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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

Prime
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अध्याय 23 भाग:- 1








प्राची एक हफ्ते के लिए बाहर थी... नकुल के पास कंपनी के राइट्स आ चुके थे और वो वाइस चेयरमैन के पोस्ट पर काबिज था... नकुल ने फिर लगातार इंटरव्यू लेना शुरू किया...


सबसे पहले एचआर को ही रेक्रूट किया गया... कई लोगो में एक लड़का नकुल को भा गया, बस उसके पास टॉप मैनेजमेंट कॉलेज की डिग्री नहीं थी बल्कि करोस्पोंडेंस से डिग्री लिया था... अपॉइंटेड…


जब नकुल के साथ फिर वही लड़का इंटरव्यू लेने बैठा, फिर तो एक के बाद एक पूरी टीम तैयार हो गई.. फिलहाल 18 लोगो से काम शुरू किया गया था.. जिसमे 5 एचआर और 3 लीगल डिपार्टमेंट वाले थे और बाकी अन्य विभाग वाले..


एक हफ्ते बाद, रविवार की सुबह, नकुल सुबह-सुबह वर्जिश करके जैसे ही फ्लैट का दरवाजा खोला.. सामने प्राची. प्राची लौट चुकी थी. नकुल दरवाजे पर खड़ा था, दोनो की ठीक से नजर भी नहीं मिली थी और प्राची, नकुल के ओर दौड़ लगा दी.. वो दौड़ लगाती हुई उछलकर सीधा नकुल के गोद में थी, और अपने पाऊं नकुल के कमर में लपेटकर अपने दोनो हाथ से उसके चेहरे को थामती हुई... "मिस यू, मिस यू, मिस यू… ए लौट"…


नकुल, प्राची की इस बेकरारी वाली अदा और उसका खिला चेहरा देखकर हंसते हुए उसे अपनी मजबूत भुजाओं में थोड़ा और जकड़ लिया, और अपने होंठ बढ़ा दिए प्राची के होंठ पर...


प्राची बिना देर किए, उसके गाल को अपने दोनो हाथ से थामे होंठ से होंठ मिलाकर चूमने लगी... दोनो बेख्याली मे एक दूसरे के होंठ लगातार चूमे जा रहे थे...


एक छोटा सा विराम लेती हुई प्राची कहने लगी... "बेबी, आई नीड शॉवर बैडली (Baby, I need shower, badly), चलो ना".. और इतना कहकर अपनी बाहें नकुल के गर्दन मे डालकर, अपने हाथ और पाऊं के घेरे की पकड़ मजबूत बनाती, अपना चेहरा उसके कांधे से टिकाकर आंखे मूंद ली...


नकुल, प्राची की इस नॉटी अर्जी पर अपनी मर्जी डालते, प्राची को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले आया.. और आते ही सीधा शॉवर ऑन… प्राची चौंककर अपना चेहरा कंधे से हटाकर, कुछ पल अपनी नजरों से नकुल को निहारने लगी.. अपने होंठ से होंठ लगाकर एक प्यारा सा चुम्बन लेती... "बेबी कपड़े पहनकर कौन नहाता है"…


"पागल लड़की"… हंसते हुए नकुल के मुंह से यही निकला और वो प्राची को अपने गोद से उतारकर खड़ा किया... लेकिन प्राची पर तो जैसे खुमारी छाया हुआ था.. नकुल ने जैसे ही प्राची को खड़ा किया.. वो दीवार से टिककर नीचे फर्श पर बैठ गई...


आंख मूंदे, माध्यम शवांसे, पीठ दीवार से लगे, दोनो पाऊं सीधे, और बदन मे बिल्कुल जान नहीं... प्राची इस प्रकार बैठी थी मानो उसका शारीरिक हाव-भाव कह रहा हो, आज मुझमें जान नहीं, बस तुम मुझे प्यार करो..


नकुल बड़े ध्यान से प्राची को देखता रहा. प्राची के चेहरे पर दिख रहे सुकून के भाव, नकुल के दिल में उतर रहे थे.. तभी अपने खोए से आलम मे प्राची अपने दोनो हाथ ऊपर उठाकर नकुल को इशारे देने लगी..


नकुल प्राची की इस आदा पर हंसे बिना नहीं रह पाया, तभी प्राची अपने आखें खोलकर नकुल को आंख मारती हुई धीमे से कहने लगी... "प्लीज मुझे नहला दो ना"…


नकुल हंसते हुए प्राची के पास पहुंचा और उसके कमीज़ को उतारकर बाहर कर दिया.. प्राची के बदन से जैसे ही कमीज़ अलग हुआ, उसके कोमल शरीर पर अपनी एक उंगली फिराते हुए, नकुल धीरे-धीरे उस उंगली को उसके गरदन से सरकाते हुए, उसके छाती की गहराइयों के बीच से होते हुए धीरे-धीरे पेट तक लाया..


जैसे-जैसे उंगली नीचे आ रही थी, प्राची का बदन मस्ती से सिहर रहा था. उसके रौंगटे खड़े हो रहे थे.. उंगली धीमे से सरकते हुए नीचे कमर तक आयी जहां प्राची के सलवार की गांठ बांधी हुई थी..


नकुल अपना सर नीचे झुकाकर, अपने दातों से सलवार के गांठ खोलने लगा और प्राची की छाती जोर-जोर से ऊपर नीचे होने लगी... उसकी श्वांस पूरी तरह से अनियंत्रित हो चली थी, जिस वजह से वो लम्बी-लम्बी श्वास खींच रही थी..


तभी नकुल ने जांघ के दोनो किनारे से पकड़कर सलवार को खींचना शुरू किया. प्राची अपने हाथ नीचे जमाकर, कमर को थोड़ा ऊपर कर दी और सलवार को पाऊं से नीचे खींचने मे नकुल की मदद करने लगी..


पाऊं से सलवार निकल चुकी थी बदन पर अब मात्र ब्रा और पैंटी थी, और प्राची का भिंगा बदन.. देखने में यह इतना मादक नजारा था कि नकुल कुछ कदम पीछे हटकर वाइड एंगल में प्राची को देख रहा था... "उफ्फफफफ.... संगमरमर"


नकुल, प्राची के पास पहुंचा और उसे अपने बाहों में लेकर खड़ा करके, दीवार के सहारे से टिकाया और हाथ पीछे ले जाकर पहले तो ब्रा को निकाला, फिर पैंटी... अपने हाथो में साबुन लेकर, नीचे एक पाऊं से धीरे-धीरे ऊपर बढ़ना शुरू किया...


एयरियों से घुटने और घुटने से फिर ऊपर जांघ तक, फिर दूसरे पाऊं पर भी ठीक वैसे ही साबुन लगाकर, ऊपर बढ़ा.. पहले प्राची के नरम मुलायम पेट पर साबुन मला फिर हाथ धीरे-धीरे उसके मनमोहक छातियों के ओर बढ़ने लगा..


पानी में भिंगे होने के कारन बदन इतना चमक रहा था और हाथ ऐसे फिसल रहे थे, कि नकुल के हाथ ऊपर खुले चमकते स्तन के ओर बढ़ते हुए कांप गए.. एक मादक एहसास पुरजोर उठना शुरू हो गया था.. इस वक्त यही हाल प्राची का भी था जो उत्तेजना में पूरे जोर-जोर से श्वांस खींच रही थी...


साबुन जैसे ही दोनो स्तनों के बीच में नकुल ने मलना शुरू किया, प्राची अपने होटों को दातों तले दबाकर... "उफ्फफफफफफफफ, नकुल... प्लीज बेबी.. लव मी"… शायद एक लम्बे समय के प्यास का असर था, कि हाथ मात्र लगते ही, प्राची बिल्कुल जलने लगी...


लेकिन नकुल को इस पल में किसी भी तरह की जल्दी नहीं थी, वो आहिस्ते से अपने हाथ किनारे करते, स्तन पर धीरे धीरे दबाव बनाते हुए स्तन पर साबुन मलने लगा.. "ईशशशशशशशशशशशश.. ऊम्ममममममममममममममममम".. गहरी सांस के साथ प्राची के मुंह से हल्की-हल्की मादक सिसकारी लगातार आने लगी..


प्राची अपनी आंख खोलकर, नकुल के बाल को खींचकर उसके चेहरे को अपने चेहरे के सामने लाई और उसके होटों को लगभग चबाती हुई उसे चूमने लगी.. नकुल भी पूरे जोश से प्राची को चूमते हुए, अपने दोनो हाथ उसके पीठ पर ले गया और उसके सपाट, चमचमाते हुए पीठ पर धीरे-धीरे हाथ फेरते हुए साबुन मलने लगा..


