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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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मेरी विधवा मॉम की चुदाई की मस्ती



मेरी मॉम का नाम सतवंत कौर है.
उनकी उम्र 45 के करीब होगी लेकिन वो अब भी पूरी कड़क माल हैं.
मॉम का फिगर 38-32-40 का होगा.

मेरे पिता की मृत्य के बाद मेरी मॉम बिल्कुल चुपचाप रहने लगी थीं और काफ़ी झटक गई थीं, उनके चेहरे से मानो खुशियां गायब सी हो गई थीं.

मगर न जाने ऐसा क्या हुआ कि कुछ ही सालों में वो ऐसी निखर गईं कि उनके चूचों की चर्चा पूरे इलाके के बच्चों से लेकर बड़ों तक पहुंच गई थी.
सभी लोग मेरी मॉम को गंदी नज़र से देखने लगे थे क्योंकि मेरी मॉम सुबह झाड़ू लगाने जब बाहर जाती थीं, तब लोग मेरी मॉम की चूचियां जो शर्ट से बाहर झाँक रही होती थीं, उन्हें देख कर लंड हिलाने लगते थे.

मैंने कई बार अपनी मॉम को नंगी नहाते हुए देखा है और मैं रोज उनके नाम की मुठ मारता हूँ.
ऐसे ही एक दिन मैं मॉम को नंगी नहाते हुए देख रहा था और मॉम उस वक्त अपनी चूत की झांटें साफ़ कर रही थीं.

वो हॉट विडो पूरी नंगी थीं और बिंदास अपनी झांटों से खेल रही थीं.
उन्हें मेरी कोई फ़िक्र इसलिए नहीं थी क्योंकि मैं सुबह से ही कॉलेज की कह कर निकल गया था मगर मैं उस दिन मॉम को लेकर काफी गर्म था तो वापस आकर उन्हें बाथरूम में नंगी नहाते देखने लगा था.

अपनी चूत की सफाई करने के बाद मॉम ने एक प्लास्टिक का लंड लिया और उसे चूस कर अपनी चूत में डालने निकालने लगीं.

मॉम को हस्त मैथुन करते देख कर मैं भी गर्मा गया और अपने लंड की मुठ मारने लगा.

कुछ ही देर में मॉम झड़ गईं और मैं भी अपने चरम पर आ गया था.

मैं आँख बंद करके कल्पना कर रहा था कि मेरी मॉम मेरे लंड को चूस रही हैं.
मैं बुदबुदाता हुआ कराह रहा था- आअहह रंडी सतवंत … चूस मेरा लौड़ा आज़ा साली आअहह.

तभी मैं झड़ गया और अपने कमरे में आकर कुछ देर बाद बाहर चला गया.

मेरा एक दोस्त है, उसका नाम नमन है.
वो शरीर का काफ़ी तगड़ा है और वो ज्यादांतर ग़ांज़ा फूंकने वालों के साथ रहता था.
लेकिन वो मेरा पक्का दोस्त था और वो काफी समय से मेरे घर आता जाता था.

उसकी मेरे घर में बिंदास एंट्री थी. मेरी मॉम भी उसे काफी पसंद करती थीं.
जब मैं घर पर नहीं भी होता था, तब भी वो मेरे घर आ जाता था.
पता नहीं क्या करता था वो!

मैंने उसे पर नजर रखना शुरू की तो पाया कि मेरी मॉम उससे काफी हंस कर बातें करने लगी थीं.

एक दिन मैंने मॉम के मोबाइल को चैक किया तो उसमें मॉम और नमन के बीच काफी सेक्सी चैट थी.
नमन मेरी मॉम को ब्लूफिल्म की क्लिप्स भी भेजता था.

ये सब देख कर मैं समझ गया कि नमन ने मेरी मॉम को सैट कर लिया है और वो शायद मेरी मॉम को चोद भी चुका है.

अब मैं उस फिराक में था जब मैं मॉम और नमन की चुदाई को देख सकूँ.

मेरे मन में मॉम को लेकर कामुकता भरी हुई थी मगर माँ बेटे के रिश्ते को लेकर मैं अपनी मॉम को चोदने में हिचक रहा था.

एक दिन मैं स्कूल गया हुआ था और मॉम घर पर अकेली थीं.
नमन भी उस दिन स्कूल नहीं आया था.

मुझे शक हो गया था और मैं स्कूल से भाग आया.
जैसे ही मैं घर पहुंचा और मैंने देखा कि नमन और उसके दो अन्य दोस्त, जो उसी की तरह काले और तगड़े थे, मेरे घर में जा रहे थे.

मैं भी पीछे पीछे चला गया और सबकी नजरों से बचता हुआ मैं अपने कमरे में चला गया.
मेरे कमरे की खिड़की से दूसरे रूम की खिड़की दिखती है, मैं उसमें से देखने लगा.

मॉम उस समय बाथरूम में नहा रही थीं, उनके बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी.

मेरी मॉम को ये पता था कि मैं स्कूल गया हूँ. जबकि वो तीनों मेरी मॉम के कमरे में पूरे नंगे होकर अपने लम्बे लंड हाथ में लेकर खड़े हो गए थे.

शायद मॉम को ये लगा था कि घर पर कोई नहीं है और वो नंगी ही बाथरूम से बाहर आकर रूम में आ गईं.
तो उन्होंने मेरी मॉम को देखा और उनकी नंगी की वीडियो बनाने लगे.

वो तीनों एक पर्दे के पीछे छिपे थे. फिर वो सारे एकदम से बाहर आ गए.
उन्होंने पहले ही कमरे का गेट अन्दर से बंद कर लिया था.

मेरी मॉम बिल्कुल नंगी थीं और अल्मारी के पास एक आइने के पास खड़ी थीं, तो मॉम कुछ देख ही नहीं पाईं.

वो सब चुपचाप मॉम का वीडियो बनाते रहे.
तभी नमन ने आगे बढ़ कर मॉम के सामने अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया.

नमन को अचानक से अपने सामने देख आकर मॉम पहले तो चौंक गईं फिर वो नमन से चिपक कर चूमाचाटी करने लगीं.
उसी वक्त उन्हें नमन के दोनों साथी भी दिख गए.

वो खुश हो गईं और नमन से कहने लगीं- तू मेरे लिए मस्त लंड वाले लौंडे लाया है.

अब मेरी मॉम बहुत मस्ती में नाचने लगीं.
उनकी मस्ती देख कर साफ़ लग रहा था कि मेरी भारी चुदक्कड़ हो गई हैं.

उनको एक लंड से पूरा नहीं पड़ता है इसलिए वो तीन तीन लौंडों से चुदने को बेताब दिख रही थीं.

मॉम को नंगी देख कर मेरा भी हाल खराब हो गया था. मैंने भी मॉम और उन तीनों की वीडियो बना ली.

उसके बाद उन्होंने मेरी मॉम को पकड़ लिया और एक ने मेरी मॉम के मुँह में लंड दे दिया.
एक मेरी मॉम की चूत चाटने लगा और नमन मॉम के चुचे ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और काट रहा था.

साथ में ज़ोर ज़ोर से वो मेरी मॉम की गांड पर झापड़ भी मार रहा था.
करीब दस मिनट तक यही सब चलता रहा.

मेरी मॉम ने नाचना बंद कर दिया और वो उन तीनों के लंड पूरे मजे से चूसने लगीं.
वो तीनों भी मेरी मॉम की चूचियां चूस रहे थे, मसल रहे थे.

मेरी मॉम के चुचे पूरे लाल हो चुके थे.
बाद में मेरी मॉम ने तीनों के लंड साथ में चूसना शुरू कर दिए और मस्ती से लौड़े चूसती ही रहीं.

करीब दस मिनट के बाद नमन ने मेरी मॉम सतवंत कौर के मुँह में ही सारा माल छोड़ दिया और मॉम के मुँह में गले तक लंड पूरा डाल दिया.

मॉम सांस नहीं ले पा रही थीं. वो छटपटाईं तब जाकर नमन ने अपना लंड मेरी मॉम के मुँह से निकाला.

कुछ देर बाद एक दूसरे लड़के ने अपना लंड मॉम के मुँह में पेल दिया.
अब मॉम फिर से छटपटाने लगी थीं. दूसरे लड़के ने शायद मन बना लिया था कि इस बार वो अपने लंड को मुँह में ही झाड़ कर लंड बाहर निकालेगा.

यही हुआ … दूसरा लड़का मॉम के मुँह में लंड पेले रहा और मेरी मॉम छटपटाती रहीं.

बाद में उस लड़के ने मॉम की नाक भी बंद कर दी और लंड का रस झाड़ने लगा.
मेरी मॉम तड़पने लगीं और वो लड़का मॉम के मुँह में ही झड़ता गया.

मॉम को पूरा का पूरा माल पीना पड़ा क्योंकि वो कुछ कर ही नहीं सकती थीं.

उसके बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला.
उस दौरान मॉम का मुँह पूरा लाल हो चुका था और मॉम बिल्कुल रंडी लग रही थीं.

फिर दो लड़के सामने सोफे पर बैठ कर आराम करने लगे और कुछ देर बाद नमन ने मॉम की टांगें खोल कर उनकी चूत पर लंड टिका दिया.

लंड सैट होते ही उसने एक ज़ोरदार झटका मारा.
मेरी मॉम बहुत ज़ोर से चिल्लाईं- आआहह आराम से नमन … साले एकदम से लंड पेल डाला है … बहुत दर्द हो रहा है और तेरा है भी बहुत बड़ा.

लेकिन नमन ने मेरी मॉम के मुँह पर बहुत ज़ोर से थप्पड़ मारा और कहने लगा- रंडी साली, कल तू चलने लायक नहीं रहेगी इतनी बेदर्दी से चूत मारूंगा तेरी कि आज आलूबंडा सी सुजा दूँगा.

फिर वो कुतिया सतवंत बोल बोल कर मॉम को चोदने लगा.
मॉम दर्द के मारे चिल्ला रही थीं. मॉम की चीख सुन कर दोनों लड़के खुश हो रहे थे.

नमन के निपटने के बाद उन्होंने भी मॉम को अपने लंड पर बिठाया. उन दोनों ने एक साथ मेरी मॉम सतवंत की चूत और गांड में दो लंड पेल दिए.

मेरी मॉम की चूत फट चुकी थी ऐसा लग रहा था. दर्द के मारे मॉम की आवाजें निकल रही थीं.

काफी देर तक उन दोनों ने मॉम को ऐसे ही चोदा.
मेरी मॉम इतनी ज़ोर से चिल्ला रही थीं कि मेरी रंडी मॉम की आवाज़ मोहल्ले के लोगों ने भी सुन ली होगी.

करीब आधा घंटा बाद उन्होंने लंड निकाल कर मॉम की चूत में एक साथ दो लंड पेल दिए और मॉम की चूत फट गई थी. काफ़ी खून निकल रहा था.

मेरी मम्मी को हद से ज्यादा दर्द हो रहा था.
बाद में नमन ने मेरी मॉम की गांड में लंड डाल दिया.

करीब 15 मिनट बाद उन दोनों ने चूत में से लंड निकाला और सारा माल मॉम के मुँह में टपका दिया.
मेरी मॉम ने एक रंडी की तरह सारा माल बड़े मजे से पी लिया.

अब नमन की बारी फिर से आ गई थी. उसने मॉम को 5 मिनट और चोदा और कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ, कहां लेगी माल?
मॉम ने कहा- मुँह में.

लेकिन नमन बोला- मैं तेरी चूत में ही निकालूँगा.
मेरी मॉम अपने आपको बचाने लगीं. मगर उतनी देर में उन दोनों ने मॉम को पकड़ लिया.

अब नमन बहुत जोश में आ गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा.
उसने मॉम के मना करने के बाद भी सारा का सारा माल मेरी मॉम की चूत में ही गिरा दिया और बाद में लंड की मदद से सारा माल बच्चेदानी तक पहुंचा दिया.

उसके बाद नमन ने कहा कि अगर तूने ये बच्चा गिराया, तो तेरी वीडियो वायरल कर देंगे.
मॉम हंस कर बोलीं- अब मुझे किसी का डर नहीं है.

उसके बाद से नमन मेरी मॉम को चाहे जब चोदने लगा था.
मॉम का पेट फूलने लगा था तो हॉट विडो मॉम ने मुझे भी अपने भरोसे में लेकर नमन से अपने जिस्मानी रिश्तों की बात कबूल कर ली थी.
मैंने भी कुछ नहीं कहा.

मगर अब मैं भी अपने घर में ही मॉम के सामने अपना लंड हिलाने लगा.

शुरू में मॉम ने कहा मगर तब भी मैं अपना लंड हिलाता रहा.
अब उन्होंने मुझसे कहना बंद कर दिया और मेरे सामने ही नमन को लेकर कमरे में चुदने चली जाती हैं.

अब मेरी मॉम प्रेग्नेंट हैं, आठ महीने हो गए हैं. उस कमीने का बच्चा भी आने वाला ही है.

मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं.
आप लोग मुझे बताएं कि मैं अपनी मॉम को पकड़ कर चोद दूँ या उनके सामने ही किसी लौंडिया को लाकर चोदूं, जिससे मैं भी अपनी मॉम की तरह घर में बिंदास मजा ले सकूँ.
 
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junglecouple1984

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लॉकडाउन में ससुर बहू की चुदाई की मस्ती- 1


नमस्कार दोस्तो, मैं कोमल मिश्रा

मेरी एक बहुत खास सहेली है, जिसका नाम नैना है.
हम दोनों ने 12 वीं तक एक साथ पढ़ाई की थी और उसके बाद दोनों का साथ छूट गया था.

हालांकि हम दोनों हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहे, मैं उसकी शादी में भी गई थी.

उसके ससुराल चले जाने के बाद से अभी कुछ दिन पहले ही मेरी और उसकी मुलाकात हुई क्योंकि देश में लॉकडाउन के कारण 2 साल वो अपने मायके नहीं आई थी.

हम लोग अपनी अपनी जिंदगी के बारे में बातें कर रहे थे और साथ ही अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी बात कर रहे थे.

शादी के पहले भी नैना ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स के काफी मजे लिए थे.
हम दोनों पक्की सहेलियां थीं इसलिए एक दूसरे से हर चीज खुलकर बता देती थीं.

मैंने भी अपने बारे में हर बात उसे बताई और उसने भी शादी के बाद कि सभी बातें मुझे बताईं.

जब मैंने उसकी बातें सुनी तो मैं चौंक गई.
पहले तो मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ लेकिन उसने मुझे पूरे सबूत के साथ अपनी सच्चाई बताई और अपनी सच्चाई को साबित करने के लिए उसने मेरे सामने ही अपने ससुर से फोन पर बात भी की जिसमें उसने खुलकर अपने ससुर से चूत और लंड की बात की.
इसके अलावा भी उसने मुझे कुछ प्राइवेट फ़ोटो भी दिखाए जिसमें नैना और उसके ससुर पूरी तरह से नंगे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे.

दोस्तो, वो एक बेहद ही गर्म प्रवृत्ति की लड़की है और चुदाई को इतना ज्यादा पसंद करती है कि चुदाई के बिना रह पाना उसके लिए मुश्किल है.
जब मुझे यकीन हो गया कि वो जो भी बता रही है, वो सच है … तो मैंने सोचा क्यों न इसकी ये कहानी मैं Xforum पर भेज दूँ.

इसलिए मैंने उसे सब कुछ बताया कि मैं Xforum पर कहानियां लिखती हूँ और तेरी कहानी को भी मैं वहां भेजना चाहती हूं.
इस पर उसने भी अपनी सहमति देते हुए मुझे हर एक बात बताई.

छोटी से छोटी जानकारी भी उसने मुझे दी, जिसके आधार पर मैंने आप लोगो के लिए ये कहानी लिखी है.
मुझे पूरा विश्वास है कि आपको ये कहानी जरूर पसंद आएगी.

मैंने इस कहानी को लिखने में बहुत समय लिया है क्योंकि बीच बीच में मैं नैना से फोन पर जानकारियां हासिल करती रही और उसे कहानी में जोड़ती रही.
नैना ने भी कहानी लिखने में मेरी काफी मदद की और मुझे हर वो छोटी से छोटी बात बताई, जिससे कहानी को और ज्यादा कामुक बनाया जा सकता था.

अभी मेरी कलम और नैना की जुबान से आपके सामने सेक्स कहानी पेश है.

मेरा नाम नैना है और मेरी उम्र 24 साल की है.
मेरी शादी को हुए 3 साल हो चुके हैं लेकिन अभी मुझे और मेरे पति को बच्चा नहीं चाहिए … इसलिए हम लोग फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं.

मैं आपको अपने जिस्म के बारे में बता दूँ.
मैं एक खूबसूरत लड़की हूं, बदन भरा हुआ है. मेरा रंग गोरा और फिगर 36-30-38 का है.

मेरे जिस्म का मुख्य आकर्षण अंग मेरे बड़े बड़े दूध और बड़ी सी गांड है जिस पर किसी भी मर्द की निगाहें अटक जाना स्वाभाविक है.

मेरे ससुराल में मैं, मेरे पति, एक देवर और मेरे ससुर जी ही हैं.
मेरी सास का देहांत हुए 12 साल हो चुके हैं और परिवार में हम चार लोग ही रहते हैं.

शादी के समय मेरे पति अपना खुद का एक बिजनेस चलाते थे लेकिन उसमें लगातार नुकसान होने के कारण उन्होंने उसे बंद कर दिया और शादी के 9 महीनों बाद ही वो सूरत में जाकर नौकरी करने लगे.
वो वहां अकेले रहते हैं और घर पर हम तीन लोग ही रह गए.

दोस्तो, जब से मैंने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तब से ही सेक्स मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया था.
स्कूल टाइम से ही मेरा एक बॉयफ्रेंड बन गया था, जिसके साथ मैंने चुदाई की शुरूआत कर दी थी.

उसके बाद मेरे ही मोहल्ले में एक लड़के के साथ मेरा सम्बन्ध बना, जिसके साथ भी मेरा काफी समय तक जिस्मानी सम्बन्ध रहा.
शादी के पहले ही मैं चुदाई करवाने की आदी हो चुकी थी.

उसके बाद मेरी शादी हो गई और मैं अपनी ससुराल आ गई.
इसके बाद मेरे पति के अलावा मेरा किसी के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था.

मेरे पति मुझे हर तरह से संतुष्ट कर देते थे, जिससे मुझे कभी किसी और मर्द की जरूरत नहीं पड़ी.
शुरू के 9 महीने तक तो वो साथ में रहे लेकिन उसके बाद वो सूरत चले गए और मैं अपने देवर और ससुर जी के साथ घर पर अकेली रहने लगी.

वो छह महीने में एक बार ही आते थे और मुश्किल से एक हफ्ते रुकने के बाद चले जाते थे.
मेरी आदत ऐसी थी कि मुझे तो रोज ही चुदाई का सुख चाहिए था लेकिन अब वो मुझे नहीं मिल रहा था.

मैं रात में अपने कमरे में अकेली बिस्तर पर लेटी हुई करवट बदलती रहती थी और जब कभी मुझसे सहन नहीं होता था तो अपनी उंगलियों से ही अपने आप को शांत करने की कोशिश करती.
लेकिन उससे भी मेरी प्यास नहीं बुझती थी.

