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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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जवान सौतेली मां की चूत चुदाई की लालसा-2


अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी जवान मां की चूचियों को देख कर एकदम गर्म हो गया था. इसलिए मैं अपने कमरे में आ गया और लंड को सहलाते हुए मां की जवानी को सोचने लगा.

तभी मां मेरे कमरे में आ गईं और मैं उन्हें देख कर अपनी लुंगी को सम्भालने लगा था.

अब आगे


मां हंसकर बोलीं- ऐसा होता है इस उम्र में.
उनकी नजरें मेरी लुंगी के तंबू पर ही जमी थीं. मां बोलीं- अभी सो जाओ हर्षद, ग्यारह बज गए हैं.

मां अपने बेडरूम में चली गईं. उनका कमरा मेरे कमरे से लगा हुआ ही था.
फिर मैं सो गया.

सुबह नौ बजे मैं उठा, तो पिताजी अपने ऑफिस चले गए थे.

मैं नहाने जा रहा था, तभी मां ने किचन से हंसकर आवाज दी- अरे उठ गए हर्षद. रात को नींद लगी आ नहीं!

माँ से मैं नजरें नहीं मिला पा रहा था. फिर भी किसी तरह मैं बोला- हां मां बहुत अच्छी नींद आई.

मैंने उनकी तरफ देखा, तो मैं तो होश ही खो बैठा. मैं उन्हें देखता ही रह गया. मां ने एक पिंक कलर की टाइट सी नाइटी पहनी थी. उसमें से उनकी ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी साफ़ दिख रही थी. उनका एकदम सेक्सी क्लीवेज देखकर मेरे लंड में हलचल होने लगी. मां क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं.

इतने में मां बोलीं- हर्षद कहां खोया है … और ऐसे क्या देख रहा है मुझे!

ये बोलते समय उनकी नजरें मेरी तौलिया पर टिकी थीं. जो मैंने अपनी कमर पर लपेटा हुआ था. लंड खड़े हो जाने से लंड का काफी उभार साफ़ दिख रहा था.

खड़ा लंड देख कर मां हंसकर बोलीं- हर्षद जल्दी जाओ और नहाकर आओ. मैं तुम्हारे लिए नाश्ता और चाय बना देती हूँ.

मैं बाथरूम में चला गया और दरवाजा बंद कर दिया. मैं तौलिया हटा आकार पूरा नंगा हो गया और शॉवर चालू कर दिया.

अभी भी मेरा लंड तना हुआ था. मैंने लंड हाथ में पकड़कर मुठ मारना शुरू किया और मां की चूचियों को याद करते हुए लंड की मुठ मारकर उसे शांत कर दिया.

फिर मैं नहाकर बाहर आया और अपने रूम में चला गया. मैं तैयार होकर हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया.

मुझे रेडी देख कर मां नाश्ता लेकर आईं. मुझे नाश्ता की प्लेट देकर वो भी मेरे पास ही बैठ गईं.

उनकी जांघें मेरी जांघों को टच कर रही थीं. उनके बदन की मदहोश करने वाली खुशबू मुझे मस्त कर रही थी. उनका सेक्सी बदन देखकर तो मैं पागल ही हो गया था. उनकी नजरों में कुछ अजीब सी प्यास मुझे दिखने लगी थी.

मैं नाश्ता कर रहा था. मां मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोलीं- हर्षद नाश्ता अच्छा नहीं बना क्या? तुम शायद कुछ सोच रहे हो … क्या बात है हर्षद!
मैंने बोला- कुछ नहीं मां … बस ऐसे ही.

मैंने नाश्ता खत्म किया और चाय पीकर मां को बोला- मैं जरा बाहर जाकर आता हूँ. खाने के समय पर आ जाऊंगा.
मां बोलीं- ठीक है आराम से जाना, बाईक ठीक से चलाना और जल्दी वापस आना, मैं इंतजार करूंगी.

मैंने ‘हां मां ठीक है!’ कह कर अपने कदम बाहर की ओर बढ़ा दिए. मैंने अपनी बाईक निकाली और निकल पड़ा.

करीब साढ़े बारह बजे मैं घर आया. मेरी बाईक की आवाज सुनते ही मां गेट खोलने आ गईं.

मैंने मां से कहा- अरे मां आपने क्यों तकलीफ की, मैं खुद ही गेट खोल लेता ना!
वो बोलीं- अरे मेरा काम खत्म हो गया था हर्षद और मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी.

मैं अन्दर आया और मां ने गेट बंद कर दिया. हम घर में अन्दर आ गए.

मां बोलीं- तुम फ्रेश होकर आओ, मैं खाना लगाती हूँ.

मैं फ्रेश होकर आया, तब तक मां ने खाना लगा दिया था. फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं अपने रूम में चला गया. उधर मैंने अपने कपड़े उतारे और लुंगी लगा कर पेपर पढ़ने लगा.
मां किचन में अपना कर रही थीं.

कुछ ही देर में मां सब काम खत्म करके मेरे रूम में आ गईं.
मैं उन्हें देख कर बोला- आओ मां. मै समझा था कि आप अपने बेडरूम मे सोने जाओगी.
मां मेरे पास बैठकर बोलीं- अभी मुझे नींद नहीं आ रही.

उनकी नजरों में सेक्सी भाव झलक रहे थे. कल से मुझे उनके बर्ताव में बदलाव दिख रहा था. वो मेरी तरफ आकर्षित हो रही थीं. मुझे भी ये अच्छा लग रहा था.

उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोलीं- हर्षद, अभी अगले हफ्ते तुम अपने ऑफिस जाने लगोगे, तो मेरा क्या होगा … मेरे दिन कैसे कटेंगे. हर्षद तुम एक ही सहारा हो मेरा … जो मेरे दिल की बात समझ सकते हो. अब मैं दिन भर किससे बातें करूंगी हर्षद!

ये कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए.

उनकी हालत देखकर मुझे भी रहा नहीं गया और मैं उन्हें अपनी बांहों में भरकर बोला- रो मत मां … सब ठीक हो जाएगा. आपको कुछ दिन तकलीफ होगी … फिर आदत लग जाएगी. वैसे भी काम होने के बाद आप टीवी देखती रहा करो … फिर दो घंटे सो जाया करो.
मां बोलीं- इतना आसान है क्या हर्षद!

मैं उनके आंसू पौंछने लगा. मुझे उनका स्पर्श मदहोश कर रहा था. हम दोनों एक दूसरे के तरफ आकर्षित हो रहे थे.

इतने में मां बोलीं- हर्षद मैं तुम्हें अपना बेटा नहीं बल्कि एक दोस्त मानती हूँ. तुमसे अपनी सभी बातें शेयर करती हूँ. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ हर्षद.

बस ऐसे ही बोलते बोलते मां ने मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर मेरे माथे पर किस किया, फिर गालों पर चूमा और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

मैं भी इससे मदहोश हो गया था. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में कस लिया. मैं भी उन्हें साथ देने लगा. मैं भी उनके होंठों चूसता रहा.

हम दोनों एक दूसरे की पीठ पर हाथ घुमा रहे थे. हम दोनों की सांसें बहुत तेज चलने लगी थीं. मेरे दोनों हाथ उनके मुलायम सेक्सी बदन पर फिरने लगे थे. वो भी मेरी कमर, पीठ, जांघों पर हाथ फिरा रही थीं.

इससे मेरा लंडा खड़ा होने लगा. मेरी लुंगी में तंबू सा बन गया था. लंड खड़ा हुआ, तो मैंने झट से अपने हाथ मां के बदन से हटा लिए.

मां बोलीं- क्या हुआ हर्षद!
मैं बोला- मां हम दोनों ये सब गलत कर रहे हैं. तुम मेरी मां हो. ये सब करना पाप है.
ये कह कर मैं खड़ा हो गया.

तभी मेरी लुंगी में तंबू बना देखकर मां बोलीं- अगर ये सब पाप है, तो ये ऐसा क्यों हो गया?

उन्होंने वैसे ही तंबू को पकड़ कर मेरा लंड हिला दिया. मेरी तो फट रही थी. मां के पकड़ने से मेरा लंड तो और जोश में आने लगा था.

मेरे पास इसका कुछ जवाब नहीं था. मैं बोला- पता नहीं, कल से ऐसा क्यों होने लगा है.

मां बोलीं- तुम एक मर्द हो और मैं एक औरत हूँ. इसलिए सेक्स भावनाएं जागृत होती हैं. तुम अब बड़े हो गए हो. देखो तुम्हारा लंड कितना बड़ा और लंबा हो गया है.

ये कहकर मां खड़ी हो गईं और मुझसे लिपट गईं. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में कसके जकड़ लिया था. उनके दोनों कड़क मम्मे मेरे सीने पर दब गए थे. उनकी गर्दन मेरे कंधे पर थी.

मैं भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाया. मेरे भी हाथ उनकी पीठ और कमर को सहलाने लगे थे. मेरा लंड भी उनकी जांघों के बीच जाकर चुत से टकरा रहा था.

मां रोने लगी थीं और उनके आंसू बहकर मेरे कंधे को गीला कर रहे थे. ये महसूस करते ही मैं एकदम से होश मैं आया और अलग हो गया.
मैंने पूछा- मां आप क्यों रो रही हो?

मां- नहीं हर्षद, मैंने बरसों से इन आसुँओं को बहुत रोके रखा है … जी भर के रो लेने दे मुझे … मैं बहुत प्यासी हूँ हर्षद. मैं किसी मेरा दुःख कैसे बताऊं … अगर मेरी मां या बहन होती, तो उन्हें बता सकती थी. सब कुछ है मेरे पास … लेकिन मेरे जिस्म की प्यास को मैं कैसे बुझाऊं. दिन तो तुम लोगों के साथ निकाल लेती हूँ. लेकिन रात जल्दी नहीं कटती.

वो आगे बोली- मैं क्या करूं हर्षद … तुम ही बताओ. मैं तो पराये मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती. अपने घर की इज्जत का सवाल है … और मैं अपने घर की इज्जत पर कोई दाग नहीं लगने दूंगी हर्षद. एक तुम ही मेरी मदद कर सकते हो हर्षद.

मैं बोला- मां अगर तुम यही चाहती हो, तो मैं तैयार हूँ. मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूँ.
ये सुनकर मां मुझे लिपटकर बोलीं- आय लव यू हर्षद.
मैंने भी मां को बांहों में भर लिया और कहा- आय लव यू मां.
मां बोलीं- हर्षद जब हम दोनों अकेले हों, तो तुम मुझे सिर्फ अदिति कहकर ही बुलाओगे.

ये कह कर वो मुझे किस करने लगीं. मेरा लंड उनकी चुत पर ऊपर से ही रगड़ रहा था.

अब मां बोलीं- चलो अब देर न करो … जल्दी मेरी प्यास बुझा दो. अब नहीं रहा जाता हर्षद.

मैं भी बहुत जोश में था. मैंने मां को उनकी कमर के नीचे हाथ डालकर उठाया और उनके बेडरूम में ले गया. मैंने मां को बेड पर लिटा दिया. मैं भी अपनी बनियान और लुंगी निकालकर उनके ऊपर चढ़ गया और किस करने लगा.

उन्होंने भी मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगीं. मां अपनी जीभ मेरे मुँह में डालकर मुझे चूसे रही थीं. मैं भी अपनी जीभ उनके मुँह में डाल रहा था.

आह क्या बताऊं … ये मेरे लिए अजीब अनुभव था … मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैंने अपने हाथ उनके कड़क मम्मों पर रख दिए और अब मैं मां के मम्मों को मसलने लगा था. मां मादक सिसकारियां भरने लगी थीं.

कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मां बोलीं- आह हर्षद मेरी नाइटी, ब्रा, पैंटी निकाल कर नंगी कर दो मुझे.
मैं भी यही चाहता था.

मैंने उनकी नाइटी निकाल दी. फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी. वाह क्या मदमस्त जिस्म था मेरी जवान सौतेली मां का … मैं नशीली निगाहों से उनका मस्त जिस्म देखने लगा.

मां के कड़क उभरे हुए मम्मे, पतली कमर और मुलायम जांघें … और उन दोनों चिकनी टांगों के बीच छुपी हुई गुलाबी चुत एकदम साफ थी. शायद मां ने सुबह ही अपनी चुत की झांटें साफ की थीं.

मैं तो मां की चुत देख कर अपने होश खो बैठा था और बस देखे जा रहा था.

तभी मां चुत उठाते हुए बोलीं- हर्षद सिर्फ देखते रहोगे क्या? चलो जल्दी से अपना जांघिया निकालो न!
मैं बोला- नहीं अदिति … तुम ही उतार दो.

मां उठीं और उन्होंने मेरा जांघिया नीचे खींच दिया. मेरा आधा सोया हुआ लंड झट से आजाद हो गया और फुदकने लगा.

उन्होंने मेरे लंड को निहारते हुए मेरी जांघिया पैरों से निकाल दी. अब मैं बिस्तर पर घुटनों के बल बैठा था. मां ने अपने दोनों हाथों में मेरा लंड ले लिया और उसे सहलाने लगीं.

मेरा पूरा बदन रोमांचित और गरम होने लगा. मेरा साढ़े सात इंच लम्बा और मोटा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था.

मां लंड हाथ से सहलाते हुए बोलीं- हर्षद तेरा लंड कितना लंबा और मोटा है. ये तो मेरी तो चुत फाड़ देगा … तेरे पिताजी का तो पांच इंच ही लंबा है और पतला सा है. हमारी शादी के बाद छह महीने तक ही मुझे चुदाई का मजा मिल सका. फिर तेरे पिताजी का तो दो मिनट में हो जाने लगा था … और मैं वैसे ही प्यासी सो जाती थी. अब मेरी प्यास तो ये तुम्हारा ये तगड़ा लंड ही बुझाएगा हर्षद.

ये कहते हुए उन्होंने मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ गोल गोल घुमा दी. इससे मेरे तो पूरे बदन में जैसे करंट सा दौड़ गया था.

मैंने मां को बेड पर लिटाया और 69 की पोजीशन बनाते हुए मैं उनके ऊपर आ गया. मां की टांगों को फैलाकर मैंने उनकी गुलाबी चुत पर किस किया. मां के मुँह से एक मीठी आह निकल गयी. वो भी मेरे लंड पकड़ कर मुँह लेने की कोशिश करने लगीं … मगर बड़ा लंड होने के कारण मां के मुँह में लंड नहीं जा पा रहा था.

मां मेरे लंड का सुपारा चूसने लगीं. मुझे भी जोश भरने लगा था. मैंने कोशिश करके अपना लंड उनके मुँह में दे दिया. अब वो लंड मस्ती से चूसने लगी थीं.
 

junglecouple1984

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जवान सौतेली मां की चूत चुदाई की लालसा-3


अब तक आपने जाना कि मैंने मां के मुँह में अपना लंड दे दिया था और वे मेरे लंड को चूसने लगी थीं.

अब आगे पढ़ें कि कैसे बेटे ने मां को चोदा:

मैं मां की चुत पर अपनी जीभ फिरा रहा था. उसी के साथ मैं मां की जांघों को भी सहला रहा था.

मां के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. उनकी चुत से मीठा रस बह रहा था और मैं उसे चाटकर पी रहा था.

मां ने भी जोश में आकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था. अब मैं भी लंड को उनके गले तक डाल रहा था. सच में मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैंने एक उंगली मां की चुत में डाल दी, तो वो एकदम से कसमसा उठीं- आह आह … हर्षद ओह अहाहा … सससह.
मां वासना से भरी सिसकारियां लेने लगी थीं.

फिर मैंने एक साथ मां की चुत में दो उंगलियां डाल दीं और अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत बहुत कसी हुई थी. वो जोरों से आहें भरने लगीं. मां की चुत से झरने की तरह रस बहने लगा था. मैं चुतरस पीते पीते उनका मुँह चोद रहा था.

अब मेरा भी रस निकलने वाला था, तो लंड एकदम कड़क और गर्म हो गया था.

मैं बोला- अदिति मेरा निकलने वाला है.
वो बोलीं- मुँह में ही निकाल दो … मुझे तुम्हारा रस पूरा पीना है.

ये सुनकर मैं मस्त हो गया कि मेरी सौतेली मां मेरे लंड का जूस पीना चाह रही हैं.

मैंने भी अपनी जीभ चुत में अन्दर तक डालकर चूसना शुरू कर दिया था. वो नीचे से अपनी गांड उठा रही थीं. मैंने भी नीचे हाथ डालकर मां की गांड को पकड़ रखा था.

इसी बीच मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मार दी. मेरा लौड़ा मां के मुँह में उनके गले तक घुस गया था. मेरा रस सीधा अन्दर जा रहा था और मां लंड चूसकर रस पीती रहीं. उन्होंने आखिरी बूंद तक लंड चूसा.

फिर हम दोनों ही शांत होकर दो मिनट ऐसे ही 69 में पड़े रहे.

इसके बाद मां एक हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगीं और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड को सहलाने लगीं. मैं भी उनकी चुत पर अपने होंठों को रखकर चूमने लगा, तो वो गर्म सिसकारियां भरने लगीं.

जल्दी ही उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं. अब मैं अपनी जीभ को मां की चुत पर नीचे से ऊपर तक फेर रहा था. मैं उनके दाने को जीभ से कुरेद भी रहा था. इससे मां को बहुत जोश आने लगा था. वो अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं.

मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी चुत को फैलाया और अपनी जीभ अन्दर तक डाल दी.

वो जोरों से आह भरने लगीं- ओह हर्षद क्या कर रहे हो … बस करो … अब अपना लंड डाल दो मेरी चुत में … आह अब नहीं रहा जाता हाय … अअअहाहा … अं ऊंऊं डाल दो ना!

उनकी चुत से फिर से कामरस बहने लगा था. मैं चुत को अपनी जीभ से चाट रहा था. वो सिसकारियां भर रही थीं और मेरे लंड को जोर से चूसने में लगी थीं.

मुझे भी अब नहीं रहा जा रहा था.

मां बोलीं- हर्षद बेटा, प्लीज डाल दो ना अपना लंड मेरी चुत में जल्दी से … और बरसों की मेरी प्यास बुझा दे.

मैं देर न करते हुए उनकी टांगें बीच बैठ गया. उनकी टांगें फैलाकर मेरे लंड का सुपारा उनकी चुत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा. वो कसमसा उठीं.

मैं लंड का टोपा उनकी चुत की फांकों में ऊपर से नीचे फेरते हुए चुत के दाने पर रगड़ने लगा.

मां तिलमिलाए जा रही थीं. उन्होंने नीचे हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़कर कहा- हर्षद … प्लीज जल्दी से इसे डाल दो ना … जल्दी से अन्दर कर दे प्लीज़ … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.

मुझसे भी उनकी हालत नहीं देखी जा रही थी. मैंने भी लंड का सुपारा गीली चुत पर रखा और एक जोर का धक्का दे दिया.

अभी मेरा सिर्फ दो इंच लंड ही अन्दर घुस सका था, मगर मां चिल्ला उठीं- ओय ऊंई मर गयी रे … हर्षद हाय अअहह हहऊ ऊ ऊ आहिस्ता डालो ना हर्षद … तेरा लंड बहुत मोटा है … फाड़ डालेगा क्या मेरी चुत को.

मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रखकर उनके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों चूस रही थीं.

मैं अपने दोनों हाथों से उनके चूचे मसल रहा था. वो एक दो पल में ही सामान्य हो गईं.

अब मैंने फिर से एक और जोरदार धक्का मार दिया. अबकी बार मेरा आधे से अधिक लंड चुत में घुस गया था. मैं उन्हें चूम रहा था, तो वो चिल्ला नहीं पाईं. लेकिन उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. वो रो रही थीं … दर्द को सहन नहीं कर पा रही थीं.

मैं अपना मुँह ऊपर उठाकर बोला- क्या हुआ अदिति … तुम्हारी आंखों में आंसू कैसे हैं?
मां बोलीं- मुझे दर्द हो रहा है हर्षद … मैं पहली बार इतना बड़ा लंड मेरी चुत में ले रही हूँ ना … इसलिए. अब ठीक है तुम करो..
वो मुझे चूमने लगीं.

मैंने भी उनकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर लंड थोड़ा बाहर निकालकर जोर से धक्का मारा और पूरा लंड चुत में उतार दिया.

मां जोर से चिल्लाईं, लेकिन उनकी आवाज बाहर नहीं आयी. मैंने अपने होंठों से उनका मुँह बद कर दिया था. उनके मुँह से अब बस सिसकारियां निकल रही थीं.

वो बोलीं- हर्षद तुमने तो मेरी चुत फाड़ दी आज … शायद खून निकल गया है.

मैंने नीचे देखा, तो उनके चुत रस के साथ थोड़ा सा खून भी बाहर आया था.

मैंने मां को चूमकर कहा- हां अदिति, सच में खून निकला है. मगर तुम घबराओ नहीं … अब कुछ भी दर्द नहीं होगा. बस अब सिर्फ मजा ही आएगा.
मां बोलीं- हर्षद मैं सभी दर्द सह लूंगी. मैं बहुत खुश हूँ आज. इतना बड़ा लंड मेरी चुत में जाकर मेरे गर्भाशय को छू रहा है.

मैं यह सुनकर जोश में आ गया और उनके मम्मों को चूसने लगा. दूसरे हाथ से दूसरे दूध को रगड़ने लगा.

मां कामुक सिसकारियां लेने लगी थीं. उनके हाथ मेरी पीठ पर और गांड पर फिरने लगे थे. मां नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी थीं.
इससे मैं भी समझ गया कि मां का दर्द कम हो गया है.

