं तो मुझे मामी को चूमना और चाटना बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने उन्हें हर जगह चूमा और उनके मम्मों को चूस चूस कर लाल कर दिया.
फिर उनके पैरों के बीच में जगह बनाकर मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा और उनके नर्म नर्म होंठ चूमता रहा.

मैंने बहुत आराम से उनको चोदना चालू किया और काफी देर तक उनको चोदता रहा.
बारिश में भीगने के कारण हम दोनों जितने ठंडे हुए थे, इतना सेक्स करने के बाद हम उससे भी ज्यादा गर्म हो गए थे.

फिर हम दोनों साथ में झड़ गए और साथ में लेट गए. मैंने अपना रस उनके पेट पर ही निकाल दिया था.

मामी बोलीं- मैंने तुमसे कुछ मांगा था, याद है न!
मैंने बोला- हां मैंने भी कहा था कि आपके लिए मेरी जान भी हाजिर है.

वो बोलीं- तुमसे मुझे एक बच्चा चाहिए.
मैंने कहा- ठीक है. मगर मेरी एक इच्छा है.

मामी ने पूछा- क्या इच्छा है?
मैंने कहा- मैं आपको दुल्हन के रूप में भोगना चाहता हूँ और पूरे मन से आपको दो बूंद जिन्दगी की देना चाहता हूँ.

मामी हंस दीं और बोलीं- अच्छा तो तुम मेरी मनोकामना उसी समय समझ गए थे!
मैंने कहा- हां जी … और उसी के बाद मैंने आपके लिए वो गिफ्ट खरीदा था.

उस समय मामी को याद आया कि मैंने बैग में कुछ लिया था.
वो जल्दी से बैग की तरफ देखने लगीं और बोलीं- क्या है इसमें?
मैंने कहा- बैग खोल कर देख लो.

मामी ने बैग खोला तो उसमें दुल्हन के लिबास के लिए लाल रंग का लहंगा चुनरी और उसके साथ कुछ मेकअप का सामान था.

मामी ये सब देख कर खुश हो गईं. फिर मेरी बांहों में खुद को समर्पित करते हुए बोलीं- आई लव यू कमल.
मैंने भी मामी को चूमा और कहा- लव यू टू जान.

अब मैंने मामी से कहा- अब आप बाथरूम में जाकर जल्दी से मेरी दुल्हन बन कर आ जाओ. फिर मैं तुम्हें दो बूंद जिन्दगी की दे देता हूँ.

मामी किलकारी भरती हुई लहंगा चुनरी और बाकी का सामान लेकर बाथरूम में चली गईं.

बीस मिनट बाद मामी बाथरूम से एक नई नवेली दुल्हन के लिबास में घूंघट निकाले हुए मेरे सामने आईं.
मैं उन्हें देख कर खुश हो गया.

मामी बेड पर दुल्हन की तरह घुटने ऊपर करके बैठ गईं. मैं उनके करीब गया और और उनका घूघंट उठाने लगा.
तो मामी बोलीं- मेरी मुँह दिखाई तो दो!

अब मैं अचकचा गया.
फिर मैंने अपने गले की जंजीर उतारी और मामी को पहनाने लगा.

मामी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैंने उनकी तरफ देखा तो मामी ने कहा- ये नहीं … अपना स्पेशल इंजेक्शन लगा दो.
तो मैंने कहा- दो बूंद जिन्दगी वाला!

मामी हंस पड़ी.

मेरी मामी मुँह दिखाई में लंड देखना चाह रही थीं.
मैंने उनका घूंघट उठाया और उनके होंठों से अपने होंठों को जोड़ दिया. हम दोनों प्रेम के सागर में डूबते चले गए.

कुछ पल बाद उन्होंने बताया- तुम्हारे मामाजी बिजनेस के लिए विदेश जाकर रहने का बोल रहे हैं. तब ये बच्चा मेरे लिए तुम्हारी याद बन जाएगा.

मामी के विदेश जाने की बात सुनकर मुझे थोड़ा बुरा लगा, परंतु मैंने मामी जी की बात मान ली.

उस रात चार बार भानजा मामी सेक्स हुआ. और हर बार मैंने अपना लंड चुत में खाली किया और मामी की चुत को दो बूंद की जगह चार चम्मच वीर्य पिला दिया.

सुबह हम दोनों घर आ गए.

वहां मामाजी ने भी वही विदेश जाने की बात बताई.

कुछ दिनों बाद मुझे मामी का मैसेज आया, इसमें उन्होंने मां बनने का संदेश लिखा था.
मैं उनके लिए बहुत खुश था.

अब मामाजी और मामी जी विदेश में रहते हैं और मेरी भी शादी हो गई है.
पर मुझे मामी जी की याद हमेशा आती है.
 

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बहनों की अदला बदली और ग्रुप सेक्स- 1



दोस्तो, मेरा नाम निखिल है और मैं अपनी सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ


मैं आपको पहले ये बता दूं कि इस सेक्स कहानी में मेरी कहानियों के एक प्रसंशक ने ही मेरी बहन को चोदा है और मैंने उसकी बहन को चोदा है.

उस प्रशंसक का नाम सुनील है और वो 21 साल का है. सुनील जालंधर का रहने वाला है.

एक दिन मुझे सुनील का मेल आया और उसने किसी प्रशंसक की तरह मुझे बताया कि आपकी कहानियां मुझे बहुत पसंद हैं. मैंने कई बार उन कहानियों को पढ़ते हुए मुठ मारी है.

ऐसे ही बातें करते-करते उसने मुझे बताया कि मैं भी अपनी छोटी बहन को चोदना चाहता हूँ.

सुनील ने अपनी बहन का नाम सुरीली बताया और इसके लिए सुनील ने मेरी मदद मांगी.

पहले तो मैंने सोचा कि वो ऐसे ही झूठ बोल रहा है, पर उसके बार बार बोलने पर मैंने सोचा कि इसकी मदद कर देता हूँ.

अब मैं सुनील को मैसेज करके बताया करता था कि तू ऐसा किया कर या वैसा किया कर, जिससे तेरी बहन तुझसे खुश रहे और उसके करीब आती जाए.

फिर एक दिन उसने मुझसे ऐसी बात कही कि मैं अब उसकी बहन को उससे पटवाने में पूरी जान लगाने लगा.

सुनील ने मुझसे कहा कि अगर मेरी बहन आपकी मदद से पट गयी, तो आप और आपकी बहन … और मैं और मेरी बहन सुरीली साथ में मिल कर कहीं सामूहिक चुदाई करेंगे.

पहले तो मैंने सोचा कि सुनील ऐसे ही बोल रहा होगा, वो क्यों अपनी सगी बहन को मुझसे चुदवाएगा और वैसे भी मेरी दीदी युविका इसके लिए राज़ी नहीं होने वाली थीं.

फिर पांच दिन बाद उसने मुझे सुरीली का फ़ोटो दिखाया और मेरी सारी सोच ही बदल गयी.
उसकी बहन नाम से ही नहीं, बदन से भी सुरीली थी.

वो अभी 19 साल की थी और उसका बदन एकदम गठीला था.
उसके फिगर ने मुझे मेरी दीदी युविका के 6-7 साल पहले के फिगर की याद दिला दी.
सुरीली भी मेरी दीदी की ही तरह हुस्न की मल्लिका थी. वो भी मेरी दीदी की ही तरह छोटी हाइट वाली थी और उसका वजन भी ज्यादा नहीं था.

सुरीली के कातिल शरीर ने मुझे उस टाइम की याद दिला दी, जब मैं मेरी बहन को शुरू में चोदता था.
मैं ऊंचे कद का था और मेरी दीदी छोटे कद की थीं. इसलिए मैं दीदी को खड़े खड़े अपनी गोद में उठा कर चोदता था.

शादी के बाद मेरी दीदी वजन से भारी हो गयी थीं, तो वो मुझसे उठाई नहीं जाती थीं.

तो मैंने सोच लिया था कि सुरीली को भी ऐसे ही चोदूंगा. अब चाहे कुछ भी हो जाए, मैं सुनील की मदद जरूर करूंगा.

मैंने सुनील का नंबर ले लिया और उसको समय समय पर फ़ोन करता रहता था. उसको निर्देश देता रहता था.
वो कभी-कभी मुझे वीडियो कॉल करके सुरीली को चुपके से दिखाता भी था.
सुनील की बहन को गोद में उठा कर चोदने का मेरा बहुत मन होने लगा था.

लगातार 8 महीने मेहनत करने के बाद सुरीली को सुनील ने पटा ही लिया और अपनी बहन की सील तोड़ दी.
अब वो रोज़ ही अपनी सिस्टर Xxx करने लगा था.

उसने मुझे सुरीली के नंगे फ़ोटो भी भेजे. एक फुल फोटो में तो नंगी सुरीली बिल्कुल जन्नत की हूर की तरह दिख रही थी.

मगर अब सुनील ने मेरे साथ बात करना कम कर दिया और वो मुझसे कन्नी काटने लगा. मुझे लगा वो अपना किया हुआ वादा भूल गया है.