धीरे धीरे समय आगे बढ़ रहा था और मेरे बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी.

कई बार मेरे दिमाग में आया कि किसी मर्द को अपना दोस्त बनाया जाए, जिससे मेरी प्यास वैसे ही बुझती रहे जैसे कि शादी से पहले बुझती थी.

लेकिन यह बहुत मुश्किल काम था क्योंकि मेरे घर ऐसा कोई आता जाता भी नहीं था और मैं अकेली कहीं भी बाहर जाती नहीं थी जिससे मेरी किसी मर्द के साथ दोस्ती हो सके.

दोस्तो, दुनिया में इंसान हर चीज को कंट्रोल कर सकता है लेकिन चुदाई की भूख ऐसी चीज है कि उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता.
और ऐसी स्थिति में ही लोग सारे रिश्ते नाते भूल जाते हैं.

मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ और मेरी गंदी निगाह मेरे देवर की तरफ जाने लगी.

मेरा देवर जो कि मुझसे काफी छोटा है और उसकी उम्र 19 साल की है.
वो दिखने में भी पतला दुबला है लेकिन हॉट लड़की की भूख ये सब भूल चुकी थी.
मुझे बस वो एक मर्द नजर आ रहा था जिसके पास एक लंड था, जिसकी मुझे जरूरत थी.

धीरे धीरे मैं वासना की मारी उसके ऊपर डोरे डालने लगी.
देवर भाभी का रिश्ता भी मजाक का होता है जिससे किसी को शक भी नहीं होता था.

घर पर मैं गाउन ही पहनती थी और उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अन्दर ब्रा और चड्डी नहीं पहनती थी ताकि मेरा गाउन मेरे जिस्म पर चिपका रहे और मेरे अन्दर के अंग उसके सामने झलकते रहे.

मैं जानबूझकर उसके सामने झुककर काम किया करती ताकि मेरे दूध उसे दिखे और उसके बदन में भी गर्मी आ जाए.
उसके सामने जब मैं बिस्तर पर या सोफे पर लेटती तो अपने गाउन को घुटनों के ऊपर तक उठा लेती ताकि मेरी गोरी जांघ पर उसकी नजर पड़े.

जब कभी भी मैं उसके साथ बाइक पर कहीं जाती तो उससे चिपक कर बैठती और अपने सीने को उसकी पीठ पर दबाती ताकि मेरे दूध का स्पर्श उसे मिले.
अब ये मेरा रोज का काम हो गया था.

जब भी ससुर जी घर पर नहीं होते तो मैं उसके सामने बार बार जाती और किसी न किसी बहाने से अपना अंग प्रदर्शन करती.
लेकिन मेरे ऐसा करने का उस पर किसी भी प्रकार से कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था.

वो एक पढ़ाकू किस्म का लड़का है और अपनी पढ़ाई में ही खोया रहता था.
मेरे अंग प्रदर्शन करने से उसके अन्दर कुछ होता ही नहीं था.

अब मैं सीधा उसका लंड तो पकड़ नहीं सकती थी.
बस मुझे उसके द्वारा एक इशारे का इंतजार था लेकिन वो मुझे बिल्कुल भी भाव नहीं दे रहा था.

कई महीनों तक मेरे द्वारा ये खेल चलता रहा लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता देख मैंने अब आर या पार करने की सोच ली.

अब मैं ऐसा कुछ करना चाहती थी, जिससे कि मेरे देवर का दिमाग हिल जाए और वो मेरा दीवाना हो जाए.

इसलिए एक दिन सुबह 10 बजे तक मैंने घर का सारा काम खत्म कर लिया. घर पर मैं और मेरा देवर ही थे और ससुर जी किसी काम से बाजार गए हुए थे.

मेरा देवर सोफे पर लेटा हुआ टीवी देख रहा था.
उसी समय मैं नहाने के लिए बाथरूम चली गई. करीब 20 मिनट नहाने के बाद मैं चड्डी और ब्रा पहनी और अपनी चड्डी को और ऊपर की ओर सिकोड़ ली, जिससे कि मेरे बड़े बड़े चूतड़ चड्डी के बाहर निकल आए.

ऐसे ही ब्रा और चड्डी पहने हुए मैं बाथरूम से बाहर निकल आई.
मैंने सोफे पर लेटे हुए अपने देवर को ऐसे अनदेखा किया जैसे कि मैंने उसे देखा ही नहीं था.

बिना सोफे की तरफ देखे हुए हाथ में गीला तौलिया लिए मैं सोफे के सामने से गुजरी और थोड़ा आगे जाने के बाद जानबूझकर तौलिया नीचे फर्श पर गिरा दिया.

सोफे की तरफ मेरी पीठ थी और मैंने झुककर तौलिया उठाया, उसके बाद मैंने एक उंगली से अपनी चड्डी को ठीक की, जो कि मेरी गांड के दरार पर घुस गई थी.
मैं जान रही थी कि मेरे देवर की नज़र गांड से चड्डी ठीक करते हुए मुझ पर पड़ी होगी और उसने मेरी गांड को गौर से देखा होगा.

चड्डी ठीक करते हुए मैं धीरे धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी.
फिर मैंने सोचा कि पलटकर अपने देवर को देखूं कि उसका क्या हाल है.

मैंने अपने बालों को झटकारते हुए अपना सर पीछे की तरफ किया और पीछे का नजारा देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई.

दोस्तो सोफे पर उस वक्त मेरा देवर नहीं बल्कि मेरे ससुर जी लेटे हुए थे और वो एकटक मुझे घूरे जा रहे थे.
मेरी गांड फट गई और मैंने जोर से दौड़ लगाई और अपने कमरे में चली गई.

कमरे में पहुंचकर मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं, दिल की धड़कन अपने पूरी रफ्तार में थी.
मेरे हाथ पैर कांप रहे थे.

मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि ये क्या हो गया.
मेरा देवर कहां गया और ससुर जी वहां कब आ गए?

मैंने अपना माथा ठोकते हुए खुद से कहा कि मुझसे ये क्या हो गया.
ये सब देखकर ससुर जी क्या सोचते होंगे?
मैं उनके सामने ब्रा चड्डी में कैसे चली गई और मेरी ऐसी गंदी हरकत देख वो क्या सोच रहे होंगे.

मैंने अपने कपड़े पहने और काफी देर तक बिस्तर पर बैठकर इस घटना के बारे में सोचती रही कि अब कैसे बाहर जाऊं, ससुर जी क्या सोचेंगे.

इधर खाना बनाने का समय होता जा रहा था और किसी तरह से मैं नजरें नीचे किए हुए बाहर निकली.
उस वक्त बाहर कोई नहीं था और मैं जल्दी से किचन में चली गई.

खाना बनाने के बाद मैंने नजरें नीचे किए हुए देवर और ससुर को खाना दिया और खाना खाने के बाद अपने कमरे में आ गई.

कुछ दिनों तक मैं ऐसी कोई भी हरकत नहीं की क्योंकि मेरे अन्दर काफी डर समा गया था.
लेकिन कुछ दिनों बाद मेरे अन्दर वासना का कीड़ा फिर से मचलने लगा.

मैंने अपने देवर के सामने अपनी हरकतें फिर से शुरू कर दीं, लेकिन मेरी किसी भी हरकत का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था.

ऐसे ही एक दिन मैं गाउन पहने हुए घर का काम कर रही थी.

उस दिन मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी जिससे मेरा गाउन बार बार मेरी गांड की दरार में घुस रहा था.
मैं बार बार अपनी गांड से गाउन को बाहर निकाल रही थी.

उस वक्त मैं घर पर अकेली ही थी.
फिर अचानक से मेरी गांड के छेद में जोरों से खुजली हुई और मैं उंगली से गाउन के ऊपर से ही छेद को जोर जोर से खुजाने लगी.

उसी समय मेरे ससुर का आना हुआ और उन्होंने मुझे अपनी गांड खुजाते हुए देख लिया.
जैसे ही मेरी नजर उन पर पड़ी, मैं तुरंत वहां से चली गई.

मैं सोच में पड़ गई कि ‘हे भगवान … ये सब क्या हो रहा है. मेरी ऐसी हरकत बार बार ससुर जी क्यों देख लेते हैं.’
काफी दिनों तक ऐसा ही सब चलता रहा.

फिर एक दिन मुझे पता चला कि मेरा देवर अपनी पढ़ाई के लिए बाहर जाने वाला है.
उस दिन मेरी सारी उमीदें टूट गईं और मैं समझ गई कि अब मेरा कुछ नहीं हो सकता.

कुछ दिन बाद ही मेरा देवर पढ़ाई के लिए बाहर चला गया और अब मैं और ससुर जी ही घर पर अकेले रह गए.
मेरी जिंदगी भी पहले की तरह चलती रही और अभी भी मुझे अपनी उंगलियों का ही सहारा लेना पड़ता था.

लेकिन दोस्तो, मैंने कई बार गौर किया कि ससुर जी का नजरिया पहले से बदल गया था.
उनका मुझे देखने का तरीका मुझसे बात करने का तरीका, इन सबमें काफी फर्क आ गया था.

अब वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ खाने के लिए लाने लगे, मेरे लिए साड़ी खरीद कर लाने लगे और यहां तक कि मेरे लिए गाउन भी खरीद लाते थे.

इससे पहले वो कभी ऐसा नहीं करते थे इसलिए मुझे उन पर थोड़ा शक होने लगा था.

अब जब भी मैं साड़ी पहनती तो उनकी नजर मेरे पेट पर और कमर पर टिक जाती थी.
मैं घर का काम करती रहती और उनकी नजर मुझे ही देखती रहती थी.

धीरे धीरे ऐसा होना शुरू हो गया कि जब भी मैं उन्हें चाय पानी देने जाती तो वो मेरे हाथों को छूने लगे.
उनकी निगाहों में मुझे मेरे प्रति हवस साफ साफ दिखाई दे रही थी.

मेरे ससुर की उम्र 54 साल है और वो शरीर से काफी हट्टे-कट्टे मर्द हैं.
उनके शरीर पर बुढ़ापे का एक भी असर नहीं दिखाई देता और वो अभी पूरी तरह फिट हैं.

लेकिन वो थे तो मेरे ससुर ही … और मैं उनके लिए ऐसी गंदी बात सोच भी नहीं सकती थी.

अब कोई मुझे गलत समझे या सही … अपनी वासना से मजबूर होकर मैं भी उनके प्रति झुकने लगी.

जिस्म की आग तो मेरे अन्दर भी लगी हुई थी और मैंने भी उनको जलाना शुरू कर दिया और मैं जानबूझकर उनके सामने झुककर काम करने लगी, जिससे मेरे बड़े बड़े गोरे दूध उनको नजर आए.

धीरे धीरे मैं उनके साथ वैसा ही करने लगी, जैसा मैं अपने देवर के साथ किया करती थी.
मेरे ससुर इस मामले में होशियार थे और वो मेरी इन हरकतों को अच्छे से भांप गए.

जल्द ही वो मुझे देख कर मुस्कुरा देते और उन्हें देखकर मेरे चेहरे पर भी हल्की मुस्कुराहट आ जाती.
अब हाल ये हो गया था कि दोनों के बदन पर बारूद लगा हुआ था, बस कमी थी उस बारूद में आग लगाने की.

लेकिन पहल कोई भी नहीं कर रहा था दोनों के ही मन में एक दूसरे का डर था क्योंकि दोनों का रिश्ता ही ऐसा था और ऊपर से हम दोनों कि उम्र भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती थी.
मेरे ससुर मुझसे 30 साल के बड़े थे.

इधर मैंने भी सोच लिया था कि अगर ससुर जी ने मेरे साथ कुछ करना चाहा, तो मैं उन्हें मना नहीं करूंगी क्योंकि मुझे अपने जिस्म की आग अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
 

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लॉकडाउन में ससुर बहू की चुदाई की मस्ती- 2


पहले भाग

मैं ससुर जी के सामने नंगी चली गयी
में अभी तक आपने कहानी में पढ़ा कि किस तरह से मेरी सहेली नैना अपने जिस्म की आग में जल रही थी, जिसके कारण उसने पहले अपने देवर पर डोरे डाले लेकिन सफल नहीं हुई. इसके बाद नैना और उसके ससुर के बीच ऐसा कुछ होने लगा, जिससे कि नैना उनके ऊपर आकर्षित होने लगी.

अब आगे की सेक्स कहानी में पढ़ते हैं कि क्या नैना और उसके ससुर के बीच कुछ हो पाया था या नहीं.

दोस्तो मैं नैना, आपको बता रही थी कि मेरे और ससुर जी के बीच एक दूसरे को गंदी निगाहों से देखने का खेल काफी समय से चल रहा था.

हम दोनों ही घर पर अकेले रहते थे. मैं उन्हें रिझाने के लिए अक्सर गाउन के अन्दर चड्डी ब्रा नहीं पहनती थी जिससे गाउन मेरे जिस्म पर चिपका रहता था और मेरे अन्दर के अंग गाउन से झलकते थे, जिन्हें देखने के लिए मेरे ससुर बार बार मेरे सामने आते थे.

हम दोनों के बदन में ही चुदाई की गर्मी भरती जा रही थी और हम दोनों ही जानते थे कि दोनों के दिल में क्या चल रहा है लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी को कुछ बोले या आगे बढ़ कर पहल करे.

फिर साल 2020 में अचानक से सारे देश में लॉकडाउन लग गया.
इस बीच न हम लोग कहीं जाते थे और न ही हमारे यहां कोई आता था.

मेरे पति और देवर का भी आना मुश्किल हो गया था क्योंकि सभी साधन बंद हो चुके थे.

अब मैं और ससुर जी सारा दिन घर पर ही रहते.
इस बीच हम दोनों के बीच की वासना अपने चरम पर पहुंच गई.

ससुर जी की हवस भरी नज़रें मुझे बेहद ही गंदी तरह से देखने लगीं और अब मुझसे भी अपने आप पर कंट्रोल नहीं होता था.

मैं रोज अपनी उंगलियों से अपने आप को शांत करने लगी लेकिन फिर भी मेरा बदन किसी मर्द को पाने के लिए उतावला हो गया था.

आखिर में वो दिन आ ही गया जब हम दोनों का सब्र टूट गया.

हुआ यूं कि एक दिन शाम को खाने से पहले मैं खाना खाने के लिए ससुर जी को बुलाने उनके कमरे में गई.

उस वक्त वो बिस्तर पर बैठे हुए थे और सामने मेज पर शराब रखकर पी रहे थे.
मैं उन्हें खाने के लिए बोली और वापस चली आई.

कुछ समय बाद वो खाना खाने के लिए आए और हम दोनों ने खाना खाया.
खाना खाने के बाद मैं साफ सफाई करने लगी और फुर्सत होकर अपने कमरे में जाने लगी.

तभी मेरे ससुर जी ने मुझे आवाज लगाई.
मैं उनके कमरे में गई तो उन्होंने मुझसे पानी लाने के लिए कहा.

मैं पानी का जग लेकर उनके पास गई और उन्होंने पानी अपने दारू वाले गिलास में भरा और बाक़ी का जग का पानी अपने जग में भर लिया.
फिर उन्होंने दारू का एक सिप पिया.

जब मैं उनसे खाली जग वापस लेने लगी तो उन्होंने मेरे हाथों को बड़े प्यार से सहलाया और मुझे देखते हुए मुस्कुरा दिये.
उन्हें देख कर मेरे चेहरे पर भी मुस्कान की लहर आ गई.

ऐसा होना हम दोनों के लिए अब आम बात हो गई थी.

तभी अचानक से ससुर जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक झटके में मुझे अपनी ओर खींचकर मुझे अपनी गोद में बिठा लिया.

मैं उनसे छूटने के लिए जोर लगाने लगी और बोली- ये क्या कर रहे है आप पापा जी … छोड़िये ये सब गलत है. आपने ज्यादा पी ली है शायद इसलिए भूल गए हैं कि मैं आपकी बहू हूँ.
ससुर जी- हां मैंने ज्यादा पी ली है नैना और ये कुछ भी गलत नहीं है. नैना, हम दोनों ही को पता है कि हम एक दूसरे से क्या चाहते हैं. आज तुम मुझे मत रोको. तुम भी एक मर्द का साथ पाने के लिए तड़फ रही हो.

मैं- नहीं नहीं पापाजी, आप मुझे छोड़ दीजिए. ये सब किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी होगी, आप इस बात को समझिए.
ससुर जी- जब कोई किसी को बताएगा, तभी तो किसी को पता चलेगा. जो बात रहेगी, हम दोनों के बीच रहेगी.

इतना कहते हुए उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरी चिकनी कमर को कस कर पकड़ लिया.
वो मेरे गालों को चूमने लगे.

मैं मचल रही थी और बोले जा रही थी- नहीं पापाजी, ऐसा मत कीजिए.
लेकिन मजा मुझे भी आ ही रहा था और मैं केवल झूठा विरोध कर रही थी.

कुछ देर में मेरा विरोध भी खत्म हो गया और मैं भी उनसे लिपट गई.

मन ही मन मैं बहुत खुश हो रही थी और सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि आज ससुर जी ने शराब पी ली, जिससे उनके अन्दर इतनी हिम्मत आ गई कि उन्होंने शुरूआत कर दी.

कुछ देर मेरे गालों को चूमने के बाद उन्होंने मेरे चेहरे का दोनों हाथों से थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.
मैं भी उनके होंठों से होंठ लगा कर उनको चुम्बन में साथ देने लगी थी, साथ ही मैं अपने हाथों से उनके बालों को सहलाने लगी थी.
वो भी समझ गए थे कि चिड़िया ने दाना चुग लिया है.

वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालने की कोशिश करने लगे थे.
खुद मैं इतनी जोश में आ गई थी कि अपनी जीभ निकाल कर उनके मुँह में डालने लगी जिसे वो अपने दांतों से हल्के हल्के काटते हुए चूसने लगे.

मैं उनकी जांघ पर बैठी हुई थी और उन्होंने मेरी साड़ी कमर तक निकाल दी थी.

मेरे सामने टेबल पर ससुर जी का दारू का ग्लास बना रखा था.
मुझे प्यास लग रही थी और मेरा गला सूख रहा था.
मैंने झट से उनका पैग उठाया और एक ही सांस में हलक के नीचे उतार लिया.

ससुर जी ने ये देखा तो मुस्कुरा दिए.

मैं उनकी बांहों में अतृप्त यौवना सी मचल रही थी.
अब मेरे अन्दर भी शराब की मस्ती छाने लगी थी.

फिर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और बिस्तर पर खींच लिया.
बिस्तर पर ले जाकर उन्होंने तुरंत अपनी बनियान निकाल दी और मेरी साड़ी को भी अलग कर दिया.

एक झटके में वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे चेहरे को जोर जोर से चूमने लगे.
हम दोनों ही बेहद उतावले हो गए थे और एक दूसरे को तेजी से चूम रहे थे.

कुछ देर बाद ससुर जी मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगे, लेकिन मेरे दूध के कसाव के कारण बटन खुल नहीं रहा था.

ससुर जी बेहद उतावले हो चुके थे और उन्होंने दोनों हाथों से ब्लाउज को पकड़ा और एक झटके में सामने से ब्लाउज फाड़ दिया, जिससे सारे बटन टूट गए.
अन्दर ब्रा नहीं होने के कारण मेरे दोनों दूध एक झटके में उछल कर उनके सामने तन गए.

मेरे बड़े बड़े तने हुए दूध देखकर ससुर जी जैसे पागल से हो गए.
उन्होंने मेरे मम्मों पर हमला बोल दिया और अपने दांतों से मेरे निप्पलों और स्तनों को बारी बारी से काटने लगे.

मेरे बड़े बड़े दूध पर वो जगह जगह काटे जा रहे थे और मैं मचलती जा रही थी- आआह हहआ आहह पापा जी आआ हह कैसे कर रहे हैं … आआ हह दर्द हो रहा है पापा जी … आऊऊच आआ आहह.

ससुर जी मेरे मम्मों को बिल्कुल निचोड़ रहे थे और मुझे काफी तकलीफ हो रही थी लेकिन मैं भी उस समय पूरे जोश से भरी हुई थी और अपनी शर्म को दूर करते हुए अपने आप को उनको सौंप चुकी थी.

वो दोनों हाथों से मसलते हुए दोनों मम्मों को बुरी तरह से चूम रहे थे.

फिर वो अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे पेटीकोट के अन्दर डालने लगे लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़ लिया.

मेरे रोकने के बावजूद उन्होंने अपना हाथ अन्दर डाल दिया और मेरी जांघ को सहलाते हुए अपना हाथ मेरी चूत तक ले गए.
मैंने चड्डी भी नहीं पहनी थी और उनका हाथ मेरी चूत पर चला गया.

उन्होंने अपने अंगूठे से चूत को मसलना शुरू कर दिया और चूत से निकल रहा पानी उनके अंगूठे पर लग रहा था जिससे अंगूठा चिपचिपा हो गया और उन्होंने अंगूठा चूत में डाल दिया.

‘ऊईईई आहहह आह नहींईईई रुकिए आहहह रुकिए.’

फिर उन्होंने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और एक झटके में पेटीकोट नीचे खींच दिया.
अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गई थी.

उन्होंने भी अपनी चड्डी निकाल दी और पहली बार मैंने उनका लंड देखा.
लंड देखकर ही मैं समझ गई कि ये मेरी हालत खराब कर देंगे.

उनका लंड लगभग 8 इंच लंबा और काफी मोटा था.
उन्होंने मेरी चूत को देखा और मेरे दोनों पैरो को एक साथ झटके से फैला दिया और अपना मुँह चूत पर लगाकर चाटने लगे.

मैं जोर जोर से उछलने लगी क्योंकि उनके चाटने से मुझे काफी गुदगुदी हो रही थी- आह हहह आहहह ऊईईई मां आआऊच ओह होह रुकिए आहहह!
जल्द ही मेरी चूत पानी से भर गई थी.

मेरे ससुर भी काफी उतावले हो गए थे और वो तुरंत ही मुझे चोद लेना चाहते थे.
वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे पैरों को फैलाकर लंड को चूत में लगाया और तुरंत एक धक्का लगा दिया.

लंड चूत को फैलाते हुए आधा अन्दर तक घुस गया.
तुरंत ही उन्होंने दूसरा धक्का भी लगा दिया और लंड चूत के आखिरी छोर तक पहुंच गया- ऊईईई मम्मी रेरेए … मर गई.

मुझे हल्का ही दर्द हुआ लेकिन बहुत अच्छा लगा.
कई दिनों बाद मेरी चूत ने लंड का स्वाद चखा था.

ससुर जी ने मुझे जकड़ लिया और अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर लगाकर मुझे अपने सीने से लगा लिया.
अब उन्होंने दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए.

‘आह आह ऊईईई ऊईईई धीरे धीरे आह आआऊच आह …’
ऐसी आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगीं.

जिस हिसाब से वो मुझे चोद रहे थे उससे मुझे पक्का यकीन हो गया कि ससुर सेक्स के एक माहिर खिलाड़ी हैं और इनके साथ मुझे बहुत मजा आने वाला है.
ऐसी चुदाई करने का स्टाइल न मेरे बॉयफ्रेंड का था और न ही मेरे पति का … और न ही ऐसा लंड ही उन दोनों के पास था.

सुसर जी को चोदते हुए करीब 2 मिनट ही हुए थे कि उन्होंने अपना सारा माल मेरी चूत में उड़ेल दिया.
अब तक तो मैं झड़ी भी नहीं थी लेकिन मैं जानती थी कि इनका पहला बार है अभी और वो काफी उतावले होकर चोद रहे थे.

इसके बाद उनका समय और ज्यादा होने वाला है.
क्योंकि पहली बार सभी का जल्दी ही निकल जाता है.

फिर ससुर जी उठे और बगल में लेट गए.
कुछ देर बाद मैंने भी अपने पेटीकोट से अपनी चूत को पौंछा और चादर ओढ़कर लेट गई.

दोस्तो, आप ससुर सेक्स की हिंदी कहानी अगले के भाग में पढ़कर जानिए कि कैसे ससुर जी ने 3 महीने के लॉक डाउन में चोद चोद कर मेरी हालत खराब कर दी और कैसे हमने एक दूसरे को चुदाई का मजा देते हुए एक दूसरे की जरूरत को पूरी किया.
 
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लॉकडाउन में ससुर बहू की चुदाई की मस्ती- 3


कहानी के दूसरे भाग

में आपने पढ़ा कि मेरे और ससुर जी के बीच हमारी पहली चुदाई हो गई.

हालांकि ये चुदाई केवल दो मिनट की थी लेकिन मुझे यकीन था कि ससुर जी आगे अपना जलवा जरूर दिखाएंगे.
उनके लंड को देखकर ही मुझे अंदाजा लग गया था कि वो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर सकते हैं.

तो दोस्तो, कहानी में आगे क्या हुआ, वो जानते हैं.

मैं और ससुर जी एक बार चुदाई करने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए थे.
मैंने तो चादर ओढ़ रखी थी लेकिन ससुर जी ऐसे ही खुले में नंगे लेटे हुए थे.

जल्द ही उनका बड़ा सा लंड सिकुड़ कर बैठ गया.
ससुर जी का बदन पसीने से भीग चुका था और वो आंख बंद किए लेटे हुए थे.

मैं भी लेटी हुई पहली चुदाई के बारे में सोच रही थी.
हम दोनों के बीच आज से एक नए रिश्ते की शुरूआत हो गई थी लेकिन इस रिश्ते को हम दोनों ही किसी के सामने नहीं ला सकते थे.

मुझे खुशी इस बात की थी कि अब मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए घर पर ही एक लंड का सहारा मिल गया था.
भले ही वो मेरे ससुर हैं और मेरे बाप की उम्र के थे लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए यह सब कर रहे थे.

मुझे इस बात का बिल्कुल भी पछतावा नहीं था क्योंकि अगर मैं बाहर किसी से चुदाई करवाती तो भी बदनामी होनी ही थी. इससे अच्छा है कि घर में ही मुझे अब सब कुछ मिल जाएगा.
यही सब सोचते हुए मैं ससुर जी के लंड की तरफ देख रही थी जो कि सिकुड़ गया था और उसका सुपारा बाहर निकला हुआ मेरी तरफ ही था.

इतने बड़े सुपारे को मैं पहली बार ही देख रही थी क्योंकि इतना बड़ा लंड और सुपारा न तो मेरे बॉयफ्रेंड का था और न ही मेरे पति का.

कुछ देर बाद मेरे ससुर जी ने अपनी आंख खोली और मेरी तरफ देखा.
मैंने शर्म से अपनी आंखें बंद कर लीं.

उन्होंने मुझसे कहा- नैना, तुम चिंता न करो, ये सब बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी हम दोनों ही इस बात को गुप्त रखेंगे.
मैंने भी अपना सर हिलाकर सहमति जताई.

इसके बाद ससुर जी ने मेरे चादर को एक झटके में हटा दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
इसके बाद तो हम दोनों फिर से गुत्थमगुत्था होने लगे.

कभी मैं ससुर जी के ऊपर आती, कभी वो मेरे ऊपर आते.
इस तरह हम दोनों ही बिस्तर पर पलटते रहे.

कुछ देर बाद हम दोनों रुके और मैं ससुर जी के ऊपर थी. मेरे बड़े बड़े दूध उनके सीने पर दबे हुए थे.

उन्होंने मेरे सर को नीचे किया और मेरे होंठों को चूमने लगे.
मैं भी उनका साथ देने लगी.

ससुर जी अपने दोनों हाथों से मेरे उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए दबा रहे थे.
फिर मेरे चूतड़ को फैलाकर अपनी एक उंगली को गांड के छेद पर रगड़ते हुए नीचे चूत तक ले जाते और उंगली को चूत में डाल देते.

उनके बार बार ऐसा करने से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और मैं अपनी जीभ ससुर जी के मुँह के अन्दर डालने लगी, जिसे वो बड़े प्यार से चूस लेते.

मेरे पेट में उनका गर्म गर्म लंड महसूस हो रहा था जो कि अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और उनका सुपारा मेरी नाभि में घुस रहा था.
उनके लंड से निकल रहा चिपचिपा पानी मेरी नाभि को गीला कर चुका था.

फिर कुछ देर बाद ससुर जी ने मेरे दोनों निप्पलों को अपने सीने के बगल से बाहर निकाला क्योंकि मेरे दूध उनके सीने में दबे हुए थे.
वो मेरे दोनों निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगे.

ऐसा करने से मेरे बदन के अन्दर करंट सा दौड़ने लगा और मैं अपने दूध को उनके सीने पर रगड़ने लगी.
उनके सीने पर बहुत बाल थे जिसके कारण जल्द ही मेरे दूध पर कई जगह जलन होने लगी.

फिर ससुर जी ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद घुटनों पर बैठ गए. उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.
मैंने भी अपनी दोनों टांगें फैलाईं और उनकी कमर में टांग डालकर उनके गले में अपनी बांहें डाल दीं.

ससुर जी ने नीचे से मेरे चूतड़ को एक हाथ से थामते हुए मुझे सहारा दिया और मुझे चूमने लगे.
कभी गाल पर कभी गले पर, कभी होंठ पर कभी सीने पर.

वो एक हाथ से मेरी गदराई हुई पीठ को सहलाते जा रहे थे.
मैं भी आंख बंद किये उस हसीन पल का मजा ले रही थी.

कुछ देर में ही मेरी चूत पानी से भर गई और टप टप करते हुए पानी ससुर जी के हाथ में गिरने लगा.
ससुर जी ने उस पानी को मेरी गांड पर लगाने लगे.

जल्द ही मेरी गांड पूरी तरह से चिपचिपा गई.
अब ससुर जी ने अपने नीचे लगाए हुए हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दिया.

‘ऊईईई अम्मा … हाय आह.’

ससुर जी उंगली को अन्दर बाहर करने लगे जिससे कि पोच्च पोच्च की आवाज निकल रही थी.

मैंने कहा- ये क्या कर रहे हैं आहह!
ससुर जी- यही सब में तो मजा आता है, तू बस मजा लेती रह!

कुछ देर तक ऐसे ही मैं उनसे लिपटी रही.
फिर उन्होंने अपने लंड को चूत में रगड़ना शुरू कर दिया.
वो बोले- ऐसे ही डाल रहा हूँ मजा आएगा.
ऐसा बोलते ही उन्होंने लंड अन्दर डाल दिया और मेरी गांड को जोर से अपनी तरफ दबा लिया जिससे उनका पूरा लंड एक बार में ही अन्दर तक समा गया.

ससुर जी ने मेरी कमर को थामा और मुझे ऊपर नीचे करने का इशारा किया.

मैं अपनी कमर को नागिन की तरह लहराने लगी जिससे लंड अन्दर बाहर होने लगा.
ऐसा मैंने कभी नहीं किया था और मुझे इस पोजीशन में काफी मजा आ रहा था.

ससुर जी भी दोनों हाथों से मेरी गांड को थामे हुए गांड को आगे पीछे कर रहे थे और उनका लंड मेरी चूत में बिल्कुल अन्दर तक जा रहा था.

इसके बाद ससुर जी ने मुझसे कहा- तुम घुटनों पर होकर बैठ जाओ.
और मैं वैसे ही हो गई.

वो मेरे पीछे आए और मेरी गांड की तरफ से मुझे जकड़ लिया.
अब वो लंड चूत में डाल कर हल्के हल्के से मुझे चोदने लगे.

इस पोजीशन में भी मुझे काफी मजा मिल रहा था लेकिन मैं चाह रही थी कि ससुर जी मुझे जोर जोर से चोदें जिससे मेरा पानी निकल जाए.

कुछ देर ऐसे चोदने के बाद ससुर जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे दोनों पैरों को फैला दिया.
एक बार फिर से वो मेरी चूत को चाटने लगे.

उन्होंने मेरी चूत को हाथ से फैलाया और मेरे चूत के दाने, जिसे कुछ लोग लहसुन भी कहते हैं, उसे अपने मुँह में भरकर चूसने लगे.

मुझे उस वक्त फुल सेक्स का असीम आनन्द मिल रहा था.
‘सीईईई ईई ऊईईई आह आह.’ की आवाज के साथ मैं उस मजे को ले रही थी.

कुछ देर बाद ससुर जी मेरे ऊपर आ गए और उन्होंने एक झटके में अपना लंड चूत में पेल दिया.

इस बार उनकी रफ्तार शुरू से ही काफी तेज थी और वो दनादन मेरी चुदाई शुरू करने लगे थे.

मैंने बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ लिया और आंख बंद किए हुई लंड का मजा लेती रही.

सारा कमरा मेरी आवाजों से गूंज रहा था.

ससुर जी ने मेरे एक हाथ को ऊपर की तरफ उठा लिया और मेरे अंडरआर्म को चाटने लगे.
पूरा पलंग उनकी चुदाई से बुरी तरह से हिल रहा था.

मेरी चूत पानी से भर गई थी और फच फच की आवाज निकल रही थी.
इस पोजीशन में उन्होंने मुझे करीब 10 मिनट तक बुरी तरह से चोदा, जिससे मैं झड़ गई और उनसे लिपट गई.

अभी भी ससुर जी मुझे चोदे जा रहे थे और उनका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था.

कुछ देर बाद ससुर जी ने मुझे बिस्तर से बाहर उतार कर मुझे खड़ी कर दिया और मेरे पीछे आ गए.
मेरी कमर को दोनों हाथ से थाम लिया और लंड मेरी गांड की तरफ से चूत में डाल कर जोर जोर से चोदने लगे.

मुझे खड़े होते नहीं बन रहा था क्योंकि उनके हर धक्के से मैं आगे की ओर चली जाती थी.
उन्होंने मुझे बुरी तरह से जकड़ लिया और अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदने में लगे थे.

इस बीच मैं दूसरी बार भी झड़ गई और मेरी चूत का पानी फर्श पर गिरने लगा.

ससुर जी ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरा एक पैर उठाकर पलंग पर रख दिया और अब सामने से चूत में लंड डाल दिया.
मैं उनके गले में बांहें डालकर एक पैर पर खड़ी थी और वो मेरी गांड को थामे हुए जोर जोर से चोदने लगे.

बीच बीच में वो मेरी जांघ को सहला रहे थे और अपने सीने से मेरे दूध को दबाये जा रहे थे.
ससुर जी को मुझे चोदते हुए अभी तक आधा घंटा हो गया था और मैं दो बार झड़ गई थी लेकिन उनका पानी नहीं निकल रहा था.
मैं जानती थी कि ये लंबी रेस के घोड़े हैं और अब वो वैसा ही कर भी रहे थे.

उन्होंने इस पोजीशन में चोदते हुए मेरे गदराए जिस्म को निचोड़ लिया था. सारा बदन पसीने से भीग चुका था और मेरी हालत खराब हो गई थी.

फिर एकाएक ससुर जी ने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी और मेरे अन्दर ही झड़ गए.
उनके गर्म गर्म पानी के कारण मैं भी उसी समय झड़ गई.
ये मेरा झड़ने का तीसरा अवसर था.

इस धुंआधार चुदाई से हम दोनों ही बेहद बुरी तरह से थक गए थे और जल्द ही दोनों लोग नंगे बदन ही सो गए.

सुबह 8 बजे मेरी नींद खुली. उस वक्त भी हम दोनों नंगे एक दूसरे से लपटे हुए सो रहे थे.
मैं ससुर जी से अलग हुई और अपने कपड़े लेकर बाथरूम चली गई.

नहा धोकर हम दोनों ने चाय नाश्ता किया.

जब मैं रसोई में दोपहर का खाना बना रही थी, उस वक्त ससुर जी बाहर कमरे में बैठे हुए मुझे देख रहे थे.
मैं उस वक्त केवल गाउन पहने हुई थी.

अचानक से ससुर जी रसोई में आए और पीछे से मुझे जकड़ लिया और मेरे गाउन को कमर तक उठा लिया.

मैं दोनों हाथ से आटा गूंथ रही थी.
मैंने उनसे कहा- अभी नहीं, अभी ऐसा कुछ न कीजिए, पहले मुझे खाना बना लेने दीजिए.

बड़ी मिन्नतों के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा, नहीं तो वो वहीं मुझे चोद देते.

खाना बनाने के बाद जब मैं रसोई से बाहर निकली, ससुर जी सोफे पर बैठे हुए लुंगी के ऊपर से ही अपना लंड सहला रहे थे.

उन्होंने मुझे देखा और इशारे से अपने पास बुलाया.
मैं समझ गई कि इनका फिर से मुझे चोदने का मन है.

मैंने अपने गाउन को पूरी तरह से उतारा और पूरी तरह से नंगी हो गई.

ससुर जी ने भी अपनी लुंगी निकाल दी और पूरी तरह से नंगे होकर सोफे पर बैठ गए.

मैं उनके पास गई और अपनी दोनों टांगें फैलाकर उनके लंड को चूत पर लगा कर उस पर बैठ गई.
फचफचाता हुआ पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.

मैं उनके गले में अपनी बांहें डालीं और लंड पर कूदने लगी.
ससुर जी मेरे एक दूध को मुँह में भर कर चूसने लगे.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी धुंआधार चुदाई करने लगे.
जल्द ही मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मुझे घोड़ी बनाये चोदे जा रहे थे.

फिर उन्होंने लंड बाहर निकाला और मेरी गांड के छेद में लंड डालने लगे लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने कहा- नहीं नहीं पापा जी, वहां मत डालो, वहां नहीं जाएगा.

‘जाएगा क्यों नहीं … जब छेद है तो पक्का जाएगा, तू बस देखती जा.’
‘अरे यार अभी नहीं, वहां से बाद में कर लेना न.’

‘क्यों पीछे से चालू नहीं है क्या?’
मैंने कहा- हां, मगर उधर से ज्यादा नहीं किया है.

मैं मना करती रही, पर ससुर जी नहीं माने और अपना थूक छेद में लगाकर लंड डालने लगे.

