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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

Prime
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अध्याय 22 भाग:- 4








"माधवी सिंह मै केवल अच्छा आदमी हूं, लेकिन इतना भी अच्छा नहीं, की अपनी संपति पर दूसरो का कब्जा देख सकूं... और दिल्ली की संपत्ति जो तुमने मेरे पैसों से बनाई थी, वो मेरी संपति थी, जो आज मेरे पास वापस आ चुकी है...


राजवीर सिंह की बात सुनकर प्राची इतनी जोड़ से हूटिंग करके सिटी बजाई की पुरा कोर्ट परिसर प्राची को देखने लगा... राजवीर सिंह हंसते हुए... "तू मेरी वो बेटी नहीं रही जिसे मैंने गांव से विदा किया था... सिर्फ सिटी ही बजाना सीखी है या और कुछ भी"…


प्राची:- पापा आप पापा ही रहो, दोस्त ना बनो.. जल्दी से काम समेटकर आओ, क्योंकि मै चाहती हूं आप 2 खुशी एक साथ मनाओ…


राजवीर:- कौन सी 2 खुशी..


प्राची:- वो तो जब लौटकर जल्दी आओगे तो ना पता चलेगा..


राजवीर पूछता रहा गया लेकिन प्राची ने उसे कुछ बताया नहीं... लेकिन राजवीर इशारों की भाषा कुछ-कुछ परख चुका था... जल्दी ही काम समेटकर वो जिस दिन पहुंचा, उसी दिन केट (CAT) का रिजल्ट भी अनाउंस हो गया... प्राची इस बार भी सबको पीछे छोड़ती टॉप की थी...


इस बार भी कोचिंग के ओर से जलसा हुआ था, जिसमें प्राची को ही इवेंट ऑर्गनाइज करने का मौका मिला.. फिर तो 2 फाउंडर टीचर महेंद्र वर्मा और योगेश सर के पास बैठकर उनसे पहली मुलाकात की चर्चा होने लगी... फिर कमाल सर का भी जिक्र चलने लगा...


कमाल सर का जिक्र होते ही प्राची थोड़ी भावुक हो गई.. उसने बताया कि अपनापन जैसा उनके साथ हो गया था... खैर उसके बाद तो प्राची ने जब आईआईएम दिल्ली में एडमिशन लिया, तो ज़िन्दगी रुकी ही नहीं..


अपने एडमिशन के 6 महीने बाद ही 112 करोड़ का प्रोजेक्ट सामने खड़ा था, "Yours" कंपनी की नीव तभी ही रखी गई थी... कमाल सर का पैसा ब्लैक से लगा, तो राजवीर सिंह का पैसा व्हाइट मे.. बैंक से कुछ कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी थी...


उसके बाद तो फिर प्राची की ज़िंदगी कभी रुकी ही नहीं.. पढ़ाई, काम और फिर पढ़ाई.. वक्त तब तक तेजी से भागता रहा, जब तक प्राची की मुलाकात मेनका से नहीं हो गई... 2 साल पढ़ाई के साथ काम और उसके बाद काम ही काम..


लेकिन मेनका से मिलने के बाद कुछ क्षणिक ठहराव आया. और उसके बाद जब नकुल और मेनका के बीच जब प्यार को मेहसूस की, तब जाकर प्राची को हर्ष की वाकई मे इस कदर याद आयी थी, कि वो अपने सारे काम छोड़कर उससे मिलने गई..


इतने वर्षो में प्राची इस कदर व्यस्त हुई थी कि वो अपने भाई से इतने वर्षों में ठीक से बात तक नहीं की थी.. छोटी-बड़ी ऐसी बहुत सी बातें थी, जो वो अपनी बहन के साथ साझा करना चाहता था, लेकिन जब भी वो अपने फुरसत के पल मे प्राची से बात करना चाहता तब वो नहीं होती थी…


कुछ करवाहट सी आ गई थी दोनो भाई-बहन के बीच. प्राची अपनी गलती मान तो रही थी, लेकिन हर्ष को काफी बुरा लगा था.. युं तो वो सामान्य ही था लेकिन प्राची को हर बात पर व्यंग कर ही जाता...


ठहराव के साथ प्राची के जिंदगी में बदलाव का भी वक्त आ चुका था, जब वो मेनका और नकुल के करीब हुई.. प्राची के लिए यह कोई पीएचडी की डिग्री से कम नहीं था.. मास्टर डिग्री तो वो आईआईएम से कि थी, लेकिन पीएचडी की पढ़ाई उसे जिंदगी पढ़ा रही थी...


मेनका और नकुल जैसे मंगल और गुरु हो प्राची की कुंडली के लिए... पहले साल में जब मेनका और नकुल 11th मे थे तब प्राची केवल मेनका के करीब थी... मेनका की हर बात मे जब वो नकुल का जिक्र सुनती तो उसे कभी-कभी यही लगता था कि वो तो एक नकारा किस्म का लड़का, जिसे केवल मेनका तवाज्जो देती है...


लेकिन जैसे-जैसे वो मेनका के साथ नकुल को जानना शुरू की, प्राची को भी समझ में आ गया कि क्यों मेनका नकुल की इतनी तारीफ करती है... उसका शांत स्वभाव और कम शब्दों में बात समझाने की शैली ने प्राची को काफी प्रभावित किया था, और इसी वजह से प्राची नकुल को दिल्ली में अपने साथ काम करने का ऑफर दे रही थी...


प्राची को लग रहा था कि एक अच्छा लड़का यहां गांव में फंसकर कहीं बर्बाद ना हो जाए... लेकिन जब मेनका की बातों से नकुल के बारे में पता चला, तब उसे समझ में आ गया कि नकुल किसी नौकरी का मोहताज नहीं है, बल्कि वो उसके लेवल से काफी ऊंची चीज है...


प्राची फिर घंटों मेनका से केवल और केवल नकुल की कहानी ही सुनना पसंद करती थी... यह मेनका कि समझदारी में इकलौता सेंध कहे या फिर नकुल के प्रति उस असीम प्रेम और जुड़ाव की कहानी थी, कि जब भी उसकी कोई बात शुरू होती, तो उस बात में वो नकुल को श्रेय ना दे, ऐसा हो ही नहीं सकता था...


मेनका के लिए नकुल का मतलब ही उसकी पूरी दुनिया... प्राची भी उसकी इस लगाव का भरपूर आनंद उठाती थी... शायद जिंदगी में पहले कभी किसी से प्राची भी दिल से नहीं जुड़ी थी... और जब नकुल को वो मेनका के नजरिए से देखती तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती...


बिना कुछ किए ही नकुल के साथ एक अनजाना सा रिश्ता ऐसा कायम हुआ था कि जब नकुल ने पहली बार प्राची से बात की और खुद को उसका दोस्त बताया, तो प्राची के खुशी का ठिकाना नहीं रहा.. वो धन्यवाद स्वरूप नकुल से इतना ही कही थी कि मेरी खुशनसीबी की तुम जैसा साथी मिला मुझे...


फिर तो प्राची नकुल को कभी-कभी ऐसे छेड़ जाती की बेचारा पुरा झेप जाता.. वो जितने वक्त नकुल के साथ रहती वो हमेशा हंसती ही रहती। जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे, प्राची, नकुल को और भी करीब से जानने कि चाहत बढ़ रही थी... वक्त था संगीता की शादी का, और जब प्राची को पहले केरला ट्रिप मे ऋतु और नकुल के बारे में पता चला था, तब वो अंदर ही अंदर काफी चिढ़ सी गई थी..


बाद में संगीता की शादी में तो दोनो को आर्टिफिशियल झाड़ी के पीछे चूमते हुए जब अपने आखों से देख ली, तब अंदर से ही पूरी तरह से जल भून गई...


प्राची अपने जले दिल पर राहत का मरहम लगाने के लिए गले तक दारू पी थी... वो बस किसी तरह उस दृश्य को भूलना चाह रही थी, जो उसके आंखों के सामने अचानक ही आ गया था...


शादी मे ही एक वक्त ऐसा भी आया कि जब नकुल और प्राची अकेले थे, तब प्राची ने उसे खींचकर एक थप्पड़ जर दी थी.. ना कोई बात हुई ना ही अपने थप्पड़ मारने का कारन बताई, बस थप्पड़ मारकर चलते बनी..


शादी की ही सुबह जब संगीता की विदाई हो गई थी, उसके बाद मेनका, नकुल और प्राची साथ बैठकर बातें कर रहे थे. माहौल कुछ ऐसा था कि तीनो एक लाइन में बैठे थे जहां मेनका बीच में थी और दोनो ओर से नकुल और प्राची..


नकुल अपने चेहरे को थोड़ा पीछे लेते, पीछे से प्राची के पीठ पर अपना हाथ रखा.. प्राची जब हल्का मुड़कर देखी तब नकुल ने अपने गाल पर हाथ रखकर इशारे मे पूछने लगा उसे थप्पड़ क्यों मारी..


प्राची की हल्की हंसी निकल गई और वो इशारे मे नकुल को अपना चेहरा पास लाने कहीं... नकुल, मेनका के पीछे से ही अपना चेहरा आगे बढ़ाया जो ठीक मेनका के पीठ के सामने था..


प्राची तेजी दिखती हुई नकुल के गाल को चूमती सीधी हुई और इशारे मे पूछने लगी, अब ठीक है.. प्राची की इस हरकत पर नकुल की आखें बड़ी सी हो गई.. और उसकी हालत देखकर प्राची हसने लगी...


इससे पहले कि नकुल इस बारे में कुछ बातें करता, वो मेनका और नकुल को अलविदा कहकर दिल्ली के लिए निकल गई... रास्ते भर प्राची के आखों के सामने नकुल का वो हैरानी से भरा चेहरा सामने आते रहा और जब भी खूबसूरत वाकया याद आता प्राची का चेहरा खिल जाता...


प्राची अपनी अलग दुनिया में थी तो नकुल भी प्राची की इस चुलबुली हरकत से स्तब्ध था... आज तक जिस ओर नकुल का कभी ख्याल नहीं गया, अब से दिल और दिमाग पर वही ख्याल छाए हुए था... प्राची, प्राची और प्राची...


कहते है प्यार के एहसास के लिए एक लम्हा ही काफी होता है और वो लम्हा जब नकुल के दिल में करवट ली, फिर सब खूबसूरत सा लगने लगा.. जब से प्राची उसके गाल पर पप्पी देकर गई थी, नकुल को अपनी चुलबुली गर्लफ्रेंड मिल चुकी थी, जिसके सपने उसने कभी संजोए थे...


यूं तो नकुल कुछ दिन बाद दिल्ली निकलने वाला था, अपने वादे के मुताबिक प्राची को उसके बिजनेस मे मदद करने, लेकिन अब आलम यह था कि उससे इंतजार नहीं हो पा रहा था...


इसका कारन भी साधारण सा था... नकुल को जल्द-जल्द अपने प्यार का इजहार करना था, ताकि प्राची का दिल कहीं चंचल हो गया और किसी और पर आ गया तो वह क्या करेगा, जबकि वो ये बात भुल गया था कि दोनो मे मैच होने जैसा कुछ भी नहीं था...


नकुल 19 साल का किशोर लड़का था तो प्राची 24 साल की पूर्ण जवान लड़की.. प्राची के चेहरे से भले उसकी उम्र का पता ना चले, लेकिन नकुल दिखने में अब भी उससे छोटा ही लगता था..


उम्र नहीं मिली और ना ही मिल रही थी कास्ट.. ऊपर से दोनो के घरेलू संबंध थे, तो जब ये मिस-मैचड की जोड़ी का खुलासा होता तो बॉम्ब ही फूटना था.. लेकिन क्या खुब पिरोया था इस परिस्थिति को किसी ने संगीत के जरिए...


दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार, क्या कीजै
दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार, क्या कीजै
आ गया जो, किसी पे प्यार, क्या कीजै
आ गया जो, किसी पे प्यार, क्या कीजै
दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार, क्या कीजै

यादों में तेरी खोई, रातों को मैं ना सोई
हालत ये मेरे मन की, जाने ना जाने कोई
बरसों ही तरसी आँखें, जागी है प्यासी रातें
आई हैं आते आते होठों पे दिल की बातें
प्यार में तेरे, दिल का मेरा कुछ भी हो अंजाम
बेक़रारी, में है इक़रार, क्या कीजै
आ गया जो, किसी पे प्यार, क्या कीजै
आ गया जो, किसी पे प्यार, क्या कीजै


नकुल उड़ान भर चला दिल्ली के लिए... सुबह सुबह ही वो प्राची के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था... प्राची ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने नकुल... "ईशशशशश, क्यों मेरी बेकरारी बढाने चले आए, मै तो तुम्हे भूलना चाह रही थी नकुल"… प्राची अपने मन में विचार लाती, थोड़ी मायूसी के साथ फीकी मुस्कान देती... "अंदर आओ नकुल"..


नकुल अपने पहला कदम अंदर रखते... "कभी कभी बचपना अच्छा होता है, संजोए सपने को आगे बढ़ाना अच्छा होता है... जब कुछ समझ में ना आए तो फैसला वक्त पर छोड़कर आगे बढ़ना अच्छा होता है"…


नकुल अपनी बात ऊंची आवाज में कहते हुए, सोफे के ओर बढ़ चला.. पीछे प्राची उसकी बात सुनकर, उसका कलेजा.. "धक-धक, धक-धक, धक-धक... आई कैन हैंडल दिस (I can Handel this)"… प्राची अपनी श्वास गहरी खींचती... "मै समझी नहीं नकुल तुम क्या कहना चाह रहे हो"..


नकुल, हंसते हुए... "खुद पर काबू करने के लिए इतनी जोड़ से श्वांस क्यों खींच रही हो, ऐसा क्या सोच रही थी"…


प्राची:- मै वो कुछ भी तो नहीं.. तुम क्या सुबह-सुबह सवाल जवाब लेकर बैठ गए...


नकुल:- तुम्हे आज मॉल नहीं जाना क्या.. जाओ तैयार हो जाओ...


"पागल हो गया है ये.. मै उम्र और तजुर्बे में इससे बड़ी हूं, और ये बच्चा मुझसे ही होशियार बन रहा"… प्राची बड़बड़ाती हुई अपने कुछ सामान हॉल से समेटकर अपने कमरे में लेकर गई...


दरअसल संगीता की शादी से जब प्राची लौट रही थी, तब एक अलग ही उमंग और मुस्कान उसके चेहरे पर छाई हुई थी.. लेकिन दिल्ली पहुंच कर जब दिल के मामले में दिमाग ने जैसे ही हस्तछेप किया, फिर सारे नतीजों को सोचने के बाद प्राची ने यही फैसला किया की.… "यह दिल का भटकाव अच्छा नहीं"…


प्राची, नकुल को दरवाजे पर देखकर पहले तो केवल खुद पर नियंत्रण रखकर आगे बढ़ने का सोची, लेकिन आते ही नकुल ने जिस हिसाब से अपने आने के संकेत दिए थे, प्राची समझ चुकी थी कि नकुल भी कुछ फैसला करके आया है... एक 19 साल का लड़का उसके इमोशन को चैलेंज करने आया है...


प्राची ना चाहते हुए भी पुरा दिन नकुल के बारे में ही सोचती रही... बस खुद से इतना ही कहती रही की.… "बहुत छोटा है यार, मै कैसे इसके ओर आकर्षित हो सकती हूं.."


तभी जैसे उसके अंतर्मन से आवाज़ आयी… "अपने पिता से भी अधिक उम्र के आदमी के ओर जब आकर्षित हो सकती हो, फिर तो नकुल तुम्हारी वो तमन्ना है, जिसके बारे में तुमने कभी सपने संजोए थे"…


"जस्ट स्टॉप डिस बुलशिट (just stop this bullshit)"… सोचते-सोचते अचानक ही प्राची चिल्ला दी.. सामने खड़ा आदमी जो कुछ फाइल लेकर ऑफिस में आया था... "मैम, क्या हो गया, कुछ गड़बड़ी है क्या फाइल मे"


प्राची:- सॉरी कंवल, मै थोड़ी टेंडस फील कर रही, कुछ जरूरी होगा तो फोन कर देना...


प्राची, खुद मे ही काफी बेबस सा मेहसूस करने लगी... वो किसी पार्क में गुमसुम बैठकर बस दिमाग से ब्लैंक हुई जा रही थी... जिंदगी में कभी ऐसे उलझन मे फसेगी, उसकी कल्पना तो प्राची ने भी नहीं की थी...


"किसी का तो सपना हो आँखों में तेरी
कोई दिलबर तो हो बाँहोँ में तेरी
कोई तो बने हमसफ़र राहोँ में तेरी
ये ज़िन्दगी तो वैसे एक सज़ा है
साथ किसी का हो तो और ही मज़ा है

तनहा तनहा यहाँ पे जीना ये कोई बात है
कोई साथी नहीँ तेरा यहाँ तो ये कोई बात है
किसी को प्यार दे-दे किसी का प्यार ले-ले
इस सारे ज़माने में यही प्यारी बात है"…


किसी गाने के लिरक्स को नकुल, प्राची के पास बैठकर किसी शायद की तरह पढ़कर, उसका हाथ अपने हाथों में थाम लिया... प्राची लगभग रोती हुई.…


"नकुल तुम मुझसे बहुत छोटे हो... आखिर कैसे, तुम्हारी मैच्योरिटी मुझसे एक कदम आगे हो सकती है... तुम जो मुझमें ढूंढ रहे वो मै बिल्कुल नहीं हो सकती... मै एक ऐसी स्वार्थी हूं, जो जिंदगी में आगे भागने के क्रम में सबको पीछे छोड़कर आगे बढ़ गई.. कहीं रुकी ही नहीं.."


नकुल:- अब क्या 30 साल का दिखने लग जाऊं, तब अपनी फीलिंग जाहिर करोगी...


प्राची:- नकुल प्लीज.. यार मै तुम्हारे साथ कैसे हो सकती हूं..


नकुल:- ठीक है तो फिर किसके साथ हो सकती हो..


प्राची:- किसी के साथ भी हो सकती हूं.. लेकिन तुम्हारे साथ नहीं..


नकुल:- कारन जान सकता हूं..


प्राची:- क्योंकि उम्र मै तुम काफी छोटे हो बस..


नकुल:- भारत में पुरषों की औसत आयु..


प्राची अपने सर पर हाथ पिटती... "क्यों खेल रहे हो मेरे साथ.. मुझे हिम्मत नहीं बची कुछ सोचने की, रोने जैसा मन हो रहा है मेरा, लेकिन रो भी नहीं सकती... क्या करूं कुछ समझ ही नहीं पा रही…"
 

DARK WOLFKING

Supreme
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अध्याय 17 भाग:- 2






इसी बहाने उन्हे भी ससुराल मिल गया था. मेरे पापा और राजवीर अंकल हर त्योहार पर जो एक शादी सुदा बेटी और जमाई के साथ प्रोटोकॉल निभाते है, वो किया करते थे.. कुल मिलाकर उन्हे भी यहां परिवार मिल चुका था...


मेरे जिंदगी में एक साथ इतनी चीजें चल रही थी कि अब फोन पर सबसे कम बातें होती थी और वक्त का पता ही नहीं चलता था... देखते ही देखते 12th का एग्जाम भी आ गया, और गया भी...


एग्जाम के बाद वर्मा सर के कहने पर मैंने पढ़ाई से कुछ दिन का ब्रेक लिया और पुरा वक्त गांव में बीता रही थी.. इन छुट्टियों में मैंने लता और मधु को जो ही परेशान किया, ये तो वही जानती होंगी.. बहुत मज़ा आ रहा था..


