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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

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छठा किस्सा:- भाग 1







रात के लगभग 9 बज रहे थे. हर कोई खा पी कर बिस्तर पकड़ चुका था. मुझे भी हल्की-हल्की नींद आने लगी थी और नींद भगाने के लिए मैंने सोचा क्यों ना थोड़ी देर कुछ न्यूज देख ली जाए. लैपटॉप ऑन किया तो सामने सीसी टीवी कि स्क्रीन, और बगीचे में संगीता.


रात के 9 के ऊपर गांव में सन्नाटे जैसा माहौल होता है, वहीं मेरे ठीक पड़ोस के घर यानी नकुल के घर में उसकी ममेरी बहन संगीता आयी हुई थी, जो पीछे का दरवाजा खोलकर बाउंड्री के अंदर टहल रही थी..


संगीता 22-23 साल की एक जवान और खूबसूरत लड़की थी, जिसके रूप पर कोई भी लट्टू हो जाए. वहीं उसके रूप को उसकी हाइट और भी ज्यादा निखारती थी जो कि 5 फुट 7 इंच थी.. इस प्रेसनलीटी के साथ जब वो आदा से चलती थी, देखने वाले लड़को की अांह निकल जाए.. 2 दिन बाद पास के है गांव से लड़के वाले देखने आ रहे थे, इसलिए अपनी बेटी के साथ उसके मम्मी पापा भी 4-5 दिन पहले नकुल के यहां पहुंचे हुए थे..


मैं उसे एक झलक देखी तो स्क्रीन बदलते-बदलते रुक गई, फिर अचानक ही दूर ऐसा मानो कोई बाउंड्री कूदकर आया हो. ओह यहां भी आशिक़ी.. हमारे साइड के 5th घर का लड़का, हमारे 4th जेनरेशन का था, नीलेश..


पहले संगीता और नीलेश की ही शादी की बात चली थी, संगीता के रूप और पर्सनैलिटी को देखकर नीलेश के माता-पिता ने अपने बेटे के विवाह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन संगीता के मम्मी-पापा ने लड़के को छांट दिया, क्योंकि वो हाइट में थोड़ा सा उन्नीस था, और रंग भी थोड़ा सांवला, इसलिए जोड़ी मैच नहीं कर रही थी.


जब मैंने नीलेश को देखा तो उन्हें देखने की थोड़ी सी मेरी रुचि जाग गई, और मै दरवाजा बंद करके दोनो के बीच की आशिक़ी को देखने लगी.. दिल में तब गुदगुदी हो जाती जब ये सोचती, की शादी के लिए नीलेश, संगीता को मानने आया होगा, लेकिन जब उसे खुद फेयर, टॉल और हैंडसम लड़का मिल रहा हो जो 1-2 दिन बाद देखने आता, फिर तो इसे थप्पड़ परना लाजमी था..



इधर बगीचे में..


संगीता बगीचे में घूम रही थी, तभी उसे अचानक कुछ आहट सुनाई दी, वो डरकर दरवाजे के ओर भागने लगी तभी सामने दरवाजे और संगीता के बीच हांफता हुई नीलेश आ गया, और संगीता खुद को रोकते-रोकते भी उसके ऊपर आ गई.


दोनो लड़खड़ा गए और धराम से जाकर नीलेश पहले खुले दरवाजा से टकराया, जिसके दोनो पट केवल सटे हुए थे, फिर नीचे गिरा सीधा फर्श पर, और उसके ऊपर संगीता… "क्या हुआ, ये किसके गिरने की आवाज़ है".. "मै देखता हूं".. घर के अंदर से आवाज़ आयी…


तभी संगीता झटपट उठी और नीलेश भी फ़ौरन उठकर दीवार के बाजू में जा छिपा… "क्या हुआ संगीता दी, आप गिर कैसे गई"… नकुल आते ही पूछने लगा..


संगीता:- वो पाऊं स्कर्ट में फंस गए और मै गिर गई.. बच गई कोई चोट नहीं लगी..


संगीता अपनी बात भी कह रही थी और किनारे से नजर दिए नीलेश को भी देख रही थी.… "चलो रात हो गई है, सोने चलते है"…


संगीता:- नींद नहीं आ रही, तू भी रुक ना, मै घूमती रहूंगी और तू अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते रहना…


नकुल:- पागल हो गई हो आप, क्या अब क्लास की लड़कियों से बात करने पर भी ऐसा रिएक्शन दोगी…


संगीता:- खूब समझती हूं बेटा, गैलरी देखी है तेरी और किसी के बाथरूम के तस्वीरें भी… मुझ से होशियारी हां.. आगे ब्रा-पैंटी की डिटेल भी बताऊं क्या जो तस्वीर में दिख रहे थे…


नकुल वहां से भागने में ही अपनी भलाई समझा, इधर संगीता, नीलेश को आखें दिखती… "चलो बाहर निकलो मिस्टर नीलेश"..


नीलेश उसके सामने खड़े होकर… "आपको कहीं चोट तो नहीं अाई संगीता जी"..


संगीता, जोड़-जोड़ से हंसती हुई… "तुम नीचे थे और मै ऊपर, मुझे भला क्यों चोट लगने लगी. तुम्हे तो चोट नहीं अाई ना"


नीलेश:- मुझे तो मज़ा आया..


संगीता बड़ी सी आखें किए… "क्या बोले"..


नीलेश:- मतलब आप को चोट नहीं लगने दिया, इस बात का सुकून है…


संगीता:- हां मै खूब समझती हूं, मुझे अकेले देखकर यहां क्या करने अाए हो.. तुमसे तो रिश्ता कैंसल हो गया था ना..


नीलेश:- लेकिन मुझे तुम पसंद हो.. तुम जैसी खूबसूरत बीवी के लिए मै कुछ भी कर सकता हूं..


संगीता वहीं नीचे जमीन पर बैठकर इशारे में उसे बैठने कहीं… और ऊपर हाथ के इशारे से पूछने लगी.. "वो क्या है नीलेश"..


नीलेश:- चंदा मामा है..


संगीता:- अगर मेरी ख्वाहिश चांद की हो तो, उसे तुम क्या कहोगे..


नीलेश:- पागलपन कहेंगे..


संगीता:- तुम्हारे साथ भी वही केस है.. नाह मै अपनी खूबसूरती की तुलना या मुझमें और तुममें कोई फर्क जैसी बात नहीं बता रही हूं..


नीलेश:- हां पुरा जूते भिगाकर मारने के बाद लिपापोती मत करो.. मै समझ गया मै जा रहा हूं..


संगीता:- बैठकर मेरी बात सुन लिए तो मै तुम्हे एक किस्स दूंगी वो भी लिप टू लिप.


नीलेश:- आप चांद हो संगीता जी… और मै तो जमीन भी नहीं..


"ओय रुक पागल, पूरी बात तो सुनता जा"… नीलेश मायूस उठकर जाने लगा तभी संगीता उसे पीछे से खींचकर अपनी ओर की, और उसके होंठ पर होंठ रखकर चूम ली.. नीलेश की आंखे बिल्कुल बड़ी होकर मानो जमीन में गिर जाएगी.. वो टुकुर-टुकुर संगीता को देखने लगा… "चल अब बैठ जा, वरना मैंने किस्स की सेल्फी भी ले रखी है"..


नीलेश:- सेल्फी लेकर ब्लैकमेल करने की क्या जरूरत है, मै बैठ गया सुना दो जो सुनना है..


संगीता:- एक शर्त पर, एक सिगरेट पिलाओ पहले, बहुत जोर तालब लगी है.. वैसे जरूरत तो कुछ और की भी है लेकिन गांव में जुगाड ना मिलेगा…


नीलेश:- सारे मर्दाने शौक पाल रखे है आपने.. कहो तो 2 पेग का भी इंतजाम कर दूं, यहां सब जुगाड है…


संगीता:- क्या सच में..


नीलेश:- हां सच में...


संगीता इस बार नीलेश के गाल चूमती… "ठीक है फिर ले अाओ, जबतक मै ऊपर का मुआयना कर आती हूं…"


दोनो लगभग एक ही वक़्त में लौटे… "किसकी मार लाए दोस्त.. और ये क्या खाली एक ग्लास"..


नीलेश:- पिताजी की है संगीता जी, और मै पीता नहीं..


संगीता:- क्या यार, दोस्त बोली ना, ऐसे अकेले मज़ा नहीं आयेगा.. रुको मै कुछ इंतजाम करती हूं..


संगीता इतना बोलकर गई और उधर से एक ग्लास, चिल पानी, कुछ स्नैक्स और प्लेट लेकर पहुंची… संगीता दो पेग बनाने के बाद एक ग्लास नीलेश के ओर बढ़ाती.. "चलो हर-हर महादेव का नाम लेकर पी जाओ"..


नीलेश:- छी छी मै नहीं पियूंगा, किसी को पता चल गया तो..


संगीता:- एक पेग पर एक किस्स .. बोलो क्या कहते हो..


नीलेश:- ऐसे तो मै जहर भी पी सकता हूं..


संगीता खुद भी 2 लाइट पेग ली और नीलेश को टाईट पेग पिला दी, पिलाने के बाद… "नीलेश बस मेरी ख्वाहिशें चांद की तरह हो जाएगी जब मै ब्याह कर इस गांव में आऊंगी. मेरे मां पिताजी ने मेरी परवरिश सहर में की, बैंगलोर भेजा मुझे पढ़ने के लिए, और जब मैंने उन्हें कहा कि मै जॉब करना चाहती हूं, अपना कैरियर बनाना चाहती हूं, और इस दौरान मुझे कोई लड़का पसंद आ गया तो मै शादी भी कर लूंगी.. तुम बताओ मैंने कोई गलत बात की क्या अपने जाहिल मां बाप से"..


नीलेश:- शी शी शी शी.. धीमे संगीता जी.. सब सो रहे है..


संगीता:- तुम बताओ नीलेश क्या मैंने गलत कहा था..


नीलेश:- बिल्कुल नहीं..


संगीता, वापस से एक टाईट पेग उसकी ओर बढ़ते…. "जानते हो मै अपने गांव में थी और 2 लड़को से हंसकर बात कर ली, तो चूतिए ये गांव वाले, मुझे पागल लड़की कहते है.. इनकी तो मिल जाए तो बॉटल घुसेड़ दूंगी.. क्या मै तुम्हे पागल दिखती हूं क्या?


संगीता ने थोड़ा जोड़ से कहा और एक पेग पी गई... साथ ही साथ इस बार थोड़ा और ज्यादा टाईट पेग बनाकर नीलेश को दे दी… "पियो दोस्त तुम भी पियो"..


नीलेश एक पुरा पेग गटकते… "संगीता जी उन मादरजात का नाम बता दीजिए सालो को मै गोली मार दूंगा.. आप तो बिल्कुल शुशील, सभ्य और संस्कारी है"..


संगीता:- थैंक्स दोस्त.. लो एक और पेग पियो.. बस दोस्त इसलिए मै यहां शादी नहीं करना चाहती, लड़की हंसकर बात कर ली तो आवारा, कहीं पता चला मै वर्जिन नहीं तो मुझे कॉल गर्ल मानकर घर में ना घुस जाए. या मेरे माता पिता को ही इतना जलील करे कि मै आत्महत्या कर लूं.. सॉरी दिल की भड़ास निकालनी थी इसलिए तुम्हे इतना पिला दिया दोस्त.. गुड नाईट.. सुभ रात्रि.. सुबह तुम सब भुल जाना.. और हो सके तो वो रिश्ता भी तुड़वा देना.. बाय बाय..


इधर कमरे में


मै इन दोनों का पूरा ड्रामा देख रही थी.. कुछ भी समझ में आने लायक नहीं था.. क्योंकि ऑडियो गायब थी और विजुअल केवल आ रहे थे.. बस जो नजरो के सामने था वो शॉकिंग था.. नीलेश को किस्स कर दी, वो भी तब जब वो जा रहा था.. मुझे तो लगा कि दोनो के बीच जरूर प्रेम प्रसंग है और संगीता के घरवाले ने ये रिश्ता नामंजूर कर दिया है..


अगले दिन सुबह के वक्त ही खुफिया मीटिंग बैठी, जिसका मुखिया नकुल था.. मीटिंग मेरे ही कमरे में रखी गई थी और इसमें सामिल हुए नीलेश और नंदू … मै बिस्तर कर बैठी थी और सभी सामने कुर्सी पर..


तभी भाभी चाय लेकर अंदर आ गई और हंसती हुई पूछने लगी… "हां तो मेरी ननद किसके घर ब्याह के जाएगी, किसी को लड़की अब तक पसंद आयी या नहीं"..


नकुल:- ही ही ही.. थर्ड क्लास जोक था और मेनका दीदी हमारी खुफिया मीटिंग में इनका क्या काम..


भाभी:- हां जा रही हूं.. चाय ही देने आयी थी..


जैसे ही भाभी गई, मै अपने दोनो हाथ जोड़ती… "आप लोगों को और कोई काम नहीं है क्या, क्यों मेरे प्राण के दुश्मन बने हो, नकुल तुझे शर्म नहीं आती क्या?


नकुल:- मेनका दीदी सही कह रही है.. वो बेचारी बच्ची कुछ जानती ना समझती है उन्हें कहां से पता होगा रिश्ता कैसे तुड़वाते है..


"किसका रिश्ता तुड़वा रहे हो तुम लोग यहां बैठकर".. पीछे से मां भी कमरे में आती हुई पूछने लगी.


नकुल:- दादी, यहां मीटिंग चल रही है, आपको पता नहीं.. जाओ अभी..


मां:- नाह मुझे भी सुनना है कि तुमलोग क्या बात कर रहे हो..


मै:- नकुल की ममेरी बहन संगीता ने कहा है कि अगर नीलेश भईया कल होने वाले रिश्ते को कैंसल करवा दे, तो वो इनसे शादी करने के लिए विचार करेगी…


मां:- इतनी खूबसूरत लड़की आएगी अपने परिवार में और क्या चाहिए.. 5-6 लठैत लेकर जाओ और सर फोड़ दो.. यहां लड़की से कल ही फेरे करवा लेंगे.. सभा तो ऐसे डालकर बैठे हो, जैसे इनमे से देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा उसपर चर्चा हो रही हो.. जा रे नकुल त्रिभुवन को लेकर..


मै:- नकुल ही सारे काम करेगा क्या? मतलब सबसे छोटा है तो भेज दो उसे कहीं भी..


मां:- तू दहेज में लेकर इसे चली जाना.. ये काम नहीं सीखेगा तो कौन सीखेगा.. वैसे भी बाकी सब तो पढ़ लिखकर जॉब करेंगे, ये यहीं रहेगा ना..


मै:- हीहिही.. अच्छा जोक था, अब जाओगी. यहां किसी का सर नहीं फोड़ना है वरना लड़की वाले भाग जाएंगे.. और मां हाथ जोड़ती हूं, किसी को बाहर बक मत देना.. नकुल कही थी तुझे दरवाजा बंद कर दे गधे, पुरा खानदान ही एक-एक करके आएगा अब..



मां के जाते ही नीलेश… "अब हम में से थोड़े ना किसी को रिश्ता तुड़वाने का अनुभव है, कभी जरूरत ही नहीं परी"..


मै:- इस बेशर्म को देखो अपनी ही ममेरी बहन का रिश्ता तुड़वा रहा है.. जाकर जीजाजी को पसंद करेगा सो नहीं.. यहां आकर सब मुझे परेशान किए हो..


नीलेश:- मेरी शादी में सबसे ज्यादा फायदा तो तुझे ही होना है ना..


मै:- नीलेश भईया वो सब तो ठीक है लेकिन ये कोई फिल्म थोड़े ना है की देखने आने वाले परिवार का रास्ता हो रोक दिए और आने ही नहीं दिए..


नंदू:- आइडिया बुरा नहीं है..


मै:- और ये गांव है, यहां सब यूं पहचान जाएंगे.. किसने उनका रास्ता रोका, मेरे पास एक बेस्ट आइडिया है, थोड़ा रिस्की है पर काम हो जाएगा..


नीलेश:- क्या है जल्दी बता ना..


मै:- मेरा ना सर बहुत तेज दर्द कर रहा है..


नीलेश:- एक पायल..


मै:- ओह मां दर्द से सर फटा जा रहा है..


नीलेश:- ठीक है एक पायल और 1 भर (10 ग्राम गोल्ड) का झुमका..


मै:- आह दर्द आधा कम हुआ है..


नीलेश:- लालची कहीं की.. एक हार, झुमका, और पायल..


मै:- गले का हार 2 भर (20 ग्राम गोल्ड) का होगा ना, वो भी मर्का वाला..


नीलेश:- अब बता भी..


मै:- पहले जाओ कन्फर्म कर आओ की वो लड़की मेरी भाभी बनेगी की नहीं.. फिर मै उपाय बताती हूं.. वरना क्या फायदा ऐसा रिश्ता तुड़वाकर..


नीलेश:- लेकिन अकेले में बात कैसे होगी..


नकुल:- एक काम करो नीलेश भईया आप यहीं रुको, मै संगीता दी को यहां बहाने से बुलाकर लाता हूं, फिर बात कर लेना सिंपल..