जैसे ही उनका सुपारा अन्दर गया उन्होंने एक बार में ही पूरा लंड अन्दर पेल दिया.

मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुआ और मेरी चीख़ निकल गई.
उन्होंने मुझे जकड़ लिया और सोफे पर लेटा दिया.

कुछ देर में ही उन्होंने मेरी गांड की ज़ोर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी.
जल्द ही मुझे भी मजा आने लगा और उन्होंने मुझे फिर से घोड़ी बना दिया.

मेरे ससुर ने मेरी गांड की बहुत बुरी तरह से चुदाई की.

मैं चुत से फिर से झड़ गई और उन्हें रोकती रही लेकिन वो तब तक नहीं माने जब तक कि अपना पानी मेरी गांड में नहीं डाल दिया.
इस बार भी उन्होंने लगभग आधे घंटे तक मुझे चोदा था.

उसके बाद तो लगातार चार दिन तक हम दोनों के ऊपर बस चुदाई का भूत सवार था.
बिस्तर पर, बाथरूम में, रसोई में, सोफ़े पर. जहां जहां हमारा मन करता, हम लोग चुदाई करते रहे.

हम लोग दिन और रात मिलाकर 7 से 8 बार तक चुदाई करने लगे.

चार दिन के बाद ये सिलसिला थोड़ा कम हुआ और फिर केवल 2 या 3 बार ही चुदाई होती थी.

तीन महीने लॉक डाउन में हम दोनों अकेले रहे और दोनों ने ही फुल सेक्स, चुदाई का भरपूर मजा लिया.
उसके बाद मेरे पति और देवर आ गए और वो एक महीने तक साथ रहे.

उसके बाद मैं और ससुर जी फिर से अकेले हो गए और अब मैं रात में उनके साथ ही सोती हूँ.

लगभग दो सालों में ससुर जी ने मुझे इतना चोदा है कि जितना मेरे पति ने भी नहीं चोदा है.
एक बार मैं उनसे प्रग्नेंट भी हो गई थी, तब ससुर जी ने मुझे टेबलेट लाकर दी, जिससे सब ठीक हो गया.

अभी भी हम दोनों एक दूसरे की प्यास बुझाते हैं और किसी को कुछ पता नहीं है.
 
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मायके में अनजाने में भाई ने मुझे चोद दिया



मैं भावनी थापे एक 26 साल की एक हाउस वाइफ हूं.
मेरी शादी के 3 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक मुझे बच्चों का सुख नसीब नहीं हुआ, जिसके चलते मुझे सास व ननद से बहुत ताने मिलते थे.

मेरे पीहर वाले घर में 6 सदस्य हैं मां पिता भाई और भाई के दो बच्चे. मेरे भाई मुझसे 6 साल बड़े हैं. मेरे भाई की शादी 2014 में हुई थी.

मेरी शादी 2017 में 22 मई को हुई थी.
मेरे पति ने सुहागरात बहुत अच्छे से मनाई.
मुझे अपने पति के लंड से चुद कर ठीक ठाक लगा था.
चूंकि मैंने अब तक किसी और मर्द की तरफ नहीं देखा था तो मुझे अपने पति के लंड से कोई शिकायत नहीं थी.

लेकिन शादी के 18 महीने होने के बाद में गर्भवती नहीं हुई जिसके चलते मैंने अपना और अपने पति का मेडिकल चैकअप कराया.
उससे पता चला कि मेरे पति के शुक्राणुओं की कमी के चलते मैं गर्भवती नहीं हो पा रही हूँ.

ये बात 04 अप्रैल 2020 की है. उस वक्त देश में लॉकडाउन लगा हुआ था.
मैं उस समय मायके आई हुई थी.

मायके में रहते हुए मुझे 20 दिन हो गए थे. मुझे मासिक धर्म 28 मार्च 2020 को हुआ थे.
उस वक्त 4 अप्रैल को मेरे गांव में शादी थी.
उस समय गांव में सीमित आदमियों के बीच शादी हो रही थी.
गर्मी बहुत ज्यादा थी.

शादी के दूसरे दिन हम सब घर में ही थे.

उस रात को मेरे मां पिता छत पर सोये थे और मैं और मेरी भाभीजी रात को अपने भाई के कमरे में सोए थे.
देहात में रहने के कारण हम सब लोग रात को 9 बजे सो जाते हैं.

मेरी भाभी जी रात को लगभग 10 बजे बिना बताए रात को छत सोने चली गईं.
मैं थकी हुई थी तो सोती रही.

उसके बाद रात को मेरे भाई 11 बजे रात में शराब पीकर घर आए.
वो सीधे अपने रूम आ गए.

संयोग से उस समय बिजली नहीं आ रही थी, जिसके चलते मेरे भाई को शराब के नशे के कारण ध्यान नहीं रहा कि बिस्तर पर कौन लेटा है और वो कपड़े उतार कर मेरे पास सो गए.

मैंने उस समय नाइटी पहनी हुई थी जो बिना ब्रा और बिना जांघिया के पहनी थी.

दस मिनट के बाद मेरे भाई ने मुझे अपनी पत्नी समझ कर जोर से पकड़ लिया और मेरे दूध दबाने लगे.

मैं एकदम से अचकचा गई. मैं अभी कुछ कहती, तब तक भाई ने मेरे मुँह पर हाथ से मेरी आवाज दबा दी.
अब वो मेरे एक दूध को चूसने लगे.

मैं अपने भाई को बताने की कोशिश कर रही थी कि मैं आपकी बहन हूं लेकिन मेरे भाई ने शराब के नशे में मुझे जकड़ा हुआ था और वो कुछ भी सुनने के मूड में नहीं थे.

मुझे भी बीस दिन से लंड नहीं मिला था तो मैं भी चुप रही.

और मुझे उस वक्त अपनी कोख में बच्चा चाहिए था तो मुझे ये भाई से चुदाई का मौका सही लगा.

मैं चुप बनी रही और अपने भाई को उसकी मर्जी का करने देने लगी.

फिर दस मिनट के बाद भाई ने अपनी चड्डी को उतार दिया और मेरी चूत में उंगली करने लगे.
मैं एकदम से गर्मा गई और मेरी चूत से पानी रिसने लगा.

फिर कुछ मिनट के बाद भाई ने अपना 6 इंच का कड़क लंड मेरी चूत के छेद में सटाया और पेलने की कोशिश करने लगे.
भाई का लंड काफी मोटा था जबकि मेरे पति का लंड भाई के मुकाबले आधा भी नहीं था.

भाई के जोर लगाने के बावजूद भी उनका लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं घुस पा रहा था.
मेरे भाई ने गुस्से में मुझे गाली दी- मादरचोद लंड ले भोसड़ी की.

ये कह कर उन्होंने मेरी चूत में बहुत सारा थूक लगा दिया.
इससे मेरी चूत बहुत गीली हो गई.

फिर मेरे भाई ने लंड घुसा दिया.
उनके लंड का लाल सुपारा मेरी चूत को चीरते हुए अन्दर घुसने लगा.

मोटे लंड के चलते मुझे बहुत दर्द हुआ मगर मैं मज़ा लेती हुई अपना मुँह तकिया से दबा कर लंड झेलने लगी.

मुझे उस समय अपने भाई का लंड अपनी चूत के लिए एक सही डंडा लग रहा था.
उसके वीर्य से मैं ग्याभन हो सकती थी.

मुझे डर था कि कहीं बिजली न आ जाए.
इसलिए मैंने तकिये से अपना चेहरा छुपा लिया था.
ताकि जब लाइट आए तो मेरे भाई को शर्म ना आए.

फिर दो मिनट तक वो मेरे मम्मों को बहुत जोर जोर से मसलते और दबाते रहे.
मुझे अपने दूध मसलवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.
मेरी चूत ने भी अपना दर्द भुला दिया था.

उसी समय भाई ने फिर से ताकत लगाई और उनका लंड बहुत जोर से अन्दर घुसता चला गया.
मैं तेज दर्द के कारण एकदम से तिलमिला उठी.
लेकिन मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी क्योंकि मैं अपनी भाई से चुद रही थी.

उस वक्त घर की छत पर मां पिता भाभीजी सो रहे थे.
यदि मैं चिल्लाती तो भाई के लंड से चुदने का सुख खो बैठती और ऊपर छत पर सोये सभी लोगों को पता चला जाता.
मैंने भाई से चुदाई में अपने दर्द को जज्ब किया.

मगर मेरा भाई दारू के नशे में मेरी कसी हुई चूत की चुदाई का मजा ले रहे थे. उनको उस समय एक कमसिन चूत चोदने का मजा मिल रहा था.

वो जोर जोर से अपना मोटा लंड मेरी चूत में घुसाने में लगे थे.
मेरी चूत में बहुत दर्द हुआ लेकिन मैं भी सारा दर्द झेल कर चुदती रही.

बहुत देर तक मेरे भाई ने मुझे धकाधक चोदा.
मेरी चूत की मस्त चुदाई हुई.

भाई ने अपने मोटे लंड से मुझे चोदकर मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया.
मेरी चूत अपने भैया के लंड से चुदकर बहुत दर्द कर रही थी.

उनकी चुदाई से पूरा कमरा चुदाई की फचाफच वाली आवाज से कमरा गूँज गया था.
फिर मेरे भाई ने मुझे चोदकर अपने लौड़े का सारा माल मेरी चूत में टपका दिया और मेरे ऊपर ही ढेर हो गए.

वो नशे में चूर तो पहले से ही थे, चुदाई के बाद झड़ने से भाई काफो थक गए थे तो मेरी चूत में अपना लंड फंसाए हुए ही मेरे ऊपर ढेर हो गए.

वीर्य की गर्म धार से मेरी चूत भीग गयी थी. मुझे अपने जीवन में इस चुदाई से काफी मज़ा आया था.
सच तो ये था कि आज पहली बार मेरी सही से चुदाई हुई थी.

मेरी चूत में अभी भी बहुत दर्द हो रहा था. ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत फट गई है.

फिर किसी तरह से मैंने भाई को अपने ऊपर से बाजू किया और मैं उठ कर जाने लगी.

उसी वक्त मेरे भाई मुझे पकड़ लिया और बोले- पूजा, कहां जा रही है?
मेरी भाभीजी का नाम पूजा है.

भाई मुझे पूजा समझ रहे थे.
मेरे भाई मुझे खींच कर अपने साथ लिटाने लगे.
मैं नंगी ही अपने भैया के साथ लिपट कर लेट गई.

बीस मिनट के बाद लाइट आ गई.
लाइट आने के बाद कुछ मिनट तक मैं अपने चेहरे को छिपाए रही.

भैया सो चुके थे.

मैं उठी और बाथरूम में जाकर अपनी फटी हुई चूत को देखा और साफ़ करके मंद मंद मुस्कुराने लगी.

फिर मैं बाहर आई और नाइटी पहन कर दबे पांव छत पर गई.

उधर देखा तो मां पिता जी और भाभीजी सो रहे थे.

मैं एक पल कुछ सोचती रही, फिर नीचे आकर भैया के कमरे में आ गई.

कमरे का दरवाजा बंद करके लाइट का स्विच ऑफ किया और मैं अपने भाई के साथ सो गई.
एक घंटा बाद मेरे सोए हुए भाई ने मुझे फिर से पकड़ लिया.

मेरे भाई का लंड फिर से खड़ा हो गया था.
भाई मेरे साथ फिर से हरकत करने लगे.

मेरी चूत में दर्द होने के कारण मैं अपने भाई को चोदने नहीं दे रही थी मगर लग रहा था कि लंड फिर से ले ही लूं.

तभी मेरे भाई ने उठ कर मेरी चूत में अपना मुँह लगा दिया और मेरी चूत को चाटने लगे.
वो मेरी चूत को कभी चूस रहे थे, कभी उसमें अपनी उंगली घुसाने लगते थे.
इससे मेरी चूत फिर से खौल गई और उसका दर्द जाता रहा.

फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे मम्मों को दबाने लगे. मुझे मजा आने गा और मैं चुपचाप अपने भाई के साथ सेक्स का मजा लेने लगी.

इस तरह से भैया ने कुछ मिनट तक मुझे गर्म किया और मेरे दूध चूसे.
लेकिन मुझे अहसास हो गया था कि शायद मेरे भाई को पता चल गया कि मैं उनकी बीवी नहीं बहन हूँ.

अब तक उनका नशा उतर चुका था तो जैसे ही मेरे भाई ने मुझे जाना, वो मेरे ऊपर से उतर गए.

अब मेरे भाई रोने लगे.
मैंने अपने भाई को बहुत मुश्किल से चुप कराया और हम दोनों भाई बहन आपस में बात करने लगे.

मैंने अपने भाई से कहा- मुझे आपके साथ अच्छा लगा.
वो बोले- क्यों?

मैंने उन्हें अपनी दास्तान बताई कि मेरे पति के लंड में दम नहीं है कि वो मुझे मां बना सके. साथ ही आपका लंड बहुत मोटा है, जिससे मेरी सही से आज सुहागरात मनी है.
अब तक हम दोनों अपने सेक्स को समझ चुके थे कि ये जो भी अनजाने में हुआ है वो सही हुआ था.

भाई मेरी आंखों में देखने लगे, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और उनके होंठ चूमने लगी.

मेरे भाई समझ गए कि बहन को भाई के लंड से चुदवा कर मजा आया है और कहीं न कहीं भाई को भी मेरी टाईट चूत पसंद आ गई थी.

हम दोनों फिर से लग गए और इस बार बिजली की रोशनी में चुदाई करने लगे.
इस बार मैं अपने भाई से चुदाई का मजा लेती हुई चुद रही थी और भाई भी मुझे मस्ती से चोद रहे थे.

काफी देर तक भैया ने मेरी चूत को पेला और फाड़ कर रख दी.
मेरे भाई ने मेरी चूत को अपने वीर्य से भरा दिया और बाद में मेरी चूत को कपड़े से साफ करके मुझे चुम्बन किया.

अब हम दोनों नंगे ही चिपक कर लेट गए.
अभी रात को 3 बजे थे.

मेरे भाई मेरा साथ छोड़ कर दूसरे कमरे में जाकर सो गए.

सुबह 5 बजे मैं बाथरूम में गई. मैंने बाथरूम में अच्छी से स्नान किया और अपने दैनिक काम काज में लग गई.

अब तक भाभी जी और मां पिता जी भी आ गए थे.
सुबह 8 बजे तक पूजा पाठ से फ्री होकर मैंने नाश्ता किया.

नौ बजे मेरे भाई सोकर उठे.
वे नहाये और खेत के काम से जाने लगे.

मैंने अपने भाई को रोका, उनसे मुझे ससुराल छोड़ आने को कहा.

ससुराल वापस जाने की बात पर मेरी भाभीजी और मेरी मां ने मुझसे बहुत कहा कि कुछ दिन और रुक जाओ.

लेकिन मैं नहीं मानी, मेरे दिमाग में पति के लंड से एक बार चुद कर अपने भाई के बीज को जायज ठहराना था.

मेरे भाई काम पर नहीं गए.
फिर 3 बजे शाम को मेरे भाई बाइक से मुझे ससुराल छोड़ने चल दिए.

रास्ते में मेरे भाई एक जगह रुक गए. वो एक मुसाफिर खाना था जो उस समय कोरोना के कारण खाली पड़ा था.

वहां मेरे भाई ने रुक कर मुझसे पूछा- तुम ससुराल क्यों जा रही हो?
मैंने कहा- भाई रात की चुदाई से मैं गर्भवती हो सकती हूँ, तो मुझे ससुराल जा कर आपके जीजा जी से चुद कर ये पक्का करना है कि मैं उनसे ही गर्भवती हुई हूँ.

मेरे भाई ने मेरा जवाब सुनकर मुझे गले लगा लिया.
फिर 5 मिनट तक हम दोनों गले लगे रहे.

मेरे भाई मुझसे बोले- रात को मुझे पहली बार में ही पता चल गया था कि तू मेरी बहन है लेकिन तुझे चोदने का मन कर रहा था इसलिए मैं चुदाई में लगा रहा.
मैं अपने भाई का जवाब सुनकर हैरान हो गई.

फिर मैंने भाई से पूछा- आप मेरे साथ चुदाई करना क्यों चाहते थे?
तो वो मेरे गाल पर हाथ फेर कर बोले- तुम बहुत सेक्सी हो. मैं तुम्हें चोदने का मौका नहीं छोड़ना चाहता था.

मैंने भी हंस कर कहा- आप बड़े बहनचोद निकले.
भाई हंस पड़े और मुझसे बोले- एक बार फिर से झटपट चुदना चाहोगी?

मैंने अपने भाई को मना नहीं किया.
मैं उधर एक दीवार का सहारा लेकर घोड़ी बन गई.

भाई ने मेरी साड़ी पेटीकोट उठाकर मेरी चड्डी नीचे की और अपना लंड पीछे से मेरी चूत में पेल दिया.

धकापेल चुदाई होने लगी और कुछ मिनट बाद भाई ने अपना वीर्य अपनी बहन की प्यासी चूत में छोड़ दिया.

एक घंटा बाद हम दोनों मेरी ससुराल आ गए.
फिर दूसरे दिन सुबह मेरे भाई अपने घर चले गए..
 

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मादक मामी के साथ चूत चुदाई का मजा


मेरा नाम आशु है. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं.

रेन सेक्स कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपनी मामी के बारे में बता देता हूं.
उनका नाम आरती है और वो दिल्ली की रहने वाली हैं.
मामी की हाइट 5 फुट की है और एकदम कसा हुआ जिस्म है.

उनकी उम्र यही कोई 35 साल की होगी.
आपको तो पता ही है, इस उम्र में आते आते औरतों की सेक्स करने की इच्छा कितनी ज्यादा बढ़ जाती है.

मुझे मेरी मामी की उभरी हुई गांड बहुत पसंद थी.
मेरी और मामी के बीच अच्छी खासी दोस्ती थी. हम दोनों एक दूसरे से सब तरह की बातें शेयर कर लिया करते थे.

वह मुझे हर बार कहती थीं- तू कितना अच्छा दिखता है, तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं उन्हें हर बार कह देता था- मामी कोई आप जैसी मिलती ही नहीं, आप ही बन जाओ न!
इस पर वो मुस्कुराकर चली जाती थीं.

हम दोनों एक दूसरे से इतना खुले हुए थे कि मैं उनसे सेक्स के बारे में भी पूछ लिया करता था.

मेरे मामा पेशे से ठेकेदार थे.
एक दिन मेरे मामा जी को किसी बड़ी साइट का ऑर्डर मिला जो शहर से दूर था … इसलिए उन्हें कुछ दिन वहीं रहना था.

मामी अकेली ना रहें, इसलिए उन्होंने मेरी मम्मी को फोन करके कहा- दीदी आप आरती के पास जाकर कुछ दिन रुक जाओ.
मम्मी ने मुझसे कहा- क्या तुम मामी के यहां जाकर कुछ दिन रह सकते हो? मेरे घुटनों में दर्द है, तो मैं वहां नहीं जा सकती. तुम्हारी मामी को अकेले में डर लगता है.

मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि जिनसे मैं सेक्स की बातें किया करता था, आज मुझे उनके साथ ही रहने का मौका मिल रहा है. शायद मेरी किस्मत का ताला खुल जाए और मुझे मेरी मामी के साथ सेक्स करने का मौका मिल जाए.

अगले ही दिन अपना सामान लेकर मामी के घर चला गया.
मामी भी मुझे देख कर खुश हुईं.

पहला दिन तो जैसे तैसे निकल गया, मैं कुछ नहीं कर पाया.
जब वो काम करती थीं तो मैं बस उनको तिरछी नजरों से देखता रहता था.

मामी गहरे गले की मैक्सी पहनती थीं, जब वो झुकतीं, तो उनके मम्मे दिखाई दे जाते थे.
वो सीन देखकर मेरी पैंट में तंबू बन जाता था.
उसे कई बार मामी ने भी देखा था और वो एक कातिल मुस्कान चेहरे पर ले आती थीं.

अगली रोज सुबह से ही काली घटा छाई हुई थी जो दिन होते होते जोर से बरस गई.
मैं और उनका बेटा बारिश में नहाने चले गए.

मैंने उनसे भी कहा- चलो मामी, बारिश में नहाते हैं.
पर उन्होंने कहा- तुम जाओ, मुझे थोड़ा काम है.

थोड़ी देर बाद मैंने मामी छत पर अपने बेटे को लेने को आईं, वो ठंड से कांप रहा था.
उनकी नजर मेरे लोवर में बने उभार पर चली गई.

उन्होंने कहा- चल अब नीचे आ जा, बहुत नहा लिया.
मैंने तुरन्त कहा- आप मौका ही नहीं दे रही नीचे आने का.

मामी मेरी बात समझ गईं और बोलीं कि वो मौका तो नहीं मिलेगा.
मैंने कहा- मैं मौक़ा लेकर रहूँगा.

वो मुस्कुरा दीं और बोलीं- हां, अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ऊपर नीचे होने का मौका ले लेना.
मैं भी हंस कर कह दिया- मैं तो आपको ही अपनी गर्लफ्रेंड मानता हूँ.

वो बोलीं- ये ख्वाब देखना छोड़ दे.
मैंने कहा- मामी, अब ये ख्वाब तो आप देखोगी.

वो हंसने लगीं- ऐसा होना जरा मुश्किल है.
मैंने कहा- आप ठान लेंगी तो कुछ भी मुश्किल नहीं है.

मामी हंसती हुई नीचे चली गईं.

मैंने मन में कहा कि चोद कर तो आपको रहूंगा ही.
वो नीचे चली गईं, मैं बारिश में नहाता रहा.

मैं सोच ही रहा था कि मामी को ऊपर कैसे बुलाऊं कि तभी मुझे एक तरकीब सूझी जिससे मैं रेन सेक्स का मजा लेने की कोशिश कर सकता था.

मैंने गिरने का नाटक किया, जिसकी आवाज सुनकर मामी तुरन्त छत पर आईं और उन्होंने सवालों की झड़ी लगा दी- क्या हुआ … क्यों चिल्ला रहे थे?
मैंने कहा- मुझे तो आपको बुलाना था, इसलिए नाटक किया.

तब तक वो बारिश में भीग गई थीं.
शायद उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी जिस कारण उनके निप्पल कड़े होकर अलग ही दिख रहे थे.

मैंने कहा- आज तो मेरी गर्लफ्रेंड बड़ी हॉट लग रही है.
वो हंसने लगीं और बोलीं- किधर से हॉट लग रही हूँ.

मैंने कहा- हाथ लगा कर बता दूँ?
वो कुछ नहीं बोलीं, बस मुस्कुराती रहीं.

मैंने मामी को पकड़ कर अपने पास खींच लिया.
वो बोलीं- क्या कर रहा है?

मैंने कहा- गर्लफ्रेंड किधर से हॉट है, उसे ये बता रहा हूँ.
मामी ने कुछ नहीं कहा.

मैं उनके और करीब आ गया.

उस वक्त हम दोनों इतने करीब आ गए थे कि उनके निप्पल मुझे मेरी छाती पर महसूस हो रहे थे.
हमारी सांसें गर्म हो चुकी थीं और एक दूसरे के चेहरे पर महसूस हो रही थीं.

मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हाथ उनकी उभरी हुई गांड पर रख कर हल्का सा दबा दिया.
कुछ मिनट के किस के बाद वो मुझसे अलग हो कर नीचे चली गईं.

वो दिन भी खाली निकल गया और मैं फिर मुठ मार कर रह गया.

अब मुझसे और नहीं सहा जा रहा था.
अगले दिन हिम्मत करके मैंने उस वक्त मामी को पीछे से पकड़ लिया जब वे किचन में खाना बना रही थीं.

मैंने उनके गले के पीछे हल्का सा किस किया और उनकी नाभि में हल्के से हाथ फिराने लगा.
उन्होंने कहा- आशु, यह सब ठीक नहीं है, मैं तुम्हारी मामी हूं.

पर मैंने मामी की एक नहीं सुनी. मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनके स्तन पर रख दिया और हल्के हल्के दबाने लगा.
मेरा दूसरा हाथ उनकी उभरी हुई गांड को दबा रहा था. मेरा खड़ा लंड मामी की गांड में दबाव बना रहा था.

कुछ देर बाद उन्होंने पीछे हाथ करके मेरे लौड़े को हाथ में पकड़ा और सहलाने लगीं.

मैंने कहा- कैसा है?
वो बोलीं- इतना टाइम लगा दिया तुमने … कब से मैं इसके लिए तड़प रही थी. क्या तुम्हें अपनी मामी पर जरा भी तरस नहीं आया, जो तुम मुझे इसके लिए इतना तड़पा रहे थे.

मैंने उन्हें अपनी ओर घुमाया और जोरदार किस करने लगा. मैंने उनका ब्लाउज दोनों हाथों से खींच दिया.

हम दोनों करीब दस मिनट तक किस करते रहे.
मैं उनके मुँह में जीभ डाल कर घुमा रहा था, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

मामी मस्ती से मेरे साथ चुम्मी का मजा ले रही थीं.
मैंने कहा- किचन में ही पूरा मजा लेना है क्या?

वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरे साथ चिपकी रहीं.
मैंने पूछा- बेटू कहां है?

उन्होंने मादक आवाज में कहा- वो बगल में खेलने गया है.
बस फिर क्या था, मैं उन पर ऐसे टूट पड़ा, जैसे किसी भूखे को कई दिनों बाद खाना मिला हो.
मैं उनके होंठों का रसपान कर रहा था.

मैंने पीछे हाथ डाल कर ब्रा का हुक भी खोल दिया.
अब उनके कबूतर आजाद हो गए थे.

क्या मस्त दूध थे यार … ब्राउन रंग के निप्पल और बिल्कुल रूई की तरह मुलायम दूध.

मैंने एक दूध को मुँह में भर लिया और जोर से चूसने लगा जिससे मामी की आह निकल गई.

मैं उनके दूसरे दूध को हाथ से दबाने लगा. कभी निप्पल को अपनी दो उंगलियों में फंसाता, तो कभी उसको खींच देता.

मामी आंख बंद करके बस मज़े लिए जा रही थीं.
उनकी मादक आवाज निकल रही थी- आंह और चूसो … कसके चूसो … सारा दूध पी लो आज … आह और दबाओ इन्हें … साले बहुत मचलते हैं.

अब मैं उन्हें गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया और एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ कर उन्हें किस करने लगा.
वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

अब मैं उनके चिकने से पेट पर जीभ फिरा रहा था.
मामी को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.

फिर मैं उनके पैरों की तरफ आ गया, उनकी जांघों पर किस करने लगा और चाटने लगा.
मामी का हाल बहुत बुरा हुआ जा रहा था.
वो अपने मुँह से लगातार आवाजें निकाल रही थीं- आह अह आह …

मामी की काली झांटें काफी बड़ी थीं, शायद उन्होंने काफी दिन से बनाई नहीं थीं.
मैंने कहा- मामी, इन्हें साफ तो कर लिया करो, मुझे पसंद नहीं हैं.
उन्होंने कहा- किस के लिए करती … तेरे मामा तो बस चूत में लंड डाल कर पेलना जानते हैं, मेरी चूत से खेलना उन्हें पसंद ही नहीं है.
मैं- मैं तो हूं खेलने के लिए … अब से मैं इसके साथ खेला करूंगा.

ऐसा कहकर मैंने अपनी जीभ को मामी की गर्म चूत पर रख दिया जिससे वो एकदम से सिहर गईं.
उनको शायद इसकी उम्मीद ही नहीं थी.

मैं आइसक्रीम की तरह उनकी चूत चाट रहा था और उनकी कामुक आवाज मुझमें अलग ही जोश भर रही थी.

तब मैं अपनी जीभ और तेजी से चलाने लगा था जिस कारण से उनका शरीर अकड़ने लगा और एकदम से उनकी चूत का लावा मेरे मुँह में फूट पड़ा.
चूत की मलाई का स्वाद कसैला सा था, फिर भी मैंने उसे चाट चाट कर साफ़ कर दिया.

मामी कहने लगीं- आशु अब और ना तड़पाओ … जल्दी से चोद दो मुझे … अपने लंड से फाड़ दो मेरी चूत को … मुझे अपना बना लो.

पर मैं उन्हें अभी और तड़पाना चाहता था.
मैं अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा, पर अन्दर नहीं डाल रहा था.

मैं उनको किस करने लगा, दूध मसल रहा था.
मामी बस सी सी कर रही थीं.

तभी एकदम से उन्होंने अपना रूप बदला और गाली देते हुए कहा- मादरचोद चोद दे ना … क्यों तड़पा रहा है?
मैंने अपना लंड चूत पर लगाया और एक ही झटके में जड़ में उतार दिया. जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी.

वो एकदम से चिल्ला पड़ीं और गाली देने लगीं- आंह मर गई … मुझे नहीं करना … निकाल साले बाहर … फाड़ दी मेरी चूत को … साले कुत्ते हरामजादे.

मैंने उनकी एक न सुनी और धक्के लगता रहा. कुछ देर में उनको भी मजा आने लगा था.
वो नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी थीं.

कोई पन्द्रह मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं उन्हीं की चूत में झड़ गया.
इस बीच वो एक बार झड़ चुकी थीं.

फिर बाथरूम में जाकर हम दोनों ने एक दूसरे को साफ़ किया.
मैं वहीं उनकी चूत फिर से चाटने लगा.

वो फिर से गर्म होने लगीं और मेरे चूत चाटने की वजह से वो एक बार फिर से मेरे मुँह में झड़ गईं.
इस बार भी मैंने पूरा रस पी लिया.
 

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भाभी ने अपने कमरे में बुलाकर चूत दी


दोस्तो, मेरा नाम अर्जुन वर्मा है.

मेरी शरीर की लंबाई 5 फीट 9 इंच है. मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है.
ये नंगी भाभी सेक्स कहानी मेरे मकानमालिक की पुत्रवधू के साथ मेरी पहली चुदाई की है.

भाभी का नाम कनिका है. कनिका भाभी दिखने में मोटी हैं लेकिन बहुत गोरी होने की वज़ह से और सुंदर मुखड़ा होने की वज़ह से एक नंबर की माल लगती हैं.

उनकी उम्र 27 साल है और कद 5 फुट 6 इंच है. उनके 36 साइज़ के स्तन, 30 इंच की कमर और 40 इंच की उठी हुई गांड है.

घटना पिछले साल की है.
मैं मेडिकल की तैयारी करने के लिए लखनऊ गया था.

वहां पर मैंने मेडिकल की कोचिंग में एडमिशन ले लिया और रहने के लिए हॉस्टल की तलाश करने लगा.
लेकिन अच्छा माहौल वाला हॉस्टल ना मिलने की वजह से मैंने रूम लेकर रहना पसंद किया.

जिस मकान में मुझे रूम मिला, उसमें केवल एक रूम ही खाली था, जो ऊपर की मंजिल में बना था.
बाकी के सभी रूम नीचे थे, उनमें मकान मालिक की फैमिली रहती थी.

मकान मालिक का एक ही लड़का था, जो बाहर रहता था और उसकी पत्नी यानि कनिका भाभी और उनके सास ससुर घर रहते थे.

मैं सुबह 9 बजे कोचिंग चला जाता था और 2 बजे आ जाया करता था.
फिर रूम में ही रह कर पढ़ता रहता था.

भाभी शाम को ऊपर टहलने आया करती थीं तो कभी कभी बात भी हो जाया करती थी.

एक दिन उन्होंने बताया कि उनके फोन का चार्जर खराब हो गया है.
तो मैंने अपना चार्जर उनको दे दिया.

बाद में मैंने चार्जर वापस मांगा तो भाभी बोलीं- अभी तुम भी यहीं अपना मोबाइल चार्ज कर लिया करो. बाद में मैं नया चार्जर ले आऊंगी, तो अपना ले लेना.
मैंने हामी भर दी.

अब जब मुझे फोन चार्ज करना होता था तो उनके रूम में मोबाइल लगा आता था.

चूंकि मेरे बोर्ड में इन्वर्टर का कनेक्शन नहीं था, केवल लाइट और पंखा में था तो मुझे भी सहूलियत होने लगी थी.

एक दिन मेरा फोन ऑफ हो गया था तो मैं सुबह चार्जिंग में लगा कर कोचिंग चला गया.

वापस आया तो भाभी मेरा फोन देती हुई बोलीं- लो फुल चार्ज हो गया है.
वो मुझे फोन देते समय मुस्कुरा रही थीं लेकिन मैं कुछ समझा नहीं.

शाम को भाभी ऊपर टहलने आईं तो मुझसे बात करते करते बोलीं- तुम बहुत गंदे हो.
मैंने बोला- क्यों भाभी क्या हुआ? मैंने क्या गलत कर दिया है?

भाभी- तुम्हारे फोन में मैसेज आ रहा था. मैंने देखा तो वॉट्सएप पर बहुत गंदा सा वीडियो आया था.
मैंने चौंकते हुए कहा- अरे … क्या आपको मेरा पासवर्ड पाता है, आपने कैसे देखा?
भाभी- हां मुझे पता है. तुम मेरे सामने ही खोलते हो, इसलिए मैंने देखा था.

मैं- वैसे किसी का फोन नहीं चैक करना चाहिए.
भाभी- अरे यार, बुरा मत मानो कोई बात नहीं. मैं किसी को बताने थोड़े ना जा रही हूं.
मैं भाभी की तरफ देखने लगा.

वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थीं.

फिर बोलीं- वैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं!
ये कह कर भाभी हंसने लगीं.

मैंने भी इस माहौल का फायदा उठाया और उनसे कहा- नहीं भाभी, नहीं है … आप बनोगी मेरी गर्लफ्रेंड!
भाभी- मेरी तो शादी हो गई है. नहीं हुई होती तो सोचती.

इतना बोल कर भाभी जाने लगीं तो मैंने उनसे पूछा- कहां जा रही हो भाभी?
भाभी बोलीं- अभी खाना भी बनाना है, तुम्हारा क्या है, तुम्हारा तो टिफिन आ जाएगा.

इतना बोल कर भाभी नीचे चली गईं.
मैं अब समझ गया था कि भाभी गर्म हो रही थीं.
शायद उन्हें भैया की कमी अखर रही थी.

उस दिन तक मैंने कभी उनको चोदने के लिए नहीं सोचा था लेकिन अब भाभी को चोदने का मेरा भी मन हो गया था.
दिमाग में इतनी वासना चढ़ गई कि लंड अकड़ गया.
मैंने बाथरूम में जाकर भाभी को सोच कर मुठ मारी और अपने रूम में आ गया.

मैं बैठ कर भाभी को चोदने के बारे में सोचने लगा.

मैं अभी सोच ही रहा था कि मेरे वॉट्सएप पर भाभी के नंबर से हाय लिख कर एक मैसेज आया.
मैंने तुरंत भाभी को कॉल किया.

मैं- हां भाभी क्या हुआ?
भाभी- बाबू, वो जो वीडियो तुम्हारे वॉट्सएप ग्रुप में आया था, मुझे भी सेंड करो न!

मैं- क्या बात है भाभी, लगता है आज आपको भैया की कुछ ज्यादा ही याद आ रही है.
भाभी- अरे यार मज़ाक मत करो, वीडियो सेंड करो.
मैं- ओके भाभी.

मेरे दिमाग में आया कि भाभी मूड में हैं तो कोशिश की जाए.

अब अपने मोबाइल में जितने भी पॉर्न वीडियो मेरे वॉट्सएप पर आए थे, मैंने सब भाभी को भेज दिए.

पूरे 8 वीडियो थे. कोई 30 सेकंड, तो कोई 2 मिनट का, ज्यादा बड़े आकार के वीडियो नहीं थे.

मैं तो समझ गया था कि अब एक दो दिन में आराम से भाभी की चूत चोदने को मिल जाएगी.

तभी टिफिन आ गया और मैं ये सब सोच सोच कर अपना खाना खाने लगा.

रात को 11 बजे फिर से भाभी का मैसेज आया.
मैंने कॉल किया तो भाभी बोलीं- बाबू कोई अच्छा वीडियो नहीं है. एचडी में हो और जरा बड़ा सा हो.
मैं- हां है तो भाभी, लेकिन लैपटॉप में है.

भाभी- मेरे रूम में ले कर आ सकते हो?
मैं- हां भाभी, अभी लेकर आ रहा हूं.

मैं तो खुश हो गया कि आज ही भाभी को चोदने का मौका मिल गया.

भाभी- आराम से आना और बिल्कुल भी आवाज मत करना, सीधा मेरे रूम में आओ, मैं दरवाजा खोल रही हूं.

मैं नीचे गया, तो भाभी अपने कमरे में थीं.
वो रजाई में लेटी हुई थीं.

मैं जाकर उनके बेड पर बैठ गया और लैपटॉप में फोल्डर दिखाने लगा- ऐसे खोल लेना. आपको सब कुछ देखने को मिल जाएगा.

तभी भाभी बोलीं- मुझे लैपटॉप चलाना नहीं आता. तुम दिखाओ न!
मुझे ये समझ आ गया था कि भाभी रजाई के अन्दर बिल्कुल नंगी हैं और फिंगरिंग कर रही हैं.
मैं मुस्कुरा कर बोला- ठीक है भाभी, मैं एक वीडियो लगा देता हूं, आप देख लो.

मेरा लंड बिल्कुल टाईट था जो भाभी ने भी देख लिया था.

भाभी- क्या बात है बाबू तुम्हारा तो पूरा खड़ा हो गया है.
मैं- हां भाभी, मेरा भी मन कर रहा है.

भाभी- मुझे चोदोगे?
मैं- हां भाभी.

इतना बोल कर मैंने उनकी रजाई को हटा दिया और भाभी को अपने बांहों में पकड़ के उनके होंठों पर टूट पड़ा.

तभी भाभी मुझे हल्का सा धक्का देती हुई बोलीं- तुम भी नंगे हो जाओ, फिर रजाई के अन्दर मुझे चोदना, बहुत मज़ा आएगा.
मैं तुरंत अपने सारे कपड़े निकाल दिए और भाभी के साथ रजाई के अन्दर घुस कर उनसे लिपट गया.