ऐसे ही एक दिन मै लता और मधु के साथ मंदिर पर बैठी हुई थी... तभी हमारे बीच उमा शंकर मिश्रा, वही पुजारी का नाति जो मेरा पहला क्रश हुआ करता था, हमारे करीब बैठकर पूछने लगा... "कैसी हो मेनका"…


"उफ्फ जब भी इसे देखो तो जिया धड़क धड़क जाए." एक और श्री कृष्ण की तरह सांवला सलोना रूप वाला, बस नकुल के मुकाबले इसकी हाइट थोड़ी कम थी.. पिछले साल जनवरी के बाद से ही नहीं देखी थी इन्हे.…


"छोटे पुजारी जी, पूछ मेनका के बारे में रहे हो और देख पीछे रहे, बात क्या है"…. मधु ने छेड़ा..


उमा शंकर अपनी चमचमाती बत्तीसी थोड़ा सा बाहर निकालकर हंसा, और थोड़ा से शर्माते हुए... "ऐसी कोई बात नहीं है मधु जी,"


लता:- तो फिर नज़रों से नजरे मिलाकर पूछिए ना.… मेनका इतने दिनों बाद मिले है, एक कप कॉफी के लिए फ्री हो क्या?


अरे बाप रे, लड़के का चेहरा तो शर्म से लाल हो गया और हमारी हंसी थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी... "ओय पागल, क्यों इन्हे छेड़ रही... उमा शंकर जी आप बताइए गांव छोड़ने के बाद तो आपके दर्शन ही दुर्लभ हो गए. कम से कम फोन पर ही कभी-कभी बतिया लेते"..


मधु:- फोन पर ही तुझे परपोज भी कर देते...


उमा शंकर:- आप लोग बड़े होने के साथ काफी मजाकिया भी हो गए है... मै अभी चलता हूं...


लता:- अरे पुजारी जी कहां जा रहे, तनिक ई बताइए की आपकी नजरो ने ऐसा क्या देख लिया कि हम बड़ी लगने लगे...


बेचारे उस उमा शंकर की तो रैगिंग लेने पर उतारू हो गई थी ये लड़कियां... मैंने दोनो को चुप करवाया और उससे फिर बात करने लगी. बातों के दौरान पता चला कि नाना जी के पैरवी से ये साहब पहले यूपी पहुंचे, और वहां एक सांसद के पीए बन गए...


उन लोगों को उमा शंकर का काम इतना पसंद आया कि अब वो सेंट्रल मिनिस्ट्री मे एक्सटर्नल-इंटरनल अफेयर मंत्री जी के यहां, उनके सबसे खास प्राइवेट कर्मचारी है, जो उनका ऑफिस देखता है.. यहां तक कि सरकारी अप्वाइंट पीए को भी इन्हीं से पूछकर काम करना पड़ता था.. सभी सुविधा के साथ 60 हजार का दरमाहा (सैलरी) उठा रहे थे..


हम तीनो तो केवल सुन ही रहे थे.. ना जाने क्यों मुझे फिर रुचि नहीं हुई बात करने की और मै लता और मधु से इजाज़त लेकर वहां से जाने लगी. मै जब जा रही थी तब बेचारा उमा शंकर मुझे रोककर मेरा नंबर मांग लिया. मै भी उन्हे अपना नंबर देकर वहां से निकल आयी..


बात दरअसल ये थी कि मै खुद को पॉलिटिक्स और पॉलिटीशियन से काफी दूर ही रखने की कोशिश करती रही.
हालांकि अपने इलाके के नाम चिह्न पॉलिटीशियन लियाकत अली से काफी घरेलू संबंध थे और ऐसे कई मौके आए जब वो मेरे बुलाए पर खुद पहुंचा था, ना की किसी और को भेजा.


लेकिन इन राजनेताओं की लालच और लोगों से धोका करने की प्रवृति मुझे अंदर से कभी सुरक्षित मेहसूस नहीं होने देती. ऐसा लगता जैसे मेरे साथ कभी भी धोका हो जाएगा.. सिवाय एक नेता को छोड़कर, वो थे वरुण भैया.. जो अब खुद को विधायकी के मैदान में उतार रहे थे...


कल की ही बात है जब वो मेरे घर आए थे.. रूपा भाभी, वरुण भैया के एक तरह से गुरु मान लीजिए. उन्ही की सलाह पर इस बार वो अपने क्षेत्र से विधायकी चुनाव लड़ते और लियाकत अली खुद को हमारे सहर के संसदीय क्षेत्र से लॉन्च करता.. वहीं असगर अली अपनी ग्रामीण सीट छोड़कर सहर सीट से विधायक का चुनाव लडने की तैयारी में था..


ये सब महादेव मिश्रा के जाने के बाद के बदलाव थे और उसके जाने का सीधा फायदा इन्हीं 2 नेता के परिवारों को हुआ था.. वैसे वरुण मिश्रा और लियाकत अली का गठजोड़ भी उतना ही मजबूत था, जिसका नतीजा था असगर अली का ग्रामीण क्षेत्र छोड़ना, जहां से इस बार उसे कोई हिला नहीं सकता था..


तो कल बातों के दौरान वरुण भैया ने तो साफ कह दिया, इस बार लियाकत और मेरा कार्ड तो मेनका ही रहेगी.. जिला क्या ये तो 12th की बिहार टॉपर होगी.. और कही मय (may) के कॉम्पटीशन एग्जाम (CA, इंटरमीडिएट एग्जाम) मे इसने रैंक लगाया, फिर तो नहले पर दहला.. इधर मेनका ने ये काम कर दिया उधर हम चुनाव प्रचार का इसे पोस्टर बाना देंगे.. "गांव की लड़की को माहौल दिया जाए तो वो कहां से कहां पहुंच सकती है, और ये संभव हमारे कारन हुआ है"..


मेरी मां ने जब ये सुना, झाड़ू लेकर दौड़ी वरुण भैया पर. कहने लगी मेहनत मेरी बेटी के और फायदा तुम उठा लो.. काफी फनी सा माहौल हो गया था.. खैर ये सब तो जिंदगी का हिस्सा है जो आपको नए-नए अनुभव देता है...


बहरहाल 10 दिन छुट्टी बिताने के बाद वर्मा सर के कहे अनुसार जनवरी मे दिल्ली निकल रही थी. सीए इंटरमीडिएट एग्जाम मय मे होना था और 4 महीने मुझे वहां एक कोचिंग ज्वाइन करने की सलाह मिली थी.. कोचिंग मे सारी बातें हो गई थी, बस वहां अब आखरी के मुझे 4 महीने देने थे..


दिन कैसे बीत जाते है पता ही नहीं चलता.. सहर जब शिफ्ट की थी तब उतना पता नहीं चला था, क्योंकि जब जिसका दिल किया मुझसे मिलने चला आया, या फिर मै बोर हो गई तो चल दिए गांव. लेकिन अब सब छूट रहा था.. पता नहीं मै कैसे रहूंगी मां और भाभी के बिना...


मेरी तो हिम्मत ही नहीं हुई दरवाजे के बाहर कदम बढ़ाने की. शुक्र है ऐसे वक्त मे मेरा नकुल मेरा हाथ थामे था. मेरे हाथ को थामकर मेरी ओर देखा.. बहते आशु को साफ करते हुए कहने लगा... "हमे आगे बढ़ना परता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि पीछे से सब छूट जाता है"…


नकुल और पापा के साथ मै किसी तरह हिम्मत करके निकली... सब रो रहे थे.. कुछ जो गांव के लोग थे जो मेरे काफी करीबी थी, वो भी चल रहे थे और मुझे बस इतना ही कह रहे थे, "तू अकेली नहीं जो दिल्ली जा रही... अब बिना रोए जाओ.."


उधर से मेरी दोनो सखियां भी मेरे लिए पहुंची... कम वक्त हुए थे मिले, लेकिन लगाव तो जैसे दिल से जुड़ा था.. दोनो आकर मेरे गले लग गई, और मधु मेरा चेहरा साफ करती हुई कहने लगी… "झल्ली ऐसे कौन रोता है, शादी के बाद मायका छूट जाता है, लेकिन अपने दम पर खड़ी लड़कियों का कुछ नहीं छूट पाता.. तू अब जा हम भी जुलाई तक पहुंच जाएंगे"..


तभी लता भी मुझे गले लगाती... "हां लेकिन यार दिल्ली जाने से पहले मेरे लिए भी मेरा पूरा गांव ऐसे उठकर आता तो कितना मज़ा आता.. तू तो पक्का नेता है.. चल अब हंस"..


उन दोनों से मिलकर मुझे कुछ अच्छा लग रहा था... हमारा कारवां बढ़ चला... मै, पापा, नकुल और रास्ते से हमे ज्वाइन किया राजवीर अंकल और कपिल... सब मुझे दिल्ली छोड़ने जा रहे थे... हम राजवीर अंकल के एसयूवी मे ही पटना तक निकले..


रास्ते में ही हाईवे पर मेरी मासी मेरा इंतजार कर रही थी.. उनके चेहरे से उनकी खुशी का पता चल रहा था, लेकिन मासी को देखकर पता नहीं क्यों मेरे आशु एक बार और निकलने लगे... वो मुझे खुद में समेटकर मेरे गाल को थपथपाती हुई कहने लगी... "तू तो मेरी बहादुर बेटी है, ऊपर से डरपोक, अंदर से निडर. चल अब मुस्कुरा और तेरी मासी ने तेरे लिए बहुत सारे गिफ्ट लिए है.. और हां दिल्ली आऊंगी तो एक दिन मेरे साथ शॉपिंग पर, ठीक है बेटा"..


मै कुछ बोल ही नहीं पाई. फिर सामने मुझे मैक्स और गौरी भी दिख रही थी... मैंने दोनो को पास बुलाया उनके गले लगी.. गौरी मुझे श्री कृष्ण की प्यारी सी मूर्ति देती हुई कहने लगी... "मै भी वहां आऊंगी और तुम्हारे पास ही रहकर पढूंगी, क्योंकि कोई दूसरा मेरे साथ एडजस्ट नहीं कर सकता और मै अकेली तो मर ही जाऊंगी... मुझे भी पढ़ना है मेनका"…


उसकी बात सुनकर मै रोते रोते हंस दी.. फिर मैक्स ने भी मुझे एक छोटा सा पैकेट थमाते हुए "आल दि बेस्ट" कह दिया... वहां से फिर हमारा कारवां दिल्ली निकला. हम सब फ्लाइट से दिल्ली के लिए उड़ान भर चुके थे. दिल्ली एयरपोर्ट पर प्राची दीदी पहले से मेरे इंतजार मे खड़ी थी. मुझे देखकर ही कसके मुझे गले लगाती... "आप लोग अब यहां से निकल जाओ, मेरी बहन अब से मेरी जिम्मेदारी है".. प्राची दीदी ने बाकी सबको कहा..


कपिल:- प्राची देखो ऐसा है कि हमने मेनका को यह कहकर लाया है कि प्राची आज के बाद तुम्हारी जिम्मेदारी है.. समझ क्या रखी हो मेनका को, अकेली ही पूरी दिल्ली को नचा देगी, वो भी सिर्फ अपनी छोटी सी उंगली पर..


राजवीर अंकल:- हां ये सही है..


नकुल:- अरे आप लोग एयरपोर्ट पर ही पंचायत करोगे क्या?


वो सब दिल्ली में और एक दिन रुककर, वहां से निकल गए सिवाय नकुल के. एक हफ्ते रुककर, नकुल, प्राची दीदी के साथ पुणे के लिए निकलता, वहां के शॉपिंग मॉल के काम को देखने.. साथ ही साथ मुंबई और अन्य जगह के लिए निकल रहे थे...


"Yours" शॉपिंग मॉल मल्टीपल कारपोरेट शॉपिंग चेन बनने की राह पर थी, जिसके 28 मॉल का काम इसी साल शुरू होना था.... 16 कलेब्रेट ब्रांड पार्टनर और 8 बिजनेसमैन से कोलाब्रेशन के साथ प्राची दीदी अपने कंपनी को नई ऊंचाई देने की कोशिश में लगी हुई थी...


बाकी सारी कंपनीज जहां बने हुए शॉपिंग माल के एक पुरा फ्लोर खरीदते थे, वहीं प्राची दीदी बिल्कुल अपने नए कांसेप्ट के साथ थी.. खुद के शॉपिंग मॉल को डेवलप करना... दिल्ली में पहले से 2 शॉपिंग मॉल को खरीद लिया गया था, बस उन्के रेनोवेशन का काम चल रहा था...


ऐसे ही मुंबई में 4 शॉपिंग मॉल को खरीद लिया गया था.. पार्टनर्स के बीच "Yours" का कॉन्सेप्ट इतना लुभावना था की अब तो उनके पास पैसे लगाने वालों की कोई कमी ही नहीं थी... खैर पूरी बात तो मुझे भी पता नहीं थी, किसी दिन फुरसत से बैठकर समझना होगा ये कॉरपोरेट खेल..


बहरहाल नकुल के साथ जाकर मै वो कोचिंग देख चुकी थी जहां मुझे कोचिंग के लिए जाना था. गुड़गांव में ही वो कोचिंग थी, बस उल्टे रूट पर थी इसलिए आधा घंटा जाने मे लगता...


इस कोचिंग मे तैयारी करवाने वाले ज्यादातर शिक्षक बिहार से ही थे.. वर्मा सर 1,2 को निजी रूप से जानते थे, इसलिए वहां मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई... हां लेकिन एक हफ्ते बाद जब नकुल और प्राची दीदी वहां से निकली तब मुझे 1,2 रात की परेशानी हुई थी...


खैर एक बात अच्छी हुई की उनके ना रहने से, मुझे एसपी ऑफिस जाने और वहां से दिल्ली में वैपन रखने के लिए पेपर सबमिट करने थे. साथ ही साथ रेगुलर ट्रेनिंग का वक्त भी पूछना था.. जो मै अपने शहर किया करती थी..


जब मै आंनद सर से रेगुलर मिला करती थी, तब उन्होंने बताया था कि मात्र 12 अभियुक्त थे जिन्हे फांसी होती.. लेकिन 20 ऐसे लोग थे जिनपर भरोसा नहीं किया जा सकता था... उन लोगों नाम कई मर्डर, घोटाले और लोगों को गायब करने के किस्से जुड़े थे, जिन्हे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता था... इसलिए उनके पुराने पाप को नीलेश के केस के जरिए उन्होंने लपेट लिया था...


सीधे शब्दों में कहा जाए तो आंनद सर का कहना था कि यदि कोई दुश्मनी कर ले, तो महज एक छोटी सी फील्डिंग से कभी भी और कहीं भी, अपने टारगेट को मारा जा सकता है और वो 20 लोग ऐसे सफाई से काम करने के लिए मशहूर थे..


ये सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिग और वैपन ट्रेनिंग उसी केस का हिस्सा था, क्योंकि बचे 30 लोग साथ ही साथ उन 32 लोगों के परिवार से कौन कब दुश्मनी निकालने चले आए पता नहीं चलेगा...


ऐसे मामले में लोग कई साल बाद भी अपना बदला नहीं भूलते, जिसमे से एक मेरा भाई नंदू भी था, जो छुटने के बाद शायद मेरे लिए खतरनाक हो सकता था.. उन्होंने आगे वर्णन करते हुए कहा कि पता लगाना कोई बड़ी बात नहीं है कि उनके पूरे कुनवे को साफ किसने किया, इसलिए अपनी सुरक्षा अपने हाथ में है...


हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नंदू मात्र एक उधरहन है और वो खुद ही इतने आत्मग्लानि मे है कि वो दुश्मनी की नहीं सोचेगा, लेकिन और भी तो लोग है.. और उनके भी परिवार है.. और किसी अपने के गम मे कौन कब मेंटल हो जाए किसे पता..


इसी क्रम में उन्होंने मुझे कुल 160 लोगो कि फोटो डिटेल भी दे चुके थे, जो पकड़े गए या फांसी पर लटके लोगों के करीबी थे, ताकि अपने आस-पास उनमें से किसी की मौजूदगी देखूं, तो सचेत हो जाऊं... और बस यही वजह थी कि उन्होंने मुझे अपने पास हमेशा वैपन रखने की सलाह दी थी...


अकेली मै ही नहीं थी बल्कि मेरे साथ नकुल को भी यही सलाह दी गई थी, जिसे वो मेरे कहने पर फॉलो कर रहा था... उन्होंने ही वैपन रखने के थ्रीटिकल परमिशन लिया था, जिसमे मै किसी सहर से बाहर जा रही हूं तो अपने सहर मे अपना वैपन सरेंडर करके, पहुंचने वाले सहर मे वैपन कलेक्ट कर सकूं..


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nice update ..jeetne ke liye liyakat aur varun dono hi menka ke top hone ki baat istemal karna chahte the ..
waise ab menka delhi aa gayi hai aur ghar chhodte waqt kaafi emotional scene chala ..
weapon rakhne ka matlab ab samajh aaya ki jinko saja huyi hai unka pariwar menka ya nakul se badlaa lene ki soch sakta hai to dono ko taiyar rehna hoga musibat ko handle karne ke liye ..
 

nain11ster

Prime
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अध्याय 22 भाग:- 5











नकुल:- अच्छा ठीक है मै पूरी कहानी समझा देता हूं.. पुरषों की औसत आयु लगभग 66 वर्ष, महिला की औसत आयु लगभग 70 वर्ष.. क्यों अपने पार्टनर के याद मे 4-5 साल रोती हुई बताओगी... मेरे साथ आओ.. दोनो एक हसीन ज़िन्दगी जीने के बाद साथ मरेंगे...


"नहीहिहीईईईईईईईईईई.… लड़कपन है तो अपने हिसाब की बात करो ना.. ऐसे बड़ी-बड़ी बातें क्यों करते हो की चेहरे और बातें मिसमैच कर जाती है"… प्राची लगभग चिल्लाती हुई कहने लगी...


"हाहाहाहाहाहा... ठीक है मै तबतक अपने चेहरे पर मस्क डाले रहूंगा जबतक मुझे यह ना लगने लगे कि मै तुमसे बड़ा दिख रहा.. बस 1-2 साल बिना चेहरे देखे एडजस्ट कर लो"…


"हिहिहिहिहिहिहिहिही…. हिहिहिहिहिहिहिहिही... हिहिहिहिहिहिहिहिही"… प्राची नकुल की बात सुनकर केवल हंसे ही जा रही थी... नकुल लगातार प्राची के हंसते हुए चेहरे को देखता रहा... नकुल को इस तरह निहारते देख, फिर से प्राची की धड़कन बेकाबू होने लगी... खुद व खुद उसकी नजर जमीन को देखने लगी...


"नकुल मै मेनका के वजह से फसी हूं... उसने तुम्हारी इतनी ज्यादा तारीफ कर दी, की मै कब तुमसे जुड़ा हुआ मेहसूस करने लगी, मुझे खुद भी पता नहीं चला"…


नकुल:- मेनका की वजह से कोई फंस सकता है क्या... फिर तुम उसे जानती नहीं... उसकी वजह से फसी हो तो वो किसी भी मुसीबत से उबार भी सकती है..


प्राची, अपनी आंखें और चेहरा सिकोड़ती... "अब तुमसे भी यही उम्मीद थी कि तुम मेनका चालीसा पढ़ो... जलन सी हो जाती है जब तुम दोनो के बीच का प्यार देखती हूं... क्या तुम मुझे भी वैसा ही चाहोगे जैसे मेनका को चाहते हो"


नकुल:- हाहाहाहाहाहा... बहन बाना लूं, या बुआ, अभी ही क्लियर कर दो....


प्राची:- क्यों स्वीटहार्ट बनाकर उस तरह की चाहत नहीं आएगी क्या?


नकुल:- चुलबुली जी.. लाइफ मे जायका बना रहे तो गले लगा लो, वरना बोलकर चाहना तो फिल्मों में होता है....


प्राची का चेहरा क्या खिला था... देखकर ही नकुल हसने लगा.. प्राची अपने दोनो हाथ से नकुल के गाल को थामकर, जी भर के देखती हुई... "एक बच्चे की मै गर्लफ्रेंड हूं, अपने आप में ही ये एक्साइटिंग है बेबी…"… प्राची अपनी बात कहते धीरे-धीरे अपने अपने होंठ आगे बढ़ाती हुई, अपनी पलकें नीचे झुका ली...