मै:- यहां नहीं.. यहां सब सुन लेंगे.. नीलेश भईया आप भाभी के कमरे में चले जाओ… वहां आराम से बात कर लेना…


नीलेश:- हम्मम ! ठीक है.. पर क्या वो मुझसे अकेले में बात करेगी..
 

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छठा किस्सा:- भाग 2







नीलेश की इस बात मेरी हंसी छूट गई.. वो मुझे ऐसे देखे मानो उन्होंने कुछ अजूबा कह दिया हो. यहां मै ये सोच रही थी, अकेले में इनके मुंह से कुछ निकलेगा या नहीं. बहरहाल ये भी अपने आप में एक नया सा अनुभव था.. जो हम भाई बहन, नहीं इतने भाइयों की इकलौती बहन मिलकर करने जा रहे थे.. शायद हमारे खानदान की पहली ऐसी शादी होगी..


नाना कोई दूध का धुला नहीं है.. हमारे यहां लव मैरेज और इंटर कास्ट मैरिज भी हो चुका है और एक भगम भाग शादी भी.. दुर्भाग्यवश ये तीनों ही एक परिवार से हुए थे.. मेरे प्यारे बड़े पापा.. अब यहां नहीं रहते वाराणसी शिफ्ट कर गए है, यहां के जमीन जायदाद बेचकर वहां बड़ा सा एक शॉपिंग मॉल खोल लिया है, जिसे मेरे बड़े भैया सुजीत और अजीत मिलकर देखते है.. और इसमें पूरी भागीदारी मेरी दोनो भाभी निभाती है.. तीसरे सबसे छोटे वाले भईया यूएसए में अपनी बीवी और बच्चो के साथ रहते है, शायद वही सैटल हो गए हो, उतनी जानकारी नहीं..


गांव छोड़ देने के बाद वो सुखी से जीवन बिता रहे है.. जब से मेरे पास अपना मोबाइल आया है तब से भईया और भाभी से बातें होते रहती है, हां लेकिन ये किसी को पता नहीं है.. सबने मिलकर गांव से निकाल जो दिया था.. यहां तक कि मेरी जब दादी मरी थी तो बड़े पापा को मुख अग्नि भी नहीं देने दिए..


ओह आप सोच रहे है फिर नीलेश भईया के लिए मेरी मां ने ऐसा क्यों कहा. सुनिए-सुनिए इन मामलों में हम बहुत मॉडर्न खयालात के है.. प्यार अपने कास्ट में करने की पूरी आज़ादी है.. लड़की को उठा लाओ उसकी भी छूट है, लेकिन सब अपने कास्ट में होना चाहिए, इंटर कास्ट नहीं. अब मै अपना केस नहीं बात सकती की मै अगर अपने कास्ट में भी किसी से प्यार करूं तो क्या होगा..


वैसे ये सोचकर ही मेरी घीघी निकल आती है कि शादी के लिए किसी लड़के के बारे में कहीं खुद से बता दी तो पता ना क्या होगा.. बाद का तो पता नही, पर तुरंत नतीजों में मेरे गाल लाल जरूर कर दिए जाएंगे और यहां रानी की तरह जीने वाली मै, सबकी नजर में गिर जाऊंगी सो अलग.. उफ्फफ ! सोचकर ही पसीने आ गए मेरे. कौन एक लड़के के खातिर इतना कुछ कुर्बान कर दे, कोई बेवकूफ ही होगी…


खैर थोड़ी ही देर में संगीता पहुंच चुकी थी.. मै लड़की होकर उन्हें मस्त कह रही हूं तो सोचिए बाकियों का क्या हाल होगा. ऊपर से लगता है ब्रा भी अंदर नहीं पहनी थी, बस अंदर एक इनर टाइप की स्लीव डाली होगी और ऊपर से एक व्हाइट रंग का कुर्ता, नीचे लोंग स्कर्ट पहनी हुई थी..


उनके हिलते स्तन के दर्शन तो उसके कुछ देवर भी चोरी छिपे कर रहे थे, जो दूर खड़े थे.. बहरहाल वो अंदर गई और हम सब बाहर थे... "ओह तो तुम हो, मतलब नकुल अपने दादिहाल का ही हुआ"..


नीलेश:- तुम भी उसी के ददिहाल की हो जाओ.. मेरी तो वही ख्वाहिश है..


संगीता:- जैसे मैंने तुम्हे किस्स किया है ना, रैंडम. वैसे ही मैंने 5 और लड़को से भी किस्स किया है. मेरे 2 ब्वॉयफ्रैंड भी रह चुके हैं, जिनके साथ मेरे फिजिकल रिलेशन थे.. मैं ड्रिंक करती हूं, अपनी मर्जी के कपड़े पहनती हूं. दिल करता है तो लड़को को टीज भी करती हूं.. बेसिकली मै इंडिपेंडेंट रहना ज्यादा पसंद करती हूं.. यहां के माहौल जिस तरह के है उन माहौल में हम दोनों के साथ-साथ तुम्हारे परिवार भी पीस जाएंगे.. इसलिए मै तुमसे शादी नहीं कर सकती…


नीलेश:- हम्मम ! मेरा नाम नीलेश मिश्रा है.. मैंने बी टेक पास किया है.. यहां छोटे-छोटे गर्वनमेंट टेंडर लेता हूं. मेरे अंदर 20 क्रमचारी, 300 परमानेंट मजदूर और 4 इंजिनियर काम करते है… तुम अगर मेरे साथ रहोगी तो मै आईटी के टेंडर भी उठाऊंगा… ये तो हो गया तुम्हारा कैरियर..

अब बात करते है वर्जिनिटी की.. तो सहर से ज्यादा करप्ट गांव है.. कौन किसके साथ क्या कर रहा है किसी को पता ही नहीं चलता हर कोई अपना सीक्रेट रिलेशन सालो से मेंटेन किए है, लेकिन ना तो कोई लड़की कहने जाएगी और ना ही कोई लड़का कहने जाएगा..

मेरे कोई सिक्रेट रिलेशन नहीं, लेकिन मै वर्जिन भी नहीं… इसमें भी एक बात और है, जिसका भी रहा हूं, पुरा होकर रहा हूं. ऐसा नहीं है कि एक वक़्त में किसी दूसरे के घुमाया हूं.. बस कभी उसके ओर से ब्रेकउप होता, कभी मेरे ओर से.. सो हमारी कंडीशन एक जैसी है..

नेक्स्ट रही बात तुम्हारे पीने और सिगरेट की तो वहां पार्टी कल्चर था और खरबूज को देखकर खरबूज ने रंग बदल लिया.. यहां तुम्हे पार्टी कल्चर नहीं मिलेगा, इसलिए कभी-कभी पीने की इक्छा बंद कमरे में या, बाहर कहीं जाकर पूरी हो जाएगी.. योर टर्न..


संगीता:- और मेरा दूसरो के साथ हंसना, बात करना, कभी-कभी केजुअल हग कर लेना..


नीलेश:- क्या तुम सबको पकड़-पकड़ कर हग करती हो, या कॉलर खींचकर हंसना-बोलना करती हो…


संगीता:- तुम्हारे साथ जो किया वो भुल गए क्या? नीलेश शादी से पहले ऐसे ही सारी कमिटमेंट हां हो जाती है, लेकिन शादी बाद वही मजबूरी लगने लगती है.. तुम मुझे एक्सेप्ट कर लोगो, लेकिन तुम्हारा गांव एक्सेप्ट नहीं करेगा..


नीलेश:- तो साल में महीने, दो महीने के लिए तुम गांव को एक्सेप्ट कर लेना, बाकी मै सहर में ही रहता हूं, और सारा काम वहीं से देखता हूं…


संगीता:- तो वादा करो, शादी के बाद से तुम्हारी सारी फ्लर्टिंग बंद, और अपने सारे रिलेशन को प्रॉपर अलविदा कह दोगे, जैसा कि मै करने वाली हूं…


नीलेश:- वादा रहा.. नाउ स्माइल प्लीज..


संगीता:- स्माइल की झप्पी पा ले यारा..


नीलेश:- पप्पी झप्पी सब रात में… बगीचे में..


संगीता:- कल आना, पूरी व्यवस्था के साथ और कंडोम भी ले आना.. अभी चलो, मेरा हाथ मांगने आओ…


नीलेश:- तुम तैयार हो जाओ, मै अभी आया…


दोनो की लंबी चली वार्तालाप के बाद संगीता बाहर निकल आयी और नकुल के साथ चली गई. वहीं नीलेश भईया मुझे घूरते हुए कहने लगे… "सब कुछ तो ऐसे ही तय हो गया, वो राजी हो गई, अब रिश्ते की बात भी होनी जा रही है, तुम्हारा क्या रोल था… फालतू में 1,2 लाख के बीच का खर्च बढ़ने वाला था"..


मैं:- स्माइल प्लीज, अब जाओ भी, और रिश्ता तय कर आओ भईया…


नीलेश:- वैसे थैंक्स ए लौट मेनका… बड़ी मुश्किल आसानी से हल कर दी.. हम कल ही सहर चलेंगे..


मै:- नहीं भईया, मै नहीं जा पाऊंगी…


नीलेश:- देखता हूं मै भी कैसे नहीं जाती है…


चले उन दोनों का तो कल्याण हो ही गया, हम भी चले. वैसे गांव इतना बोरिंग भी नहीं है, यदि अपने लोगो के बीच रहा जाए तो… इधर मै अपने कमरे में गई और आधा घंटा बाद पटाखे फूटने शुरू हो गए.. "ओह लगता है सब तय हो गया.


"क्या मै अंदर आ सकती हूं मैम"… भाभी ने दरवाजे से आवाज़ दिया..


मै:- क्या है भाभी.. ऐसे तकल्लुफ….. उफ्फ ये आदा .. आज क्या गांव ने बिजली गिराने जा रही हो..


भाभी:- नहीं पॉवर हाउस ने कहा था सज संवर कर रहना, पॉवर सप्लाई मिलने वाला है ना उसी खुशी में चमक रही..


मै:- छी छी छी.. अश्लील भाभी..


भाभी:- हां वो तो मै तुझे शादी बाद यहां महीना दिन रोक लूंगी ना, फिर तेरे भी अरमान सामने आ ही जाने है, फिलहाल चल लैपटॉप ऑन कर कुछ .ऑनलाइन शॉपिंग करनी है..


मैंने लैपटॉप ऑन किया भाभी वहां से तनिष्क पर गई, डायमंड इयर रिंग, नोज रिंग, एक शानदार झुमका, और एक खूबसूरत सा नेकलेस जिस पर हीरा जड़ा हुआ था. कुल मिलाकर 4 लाख की शॉपिंग करने के बाद पेमेंट कर ही रही थी कि, रुक रुक.. एक पायल भी सेलेक्ट कर..


भाभी ने जैसे ही पायल कहा, मै उनके ओर मुड़कर… "सच सच बताओ ये शॉपिंग किसके लिए की जा रही है"..


भाभी:- तेरे लिए और किसके लिए..


मै:- अभी मेरी शादी में टाइम है, ये फालतू की जेब क्यों काट रही ही भईया की..


भाभी:- तेरे शादी में इतने ही गहने लेंगे क्या? नीलेश को नहीं देना था तो मत देता, इतना तो हंसी मज़ाक चलते रहता है। कीमत बताने और पैसे गीनाने की क्या जरूरत थी..


मै:- तो आन पर आकर आप कान कटवा लो..


भाभी:- पागल आन बान शान की क्या बात है.. ये गहने भी तो समाप्ति होते है.. और मेरी खुद की आमदनी इतनी है कि मै तुम्हे इतना गिफ्ट कर सकूं.. चल अब जो बोला वो कर..


मै:- भाभी सुनो, आपको कभी लगा है कि मेरे पास किसी चीज की कमी है.. इतने वो 10 भर (100ग्राम गोल्ड) वाला हार ऐसे ही परा रहता है. वो पिछली की पिछली दीवाली तब भी 2 भर का हार लिए थे ना.. मेरे पास पहले से इतने जेवर है, फिर आप मुझे यहां लॉजिक दे रही हो.. कुछ नहीं हुआ है बस आपका दिमाग खराब है… कब सुधरोगे आप लोग.. हर बात पर राई का पहाड़ मत बनाया करो..


लगता है बोलने में मै जल्दबाजी कर गई.. गांव में ऐसी परिस्थिति भी आम बात है जहां कब किसकी सामान्य सी बात, दिल पर लग जाए और वो अपने आन पर लेले, ये आम बात होती है.. कहने का ये अर्थ होता है कि ऐसा कतई सोचना गलत होगा कि ये एक आदर्श गांव है और यहां सब मिल जुल कर रहते है.. हर वक़्त तो नही, लेकिन कभी कभार परिवार में इन्हीं औरतों की गलतफहमी के कारन परिवार में लाठियां चलना आम बात होती है.. हां पर इन सब में एक चीज जो नहीं होती, लाख आपस में मन मुटाव किसी का क्यों ना रहे बेटी को कोई नहीं रोक सकता परिवार में किसी के पास मिलने से, वो तो सबकी बेटी होती है.


बढ़ते है अगली रात पर जो वाकई में कहर की रात थी.. 20 मीटर तक काम करने वाला ब्लूटूथ माईक था मेरे पास, जो मैंने उस बगीचे में लगा दिया था.. 2 रात पहले की नीलेश और संगीता की फाइट मुझे नहीं समझ में आयी थी.. उसके बाद कल इनकी क्लोज डोर मीटिंग में क्या हुआ वो भी समझ में नहीं आया, केवल विजुअल्स थे, इसलिए आज मैंने अपने ऑडियो का इंतजाम कर लिया था. 3 ब्लूटूथ माईक बगीचे में और मै रात के 9 बजे के बाद कंप्यूटर पर…



बगीचे में रात के साढ़े 9 बजे… .


नीलेश सिगरेट शराब चखने के साथ पहुंच गया था… थोड़ी ही देर में महफिल चलने लगी.. दोनो ने 2-2 पैक खिंचे और खड़े होकर एक दूसरे को देखकर वसना में डूबी एक मुस्कान दिया और पूरे जोश के साथ चिपक गए…

 

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छठा किस्सा:- भाग 3








बगीचे में रात के साढ़े 9 बजे…


नीलेश सिगरेट शराब चखने के साथ पहुंच गया था… थोड़ी ही देर में महफिल चलने लगी.. दोनो ने 2-2 पैक खिंचे और खड़े होकर एक दूसरे को देखकर वसना में डूबी एक मुस्कान दिया और पूरे जोश के साथ चिपक गए…


आते के साथ ही बगीचे का दरवाजा बाहर से संगीता ने बंद कर दिया था और चारो ओर की लाइट आफ थी बस जहां ये बैठक लगा रहे थे वहां के ऊपर दीवार पर एक बल्ब जल रहा था, जो पुरा समा रौशन कर रहा था…


जैसे ही नीलेश के सीने में संगीता की पूरी छाती चिपकी… "तुमने ब्रा नहीं पहनी क्या"..


"सुहागरात पर सारे कपड़े उतार लेना नीलेश..आज तो स्कर्ट के नीचे पैंटी भी नहीं है"..


नीलेश चिपकना छोड़कर उसके मुंह से मुंह लगाकर रसोभोर में डूबा एक चुम्मा लेते हुए… "लगता है बहुत दिन की प्यासी हो संगीता"..


संगीता, वापस से नीलेश के होंठ चूमती उसके बरमूडा में हाथ डालकर अपनी नरम बड़ी-बड़ी गोरी उंगली के बीच, उसका काले लंड को प्यार से सहलाती हुई… "2 साल से कुछ किया नहीं नीलेश, परसो जब तुम्हे चूम ली, तो आग भड़क गई बस परसो और कल रात सेक्स के लिए मेरे पास उत्तम समय नहीं था.


"आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह… तुम्हारे हाथ मुझे पागल बना रहे है संगीता.. ओहह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह.. उफ्फफफफफफफफफफफफफ"..


संगीता उसकी मादक सिसक सुनकर अपना हाथ बाहर निकाल ली.. और शरारती नजरो से नीलेश को देखने लगी.. नीलेश सवालिया नजरो से मानो पूछने को कोशिश कर रहा हो.. लंड से हाथ क्यों हटा ली.. उसके प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर संगीता उसे आंख मारी और नीचे बैठकर झटके में उसका बरमूडा खींच दी.. स्प्रिंग के जैसे लंड उछाल कर संगीता के चेहरे के सामने आ गया…

संगीता उसपर अपनी बड़ी-बड़ी उंगलियां रखती, दोनो हाथो के बीच लंड को रखी और उसकी चमरी को पीछे ले जाकर लंड के सुपाड़े पर गोल-गोल जीभ फिराने लगी.. जैसे ही संगीता ने गोल गोल जीभ फिराना शुरू किया, नीलेश मस्ती में कमर को झटकने लगा और संगीता के बाल पकड़ लिए..


जैसे ही नीलेश ने संगीता के बाल पकड़े, संगीता उसे टीज करती खड़ी हो गई.. और कुछ दूर पीछे जाकर दीवार से चिपक गई.. दीवार से चिपक उसने अपने बालों का जुड़ा खोल दिया और उंगली के इशारे से नीलेश को बुलाने लगी..