मैं भाभी के होंठों को चूसने लगा. मैं भाभी के आगे बिल्कुल बच्चा सा लग रहा था.

दस मिनट तक भाभी के होंठ चूसने के बाद मैंने भाभी को अपना लंड चूसने के लिए बोला.

भाभी तुरंत मेरा लंड चूसने लगीं और दस मिनट लंड चूसने के बाद मेरा लंड भाभी के मुँह में ही झड़ने को हो गया.
मैंने लंड निकालने की कोशिश की मगर भाभी ने नहीं निकालने दिया.

अपना माल मैंने उनके मुँह में निकाल दिया.
भाभी ने मेरा लंड रस गटक लिया.

अब मैं भाभी के बगल में उनको पकड़ कर लेट गया.

भाभी बोलीं- बाबू, ये लंड तो मेरे पति से भी बहुत बड़ा है. मेरे पति का लंड मेरे चूत की गहराई तक भी नहीं पहुंच पाता.

मैं भाभी की चूचियों को चूसने लगा.
तभी भाभी बोलीं- बाबू, अब तुम भी मेरी चूत चूस लो. मेरी चूत के अन्दर बहुत खुजली हो रही है.

फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और भाभी फिर से मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा.

मैं भाभी की चूत को पूरी मस्ती के साथ चूस रहा था.
कुछ मिनट तक चूसने के बाद भाभी मेरा सिर अपने चूत में दबाने लगीं और अकड़ कर झड़ गईं.

फिर हम दोनों सीधे हुए और एक दूसरे को बांहों में लेकर लेट गए.

भाभी मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में रगड़ने लगीं.
दो मिनट के बाद भाभी लंड को अन्दर डालने को बोलीं.

मैं हल्का सा पीछे हुआ और एक जोरदार झटका दे मारा.
मेरा लंड भाभी की चूत में आधा घुस गया.
भाभी मुझे ज़ोर से पकड़ कर सिसकारने लगीं.

मैं भाभी को सहलाने लगा और धीरे धीरे धक्का लगाने लगा.
भाभी को हल्का दर्द हो रहा था तो भाभी ने लंड बाहर निकालने को बोला.

मैंने लंड को चूत से बाहर निकाल लिया.

फिर भाभी उठीं और रूम के बगल किचन से सरसों का तेल लेकर आईं और मुझे देती हुई बोलीं- जान, तेल लगा कर चोदो.
मैंने तुरंत तेल का डब्बा खोला और भाभी के पूरे बदन पर तेल टपका कर उन्हें चमका दिया.
भाभी हंसने लगीं.

फिर मैंने उनकी चूत और गांड सबमें अच्छी तरह तेल लगा दिया और उनको अपने जिस्म से रगड़ कर उनको बॉडी मसाज देने लगा.
भाभी पूरी तरह गर्म हो गई थीं.

मैं भाभी को बेड पर लेटा कर उनके दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और अपने लंड को भाभी की चूत में टिका दिया.

मैंने भाभी को आंख मारकर इशारे से पूछा.
तो भाभी ने गांड उठा कर हामी भर दी.

मैंने पूरा ज़ोर लगा कर लंड को भाभी की चूत में पेल दिया.
एकदम से लंड घुसा, तो भाभी छटपटाने लगीं और उनकी आंखों से आंसू आने लगे.

तभी मैं उनके दोनों पैर फैला कर उनके ऊपर लेट गया और उनको अपनी बांहों में पकड़ कर किस करने लगा. नीचे से मेरा लंड उनकी चूत को भी चोद रहा था.

कुछ मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने भाभी को अपने ऊपर आने को कहा.
भाभी का वज़न बहुत अधिक था इसलिए भाभी मना कर रही थीं लेकिन जब भाभी मेरे लंड को अपनी चूत में टिका कर बैठीं तो मेरा लंड एक बार में उनकी चूत में समा गया.

वो मुस्कुरा दीं और अपनी गांड उठा कर चूत चुदवाने लगीं.
इस पोजिशन में कुछ मिनट चोदने के बाद मैंने भाभी को कुतिया बन कर झुकने के लिए बोला.

वे झुक कर कुतिया बन गईं.
भाभी की गांड इतनी बड़ी थी कि देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना मुँह भाभी की गांड पर लगा कर उनकी गांड चाटने लगा.

फिर भाभी को बिना बताए मैंने अपना लंड उनकी गांड पर टिकाया और एक भरपूर शॉट लगा दिया.
मैंने जैसे ही झटका मारा, मेरा लंड भाभी की गांड में आधे से अधिक अन्दर घुस गया.

भाभी एकदम से बेड पर गिर गईं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

मैं डर गया कि क्या हो गया.

मैंने लंड बाहर निकाल लिया और उनके पास आ गया. मैंने उनकी नाक दबाई और उनके मुँह में फूंक मारी तो भाभी छटपटाने लगीं और गाली देने लगीं.

मैं बोला- क्या हुआ भाभी?
भाभी बोलीं- अबे साले … गांड किससे पूछ कर मारी?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो भाभी कुछ पल बाद नॉर्मल हो गई और मुझे गले लगा कर किस करती हुई बोलीं- जान … तुम केवल मेरी चूत चोदो. गांड में कुछ नहीं करना.

मैंने भाभी को पुन: घोड़ी बनाया और अपना लंड पीछे से भाभी की चूत में पेल दिया.
अब धकापेल चुदाई होने लगी और दस मिनट चूत चोदने के बाद भाभी अकड़ उठीं … वो आह आह करती हुई झड़ गईं.

भाभी निढाल स्वर में बोलीं- जान मेरा हो गया, तुम भी जल्दी कर लो.
मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और 5 मिनट के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया था.

मैंने भाभी से पूछा- माल किधर निकालूँ?
भाभी ने आंख से ही इशारा किया कि चूत में ही निकाल दो.

मैंने अपना माल भाभी की चूत में निकाल दिया और दोनों लोग एक दूसरे को जकड़ कर रजाई के अन्दर लेट गए.
हम दोनों बात करने लगे.

मैंने पूछा- कैसा लगा भाभी?
भाभी ने बताया- आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. बहुत दिनों बाद सेक्स किया है और तुम्हारे जैसा लंड तो आज पहली बार ही अन्दर लिया है.

मैंने भाभी से कहा- भाभी मुझे आपकी गांड मारनी है.
भाभी बोलीं- नहीं, वो सिर्फ मेरे पति के लिए है.

मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप लेटा रहा.

कुछ देर बाद मैं भाभी से बोला- भाभी मुझे पेशाब लग रही है, मैं अभी आता हूँ.
भाभी बोलीं- रुको मैं भी साथ चल रही हूं. तुमने पूरा बिस्तर तेल गिरा कर खराब कर दिया है, अभी सब बदलना पड़ेगा.

मैंने मना कर दिया और कहा- भाभी बदलना क्यों है, अभी और नहीं करना है क्या?
भाभी हंस कर बोलीं- ठीक है. ये बेडशीट अब हमेशा उस समय बिछी रहेगी, जब भी चुदाई करनी होगी. हम दोनों हमेशा इसी पर चुदाई करेंगे.

मैं भाभी को किस करने लगा.
वो भी मुझे चूमने लगीं.

कभी मैं उनकी आंखों पर चूमता, तो कभी उनके माथे पर.
भाभी बोलीं- जान अबसे तुम भी मेरे पति हो … आई लव यू.
मैंने भी कहा- लव यू टू जान.

भाभी बोलीं- तुम्हारे लिए बाजू की ड्रावर में कुछ रखा है.
मैंने उसी समय बेड के बाजू में बनी ड्रॉवर को खोल कर चैक करने लगा, तो मुझे सेक्स की गोली मिल गईं.
मैं भाभी से कहा- भाभी अभी इसको खा कर चुदाई करवाना है?

भाभी बोलीं- नहीं, मैंने तो सिर्फ तुमको बताया था कि मेरे पति इन्हीं गोलियों की दम पर मुझे चोदते हैं. तुमने तो वैसे भी मेरी कमर तोड़ चुदाई की है. गोली खाकर करोगे तो मेरी क्या हालत होगी. नहीं, मैं इतनी देर वाली चुदाई सहन नहीं कर पाऊंगी. यदि तुम गोली खा लोगे, तो सुबह तक मेरी चुदाई ही करते रहोगे.

मुझे उसी ड्रावर में भाभी की सिंदूर की डिब्बी भी मिल गई.
मैं उसे उठा कर देखने लगा.

भाभी बोलीं- उसे रख दो.
मैंने कहा- नहीं भाभी मैं आपकी मांग भरूंगा, आपने खुद कहा है कि आप मेरी भी वाइफ हो.

भाभी मना करने लगीं लेकिन मैंने जबरन भाभी की मांग में सिंदूर भर दिया.
तो भाभी भावुक होकर रोने लगीं.

मैं भाभी को गोद में लेकर मनाने लगा भाभी मान गईं और मुझे गले लगा कर मुझे किस की.
फिर मेरे पैर छू कर बोलीं- आज से तुम भी मेरे पतिदेव हो. मैं बहुत भाग्य वाली हूं कि मेरे दो पति हैं.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को खूब देर तक किस की.

मैं बोला- जान, मुझे मूतने जाना है.
वो बोलीं- हां, मुझे भी चलना है.

फिर मैं और नंगी भाभी दोनों बाथरूम में गए. उधर से पेशाब करके कमरे में आ गए.

वो बोलीं- अब तो तुम मेरे पति हो.
मैं बोला- हां.
वो बोलीं- तुमको मेरी गांड में पेलना है, तो अब पेल सकते हो लेकिन पहले तुम अपने लंड में अच्छे से तेल लगा लो.

मैंने तेल लगाया और भाभी को घोड़ी बनने को बोला.
वो बन गईं और मैंने उनकी गांड में भी तेल लगाना शुरू कर दिया.
मैं भाभी की गांड में अपनी उंगलियों से तेल लगाने लगा.

भाभी की गांड तेल से चिकनी करने के बाद मैंने अपना लंड उनकी गांड के छेद पर लगाया तो वो बोलीं- जान आराम से पेलना.
वो अलमारी को पकड़ी हुई थीं और मैंने पूरी ताकत लगा कर लंड को उनकी गांड में पेल दिया.
मेरा लंड पूरा उनकी गांड में समाता चला गया.

वो मेरी तरफ देख कर रो रही थीं, लेकिन उन्होंने मुझे एक बार भी मना नहीं किया.
मैं धीरे धीरे धक्का लगाने लगा और कुछ मिनट के बाद वो भी मेरा साथ देने लगीं.

इसी तरह 20 मिनट तक भाभी की गांड मारने के बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.
फिर लंड बाहर निकाल कर मैंने भाभी को गले लगा लिया.
आखिर अब वो मेरी बीवी बन गई थीं.

हम दोनों ने फिर से बाथरूम में जाकर मूता और बिस्तर में आकर एक साथ सो गए.

सुबह उठ कर मैं भाभी के लिए मैं गर्भनिरोधक गोली ले आया और उनको दे दी जिससे अब प्रेग्नेंसी का कोई डर नहीं था.

हम दोनों रोज इसी तरह चुदाई करने लगे.
अभी उनके पति घर आ गए हैं तो उनकी चूत मिलना बंद हो गई है.

तब भी भाभी को मेरे बड़े लंड की जरूरत पड़ती है, तो वो मुझे मैसेज कर देती हैं.
जिस समय उनके असली पति घर से बाहर मार्केट वगैरह जाते हैं तो मैं उनकी चुदाई कर देता हूं.
 

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कामुक चाची को चोदकर उनकी कामवासना शांत की



मैं जय शर्मा, ये मेरा बदला हुआ नाम है.
आज मैं जो चुदाई कहानी लिख रहा हूँ, वो मेरी चाची की चुदाई के बारे में है.

मेरी उम्र 24 साल की है और मेरा लंड 6 इंच लंबा ढाई इंच मोटा है.
यह चाची की कहानी 3 साल पहले उस वक्त की है, जब मैं अपनी एक दिन की छुट्टी को बिताने के लिए अपने घर से थोड़ी दूर रहने वाले चाचा के घर गया था.

मेरे चाचा की उम्र 49 साल है उनका नाम रमेश है. चाची 34 साल की हैं और उनका नाम माया है.
चाचा ने पहली पत्नी के मर जाने के बाद इन चाची से दूसरी शादी की थी इसलिए उन दिनों की उम्र में ज्यादा फर्क था.

चाचा के पहली चाची से दो बेटे हैं.

मेरे चाचा का एक कमरे का घर बहुत छोटा है. उनके घर में मुश्किल से 5 लोग रह पाते हैं.
मैं घर गया तब चाची एकदम जवान दिखती थीं और उनका फिगर 34-30-38 का था.
चाची की गांड बहुत बड़ी थी.

उस दिन चाची ने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और मैचिंग का ब्लाउज पहना था.
चाची का ये ब्लाउज काफी गहरे गले का और एकदम चुस्त था जिसमें से उनकी आधी से ज्यादा चूचियां साफ़ दिखाई दे रही थीं. चाची ने अपनी साड़ी नाभि के नीचे बांधी हुई थी.

मैं उनके घर शाम को गया था तो उस समय चाची घर के कामों से एकदम फ्री थीं.
शायद वो चाचा जी के आने से पहले एकदम सज संवर कर रहना पसंद करती थीं.

अचानक से मेरे आते ही चाची बड़ी खुश हुईं और उन्होंने बड़ी आत्मीयता से मेरा स्वागत किया.
मैं भी अपनी चाची की खूबसूरत जवानी को देख कर एकदम से कामातुर हो गया.

हालांकि इस समय मुझे कोई ख़ास अंदाजा नहीं था कि चाची के लिए मुझे क्या सोचना चाहिए.
मगर एक जवान लंड को कौन समझाए कि सामने दिखने वाली हर हसीना चोदने के लिए उपलब्ध नहीं होती.

खैर … चाची ने मुझे बिठाया और चाय बना कर ले आईं.
मैंने चाय पी और हम दोनों ने बातें की.

चाची घर के बारे में पूछती रहीं और मेरा मादरचोद लंड मेरी आंखों को उनकी चूचियां देखने के लिए उकसाता रहा.

फिर रात हुई तो चाचा जी भी आ गए.
हम सभी ने खाना खाया और अब सोने की बारी आ गई थी.

चाची ने अपनी साड़ी बदल कर एक लाल रंग की नाइटी पहनी ली.
उन्होंने शायद ब्रा उतार दी थी क्योंकि उनके मम्मों का आकार अब कुछ अलग दिखने लगा था और उनके चूचे मस्ती से हिलने लगे थे, जो कि साड़ी ब्लाउज में ब्रा पहने होने के कारण उनकी ब्रा में कैद थे और हिल-डुल नहीं पा रहे थे.

उस समय उनके गहरे गले से आधे से अधिक झांकते चूचों की छटा कुछ और थी और इस वक्त बिना ब्रा के होलते हुए चूचों की अदा कुछ और थी. कुछ भी हो … मगर मेरा लंड बड़ा खुश था.

मुझे चाची की इस पतले कपड़े की नाइटी में उनके निप्पल की नोकें साफ़ दिख रही थीं.

अब हम चारों नीचे जमीन पर सोए थे जबकि चाची सोफे पर सो गई थीं.
वहां एक ही जन सो सकता था.

कमरे में नाइट लैंप चालू था, जिसकी मद्धिम नीली रोशनी बड़ा ही कामुक नजारा पेश कर रही थी.
सब लोग गहरी नींद में सो गए थे और मुझे नींद नहीं आ रही थी.

मैंने घड़ी में देखा, रात के 2 बजे हुए थे. मैंने सोफे की तरफ देखा तब चाची की नाइटी उनकी कमर तक आ गई थी. उनकी काली पैंटी पूरी साफ़ दिख रही थी.

मेरे मन में उनके लिए तब से पहले कुछ गलत नहीं था.
मगर ये सीन देख कर मेरी आंखें खुली की खुली ही रह गईं और लंड ने अपना मादरचोदपन दिखाना शुरू कर दिया. साला एकदम से अकड़ने लगा.

उसी समय चाचा की तरफ से कुछ हलचल हुई तो मैंने देखा कि वो उठ कर गए और चाची के ऊपर लेट गए.

चाचा जी सिर्फ एक अंडरवियर में थे.

अब सोफे पर जहां एक नहीं आदमी ठीक से सो सकता था, वहां वो दोनों लेट गए थे.
चाची भी जाग गयी थीं.

वो बोलीं- क्या कर रहे हो … जय उठ जाएगा.
चाचा बोले- मुझे अभी चाहिए … अन्दर आग बहुत ज्यादा लगी है. सब सोए हैं कुछ नहीं होगा. तुम जल्दी से खोलो.

ये कह कर चाचा जी ने चाची की नाइटी उतार दी.
चाची ने ब्रा तो नहीं पहनी नहीं थी, वो सिर्फ पैंटी में रह गईं.

उन दोनों को सिर्फ पैंटी और अंडरवियर में देख कर मेरे लंड का बुरा हाल होने लगा.

चाची भी कामुक हो गईं और वो दोनों किस करने लगे.
चाचा ने चाची के दूध सहलाए और एक दूध मुँह में भर लिया.
चाची मस्ती से अपने दूध चुखाने लगीं.

कुछ देर दूध चूसने के बाद चाचा ने चाची की चड्डी भी उतार दी और खुद भी पूरे नंगे हो गए.

चाचा चुदाई के मूड में आ गए थे.
उन्होंने चाची की टांगें उनके चूचों पर कर दीं और नीचे से चाची की खुली चूत में लंड का सुपारा घुसाने लगे.
चाची ने टांगें खोल दीं और उनकी चूत में लंड घुस गया.

चाचा ने झटके से पूरा लंड चूत में पेला और हुच्च हुच्च करने लगे.
चाची जब तक गर्म होतीं तब तक चाचा जी के लंड का काम लग गया.
वो बस 2 मिनट तक ही मेहनत कर पाए और झड़ गए.

चाची उदास हो गईं और चाचा सॉरी बोलकर नीचे आ गए.

मैंने देखा चाची जी ने काफी उदास मन से अपनी चूत में उंगली की … और चूत की शांत करके वो भी सो गईं.

मुझे ये सब देख कर बहुत बुरा लगा.
कुछ देर बाद मैं भी सो गया.

सुबह चाचा जल्दी ही काम पर निकल गए और उनके जाने के बाद चाची नहाने घुस गईं.

वो नहा कर आईं.
उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी और मैचिंग का ब्लाउज मम्मों पर फंसाया.
इसके बाद चाची ने मुझे उठाया और नहाने भेज दिया.

मैंने बाथरूम में देखा तो पागल हो गया.
नीचे फर्श पर काली ब्रा और पैंटी पड़ी थी. वो चाची ने उतारी थी.

मैंने पैंटी को उठाया और सूंघा, आह क्या मस्त महक आ रही थी.
फिर मैंने पैंटी के चूत की तरफ के हिस्से को मुँह में डाला, तो चाची की चूत का माल स्वाद देने लगा.

मुझे कल रात की याद आने लगी.