नकुल बड़े ध्यान प्राची का वो छोटा सा गोल मुखड़ा देखता रहा और प्राची पलकें मूंदे, बस होठों से होंठ के अप्रतिम मिलन को बेकरार बैठी थी... श्वांस असमान्य और धड़कन तेज चल रही थी. बेकरारी के पल जब बढ़ते गए तब प्राची अपनी आंखें खोलती नकुल को सवालिया नजरो से देखने लगी..


नकुल मुस्कुराते हुए अपने हाथ का सहारा उसकी पीठ को दिया, और प्राची मुस्कुराती हुई टेक लगा दी.. प्राची की नजरों में एक छिपा आमंत्रण था, जिसे नकुल स्वीकार करते अपने होंठ, उसके होठ के करीब ले जाकर होंठ से होंठ का स्पर्श किया... दोनो ने काफी तेज श्वास अपने अंदर खींची... ऐसा लगा मानो एक दूसरे को श्वांसो मे बसा रहे हो...


फिर तो होंठ तब तक जुड़े रह गए जब तक कि पीछे से पुलिस ने सिटी नहीं बजाई... दोनो प्यार के आगोश की चिर निद्रा से जागे हो जैसे... लेकिन खुमारी ऐसी थी कि दोनो के होंठ अलग होने के बाद, बस एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए जा रहे थे...


"घना प्रेम हो रहा से.. नाम बताओ दोनो"… एक हवलदार ने जोर से कहा.. नकुल प्राची के ओर मुस्कुराते हुए देखते, अपने जेब से 500 का नोट निकालकर, बाएं आवाज के ओर बढ़ा दिया...


"साले पोलिस को रिश्वत देता है, चल थाने"… हवलदार जोड़ से चिल्लाते हुए कहने लगा...


नकुल:- ताऊ ज्यादा ताव में ना आओ.. किया क्या है हमने पहले वो बताओ..


हवलदार:- जे ये लैला मजनू पार्क नजर आवे से..


प्राची, नकुल के कंधे से लदकर, हंसती हुई... "हवलदार जी, लैला-मजनू पार्क में कब मिले थे पहले ये बताओ.."…


हवलदार इससे पहले कि कुछ बोलता नकुल बोलने लगा... "भारतीय संविधान के तहत हमे लव एक्सप्रेस करने का अधिकार मिलता है.… फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन गारंटीड बाय आर्टिकल 19(1)(a)… अब ज्यादा उंगली की ना तो कोर्ट मै घसीट लूंगा...


हवलदार नकुल की बात सुनकर अपने थानेदार के पास पहुंचा और दोनो के ओर इशारा करके बताने लगा.. थानेदार ने दोनो को इशारे से बुलाया…. "क्यों भाई, लॉ पढ़ रहे क्या"


नकुल:- सर जी मैंने तो जेनरल कानून पढ़ा था लेकिन आपका हवलदार कहता है पुलिस को रिश्वत दे रहे क्या.. अब वो कानूनन आ रहा था, तो थोड़ा बहुत अपने ज्ञान का प्रदर्शन मैंने भी कर दिया.. आ जाओ जैसे आना है.. हम तो पैसे और कानून दोनो में सक्षम है.. कैसे आने चाहते हो वो आपको सोचना है..


थानेदार:- एक बात बता..


नकुल:- सर हमे देखकर ज्यादा डिटेल मे मत घुसो.. और हम गरीब से कैसे डील करना है वो बताओ..


थानेदार:- भाई हमे क्या करना है.. जेनरल कानून ही तो हम भी पढ़ते है.. वो क्या है ना उससे भाईचारा बाना रहता है... वो कोर्ट कचहरी वाले मामले में दोनो पक्षों में खटास आ जाता है... मानते हो की नहीं..


नकुल:- मै तो मानता हूं सर, आपका हवलदार नहीं मानता..


थानेदार:- भाईचारा पब्लिक मे दिखाओगे तो कहां से काम चलेगा.. जाओ अपनी प्यारी गर्लफ्रेंड के किए 520 रुपया का गुलाब खरीद लो...


नकुल मुस्कुराते हुए कहने लगा... 1020 का गुलाब खरीद लू तो कोई ऐतराज है क्या? वो क्या है ना आपने जो गुलाब देने का सजेस्ट किया है, उससे भाईचारा और भी उबलकर, छाति फाड़कर बाहर आने को मचल रहा है..


थानेदार:- सब लोग भाई का चेहरा अच्छे से देख लो, इसे कोई परेशानी ना होवे अपने इलाके में.. बाकी प्यार से चुपचाप डील कर लेना..


प्राची नकुल की बात और बात के अंदाज को सुनकर ही, अंदर ही अंदर हंसे जा रही थी.. फिर तो प्राची कार उठाई और सीधा घर पहुंची.. कमरे में घुसते ही नकुल के होंठ पर टूट परी.. इस कदर वो होंठ को चूमे जा रही थी कि अभी छोड़ दिया तो नकुल कहीं भाग जायेगा..


"ओ पागल... इरादे क्या है"… नकुल खुद को छुड़ाते हुए पूछने लगा...


"बातें बंद करो अभी....".. कहती हुई प्राची, नकुल का टीशर्ट खींचकर फिर से चूमना शुरू कर दी... नकुल भी पुरा साथ देते डूबकर प्राची के मुलायम होठों को चूमने लगा...


तभी जैसे ही प्राची आगे बढ़ने लगी... "अरे ब्रेक लगाओ इमोशन पर... अभी तो प्यार का इजहार हुआ है"..


प्राची:- तो क्या सेक्स के लिए पंडित से मुहरत निकलवा लूं या गूगल पर टाइप करके पूछूं.. प्यार के इजहार के बाद, कितने समय गैप के बाद सेक्स का उचित समय आता है..


नकुल:- भारतीय ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखकर..


प्राची:- हां, ये ठीक रहेगा पूरी डीटेल डाल दो.. पागल कहीं के..


नकुल:- गुड आइडिया चलो टाइप करके देखते है..


प्राची:- हट पागल..


नकुल:- तुमसे ना होगा.. चलो बैठो यहां पहले...


नकुल कई भाषा में गूगल से पूछा की भाई बता दे.. लेकिन हर बार सेक्स कब करना चाहिए.. लड़की कितना वक्त लेती है परपोजल एक्सेप्ट करने में.… यही सब आता रहा.. प्राची का हंस हंस कर बुरा हाल था.. जब कोई ढंग का उत्तर नहीं आया...

"ओय बुआ के लाडले, कुछ बातो का जवाब गूगल के पास भी नहीं क्योंकि उसे भी पता है, जब इक्छा करे तब अपने लवर के साथ सेक्स करना चाहिए.. और मेरी इक्छा है कि इस वक्त मै तुम्हे निचोड़ डालूं"..


नकुल:- रुको रुको रुको.. प्यार हुआ, इजहार हुआ और उसके तुरंत बाद सेक्स.. सच-सच बताओ सेक्स के लिए बॉयफ्रेंड बनाया है क्या?…


प्राची:- नहीं... मैंने तुम्हे बॉयफ्रेंड नहीं बनाया है.. अगर तुम्हे बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड वाले रिलेशन चाहिए तो अभी बता दो..


नकुल:- ओ कंफ्यूज प्राणी… फिर पार्क में क्यों कही थी एक बच्चा मेरा बॉयफ्रेंड है... अपने आप में एक्साइटिंग है..


प्राची:- हम्मम ! हां थोड़ी कंफ्यूज हूं शायद.. क्योंकि मुझे तुममें शुरू से वो सब दिखा जो मुझे अपने लाइफ पार्टनर मे चाहिए थी... वर्षो की ख्वाइश, एक लड़का जो मेरी भावनाओं को दूर से समझ ले.. तुमसे प्यार तो बेशुमार से हुआ है, लेकिन मुझे यकीन नहीं हो रहा की हमारा रिश्ता उम्र भर का है..

डर सा लगा है कि किसी वक्त तुम छोड़कर चले गए तो.. इसलिए हर संभव परिस्थिति के लिए खुद को तैयार कर रही हूं.. जानती हूं बातों में समानता नहीं मिल रही.. पहले बॉयफ्रेंड एक्सेप्ट की अब लाइफ पार्टनर चाहिए.. क्या ही करूं कुछ मामले में समझदारी काम करना बंद कर देती है..


नकुल:- हूं... एक सफल बिजनेस वूमेन कंफ्यूज.. हाहाहाहाहा..


प्राची, नकुल को घूरती... "क्यों मै क्या भगवान हूं जो हर मामले में परफेक्ट रहूं..."


नकुल:- अच्छा बाबा चिल्लाना बंद कर दो.. और जरा खुलकर बताओ की सेक्स की इतनी हड़बड़ी क्यों मची और ऐसी कौन सी बात खटक रही जिस कारन मै तुम्हे छोड़कर जाऊंगा...


प्राची:- अब ये तो तुम बकवास करने पर उतर आए हो.. काफी हॉर्नी फील कर रही, इसलिए सेक्स की बहुत तीव्र इक्छा है... और यकीन नहीं हो रहा की तुम साथ रहोगे, तो बस यकीन नहीं हो रहा.. वो यकीन दिलाना तो तुम्हारा काम है ना...


नकुल:- "हां और तुम्हे यकीन दिलाने की कोई जरूरत नहीं कि तुम मुझे छोड़कर नहीं जाओगे.. क्योंकि तुम्हे मेरे बारे में सब पता है... नीतू मे क्या ढूंढते पहुंचा था.. एक टेम्पररी गर्लफ्रेंड के साथ मै फिजिकल हो चुका हूं.. और सारी सच्चाई जानने के बाद तुमने मुझे एक्सेप्ट किया..."

"वहीं मै तुम्हारे बारे में नहीं जानता, इसलिए सेक्स के जरिए पहले तुम ये जताना चाहती हो की तुम वर्जिन नहीं.. फिर मै तुमसे पूरी कहानी पूछूं और उसके बाद तुम मुझे पूरी सच्चाई बताकर, फैसला मुझ पर छोड़ दोगी.. ये तुम बिजनेस मैनेजमेंट वाला इतनी लंबी प्लांनिंग इतने कम समय में कैसे कर लेते हो..


प्राची:- एक बात रह गई..


नकुल:- क्या?


प्राची:- हो सकता है सेक्सुअल प्लेजर के बाद तुम मुझे छोड़कर जाने का फैसला पर पुनर्विचार करो, अगर तुलना करे बात सीधे-सीधे बताने के तो..


नकुल आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते... "चालबाज, ऐसे तुलनात्मक विवेचना और कितनों के साथ की हो"…


"कामिने नकुल... तेरी तो.. समझ क्या रखा है.. पब्लिक टेलीफोन बूथ"… प्राची गुस्से में लाल पीली होते, चिल्लाती हुई हमला बोल चुकी थी.. नकुल किसी तरह बचता रहा और जाकर पीछे से प्राची को कमर से पकड़ते... "अरे बस भी करो लग जाएगी... अच्छा सॉरी बाबा.. मैंने तो बस मज़ाक में कह दिया था"…


प्राची:- छोड़ो मुझे शांत हूं मै... मै तुम्हारे साथ कोई भी डिसेंट और इनडिसेंट परपोजल दे सकती हूं.. मेरा अधिकार है.. खबरदार जो उसे यूनिवर्सल कमपेयर किया तो.. हाथ पाऊं और जुबान निकालकर घर में मूर्ति की तरह बिठा दूंगी..


नकुल:- हां बस हथियार सलामत रहने चाहिए... ताकि सब सुख-सुविधा, बिना किसी सवाल-जवाब के मिलते रहे...


प्राची:- मेनका कोई गलत तुम्हे कुता नहीं कहती है.. साथ में बहुत बड़े वाले कमीने भी हो... वैसे वाकई तुम्हारे साथ मज़ा आने वाला है.. तुम कैसे समझे की मै तुमसे अपने किसी पास्ट को लेकर उलझन मे हूं...


नकुल:- "प्राची सिंह... अगर उसे किसी से प्यार होगा तो वो मात्र समाज और परिवार के चिंता के कारन इजहार ना कर पाए... मै नहीं मानता.."

"जिसकी बहन मेनका मिश्रा हो.. उसे अपना रिलेशन अधूरा दिखे, उसे डर सताने लगे कि क्या होगा जब सबको पता चलेगा.. मै नहीं मानता..."

"और अगर ये दोनो ना भी हो, तो भी जब दिल बैरी हो जाए तो प्रीत ही भाए.. और इतने प्रीत लगाने के बाद भी मेरे करीब आने से हिचकना.. ये साफ संकेत था कि तुम हर बात बर्दास्त कर सकती हो लेकिन मेरा जाना नहीं.."

"अब अगर बात करें की बात क्या हो सकती है, तो मै ये भी बता दूं कि किसी लड़के के साथ अफेयर हुआ और फिजिकल रिलेशन बनने जैसे बात होती, तो तुम बता चुकी होती क्योंकि इतना तो तुम्हे पता है कि मै ऑर्थोडॉक्स सोच नहीं रखता, और मेरे इस बदलाव का श्रेय जाता.."


प्राची:- हां जानती हूं.. मेरी बुआ सास और तुम्हारी इकलौती साली मेनका मिश्रा को... क्योंकि उसी ने तुम्हे यह सोचने पर मजबूर किया की तुम गांव की रूढ़िवादी सोच मे डूबे हो और उसके बाद तुमने अपने सोच को नई दिशा दी.. अपनी बात समाप्त करो अभी, मेनका को श्रेय बाद मे देते रहना..


नकुल:- हो तो गया और कितना एनालाइज करवाओगी एक ही सिचुएशन… अच्छा ठीक है तुम भी थोड़ा और जान लो मुझे.. सो फाइनली तुम एक ऐसे रिलेशन मे थी, जो तुम्हारे हिसाब से मात्र एक फिजिकल रिलेशन से ज्यादा कुछ नहीं था.. ना तो भावनाओ का समागम और ना ही किसी तरह का कमिटमेंट.. प्योर प्लेजर.. जो कि तुम्हारे हिसाब से कुछ भी ग़लत नहीं, लेकिन जो भी सुनेगा उसे हमेशा ही तुम गलत नजर आओगी.. राइट बेबी...


प्राची:- ब्रेकअप.. नहीं चाहिए साला ऐसा बॉयफ्रेंड, और सोलमेट और जो भी हो.. तुम्हारे साथ मेरे पागल होने के पूरे चांस है.. कोई इतना एनालाइज कैसे कर सकता है... तुम्हे तो रॉ एजेंट होना चाहिए.. देश का भला हो जाएगा..


नकुल:- किसान बनकर मै ज्यादा भला कर सकता हूं...


प्राची:- बस अब टॉपिक को भटकाव नहीं.. मुझे यकीन है कि तुम कहीं भागकर नहीं जाओगे... रुको अब मुझे पूरी बात बोलने दो और हंसना मत...


फिर प्राची ने किसी तरह कमाल और उसके रीलेशन को बयान कर दी... नकुल की हंसी ही नहीं रुकी कमाल के मौत के पीछे, कमाल का कारन जानकर... प्राची उसे फिर मारने दौरी और नकुल उसके हाथ को पकड़कर पीछे से गले पर किस्स करते... "अब इसी एंग्री इमोशन मे जरा हॉर्नी हो जाओ, तो मज़ा आ जाए"..


प्राची:- अब मूड चला गया है हटो अब छोड़ो मुझे.. बैठकर बहुत बहुत बहुत बातें, तुमसे करनी है..


नकुल, पीछे से प्राची के कान के नीचे अपने होंठ लगाते… "उससे पहले मै तुम्हे अपनी फीलिंग बताऊं... तुम जैसी सक्सेसफुल लड़की से बात करने में ही मेरी फट जाती थी, मै तुम्हे बहों मे लेकर चूम सकता हूं, ये अब भी यकीन करना मुश्किल है.. तुम सोच भी नहीं सकती थी कि तुम्हे देखकर मै खुद मे कितना नर्वस फील करता था"..


प्राची, नकुल के सामने होकर उसके होठ को प्यार से चूमती... "और अब क्या फील कर रहे"…


नकुल, प्राची को कमर से खिंचते… "यही की बेकार मे अपनी बीवी से घबराता रहा.."


प्राची:- गलती कर दी एक ही दिन में ओपन होकर, पहले तुम्हे घबराना सिखाना था, फिर हां कहना था..


दोनो ही अपने आप में कमाल के थे... इजहार हुए मात्र कुछ घंटे हुए थे, लेकिन दोनो का व्यवहार ऐसा था मानो कितने वर्षों से रिलेशन मे हो... नकुल प्राची ने दोनो हाथ की उंगलियों में अपनी उंगली फसाते, उसके होंठ से चूमना शुरू किया और धीरे धीरे अपने होंठ नीचे ले जाने लगा...


प्राची:- सच में मेरा मूड चला गया नकुल, क्या वाकई तुम्हारी इक्छा है...


नकुल, गुस्से में घूरते... "साला अब अपना भी मूड चला गया... छोड़ो बैठो... कुछ बाहर से खाने को मंगवा लो.. और प्लान बताओ कि दिल्ली मुझे क्यों बुला रही थी..


प्राची:- मै अपने शॉपिंग मॉल का नाम पूरे भारत में देखना चाहती हूं... लेकिन उससे पहले मै पूरी कंपनी की बागडोर तुम्हारे हाथ में देने का रास्ता साफ कर दूं..


नकुल:- मै बिल्कुल नहीं समझा कि तुम मुझे फंसा क्यों रही हो... तुम्हे अच्छे से पता है कि मै अपना जीवन कृषि को को दे चुका हूं फिर भी..


प्राची:- और मै अपना जीवन तुम्हे दे चुकी हूं.. सो कैसे मैनेज करोगे मै नहीं जानती, लेकिन शादी के बाद मै रिटायर हो जाऊंगी.. फिर तुम मै और हमारे 2 प्यारे बच्चे, जिसे मै प्यार से बड़ी करूंगी...


नकुल:- हम्मम !!! प्यारा सा ख्वाब है, तो क्या रिटायरमेंट के बाद बिल्कुल भी नहीं देखोगी कंपनी, या 2-3 घंटे का समय होगा ..


प्राची:- बहुत चालू चीज हो नकुल... कुछ तो ऐसा शो करो जो तुम्हारे उम्र से मैच करे..


नकुल:- अब ये 2-3 घंटे के समय से तुम क्या समझी..


प्राची:- यही की 3 घंटे ऑफिस और 3 घंटे घर से काम करवाओगे... और क्या?


नकुल:- आय, पक्का बनिया.. भांप गई काम करने के डिज़ाइन को..


प्राची:- जी नहीं काम करवाने के स्टाइल को.. फिर भी तुम्हारी खुशी के लिए मात्र 3 घंटे वो भी घर से करवाओ या ऑफिस से तुम्हारी मर्जी.. लेकिन इससे ज्यादा समय के लिए फसाया मुझे तो झगड़ा होना पक्का है..


नकुल:- हां समझ गया.. अब क्या फिर चलो मूव करे.. तुम मॉल की संख्या बढ़ाने पर काम करो और मै टीम बनाता हूं...


प्राची:- एक्जेक्टली मै भी यही चाहती हूं... मुझे कल ही पुणे निकालना है और फिर वहां से मुंबई.. मै चाहती हूं जबतक मै लौटूं तुम एचआर और लीगल डिपार्टमेंट को हायर कर लो..


नकुल:- येस मैम.. और कोई आदेश है क्या..


प्राची:- हां वो जो तुम्हारे मॉडर्न ख्याल को दिल में दबा लेना, जिसमे सेक्सुअल प्लेजर को किसी के साथ भी कर सकते है, लेकिन दिल में प्यार सिर्फ किसी एक के लिए रहता है.. जो भी प्यार, प्लेजर चाहिए उसके लिए केवल मै हूं..