नीलेश का लंड तो पहले से खड़ा था, ऊपर से उसकी उत्तेजना भी उतनी ही बढ़ी हुई.. वो गया और जल्दी-जल्दी संगीता के शर्ट का बटन खोलने लगा… "आराम से निलेश, बटन टूट जाएगा"… "अब आराम से सुहागरात के दिन करेंगे संगीता, अभी तो ये जोश है बड़ी"… कहते हुए नीलेश ने पूरी ताकत से शर्ट के दोनो हिस्सों को पकड़ कर खींच दिया और सारे बटन टूट गए.


बटन टूटते ही शर्ट के 2 हिस्से हो गए और चूची के दोनो साइड का गुदाज हिस्सा इतना मादक था, कि नीलेश के आखों मै चमक आ गई.. नीलेश शर्ट के दोनो हिस्से को पूरा खोलकर, उसके 34 के आकर के मादक चूची का दीदार करने लगे.. बिल्कुल गोल और निप्पल खड़े… संगीता कुछ सेकंड का इंतजार करती रही जब नीलेश आगे नहीं बढ़ा तो वो अपनी आंख खोलकर उसे देखी..


अपने चूची के ओर उस घूरता देखकर हंसती हुई पूछने लगी… "ऐसे बूब्स को घुर क्यों रहे हो"..


नीलेश:- इतने खड़े और गोल बूब्स कैसे है तुम्हारे, यहां तो सबके लटक जाते है..


"इनकी गोलाई को तुम ही कोशिश करके ढीला कर दो, रोका किसने है.. अपना ही माल है बेबी.. तुम्हे अब जैसे पसंद हो वैसा बाना दो"… कहती हुई संगीता ने उसके हाथ उठाकर अपने दोनो चूची पर डाल दिए…


नीलेश उसके नरम गोल चूची को अपने हाथ में भरकर मसलने लगा. जैसे कोई हॉर्न हाथ ने आ गया हो, दबाकर छोड़ो तो रबर वापस अपने पोजिशन पर. नीलेश ठीक वैसे ही दबाए जा रहा था.. संगीता अपने होंठ दांतों तले दबा रही थी और अपने हाथ, अपने चूत पर ले जाकर अपनी चूत को स्कर्ट के ऊपर से मसल रही थी…


नीलेश तो जैसे गोल चूची की गोलाई में ही खो गया हो जैसे.. वो तो लगातार दोनो हाथ से पहले मिजाई किया. बाद में अपना मुंह लगाकर निप्पल को दांतों तले दबाकर चूसने लगा. "उफ्फफफफफफफफफफफफफ नीलेश.. अब आगे भी बढ़ो… क्यों तारपा रहे हो… आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह.. 2 साल से किसी को हाथ तक नहीं रखने दिया है बेबी.. मेरी मजबूरी भी समझो.. "


"कंडोम मेरे जेब में है संगीता".. जैसे ही नीलेश ने याद दिलाया, संगीता उसके शर्ट के जेब से कंडोम निकाल ली. तेजी से उसे दांत फाड़कर कंडोम बाहर निकाल ली और नीचे बैठ गई.. लंड को अपने हाथो में लेकर अपना बड़ा सा मुंह खोल ली और पूरे लंड को मुंह में लेकर गीला करती, नीचे बॉल को अपने हाथ से सहलाने लगी..


नीलेश तो पुरा निहाल होकर मुंह चुदाइ में ही लग गया. कुछ देर मुख मैथुन करने के बाद संगीता ने तुरंत उसपर कंडोम चढ़ाया और कंडोम लगा लंड मुंह में ले ली… "ईईव्यू.. हॉस्पिटल से फ्री वाला कंडोम उठा लाए क्या?"..


"यहां आग लगी है और तुम्हे कंडोम की परी है"… नीलेश ने हाथ पकड़ कर खड़ा किया और उल्टा घूम कर दीवार पकड़ने को बोल दिया… संगीता उल्टा घूम गई और दीवार से अपने दोनो हाथ लगाकर, अपने दोनो पाऊं फैलाकर कमर को बाहर निकाल दी… नीलेश ने झट से स्कर्ट को ऊपर करके नीचे बैठ गया, और पीछे से आ रही चूत के मनमोहक दृश्य को देखने लगा.. बिल्कुल साफ और गुलाबी चूत.. जिसे देखकर एक बार फिर नीलेश की आखों में चमक हो गई…


"ऑफ ओ.. अब आगे भी बढ़ो.. फिर कहां अटक गए नीलेश"… "ऊफ ये चूत नहीं मलाई है जिसके अंदर मेरा लंड जाकर गोते लगाएगा"…


"साले गंवार बी टेक.. पुसी बोल लेते, कॉक बोल लेते.. सारी रात देखनी है तो फोटो खींचकर ले जाओ, और तुम भी भार में जाओ नीलेश.. यहां हलचल मची है, मै उंगली से ही काम चला लूंगी"..


"अब लंड कहो या कॉक, होगी तो चुदाई ही.. ओह सॉरी .. इट्स डैम फक्किंगगगगगगगगगगगगगग…. "आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह नीलेश.. उफ्फफफफफफफफफफफफफ…जान निकाल दी, चूटिए, आराम से डाल कर स्पीड बढ़ाना था ना… उफ्फफफफफफफफफ, मज़ाआआआआ आ गया… आह्हहहहहहह.. हर्डर बेबी…. ऊम्ममममममममम"

"आह्हहहहहहहहहह, आह्हहहहहहहहहहहह.. उफ्फफ, आह्हहहहह.. येस बेबी.. और जोर से .. आह्हहहहहह"…..नीलेश लंबा फंकिंग बोलते हुए चढ़ गया घोड़ी और लंड के लंबे-लंबे शॉट्स उसके दोनो चूची दबाते हुए मारने लगा…


संगीता भी अपनी चूत में बहुत दिनों बाद लंड लेकर, पूरी तरह से जलते बदन को कामुकता के साथ कमर हिलाकर चुदवाने लगी… नीलेश उसके दोनो चूची पकड़ के फोर्स लगाकर अखनी कमर हिला रहा था और संगीता दीवार कर हाथ का जोर देकर अपनी कमर हिलाते जा रही थी…


दोनो की तेज और मादक सिसकारी चारो ओर हवा में गूंज रही थी… तभी जैसे दोनो की आंखें पूरी तरह बंद हो गई हो… नीलेश ने दोनो चूची को पूरी मुट्ठी जोड़ से दबा लिया और अंतिम चरण के एहसास में उसकी अलग सी ही सनसनी दौर रही थी, कमर पर धक्कों कि रफ्तार अंधाधुन थी.. वहीं संगीता भी अपनी गर्म श्वांस को सिसकारियों में बदले.. "उफ्फ.. आह" करती हुई, आखों के आगे अंधेरा सा छाने जैसा मेहसूस करने लगी.. उसकी नाखून दीवार खंरोच रहे थे जिसके निशान पर गए थे, वो भी पूरी ताकत से जोड़ लगाकर अपनी कमर हिला रही थी… तभी दोनो के आगे पीछे "आह्हह" निकलने लगी और दोनो दीवार से सीधे होकर हाफने लगे..


कुछ देर हाफने के बाद दोनो ने आखें खोली और एक दूसरे को देखकर हसने लगे.. दोनो हंसते हुए एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे.. फिर बेकरारी में एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाकर चूमना शुरू कर दिया… दोनो होंठ से होंठ फसाए और जीभ से जीभ डाले, एक दूसरे को चूम जा रहे थे.. जबतक श्वांस नहीं उखड़ी तबतक चूमते रहे.. फिर वापस दीवार से लगकर स्वांस लेने लगे…


संगीता अपने कंधे में फसे शर्ट से अपनी छाती को ढकती हुई, जेब से सिगरेट निकालकर जलाई और एक कस खींचती हुई… "मज़ा आ गया, जानते हो नीलेश कोई अपना है उसके साथ खुलकर जीने का मज़ा ही कुछ और है"..


नीलेश:- मेरी तो सुहागरात हो गई संगीता तो अब मुझे शादी की क्या जरूरत..


संगीता:- हा हा हा हा… तुम्हे अगर यहीं करना है तो यही सही, मुझमें पछतावा जैसी कोई बात नहीं है नीलेश, बस थोड़ा अफ़सोस होगा..


अपनी बात कहती हुई संगीता दीवाल से टेढ़ी होकर अपना चेहरा नीलेश का ओर की और मुसकुराते हुए अपनी बात कह गई… नीलेश भी उसके ओर मुड़कर उसके चेहरे पर हाथ फेरते… "मुझे एक्सेप्ट करने के लिए थैंक्स, और जिंदगी में तुम्हे कभी अफ़सोस करने का मौका नहीं दूंगा, सिवाय हाई हील के"..


संगीता:- तुम्हारे ही जिले की है, प्राची सिंह.. तुम्हे उसे सुनना चाहिए… एक्सेप्ट एंड इग्नोर (accept & ignore)


नीलेश:- मतलब..


संगीता:- पहले अपनी शर्ट उतार कर दो, फिर बताती हूं.. मुझे यूं अजीब लग रहा है.. ऐसा लग रहा है मैं टॉपलेस हूं, जो काफी अनकंफर्टेबल फील करवा रहा है.. और घूरना मत, वो सब सेक्स टाइम ही अच्छा लगता है…


निलेश:- जैसा आप कहें… लो पहनो, कंफर्ट फील करो और बताओ…


संगीता, सिगरेट थामकर जल्दी से शर्ट पहनती…. "एक्सेप्ट एंड इग्नोर मतलब.. जो है उसे हंसकर कबूल करो और पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ो.कुछ लोग जो इस बात से हंसते है उन्हें इग्नोर करो"…


नीलेश:- हम्मम ! मतलब तुमने शर्ट हाइट और रंग में सांवले लड़के को इसी थेओरी पर एक्सेप्ट किया…


संगीता:- नाह.. कल के तुम्हारे विश्वास पर… जो भी तुमने मुझसे कहा. तुम क्या हो वो जानते हो, तुम्हारा परिवार क्या है वो जानते हो, मुझे जानते हो और तुम्हारा विश्वास की तुम इन तीनों के बीच पुरा संतुलन बनाकर चलोगे..


नीलेश:- शायद तुम्हे देखकर ये कॉफिडेंस आया हो.. क्योंकि पहले तुम्हारा रूप ने दीवाना बनाया, और तुम्हे पाने की चाहत में मै यहां पर आया.. झूट नहीं कहूंगा लेकिन बस तुम्हारी सेक्सी आदा का दीवाना हो गया था..

जब तुमने मुझे चूमा, तभी दिमाग में आ गया था कि मेरी रात की ख्वाहिश पूरी होने वाली है, फिर तुम किसी से भी शादी करो अपना काम हो गया.. बाद में तुमने पिलाया और पिलाकर अपनी दिल की बात कही. उसके बाद अंत में जो भी कहे.. आहह सी उठी दिल में.. हम जिस्म के भूखे होते है और उस जिस्म के अंदर एक दिल होता है, उसमे अरमान भी होते हैं..

तुमसे भावना जुड़ गई और खुद को मै छोटा समझने लगा.. बस तभी से मैंने सोच लिया कि तुम भी मेरी और तुम्हारी भावना भी मेरी.. और जिस विश्वास के साथ तुमने पुरा सच बताया ना कल, हट्स ऑफ.. मतलब शादी से पहले कोई राज नहीं और ना ही अफ़सोस की ये शादी होगी भी या नहीं..


संगीता:- ओह हो, इतनी गहराई.. तभी तुमने मुझसे मीटिंग फिक्स करी, लेकिन नकुल तो कभी तुम्हारे क्लोज नहीं रहा, फिर वो राजी कैसे हुआ मुझे लाने के लिए..


नीलेश:- एक जबरदस्ती की बहन हमारे किस्मत में है ना.. उसी के बदौलत. नकुल उसका भक्त है और उसने यदि कह दिया तो नकुल कर देगा..


संगीता:- तुम मेनका की बात कर रहे हो क्या?



नीलेश:- हां उसी की कर रहा हूं.. मैंने अपने करीबी दोस्त नंदू से अपनी समस्या बताई, उसने नकुल को बोला और नकुल लेकर पहुंच गया सबको मेनका के पास.. पहले प्लान ये था कि उन लड़को वाले को रोका जाए.. तब मेनका ने ही ये सुझाव दिया था कि पहले लड़की तो कन्फर्म कर लो.. बस फिर क्या था एक बार लड़की कन्फर्म हो गई फिर तो आगे कोई समस्या ही नहीं…


संगीता:- हाउ रूड नीलेश, उसने हेल्प किया और तुम उसे जबरदस्ती की बहन बता रहे..


नीलेश:- "यार वो लोग मेरे दादा के दादा जो थे उनके परिवार से है. अब मै तो मेनका को अपनी कॉलोनी की एक लड़की से ज्यादा कुछ ना मानता. देखा जाए तो नकुल और मेनका के बीच तो कोई रिश्तेदारी भी नहीं. अगर नकुल के पूर्वज कहीं अपने पैतृक जगह बसे होते तो कोई किसी को जनता तक नहीं. वो तो अनूप चाचा के पड़ोसी है और हमरे यहां पड़ोसी को चाचा, फूफा, मामा जो रिश्ता बनाना है बाना लो, पर कहने से रिश्तेदार थोड़े ना हो जाते है."

"वो दोनो क्लोज है इसलिए नकुल उसे बुआ मानता है और मेनका भी उसे अपना भतीजा.. जैसे मेनका मुझे भाई मानती है तो मै भी बहन मानता हूं. मानने से कोई सगा थोड़े ना हो जाता है. हां बस गांव के रिश्ते में है. हमारे एक जेनरेशन पूर्व के लोग यानी मेरे पापा, नंदू के पापा, बबलू भईया के पापा ये सब लोग अनूप चाचा से केवल गांव की रिश्तेदारी में मानते है, फिर हम तो उनके एक जेनरेशन के बाद के लोग है."

"यहां गांव में बस जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है संगीता. अनूप और उसका बेटा मनीष, दोनो ने मिलकर यहां के सारे परिवारों को बहुत दबाया है. उनके कमिनेपन का अंदाज इस बात से लगा सकती हो की….. अनूप चाचा अपने बड़े बेटे को केवल इसलिए अलग कर दिए क्योंकि उसकी पत्नी इस बात के लिए अपनी सास से बहस किया करती थी, कि जब छोटा बेटा को अलग से ठेकेदारी के लिए जमीन के वैल्यू से ज्यादा पैसे दिए गए है और वो अपना काम देख रहा, तो उसके पति (मेनका के सबसे बड़े भैया महेश) को पूरा खेत क्यों नहीं देते. उसने हक की बात की तो, बड़े बेटे को उल्टा जमीन बंटवारा में उसके हक की जमीन भी बेईमानी कर लिए, ऊपर से एक पैसा नहीं दिया. अब जो अपने बेटे का नहीं हुआ, वो अपने पड़ोसी का क्या होगा?"

"मेनका के परिवार को शुरू से अपने जमीन और पैसे का अकड़ रहा है, ऊपर से वो रूपा इनकी बहू. कामिनी साली, उसका मामा जब विधानसभा में गृह मंत्री था, तब इन लोगो ने बहुत माल बनाए. कुत्ते बिल्ली की तरह हमे समझते थे. उस दिन भी नंदू की दादी ने इशारों में तुम्हारे फूफा को कहा था कि 32 लाख की गाड़ी जो नकुल लाया है, उसके बदला जमीन खरीद लेते… अरे एक बार जब आप सुदृढ़ हो जाते है तो आपके पास 1000 मौके होंगे गाड़ी घोड़ा खरीदने के. नकुल के पापा रघुवीर भईया कुछ नहीं बोले लेकिन अनूप चाचा की फैमिली को मिर्ची लग गई.

संगीता तुम्हारे फूफा के जो पिताजी थे, उनके जमीन को भी अनूप चाचा ने ही पुरा बिकवा दिया. आज भी नकुल को ये लोग नौकर से ज्यादा कुछ नहीं समझते. हम कुछ अच्छा भी बोलेंगे तुम्हारे बुआ और फूफा को तो, उसमें भी ये लोग हमे ही बदनाम करेंगे.. बहुत ही धूर्त और नीच किस्म के है ये लोग. अनूप चाचा से यहां सब खुन्नस खाए है, एक तुम्हारे बुआ और फूफा को छोड़कर. बाकी के 4 परिवार पागल है क्या? लेकिन नकुल और उसके परिवार के आंख पर तो पट्टीयां चढ़ी हुई है…

बताओ, अभी यहां 7-8 एकड़ जमीन का सौदा किया गया है, लगभग 1 करोड़ 50 लाख का. तुम्हारे फूफा (नकुल के पापा) उस जमीन को खरीद रहे है, जबकि उन पर अब भी 4 लाख का कर्ज बचा है, आज 2 लाख पेमेंट करने के बाद. तुम सोच सकती है कोई आदमी इतनी बड़ी रकम कर्ज लेकर जमीन खरीदेगा, जिसका बैंक के हिसाब से भी इंट्रेस्ट जोड़ लो ना तो 1 लाख रुपया महीना से ऊपर आएगा. अब इन अनूप चाचा के कमीनापन देख लो,⁰ इतने पैसों के कर्ज लेकर जमीन खरीदने के उकसा दिया और तुम्हारे फूफा अरेंज करने में भी लग गए. 1 करोड़ का कर्ज तो खुद अनूप चाचा देंगे, 50 लाख का इंतजाम तुम्हारे फूफा कर रहे.