फिर मैंने उसे लंड पर पहना और उसे पहने पहने ही मुठ मार ली.
मेरा वीर्य चाची की पैंटी में निकल गया.
मैंने उनकी पैंटी को उतारा और वैसे ही फर्श पर एक तरफ डाल कर कर नहाने लगा.

अब मेरा मूड चाची की चुदाई का करने लगा था.

मुझे उस दिन मुझे कोई ऐसा मौका नहीं मिला जिससे मैं चाची की जवानी को अपने लंड से शांत कर सकूँ.
शाम को मैं अपने घर आ गया.

मुझे अब चाची की चूत चोदनी थी पर मौका नहीं मिल रहा था.

फिर एक दिन उस वक्त सही मौका मिला.
हमारे रिश्तेदार के घर शादी थी, मेरे घर के सब लोग एक हफ्ते के लिए जाने वाले थे.
मेरे एग्जाम थे, जिस वजह से में नहीं गया था.

जाने से पहले मम्मी ने मेरे खाने आदि का पूछा तो मैंने कहा कि मैं बाजार में खा लूंगा.
मगर मम्मी ने चाची को मेरे साथ रहने आने का बोल दिया.

चाची के बच्चे उनके मामा के घर गए थे और चाचा को काम से छुट्टी नहीं मिल रही थी. चाची ने मेरे घर आना मान लिया.

मैं इस बात से बेहद खुश हो गया कि अब मौका मिल सकता है.
मुझे मालूम था कि चाची आसानी से नहीं मानेंगी.
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया.
मैंने चाची को सिड्यूस करने का सोचा.

दूसरे दिन सुबह चाची मेरे घर आईं तो मैं उनके सामने सिर्फ एक तौलिया पहन कर नहाने जाने लगा और चाची से कहा- आप मेरे लिए कुछ नाश्ता बना दो चाची, मुझे एग्जाम देने जाना है.

मैं बाथरूम में नंगा नहाने लगा और मैंने चाची को याद करने लंड सहलाना शुरू कर दिया.

तभी मेरा ध्यान बाथरूम के दरवाजे के नीचे कुछ परछाई पर गया तो मैं समझ गया कि चाची की चूत भी चुदने के लिए मचल रही है.

मैंने बाथरूम में लगे आईने से ध्यान से देखना शुरू किया तो समझ गया कि चाची के पंजे थे. मतलब वो मुझे किसी दरार में से नंगा देख रही थीं.

अब मैंने हल्की आवाज में चाची के लिए कहना शुरू कर दिया- हाय माया रानी … तेरी चूत में मुझे अपना लौड़ा पेल कर तुझे मस्त चोदने का दिल करता है. बस एक बार तू हां कर दे … सच में तेरी चूत की आग को ठंडा कर दूंगा. मुझे मालूम है कि चाचा के लंड में जान नहीं है. आह आह … आज एग्जाम से वापस आकर तेरी चूत चोदने मिल जाए तो सच में मजा जाए.

चाची मेरी बातें सुनकर गर्मा गईं और उनकी गर्म सांसों की आवाजें मुझे सुनाई देने लगीं.
कुछ देर बाद मैं बाहर निकलने को हुआ तो चाची झट से चली गई थीं.

बाहर आकर मैंने अंजान बनते हुए अपना तौलिया एकदम से खोला और खड़ा लंड चाची को दिखाते हुए फिर से पहन लिया.
चाची भी मेरे खड़े लंड को देख कर एकदम से स्तब्ध रह गईं.

कुछ देर बाद मैं चला गया और चाची घर में अपना काम करने लगीं.

उस दिन मेरा एग्जाम काफी जल्दी खत्म हो गया था तो मैं घर आ गया.

मैंने घर में आकर चाची को आवाज दी तो चाची की आवाज आई- मैं बाथरूम में हूँ.
मैंने बाथरूम के पास जाकर झिरी में से देखा, तब चाची नंगी थीं और अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.

वो शायद सुसु करने गई थीं और चूत में उंगली करने लगी थीं.
मैं समझ गया कि चाची की चूत सुलग रही है और उनकी लंड की जरूरत है.

मैंने दरवाजे से दूर होकर कहा- चाची, मैं कोचिंग जा रहा हूँ.
चाची ने हामी भर दी और मैं चला गया.

फिर मैं कोचिंग से जल्दी घर आ गया.
उस समय एक बजा था.

मैं घर के बाहर आया और बेल बजाई.
चाची ने दरवाजा खोला तो मैं उन्हें देखता ही रह गया. चाची पूरी भीगी हुई थीं.

मैंने पूछा तो वो बोलीं- मैं कपड़े धो रही थी, इसलिए भीग गई हूँ.

अपनी काली साड़ी चाची ने नाभि के नीचे बांधी हुई थी और उसे नीचे से उठा कर कमर में खौंसा हुआ था जिससे उनकी पिंडलियां मस्त दिख रही थीं.

चाची का गहरे गले वाला ब्लाउज भी पूरा भीगा हुआ और साड़ी का पल्लू भी उनकी कमर पर बंधा था जिससे चाची के मम्मे बड़े ही कातिल लग रहे थे.

मैं एक पल के लिए तो उन्हें देख कर मानो बौरा गया था.

चाची मुझे यूं देखती हुईं इठला कर बोलीं- जय, तू बड़ी जल्दी आ गया.
मैं बोला- हां वो एग्जाम के कारण कोचिंग में ज्यादा समय तक नहीं रुकता हूँ. बड़ी भूख लगी है चाची … जल्दी से कुछ खाना दे दो.
वो बोलीं- तुम कुछ देर बैठो, मैं कपड़े सूखने डालकर आती हूँ.

वो मुड़ीं, तो मैं पीछे से उनकी मटकती गांड की दरार को देखने लगा था.
पांच मिनट बाद चाची आई तो वो इस बार पहले से ज्यादा गीली थीं.

उन्होंने मुझे ऐसे ही गीले रह कर खाना परोस दिया.
मैं खाना खाने लगा.

चाची बोलीं- मैं साड़ी बदल लेती हूँ.

वो कमरे में चली गईं और दरवाजा बंद करना भूल गईं.
मैंने खुले दरवाजे से देखा कि चाची ने अपनी साड़ी उतारी, पेटीकोट ब्लाउज भी उतार दिया.

ये सीन देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं अन्दर आ गया.

वो मुझे अन्दर आया देख कर एकदम घबराने का ड्रामा करने लगीं.
चाची बोलीं- जय तुम … तुम बाहर जाओ.
वो पिंक पैंटी और ब्रा में थीं और खुद को छुपाने का नाटक कर रही थीं.

मैं बोला- सॉरी चाची. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. प्लीज़ मुझे करने दीजिए.
ये कह कर मैंने उनको पकड़ लिया.

वो छूटने का ड्रामा करती हुई बोलीं- मैं तुम्हारी चाची हूँ, कुछ तो शर्म करो.
उनके बोलने में इतना दम नहीं था.

मैं बोला- चाची शर्म करूंगा, तो मुझसे आपका दुख दूर नहीं हो पाएगा. आज मुझे आपके साथ सेक्स करना है, प्लीज़ मान जाइए.
वो कुछ नहीं बोलीं.
उनकी मूक स्वीकारोक्ति बता रही थी कि वो मुझसे चुदवाने के लिए मान गयी थीं.

मैंने उनकी चूचियों को मसला तो वो खुल गईं और आह आह करने लगीं.

मैंने कहा- चाची, लंड की जरूरत है न!
चाची बोलीं- हां जय, जब से तुमने मेरी पैंटी में मुठ मारी थी, मैं तभी तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही हूँ.

मैं समझ गया कि चाची उसी समय से मेरे लौड़े के लिए मचल रही थीं.

मैं उनको बेड पर ले गया और लिटा कर बोला- चाची, आप बहुत सेक्सी हो.
चाची बोलीं- आज से चाची नहीं माया बोल!
मैं बोला- ओके माया डार्लिंग.

हम दोनों लिपट कर चूमाचाटी करने लगे.
चाची ने मेरी पैंट निकाल दी फिर शर्ट भी हटा दी.

वो रुक गईं तो मैंने कहा- अंडरवियर भी निकालो डार्लिंग … तुम्हारा लंड तो अंडरवियर में ही छिपा है.
चाची ने अंडरवियर भी उतारा दिया.

जब मेरा 6 इंच का लंड एकदम सामने आया तो चाची लंड चलाती हुई बोलीं- कितना बड़ा है. मुझे आदत नहीं है इतना बड़ा लेने की.
मैं बोला- आदत पड़ जाएगी चाची … मेरा भी पहली बार है. बस जरा चूत चोदना सिखा देना!
वो खुश हो गईं और बोलीं- मैं तुझे चोदना सिखा देती हूँ.

मैंने चाची की ब्रा ओर पैंटी निकाली.
उनकी चूत पर बाल नहीं थे.

फिर हम दोनों ने कुछ मिनट किस किया और मैंने उनके दूध चूसना शुरू कर दिए.
वो मुझे दूध चुसवा कर मजा लेने लगीं.

फिर Xxx चाची ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और कुछ मिनट तक लंड चूसा.
इतने में ही मैं झड़ने को आ गया.
मैंने बताया, तो चाची बोलीं- मेरे मुँह में माल निकाल दो.

तो मैंने लंड का रस चाची के मुँह में छोड़ दिया.
वो सारा माल पी गईं और बोलीं- मस्त माल है.
मैंने कहा- चाची मैं इतनी जल्दी क्यों झड़ गया?

चाची बोलीं- पहली बार था न इसलिए जल्दी हुआ. मुझे मालूम था इसलिए मैंने जानबूझ कर तुम्हारा लंड खाली किया. अब तुम मेरा कमाल देखो. इसे मैं कैसे खड़ा करती हूँ.
मैं बोला- ओके माया डार्लिंग, अपना कमाल दिखाओ.

चाची ने मेरा लंड फिर से मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. जवान लंड था सो जल्दी से फिर खड़ा हो गया.

अब चाची बोलीं- आ जाओ, मेरे ऊपर चढ़ जाओ.
चाची ने चूत खोल कर हाथ फेरा और मुझे चढ़ जाने का इशारा किया.

मैंने लंड चूत पर रखा और चाची ने हाथ से लंड पकड़ कर फांकों में सैट कर दिया.

उन्होंने इशारा किया तो मैंने झटका दे मारा.
मेरा आधा लंड चूत में अन्दर चला गया.

वो चिल्लाईं- आह आह बहुत बड़ा है तेरा … धीरे चोद साले.
मैंने फिर से झटका मारा. इस बार पूरा लंड अन्दर घुस गया.
चाची रोने लगीं.

मैंने उनके मुँह में मुँह लगाया और किस किया.
वो अब आवाज नहीं निकाल पा रही थीं.
मैंने उसी समय ताबड़तोड़ झटके मारने शुरू कर दिए.
वो कसमसाने लगीं.

फिर मैंने मुँह हटाया तो चाची मस्ती से ‘आह आह उंम्ह उंम्ह …’ करने लगीं.

धकापेल चुदाई चलने लगी.
लगातार 15 मिनट के बाद चाची झड़ गईं पर मेरा नहीं हुआ था.

वो हंस कर बोलीं- चोदना सीख गया मेरा हीरो.
मैंने उन्हें चूमा और मस्ती से लंड अन्दर बाहर करने लगा.

चाची दूध पीते हुए चोदने का कहने लगीं.
मैंने उनकी चूचियों को चूसता हुआ उन्हें चोदने लगा.

फिर मेरा होने वाला था, मैं पूछा- रबड़ी किधर निकालूं डार्लिंग?
चाची बोलीं- अन्दर ही टपका दो राजा. कुछ नहीं होने वाला है मेरा ऑपरेशन हुआ है.

मैंने चाची की चूत के अन्दर माल डाल दिया और हम दोनों वैसे ही नंगे चिपक कर सो गए.
एक घंटा बाद वो मुझे जगाती हुई बोलीं अब उठ जाओ … एग्जाम है पढ़ना नहीं है.
मैं बोला- हां, चाय बना लाओ.
वो कपड़े पहनने लगीं.

मैं बोला- बाद में पहन लेना रानी … नंगी ही बना लाओ.
चाची हंस दीं और हम दोनों रसोई में नंगे ही चाय बनाने आ गए.

चाय पीने के बाद मैं चाची की एक बार फिर से चूत चोदी और नहाकर फ्रेश हो गए.

वो बोलीं- जय तुमने ठण्डी कर दी धन्यवाद. तुम्हारे चाचा से अब कुछ नहीं हो पाता.
मैं बोला- आप जब चाहो, बुला लिया करो.

अगले सात दिन तक हम दोनों ने मस्त चुदाई की. मैंने चाची की गांड भी मारी.
 

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अपनी आपा के बच्चों का बाप हूँ मैं



मेरा नाम यामीन है. मैं मुम्बई के अंधेरी ईस्ट में रहता हूँ. यहां हमारा चार कमरे का फ्लैट है.

मेरी उम्र 35 साल है. मैं एक मॉडल हूँ. नियमित रूप से कसरत करने से मेरा जिस्म काफी कड़ियल है. सिक्स पैक एब्स हैं.

मेरी बहन शनाया की उम्र 44 साल है. उसका 36-28-38 का फिगर है.
इस उम्र में भी वो किसी मॉडल से कम नहीं लगती है. उसका फिगर एकदम नताशा की तरह है. बड़ी बड़ी चुची, एकदम मोटी और उठी हुई गांड.
वो एकदम चब्बी माल है. उसे देख कर किसी बेजान लंड में भी जान आ जाए.

मैं और आपा एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं. जब हम दोनों छोटे थे, तब ही हमारे अम्मी अब्बू की मृत्यु हो गयी थी.
तब से मेरी अम्मी अब्बू, भाई, बहन सब आपा ही थी.

आपा के दो बच्चे हैं. एक बेटी परी 19 साल की और एक बेटा राशिद उसी की उम्र का था, क्योंकि वो दोनों जुड़वां थे.
असल में मेरे भाँजा और भाँजी हमारे मतलब मेरे और शनाया आपा के बच्चे हैं.

जब आपा 24 साल की थीं, तब उनकी शादी हो गयी थी. पर दो महीने बाद ही जीजाजी की मौत हो गयी थी. चूंकि जीजाजी अनाथ थे, इसलिए उनके मौत के बाद आपा मेरे साथ रहने लगी थी.
फिर करीब 19 साल बाद वो दिन आने वाला था, जो हम चाहते थे कि कभी न आए.

कल हम दोनों, राशिद और परी को सच्चाई बताने वाले थे कि मैं उनका मामा नहीं बल्कि पापा हूँ.
हमने ये तय किया था कि जब वो 18 साल के हो जाएंगे तब हम उन्हें सच्चाई बता देंगे.

अब तक मैंने और आपा ने अपने इस नाजायज बहन चोद रिश्ते को सभी की नजर से बचा कर रखा था.
आज रात के करीब 2 बज चुके थे.
बच्चे सो रहे थे.
हम दोनों भाई बहन बालकनी में बैठे हुए थे.

सामने दारू से भरे पैग रखे थे और हम दोनों सिप कर रहे थे.
मैं एक सिगरेट सुलगा कर कश ले रहा था.
मेरी आपा ने इस वक्त एक साड़ी पहनी हुई थी और वो अपने पैग को होंठों से लगाई हुई थीं.

सिप लेने के बाद उन्होंने गिलास को तिपाई पर रखा और मेरे हाथ से सिगरेट ले ली.
एक भरपूर कश लेकर आपा ने धुंआ बाहर को उड़ाया और मेरी आंखों में देखने लगीं.

आने वाले कल को लेकर आपा बहुत घबराई हुई थीं कि सच जानने के बाद बच्चे कैसा रिएक्ट करेंगे.

आपा भरे हुए गले से बोलीं- यामीन, कल यदि सच जानने के बाद राशिद और परी गुस्सा हो गए तो?
मैं- आपा, वो दोनों हम दोनों से बहुत प्यार करते हैं और आखिर कब तक उनसे हम ये सच छुपाएंगे. मुझसे ये छुप छुप कर प्यार करना अब और नहीं होगा. अब मैं आपको अपनी बीवी बना कर रखना चाहता हूँ.

ये कह कर मैंने आगे बढ़ कर आपा को चुप कराया और उन्हें अपने सीने से लगा लिया.
आपा कुछ देर बाद शांत हो गईं.

अब आपा उठ कर मेरी गोद में बैठ गईं और हम दोनों एक दूसरे से लिपटे रहे.

मैं आपा के होंठों को चूसने लगा.

हम दोनों ने इसी पोजीशन में बैठ कर अपने अपने पैग खत्म किए.

आपा ने कहा- एक एक और बना.
मैंने कहा- तीन तीन हो गए हैं. अब रहने दो.
आपा बोलीं- नहीं, आज मन कर रहा है. मेरी हिम्मत काम नहीं कर रही है.
मैंने कहा- ओके … बनाता हूँ.

मैंने एक एक पैग और बनाया और हम दोनों पीने लगे.
मेरा नशा बढ़ गया था और मेरा चेहरा आपा के चूचों के पास था, मैंने हल्के से एक चूची में दांत गड़ा दिया.

आपा- उई … हट बदमाश कहीं का.

फिर हम दोनों हंसने लगे.

मैं आपा के होंठों के चूसने लगा.
हम दोनों अपनी जीभ को एक दूसरे के मुँह में लड़ा रहे थे.
करीब पंद्रह मिनट तक हम एक दूसरे को चूसते रहे.

मैंने आपा को अपनी गोद में उठाया और अपने कमरे की तरफ जाने लगा.

आपा मुस्कुराती हुई धीरे से बोलीं- आज नहीं.
मैं आपा की तरफ देखते हुए मुस्कुरा दिया.

आपा समझ गईं कि मैं बिना उनकी चुदाई किए नहीं मानने वाला.
वो बोलीं- साला मानेगा नहीं, कमीना है पूरा!
मैंने कहा- जब मालूम है तो कहती ही क्यों हो!

मैंने कमरे में आकर आपा को बेड पर लिटा दिया.

आपा- पहले जाकर दरवाजा बंद कर … बच्चे सो रहे हैं.

मैं दरवाजा बंद करके आपा के ऊपर चढ़ गया और आपा को अपनी बांहों में भर लिया.
आपा मेरा चेहरा पकड़ कर पागलों की तरह चूमने चाटने लगीं.

मैं आपा के चुचे दबाए जा रहा था.
मैंने आपा के होंठों को अपने दांतों से काटना शुरू कर दिया.

कुछ ही पलों में आपा अब एकदम गर्म हो चुकी थीं.
उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दी और पागलों की तरह मेरी मर्दाना छाती को चूमने और काटने लगीं.

वो जींस के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाए जा रही थीं जो कि पहले से ही अपने विकराल रूप में आ चुका था.
मेरा लंड पूरा आठ इंच का एकदम तन चुका था.

मैंने आपा से कहा- अब और देर न करो. अपने रसीले होंठों में भर लो मेरे लंड को!
उन्होंने भी एक आज्ञाकारी बीवी की तरह मेरा जींस उतार दी और एक ही बार में पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया.

वो पागलों की तरह लंड चूसने लगीं.
मैं भी आपा का सर पकड़ कर उनके मुँह की चुदाई करने लगा.