नकुल:- गलती हो गई.. 2 हफ्ते के किए ऋतु दिल्ली आ रही है.. उसके बाद तुमसे दिल की बात करता..


प्राची:- हिहिहि.. ऋतु.. अच्छा ठीक है उसके साथ जो मर्जी वो कर लेना, अगर तुम्हे सही लगता हो तो.. आखिर मुझसे पुराना रिलेशन है तुम दोनो का...


नकुल, प्राची के गर्दन पर दांत गड़ाए.. "अच्छा फिर ये तुम्हारा चेहरा उतर क्यों गया पूरी बात कहते कहते"…


प्राची:- मै तुम्हे लेकर बहुत पॉसेसिव हूं, टूट जाऊंगी अगर पता चला कि तुम मेरे अलावा किसी को देखते भी हो तो..


इसी का नाम जिंदगी है.. कब किस मोड़ पर क्या अनहोनी खेल जाए ये तो रचयता के सिवा और किसी को पता नहीं चल सकता.. बहरहाल नकुल और प्राची के मीठे प्यार की शुरवात, बहुत ही जानदार तरीके से हो रही थी... अब आगे क्या?…
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,534
31,895
244
अध्याय 17 भाग:- 3





पेपर स्प्रे मेरे कमर में और कार की दाशबोर्ड मे गन. खैर उन्होंने तो सलाह मुझे अपने पास ही रखने दी थी, लेकिन मै अपने कपड़ों के वजह से उसे रखना नहीं चाहती थी.. प्राची दीदी और बाकी सारे लोगो को, मैंने और नकुल ने इन सब बातो से दूर रखा था... वरना कहीं निकलने ही नहीं देते..


दिल्ली, दिल्ली, दिल्ली.. छोटे से गांव से निकलकर मै दिल्ली आ चुकी थी... रजनीश भैया के अर्जी पर मै उनका काम ऑनलाइन संभाल रही थी, क्योंकि मार्च का महीना नजदीक था और पूरे सहर का लगभग ऑडिट उन्हीं के मत्थे.. ऊपर से उनकी खूबसूरत बीवी.. बेचारे इस वर्ष मदद के लिए बहुत ही मिन्नतें कर रहे थे...


मुझे दिल्ली आए लगभग 1 महीने हो गए थे.. इसी दौरान 12th के परिणाम की घोषणा भी हो गई थी.. सबकी उम्मीदों पर मै खड़ी उतरती अपने जिले क्या राज्य में अव्वल थी.. ओवरऑल सभी स्ट्रीम मिलाकर, यानी कि आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स मिलाकर मुझे अपने राज्य में 4th रैंक मिला था और पूरे बिहार में मै कॉमर्स टॉपर रही..


घर जब बात हुई तो मेरे घर वाले अपनी फीलिंग नहीं बयान कर पा रहे थे.. मै उनके बहते आंसू और चेहरे पर असीम सुख के भाव को देख सकती थी... 1 दिन तक मुझे इतने कॉल आते रहे की मैंने पुरा हफ्ता ही फोन बंद कर दिया..


दिल्ली सहर इतना व्यस्त था कि यहां तो कब बसंत पंचमी गया, पता भी नहीं चला.. फागुन चढ़ा है ये बात मुझे रूपा भाभी से पता चली, जब वो भावुक होती हुई कहने लगी होली मे चली आ, तेरे बिना मन ना लगेगा.


खैर वक्त इमोशनल होने का नहीं था बल्कि पढ़ाई मे आगे ध्यान देने का था, और आने वाले कुछ सालों के लिए घर और त्योहार का मोह त्याग दिया था, क्योंकि मुझे अपने परिवार और गांव को गौरवान्वित महसूस करवाना था…


मार्च का महीना चल रहा था.. जिंदगी अपनी रूटीन से चल रही थी.. प्राची दीदी नकुल के साथ टूर पर थी.. इसी बीच एक रात मुझे लगा हमारे पैसेज मे कुछ अनचाहा चहल-पहल है.. लाइट जलाकर देखी तो रात के 3 बज रहे थे..


मुझे पक्का यकीन हो गया कि ये चोर ही है... मै दबे पाऊं दरवाजे तक गई.. और बाहर का माहौल भापने लगी.. ओह माइ गॉड ये तो हमारे ही फ्लैट का दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा है...


डर के मारे तेज हुई श्वांस को मै सामान्य करती हुई खुद पर काबू पाई, फिर पूरी लाइट जलाकर बीच हॉल में आराम से बैठ गई... जैसे ही दरवाजा खुला मै अपनी गन आगे करती... "हाथ में जो-जो सामान है चलो नीचे रखो, जल्दी".. इतना कहकर मैंने एक बुलेट फायरिंग कर दी, और गन साऊंड से ही उन चोरों के साथ साथ पूरे अपार्टमेंट मे सनसनी..


मै साफ देख रही थी कि मेरे दरवाजे के ठीक सामने वाले फ्लैट की लाइट जली, लेकिन फट्टू लोग कोई बाहर नहीं निकले... और मुझे ये आंनद सर ने सिखाया था कि किसी को डराना हो तो केवल गन मत दिखाओ, बल्कि अपनी बात कहकर सीधा फायर करो. गोली इतना करीब हो की उन्हे लग जाए ये ठोक देगी...


गन फायर होते ही सब अपने हाथ खाली कर चुके थे, उन्हीं में से एक कोई... "मिस अगर तुम मुझे जाने दो तो फिर हम इस अपार्टमेंट मे कदम नहीं रखेंगे"..


मै:- अंदर आओ, चाय पियोगे...


चोर:- प्लीज हमे जाने दो ना, पहले से ही फटी हुई है और कितना फाड़ोगी...


मै दूसरी फायरिंग करती... "तेरे पीछे वाले को बोल हाथ ऊपर ही रखे, वरना पीछे वाले शायद भाग जाए लेकिन सामने तू ही है...


वो चोर अपने पीछे हरकत कर रहे साथी को एक थप्पड़ मारकर सामने देखते... "मिस समझा दिया है, अब हम जाएं"


मै:- तेरे जाने से क्या फायदा होगा, फायदा तो होगा कि पुलिस आकर तुम्हे ले जाए.. मेरे फट्टू पड़ोसी मे से अब तक तो किसी ना किसी ने फोन कर ही दिया होगा..


चोर:- देखो ऐसा मत करो, हम वादा करते है दोबारा इस अपार्टमेंट मे कभी नहीं आएंगे...


मै:- ओय, ये चोरी रेंडम नहीं होती.. नाम बताओ किसने टिप दी है यहां की, और सच सच..


चोर:- कल तुम जहां भी कहोगी मै आकर सब बता दूंगा.. अभी जाने दो वरना गड़बड़ हो जाएगी..


मै अपने कोचिंग का पता उसे बताती... "कल 12 बजे आ जाना... अब चलो भागो"…


वो लोग जैसे ही भागे, मै हंसती हुई सोचने लगी… "यहां मै सोच रही थी केवल मेरी फटी हुई है, लेकिन मुझसे तो ज्यादा उन चोरों की फटी हुई थी"…


मेरे सोने का समय हो चुका था, मै दरवाजा बंद करके जैसे ही लाइट ऑफ की तभी बेल बज गई.. दरवाजा खोला तो पुलिस की एक टीम दरवाजे पर थी... "के हुआ मैडम यहां आप अकेली है"..


मै:- हां सर अभी अकेली हूं, मेरी दीदी बाहर गई है..


एसआई:- यहां गन फायर हुई थी क्या?..


मै अपनी गन लेकर उन्हे दी और फायरिंग का मोटिव बताया.. लाइसेंस दिखाया और अंत में उनसे चाय के लिए पूछ ली.. एसआई चाय ना लेकर मुझसे इस वैपन कि कहानी पूछने लगा.. मैंने भी उन्हें बता दिया कि, एक मशहूर केस का पुरा लीड मै थी, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से मिला है मुझे".. फिर कुछ औपचारिक बातें हुई.. बातों के दौरान ही उसने पूछ भी लिया कि जब चोर गन प्वाइंट पर थे तो उन्हें जाने क्यों दिया...


"दीवार के किनारे होकर भाग गए और मै खुला घर छोड़कर भाग नहीं सकती थी, पीछे से कोई हाथ साफ कर जाता तो".. मैंने जवाब मे कहा... एसआई कल थाने आकर गोली इस्तमाल करने की डिटेल जमा करवाकर, रिसीविंग ले जाने के लिए कहता गया...


उनके जाते ही मै सो गई और सुबह के करीब 9 बजे उठी.. घर साफ सफाई करने वाली पहुंच चुकी थी, उससे बोल दिया कि कल कुछ मिस्त्री बुलवाकर बुलेट लगे टाइल्स को बदलवा देने…


दिन के 12 बजे, मै अपने कोचिंग से जैसे ही बाहर निकली, 20-21 साल का एक लड़का मुझे हाथ दिखा रहा था.. उसकी हाइट और शरीर की बनावट देखते मुझे देर ना लगी कि ये कौन है... "अरे, ये तो सच मे चला आया".. मै उसके नजदीक पहुंचती... "क्यों सर, इतनी हिम्मत की 12 बजे बुलाई तो 12 बजे आ गए"..


चोर:- काफी पिलाओगी तो बात होगी..


मै:- और तुम्हारे साथी किधर है.. दोनो..


चोर अपना हाथ हिलाकर उन दोनों को बुलाया, वो दोनो भी हमारे पास पहुंचे... "क्यों सर आप तो शर्माकर पीछे खड़े है, कल रात दोनो मै कौन था जो मुझ पर हमला करना चाह रहा था, और किस चीज से"..


चोर, अपने एक साथी के ओर इशारा करते... "इसके जेब में गन थी, वही निकल रहा था"…


मै:- हीहीहिहि... तो क्या मुझे गोली मार देते, और मै मर जाती..


चोर का वो साथी... "साला ये कौन सी बला है हैदर, और तू इधर क्यों लेकर आया अपने को"..


हैदर:- क्या रे बसिर कल तो तेरी ऐसी फटी थी कि पीछे ही खड़ा था, मैडम ने छोड़ दिया तभी अपन घूम रहे है..


मै:- तुम हैदर, ये बासिर और वो तीसरा कौन है जो शांत खड़ा है...


हैदर:- वो जमाल है, बोलता कम है और काम ज्यादा करता है...


मै:- अब बताओ कि मेरे यहां चोरी करने की टिप कौन दिया था...


हैदर:- वो वॉचमैन है ना संभू, तेरे अपार्टमेंट का, उसी ने दिया था... साला अपने को गलत इंफॉर्मेशन दिया, कहता है कि अकेली लड़की है और आसान टारगेट..


मै:- अच्छा ये बताओ चोरी फूल टाइम करते हो या पार्ट टाइम…


जमाल:- ये जानने का कारन..


मै:- अरे ये बोला.. कुछ नहीं, कहीं किसी के पास चोरी करवानी हो तो संपर्क करूंगी..


जमाल:- क्यों मज़े के रही हो मैडम.. जाओ पढ़ो लिखो.. ए चल रे..


मै:- अरे रुको तो, कहां भाग रहे..


जमाल:- मैडम अंदर से ज्यादा खुश ना हो की नौसिख्यों से मज़े ले रही... बस इनमे अक्ल की कमी है और तुम बहुत डेरिंग वाली लड़की हो... अभी जाने दो, कभी कोई काम हो तो संभू के पास एक स्त्री वाला है, नरेश, उससे कहना जमाल को बोलो मिलने, अपन हाजिर हो जाएगा.. अभी तुम जाओ..


मै:- और संभू को बोलूं संपर्क करने तो कोई हर्ज है..


जमाल:- तुम एक नाम निकलवाने के लिए इतना बड़ा रिस्क लिया तो थोड़े ना उसे छोड़ने वाली हो.. अपन भी रात-दिन लोगों से ही मिलता हूं मैडम...


अपनी बात कहकर वो चला गया.. मै उनके जाते ही सीधा पहुंची थाने और एसआई को गोली इस्तमाल की डिटेल सबमिट करने के बाद सीधा कह दी, कल की चोरी मे मुझे वॉचमैन संभू की साजिश लग रहीं है...


एसआई ने मुझे जाने के लिए कह दिया और वो संभू को रिमांड में लेकर पूछताछ करेंगे.. मै जब अपार्टमेंट पहुंची तब मीडिया को बुलाया गया था और न्यूज मे चींख चींखकर बताया जा रहा था कि कल रात फ्लैट नंबर 306 मे गन फायर हुई... क्या दिल्ली अब सुरक्षित नहीं..?


जैसे ही उन लोगो को पता चला कि मेरे ही फ्लैट की घटना थी और उस वक्त मै ही वहां मौजूद थीं, झुंड में लोग माईक लेकर दौड़ गए... "कमीनो करवा दिए ना कांड यहां भी".. सभी मीडिया वाले मुझे अपने सवालों से झपट रहे थे..


मै उनके सवालों का क्या जवाब दूंगी, उससे पहले ही मेरा मोबाइल बजने लगा.. फोन निकाली तो पता चला कि राजवीर अंकल का फोन था.. उधर से कह रहे थे, टीवी पर अच्छी दिख रही..


"अब इन सबका क्या मै करूं"… इधर लोग मुझ पर सवाल की बंमबारी कर रहे थे और उधर मेरे फोन की घंटी रुक ही नहीं रही थी... तभी मैंने जोड़ से चिल्लाया... "अरे शांत भी हो जाइए सर, आप सवाल पर सवाल ठोक रहे है, और उधर मेरे मोबाइल पर कॉल पर कॉल आ रहा है.

दरसअल रात के 3 बजे चोर पहुंचे थे, मै उस वक्त पढ़ रही थी... मै अकेली थी और 8-10 चोरों का झुंड... मैंने बस वहां अपने डॉल्बी साउंड के बड़े से बूफर पर बुलेट साउंड दिया था.. इसके अलावा पेट्रोलिंग कर रही पुलिस को रात के उस घड़ी में लगा कि कहीं से बुलेट फायर हुई है, और ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभाते हुए वो तुरंत पहुंचे थे.. हां लेकिन मेरे पड़ोसी अपने-अपने घर की लाइट जलाकर किसी के मरने का जरूर इंतजार कर रहे थे...


"ये कैसा समाज का निर्माण कर रहे है, पड़ोसी के यहां हो रही थी चोरी और दूसरा पड़ोसी झांकने तक नहीं आया. बापू के इस देश मे जहां आज़ादी दिलवाने के लिए लोग बिना हथियार लड़ गए, वहां आज लोग पड़ोसी की परेशानी मे झाकने तक नहीं आते, कैमरामैन फलाने के साथ मै ढिमकाना.."


ये मीडिया वाले ना कहानी बनाते रहो रे बाबा, मै चलती हूं अपनी पढ़ाई करने. ये दूसरा ऐसा मौका था जब मै अपना फोन बंद कर रही थी. फोन बंद करके मै आराम से खा पीकर पढ़ने बैठी ही थी, कि लो जी दरवाजे पर दस्तक हो गई...


मैंने जैसे ही दरवाजा खोला एसआई साहब सामने खड़े, वो भी अकेले.. "क्या हुआ सर और पूछताछ रह गई थी क्या?"


एसआई:- एक कप चाय मिलेगी...


मै:- हाहाहाहा.. अंदर आइए ना सर..


मै दो कप चाय बनाकर लाती... "जी सर बताइए"


एसआई:- बस धन्यवाद कहने आया था, जो भी तुमने मीडिया के सामने कहा... यहां तो ज्यादातर लोग कैमरा के सामने पुलिस को गाली ही देते है...


मै:- मै कैसे दे देती, मेरे जीजू भी तो ये न्यूज देख रहे होंगे ना...


एसआई:- जीजू कौन...


मै:- एसीपी कुमार आंनद..


एसआई थोड़ा ध्यान से सोचते... "दिसंबर का वो हाई प्रोफ़ाइल केस जिसमे 50 से ज्यादा लोगों को सीधे सजा ही हो गई"..


मै:- हां वही कुमार आंनद...


एसआई:- आह्हहहह ! उनका नाम सुनकर दिल खुश हो गया, क्या उनसे मै एक बार बात कर सकता हूं...


मै:- अभी करवाती हूं...


मैंने कॉल लगाया, उन्होने पिक किया दोनो के बीच कुछ देर बातें हुई और फिर फोन वापस मेरे हाथ में... वो एसआई मुझे गौर से देखते हुए पूछने लगा... "तुम उन चोरों से मिली हो जो कल रात आए थे"..


मै:- हीहिहि... ये किसने बताया...


एसआई:- तुम्हारे जीजा ने.. उन्होने कहा कि तुम यदि वॉचमैन का नाम जानती हो, उसका मतलब तुम चोरों से मिल चुकी हो…. उन्होंने ये भी बताया कि तुम खतरे की जड़ को हटाने में इंट्रेस्टेड रहती हो, ना की मामला ऊपर-ऊपर खत्म करने में...


मै:- अरे सर अब जाने भी दो ना.. वैसे भी वो इतने नौसिख्ये चोर है कि कहीं ना कहीं तो पकड़े ही जाएंगे.. बस ये वॉचमैन जो था, आज किसी नौसिखुए को भेजा है कल किसी प्रोफेशनल को भेजेगा.. मै अपने घर में किसी तरह का डर का माहौल नहीं चाहती..


एसआई:- हम्मम ! तुम्हे डर नहीं लगता...


वो मेरी ओर बड़े ध्यान से देखते हुए पूछने लगा... मै भी समझ चुकी थी कि वो किस विषय में बात कर रहा है, फिर भी अनजान बनते... "सर जब गन हाथ में हो और आंनद जीजू की मै ट्रेनी हूं, तो डर कैसा"


एसआई:- मै उस विषय में नहीं पूछ रहा.. जिस केस को कुमार आंनद सर देख रहे थे, उसी हाई प्रोफ़ाइल केस की लीड तुम हो ना...


मै:- डर था इसलिए तो इतनी दूर निकल आयी सर, वरना मामला ठंडा हो गया है करके छोड़ देती, तो कल को पूरे परिवार को उसका भुगतान करना पड़ता... मै नहीं याद करना चाहती उस वाक्ए को.. प्लीज सर..


एसआई:- ठीक है सॉरी, ओह हां कुमार आंनद सर ने कहा है कि तुम बहुत आलसी हो, इसलिए सुबह-सुबह तुम्हे उठाकर ट्रेनिंग के लिए ले जाऊं.. गाइडलाइन उन्होंने भेज दिया है..


मै:- इस साले जीजू की तो... मेरी सुबह की नींद इनसे बर्दास्त ही नहीं होती है... दीदी को बोलकर सॉलिड क्लास लगवाऊंगी...


एसआई:- हाहाहाहा... ठीक है अब मै चलता हूं, परसो सुबह 5 बजे ग्राउंड में..


मै अपने दोनो हाथ जोड़कर उन्हे मुकुराते हुए "जी सर" कही और उन्हे विदा किया... मेरी वॉट लगाने मे ना, ये जीजू को भी बड़ा मज़ा आता था.. गांव में सुबह उठना मजबूरी थी और जब अपने सहर मे थी, तब इन्होंने सुबह उठने पर मजबूर कर दिया... अब यहां दिल्ली में महीने दिन से चैन से थी, गई सुबह की चैन...
majedar update ..choro ki to hawa nikal di menka ne 🤣🤣🤣..
aur un choro ko chhodkar us watchmen shambhu ko pakadwake sahi kiya ,jaha roji roti milti hai wahi pe bure kaam karwa raha tha ..

waise media ko sahi se handle kiya menka ne sab jhooth bolkar ..
aur ab s.i. se training legi menka ..
 

Naina

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Gaanv ke pyare aur achhe log hai.. jyada maar kutai nahi karte hain .. mamla Shati se suljha lete hai...