मैंने अपनी दोनों हाथों में मां के दोनों मम्मे पकड़ कर रगड़ते हुए मोर्चा सम्भाल लिया. मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. मां की चुत रस छोड़ रही थी. उनका गर्म चुतरस मेरे लंड को महसूस हो रहा था.

फिर मैंने उनकी टांगों को अपने हाथ से फैलाया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.

मां मस्ती से मादक सिसकारियां निकालने लगीं. अब मां को चुदने में बहुत मजा आ रहा था. वो भी नीचे से गांड उठाकर मेरा लंड अन्दर ले रही थीं.

करीब दस मिनट तक मैं ऐसे ही जोर से चुदाई करता रहा. मां अब फिर एक बार झड़ने लगी थीं. उनकी चुत ने गर्म रस का फव्वारा मेरे लंड पर छोड़कर मेरे लंड नहला दिया … और वो शांत होती चली गईं.

मेरी मां अपने हाथ फैलाए और आंखें बंद करके सिसकारियां लेते हुए आराम से पड़ी थीं. मैं भी उनके दोनों हाथों पर अपने हाथ रखकर उनके ऊपर लेट गया. अपने होंठों को मां के होंठों पर रख दिए.

लेकिन अभी तक मेरा वीर्य नहीं निकला था.

मैं मां से बोला- अब तक का सफर कैसा लगा अदिति?
तो वो मुझे चूमते हुए बोलीं- हर्षद क्या बताऊं तुझे … मैं तो शब्दों में बयान ही नहीं कर सकती. मुझे बहुत मजा आ रहा है … मैं अपनी जिंदगी पहली बार इतने मजे ले रही हूँ. लगता है कि मैं आज जन्नत की सैर कर रही हूँ.

ये सुनकर मैं खुश हो गया. मैं मां से बोला- अदिति अभी मेरा वीर्य नहीं निकला है. मुझे और मजे लेना है … और तुम्हें भी बहुत खुश करना है.
वो हंसकर बोलीं- मैं भी यही चाहती हूँ हर्षद.

वो मुझे चूमने लगीं और नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगीं.

मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उनकी कमर पकड़कर लंड अन्दर बाहर करके मां को चोदने लगा. मां की चुत गीली होने के कारण अब फच पच पचा फच की आवाज निकलने लगी थीं. साथ में अदिति के मुँह से निकलती मादक सिसकारियों की आवाज से बेडरूम का माहौल रोमांटिक हो गया था.

मैं अपना लंड आधे से ज्यादा बाहर निकालकर जोर से अन्दर डाल रहा था. मां को भी चुदने में मजा आ रहा था. वो भी अपनी गांड उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही थीं.

ऐसे ही दस मिनट तक मैं मां को चोदता रहा. वो भी मस्त मजे ले रही थीं और सिसकारियां भी भर रही थीं.

मां बोलीं- हर्षद आह और जोर से चोद दो … मैं फिर से झड़ने वाली हूँ.

वो चौथी बार झड़ने वाली थीं … अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.

मैं जोर जोर से लंड को चुत के अन्दर तक घुसाने लगा. मैंने मां से बोला- हां मेरी जान अब मेरा भी निकलने वाला है … क्या मैं अपना वीर्य अन्दर ही छोड़ दूँ?
मां बोलीं- हां अन्दर ही छोड़ दो … बहुत प्यासी है मेरी चुत, तुम्हारा अमृत जैसा वीर्य पीकर तृप्त हो जाएगी.

मां के ऐसा कहते ही उनकी चुत रस छोड़ने लगी और मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा. जैसे ही चार पांच जोर के धक्के मारे, मेरे लंड से निकली वीर्य की पिचकारी उनके गर्भाशय को भरने लगी थी.

मां ने भी मेरे रस को अपने अन्दर जाता हुआ महसूस किया था. वो सिसकारियां भरने लगी थीं. उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों में जकड़ रखा था. वो अपनी चुत पर दबाव बनाकर रखना चाहती थीं. उन्हें बहुत मजा आ रहा था. मेरा पूरा वीर्य मां की चुत में निकल गया था.
इस तरह से पहली बार बेटे ने मां को चोदा.

मैं झड़ कर मां के ऊपर ही सो गया था. हम दोनों बहुत थक चुके थे. दोनों ही एक दूसरे के बांहों में समा गए थे. मैं अपना सर उनकी गर्दन पर रखकर लेटा रहा. दोनों की गर्म गर्म सांसें तेज चल रही थीं.

दस मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में जकड़े पड़े थे.

मां आंखें बंद करके निढाल होकर पड़ी थीं. उनके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी दिखायी दे रही थी.

मैंने अपने होंठ मां के गुलाबी होंठों पर रख दिए.
तो उन्होंने अपनी आंखें खोल दीं और बोलीं- हर्षद आज मैं पूरी तरह से तृप्त हो गयी हूँ. ये सब तुम्हारे लंड का कमाल है … और तेरा भी. हर्षद आज क्या चुदाई की है तुमने … मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम एक अनुभवी मर्द की तरह करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक मेरी चुत चुदाई करोगे. थैंक्यू हर्षद … तुमने मेरी बरसों से प्यासी चुत की प्यास आज अपने अमृत से बुझा दी. मैं ये पल कभी नहीं भूलूंगी … आज का ये सुनहरा दिन मेरी जिन्दगी में मुझे हमेशा याद रहेगा. अब हमेशा तुम मुझे ऐसे ही खुशी देते रहना. आय लव यू हर्षद.

मां ये बोलकर मुझे चूमने लगीं.
मैं भी उन्हें आय लव यू टू अदिति बोलकर चूमने लगा.

मेरा लंड सिकुड़कर चुत से बाहर निकल आया था. मां ने मोबाइल की घड़ी देखी, तो छह बज चुके थे.

मां बोलीं- उठो हर्षद … शाम के छह बज गए हैं. आज बहुत देर हो गयी है. कैसे समय निकल गया, पता ही नहीं चला.

मैं उनके ऊपर से उठकर बाजू हो गया. मां उठीं, तो उन्होंने देखा कि उनकी चुत से हम दोनों का रस बाहर बह रहा था. बेड की चादर पूरी गीली हो गयी थी. वो बेड से नीचे उतरीं. मैं भी नीचे उतर गया. उनकी चुत से कामरस अभी भी बहकर घुटने तक आ रहा था.

उन्होंने बेडशीट निकाल कर रख दी और मुझसे बोलीं- चलो बाथरूम में चलते हैं हर्षद.

हम दोनों नंगे ही बाथरूम में गए और साथ में नहाने लगे. मां ने गर्म पानी का फव्वारा चालू कर दिया और मेरे लंड को धोने लगीं. मैं उनकी चुत साफ कर रहा था. तभी मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा, तो मैं मां के पीछे गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया. मेरा तना हुआ लंड दोनों टांगों के बीच घुसकर चुत को रगड़ने लगा.

मां भी उत्तेजित होकर सिसकारियां भरने लगीं.

मां बोलीं- हर्षद क्या तुम्हारा अभी दिल नहीं भरा? छोड़ दो बस करो.
मैं बोला- नहीं अभी मेरा दिल नहीं भरा अदिति … मैं और सेक्स चाहता हूँ.
वो बोलीं- ओके … पर अभी नहीं हर्षद. तेरे पिताजी सात बजे के बाद कभी भी आ सकते हैं. प्लीज मान भी जाओ हर्षद … हम कल करेंगे. अब तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी ही हूँ ना.

ये सुनकर मैं मां से अलग हो गया और हम दोनों नहाकर नंगे ही अपने रूम में चले गए.

थोड़ी ही देर में हम तैयार हो गए. मैं हॉल में आकर टीवी चालू करके सोफे पर बैठ गया. मां भी साड़ी पहनकर आ गईं.

उसी समय पिताजी भी आ गए.

मां मुझसे मुस्कुरा कर बोलीं- हर्षद, मैं तुम दोनों के लिए चाय बनाकर लाती हूँ.
मैं धीमे से हंस दिया.

 

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जवान सौतेली मां की चूत चुदाई की लालसा-4



अब तक

आपने जाना कि मैं मां की चुदाई करके बाथरूम में मां के साथ नहाने लगा था. उधर मेरा लंड मां की चुत चोदने के लिए फिर से कड़क होने लगा था. जिस पर मां ने मुझे पिताजी के आने का समय कह कर रोक दिया था.

मैं मान गया था और बाथरूम से बाहर निकल कर कपड़े पहन कर सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा था. तभी पिता जी भी आ गए थे. मां अपने कपड़े पहन कर हम दोनों के लिए चाय बनाने किचन में चली गई थीं.

अब आगे

मैं मां की मटकती हुई गांड को देख कर धीमे से मुस्कुरा दिया.

तभी पिता जी के फोन पर किसी का कॉल आ गया और वे जल्दी में आवाज लगाते हुए चले गए- अदिति मैं जरूरी काम से जा रहा हूँ. बस अभी आ जाऊंगा.
मैंने पिताजी को रोकने की कोशिश की कि चाय पी कर चले जाना पिताजी.
मगर शायद कोई अर्जेंट कॉल था, इसलिए पिताजी रुके नहीं.

पिताजी के जाते ही मां आ गईं और पिताजी को न पाकर मुझसे पूछने लगीं- क्या हुआ? तेरे पिताजी किधर चले गए?

मैंने मां को आते देख आकर उठ कर दरवाजे की कुंडी लगा दी और सब बताते हुए उनको अपनी गोद में खींच लिया.
मां हंसते हुए मेरी गोद से उठीं और बोलीं- उधर चाय उफन रही होगी. मुझे जाने दे.

मां किचन में चली गईं और मैं अपने लंड के उफान को दबाने लगा.

एक मिनट बाद मां दो कप में चाय लेकर आ गईं और मेरे पास बैठकर चाय पीने लगीं.
हम एक दूसरे की देखकर हंसने लगे थे. मां के चेहरे पर आज बहुत खुशी दिख रही थी.

मैं बोला- अदिति … तुमने आज मुझे बहुत खुश कर दिया है. मैंने अब तक चार लड़कियों को चोदा है, मगर उन्हें चोदने में भी इतना मजा नहीं आया जितना तुम्हारी चुत चुदाई में मजा आया. वाकयी तुम बहुत सेक्सी हो … तुम्हारा बदन बहुत गठीला है.

इस पर मेरी सौतेली मां बोलीं- हर्षद, तुमने तो बरसों से प्यासी अपनी माँ की चुत की आग बुझा दी है. मैं तुम्हारी बहुत आभारी हूँ. पहले तो मैं बहुत डर रही थी कि तुमसे ये सब बातें कैसे कहूँ, लेकिन जब से मैंने तुम्हारा मोटा लंड देखा था, तभी से मेरा दिल तुमसे चुदवाने को मचल रहा था. आज वो सुनहरा दिन ही आ गया. मैं बहुत ही खुश हूँ हर्षद …

अदिति आगे बोली- आज से जब हम दोनों को मौका मिलेगा, हम ऐसे ही चुदाई करेंगे हर्षद. मगर ध्यान रखना कि ये बात सिर्फ हमारे बीच में ही रहना चाहिए.

इसी तरह से हम दोनों बातें करते हुए अपनी चाय खत्म करने लगे.

चाय के बाद मां कप लेकर किचन में चली गईं और कोई दस मिनट बाद वो अपना काम निपटा कर वापस आ गईं.

मैंने उनको देख कर अपना लंड सहलाया तो मां मेरी गोद में आकर बैठ गईं. मैंने भी उन्हें अपने दोनों हाथों से कसके जकड़ते हुए भींच लिया और उनके मम्मों को सहलाने लगा.

वो कामुक सिसकारियां लेने लगीं. नीचे से मेरा लंड खड़ा होकर मां की गांड की दरार में घुस गया था. लंड को महसूस करते ही मां ने अपनी गांड हिलाकर लंड को ठीक से अपनी गांड की दरार में सैट कर लिया. उन्हें भी खड़े लंड पर गांड घिसने में मजा आ रहा था.

मैंने अपने हाथ पेट के रास्ते उनकी साड़ी के अन्दर डालकर उनकी गर्म चुत पर रख दिए. फिर मां की चुत को सहलाते हुए मैं दूसरे हाथ से उनके मदमस्त मम्मों को दबाने लगा.

वो भी कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं. मैं मां के गालों पर और उनके होंठों को अपने होंठों से चूम रहा था.

मां कुछ ही पलों में बहुत ज्यादा उत्तेजित और कामुक हो गयी थीं.

मैं बोला- अदिति अब क्या इरादा है … क्या तुम अभी मुझसे चुदवाना चाहती हो?
मां बोलीं- हां … लेकिन पूरी चुदाई अभी नहीं कर पाएंगे हर्षद … तेरे पिताजी कभी भी आ सकते हैं.

उनकी बात एकदम सही थी. इतने में डोर बेल बज गई. शायद पिताजी लौट आए थे.

मां उठ कर साड़ी ठीक करके गेट खोलने चली गईं. मैं भी कायदे से बैठ गया. मेरा लंड खड़ा होने के कारण लुंगी में तंबू बन गया था, तो मैंने लंड को नीचे दबाया और ऊपर अखबार लेकर पढ़ने का नाटक करने लगा.

पिताजी अन्दर आकर मेरे सामने बैठ गए.
मां भी गेट बंद करके आ गईं और पिताजी से बोलीं- आप फ्रेश होकर आइए. मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ.

पिताजी भी मां की बात सुनकर सर हिलाते हुए बाथरूम में चले गए.

थोड़ी ही देर में पिताजी फ्रेश होकर कपड़े चेंज करके वापस आए और सोफे पर बैठ गए.

तभी मां चाय लेकर आ गईं और पिताजी को चाय देकर अन्दर जाने लगीं.

पिताजी बोले- अदिति जरा यहीं बैठो. मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है.

मैं और मां ने एक दूसरे को आशंका से देखते हुए लगभग एक साथ ही पूछा- क्या बात है … बोलिए न!

तभी पिताजी बोले- अरे मेरे पास सतारा से लता का फोन आया था.
लता मेरी बड़ी बहन का नाम है. दो साल पहले उसकी शादी हुई थी.

पिताजी- आजकल लता की सास बीमार हैं. वे दो दिन हस्पताल में भर्ती थीं. आज ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली है. मैं सोच रहा हूँ कि तुम दोनों जाकर उससे मिल आओ. कल सुबह जाकर शाम को वापस आ जाना. फिर हर्षद को समय नहीं मिलेगा. एक बार उसने ऑफिस ज्वाइन किया तो उससे मिलना ही नहीं हो पाएगा.

पिताजी ने आगे कहा- बहुत दिन हो गए हैं … हम लता की ससुराल भी नहीं गए हैं. इसी बहाने लता और उसके बच्चे की भी कुशलक्षेम मालूम हो जाएगी. सही कहता हूँ ना अदिति, हर्षद?
तभी मां मेरी तरफ देखते हुए बोलीं- हां ठीक है … कल नौ बजे तक हम दोनों सतारा के लिए निकल चलेंगे … चलेगा ना!
पिताजी बोले- हां ठीक है. अभी जल्दी से खाना बना लो … मैं काफी थक गया हूँ. तब तक मैं कमरे में जाकर आराम कर लेता हूँ.

मां हां कहते हुए किचन में खाना बनाने चली गईं और मैं टीवी देख रहा था.

फिर घड़ी में नौ बज गए थे … खाना तैयार हो गया था.

मां ने कहा- हर्षद … अपने पिताजी को खाना खाने के लिए बुला लाओ, मैं तब तक खाना लगाती हूँ.

मैंने पिताजी को बुलाया, फिर हम तीनों इधर उधर की बातें करते हुए खाना खाने लगे. खाना के बाद मां सब बर्तन लेकर किचन में चली गईं.

फिर पिताजी बोले- बेटा हर्षद … अब तुम भी सो जाओ, सुबह तुम्हें जल्दी जाना है ना! मैं भी सोने को जाता हूँ … कल मुझे ऑफिस भी जाना है.

ये कहकर वो अपने बेडरूम में चले गए और मैं अपने रूम में आ गया. मैं बेड पर लेट गया. मैं आज बहुत खुश था कि कल मैं और मां दोनों एक साथ पहली बार कहीं सफर में जाने वाले थे … कितना मजा आएगा … जब सिर्फ हम दोनों ही साथ में होंगे.

ये सब सोचते सोचते कब नींद लग गई, मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह मेरा माथा चूमकर मां ने मुझे जगाया, तो मैंने आंखें खोलकर देखा और कुनमुना कर बोला- सोने दो ना मां.

वो बोलीं- मां नहीं … सिर्फ अदिति कहो … पिताजी अभी अभी ऑफिस गए हैं. उठो जल्दी … हमें सतारा भी जाना है ना!

मैंने मां को खींच कर अपनी बांहों मे जकड़ लिया और उनके दोनों गालों को चूमा. आह मां के बदन से क्या मादक खुशबू आ रही थी … वो अभी अभी नहा कर आयी थीं और नाइटी में ही थीं.

मां हंसती हुई बोलीं- तुम बहुत बदमाश हो गए हो … जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ.

ये कहते हुए मां ने उठकर मेरे ऊपर पड़ा कम्बल हटा दिया. कम्बल हटते ही उनकी नजर मेरे खड़े हुए लंड पर पड़ी, जो लुंगी के अन्दर तंबू बनाए हुए था.

मां मेरा खड़ा लंड देख कर हंसते हुए बोलीं- तेरा ये भी बड़ा बदमाश हो गया है. मुझे देखते ही खड़ा हो जाता है.

मां ने एक हाथ से ऐसे ही ऊपर से मेरे लंड को जोर से दबा दिया और बोलीं- जाओ जल्दी से नहाकर तैयार हो जाओ. मैं भी तब तक तैयार हो जाती हूँ. अभी सवा आठ बजे हैं … आधे घंटे में हमें निकलना है हर्षद.
मां ये कहते हुए चली गईं.

मैं भी उठकर बाथरूम में चला गया.

मैं नहा कर अपने रूम में जाकर कपड़े निकालने लगा. मैंने एक अच्छा सा फॉर्मल पैन्ट और शर्ट पहना और परफ्यूम का स्प्रे मारकर तैयार हो गया. मैंने ऊपर से जैकेट डाल ली.

उधर मां भी तैयार हो चुकी थीं. वो अपने रूम से बाहर आ गईं, तो मैं उन्हें देखते ही रह गया. मां ने पीले रंग की साड़ी पहनी थी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था. साड़ी के ऊपर से ही उनके कसे हुए चूचे मस्त दिख रहे थे.

मां ने साड़ी को कसावट के साथ पहना हुआ था, इस वजह से पीछे से उनकी गांड बहुत सेक्सी दिख रही थी. मां के लंबे और काले बाल कमर के नीचे तक उनके मादक चूतड़ों तक लहरा रहे थे. मेरी सौतेली मां क्या गदर माल लग रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उनके करीब जाकर उनको अपनी बांहों में कस लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूम लिया. उन्हें भी मेरा यूं चूमना बहुत अच्छा लगा.

उन्होंने भी मेरे होंठों को चूमकर अपने से मुझे अलग करते हुए कहा- अभी बस करो हर्षद … हमें निकलना होगा. चलो जल्दी से निकलो … लो ये ताला ले लो, गेट को बंद करके लगा देना.

तभी मैं बोला- अदिति, अपना स्वेटर तो पहन लो … तुम्हें बाइक पर स्वारगेट तक जाना है, ठंड लगेगी.

वो हां में सर हिलाते हुए अन्दर कमरे में जाकर नीले रंग का एक फुल आस्तीन का स्वेटर पहन कर आ गईं. उनके पास एक शॉल भी थी.

तब तक मैंने बाइक बाहर निकाल ली थी.

अब करीब पौने नौ बज गए थे. हम दोनों अपनी मंजिल की तरफ निकल गए. बाइक पर जाते समय तेज ठंडी हवा लग रही थी. इस वजह से मां मुझसे पूरी तरह से चिपक कर बैठी थीं.

मैंने बोला- अदिति … अपने दोनों हाथ मेरी कमर को पकड़ कर कसके बैठो … नहीं तो गिर जाओगी … रास्ता खराब है.

तो मां ने भी एक हाथ से कमर को पकड़ लिया और दूसरा हाथ मेरी जांघ पर रख दिया.

मुझे भी अब मजा आने लगा था. मां के कड़क मम्मे मेरे पीठ पर दब गए थे. उसका अहसास मुझे हो रहा था. वो भी जानबूझ कर अपने चूचे मेरे पीठ पर रगड़ रही थीं. ऐसे ही मस्ती करते हुए हम थोड़ी देर में स्वारगेट पहुंच गए थे.

बाइक बाहर स्टैंड पर खड़ी करके हम एसटी स्टैंड में आ गए.

उधर पुणे से कोल्हापुर जाने वाली बस लगी थी. वो बस निकलने ही वाली थी. सतारा बीच में पड़ता है. हम दोनों बस में जाकर दो सीट वाली सीट पर बैठ गए. बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी. कुछ ही देर में बस चल पड़ी थी. मैं और मां हंसी मजाक करते हुए एक दूसरे के जिस्म की गर्मी के मजे लेने लगे थे.

मां ने शॉल निकाल कर अपने पैरों पर डाल ली थी. मैंने उनकी तरफ देखा तो मां ने आंख दबा दी. मैं समझ गया और मैंने उसी शॉल के अन्दर अपने हाथ डाल दिए. मैं अब अपनी मां की चुत को सहलाने लगा था और वो भी आंख बंद कर मस्त हो रही थीं.

यूं ही मां की चुत में उंगली करते हुए और उनके मम्मों का मजा लेते हुए तीन घंटे का सफर कब खत्म हो गया, हमें पता ही नहीं चला.