तुम ही बताओ, ऐसे कोई जमीन खरीदता है क्या? तुम्हारे फूफा को समझ में नहीं आ रहा क्या इंट्रेस्ट ना भरने के एवज में वो जमीन तो जाएगा ही, साथ ने इनके पास जो बची 8 एकड़ की खेत है और ये घर भी चला जाएगा. अनूप चाचा पुरा हड़पने की नीति बाना चुके है.. और तुम्हारे फूफा को समझ में नहीं आ रहा.

लेकिन कोई अपनी बेवकूफी में विश्वास करके लूटने को तैयार है, तो हम थोड़े ना उन्हें लूट जाने देंगे. कॉलोनी वाला होने के नाते उन्हें बर्बाद होने से तो रोकूंगा ही. किसी तरह ये जमीन का सौदा ना हो या फिर भले ही मै गलत साबित क्यों ना हो जाऊं, पर उनको इतने कर्ज लेकर जमीन नहीं खरीदने दे सकता..
 
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nain11ster

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छठा किस्सा:- आखरी भाग









संगीता:- गांव और गांव की बातें… मै पूरे जीवन काल में पहली बार अपने फूफा के घर आयी हूं.. मुझे कोई बहुत ज्यादा इमोशन नहीं, इसलिए उनका बचना, डूबना या किसी के हाथो बर्बाद हो जाना, उनके सोच और काम करने के तरीके के ऊपर है. मेरे लिए तुम जरूरी हो, और तुमसे मिलवाने वाली लड़की को तो मै थैंक्स बोलूंगी ही, भले ही वो कॉलोनी की एक लड़की ही क्यों ना हो, और कितनी भी लालची क्यों ना हो… तुम्हे कोई प्रॉब्लम है तो बताओ…


नीलेश:- मै तुम्हे अनूप चाचा के फैमिली के पास जाने से भी नहीं रोकूंगा संगीता क्योंकि जिसके जैसे कर्म होंगे वो भोगेगा ही, हमे बस अपना काम करते रहना है. आज तक मैंने लोगों कि हेल्प ही की है भले वो मुझे अपना समझे या पराया..


संगीता:- उस हिसाब से देखा जाए तो मेनका तुमसे ज्यादा हेल्पफुल नेचर की हुई… तुम्हे भाई समझकर हेल्प की, जिस वजह अभी तुम मेरे साथ हो. कभी भी जड़ को नहीं भूलना चाहिए…


नीलेश:- बेसिकली काम तो मेरा हो ही जाता. जब समस्या है तो उपाय भी ढूंढ़ ही लेते है. लेकिन मिस मेनका जो है वो काफी ही चालाक और कहने में कोई दो राई नहीं की वो छोटी सी लड़की पैसे के मामले में लालची भी है. केवल एक मीटिंग आइडिया के बदले में लगभग डेढ़ लाख रुपए के समान का कमिटमेंट करवा चुकी थी..


संगीता:- ओह माय गॉड ये तो हद से ज्यादा हो गया.. फिर तो तुम्हारा सोचना सही है. लेकिन बात जो भी हो, कल मै प्रसनली मिलकर उसे एक बार थैंक्स तो कह ही दूं. अपने काम कि कीमत वसूल करना स्मार्ट वर्क होता है, उसने लोभ करके कुछ ज्यादा वसूलना चाहा, वो अलग है.. अब फिलहाल तुम जाओ, रात बहुत हो गई है.. कल से फोन लाइन शुरू होगी.. और अब मुलाकात सीधा शादी के वक़्त…


नीलेश:- वो तो वक़्त ही बताएगा.. हां अभी के लिए गुड नाइट ..


नीलेश वहां से जैसे ही निकला संगीता बगीचे का दरवाजा खोल दी. वहीं पीछे किनारे से उसका एक बैग रखा हुआ था. संगीता बैग से एक बॉक्स निकाली और इस्तमाल किए कंडोम को बहुत ऐतिहातन उस बॉक्स में डाल दी.


उसके हाथ में नीलेश के कुछ बाल थे, संगीता उसे भी हिफाज़त से रखने के बाद अपना बैग पैक की और कॉल लगाती… "मिथलेश काम हो गया है"..


जैसे ही संगीता ने ये बात कही, उस ओर से लगातार रोने की आवाज आने लगी. संगीता काफी देर तक कान में फोन लगाए बस आवाज़ सुनती रही. 3-4 मिनट रोकर ख़ामोश होने के बाद.. "मिथलेश आर यू अलराइट"


मिथलेश:- थैंक्स संगीता. वहां से कब निकल रही हो, और तुम्हे उनसे कोई समस्या तो नहीं होगी…


संगीता:- अब मै उसकी होने वाली बीवी हूं, मुझे वो प्रॉब्लम देने की सोचेगा तो खुद फसेगा.. वैसे भी इनके अपने काफी इंटरनल मैटर उलझे हुए है.. बाकी वापस आकर बात करेंगे, अभी रखती हूं..


संगीता वो बैग उठाई और मुस्कुराती हुई खुद से कहने लगी… "5 पेग टाईट पिला गई तब तो तुझे रात की बात याद थी और तू मुझे मेरे ही बुआ के खिलाफ भड़का रहा. सच एन एसहोले (such an asshole)


मेरे कमरे में रात के 9.30 के बाद..



उन लोगो का पीने का कार्यक्रम चल रहा था, जिसे देखकर मै हंस रही थी. मन ही मन सोच रही थी चलो मॉडर्न भाभी के आने से लोगों में कुछ तो विचार का बदलाव आएगा या फिर सब लोग मिलकर इसे ही बदल देंगे.. वैसे देखने से लगता तो नहीं कि संगीता को बदला जा सकता है.


"हेय भगवान.. लगता है दोनो बगीचा में सुहागरात मानकर जाएंगे, फिल्मी किस्स शुरू हो गई. हटाओ इस चैनल को, फिर कभी देखते है".. दोनो के पप्पी झप्पी शुरू होते ही मै लैपटॉप बंद करने जा रही थी.. फिर मन के चोर ने आवाज़ लगाई, कौन सा मै बगीचे में खड़ी होकर दोनो को देख रही हूं..


मै लैपटॉप बंद करते-करते रुक गई.. लेकिन वो जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, मेरे हाथ वैसे-वैसे अपने बदन पर आगे बढ़ने लगे, खासकर संगीता के एक्शन और उसकी बातें.. मैंने 1, 2 बार पोर्न देख रखा था, लेकिन वो इतना प्रभावी नहीं था जितनी आज संगीता थी..


सुरसुरी, नशीला और मादक एहसास का जब सृजन हुआ, फिर मेरा रोम-रोम मचल सा गया.. कान में लगे हेडफोन से उनकी मादक आवाज़ आ रही थी, ध्यान कब लैपटॉप से हटा और कब मैंने अपने सलवार का नाड़ा खोलकर अपने योनि को प्यार से सहलाने लगी, मुझे खुद होश नहीं था. बस जो हो रहा था वो कातिलाना था… कुछ ऐसा जो मेरे बदन को एक अलग ही कामुक अवस्था में ले जा रहा था, जिसके गिरफ्त से मै बाहर नहीं निकालना चाहती थी…


हेडफोन कान में थे, जिससे मादक सिसकारियों की आवाज गूंज रही थी.. मै एक हाथ से कभी अपने दाएं स्तन को तो कभी बाएं स्तन को, कभी प्यार से तो कभी पूरे जोश से, खुद ही निचोड़ रही थी.. मेरी श्वांस बेकाबू होते जा रही थी और दिमाग बिल्कुल अलग ही मस्ती में. मेरी छाती काफी तेज तेज ऊपर नीचे हो रही थी और कमर भी हल्का-हल्का हिलने लगा था. पुरा बदन में मदक सिहरन दौड़ रही थी, जिस वजह से मेरे रोएं बिल्कुल आनंद में खड़े थे..


मैंने आज से पहले कभी कामुकता से अपनी योनि पर हाथ नहीं रखे थे. नरम रोएं योनि के ऊपर और योनि के सिले होंठ को मै कुरेद कर पहली बार खोल रही थी. मेरी छोटी सी योनि के बीच लाइन मात्र का बना हुआ था जिसके होटों को मैंने आज से पहले कभी इस बेकरारी में छुए नहीं थे….


लेकिन जब आज कामुक एहसास के साथ हाथ लगाई तो अंदर कितनी जलन है उसका एहसास भी होने लगा.. मैं पागलों की तरह अपने योनि के लिप को घिस रही थी, अपने क्लित के दाने को हल्का-हल्का छेड़ रही थी.. फिर एक समय ऐसा भी आया जब जब मै अपनी आवाज रोक नहीं पाई.. "आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह" की तेज आवाज मुंह से निकल रही थी, हाथ और पाऊं कांप रहे थे.. जो लगभग अकड़ से गए थे.. मेरी कमर झटके खाकर धीरे-धीरे शांत हो रही थी और कानो में तभी मां की आवाज आयी… "क्या हुआ मेनका"..


मै पहली चरमोत्कर्ष पर पहुंची थी, योनि से प्रेम रस निकालना शुरू ही हुआ था और शायद जब मैंने तेज आवाज़ की, तो मां के कानो तक पहुंच गई… जैसे पुरा भ्रम टूटा हो. मैंने एक हाथ मारकर लैपटॉप स्लीप मोड में डाला और भागी बाथरूम.. मै इधर बाथरूम का दरवाजा बंद कर रही थी उधर मां बीच का दरवाजा खोल रही थी..


मैंने फटाफट बाथरूम जाकर अपने योनि को सूखे और साफ तौलिए से पोछा, और आइने में खुद की हालात को ठीक करती हुई बाहर आयी… सामने मां खड़ी थी जो मेरे बिस्तर में परे सिलवटों को गौर से देख रही थी. मेरी तो श्वांस ही अटक गई… "क्या हुआ मां"..


मां:- तू चिल्लाई क्यों..


मै:- ऊपर से धम्म से गिरगिट गिरा बिस्तर पर, यक मुंह में कीड़ा को दबाए था मेरा पूरा बिस्तर गन्दा कर दिया.. कितनी बार कही हूं मां इनका इलाज करो लेकिन आप सुनो तब ना.. किसी दिन हार्ट अटैक करवा देना.. रुको मै चादर बदल लेती हूं..


मां:- जा पहले नहाकर आ, मै चादर बदल देती हूं..


मै:- मेरे ऊपर गिरता तो क्या मै केवल चिल्लाती, दरवाजा फाड़ कर आपके कमरे में नहीं आ जाती… वैसे आप चादर बदल रही हो तो बदल दो मै बैठी हूं..


मां मेरे कान पकड़कर उसे मरोड़ती.. "चल चुपचाप चादर बदल, मै गंगा जल छिड़क देती हूं.. मै देख रही हूं, आज कल तू आलसी होते जा रही है"… इतना कहकर मां ने कमरे में रखी गंगाजल को उठकर छिड़क दिया और मै चादर बदल कर बिस्तर पर लेट गई. मां मेरे सर पर हाथ फेरकर वहां से चली गई…


जैसे ही वो गई मैं खुद को ही 2 थप्पड़ लगाती… "गधी, नालायक.. प्राची दीदी ने माना किया था ना, सेक्स वाली बातें भरमाती है, खासकर टीनएजर्स को… उफ्फ लेकिन कातिलाना अनुभव था.. जो भी हो मज़ा आ गया. बस आखिर में मां की आवाज ने मज़ा किरकिरा कर दिया… "


अपने नए अनुभव पर मै कभी मुस्कुराई, तो अगले ही पल ये ध्यान का भटकाव है ऐसा कहकर खुद को नियंत्रित करने लगी. और इन विषयों पर ध्यान ना देने की खुद को ही सलाह दी. उम्मीद जताई थी कि इनकी काम लीला भी समाप्त हो गई होगी, इसलिए स्क्रीन ऑन करके मै ज़ूम स्क्रीन को मिनिमाइज करने लगी.. तभी देखी दोनो दीवार से लगे एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे है और संगीता अपनी शर्ट को ठीक कर रही है..


मैंने सोचा अब ये फ्यूचर हसबैंड एंड वाइफ बातें कर रहे है, इन्हे इनके हाल पर छोड़ दिया जाए. मै ब्लूटूथ माइक डिस्कनेक्ट करने ही जा रही थी तभी मन में जिज्ञासा जागी की दोनो बात क्या कर रहे होंगे.. इस जिज्ञासा ने मुझे सही गलत के दोराहे पर खड़ा कर दिया, फिर सोची अब जब इतना हो ही गया है तो थोड़ा और गलती कर ली जाए..


शायद मेरी अगली गलती ने मुझे जैसे भ्रम जाल से बाहर निकाल दिया हो.. मैंने जब हेडफोन लगाया तब संगीता, प्राची दीदी के बारे में बता रही थी.. मेरे कान खड़े हो गए और साथ में खुशी भी थी कि ये लड़की प्राची दीदी के बारे में जानती है, उसके बाद आगे जो वार्तालाप हुई उसने मेरे दिमाग के तार को झकझोर दिया..


मै तो यहां हर किसी को अपना समझती थी, लेकिन यहां तो हर कोई मुझे जबरदस्ती की बहन मानता था.. मात्र एक गांव की लड़की जो उसके आस-पड़ोस में रहती है. अब जब यही मान लिया तो मेरे 3 भर (30 ग्राम गोल्ड) गोल्ड की डिमांड तो लालच ही लगेगी. 3 भर तो बहुत ही ज्यादा होता है, फिर तो 3000 की डिमांड भी वैसी ही होगी.. लालच में डूबी एक मांग..


मुझे तो जो भी मेरी मां ने परिवार के बारे में बताया, मै तो वही सीखी. लोगो के दिखावटी प्रेम ने मुझे सोचने पर विवश किया कि मै यहां सबसे खास हूं, लेकिन शहर की तरह ये गांव भी था, जहां 1 जेनरेशन का ही अपना रिश्ता रहता है, फिर सब रिश्तेदार हो जाते है और जैसे जिसके क्लोज रिलेशन वैसा व्यवहार बनता है. फिर मात्र एक पूर्ण घरेलू संबंध ही समझ लीजिए, जो लोग साथ रहते डेवलप करते है. उसके अंदर जिसकी जैसे रिलेशन, लोग वैसा रिश्ता निभाता है..


उस दिन हॉस्पिटल में जब मनीष भईया ने मुझे कहा था कि कंप्यूटर मत सीख सब परेशान करेंगे, तभी शायद मै उनसे पूरी बात पूछ लेती तो अपने आस पास बसे परिवारों की सोच और सच, दोनो सामने आ जाती.. मनीष भईया बाहर रहते है, लोगो के बीच उठते-बैठते है और एक ही जेनरेशन के है, तो उन्हें सबके बारे में पता होगा. इसलिए कुछ सोच कर मनाकर दिया मुझे, लेकिन उल्टा मैंने ही उन्हें पाठ पढ़ा दिया था…


किन्तु तब भी जब मैंने उनसे ये कहा था कि, "लोग मेरे लिए खुशी-खुशी करते है तो मै क्यों ना करूं? ये स्वार्थ क्यों पलुं?" शायद मनीष भईया मेरे मासूम से दिल की भावना को समझ गए होंगे, कि मै यहां सब को दिल से अपना मानती हूं. शायद सच्चाई जानकर मेरे दिल को चोट ना पहुंचे इसलिए कुछ नहीं कहा होगा और सब वक़्त पर छोड़ दिया कि मै जब समझने लायक हो जाऊंगी तो खुद ही समझ जाऊंगी.. अच्छा ही है अब तो, 6 परिवार के बीच इकलौती बहन.. अच्छा मज़ाक के साथ मै जी रही थी.. थैंक्स नीलेश..
 
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May I know the reason of poor response... Rest I will re analysis should I continue this subject or stop it..

प्रतिक्रिया में भारी गिरावट का कारन मै जान सकता हूं क्या... बाकी मुझे पुनर्विचार करना होगा आगे इसे जारी रखू या नहीं...
 
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छठा किस्सा:- भाग 1







रात के लगभग 9 बज रहे थे. हर कोई खा पी कर बिस्तर पकड़ चुका था. मुझे भी हल्की-हल्की नींद आने लगी थी और नींद भगाने के लिए मैंने सोचा क्यों ना थोड़ी देर कुछ न्यूज देख ली जाए. लैपटॉप ऑन किया तो सामने सीसी टीवी कि स्क्रीन, और बगीचे में संगीता.


रात के 9 के ऊपर गांव में सन्नाटे जैसा माहौल होता है, वहीं मेरे ठीक पड़ोस के घर यानी नकुल के घर में उसकी ममेरी बहन संगीता आयी हुई थी, जो पीछे का दरवाजा खोलकर बाउंड्री के अंदर टहल रही थी..