Are yaar ye pet phad aur antriyan nikalna .. likha hun mai dr ke bhi emotion ke bare me .. is baar detail me likha hun kitab me ghuse swarthi logon ki kahani .. ju will love this .

Khaskar jab Prachi aur uski maa ka encounter hoga uske bhai Harsh ke vishay me :D.. ju e one of those emo less ... Kewal blood bath pasand hai :D

Haan Ravi ke prati aarashit thi .. maine saaf likh bhi diya hai :D
I blame harshit1890 saheb and Ankitarani mam... inki stories padhke ab bas psychological thrill mystery story series hi pasand hai mujhe... :D
Kabhi mann mein khyaal aaye jaane kaise soch lete hai yeh dono itni khatarnak aur superb story line... tab Alexa bolti hai
Alexa =jaise nain saheb ne soch lete hai ishq, risk ki story line :D
......
 

DARK WOLFKING

Supreme
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अध्याय 17 भाग:- 4





बहरहाल मै अकेली, और मेरे किताबों का सहारा... कुछ दिन बाद मेरा भी फ्लैट भर गया... वक्त था होली का और घर में प्राची दीदी और मै अकेली... इस बार तो मुझे भी इन्हे दिखा ही देना था कि होली क्या होती है?


सुबह से ही मै रंग लेकर तैयार और यहां प्राची दीदी मुझे सरप्राइज़ देती हुई, खुद व्हाइट टॉप और जींस में तैयार होकर मुझे भी एक पैकेट थमाते... "चल पहन ले ये कपड़े. जानती हूं तू अभी पागल हो रही होगी मुझे रंग लगाने के लिए. लेकिन वो तू आराम से बाद में भी लगा सकती है, फिलहाल बिना कोई सवाल किए चल"…


मुझे की, मै भी तैयार हो गई.. पहली बार मैंने भी जींस पहना था, थोड़ा तो अजीब लग रहा था, लेकीन प्राची दीदी जब खुशी से खुद रंग लगवाने को तैयार है तो मै कैसे मना कर देती...


मै जैसे ही बाहर निकली प्राची दीदी मेरे पीछे एक चमाट जमाती… "तेरा बैक तो कमाल का है"…


मै:- चलो भी, कहां चलना है, ये कपड़ा कुछ ज्यादा ही अजीब लग रहा... और हर जगह से टाईट है...


प्राची दीदी:- इसलिए तो सेक्सी दिख रही...


प्राची दीदी रास्ता बताती गई और हम चलते गए... एक बड़े से मैदान के बाहर बड़ा सा बैनर लगा था... "ग्रैंड होली इवेंट" और बाहर मॉल के बहुत से स्टाफ अपने पति या पत्नी के साथ खड़े थे, उन्हीं में से मेरी नजर रिंकी दीदी पर गई. मेरी पहली टीचर जो घर आकर मुझे और नकुल को पढ़ाया करती थी...


8-10 साल बाद मै उन्हे देख रही थी.. मै तो कार से उतरकर तुरंत उनके पास गई, रिंकी दीदी के पाऊं छुए.. मुझे देखकर मुस्कुराती हुई वो कहने लगी... "कितनी बड़ी हो गई मेनका.. कितनी खुशी हुई जब सुनी की तुम बिहार में टॉप की हो... मैंने तो पूरे बैंक मे मिठाई बंटवाई थी...."..


मै:- आधार तो आपका ही दिया था दीदी.. प्राची दीदी ने मुझे किसी के आने के बारे में बताया ही नहीं. पहली बार बाबू (रिंकी दीदी का बच्चा) से मिल रही हूं, और इसके लिए कुछ लाई भी नहीं...


रिंकी दीदी:- कोई बात नहीं है.. गांव में सब कैसे है, अंकल आंटी...


मै:- आप खुद आकर एक बार देख लेती तो कितना अच्छा होता दीदी...


रिंकी दीदी:- तुम्हे भी तो याद तभी आयी जब इनके (जिवक्ष) बारे में पता चला.. इतने सालों में तो याद करने वाला कोई नहीं था..


मै:- 10th मे जब स्कूल टॉप की, 8th मे जबp थी, 7th मे जब टॉप की थी, मेरे पढ़ाई के बारे में जब भी बात होती.. ऐसा कोई हफ्ता नहीं जिसमे आपको याद ना किया हो. कोई कॉन्टैक्ट ही नहीं था मेरे पास... आपके बिना हर बार मेरा परीक्षा का नतीजा अधूरा सा लगता रहा, लेकिन कोई इतने गुस्से में सब छोड़कर गया की उसके साथ इनोसेंट भी पीस गए..


रिंकी दीदी... बहुत प्यारी और अच्छी बातें करना सीख गई है... ये सब किसने नकुल ने सिखाया तुम्हे..


मै:- ओह मतलब वो आपके टच में था, और कुता मुझसे कभी चर्चा भी नहीं किया...


एक हाथ पड़ा सर पर... "ये कुता क्या है हां !.."


मै:- सॉरी वो मुंह से निकल जाता है दीदी..


प्राची दीदी... बस 2 लोगो को छोड़कर बाकी सब अंदर जा चुके है.. अब आओ भी या इतने सालों की बात आज ही पुरा कर लोगी…


प्राची दीदी कि बात से ध्यान आया कि सब तो अंदर जा चुके है.. मै भी रिंकी दीदी के साथ अंदर पहुंची... वाह क्या नजारा था.. इसे कहते है असली होली... ऊपर लाइव सोंग बज रहा है, कई ग्रुप हवा में गुलाल उड़ा कर पुरा माहौल रंगीन किए हुए थे और सब झूमते हुए एक दूसरे को रंग लगा रहे थे...


ड्राई होली अलग, पानी में भिगोने वाली होली अलग.. सामने डीजे और पीछे के ओर पूरे खाने पीने की व्यवस्था... पहले तो मुझे गीली होली ही चाहिए थी, ताकि जाते वक्त तक सुख जाएं.. प्राची दीदी तो मान ही नहीं रही थी. जब उन्हे धमकाया कि मै दूसरे ग्रुप में सामिल हो जाऊंगी, फिर उस ग्रुप के लड़के, सामने से आयी लड़की को होली के बहाने…


वो इतना ही सुनकर "बस-बस" करने लगी और बुरा सा मुंह बनाती हुई चली.. मैंने तो उनके साथ ठुकमे लगाती, नाचने लगी.. कुछ देर नाचने के बाद हम वहां से निकले, बेवड़ी सच मे पीने मे पुरषों को टक्कर दे दे..


प्राची दीदी मुझसे कहती है, "आज तो तू है ना संभालने के लिए, इसलिए लड़खड़ाने वाली टकिला शॉट मरेंगे"... काउंटर पर पहुंची और शॉट के बाद शॉट वो देती हुई चली गई... जब वो शुरू हुई वहां की सभी वेवड़ी, प्राची दीदी को देखती हुटिंग करना शुरू कर दी...


उनका हूटिंग करना जैसे पुरा जोश वर्धक हो.. लगातार 18 टकीला शॉट लेने के बाद वो रुकी... प्राची दीदी जैसे ही रुकी, वहां मौजूद लड़कियों की एक ग्रुप ने उसे अपने बीच सामिल कर लिया.. और उनके साथ मै भी सामिल हो गई..


कोई किसी को नहीं जानता था, ना ही किसी तरह की बात हो रही थी, केवल और केवल नाचना और रंग लगाना.. कहीं से झूमते हुए उसी बीच एक लड़के का ग्रुप भी मंडरा कर उनके आस पास नाचने लगा...


सभी लड़कियां मस्ती में उनके ऊपर पुरा गुलाल उड़ेलती हुई धीरे-धीरे उनके ग्रुप मे विलय हो गई... सब साथ नाचने लगे और एक दूसरे के ऊपर रंग उरेल रहे थे.. उन्हीं में से 2 चार कुछ जोड़ियों में हो गए और कुछ ज्यादा ही जोश से नाचने लगे... बाकी लड़कियां हूटिंग करने लगे..


सबकी हूटिंग एक ओर और प्राची दीदी की हूटिंग और सिटी एकतरफा... कुछ देर तक ऐसे ही मनोरंजन चलता रहा, मै प्राची दीदी को लेकर वहां से निकल आयी और अपने स्टाफ वाले ग्रुप मे वापस आ गई...


सुबह के 10 बजे पहुंचे और शाम के 4 बजे वहां से निकले. इस बीच प्राची दीदी 2 बार और टकिला शॉट के लिए गई थी… वो अलग बात है कि तब 4 या 5 से ज्यादा नहीं ली... पी कर पुरा धुत्त.. लौटते वक्त बड़ी मुश्किल से नींबू मिली, जो मै अपने साथ लेती हुई चली आयी…


अगले दिन सुबह-सुबह सर पकड़े हुए वो जागी.. उन्हे बस रात का याद था कि मैंने उन्हे जबरदस्ती उठाकर खाना खिलाया था और दिन का वो टकिला का शॉट लेकर उन लड़कियों के बीच जाना...


उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, लेकिन मार्च का महीना चल रहा था.. उन्हे पुरा फिजिकल स्टॉक मिलाकर पूरे ऑडिट का काम करवाना था.. मैंने उन्हे आराम करने बोली और उनके जगह मै चली गई...


मै मॉल पहुंचकर वहां के सुपरवाइजर और मुख्य मैनेजर से मिली... रिक्वायरमेंट की लिस्ट चेक करके मैंने सभी परचेसिंग को सीधा आधा कर दी और फिजिकल स्टॉक जो ले चुके थे वहां किसी एक प्रोडक्ट को उठाकर क्रॉस वेरिफिकेशन करवाने लगी...


सब सुनिश्चित करने के बाद मै ऑडिट रूम में जाकर फिर सारे पेपर को अकाउंटिंग स्टाफ को दे दी.. वो लोग अपना काम करने लगे और मै अपने समय से कोचिंग निकल गई, लौटकर भी सीधा मै मॉल ही चली गई...


ये मार्च महीना भी मेरे लिए खींचा हुआ सा लग रहा था.. क्योंकि 6 बजे लौटने के बाद, मै प्राची दीदी का हाल लेकर सीधा रजनीश भैया के काम मे लग जाती.. हमारे सहर के मॉल के भी ऑडिट का पेपर मेरे पास ही था...


रात के तकरीबन 8 बजे पता चला कि प्राची दीदी तेज बुखार से ग्रसित हो गई है.. वो ठंड के मारे कांप रही थी.. नौबत डॉक्टर के पास ले जाने की हो गई.. अगले 3-4 दिन तक उन्हे घर पर ही रहने दिया और मै शॉपिंग मॉल, कोचिंग और फिर रजनीश भैया..


पांचवा दिन रविवार का था और छठे दिन सोमवार को दीदी अपने मॉल गई... 8 बजे सुबह वो अपने रूटीन के हिसाब से गई लेकिन 10 बजे वो लौट आयी… आते ही चिल्लाना शुरू... "अकाउंट डिपार्टमेंट मे हंस्तछेप क्यों की, क्यों वहां के ऑडिटर के फाइनल फिगर को, इनकम टैक्स ऑफिस मे जमा नहीं की"..


आते ही वो मुझ पर चिल्लाना शुरू हो गई. गुस्से में पता नहीं क्या-क्या वो बोल गई, जबकि वो ये तक नहीं देख पाई की लाइन पर मै वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किनसे बातें कर रही हूं...


उन्हे जो बोलना था वो बोलकर जब शांत हुई, तब मै उन्हे कहने लगी चुप-चाप बैठ जाओ और सुनो यहां क्या बातें हो रही है... मै रजनीश भैया को पिछले 2 साल का सरा डेटा भेज चुकी थी, उन्हे भी फाइनल बैलेंस शीट मे वही गड़बड़ी नजर आयी जो मुझे नजर आ रही थी.. या यूं कहे कि टैक्स चोरी करने के लिए जबरदस्ती कुछ जोड़ घटाव करके कहानी आगे बढ़ाई गई थी...


राजवीर अंकल के कहने पर प्राची दीदी इस बात के लिए राजी हो गई की मै जो कर रही हूं वो मुझे करने दिया जाए और कुछ फीस देकर किसी थर्ड पार्टी से क्रॉस वेरिफिकेशन ले लेना, जो ऑडिट सही हो उसे है फाइनल सबमिट करना..


6 दिन के समय में रजनीश भैया ने पुरा काम कर दिया.. जिसमे मैंने उनकी पूरी हेल्प की थी.. 25 मार्च को हमने अपना फाइल प्राची दीदी के हाथ में दे दिया..


28 मार्च को वो मुझे सुबह से ही सॉरी-सॉरी कहती हुई नजर आ रही थी और मै मुंह फुलाए.. क्योंकि ये सही समय था गुस्सा होने का... मै इतनी गुस्सा थी की पूरे एक हफ्ते उनसे बात नहीं कि... फिर जब प्राची दीदी ने बीच में नकुल को घसीटा तब जाकर मानी…


मार्च के महीने में तैयारी बिल्कुल ही धीमी हो गई थी और मुझे वो पुरा अप्रैल में कवर चाहिए था.. मै वर्मा सर से फोन करके बात की, उन्होंने मुझसे इतना ही कहा, "जो लड़की काम पुरा होने के बाद आराम करती थी, वो आज कह रही है एक महीना पीछे चली गई.. ऐसा नहीं हुआ है, सोच बदलो.."

"मेरे हिसाब से तुम जो 2 महीने आगे थी, उसका एक महीना घट गया, कोई बात नहीं अच्छे कामो के लिए घटा है वो एक महीना, क्योंकि सीए इंटरमीडिएट की पढ़ाई को तो पुरा प्रैक्टिकल कर चुकी हो तुम वो भी लगभग 6 महीने से, इसलिए जो बीत गया उसे मत पकड़ने की कोशिश करो, आने वाले समय में कितना कर सकती है वो देख लो.."


सर की बातों ने जैसे मुझे हौसला दिया हो.. मै अपने काम में लग चुकी थी.. तैयारी अपने जोरों पर और अंततः मई महीने का वो दिन मुझे याद है जब प्राची दीदी ने एग्जाम हॉल के बाहर छोड़ा और फिर पूरे एग्जाम वो मेरा इंतजार करती रही..


सभी एग्जाम जब समाप्त हुए तब मै एक लंबे हॉलिडे पीरियड में थी, जिसमे एग्जाम से लेकर रिजल्ट और रिजल्ट से लेकर एडमिशन के लिए डेट अनाउंस होना.. फिर उसके बाद काउंसिलिंग करवाकर एडमिशन लेना.. और वो एडमिशन के बाद पूरी काउंसिलिंग और एडमिशन क्लोज होने के बाद क्लास शुरू करना..


प्राची दीदी मुझसे पहले ही बोल चुकी थी कि इस बार वो हॉलिडे प्लान करेगी और क्या हॉलिडे प्लान किया था.. पहला एक शिफ्ट रिजल्ट निकलने के बाद काउंसिलिंग की डेट आने तक यूके और यूरोप घूमना.. और उसके बाद एडमिशन करवाकर क्लास शुरू होने से पहले तक गांव..


यूरोप का नाम सुनकर ही मेरी आंखें बड़ी हो गई.. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि मै क्या प्रतिक्रिया दूं.. जाने का मन तो मेरा भी था, लेकिन घरवाले मानते की नहीं इस बात की चिंता.. मै कुछ बोल ही नहीं पाई.. अभी तो एग्जाम देकर आयी थी और अभी ही...


फिर अचानक ही जैसे पुरा फ्लैट ही लोगों से भर गया हो.. सरप्राइज़ सरप्राइज़ चिल्लाते हुए मुझे सब घेर चुके थे.. उन्हे देखकर मेरा पूरा चेहरा ही खिल गया. मै तो अंदर से झूमने लगी थी...


मेरा पूरा खानदान ही यूके और यूरोप घूमने के लिए पहुंचा हुआ था... इस प्रकार के सरप्राइज़ की तो मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... प्राची दीदी ने तो मासी और मौसा तक को नहीं छोड़ा था...


हां लेकिन इतने लोगों को देखकर मै तो यही भुल गई की मैंने पहना क्या हुआ है.. रूपा भाभी मुझे टोकती हुई कहने लगी... "बड़ी प्यारी लग रही है इन कपड़ों में".. धत तेरे की, मुझे याद ही नहीं रहा कि मै क्या पहनकर गई थी..



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हुआ कुछ ऐसा था कि एक दिन मै मॉल में थी और काले रंग की एक प्यारी सी ड्रेस मुझे पसंद आ गई... बॉडी मे तो मस्त फिटिंग थी और पहनने के बाद उसमें खूबसूरत भी दिख रही थी, किन्तु वो मेरे घुटने से 6 इंच ऊपर थी जिसमे मेरे लगभग पाऊं दिख रहे थे..


मैंने तो वो ड्रेस छोड़ दी थी, लेकिन प्राची दीदी के कानो तक ये बात पहुंच गई और वो ना सिर्फ ड्रेस उठा ली, बल्कि मेरे लिए उसी से मैचिंग बूट भी उठा ली… आज सुबह जब मै तैयार हो रही थी, तब उन्होंने मुझे ये ड्रेस पकड़ा दी..


मै दौड़कर भागी अपने कमरे में और जल्दी से सूट पहनकर वापस लौटी.. सब मुझे देखकर हंस रहे थे और मै शर्म से गड़ी जा रही थी, और जाकर अपनी मां से सिमट गई..


पीछे से मासी मेरे बाल पर हाथ फेरती हुई कहने लगी… "अच्छी तो लग रही थी वो ड्रेस, तू भी ना कितना शर्माती है"…


"सीखो मां सीखो, बेटी को कैसे लाड़ प्यार से रखते है, एक तुम हो"… प्राची दीदी ने आंटी पर व्यंग किया...


मां:- बहन जी आपने प्राची को चप्पल इलाज कभी दिया है क्या...


मां जैसे है ये बात बोली मै उनके पास से हटकर... "नकुल चल मुझे कुछ शॉपिंग करनी है"…


आशा भाभी:- हां जा कर ले भरत मिलाप.. सुन रे लड़के गांव की एक भी बात मेनका को पता चली तो या तो तू रहेगा गांव में या मै...


"तू क्या अपनी मां को सुनने में लग गया, चल अभी चलते हैं..."… मै नकुल को खींचकर बाहर ले आयी और हम दोनों आराम से एक पार्क में बैठ गए...


नकुल:- कैसी है..


मै:- सॉरी भाई वो मै तैयारियों में इतना व्यस्त थी कि तू पास भी था तब भी ध्यान नहीं दे पाई.. जानती हूं तुझे अच्छा नहीं लगा होगा.. लेकिन उम्मीद है कि मेरी मजबूरी समझता होगा..


नकुल:- तेरे दूर होने का थोड़ा दर्द तो होता है, लेकिन यही तो जिंदगी है.. जैसे जैसे हम बड़े होते है.. अपने अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ते है... छोड़ जाने भी दे. और बाता कैसी है...


मै:- अच्छी हूं, और तू कैसा है.. गांव में सब कैसे है..


नकुल:- मै भी अच्छा और गांव भी अच्छा, बस सब तुझे याद करते हैं।


नकुल कुछ पल ख़ामोश हो गया... मै उसके चेहरे को देखकर उसके चेहरे पर आयी भावना को पढ़ने लगी.… मै उसकी भावना चेहरे से क्या पढूंगी, उसकी डबडबाई आखें सारी कहानी बता रही थी.… "तू रोएगा तो मै दिल्ली से अभी लौट आऊंगी... मत रो ना प्लीज.."


नकुल मेरे आखों के आशु साफ करते... "अब क्या थोड़ा रो भी नहीं सकता?"..


मै:- नाह !! इतना सा भी नहीं रो सकता.. चल चेहरे का जियोग्राफिया ठीक कर...