बस सतारा बस स्टैंड पर आकर रुक गई थी. हम दोनों बस से निकल कर अपनी मंजिल के लिए चल दिए. एक ऑटो में बैठ कर मैंने ऑटो वाले को पता समझा दिया.

करीब पन्द्रह मिनट में ही हम लता दीदी के घर पहुंच गए. हमें देखते ही लता दीदी और जीजाजी और सभी खुश हो गए. मैंने दीदी को गले लगाया और उसका हालचाल पूछा, तो वो अपनी ससुराल में बहुत खुश थी.

फिर जीजाजी और उनकी मां पिताजी से भी मां ने हालचाल पूछा. मां ने भी दीदी को गले लगाया और सबसे बातें करने लगीं.

तभी दीदी बोलीं- हर्षद तुम और मां फ्रेश हो जाओ. हम सभी साथ में खाना खाएंगे.

अभी एक बज गया था. हमें भूख भी लगी थी. हम दोनों फ्रेश होने के लिए चले गए. तब तक दीदी और उनकी सास ने सभी को खाना लगा दिया था.

हम सभी ने एक साथ खाना खा लिया और हम सब हॉल में आराम से बैठकर बातें करने लगे.

मैं और मां सभी के साथ घुल-मिल गए थे. सभी के साथ हंसी मजाक हो रहा था.

लता दीदी के घर समय कैसे बीता, इसका पता ही नहीं चला.

अब दोपहर में साढ़े तीन बज गए थे.

तभी मां ने दीदी से कहा- लता अभी हमें निकलना पड़ेगा … नहीं तो घर पहुंचने में देर हो जाएगी. शाम के समय पुणे में ट्रैफिक बहुत ज्यादा रहता है ना!
दीदी बोली- ठीक है मां लेकिन मैं अभी चाय बनाती हूँ … आप पीकर जाना.
मां बोलीं- ठीक है.

थोड़ी ही देर में हम चाय पीकर सबकी इजाजत लेकर वापस निकल पड़े.

हम दोनों हाईवे पर आकर रुक गए. जहां पुणे जाने वाली सारी बसें रुकती थीं. उधर बस स्टॉप पर और दो तीन कपल्स और दो तीन बच्चे भी खड़े थे. इतने में बस आयी, लेकिन उसमें बहुत भीड़ थी … तो हमने वो बस छोड़ दी … और दूसरी बस का इन्तजार करने लगे.

उसके बाद दो बसें और आईं, लेकिन वो भी भरी हुई थीं. ऐसे ही एक घंटा हो गया था और अब पांच बज रहे थे.

इतने में एक बस आकर रुक गयी. उसमें दस बारह लोग खड़े थे. ज्यादा भीड़ नहीं थी.

मां बोलीं- चलो हर्षद … इसी में चलते हैं … आराम से खड़े तो रह सकते हैं.

हम दोनों बस में चढ़ गए और आगे जाकर खड़े हो गए. इतने में कंडक्टर आया, तो मैंने दो पुणे की टिकट ले लीं. मैं और मां बातें कर रहे थे. साथ में हमारे बीच हंसी मजाक भी चल रहा था.

उसी बीच मां के मोबाइल पर पिताजी का फोन आ गया और वे फोन सुनने लगीं.


 

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जवान सौतेली मां की चूत चुदाई की लालसा-5


कहानी के पिछले भाग

में आपने पढ़ा था कि मैं अपनी मां को चोद चुका था और उनके साथ बिंदास मस्त जीवन बिताने लगा था.

उस दिन मैं अपनी मां के साथ अपनी बहन की ससुराल से लौट कर घर आ रहा था कि पिताजी का फोन आ गया और उन्होंने बता दिया कि वो किसी जरूरी काम से बाहर जा रहे हैं और दो दिन के बाद परसों शाम तक वापस घर आ जाएंगे.

ये सुनते ही हम दोनों के चेहरे की मुस्कान बढ़ गई और आज रात मां की चुदाई का मस्त खेल होना तय हो गया.

अब आगे:

हम दोनों को बस में खड़े हुए करीब आधा घंटा हो गया था. फिर बस एक स्टॉप पर रुकी, तो कंडक्टर आने वाली सवारियों से बोला कि सिर्फ पुणे जाने वाले ही बैठना. बस बीच में कहीं नहीं रुकेगी.

फिर भी दसेक लोग ऊपर चढ़ गए. उसमें चार वयस्क औरतें, चार आदमी और कुछ बच्चे थे.

कंडक्टर ने दरवाजा बंद किया. बस चलने लगी. अभी बस में बहुत भीड़ हो गयी थी. मैं और मां और आगे जाकर, ड्रायवर के पीछे जो पार्टीशन होता है, वहां खड़े हो गए. मां पार्टीशन से चिपक कर खड़ी रहकर आगे देख रही थीं. मैं उनके पीछे था. आजू बाजू कुछ बच्चे और वयस्क औरतें खड़ी थीं.

रास्ता खराब था, तो हम आगे पीछे हिल रहे थे. बीच बीच में मैं मां की गांड से टकरा जाता था … तो मां पीछे मुड़कर हंस देती थीं.

तभी अचानक से ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारा, तो तभी सभी खड़े हुए लोग, अपने आगे खड़े हुए लोगों से जा टकराए. मैं भी मां से जाकर पूरा चिपक गया था. मेरे पास वाली औरतें मुझसे सट गयी थीं. कुछ हिलने के लिए भी जगह नहीं थी.

इस झटके से एक चालीस पैंतालीस साल की औरत मेरे साइड में मुझे पूरी चिपक गई थी. उसके बड़े बड़े मम्मे मेरी बांहों पर रगड़ रहे थे. और मेरा आधा सोया लंड मां की गांड पर रगड़ खा रहा था. मुझे इस पोजीशन में बहुत मजा आ रहा था.

मेरी सौतेली मां बीच-बीच में अपनी कमर पीछे हिलाकर मेरे लंड को दबा दे रही थीं. मैं पीछे सरकने की कोशिश करता था, लेकिन बहुत मुश्किल हो रहा था. भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी.

ठंडी का मौसम था, तो ठंडी हवा लग रही थी. हालांकि भीड़ की वजह से ठंड नहीं लग रही थी. शाम के सात बज गए थे. अभी और करीब एक घंटे का सफर बाकी था … जिसे ऐसे ही निकालना था.

ठंड के दिनों में अन्धेरा हो गया था और बस में भी अंधेरा छा गया था. बीच में कोई उतरने वाला भी नहीं था, तो ड्राईवर ने बस के अन्दर की लाइट नहीं जलाई थी.

मैं मां की गांड के पीछे से पूरा चिपक गया था. मेरा लंड उनकी गांड की दरार में जाकर फंस गया था. मां भी अपनी गांड हिलाकर लंड के मजे ले रही थीं. मैं अपना एक हाथ उनकी कमर में डालकर पेट को सहलाने लगा. मेरी मां कसमसा रही थीं. इधर बाजू वाली औरत के कड़क मम्मे मेरे भुजाओं को रगड़ कर मजा दे रहे थे. शायद उसे भी रगड़वाने में मजा आ रहा था.

मेरा दूसरा हाथ उस औरत की चुत के पास लटक रहा था. भीड़ और अंधेरे की वजह से किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. मैं अब तक बहुत गर्म हो चुका था. मेरा एक हाथ मां के पेट और उनकी नाभि को सहला रहा था. मेरा पूरा तना हुआ लंड मां की गांड की दरार में डुबकियां लगा रहा था.

इस मस्ती में ही मेरा दूसरा हाथ बाजूवाली औरत की चुत के पास हिल रहा था. जैसे ही बस हिलती थी, मैं अपनी उंगलियां उसकी साड़ी के ऊपर से ही चुत पर रगड़ देता था. उसे भी अच्छा लग रहा था … तो वो औरत और मेरे से सट गयी.

मैंने उसकी रजामंदी देखी, तो मेरा हाथ सीधा उसकी टांगों के बीच में जाकर चुत पर सट गया. वो औरत भी गर्म हो चुकी थी. मैं साड़ी के ऊपर से ही उसकी चुत को रगड़ने लगा, तो उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन को उसकी कामुकता का अहसास दे रही थी.

इधर मां की भी कामवासना बढ़ गयी थी. उनसे रहा नहीं गया और वो पलट गईं. मां ने अपना मुँह मेरी तरफ किया और एक हाथ मेरे कंधे पर रखकर दूसरे हाथ से मेरे कड़क लंड को पकड़ कर साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत पर सटा दिया.

मां के मम्मे अब मेरे सीने पर टच हो रहे थे. मेरा एक हाथ उनके पीछे चला गया था. मैं मां की कमर और गांड को सहलाने लगा था. वो धीमे धीमे से कामुक सिसकारियां भरते हुए मेरे कान में अपनी गर्म सांसें निकाल रही थीं. मैंने उन्हें और जोर से अपनी ओर खींचकर मेरे साथ लिपटा लिया.

अब मां के मम्मे मेरी छाती पर दबने लगे थे. मां ने अंधेरे का फायदा उठाकर मेरे होंठों को चूम लिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं. मुझसे भी रहा नहीं गया, तो मैं भी मां के होंठों को चूसने लगा. इधर दूसरे हाथ से मैं उस औरत की चुत रगड़ रहा था. वो भी पूरी तरह से कामवासना में डूबी थी.

मां धीमी आवाज में मेरे कान में बोलीं- हर्षद मेरी चुत पूरी गीली हो गयी है. मैं थोड़ी ही देर में झड़ जाऊंगी.
मैं बोला- अभी दूसरा कोई रास्ता नहीं है अदिति … जो होता है, हो जाने दो. मुझे भी अब नहीं रहा जाता है. मैं भी थोड़ी देर में झड़ जाऊंगा जान.

ऐसा बोलकर मैं अपने लंड से मां की चुत पर धक्के देने लगा. बाजूवाली औरत शायद झड़ गयी थी और शांत होकर थोड़ा पीछे को हो गयी थी. मैं समझ गया था.

बाजू वाली औरत की चुत से मेरा हाथ अब फ्री हो गया था. इसलिए मैंने अपना दूसरा हाथ भी मां की कमर पर रखकर दोनों हाथों से उन्हें अपनी ओर खींच लिया और उनकी गांड सहलाने लगा. गांड सहलाने के साथ में मैं अपने लंड से उन की चुत को रगड़ रहा था.

मां मेरे कान पर मुँह रखकर बोलीं- आंह हर्षद … मैं बस झड़ने वाली हूँ … मुझसे अब नहीं रहा जाता.
मैं भी उनसे बोला- अदिति, मेरा भी काम होने वाला है.

मैंने चार पांच धक्के दिए और मेरी पिचकारी निकल गई. मां को भी ये महसूस हो गया कि मैं झड़ गया हूँ. उसी पल वो भी झड़ गयी थीं और मुझसे चिपक गईं. मां ने झड़ने के बाद अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में कसके पकड़ रखा था. हम दोनों निढाल हो गए थे.

हमारा सफर अभी थोड़ी देर में खत्म होने वाला था. दस मिनट बाद हम स्वारगेट स्टैंड पर पहुंचने वाले थे.

मैं मां से बोला- हम थोड़ी देर में पहुंच रहे हैं.
ये सुनकर वो होश में आकर मुझसे थोड़ी अलग हुईं. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों से अलग कर दिया.

इतने में ड्राईवर ने लाइट जला दी. मां और मैं एक दूसरे की ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे.

मां कुछ शरमा रही थीं.
मैं उनसे बोला- क्या हुआ अदिति?
वो शरमाकर बोलीं- नीचे उतरने के बाद बताऊंगी.

थोड़ी ही देर में स्टैंड आ गया और हम नीचे उतर गए.

हम चलते चलते बाहर आ रहे थे, लेकिन कुछ मां पीछे थीं.
मैंने जरा रुक कर पूछा- अदिति क्या हुआ?
वो बोलीं- हर्षद मेरी पैंटी पूरी गीली होकर रस जांघों पर बह रहा है. इसलिए मुझे चलने में दिक्कत हो रही है.
मैंने बोला- हम्म … मेरा भी यही हाल है.

वो शरमा गईं और हंसने लगीं.

मां बोली- अब चलो … यही बात मैं तुम्हें बस में बताने वाली थी.
मैं बोला- अच्छा तो ये बात थी.

ये कहकर मैंने उनके कंधे पर हाथ रख दिया और हम दोनों आगे चलने लगे.

बाइक स्टैंड सामने ही था. मैं बाइक लेकर आया. मां पीछे बैठ गईं और हम निकल पड़े.

करीब आठ बज चुके थे.

हम सिटी से थोड़ा बाहर आए, तो रोड के नजदीक ही एक होटल था. मैंने होटल के सामने बाइक रोक दी.

मां उतरकर बोलीं- क्या हुआ हर्षद?
मैंने बोला- अदिति, घर में जाकर कब खाना बनाओगी … एक तो तुम सफर से ही बहुत थक गयी हो. मैं इधर से हम दोनों का खाना पार्सल करवा लेता हूँ.
अदिति ने बोला- ठीक है हर्षद.

इतने में मां के फोन पर फोन आया. मैं होटल में अन्दर चला गया.

थोड़ी ही देर में मैं पार्सल लेकर बाहर आया. मैंने मां से पूछा- किसका फोन था अदिति?
मां ने कहा- तेरे पिताजी का था. वो पूछ रहे थे कि हम लोग कितनी देर में घर पहुंच जाएंगे.
मैंने कहा- क्या पिताजी बाहर नहीं गए? उन्हें दो दिन किसी काम की वजह से बाहर जाना पड़ रहा था?
मां- नहीं वो तो घर से जा चुके हैं. वे तो सिर्फ हमारे आने की पूछ रहे थे.
मैं बोला- अच्छा … और मुझसे कुछ कहा कि नहीं?

मैं बाइक स्टार्ट करके बोला, तो मां पीछे बैठकर बोलीं- उन्होंने कहा कि हर्षद को बोलो कि अपनी मां और घर का दो दिन ख्याल रखे.
मैंने बोला- ठीक है. अब मैं दो दिन तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखूंगा.

मां ने हंस कर मुझे कसकर पकड़ लिया.

हम दस मिनट में ही घर आ पहुंचे. मैंने गेट का ताला खोल दिया. मां अन्दर गईं और सभी लाइटें जला दीं. मैंने बाइक अन्दर लेकर गेट लॉक किया और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया.

मां ने मुझे पानी लाकर दिया और बोलीं- हर्षद मैं नहाने जा रही हूँ, मुझे बहुत गंदा लग रहा है. तुम बाद में नहा लेना.

वो बाथरूम में चली गईं और मैं सोफे पर लेट गया. खड़े रहकर सफर करने से बदन में दर्द हो रहा था.

थोड़ी देर में मां नहाकर आ गईं और मुझसे बोलीं- हर्षद जाओ जल्दी से नहा लो.

वे अपने रूम में चली गईं. मैं नहाने चला गया.

कुछ देर बाद मां नहाकर बाहर आ गईं और मुझे आवाज देकर बोलीं- हर्षद अब तू जा और जल्दी से नहा के आ जा.

ये कहते हुए वो अपने रूम में चली गईं.

मैं भी उठकर बाथरूम में घुस गया और पूरा नंगा होकर गर्म पानी का फव्वारा चालू करके आराम से नहाने लगा. मैं अपनी जांघों पर और लंड पर मेरे वीर्य के सूखे हुए धब्बे साफ करने लगा. साबुन लगा कर लंड को भी आगे पीछे करके मस्ती से सफाई करने लगा. गर्म पानी से शरीर की थकान भी दूर हो गयी थी.

मैं नहाकर तौलिया लपेट कर अपने रूम में आ गया. लुंगी और बनियान पहनकर जब मैं बाहर आया, तो मां टेबल पर खाना लगा रही थीं. मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया.

मैंने मां से बोला- यार, बहुत भूख लगी है अदिति.
वो मेरे बगल में बैठते हुए बोलीं- हां हर्षद, मुझे भी लगी है. अच्छा हुआ खाना पार्सल करवा कर ले आया … नहीं तो बहुत देर हो जाती.
इस तरह से बातें करते साथ मैंने खाना खत्म कर दिया.

मां बोलीं- हर्षद चलो मेरे बेडरूम में आ जाओ. मैं थोड़ी देर में आती हूँ.
वो सब बर्तन लेकर किचन में चली गईं.

मैं भी उनके बेडरूम में जाकर लेट गया. पहले भी जब पिताजी काम से बाहर रहते हैं, तो मैं मां के साथ ही सोता था. लेकिन तब की बात अलग थी. हमारे बीच तब सिर्फ मां बेटे का ही रिश्ता था … लेकिन आज की बात अलग थी.

आज हम जैसे की पति पत्नी के रिश्ते से एक साथ सोने वाले थे. मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे कि पिताजी दो दिन घर पर नहीं हैं इसलिए जवान सौतेली मां की चुदाई का भरपूर मजा मिलेगा.

मैं आंखें बंद करके सोच रहा था कि इन दो दिनों में मां को कैसे कैसे चोदूं.

थोड़ी ही देर में मां कमरे में अन्दर आ गईं और दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर लेट गईं.

मेरी आंखें बंद ही थीं.
मां बोलीं- सो गए क्या हर्षद!

मैं चुप रहा तो उन्होंने कहा- नाटक मत करो यार!
ये कहकर मां ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और चूमने लगीं.

मुझसे भी रहा नहीं गया, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में कसकर पकड़ा और उनके गाल, होंठ और गर्दन पर चूमने लगा.

मां भी मुझे चूमकर बोलीं- चलती बस में तो तूने मेरी हालत खराब कर दी थी. आह तू मुझे उधर कितना रगड़ रहा था. तूने अपने मोटे लंड को मेरी चुत पर इतना ज्यादा रगड़ा था कि मैं चलती बस में ही दो बार झड़ गयी थी.

ये कहते हुए मां ने अपनी एक टांग मेरी टांग पर रख दी. उनकी टांग मेरे लंड को टच कर रही थी. मैं तो लुंगी के अन्दर नंगा ही था.

मां ने डिजायनर नाइटी पहनी थी. उसके अन्दर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी. उनके निपल्स कड़क हो गए थे, जिससे वो इस झीनी सी नाइटी में से साफ दिख रहे थे.

मैंने मां के मम्मों को अपने हाथों से सहलाने लगा और दबाने लगा. मां मादक सिसकारियां भरने लगीं और मेरे ऊपर चढ़ गईं.

उन्होंने मेरी बनियान को निकाल दिया और नीचे झुककर मेरे सीने पर मेरी घुंडियों पर अपनी जीभ फेरने लगीं. मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी थी. नीचे मेरा लंड तनकर उनकी नाइटी के ऊपर से ही उनकी चुत को रगड़ रहा था.

मां भी कमर हिलाकर अपनी चुत को मेरे लंड पर रगड़ रही थीं.

मैं भी जोश में आकर मां के दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था. हम दोनों ही बहुत कामुक हो रहे थे.

कुछ मिनट के बाद मैंने उठकर मां की नाइटी निकाल दी. अब वो पूरी तरह से नंगी हो गई थीं.

मां ने भी मेरी लुंगी खींचकर फेंक दी थी. उन्होंने मुझे भी नंगा कर दिया था.
 
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जवान सौतेली मम्मी की चूत चुदाई की लालसा-6




तक की मेरी सौतेली मम्मी की चुदाई की कहानी के पिछले भाग
जवान सौतेली मम्मी की चूत चुदाई की लालसा-5
में आपने पढ़ा था कि घर आते ही हम दोनों मम्मी बेटे अपनी चुदाई लीला में लग गए थे. कुछ देर की चूमा-चाटी के बाद हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे के सामने थे.

अब आगे:

फिर मैंने मम्मी को घुटने के बल बिठाते हुए सीधा खड़ा कर दिया और मैं भी अपने घुटने के बल खड़े होकर उनके जिस्म से सट गया.

अब हम दोनों के बदन पूरी तरह से एक दूसरे के नंगे बदन से चिपक गए थे.

मम्मी भी जोश में आ गयी थीं. हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया था. मम्मी के कड़क मम्मे मेरे सीने पर दब गए थे. हम दोनों बहुत गर्म हो रहे थे. नीचे मेरा तना हुआ लंड मम्मी की चुत से टकरा रहा था. मम्मी की चुत एकदम गीली हो गयी थी. उनकी चुत का गीलापन मेरे लंड को महसूस हो रहा था.

हम दोनों एक दूसरे की गांड और पीठ को सहला रहे थे, साथ में एक दूसरे की गर्दनों पर चूम भी रहे थे. मैं मम्मी को कभी उनके गाल पर, तो कभी होंठों को चूस रहा था. अजीब और मस्त सी फीलिंग हो रही थी.

दोस्तो, मैं आपको कैसे लिख कर बताऊं … बस उस आनन्द को सिर्फ महसूस ही किया जा सकता था. हम दोनों पूरी तरह से कामवासना में डूब चुके थे. हमें आस पास किसी भी चीज का कोई अहसास ही नहीं हो रहा था.

फिर मैंने मम्मी को बेड पर सीधा लिटा दिया. मैं कमरे की हल्की सी रोशनी में उनका पूरा नंगा जिस्म देख रहा था. क्या मस्त सेक्सी बदन था मम्मी का. उनके कड़क और गोल मम्मे एकदम से कड़क हो गए थे और उनके निपल्स तन गए थे. मम्मी की पतली सी कमर, सेक्सी नाभि और गीली हुई पड़ी माँ की चुत, जो रोशनी में चमक रही थी.
उनकी गोरी गोरी फैली हुई टांगें मेरे लंड को बेकाबू कर रही थीं.