प्राची लगातार होंठ को चूसती नकुल के बाल को भींचती हुई चूमे जा रही थी.. प्राची, नीचे से अपने बायां पाऊं उठाकर नकुल के कमर पर डालती, उसके कमर को अपने कमर से थोड़ा चिपकाकर, अपनी कमर हिलाती वो नकुल के कमर से घिसने लगी.. "आह्हहहहहहहहहहह, नकुल... मै मर रही हूं".. "ऐसे कैसे".. कहते हुए नकुल ने अपने दोनो हाथ प्राची के मस्त स्तनों से टिकाकर उसे ऊपर के और करते हुए मसलने लगा…


"आउच.. नकुल, थोड़ा धीमे"… लेकिन नकुल कहां मानने वाला था.. थोड़े मस्ती में नकुल ने अपने दोनो हाथ पूरे जोर से दोनो स्तन से टिकाए और स्तन को इतनी जोड़ दोनो हाथ से दबोचा, की वो साबुन लगे होने के कारन खुद-व-खुद फिसलते हुए ऊपर होने लगा..


प्राची पर दर्द और उत्तेजना का मिला जुला असर होने लगा और वो जोड़ से चिंख्ती हुई कहने लगी... "आव .. मां.. मर गई.. आह्हहहहहहहहहहहहह, बेबी कैसे कर रहे.. प्यार से करो ना"…


"ऐसे केवल तुम मज़ा लूट रही तो मै क्या कर सकता हूं चुलबुली... मै बोर हो रहा हूं.. और अब मै जा रहा हूं"…


प्राची जैसे ही सुनी की नकुल जा रहा है.. अपनी आंखें खोलकर नकुल को पलट दी और उसे दीवार से टिकाकर अपनी ऐरियों पर खड़ी होकर उसके होंठ को प्यार से चूमती... "क्या हो गया मेरे सोना को, ऐसे हुस्न को बीच मे छोड़कर क्यों चल दिए"…


"हुंह... बोरी की तरह लदकर, तब से अकेले मज़ा ले रही हो... "


"हिहिहिहिहिही, नाराज हो गया बच्चा.. ओ ले ले"… प्राची की बात सुनकर, नकुल उसे कमर से खींचकर अपने पास किया और उसके होंठ को अपने दातों तले हल्का दबाते हुए खींचकर छोड़ दिया...


प्राची, नकुल को घूरती हुई, उसके होंठ को अपने होंठ में जकड़ ली और हाथ नीचे ले जाकर उसके आधे खड़े लिंग को अपनी मुट्ठी में दबोचती चूमने लगी... सब कुछ इतने धीमे चल रहा था कि नकुल को ऐसे हमले कि उम्मीद नहीं थी.. वो पूरी तरह से हिल गया..


होंठ से होंठ दबे होने के कारन उसकी आवाज अंदर ही दब गई... फिर प्राची तेजी दिखती हुई उसके टीशर्ट को उसके शरीर से अलग करती उसके सीने को चूमती हुई, नकुल के निप्पल को अपने दांत मे फसाकर अपने जीभ चलाने लगी और नीचे पैंट के ऊपर से जो लंड को मुठियाने लगी..


कुछ ही समय में नकुल की हालत पतली हो गई... लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को बेताब हो गया.. प्राची भी लंड की गर्मी और उसके कड़क स्वभाव को अपने हाथ से जब मेहसूस की, बिना देर किए हुए वो घुटनों पर बैठकर उसके लोअर का नाड़ा खोलकर, लोअर को अंडरवेयर सहित नीचे खींच दी..


"ये तो मर्दों वाला है.. नकुल"… प्राची अपने हथेली से गोटियों को सहलाती हुई, लंड पर जीभ फिराते हुई कहने लगी.. "आह्हहह, प्राची ये जानलेवा है.."..


प्राची मुस्कुराती हुई एक बार नकुल के चेहरे पर आयी भावना को देखी और शरारत मे उसे और भी ज्यादा टीस करती हुई, नकुल के लिंग पर जीभ फेरती, अपने गुलाबी होठों को खोलकर, लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करने लगी, और नीचे हाथ गोटियों से टिकाकर उसे अपने मुट्ठी में दबोचकर, उसे अपने बड़े-बड़े नाखून से हल्के-हल्के खरोंचने शुरू कर दी..


नकुल की तो जान ही निकल गई.. वो प्राची के बाल को भींचकर... "आआआआ.. आह्हहहहहहहह"… एक पल दर्द तो अगले पल मज़े की सिसकी ले रहा था.. नकुल के लिए यह जानलेवा था लेकिन प्राची उसे लगातार टिज करती रही..


5 मिनट बाद जब नकुल से बर्दास्त कर पाना मुश्किल होने लगा, और उसे लगा कि कहीं खेल शुरू होने से पहले ही वो झड़ ना जाए.. तुरंत ही प्राची के बाल खिचकर ऊपर उठाया और होंठ से होंठ लगाकर उसे एक जोरदार चुम्बन देते दीवाल से चिपकाया..


दीवाल से चिपकाकर अपने पूर्ण जोश का प्रदर्शन करते हुए नकुल ने प्राची को कमर से पकड़ कर सीधा 6 फिट ऊपर उठाकर दीवार से टिकाया और उसके पाऊं के बीच अपना सर घुसा कर, प्राची की गीली हुई चूत पर अपने जीभ फिराते हुए, उसके क्लित के दाने को दातों से छेड़ने लगा..

"आह्हहहहहहहहहहहहहह, उफ्फफफफफफफफफफ, आह्हहहहहहहहहहहहहहहह... नकुललललललल"..थोड़ी-थोड़ी भड़की रही आग को नकुल ने ज्वालामुखी में तब्दील कर दिया..


प्राची का यह सबसे संवेदनशील हिस्सा था, जिसपर किसी के हाथ के ही ख्याल से वो कई बार झड़ चुकी थी.. और नकुल तो जीभ और दांत से उसे पुरा ही भड़का चुका था... "ईशशशशशशशशशश.. बेबी.. तड़पाना बंद कारो.. उफ्फफफफफफ.. सहन नहीं हो रहा.."..


नकुल भी अब अंतिम खेल को तैयार था. वो दीवाल के सहारे से प्राची को धीरे धीरे नीचे लेने लगा.. प्राची भी अपने हाथ नीचे के गई और जैसे ही हाथ पर लंड का स्पर्श हुआ, लंड को अपने दोनो हाथ से पकड़कर, अपने कमर को समानतर, नीचे आने का इंतजार करने लगी...

जैसे ही लंड चूत के सामने आया, प्राची अपने चूत के ऊपर लंड घिसने लगी, तभी नकुल ने जोड़ का झटका दिया और वो झटका इतने जोड़ का था कि प्राची की चूत में पुरा लंड एक बार में उतर गया..


प्राची दर्द से बिलबिला गई... "आआआआ... बेबी." करती वो नकुल के कंधे पर अपने दांत गड़ा दी... नकुल अपनी जगह यथावत रुककर, प्राची के गर्दन को चूमने लगा. उसके गर्दन पर धीरे-धीरे अपने जीभ चलाते हुए, पुरा लंड को चूत के अंदर घुसाए ही, धीरे-धीरे बस कमर को हिला रहा था...


कुछ मिनट की छेड़छाड़ के बाद धीरे-धीरे चूत फिर से गीली होने लगी... प्राची अपने नीचे फिर से बेचैनी मेहसूस करने लगी और बदहवासी में धीरे-धीरे अपने कमर हिलाने लगी.. फिर तो नकुल भी ऐसे कमर हिलाने लगा कि प्राची का पूरा बदन थिरक रहा था..


पानी में गीला बदन, हर धक्के के साथ जब थिरकता तो काफी मादक नजारा प्रतीत होता... अब तो धक्कों के कारन बदन पर पसीने चल रहे थे या पानी, वो भी तय कर पाना मुश्किल था, लेकिन दोनो अपने पूरे सुरूर मे, अपने कमर हिला हिलाकर पूरे जोश से परम आनंद सुख भोग रहें थे..


फिर वो वक्त भी आया जब दोनो की उत्तेजना लगभग एक साथ ही चरम पर पहुंची... "आह्हहहहहहहहहहहहहहह आह्हहहहहहहहहहहहहहहह, आह्हहहहहहहहहहहहहह, आह्हहहहहहहहहहहहहह, आह्हहहहहहहहहहहहहहह"… की गूंजती चारो ओर की सिसकारी… और अंत में.. नकुल चिखते हुए .. "आआआआआआआआ" की आवाज के साथ अपना पूरा वीर्य प्राची के अंदर खाली कर दिया..


और गरम वीर्य के गीले एहसास से प्राची भी... "उफ्फफफफफफफफफफ, ईशशशशशशशशशशशश, आह्हहहहहहहहहहहहहहहहहहह".. करती निढल पर गई..


