हर 10 मिनट पर एयर होस्टेज "मैम मैम" करती आ रही थी और उनको अपने जगह पर बिठाकर शांत रहने की विनती करती... कुछ शोफेस्टिकेटेड यात्री हमे हीन नजर से देख रहे थे, तो वहीं कई ऐसे विदेशी यात्री थे जिन्होंने ये फैमिली ड्रामा एन्जॉय किया...
हम लंदन एयरपोर्ट पर लैंड किए.. हर्ष वहां हमारा पहले से इंतजार कर रहा था.. एक बड़ी सी वैन मे हर कोई सवार होकर रिजॉर्ट के लिए निकल लिए...
थीम रिजॉर्ट मे हमारा कारवां पहुंचा... काफी खूबसूरत रिजॉर्ट था, लड़के की बुकिंग देखकर मै काफी इंप्रेस थी.. कपल बूढ़े अलग सेक्शन मे थे.. कपल जवान चूंकि एक दूसरे से परहेज़ वाले थे, इसलिए उनको थोड़ा दूर-दूर वाला अलग-अलग कमरा और उनके कमरे के साथ एक छोटा कमरा भी अटैच था जहां बच्चों को सुलाया जा सकता था...
और हम जवानों का अपना कमरा, एक पूरे लाइन से.. हां बस मेरा कमरा जो था वो सीधे एक लाइन में ना होकर, एक पैसेज खत्म होने के बाद, लेफ्ट पैसेज से जहां कमरा शुरू होता है, उस ओर था...
मय 9, 2013 ब्रिटेन में पहला दिन... तकरीबन शाम के 7 बजे...
रिजॉर्ट के हॉल में इंडियन ऑर्गनाइजर को बुलाकर गेम का आयोजन किया गया था.. मै भी वहीं जाने के लिए तैयार हो रही थी... तभी दरवाजे पर आहट हुई और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला सामने हर्ष था.. "जी हर्ष सर कहिए कैसे याद किया"..
उसने अपनी चोर नजरो से एक झलक मेरे रूप को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारने के बाद... "तुमसे कुछ बात करनी थी, फ्री हो क्या"
मै:- अमम्म ! रुको मै अपने पीए को बुलाकर आज की अपॉइंटमेंट चेक करती हूं..
हर्ष:- वेरी फनी … हाहाहा... इधर आओ अंदर तुम पहले..
"अरे अरे अरे.. ये क्या कर रहे हो"…. हर्ष दरवाजे से हाथ पकड़कर मुझे अंदर बिस्तर तक लेकर चला आया, और प्रतिक्रिया मे में सिकायती नज़रों से देखती उससे कहने लगी..
हर्ष:- 2 मिनट तुम आराम से बिस्तर पर बैठो और पहले मुझे कहने दो..
मै:- हां हां कहो, मै सुन भी रही हूं और घड़ी के 2 मिनट भी चेक कर रही..
टिक टिक टिक टिक टिक.. हम दोनों के बीच पीन ड्रॉप साइलेंट, 2 मिनट ऐसे ही खामोशी मे बीत गए.. हां लेकिन पीछे से उसके कांपते पाऊं मुझे यह एहसास करवा रहा था कि वो कितना नर्वस है...
मै:- 2 मिनट हो गए हर्ष मै जा रही हूं वरना नकुल यहां आता है होगा...
हर्ष:- जहरीला नाग कहीं का...
बहुत ही उसने धीमे कहा था, लेकिन उसे क्या पता था कि मै उसके ठीक पीछे खड़ी थी. अपनी बात कहकर जैसे ही वो मेरी ओर मुड़ा... "तुम्हारे जगह कोइ दूसरा होता ना तो मै उसका अभी इलाज कर देती"…. "अरे मेनका, सॉरी, सुनो तो, प्लीज"…. मै अपनी बात कहकर मूड गई और आगे से हंसती हुई बिना मुड़े चल दी..