मम्मी मस्त नशीली आवाज में बोलीं- हर्षद, अपनी आंखें फाड़कर क्या देख रहे हो? तुम बहुत बदमाश हो गए हो!
ये कहते हुए मम्मी ने अपने एक हाथ से मेरे तने हुए लंड को पकड़ा और सहलाने लगीं.

मैं भी जोश में आकर उनकी कमर पर बैठ गया. मम्मी के दोनों मम्मों को अपने हाथों से रगड़ने लगा. साथ में अपने दोनों हाथ के अंगूठों और एक उंगली के बीच में दबा कर दोनों निप्पलों को मींजने लगा.

उनके मुँह से मदभरी सिसकारियां निकलने लगीं. मैं चुचियां मसलते हुए मम्मी के होंठों को भी चूसने लगा.

मम्मी भी मेरे होंठ और जीभ चूसने लगीं. वे पूरी कामुकता से भरकर कसमसा रही थीं. शायद मेरी मम्मी झड़ने वाली थीं.
फिर मम्मी बोलीं- आह हर्षद … अब नहीं रहा जाता … मैं झड़ने वाली हूँ.

मैं उन्हें 69 की पोजीशन में ला दिया. मैंने अपना मुँह उनकी चुत पर रख दिया … और चुत को जीभ से चाट दिया.

इस स्पर्श से मम्मी के मुँह से ‘आहहह..’ निकल गयी. मैं लगातार चुत पर जीभ फेरता गया. उनकी टांगें अपने आप फैल गयी थीं. मम्मी की चुत से गर्म और खट्टा कसैला सा चुत रस बहने लगा था. मैं बहुत प्यार से उस नमकीन अमृत को पी रहा था.

मम्मी अपने हाथ से मेरा सर अपनी चुत पर दबाए जा रही थीं. साथ में एक हाथ से मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थीं.

दस मिनट तक हमारी चुत लंड की चुसाई चलती रही थी.

फिर अदिति बोलीं- अब बस भी करो हर्षद … अब मुझसे नहीं रहा जाता … तू जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चुत में डाल दो और बुझा दो मेरी चुत की प्यास.

मैं ये सुनकर उठ गया और उनकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया.

मैंने मम्मी की गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. इससे उनकी चुत ऊपर आ गयी.

मैंने मम्मी की टांगें और फैला दीं … और मेरे तने हुए लंड का टोपा मम्मी की चुत पर लगा दिया.

मैं उनकी चुत के ऊपर के दाने पर लंड का सुपारा रगड़ने लगा … तो मम्मी कसमसाने लगीं- ओह आह हर्षद बहुत मजा आ रहा है … आह मेरे राजा ऊं ऊं हाय हाय उहं उहं हर्षद अब नहीं रहा जाता … डाल दो ना अपना लंड मेरी चुत में … क्यों सता रहा है.

ये कहकर मम्मी नीचे से अपनी गांड उठाने लगीं. वो मेरे लंड को अपनी चुत में लेने को तड़प रही थीं. मम्मी के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां लगातार निकल रही थीं.

मुझसे भी मम्मी की हालत नहीं देखी जा रही थी. वो पूरी तरह से मदहोश हो गयी थीं. उनकी कामुक सिसकारियां की वजह से मैं भी पूरे जोश में आ गया था.

फिर मैंने अपने लंड के टोपे पर सौतेली मम्मी की चुत का रस लगाकर उसे चिकना कर दिया और उनकी फूली हुई गुलाबी चुत की फांकों में लंड रखकर अपने हाथों से लंड को दबाते हुए टोपा अन्दर डाल दिया.

मम्मी अपने मुँह से आहें भरती रहीं.

मैं नीचे को झुककर मम्मी की दोनों चुचियों को चूसने लगा. मम्मी सीत्कार भरकर बोलीं- ओह हर्षद प्लीज … लंड को और अन्दर डाल दो ना.

ये कहते हुए मम्मी नीचे से अपनी गांड ऊपर को उठाए जा रही थीं. मेरा भी लंड जोश आ रहा था.

फिर मैंने जोर से धक्का दे दिया, तो मेरा आधा लंड मम्मी की चुत में घुसता चला गया था.

मम्मी चिल्लाने लगीं- उई माँ … मर गई!

मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर उनकी आवाज बंद कर दी और उनके होंठों को चूसने लगा.

अदिति ने जैसे तैसे मुँह हटाया और कराहते हुए बोलीं- आह हर्षद … बहुत दर्द हो रहा है … मेरी चुत फट गई शायद.

ये कहकर वो मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. मैं भी उनकी जीभ को चूसने लगा था.

थोड़ी देर बाद मम्मी का दर्द थोड़ा कम हुआ, तो मैंने सीधा होकर अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर का धक्का दे मारा. इस बार मेरा पूरा लंड मम्मी की चुत की दीवारों को चीरते हुए अन्दर घुस गया.

फिर से मम्मी तिलमिलाकर चिल्लाने लगीं- हाय रे हर्षद फट गयी मेरी चुत … ऊई मम्मी ओह हाय अंह अंह हुँम हुँम..

मम्मी के मुँह से दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगी थीं. शायद उनकी चुत में बहुत दर्द हो रहा था. उनके चेहरे पर ये साफ दिख रहा था.

आंखें बंद करके मम्मी कहे जा रही थीं- आह … कितना कड़क और गर्म लोहे जैसा लंड है तेरा हर्षद … सच में मैं मर गई रे..

दोस्तों, मम्मी की चुत मेरे लंड हिसाब से काफी कसी हुई थी. मुझे मेरे लंड पर पूरा दबाव महसूस हो रहा था. मम्मी की चुत की दीवारों की जकड़न मुझे पागल किए दे रही थी.

मेरी मम्मी निढाल होकर लेटी थीं. उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे.

मैं उनके ऊपर लेट गया और उन्हें चूमते चूमते उनके चुचों को सहलाने लगा.

कुछ मिनट ऐसे ही हमारी चूमा-चाटी चलती रही थी. अब मम्मी अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और कमर को सहलाने लगी थीं. बीच में वो मेरी गांड को भी सहलाने लगीं … साथ में वो मेरे होंठों को भी चूम रही थीं.

अब धीरे धीरे उनका दर्द कम हो रहा था. हम दोनों की कामुकता फिर से बढ़ने लगी थी.

तभी मम्मी नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. वो मुझे अपनी दोनों हाथों से अपनी बांहों में कसकर बोलीं- हर्षद, मैं झड़ने वाली हूँ.

मैं लंड थोड़ा बाहर निकाल कर जोर से धक्के देने लगा. मेरी छाती उनकी चुचियों से रगड़ रही थी. मम्मी कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं.

मैं सीधा होकर अब अहिस्ता अहिस्ता अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा, तो मम्मी भी अपनी गांड उठा उठाकर मेरा हथियार अपनी चुत मे ले रही थीं.

थोड़ी ही देर में अदिति ने अपना गर्म कामरस मेरे लंड पर छोड़ दिया. मैं उन्हें धकापेल चोदे जा रहा था.

उनके मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं. मम्मी अब तक दो बार झड़ चुकी थीं. मेरा लंड पूरी तरह से गीला हो गया था … तो अब बड़ी आसानी से चुत में अन्दर बाहर हो रहा था.

मम्मी को भी बहुत मजा आने लगा था. मम्मी बोलीं- अब और करो हर्षद … अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मेरे राजा … जल्दी जल्दी चोदो मुझे … और अपना रस गिरा दो … आह फाड़ दो मेरी चुत को … आह चुत में जल्दी से रस डाल दो … आज मैं सब सहन कर लूंगी … आह रुकना मत … होने दो मुझे दर्द.

मेरी सौतेली मम्मी कामुकता भरी आवाज में बोल रही थीं.

अब तक मैं भी बहुत बेकरार हो गया था. मम्मी की चुत चुदाई करते हुए मुझे आधे घंटे से ज्यादा समय हो चुका था. मेरा लंड अदिति की चुत में डंडे की तरह घुसकर बैठा था.

मैं सीधा होकर अपना लंड आधे से ज्यादा बाहर निकालकर जोर से धक्के मारने लगा. मेरा लंड मम्मी की चुत में पूरी गहराई में जा रहा था.

उधर मेरे हर धक्के से मम्मी के मुँह से जोर से सिसकारियां निकल रही थीं. साथ में वो अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा लंड चुत में ले रही थीं.
वो अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को मसल रही थीं.

अब मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगी थीं. मेरे हर धक्के के साथ मम्मी कराहने लगी थीं. चुत और लंड पूरी तरह से गीले होने के कारण फच फच की आवाजें आ रही थीं. साथ में अदिति और मेरी कामुक सिसकारियां से पूरा बेडरूम गूंजने लगा था.

हम दोनों की चुदाई का ये मधुर संगीत सुनने वाला कोई भी नहीं था. हम दोनों कामवासना में पूरी तरह से डुबकी लगा रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे कि हम जन्नत की सैर कर रहे थे.

फिर मम्मी बहुत जोश में आकर नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर तेजी से लंड अन्दर लेने लगी थीं. मैं समझ गया था कि मम्मी तीसरी बार झड़ने वाली हैं. उनका बदन अकड़ने लगा था.

मम्मी कह रही थीं- आह हर्षद अब नहीं सह सकती मैं … आह अब बुझा दो ना मेरी प्यासी चुत की प्यास … आह भर दो मेरी चुत को अपने वीर्य रस से.

मैं भी खुद को नहीं रोक पा रहा था. मैंने अपनी मम्मी की चुत में दस बारह जबरदस्त धक्के दिए, तो अदिति ने मेरे लंड पर अपना चुतरस का गर्म फव्वारा छोड़ दिया. साथ ही मेरे लंड से वीर्यपात होकर अदिति की चुत में भरने लगा.

अहाह … क्या अनुभव था दोस्तो … वाकयी मैं उस आनन्द को शब्दों में बयान नहीं कर सकता.

मेरा लंड मम्मी के गर्भाशय को छू रहा था. उधर मम्मी भी मस्त हो गयी थीं. वो मेरे वीर्य को अपनी चुत में महसूस कर रही थीं.

हम दोनों ही पूरी तरह से निढाल हो गए थे. मैं मम्मी के ऊपर ही लेटकर उनके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगीं. मैं अपना सर मम्मी की गर्दन पर रखकर गर्दन को चूमने लगा.

तो मम्मी ने अपनी दोनों बांहों में मुझे कस लिया. ऐसे ही हम एक दूसरे को सहलाते हुए दस मिनट तक पड़े रहे. हमारी गर्म सांसें एक दूसरे की गर्दन पर महसूस हो रही थीं. उधर नीचे मेरा लंड सिकुड़ कर चुत से बाहर आ गया था.

मम्मी की चुत से हमारा दोनों का कामरस बहकर उनकी गांड से ऊपर से तकिया पर फैलने लगा था. फिर मैं मम्मी से अलग होकर साइड में लेट गया.

मम्मी का चेहरा मैं अपनी तरफ करके उन्हें चूमकर बोला- कैसा लगा अदिति?

अदिति के चेहरे पर कुछ अजीब सा आनन्द साफ़ दिख रहा था. वो बहुत खुश थीं. उनका चेहरा खिला हुआ था.

मम्मी बोलीं- क्या बताऊं हर्षद … मैं तो शब्दों में इस ख़ुशी को बता नहीं ही सकती … लेकिन तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी. क्या चोदते हो हर्षद तुम … मेरी चुत, कमर और जांघों में दर्द हो रहा है … लेकिन मजा ही बहुत आ रहा था हर्षद. तुम कितनी जोर से धक्के मारते थे … मेरी तो जान निकल गयी थी. कितना पॉवर है यार … तू मुझे एक घंटे से चोद रहा है. पहली बार मैंने अपनी चुत इतनी देर तक चुदवाई है. आज मैं बहुत खुश हूँ हर्षद. आई लव यू मेरे राजा.

ये कहकर मम्मी मुझे चूमकर उठ गईं. उन्होंने बिस्तर को देखा, तो तकिया पूरा खराब हो गया था. मम्मी ने अपनी नाईटी से अपनी चुत को और तकिया को पौंछ कर उसे एक साइड में रख दिया. इसके बाद मम्मी ने मेरे लंड को अच्छे से साफ किया और नाईटी नीचे फेंक दी.

अब हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए.

मम्मी अपने हाथ से मेरे लंड को बड़े प्यार से सहलाकर बोलीं- हर्षद, क्या लंड है तेरा … अब मैं तो इसकी दीवानी हो गयी हूँ.
वो लंड सहलाती रहीं.

मैं भी उनकी चुचियों को मसलकर बोला- अदिति, अब मेरा लंड सिर्फ तुम्हारा ही है. जब चाहो तुम्हारी सेवा के लिए हाजिर हो जाएगा.

मम्मी मुझे चूमने लगीं. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

मैं मम्मी से बोला- अब तैयार हो गई तुम?
मम्मी मेरे लंड को जोर से दबाकर बोलीं- हां हर्षद … अब इसका इलाज करना ही पड़ेगा ना!

रात के एक बज चुके थे. फिर मैं मम्मी के ऊपर चढ़ गया. मैंने दो बार उनकी जमकर चुदाई की और सुबह के पांच बजे हम एक ही रजाई में एक दूसरे से लिपट कर सो गए.

मेरी सौतेली मम्मी की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी,

 
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junglecouple1984

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अम्मियों ने एक बेड पर एक दूसरी के बेटे से चुदवाया



मेरा नाम सबीना है दोस्तो.
मैं 44 साल की एक मदमस्त, खूबसूरत और हॉट औरत हूँ।
मेरा जिस्म बड़ा, गठीला रसीला और मनमोहक है।
मेरी आँखें बड़ी बड़ी हैं, मेरे मम्मे बड़े बड़े हैं मेरे बाल लम्बे और काले हैं. मेरी बाहों की गोलाई तो बहुत ही सेक्सी हैं इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस कपड़े ही पहनती हूँ।

और मेरी गांड बड़ी आकर्षक है और मेरी चाल पर तो जाने कितने लोग अपनी जान देते हैं।
मैं जब चलती हूँ तो आगे से मेरे बूब्स हिलते हैं और पीछे से मेरी गांड।

लोग मुझे देखकर अपना लण्ड सहलाते हैं।
कुछ लोग कमैंट्स पास करते हैं- वाह, क्या मस्त माल है यार! मन करता है कि इसके मुंह में लंड पेल दूँ! एक बार पकड़ ले मेरा तो मज़ा आ जाए. ज़रा पलट के देख मेरी जान! इसकी गांड तो बड़ी मस्त है यार! इसे चोदने में बड़ा मज़ा आएगा. मन करता है कि इसकी चूचियों में लण्ड पेल दूँ अभी!

यह सब सुनकर मैं एन्जॉय करती हूँ।
मुझे भी इन सबके लण्ड पकड़ने का मन करता है।

मेरा भी मन इनको अपना नंगा जिस्म दिखाने का हो जाता है।
अब ज़रा सोचो कि मेरी 44 साल की उम्र में लोग ऐसे कमैंट्स पास करते हैं तो जब मैं 20 / 30 की थी तो क्या क्या करते होंगे?

अब मैं आपको इस xxx मॅाम हॉट कहानी में अपनी हकीकत बता रही हूँ।

मैं बहनचोद बड़ी अय्याश और घुटी हुई औरत हूँ।
ऊपर से बड़ी शरीफ और सीधी सादी औरत लगती हूँ पर अंदर से मैं बड़ी बदचलन, बेहया और चुदक्कड़ औरत हूँ।
मुझे किसी का भी लण्ड अपनी चूत में पेलवाने में देर नहीं लगती।
लण्ड पहले मेरे हाथ में आता है, फिर मेरे मुंह में जाता है और फिर सीधे मेरी चूत में घुस जाता है।

मैं पढ़ाई के दिनों से ही धकापेल चुदवा रही हूँ।
चुदवाने में न मैं कभी रुकी और न कभी थकी।
कभी कभी तो एक ही रात में कई कई लण्ड मेरी चूत में घुस जाते हैं और मैं सबके लण्ड का मज़ा लेती हूँ।
मुझे गैर मर्दों से चुदवाने का जबरदस्त शौक है।

मैं मादरचोद ग़ैर मर्दों के लण्ड से बेपनाह मुहब्बत करती हूँ; उनके लण्ड की इबादत करती हूँ और उनके लण्ड के साथ खेलती हूँ।
मैं अपनी शादी के पहले खूब अच्छी तरह चुदी हुई थी।

सुहागरात में मैंने इतने नखरे किये, इतनी सिसकारियां मारीं, इतनी जोर से चिल्लाई कि मेरे मियाँ को यकीन हो गया कि वह आज ही अपनी बीवी की कोरी चूत की सील तोड़ रहा है।
उस भोसड़ी वाले को पता ही नहीं चला कि मैं दर्जनों लण्ड खा कर आई हूँ।
वैसे लण्ड उसका भी बड़ा मस्त था।

फिर मेरी लाइफ चुदते चदाते हुए आगे बढ़ने लगी।
इसी बीच मैं माँ बन गयी।

मेरा बेटा आदिल 22 साल का मस्त जवान हो गया, वह बिलकुल मर्द बन गया।

वह हैंडसम था, स्मार्ट था और कॉलेज में पढ़ रहा था।

कॉलेज की कुछ लड़के उसके दोस्त बन गए।
उसके दोस्त मेरे घर आने जाने लगे।

उन लड़कों में एक लड़का हनीफ नाम का भी था।
हनीफ अक्सर मेरे घर आता था, मुझसे भी खूब अच्छी तरह से बोलता था, बातचीत करता था।

मैं भी उससे बड़े प्यार से बात करने लगी।

फिर पता नहीं क्या हुआ कि एक दिन मेरे मन में उसके लिए अजीब तरह के ख्याल आने लगे।

मैंने सोचा कि यह भी मेरे बेटे के बराबर है, मर्द बन गया है तो इसका लण्ड तो अब चूत चोदने वाला हो गया होगा।

मेरा मन उसका लण्ड देखने के लिए मचलने लगा।
मैं दिन रात उसके लण्ड के बारे में सोचने लगी, लण्ड के साइज का अनुमान लगाने लगी।

फिर ख्याल आया कि इसका भी लण्ड मेरे बेटे के लण्ड की तरह ही होगा.
तो क्यों न मैं पहले अपने बेटे का लण्ड देखूं और फिर हनीफ के लण्ड का अनुमान लगाऊं!

बस मैं अपने बेटे का लण्ड देखने की कोशिश करने लगी।

एक दिन वह बाथरूम में नहाने गया तो इत्तिफाक से तौलिया बाहर ही भूल गया।
वह बोला- अम्मी, ज़रा तौलिया देना।

मैंने तौलिया लिया और बाथरूम का दरवाजा खोल दिया।
उसे मैंने एकदम नंगा देख लिया, उसका लटकता हुआ लण्ड देख लिया, लण्ड का सुपारा देख लिया।

मेरे मन में आया कि जब अभी इतना बड़ा लण्ड है तो खड़ा होकर तो और बड़ा हो जाएगा।
ऐसा ही हनीफ का भी लण्ड होगा।

वह नहा धोकर नाश्ता करके चला गया.

तभी अचानक हनीफ आ गया।
उस समय मैं एक तंग ब्रा पहने थी और नीचे एक पजामा।
मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए बेताब हो रही थीं।

हनीफ बड़े गौर से मेरे मम्मे देखने लगा।

आज मैं उसे बुरी नियत से देखने लगी, ललचाई नज़रों से देखने लगी।
मेरा मन हुआ कि मैं इसे अभी नंगा करके इसका लण्ड पकड़ लूँ?

मैंने पूछा- बेटा हनीफ़, तेरा दोस्त आदिल कहाँ गया होगा?
वह बोला- वह मेरी अम्मी के पास गया होगा आंटी। मेरी अम्मी उसे बहुत चाहती है। आदिल की बड़ी तारीफ़ करतीं हैं मेरी अम्मी जान!

मैंने कहा- मैं भी तेरी बड़ी तारीफ करती हूँ बेटा हनीफ़! तुम अगर मुझे अपना कसरती जिस्म दिखा दो मैं तेरी और तारीफ करने लगूंगी।
उसके गाल थपथपाकर मैंने यह बात कही.

वह बोला- अरे आंटी, इसमें क्या लो देख लो मेरा जिस्म … मैं अभी अपने कपड़े उतार देता हूँ।
उसने सच में अपने कपड़े उतार दिये और केवल एक चड्डी में मेरे आगे खड़ा हो गया।

मैंने उसके बदन पर हाथ फेरते हुए कहा- माशाल्ला, तेरा जिस्म तो बड़ा खूबसूरत है बेटा हनीफ़! तेरी चौड़ी छाती, बड़े बड़े चौड़े कंधे, मस्त भुजाएं और तेरी जाँघों की मसल्स सब कुछ बड़ा सेक्सी दिख रहा है। पर कुछ तो अभी भी छिपा हुआ है बेटा हनीफ, वह भी दिखा दो न मुझे!

वह मुस्कराता हुआ बोला- अरे आंटी, तब तो मैं नंगा हो जाऊंगा?
मैंने कहा- तो क्या हुआ? मैंने तो तुझे नंगा कई बार देखा है। एक बार और सही. मैं बहनचोद तेरी अम्मी के बराबर हूँ। मुझसे क्या शर्माना?