संगीता 22-23 साल की एक जवान और खूबसूरत लड़की थी, जिसके रूप पर कोई भी लट्टू हो जाए. वहीं उसके रूप को उसकी हाइट और भी ज्यादा निखारती थी जो कि 5 फुट 7 इंच थी.. इस प्रेसनलीटी के साथ जब वो आदा से चलती थी, देखने वाले लड़को की अांह निकल जाए.. 2 दिन बाद पास के है गांव से लड़के वाले देखने आ रहे थे, इसलिए अपनी बेटी के साथ उसके मम्मी पापा भी 4-5 दिन पहले नकुल के यहां पहुंचे हुए थे..


मैं उसे एक झलक देखी तो स्क्रीन बदलते-बदलते रुक गई, फिर अचानक ही दूर ऐसा मानो कोई बाउंड्री कूदकर आया हो. ओह यहां भी आशिक़ी.. हमारे साइड के 5th घर का लड़का, हमारे 4th जेनरेशन का था, नीलेश..


पहले संगीता और नीलेश की ही शादी की बात चली थी, संगीता के रूप और पर्सनैलिटी को देखकर नीलेश के माता-पिता ने अपने बेटे के विवाह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन संगीता के मम्मी-पापा ने लड़के को छांट दिया, क्योंकि वो हाइट में थोड़ा सा उन्नीस था, और रंग भी थोड़ा सांवला, इसलिए जोड़ी मैच नहीं कर रही थी.


जब मैंने नीलेश को देखा तो उन्हें देखने की थोड़ी सी मेरी रुचि जाग गई, और मै दरवाजा बंद करके दोनो के बीच की आशिक़ी को देखने लगी.. दिल में तब गुदगुदी हो जाती जब ये सोचती, की शादी के लिए नीलेश, संगीता को मानने आया होगा, लेकिन जब उसे खुद फेयर, टॉल और हैंडसम लड़का मिल रहा हो जो 1-2 दिन बाद देखने आता, फिर तो इसे थप्पड़ परना लाजमी था..



इधर बगीचे में..


संगीता बगीचे में घूम रही थी, तभी उसे अचानक कुछ आहट सुनाई दी, वो डरकर दरवाजे के ओर भागने लगी तभी सामने दरवाजे और संगीता के बीच हांफता हुई नीलेश आ गया, और संगीता खुद को रोकते-रोकते भी उसके ऊपर आ गई.


दोनो लड़खड़ा गए और धराम से जाकर नीलेश पहले खुले दरवाजा से टकराया, जिसके दोनो पट केवल सटे हुए थे, फिर नीचे गिरा सीधा फर्श पर, और उसके ऊपर संगीता… "क्या हुआ, ये किसके गिरने की आवाज़ है".. "मै देखता हूं".. घर के अंदर से आवाज़ आयी…


तभी संगीता झटपट उठी और नीलेश भी फ़ौरन उठकर दीवार के बाजू में जा छिपा… "क्या हुआ संगीता दी, आप गिर कैसे गई"… नकुल आते ही पूछने लगा..


संगीता:- वो पाऊं स्कर्ट में फंस गए और मै गिर गई.. बच गई कोई चोट नहीं लगी..


संगीता अपनी बात भी कह रही थी और किनारे से नजर दिए नीलेश को भी देख रही थी.… "चलो रात हो गई है, सोने चलते है"…


संगीता:- नींद नहीं आ रही, तू भी रुक ना, मै घूमती रहूंगी और तू अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते रहना…


नकुल:- पागल हो गई हो आप, क्या अब क्लास की लड़कियों से बात करने पर भी ऐसा रिएक्शन दोगी…


संगीता:- खूब समझती हूं बेटा, गैलरी देखी है तेरी और किसी के बाथरूम के तस्वीरें भी… मुझ से होशियारी हां.. आगे ब्रा-पैंटी की डिटेल भी बताऊं क्या जो तस्वीर में दिख रहे थे…


नकुल वहां से भागने में ही अपनी भलाई समझा, इधर संगीता, नीलेश को आखें दिखती… "चलो बाहर निकलो मिस्टर नीलेश"..


नीलेश उसके सामने खड़े होकर… "आपको कहीं चोट तो नहीं अाई संगीता जी"..


संगीता, जोड़-जोड़ से हंसती हुई… "तुम नीचे थे और मै ऊपर, मुझे भला क्यों चोट लगने लगी. तुम्हे तो चोट नहीं अाई ना"


नीलेश:- मुझे तो मज़ा आया..


संगीता बड़ी सी आखें किए… "क्या बोले"..


नीलेश:- मतलब आप को चोट नहीं लगने दिया, इस बात का सुकून है…


संगीता:- हां मै खूब समझती हूं, मुझे अकेले देखकर यहां क्या करने अाए हो.. तुमसे तो रिश्ता कैंसल हो गया था ना..


नीलेश:- लेकिन मुझे तुम पसंद हो.. तुम जैसी खूबसूरत बीवी के लिए मै कुछ भी कर सकता हूं..


संगीता वहीं नीचे जमीन पर बैठकर इशारे में उसे बैठने कहीं… और ऊपर हाथ के इशारे से पूछने लगी.. "वो क्या है नीलेश"..


नीलेश:- चंदा मामा है..


संगीता:- अगर मेरी ख्वाहिश चांद की हो तो, उसे तुम क्या कहोगे..


नीलेश:- पागलपन कहेंगे..


संगीता:- तुम्हारे साथ भी वही केस है.. नाह मै अपनी खूबसूरती की तुलना या मुझमें और तुममें कोई फर्क जैसी बात नहीं बता रही हूं..


नीलेश:- हां पुरा जूते भिगाकर मारने के बाद लिपापोती मत करो.. मै समझ गया मै जा रहा हूं..


संगीता:- बैठकर मेरी बात सुन लिए तो मै तुम्हे एक किस्स दूंगी वो भी लिप टू लिप.


नीलेश:- आप चांद हो संगीता जी… और मै तो जमीन भी नहीं..


"ओय रुक पागल, पूरी बात तो सुनता जा"… नीलेश मायूस उठकर जाने लगा तभी संगीता उसे पीछे से खींचकर अपनी ओर की, और उसके होंठ पर होंठ रखकर चूम ली.. नीलेश की आंखे बिल्कुल बड़ी होकर मानो जमीन में गिर जाएगी.. वो टुकुर-टुकुर संगीता को देखने लगा… "चल अब बैठ जा, वरना मैंने किस्स की सेल्फी भी ले रखी है"..


नीलेश:- सेल्फी लेकर ब्लैकमेल करने की क्या जरूरत है, मै बैठ गया सुना दो जो सुनना है..


संगीता:- एक शर्त पर, एक सिगरेट पिलाओ पहले, बहुत जोर तालब लगी है.. वैसे जरूरत तो कुछ और की भी है लेकिन गांव में जुगाड ना मिलेगा…


नीलेश:- सारे मर्दाने शौक पाल रखे है आपने.. कहो तो 2 पेग का भी इंतजाम कर दूं, यहां सब जुगाड है…


संगीता:- क्या सच में..


नीलेश:- हां सच में...


संगीता इस बार नीलेश के गाल चूमती… "ठीक है फिर ले अाओ, जबतक मै ऊपर का मुआयना कर आती हूं…"


दोनो लगभग एक ही वक़्त में लौटे… "किसकी मार लाए दोस्त.. और ये क्या खाली एक ग्लास"..


नीलेश:- पिताजी की है संगीता जी, और मै पीता नहीं..


संगीता:- क्या यार, दोस्त बोली ना, ऐसे अकेले मज़ा नहीं आयेगा.. रुको मै कुछ इंतजाम करती हूं..


संगीता इतना बोलकर गई और उधर से एक ग्लास, चिल पानी, कुछ स्नैक्स और प्लेट लेकर पहुंची… संगीता दो पेग बनाने के बाद एक ग्लास नीलेश के ओर बढ़ाती.. "चलो हर-हर महादेव का नाम लेकर पी जाओ"..


नीलेश:- छी छी मै नहीं पियूंगा, किसी को पता चल गया तो..


संगीता:- एक पेग पर एक किस्स .. बोलो क्या कहते हो..


नीलेश:- ऐसे तो मै जहर भी पी सकता हूं..


संगीता खुद भी 2 लाइट पेग ली और नीलेश को टाईट पेग पिला दी, पिलाने के बाद… "नीलेश बस मेरी ख्वाहिशें चांद की तरह हो जाएगी जब मै ब्याह कर इस गांव में आऊंगी. मेरे मां पिताजी ने मेरी परवरिश सहर में की, बैंगलोर भेजा मुझे पढ़ने के लिए, और जब मैंने उन्हें कहा कि मै जॉब करना चाहती हूं, अपना कैरियर बनाना चाहती हूं, और इस दौरान मुझे कोई लड़का पसंद आ गया तो मै शादी भी कर लूंगी.. तुम बताओ मैंने कोई गलत बात की क्या अपने जाहिल मां बाप से"..


नीलेश:- शी शी शी शी.. धीमे संगीता जी.. सब सो रहे है..


संगीता:- तुम बताओ नीलेश क्या मैंने गलत कहा था..


नीलेश:- बिल्कुल नहीं..


संगीता, वापस से एक टाईट पेग उसकी ओर बढ़ते…. "जानते हो मै अपने गांव में थी और 2 लड़को से हंसकर बात कर ली, तो चूतिए ये गांव वाले, मुझे पागल लड़की कहते है.. इनकी तो मिल जाए तो बॉटल घुसेड़ दूंगी.. क्या मै तुम्हे पागल दिखती हूं क्या?


संगीता ने थोड़ा जोड़ से कहा और एक पेग पी गई... साथ ही साथ इस बार थोड़ा और ज्यादा टाईट पेग बनाकर नीलेश को दे दी… "पियो दोस्त तुम भी पियो"..


नीलेश एक पुरा पेग गटकते… "संगीता जी उन मादरजात का नाम बता दीजिए सालो को मै गोली मार दूंगा.. आप तो बिल्कुल शुशील, सभ्य और संस्कारी है"..


संगीता:- थैंक्स दोस्त.. लो एक और पेग पियो.. बस दोस्त इसलिए मै यहां शादी नहीं करना चाहती, लड़की हंसकर बात कर ली तो आवारा, कहीं पता चला मै वर्जिन नहीं तो मुझे कॉल गर्ल मानकर घर में ना घुस जाए. या मेरे माता पिता को ही इतना जलील करे कि मै आत्महत्या कर लूं.. सॉरी दिल की भड़ास निकालनी थी इसलिए तुम्हे इतना पिला दिया दोस्त.. गुड नाईट.. सुभ रात्रि.. सुबह तुम सब भुल जाना.. और हो सके तो वो रिश्ता भी तुड़वा देना.. बाय बाय..


इधर कमरे में


मै इन दोनों का पूरा ड्रामा देख रही थी.. कुछ भी समझ में आने लायक नहीं था.. क्योंकि ऑडियो गायब थी और विजुअल केवल आ रहे थे.. बस जो नजरो के सामने था वो शॉकिंग था.. नीलेश को किस्स कर दी, वो भी तब जब वो जा रहा था.. मुझे तो लगा कि दोनो के बीच जरूर प्रेम प्रसंग है और संगीता के घरवाले ने ये रिश्ता नामंजूर कर दिया है..


अगले दिन सुबह के वक्त ही खुफिया मीटिंग बैठी, जिसका मुखिया नकुल था.. मीटिंग मेरे ही कमरे में रखी गई थी और इसमें सामिल हुए नीलेश और नंदू … मै बिस्तर कर बैठी थी और सभी सामने कुर्सी पर..


तभी भाभी चाय लेकर अंदर आ गई और हंसती हुई पूछने लगी… "हां तो मेरी ननद किसके घर ब्याह के जाएगी, किसी को लड़की अब तक पसंद आयी या नहीं"..


नकुल:- ही ही ही.. थर्ड क्लास जोक था और मेनका दीदी हमारी खुफिया मीटिंग में इनका क्या काम..


भाभी:- हां जा रही हूं.. चाय ही देने आयी थी..


जैसे ही भाभी गई, मै अपने दोनो हाथ जोड़ती… "आप लोगों को और कोई काम नहीं है क्या, क्यों मेरे प्राण के दुश्मन बने हो, नकुल तुझे शर्म नहीं आती क्या?


नकुल:- मेनका दीदी सही कह रही है.. वो बेचारी बच्ची कुछ जानती ना समझती है उन्हें कहां से पता होगा रिश्ता कैसे तुड़वाते है..


"किसका रिश्ता तुड़वा रहे हो तुम लोग यहां बैठकर".. पीछे से मां भी कमरे में आती हुई पूछने लगी.


नकुल:- दादी, यहां मीटिंग चल रही है, आपको पता नहीं.. जाओ अभी..


मां:- नाह मुझे भी सुनना है कि तुमलोग क्या बात कर रहे हो..


मै:- नकुल की ममेरी बहन संगीता ने कहा है कि अगर नीलेश भईया कल होने वाले रिश्ते को कैंसल करवा दे, तो वो इनसे शादी करने के लिए विचार करेगी…


मां:- इतनी खूबसूरत लड़की आएगी अपने परिवार में और क्या चाहिए.. 5-6 लठैत लेकर जाओ और सर फोड़ दो.. यहां लड़की से कल ही फेरे करवा लेंगे.. सभा तो ऐसे डालकर बैठे हो, जैसे इनमे से देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा उसपर चर्चा हो रही हो.. जा रे नकुल त्रिभुवन को लेकर..


मै:- नकुल ही सारे काम करेगा क्या? मतलब सबसे छोटा है तो भेज दो उसे कहीं भी..


मां:- तू दहेज में लेकर इसे चली जाना.. ये काम नहीं सीखेगा तो कौन सीखेगा.. वैसे भी बाकी सब तो पढ़ लिखकर जॉब करेंगे, ये यहीं रहेगा ना..


मै:- हीहिही.. अच्छा जोक था, अब जाओगी. यहां किसी का सर नहीं फोड़ना है वरना लड़की वाले भाग जाएंगे.. और मां हाथ जोड़ती हूं, किसी को बाहर बक मत देना.. नकुल कही थी तुझे दरवाजा बंद कर दे गधे, पुरा खानदान ही एक-एक करके आएगा अब..



मां के जाते ही नीलेश… "अब हम में से थोड़े ना किसी को रिश्ता तुड़वाने का अनुभव है, कभी जरूरत ही नहीं परी"..


मै:- इस बेशर्म को देखो अपनी ही ममेरी बहन का रिश्ता तुड़वा रहा है.. जाकर जीजाजी को पसंद करेगा सो नहीं.. यहां आकर सब मुझे परेशान किए हो..


नीलेश:- मेरी शादी में सबसे ज्यादा फायदा तो तुझे ही होना है ना..


मै:- नीलेश भईया वो सब तो ठीक है लेकिन ये कोई फिल्म थोड़े ना है की देखने आने वाले परिवार का रास्ता हो रोक दिए और आने ही नहीं दिए..


नंदू:- आइडिया बुरा नहीं है..


मै:- और ये गांव है, यहां सब यूं पहचान जाएंगे.. किसने उनका रास्ता रोका, मेरे पास एक बेस्ट आइडिया है, थोड़ा रिस्की है पर काम हो जाएगा..


नीलेश:- क्या है जल्दी बता ना..


मै:- मेरा ना सर बहुत तेज दर्द कर रहा है..


नीलेश:- एक पायल..


मै:- ओह मां दर्द से सर फटा जा रहा है..


नीलेश:- ठीक है एक पायल और 1 भर (10 ग्राम गोल्ड) का झुमका..


मै:- आह दर्द आधा कम हुआ है..


नीलेश:- लालची कहीं की.. एक हार, झुमका, और पायल..


मै:- गले का हार 2 भर (20 ग्राम गोल्ड) का होगा ना, वो भी मर्का वाला..


नीलेश:- अब बता भी..


मै:- पहले जाओ कन्फर्म कर आओ की वो लड़की मेरी भाभी बनेगी की नहीं.. फिर मै उपाय बताती हूं.. वरना क्या फायदा ऐसा रिश्ता तुड़वाकर..


नीलेश:- लेकिन अकेले में बात कैसे होगी..


नकुल:- एक काम करो नीलेश भईया आप यहीं रुको, मै संगीता दी को यहां बहाने से बुलाकर लाता हूं, फिर बात कर लेना सिंपल..


मै:- यहां नहीं.. यहां सब सुन लेंगे.. नीलेश भईया आप भाभी के कमरे में चले जाओ… वहां आराम से बात कर लेना…


नीलेश:- हम्मम ! ठीक है.. पर क्या वो मुझसे अकेले में बात करेगी..
nice update ..lagta hai sangeeta nilesh ka istemaal kar rahi hai apni shadi tudwane ke liye 🤔.
raat ke matter se aisa hi laga .

par sangita ne shadi tudwane ki baat kisse kahi jo ye meeting ho rahi hai ..nakul se yaa nilesh se ?
 