वो अपनी जीभ को मेरे लंड के टोपे पर ऐसे घुमा रही थीं कि मैं पागल हुए जा रहा था.
मैं कभी अपने लंड को उनके गालों में रगड़ता, तो कभी उनके गले में पूरा लौड़ा उतार देता.
उनकी सांस अटक रही थीं.

इतने साल से चुदते-चुदते आपा मेरी हर नब्ज से वाकिफ हो गई थीं.
वो भी हमेशा की तरह जोर-शोर से मेरा साथ दे रही थीं.

उन्होंने मेरे लंड को चूस चूस कर पूरा गीला कर दिया था.
मेरी बहन मेरे लंड को चूसते समय मेरे आंड भी मस्ती से चूसती हैं.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उन्हें नीचे से उठाया और पूछा- आज कैसे चुदना चाहती हो मेरी प्यारी आपा?
तब आपा ने कहा- जैसे तेरा मन है वैसे चोद ले, कौन सा तू और तेरा लंड मेरी सुनने वाला है.

मैंने आपा को पैर फैला कर लेट जाने को कहा.
उन्होंने भी वैसा ही किया.

मैं अब उनकी मोटी मोटी जांघों को चाटने लगा. मैं उनके कपड़े उतारने लगा.
आपा ने रोक दिया.

उन्होंने कहा- आज साड़ी उतारे बिना ऐसे ही उठा कर कर चोद ले.
मैंने हंसते हुए कहा- आप और आपकी फैंटसी कभी खत्म ही नहीं होतीं.

वो बोलीं- हां आज दिन में मैं एक इन्डियन ब्लू-फिल्म देख रही थी.
उसमें साड़ी में चुदाई बड़ी मस्त लग रही थी.

मैं आपा की बड़ी बड़ी चुचियों को चूसने लगा.
वो चुदने के लिए पूरी गर्म हो चुकी थीं.

मैं साड़ी के अन्दर हाथ डाल कर आपा की चूत को सहलाने लगा.
आपा की चूत पहले से ही पूरी गीली हो चुकी थी.
मेरी आपा की चूत पूरी गुलाबी है.

मैं अपनी उंगली उनकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा और इधर उनके होंठों को चूसने लगा.
आपा के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

हम दोनों से अब रहा नहीं जा रहा था.
मैंने आपा की साड़ी उनकी क़मर तक उठा दी.

अब आपा ने गाली देते हुए कहा- बहनचोद, अब देख क्या रहा है … डाल ना अन्दर अपना लंड भोसड़ी के!

आपा की बहुत सारी फैंटेसी में से एक ये भी था कि चुदते वक्त वो गंदी गंदी गालियां देती थीं.

मैं अपना लंड आपा की चूत पर रगड़ने लगा.
वो और ज्यादा पागल होने लगीं- बहन चोद साले, डाल न अन्दर … अपना लंड … आंह चूत आग उगल रही है.
मैं मुस्कुराते हुए बोला- डाल रहा मेरी प्यारी आपा … जल्दी क्या है!

मेरे गाल पर जोर से थप्पड़ मारती हुई आपा बोलीं- साले भैन के लंड, यहां मेरी चूत पानी पानी हो रही है और इस रंडीजने को मस्ती सूझ रही है. डाल जल्दी मादरचोद.
आपा हमेशा से मेरे साथ डोमिनेंट थीं.

मैंने भी आपा के गुस्से को और ना बढ़ाते हुए एक ही बार में पूरा लंड डाल दिया.

उनके मुँह से हल्की चीख निकली पर इतने दिनों से चुदते चुदते वो भी अब मुझे झेलना सीख गई थीं.

मैं जोर जोर से आपा को चोदने लगा और उनके बड़े बड़े चुचों को काटने लगा.

आपा- अह आह उम्म आआ हह ऊऊऊ चोद ले आह मेरे प्यारे भाई चोद अपनी बहन को … मैं 18 साल से तेरी रंडी हूँ … आंह फाड़ डाल चूत … आहह हहह हां और जोर से पेल कुत्ते.
मैं- हां चोद ही तो रहा हूँ साली … तुझे इतना चोदने के बाद भी हमेशा चोदते रहने का मन करता है. तू सिर्फ मेरी रांड है कुतिया … आंह ले लंड खा.

मैं लगातार धक्के लगाए जा रहा था.
फिर मैंने आपा की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और पूरा जोर लगा कर चोदने लगा.

पूरा कमरा पच पच की आवाज से गूंज रहा था.

आपा- उम्म अबे साले कुत्ते धीरे चोद मादरचोद … कल के बदले आज ही बच्चों को सारे राज बताएगा क्या!
मैं- अब पता चल ही जाने दो कि उनके मामू ने ही अपने बहन के पेट में अपना बीज़ डाला था.

मैंने धक्के और तेज़ कर दिए.
अब आपा चिल्लाने लगीं- प्लीज धीरे कर … सहा नहीं जा रहा. अब वो उम्र नहीं रही … जो चाहे जैसे झेल लेती थी. प्लीज धीरे पेल आहहह मम्मी मार दिया रे.
ये बोलते हुए उनका पानी निकल गया.

पर मेरा लंड अभी भी टाइट था.
मैं बिना रुके अपनी प्यारी बहन को चोदे जा रहा था.
आपा पूरी तरह से मुझसे चिपक गई थीं, उनके मुँह से बस कुछ ही शब्द निकल रहे थे- आंह भाई ओ भाई हां भाई चोद आह आह आह.

लगातार धक्के लगा लगा कर मेरा भी पानी निकलने वाला था.
मैंने अपना लंड निकला और आपा के मुँह में दे दिया.

आपा पूरा जोर लगा कर लंड चूसने लगीं.
एक मिनट बाद मेरा गर्म गर्म लावा आपा के मुँह में निकल गया और उसे वो एक अच्छी बीवी की तरह पी गईं.

मैं आपा से चिपक गया.
मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी तो पांच बज गए थे.
मैंने आपा को लिपकिस किया और कपड़े पहनने लगा.

आपा अभी भी अपना मुँह साफ कर रही थीं.

आपा- अब आज क्या होगा, पता नहीं!
मैं- जो भी होगा, देखा जाएगा. तुम थोड़ी देर सो जाओ.
 

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मेरी आपा ने मुझसे अपनी चूत गांड मरवाई



मेरा नाम इरफान है. मैं सूरत का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 19 साल है.

मैं 10वीं कक्षा में फेल हो गया था और उसके बाद से मैंने स्कूल जाना छोड़ दिया था.
तब से अब तक मैं घर पर ही रहता हूं.

मेरे घर में अम्मी और अब्बू और बड़ी बहन रहते हैं. मेरी आपा का नाम आशिया है. उसकी उम्र 20 साल की है. आशिया की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी.

अम्मी और अब्बू नौकरी करते हैं और घर पर हम दोनों भाई बहन ही रहते हैं.

हम दोनों बहुत ही खुली मानसिकता के के हैं.
चूंकि दोनों में एक साल का ही अंतर है तो हमारा बचपन साथ ही गुजरा था.
हम दोनों छोटी उम्र में साथ में ही नहाते थे.

बचपन बीत गया और हम दोनों जवान हो गए मगर हम अभी भी कभी कभी जल्दी होती है तो साथ में ही नहा लेते थे.
बस अब फर्क इतना था कि आशिया मेरे साथ जब नहाती थी तो वो कपड़े पहने हुए ही नहाती थी.

मेरे मन में कभी भी अपनी आपा को लेकर गंदे ख्यालात नहीं आए थे.

फिर एक दिन ऐसा आया कि मैंने एक बड़ा कदम उठा लिया.
उसी से ये सेक्स कहानी बन गई.

मेरी एक गर्लफ्रेंड थी और ये बात मेरी बहन आशिया को पता थी.
उसके बॉयफ्रेंड के बारे में मुझे भी पता था.
हम दोनों आपस में कोई भी बात छुपाते नहीं थे.

मैंने कितनी बार अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स किया … और मेरी बहन ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ कब कब सेक्स किया, ये बात हम दोनों एक दूसरे से साझा कर लेते थे.

अचानक एक दिन मेरा मेरी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप हो गया और अब मैं सिंगल हो चुका था.
कई महीने बीत गए, मैंने सेक्स नहीं किया था.

एक दिन में ऐसे ही पॉर्न वीडियो देख कर मुठ मार रहा था.
तभी मेरी बहन आ गयी.
वो मुझसे बोली- दुकान से कुछ सामान ले आ.

जब उसने मुझको मुठ मारते हुए देखा तो बस मुझे पर्ची पकड़ा कर चली गई.
वो इसलिए कुछ नहीं बोली थी क्योंकि ये सब हमारे लिए आम था.

कई बार मैंने उसके सामने लंड को हिलाया था.
उसने भी मेरे सामने अपनी बुर रगड़ी थी.

फिर कुछ दिन बीते, मैं और बहन एक मूवी देख रहे थे.
उस मूवी में बहुत ही ज्यादा सेक्सी सीन आया. उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने आपा से कहा- मैं हिला कर आता हूँ.
मेरी बहन बोली- मेरी एक बात सुन!

मैंने कहा- बाद में आकर सुनता हूँ.
इतना कह कर मैं वहां से चला गया.

बाथरूम में जाकर मुठ मारने के बाद मैं वापस आया.
बहन- भाई सुन, आज कल तू बहुत ही ज्यादा हिला रहा है. क्या हुआ तेरी बंदी चोदने नहीं दे रही है क्या?

मैं- हां यार, उस साली से मेरा ब्रेकअप हो गया है.
बहन- क्या?

चूंकि यह बात मैंने अपनी बहन को नहीं बताई थी इसलिए वो ये बात सुनकर दंग सी रह गई.

बहन- तो तूने ये बात मुझे क्यों नहीं बताई?
मैं- बस ऐसे ही

बहन- तो इसी लिए आजकल तू अपना बहुत ज्यादा हिला रहा है न!
मैं- हां.

बहन- मगर ऐसा ही चलता रहा और तू हिलाता रहा, तो तेरी सेहत पर इसका बुरा असर पड़ेगा.
मैं कुछ नहीं बोला.

फिर कुछ दिन बाद मैं एक दिन अपने कमरे में अपना लंड हिला रहा था.

उसी समय आपा मेरे कमरे में आ गई और मुझे मुठ मारते हुए देख कर बोली- मैंने तुझे कितनी बार कहा है कि ये तेरी सेहत के लिए नुकसानदायक है.

उसने मेरे हाथ में से मोबाइल लिया और मेरे गाल पर एक चांटा दे मारा.
मैं सनाका खा गया.

कुछ देर तक हम दोनों एकदम बुत से हो गए.

बहन- सुन तुझे किसी को चोदना ही है ना!
मैं- हां.

बहन- तो एक काम कर … तू मुझे चोद ले!
उसकी ये बात सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गया.

मैं- कैसी बात कर रही हो आपा … तू मेरी बहन है.
बहन- तो क्या हुआ … क्या मैं अपने भाई की मदद ही तो कर रही हूं ताकि मेरे भाई को कोई नुकसान ना हो.

इतना कहकर वो आगे आई और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी.
मैंने उसे रोकने की कोशिश की, मगर वो नहीं मानी.

बस फिर क्या था, मुझे भी अपनी हवस मिटानी थी … तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा.

कुछ देर तक बहन ने मेरा लंड हाथ से हिलाया, फिर वो अपने घुटनों पर आ गई और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

कुछ ही देर में मेरे लंड से सारा पानी निकल गया और मेरी बहन ने उसे न केवल पूरा पी लिया, बल्कि मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ भी कर दिया.

वो बोली- बड़ा मस्त स्वाद है तेरे वीर्य का … मजा आ गया.
मैंने कहा- अब मुझे भी तेरी चूत का पानी पिला दे.

बहन ने उसी पल अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे सामने पूरी नंगी हो गई.

मैं अपनी बहन के इस रूप को देख कर बौरा गया.
वो वाकयी एक क़यामत माल थी.

उसने मेरी तरफ अपनी चूत हिलाई और बोली- कैसी लगी?
मैंने कहा- तू तो एकदम हॉट माल है. आज अब लेट जा … मुझे तेरी चूत का स्वाद लेने दे.

मेरी बहन अपनी चूत खोल कर चित लेट गई और मैंने उसकी चूत को चूसना चालू कर दिया.
वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरे मुँह में अपनी चूत देने लगी.

कुछ ही देर में उसकी चूत का सारा पानी निकल गया.
मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की रबड़ी को पूरा खा लिया और चूत चाट कर साफ़ कर दी.

मेरी बहन ने कहा- तू तो बड़ा मस्त चूत चाटता है. अब देख क्या रहा है, जल्दी से इस लंड को अपनी बहन की प्यारी चूत में डाल दे.
मेरा खुद का मन अपनी की चूत चुदाई का करने लगा था.

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और एक ही बार में पूरा लौड़ा चूत में डाल दिया.
लंड लेते ही मेरी बहन ने आह भरी और वो मादक सीत्कार भरने लगी.

मैं अपनी बहन के दूध चूसते हुए उसकी धमाधम चुदाई करने लगा, लंड को आगे पीछे करते हुए बहन की चुदाई करने लगा.
मेरी सगी बहन को मेरे लंड से चुदने में मजा आने लगा.

वो जोर जोर से कामुक सिसकारियां भरने लगी ‘उफ़ भाई … बड़ा मजा दे रहा है … आ अम्मी मर गई … आंह भाई ओर जोर से चोद दे अपनी बहन को आंह और जोर से पेल बहन के लंड.’

मैं उसकी हचक कर चुदाई कर रहा था और उसके मम्मों को दबा दबा कर चूस रहा था.

कुछ देर बाद मेरी बहन ने कहा- सिर्फ चूत ही चोदेगा क्या … मेरी गांड नहीं मारेगा?
मैंने कहा- अरे वाह, तेरे तो सारे छेद चालू हैं … एक साथ कितने लंड ले लेती है?

मेरी बहन बोली- साले भैन के लौड़े … मेरी बात मत कर … मैं तो अपने हर छेद में लंड लेकर मजा लेती हूँ. तू अपनी बता कि तूने अपनी गर्लफ्रेंड की गांड मारी है या नहीं?
मैंने कहा- हां आपा … मैंने उसकी गांड भी मारी है. साली गांड मराने में कुछ कुनमुनाती थी मगर मैंने थूक लगा उसकी गांड फाड़ दी थी. उस दिन कुतिया बहुत चिल्लाई थी. मगर उसके बाद मस्त गांड मराने लगी थी.

मेरी बहन बोली- फिर क्या हुआ … तेरी गर्लफ्रेंड ने तेरे लंड से नाता क्यों तोड़ लिया?
मैंने कहा- अरे वो बात कुछ दूसरी थी यार!

मेरी बहन बोली- बता न भोसड़ी के … मेर चूत में लौड़ा भी पेले हुए है और मुझसे छिपा भी रहा है.

मैंने हंस कर उसे बताया- अरे यार, एक दिन हुआ क्या कि मैं उसकी भाभी की गांड मार रहा था. उसी वक्त वो भी आ गई. बस उसकी झांटें सुलग गईं और वो मुझसे अलग हो गई.

ये सुनकर मेरी बहन हंसने लगी और बोली- तू चूतिया है … पहले उसकी भाभी के सामने अपनी गर्लफ्रेंड को चोदना था और फिर भाभी से उसे धमकी दिलवाना था. तब तेरी उससे और उसकी भाभी से सैटिंग सही जम जाती.
मैंने कहा- चल ज्यादा ज्ञान न चोद … अब औंधी हो जा. तेरी गांड में ड्रिलिंग करता हूँ.

मैंने लंड चूत से खींचा और बहन की चूची दबा कर उसे औंधी कर दिया.
मेरी बहन ने झट से पलट कर मेरे सामने अपनी गांड फैला दी.

मैंने अपने लंड को थूक लगाकर चिकना किया और उसकी गांड में पेल दिया.
मुझे अपनी बहन की गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था.

मैंने उससे पूछा- ये बता तूने अब तक कितने लंड लिए हैं?
वो बोली- मैं चार लंड ले चुकी हूँ भाई. मेरा ब्वॉयफ्रेंड अपने एक दोस्त को लेकर आया और मुझसे बोला कि इसकी शादी होनी है. इसे शादी से पहले चुदाई का अनुभव लेना है.

मैंने पूछा- फिर?
बहन- फिर क्या मैंने उसके लंड के सामने अपनी चूत फैला दी. उस दिन उन दोनों ने मेरी चूत गांड एक साथ चोदी.

मैंने कहा- हां, तभी तेरी गांड इतना मजा दे रही है.
बहन लंड दबा कर अपनी गांड सिकोड़ने लगी. मुझे मजा आने लगा.

मैंने बहन के दूध दबा कर पूछा- और बाकी के दो कौन थे?
वो हंस कर बोली- यार तुझसे क्या छिपाना. अब्बू के दो दोस्त भी मेरी चूत मार चुके हैं.

मैं चौंका- क्या कह रही है साली … तूने अब्बू के दोस्तों के लंड भी ले लिए?
वो हंस कर बोली- तू क्या समझता है. अम्मी भी पक्की रांड हैं. उनको भी बदल बदल कर लंड लेने में मजा आता है.

आज मेरी बड़ी बहन न एक के बाद एक Xxx बम फोड़ रही थी.
इससे मेरे लंड में रिसाव सा होने लगा था.

मैंने कहा- बहन मेरा पानी निकलने वाला है, किधर लेगी?
बहन ने कहा- तू मेरी गांड में ही अपना पानी निकाल दे.

मैंने आठ दस शॉट मारे और अपना सारा पानी बहन की गांड में ही निकाल दिया.
मेरी बहन ने हंस कर कहा- बस थक गया क्या … इतना ही पावर था क्या.

उसकी इस बात से मुझे गुस्सा आ गया.
मेरा लंड अभी भी कड़क था. मैंने बहन की दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में लौड़ा फिर से डाल दिया.

उसकी बात से मेरे लौड़े में फिर से तनाव आने लगा था.
मेरी बहन भी अपनी चूत को सिकोड़ने लगी थी. इससे मेरे लंड में फिर से तनाव आ गया और मैं धकापेल में लग गया.

कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने जल्दी से लंड को बाहर निकाला और अपनी बहन के मुँह पर सारा पानी निकाल दिया.

मेरी बहन भी पक्की रांड निकली, उसने लंड से निकला सारा पानी पी लिया.

फिर हम दोनों बाथरूम में गए और एक एक दूसरे को साफ़ किया.
अब हम दोनों बेड पर आकर लेट गए.

मेरी बहन ने कहा- तुझे मजा आया मेरे भाई?
मैंने कहा- हां बहन, मुझे नहीं पता था कि मेरी बहन इतनी टॉप का माल है.

ये सुनकर मेरी बहन ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी.
कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

बहन ने कहा कि लगता है तेरा लंड अभी मेरी चूत से और खेलना चाहता है.

इतना कहकर वो मेरा लंड चूसने लगी. मैंने उसकी फिर से चुदाई करना शुरू कर दी.

इस तरह से मेरी बहन और मेरे बीच चुदाई का खेल चलने लगा.
 
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