वह मेरी बातों में आ गया और अपनी चड्डी खोल कर फेंक दी।

मैंने जैसे ही उसका लण्ड देखा तो मेरे बदन में आग लग गयी; टूट पड़ी मैं उसके लण्ड पर!
मैंने लण्ड फ़ौरन अपनी मुठ्ठी में लिया और उसकी कई चुम्मियाँ ले लीं, पेल्हड़ भी चूमें।

मेरे पकड़ते ही लण्ड एकदम से तन कर खड़ा हो गया।
मुझे लण्ड पसंद आ गया।

मेरे मुंह से निकला- वाओ … क्या मस्त लौड़ा है तेरा यार! माँ चोदने वाला हो गया है तेरा भोसड़ी का लण्ड! कभी किसी की माँ चोदी है तूने बेटा हनीफ?
वह बोला- माँ तो नहीं चोदी लेकिन अपनी फूफी का भोसड़ा जरूर चोदा है।

मैंने कहा- हां तो हो गया न माँ चोदना? अब किसी दिन अपनी माँ भी चोद लेना।
वह हंसने लगा।

मैंने फिर बड़े प्यार से कहा- तेरा लण्ड तो आदिल के लण्ड के बड़ा लग रहा है बेटा हनीफ?
वह बोला- अरे आंटी, मेरी तो अम्मी जान कह रही थीं कि आदिल का लण्ड मेरे लण्ड से बड़ा है?

मैंने पूछा- तो क्या तेरी अम्मी ने मेरे बेटे आदिल का लण्ड पकड़ा है?
वह बोला- हां पकड़ा है. तभी तो यह बात कह रही थीं मेरी अम्मी जान!

मैंने कहा- तो फिर मैं भी तेरा लण्ड पकड़ कर अच्छी तरह देखूंगी बेटा हनीफ!

इसी बीच मैंने अपनी ब्रा खोल दी तो मेरी चूचियाँ हनीफ के आगे एकदम नंगी हो गईं।
मैं लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगी।

मुझे लण्ड चूसने का पूरा मज़ा आने लगा।

मैंने कहा- हनीफ, आज से तू मेरा नया यार है। मैं तेरे लण्ड की दीवानी हो गई हूँ।

वह भी मूड में आ गया और मेरे मम्मे मसलने लगा, बोला- आंटी, तेरे मम्मे बहुत बड़े बड़े हैं। मैं इनके बीच में लण्ड पेल दूँ अपना?
मैंने कहा- हां बिल्कुल पेल ड़े लण्ड। खूब मस्ती से चोद मेरे मम्मे!

मैं नंगी सोफा पर बैठ गयी और उसने खड़े होकर लण्ड मेरी दोनों चूचियों के बीच में घुसेड़ दिया।
मैंने भी अपने दोनों हाथों से बूब्स दबाकर लण्ड के लिए सुरंग बना दी।

फिर क्या … वह बार बार इसी सुरंग में लंड पेलने लगा और मैं हर बार उसका सुपारा चाटने लगी।
मुझे अपने बूब्स चुदवाने का पूरा मज़ा मिलने लगा।

मैं बहुत खुश थी क्योंकि मैं जो चाहती थी, वही हो रहा था।

कुछ देर में ही वह झड़ गया.
और तब मैंने पहली बार उसका झड़ता हुआ लण्ड चाटा तो उसे बहुत अच्छा लगा।

मैंने कहा- यार, तेरा लण्ड बड़ा स्वादिष्ट है हनीफ! अब अगली बार आना तो पेलना मेरी चूत में लण्ड और चोदना अपने दोस्त की माँ का भोसड़ा!

वह चला गया और मैं चुदाई का प्लान बनाने लगी।

फिर मैंने हनीफ की अम्मी सकीरा से बात की और दोपहर में उसके घर पहुँच गयी।
सकीरा मेरी पुरानी सहेली है।
उसने मुझे बड़े प्यार और अदब से बैठाया।

फिर हम दोनों बातें करने लगीं।

बातों बातों वह बोली- यार सबीना, तेरे बेटे आदिल का लण्ड तो बहुत बड़ा है.
मैंने पूछा- तूने क्या पकड़ कर देखा है उसका लण्ड?
उसने कहा- हां पकड़ कर देखा है, तभी तो बता रही हूँ।

वह बताने लगी:

हुआ यह कि उस दिन पानी बरस रहा था।
जब वह मेरे घर आया तो बिल्कुल भीगा हुआ था।
मैंने कहा- बेटा अपना पजामा खोल डालो और लुंगी पहन लो.

जैसे ही उसने पजामा खोला और अपने दोनों हाथों से लुंगी पकड़ी वैसे ही मैंने उसका नंगा लटकता हुआ लण्ड देख लिया।
लण्ड के टोपा पर नज़र पड़ी तो मेरे बदन में आग लग गयी।
टोपा बड़ा खूबसूरत था।

मैंने फ़ौरन एक हाथ से उसकी लुंगी छीन ली और दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड़ लिया।
मेरे मुंह से निकला- हायल्ला इतना बड़ा लण्ड? इतना मोटा लण्ड? इतना शानदार लण्ड? तेरा लण्ड तो एक 40 / 45 साल के आदमी के लण्ड जैसा है बेटा आदिल! बड़ा मस्त भोसड़ा चोदने वाला है तेरा लण्ड.

बस मैंने लण्ड का सुपारा बड़े प्यार से चाटा और फिर पूरा लण्ड मुंह में घुसेड़ कर चूसने लगी।
मैं लण्ड तब तक चूसती रही जब तक कि वह मेरे मुंह में झड़ नहीं गया।

वह आगे बोली- तेरे बेटे का झड़ता हुआ लण्ड बड़ा टेस्टी है यार सबीना!

मैंने कहा- यार क्या इत्तिफाक है! कल मैंने भी तेरे बेटे हनीफ का लण्ड चूसा और वह भी मुझे बड़ा टेस्टी लगा। वह भी मेरे मुंह में झड़ गया था। एक बात है कि न तेरा बेटा मुझे चोद पाया और न मेरा बेटा तुझे चोद पाया।
वह बोली- यार सबीना, ऐसा कुछ करो कि मेरा बेटा मेरे सामने तुझे चोदे और तेरा बेटा तेरे सामने मुझे चोदे। हम दोनों एक ही बेड पर एक दूसरे के बेटे से चुदवाकर कर मज़ा लें।

मैंने कहा- हां यार, यही मैं भी सोंच रही हूँ। तो फिर आज रात को 9 बजे तुम अपने बेटे के साथ मेरे घर आ जाना। मैं इतना जानती हूँ कि तेरा बेटा मुझसे चोदना चाहता है।
वह बोली- और तेरा बेटा मुझे चोदना चाहता है। तो फिर दोनों की चाहत पूरी कर दी जाए क्योंकि हम दोनों एक दूसरे के बेटे के लण्ड को बेहद पसंद करती हैं। वैसे भी हम दोनों बड़ी बेशरम चुदक्कड़ औरतें हैं।

वह बड़े प्यार से मजाक करती हुई बोली- तब तो मेरा बेटा चोदेगा तेरे बेटे की माँ का भोसड़ा, सबीना!
मैंने भी मस्ती से जबाब दिया- मेरा भी बेटा चोदेगा तेरे बेटे की माँ की चूत सकीरा! तब आएगा असली मज़ा!
फिर हम दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं।

रात को सही समय पर सकीरा अपने बेटे हनीफ के साथ आ गयी।

मैंने हनीफ को देखा तो मेरे बदन में सुरसुरी होने लगी।
उसने भी मेरे बेटे आदिल को हसरत भरी निगाहों से देखा तो उसकी भी चूत गर्म हो गई।

हम चारों लोग एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित थे।
इसलिए किसी को कोई न शर्म थी और न किसी तरह का डर.
हम सब खुल कर बातें करने लगे।

बेटों के आगे गन्दी गन्दी बातें करने लगे तो उनको भी मज़ा आने लगा.

सकीरा और मैंने गाउन पहना था नीचे हम दोनों भोसड़ी वाली नंगी थीं।
लड़कों ने कुर्ता और पजामा पहन रखा था।

मुझे तो हनीफ का लण्ड अपनी चूत में पेलवाने की बड़ी जल्दी थी इसलिए मैं रुकी नहीं और उसका कुर्ता उतार कर फेंक दिया।
फिर उसके पाजामे का नाड़ा खोल कर हाथ अंदर घुसेड़ दिया।

मेरा हाथ उसके लण्ड से टकरा गया तो मैं मुस्कराने लगी.

उधर सकीरा भी मेरे बेटे का लण्ड अंदर ही अंदर सहला रही थी।
मैंने थोड़ी बेशर्मी दिखाई और अपना गाउन खोल डाला.

मैं सबके आगे नंगी हो गयी।
सकीरा भी चूत चोदी नंगी हो गयी।

मज़ा तो तब बहुत ज्यादा आया जब हम चारों एकदम नंग धड़ंग हो गए।

मेरे बेटे ने मुझे पहली बार नंगी देखा तो वह उत्तेजित गया।
हनीफ ने भी पहली बार अपनी अम्मी को नंगी देखा तो बोला- अम्मी जान, तुम बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही हो।

तब तक मैंने उसके बेटे हनीफ़ का लण्ड बाहर निकाल लिया और उसने मेरे बेटे आदिल का लण्ड।
फिर क्या … मैं उसके सामने एकदम नंगी उसके बेटे का लण्ड चूसने लगी और वह भी मेरे सामने एकदम नंगी मेरे बेटे का लण्ड चूसने लगी।

मेरा बेटा सकीरा की चूचियाँ दबाने लगा और उसका बेटा मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
मेरी चूत पर उसके बेटे का हाथ आ गया और उसकी चूत पर मेरे बेटे का हाथ चला गया।

मैं सकीरा को अपने बेटे का लण्ड चूसते हुए बड़े गौर से देख रही थी।
मैंने मन में कहा कि लण्ड तो वाकई बड़ा गज़ब का है मेरे बेटे का।
मुझे अपने बेटे के लण्ड पर गुमान होने लगा।
सच बताऊँ दोस्तो, मैं अपने ही बेटे के लण्ड पर मर मिटी।

इधर हनीफ़ का लण्ड भी मुझे बड़ा मज़ा दे रहा था।
मैं बहुत जोश में आ गयी।

तब तक हनीफ़ बोला- आंटी, मैं लण्ड तेरी चूत में पेल दूँ?
मैंने कहा- हां बेटा पेल दो पूरा लण्ड … मुझसे और रुका नहीं जा रहा।

उसने जब गच्च से लण्ड घुसेड़ा मेरी चूत में … तो मुझे ज़न्नत का मज़ा आया.

फिर मैं बिंदास एक रंडी की तरह अपने बेटे के सामने सकीरा के बेटे से चुदवाने लगी।

मेरा बेटा आदिल मेरी चूत चुदती हुई चूत बड़े गौर से देखने लगा।
फिर उसे भी ताव आ गया तो उसने अपना लण्ड हनीफ़ की माँ सकीरा चूत में भक्क से घुसा दिया।

मेरा बेटा मेरे सामने हनीफ़ की माँ चोदने लगा।
वह जिस तरह से चोद रहा था उससे मुझे लगा कि मेरा बेटा कई चूत पहले ही चोद चुका है। उसे चूत चोदने का तज़ुर्बा है।
मेरे बेटे का लण्ड फूलता जा रहा था।

इधर मेरे मुंह से निकला- बेटा हनीफ़, तुम भी अच्छी तरह चोद रहे हो मेरी चूत! मुझे खूब चोदो। मुझे मेरे बेटे के सामने खूब घपाघप चोदो, फाड़ डालो मेरा भोसड़ा, मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। आज मुझे कोई मस्त चोदने वाला बहुत दिनों के बाद मिला है। पूरा लौड़ा घुसेड़ दो अंदर। तुम मुझे हर रोज़ चोदा करो।

उधर सकीरा भी जोश में बोल रही थी- बेटा आदिल, तेरा लण्ड मुझे बड़ा मज़ा दे रहा है। तुम अपनी माँ के सामने मुझे बिंदास चोदो। चीर डालो मेरा भोसड़ा। धज्जियाँ उड़ा दो मेरी चूत की। तेरे लण्ड में बड़ी ताकत है। तेरा मरदाना लण्ड मेरी चूत में छक्के छुड़ा देगा। हाय रब्बा … बड़ा मज़ा आ रहा है हूँ ओ हो हां ऊँ ऊँ ओ … हाय रे तूने मुझे पहले क्यों नहीं चोदा? भोसड़ी के आदिल तेरा लण्ड बड़ा प्यारा है यार! अच्छा बता तूने कितनी चूत में अपना लण्ड पेला है?

वह बोला- कॉलेज की एक लड़की की चूत में पेला और अपनी फूफी का भोसड़ा भी चोदा है मैंने! एक दिन फूफी ने मुझसे अपनी बेटी की चूत भी चुदवाई थी।

आदिल के मुंह से यह सुनकर मेरी चूत की आग और ज्यादा भड़क गयी।
मैंने कहा- हायल्ला, मेरी ननद चूत चोदी मेरे बेटे से चुदवाती है और अपनी बिटिया की चूत में भी लण्ड पेलवाती है। सब लोग मेरे बेटे के लण्ड का मज़ा लूटती हैं तो फिर मैं भी अपने बेटे के लण्ड का मज़ा क्यों न लूँ? अपने बेटे का लण्ड अपनी चूत में क्यों न पेलूं? मैं तो पेलूँगी। मैं झांट किसी की परवाह नहीं करती!

ऐसा सोचते ही मेरी चूत खलास हो गई।

उधर मेरे बेटे ने भी सकीरा की चूत का पानी निकाल लिया।
उसकी भी चूत ढीली हो गयी।

फिर मैं उसके बेटे हनीफ का झड़ता हुआ लण्ड चाटने लगी और वह मेरे बेटे आदिल का झड़ता हुआ लण्ड चाटने लगी।

उसके बाद फिर हम दोनों बाथ रूम गईं.
वहां सकीरा बोली- सबीना, तेरे बेटे का लण्ड बड़ा सॉलिड है यार … उसने मेरी चूत फाड़ दी।
मैंने कहा- तेरे के बेटे के लण्ड ने मेरी भी चूत फाड़ दी।

वह बोली- अब तो मैं अपने बेटे का लण्ड पेलूँगी अपनी चूत में!
मैंने कहा- यार तूने मेरे मन की बात कह दी। मैं भी अपने बेटे का लण्ड अपनी चूत में पेलूँगी। यार इतना बढ़िया लण्ड मैं कैसे छोड़ सकती हूँ। मैं तो अपने बेटे से चुदवाऊंगी।

इस तरह हम दोनों ने एक ही बेड पर अपने अपने बेटे से चुदवाने का मन बना लिया।

मैं जब बाथरूम से आई तो देखा कि मेरे बेटे आदिल का लण्ड खड़ा है तो मैंने उसे लपक कर पकड़ लिया।

सकीरा ने भी अपने बेटे का लण्ड पकड़ लिया और बोली- बेटा हनीफ, अब तुम मेरी चूत में अपना लण्ड पेल कर चोदो मुझे! अब मैं अपने बेटे के लण्ड का मज़ा लूंगी।

उधर मैंने तो गप्प से पेलवा लिया अपने बेटे आदिल का लण्ड अपनी चूत में!
मैं भकाभक चुदवाने लगी।

तो दोस्तो, मैं चूत चोदी चुदक्कड़ तो पहले से ही थी, अब मैं महा चुदक्कड़ हो गई हूँ।


 
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junglecouple1984

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मेरी सुहागरात में मेरी सास ननद दोनों मेरे साथ चुदीं



मैं बुरचोदी जैनब हूँ दोस्तो. 24 साल की एक मद मस्त खूबसूरत और हॉट लड़की।
मेरी शादी अभी अभी हुई है.

यह फॅमिली चूत चुदाई कहानी मेरी ही है.

मैं अपनी होने वाली सुहागरात के कुछ घंटे पहले अपने कमरे में बैठी हुई अपने मोबाइल पर पोर्न देख रही थी।
पोर्न में मैं सिर्फ लण्ड की फोटो ही देख रही थी … एक से एक बेहतरीन लण्ड की फोटो … हर तरह के लण्ड की फोटो।
मैं सच में मन ही मन बड़ा एन्जॉय कर रही थी और सोच रही थी कि मेरे मरद का लण्ड कैसा होगा? कितना बड़ा होगा? कितना मोटा होगा? देखने में कैसा लगता होगा लण्ड? पता नहीं चोदने में कैसा होगा मादर चोद लण्ड?
क्योंकि एक बीवी के लिए उसके शौहर का लण्ड ही सब कुछ है।

फिर अचानक ख्याल आया कि मैं तो पहले से ही चुदी हुई हूँ।
पिछले 4 साल से लगातार चुद रही हूँ मैं!
एक से एक बढ़िया लण्ड पेलवा चुकी हूँ मैं अपनी चूत में!

तो फिर आज मैं अपने मरद के लण्ड के लिए इतनी परेशान क्यों हो रही हूँ?
होगा भोसड़ी का लण्ड जैसा होगा … मुझे उससे क्या लेना देना? मुझे कौन उसके लण्ड के सहारे ज़िन्दगी काटनी है!
मैं तो आज़ाद पंछी हूँ।
शादी के पहले भी खूब चुदी हुई हूँ और शादी के बाद भी खूब चुदूँगी।
ग़ैर मर्दों के लण्ड से चुदवाती रहूंगी।

एक खूबसूरत विवाहिता औरत को लण्ड की कभी कमी नहीं होती.
मैं बहनचोद खूबसूरत हूँ, सेक्सी हूँ, हॉट हूँ.
और सबसे बड़ी बात कि मैं मस्त जवान हूँ।

मुझे चोदने के लिए तो लोग अपना लण्ड हाथ में लिए हुए घूमते हैं।
बड़े बड़े लण्ड मेरी चूत के आगे सलामी ठोकते हैं।

लोग मुझे देख कर वैसे ही अपना लण्ड सहलाने लगते हैं.
कुछ लोग तो मेरे नाम ले ले कर अपने लण्ड का मुट्ठ मारतें हैं.

ऐसे में मुझे लण्ड की क्या कमी … जिसको इशारा करूंगी, वही भोसड़ी वाला अपना लण्ड खड़ा करके मेरे सामने आ जायेगा।
फिर मैं अपने शौहर के लण्ड के लिए इतना क्यों सोच विचार करूं?
गधे की गांड में जाये मेरे शौहर का लण्ड?

इतने में मेरी बुर चोदी ननद आ गई और बोली- भाभी जान, तुमको कैसा लण्ड पसंद है?
मैंने कहा- अरे यार, अभी कुछ देर बाद मेरी सुहागरात होने वाली है और तू मुझसे लण्ड के बारे में पूछ रही है। अगर मुझे लण्ड पसंद न आया तो तू क्या करेगी भोसड़ी वाली?
वह बोली- तो फिर मैं कोई तेरी पसंद वाला लण्ड पेलूँगी तेरी चूत में भाभी जान! मैं इसीलिए तो पूछ रही हूँ। आज मुझे तेरी चूत को हर हाल में खुश रखना है। यह मेरी जिम्मेदारी है।

मैंने मुस्कराकर मजाक करते हुए कहा- अच्छा तो ले सुन, मुझे बड़े बड़े नौ नौ, दस दस इंच के लण्ड पसंद हैं और मोटे भी। लण्ड ऐसे हो जो तेरी चूत के चीथड़े उड़ा सके और तेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ सके।

वह बोली- हायल्ला, बहुत बड़ी लण्डबाज़ हो तुम, बहुत बड़ी लण्डखोर हो तुम भाभी जान? इतने बड़े बड़े लण्ड कभी पेलवाया है तुमने अपनी चूत में भाभी जान?

मैंने कहा- पेलवाया है, तभी तो कह रही हूँ। तू क्या समझती है कि मैं अभी कच्ची हूँ? मैं चुदी हुई हूँ ननद रानी क्योंकि तेरी माँ को चुदी हुई बहू चाहिए था तो मैं चुद कर आयी हूँ।

वह बोली- कोई बात नहीं भाभी जान, मैं तेरी चूत फाड़ने वाला लौड़ा ही पेलूँगी तेरी चूत में!
ननद इतना कह कर चली गयी।

मैं भी उसके पीछे गयी यह देखने के लिए की वह किसके पास गई है और क्या कहने गयी है।

ननद सीधा अपनी अम्मी जान यानी मेरी सास के पास पहुंची।

सास ने कहा- कैसी है तेरी बुरचोदी भाभी जान, बेटी रैय्यत?
ननद बोली- अरे अम्मी जान, वह तो एकदम पटाका है। बड़ी मस्त है। चुदी हुई है और बड़े बड़े लण्ड की शौक़ीन है। वह तो अभी से सास का भोसड़ा चोदने को तैयार है और ननद की बुर में लण्ड पेलने को भी!

सास बोली- मज़ा आ गया यह सुनकर! मैं तो चुदी हुई बहू चाहती थी। अब आएगा उस बुरचोदी की सुहागरात में असली मज़ा. अब आगे का प्लान बना ले तू! आज रात को होगा हम सबकी एक साथ चुदाई का जश्न।

मैं यह सुनकर दंग रह गयी।
मैंने मन में कहा कि सुहागरात मेरी है और एक्ससाईटेड हैं मेरी सास और ननद? अब ये क्या करेंगी? क्या मेरे शौहर का लण्ड ये दोनों अपने हाथ से मेरी चूत में पेलेगीं या फिर मैं पेलूँगी अपने शौहर का लण्ड इन दोनों की चूत में?

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है.
मेरी सुहागरात बहन चोद किस तरह की होने वाली है.

ख़ैर मैं सज धज कर अपने कमरे में बैठ गयी और अपने शौहर के आने का इंतज़ार करने लगी।
सच पूछो तो मैं उसके लण्ड का इंतज़ार करने लगी।

लगभग आधे घंटे में वह आया तो मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी।
मैं चुदी हुई थी फिर भी मेरा ज़िया धक धक करने लगा कि अब क्या होगा.