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छठा किस्सा:- भाग 2







नीलेश की इस बात मेरी हंसी छूट गई.. वो मुझे ऐसे देखे मानो उन्होंने कुछ अजूबा कह दिया हो. यहां मै ये सोच रही थी, अकेले में इनके मुंह से कुछ निकलेगा या नहीं. बहरहाल ये भी अपने आप में एक नया सा अनुभव था.. जो हम भाई बहन, नहीं इतने भाइयों की इकलौती बहन मिलकर करने जा रहे थे.. शायद हमारे खानदान की पहली ऐसी शादी होगी..


नाना कोई दूध का धुला नहीं है.. हमारे यहां लव मैरेज और इंटर कास्ट मैरिज भी हो चुका है और एक भगम भाग शादी भी.. दुर्भाग्यवश ये तीनों ही एक परिवार से हुए थे.. मेरे प्यारे बड़े पापा.. अब यहां नहीं रहते वाराणसी शिफ्ट कर गए है, यहां के जमीन जायदाद बेचकर वहां बड़ा सा एक शॉपिंग मॉल खोल लिया है, जिसे मेरे बड़े भैया सुजीत और अजीत मिलकर देखते है.. और इसमें पूरी भागीदारी मेरी दोनो भाभी निभाती है.. तीसरे सबसे छोटे वाले भईया यूएसए में अपनी बीवी और बच्चो के साथ रहते है, शायद वही सैटल हो गए हो, उतनी जानकारी नहीं..


गांव छोड़ देने के बाद वो सुखी से जीवन बिता रहे है.. जब से मेरे पास अपना मोबाइल आया है तब से भईया और भाभी से बातें होते रहती है, हां लेकिन ये किसी को पता नहीं है.. सबने मिलकर गांव से निकाल जो दिया था.. यहां तक कि मेरी जब दादी मरी थी तो बड़े पापा को मुख अग्नि भी नहीं देने दिए..


ओह आप सोच रहे है फिर नीलेश भईया के लिए मेरी मां ने ऐसा क्यों कहा. सुनिए-सुनिए इन मामलों में हम बहुत मॉडर्न खयालात के है.. प्यार अपने कास्ट में करने की पूरी आज़ादी है.. लड़की को उठा लाओ उसकी भी छूट है, लेकिन सब अपने कास्ट में होना चाहिए, इंटर कास्ट नहीं. अब मै अपना केस नहीं बात सकती की मै अगर अपने कास्ट में भी किसी से प्यार करूं तो क्या होगा..


वैसे ये सोचकर ही मेरी घीघी निकल आती है कि शादी के लिए किसी लड़के के बारे में कहीं खुद से बता दी तो पता ना क्या होगा.. बाद का तो पता नही, पर तुरंत नतीजों में मेरे गाल लाल जरूर कर दिए जाएंगे और यहां रानी की तरह जीने वाली मै, सबकी नजर में गिर जाऊंगी सो अलग.. उफ्फफ ! सोचकर ही पसीने आ गए मेरे. कौन एक लड़के के खातिर इतना कुछ कुर्बान कर दे, कोई बेवकूफ ही होगी…


खैर थोड़ी ही देर में संगीता पहुंच चुकी थी.. मै लड़की होकर उन्हें मस्त कह रही हूं तो सोचिए बाकियों का क्या हाल होगा. ऊपर से लगता है ब्रा भी अंदर नहीं पहनी थी, बस अंदर एक इनर टाइप की स्लीव डाली होगी और ऊपर से एक व्हाइट रंग का कुर्ता, नीचे लोंग स्कर्ट पहनी हुई थी..


उनके हिलते स्तन के दर्शन तो उसके कुछ देवर भी चोरी छिपे कर रहे थे, जो दूर खड़े थे.. बहरहाल वो अंदर गई और हम सब बाहर थे... "ओह तो तुम हो, मतलब नकुल अपने दादिहाल का ही हुआ"..


नीलेश:- तुम भी उसी के ददिहाल की हो जाओ.. मेरी तो वही ख्वाहिश है..


संगीता:- जैसे मैंने तुम्हे किस्स किया है ना, रैंडम. वैसे ही मैंने 5 और लड़को से भी किस्स किया है. मेरे 2 ब्वॉयफ्रैंड भी रह चुके हैं, जिनके साथ मेरे फिजिकल रिलेशन थे.. मैं ड्रिंक करती हूं, अपनी मर्जी के कपड़े पहनती हूं. दिल करता है तो लड़को को टीज भी करती हूं.. बेसिकली मै इंडिपेंडेंट रहना ज्यादा पसंद करती हूं.. यहां के माहौल जिस तरह के है उन माहौल में हम दोनों के साथ-साथ तुम्हारे परिवार भी पीस जाएंगे.. इसलिए मै तुमसे शादी नहीं कर सकती…


नीलेश:- हम्मम ! मेरा नाम नीलेश मिश्रा है.. मैंने बी टेक पास किया है.. यहां छोटे-छोटे गर्वनमेंट टेंडर लेता हूं. मेरे अंदर 20 क्रमचारी, 300 परमानेंट मजदूर और 4 इंजिनियर काम करते है… तुम अगर मेरे साथ रहोगी तो मै आईटी के टेंडर भी उठाऊंगा… ये तो हो गया तुम्हारा कैरियर..

अब बात करते है वर्जिनिटी की.. तो सहर से ज्यादा करप्ट गांव है.. कौन किसके साथ क्या कर रहा है किसी को पता ही नहीं चलता हर कोई अपना सीक्रेट रिलेशन सालो से मेंटेन किए है, लेकिन ना तो कोई लड़की कहने जाएगी और ना ही कोई लड़का कहने जाएगा..

मेरे कोई सिक्रेट रिलेशन नहीं, लेकिन मै वर्जिन भी नहीं… इसमें भी एक बात और है, जिसका भी रहा हूं, पुरा होकर रहा हूं. ऐसा नहीं है कि एक वक़्त में किसी दूसरे के घुमाया हूं.. बस कभी उसके ओर से ब्रेकउप होता, कभी मेरे ओर से.. सो हमारी कंडीशन एक जैसी है..

नेक्स्ट रही बात तुम्हारे पीने और सिगरेट की तो वहां पार्टी कल्चर था और खरबूज को देखकर खरबूज ने रंग बदल लिया.. यहां तुम्हे पार्टी कल्चर नहीं मिलेगा, इसलिए कभी-कभी पीने की इक्छा बंद कमरे में या, बाहर कहीं जाकर पूरी हो जाएगी.. योर टर्न..


संगीता:- और मेरा दूसरो के साथ हंसना, बात करना, कभी-कभी केजुअल हग कर लेना..


नीलेश:- क्या तुम सबको पकड़-पकड़ कर हग करती हो, या कॉलर खींचकर हंसना-बोलना करती हो…


संगीता:- तुम्हारे साथ जो किया वो भुल गए क्या? नीलेश शादी से पहले ऐसे ही सारी कमिटमेंट हां हो जाती है, लेकिन शादी बाद वही मजबूरी लगने लगती है.. तुम मुझे एक्सेप्ट कर लोगो, लेकिन तुम्हारा गांव एक्सेप्ट नहीं करेगा..


नीलेश:- तो साल में महीने, दो महीने के लिए तुम गांव को एक्सेप्ट कर लेना, बाकी मै सहर में ही रहता हूं, और सारा काम वहीं से देखता हूं…


संगीता:- तो वादा करो, शादी के बाद से तुम्हारी सारी फ्लर्टिंग बंद, और अपने सारे रिलेशन को प्रॉपर अलविदा कह दोगे, जैसा कि मै करने वाली हूं…


नीलेश:- वादा रहा.. नाउ स्माइल प्लीज..


संगीता:- स्माइल की झप्पी पा ले यारा..


नीलेश:- पप्पी झप्पी सब रात में… बगीचे में..


संगीता:- कल आना, पूरी व्यवस्था के साथ और कंडोम भी ले आना.. अभी चलो, मेरा हाथ मांगने आओ…


नीलेश:- तुम तैयार हो जाओ, मै अभी आया…


दोनो की लंबी चली वार्तालाप के बाद संगीता बाहर निकल आयी और नकुल के साथ चली गई. वहीं नीलेश भईया मुझे घूरते हुए कहने लगे… "सब कुछ तो ऐसे ही तय हो गया, वो राजी हो गई, अब रिश्ते की बात भी होनी जा रही है, तुम्हारा क्या रोल था… फालतू में 1,2 लाख के बीच का खर्च बढ़ने वाला था"..


मैं:- स्माइल प्लीज, अब जाओ भी, और रिश्ता तय कर आओ भईया…


नीलेश:- वैसे थैंक्स ए लौट मेनका… बड़ी मुश्किल आसानी से हल कर दी.. हम कल ही सहर चलेंगे..


मै:- नहीं भईया, मै नहीं जा पाऊंगी…


नीलेश:- देखता हूं मै भी कैसे नहीं जाती है…


चले उन दोनों का तो कल्याण हो ही गया, हम भी चले. वैसे गांव इतना बोरिंग भी नहीं है, यदि अपने लोगो के बीच रहा जाए तो… इधर मै अपने कमरे में गई और आधा घंटा बाद पटाखे फूटने शुरू हो गए.. "ओह लगता है सब तय हो गया.


"क्या मै अंदर आ सकती हूं मैम"… भाभी ने दरवाजे से आवाज़ दिया..


मै:- क्या है भाभी.. ऐसे तकल्लुफ….. उफ्फ ये आदा .. आज क्या गांव ने बिजली गिराने जा रही हो..


भाभी:- नहीं पॉवर हाउस ने कहा था सज संवर कर रहना, पॉवर सप्लाई मिलने वाला है ना उसी खुशी में चमक रही..


मै:- छी छी छी.. अश्लील भाभी..


भाभी:- हां वो तो मै तुझे शादी बाद यहां महीना दिन रोक लूंगी ना, फिर तेरे भी अरमान सामने आ ही जाने है, फिलहाल चल लैपटॉप ऑन कर कुछ .ऑनलाइन शॉपिंग करनी है..


मैंने लैपटॉप ऑन किया भाभी वहां से तनिष्क पर गई, डायमंड इयर रिंग, नोज रिंग, एक शानदार झुमका, और एक खूबसूरत सा नेकलेस जिस पर हीरा जड़ा हुआ था. कुल मिलाकर 4 लाख की शॉपिंग करने के बाद पेमेंट कर ही रही थी कि, रुक रुक.. एक पायल भी सेलेक्ट कर..


भाभी ने जैसे ही पायल कहा, मै उनके ओर मुड़कर… "सच सच बताओ ये शॉपिंग किसके लिए की जा रही है"..


भाभी:- तेरे लिए और किसके लिए..


मै:- अभी मेरी शादी में टाइम है, ये फालतू की जेब क्यों काट रही ही भईया की..


भाभी:- तेरे शादी में इतने ही गहने लेंगे क्या? नीलेश को नहीं देना था तो मत देता, इतना तो हंसी मज़ाक चलते रहता है। कीमत बताने और पैसे गीनाने की क्या जरूरत थी..


मै:- तो आन पर आकर आप कान कटवा लो..


भाभी:- पागल आन बान शान की क्या बात है.. ये गहने भी तो समाप्ति होते है.. और मेरी खुद की आमदनी इतनी है कि मै तुम्हे इतना गिफ्ट कर सकूं.. चल अब जो बोला वो कर..


मै:- भाभी सुनो, आपको कभी लगा है कि मेरे पास किसी चीज की कमी है.. इतने वो 10 भर (100ग्राम गोल्ड) वाला हार ऐसे ही परा रहता है. वो पिछली की पिछली दीवाली तब भी 2 भर का हार लिए थे ना.. मेरे पास पहले से इतने जेवर है, फिर आप मुझे यहां लॉजिक दे रही हो.. कुछ नहीं हुआ है बस आपका दिमाग खराब है… कब सुधरोगे आप लोग.. हर बात पर राई का पहाड़ मत बनाया करो..


लगता है बोलने में मै जल्दबाजी कर गई.. गांव में ऐसी परिस्थिति भी आम बात है जहां कब किसकी सामान्य सी बात, दिल पर लग जाए और वो अपने आन पर लेले, ये आम बात होती है.. कहने का ये अर्थ होता है कि ऐसा कतई सोचना गलत होगा कि ये एक आदर्श गांव है और यहां सब मिल जुल कर रहते है.. हर वक़्त तो नही, लेकिन कभी कभार परिवार में इन्हीं औरतों की गलतफहमी के कारन परिवार में लाठियां चलना आम बात होती है.. हां पर इन सब में एक चीज जो नहीं होती, लाख आपस में मन मुटाव किसी का क्यों ना रहे बेटी को कोई नहीं रोक सकता परिवार में किसी के पास मिलने से, वो तो सबकी बेटी होती है.


बढ़ते है अगली रात पर जो वाकई में कहर की रात थी.. 20 मीटर तक काम करने वाला ब्लूटूथ माईक था मेरे पास, जो मैंने उस बगीचे में लगा दिया था.. 2 रात पहले की नीलेश और संगीता की फाइट मुझे नहीं समझ में आयी थी.. उसके बाद कल इनकी क्लोज डोर मीटिंग में क्या हुआ वो भी समझ में नहीं आया, केवल विजुअल्स थे, इसलिए आज मैंने अपने ऑडियो का इंतजाम कर लिया था. 3 ब्लूटूथ माईक बगीचे में और मै रात के 9 बजे के बाद कंप्यूटर पर…



बगीचे में रात के साढ़े 9 बजे… .


नीलेश सिगरेट शराब चखने के साथ पहुंच गया था… थोड़ी ही देर में महफिल चलने लगी.. दोनो ने 2-2 पैक खिंचे और खड़े होकर एक दूसरे को देखकर वसना में डूबी एक मुस्कान दिया और पूरे जोश के साथ चिपक गए…

nice update ..sangita aur nilesh ki meeting dono me huyi pehle laga sabke saamne apna bio- data bata rahe hai 🤣🤣🤣🤣..sabse badi baat condom ki lagi 😅😅😅..
bhabhi ne nilesh ki baato ko dil pe liya aur shopping karne lagi .

ab ye keher ki raat kya hoga 😁 aur ab to aawaz bhi sun sakti hai menka dono ki ..
 
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छठा किस्सा:- भाग 3








बगीचे में रात के साढ़े 9 बजे…


नीलेश सिगरेट शराब चखने के साथ पहुंच गया था… थोड़ी ही देर में महफिल चलने लगी.. दोनो ने 2-2 पैक खिंचे और खड़े होकर एक दूसरे को देखकर वसना में डूबी एक मुस्कान दिया और पूरे जोश के साथ चिपक गए…


आते के साथ ही बगीचे का दरवाजा बाहर से संगीता ने बंद कर दिया था और चारो ओर की लाइट आफ थी बस जहां ये बैठक लगा रहे थे वहां के ऊपर दीवार पर एक बल्ब जल रहा था, जो पुरा समा रौशन कर रहा था…


जैसे ही नीलेश के सीने में संगीता की पूरी छाती चिपकी… "तुमने ब्रा नहीं पहनी क्या"..


"सुहागरात पर सारे कपड़े उतार लेना नीलेश..आज तो स्कर्ट के नीचे पैंटी भी नहीं है"..


नीलेश चिपकना छोड़कर उसके मुंह से मुंह लगाकर रसोभोर में डूबा एक चुम्मा लेते हुए… "लगता है बहुत दिन की प्यासी हो संगीता"..


संगीता, वापस से नीलेश के होंठ चूमती उसके बरमूडा में हाथ डालकर अपनी नरम बड़ी-बड़ी गोरी उंगली के बीच, उसका काले लंड को प्यार से सहलाती हुई… "2 साल से कुछ किया नहीं नीलेश, परसो जब तुम्हे चूम ली, तो आग भड़क गई बस परसो और कल रात सेक्स के लिए मेरे पास उत्तम समय नहीं था.


"आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह… तुम्हारे हाथ मुझे पागल बना रहे है संगीता.. ओहह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह.. उफ्फफफफफफफफफफफफफ"..


संगीता उसकी मादक सिसक सुनकर अपना हाथ बाहर निकाल ली.. और शरारती नजरो से नीलेश को देखने लगी.. नीलेश सवालिया नजरो से मानो पूछने को कोशिश कर रहा हो.. लंड से हाथ क्यों हटा ली.. उसके प्रश्नवाचक चेहरे को देखकर संगीता उसे आंख मारी और नीचे बैठकर झटके में उसका बरमूडा खींच दी.. स्प्रिंग के जैसे लंड उछाल कर संगीता के चेहरे के सामने आ गया…

संगीता उसपर अपनी बड़ी-बड़ी उंगलियां रखती, दोनो हाथो के बीच लंड को रखी और उसकी चमरी को पीछे ले जाकर लंड के सुपाड़े पर गोल-गोल जीभ फिराने लगी.. जैसे ही संगीता ने गोल गोल जीभ फिराना शुरू किया, नीलेश मस्ती में कमर को झटकने लगा और संगीता के बाल पकड़ लिए..


जैसे ही नीलेश ने संगीता के बाल पकड़े, संगीता उसे टीज करती खड़ी हो गई.. और कुछ दूर पीछे जाकर दीवार से चिपक गई.. दीवार से चिपक उसने अपने बालों का जुड़ा खोल दिया और उंगली के इशारे से नीलेश को बुलाने लगी..