नकुल, अपने आंसू साफ करके, मुसकुराते हुए... "अभी सही है"…


"हां अब सही है"… मै भी मुस्कुराई..... एक बार जो बात का सिलसिला शुरू हुआ, फिर कब सांझ ढल गई पता भी नहीं चला... हम तो और भी बातें करते लेकिन हमारा पुरा खानदान कहीं छिपकर बैठे थे, अचानक से प्रकट हो गए...


एक मै शरारती, एक नकुल शरारती, लेकिन हम दोनों से भी आज ज्यादा शरारती प्राची दीदी निकल गई.. जैसे ही वो मेरे पास पहुंची मेरे बैग से ब्लूटूथ माईक निकालकर मेरे हाथ में रख दी...


मेरा तो मुंह खुला रहा गया... "अांह ! जी तो कर रहा है कि आपका खून कर दूं दीदी... ये आपने अच्छा नहीं किया है"…


तकरीबन 3 घंटे से ऊपर हम बात कर रहे थे, जिसमे पहले खुद की, फिर लोगों की, कुछ गांव की और अंत में नकुल से कह दी की मां की इक्छा थी, कि उनके बेटे सीए करे.. बचपन में कई बार सुनी थी.. दुर्भाग्यवश दोनो भैया पापा की सुने, लेकिन मै तो अपनी मां की बेटी हूं ना.. बस जिस दिन सीए मेनका मिश्रा कहलाने लगुंगी, तब अपने मां की हंसी देखूंगी... बस इसलिए सबसे दूर हुं, 4-5 साल और..


बातों के दौरान मैंने नकुल से यह भी कह दिया कि शादी के लिए तबतक लड़का ढूंढ कर रख, जो 5 किलोमीटर से ज्यादा दूर का ना हो... मै नौकरी करने के लिए थोड़े ना सीए कर रही...


सब बातें सबने सुन लिया... मै नहीं चाहती थी कि नकुल के अलावा कोई ये जाने की मै पागल क्यों हूं सीए के लिए... बहरहाल अब क्या ही कर सकते थे, जो होना था सो तो हो गया..


11 लोग मेरे घर के, सभी बच्चो को मिलाकर, 4 लोग मासी के यहां के मैक्स और गौरी को मिलाकर और 3 लोग प्राची दीदी... कुल 18 लोग थे जो अगली सुबह लंदन के लिए उड़ान भर चुके थे.. वूहू…
nice update ..ye 2nd holi bhi ho gayi aur isme menka ne kuch jyada nahi kiya ..par prachi peekar full tunn ho gayi thi 😁😁..ye 18 takila shot pikar 🤔🤔 itna to bahut jyada hoga .
par ye physical stock kya hota hai ???? ..
aur ye menka par chillayi kyu prachi ?? ..
waise ab sab london jaa rahe hai dekhte hai waha kya hota hai ..
 

Naina

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अध्याय 17 भाग:- 4





बहरहाल मै अकेली, और मेरे किताबों का सहारा... कुछ दिन बाद मेरा भी फ्लैट भर गया... वक्त था होली का और घर में प्राची दीदी और मै अकेली... इस बार तो मुझे भी इन्हे दिखा ही देना था कि होली क्या होती है?


सुबह से ही मै रंग लेकर तैयार और यहां प्राची दीदी मुझे सरप्राइज़ देती हुई, खुद व्हाइट टॉप और जींस में तैयार होकर मुझे भी एक पैकेट थमाते... "चल पहन ले ये कपड़े. जानती हूं तू अभी पागल हो रही होगी मुझे रंग लगाने के लिए. लेकिन वो तू आराम से बाद में भी लगा सकती है, फिलहाल बिना कोई सवाल किए चल"…


मुझे की, मै भी तैयार हो गई.. पहली बार मैंने भी जींस पहना था, थोड़ा तो अजीब लग रहा था, लेकीन प्राची दीदी जब खुशी से खुद रंग लगवाने को तैयार है तो मै कैसे मना कर देती...


मै जैसे ही बाहर निकली प्राची दीदी मेरे पीछे एक चमाट जमाती… "तेरा बैक तो कमाल का है"…


मै:- चलो भी, कहां चलना है, ये कपड़ा कुछ ज्यादा ही अजीब लग रहा... और हर जगह से टाईट है...


प्राची दीदी:- इसलिए तो सेक्सी दिख रही...


प्राची दीदी रास्ता बताती गई और हम चलते गए... एक बड़े से मैदान के बाहर बड़ा सा बैनर लगा था... "ग्रैंड होली इवेंट" और बाहर मॉल के बहुत से स्टाफ अपने पति या पत्नी के साथ खड़े थे, उन्हीं में से मेरी नजर रिंकी दीदी पर गई. मेरी पहली टीचर जो घर आकर मुझे और नकुल को पढ़ाया करती थी...


8-10 साल बाद मै उन्हे देख रही थी.. मै तो कार से उतरकर तुरंत उनके पास गई, रिंकी दीदी के पाऊं छुए.. मुझे देखकर मुस्कुराती हुई वो कहने लगी... "कितनी बड़ी हो गई मेनका.. कितनी खुशी हुई जब सुनी की तुम बिहार में टॉप की हो... मैंने तो पूरे बैंक मे मिठाई बंटवाई थी...."..


मै:- आधार तो आपका ही दिया था दीदी.. प्राची दीदी ने मुझे किसी के आने के बारे में बताया ही नहीं. पहली बार बाबू (रिंकी दीदी का बच्चा) से मिल रही हूं, और इसके लिए कुछ लाई भी नहीं...


रिंकी दीदी:- कोई बात नहीं है.. गांव में सब कैसे है, अंकल आंटी...


मै:- आप खुद आकर एक बार देख लेती तो कितना अच्छा होता दीदी...


रिंकी दीदी:- तुम्हे भी तो याद तभी आयी जब इनके (जिवक्ष) बारे में पता चला.. इतने सालों में तो याद करने वाला कोई नहीं था..


मै:- 10th मे जब स्कूल टॉप की, 8th मे जबp थी, 7th मे जब टॉप की थी, मेरे पढ़ाई के बारे में जब भी बात होती.. ऐसा कोई हफ्ता नहीं जिसमे आपको याद ना किया हो. कोई कॉन्टैक्ट ही नहीं था मेरे पास... आपके बिना हर बार मेरा परीक्षा का नतीजा अधूरा सा लगता रहा, लेकिन कोई इतने गुस्से में सब छोड़कर गया की उसके साथ इनोसेंट भी पीस गए..

Chal jhuthi :Dbas ek baar us hotel mein yaad ki.. pehle kab naam ki jikra hi nahi ki tune menka.. Menka tu Prachi sang rehke jhuth bhi bolna sikh gayi woh bahot achhe se.. :sigh2:


रिंकी दीदी... बहुत प्यारी और अच्छी बातें करना सीख गई है... ये सब किसने नकुल ने सिखाया तुम्हे..


मै:- ओह मतलब वो आपके टच में था, और कुता मुझसे कभी चर्चा भी नहीं किया...


एक हाथ पड़ा सर पर... "ये कुता क्या है हां !.."


मै:- सॉरी वो मुंह से निकल जाता है दीदी..


प्राची दीदी... बस 2 लोगो को छोड़कर बाकी सब अंदर जा चुके है.. अब आओ भी या इतने सालों की बात आज ही पुरा कर लोगी…


प्राची दीदी कि बात से ध्यान आया कि सब तो अंदर जा चुके है.. मै भी रिंकी दीदी के साथ अंदर पहुंची... वाह क्या नजारा था.. इसे कहते है असली होली... ऊपर लाइव सोंग बज रहा है, कई ग्रुप हवा में गुलाल उड़ा कर पुरा माहौल रंगीन किए हुए थे और सब झूमते हुए एक दूसरे को रंग लगा रहे थे...


ड्राई होली अलग, पानी में भिगोने वाली होली अलग.. सामने डीजे और पीछे के ओर पूरे खाने पीने की व्यवस्था... पहले तो मुझे गीली होली ही चाहिए थी, ताकि जाते वक्त तक सुख जाएं.. प्राची दीदी तो मान ही नहीं रही थी. जब उन्हे धमकाया कि मै दूसरे ग्रुप में सामिल हो जाऊंगी, फिर उस ग्रुप के लड़के, सामने से आयी लड़की को होली के बहाने…


वो इतना ही सुनकर "बस-बस" करने लगी और बुरा सा मुंह बनाती हुई चली.. मैंने तो उनके साथ ठुकमे लगाती, नाचने लगी.. कुछ देर नाचने के बाद हम वहां से निकले, बेवड़ी सच मे पीने मे पुरषों को टक्कर दे दे..


प्राची दीदी मुझसे कहती है, "आज तो तू है ना संभालने के लिए, इसलिए लड़खड़ाने वाली टकिला शॉट मरेंगे"... काउंटर पर पहुंची और शॉट के बाद शॉट वो देती हुई चली गई... जब वो शुरू हुई वहां की सभी वेवड़ी, प्राची दीदी को देखती हुटिंग करना शुरू कर दी...


उनका हूटिंग करना जैसे पुरा जोश वर्धक हो.. लगातार 18 टकीला शॉट लेने के बाद वो रुकी... प्राची दीदी जैसे ही रुकी, वहां मौजूद लड़कियों की एक ग्रुप ने उसे अपने बीच सामिल कर लिया.. और उनके साथ मै भी सामिल हो गई..


कोई किसी को नहीं जानता था, ना ही किसी तरह की बात हो रही थी, केवल और केवल नाचना और रंग लगाना.. कहीं से झूमते हुए उसी बीच एक लड़के का ग्रुप भी मंडरा कर उनके आस पास नाचने लगा...


सभी लड़कियां मस्ती में उनके ऊपर पुरा गुलाल उड़ेलती हुई धीरे-धीरे उनके ग्रुप मे विलय हो गई... सब साथ नाचने लगे और एक दूसरे के ऊपर रंग उरेल रहे थे.. उन्हीं में से 2 चार कुछ जोड़ियों में हो गए और कुछ ज्यादा ही जोश से नाचने लगे... बाकी लड़कियां हूटिंग करने लगे..


सबकी हूटिंग एक ओर और प्राची दीदी की हूटिंग और सिटी एकतरफा... कुछ देर तक ऐसे ही मनोरंजन चलता रहा, मै प्राची दीदी को लेकर वहां से निकल आयी और अपने स्टाफ वाले ग्रुप मे वापस आ गई...


सुबह के 10 बजे पहुंचे और शाम के 4 बजे वहां से निकले. इस बीच प्राची दीदी 2 बार और टकिला शॉट के लिए गई थी… वो अलग बात है कि तब 4 या 5 से ज्यादा नहीं ली... पी कर पुरा धुत्त.. लौटते वक्त बड़ी मुश्किल से नींबू मिली, जो मै अपने साथ लेती हुई चली आयी…

bechari bachhi ko bigad ke rakh diya is kulta ne.. bholi si thi.. na eb menka tu apni na rahi chhori.. tu us kulta ki rang mein rang gayi.. :sigh2:

अगले दिन सुबह-सुबह सर पकड़े हुए वो जागी.. उन्हे बस रात का याद था कि मैंने उन्हे जबरदस्ती उठाकर खाना खिलाया था और दिन का वो टकिला का शॉट लेकर उन लड़कियों के बीच जाना...


उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, लेकिन मार्च का महीना चल रहा था.. उन्हे पुरा फिजिकल स्टॉक मिलाकर पूरे ऑडिट का काम करवाना था.. मैंने उन्हे आराम करने बोली और उनके जगह मै चली गई...


मै मॉल पहुंचकर वहां के सुपरवाइजर और मुख्य मैनेजर से मिली... रिक्वायरमेंट की लिस्ट चेक करके मैंने सभी परचेसिंग को सीधा आधा कर दी और फिजिकल स्टॉक जो ले चुके थे वहां किसी एक प्रोडक्ट को उठाकर क्रॉस वेरिफिकेशन करवाने लगी...


सब सुनिश्चित करने के बाद मै ऑडिट रूम में जाकर फिर सारे पेपर को अकाउंटिंग स्टाफ को दे दी.. वो लोग अपना काम करने लगे और मै अपने समय से कोचिंग निकल गई, लौटकर भी सीधा मै मॉल ही चली गई...


ये मार्च महीना भी मेरे लिए खींचा हुआ सा लग रहा था.. क्योंकि 6 बजे लौटने के बाद, मै प्राची दीदी का हाल लेकर सीधा रजनीश भैया के काम मे लग जाती.. हमारे सहर के मॉल के भी ऑडिट का पेपर मेरे पास ही था...


रात के तकरीबन 8 बजे पता चला कि प्राची दीदी तेज बुखार से ग्रसित हो गई है.. वो ठंड के मारे कांप रही थी.. नौबत डॉक्टर के पास ले जाने की हो गई.. अगले 3-4 दिन तक उन्हे घर पर ही रहने दिया और मै शॉपिंग मॉल, कोचिंग और फिर रजनीश भैया..


पांचवा दिन रविवार का था और छठे दिन सोमवार को दीदी अपने मॉल गई... 8 बजे सुबह वो अपने रूटीन के हिसाब से गई लेकिन 10 बजे वो लौट आयी… आते ही चिल्लाना शुरू... "अकाउंट डिपार्टमेंट मे हंस्तछेप क्यों की, क्यों वहां के ऑडिटर के फाइनल फिगर को, इनकम टैक्स ऑफिस मे जमा नहीं की"..


आते ही वो मुझ पर चिल्लाना शुरू हो गई. गुस्से में पता नहीं क्या-क्या वो बोल गई, जबकि वो ये तक नहीं देख पाई की लाइन पर मै वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किनसे बातें कर रही हूं...


उन्हे जो बोलना था वो बोलकर जब शांत हुई, तब मै उन्हे कहने लगी चुप-चाप बैठ जाओ और सुनो यहां क्या बातें हो रही है... मै रजनीश भैया को पिछले 2 साल का सरा डेटा भेज चुकी थी, उन्हे भी फाइनल बैलेंस शीट मे वही गड़बड़ी नजर आयी जो मुझे नजर आ रही थी.. या यूं कहे कि टैक्स चोरी करने के लिए जबरदस्ती कुछ जोड़ घटाव करके कहानी आगे बढ़ाई गई थी...


राजवीर अंकल के कहने पर प्राची दीदी इस बात के लिए राजी हो गई की मै जो कर रही हूं वो मुझे करने दिया जाए और कुछ फीस देकर किसी थर्ड पार्टी से क्रॉस वेरिफिकेशन ले लेना, जो ऑडिट सही हो उसे है फाइनल सबमिट करना..


6 दिन के समय में रजनीश भैया ने पुरा काम कर दिया.. जिसमे मैंने उनकी पूरी हेल्प की थी.. 25 मार्च को हमने अपना फाइल प्राची दीदी के हाथ में दे दिया..


28 मार्च को वो मुझे सुबह से ही सॉरी-सॉरी कहती हुई नजर आ रही थी और मै मुंह फुलाए.. क्योंकि ये सही समय था गुस्सा होने का... मै इतनी गुस्सा थी की पूरे एक हफ्ते उनसे बात नहीं कि... फिर जब प्राची दीदी ने बीच में नकुल को घसीटा तब जाकर मानी…


मार्च के महीने में तैयारी बिल्कुल ही धीमी हो गई थी और मुझे वो पुरा अप्रैल में कवर चाहिए था.. मै वर्मा सर से फोन करके बात की, उन्होंने मुझसे इतना ही कहा, "जो लड़की काम पुरा होने के बाद आराम करती थी, वो आज कह रही है एक महीना पीछे चली गई.. ऐसा नहीं हुआ है, सोच बदलो.."

"मेरे हिसाब से तुम जो 2 महीने आगे थी, उसका एक महीना घट गया, कोई बात नहीं अच्छे कामो के लिए घटा है वो एक महीना, क्योंकि सीए इंटरमीडिएट की पढ़ाई को तो पुरा प्रैक्टिकल कर चुकी हो तुम वो भी लगभग 6 महीने से, इसलिए जो बीत गया उसे मत पकड़ने की कोशिश करो, आने वाले समय में कितना कर सकती है वो देख लो.."


सर की बातों ने जैसे मुझे हौसला दिया हो.. मै अपने काम में लग चुकी थी.. तैयारी अपने जोरों पर और अंततः मई महीने का वो दिन मुझे याद है जब प्राची दीदी ने एग्जाम हॉल के बाहर छोड़ा और फिर पूरे एग्जाम वो मेरा इंतजार करती रही..


सभी एग्जाम जब समाप्त हुए तब मै एक लंबे हॉलिडे पीरियड में थी, जिसमे एग्जाम से लेकर रिजल्ट और रिजल्ट से लेकर एडमिशन के लिए डेट अनाउंस होना.. फिर उसके बाद काउंसिलिंग करवाकर एडमिशन लेना.. और वो एडमिशन के बाद पूरी काउंसिलिंग और एडमिशन क्लोज होने के बाद क्लास शुरू करना..


प्राची दीदी मुझसे पहले ही बोल चुकी थी कि इस बार वो हॉलिडे प्लान करेगी और क्या हॉलिडे प्लान किया था.. पहला एक शिफ्ट रिजल्ट निकलने के बाद काउंसिलिंग की डेट आने तक यूके और यूरोप घूमना.. और उसके बाद एडमिशन करवाकर क्लास शुरू होने से पहले तक गांव..


यूरोप का नाम सुनकर ही मेरी आंखें बड़ी हो गई.. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि मै क्या प्रतिक्रिया दूं.. जाने का मन तो मेरा भी था, लेकिन घरवाले मानते की नहीं इस बात की चिंता.. मै कुछ बोल ही नहीं पाई.. अभी तो एग्जाम देकर आयी थी और अभी ही...


फिर अचानक ही जैसे पुरा फ्लैट ही लोगों से भर गया हो.. सरप्राइज़ सरप्राइज़ चिल्लाते हुए मुझे सब घेर चुके थे.. उन्हे देखकर मेरा पूरा चेहरा ही खिल गया. मै तो अंदर से झूमने लगी थी...


मेरा पूरा खानदान ही यूके और यूरोप घूमने के लिए पहुंचा हुआ था... इस प्रकार के सरप्राइज़ की तो मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... प्राची दीदी ने तो मासी और मौसा तक को नहीं छोड़ा था...


हां लेकिन इतने लोगों को देखकर मै तो यही भुल गई की मैंने पहना क्या हुआ है.. रूपा भाभी मुझे टोकती हुई कहने लगी... "बड़ी प्यारी लग रही है इन कपड़ों में".. धत तेरे की, मुझे याद ही नहीं रहा कि मै क्या पहनकर गई थी..


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हुआ कुछ ऐसा था कि एक दिन मै मॉल में थी और काले रंग की एक प्यारी सी ड्रेस मुझे पसंद आ गई... बॉडी मे तो मस्त फिटिंग थी और पहनने के बाद उसमें खूबसूरत भी दिख रही थी, किन्तु वो मेरे घुटने से 6 इंच ऊपर थी जिसमे मेरे लगभग पाऊं दिख रहे थे..


मैंने तो वो ड्रेस छोड़ दी थी, लेकिन प्राची दीदी के कानो तक ये बात पहुंच गई और वो ना सिर्फ ड्रेस उठा ली, बल्कि मेरे लिए उसी से मैचिंग बूट भी उठा ली… आज सुबह जब मै तैयार हो रही थी, तब उन्होंने मुझे ये ड्रेस पकड़ा दी..


मै दौड़कर भागी अपने कमरे में और जल्दी से सूट पहनकर वापस लौटी.. सब मुझे देखकर हंस रहे थे और मै शर्म से गड़ी जा रही थी, और जाकर अपनी मां से सिमट गई..


पीछे से मासी मेरे बाल पर हाथ फेरती हुई कहने लगी… "अच्छी तो लग रही थी वो ड्रेस, तू भी ना कितना शर्माती है"…


"सीखो मां सीखो, बेटी को कैसे लाड़ प्यार से रखते है, एक तुम हो"… प्राची दीदी ने आंटी पर व्यंग किया...


मां:- बहन जी आपने प्राची को चप्पल इलाज कभी दिया है क्या...


मां जैसे है ये बात बोली मै उनके पास से हटकर... "नकुल चल मुझे कुछ शॉपिंग करनी है"…


आशा भाभी:- हां जा कर ले भरत मिलाप.. सुन रे लड़के गांव की एक भी बात मेनका को पता चली तो या तो तू रहेगा गांव में या मै...


"तू क्या अपनी मां को सुनने में लग गया, चल अभी चलते हैं..."… मै नकुल को खींचकर बाहर ले आयी और हम दोनों आराम से एक पार्क में बैठ गए...

ab yeh photo mein koun hai :mad:
Khair joh bhi hai, ish photo wali ki bhi aisi ki taisi :buttkick:
kya baat hai puri family aa gayi hai usse milne.. waise itne dino baad family se milne ki khushi bayan nahi ki jaa sakti..


नकुल:- कैसी है..


मै:- सॉरी भाई वो मै तैयारियों में इतना व्यस्त थी कि तू पास भी था तब भी ध्यान नहीं दे पाई.. जानती हूं तुझे अच्छा नहीं लगा होगा.. लेकिन उम्मीद है कि मेरी मजबूरी समझता होगा..


नकुल:- तेरे दूर होने का थोड़ा दर्द तो होता है, लेकिन यही तो जिंदगी है.. जैसे जैसे हम बड़े होते है.. अपने अपने कर्म पथ पर आगे बढ़ते है... छोड़ जाने भी दे. और बाता कैसी है...


मै:- अच्छी हूं, और तू कैसा है.. गांव में सब कैसे है..


नकुल:- मै भी अच्छा और गांव भी अच्छा, बस सब तुझे याद करते हैं।


नकुल कुछ पल ख़ामोश हो गया... मै उसके चेहरे को देखकर उसके चेहरे पर आयी भावना को पढ़ने लगी.… मै उसकी भावना चेहरे से क्या पढूंगी, उसकी डबडबाई आखें सारी कहानी बता रही थी.… "तू रोएगा तो मै दिल्ली से अभी लौट आऊंगी... मत रो ना प्लीज.."


नकुल मेरे आखों के आशु साफ करते... "अब क्या थोड़ा रो भी नहीं सकता?"..


मै:- नाह !! इतना सा भी नहीं रो सकता.. चल चेहरे का जियोग्राफिया ठीक कर...


नकुल, अपने आंसू साफ करके, मुसकुराते हुए... "अभी सही है"…


"हां अब सही है"… मै भी मुस्कुराई..... एक बार जो बात का सिलसिला शुरू हुआ, फिर कब सांझ ढल गई पता भी नहीं चला... हम तो और भी बातें करते लेकिन हमारा पुरा खानदान कहीं छिपकर बैठे थे, अचानक से प्रकट हो गए...


एक मै शरारती, एक नकुल शरारती, लेकिन हम दोनों से भी आज ज्यादा शरारती प्राची दीदी निकल गई.. जैसे ही वो मेरे पास पहुंची मेरे बैग से ब्लूटूथ माईक निकालकर मेरे हाथ में रख दी...


मेरा तो मुंह खुला रहा गया... "अांह ! जी तो कर रहा है कि आपका खून कर दूं दीदी... ये आपने अच्छा नहीं किया है"…


तकरीबन 3 घंटे से ऊपर हम बात कर रहे थे, जिसमे पहले खुद की, फिर लोगों की, कुछ गांव की और अंत में नकुल से कह दी की मां की इक्छा थी, कि उनके बेटे सीए करे.. बचपन में कई बार सुनी थी.. दुर्भाग्यवश दोनो भैया पापा की सुने, लेकिन मै तो अपनी मां की बेटी हूं ना.. बस जिस दिन सीए मेनका मिश्रा कहलाने लगुंगी, तब अपने मां की हंसी देखूंगी... बस इसलिए सबसे दूर हुं, 4-5 साल और..


बातों के दौरान मैंने नकुल से यह भी कह दिया कि शादी के लिए तबतक लड़का ढूंढ कर रख, जो 5 किलोमीटर से ज्यादा दूर का ना हो... मै नौकरी करने के लिए थोड़े ना सीए कर रही...


सब बातें सबने सुन लिया... मै नहीं चाहती थी कि नकुल के अलावा कोई ये जाने की मै पागल क्यों हूं सीए के लिए... बहरहाल अब क्या ही कर सकते थे, जो होना था सो तो हो गया..


11 लोग मेरे घर के, सभी बच्चो को मिलाकर, 4 लोग मासी के यहां के मैक्स और गौरी को मिलाकर और 3 लोग प्राची दीदी... कुल 18 लोग थे जो अगली सुबह लंदन के लिए उड़ान भर चुके थे.. वूहू…
Bechara nakul... woh bhi kya kare.. yehi toh hai jindagi...
dono ki bis ki baatein aise ki do school best friends mile ho saalo baad...
ab yeh kya hai inki baatein us haaraman Prachi ne suna di Bluetooth se :mad:
are privacy naam ki chij hai ki nahi... kamini tharki iski toh aisi ki taisi :chop:
are kya baat hai puri family chali videsh..
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 
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DARK WOLFKING

Supreme
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अध्याय 18 भाग:- 1





एयर इंडिया की ब्रिटेन जाने वाली फ्लाइट बिहारियो ने हाईजेक कर रखी थी... सबसे ज्यादा फनी था मेरी मासी का एक्सप्रेशन.. बेचारी..


वैसे तो मेरे पापा के सामने उनकी कभी हिम्मत नहीं हुई थी कि मौसा को पीने से मना कर दे, लेकिन आज तो दिन मे ही दारू चल रही थी... वो भी उन्हीं के आखों के सामने.. मासी ने आज तो पापा को भी रखकर सुना दिया. राजवीर अंकल "साली-साली" बोलकर थोड़े मजाकिया क्या हुए, मासी उन्हे कुछ सुनाई तो नहीं, लेकिन उफ्फ वो गुस्से वाली उनकी लुक.…


हर 10 मिनट पर एयर होस्टेज "मैम मैम" करती आ रही थी और उनको अपने जगह पर बिठाकर शांत रहने की विनती करती... कुछ शोफेस्टिकेटेड यात्री हमे हीन नजर से देख रहे थे, तो वहीं कई ऐसे विदेशी यात्री थे जिन्होंने ये फैमिली ड्रामा एन्जॉय किया...


हम लंदन एयरपोर्ट पर लैंड किए.. हर्ष वहां हमारा पहले से इंतजार कर रहा था.. एक बड़ी सी वैन मे हर कोई सवार होकर रिजॉर्ट के लिए निकल लिए...


थीम रिजॉर्ट मे हमारा कारवां पहुंचा... काफी खूबसूरत रिजॉर्ट था, लड़के की बुकिंग देखकर मै काफी इंप्रेस थी.. कपल बूढ़े अलग सेक्शन मे थे.. कपल जवान चूंकि एक दूसरे से परहेज़ वाले थे, इसलिए उनको थोड़ा दूर-दूर वाला अलग-अलग कमरा और उनके कमरे के साथ एक छोटा कमरा भी अटैच था जहां बच्चों को सुलाया जा सकता था...


और हम जवानों का अपना कमरा, एक पूरे लाइन से.. हां बस मेरा कमरा जो था वो सीधे एक लाइन में ना होकर, एक पैसेज खत्म होने के बाद, लेफ्ट पैसेज से जहां कमरा शुरू होता है, उस ओर था...


मय 9, 2013 ब्रिटेन में पहला दिन... तकरीबन शाम के 7 बजे...


रिजॉर्ट के हॉल में इंडियन ऑर्गनाइजर को बुलाकर गेम का आयोजन किया गया था.. मै भी वहीं जाने के लिए तैयार हो रही थी... तभी दरवाजे पर आहट हुई और मैंने जैसे ही दरवाजा खोला सामने हर्ष था.. "जी हर्ष सर कहिए कैसे याद किया"..


उसने अपनी चोर नजरो से एक झलक मेरे रूप को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारने के बाद... "तुमसे कुछ बात करनी थी, फ्री हो क्या"


मै:- अमम्म ! रुको मै अपने पीए को बुलाकर आज की अपॉइंटमेंट चेक करती हूं..


हर्ष:- वेरी फनी … हाहाहा... इधर आओ अंदर तुम पहले..


"अरे अरे अरे.. ये क्या कर रहे हो"…. हर्ष दरवाजे से हाथ पकड़कर मुझे अंदर बिस्तर तक लेकर चला आया, और प्रतिक्रिया मे में सिकायती नज़रों से देखती उससे कहने लगी..


हर्ष:- 2 मिनट तुम आराम से बिस्तर पर बैठो और पहले मुझे कहने दो..


मै:- हां हां कहो, मै सुन भी रही हूं और घड़ी के 2 मिनट भी चेक कर रही..


टिक टिक टिक टिक टिक.. हम दोनों के बीच पीन ड्रॉप साइलेंट, 2 मिनट ऐसे ही खामोशी मे बीत गए.. हां लेकिन पीछे से उसके कांपते पाऊं मुझे यह एहसास करवा रहा था कि वो कितना नर्वस है...


मै:- 2 मिनट हो गए हर्ष मै जा रही हूं वरना नकुल यहां आता है होगा...


हर्ष:- जहरीला नाग कहीं का...


बहुत ही उसने धीमे कहा था, लेकिन उसे क्या पता था कि मै उसके ठीक पीछे खड़ी थी. अपनी बात कहकर जैसे ही वो मेरी ओर मुड़ा... "तुम्हारे जगह कोइ दूसरा होता ना तो मै उसका अभी इलाज कर देती"…. "अरे मेनका, सॉरी, सुनो तो, प्लीज"…. मै अपनी बात कहकर मूड गई और आगे से हंसती हुई बिना मुड़े चल दी..


इस कहानी का सृजन मार्च 2012 मे हुआ था जब हर्ष 2 साल बाद घर लौटा था.. मै, राजवीर अंकल और पापा के बहुत से छोटे-छोटे कामों में हेल्प कर दिया करती थी, उसी दौरान कुछ मुलाकात हर्ष के साथ हुई थी..


उसकी बेकरारी मुझे एहसास करवा चुकी थी कि वो बार-बार मेरे करीब रहने की कोशिश कर रहा है.. मुझसे बात करने की कोशिश कर रहा है.. लेकिन उस दौरान हर्ष को कभी वक्त नहीं मिल पाया और मै जब भी उसका अफ़सोस भरा चेहरा देखती, मुझे बड़ा प्यारा लगता था..


उसके लंदन जाने बाद, बीच-बीच में हमारी फोन पर बात होती और जब भी 2,3 मिनट से ज्यादा हर्ष लाइन पर रहता, मै नकुल के कॉल का बहाना या फिर नकुल ही आ गया है मै बाद मे बात करती हूं, ऐसा कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया करती थी... आज भी बेचारे का वैसा ही अफ़सोस से भरा चेहरा था.. ऊपर से नकुल फिर बीच मे आ गया.. मै हंसती हुई आगे चल रही थी और वो मायूस होकर मेरे पीछे आ रहा था...


नकुल को बुरा कहा उसने, इस बात को लेकर मै 1,2 दिन तक हर्ष से दूरी ही बनाकर रखी.. वो अलग बात है कि वो पूरी कोशिश करता मेरे पास होने की, लेकिन मै भी पूरी कोशिश करती उस वक्त कोई ना कोई मेरे पास हो... उफ्फ उसका वो परेशान चेहरा... हिहीहिहिहि.. मै बता नहीं सकती की कितना क्यूट लगता था..


11 मय, 2013.. हम एक हफ्ते की टूर पर थे, इटली के कुछ जगह, फ्रांस के कुछ जगह, स्विट्ज़रलैंड की कुछ जगह और फाइनली वापस आकर ब्रिटेन जितने दिनों तक घूम सके..


हम सब वेनिस, इटली में थे.. इस फ्लोटिंग सहर को नाव में घूमना था.. हमारे टूर गाइड ने सब पहले से कॉर्डिनेट कर रखा था.. हम सब अलग-अलग नाव में सवार होकर सहर घूमने निकले, और सभी नाविक को पहले से बता दिया गया था कि कितने बजे सबको एक ही जगह उतारना है... ये अच्छा था.


सभी लोग नाव में सवार होकर अलग-अलग रास्तों से घूमने निकले. अब हर्ष की प्लांनिंग थी या उसकी किस्मत, आखरी के नाव पर जाने के लिए मै और हर्ष बचे हुए थे.. और हर्ष के चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि वो कितना खुश है…


मै उसके चेहरे की भावना को देखकर हंस रही थी और वो बेचारा मेरी हंसी देखकर ऐसे शर्मा जाता की मुझे और भी जोर से हंसी आ जाती... "क्या हर्ष सर बड़ा ही क्यूट सा एक्सप्रेशन दे रहे है, लगता है कुछ सिद्दात से चाहा था वो पुरा हो गया"… मै नाव में कदम बढ़ाती हुई हर्ष के छेड़ दी..


हर्ष:- हां कुछ-कुछ ऐसा ही है मेनका...


नाव अभी आगे बढ़ने ही वाली थी कि तभी मैंने नाव वाले को रुकने के लिए कह दिया. गौरी लगभग भागती हुई हमारे नाव मे चढ़ गई और पानी के 2 घूंट पिती… "शुक्र है तुम्हारा नाव आगे नहीं बढ़ा था, वरना मै इसी स्पॉट पर रह जाती"..


मै सामने हर्ष का छोटा सा चेहरा देखकर खिल खिलाकर हंसती हुई... "ऐसा क्या हो गया गौरी"..


गौरी:- मुझे उस नकुल के साथ चिपका दिया था.. उसे देखकर ही भागी मै...


मै:- पागल कहीं की.. कोई नहीं आ जा सेल्फी लेते है...


गौरी:- ये छायाचित्र तो मोबाइल मे ही कैद रह जाएंगे, आखों से नजरो को कैद करो, उम्र भर दिल में बस जाएंगे...


हर्ष:- क्या बात कही है गौरी... वैसे नकुल और तुम्हारे बीच ऐसा क्या है.. कहीं वो गंदी नजर से तो नहीं देखता...


मेरे हाथ में पानी का बॉटल था, मैंने खींच कर दे मारा. निशाना सीधा हर्ष के माथे का बयां हिस्सा और वो पूरी जगह लाल दिख रही थी... मैंने नाव वाले से कह दिया "किसी भी जगह किनारे कर दो मुझे उतारना है..."


गौरी मेरा हाथ पकड़ कर मेरा गुस्सा शांत करवाती हुई कहने लगी… "मेरी बहना, मेनका दीदी"..


मै:- देख गौरी मेरा पारा अभी चढ़ा हुए है.. प्लीज


नाव वाला नाव को किनारे ले जाने लगा, तभी गौरी उसे साइट विजिट को लेकर चलने के लिए कहती हुई... "अब क्या मुझे भी ये जगह नहीं दिखाओगी, अच्छा रुको पहले इनकी गलतफहमी दूर कर दूं, फिर वो माफी मांगेगा..."


"सुनिए हर्ष जी, वैसे तो आप दिखने में बहुत अच्छे है, प्रेसनलाइटी भी खूब मस्त है, लेकिन मेनका को नकुल के नाम से चिढ़ाकर यदि पटाने की सोच रहे है तो वो आपका ख़ून कर देगी"…


मै अपनी आखें बड़ी करके... "गौरी ये सब क्या है"..


गौरी:- अरे चुप करो जरा बात करने दो... मुझे बच्ची समझना बंद करो, जो समझ ना पाए की ये किस कोशिश में लगे है... और आप सर... यूके में रहकर कोई लड़की से बात करने में इतना शर्माता है क्या?... हर्ष सिंह की जगह हर्ष शर्मा होना चाहिए आपका नाम...


मै:- गौरी तू ज्यादा बकवास करेगी तो मै तुझे पानी में फेक दूंगी, सोच ले..


गौरी:- आज के बाद तुम जैसा कहोगी मै उस हिसाब से तैयार हो जाऊंगी, कभी किसी के गिफ्ट देने पर ऐतराज नहीं करूंगी... अब जरा बात पूरी करने दो..


गौरी की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ा सुकून मिला.. थोड़ी खुश भी थी मै.. उसके इस कमिटमेंट पर तो 7 खून माफ.. वो अपनी बात आगे बढ़ते हुए कहने लगी... "नकुल एक बड़े भाई जैसा है बिल्कुल केयरिंग, जो मुझे बस लोगों के साथ घुलने मिलने के लिए प्रेरित करता है.. उसे भी अच्छा नहीं लगता जब मै बिल्कुल शांत और अकेली रहती हूं.. और बता दूं, मेरी मां और दीदी के बाद केवल नकुल और मेनका ही है जो मुझे समझते है, सो अब मैंने मेंनका को शांत कर दिया है.. जाकर माफी मांगो"…


हर्ष, मेरे करीब बैठते... "तुम मेरी हालात समझते हुए हंस रही थी और मै अंदर से चिढ़ा हुआ था.. कोई गलत इंटेंशन नहीं था, बस तुम्हे चिढ़ाने के लिए बोल दिया.. हां कुछ ज्यादा ही गलत बोल दिया.. बताओ मै क्या करूं जो तुम्हारा गुस्सा शांत हो जाए"..


मै:- इस जगह तुम पहले आ चुके हो..


हर्ष:- हां आ चुका हूं..।


मै:- ठीक है मेरे साथ शॉपिंग पर चलो.. कपड़े ज्वेलरी और पार्लर...


हर्ष, उस नाव वाले को किसी जगह कहा उतारने. वहां उतरकर हम एक डिपार्टमेंटल स्टोर पहुंचे, जहां से मैंने गौरी के लिए 3-4 प्यारी ड्रेस खरीदी... मै तो अंदर से खुश थी..


फिर ज्वेलरी शॉप जाकर उसके लिए पुरा सेट खरीदा.. फाइनली हम ब्यूटीपार्लर मे थे.. मैंने ब्यूटीशियन से बोला हमे जल्दी घूमने निकालना है, बस हल्के मेकअप के बाद इसे तैयार कर देना है...


वो जैसे ही अंदर गई, मै हर्ष से... "हाथ आगे करो".. हर्ष ने जैसे ही अपना हाथ आगे किया.. उसके हाथ में एक प्यारा सा ब्रेसलेट डालती… "तुम्हारे बेतुके मज़ाक ने आज मुझे बहुत ज्यादा खुश कर दिया है... गौरी मेरे कहे अनुसार कपड़े पहन रही, मेकअप कर रही, ऐसा लग रहा है मै कोई सपना देख रही.. लेकिन सच सच बताओ, बस मुझे चिढ़ाने के लिए बोले थे ना, अंदर कुछ बात तो नहीं"..


हर्ष:- कान पकड़कर उठक बैठक लगाते हुए ये बात कहूं की बस चिढ़ाने के लिए तुमसे कहा था.. और हां अंदर से तो थोड़ा सा चिढ़ा ही रहता हूं उससे, क्योंकि ये नकुल तो मेरे जिंदगी मे सनी बाना हुआ है...


मै:- शक्ल मत दिखना आज तुम अपनी हर्ष, कुत्ते की दुम हो सुधर नहीं सकते... नकुल पसंद नहीं इसका मतलब मै भी उस इंसान को पसंद नहीं.. तुम यहां से जा रहे हो या गौरी को लेकर मै जाऊं...


बेचारा मुझे लाख मनाते रह गया लेकिन मै मानी नहीं और एक ही बात कह दी.. नो शक्ल दिखाना, मतलब नो शक्ल दिखाना... वो वहां से मुंह लटकाकर चला गया और मै अंदर ही अंदर हंसती हुई… "आव बेचारा"…


कुछ देर बाद गौरी बाहर आयी.. मै बता नहीं सकती की वो कितनी प्यारी लग रही थी... उसके आते ही मैंने पार्लर से काजल मांगकर उसे काला टिका लगाते हुए कहने लगी... "तुझे हमारे ही घर के लोगों की ही नजर ना लग जाए"..