फिर एक दिन मुझे पता चला कि मेरी दीदी युविका और जीजू जालंधर जीजू के किसी काम से गए हैं.
तो मैंने सोचा कि इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा.
मैंने सोच लिया कि दीदी को इस सामूहिक चुदाई के लिए मैं कैसे भी मना लूंगा, पर पहले सुनील को ये बात याद दिलानी पड़ेगी.

सुनील को मैंने 2 महीने से कोई फ़ोन नहीं किया था. उसको अपनी बहन सुरीली को चोदते हुए 3 महीने हो गए थे.

उस दिन मैंने सुनील को फ़ोन लगाया और उसे सामूहिक चुदाई वाले प्लान के बारे में याद दिलाया.

सुनील ने कहा- मैं कुछ भी भूला नहीं हूँ. मैं हर रोज़ सुरीली की चुदाई के वक्त उससे आपकी बात करता हूँ और मैंने सुरीली को आपके बारे में सब बता दिया है. सुरीली भी आपसे चुदने के लिए रेडी है.

मैं सुनील की बात सुनकर खुश हुआ.

उसने आगे बताया कि सुरीली पहले तो बहुत हैरान हो गयी थी कि जब उसने आपकी और आपकी दीदी की जबरदस्त चुदाई की कहानी पढ़ाई थी. इस पर सुरीली बोली थी कि कोई बहन अपने भाई से इतना ज्यादा कैसे चुद सकती है. मगर अब जब वो मुझसे चुद चुकी है, तो उसे समझ आ गया है कि चुदाई की मस्ती क्या चीज होती है.

सुनील ने आगे बताया कि सुरीली को वो सामूहिक चुदाई के प्लान के बारे में बता चुका है और वो राज़ी भी हो गयी है.

मैंने पूछा कि सुरीली ने ये सब जानकार क्या रिएक्ट किया.
तो सुनील ने बताया- मेरी बहन भी किसी दूसरे मर्द का लौड़ा अपनी चूत में डालने का अनुभव लेना चाहती है.

मैं ये सुनकर बहुत खुश हो गया.
मैंने उसे बताया- मैं कल ही जालंधर आ रहा हूँ. तुम दोनों तैयार रहना.

वो बोला- ठीक है, पर समय बता देते तो ठीक रहता.
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें कभी भी बुला सकता हूँ, तुम दोनों तैयार रहना.

अगले दिन मैं जालंधर निकल गया.

दीदी और जीजू किसी होटल में रुके थे जो सुनील के घर से ज्यादा दूर नहीं था.

मैं सीधा दीदी और जीजू से मिलने उनके होटल चला गया. वो दोनों मुझे इतने समय के बाद देख कर हैरान हो गए.

दरअसल मैं उनसे 9 महीनों से मिला नहीं था … और न ही ज्यादा बात हो पाई थी.

मैंने दीदी जीजा जी दोनों से झूठ बोल दिया कि मैं यहां अपने किसी दोस्त की शादी में आया था, तो मुझे पता चला कि आप दोनों भी यहां आए हो. इसी लिए मैं आपसे मिलने आ गया.

दीदी मुझे शक की निगाह से देख रही थी. उसे पता चल गया था कि मैं कुछ और ही करने आया हूँ.

दीदी बहुत सुंदर लग रही थी. हमने थोड़ी देर बातें की. तभी जीजू को एक फ़ोन आया, तो जीजू में हम दोनों से कहा कि वो किसी मीटिंग में जा रहे हैं, शायद ये मीटिंग इसी होटल में होगी. इसमें मुझे एक घंटा लग सकता है.

मैं सहमति में सर हिलाने लगा.

जैसे ही जीजू कमरे से बाहर निकले, मैं दीदी के ऊपर टूट पड़ा और दीदी को गले गला कर उनको किस करने लगा.
पर दीदी ने मुझे हटा दिया.
मैंने सोचा दीदी चुदने के लिए राज़ी नहीं है.

पर वो उठीं और दरवाजे के पास जाकर कुंडी लगा कर पीछे मुड़ कर मुस्कुराने लगीं.
फिर दीदी वहीं खड़े होकर अपने कपड़े उतारने लगीं.

मैंने भी बगल की टेबल पर रखा बियर का कैन उठाया और बियर पीते हुए अपनी नंगी होती दीदी की अदाओं को निहारने लगा.

थोड़ी देर में ही दीदी पूरी नंगी हो गईं.
अब मेरे सामने दीदी का नंगा बदन हिलोरें मार रहा था.

उन्हें नंगी देख कर मेरा लौड़ा भी उछाल मारने लगा.
मैं उठा और दीदी के पास जाकर उनको किस करने लगा और उनके बड़े बड़े चुच्चों को अपने हाथ में लेने की नाकाम कोशिश करने लगा.

दीदी की चूत हमेशा की तरह एकदम साफ थी. उस पर एक भी बाल नहीं था.

मैंने दीदी से कहा- दीदी … मैंने तो सोचा था कि आप चुदाई के लिए मानोगी ही नहीं, पर आप तो मुझ पर टूट ही पड़ीं.
दीदी ने बताया- हां भाई, तेरे जीजू ने कई महीनों से तेरी दीदी को चोदा ही नहीं है. इसलिए आज मैं खुद अपनी आग बुझाना चाहती थी.

दीदी की काम वासना देख कर मुझे एक बहुत अच्छा विचार आया.
मैंने दीदी को अपनी बांहों में लेकर पूरी तरह गर्म कर दिया.

दीदी का बदन आग की तरह तप रहा था.

मैंने अपना लौड़ा निकाला और दीदी की चूत पर रख कर बाहर से रगड़ने लगा.
दीदी की हवस चरम पर थी. उस हवस के कारण दीदी जानवरों की तरह हरकतें करने लगीं.

मेरा लौड़ा दीदी ने इतनी जोर से पकड़ा कि जैसे दीदी के हाथों में किसी पहलवान का जोर आ गया हो.

उसी समय मैंने अपना लौड़ा पीछे कर लिया और अपनी पैंट पहन ली.

मेरी दीदी ये देख कर हैरान रह गईं और सोचने लगीं कि ये क्या कर रहा है.
दीदी ने मुझसे पूछा कि ये मैं क्या कर रहा हूँ?

तो मैंने अपने प्लान के बारे में दीदी को सब बता दिया.
दीदी ये सुनकर हैरान रह गईं. पहले तो दीदी सामूहिक चुदाई के लिए मना करने लगीं.

पर जब मैंने दीदी को बताया कि इतने सालों बाद आपको नया और जवान लौड़ा लेने के लिए मिलेगा, तो उनका मन बनने लगा.

फिर मैंने दीदी को बहुत समझाया और मना लिया. कुछ देर बाद दीदी की चुत की आग ने उनसे हां बुलवा ही ली.
मैंने दीदी से कहा कि जीजू के यहां रहते ये संभव नहीं हो पाएगा.
दीदी ने कहा कि परसों जीजू काम से बाहर चले जाएंगे. वो सुबह 6 बजे निकल जाएंगे और रात को ही वापिस आएंगे.

ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गया.

इसके बाद मैंने दीदी की चुदाई की और उनके साथ सामूहिक चुदाई की चर्चा करने लगा.

उनको चार के ग्रुप में होने वाली चुदाई की कुछ ब्लू फिल्म भी दिखा दीं. इससे मेरी दीदी की चुत नए लंड के लिए कुलबुलाने लगी.
इधर मेरा लंड तो पहले से ही सुरीली की चुत के लिए अंगड़ाई भर रहा था.

चुदाई के बाद मैंने जल्दी से जाकर दीदी के साथ वाला कमरा बुक कर लिया और सुनील और सुरीली को भी परसों वहीं बुला लिया.
जीजू को मैंने पता नहीं चलने दिया कि मैं उनके साथ वाले कमरे में हूँ.

परसों सुबह 6 बजे जीजू चले गए और दीदी को मैंने अपने रूम में बुला लिया.
दीदी भी सुबह ही नहा कर आ गयी थीं. दीदी ने एक झीनी सी नाइटी पहनी थी और अन्दर कुछ नहीं पहना था.
आज दीदी चुदने के पूरे मूड में थीं.

सुबह से ही हम दोनों ने दो दो पैग गटक लिए थे.

करीब 8 बजे सुनील और सुरीली अपने घर में कुछ बहाना बना कर होटल पहुंच गए थे.
मैंने उन्हें अपने रूम में आने के लिए बुला लिया.

उन लोगों ने दरवाजा खटखटाया.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, तो मैंने देखा कि सुनील और सुरीली बाहर खड़े हैं.

सुरीली उन फ़ोटो से भी कहीं अधिक खूबसूरत लग रही थी. उसने काले रंग का सूट पहन रखा था और लाल लिपस्टिक लगा रखी थी.
उसका सूट इतना टाइट था कि उसके चुच्चे मानो कैद कर दिए गए थे.

मैं तो थोड़ी देर उसको देखता ही रह गया. पर सुनील के मेरे साथ हैलो करने के लिए हाथ बढ़ाया, तो मेरा ध्यान टूटा.

मैंने उन दोनों को अन्दर बुलाया और बिठाया.

हम सभी ने थोड़ी देर बातें की, पर इस सारे समय में मेरा ध्यान सुरीली पर ही था.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था. सब लोग हिचकिचा रहे थे.

तो मैंने माहौल बनाने के लिए टीवी में एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें दो लड़के और दो लड़कियां चुदाई कर रहे थे.

मैंने सबको बिस्तर के पास आ जाने को कह दिया.

बिस्तर के बीच में मैंने दोनों लड़कियों को बिठा दिया और सुरीली की तरफ मैं बैठ गया और मेरी दीदी युविका की तरफ सुनील बैठ गया.
मैंने दूसरी फिल्म चालू कर दी.

थोड़ी देर में सब उत्तेजित होने लग गए. मैंने अपना हाथ सुरीली के हाथ पर रख दिया. उसका हाथ एकदम मुलायम था, जैसा मैंने सोचा था.

मैं अपने हाथ से उसके हाथ को रगड़ने लगा और दूसरी तरफ सुनील दीदी नाइटी के ऊपर से उनके चुच्चों को सहला रहा था.

टीवी में वो दोनों लड़के उन लड़कियों की भयानक चुदाई कर रहे थे. हम सब बहुत गर्म हो गए थे.

मैं सुरीली की सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था और ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा.

दूसरी तरफ सुनील ने मेरी दीदी की नाइटी ऊपर कर ली थी और दीदी की चूत में उंगली डाल रहा था.
वो दोनों बिल्कुल मदहोश हो गए थे.

तभी हम दोनों ने अपने अपने कपड़े उतार दिए. सुनील का लौड़ा भी एकदम तन गया था. उसका लौड़ा एक दम काला था जो कि देखने में बहुत भयानक लग रहा था.

उसके बाद हम एक दूसरे की बहनों के ऊपर लेट गए और उनको ज़ोर ज़ोर से चुम्बन करने लगे. मैंने सुरीली की सारी लाल लिपस्टिक चाट कर मिटा दी.

इसके बाद हमने अपने लौड़े एक दूसरे की बहनों के मुँह में डाल दिए.

सुरीली ने मुझे रोक दिया और कहा- पहले मुझको प्रग्नेंट न होने वाली दवाई खानी है.
मैंने उसको जल्दी करने के लिए कहा.

वो उठी और अपने पर्स में दवाई ढूंढने लगी.
पर मैं बहुत गर्म हो गया था, तो मैंने उसको पीछे से जाकर पकड़ लिया.

वो हंसने लगी और बोली- जरा सब्र तो कर यार!
मैंने उससे कहा- तू अपना काम करती रह जान … मैं अपना काम करता हूँ.

वो दवाई ढूंढ रही थी और मैं उसको पीछे से पकड़ कर उसकी चुच्चियों को दबा रहा था. उसकी चूत को सलवार के बाहर से ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहा था.

सुरीली ने दवाई ढूंढ कर खा ली और वो सीधी हो गयी.
उसकी कमीज़ इतनी टाइट थी कि मेरा हाथ अन्दर जा ही नहीं रहा था.
मुझे गुस्सा आ गया और मैंने ज़ोर लगा कर उसकी कमीज़ फाड़ दी और साथ ही उसकी सलवार भी.

उसके बाद मैंने उसकी लाल रंग की ब्रा निकाल दी और उसकी पैंटी भी उतार दी.

अब मेरे सामने उसके मुलायम चुच्चे और मक्खन जैसी चूत थी. सुनील ने उसको चोद चोद कर उसके चुच्चे बहुत बड़े कर दिए थे.
सुरीली के चुच्चे लगभग मेरी बहन के चुच्चों जितने बड़े होने वाले थे. उसके टाइट सूट में वो इतने बड़े नहीं लग रहे थे.

मैंने सुनील से पूछा- यार, तुमने इतने कम समय में ये कैसे कर दिया?
उसने कहा कि मुझे बड़े बड़े चुच्चे बहुत पसंद हैं. मुझको जब भी समय मिलता था, तभी मैं सुरीली के चुच्चों को दबाने और चूसने के काम में लग जाता था.

सुरीली ने भी बोला- हां, मुझे भी बड़े चुच्चे पसंद हैं. मैं आयेशा टाकिया जैसे बड़े बूब्स करवाना चाहती हूँ.

उसके मुँह से ये सुनकर मैं उत्तेजित हो गया और मैंने उसके चुच्चों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
सुरीली के मम्मों पर ज़ोर-ज़ोर से चांटे मारना शुरू कर दिए.

मैंने उसकी चूत में एक ही बार में अपनी 2 उंगलियां डाल दीं और ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करते हुए हिलाने लगा.
इससे उसे खड़े रहने में मुश्किल होने लगी और वो नीचे लेटने लगी. पर मैंने उसको लेटने नहीं दिया.

सुरीली को इतना मज़ा आ रहा था कि वो अपनी आवाज़ काबू नहीं कर पा रही थी. वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी.

मैंने झट उसके मुँह में अपना कच्छा डाल दिया, जिससे उसकी आवाज़ कम हो गयी.
 

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बहनों की अदला बदली और ग्रुप सेक्स- 2




कहानी के पहले भाग

मेरे दोस्त ने अपनी बहन को चोद दिया

में आपको अपने एक प्रशंसक की बहन सुरीली की चुत में उंगली डालकर मजा ले रहा था.

अब आगे ब्रदर सिस्टर स्वैप पोर्न स्टोरी:

मैं लगातार सुरीली की चूत और चुच्चों पर चांटे मार रहा था. इन चांटों से उसके चुच्चे और चूत बिल्कुल लाल हो गए थे. ऐसा लग रहा था जैसे अभी खून निकल जाएगा.

सुरीली बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी. उसको किसी दर्द का अहसास नहीं हो रहा था. वो किसी और ही जन्नत में पहुंच चुकी थी.

दूसरी ओर मैंने देखा कि सुनील ने भी युविका दीदी की चूत में 3 उंगलियां डाल रखी थीं और साथ में दीदी के स्तनों को चूस रहा था.
मेरी दीदी के स्तनों में अभी भी दूध आता था.

उसके हाथों की रफ़्तार दीदी की चूत को अलग ही मज़ा दे रही थी. उसका काला मोटा लौड़ा दीदी की टांगों का स्पर्श ले रहा था. वो दीदी की दोनों टांगों के बीच की गुफ़ा में जाने को बेकरार था.

इस तरफ मैंने सुरीली को नीचे ज़मीन पर ही लिटा दिया और उसकी चूत को अपने मुँह में भर दिया.

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर फेरने लगा.
उसने मेरा सर ज़ोर से पकड़ लिया और मेरे बालों को ज़ोर से खींचने लगी. उसने अपनी टांगों को जोड़ कर उसमें मेरे सिर को दबा दिया.
इससे पता चल रहा था कि वो पूरा मज़ा ले रही थी.

बीच बीच में मैं उसकी चूत पर दांतों से काट देता.

दूसरी तरफ सुनील भी ऐसा ही कर रहा थे. हम दोनों की बहनें बिल्कुल चुदाई के नशे में पूरी तरह से डूबी लग रही थीं.

अब तक मेरी बहन 1 बार और सुरीली 2 बार झड़ चुकी थीं.
पर अभी तो ये सिर्फ शुरुआत ही थी. असली खेल तो अभी बाकी था.

मैं सुरीली के चुच्चों को लगातार मरोड़ रहा था और उन पर चांटे मार रहा था.

इसके बाद मैंने सुरीली को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके मुँह से अपनी चड्डी निकाल दी.

मैंने सुनील को कहा कि हम दोनों पहले युविका को चोदेंगे और बाद में उसकी बहन को.
वो राज़ी हो गया.

सुरीली को हमने साइड में बैठ कर थोड़ा देख कर ही मजा लेने को कहा.
वो अपनी चूत और चुच्चों को पकड़ कर बैठ गयी. मैंने उनकी बुरी हालत कर दी थी, जिससे उसको दर्द हो रहा था.

मैंने युविका दीदी को बिस्तर के बीच में आराम से लेटने को कहा.
दीदी लेट गईं.

फिर मैंने सुनील से कहा- पहले तुम दीदी को चोद लो.
वो ये सुनकर खुश हो गया. वो दीदी के ऊपर चढ़ गया और लंड चुत से रगड़ने लगा.

मैंने सुनील से कहा- पहले तुम अपने लंड के टोपे को दीदी की चूत की फांकों में फंसा कर आराम आराम से घिसो.
उसने ये काम बहुत अच्छे से किया.

थोड़ी देर में वो दोनों बहुत उत्तेजित हो गए.
तब सुनील से रहा नहीं गया और उसने एक ज़ोर का झटका मार दिया. जिससे उसका आधे से ज्यादा लंड दीदी की चूत में चला गया.

इससे दीदी को बहुत दर्द हुआ और दीदी की ज़ोर की चीख निकल गयी.
दीदी ने सुनील के बाज़ू ज़ोर से पकड़ लिए और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीं.

मैंने दीदी के मुँह में अपना लंड दे दिया और गले तक डाल दिया ताकि दीदी की चीखें बन्द हो जाएं.

अब उसने दूसरा झटका भी जोर का मारा और उसका पूरा लौड़ा दीदी की चूत में समा गया.
उसके बाद सुनील ने ज़ोर-ज़ोर से अपना लौड़ा मेरी दीदी की चूत में देना शुरू कर दिया.

चुदाई की बहुत ज़ोर से पट-पट की आवाज़ें आने लगीं.

दीदी इसका पूरा मज़ा ले रही थीं. दीदी की कमर अपने आप को ऊपर को उठने लगी और वो भी नीचे से धक्का मारने लगीं जिससे सुनील का लौड़ा अन्दर तक मार करे.

अब दीदी को मज़ा आने लग गया था तो मैंने उनके मुँह से अपना लंड निकाल दिया.

अब मैंने सुनील को दूसरी तरफ लेटने को कहा.

मैंने दीदी को थोड़ा उल्टा कर दिया, जिससे दीदी की गांड मेरी तरफ हो गई थी. इस पोजीशन में मेरी दीदी की चूत सुनील की तरफ थी. उनकी चुत में सुनील का लंड चल रहा था.

मैंने दीदी की एक टांग उठाई और उनकी गांड के छेद पर अपना लंड रख दिया.
दीदी बहुत बार झड़ चुकी थीं, जिसकी वजह से दीदी की गांड में भी उनका पानी चला गया था.

मुझे उनकी चिकनी गांड में लौड़ा डालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. दूसरी तरफ से सुनील ने दीदी की चूत में अपना लौड़ा डाल रखा था.

हम दोनों दीदी की चूत और गांड एक ही समय पर चोद रहे थे. दीदी को इससे बहुत दर्द हो रहा था, पर साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था. ये उनकी पहली सैंडविच चुदाई हो रही थी.

बहुत देर तक चुत चोदने के बाद हम दोनों साथ में ही दीदी की चूत और गांड में झड़ गए.
कुछ देर हम सब ऐसे ही लेटे रहे.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा, तो सुरीली अभी भी अपने चुच्चों को पकड़ कर उनके दर्द को कम करने की कोशिश कर रही थी.

मैंने उसको बाज़ू से पकड़ा और उसको मेरा लौड़ा चूसने को कहा.
वो मेरा लंड चूसने लगी.

मैं अब भी उसके स्तनों को चांटे मार रहा था और चुच्चियों को मसल रहा था. उसे बहुत दर्द तो हो रहा था, पर मजा भी आ रहा था.

आखिर वो अपने स्तनों को सबसे बड़ा बनाना चाहती थी तो मैं इसमें उसकी मदद कर रहा था.

थोड़ी देर तक उसने मेरा लौड़ा चूसा तो मैं फिर से उत्तेजित हो गया था. मैंने उसको उठाया और उसको मेरे लंड पर बैठने को कहा.
पहले उसने ऐसा ही किया. वो आराम आराम से मेरे लंड पर बैठने लगी पर मेरा लौड़ा इस तरह से अन्दर जा ही नहीं रहा था.

सुनील हमारी मदद करने आया.
उसने मेरा लौड़ा पकड़ कर अपनी बहन की चूत के छेद पर रखा और उसको नीचे की ओर धक्का मारने लगा.

सुरीली मोटे लंड के कारण बार बार दर्द की वजह से तड़फ रही थी और बार-बार ऊपर उठे जा रही थी.
सुनील ने अभी उसको ऐसे नहीं चोदा था.

मैंने सोचा कि ऐसे दर्द होता रहा तो कुछ भी नहीं हो सकेगा.

मैंने सुरीली से कहा कि तुम बस एक जगह बनी रहो, बाकी का काम मैं खुद कर लूंगा.
फिर मैंने सुनील से कहा कि अपनी बहन को ज़ोर से पकड़ो और उसका मुँह बन्द कर दो.

उसने ऐसा ही किया.

अब मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर का झटका मार दिया. मेरा थोड़ा सा लंड चुत के अन्दर कर घुस गया.

सुरीली ने दर्द के मारे ऊपर उठने की कोशिश की, पर सुनील ने उसे नीचे की ओर धक्का मार दिया. इससे मेरा आधा लौड़ा चुत के अन्दर चला गया और सुरीली की कराह निकल गई.

मैंने वैसे ही एक और झटका मारा, जिससे मेरा पूरा लौड़ा सुरीली की चूत में चला गया.

अब सुरीली बहुत छटपटा रही थी पर सुनील ने कुछ देर तक उसको नीचे दबाये रखा.
सुरीली को इतना दर्द हो रहा था कि वो रोने लगी.

मैंने कुछ देर उसको वैसे ही रहने को कहा. उसकी टाइट चूत ने मेरे लौड़े को अन्दर से कसके जकड़ रखा था. उसकी चूत की गर्मी को मैं महसूस कर सकता था.

थोड़ी देर बाद सुरीली चुप हो गयी. अब उसका दर्द कम हो गया था.
सुरीली का दर्द मजे में बदलते ही मैंने सुनील को हटने को कह दिया.

मैंने सुरीली को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने को कहा. वो बिल्कुल आराम से ऐसा ही करने लगी. उसको अभी भी बहुत दर्द हो रहा था, पर कुछ देर तक ऐसा करते हुए उसका दर्द मज़े में बदलने लगा.

सुरीली के धीरे धीरे से ऊपर-नीचे होने से उसने मेरी सहनशक्ति भी तोड़ दी.
मैंने उससे कहा- तुम ऐसे ही थोड़ा ऊपर जैसे बैठी रहो. मैं नीचे से धक्के मारता हूँ.

सुरीली ने हामी में सर हिला दिया. वो अपनी टांगों के बल पर हवा में बैठी सी हो गयी. मैंने उसके हाथ पकड़ लिए ताकि वो उठ न जाए.

पर इससे पहले मैंने दीदी से कह कर सुरीली के मुँह में अपनी चड्डी डालने को कहा और बाहर से उसकी फ़टी हुयी सलवार से उसका मुँह बंधवा दिया ताकि वो चीख न सके.

मैंने अपने लौड़े को ऊपर-नीचे करना चालू किया और थोड़ी देर बाद स्पीड बढ़ा दी. कुछ पलों के बाद मैं पूरे ज़ोर से धक्के मारने लगा और मेरा पूरा का पूरा लौड़ा सुरीली की चूत में जाने लगा.

इससे सुरीली को बहुत दर्द हो रहा था और वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.
पर मैंने उसके पकड़ रखा था. मेरे लंड की तेज गति से सुरीली को इतना दर्द होने लगा कि वो लंड से उठ गई और साइड में अपनी चूत पकड़ कर लेट गयी.

उसे यूं मैदान छोड़ कर हटते देख कर मुझे ताव आ गया और मैं भी उठ गया.

इस वक्त मैंने सुरीली को अपनी गोद में उठा लिया. अब मेरा वो सपना पूरा होने वाला था, जो मैं बहुत समय से देख रहा था.

मैंने सुरीली को गोद में उठाया और उसकी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया.
फिर सुरीली को उसके चुतड़ों से पकड़ कर अपने लौड़े पर पटकने लगा.

सुरीली दर्द के मारे रो रही थी. वो मुझसे छूटना चाहती थी पर मैं पूरा ज़ोर लगा कर सुरीली को चोद रहा था.

दूसरी तरफ सुनील को अपनी बहन की कोई चिंता नहीं थी.
वो मेरी दीदी में मगन था. अब वो मेरी दीदी को घोड़ी बना कर चोद रहा था.

सारे कमरे में हमारी चुदाई की अलग-अलग आवाजें ही गूँज रही थीं.

थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि सुरीली की छटपटाहट काफी कम हो गयी थी और वो भी चुदाई के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा रही है.
सुरीली भी अब लंड के मज़े लेने लगी थी.

बहुत देर तक चुदाई करने के बाद मैं सुरीली की चूत में झड़ गया.
मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया.

कुछ देर बाद मैंने देखा कि सुरीली की चूत से खून निकल आया था. पर उसे इस बात का पता नहीं था.
मैंने उसके फ़टे कपड़ों से उसकी चूत और अपना लंड भी साफ़ कर दिया.

उधर सुनील और मेरी बहन अभी भी चुदाई में मगन थे. सुनील अब तक 3 बार दीदी की चूत भर चुका था.

मेरी दीदी ने सुनील से सुरीली की गांड मारने के लिए कहा तो सुनील ने कहा- अभी तक मैंने अपनी बहन सुरीली की गांड नहीं मारी है.

मैं ये सुनकर ख़ुश हो गया कि आज तो सीलपैक गांड मिलेगी.

जब दीदी की बात पर सुनील ने कहा कि उसने अभी तक अपनी बहन की गांड नहीं मारी है, तो दीदी ने सुनील से कहा- ठीक है अब तुम मेरी गांड मारो और मेरे भाई से अपनी बहन की गांड की सील खुलवा लो.

सुनील ने हामी भर दी और मेरी दीदी की गांड को खोलकर अपना लौड़ा आराम से अन्दर डाल दिया.

दीदी की गांड तो कई बार चुद चुकी थी इसलिए उसका लौड़ा आसानी से अन्दर चला गया.
सुनील मेरी बहन की गांड प्रेम से चोदने लगा.

इधर मैं फिर से गर्म हो गया. मैंने सुरीली को घोड़ी बनाया.
मैंने उसके चूतड़ खोल कर देखे, तो एक बहुत छोटा सा छेद था. जिससे पता चल गया कि वो अभी तक उसकी गांड कुंवारी है.

मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारी गांड चोदने वाला हूँ.
उसने सिर हिला कर हां कर दी क्योंकि उसका मुँह अभी भी सलवार से बंद ही था.

मैंने कमरे में रखी टेबल की दराज को खोल कर देखा तो उधर तेल क्रीम आदि सब सामान मौजूद था.
मैं तेल लेकर आ गया.

सुनील की बहन सुरीली को मैंने औंधा लेट कर गांड उठा कर लेटने को कहा.
वो वैसी ही हो गई.

मैंने तेल की शीशी का मुँह उसकी गांड में लगा कर तेल अन्दर भर दिया. थोड़ा सा तेल मैंने अपनी उंगलियों पर भी लगा लिया.

तब मैंने अपनी एक उंगली आराम-आराम से सुरीली की गांड में डालना शुरू कर दी.
एक उंगली पूरी अन्दर चली गयी और अब मैंने दूसरी उंगली भी डाल दी.

ऐसे करते करते मैंने 3 उंगलियां गांड के अन्दर डाल दीं, तेल की चिकनाहट की वजह से सुरीली को मजा आ रहा था.
मैंने अन्दर उंगलियों को खोलना शुरू कर दिया, जिससे छेद खुल जाए और बड़ा हो जाए.

उसके बाद मैंने तेल को अपने लंड के ऊपर अच्छे से लगाया और तेल की बोतल का आगे का सिरा सुरीली की गांड में डाल दिया.
बहुत सारा तेल उसकी गांड के अन्दर चला गया.

अब मैंने बोतल बाहर निकाल दी. उसकी गांड में से तेल भी बाहर आने लगा.

तभी मैंने अपना लौड़ा उसकी गांड के ऊपर रखा और धीरे-धीरे अन्दर की ओर धक्का मारने लगा.
तेल की वजह से एक ही बार में मेरा पूरा लौड़ा अन्दर चला गया. वो एकदम से कराह उठी मगर मुँह बंद होने से आवाज धीमी ही निकली.

मैंने कुछ देर लंड को गांड के अन्दर ऐसे ही रखा और बाद में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने सुनील की बहन सुरीली की गांड मारने की रफ़्तार बढ़ा दी और तेल की वजह से फच-फच की आवाज़ आने लगी.

उसको बहुत दर्द हो रहा था, पर वो मजे भी ले रही थी. उसने बिस्तर के आगे का हिस्सा बहुत ज़ोर से पकड़ रखा था.
मैंने लगातार धक्के तेज़ कर दिए और 20 मिनट तक गांड मारने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.

दूसरी तरफ सुनील और दीदी अभी भी चुदाई के मजे ले रहे थे.

उस दिन शाम 5 बजे तक हमने एक-दूसरे की बहनों को कई बार चोद दिया था.

मैंने सुरीली के कपड़े फाड़ दिए थे तो उसे नए कपड़े दिलाने थे.
मैं उठा और नहा कर सुरीली के लिए कपड़े लेने निकल गया.
पीछे से सुनील ने और एक घण्टे तक दोनों बहनों को खूब चोदा.

मैंने सुरीली के लिए जाली वाली ब्रा-पैंटी के दो जोड़े ले लिए, जिसके आर पार सब कुछ दिख जाता था.
दो ऐसी जोड़ियां लीं जिसकी ब्रा, स्तनों की घुंडियों की ही ढकती थीं.
उसकी पैंटी भी नाममात्र की थी. ये पैंटी के नाम पर सिर्फ एक पतली सी रस्सी की तरह थी. जिसको पहनने से वो रस्सी सुरीली चूत और गांड के अन्दर ही रहने वाली थी.

मैंने उसके लिए एक पैंट और एक टॉप लिया और वापिस आ गया.

वापिस आया तो देखा कि सुनील की बहन सुरीली बेड पर सोई थी और वो अभी भी मेरी बहन को चोद रहा था.

मैंने सुरीली को उठाया और उसको बाथरूम में नहाने ले गया. उसकी चूत और चुच्चे नीले पड़ गए थे.

उतने में सुनील भी दीदी को बाथरूम में ले आया और हमने एक बार फिर एक-दूसरे की बहनों को वहां चोदा.

थोड़ी देर बाद सुनील ने मेरी बहन को नाइटी पहना दी और मैंने सुरीली को वो रस्सी वाली ब्रा-पैंटी पहनाई. उसके लिए जो कपड़े लाया था, वो भी उसे पहना दिए.

उसके बाद रात को 8 बजे वो दोनों होटल से निकल गए.

सुरीली की हालत बहुत खराब हो गयी थी. उससे चला भी नहीं जा रहा था, पर कैसे भी करके वो घर पहुंच गए.

दीदी भी अपने रूम में चली गईं. मुझे मेरे कमरे में फैला कचरा साफ़ करना पड़ा.

अगले दिन मैं भी दीदी को किस करके घर निकल गया. उस दिन मेरी सुनील और सुरीली से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि उन लोगों ने उसी रात को फिर से चुदाई की थी. सुरीली की हालत अभी भी खराब थी.

सुरीली ने मुझे बताया कि भले ही उसकी हालत खराब हो गयी थी. मगर उसको इतना मजा कभी नहीं आया और न ही कभी आएगा.

सुनील ने मुझे वीडियो कॉल करके सुरीली को दिखाया.
अभी भी उसके बदन में बहुत दर्द हो रहा था.

सुनील घर में उसे मेरी दी हुई ब्रा-पैंटी ही पहनाता है और सुरीली के दर्द में होने के बावजूद भी उसे वो रोज़ चोदता है.

वीडियो कॉल में ही वो मुझे उसकी चुदाई दिखाता है.

वो उसके स्तनों से इतना खेलता है कि मुझे तो डर है कि कुछ समय बाद उसके स्तन इतने बड़े हो जाएंगे कि सुरीली को उसके साइज की ब्रा भी नहीं मिलेगी.

तो दोस्तो, ये थी मेरी और मेरी कहानियों के प्रशंसक की बहन की चुदाई की कहानी. प्लीज़ कमेंट करके ज़रूर बताइएगा कि आपको ब्रदर सिस्टर स्वैप पोर्न स्टोरी कैसी लगी.

 

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मॉम की चुत चुदायी करके दिल खुश हो गया





दोस्तो, मेरा नाम यश कुमार है, मेरी उम्र 20 साल से कुछ माह ज्यादा है. मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले से हूँ. मेरे घर में पांच लोग हैं. पापा मॉम भाई बहन और मैं.
मेरे पापा C.A. हैं और मेरा भाई का साड़ियों का व्यापार है. मैं भी अपने भाई के साथ व्यापार में व्यस्त रहता हूं.

अब मैं अपनी मॉम के बारे में बताता हूं.
मेरी मॉम का नाम सरिता (बदला हुआ नाम) है.
उनकी उम्र 43 साल है, लेकिन दिखने में वो 30-32 से ज्यादा की नहीं लगती हैं.
मेरी मॉम का साइज 34-28-38 का है.

मॉम का ये फिगर कामुक साइज किसी का भी लंड खड़ा करने के लिए बहुत है.
जब वो बाहर निकलती हैं, तो मोहल्ले के सभी लंड उनकी मादक जवानी को सलामी देते हैं.

ये बात 2 महीने पहले उस समय की है, जब लॉकडॉउन खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी.

मेरे पापा काम के सिलसिले में अक्सर बाहर ही रहते हैं और भाई सुबह 9 बजे ही दुकान चला जाता है. मैं 11 बजे तक जाता हूं.
हम दोनों भाइयों की रोज की यही दिनचर्या थी. पापा सुबह 9.30 बजे ऑफिस चले जाते थे.

एक दिन की बात है, मुझे बुखार हो गया था. उस दिन मैं दुकान नहीं गया था.
मॉम ने मुझे दवा खिलाई और अपने काम में लग गईं.

मेरी मॉम सुबह ही नहा लेती हैं लेकिन उस दिन किसी काम की वजह से उनको नहाने में दोपहर हो गई थी.
मेरी बहन खाना बना रही थी. मैं दवा लेकर आराम करने लगा था.

मॉम ने सोचा कि मैं सो गया हूं, तो वो नहाने चली गईं. बाथरूम का दरवाजा उन्होंने लॉक नहीं किया था.

मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी … तो मैं पेशाब करने बाथरूम में जाने लगा.
मैं जल्दी से अन्दर घुस गया और अपना लौड़ा निकाल कर मूतने लगा.

जब मुझे सुकून मिला, तब मेरी नजर मेरी मॉम पर पड़ी जो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थीं.
उनको नंगी देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया … जिसे मॉम ने नोटिस कर लिया था.

मॉम को नंगी देख कर मेरा मन कर रहा था कि मम्मी को वहीं पटक कर चोद दूं … लेकिन मेरी उन के साथ कुछ भी की हिम्मत नहीं हो रही थी.
और मॉम मेरे खड़े लौड़े को बार बार खा जाने वाली नजर से देखे जा रही थीं.

मैंने एक पल मॉम की आंखों को ताड़ा और अपने रूम में आकर आराम करने लगा.