नीलेश का लंड तो पहले से खड़ा था, ऊपर से उसकी उत्तेजना भी उतनी ही बढ़ी हुई.. वो गया और जल्दी-जल्दी संगीता के शर्ट का बटन खोलने लगा… "आराम से निलेश, बटन टूट जाएगा"… "अब आराम से सुहागरात के दिन करेंगे संगीता, अभी तो ये जोश है बड़ी"… कहते हुए नीलेश ने पूरी ताकत से शर्ट के दोनो हिस्सों को पकड़ कर खींच दिया और सारे बटन टूट गए.


बटन टूटते ही शर्ट के 2 हिस्से हो गए और चूची के दोनो साइड का गुदाज हिस्सा इतना मादक था, कि नीलेश के आखों मै चमक आ गई.. नीलेश शर्ट के दोनो हिस्से को पूरा खोलकर, उसके 34 के आकर के मादक चूची का दीदार करने लगे.. बिल्कुल गोल और निप्पल खड़े… संगीता कुछ सेकंड का इंतजार करती रही जब नीलेश आगे नहीं बढ़ा तो वो अपनी आंख खोलकर उसे देखी..


अपने चूची के ओर उस घूरता देखकर हंसती हुई पूछने लगी… "ऐसे बूब्स को घुर क्यों रहे हो"..


नीलेश:- इतने खड़े और गोल बूब्स कैसे है तुम्हारे, यहां तो सबके लटक जाते है..


"इनकी गोलाई को तुम ही कोशिश करके ढीला कर दो, रोका किसने है.. अपना ही माल है बेबी.. तुम्हे अब जैसे पसंद हो वैसा बाना दो"… कहती हुई संगीता ने उसके हाथ उठाकर अपने दोनो चूची पर डाल दिए…


नीलेश उसके नरम गोल चूची को अपने हाथ में भरकर मसलने लगा. जैसे कोई हॉर्न हाथ ने आ गया हो, दबाकर छोड़ो तो रबर वापस अपने पोजिशन पर. नीलेश ठीक वैसे ही दबाए जा रहा था.. संगीता अपने होंठ दांतों तले दबा रही थी और अपने हाथ, अपने चूत पर ले जाकर अपनी चूत को स्कर्ट के ऊपर से मसल रही थी…


नीलेश तो जैसे गोल चूची की गोलाई में ही खो गया हो जैसे.. वो तो लगातार दोनो हाथ से पहले मिजाई किया. बाद में अपना मुंह लगाकर निप्पल को दांतों तले दबाकर चूसने लगा. "उफ्फफफफफफफफफफफफफ नीलेश.. अब आगे भी बढ़ो… क्यों तारपा रहे हो… आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह.. 2 साल से किसी को हाथ तक नहीं रखने दिया है बेबी.. मेरी मजबूरी भी समझो.. "


"कंडोम मेरे जेब में है संगीता".. जैसे ही नीलेश ने याद दिलाया, संगीता उसके शर्ट के जेब से कंडोम निकाल ली. तेजी से उसे दांत फाड़कर कंडोम बाहर निकाल ली और नीचे बैठ गई.. लंड को अपने हाथो में लेकर अपना बड़ा सा मुंह खोल ली और पूरे लंड को मुंह में लेकर गीला करती, नीचे बॉल को अपने हाथ से सहलाने लगी..


नीलेश तो पुरा निहाल होकर मुंह चुदाइ में ही लग गया. कुछ देर मुख मैथुन करने के बाद संगीता ने तुरंत उसपर कंडोम चढ़ाया और कंडोम लगा लंड मुंह में ले ली… "ईईव्यू.. हॉस्पिटल से फ्री वाला कंडोम उठा लाए क्या?"..


"यहां आग लगी है और तुम्हे कंडोम की परी है"… नीलेश ने हाथ पकड़ कर खड़ा किया और उल्टा घूम कर दीवार पकड़ने को बोल दिया… संगीता उल्टा घूम गई और दीवार से अपने दोनो हाथ लगाकर, अपने दोनो पाऊं फैलाकर कमर को बाहर निकाल दी… नीलेश ने झट से स्कर्ट को ऊपर करके नीचे बैठ गया, और पीछे से आ रही चूत के मनमोहक दृश्य को देखने लगा.. बिल्कुल साफ और गुलाबी चूत.. जिसे देखकर एक बार फिर नीलेश की आखों में चमक हो गई…


"ऑफ ओ.. अब आगे भी बढ़ो.. फिर कहां अटक गए नीलेश"… "ऊफ ये चूत नहीं मलाई है जिसके अंदर मेरा लंड जाकर गोते लगाएगा"…


"साले गंवार बी टेक.. पुसी बोल लेते, कॉक बोल लेते.. सारी रात देखनी है तो फोटो खींचकर ले जाओ, और तुम भी भार में जाओ नीलेश.. यहां हलचल मची है, मै उंगली से ही काम चला लूंगी"..


"अब लंड कहो या कॉक, होगी तो चुदाई ही.. ओह सॉरी .. इट्स डैम फक्किंगगगगगगगगगगगगगग…. "आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह नीलेश.. उफ्फफफफफफफफफफफफफ…जान निकाल दी, चूटिए, आराम से डाल कर स्पीड बढ़ाना था ना… उफ्फफफफफफफफफ, मज़ाआआआआ आ गया… आह्हहहहहहह.. हर्डर बेबी…. ऊम्ममममममममम"

"आह्हहहहहहहहहह, आह्हहहहहहहहहहहह.. उफ्फफ, आह्हहहहह.. येस बेबी.. और जोर से .. आह्हहहहहह"…..नीलेश लंबा फंकिंग बोलते हुए चढ़ गया घोड़ी और लंड के लंबे-लंबे शॉट्स उसके दोनो चूची दबाते हुए मारने लगा…


संगीता भी अपनी चूत में बहुत दिनों बाद लंड लेकर, पूरी तरह से जलते बदन को कामुकता के साथ कमर हिलाकर चुदवाने लगी… नीलेश उसके दोनो चूची पकड़ के फोर्स लगाकर अखनी कमर हिला रहा था और संगीता दीवार कर हाथ का जोर देकर अपनी कमर हिलाते जा रही थी…


दोनो की तेज और मादक सिसकारी चारो ओर हवा में गूंज रही थी… तभी जैसे दोनो की आंखें पूरी तरह बंद हो गई हो… नीलेश ने दोनो चूची को पूरी मुट्ठी जोड़ से दबा लिया और अंतिम चरण के एहसास में उसकी अलग सी ही सनसनी दौर रही थी, कमर पर धक्कों कि रफ्तार अंधाधुन थी.. वहीं संगीता भी अपनी गर्म श्वांस को सिसकारियों में बदले.. "उफ्फ.. आह" करती हुई, आखों के आगे अंधेरा सा छाने जैसा मेहसूस करने लगी.. उसकी नाखून दीवार खंरोच रहे थे जिसके निशान पर गए थे, वो भी पूरी ताकत से जोड़ लगाकर अपनी कमर हिला रही थी… तभी दोनो के आगे पीछे "आह्हह" निकलने लगी और दोनो दीवार से सीधे होकर हाफने लगे..


कुछ देर हाफने के बाद दोनो ने आखें खोली और एक दूसरे को देखकर हसने लगे.. दोनो हंसते हुए एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे.. फिर बेकरारी में एक दूसरे को होंठ से होंठ लगाकर चूमना शुरू कर दिया… दोनो होंठ से होंठ फसाए और जीभ से जीभ डाले, एक दूसरे को चूम जा रहे थे.. जबतक श्वांस नहीं उखड़ी तबतक चूमते रहे.. फिर वापस दीवार से लगकर स्वांस लेने लगे…


संगीता अपने कंधे में फसे शर्ट से अपनी छाती को ढकती हुई, जेब से सिगरेट निकालकर जलाई और एक कस खींचती हुई… "मज़ा आ गया, जानते हो नीलेश कोई अपना है उसके साथ खुलकर जीने का मज़ा ही कुछ और है"..


नीलेश:- मेरी तो सुहागरात हो गई संगीता तो अब मुझे शादी की क्या जरूरत..


संगीता:- हा हा हा हा… तुम्हे अगर यहीं करना है तो यही सही, मुझमें पछतावा जैसी कोई बात नहीं है नीलेश, बस थोड़ा अफ़सोस होगा..


अपनी बात कहती हुई संगीता दीवाल से टेढ़ी होकर अपना चेहरा नीलेश का ओर की और मुसकुराते हुए अपनी बात कह गई… नीलेश भी उसके ओर मुड़कर उसके चेहरे पर हाथ फेरते… "मुझे एक्सेप्ट करने के लिए थैंक्स, और जिंदगी में तुम्हे कभी अफ़सोस करने का मौका नहीं दूंगा, सिवाय हाई हील के"..


संगीता:- तुम्हारे ही जिले की है, प्राची सिंह.. तुम्हे उसे सुनना चाहिए… एक्सेप्ट एंड इग्नोर (accept & ignore)


नीलेश:- मतलब..


संगीता:- पहले अपनी शर्ट उतार कर दो, फिर बताती हूं.. मुझे यूं अजीब लग रहा है.. ऐसा लग रहा है मैं टॉपलेस हूं, जो काफी अनकंफर्टेबल फील करवा रहा है.. और घूरना मत, वो सब सेक्स टाइम ही अच्छा लगता है…


निलेश:- जैसा आप कहें… लो पहनो, कंफर्ट फील करो और बताओ…


संगीता, सिगरेट थामकर जल्दी से शर्ट पहनती…. "एक्सेप्ट एंड इग्नोर मतलब.. जो है उसे हंसकर कबूल करो और पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ो.कुछ लोग जो इस बात से हंसते है उन्हें इग्नोर करो"…


नीलेश:- हम्मम ! मतलब तुमने शर्ट हाइट और रंग में सांवले लड़के को इसी थेओरी पर एक्सेप्ट किया…


संगीता:- नाह.. कल के तुम्हारे विश्वास पर… जो भी तुमने मुझसे कहा. तुम क्या हो वो जानते हो, तुम्हारा परिवार क्या है वो जानते हो, मुझे जानते हो और तुम्हारा विश्वास की तुम इन तीनों के बीच पुरा संतुलन बनाकर चलोगे..


नीलेश:- शायद तुम्हे देखकर ये कॉफिडेंस आया हो.. क्योंकि पहले तुम्हारा रूप ने दीवाना बनाया, और तुम्हे पाने की चाहत में मै यहां पर आया.. झूट नहीं कहूंगा लेकिन बस तुम्हारी सेक्सी आदा का दीवाना हो गया था..

जब तुमने मुझे चूमा, तभी दिमाग में आ गया था कि मेरी रात की ख्वाहिश पूरी होने वाली है, फिर तुम किसी से भी शादी करो अपना काम हो गया.. बाद में तुमने पिलाया और पिलाकर अपनी दिल की बात कही. उसके बाद अंत में जो भी कहे.. आहह सी उठी दिल में.. हम जिस्म के भूखे होते है और उस जिस्म के अंदर एक दिल होता है, उसमे अरमान भी होते हैं..

तुमसे भावना जुड़ गई और खुद को मै छोटा समझने लगा.. बस तभी से मैंने सोच लिया कि तुम भी मेरी और तुम्हारी भावना भी मेरी.. और जिस विश्वास के साथ तुमने पुरा सच बताया ना कल, हट्स ऑफ.. मतलब शादी से पहले कोई राज नहीं और ना ही अफ़सोस की ये शादी होगी भी या नहीं..


संगीता:- ओह हो, इतनी गहराई.. तभी तुमने मुझसे मीटिंग फिक्स करी, लेकिन नकुल तो कभी तुम्हारे क्लोज नहीं रहा, फिर वो राजी कैसे हुआ मुझे लाने के लिए..


नीलेश:- एक जबरदस्ती की बहन हमारे किस्मत में है ना.. उसी के बदौलत. नकुल उसका भक्त है और उसने यदि कह दिया तो नकुल कर देगा..


संगीता:- तुम मेनका की बात कर रहे हो क्या?



नीलेश:- हां उसी की कर रहा हूं.. मैंने अपने करीबी दोस्त नंदू से अपनी समस्या बताई, उसने नकुल को बोला और नकुल लेकर पहुंच गया सबको मेनका के पास.. पहले प्लान ये था कि उन लड़को वाले को रोका जाए.. तब मेनका ने ही ये सुझाव दिया था कि पहले लड़की तो कन्फर्म कर लो.. बस फिर क्या था एक बार लड़की कन्फर्म हो गई फिर तो आगे कोई समस्या ही नहीं…


संगीता:- हाउ रूड नीलेश, उसने हेल्प किया और तुम उसे जबरदस्ती की बहन बता रहे..


नीलेश:- "यार वो लोग मेरे दादा के दादा जो थे उनके परिवार से है. अब मै तो मेनका को अपनी कॉलोनी की एक लड़की से ज्यादा कुछ ना मानता. देखा जाए तो नकुल और मेनका के बीच तो कोई रिश्तेदारी भी नहीं. अगर नकुल के पूर्वज कहीं अपने पैतृक जगह बसे होते तो कोई किसी को जनता तक नहीं. वो तो अनूप चाचा के पड़ोसी है और हमरे यहां पड़ोसी को चाचा, फूफा, मामा जो रिश्ता बनाना है बाना लो, पर कहने से रिश्तेदार थोड़े ना हो जाते है."

"वो दोनो क्लोज है इसलिए नकुल उसे बुआ मानता है और मेनका भी उसे अपना भतीजा.. जैसे मेनका मुझे भाई मानती है तो मै भी बहन मानता हूं. मानने से कोई सगा थोड़े ना हो जाता है. हां बस गांव के रिश्ते में है. हमारे एक जेनरेशन पूर्व के लोग यानी मेरे पापा, नंदू के पापा, बबलू भईया के पापा ये सब लोग अनूप चाचा से केवल गांव की रिश्तेदारी में मानते है, फिर हम तो उनके एक जेनरेशन के बाद के लोग है."

"यहां गांव में बस जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है संगीता. अनूप और उसका बेटा मनीष, दोनो ने मिलकर यहां के सारे परिवारों को बहुत दबाया है. उनके कमिनेपन का अंदाज इस बात से लगा सकती हो की….. अनूप चाचा अपने बड़े बेटे को केवल इसलिए अलग कर दिए क्योंकि उसकी पत्नी इस बात के लिए अपनी सास से बहस किया करती थी, कि जब छोटा बेटा को अलग से ठेकेदारी के लिए जमीन के वैल्यू से ज्यादा पैसे दिए गए है और वो अपना काम देख रहा, तो उसके पति (मेनका के सबसे बड़े भैया महेश) को पूरा खेत क्यों नहीं देते. उसने हक की बात की तो, बड़े बेटे को उल्टा जमीन बंटवारा में उसके हक की जमीन भी बेईमानी कर लिए, ऊपर से एक पैसा नहीं दिया. अब जो अपने बेटे का नहीं हुआ, वो अपने पड़ोसी का क्या होगा?"

"मेनका के परिवार को शुरू से अपने जमीन और पैसे का अकड़ रहा है, ऊपर से वो रूपा इनकी बहू. कामिनी साली, उसका मामा जब विधानसभा में गृह मंत्री था, तब इन लोगो ने बहुत माल बनाए. कुत्ते बिल्ली की तरह हमे समझते थे. उस दिन भी नंदू की दादी ने इशारों में तुम्हारे फूफा को कहा था कि 32 लाख की गाड़ी जो नकुल लाया है, उसके बदला जमीन खरीद लेते… अरे एक बार जब आप सुदृढ़ हो जाते है तो आपके पास 1000 मौके होंगे गाड़ी घोड़ा खरीदने के. नकुल के पापा रघुवीर भईया कुछ नहीं बोले लेकिन अनूप चाचा की फैमिली को मिर्ची लग गई.

संगीता तुम्हारे फूफा के जो पिताजी थे, उनके जमीन को भी अनूप चाचा ने ही पुरा बिकवा दिया. आज भी नकुल को ये लोग नौकर से ज्यादा कुछ नहीं समझते. हम कुछ अच्छा भी बोलेंगे तुम्हारे बुआ और फूफा को तो, उसमें भी ये लोग हमे ही बदनाम करेंगे.. बहुत ही धूर्त और नीच किस्म के है ये लोग. अनूप चाचा से यहां सब खुन्नस खाए है, एक तुम्हारे बुआ और फूफा को छोड़कर. बाकी के 4 परिवार पागल है क्या? लेकिन नकुल और उसके परिवार के आंख पर तो पट्टीयां चढ़ी हुई है…

बताओ, अभी यहां 7-8 एकड़ जमीन का सौदा किया गया है, लगभग 1 करोड़ 50 लाख का. तुम्हारे फूफा (नकुल के पापा) उस जमीन को खरीद रहे है, जबकि उन पर अब भी 4 लाख का कर्ज बचा है, आज 2 लाख पेमेंट करने के बाद. तुम सोच सकती है कोई आदमी इतनी बड़ी रकम कर्ज लेकर जमीन खरीदेगा, जिसका बैंक के हिसाब से भी इंट्रेस्ट जोड़ लो ना तो 1 लाख रुपया महीना से ऊपर आएगा. अब इन अनूप चाचा के कमीनापन देख लो,⁰ इतने पैसों के कर्ज लेकर जमीन खरीदने के उकसा दिया और तुम्हारे फूफा अरेंज करने में भी लग गए. 1 करोड़ का कर्ज तो खुद अनूप चाचा देंगे, 50 लाख का इंतजाम तुम्हारे फूफा कर रहे.