गौरी:- आखिर-आखिर तक भगा ही दिया बेचारे को..

हम दोनों नाव की ओर चलते हुए... "वो कहने लगा थोड़ी तो चिढ़ है ही नकुल के लिए"..


गौरी:- किसी सच्चे को उसकी सच्चाई के लिए मिली सजा.. निर्दई मेनका मिश्रा..


मै:- अच्छा जी, मतलब मेरे खिलाफ बोला जा रहा है...


गौरी:- मुझे जीजाजी पसंद आए.. और उनका आपके लिए नर्वस होना और भी ज्यादा क्यूट लगा..


मै, गौरी के कान खींचती... "तू इतना आगे कैसे पहुंच गई.. यूरोप आने से सच्चाई नहीं बदलती की हम बिहार के एक छोटे से गांव से है.. एक बार मां बाप को तो मनाया भी जा सकता है, लेकिन इतने रिश्तेदारों और गांव वालों का क्या करूंगी, कोई ना कोई इज्जत मान मर्यादा की ऐसी घुट्टी पिला ही देगा कि.. आगे कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है..."
nice update .to ye 2013 chal raha hai ..
harsh ki kismat kharab hai jo nakul ki buraai karta hai aur menka naaraj ho jaati hai 🤣🤣..
gauri kuch jyada hi jeeja jeeja khel rahi hai menka ke saath 😁😁..
 

DARK WOLFKING

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अध्याय 18 भाग:- 2





गौरी:- मतलब हर्ष बाबू अभी बस अच्छे लगते है.. वो प्यार अभी जागा नहीं ..


मै:- ओय बदमाश.. तू ये लव और आफैर के मैटर मे कब से इंट्रेस्ट ले रही, कहीं तेरा तो कोई चक्कर नहीं..


गौरी:- और यदि चक्कर हो तो..


मै:- नहीं तेरा चक्कर नहीं हो सकता..


गौरी:- और यदि हुआ तो..


"कहीं ना तेरा चक्कर नहीं हो सकता, नो मोर टॉक"…. "अच्छा और यदि मैक्स (मौसेरा भाई) का कोई चक्कर हुआ तो"… "हिहिहिहिहिही... उसका भी नहीं हो सकता"…. "और नकुल का"…


नकुल का नाम सुनकर मै कुछ पल ख़ामोश चलती रही.. गौरी मुझे दोबारा टोकती... "बताओ ना मेनका"…


मै:- तुझसे साल भर बड़ी हूं, कुछ तो शर्म कर..


गौरी:- मैंने तो दोस्त ही माना है शुरू से... मेरी प्यारी दोस्त जिससे मै बहुत कम बात करती हूं, लेकिन फिर भी वो मुझे पुरा समझती है..


मै:- मस्का पॉलिश, तुझमें तो ये गुण कभी नहीं थे.. सीधा-सीधा सवाल पूछने वाली और काम बताने वाली लड़की, इतनी घुमा फिरा कर किस बात की बाउंड्री बांध रही.. सीधे बता..


गौरी:- मुझे हर्ष पसंद है.. वो मुझे सच्चा लगा.. मै चाहती हूं तुम उसके बारे में सोचो..


मै:- दोबारा शुरू हो गई...


गौरी:- हर्ज ही क्या है…


मै:- जबरदस्ती है क्या सोचूं उसके बारे में.. बता तो दी वो अच्छा लगता है..


गौरी:- मुझे ये अच्छा लगने वाला जवाब नहीं चाहिए.. मै चाहती हूं तुम उसे थोड़ा वक्त दो.. एक मौका तो दो..


मै:- मौका देने से कोई दिल में नहीं जगह बनाता बेवकूफ.. ये अग्रीमेंट हुआ… थोड़े वक्त मे खुद व खुद दिल में जगह बनने लगती है... समझी कि नहीं समझी..


गौरी:- पूरी क्लेरिटी के साथ समझाओ...


मै:- मासी के ऊपर तू चिल्लाई है कि नहीं.. जो मुंह मै आया बक देती है ना..


गौरी:- वो तो तुम भी करती हो मासी के साथ.. तुम भी तो उनसे झगड़ा करती हो..


मै:- मै तो अपनी भाभी से भी सीरियस झगड़ा कर लेती हूं, और नकुल से भी.. कभी इन लोगो के बीच रहकर लगा ही नहीं की ये प्यार कुछ अलग से होता है... जिस दिन कुछ ऐसी बात हो जाती है भावनाएं छाती फाड़कर बाहर आती है...


गौरी:- कुछ-कुछ समझ रही... थोड़ा और कहो..


मै:- जैसे कि नीलेश भैया, धूर्त था पता चल गया था, लेकिन जब सुनी की फांसी लग रही है.. गले से खाना नहीं उतरा.. जिसे हम चाहते है उसके लिए कभी अलग से फीलिंग नहीं आती.. बस दिल में जगह बन जाए, वही प्यार है..


गौरी:- तुम यहां थोड़ी सी कंफ्यूज हो.. ये घरवालों के प्यार में और लवर के प्यार में अंतर होता है..


मै:- तुझे कैसे पता..


गौरी:- क्योंकि मैंने देखा है..


मै:- किसे..


गौरी:- दीदी को.. हम उनसे दूर है तो 2-3 दिन मे एक बार बात होती है.. लेकिन जीजाजी से दूर होती है तो किसी ना किसी बहाने दिन में 3-4 बार बात हो जाती है.. इसलिए कही कपल प्यार अलग होता है...


मै:- चल आ जा सेल्फी लेते है.. फिर ऊपर वाले से मनाना की वो मुझे अच्छा ही लगे केवल, ये दिल ने कपल वाला प्यार ना आए..


गौरी:- क्यों, फिर से वही घरवालों की टेंशन हो गई..


मै:- तो क्या ना करूं.. सुन गौरी अगर दिल में किसी के लिए चाहत होगी, तो मै उसे अपनी चाहत दिखा दूंगी.. उसके लिए एक बार तो क्या बार-बार लड़ती भी रहूंगी.. लेकिन भगवान ना करे, यदि मेरी चाहत अधूरी रह जाती है तो उस केस में मुझे सिर्फ एक लड़के को भूलना होगा, लेकिन हर्ष के केस में मुझे पूरे एक परिवार को भूलना होगा, ऊपर से खून खराबा होने के 100 फीसदी चांस है..


गौरी:- हम्मम ! बात पूरी तरह भेजे मे अटक गई... बस एक आखरी सवाल.. क्या होगा जब तुम्हारे दिल में भी हर्ष के लिए चाहत आ गई..


मै:- जय श्री कृष्णा.. फिर लंबे ड्रामे होंगे .. लेकिन जो भी होगा, पीछे नहीं हटूंगी.. अब हैप्पी..


गौरी:- तुम शुरू से मेरी इंस्पिरेशन रही हो.. हर बात मे बहुत क्लेरिटी होती है... लेकिन भूलना मत, जब भी कोई भी ड्रामा होगा किसी के लिए भी.. मै तुम्हारे साथ खड़ी मिलूंगी.. और उस वक्त अपनी काबिलियत दिखाऊंगी..


मै:- तू पहले से बहुत काबिल है.. तभी तो हर सवाल का जवाब दिया, वरना इन मामलों में मै नकुल को भी साझेदार नहीं बनाती…


गौरी:- हां मै जानती हूं.. लेकिन नकुल के बारे में अब तक नहीं बताई... क्या उसका भी कोई चक्कर है..


मै:- मेरे साथ कम वक्त बिता रहा, तब भी नहीं समझी की वो किसी के चक्कर में है और शायद इस बार उसकी चुलबुली जीवन साथी मिल गई है...


गौरी:- हो.. कौन है वो..


मै:- पागल वो मुझे आकर अपनी प्रेम कहानी बताएगा.. तू भी ना.. जब शादी की बात फाइनल करनी होगी, और लड़की इंटर कास्ट कहीं निकली, तब आएगा मेरे पास..


गौरी:- तो चलो ना पता लगाते है..


मै:- घूमने भी देगी की नहीं.. करमचंद की नानी बनने पर तुली है... वो अपने जिंदगी के सही राह पर है.. काम और काम के बाद एक प्यारी सी गर्लफ्रेंड…


काफी लंबी चली बातचीत के दौरान बहुत सी दिल की बातें मै गौरी से साझा कर गई.. करती भी क्यों ना.. एक तो भरोसा की वो किसी के पास इसे चर्चा तक नहीं करेगी ऊपर से मेरी बहन दिल खोलकर बातें कर रही थी.. हां बस बेचारे हर्ष को आज भी निराशा हाथ लगी...


मिलान और रोम घूमकर हम पहुंचे दूसरे खूबसूरत डेस्टिनेशन जेनेवा, स्विटजरलैंड... क्या हसीन वादियां और बर्फीली जगह थी, और यहां के प्यारे मनमोहक दृश्य को देखकर हर प्यार करने वाला रोमांस की अलग दुनिया में ही खो जाए...


14, मय, 2013… इस जगह का पर एक दिन बीतने के बाद सबका यही मानना था कि यहां कम से कम हमे 1 हफ्ते बिताना चाहिए, फिर जीवन में कभी ऐसा दूसरा मौका मिले की ना मिले...


ऐसा मेरे महेश भैया बोल गए जो काफी सीधे है, यकीन यहां के मौसम का असर था या उनकी बीवी सोभा का, वो पता नहीं... हिहिहिहिहिही.. जो भी हो बाकियों का भी वही मन था फिर हमे कोई ऐतराज भी नहीं, क्योंकि जीवन में यूरोप घूमने का फिर मौके मिल ही जाएंगे...


दिन के समय मै अकेली थी, अपने कमरे में.. सब लोगो बर्फबारी करने निकले थे और मेरे पाऊं मे इतना दर्द मेहसूस हो रहा था कि, मै गोली लेकर आराम कर रही थी.. झटके से मैंने अपना पाऊं खींचा, जब यह एहसास हुआ कि कोई मेरे ऐड़ियों को अपने हाथ में थामे है... जैसे ही उठकर बैठी तो सामने हर्ष था..


हर्ष:- लेटी रहो, भारी बूट पहनकर तुम्हे घूमने की आदत नहीं है इसलिए दर्द हुआ है..


मै:- हर्ष प्लीज, मत हाथ लगाओ पाऊं को..


हर्ष:- कहा ना लेट जाओ, ये बस ट्रीटमेंट का हिस्सा है..


मै:- क्या तुम एक फिजियोथेरपिस्ट हो..


हर्ष:- नहीं मेम साहब हड्डियों का डॉक्टर हूं.. इसलिए ना चाहते हुए भी लोगों के हाथ, पाऊं, कमर, रीढ़, गर्दन सब पकड़ना परता है..


मै:- तब भी हर्ष, मुझे बहुत अजीब लगेगा.. वैसे भी मेडिसिन तो तुम्हारी ही दी हुई है... मै ठीक हूं अभी..


मै मुस्कुराती हुई उससे बात कर रही थी और वो बड़े ध्यान से मेरा चेहरा देख रहा था... पता नहीं क्यों उसका यूं देखना मेरी श्वांस को असमान्य कर रहा था.. "हर्ष, ऐसे ध्यान से क्या देखने लगे"…


हर्ष:- तुम्हारा मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर तो खडूस से खडूस इंसान भी पिघल जाए.. आज समझ में आ रहा है कि कैसे तुमने मेरी खडूस बहन और मेरे बैल बुद्धि बाप को पिघला दी..


मै:- तुम्हे फिर झगड़ा करना है मुझसे..


हर्ष:- अरे यार किसी की तो बुराई करने दो..


मै:- आंटी (हर्ष की मां) की बुराई कर दो.. मै बिल्कुल बुरा नहीं मानूंगी... हिहिहीहिहि


हर्ष:- 2 लोगों में बुराई ढूंढने से भी नहीं मिल सकती.. एक मेरी मां दूसरी तुम..


मै:- पटाने की कोशिश हां.. वो भी मीठी मीठी बातों से.. डॉक्टर साहब यहां तो वैसे भी 8-10 गोरी मेम आपके पीछे होगी, फिर भी मुझ जैसी लड़की के पीछे पड़े हो..


हर्ष:- कोई भी गोरी मेम, या देसी मेम, अपनी मां की वो बेटी नहीं होगी, जिसका ये सपना नहीं की कोई हायर प्रोफेशनल डिग्री, वो भी दुनिया के सबसे टफ एग्जाम्स मे से एक.. वो केवल इसलिए कर रही हो, क्योंकि उसकी मां की ख्वाइश है.. बल्कि वो मां की बेटियां केवल खुद को प्रूफ करने के लिए, और एक मुकाम हासिल करने के लिए करती है..


मै:- ओह तो सर चुपके से जो मेरी बातें सुन लिए अब उसे सॉफ्ट कॉर्नर के तौर पर इस्तमाल कर रहे.. ताकि मै ये सोच लूं की तुम मेरे विचार से काफी प्रभावित हुए.. कितने अच्छे हो..


हर्ष:- ऑफ़ ओ तुम तो हर बात को तोड़ मोड़ देती हो.. मेरी हर बात तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि तुम्हे इंप्रेस करने के किए किया गया है..


मै:- क्या तुम मुझे इंप्रेस करने की कोशिश नहीं कर रहे.. सिर्फ हां या ना..


हर्ष:- वो तो..


मै:- हां या ना..


हर्ष छोटा सा मुंह बनाते... "हां"..


मै:- तो मै हर बात को उससे क्यों ना लिंक करूं..


हर्ष:- ठीक है बिना इंप्रेस करने वाली बात बताता हूं..


मै:- काफी एक्साइटेड हूं सुनने के लिए..


हर्ष:- तुम्हारे इस एक्सप्रेशन पर जी तो करता है सर तोड़ दूं, कठोर दिल... परसो से तुम्हे इंप्रेस करने वाला कोई नहीं होगा क्योंकि मै इंडिया जा रहा हूं.. ऑर्थो कॉन्फ्रेंस में..


मै:- कमाल है हमारे यहां के डॉक्टर कंपनी के खर्चे से विदेश आते है कॉन्फ्रेंस करने.. अरे जेनेवा कॉन्फ्रेंस में तो बापू तक को यहां आना पड़ा था और तुम इंडिया जा रहे..


हर्ष:- नालंदा विशवविद्यालय मे पूरे विदेश के लोग आते थे उसका भी तो कहो... भले हमारे यहां के इंस्टीट्यूट को विश्व स्तर पर काफी पीछे मना जाता है.. लेकिन इंडियन डॉक्टर्स आज भी बेस्ट है.. उनके अनुभव और किताबों से ऊपर के ज्ञान का कोई जोड़ा नहीं..


मै:- इसलिए तुम ऑक्सफोर्ड मे आ गए..


हर्ष:- यहां भी तुम्हे नुष्ख ही निकालना है.. एम्स में जगह नहीं मिली, और ऑक्सफोर्ड मे एडमिशन मिल गया.. अब इसे क्या कहोगी.. इसलिए यहां चला आया.. नेक्स्ट ईयर मार्च तक यहां का सारा कहानी खत्म..


मै:- उसके बाद..


हर्ष:- इंडियन मेडिकल काउंसिल मे अप्लाई करूंगा.. और क्या...


मै:- ठीक है लेकिन मै अपने इलाज का फीस नहीं दूंगी..


हर्ष:- हाहाहाहाहा.. पागल..


"सो तो मै हूं"… हल्की सी हंसती मै अपनी बात कही.. एक बार फिर से हर्ष मेरे चेहरे को निहारने लगा.. एक बार फिर मेरी श्वांस असमान्य होने लगी...


तभी हर्ष मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर... "लंदन में ये मेरा पांचवा साल है, 22 साल उम्र हो रही है और मै अपने मेडिकल स्कूल का प्रचलित लड़का होने के बावजूद भी आज तक कभी किसी लड़की मे इंट्रेस्ट नहीं ली… बात तो सबसे अच्छे से होती रही, लेकिन कभी मेरा दिल किसी के लिए नहीं धड़का.. और तुम्हारे अलावा ये किसी और के लिए धड़क भी नहीं सकता... आई लव यू.."


मै भी थोड़ी संजीदा हो गई.. हर्ष के हाथों को थामकर उसकी आंखों में देखती हुई धीमे से कही.. "पूरे बायो डेटा के साथ ये भी सफाई दे रहे की 5 साल से तुमने किसी गोरी मेम को नहीं देखा हर्ष.. और ये दिल सिर्फ मेरे लिए धड़का है.. ये लव परपोज था या बायोडेटा... हिहिहिहि"..


हर्ष अपना हाथ छुड़ाकर... "अच्छे खासे इमोशन का कचरा कर दिया.. जा रहा हूं बाय"..


हिहिहिहिही... क्या झुंझलाकर गया हर्ष.. देखने लायक था... मगर… मेरे दिल में भी थोड़ी-थोड़ी गुदगुदी हो रही थी.. और अंदर से कुछ मीठा-मीठा एहसास...


शाम के तकरीबन 8 बज रहे थे... और ऐसा हुआ कि दिन में जो केवल एक बार हर्ष आया था, उसके पहले सब लोग घूमने निकले और अब तक कोई मेरा हाल तक पूछने नहीं आया...


अपने आप में ये घोर आश्चर्य हो गया.. तभी होटल का एक स्टाफ पहुंचा और मुझे सूचना देकर गया कि 10 मिनट में हॉल में फैमिली पार्टी शुरू होगी, तैयार होकर पहुंचने.. मै थोड़ी सोच मे पर गई की आखिर सबने मिलकर क्या गुल खिलाया होगा..


फिर अगले पल सोची.. अब तो जा ही रही हूं देखने, ये भी देख लेते हैं कि क्या सरप्राइज़ रखा गया है.. मै ड्रेस चेंज करके, चेहरे पर थोड़ा साबुन, पानी और क्रीम मारकर देखने निकली की चल क्या रहा है...


मैने जैसे ही हॉल का दरवाजा खोला, पुरा अंधेरा और एक स्पॉट लाइट मेरे ऊपर फोकस हो गई.. उसी बीच तालियों कि जोर की गरगराहट सुनाई देने लगी... वो स्पॉट लाइट आगे के ओर हल्का बढ़ा.. मेरे लिए ये इशारा था और मै स्पॉट लाइट के साथ बढ़ने लगी..
nice update ..gauri ko bahut saari baate batayi menka ne ..par ye harsh se shadi karne par khoon kharabe ka chance kaise hoga 🤔🤔..
aur ye harsh ne to pura bio data bata diya menka ko ..par uski daal nahi gali 😁..
 

nain11ster

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Kya baat hai yeh ravi ka bacha to ghar tak aa gaya...
uri baba phone number bhi de woh bhi permanent wali... lagta hai kuch toh hone ko hai


:lol: matlab barun ka mujra pakka hai :D
waise yeh sach hai bhabhiya aise waqt par kaafi khatarnak ho jaati hai.. inse dur hi rahe toh menka liye achha hai


:lol: so readers ki baat na sunke apni mann marji ko chalane ko taiyar nain11ster the superstar... :D
ab chahe sar fute ya deewar, menka first encounter ravi ke sath karake hi manenge writer sahab... :D
well... let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:

Matlab kya krun boy ke badle life me lifeboy sabun hi de dun kya... Ghar tak aa gaya aane dijiye ignore mariye aur aise kahiye.... Wow kitne cute hai Ravi aur Menka :D

Varun Mishra sagird of Roopa Mishra... Uski to band bajni tay hai.. shayad baj bhi gayi ho aage milega...

Hehe menka ne 100 sex encounter nahi likh raha mem sahab himmat nahi itna likhne ki ... Baki khani abhi baki hai mere dost :D
 
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