उसने मेरा घूँघट उठाया मुझे गौर से देखा, मेरी खूबसूरती की तारीफ की, मेरे होंठ बड़े प्यार से चूमा।
मैं भी धीरे धीरे उसी के साथ आगे बढ़ने लगी।

उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया।
मैंने भी अपने आप को समर्पित कर दिया।

फिर उसने एक एक करके मेरे कपड़े उतारे और मैंने भी उसके कपड़े उतारे।
मैं उसके आगे नंगी हो गई और वह मेरे आगे नंगा।

उसके हाथ में मेरी नंगी चूचियाँ आ गईं तो मेरे हाथ में उसका नंगा लण्ड।

वह मेरे मम्मे, मेरी चूत और मेरे पूरे नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा तो मैं भी उसके लण्ड पर, उसके पेल्हड़ पर और उसकी चौड़ी छाती पर प्यार से हाथ फिराने लगी।

मैंने मन ही मन खुदा का शुक्रिया अदा किया क्योंकि लण्ड मुझे पसंद आ गया था।
मैं खुश हुई कि अब कोई भी औरत मेरे साथ लण्ड की अदला बदली बड़ी आसानी से कर लेगी।
ऐसे में मुझे ग़ैर मर्दों के लण्ड से चुदाने का मौक़ा मिलने लगेगा।

मैं बड़े प्यार से लण्ड चाटने लगी, चूसने लगी और उसे हिला हिला कर मस्ती करने लगी।
वह भी मेरे नंगे बदन से खेलने लगा।

पहली बार मुझे बीवी होने का और शौहर के लण्ड से खेलने का गुमान हो रहा था।

कुछ देर में उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मैं उफ़ कह कर मस्ती से चुदवाने लगी।
उसे क्या पता था कि जाने कितने लण्ड मेरी चूत की सैर कर चुके हैं।
वह मेरी चूत को फ्रेश और कुवांरी चूत समझ कर धकाधक चोदने लगा।

अचानक मैंने देखा की मेरी ननद आई और मुझे चुदती हुई देख कर लौट गई।
मुझे ऐसा भी लगा कि मेरी सास ने भी झाँक कर मेरी चुदती हुई बुर देखी है.
और मुस्कराती हुई चली गई।

इस बात से मैं गनगना उठी।
मैं जब भी चुदवाती हूँ तो चाहती हूँ कि कोई मुझे चुदती हुई देखे।

आज मेरी यह तमन्ना पूरी हुई।

मैं सबके सामने खुल्लम खुल्ला चुदवाने में ज्यादा मज़ा लेती हूँ।
सबको लण्ड दिखा दिखा कर चाटने और चूसने का मज़ा लेती हूँ।

मैं चाहती हूँ कि मेरी सास ननद मेरे सामने बैठें और मेरी चुदती हुई चूत देखें, अपने हाथ से लण्ड मेरी चूत में पेलें और मेरा गांड उठा उठा के चुदवाने का मज़ा लूटें।

ख़ैर मैं अपने शौहर से खूब चुदी, बेतहाशा चुदी।
मैं पहले खलास हो गई और वह बाद में!

कुछ देर बाद वह मुझे चोद कर चला गया।

फिर चुपके से मेरी ननद आ गई और बोली- कैसी रही तेरी सुहागरात भाभी जान? भाई का लौड़ा पसंद आया या नहीं?
मैंने कहा- लौड़ा तो बहुत पसंद आया। चुदाने में बड़ा मज़ा भी खूब आया … लेकिन …
वह बोली- अरे लेकिन क्या भाभी जान? ज़रा खुल कर बताओ न मुझे?

मैंने कहा- चोदने के बाद मेरा शौहर पता नहीं कहाँ चला गया? लौड़ा तो बड़ा जबरदस्त है उसका पर मेरा मन अभी भरा नहीं। मैं तो अभी चुदासी हूँ। मैं तो और चुदाना चाहती हूँ, कई बार चुदाना चाहती हूँ, ननद रानी!
वह बोली- चिंता न करो भाभी जान। तुम अभी और चुदोगी, अच्छी तरह चुदोगी।

मैंने कहा- तो क्या वह अब दुबारा आएगा मुझे चोदने?
वह बोली- वह नहीं आएगा भाभी जान, अब तुम्हें कोई और चोदेगा।

मैंने कहा- हायल्ला, आज मेरी पहली रात है। आज कोई ग़ैर मरद मुझे कैसे छू सकता है? मैं अपने शौहर को क्या मुंह दिखाऊंगी?
वह बोली- तुम अपने शौहर की बात कर रही हो तो चलो मेरे साथ!

रैय्यत मुझे बाहर ले गई और बोली- देख तेरा शौहर कितनी मस्ती से तेरी जेठानी की फुद्दी चोद रहा है। तेरी जेठानी की चूत चोदने के बाद वह उसकी बहन की बुर लेगा, फिर अपनी फूफी की बेटी की चूत लेगा। वह तेरे पास लौट कर नहीं आएगा भाभी जान। मुझे सब मालूम है। तुझे एक बार चोद के गया न … तो हो गयी तेरी सुहागरात. अब तुझे कोई भी चोदे, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और वह किसी को चोदे तो तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए भाभी जान।

उसने मेरी आँखें खोल दीं।

मैं फिर मुस्कराकर बोली- तो फिर तू किसका लण्ड पेलेगी मेरी फुद्दी में ननद रानी?
मेरी बात सुनकर वह बाहर चली गई।

इतने में मेरी सास आ गयी और बोली- कैसी रही तेरी सुहागरात बहू रानी? तू खुश है न?
मैंने कहा- अच्छी रही मेरी सुहागरात, मैं खुश हूँ सासू जी!

वह बोली- अच्छा तेरी बुर चोदी ननद गई?
मैंने कहा- ननद अभी आती होगी सासू जी!

वह बोली- तेरी ननद की माँ का भोसड़ा … बहन चोद बड़ी चालू चीज है तेरी ननद! किसी लण्ड के जुगाड़ में गई होगी। रात भर लण्ड इधर उधर सबकी बुर में पेलती रहती है तेरी ननद!

सासू की बातों ने मेरे अंदर गुदगुदी पैदा कर दी।
सासू के मुंह से गालियां बड़ी प्यारी लग रहीं थीं।

अचानक ननद वापस आ गई हँसते हुए बोली- मुबारक हो, काम हो गया भाभी जान!
मैंने कहा- ननद रानी, मेरी सास को बड़ी चिंता हो रही थी।

ननद बोली- तेरी सास खुद बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत है। बिना 2/3 लण्ड पेलवाये सोती नहीं है तेरी हरामजादी सास! पता नहीं इसका भोसड़ा कितने लण्ड खाता है।

रात का एक बजने वाला था।
मेरी चूत लण्ड के बिना बेचैन हो रही थी।

तभी एक लड़का कमरे में आ गया।

ननद बोली- अरे आशु, तुम आ गए।

मैंने उसे देखा और पूछा- ये कौन है रैय्यत?
वह बोली- यह मेरे पड़ोसी का लड़का है।

मैंने हैरानी से कहा- पड़ोसी का लड़का इतनी रात गये हमारे कमरे में?
उसने बताया- अरे भाभी जान, हमारे पड़ोसियों से गहरे सम्बन्ध हैं। रात में उनके जवान लड़के लड़कियां हमारे यहाँ नंगी नंगी घूमती हैं और हमारे घर के जवान लड़के लड़कियां नंगी नंगी उनके घर में घूमती हैं।

ऐसा कह कर ननद ने आशु की लुंगी खींच ली.
वह नंगा हो गया.
ननद उसका लण्ड मुठियाने लगी।

लण्ड बढ़ते बढ़ते 8″ का हो गया और 4″ मोटा हो गया।
मैं तो लण्ड देख कर दंग रह गई।
मेरी चूत गीली हो गयी।

तब ननद ने मेरी चादर उतार कर फेंक दी तो मैं उसके आगे नंगी हो गई।
उसका लण्ड और तन गया।

ननद ने लण्ड मुझे पकड़ा दिया, मैंने लण्ड की चुम्मी ली।
मैंने कहा- यार रैय्यत, इसका लण्ड तो बड़ा गज़ब का है।
वह बोली- हां भाभी, इसका लौड़ा बड़ा मशहूर है। हर लड़की हर औरत इसका लण्ड अपनी चूत में पेलवाना चाहती है। एक बार तो इसने मेरी माँ के भोसड़े में लण्ड पेल दिया था। अम्मी बोली ‘बेटा आशु कोई शर्माने की बात नहीं है। मेरी चूत को लण्ड चाहिए और लण्ड चाहे किसी का ही क्यों न हो? तुम खूब अच्छी तरह बिंदास चोदो मुझे। फिर इसने खूब जम कर चोदा अम्मी का भोसड़ा!

तब तक मैंने देखा कि मेरी सासू जान एकदम नंगी नंगी अपनी बेटी के मियां आसिफ का लण्ड पकड़े पकड़े मेरे सामने आ गई।
आसिफ का लौड़ा भी बड़ा मस्त था।
मुझे मालूम हो गया मेरी सास अपने दामाद से चुदवाती है।

फिर एक और अधेड़ उम्र का आदमी आया, बोला- बेटी रैय्यत, आज तुम बड़ी हॉट लग रही हो?
उसने ननद की चूचियाँ दबायीं और बोला- तेरी भाभी जान बड़ी मस्त चीज है. पर मैं पहले तेरी लूंगा रैय्यत! फिर तेरी भाभी जान की चूत मारूंगा।

मैं मन ही मन सोंचने लगी कि ये तो घर नहीं चुदाईखाना हो गया।

मेरी ननद बिना कुछ बोले उसका लण्ड पकड़ कर चाटने और चूसने लगी।
फिर बोली- चचा जान, आज किसकी बुर चोद कर आ रहे हो?
वह बोला- अभी तो मैं अपनी बेटी के सामने उसकी ननद की बुर चोद कर आ रहा हूँ। जितनी अच्छी उसकी बुर है उससे ज्यादा अच्छी तेरी बुर है रैय्यत! यह बात मुझे मेरी बेटी ही बता रही थी।

अब कमरे में मैं नंगी, मेरी सास नंगी और मेरी ननद भी नंगी।

मेरे हाथ में मेरे पड़ोसी आशु का लौड़ा, मेरी सास के हाथ में अपने दामाद आसिफ का लण्ड और मेरी ननद के हाथ में अपनी चचा जान जावेद का लण्ड टनटना रहा था।

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी सुहागरात में मेरे हाथ में लण्ड, मेरे सामने मेरी सास के हाथ में लण्ड और मेरी ननद के हाथ में लण्ड होगा।
मेरी सुहागरात में हम तीनों सास बहू और ननद की बुर एक साथ चुदने के लिए एकदम तैयार हो गई।

इन तीनों लण्ड में सबसे बढ़िया लंबा और मोटा लण्ड मेरे ही हाथ में था।

मैंने कहा- यार रैय्यत, आशु साला जितना दुबला पतला है, उतना ही मोटा इसका लण्ड है। लगता ही इसके हाथ पैरों का मांस खुदा ने इसका लण्ड बनाने में लगा दिया है।
मेरी ननद मुस्कराती हुई बोली- देखा न भाभी जान, तेरी सास कितनी मस्ती से मेरे मियां का लण्ड चूस रही है?

इतने ने सास जबाब दिया- देखा बहू रानी, तेरी बुरचोदी ननद कितनी मस्ती से मेरे देवर का लण्ड चूसने में जुटी है? ऐसा लग रहा है कि जैसे इसे पहली बार लण्ड मिला है।

मुझे भी जोश आया तो मैंने भी कहा- देखा न सासू जी, तेरी बहू भी माँ की लौड़ी अपनी सुहागरात में ही अपने पड़ोसी का लण्ड चाट रही है। कितनी बेशरम और बेहया है तेरी भोसड़ी की बहू!

इस बात पर हाँ सब हंसने लगीं।
माहौल बहुत ज्यादा ही गर्म हो गया।

इतने में आशु ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मैं बड़े मजे से सबके सामने भकाभक चुदवाने लगी।

मेरे जस्ट बगल में लेटी हुई मेरी सास अपने दामाद का लौड़ा अपनी चूत में पेलवा कर चुदवाने लगी.

और मेरी दूसरी तरफ लेटी हुई मेरी ननद तो अपने चचा जान के लण्ड का मज़ा लेने लगी।
पूरा का पूरा लण्ड पेलवाकर झमाझम चुदवाने लगी।
लग रहा था कि ननद बुर चोदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ बीवी है।

मैं यह नजारा देख कर मस्त हो रही थी।
चुदाई की आवाज़ सबको मदमस्त कर रही थी।

यह मेरा पहला मौक़ा था जब मैं अपनी सास और ननद की बुर चुदती हुई देख रही थी, वह भी अपनी ही सुहागरात में!
ऐसा शायद ही किसी और के साथ हुआ हो!

मुझे तो वैसे भी सामूहिक चुदाई में बड़ा मज़ा आता है।

एक बात और … सुहागरात में ही दुल्हन अपनी बुर, अपनी सास का भोसड़ा और अपनी ननद की बुर किसी ग़ैर मरद से चुदवायेगी ऐसा तो मैंने कभी सोचा नहीं था।

कुछ भी हो मुझे तो ज़न्नत का मज़ा आ रहा था।
मैं बड़ी खुश थी।

बड़ी देर तक इसी तरह सबकी चुदाई होती रही।

फिर एकदम से मेरे ननदोई आसिफ ने लण्ड मेरी सास की चूत से निकाल कर मेरी चूत में ठोक दिया.
वह मुझे सटासट चोदने लगा.

आशु ने लण्ड मेरी चूत से निकाल कर मेरी ननद की चूत में घुसा दिया.
वह ननद की बुर बड़ी मस्ती से लेने लगा.

और सास का देवर जो अभी मेरी ननद की बुर चोद रहा था, अब वह सास का ही भोसड़ा चोदने लगा, बोला- भाभी जान, आज तेरी चूत तेरी बहू बेटी के सामने खूब जम कर चोदूंगा। मुझे बेटी को माँ के सामने चोदने में और बहू को उसकी सास के सामने में ज्यादा मज़ा आता है।

फिर क्या … X फॅमिली चूत चुदाई की रफ़्तार बढ़ गई और तीनों की चूत एक साथ धकापेल चुदने लगी।

हम तीनों एक दूसरे को देख देख कर रंडियों की तरह चुदवाने लगीं।

वैसे भी कहते हैं कि रात में सभी औरतें एकदम रंडियां हो जाती हैं।
फिर रात भर हम तीनों ने मिलकर और लण्ड अदल बदल कर खूब मस्ती से चुदवाया।

तो दोस्तो, इस तरह मेरी सुहागरात में मेरी सास ननद दोनों मेरे साथ चुदीं।
 
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मेरी सुहागरात में मेरी सास ननद दोनों मेरे साथ चुदीं



मैं बुरचोदी जैनब हूँ दोस्तो. 24 साल की एक मद मस्त खूबसूरत और हॉट लड़की।
मेरी शादी अभी अभी हुई है.

यह फॅमिली चूत चुदाई कहानी मेरी ही है.

मैं अपनी होने वाली सुहागरात के कुछ घंटे पहले अपने कमरे में बैठी हुई अपने मोबाइल पर पोर्न देख रही थी।
पोर्न में मैं सिर्फ लण्ड की फोटो ही देख रही थी … एक से एक बेहतरीन लण्ड की फोटो … हर तरह के लण्ड की फोटो।
मैं सच में मन ही मन बड़ा एन्जॉय कर रही थी और सोच रही थी कि मेरे मरद का लण्ड कैसा होगा? कितना बड़ा होगा? कितना मोटा होगा? देखने में कैसा लगता होगा लण्ड? पता नहीं चोदने में कैसा होगा मादर चोद लण्ड?
क्योंकि एक बीवी के लिए उसके शौहर का लण्ड ही सब कुछ है।

फिर अचानक ख्याल आया कि मैं तो पहले से ही चुदी हुई हूँ।
पिछले 4 साल से लगातार चुद रही हूँ मैं!
एक से एक बढ़िया लण्ड पेलवा चुकी हूँ मैं अपनी चूत में!

तो फिर आज मैं अपने मरद के लण्ड के लिए इतनी परेशान क्यों हो रही हूँ?
होगा भोसड़ी का लण्ड जैसा होगा … मुझे उससे क्या लेना देना? मुझे कौन उसके लण्ड के सहारे ज़िन्दगी काटनी है!
मैं तो आज़ाद पंछी हूँ।
शादी के पहले भी खूब चुदी हुई हूँ और शादी के बाद भी खूब चुदूँगी।
ग़ैर मर्दों के लण्ड से चुदवाती रहूंगी।

एक खूबसूरत विवाहिता औरत को लण्ड की कभी कमी नहीं होती.
मैं बहनचोद खूबसूरत हूँ, सेक्सी हूँ, हॉट हूँ.
और सबसे बड़ी बात कि मैं मस्त जवान हूँ।

मुझे चोदने के लिए तो लोग अपना लण्ड हाथ में लिए हुए घूमते हैं।
बड़े बड़े लण्ड मेरी चूत के आगे सलामी ठोकते हैं।

लोग मुझे देख कर वैसे ही अपना लण्ड सहलाने लगते हैं.
कुछ लोग तो मेरे नाम ले ले कर अपने लण्ड का मुट्ठ मारतें हैं.

ऐसे में मुझे लण्ड की क्या कमी … जिसको इशारा करूंगी, वही भोसड़ी वाला अपना लण्ड खड़ा करके मेरे सामने आ जायेगा।
फिर मैं अपने शौहर के लण्ड के लिए इतना क्यों सोच विचार करूं?
गधे की गांड में जाये मेरे शौहर का लण्ड?

इतने में मेरी बुर चोदी ननद आ गई और बोली- भाभी जान, तुमको कैसा लण्ड पसंद है?
मैंने कहा- अरे यार, अभी कुछ देर बाद मेरी सुहागरात होने वाली है और तू मुझसे लण्ड के बारे में पूछ रही है। अगर मुझे लण्ड पसंद न आया तो तू क्या करेगी भोसड़ी वाली?
वह बोली- तो फिर मैं कोई तेरी पसंद वाला लण्ड पेलूँगी तेरी चूत में भाभी जान! मैं इसीलिए तो पूछ रही हूँ। आज मुझे तेरी चूत को हर हाल में खुश रखना है। यह मेरी जिम्मेदारी है।

मैंने मुस्कराकर मजाक करते हुए कहा- अच्छा तो ले सुन, मुझे बड़े बड़े नौ नौ, दस दस इंच के लण्ड पसंद हैं और मोटे भी। लण्ड ऐसे हो जो तेरी चूत के चीथड़े उड़ा सके और तेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ सके।

वह बोली- हायल्ला, बहुत बड़ी लण्डबाज़ हो तुम, बहुत बड़ी लण्डखोर हो तुम भाभी जान? इतने बड़े बड़े लण्ड कभी पेलवाया है तुमने अपनी चूत में भाभी जान?

मैंने कहा- पेलवाया है, तभी तो कह रही हूँ। तू क्या समझती है कि मैं अभी कच्ची हूँ? मैं चुदी हुई हूँ ननद रानी क्योंकि तेरी माँ को चुदी हुई बहू चाहिए था तो मैं चुद कर आयी हूँ।

वह बोली- कोई बात नहीं भाभी जान, मैं तेरी चूत फाड़ने वाला लौड़ा ही पेलूँगी तेरी चूत में!
ननद इतना कह कर चली गयी।

मैं भी उसके पीछे गयी यह देखने के लिए की वह किसके पास गई है और क्या कहने गयी है।

ननद सीधा अपनी अम्मी जान यानी मेरी सास के पास पहुंची।

सास ने कहा- कैसी है तेरी बुरचोदी भाभी जान, बेटी रैय्यत?
ननद बोली- अरे अम्मी जान, वह तो एकदम पटाका है। बड़ी मस्त है। चुदी हुई है और बड़े बड़े लण्ड की शौक़ीन है। वह तो अभी से सास का भोसड़ा चोदने को तैयार है और ननद की बुर में लण्ड पेलने को भी!

सास बोली- मज़ा आ गया यह सुनकर! मैं तो चुदी हुई बहू चाहती थी। अब आएगा उस बुरचोदी की सुहागरात में असली मज़ा. अब आगे का प्लान बना ले तू! आज रात को होगा हम सबकी एक साथ चुदाई का जश्न।

मैं यह सुनकर दंग रह गयी।
मैंने मन में कहा कि सुहागरात मेरी है और एक्ससाईटेड हैं मेरी सास और ननद? अब ये क्या करेंगी? क्या मेरे शौहर का लण्ड ये दोनों अपने हाथ से मेरी चूत में पेलेगीं या फिर मैं पेलूँगी अपने शौहर का लण्ड इन दोनों की चूत में?

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है.
मेरी सुहागरात बहन चोद किस तरह की होने वाली है.

ख़ैर मैं सज धज कर अपने कमरे में बैठ गयी और अपने शौहर के आने का इंतज़ार करने लगी।
सच पूछो तो मैं उसके लण्ड का इंतज़ार करने लगी।

लगभग आधे घंटे में वह आया तो मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी।
मैं चुदी हुई थी फिर भी मेरा ज़िया धक धक करने लगा कि अब क्या होगा.