तभी एक जोरदार चींख प्राची की निकल गई, जब नकुल को यह ख्याल नहीं रहा की प्राची को अपने हाथ का सहारा देकर वो दीवाल से टिकाए है और प्राची फर्श से 3,4 फीट ऊपर है...


जैसे ही नकुल पीछे हटा प्राची धम्म से गिरी.. उसकी जोरदार चींख निकल गई.. और कुछ ही पल बाद दोनो के जोड़ जोड़ से हसने की आवाजें...


दोनो फिर अंदर ही स्नान करके जल्दी है हॉल में पहुंचे.. हॉल में जैसे ही आए.. वहां काम करने वाली काम भी कर रही थी और प्राची को देखकर मंद-मंद हंस भी रही थी.. नकुल और प्राची दोनो समझ चुकी थी कि ये हंस क्यों रही है और प्राची मारे शर्म के गड़ी जा रही थी..


तभी नकुल उस कामवाली को बुलाकर पूछने लगा... "बहनजी आप हंस क्यों रही है"…


कामवाली:- नहीं सर मै हंस नहीं रही थी..


नकुल:- हम दोनों को पता है कि आपको क्या पता है.. इसलिए कुछ ऐसा कहिए जिससे हमे राहत मिले..


कामवाली:- मै यहां आयी, काम की और चलती बनी.. इधर मै केवल प्राची बहन को जानती हूं.. मेरा काम हो गया अब मै चली...


अपनी बात कहकर जैसे ही वो कामवाली गई, प्राची नकुल पर अपने दोनो हाथ चलाती… "मै तो बहकी थी, तुम माहौल नहीं समझ सकते थे.. और घर भी खुला छोड़ दिया.."
 

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अध्याय 23 भाग:- 2








अपनी बात कहकर जैसे ही वो कामवाली गई, प्राची नकुल पर अपने दोनो हाथ चलाती… "मै तो बहकी थी, तुम माहौल नहीं समझ सकते थे.. और घर भी खुला छोड़ दिया.."


नकुल:- अरे...


प्राची:- क्या अरे, क्या अरे हां...


नकुल:- बस भी करो, वो तुमसे ज्यादा समझदार है.. चिंता क्यों कर रही..


प्राची:- अच्छा और यही मेनका ने सब देखा होता..


नकुल:- बस.. ये बचकाना बात है... वैसे मेनका देखती तो हम झगड़ा बाद में करते, पहले उसके हाव-भाव लेने दौड़ते.. और समझने की कोशिश करते की वो कितना चिल्लाकर हमारी शादी जल्दी करवाएगी या हमारी विनती सुनकर मेरे ग्रेजुएशन के बाद...


प्राची:- मतलब हमारी शादी की सारी सेटिंग उसी को करनी होगी क्या?


नकुल:- हां बिल्कुल.. और कोई है जो ये कर सकता है..


प्राची:- और कहीं मेनका ही नहीं मानी तो..


नकुल:- उसे यदि पता चले कि हम दोनों शादी करना चाहते है तो वो हमे मिलाने के लिए जमीन आसमान एक कर देगी..


प्राची:- सच मे..


नकुल:- हा सच मे... और एक बात वो यदि पूछे.. जो कि पूछेगी ही... की जिंदगी में कौन चाहने वाला आ गया है तो झूट मत कहना की कोई नहीं आया और जिद पर मत अरी रहना..


प्राची:- मै समझी नहीं.. मेनका अगर हमारे बारे में पूछे तो सब बता दू..


नकुल:- इतनी अनजान, जान बूझकर बन रही हो या फिर दिमाग अपग्रेड के बदला डिग्रेड हो रहा जो बेवकूफी कर रही हो..


प्राची:- इतना बकवास से अच्छा सीधा समझा ही देते..


नकुल:- मेनका को सच बताना है.. लेकिन यह मत बताना की कौन है.. बस इतना कहना, नई अनुभव है काफी अच्छा लग रहा.. थोड़ा जी लेने दो, फिर पहले तुम्हे ही तो बताना है..


प्राची:- और साफ मुकड़ गई तो..


नकुल:- नेक्स्ट ईयर पहुंच रही है दिल्ली.. फिर तैयार हो जाना शादी के लिए.. क्योंकि तुम मुकड़ी तो उसे पता करने की जिज्ञासा बढ़ेगी... तुमने कबूल कर लिया तो वो खुश हो जाएगी और तुम्हे सपोर्ट करेगी.. इतनी सी बात है..


प्राची:- हां लेकिन उसे पता कैसे चलेगा..


नकुल:- "11th में गए उसे 2 महीने हुए थे.. तब वो 12th का सेलेब्स मे हाथ लगा चुकी थी.. मेरी हेल्प के लिए वो एग्रीकल्चर साइंस की बुक को वो 8th क्लास से पढ़ रही है.. शायद मेनका की कमांड इस विषय पर इतनी हो की यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को पढ़ा दे.."

"कहने का मतलब है कि उसे बस किताब मिल जाए तो वो रेगिस्तान में भी जीवन काट लेगी.. उसके दिमाग में ऑटो टारगेट सेट होता है.. मुझे इतने समय में ये कवर कर लेना है और इतने समय मे इसको."

"नाउ प्वाइंट इज.. वो जब किताब में होती है तो बस किताब में होती है.. उस बीच वो मुझे महीनों बाद मिली.. मै खींचा हुआ सा दिखा.. मुझसे कुछ ज्यादा नहीं पूछी चुपचाप चली गई.. अगले दिन वो इतना कुछ भूमिका पहले से पता करके बैठी थी कि क्या बता दूं मै..


प्राची, उत्सुकता से.. "होनेवाले पतिदेव, शॉर्ट मे बता दीजिए ना बुआ सासू आपके के बारे में क्या पता करके आयी थी"..


नकुल:- शायद उसे नीलेश के बारे में पहले से पता था.. लेकिन वो जब नीतू का पता करने गई, तब नीतू और नीलेश की पूरी कहानी उसे पता चल गई.. फिर पक्का उसके दिल में यह आया होगा कि कहीं नीतू मुझे धोके मे तो नहीं रख रही.. और पूरे होमवर्क के बाद मेरे दिल का हाल लेने आयी थी..


प्राची:- धूर्त कहीं की.. बहुत बड़ी साइलेंट किलर है वो.. हम तो साथ रहकर, बात करके, या किसी के हाव भाव से परखते है कि इंसान कैसे है.. वो किलोमीटर दूर से समझ जाती है कि कौन कितना धूर्त है.. या कितना सीधा..


नकुल:- ऐसा कहने की वजह..


प्राची:- इतनी सी तो चुहिया जैसी थी, जब मिली थी.. मै उससे कुछ सवाल जवाब कर रही थी और मुझे मुंह पर बोल दी, मै उससे, उसके मन की बात ले रही..

एक दम खतरनाक था वो मंजर.. पहली बार फील हो रहा था कि उसकी हंसी और बेवकूफाना हरकत पर मत जाओ.. आखों मे एक्सरे मशीन लगा है और दिमाग में कंप्यूटर.. वैसे जानते हो एक बात..

नकुल:- क्या ?


प्राची:- तुम दोनो ही जीनियस हो, पर कभी-कभी अफ़सोस होता है कि जिन्हे पूरी दुनिया जानती, वो खुद गुमनामी का रास्ता पकड़े हुए है.. यार तुम्हे नहीं लगता कि भगवान ने तुम दोनों को बहुत खास बनाया है..


नकुल:- मेरे लिए तो सबसे खास तुम हो.. भगवान ने हम दोनों (नकुल और मेनका) में एक ही तो एबिलिटी दी है, अपने लोगो के चेहरे पर मुस्कान लाना.. सो ला रहे है.. कहां उनके दिए एबिलिटी का तिरस्कार कर रहे..


प्राची:- छोड़ो मै डिस्कस ही नहीं करना चाहती..


नकुल:- हां तो इसपर डिस्कस कर लो की हमारी पहली रोमांस कैसी रही..


प्राची नकुल को एक हाथ मारती... "धत उल्लू"..


नकुल:- एक बात बताओ वैसे ये पहला इन्विजन तो नहीं था.. फिर जब अंदर गया तो तुम ऐसे चिंखी क्यों?


प्राची:- बुद्धू.. वो 52-54 साल का था, और वो कभी डीप पेनिट्रेट नहीं किया...


नकुल:- इसलिए तो कहता हूं रोमांस डिस्कस कर लिया करो, ये डीप पेनेट्रेशन पहले से पता होता तो सब स्मूथली जाता...


प्राची:- ये क्या बार-बार रोमांस डिस्कस की बात लेकर बैठ गए.…


नकुल:- अगर रोमांस डिस्कस नहीं करोगी तो रोमांच से वंचित रह जाओगी. और एक बार रोमांस से यदि रोमांच चला गया तो फिर बचेगा एक ही काम..


प्राची:- क्या..