इस कहानी का सृजन मार्च 2012 मे हुआ था जब हर्ष 2 साल बाद घर लौटा था.. मै, राजवीर अंकल और पापा के बहुत से छोटे-छोटे कामों में हेल्प कर दिया करती थी, उसी दौरान कुछ मुलाकात हर्ष के साथ हुई थी..
उसकी बेकरारी मुझे एहसास करवा चुकी थी कि वो बार-बार मेरे करीब रहने की कोशिश कर रहा है.. मुझसे बात करने की कोशिश कर रहा है.. लेकिन उस दौरान हर्ष को कभी वक्त नहीं मिल पाया और मै जब भी उसका अफ़सोस भरा चेहरा देखती, मुझे बड़ा प्यारा लगता था..
उसके लंदन जाने बाद, बीच-बीच में हमारी फोन पर बात होती और जब भी 2,3 मिनट से ज्यादा हर्ष लाइन पर रहता, मै नकुल के कॉल का बहाना या फिर नकुल ही आ गया है मै बाद मे बात करती हूं, ऐसा कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया करती थी... आज भी बेचारे का वैसा ही अफ़सोस से भरा चेहरा था.. ऊपर से नकुल फिर बीच मे आ गया.. मै हंसती हुई आगे चल रही थी और वो मायूस होकर मेरे पीछे आ रहा था...
नकुल को बुरा कहा उसने, इस बात को लेकर मै 1,2 दिन तक हर्ष से दूरी ही बनाकर रखी.. वो अलग बात है कि वो पूरी कोशिश करता मेरे पास होने की, लेकिन मै भी पूरी कोशिश करती उस वक्त कोई ना कोई मेरे पास हो... उफ्फ उसका वो परेशान चेहरा... हिहीहिहिहि.. मै बता नहीं सकती की कितना क्यूट लगता था..
11 मय, 2013.. हम एक हफ्ते की टूर पर थे, इटली के कुछ जगह, फ्रांस के कुछ जगह, स्विट्ज़रलैंड की कुछ जगह और फाइनली वापस आकर ब्रिटेन जितने दिनों तक घूम सके..
हम सब वेनिस, इटली में थे.. इस फ्लोटिंग सहर को नाव में घूमना था.. हमारे टूर गाइड ने सब पहले से कॉर्डिनेट कर रखा था.. हम सब अलग-अलग नाव में सवार होकर सहर घूमने निकले, और सभी नाविक को पहले से बता दिया गया था कि कितने बजे सबको एक ही जगह उतारना है... ये अच्छा था.
सभी लोग नाव में सवार होकर अलग-अलग रास्तों से घूमने निकले. अब हर्ष की प्लांनिंग थी या उसकी किस्मत, आखरी के नाव पर जाने के लिए मै और हर्ष बचे हुए थे.. और हर्ष के चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि वो कितना खुश है…
मै उसके चेहरे की भावना को देखकर हंस रही थी और वो बेचारा मेरी हंसी देखकर ऐसे शर्मा जाता की मुझे और भी जोर से हंसी आ जाती... "क्या हर्ष सर बड़ा ही क्यूट सा एक्सप्रेशन दे रहे है, लगता है कुछ सिद्दात से चाहा था वो पुरा हो गया"… मै नाव में कदम बढ़ाती हुई हर्ष के छेड़ दी..
हर्ष:- हां कुछ-कुछ ऐसा ही है मेनका...
नाव अभी आगे बढ़ने ही वाली थी कि तभी मैंने नाव वाले को रुकने के लिए कह दिया. गौरी लगभग भागती हुई हमारे नाव मे चढ़ गई और पानी के 2 घूंट पिती… "शुक्र है तुम्हारा नाव आगे नहीं बढ़ा था, वरना मै इसी स्पॉट पर रह जाती"..
मै सामने हर्ष का छोटा सा चेहरा देखकर खिल खिलाकर हंसती हुई... "ऐसा क्या हो गया गौरी"..
गौरी:- मुझे उस नकुल के साथ चिपका दिया था.. उसे देखकर ही भागी मै...
मै:- पागल कहीं की.. कोई नहीं आ जा सेल्फी लेते है...
गौरी:- ये छायाचित्र तो मोबाइल मे ही कैद रह जाएंगे, आखों से नजरो को कैद करो, उम्र भर दिल में बस जाएंगे...
हर्ष:- क्या बात कही है गौरी... वैसे नकुल और तुम्हारे बीच ऐसा क्या है.. कहीं वो गंदी नजर से तो नहीं देखता...
मेरे हाथ में पानी का बॉटल था, मैंने खींच कर दे मारा. निशाना सीधा हर्ष के माथे का बयां हिस्सा और वो पूरी जगह लाल दिख रही थी... मैंने नाव वाले से कह दिया "किसी भी जगह किनारे कर दो मुझे उतारना है..."
गौरी मेरा हाथ पकड़ कर मेरा गुस्सा शांत करवाती हुई कहने लगी… "मेरी बहना, मेनका दीदी"..
मै:- देख गौरी मेरा पारा अभी चढ़ा हुए है.. प्लीज
नाव वाला नाव को किनारे ले जाने लगा, तभी गौरी उसे साइट विजिट को लेकर चलने के लिए कहती हुई... "अब क्या मुझे भी ये जगह नहीं दिखाओगी, अच्छा रुको पहले इनकी गलतफहमी दूर कर दूं, फिर वो माफी मांगेगा..."
"सुनिए हर्ष जी, वैसे तो आप दिखने में बहुत अच्छे है, प्रेसनलाइटी भी खूब मस्त है, लेकिन मेनका को नकुल के नाम से चिढ़ाकर यदि पटाने की सोच रहे है तो वो आपका ख़ून कर देगी"…
मै अपनी आखें बड़ी करके... "गौरी ये सब क्या है"..
गौरी:- अरे चुप करो जरा बात करने दो... मुझे बच्ची समझना बंद करो, जो समझ ना पाए की ये किस कोशिश में लगे है... और आप सर... यूके में रहकर कोई लड़की से बात करने में इतना शर्माता है क्या?... हर्ष सिंह की जगह हर्ष शर्मा होना चाहिए आपका नाम...
मै:- गौरी तू ज्यादा बकवास करेगी तो मै तुझे पानी में फेक दूंगी, सोच ले..
गौरी:- आज के बाद तुम जैसा कहोगी मै उस हिसाब से तैयार हो जाऊंगी, कभी किसी के गिफ्ट देने पर ऐतराज नहीं करूंगी... अब जरा बात पूरी करने दो..
गौरी की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ा सुकून मिला.. थोड़ी खुश भी थी मै.. उसके इस कमिटमेंट पर तो 7 खून माफ.. वो अपनी बात आगे बढ़ते हुए कहने लगी... "नकुल एक बड़े भाई जैसा है बिल्कुल केयरिंग, जो मुझे बस लोगों के साथ घुलने मिलने के लिए प्रेरित करता है.. उसे भी अच्छा नहीं लगता जब मै बिल्कुल शांत और अकेली रहती हूं.. और बता दूं, मेरी मां और दीदी के बाद केवल नकुल और मेनका ही है जो मुझे समझते है, सो अब मैंने मेंनका को शांत कर दिया है.. जाकर माफी मांगो"…
हर्ष, मेरे करीब बैठते... "तुम मेरी हालात समझते हुए हंस रही थी और मै अंदर से चिढ़ा हुआ था.. कोई गलत इंटेंशन नहीं था, बस तुम्हे चिढ़ाने के लिए बोल दिया.. हां कुछ ज्यादा ही गलत बोल दिया.. बताओ मै क्या करूं जो तुम्हारा गुस्सा शांत हो जाए"..
मै:- इस जगह तुम पहले आ चुके हो..
