अध्याय 11 भाग:- 1 (जिंगदी का पहला लंबा सफर)
उफ्फ क्या माहौल बनाया था लियाकत ने. चारो ओर बस जैसे उसी के नाम का डंका बज रहा हो. पूरे मामले का क्रेडिट लियाकत ही लेकर गया था. बात जो भी हो, लेकिन रविवार की सुबह तो रविवार की सुबह थी. मै आज ठीक वैसे ही तैयार हुई थी जैसे मै शवन मेले के पहले दिन तैयार हुई थी.
साड़ी पहनी, सोलह श्रृंगार किया और नकुल को कॉल करके घर में बुलाई. नकुल की नजर जैसे ही मुझ पर गई, वो किनारे से मेरे गले लगाते... "दीदी वाकई में बहुत प्यारी लग रही हो, रुको मै एक सेल्फी लेता हूं"..
तारीफ किसे पसंद नहीं थी, ऊपर से उसके मुंह से तरिफ सुनकर, मै थोड़ा शर्मा गई. हम दोनों अभी सेल्फी ले ही रहे थे कि पीछे से पापा आ गए, और मुझे देखकर, मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहने लगे... "साड़ी में बहुत प्यारी लग रही है, पापा के साथ एक सेल्फी नहीं लेगी क्या?"
मै मुस्कुराकर अपना चेहरा नीचे कर ली और पापा से सिमटकर.. "नकुल एक तस्वीर तो निकल"
नकुल:- दीदी आंख तो साफ कर लो, ऐसे रोते हुए तस्वीर अच्छी नहीं लगेगी...
मै नकुल की बात सुनकर हंसने लगी और अपने आंसू साफ करके मुस्कुराती हुई पापा के साथ 3-4 तस्वीर निकाली. फिर तो देखते ही देखते पारिवारिक फोटो सेशन का माहौल चलने लगा. पंचायत के फैसले और इतने हंगामे के बाद रविवार के दिन जब मै अपना चैलेंज पुरा करने जा रही थी, तब नकुल ने सबसे कहा की... "आपको हम दोनों पर भरोसा करना चाहिए. पूरे खानदान के साथ चलने से लगेगा कि हम अब भी डरे है, इसलिए यह एक आम खरीदारी होगी और जैसे हम किराने का सामान लेकर आते है, वैसे ही आएंगे.."
उसकी बात सुनकर पुरा परिवार ही हसने लगा. पापा ने कहा हम वैसे भी नहीं आएंगे जाओ अब तुम दोनो... पापा की बातें कुछ अजीब सी थी, मै और नकुल एक दूसरे का चेहरा देखकर हैरानी सा रिएक्शन देते, बाजार के ओर चल दिए.
हम दोनों जब बाजार पहुंचे तब समझ में आया कि पापा ने ऐसा क्यों कहा. जैसे ही मै कार से नीचे उतरी, वहां जोर-जोर से ढोल बजने लगा. सड़क के दोनो ओर की ट्रैफिक रोक दी गई और एक बिल्कुल ब्रांड न्यू कार, एमजी हेक्टर, के पीछे 5-6 गाडियां रुकी.
मै नकुल का हाथ पकड़कर सामने का नजारा देखने लगी. कार से विधायक असगर आलम का एकमात्र जिंदा बेटा लियाकत उतरा. 4 ढोलकी और अपने कुछ लोगो के साथ धीरे धीरे वो आगे बढ़ने लगा.. उसके पीछे उसकी पत्नी आरती का थाल लिए थी. जैसे ही वो मेरे करीब पहुंचा, लियाकत अपनी पत्नी को इशारा किया.. उस औरत ने मेरी आरती उतारी और टिका लगाकर माला पहना दिया..
मै, लियाकत को हैरानी से देखती... "ये सब क्या है"..
लियाकत जोड़ से चिल्लाते... "अपनी शेरनी बहन का स्वागत कर रहा हूं. माफ करना मै राखी के दिन पहुंच नहीं पाया, इसलिए आज राखी बंधवाने आया हूं"..
अपनी बात कहकर वो कलाई आगे कर दिया. मै थोड़ी हैरान होकर नकुल को देखने लगी. नकुल अपनी पलकें झपकाकर सहमति देने लगा और मै आरती की थाल से राखी लेकर लियाकत को बांध दी.
लियाकत मुझे एक डिब्बे में नई कार की चाभी और साथ में एक लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया. जैसे ही उसने गिफ्ट थमाया... "सुनिए भैया, अब ये सब क्या है"..
लियाकत, बिल्कुल हमारे करीब आकर धीमे से कहने लगा… अंजाने मे जो तुमने मेरी मदद की है, उसके लिए लिफाफे मे मेरा छोटा सा धन्यवाद है. और ये कार अपनी बहन को मै राखी मे गिफ्ट कर रहा हूं. ना पसंद है तो मुझे बता दो, तुम्हे जो पसंद होगी वो कार हम ले लेंगे.. क्योंकि मै उपहार देने से ज्यादा पसंद की चीज देने में विश्वास रखता हूं..