नकुल:- थोड़ा सा कपड़ा सरकाया, धक्कम धक्का किए और सब शांत..


प्राची:- हिहीहिहिहिहि.. पागल.. वैसे शुक्रिया इसपर खुलकर बात करने के लिए.. जब कुछ ऐसी रोमांचित करने वाली इक्छा होगी तो खुलकर जाहिर करूंगी.. फिलहाल मुझे रेगुलर रोमांस से तो बोर कर दो, तब सोचूं ना.. अभी तो तुम्हारे साथ होने मे ही रोमांच है...


नकुल सोफे पर बैठा था और प्राची उसके गोद में लेटी हुई थी. प्राची अपनी बात कह रही थी और नकुल अपने हाथ धीरे-धीरे प्राची के स्तन पर चलाने लगा..

प्राची झटके से उठकर बैठती हुई नकुल को घूरने लगी... "ये तुम क्या कर रहे हो"..


नकुल:- साइज चेक कर रहा..


प्राची:- 32 है.. और उन्हे 32 ही रहने दो..

नकुल:- पागल, तुम्हारे स्तन कह रहे की मुझे भी बड़ा होना है कब तक मै छोटी रहूं..


प्राची नकुल का गला दबाती हुई वहां से उठकर भागी.. और नकुल उसे देखकर हसने लगा.. 2011 के अंत में दोनो के प्यार का कारवां शुरू हुआ था.. और फिर दोनो ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा..


इस बीच दोनो ने मिलकर सबसे पहले तो "Yours" के एम्पायर को हंसते खेलते खड़े किए जा रहे थे.. इनकी एक के बाद एक मीटिंग कामयाब होती जा रही थी.. प्राची के बिजनेस प्लान और मॉल का प्रबंधन इतना शानदार था कि दिन-व-दिन मॉल मे ग्राहकों की संख्या में उछाल देखने मिलता..


वहीं दूसरी ओर नकुल काम करने वालों का प्रबंधन देख रहा था... उसके अपॉइंट किए गए लोग प्राची के प्रबंधन को इतना आसान कर चुके थे कि प्राची बस एक घंटे ऑफिस जाकर पूरे दिन का काम निपटा सकती थी..


और जब एक घंटा मे काम खत्म हो गया फिर बचता ही क्या था, सिवाय नकुल के आगोश में डूबकर उसी मे खो जाना... वर्ष 2012, श्रावण पूर्णिमा, राखी का दिन और काफी मायूसी के साथ प्राची ने नकुल को कॉल लगाकर कहा कि "प्लीज चले आओ, रोने जैसा दिल कर रहा है..."


नकुल को भी आश्चर्य लगा कि आज के ही दिन क्यों प्राची कॉल कर रही.. नकुल के लिए एक अच्छी बात थी कि मेनका किताबों में पूरी तरह से फोकस थी, और वर्मा सर के कारन वो गांव के श्रावण मेले में नहीं जा रही थी..


नकुल दिन का पुरा वक्त मेनका को दिया और फिर वहीं से दिल्ली के लिए निकल गया.. नकुल अगले दिन सुबह-सुबह ही फ्लैट पहुंचा.. जैसे ही प्राची ने सामने नकुल को देखा, वो दौड़कर नकुल से लिपट गई. लिपटकर सुकून से वो नकुल के बाहों में परी रही...


नकुल, प्राची के पीठ पर इस कदर हाथ फेरता रहा, मानो एहसास करवा रहा हो कि शांत हो जाओ, मै हूं ना यहां पर... "क्या हो गया प्राची दीदी को"..


प्राची नकुल के सीने से अलग होती अपनी छोटी सी आंख किए घूरती हुई... "तुम्हारी दीदी हूं मै.. ला फिर हाथ आगे बढ़ाओ, राखी बांध ही दूं"..


नकुल:- अब मुझे क्या पता अंदर फीलिंग क्या थी जो तुम मुझे राखी के दिन बेचैन होकर कॉल की..


प्राची:- मेरे पास कोई नहीं था.. मेरे पापा को छोड़कर सब मुझसे अनजानों की तरह व्यवहार करते है. यहां का सुनापन मुझे काट रहा है...


नकुल:- हम्मम ! हर्ष ने कल फोन नहीं उठाया या फोन पर कुछ कह दिया..


प्राची:- दुख तो इसी बात का है, वो फोन उठाया भी और कुछ कहा भी नहीं..


नकुल:- हम्मम ! मतलब खतरनाक तरीके से तुम पर वो गुस्सा है... इसकी वजह जान सकता हूं...


प्राची:- "हर्ष और मैंने लगभग साथ में अपना हायर एजुकेशन शुरू किया था... मैंने जबसे अपना हायर एजुकेशन शुरू किया, तब से मै लगभग सबको भुल ही गई थी... उस दौरान एक दिन में केवल 1 या 2 बार ही किसी का कॉल लेती थी, वो भी 15 से 20 सेकंड मैक्सिमम बात होती.."

"फिर धीरे-धीरे लोगों ने कॉल करना छोड़ दिया और मैंने भी ध्यान देना बंद कर दिया की वो कॉल करना क्यों बंद कर दिए... बस बिजनेस के सिलसिले में केवल पापा से लंबी बातें होती थी..."

"फिर अचानक एक दिन मुझे मेनका मिली... उसके एक संदेश ने मुझे आकर्षित किया और जब तुम दोनों मिले तो पता चला कि मै खुद को साबित करने के चक्कर में क्या खोती जा रही थी..."


नकुल:- पागल, इतना मायूस क्यों होना.. 3-4 साल का उनका दर्द है, तुम्हे क्या लगता है, 3-4 कोशिश में चला जाएगा क्या? कम से कम तुम कोशिश तो करो, मुझे यकीन है कि थोड़े समय में मामला सेट हो जाएगा...


नकुल की बात सुनकर प्राची एक प्यारी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाती... "सच मे ऐसा होगा क्या?"


नकुल:- हां सच मे ऐसा होगा, लेकिन रिश्तों मे इमोशन होने चाहिए ना कि किसी अपना बनाने का टारगेट.. समझी मिस..


प्राची:- लेकिन नकुल कुमार मिश्रा तो मेरा लक्ष्य था.. हिहिहिहि..


नकुल:- चलो इसी बात पर एक काम करो, जाओ एक हफ्ते की छुट्टी लो और घर घूमो… इस दौरान नो बिजनेस.. वो मै देख लूंगा...


प्राची:- आज तो तुम आए ही हो, कुछ दिन बाद छुट्टी ले लूंगी चलेगा क्या?


नकुल:- जी बिल्कुल भी नहीं चलेगा, आज के आज निकलो.. और हां नो फोन कॉल, किसी को भी नहीं.. बाहरी दुनिया से पूरी तरह से ब्लैंक होकर जाओ...


प्राची, नकुल के होंठ को चूमती…. "जैसा आप कहें सर, लेकिन क्या आज की रात रुक लूं मै.. प्लीज़जजजज..."


नकुल, प्राची का बचपना देखकर हंसते हुए कहने लगा... "लेकिन हम दोनो मे तो बच्चा मै हूं"…


प्राची:- जैसे मेनका के लिए तुम बड़े होकर भी छोटे हो, ठीक उसी प्रकार मै भी तुमसे बहुत बहुत बहुत छोटी हूं..


नकुल:- इतनी भी छोटी ना बन जाना की दूध पिलाना परे..


"वो तो मै पिला दूंगी.. आज गोद में लल्ला... हिहिहिहि"… प्राची आंख मारती हुई अपनी बात कह दी जिसे सुनकर नकुल हंसते हुए बस उसे पागल कहकर वहां से चला गया..


एक रात रुकने के बाद प्राची चली गई अपने घर... घर पहुंचकर वो पूरे एक हफ्ते केवल अपनी मम्मी के पास बिताई.. इस दौरान बहुत सी छोटी-छोटी चीजें थी जो वो अपने मां के साथ की.... जिसमे से साड़ी पहनना भी एक था जो प्राची ढंग से पहनना सीख गई थी...


उसे एहसास हो गया की परिवार के साथ कुछ वक्त बिताने मे क्या मज़ा है.. इस बीच वो अपनी मां के साथ ही केवल घूमी, उनके साथ शॉपिंग की.. यह पहला मौका था जब प्राची अपनी मां उपासना सिंह के साथ मेनका से मिलने गई...


थोड़ा सा अजीब माहौल तब हो गया जब प्राची की मां, मेनका के साथ बैठकर गप्पे लगाने लगी, तब दोनो प्राची को ही भुल गई... प्राची शिकायती नज़रों से देखती... "ये क्या है यहां दोनो के बीच की कड़ी मै हूं और मुझे भूलकर दोनो आपस में ही लगे हुए हो.. मै भी हूं यहां पर"..
 

nain11ster

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अध्याय 23 भाग:- 3








उपासना:- साल भर में पहली बार तो खुलकर बात कर रही है मेनका वरना मुझे तो कुछ और समझ में आया था..