उसने मेरा घूँघट उठाया मुझे गौर से देखा, मेरी खूबसूरती की तारीफ की, मेरे होंठ बड़े प्यार से चूमा।
मैं भी धीरे धीरे उसी के साथ आगे बढ़ने लगी।

उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया।
मैंने भी अपने आप को समर्पित कर दिया।

फिर उसने एक एक करके मेरे कपड़े उतारे और मैंने भी उसके कपड़े उतारे।
मैं उसके आगे नंगी हो गई और वह मेरे आगे नंगा।

उसके हाथ में मेरी नंगी चूचियाँ आ गईं तो मेरे हाथ में उसका नंगा लण्ड।

वह मेरे मम्मे, मेरी चूत और मेरे पूरे नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा तो मैं भी उसके लण्ड पर, उसके पेल्हड़ पर और उसकी चौड़ी छाती पर प्यार से हाथ फिराने लगी।

मैंने मन ही मन खुदा का शुक्रिया अदा किया क्योंकि लण्ड मुझे पसंद आ गया था।
मैं खुश हुई कि अब कोई भी औरत मेरे साथ लण्ड की अदला बदली बड़ी आसानी से कर लेगी।
ऐसे में मुझे ग़ैर मर्दों के लण्ड से चुदाने का मौक़ा मिलने लगेगा।

मैं बड़े प्यार से लण्ड चाटने लगी, चूसने लगी और उसे हिला हिला कर मस्ती करने लगी।
वह भी मेरे नंगे बदन से खेलने लगा।

पहली बार मुझे बीवी होने का और शौहर के लण्ड से खेलने का गुमान हो रहा था।

कुछ देर में उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और मैं उफ़ कह कर मस्ती से चुदवाने लगी।
उसे क्या पता था कि जाने कितने लण्ड मेरी चूत की सैर कर चुके हैं।
वह मेरी चूत को फ्रेश और कुवांरी चूत समझ कर धकाधक चोदने लगा।

अचानक मैंने देखा की मेरी ननद आई और मुझे चुदती हुई देख कर लौट गई।
मुझे ऐसा भी लगा कि मेरी सास ने भी झाँक कर मेरी चुदती हुई बुर देखी है.
और मुस्कराती हुई चली गई।

इस बात से मैं गनगना उठी।
मैं जब भी चुदवाती हूँ तो चाहती हूँ कि कोई मुझे चुदती हुई देखे।

आज मेरी यह तमन्ना पूरी हुई।

मैं सबके सामने खुल्लम खुल्ला चुदवाने में ज्यादा मज़ा लेती हूँ।
सबको लण्ड दिखा दिखा कर चाटने और चूसने का मज़ा लेती हूँ।

मैं चाहती हूँ कि मेरी सास ननद मेरे सामने बैठें और मेरी चुदती हुई चूत देखें, अपने हाथ से लण्ड मेरी चूत में पेलें और मेरा गांड उठा उठा के चुदवाने का मज़ा लूटें।

ख़ैर मैं अपने शौहर से खूब चुदी, बेतहाशा चुदी।
मैं पहले खलास हो गई और वह बाद में!

कुछ देर बाद वह मुझे चोद कर चला गया।

फिर चुपके से मेरी ननद आ गई और बोली- कैसी रही तेरी सुहागरात भाभी जान? भाई का लौड़ा पसंद आया या नहीं?
मैंने कहा- लौड़ा तो बहुत पसंद आया। चुदाने में बड़ा मज़ा भी खूब आया … लेकिन …
वह बोली- अरे लेकिन क्या भाभी जान? ज़रा खुल कर बताओ न मुझे?

मैंने कहा- चोदने के बाद मेरा शौहर पता नहीं कहाँ चला गया? लौड़ा तो बड़ा जबरदस्त है उसका पर मेरा मन अभी भरा नहीं। मैं तो अभी चुदासी हूँ। मैं तो और चुदाना चाहती हूँ, कई बार चुदाना चाहती हूँ, ननद रानी!
वह बोली- चिंता न करो भाभी जान। तुम अभी और चुदोगी, अच्छी तरह चुदोगी।

मैंने कहा- तो क्या वह अब दुबारा आएगा मुझे चोदने?
वह बोली- वह नहीं आएगा भाभी जान, अब तुम्हें कोई और चोदेगा।

मैंने कहा- हायल्ला, आज मेरी पहली रात है। आज कोई ग़ैर मरद मुझे कैसे छू सकता है? मैं अपने शौहर को क्या मुंह दिखाऊंगी?
वह बोली- तुम अपने शौहर की बात कर रही हो तो चलो मेरे साथ!

रैय्यत मुझे बाहर ले गई और बोली- देख तेरा शौहर कितनी मस्ती से तेरी जेठानी की फुद्दी चोद रहा है। तेरी जेठानी की चूत चोदने के बाद वह उसकी बहन की बुर लेगा, फिर अपनी फूफी की बेटी की चूत लेगा। वह तेरे पास लौट कर नहीं आएगा भाभी जान। मुझे सब मालूम है। तुझे एक बार चोद के गया न … तो हो गयी तेरी सुहागरात. अब तुझे कोई भी चोदे, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और वह किसी को चोदे तो तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए भाभी जान।

उसने मेरी आँखें खोल दीं।

मैं फिर मुस्कराकर बोली- तो फिर तू किसका लण्ड पेलेगी मेरी फुद्दी में ननद रानी?
मेरी बात सुनकर वह बाहर चली गई।

इतने में मेरी सास आ गयी और बोली- कैसी रही तेरी सुहागरात बहू रानी? तू खुश है न?
मैंने कहा- अच्छी रही मेरी सुहागरात, मैं खुश हूँ सासू जी!

वह बोली- अच्छा तेरी बुर चोदी ननद गई?
मैंने कहा- ननद अभी आती होगी सासू जी!

वह बोली- तेरी ननद की माँ का भोसड़ा … बहन चोद बड़ी चालू चीज है तेरी ननद! किसी लण्ड के जुगाड़ में गई होगी। रात भर लण्ड इधर उधर सबकी बुर में पेलती रहती है तेरी ननद!

सासू की बातों ने मेरे अंदर गुदगुदी पैदा कर दी।
सासू के मुंह से गालियां बड़ी प्यारी लग रहीं थीं।

अचानक ननद वापस आ गई हँसते हुए बोली- मुबारक हो, काम हो गया भाभी जान!
मैंने कहा- ननद रानी, मेरी सास को बड़ी चिंता हो रही थी।

ननद बोली- तेरी सास खुद बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत है। बिना 2/3 लण्ड पेलवाये सोती नहीं है तेरी हरामजादी सास! पता नहीं इसका भोसड़ा कितने लण्ड खाता है।

रात का एक बजने वाला था।
मेरी चूत लण्ड के बिना बेचैन हो रही थी।

तभी एक लड़का कमरे में आ गया।

ननद बोली- अरे आशु, तुम आ गए।

मैंने उसे देखा और पूछा- ये कौन है रैय्यत?
वह बोली- यह मेरे पड़ोसी का लड़का है।

मैंने हैरानी से कहा- पड़ोसी का लड़का इतनी रात गये हमारे कमरे में?
उसने बताया- अरे भाभी जान, हमारे पड़ोसियों से गहरे सम्बन्ध हैं। रात में उनके जवान लड़के लड़कियां हमारे यहाँ नंगी नंगी घूमती हैं और हमारे घर के जवान लड़के लड़कियां नंगी नंगी उनके घर में घूमती हैं।

ऐसा कह कर ननद ने आशु की लुंगी खींच ली.
वह नंगा हो गया.
ननद उसका लण्ड मुठियाने लगी।

लण्ड बढ़ते बढ़ते 8″ का हो गया और 4″ मोटा हो गया।
मैं तो लण्ड देख कर दंग रह गई।
मेरी चूत गीली हो गयी।

तब ननद ने मेरी चादर उतार कर फेंक दी तो मैं उसके आगे नंगी हो गई।
उसका लण्ड और तन गया।

ननद ने लण्ड मुझे पकड़ा दिया, मैंने लण्ड की चुम्मी ली।
मैंने कहा- यार रैय्यत, इसका लण्ड तो बड़ा गज़ब का है।
वह बोली- हां भाभी, इसका लौड़ा बड़ा मशहूर है। हर लड़की हर औरत इसका लण्ड अपनी चूत में पेलवाना चाहती है। एक बार तो इसने मेरी माँ के भोसड़े में लण्ड पेल दिया था। अम्मी बोली ‘बेटा आशु कोई शर्माने की बात नहीं है। मेरी चूत को लण्ड चाहिए और लण्ड चाहे किसी का ही क्यों न हो? तुम खूब अच्छी तरह बिंदास चोदो मुझे। फिर इसने खूब जम कर चोदा अम्मी का भोसड़ा!

तब तक मैंने देखा कि मेरी सासू जान एकदम नंगी नंगी अपनी बेटी के मियां आसिफ का लण्ड पकड़े पकड़े मेरे सामने आ गई।
आसिफ का लौड़ा भी बड़ा मस्त था।
मुझे मालूम हो गया मेरी सास अपने दामाद से चुदवाती है।

फिर एक और अधेड़ उम्र का आदमी आया, बोला- बेटी रैय्यत, आज तुम बड़ी हॉट लग रही हो?
उसने ननद की चूचियाँ दबायीं और बोला- तेरी भाभी जान बड़ी मस्त चीज है. पर मैं पहले तेरी लूंगा रैय्यत! फिर तेरी भाभी जान की चूत मारूंगा।

मैं मन ही मन सोंचने लगी कि ये तो घर नहीं चुदाईखाना हो गया।

मेरी ननद बिना कुछ बोले उसका लण्ड पकड़ कर चाटने और चूसने लगी।
फिर बोली- चचा जान, आज किसकी बुर चोद कर आ रहे हो?
वह बोला- अभी तो मैं अपनी बेटी के सामने उसकी ननद की बुर चोद कर आ रहा हूँ। जितनी अच्छी उसकी बुर है उससे ज्यादा अच्छी तेरी बुर है रैय्यत! यह बात मुझे मेरी बेटी ही बता रही थी।

अब कमरे में मैं नंगी, मेरी सास नंगी और मेरी ननद भी नंगी।

मेरे हाथ में मेरे पड़ोसी आशु का लौड़ा, मेरी सास के हाथ में अपने दामाद आसिफ का लण्ड और मेरी ननद के हाथ में अपनी चचा जान जावेद का लण्ड टनटना रहा था।

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी सुहागरात में मेरे हाथ में लण्ड, मेरे सामने मेरी सास के हाथ में लण्ड और मेरी ननद के हाथ में लण्ड होगा।
मेरी सुहागरात में हम तीनों सास बहू और ननद की बुर एक साथ चुदने के लिए एकदम तैयार हो गई।

इन तीनों लण्ड में सबसे बढ़िया लंबा और मोटा लण्ड मेरे ही हाथ में था।

मैंने कहा- यार रैय्यत, आशु साला जितना दुबला पतला है, उतना ही मोटा इसका लण्ड है। लगता ही इसके हाथ पैरों का मांस खुदा ने इसका लण्ड बनाने में लगा दिया है।
मेरी ननद मुस्कराती हुई बोली- देखा न भाभी जान, तेरी सास कितनी मस्ती से मेरे मियां का लण्ड चूस रही है?

इतने ने सास जबाब दिया- देखा बहू रानी, तेरी बुरचोदी ननद कितनी मस्ती से मेरे देवर का लण्ड चूसने में जुटी है? ऐसा लग रहा है कि जैसे इसे पहली बार लण्ड मिला है।

मुझे भी जोश आया तो मैंने भी कहा- देखा न सासू जी, तेरी बहू भी माँ की लौड़ी अपनी सुहागरात में ही अपने पड़ोसी का लण्ड चाट रही है। कितनी बेशरम और बेहया है तेरी भोसड़ी की बहू!

इस बात पर हाँ सब हंसने लगीं।
माहौल बहुत ज्यादा ही गर्म हो गया।

इतने में आशु ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मैं बड़े मजे से सबके सामने भकाभक चुदवाने लगी।

मेरे जस्ट बगल में लेटी हुई मेरी सास अपने दामाद का लौड़ा अपनी चूत में पेलवा कर चुदवाने लगी.

और मेरी दूसरी तरफ लेटी हुई मेरी ननद तो अपने चचा जान के लण्ड का मज़ा लेने लगी।
पूरा का पूरा लण्ड पेलवाकर झमाझम चुदवाने लगी।
लग रहा था कि ननद बुर चोदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ बीवी है।

मैं यह नजारा देख कर मस्त हो रही थी।
चुदाई की आवाज़ सबको मदमस्त कर रही थी।

यह मेरा पहला मौक़ा था जब मैं अपनी सास और ननद की बुर चुदती हुई देख रही थी, वह भी अपनी ही सुहागरात में!
ऐसा शायद ही किसी और के साथ हुआ हो!

मुझे तो वैसे भी सामूहिक चुदाई में बड़ा मज़ा आता है।

एक बात और … सुहागरात में ही दुल्हन अपनी बुर, अपनी सास का भोसड़ा और अपनी ननद की बुर किसी ग़ैर मरद से चुदवायेगी ऐसा तो मैंने कभी सोचा नहीं था।

कुछ भी हो मुझे तो ज़न्नत का मज़ा आ रहा था।
मैं बड़ी खुश थी।

बड़ी देर तक इसी तरह सबकी चुदाई होती रही।

फिर एकदम से मेरे ननदोई आसिफ ने लण्ड मेरी सास की चूत से निकाल कर मेरी चूत में ठोक दिया.
वह मुझे सटासट चोदने लगा.

आशु ने लण्ड मेरी चूत से निकाल कर मेरी ननद की चूत में घुसा दिया.
वह ननद की बुर बड़ी मस्ती से लेने लगा.

और सास का देवर जो अभी मेरी ननद की बुर चोद रहा था, अब वह सास का ही भोसड़ा चोदने लगा, बोला- भाभी जान, आज तेरी चूत तेरी बहू बेटी के सामने खूब जम कर चोदूंगा। मुझे बेटी को माँ के सामने चोदने में और बहू को उसकी सास के सामने में ज्यादा मज़ा आता है।

फिर क्या … X फॅमिली चूत चुदाई की रफ़्तार बढ़ गई और तीनों की चूत एक साथ धकापेल चुदने लगी।

हम तीनों एक दूसरे को देख देख कर रंडियों की तरह चुदवाने लगीं।

वैसे भी कहते हैं कि रात में सभी औरतें एकदम रंडियां हो जाती हैं।
फिर रात भर हम तीनों ने मिलकर और लण्ड अदल बदल कर खूब मस्ती से चुदवाया।

तो दोस्तो, इस तरह मेरी सुहागरात में मेरी सास ननद दोनों मेरे साथ चुदीं।
Mast collection bro. I found a couple of stories posted by me ( copy paste type) too in this thread. But all are good stories. One request, kindly add some couple/ cuckoldry stories as well so this thread will then have all popular category stories.
Bicks
 

Premkumar65

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जवान सौतेली मम्मी की चूत चुदाई की लालसा-6




तक की मेरी सौतेली मम्मी की चुदाई की कहानी के पिछले भाग
जवान सौतेली मम्मी की चूत चुदाई की लालसा-5
में आपने पढ़ा था कि घर आते ही हम दोनों मम्मी बेटे अपनी चुदाई लीला में लग गए थे. कुछ देर की चूमा-चाटी के बाद हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे के सामने थे.

अब आगे:

फिर मैंने मम्मी को घुटने के बल बिठाते हुए सीधा खड़ा कर दिया और मैं भी अपने घुटने के बल खड़े होकर उनके जिस्म से सट गया.

अब हम दोनों के बदन पूरी तरह से एक दूसरे के नंगे बदन से चिपक गए थे.

मम्मी भी जोश में आ गयी थीं. हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया था. मम्मी के कड़क मम्मे मेरे सीने पर दब गए थे. हम दोनों बहुत गर्म हो रहे थे. नीचे मेरा तना हुआ लंड मम्मी की चुत से टकरा रहा था. मम्मी की चुत एकदम गीली हो गयी थी. उनकी चुत का गीलापन मेरे लंड को महसूस हो रहा था.

हम दोनों एक दूसरे की गांड और पीठ को सहला रहे थे, साथ में एक दूसरे की गर्दनों पर चूम भी रहे थे. मैं मम्मी को कभी उनके गाल पर, तो कभी होंठों को चूस रहा था. अजीब और मस्त सी फीलिंग हो रही थी.

दोस्तो, मैं आपको कैसे लिख कर बताऊं … बस उस आनन्द को सिर्फ महसूस ही किया जा सकता था. हम दोनों पूरी तरह से कामवासना में डूब चुके थे. हमें आस पास किसी भी चीज का कोई अहसास ही नहीं हो रहा था.

फिर मैंने मम्मी को बेड पर सीधा लिटा दिया. मैं कमरे की हल्की सी रोशनी में उनका पूरा नंगा जिस्म देख रहा था. क्या मस्त सेक्सी बदन था मम्मी का. उनके कड़क और गोल मम्मे एकदम से कड़क हो गए थे और उनके निपल्स तन गए थे. मम्मी की पतली सी कमर, सेक्सी नाभि और गीली हुई पड़ी माँ की चुत, जो रोशनी में चमक रही थी.
उनकी गोरी गोरी फैली हुई टांगें मेरे लंड को बेकाबू कर रही थीं.

मम्मी मस्त नशीली आवाज में बोलीं- हर्षद, अपनी आंखें फाड़कर क्या देख रहे हो? तुम बहुत बदमाश हो गए हो!
ये कहते हुए मम्मी ने अपने एक हाथ से मेरे तने हुए लंड को पकड़ा और सहलाने लगीं.

मैं भी जोश में आकर उनकी कमर पर बैठ गया. मम्मी के दोनों मम्मों को अपने हाथों से रगड़ने लगा. साथ में अपने दोनों हाथ के अंगूठों और एक उंगली के बीच में दबा कर दोनों निप्पलों को मींजने लगा.

उनके मुँह से मदभरी सिसकारियां निकलने लगीं. मैं चुचियां मसलते हुए मम्मी के होंठों को भी चूसने लगा.

मम्मी भी मेरे होंठ और जीभ चूसने लगीं. वे पूरी कामुकता से भरकर कसमसा रही थीं. शायद मेरी मम्मी झड़ने वाली थीं.
फिर मम्मी बोलीं- आह हर्षद … अब नहीं रहा जाता … मैं झड़ने वाली हूँ.

मैं उन्हें 69 की पोजीशन में ला दिया. मैंने अपना मुँह उनकी चुत पर रख दिया … और चुत को जीभ से चाट दिया.

इस स्पर्श से मम्मी के मुँह से ‘आहहह..’ निकल गयी. मैं लगातार चुत पर जीभ फेरता गया. उनकी टांगें अपने आप फैल गयी थीं. मम्मी की चुत से गर्म और खट्टा कसैला सा चुत रस बहने लगा था. मैं बहुत प्यार से उस नमकीन अमृत को पी रहा था.

मम्मी अपने हाथ से मेरा सर अपनी चुत पर दबाए जा रही थीं. साथ में एक हाथ से मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थीं.

दस मिनट तक हमारी चुत लंड की चुसाई चलती रही थी.

फिर अदिति बोलीं- अब बस भी करो हर्षद … अब मुझसे नहीं रहा जाता … तू जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चुत में डाल दो और बुझा दो मेरी चुत की प्यास.

मैं ये सुनकर उठ गया और उनकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया.

मैंने मम्मी की गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. इससे उनकी चुत ऊपर आ गयी.

मैंने मम्मी की टांगें और फैला दीं … और मेरे तने हुए लंड का टोपा मम्मी की चुत पर लगा दिया.

मैं उनकी चुत के ऊपर के दाने पर लंड का सुपारा रगड़ने लगा … तो मम्मी कसमसाने लगीं- ओह आह हर्षद बहुत मजा आ रहा है … आह मेरे राजा ऊं ऊं हाय हाय उहं उहं हर्षद अब नहीं रहा जाता … डाल दो ना अपना लंड मेरी चुत में … क्यों सता रहा है.

ये कहकर मम्मी नीचे से अपनी गांड उठाने लगीं. वो मेरे लंड को अपनी चुत में लेने को तड़प रही थीं. मम्मी के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां लगातार निकल रही थीं.

मुझसे भी मम्मी की हालत नहीं देखी जा रही थी. वो पूरी तरह से मदहोश हो गयी थीं. उनकी कामुक सिसकारियां की वजह से मैं भी पूरे जोश में आ गया था.

फिर मैंने अपने लंड के टोपे पर सौतेली मम्मी की चुत का रस लगाकर उसे चिकना कर दिया और उनकी फूली हुई गुलाबी चुत की फांकों में लंड रखकर अपने हाथों से लंड को दबाते हुए टोपा अन्दर डाल दिया.

मम्मी अपने मुँह से आहें भरती रहीं.

मैं नीचे को झुककर मम्मी की दोनों चुचियों को चूसने लगा. मम्मी सीत्कार भरकर बोलीं- ओह हर्षद प्लीज … लंड को और अन्दर डाल दो ना.

ये कहते हुए मम्मी नीचे से अपनी गांड ऊपर को उठाए जा रही थीं. मेरा भी लंड जोश आ रहा था.

फिर मैंने जोर से धक्का दे दिया, तो मेरा आधा लंड मम्मी की चुत में घुसता चला गया था.

मम्मी चिल्लाने लगीं- उई माँ … मर गई!

मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर उनकी आवाज बंद कर दी और उनके होंठों को चूसने लगा.

अदिति ने जैसे तैसे मुँह हटाया और कराहते हुए बोलीं- आह हर्षद … बहुत दर्द हो रहा है … मेरी चुत फट गई शायद.

ये कहकर वो मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. मैं भी उनकी जीभ को चूसने लगा था.