तुम ही बताओ, ऐसे कोई जमीन खरीदता है क्या? तुम्हारे फूफा को समझ में नहीं आ रहा क्या इंट्रेस्ट ना भरने के एवज में वो जमीन तो जाएगा ही, साथ ने इनके पास जो बची 8 एकड़ की खेत है और ये घर भी चला जाएगा. अनूप चाचा पुरा हड़पने की नीति बाना चुके है.. और तुम्हारे फूफा को समझ में नहीं आ रहा.

लेकिन कोई अपनी बेवकूफी में विश्वास करके लूटने को तैयार है, तो हम थोड़े ना उन्हें लूट जाने देंगे. कॉलोनी वाला होने के नाते उन्हें बर्बाद होने से तो रोकूंगा ही. किसी तरह ये जमीन का सौदा ना हो या फिर भले ही मै गलत साबित क्यों ना हो जाऊं, पर उनको इतने कर्ज लेकर जमीन नहीं खरीदने दे सकता..
nice update ..dono ke bich sex ho gaya ..
ab nilesh ke dil me kitni buraai hai menka ke pariwar ke liye ye pata chal gaya ..

ye karj ka matter kuch samajh nahi aaya 🧐🧐..nakul ne apne baap ko paise kyu nahi diye karj chukane ke liye 🤔..
aur 1 crore karj nikalke zameen kharidke kya fayda nakul ke baap ka jab usko us paise ka karj bhi chukana hai 🤔..
 
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छठा किस्सा:- आखरी भाग









संगीता:- गांव और गांव की बातें… मै पूरे जीवन काल में पहली बार अपने फूफा के घर आयी हूं.. मुझे कोई बहुत ज्यादा इमोशन नहीं, इसलिए उनका बचना, डूबना या किसी के हाथो बर्बाद हो जाना, उनके सोच और काम करने के तरीके के ऊपर है. मेरे लिए तुम जरूरी हो, और तुमसे मिलवाने वाली लड़की को तो मै थैंक्स बोलूंगी ही, भले ही वो कॉलोनी की एक लड़की ही क्यों ना हो, और कितनी भी लालची क्यों ना हो… तुम्हे कोई प्रॉब्लम है तो बताओ…


नीलेश:- मै तुम्हे अनूप चाचा के फैमिली के पास जाने से भी नहीं रोकूंगा संगीता क्योंकि जिसके जैसे कर्म होंगे वो भोगेगा ही, हमे बस अपना काम करते रहना है. आज तक मैंने लोगों कि हेल्प ही की है भले वो मुझे अपना समझे या पराया..


संगीता:- उस हिसाब से देखा जाए तो मेनका तुमसे ज्यादा हेल्पफुल नेचर की हुई… तुम्हे भाई समझकर हेल्प की, जिस वजह अभी तुम मेरे साथ हो. कभी भी जड़ को नहीं भूलना चाहिए…


नीलेश:- बेसिकली काम तो मेरा हो ही जाता. जब समस्या है तो उपाय भी ढूंढ़ ही लेते है. लेकिन मिस मेनका जो है वो काफी ही चालाक और कहने में कोई दो राई नहीं की वो छोटी सी लड़की पैसे के मामले में लालची भी है. केवल एक मीटिंग आइडिया के बदले में लगभग डेढ़ लाख रुपए के समान का कमिटमेंट करवा चुकी थी..


संगीता:- ओह माय गॉड ये तो हद से ज्यादा हो गया.. फिर तो तुम्हारा सोचना सही है. लेकिन बात जो भी हो, कल मै प्रसनली मिलकर उसे एक बार थैंक्स तो कह ही दूं. अपने काम कि कीमत वसूल करना स्मार्ट वर्क होता है, उसने लोभ करके कुछ ज्यादा वसूलना चाहा, वो अलग है.. अब फिलहाल तुम जाओ, रात बहुत हो गई है.. कल से फोन लाइन शुरू होगी.. और अब मुलाकात सीधा शादी के वक़्त…


नीलेश:- वो तो वक़्त ही बताएगा.. हां अभी के लिए गुड नाइट ..


नीलेश वहां से जैसे ही निकला संगीता बगीचे का दरवाजा खोल दी. वहीं पीछे किनारे से उसका एक बैग रखा हुआ था. संगीता बैग से एक बॉक्स निकाली और इस्तमाल किए कंडोम को बहुत ऐतिहातन उस बॉक्स में डाल दी.


उसके हाथ में नीलेश के कुछ बाल थे, संगीता उसे भी हिफाज़त से रखने के बाद अपना बैग पैक की और कॉल लगाती… "मिथलेश काम हो गया है"..


जैसे ही संगीता ने ये बात कही, उस ओर से लगातार रोने की आवाज आने लगी. संगीता काफी देर तक कान में फोन लगाए बस आवाज़ सुनती रही. 3-4 मिनट रोकर ख़ामोश होने के बाद.. "मिथलेश आर यू अलराइट"


मिथलेश:- थैंक्स संगीता. वहां से कब निकल रही हो, और तुम्हे उनसे कोई समस्या तो नहीं होगी…


संगीता:- अब मै उसकी होने वाली बीवी हूं, मुझे वो प्रॉब्लम देने की सोचेगा तो खुद फसेगा.. वैसे भी इनके अपने काफी इंटरनल मैटर उलझे हुए है.. बाकी वापस आकर बात करेंगे, अभी रखती हूं..


संगीता वो बैग उठाई और मुस्कुराती हुई खुद से कहने लगी… "5 पेग टाईट पिला गई तब तो तुझे रात की बात याद थी और तू मुझे मेरे ही बुआ के खिलाफ भड़का रहा. सच एन एसहोले (such an asshole)


मेरे कमरे में रात के 9.30 के बाद..



उन लोगो का पीने का कार्यक्रम चल रहा था, जिसे देखकर मै हंस रही थी. मन ही मन सोच रही थी चलो मॉडर्न भाभी के आने से लोगों में कुछ तो विचार का बदलाव आएगा या फिर सब लोग मिलकर इसे ही बदल देंगे.. वैसे देखने से लगता तो नहीं कि संगीता को बदला जा सकता है.


"हेय भगवान.. लगता है दोनो बगीचा में सुहागरात मानकर जाएंगे, फिल्मी किस्स शुरू हो गई. हटाओ इस चैनल को, फिर कभी देखते है".. दोनो के पप्पी झप्पी शुरू होते ही मै लैपटॉप बंद करने जा रही थी.. फिर मन के चोर ने आवाज़ लगाई, कौन सा मै बगीचे में खड़ी होकर दोनो को देख रही हूं..


मै लैपटॉप बंद करते-करते रुक गई.. लेकिन वो जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, मेरे हाथ वैसे-वैसे अपने बदन पर आगे बढ़ने लगे, खासकर संगीता के एक्शन और उसकी बातें.. मैंने 1, 2 बार पोर्न देख रखा था, लेकिन वो इतना प्रभावी नहीं था जितनी आज संगीता थी..


सुरसुरी, नशीला और मादक एहसास का जब सृजन हुआ, फिर मेरा रोम-रोम मचल सा गया.. कान में लगे हेडफोन से उनकी मादक आवाज़ आ रही थी, ध्यान कब लैपटॉप से हटा और कब मैंने अपने सलवार का नाड़ा खोलकर अपने योनि को प्यार से सहलाने लगी, मुझे खुद होश नहीं था. बस जो हो रहा था वो कातिलाना था… कुछ ऐसा जो मेरे बदन को एक अलग ही कामुक अवस्था में ले जा रहा था, जिसके गिरफ्त से मै बाहर नहीं निकालना चाहती थी…


हेडफोन कान में थे, जिससे मादक सिसकारियों की आवाज गूंज रही थी.. मै एक हाथ से कभी अपने दाएं स्तन को तो कभी बाएं स्तन को, कभी प्यार से तो कभी पूरे जोश से, खुद ही निचोड़ रही थी.. मेरी श्वांस बेकाबू होते जा रही थी और दिमाग बिल्कुल अलग ही मस्ती में. मेरी छाती काफी तेज तेज ऊपर नीचे हो रही थी और कमर भी हल्का-हल्का हिलने लगा था. पुरा बदन में मदक सिहरन दौड़ रही थी, जिस वजह से मेरे रोएं बिल्कुल आनंद में खड़े थे..


मैंने आज से पहले कभी कामुकता से अपनी योनि पर हाथ नहीं रखे थे. नरम रोएं योनि के ऊपर और योनि के सिले होंठ को मै कुरेद कर पहली बार खोल रही थी. मेरी छोटी सी योनि के बीच लाइन मात्र का बना हुआ था जिसके होटों को मैंने आज से पहले कभी इस बेकरारी में छुए नहीं थे….


लेकिन जब आज कामुक एहसास के साथ हाथ लगाई तो अंदर कितनी जलन है उसका एहसास भी होने लगा.. मैं पागलों की तरह अपने योनि के लिप को घिस रही थी, अपने क्लित के दाने को हल्का-हल्का छेड़ रही थी.. फिर एक समय ऐसा भी आया जब जब मै अपनी आवाज रोक नहीं पाई.. "आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह" की तेज आवाज मुंह से निकल रही थी, हाथ और पाऊं कांप रहे थे.. जो लगभग अकड़ से गए थे.. मेरी कमर झटके खाकर धीरे-धीरे शांत हो रही थी और कानो में तभी मां की आवाज आयी… "क्या हुआ मेनका"..


मै पहली चरमोत्कर्ष पर पहुंची थी, योनि से प्रेम रस निकालना शुरू ही हुआ था और शायद जब मैंने तेज आवाज़ की, तो मां के कानो तक पहुंच गई… जैसे पुरा भ्रम टूटा हो. मैंने एक हाथ मारकर लैपटॉप स्लीप मोड में डाला और भागी बाथरूम.. मै इधर बाथरूम का दरवाजा बंद कर रही थी उधर मां बीच का दरवाजा खोल रही थी..


मैंने फटाफट बाथरूम जाकर अपने योनि को सूखे और साफ तौलिए से पोछा, और आइने में खुद की हालात को ठीक करती हुई बाहर आयी… सामने मां खड़ी थी जो मेरे बिस्तर में परे सिलवटों को गौर से देख रही थी. मेरी तो श्वांस ही अटक गई… "क्या हुआ मां"..


मां:- तू चिल्लाई क्यों..


मै:- ऊपर से धम्म से गिरगिट गिरा बिस्तर पर, यक मुंह में कीड़ा को दबाए था मेरा पूरा बिस्तर गन्दा कर दिया.. कितनी बार कही हूं मां इनका इलाज करो लेकिन आप सुनो तब ना.. किसी दिन हार्ट अटैक करवा देना.. रुको मै चादर बदल लेती हूं..


मां:- जा पहले नहाकर आ, मै चादर बदल देती हूं..


मै:- मेरे ऊपर गिरता तो क्या मै केवल चिल्लाती, दरवाजा फाड़ कर आपके कमरे में नहीं आ जाती… वैसे आप चादर बदल रही हो तो बदल दो मै बैठी हूं..


मां मेरे कान पकड़कर उसे मरोड़ती.. "चल चुपचाप चादर बदल, मै गंगा जल छिड़क देती हूं.. मै देख रही हूं, आज कल तू आलसी होते जा रही है"… इतना कहकर मां ने कमरे में रखी गंगाजल को उठकर छिड़क दिया और मै चादर बदल कर बिस्तर पर लेट गई. मां मेरे सर पर हाथ फेरकर वहां से चली गई…


जैसे ही वो गई मैं खुद को ही 2 थप्पड़ लगाती… "गधी, नालायक.. प्राची दीदी ने माना किया था ना, सेक्स वाली बातें भरमाती है, खासकर टीनएजर्स को… उफ्फ लेकिन कातिलाना अनुभव था.. जो भी हो मज़ा आ गया. बस आखिर में मां की आवाज ने मज़ा किरकिरा कर दिया… "


अपने नए अनुभव पर मै कभी मुस्कुराई, तो अगले ही पल ये ध्यान का भटकाव है ऐसा कहकर खुद को नियंत्रित करने लगी. और इन विषयों पर ध्यान ना देने की खुद को ही सलाह दी. उम्मीद जताई थी कि इनकी काम लीला भी समाप्त हो गई होगी, इसलिए स्क्रीन ऑन करके मै ज़ूम स्क्रीन को मिनिमाइज करने लगी.. तभी देखी दोनो दीवार से लगे एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे है और संगीता अपनी शर्ट को ठीक कर रही है..


मैंने सोचा अब ये फ्यूचर हसबैंड एंड वाइफ बातें कर रहे है, इन्हे इनके हाल पर छोड़ दिया जाए. मै ब्लूटूथ माइक डिस्कनेक्ट करने ही जा रही थी तभी मन में जिज्ञासा जागी की दोनो बात क्या कर रहे होंगे.. इस जिज्ञासा ने मुझे सही गलत के दोराहे पर खड़ा कर दिया, फिर सोची अब जब इतना हो ही गया है तो थोड़ा और गलती कर ली जाए..


शायद मेरी अगली गलती ने मुझे जैसे भ्रम जाल से बाहर निकाल दिया हो.. मैंने जब हेडफोन लगाया तब संगीता, प्राची दीदी के बारे में बता रही थी.. मेरे कान खड़े हो गए और साथ में खुशी भी थी कि ये लड़की प्राची दीदी के बारे में जानती है, उसके बाद आगे जो वार्तालाप हुई उसने मेरे दिमाग के तार को झकझोर दिया..


मै तो यहां हर किसी को अपना समझती थी, लेकिन यहां तो हर कोई मुझे जबरदस्ती की बहन मानता था.. मात्र एक गांव की लड़की जो उसके आस-पड़ोस में रहती है. अब जब यही मान लिया तो मेरे 3 भर (30 ग्राम गोल्ड) गोल्ड की डिमांड तो लालच ही लगेगी. 3 भर तो बहुत ही ज्यादा होता है, फिर तो 3000 की डिमांड भी वैसी ही होगी.. लालच में डूबी एक मांग..


मुझे तो जो भी मेरी मां ने परिवार के बारे में बताया, मै तो वही सीखी. लोगो के दिखावटी प्रेम ने मुझे सोचने पर विवश किया कि मै यहां सबसे खास हूं, लेकिन शहर की तरह ये गांव भी था, जहां 1 जेनरेशन का ही अपना रिश्ता रहता है, फिर सब रिश्तेदार हो जाते है और जैसे जिसके क्लोज रिलेशन वैसा व्यवहार बनता है. फिर मात्र एक पूर्ण घरेलू संबंध ही समझ लीजिए, जो लोग साथ रहते डेवलप करते है. उसके अंदर जिसकी जैसे रिलेशन, लोग वैसा रिश्ता निभाता है..


उस दिन हॉस्पिटल में जब मनीष भईया ने मुझे कहा था कि कंप्यूटर मत सीख सब परेशान करेंगे, तभी शायद मै उनसे पूरी बात पूछ लेती तो अपने आस पास बसे परिवारों की सोच और सच, दोनो सामने आ जाती.. मनीष भईया बाहर रहते है, लोगो के बीच उठते-बैठते है और एक ही जेनरेशन के है, तो उन्हें सबके बारे में पता होगा. इसलिए कुछ सोच कर मनाकर दिया मुझे, लेकिन उल्टा मैंने ही उन्हें पाठ पढ़ा दिया था…


किन्तु तब भी जब मैंने उनसे ये कहा था कि, "लोग मेरे लिए खुशी-खुशी करते है तो मै क्यों ना करूं? ये स्वार्थ क्यों पलुं?" शायद मनीष भईया मेरे मासूम से दिल की भावना को समझ गए होंगे, कि मै यहां सब को दिल से अपना मानती हूं. शायद सच्चाई जानकर मेरे दिल को चोट ना पहुंचे इसलिए कुछ नहीं कहा होगा और सब वक़्त पर छोड़ दिया कि मै जब समझने लायक हो जाऊंगी तो खुद ही समझ जाऊंगी.. अच्छा ही है अब तो, 6 परिवार के बीच इकलौती बहन.. अच्छा मज़ाक के साथ मै जी रही थी.. थैंक्स नीलेश..
nice update ..sangita ki baat kuch samajh nahi aayi ,,,baal ,condom sambhalke rakha ..

aur ye mithilesh ko kaam ho jaane ki suchna di to wo ro kyu raha tha ?? kya nilesh ko barbaad karne ke liye koi planning hai uski ?? ..

aur kya sangita ki baate suni menka ne ( phone wali ) ..

aaj menka ka bhram toot gaya ki wo eklauti ladki hai to sab usse pyar karte hai ,,nakul aisa nahi hai par nilesh bahut kamina type ka hai aur uske pariwar wale bhi shayad ..
 
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