मेनका उपासना की बात सुनकर अपना बड़ा से मुंह खोलती... "आंटी ये तो गलत है.. आप खुद ही मुझे ऐसे देखती थी कि मुझ बेचारी को डर लग जाए… कितनी खतरनाक लुक रहती थी.. वैसे खतरनाक लुक तो अब भी है... अंकल इसी चांडलनी वाला रूप को देखकर मोह गए होंगे"…


जैसे ही मेनका अपनी बात पूरी की, वहां का पुरा माहौल ही खिखिखिखी की हंसी से गूंज गया. एक बात तो थी, प्राची जब भी मेनका की चुलबुली हरकत देखती और मज़ाक ही मज़ाक में बड़ी से बड़ी बात जब वो आसानी से कह देती, तो प्राची को यही लगता.… "काश मेनका के जैसे ये हंसते-हंसते लगा दे रस्ते वाले कला मुझमें भी होती"…


उसी शाम की बात है जब उपासना और प्राची घर पर बैठकर अकेले में अपनी भावनाएं साझा कर रहे थे... उपासना अचानक ही कहने लगी... "मेनका को देखती हूं तो दिल में यही ख्वाइश जागती है कि काश ये अपने कास्ट की होती तो हर्ष के लिए अभी जाकर हांथ मांग लेती"…


प्राची:- क्या तुम भी मां… इस जमाने में भी कास्ट को देख रही...


उपासना:- पागल, ले भगा शादी में ना लोगों को किसी तरह समझा बुझा लेंगे, लेकिन ये बिहार है, रिश्ता लेकर गए तो कास्ट मैच करनी चाहिए.…


प्राची:- हिहिहि... मतलब आप चाहती हो की हर्ष और मेनका के बीच...


उपासना:- तू कभी सोचे तब ना अपने भाई के बारे में..


प्राची:- सोचती हूं मां.. बस कुछ नाराज चल रहा है मेरा भाई.. इसलिए सरा ध्यान उसे मनाने पर है... गलती मेरी ही है.. जब उसे मेरी जरूरत थी, तब मै नहीं थी... और अब जब मुझे एहसास हुआ तो उसे मेरी जरूरत ही नहीं.. खुश है वो मेरे बिना..


उपासना:- "छोड़ तू दिल छोटा ना करी.. वैसे उसकी थोड़ी फिक्र रहती है... उसके अंदर अकेले जीने वाला गुण आते जा रहा है.. उसके जीवन में कोई हो तो ठीक, ना हो तो ज्यादा ठीक... बिल्कुल तेरी तरह.."

"तू तो नकुल और मेनका को देखकर सुधरी है, जिस वजह से ये दोनो भाई बहन मेरे दिल के इतने करीब है, जबकि देखा जाए तो मेनका से आज खुलकर बात हुई, हां नकुल से अपनी पक्की दोस्ती है.. बहुत प्यारा लड़का है.."


प्राची:- "कहीं नकुल को लेकर भी आपकी सेम फीलिंग तो ना हो गई... बेटी मिश्रा के घर दो और बहू मिश्रा के घर से लो…"


उपासना, प्राची को घूरती हुई.… "कुछ भी बकवास किए जा रही है... तेरी शादी तो मैंने फिक्स कर दी है.."


प्राची चौंकते हुए... "क्या????"


उपासना:- इसमें इतना चौंकने की क्या जरूरत है.. लड़का हैंडसम है, स्मार्ट है और अपनी खुद की दवा की कंपनी है.. समाज में अच्छा नाम भी है...


प्राची:- मां मुझे नहीं करनी अभी कोई शादी.. मुझसे पूछे वगैर कोई मीटिंग मत फिक्स कर देना...


उपासना:- कहीं तूने खुद कोई लड़का तो नहीं ढूंढ लिया.. जो इतना चिढ़ रही है... देख मुझे तेरी शादी को लेकर कोई ड्रामे नहीं चाहिए... लड़का अपनी कास्ट का है तो अभी बता दे, हम सब तय कर लेंगे.. दूसरी कास्ट का है तो अभी रिश्ता तोड़ दे.. बात आगे मत बढ़ाओ...


प्राची:- मै वादा करती हूं शादी आप लोगों की मर्जी से ही होगी.. आप इसपर ज्यादा ना सोचो.. पहले मै अपने भाई को मनाऊंगी.. साथ ही साथ अपनी कंपनी को बुलंदी पर लेकर जाऊंगी.. 3-4 सल और इतंजार कर लो..


उपासना:- 23-24 अच्छी उम्र है शादी की.. घर बसा ले.. तू और कितना पैसे कमाएगी…


प्राची:- पैसे कमाना लक्ष्य नहीं है मां.. मै चाहती हूं हर कोई काम करे, इसलिए अपने लोगो के लिए सुकून की नौकरी का जुगड़ में जुटी हूं.. किसी दिन पापा जब अपने गांव और आस पास के गांव की सुखी संपन्न देखे तो खुश हो जाएं..


उपासना:- हां तू तो अपनी पापा की ही बेटी होगी ना.. उन्हीं की खुशी, उन्हीं का सपना..


प्राची:- सेटअप मां.. आप ये ताने ना मारा करो.. बताओ आपका सपना क्या है..


उपासना, प्राची के सर पर हाथ फेरती... "मेरा सपना तो है कि उम्र के हर पड़ाव में बस तुम दोनो भाई बहन मेरा साथ कभी नहीं छोड़ो... एक वक्त था जब अंदर से वाकई चिढी सी रहती थी.. फिर नकुल जब तेरे पापा के साथ काम करता था तब वो मेरे पास बैठता.."

"बहुत प्यारा बच्चा है... उसने दूर से देखकर ही भांप लिया की मेरे दिल में क्या चल रहा है.. यहीं सोफे पर बैठकर मेरा हाथ थामकर कहा था... "आंटी आप चिंता मत करो, आपकी बेटी मुझे दिल्ली बुला रही है और मै उसको आपके पास भेज दूंगा, बिल्कुल वैसे जैसे आप की दिल की तमन्ना है".. तूने तो पूछ लिया नकुल ने तो मेहसूस किया मेरे सपने को और आज सच कर दिया... अब बस.."


प्राची:- अब बस क्या मां..


उपासना:- बस अब तेरा भाई हर्ष भी ये एहसास करवा दे की मै भी उसके लिए खास हूं..


प्राची:- आपको वो बहुत चाहता है मां, बस मेरे कारन से ये सब हो रहा है.. उसे पहले की तरह करके भेजता हूं...


उपासना:- "पहले भी तो वो वैसा ही था प्राची, क्या तुझे यह बात पता नहीं.. लगा कि बच्चा है अभी समझदारी नहीं इसलिए लोगों से घुलता मिलता नहीं.. और जब मै इंगलैंड मे उसके साथ थी तब पता चला कि वो तो अपने पास लोगों को ही नहीं देखना चाहता है..."

"पता ना हर्ष का क्या होगा.. यही हाल रहा तो वो केवल खुद पर केंद्रित होकर रह जाएगा... ऊपर से उसका प्रोफेशनल डॉक्टर वाला.. रोगियों के दर्द और चीख पुकार सुन सुनकर तो उनके इमोशन भी मर जाते है.."


प्राची:- चिंता क्यों करती हो मां.. अभी जबतक वो इंडिया नहीं लौट आता तबतक मै उसके पास जाते आते रहूंगी.. देखना कोशिश करेंगे तो उसे सबसे लगाव हो जाएगा.. चलो अब हंसो और हां.. अभी कोई शादी की बात नहीं प्लीज..


उपासना मुस्कुराकर प्राची को देखती... "ठीक है बेटा कोई शादी की बात नहीं, लेकिन हर्ष जब इंडिया वापस आ जाएगा फिर साल भर के अंदर तेरी शादी..


प्राची:- ठीक है मंजूर मुझे..


दोनो मां बेटी काफी खुश नजर आ रहे थे... प्राची जब रात को अकेली थी, अंदर की गहराइयों से बस इतना ही सोच रही थी... "सब कुछ पहले की तरह होता तो अपने घर से नकुल के लिए झगड़ा भी कर सकती थी... लेकिन अब"…


प्राची को वापस दिल्ली लौटने मे देर हो गई, और इधर तबतक नकुल दिल्ली से वापस लौट आया था... लगभग महीने दिन हो गए थे लेकिन प्राची लगभग नकुल से कटी हुई थी...