मेरी आंखों के सामने मेरी मॉम की नंगी जवानी ही घूम रही थी. मम्मी की तनी हुई चूचियां और उठी हुई गांड मुझे बार बार गर्म कर रही थी.

और मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था. मैं बिस्तर में पड़े पड़े ही अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया और मुठ मार के ठंडा पड़ गया.

मैंने ठान लिया था कि मैं मॉम की चुदायी करके ही रहूंगा.

अब मैं मौका तलाशने लगा कि कब मेरी मॉम की चुत चोदने के लिए हासिल हो जाए.

वो कहते हैं ना कि भगवान के घर देर है … अंधेर नहीं.

आखिरकार वो दिन आ ही गया. पापा को अपने ऑफिस के काम से भोपाल जाना था.
मॉम ने ये बात मुझे बताई, तो मैं सोच में पड़ गया कि मॉम ये मुझे क्यों बता रही हैं. आजतक इससे पहले मॉम ने मुझे पापा के बाहर जाने को लेकर कभी नहीं कहा था.
क्या मॉम मुझे अपने साथ चुदाई करने के लिए आए इस मौके के बारे में रास्ता दिखा रही हैं कि लंड घुसेड़ने का मौका है.

उस दिन मैं मॉम की इस बात को कई बार सोचा और अंदाजा लगा लिया कि कुछ न कुछ तो मॉम के दिमाग में भी चल रहा है या उनकी चुत में कीड़ा काट रहा है.
ये विचार मन में आते ही मुझे बेचैनी होने लगी.

जैसे तैसे मैंने समय काटना शुरू कर दिया.

मैं नहा धोकर नाश्ता करने गया तो मैंने मॉम से जानबूझ पूछा- पापा भोपाल से कब तक वापस आएंगे?

उन्होंने बड़े उत्साह से मुझे बताया कि वो 2-3 दिन से पहले नहीं आने वाले हैं.
ये बताते समय मॉम मेरी तरफ ही देख रही थीं कि मेरा क्या रुझान है.

मुझे भी ये जानते हुए बड़ी खुशी होने लगी थी कि इस बार शायद मॉम की चुत चुदाई का मौक़ा मिल गया है.
बस इसी विषय को सोचते हुए मेरी आंखें वासना से भर गईं, जिसे मेरी मॉम ने भी नोटिस कर लिया था.

मैंने सोच लिया कि इस 3 दिन के अन्दर मॉम को चोदकर रहूंगा.

उसी दिन रात को मॉम ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे सहलाते हुए मुझसे कहा- मुझे अकेले डर लगता है, तू मेरे साथ सो जाएगा क्या?
मैंने उनकी आंखों में झांकते हुए हां कर दिया.

जब सोने का समय हुआ तो मैं मॉम के कमरे में चला गया.

मेरी बहन मुझसे सवा एक साल छोटी है. वो भी आज मॉम के साथ ही उनके कमरे में सोने आई थी.
हालांकि मैं अपनी बहन को चोद चुका हूं इसलिए ये देख कर मुझे थोड़ी सी निराशा हुई मगर सोचा कि देखता हूँ, हो सकता है आज मुझे मॉम और बहन दोनों की एक साथ चुदाई का अवसर मिल जाए.

बिस्तर में पहले मॉम फिर मैं और लास्ट में मेरी बहन लेट गई थी.

भाई और मेरा अलग रूम है, तो भाई अपने रूम में सो रहा था.

मैंने रात को अपनी बहन की पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा जिससे उसको भी मज़ा आने लगा और वो मादक सिसकारियां निकालने लगीं.

कुछ देर बाद मैंने हिम्मत करके अपना हाथ मॉम के दूध के ऊपर रख दिया.

तभी मॉम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वो मेरे हाथ को अपने दूध के ऊपर दबाने लगीं.
मैंने समझ लिया कि इनकी चुत में आग लगी है और आज मॉम पक्के में मेरे लंड को अपनी चुत में लेकर ही मानेंगी.

मैंने देर ना करते हुए अपना दूसरा हाथ उनकी चूत पर रख दिया और चुत को सहला दिया.
इससे उनकी आह निकल गई.

तभी मैंने अपनी मॉम की तरफ़ देखा, तो मैं हैरान हो गया. मेरी मॉम ने पैंटी नहीं पहनी थी.

मैंने सोचा कि ये अच्छा मौका है इनका कांड करने का!

अब मैंने अपने होंठ मॉम के होंठों पर रख कर उन्हें किस करने लगा. जिसमें वो भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.

करीब 5 मिनट तक हम दोनों ने किस क़िया, फिर मैं नीचे उनके मम्मों पर आ गया.
कसम से मॉम के चूचे किसी खरबूजे से कम नहीं थे. अपने दोनों हाथों से मैं मॉम के मम्मों को दबाने और चूसने लगा.

तभी उन्होंने बोला- जल्दी क्या है … आराम से कर बेटा. मैं भागी थोड़े ना जा रही हूँ.

मॉम के बूब्स चूसने के बाद मैंने उनकी नाभि पर किस किया, जिससे वो सिहर गईं.

फिर मैंने मॉम की चूत पर मुँह रख दिया. मॉम की चुत भट्ठी की तरह गर्म थी.
मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया … जिससे वो ‘आह आह ..’ की आवाज निकालने लगीं.

दस मिनट तक मॉम की चुत चाटने के बाद उनकी चूत का रस निकलने लगा जिसे मैं किसी कुत्ते की तरह चाटते हुए पूरा पी गया.
उनकी चूत का रस बहन के रस से भी ज्यादा स्वादिष्ट था.

मैंने उनसे अपना लौड़ा चूसने को बोला तो वो झट से नीचे आ गईं और हाथ में लंड लेते ही सकपका गईं.

मैंने पूछा- क्या हुआ मॉम?
तो वो बोलीं- तेरा लंड तो तेरे बाप से भी बड़ा है.

ये कह कर मॉम ने फिर झट से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और किसी मस्त रांड की तरह लंड चूसने लगीं.
क्या मस्त तरीके से चूस रही थीं मॉम … एकदम बाजारू रंडी की तरह लंड गपागप चूस रही थीं.

कुछ मिनट बाद जब मेरा काम तमाम होने को आया, तो मैंने उन्हें बिना बताए ही अपना वीर्य उनके मुँह में निकाल दिया, जिसे वो पूरा पी गईं.

फिर मॉम लंड की गोटियां चाटते हुए बोलीं- तेरा वीर्य बड़ा स्वादिष्ट है.

मैं आज बहुत खुश था.

मेरी बहन कनखियों से मुझे अपने लंड को चटवाते हुए देख रही थी.

अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था, तो उन्होंने बोला- अब जल्दी से अन्दर डाल से मेरे राजा … फाड़ दे मेरी चूत को … आह अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.

मैंने अपने लौड़े को पकड़ा और मॉम की चूत की फांकों में रगड़ने लगा.
मॉम किसी रंडी की तरह गांड उठाते हुए बोलीं- अब डाल भी दे ना मादरचोद … रगड़ क्या रहा है.

मैंने अपना लौड़ा मॉम की चूत की फांकों में फंसाया और एक झटका दे मारा.
इस झटके से आधा लौड़ा चुत के अन्दर चला गया.

एकदम से आधा लंड चुत में घुसा तो मॉम की आह निकल गई.
वो दर्द से कराहते हुए बोलीं- आराम से डाल ना भोसड़ी के … मार डालेगा क्या!

मैंने एक ओर झटका मारा, तो पूरा का पूरा लौड़ा चुत के अन्दर घुस गया और मैं जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा.

मेरी मॉम मेरा लंड लेकर मादक सिसकारियां लेने लगीं- आह … सिस्स … मादरचोद फॅक मी … ओर जोर से चोद माँ के लौड़े … आह और जोर से चोद दे.

मॉम की चुत चुदते देख कर मेरी बहन अपनी चुत में उंगली करते हुए मेरी तरफ देखने लगी थी.
मैंने उसे आंख मारते हुए कुछ न बोलने का इशारा कर दिया.

करीब 20 मिनट तक मॉम की चुत में लंड के शॉट मारते हुए मैंने कहा- मेरा होने वाला है … कहां निकालूं!
वो बोलीं- मादरचोद, अन्दर ही डाल दे.

मैंने 6-7 धक्के बाद लंड का माल चुत के अन्दर ही डाल दिया.

चुदाई के बाद हम दोनों बहुत थक गए थे. इसलिए मैं मॉम के ऊपर ही लेट गया और अपनी बहन की चूचियां मसलने लगा.
वो भी मस्त हो रही थी.

कुछ देर बाद मैंने मॉम के बाजू में लेटते हुए उनकी गांड देखी, तो वो बड़ी टाइट लग रही थी.

मैंने गांड मारने का प्लान भी बना लिया.

मैं उठा और वैसलीन की डिब्बी ले आया. थोड़ी सी वैसलीन मैंने अपने लंड पर लगाई और ज्यादा सी वैसलीन उनकी गांड के छेद में उंगली डालकर लगा दी.

मॉम हंस दीं और बोलीं- तेरा मन नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- मॉम, इतनी लवली चुत मारने के बाद कौन ऐसी रसमलाई सी गांड को छोड़ेगा.

मॉम ने कुछ नहीं कहा.
मैंने उन्हें पोजीशन में लिया और अपना लंड गांड पर सैट कर दिया.
पहले झटके में लंड फिसल गया.

फिर मॉम ने लौड़े को पकड़कर अपनी गांड में सैट किया और कहा- अब पेलो.
मैंने जोर का झटका मारा तो मेरा लौड़ा मॉम की गांड को चीरते हुए अन्दर घुस गया.

मॉम ने कराहते हुए कहा- आह फाड़ दिया रे … मादरचोद ने गांड फाड़ दी.

मैं रुक रुक कर मॉम की गांड मारने लगा और धक्के लगाने लगा.
जिससे कुछ ही देर बाद उनको भी मज़ा आने लगा.

अब मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी. बीस मिनट तक मॉम की गांड मारने के बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.

उस रात मैंने मॉम को 5 बार चोदा.

जब मॉम थक कर सो गईं तब बहन ने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली- भैन के लंड … मादरचोद … अब मेरी आग भी बुझा दे.

मैंने अपनी बहन को अपने लौड़े पर बिठा कर बहन की चुत चोद दी.

इसके बाद जब भी मुझे अपनी मॉम को चोदने का मौका मिलता, तो हम मॉम बेटे चुदायी कर लिया करते.

 

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छोटी बहन को देख बड़ी बहन ने चुदवाया





नमस्कार दोस्तो, मैं राज शर्मा हिन्दी सेक्स कहानी की इस मस्त साईट पर आपका स्वागत करता हूं.

दोस्तो, लॉकडाउन में मैंने नई नई चूतों को चोदा और अब मैं अपनी कर्मभूमि गुड़गांव आ गया था.

कंपनी आजकल 8 घंटे चल रही थी तो मैं अपने रूम में हिंदी सेक्सी कहानी पढ़ने में ही लगा रहता; कभी रेखा आंटी से फोन में सेक्सी बातें कर लेता.

एक दिन मैं अपने रूम में लेटा कहानी पढ़ रहा था और अपने लौड़े को सहला रहा था.

रेखा आंटी और बुआ अभी अपने गांव में थीं, तो मेरे रूम में कोई नहीं आता था.
मैं पलंग पर नंगा होकर ही लगा हुआ था.

मैंने ध्यान नहीं दिया और उसी समय मेरी मकान मालकिन सुमन आ गई.
वो ये सब कामुक नजारा देख रही थी.
उसने लोवर टी-शर्ट पहन रखी थी और वो धीरे धीरे पलंग पर आ गई.

मैंने उससे पूछा- अरे सुमन, तू कब आई!

मैं उसे चोद चुका था तो उसके सामने शर्माने वाली कोई बात नहीं थी.

उसने मेरे लौड़े को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरू कर दिया और बोली- मैं 5 मिनट से देख रही थी. इसे हिलाने से अच्छा है कि इसको इसकी गुफा में डाल कर मजा लो.

ये सुनकर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया उसकी टी-शर्ट उतार दी.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
उसके बूब्स पहले से बड़े हो गए थे.
मैं जोर जोर से उसके मम्मों को दबाने लगा.

‘आहह आहहह आहहह ..’ करते हुए वो बोली- राज तुझे घर में मेरी बिल्कुल याद नहीं आई!
मैंने उसकी चूचियों को पकड़ कर अपने हाथों में ले लिया और बोला- तेरी चूत को बहुत याद किया रानी!

अब दोनों एक-दूसरे से लिपटकर होंठों को चूसने लगे और मैंने उसका लोवर उतार दिया; वो नंगी हो गई थी.

वो बोली- राज मैं तुम्हारे लौड़े की प्यासी हूं … घर से ही चुदने के लिए मूड बना कर आई हूं.

मैंने उसे लंड पर झुका दिया. वो गपागप गपागप लंड चूसने लगी.
मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा.

उसने भी मेरे लंड को चूस कर गीला कर दिया और उछल कर खड़े लौड़े पर बैठ गई.
मेरा लंड सट से चुत के अन्दर चला गया.

‘ऊईई मर गई आह ..’ करके वो लंड पर अपनी चूत पटकने लगी.

मैं भी नीचे से बराबर झटके लगाने लगा, उसकी चूचियां दबाने लगा और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा.
वो और जोश में आकर लंड में उछल उछल कर लंड को चोदने लगी थी.

अब धीरे धीरे उसकी रफ़्तार कम होने लगी थी.
मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी टांगों को चौड़ा करके लंड चुत में घुसा दिया.

मैं उसके ऊपर आकर उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा. मेरा लौड़ा अन्दर उसकी बच्चेदानी तक जाने लगा.

इससे उसकी आवाज सिसकारियों में बदल गई- आह राज … और चोदो आहह फ़ाड़ दे मेरी मुनिया … तेज तेज कर साले.
मैं बोला- साली रंडी जाटनी … ले लौड़ा ले … आज सलाई तेरी चुत का कीमा बना दूँगा.

और मैं जोर जोर से झटके मारने लगा.

अब सुमन की आंख बंद होने लगीं और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. गीला लंड फच्च फच्च फच्च करके अन्दर बाहर करने लगा.

फिर मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और चूत में लंड घुसा कर पेलना शुरू कर दिया.
गीली चुत होने से फच्च फच्च करते हुए सटासट सटासट लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर होने लगा.

हम दोनों चुदाई में इतने बेखबर हो गए थे कि ये ध्यान ही दिया कि हम दरवाजा बंद करना भूल गए थे और हमें पता नहीं चला कि कब सुमन की बड़ी बहन रूम में आ गई.

सुमन की आंखें बंद थीं और मैं लगातार गपागप गपागप चोदने में लगा हुआ था.

अब मेरे शरीर में भी अकड़न बढ़ गई और मैंने वीर्य की धार छोड़ दी.
लंड झाड़ कर मैं उसके ऊपर ही लेट गया.

थोड़ी देर बाद जब दोनों अलग हुए तो दोनों की आंखें खुली रह गईं. हमारे पैरों तले से जमीन खिसक गई.

सुमन की बहन सरोज ने हम दोनों को दो दो थप्पड़ जमा दिए.
सरोज कड़क आवाज में बोली- तो ये सब चल रहा था!

हम दोनों उसके पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगे.

सरोज बोली- मैं अभी मां को दोनों की हरकत बताती हूं.

हम दोनों अभी तक नंगे थे. मैं डर गया और बोला- आंटी मुझे गोली मार देगी. मुझसे गलती हो गई. माफ़ कर दो.

मैं सरोज के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगा.
वो मेरी तरफ देखने लगी.

मैंने उससे कहा- मैं कमरा छोड़ कर चला जाऊंगा.
सरोज बोली- राज, तूने गलती तो की है और तू कमरा छोड़ेगा, तो अम्मा का घाटा भी हो जाएगा.

मैंने कहा- आज के बाद मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा.
सुमन बोली- दीदी, इसकी गलती न है मैंने ही इससे कही थी, तब इसने मुझे चोदा था.

सरोज ने हम दोनों को एक एक थप्पड़ और लगाया और बोली- रूम खोलकर करते हो … तुम दोनों को किसी का डर नहीं लगता?
मैंने कहा- मेरे रूम में कभी कोई नहीं आता.

उसने सुमन से कहा- तू पलंग पर चुप बैठ जा.
और मुझसे बोली- राज तूने जाटनी चोदी है … तो सजा तो तन्ने जरूर मिलेगी.

ये कहते हुए सरोज ने मेरे लौड़े को पकड़ लिया और जोर जोर से हिलाने लगी.

मैंने कहा- आह दर्द हो रहा है.
वो बोली- चुप … कोई आवाज नहीं!

मैं समझ गया कि ये लंड छोड़ने वाली नहीं है. अब टू गर्ल्स वन बॉय सेक्स स्टोरी बनेगी.

उसने अपने हाथ में थूक लगाया और लंड को सहलाने लगी. इससे धीरे धीरे लंड टाइट और लंबा हो गया.

वो बोली- पलंग में घुटनों के बल बैठ जा.

मैं बैठा तो वो सामने आ गई और बोली- तेरा लौड़ा मेरी बहन को चोदने के बाद भी टाइट है … साले इसमें क्या लगाता है?
मैंने कहा- कुछ नहीं, मेरा ऐसा ही है.
वो बोली- मैं खुद चैक करूंगी.

सरोज झुककर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं अब तक चुप बैठा था.
सुमन ये देख कर मुस्कुरा रही थी.

अब सरोज लंड को गपागप गपागप चूसने लगी, मैं भी गर्म हो गया.

फिर सरोज ने मुझे खड़ा किया और वो अपने मुँह में लंड अन्दर तक घुसा कर गपागप गपागप चूसने लगी और मेरी पीठ को सहलाने लगी.

मैंने हिम्मत करके उसकी कुर्ती के ऊपर से बूब्स सहलाना शुरू कर दिए.
वो अभी भी लंड गपागप गपागप चूसने में लगी थी.

मैंने उसकी कुर्ती में हाथ डाल दिया और बिना ब्रा के उसकी चूचियों को मसलने लगा.

अब मैंने सुमन को इशारा किया, तो उसने अपनी बहन सरोज की कुर्ती उतार दी.

मैंने सुमन की बहन सरोज को उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी सलवार उतार दी.
वो मेरे सामने पैंटी में थी.

मैंने अपनी उंगली पैंटी के ऊपर से चूत में घुसा दी.
सरोज बोली- राज, पैंटी उतार दे.

मैंने उसकी पैंटी उतार कर फैंक दी और उसकी चूत को ऊपर से सहलाने लगा.

वो सुमन से बोली- सुमन, राज का लौड़ा तैयार कर.

मैं सरोज की चूत में उंगली डालने लगा.
इधर सुमन मेरे लौड़े को लॉलीपॉप समझकर चूसने लगी.

मैं सुमन के बूब्स भी दबाने लगा. मेरे दोनों हाथ काम में लगे हुए थे.

सुमन की बहन सरोज की चूत गीली हो गई थी.
मैंने सुमन को इशारा किया कि वो मेरे लौड़े को ज्यादा थूक लगा आकार खूब गीला कर दे.

सुमन ने गले तक लंड लिया और खूब सारी लार लंड पर लगा दी.

मैंने सुमन की बहन सरोज की टांगें फैला दीं और उसके ऊपर चढ़ गया.

मैं लंड को चूत में घिसने लगा. सरोज सिसकारियां लेने लगी.
मैंने उसके मुँह में सुमन की चूत रखवा दी और जोर का धक्का लगा दिया.

मेरा लंड चुत में अन्दर चला गया. वो चीखने को हुई तभी सुमन ने अपनी चुत से अपनी बहन का मुँह बंद कर दिया.

अब मैं अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा.

सुमन भी चूत को उसके मुँह में रखकर बैठ गई थी.

सरोज को मजा आने लगा था और उसने धीरे धीरे अपनी जीभ सुमन की चुत में चलाना शुरू कर दी.
मैंने नीचे से अपना लौड़ा चुत में ताबड़तोड़ पेलना चालू कर दिया.

फिर मैंने उसकी टांग को फैला दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
उसकी चूत में लंड आसानी से अन्दर तक जाने लगा.

मैंने सुमन को इशारा किया तो वो मेरे पास आ गई.
उसकी बहन अपनी क़मर चलाने लगी. उसकी चूत में लंड सटासट सटासट अन्दर तक जाने लगा.

और मैंने सुमन को पलट कर घोड़ी बना दिया, उसकी गांड के छेद में उंगली डालने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उसकी बहन को भी घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चुत चोदने लगा. एक घोड़ी में लंड था और दूसरी में उंगली चल रही थी.
मैं दो घोड़ियों को एक साथ चोद रहा था.

सुमन की बहन सरोज अपनी गांड आगे पीछे करने लगी और खुद चुदाई करवाने लगी.
इधर सुमन भी अपनी गांड में दो उंगलियां आराम से लेने लगी.

मैंने उसकी बहन सरोज को तेज़ तेज़ चोदना शुरू कर दिया था और उसकी गांड थप थप थप थप की आवाज करने लगी थी.
वो अपने पति से चुदवाती थी, तो उसकी चूत में लंड आसानी से अन्दर तक जाने लगा था इसी लिए अभी वो खुद अपनी गांड चलाने लगी.

सरोज की आवाज तेज होने लगी ‘आहह हहह ओह उम्मह हह आह ..’ और तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

लंड गीला होकर ‘सटासट सटासट ..’ अन्दर बाहर होने लगा था. वो भी थक गई थी.

मैंने लंड निकाल लिया और गीला लौड़ा सुमन की गांड में लगा दिया.
सुमन ने गांड को पीछे करके दबाव बनाया तो लंड गांड में घुस गया.

और सुमन चिल्लाने लगी- ऊईई ईईई ऊई मम्मी बचाओ मर गई बचाओ!

मैंने लंड को ढीला छोड़ दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा.
वो धीरे धीरे गांड चलाने लगी तो मैंने भी अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और अन्दर-बाहर करने लगा.

अब लंड अन्दर बाहर होने लगा और उसकी गांड में थप थप थप थप करने लगा.

उसकी बहन सरोज नीचे लेटी देखकर बोली- साला बिहारी दो दो जाटनी चोद रहा है.
ये सुनकर मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अन्दर-बाहर करने लगा.

गांड चुदाई की मादक आवाज़ कमरे में गूंजने लगी थी.

मैंने अपनी उंगली सुमन की बहन सरोज की गांड के सुराख पर रखी और उसकी गांड को सहलाने लगा.

उसने गांड उठा दी, तो मैंने उंगली छेद में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा उसकी गांड का छेद ढीला था.

मैंने अपने लौड़े की रफ्तार तेज कर दी और तेज़ी से चोदने लगा और सुमन की गांड को वीर्य से भर दिया.

थोड़ी देर बाद लंड निकाल लिया और उसकी बहन के मुँह में डाल दिया. वो लंड को चूसने लगी और उसने लंड का माल चाटकर उसे साफ कर दिया.

सुमन उठ गई और कपड़े पहन कर बोली- मैं जाती हूं, अगर अम्मा आ गईं तो सब फंसेंगे.

इधर सुमन की बहन सरोज मेरे साथ रूम में रह गई थी.

हमने दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर आ गए.

मैंने सरोज को बोला- बिहारी का लंड गांड में कैसे लोगी?
वो बोली- रूक जाओ.

उसने मेरे लौड़े पर तेल लगाया और मुझे पलंग के किनारे पर बैठने को बोला.
फिर मेरे मुँह के तरफ अपना मुँह करके लंड में अपनी गांड रखकर बैठ गई और मेरा खड़ा लंड सरकता हुआ उसकी गांड के अन्दर चला गया.

सरोज ने बताया कि उसके पति गांड चोदने के शौकीन हैं.

वह धीरे धीरे लंड पर गांड चलाने लगी उसके बूब्स मेरे मुँह में लगने लगे.
मैं भी नीचे से झटके मारने लगा.

हम दोनों गर्म हो गए थे और थप थप थप थप की आवाज़ आने लगी थी.
हम दोनों चिपक कर मस्ती से चुदाई करने में लगे थे.

अब सरोज की रफ्तार कम होने लगी, तो मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पैरों को मोड़कर चोदने लगा.
इससे उसकी गांड का छेद बिल्कुल खुल गया था और लंड गपागप गपागप अन्दर बाहर होने लगा था.

कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी गांड को घोड़े जैसा चोदने लगा.

वो ‘आह आहह ..’ करके गाली देने लगी.
सरोज बोल रही थी- हरामी बिहारी चोद जाटनी चोद साले … तुम हरियाणा में आते हो और जाटनी चोदते हो सालों!
मैंने कहा- जाट नहीं चोद पाते … तो हम ही चोदेंगे न!

अब सरोज की आवाज दबने लगी थी.

मैंने कहा- बिहारी का लंड जाटनी को चोदेगा भी और खुश भी करेगा.
वो बोली- हां चोद साले.

उसे मैंने घोड़ी बनने को कहा तो वो घोड़ी बन गई और बोली- आ जा साले जाटनी चोद, अब जल्दी से चोद … फिर मुझे घर भी जाना है.
मैंने कहा- हां ले.

अब मैंने उसकी गांड में लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
वो भी गांड आगे पीछे करने लगी और हम दोनों ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.

थप थप थप की आवाज तेज हो गई थी.

उसने चुदते हुए बताया कि जाट, पंजाबी गांड मारने के शौकीन होते हैं.

मैंने पूछा- तुम अपने पति के अलावा किसी और से चुदवाती हो?
वो बोली- मेरी ससुराल में पति तीन भाई हैं. शादी के बाद तीनों ने मुझे चोदा है. फिर देवरों की शादी हो गई और सब अपनी अपनी बीवी चोदने लगे.

ये सुनकर मैं और जोश में आ गया और लंड को तेज़ तेज़ अन्दर बाहर करने लगा.
वो भी गांड आगे पीछे करने लगी.

उसने बताया कि हरियाणा में ये आम बात है, हर गांव में ऐसा ही होता है.

अब वो कभी कभी अपने बड़े जीजाजी से चुदवाती है. जब वो अपनी बहन के घर जाती है.

मेरे लौड़े ने अपनी रफ़्तार अचानक बढ़ा दी और मेरे लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया.
झड़ने के बाद मैंने सरोज की गांड से लंड निकाल लिया.
हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.

तभी दरवाजे में खट-खट हुई.

ये सुमन थी. वो बोली- दरवाजा खोलो.
सरोज ने दरवाजा खोला तो वो अन्दर आ गई.

उसने कहा- सरोज अम्मा तने खोज रही है … जल्दी चल.

सरोज कपड़े पहनने लगी. मैंने सुमन को झुका दिया और लंड चुसाने लगा.

जब तक सरोज ने कपड़े पहने, तब तक सुमन लंड को गपागप गपागप चूसने लगी.

अब मैंने लंड निकाल लिया और सरोज को लंड चूसने को बोला, वो भी लंड को लॉलीपॉप समझकर चूसने लगी.

सुमन बोली- चल बहन … अम्मा बुला रही है.

फिर वो दोनों नीचे आ गई और मैं नंगा ही बिस्तर पर लेट गया.
 
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