हर्ष:- हां आ चुका हूं..।
मै:- ठीक है मेरे साथ शॉपिंग पर चलो.. कपड़े ज्वेलरी और पार्लर...
हर्ष, उस नाव वाले को किसी जगह कहा उतारने. वहां उतरकर हम एक डिपार्टमेंटल स्टोर पहुंचे, जहां से मैंने गौरी के लिए 3-4 प्यारी ड्रेस खरीदी... मै तो अंदर से खुश थी..
फिर ज्वेलरी शॉप जाकर उसके लिए पुरा सेट खरीदा.. फाइनली हम ब्यूटीपार्लर मे थे.. मैंने ब्यूटीशियन से बोला हमे जल्दी घूमने निकालना है, बस हल्के मेकअप के बाद इसे तैयार कर देना है...
वो जैसे ही अंदर गई, मै हर्ष से... "हाथ आगे करो".. हर्ष ने जैसे ही अपना हाथ आगे किया.. उसके हाथ में एक प्यारा सा ब्रेसलेट डालती… "तुम्हारे बेतुके मज़ाक ने आज मुझे बहुत ज्यादा खुश कर दिया है... गौरी मेरे कहे अनुसार कपड़े पहन रही, मेकअप कर रही, ऐसा लग रहा है मै कोई सपना देख रही.. लेकिन सच सच बताओ, बस मुझे चिढ़ाने के लिए बोले थे ना, अंदर कुछ बात तो नहीं"..
हर्ष:- कान पकड़कर उठक बैठक लगाते हुए ये बात कहूं की बस चिढ़ाने के लिए तुमसे कहा था.. और हां अंदर से तो थोड़ा सा चिढ़ा ही रहता हूं उससे, क्योंकि ये नकुल तो मेरे जिंदगी मे सनी बाना हुआ है...
मै:- शक्ल मत दिखना आज तुम अपनी हर्ष, कुत्ते की दुम हो सुधर नहीं सकते... नकुल पसंद नहीं इसका मतलब मै भी उस इंसान को पसंद नहीं.. तुम यहां से जा रहे हो या गौरी को लेकर मै जाऊं...
बेचारा मुझे लाख मनाते रह गया लेकिन मै मानी नहीं और एक ही बात कह दी.. नो शक्ल दिखाना, मतलब नो शक्ल दिखाना... वो वहां से मुंह लटकाकर चला गया और मै अंदर ही अंदर हंसती हुई… "आव बेचारा"…
कुछ देर बाद गौरी बाहर आयी.. मै बता नहीं सकती की वो कितनी प्यारी लग रही थी... उसके आते ही मैंने पार्लर से काजल मांगकर उसे काला टिका लगाते हुए कहने लगी... "तुझे हमारे ही घर के लोगों की ही नजर ना लग जाए"..
गौरी:- आखिर-आखिर तक भगा ही दिया बेचारे को..
हम दोनों नाव की ओर चलते हुए... "वो कहने लगा थोड़ी तो चिढ़ है ही नकुल के लिए"..
गौरी:- किसी सच्चे को उसकी सच्चाई के लिए मिली सजा.. निर्दई मेनका मिश्रा..
मै:- अच्छा जी, मतलब मेरे खिलाफ बोला जा रहा है...
गौरी:- मुझे जीजाजी पसंद आए.. और उनका आपके लिए नर्वस होना और भी ज्यादा क्यूट लगा..
मै, गौरी के कान खींचती... "तू इतना आगे कैसे पहुंच गई.. यूरोप आने से सच्चाई नहीं बदलती की हम बिहार के एक छोटे से गांव से है.. एक बार मां बाप को तो मनाया भी जा सकता है, लेकिन इतने रिश्तेदारों और गांव वालों का क्या करूंगी, कोई ना कोई इज्जत मान मर्यादा की ऐसी घुट्टी पिला ही देगा कि.. आगे कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है..."