नकुल फोन करे या टेक्स्ट, जवाब एक ही आता... "लिटिल बिट बिज़ी, कॉन्टैक्ट यू लैटर…" नकुल को भी समझ में आ रहा था कि प्राची उसे खुद से दूर रखने की कोशिश कर रही है.. और यही बात सोचकर वो हसने लगता... खुद से ही कहता... "चीजें इतनी भी जटिल नहीं होती पागल, जितना खुद सोच सोचकर उसे हम जटिल बना देते है...


रैनी सीजन ही था.. बोले तो भादो का महीना.. काम धंधा लगभग मंदा ही था, तब प्राची ने कुछ दिन यूके घूमकर आने की सोची.. प्राची के पिता को जब यह बात पता चली तब उन्होंने कहा कि वो या उसकी मां अभी नहीं आ सकते इसलिए अकेले ना जाकर नकुल को साथ लिए जाओ..


प्राची बहुत कोशिश की नकुल को टालने की, लेकिन अंत में मजबूरन उसे हां कहना ही परा… फ्लाइट में दोनो ने साथ उड़ान तो भरी थी, लेकिन प्राची किसी कंपनी के मालकिन की तरह बिल्कुल अभिमानी अभिव्यक्ति जताती हुई, बिल्कुल ख़ामोश और मैगज़ीन में खुद को घुसाए हुई थी..


प्राची, नीचे ब्लैक कॉलर की महंगी लोअर, ऊपर स्लीवलेस छोटी व्हाइट टॉप, जिसमे उसके पेट 2 इंच तक दिख रहे थे और ऊपर एक ब्लैक कलर का जैकेट डाले हुई थी.. प्राची मैगज़ीन को आगे रखते अपने जैकेट उतारकर किनारे रख दी और आराम से अपनी आंखों पर पट्टी लगाकर लेट गई..


प्राची स्लीवलेस टॉप मे लेटी थी नकुल ठंडी आहें भरते, धीमे से कहा... "चेहरा छुपाकर जो भी दिखा रही है, बहुत मस्त है"…


बात इतनी जोड़ की थी कि प्राची के कानो तक पहुंच गई, आंखो की पट्टी हटाकर वो ऐसे घुरी की मानो अभी खा जाएगी... और बिना कुछ बोले अपना जैकेट उठाकर अपने सीने के ऊपर रखकर, आंख मूंदकर सो गई..


गहरी रात हो चुकी थी, सभी यात्री लगभग सो रहे थे.. प्राची को हल्की घुटन सी मेहसूस होने लगी और वो अपनी आंखे खोलकर पहले कुछ देर तक तो लंबी-लंबी श्वांस ली.. तभी प्राची की नजर नकुल पर गई, जो उसका हाथ अपने हाथ में थामे सुकून से सो रहा था..


कितना शांत और प्यारा दिख रहा था. प्राची आहिस्ते से अपना हाथ निकाली और कुछ पल तक उसे देखती रही.. नकुल को निहारते कब उसके हाथ उसके गालों पर चले गए उसे खुद भी नहीं पता..


लेकिन जैसे है नकुल, नींद में थोड़ी खलल के कारन अपना चेहरा हल्का हिलाया, प्राची झट से अपना हाथ हटा ली, उसका ध्यान टूटा और खुद मे ही "नो नो" कहती सीधा बाथरूम मे घुसी..


अंदर घुसते ही प्राची को लगा कि कोई उसके साथ घुसा.. वो झटके से पलटी, तभी नजरो के सामने नकुल... "बाहर जाओ अभी"… प्राची आखें दिखती हुई उससे धीमे से कहने लगी..


नकुल चुपचाप खड़ा रहा.. प्राची इस बार थप्पड़ मारकर कही बाहर जाओ.. नकुल फिर भी खड़ा रहा.. 4-5 बार वो नकुल के सीने पर हाथ चलाती हुई कहने लगी... नकुल उसके करीब गया और आहिस्ते से अपने होंठ आगे बढ़ाकर शांत खड़ा हो गया..


प्राची उसे मारती हुई शांत खड़ा देखती रही.. कुछ पल बाद जब नकुल की आंखे खुली तब प्राची वहां से गायब हो चुकी थी.. नकुल थोड़ा मायूस होकर बाहर आया तब पता चला कि प्राची निकालकर दूसरे वाले बाथरूम में पहुंच गई थी..


प्राची की ब्रा कुछ ज्यादा ही टाइट लग रही थी इसलिए उसे श्वांस लेने मे हल्की सी घुटन हो रही थी.. नकुल जब आंख मूंदकर खड़ा हुआ तब प्राची निकलकर दूसरे बाथरूम में घुस गई और फटाफट ब्रा के स्ट्रिप को पीछे से ढीला करके वापस अपनी जगह पर आ गई..


जब वो वापस आयी, उसके सीट पर एक पन्ना परा था जिसमे सॉरी लिखा हुआ था और नकुल अपने चेहरे को ढक कर लेटा हुआ था.. प्राची काफी देर तक नकुल के ओर ही मुड़ी रही लेकिन नकुल के ओर से कोई हरकत नहीं हो रही थी...
 

nain11ster

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comedy ka tadka had se zyada... :D
roopa bhabhi ki Jay ho :D
Bas uske mann fir se tharakpan na jag jaye :D
waise lata kyun dene lagi woh permanent number...
are yaar number change kar lo simple :dazed: bina baat rai ka pahad bana rahi hai ye menka..
So menka aur ravi ke bis illu illu jaldi hi suru hone wali hai :kiss1:
Yeh writer sahab ki sazish hai :D
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
Meri koi sajis nahi hai ... Pura menka ka hi kiya dhara hai... Sach me kasam se .. itna hi kahunga
 

nain11ster

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ये तो मैं भी काॅपी कर रहा हूं‌ :D
और हम क्यों न करें ! जहां कुछ सिखने को मिले वहां जरूर सिखना चाहिए ।
Sahi jawab aur aap jit gaye hain ek renge rover .. pata pm kijiye delivery ki koi gurantee nahi :D
 
  • Haha
Reactions: SANJU ( V. R. )

nain11ster

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kaafi emotional situation create ho jati hai kabhi kabhi bua aur bhatije ke bis.. par joh bhi ho dono ek dusre ko samajhte hai.
so kul milake baat yeh hai ki nakul bangalore jaa raha hai aur yahan menka akeli reh jayegi... oh to yeh Saryanta racha hai writer sahab ne... so matlab ab jo ki menka akeli par gayi hai, yeh Prachi, nilesh aur uska gang , girish, woh rajveer ya phir chaahe uski tharki saheliya hi kyun na ho.. yeh sabhi adamkhor menka ko mentally ho ya phir physically noch noch ke khayenge... :sigh:
waise menka aur nakul ki conversation kafi rochak hoti hai... kya baat hai paise nahi par gift jarur degi.. wow camera aur iPad nakul ki to nikal padi...
Khair... Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:

Yessss one cute little girl will handle alone everything... Aur use viswas hai naina didi ke suggestions se wo sab kar legi ... Baki jo bhi likha ja raha hai wo wakai writer ki chal hai uska dhyan na de... Ant me kuch aapke man ki aur kuch mere (Menka) man ki hogi...

With love Menka :D
 

nain11ster

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writer sahab ne ravi ke jariye chaal chal diya hai... dekhna yeh hai ki masoom menka kaise aur kis tarah se jaal mein fanshti hai... well ab toh ravi uske ghar tak pahunch gaya hai... Jaane aage aage aur kya kya rang dikhayega... lo ji maha tharki physically unsatisfied pushpa ke sath kabaddi khelne bhi lag gaya.. hmm.. matlab practice ho rahi hai ki taki kaise bholi menka bhi Seduce kar sake...
Bas is update ek baat dil ko chu gayi aur woh hai menka kaise un garib chutku chutkiyo ki madad I mean to say ki lasij pakwan khane ko paise diye.. kash menka ravi ko tabbajo na deke thodi der un bachho ke sath ghum leti mela... Khair writer sahab aisa thodi na hone denge.. upor se nakul ko bhi bhaga diya :sigh:
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
Kabhi kabhi dikh jate hain aise chhote bade bache to paropkar chhati faadkar bahar aa jata hai... Baki chhoti si ghatna thi kitna khinch de uko aap hi bataeye :D
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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अध्याय 18 भाग:- 1





एयर इंडिया की ब्रिटेन जाने वाली फ्लाइट बिहारियो ने हाईजेक कर रखी थी... सबसे ज्यादा फनी था मेरी मासी का एक्सप्रेशन.. बेचारी..


वैसे तो मेरे पापा के सामने उनकी कभी हिम्मत नहीं हुई थी कि मौसा को पीने से मना कर दे, लेकिन आज तो दिन मे ही दारू चल रही थी... वो भी उन्हीं के आखों के सामने.. मासी ने आज तो पापा को भी रखकर सुना दिया. राजवीर अंकल "साली-साली" बोलकर थोड़े मजाकिया क्या हुए, मासी उन्हे कुछ सुनाई तो नहीं, लेकिन उफ्फ वो गुस्से वाली उनकी लुक.…

nain11ster saheb dekh lijiye aap keh rahe the na yeh rajveer bada achha banda hai..
dekhiye saari pol patti khul gayi... iski nazar menka ke ghar ki bahu betiyo pe hai.. budhau bada rangin hai.. shaq ab yakin mein badal chuki hai ki yeh rajveer tharki hawasi hai :D. toh is irade se mehevaani ho rahi thi menka par.. isliye piche pare the :D


हर 10 मिनट पर एयर होस्टेज "मैम मैम" करती आ रही थी और उनको अपने जगह पर बिठाकर शांत रहने की विनती करती... कुछ शोफेस्टिकेटेड यात्री हमे हीन नजर से देख रहे थे, तो वहीं कई ऐसे विदेशी यात्री थे जिन्होंने ये फैमिली ड्रामा एन्जॉय किया...


हम लंदन एयरपोर्ट पर लैंड किए.. हर्ष वहां हमारा पहले से इंतजार कर रहा था.. एक बड़ी सी वैन मे हर कोई सवार होकर रिजॉर्ट के लिए निकल लिए...


थीम रिजॉर्ट मे हमारा कारवां पहुंचा... काफी खूबसूरत रिजॉर्ट था, लड़के की बुकिंग देखकर मै काफी इंप्रेस थी.. कपल बूढ़े अलग सेक्शन मे थे.. कपल जवान चूंकि एक दूसरे से परहेज़ वाले थे, इसलिए उनको थोड़ा दूर-दूर वाला अलग-अलग कमरा और उनके कमरे के साथ एक छोटा कमरा भी अटैच था जहां बच्चों को सुलाया जा सकता था...


और हम जवानों का अपना कमरा, एक पूरे लाइन से.. हां बस मेरा कमरा जो था वो सीधे एक लाइन में ना होकर, एक पैसेज खत्म होने के बाद, लेफ्ट पैसेज से जहां कमरा शुरू होता है, उस ओर था...


मय 9, 2013 ब्रिटेन में पहला दिन... तकरीबन शाम के 7 बजे...


रिजॉर्ट के हॉल में इंडियन ऑर्गनाइजर को बुलाकर गेम का आयोजन किया गया था.. मै भी वहीं जाने के लिए तैयार हो रही थी... तभी दरवाजे पर आहट हुई और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला सामने हर्ष था.. "जी हर्ष सर कहिए कैसे याद किया"..


उसने अपनी चोर नजरो से एक झलक मेरे रूप को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारने के बाद... "तुमसे कुछ बात करनी थी, फ्री हो क्या"


मै:- अमम्म ! रुको मै अपने पीए को बुलाकर आज की अपॉइंटमेंट चेक करती हूं..


हर्ष:- वेरी फनी … हाहाहा... इधर आओ अंदर तुम पहले..


"अरे अरे अरे.. ये क्या कर रहे हो"…. हर्ष दरवाजे से हाथ पकड़कर मुझे अंदर बिस्तर तक लेकर चला आया, और प्रतिक्रिया मे में सिकायती नज़रों से देखती उससे कहने लगी..


हर्ष:- 2 मिनट तुम आराम से बिस्तर पर बैठो और पहले मुझे कहने दो..


मै:- हां हां कहो, मै सुन भी रही हूं और घड़ी के 2 मिनट भी चेक कर रही..


टिक टिक टिक टिक टिक.. हम दोनों के बीच पीन ड्रॉप साइलेंट, 2 मिनट ऐसे ही खामोशी मे बीत गए.. हां लेकिन पीछे से उसके कांपते पाऊं मुझे यह एहसास करवा रहा था कि वो कितना नर्वस है...


मै:- 2 मिनट हो गए हर्ष मै जा रही हूं वरना नकुल यहां आता है होगा...


हर्ष:- जहरीला नाग कहीं का...


बहुत ही उसने धीमे कहा था, लेकिन उसे क्या पता था कि मै उसके ठीक पीछे खड़ी थी. अपनी बात कहकर जैसे ही वो मेरी ओर मुड़ा... "तुम्हारे जगह कोइ दूसरा होता ना तो मै उसका अभी इलाज कर देती"…. "अरे मेनका, सॉरी, सुनो तो, प्लीज"…. मै अपनी बात कहकर मूड गई और आगे से हंसती हुई बिना मुड़े चल दी..


इस कहानी का सृजन मार्च 2012 मे हुआ था जब हर्ष 2 साल बाद घर लौटा था.. मै, राजवीर अंकल और पापा के बहुत से छोटे-छोटे कामों में हेल्प कर दिया करती थी, उसी दौरान कुछ मुलाकात हर्ष के साथ हुई थी..


उसकी बेकरारी मुझे एहसास करवा चुकी थी कि वो बार-बार मेरे करीब रहने की कोशिश कर रहा है.. मुझसे बात करने की कोशिश कर रहा है.. लेकिन उस दौरान हर्ष को कभी वक्त नहीं मिल पाया और मै जब भी उसका अफ़सोस भरा चेहरा देखती, मुझे बड़ा प्यारा लगता था..


उसके लंदन जाने बाद, बीच-बीच में हमारी फोन पर बात होती और जब भी 2,3 मिनट से ज्यादा हर्ष लाइन पर रहता, मै नकुल के कॉल का बहाना या फिर नकुल ही आ गया है मै बाद मे बात करती हूं, ऐसा कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया करती थी... आज भी बेचारे का वैसा ही अफ़सोस से भरा चेहरा था.. ऊपर से नकुल फिर बीच मे आ गया.. मै हंसती हुई आगे चल रही थी और वो मायूस होकर मेरे पीछे आ रहा था...


नकुल को बुरा कहा उसने, इस बात को लेकर मै 1,2 दिन तक हर्ष से दूरी ही बनाकर रखी.. वो अलग बात है कि वो पूरी कोशिश करता मेरे पास होने की, लेकिन मै भी पूरी कोशिश करती उस वक्त कोई ना कोई मेरे पास हो... उफ्फ उसका वो परेशान चेहरा... हिहीहिहिहि.. मै बता नहीं सकती की कितना क्यूट लगता था..


11 मय, 2013.. हम एक हफ्ते की टूर पर थे, इटली के कुछ जगह, फ्रांस के कुछ जगह, स्विट्ज़रलैंड की कुछ जगह और फाइनली वापस आकर ब्रिटेन जितने दिनों तक घूम सके..


हम सब वेनिस, इटली में थे.. इस फ्लोटिंग सहर को नाव में घूमना था.. हमारे टूर गाइड ने सब पहले से कॉर्डिनेट कर रखा था.. हम सब अलग-अलग नाव में सवार होकर सहर घूमने निकले, और सभी नाविक को पहले से बता दिया गया था कि कितने बजे सबको एक ही जगह उतारना है... ये अच्छा था.


सभी लोग नाव में सवार होकर अलग-अलग रास्तों से घूमने निकले. अब हर्ष की प्लांनिंग थी या उसकी किस्मत, आखरी के नाव पर जाने के लिए मै और हर्ष बचे हुए थे.. और हर्ष के चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि वो कितना खुश है…


मै उसके चेहरे की भावना को देखकर हंस रही थी और वो बेचारा मेरी हंसी देखकर ऐसे शर्मा जाता की मुझे और भी जोर से हंसी आ जाती... "क्या हर्ष सर बड़ा ही क्यूट सा एक्सप्रेशन दे रहे है, लगता है कुछ सिद्दात से चाहा था वो पुरा हो गया"… मै नाव में कदम बढ़ाती हुई हर्ष के छेड़ दी..


हर्ष:- हां कुछ-कुछ ऐसा ही है मेनका...


नाव अभी आगे बढ़ने ही वाली थी कि तभी मैंने नाव वाले को रुकने के लिए कह दिया. गौरी लगभग भागती हुई हमारे नाव मे चढ़ गई और पानी के 2 घूंट पिती… "शुक्र है तुम्हारा नाव आगे नहीं बढ़ा था, वरना मै इसी स्पॉट पर रह जाती"..


मै सामने हर्ष का छोटा सा चेहरा देखकर खिल खिलाकर हंसती हुई... "ऐसा क्या हो गया गौरी"..


गौरी:- मुझे उस नकुल के साथ चिपका दिया था.. उसे देखकर ही भागी मै...


मै:- पागल कहीं की.. कोई नहीं आ जा सेल्फी लेते है...


गौरी:- ये छायाचित्र तो मोबाइल मे ही कैद रह जाएंगे, आखों से नजरो को कैद करो, उम्र भर दिल में बस जाएंगे...


हर्ष:- क्या बात कही है गौरी... वैसे नकुल और तुम्हारे बीच ऐसा क्या है.. कहीं वो गंदी नजर से तो नहीं देखता...


मेरे हाथ में पानी का बॉटल था, मैंने खींच कर दे मारा. निशाना सीधा हर्ष के माथे का बयां हिस्सा और वो पूरी जगह लाल दिख रही थी... मैंने नाव वाले से कह दिया "किसी भी जगह किनारे कर दो मुझे उतारना है..."


गौरी मेरा हाथ पकड़ कर मेरा गुस्सा शांत करवाती हुई कहने लगी… "मेरी बहना, मेनका दीदी"..


मै:- देख गौरी मेरा पारा अभी चढ़ा हुए है.. प्लीज


नाव वाला नाव को किनारे ले जाने लगा, तभी गौरी उसे साइट विजिट को लेकर चलने के लिए कहती हुई... "अब क्या मुझे भी ये जगह नहीं दिखाओगी, अच्छा रुको पहले इनकी गलतफहमी दूर कर दूं, फिर वो माफी मांगेगा..."


"सुनिए हर्ष जी, वैसे तो आप दिखने में बहुत अच्छे है, प्रेसनलाइटी भी खूब मस्त है, लेकिन मेनका को नकुल के नाम से चिढ़ाकर यदि पटाने की सोच रहे है तो वो आपका ख़ून कर देगी"…


मै अपनी आखें बड़ी करके... "गौरी ये सब क्या है"..


गौरी:- अरे चुप करो जरा बात करने दो... मुझे बच्ची समझना बंद करो, जो समझ ना पाए की ये किस कोशिश में लगे है... और आप सर... यूके में रहकर कोई लड़की से बात करने में इतना शर्माता है क्या?... हर्ष सिंह की जगह हर्ष शर्मा होना चाहिए आपका नाम...


मै:- गौरी तू ज्यादा बकवास करेगी तो मै तुझे पानी में फेक दूंगी, सोच ले..


गौरी:- आज के बाद तुम जैसा कहोगी मै उस हिसाब से तैयार हो जाऊंगी, कभी किसी के गिफ्ट देने पर ऐतराज नहीं करूंगी... अब जरा बात पूरी करने दो..


गौरी की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ा सुकून मिला.. थोड़ी खुश भी थी मै.. उसके इस कमिटमेंट पर तो 7 खून माफ.. वो अपनी बात आगे बढ़ते हुए कहने लगी... "नकुल एक बड़े भाई जैसा है बिल्कुल केयरिंग, जो मुझे बस लोगों के साथ घुलने मिलने के लिए प्रेरित करता है.. उसे भी अच्छा नहीं लगता जब मै बिल्कुल शांत और अकेली रहती हूं.. और बता दूं, मेरी मां और दीदी के बाद केवल नकुल और मेनका ही है जो मुझे समझते है, सो अब मैंने मेंनका को शांत कर दिया है.. जाकर माफी मांगो"…


हर्ष, मेरे करीब बैठते... "तुम मेरी हालात समझते हुए हंस रही थी और मै अंदर से चिढ़ा हुआ था.. कोई गलत इंटेंशन नहीं था, बस तुम्हे चिढ़ाने के लिए बोल दिया.. हां कुछ ज्यादा ही गलत बोल दिया.. बताओ मै क्या करूं जो तुम्हारा गुस्सा शांत हो जाए"..


मै:- इस जगह तुम पहले आ चुके हो..


हर्ष:- हां आ चुका हूं..।


मै:- ठीक है मेरे साथ शॉपिंग पर चलो.. कपड़े ज्वेलरी और पार्लर...


हर्ष, उस नाव वाले को किसी जगह कहा उतारने. वहां उतरकर हम एक डिपार्टमेंटल स्टोर पहुंचे, जहां से मैंने गौरी के लिए 3-4 प्यारी ड्रेस खरीदी... मै तो अंदर से खुश थी..


फिर ज्वेलरी शॉप जाकर उसके लिए पुरा सेट खरीदा.. फाइनली हम ब्यूटीपार्लर मे थे.. मैंने ब्यूटीशियन से बोला हमे जल्दी घूमने निकालना है, बस हल्के मेकअप के बाद इसे तैयार कर देना है...


वो जैसे ही अंदर गई, मै हर्ष से... "हाथ आगे करो".. हर्ष ने जैसे ही अपना हाथ आगे किया.. उसके हाथ में एक प्यारा सा ब्रेसलेट डालती… "तुम्हारे बेतुके मज़ाक ने आज मुझे बहुत ज्यादा खुश कर दिया है... गौरी मेरे कहे अनुसार कपड़े पहन रही, मेकअप कर रही, ऐसा लग रहा है मै कोई सपना देख रही.. लेकिन सच सच बताओ, बस मुझे चिढ़ाने के लिए बोले थे ना, अंदर कुछ बात तो नहीं"..


हर्ष:- कान पकड़कर उठक बैठक लगाते हुए ये बात कहूं की बस चिढ़ाने के लिए तुमसे कहा था.. और हां अंदर से तो थोड़ा सा चिढ़ा ही रहता हूं उससे, क्योंकि ये नकुल तो मेरे जिंदगी मे सनी बाना हुआ है...


मै:- शक्ल मत दिखना आज तुम अपनी हर्ष, कुत्ते की दुम हो सुधर नहीं सकते... नकुल पसंद नहीं इसका मतलब मै भी उस इंसान को पसंद नहीं.. तुम यहां से जा रहे हो या गौरी को लेकर मै जाऊं...


बेचारा मुझे लाख मनाते रह गया लेकिन मै मानी नहीं और एक ही बात कह दी.. नो शक्ल दिखाना, मतलब नो शक्ल दिखाना... वो वहां से मुंह लटकाकर चला गया और मै अंदर ही अंदर हंसती हुई… "आव बेचारा"…


कुछ देर बाद गौरी बाहर आयी.. मै बता नहीं सकती की वो कितनी प्यारी लग रही थी... उसके आते ही मैंने पार्लर से काजल मांगकर उसे काला टिका लगाते हुए कहने लगी... "तुझे हमारे ही घर के लोगों की ही नजर ना लग जाए"..


गौरी:- आखिर-आखिर तक भगा ही दिया बेचारे को..

हम दोनों नाव की ओर चलते हुए... "वो कहने लगा थोड़ी तो चिढ़ है ही नकुल के लिए"..


गौरी:- किसी सच्चे को उसकी सच्चाई के लिए मिली सजा.. निर्दई मेनका मिश्रा..


मै:- अच्छा जी, मतलब मेरे खिलाफ बोला जा रहा है...


गौरी:- मुझे जीजाजी पसंद आए.. और उनका आपके लिए नर्वस होना और भी ज्यादा क्यूट लगा..


मै, गौरी के कान खींचती... "तू इतना आगे कैसे पहुंच गई.. यूरोप आने से सच्चाई नहीं बदलती की हम बिहार के एक छोटे से गांव से है.. एक बार मां बाप को तो मनाया भी जा सकता है, लेकिन इतने रिश्तेदारों और गांव वालों का क्या करूंगी, कोई ना कोई इज्जत मान मर्यादा की ऐसी घुट्टी पिला ही देगा कि.. आगे कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है..."
ab puri baat clear hai harsh ke liye Prachi yeh mehevaani dikha rahi thi... Harsh ne kaha hoga ushe ki ushe menka chahiye wah kya khel racha usne.. isliye modern banane ki koshish kar rahi thi Prachi... taki videsh mein uske bhai sang reh sake bina koi jhijak....... isliye ...
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप....
Kahi yeh baat samajhne mein deri na kar de menka...
Maybe der kar di usne...
मै, गौरी के कान खींचती... "तू इतना आगे कैसे पहुंच गई.. यूरोप आने से सच्चाई नहीं बदलती की हम बिहार के एक छोटे से गांव से है.. एक बार मां बाप को तो मनाया भी जा सकता है, लेकिन इतने रिश्तेदारों और गांव वालों का क्या करूंगी, कोई ना कोई इज्जत मान मर्यादा की ऐसी घुट्टी पिला ही देगा कि.. आगे कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है..."
Or maybe not :D
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 

nain11ster

Prime
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mela na hoke kamasutra ban gaya hai woh gaon... :D tharakio ka mela
Btw Thriller story mein khoon kharaba maut honi chahiye... yeh erotica kahe :dazed:
ek baat to tay hai writer sahab ka ye kirdaar ravi bilkul bhi loyal nahi hai... aur yeh akhiri sach bhi hai... actually yeh ravi menka se nahi uske jism se pyar karta hai jise hawas kahte hai log.. :check:
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
Bina sex ke violence nahi aata hai ye to itihas raha hai.. isliye khun kharaba ke pahli ki taiyari hai :D yahi aap bhi maan lijiye :D

Fir se ravi ke piche padi.. oye kab gayab hoga tu Ravi :sigh:
 
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