थोड़ी देर बाद मम्मी का दर्द थोड़ा कम हुआ, तो मैंने सीधा होकर अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर का धक्का दे मारा. इस बार मेरा पूरा लंड मम्मी की चुत की दीवारों को चीरते हुए अन्दर घुस गया.

फिर से मम्मी तिलमिलाकर चिल्लाने लगीं- हाय रे हर्षद फट गयी मेरी चुत … ऊई मम्मी ओह हाय अंह अंह हुँम हुँम..

मम्मी के मुँह से दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगी थीं. शायद उनकी चुत में बहुत दर्द हो रहा था. उनके चेहरे पर ये साफ दिख रहा था.

आंखें बंद करके मम्मी कहे जा रही थीं- आह … कितना कड़क और गर्म लोहे जैसा लंड है तेरा हर्षद … सच में मैं मर गई रे..

दोस्तों, मम्मी की चुत मेरे लंड हिसाब से काफी कसी हुई थी. मुझे मेरे लंड पर पूरा दबाव महसूस हो रहा था. मम्मी की चुत की दीवारों की जकड़न मुझे पागल किए दे रही थी.

मेरी मम्मी निढाल होकर लेटी थीं. उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे.

मैं उनके ऊपर लेट गया और उन्हें चूमते चूमते उनके चुचों को सहलाने लगा.

कुछ मिनट ऐसे ही हमारी चूमा-चाटी चलती रही थी. अब मम्मी अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और कमर को सहलाने लगी थीं. बीच में वो मेरी गांड को भी सहलाने लगीं … साथ में वो मेरे होंठों को भी चूम रही थीं.

अब धीरे धीरे उनका दर्द कम हो रहा था. हम दोनों की कामुकता फिर से बढ़ने लगी थी.

तभी मम्मी नीचे से अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. वो मुझे अपनी दोनों हाथों से अपनी बांहों में कसकर बोलीं- हर्षद, मैं झड़ने वाली हूँ.

मैं लंड थोड़ा बाहर निकाल कर जोर से धक्के देने लगा. मेरी छाती उनकी चुचियों से रगड़ रही थी. मम्मी कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं.

मैं सीधा होकर अब अहिस्ता अहिस्ता अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा, तो मम्मी भी अपनी गांड उठा उठाकर मेरा हथियार अपनी चुत मे ले रही थीं.

थोड़ी ही देर में अदिति ने अपना गर्म कामरस मेरे लंड पर छोड़ दिया. मैं उन्हें धकापेल चोदे जा रहा था.

उनके मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं. मम्मी अब तक दो बार झड़ चुकी थीं. मेरा लंड पूरी तरह से गीला हो गया था … तो अब बड़ी आसानी से चुत में अन्दर बाहर हो रहा था.

मम्मी को भी बहुत मजा आने लगा था. मम्मी बोलीं- अब और करो हर्षद … अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मेरे राजा … जल्दी जल्दी चोदो मुझे … और अपना रस गिरा दो … आह फाड़ दो मेरी चुत को … आह चुत में जल्दी से रस डाल दो … आज मैं सब सहन कर लूंगी … आह रुकना मत … होने दो मुझे दर्द.

मेरी सौतेली मम्मी कामुकता भरी आवाज में बोल रही थीं.

अब तक मैं भी बहुत बेकरार हो गया था. मम्मी की चुत चुदाई करते हुए मुझे आधे घंटे से ज्यादा समय हो चुका था. मेरा लंड अदिति की चुत में डंडे की तरह घुसकर बैठा था.

मैं सीधा होकर अपना लंड आधे से ज्यादा बाहर निकालकर जोर से धक्के मारने लगा. मेरा लंड मम्मी की चुत में पूरी गहराई में जा रहा था.

उधर मेरे हर धक्के से मम्मी के मुँह से जोर से सिसकारियां निकल रही थीं. साथ में वो अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा लंड चुत में ले रही थीं.
वो अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को मसल रही थीं.

अब मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगी थीं. मेरे हर धक्के के साथ मम्मी कराहने लगी थीं. चुत और लंड पूरी तरह से गीले होने के कारण फच फच की आवाजें आ रही थीं. साथ में अदिति और मेरी कामुक सिसकारियां से पूरा बेडरूम गूंजने लगा था.

हम दोनों की चुदाई का ये मधुर संगीत सुनने वाला कोई भी नहीं था. हम दोनों कामवासना में पूरी तरह से डुबकी लगा रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे कि हम जन्नत की सैर कर रहे थे.

फिर मम्मी बहुत जोश में आकर नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर तेजी से लंड अन्दर लेने लगी थीं. मैं समझ गया था कि मम्मी तीसरी बार झड़ने वाली हैं. उनका बदन अकड़ने लगा था.

मम्मी कह रही थीं- आह हर्षद अब नहीं सह सकती मैं … आह अब बुझा दो ना मेरी प्यासी चुत की प्यास … आह भर दो मेरी चुत को अपने वीर्य रस से.

मैं भी खुद को नहीं रोक पा रहा था. मैंने अपनी मम्मी की चुत में दस बारह जबरदस्त धक्के दिए, तो अदिति ने मेरे लंड पर अपना चुतरस का गर्म फव्वारा छोड़ दिया. साथ ही मेरे लंड से वीर्यपात होकर अदिति की चुत में भरने लगा.

अहाह … क्या अनुभव था दोस्तो … वाकयी मैं उस आनन्द को शब्दों में बयान नहीं कर सकता.

मेरा लंड मम्मी के गर्भाशय को छू रहा था. उधर मम्मी भी मस्त हो गयी थीं. वो मेरे वीर्य को अपनी चुत में महसूस कर रही थीं.

हम दोनों ही पूरी तरह से निढाल हो गए थे. मैं मम्मी के ऊपर ही लेटकर उनके होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगीं. मैं अपना सर मम्मी की गर्दन पर रखकर गर्दन को चूमने लगा.

तो मम्मी ने अपनी दोनों बांहों में मुझे कस लिया. ऐसे ही हम एक दूसरे को सहलाते हुए दस मिनट तक पड़े रहे. हमारी गर्म सांसें एक दूसरे की गर्दन पर महसूस हो रही थीं. उधर नीचे मेरा लंड सिकुड़ कर चुत से बाहर आ गया था.

मम्मी की चुत से हमारा दोनों का कामरस बहकर उनकी गांड से ऊपर से तकिया पर फैलने लगा था. फिर मैं मम्मी से अलग होकर साइड में लेट गया.

मम्मी का चेहरा मैं अपनी तरफ करके उन्हें चूमकर बोला- कैसा लगा अदिति?

अदिति के चेहरे पर कुछ अजीब सा आनन्द साफ़ दिख रहा था. वो बहुत खुश थीं. उनका चेहरा खिला हुआ था.

मम्मी बोलीं- क्या बताऊं हर्षद … मैं तो शब्दों में इस ख़ुशी को बता नहीं ही सकती … लेकिन तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी. क्या चोदते हो हर्षद तुम … मेरी चुत, कमर और जांघों में दर्द हो रहा है … लेकिन मजा ही बहुत आ रहा था हर्षद. तुम कितनी जोर से धक्के मारते थे … मेरी तो जान निकल गयी थी. कितना पॉवर है यार … तू मुझे एक घंटे से चोद रहा है. पहली बार मैंने अपनी चुत इतनी देर तक चुदवाई है. आज मैं बहुत खुश हूँ हर्षद. आई लव यू मेरे राजा.

ये कहकर मम्मी मुझे चूमकर उठ गईं. उन्होंने बिस्तर को देखा, तो तकिया पूरा खराब हो गया था. मम्मी ने अपनी नाईटी से अपनी चुत को और तकिया को पौंछ कर उसे एक साइड में रख दिया. इसके बाद मम्मी ने मेरे लंड को अच्छे से साफ किया और नाईटी नीचे फेंक दी.

अब हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए.

मम्मी अपने हाथ से मेरे लंड को बड़े प्यार से सहलाकर बोलीं- हर्षद, क्या लंड है तेरा … अब मैं तो इसकी दीवानी हो गयी हूँ.
वो लंड सहलाती रहीं.

मैं भी उनकी चुचियों को मसलकर बोला- अदिति, अब मेरा लंड सिर्फ तुम्हारा ही है. जब चाहो तुम्हारी सेवा के लिए हाजिर हो जाएगा.

मम्मी मुझे चूमने लगीं. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

मैं मम्मी से बोला- अब तैयार हो गई तुम?
मम्मी मेरे लंड को जोर से दबाकर बोलीं- हां हर्षद … अब इसका इलाज करना ही पड़ेगा ना!

रात के एक बज चुके थे. फिर मैं मम्मी के ऊपर चढ़ गया. मैंने दो बार उनकी जमकर चुदाई की और सुबह के पांच बजे हम एक ही रजाई में एक दूसरे से लिपट कर सो गए.

मेरी सौतेली मम्मी की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी,
Very very sexy Story.
 

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मेरी सास की वासना मेरे लंड से शांत हुई


मेरा नाम राज है.

मेरी सास का नाम शिवानी है. उनकी उम्र 45 साल है. सासू मां का फिगर 38-34-40 का है. रंग हल्का सांवला सा है लेकिन वो देखने में बहुत मस्त माल दिखती हैं.

एक दिन की बात है, जब मैं अपनी पत्नी को उसके मायके छोड़ने गया.
तो उसकी मम्मी, मतलब मेरी सास ही घर में अकेली थीं. ससुर जी शहर से कहीं बाहर गए थे.

उसी समय इत्तेफाक से एक फोन आ जाने के कारण मुझे कुछ जरूरी काम निकल आया.
वो काम मेरी ससुराल के शहर में ही था, तो मुझे अपनी ससुराल में रुकना पड़ गया.

मैं अपनी बीवी के साथ जब ससुराल पहुंचा था, तो उस वक्त रात भी काफी हो चुकी थी.

हम सभी लोगों ने मतलब मैं, मेरी पत्नी और मेरी सास ने साथ में बैठ कर खाना खाया.
खाने के बाद मेरी पत्नी अन्दर वाले रूम में सोने चली गई.
मैं गेस्ट रूम में सोफे पर लेट गया. मेरी सास का कमरा गेस्ट रूम के ठीक सामने था, जिसकी खिड़की हमेशा खुली रहती थी.

मैं काफी रात तक फोन चलाता रहा.
फिर मैं बाथरूम जाने के लिए उठा तो देखा सास के कमरे से मोबाइल में वीडियो चलने की आवाज आ रही थी.

मैंने खिड़की के नजदीक खड़े होकर देखा तो सास अपनी साड़ी को ऊपर किए अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.

शायद वो मोबाइल में सेक्स वीडियो देख कर ही अपनी चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रही थी.
मुझे ये सीन काफी हॉट लगा, तो मैं खिड़की की आड़ में खड़ा होकर सास का हस्तमैथुन देखता रहा.

उनकी मादक जवानी को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैं अपना लंड हिलाते हुए मुठ मारने लगा. कुछ ही देर में मेरे लंड का पानी वहीं निकल गया और मैं हाथ में लंड पकड़े हुए बाथरूम में चला गया.

बाथरूम से आने के बाद मैं गेस्ट रूम में सोफे पर लेट गया और सो गया.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरी सास एक ब्लैक साड़ी में मेरे सामने चाय लेकर खड़ी थीं.
मैं सास को देखता रहा.

सास ने मुस्कुरा कर पूछा- क्या हुआ दामाद जी … चाय पी लीजिए.

मैं कुछ नहीं बोला और रात का सीन इमेजिन करके अपनी सास की चुत और मम्मों की नंगी छवि को अपने मन मस्तिष्क में उकेरने लगा.

सास ने मुझे मम्मों को ताड़ते देखा, तो वो हंस कर चली गईं.

मैं अब भी रात के बारे में सोच रहा था. मैंने ठान लिया था कि सास को चोदने के बाद ही मैं यहां से जाऊंगा.

उतने में मेरी पत्नी भी तैयार होकर आ गई.
वो बोली- मैं जरा अपनी सहेलियों के यहां होकर आती हूं. आप खाना खा लेना और अपना जो भी काम हो, वो कर लेना.

मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ. मुझे ऐसे ही किसी वक्त का इंतजार था.

मैंने अपनी पत्नी से बोल दिया- ठीक है, जब तुम अपनी सहेलियों के पास से लौटना, तो आने से पहले मुझे एक कॉल जरूर कर लेना ताकि मैं भी अपना काम समेट लूं.
वो हां कह कर चली गई.

मैं वहीं बैठे बैठे टीवी देखने लगा.

उतने में सास जी मेरे पास आईं और बोलीं- नाश्ते में आप क्या खाएंगे?
मैंने बोला- आपका जो मन करे, वो बना लीजिए.
सास बोलीं- ठीक है … आप नहा लीजिए. मैं अभी नाश्ता बना देती हूं.

इसके बाद सास मेरी तरफ गांड करके मटकते हुए किचन में चली गईं.
मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया और उनसे पूछने लगा- लाइये मैं आपको कुछ हेल्प कर देता हूँ.
वो हंस कर बोलीं- नहीं नहीं … मैं कर लूंगी.

मैंने भी स्माइल करके उनको देखते हुए दांत दिखा दिए.

इतने में उनकी साड़ी का पल्लू गिर गया, तो वो उठाने को नीचे झुक गईं.
आए हाय … उनके मस्त गोल मम्मों की घाटी देख कर लंड टन टन करने लगा.

मैं अपनी सास की चूचियां देख कर मदहोश हो गया था और बस उनके दूध देखता ही रह गया.
उसी समय सास ने मुझे देख लिया और वो समझ गईं कि मैं उनके मम्मों को देख रहा हूँ.

सास बोलीं- क्या हुआ … ऐसे क्या देख रहे हैं?
मैंने झट से नजरें हटाईं और बोला- क..कुछ नहीं ऐसे ही.

फिर मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया कि आप रात में क्या कर रही थीं?
मेरी इस बात पर वो चौंक गईं और बोलीं- कब?

मैंने बोला- रात में जब मैं बाथरूम जाने लिए उठा था तो खिड़की से आपको देखा था. आप मोबाइल में देखते हुए कुछ कर रही थीं.
वो ये सुनकर शर्मा गईं और बोलीं- कुछ नहीं … बस यूं ही गाने सुन रही थी.

मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और बोला- अब बता भी दीजिए मुझसे क्या शर्माना!
सास बोलीं- छोड़ो मुझे … आप ये क्या कर रहे हैं.
मैंने बोला- वही, जो आपको चाहिए है और उसी के लिए आप अपनी उंगली को परेशान कर रही थीं.

मेरे इतना बोलने के बाद वो भी चुप हो गईं और उन्होंने अपने हाथ पैर हिलाना बन्द कर दिए.

मेरी सास मुझसे बोलने लगीं कि बहुत दिनों से तुम्हारे ससुर जी बाहर हैं … तो खुद से करना पड़ता है.
मैंने बोला- खुद से क्यों … मैं तो हूं!

मेरी सास ये सुनते ही बोल पड़ीं- अगर प्राची को पता चल गया तो?
प्राची मेरी पत्नी का नाम है.
मैंने बोला- उसे कुछ पता नहीं चलेगा. उसके आने से पहले सब हो जाएगा.

इस बात पर मेरी प्यासी सास हंस दीं.
उनको हंसते देख कर मैंने एक मिनट की भी देरी नहीं की. मैंने पीछे से उनके मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा.

वो भी गर्म आहें भरने लगीं- उफ्फ आह्ह्हह!

मैंने सास को सीधा करके अपने सीने से लगाया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा.
साथ ही मेरे दोनों हाथ सास की गांड के ऊपर रख कर उनकी मखमली गांड को दबाने लगा.
सच में बड़ी मस्त और एकदम टनाटन गोल गांड थी.

इतने में सास ने मेरे लोवर में अपना हाथ डाल दिया और मेरे लंड को जोर से दबाने लगी.
मुझे इससे और भी ज्यादा मजा आने लगा.

मैं उनकी साड़ी को उतारने लगा. सास की साड़ी उतार कर मैंने किचन के फर्श पर फेंक दी और उनको गोद में उठा कर गेस्ट रूम में ले आया.

इधर मैंने उनको सोफे पर लिटा दिया और मैं सास के ऊपर चढ़ गया.
अब हम दोनों किस करने लगे.

मैं अपनी सास के मम्मों को जोर जोर से दबाते हुए उनकी आंखों में वासना से देखने लगा.
साथ ही मैंने सास के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए. मेरी सास अन्दर ने काली ब्रा पहनी हुई थी, जिसमें वो और भी मस्त माल लग रही थीं.

वो बोलीं- अब मत तड़पाओ दामाद जी. जल्दी से मेरी आग शांत कर दो.

मैं उनके ऊपर से उठा और अपनी टी-शर्ट निकालने लगा.
उतने में उन्होंने भो उठ कर मेरा लोअर नीचे कर दिया और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मैंने भी जोर जोर से उनके मुँह में अपना लंड पेलना चालू कर दिया.
इसी बीच मैंने सास का ब्लाउज उतार कर अलग कर दिया और उनके बाल पकड़ कर अपना लंड चुसवाने लगा.
कुछ मिनट तक लंड चुसवाने के बाद मैंने उनको सोफे पर लिटा दिया और उनका एक पैर ऊपर करके उनकी झांट रहित चूत में थूक लगा दिया.

फिर सास की लपलप करती चुत में मैंने अपना लंड रख दिया. लंड का सुपारे सास की चुत से टच हुआ तो सास की एक मादक सिसकारी निकल गई.
मैंने उनकी सिसकारी सुनी, तो झटका दे दिया.
सास की कराह निकल गई. वो अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ने लगीं.

मैंने सास की चुत में आधा लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

वो मस्ती से ‘आह्हह उफ्फ ..’ करने लगीं और बोलीं- आह मजा आ गया … आप पूरा लंड पेल दो दामाद जी.
मैंने दूसरे झटके में पूरा लंड उनकी चूत की जड़ तक पेल दिया.

वो ‘आई आह्हहह मर गई ..’ करने लगीं.
मैं जोर जोर से उनको चोदने लगा और सास ‘उफ्फ आह्ह उफ्फ ..’ करती रहीं.

मैंने उन्हें चोदते हुए ही उनकी ब्रा को उतार दिया और उनके दोनों मम्मों को बारी से चूसने लगा.

सास मस्ती से मचलते हुए चुत चुदवा रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने लंड चुत से खींचा और उनको औंधा होने के लिए कहा.
सास समझी नहीं, तो मैंने उनसे घोड़ी बनने को बोला.

सास एक चुदासी रंडी की भाषा में बोलीं- चाहे जिस पोज में चोद लो दामाद जी … बस आज मेरी फाड़ दो. आप मेरी गांड भी मार लो … आह आज से मैं आपकी रंडी सास हूं. मुझे जोर जोर से चोदो.

सास जैसे ही घोड़ी बनी तो मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और पीछे से उंगली करके सास की गांड में भी थूक लगा दिया.
फिर सास के बाल पकड़ कर मैंने उनकी गांड में लंड सैट कर दिया.

सुपारा गांड के फूल को खोलने लगा, तो वो ‘आईआ … ऊऊऊ उफ्फ आह्ह ..’ करने लगीं.
मैंने जोर से झटका मारा, तो लंड का आगे का हिस्सा सास की गांड में घुसता चला गया.

सास ‘ऊऊऊऊ उफ्फ़ आहह ..’ करने लगीं.
मगर वो बोलने लगीं- रुकना मत … आह आज फाड़ दो मेरी गांड.
मैंने बोला- हां ले मेरी रंडी सास … साली आज तेरी गांड फाड़ ही दूंगा.

बस मैं अपनी सास को गाली देते हुए जोर जोर से उनकी गांड में लंड पेलने लगा.
दस मिनट तक सास की गांड मारने के बाद मैंने उनकी गांड के अन्दर ही लंड का पानी निकाल दिया.

सास हांफते हुए बोलीं- दामाद जी … आह आज मैं बहुत खुश हूं. तुमने मुझे मस्त कर दिया.

फिर हम दोनों अलग हो गए.

सास ने अपने कपड़े उठाए और अपने कमरे में चली गईं.
मैं बाथरूम में चला गया.

कुछ ही देर में मेरी बीवी का फोन आ गया.
मैंने उससे कह दिया कि थोड़ी देर लग जाएगी, अभी काम नहीं हो पाया है.

फिर मैं घर से निकल गया और एक घंटे बाद वापस आ गया.

उस दिन मैंने ससुराल में ही रुकने का मन बना लिया था.
सास ने भी मनुहार करके रुकने के लिए कहा … तो मेरी बीवी भी कहने लगी- हां आज रुक जाओ, कल चले जाना.

मैं मान गया और शाम को दारू का इंतजाम करने के लिए बाजार चला गया.
मेरी बीवी को मालूम है कि मैं दारू पीता हूँ.
मैंने उससे कहा कि आज शाम को कुछ स्पेशल बना देना.
वो समझ गई.

बाद में सास ने पूछा तो मैंने उन्हें दारू की बात कह दी, तो वो धीरे से मेरे नजदीक आकर बोलीं- मेरे लिए भी ले आना.

बस अब क्या था. रात को मैंने बीवी को नींद की दवा खिलाने का जिम्मा सास को दे दिया और उन्होंने दूध में मिला कर मेरी बीवी को नींद की दवा पिला दी.

प्राची सोई तो सास और दामाद की दारू पार्टी शुरू हो गई.
उस रात मैंने अपनी सास की दो बार चुत चोदी और एक बार गांड मारी.

सुबह मैं ससुराल से निकल गया.

इसके बाद से जब भी मुझे मौका मिलता, तो मैं अपनी सास को बाजारू रंडी बना कर चोद लेता हूं.
Mast saas mili hai bhai..
 
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