मै:- लेकिन आप ये सब कर क्यों रहे है...
लियाकत अपनी गाड़ी में सवार होते... "कुछ चीजें लोग अपने पूरे अरमान के साथ करते है, वही मैंने भी किया है... तुम खुशी-खुशी इन्हे स्वीकार करके मेरा दिल रख लो.. और जिंदगी में कभी कोई समस्या हो तो ये तुम्हारा भाई, हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा मिलेगा"..
मै उसे जाते देख रही थी और नकुल मुझे हैरानी से देख रहा था. जैसे ही मेरा ध्यान नकुल पर गया.. "ओय अब तुझे क्या हो गया".
नकुल:- मेनका ये क्या बोलकर गया कुछ समझी..
मै:- क्या?
नकुल:- उल्लू, सुनी नहीं क्या उसने क्या कहा?
मै:- कहेगा क्या, असगर अली के बेटे को मैंने चैलेंज किया और उस चैलेंज को मैंने पूरा किया. उनकी इज्जत फटी हुई ना दिखे, इसलिए यहां मस्का पॉलिश और पॉलिटिकल एजेंडा वाला माहौल बाना रहा था...
नकुल:- कब तेरा दिमाग इस मामले में चलेगा पता नहीं. चल राशन का सामान खरीदते है, फिर मै तुम्हे रास्ते में सब समझता हूं..
मै:- लेकिन हम तो 2 कार से जाने वाले है... वो भी तो एक कार गिफ्ट करके गया है..
नकुल:- स्मार्ट गर्ल के लिए स्मार्ट कार देकर गया है... एमजी हेक्टर..
मै:- येस आई एम् ए स्मार्ट गर्ल..
नकुल:- स्मार्ट नहीं कम अक्ल. अभी तुम्हे पूरी बात नही समझ में नहीं आयी, सब समझाऊंगा तब कहेगी, ओह तो ये बात थी...
मै:- तू मुझे सस्पेंस से मत मार, चल घर जल्दी, और मुझे समझा कि वो क्या कहकर गया?
नकुल:- लिफाफा खोल कर चुपके से देख तो लो पहले घर जाना है कि पहले बैंक..
नकुल की बात मानकर जैसे ही मैंने लिफाफा खोला, मेरा मुंह खुला का खुला रह गया... फटी आखों से मै नकुल को देखने लगी, साथ मे मुझे हिचकियां भी आ रही थी... मेरी हालत देखकर नकुल पूछने लगा.. "क्या हुआ कितना बड़ा अमाउंट है जो तू सदमे में चली गई"…. "ड.. ड.. डेढ़ करोड़"..
अमाउंट सुनकर नकुल चार गालियां लियाकत को देते... "कुत्ता साला इतना कम देकर गया"
मै फिर नकुल को हैरानी से देखती... "लेकिन वो ये देकर क्यों गया है"..
नकुल ने मुझे शांत रहने की सलाह दी. मैंने बैंक जाकर पहले चेक लगाया फिर राशन का थोड़ा बहुत सामान लेकर, हम घर पहुंचे. मेरे चेहरे की व्याकुलता नकुल समझ सकता था, इसलिए वो मेरा हैरान चेहरा देखकर बार-बार हंस रहा था...
उसकी हंसी तो मुझे और भी ज्यादा परेशान कर रही थी. कमरे में वो पहले तो 10 मिनट तक हंसता रहा फिर कहने लगा... "तुम्हारे मैटर के नाम पर उस लियाकत ने अपने सारे दुश्मन को एक साथ साफ कर दिया. सुनी नहीं उसने क्या कहा था.… अंजाने मे तुमने उसका काम किया है. मतलब साफ था कि उसने जितनो लोगो को साफ किया है, उसकी लिस्ट पहले से उसके दिमाग में थी."
"बस कोई स्ट्रॉन्ग वजह नहीं मिल रही थी, वरना तुम्हे छेड़ने और गांव की 2 बेटी को परेशान करने के लिए, बहुत ज्यादा से ज्यादा 3 लोगों को मारता. वो भी पंचायत मारने के लिए कभी नहीं कहती, बल्कि कहती 6 महीने या 1 साल जेल में डाल दो. यदि ऐसा होता तो लियाकत के उम्मीद पर पानी फिर जाता, इसलिए तो उसने पंचायत मे कहा था सजा वो खुद देगा, ताकि लाशों का ऐसा खेल खेले की उसका पॉलिटिकल ग्राफ सीधा ऊपर आ जाए."
"2 दिन में कई छोटे-बड़े दिग्गज को मरवाने का क्रेडिट ले गया है. आज के वक्त मे उससे भी बड़ा बाहुबली कोई होगा क्या? उसके इलेक्शन जितने और मंत्री पद संभालने का पूरा रास्ता ही क्लियर हो गया अब तो... साला ये लियाकत पक्का पॉलिटीशियन निकला.…
awesome update hai nain bhai,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
aaj to menka ki chandi hone ke baad bhi nakul ke drishtikon se nuksaan hi hua hai,
Ab apni memani to baat karne mein bhi sabki ustad hoti ja rahi hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai