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Thriller100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)
"इट्स पार्टी टाइम … वूहू…" पुराने बराती तो मुंह छिपाकर उसी वक्त निकल लिए, जब नीलेश की जुलुश निकली. रुककर वो लोग भी अपनी इज्जत थोड़े ना उतरवाते...
संगीता के रिश्तेदार इस मंथन मे की लड़के का पता पहले नहीं लगा सकती थी, फिर आशा भाभी (नकुल की मां) को सुनाने लगे... कैसे तुम्हारे फरिक है, और कैसे संस्कार..
वो डिपार्टमेंट फिर संगीता के मम्मी और पापा ने संभाला और कहने लगे की... "शादी अभी टली नहीं है बल्कि असली बारात तो अभी आना बाकी है"… फिर आपस में जो भी ये लोग करे, इधर तो सामने से मिथलेश अपने कुछ रिश्तेदार और दोस्तों के साथ विवाह भवन में ग्रैंड एंट्री मार चुका था.…
देखते ही देखते वहां काम करने वाले वेटर ने पूरे मैदान से कुर्सियां हटाकर केवल आगे के 100 कुर्सियां रहने दिया... मुख्य द्वार से जैसे ही मिथलेश का कारवां जयमाला ग्राउंड तक पहुंचा... बूम बूम बूम... अंडरटेकर के एंट्री जैसे लाइट बुझाकर, रास्ते के दोनो किनारे से आतिश बाजी होने लगी और बिल्कुल उसी के कॉमेंटेटर कि टोन मे अनाउंस होना शुरू हुआ... "हेयर कम्स दि ओरिजनल सोलमेट ऑफ़ संगीता.. दि वन हंड्रेड एंड फिफ्टी फाइव पाउंड... मिस्टर मिथलेश प्रसाद सिन्हा".. (here comes the original soulmate of sangeeta.… The hundred and fifty five pound, mr. Mithlesh Prasad Sinha"….
ओह माइ गॉड ये क्या था, किसने प्लान किया था, हमारी तो हंसी ही नहीं रुक रही थी… तभी म्यूज़िक लाउड हुई... डीजे ने ओपनिंग साउंड बजाय.… "आँखों से छु लूं के बाहें तरसती हैं, दिल ने पुकारा है हाँ, अब तो चले आओ। आओ कि शबनम की बूँदें बरसती हैं, मौसम इशारा है हाँ, अब तो चले आओ"….
ये जब बजना शुरू हुआ, तभी बीच मैदान में केवल मिथलेश खड़ा था... जो हाथ संगीता के ओर उठा दिया, और संगीता भी मुस्कुराती हुई उसकी ओर चल दी.… दोनो कुछ कदम चलकर साथ हुए और तभी ओपनिंग लाइन खत्म होते ही चार बार कान फाड़ साउंड... "नचले, नचले.. आजा नचले".. 4 बार इन शब्दों को रिपीट करने के बाद, पुरा ही अंतरा चलाया... "आजा नचले नचले मेरे यार तू नचले" सोंग का...
उफ्फफ दूल्हा-दुल्हन साथ में क्या डांस कर रहे थे... हाय कितने प्यारे लग रहे थे... अरमान जागने लगे कि... "क्या कोई मुझे भी इतना चाहने वाले मिलेगा"…
मै संगीता और मिथलेश को देखकर कहीं खो सी गई थी, इतने में ही मिथलेश ने मेरा हाथ पकड़कर खींच लिया और मै बीच में.. और जब होश आया तो देखी यहां के फ्लोर पर तो मुझे और नकुल को केवल अकेला छोड़ा गया था.. बाकी सब हमे देख रहे थे...
नकुल की देखकर मै हंसी और कहने लगी भाई फिर बाजवा दे.. उसने भी कान फाड़ आवाज जी सिटी बजाई, और कहने लगा.. बजाओ रे… "देखा ना हाए रे, सोचा ना हाय रे".. और हम दोनों एक-एक हाथ का स्टेप लेते, डांस भी कर रहे थे और ठुमके भी लगा रहे थे...
कुछ देर बाद तो मुझे प्राची दीदी के भी नए गुण का पता चला, हम दोनों को नाचते देख वो इतनी जोर से हूटिंग करके सिटी बजाई की बाकियों की सिटी और हूटिंग एक तरफ और प्राची दीदी सब पर भारी…
मै और नकुल उनको देखकर हसने लगे और उन्हे भी खींच लिया... तुरंत ही म्यूज़िक बदला, वहां भीड़ में लोग नाचना शुरू कर दिए. हर कोई नाच रहा था लेकिन फ्लोर पर आग तो बंगलौर वालियों ने ही लगा रखा था..
वो जिसके साथ भी नाच रही थी, इतना चिपक के नाच रही थी कि दूसरे खड़े लड़के उन्हे देखकर बस यही सोच रहे थे... "उफ्फ मेरा नंबर कब आएगा".. उन्हीं में एक नाचने वाले कपल नकुल और ऋतु भी थे, लेकिन अब मैंने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया क्योंकि, थोड़ा खुश होने का हक़ तो उसे भी था... कौन सा दोनो कुछ ऐसी हरकत कर रहे थे जिसमे शर्म की बात हो...
बहरहाल मै और संगीता केवल ठुमके ही लगा रहे थे.. प्राची दीदी मिथलेश के साथ थोड़ा नाच रही थी.. इतने में डांस करते हुए मेरे पास खड़े एक लड़के ने मेरी कमर के किनारे को, अपने पंजे से दबोचकर छोड़ा…
मै पूरी तरह से सकपका गई, और किनारे होकर उसे घूरने लगी... अजीब सी कुत्ते वाली हसी थी और वैसा ही चेहरा.. मै गुस्से में उसे देखकर वापस से अपना ध्यान संगीता के साथ नाचने मे लगाई, लेकिन इस बार मैंने जगह बदल ली..
लेकिन ये लड़का तो बहुत बड़ा वला केस था, मै दूसरी ओर हुई तो वो दूसरे किनारे होकर अपना पूरा हाथ मेरे पीछे, कमर के नीचे से फेर दिया.... नकुल के पास एक छोटी सी कॉलर माईक थी, तुरंत उसने म्यूज़िक बंद करवाया और संगीता दीदी को घूरते हुए कहने लगा... साढ़े 11 बज गए है, पूरी रात पागल की तरह नाचना ही है क्या?"
लोग वहां से निकलकर अपनी-अपनी जगह लिए और संगीता, अपना मेकअप और कपड़े ठीक करने दुल्हन के कमरे में चली गई.. मै और प्राची दीदी आगे जा रहे थे तभी मुझे सुनाई दिया...
"सुन भाई, ये टच-वच जो तू कर रहा था गलत है, ऐसा दोबारा मत करना, शादी मे आया है तो सरीफों की तरह रह"
लड़का:- इतनी खुसबसरत और मस्त लड़की के लिए तो एक बार जान भी चली जाए तो गम नहीं.. उसका तू भाई है क्या? यदि हां, तो अपना पता बताओ मै रिश्ते की बात लेकर आऊंगा..
नकुल जोड़ से हंसा, इतनी तेज की हम दोनों (मै और प्राची दीदी) भी साफ सुन रहे थे... फिर नकुल उसके गाल को थपथपाते... "मुझे तू जरा भी अच्छा नहीं लगा, रिश्ते की बात भुल जा और जो समझाया वो याद रख"..
"ये दोनो किस लड़की की बात कर रहे है".. प्राची दीदी ने पूछा… "मेरी बात कर रहे हैं दीदी, नाचते वक्त मेरे कमर और पिछे हाथ साफ किया था इसने, शायद नकुल ने देख लिया होगा".. "बुला ले उसे कहीं झगड़ा ना कर ले"…. "वो तो झगड़ा नहीं ही करेगा दीदी, लेकिन उस लड़के की इक्छा होगी तो वो जरूर मार खा कर ही मानेगा"…
उधर वो लड़का नकुल को जवाब दिया.… "तेरे पसंद ना आने से घंटा होगा, वहीं तेरी बहन खड़ी है उससे पूछ ले"…
नकुल:- देख भाई, मै आराम से समझा रहा हूं और तू जाने के बदले बकवास कर रहा है... मै ही जाता हूं, और ध्यान रहे दोबारा नोटिस मे मत आना..
नकुल अपनी बात कहकर जैसे ही हमारे ओर पलटा... "नोटिस मे तो आज से आऊंगा ही तेरे, साले.. होने वाले जीजा को नोटिस नहीं करोगे"…
"ये साले कुत्ते की दुम ऐसे नहीं मानने वाला"… मै खुद से कही और आस पास देखने लगी…. "अरे ऐसे क्या ढूंढ रही है तू"…
प्राची दीदी ने जैसे ही यह बात मुझसे पूछी, नकुल दौर लगा दिया... "प्राची इसे पकड़ो, वरना उसका सर फोड़ देगी"… आप सोच रहे है की क्या हुआ..
दरअसल नकुल पूरे माहौल का जायजा पहले लेता है.. बारात, भिड़ और नाच.. लड़के थोड़े उद्वंड हो जाते है.. उसकी कोशिश रहती है, एक बार वार्निग देकर छोड़ दो.. ठीक उसके विपरीत मै.. कट लो वहां से और ज्यादा ढितपनी दिखाए तो हाऊंक दो डंडा, और मै वही डंडा ढूंढ रही थी...
नकुल मेरा हाथ पकड़ कर खिंचते हुए... "बस भी कर, अभी-अभी तो यहां इतना बड़ा कांड हुआ है, जाने दे समझा दिया है. वैसे भी तेरे से शादी की बात कर रहा था, अब रिश्ते की बात करने वालों को मारते थोड़े ना है"..
मै:- चुपकर गांधी जी.. पहले उसका नाक तोड़ने दे तब सुकून मिलेगा मुझे... एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी... शादी करेगा मुझसे... हरामजादा कहीं का...
प्राची:- बस भी कर इतना गुस्सा अच्छा नहीं..
मै गहरी श्वांस खींचती... "ठीक है छोड़ो मुझे, अब मै शांत हूं"…
नकुल ने मेरा हाथ छोड़ा, कुछ दूर तक हम शांत चल रहे थे. गुस्से से मै अभी भी हल्का तेज-तेज श्वांस खींच रही थी. तभी अचानक से मेरे दिमाग में कुछ बात स्ट्राइक की... "मुझे अभी दोनो से बात करनी है, नहीं नकुल से केवल..."
प्राची दीदी... "तो मै जाऊं क्या यहां से"..
मै:- नहीं तुम भी रुको दीदी, दोनो को साथ खड़े करके पूछने वाली बात है... तू ये बता, जब तू मुझे पकड़ने के लिए बोल रहा था तो क्या बोला?
नकुल:- मेनका को पकड़ो…
मै:- नाना उससे पहले क्या बोला था...
नकुल:- उससे पहले तो मै उस लड़के को वार्निग दे रहा था..
मै:- नहीं रे गधे, जब चिल्लाते हुए बोला था तब क्या बोला था...
नकुल:- यही की मेनका को पकड़ो...
मै:- अब लग रहा है तू जाना बूझकर नाटक कर रहा है... तूने कहा कि प्राची मेनका को पकड़ो..
प्राची:- हां तो, हम दोस्त है, मेरे पास भाई भी है और एक प्यारी सी छोटी बहन भी. एक दोस्त की कमी थी वो नकुल ने पूरी कर दी... कोई ऑब्जेक्शन है तुझे...
मै:- बड़ी लड़की से दोस्ती, बड़ी लड़की गर्लफ्रेंड, भतीजे तेरे लिए चिंता हो रही है... किसी आंटी को उठाकर ना ले आना..
प्राची:- हिहिहिहिहि… रेडीमेड बच्चे हो तो और भी ज्यादा अच्छा होगा...
उनकी बात सुनकर मै भी हसने लगी. वो बेचारा भागने लगा.. जब वो मुंह छिपाकर भाग रहा था तब पीछे से प्राची दीदी चिल्लाने लगी…. "ऋतु के पास जा रहा है क्या रे आशिक़"…
"रूपा चाची की भाषा आ गई है तुम दोनो मे पागलों"… कहता हुआ नकुल वहां से चला गया. हम दोनों पहुंचे संगीता के कमरे में जहां रूम पुरा लॉक था.. चार बार खटखटाने के बाद दरवाजा थोड़ा खुला और संगीता की दोस्त मृदुला हम दोनों को देखती.… "कोई आंटी तो नहीं साथ मे"..
प्राची दीदी झट से दरवाजा खोलकर मुझे अंदर लेती... "मुझे भी बुलाना था ना.. लाओ एक पेग मुझे भी दो"..
मै:- सब के सब बेवरी हो गई है... ऑफ़ ओ तो दुल्हन भी पेग मार रही है... मैडम के कितने पेग हो गए...
संगीता:- अभी जयमाला स्टेज पर भी नाचना होगा ना इसलिए 3 लिटिल वोदका शॉट लिया है...
मै:- आप लोग आओ, मै भी जाकर थोड़ा मेकअप और साड़ी ठीक करके आती हूं...
प्राची दीदी:- तू कहां चली रुक ना...
मै:- दीदी आप भी अपने मेकअप और कपड़े ठीक कर लेना, फोटो मे चमकता चेहरा आना चाहिए.. मै जरा वाशरूम भी जाऊंगी.. आप लोग एन्जॉय करो...
मै वहां से बाहर निकलकर, लेडीज के कमरे में आ गई, जहां आशा भाभी (नकुल की मां) और संगीता की मां अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ बैठकर बातें कर रही थी.. सब शायद लड़के के बारे में बात कर रहे थे, तभी संगीता की मां कहने लगी, नकुल और मेनका को तो सब शुरू से पता था...
मै तो आश्चर्य मे उन्हें देखने लगी. तभी आशा भाभी पूछने लगी.… "क्यों मेनका भाभी (नकुल की मां) क्या कह रही है"..
मै:- भाभी आपको जो भी पूछना है, मेरे साथ चलकर पूछ लेना, लेकिन अभी मेरे साथ चलो ना...
उन्होंने कुछ पूछा भी नहीं की कहां चलना है, वहां से उठकर आशा भाभी, अपनी भाभी यानी की संगीता की मां से कहने लगी, अभी आयी भाभी... और वो मेरे साथ चल दी...
मै उन्हे अपने कमरे में ले आयी, जहां मै तैयार हुई थी. फिर फाटक से बाथरूम में घुस गई थी... ये ठंड में ना मै बता नहीं सकती की पानी पीना कितना ख़तरनाक हो सकता है.. रोके रोके तो मेरी जान निकल गई थी.. वाशरूम से आकर मै चीत बिस्तर पर लेट गई... "भाभी मेरा बदन दुखने लगा है, पूछो अब क्या पूछ रही थी"..
आशा भाभी:- कुछ नहीं रे, वही मिथलेश और संगीता के बारे में, लेकिन जाने दे घर पर तू सब बता देना.. खाना खाई की नहीं अब तक...
मै:- भाभी नहीं खाई अब तक, जयमाला बाद खाऊंगी..
आशा भाभी:- तो चल ना यहां क्या कर रही है.. जयमाला तो शुरू होने वाला होगा...
मै:- इसलिए तो आपको साथ लेकर आयी हूं.. भाभी मेरी साड़ी सही कर दो ना..
भाभी हंसती हुई... "डरपोक कहीं की, अंधेरा हो गया था और तू अनजान जगह पर अकेले कमरे में आने से घबरा रही होगी...
मै आशा भाभी को देखकर हंसती हुई उनके गले लग गई और उनके गाल को चूमती हुई कहने लगी.... "आप मेरी दूसरी मां हो, और हां नकुल जैसा भाई देने के लिए धन्यवाद भाभी... देखना मै आपने भाई की शादी में जलसा करूंगी.. एक हफ्ते पहले से संगीत का आयोजन होगा... पूरे गांव को हफ्ते भर भोज खिलाऊंगी"…
भाभी मेरे सर पर एक चपेट लगाती, मेरे बालों में हाथ देकर उसे अपने हाथों से संवारती हुई कहने लगी... "मेरी जैसी इक्छा थी एक बेटी की, तू वहीं है. किसी का तो पता नहीं लेकिन जब तू बाहर गई थी तो मेरा मन नहीं लग रहा था"..
मै आशा भाभी के दोनो गाल खिंचते… "भाभी मेरे लिए कोई घर जमाई ढूंढना या फिर आस पास का लड़का... वरना मन को कठोर बनाना परेगा…"
आशा भाभी:- तब की तब देख लेंगे, अभी तो चल वरना जयमाला मिस हो जाएगी...
मै भी कहां गप्पे मारने में भुल ही गई थी कि शादी में आयी हूं.. भाभी से फटाफट अपनी साड़ी ठीक करवाई. हल्का मेकअप पोत कर हुलिए को पहला जैसा चकाचक कर लिया और बाहर चली आयी.
मै जब बाहर निकली संगीता के कमरे का भी दरवाजा खुला और फिर से उसे डोली मे ले जाया जाने लगा.. संगीता के पीछे से जीजा की सालियां अर्थात संगीता की 2-3 रिश्तेदार बहने आरती की थाली पकड़ी हुई थी...
चुमावन एक रश्म होता है जो जयमाला के दौरान और मरवा मे शादी के दौरान सालियां ये रश्म निभाती है... हां गिफ्ट मिलता है उन्हे, इसलिए वो भी ज्यादा उत्साह से इन रश्मों मे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है...
कुछ रशमें पुरानी औरतें, बोले तो सास के लेवेल की औरतों की होती है जो लोक गीत के दौरान गलियां देने की होती है... लेकिन उसमे अभी समय है, वो विवाह के रश्मों की बात है.. मुझे तो बहुत मज़ा आता है...
ओह मै बातों में लगी हूं और यहां बेवरियों की टीम तो निकलकर जयमाला स्टेज पर जा रही है... "ओह माइ गॉड.. ये तो लड़को को टक्कर देदे..".. "इतनी ज्यादा कैपेसिटी"… "मै होती तो लड़खड़ा कर गिर गई होती, और पता ना कौन लड़का मुझे उठाकर घर छोड़ने जाता"… "कब, पूरी रात रखने के बाद, या उसी वक्त"…. "ऑब्वियसली यार पूरी रात रखने के बाद, टूल होने के बाद कहां पता याद रहता"…
मै जब उनके पीछे गई तो संगीता की सहेलियां ऐसी ही कुछ बातें कर रही थी.. समझ में इतना तो आया कि किसी ने दबाकर पी है और वो इतना पीने के बाद भी पूरे होश में है.. कुल 5 लोग थे, जिसमे 3 बंगलौर की सहेलियां बात कर रही थी और चौथी जो डोली में चढ़कर जयमाला स्टेज पर जा रही थी, उसके बारे में तो ऋतु को पूरा पता होगा...
मै घूरते हुए प्राची दीदी को देखी... "कितने"..
प्राची दीदी:- ज्यादा नहीं रे, 8 पेग ही तो ली हूं, अभी 4 पेग और ले सकती हूं, तब भी नॉर्मल ही रहूंगी...
तभी पीछे से संगीता की एक सहेली बोली... "8 लार्ज से भी ज्यादा बड़ा पेग था..."
"बेवारी कहीं की, इतना कैसे"… मै आश्चर्य से पूछने लगी...
प्राची दीदी... आज रात जब हम साथ होंगे तब इसपर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे बच्चा.. अभी तो जयमाला स्टेज पर चल ना, कहां तू धीमे हो गई"…
मै हंसती हुई पीछे से उनके कमर में थोड़ा जोड़ की चिकोटी काटकर भागी.. हम सब पहुंच चुके थे जयमाला स्टेज पर, जहां एक ओर दूल्हे पक्ष के लड़के खड़े थे तो दूसरे ओर दुल्हन पक्ष के...
वहीं जयमाला स्टेज पर ही, जब सबसे ज्यादा व्यस्त समय होता है किसी भी शादी में, एक दूल्हा-दुल्हन के लिए. ठीक उसी वक्त मिथलेश प्राची से कहने लगा... "बहन को तो भाई के ओर से होना चाहिए प्राची, कहां तुम दुल्हन पक्ष से हो"…
प्राची दीदी थोड़ी सी इमोशनल हो गई. थोड़ा इमोशनल तो मिथलेश भी था.. और प्राची दीदी मुस्कुराती हुई उस ओर चली गई, मिथलेश के बिल्कुल पास..
जयमाला की रशमे फिर शुरू हुई.. वरमाला डालने के लिए थोड़े से मेहनत मशक्कत करवाने की कोशिश होने लगी.. दुल्हन को दुल्हन की सहेलियां पहले ऊपर कर रही थी, और बाद में दूल्हे के दोस्त, दूल्हे को...
मै वहीं खड़ी इन सब नजरों का लुफ्त उठा रही थी. इसी बीच नजर जब घूम रही थी, तब एहसास हुआ कि कोई बिना नजरें इधर-उधर किए, नीचे कुर्सी से, मुझे बस एक टक घुर रहा है... ये कोई और नहीं बल्कि वही लड़का था, जो डांस के वक्त कुछ ज्यादा ही टची हो रहा था...
खैर मैंने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया, और अपना पूरा ध्यान जयमाला पर लगाई.. 5 सालियां आकर विधि को पूरा करने लगी, और उसके बाद शुरू हो गया फोटो सेशन.. पहला आमंत्रण लड़के वालों का था, और दूल्हा पक्ष से सब आकर तस्वीरें लेने लगे...
इसी बीच वो लड़का मिथलेश के पास पहुंचा. शक्ल से थोड़ा रूठा लगा... मिथलेश ने कुछ कहा उससे, वो हाथ पाऊं झटकने लगा.. फिर प्राची दीदी और मिथलेश की बात हुई.. उसके बाद वो लड़का प्राची दीदी से हाथ मिलाया. दोनो के बीच थोड़ी सी बातचीत के बाद, दोनो हंसते हुए बात करने लगे... इसके बाद वो मिथलेश के सामने दोनो कान पकड़ा..
जब फोटो सेशन शुरू हुआ तब मै दूसरी लड़कियों के साथ नीचे उतर आयी और दूर से ही ये ड्रामे देख रही थी... फोटो सेशन होता रहा, वो लड़का, कभी प्राची दीदी से बात करता तो कभी मिथलेश से. लेकिन बार-बार वो नजर घूमाकर मुझे ही देख रहा था...
लगभग सवा 12 बज रहे थे. लड़के वालों का फोटो सेशन जैसे ही समाप्त हुआ, हमारा शुरू... हम लोगो पूरे ग्रुप के साथ तस्वीरें ले रहे थे, तभी अचानक ऋतु के जोर के "आउच" ने हमारा ध्यान खींचा.. ये बेवरि लड़कियां भी ना.. ऋतु को लगा कि उसकी हील किसी के पाऊं के ऊपर आ गई, और चौंककर उसके मुंह से आवाज निकल गया..
बहरहाल हम तस्वीरों मे अपना ध्यान लगाए हुए थे.… तभी मैंने गौर किया तो वो लड़का लगातार मेरी तस्वीर निकाल रहा था... गुस्सा तो तब आ गया जब वो मैदान से भागकर, विवाह मंडप वाले हॉल में भगा...
और उसी के 2 मिनट बाद ऐसा लगा कि वो लड़का छत से मेरी तस्वीर ले रहा है.. मैंने नकुल के पास ही खड़ी थी, उसका हाथ खींचकर कहने लगी, भाई विवाह मंडप वाले हाल के ऊपर देख तो, किसी कमरे के कि खिड़की पर कोई है क्या?..
नकुल ने ऊपर अपनी नजर दौड़ाई और उसे लगा कि एक कमरे की खिड़की पर कोई है, लेकिन अंधेरे की वजह से वो पहचान नहीं पाया... वो मुझसे पूछने लगा कि बात क्या हो गई, तो मै बात बदलती हुई... "कुछ नहीं बस ऐसे ही पूछ ली, तुमने खाना खा लिया क्या"..
नकुल हां में जवाब देते हुए कहने लगा, जयमाला के बाद पुरा अरेंजमेंट चेक करके सब स्टॉक पर नजर देना था, इसलिए पहले खा लिया… मै मुस्कुराती हुई कही कोई बात नहीं है, और ध्यान सामने की ओर देने लगी..
जयमाला स्टेज से उतरकर मै प्राची दीदी के साथ निकलकर खाने चली गई, और नकुल यहां का व्यवस्था देखने... मै प्राची दीदी के साथ चलती हुई... "तुम्हारा पेट तो चखने से ही भर गया होगा"…
"हाई दीदी, हेल्लो मिस"… सामने से वहीं सरदर्द हाथ हिलाते हुए चला आ रहा था...
"खाना खा लिए दिव्यांश"… प्राची दीदी पूछने लगी..
वो लड़का एक नजर मुझे देखते... "बस खाने ही जा रहा था... आपने खा लिया क्या?".. अपनी बात बोलकर वो दोबारा मुझे एक नजर देखा..
प्राची दीदी:- हम भी बस खाने ही जा रहे थे.. मेनका इससे मिलो, ये है दिव्यांश, मिथलेश का कजिन ब्रदर..
मै:- दीदी चलो ना खाना खाने, बाहर ठंड से मै सिकुड़ रही हूं...
दिव्यांश:- लक्स कोजी नहीं है क्या, ठंडी मे भी गर्मी का एहसास...
मै, उसकी बात को अनदेखा कर दोनो को वहीं छोड़ दी और प्लेट लेकर खाने चल दी… प्राची दीदी मुझे अकेले जाते देख दौरी हुई मेरे पास पहुंची... "हद है, मुझे छोड़कर चली आयी"..
मै:- दीदी डांस के वक्त उसने मेरे बदन पर 2 बार हाथ फेरा था, फिर भी अगर आप उससे बात करने में रुचि रखती है तो वो आपका फैसला है, लेकिन मुझसे बर्दास्त नहीं होगा.. मै आपको किसी बात के लिए थोड़े ना मना कर सकती हूं, इसलिए खुद किनारे हो गई... वैसे 2 प्लेट ले ली हूं पहले से, अपने हाथ का प्लेट रख दो वहीं...
प्राची दीदी.… अच्छा ये वही लड़का था.. वहां मुझे पता ही नहीं चला.. रुक उसकी अभी क्लास लेती हूं..
हम दोनों खाने के बुफे के ओर प्लेट लेकर चलते हुए बातें कर रहे थे... प्राची दीदी कि बात सुनकर मै क्या कहूं, बस शरीर और जुबान नहीं लड़खड़ा रहा था, बाकी दिमाग काम करना पुरा बंद कर दिया था... "आप बस खाने पर ध्यान दो, बाकी नकुल ने उसे वार्निग दे दिया था, अब जो होगा वो मै देख लूंगी"…
प्राची दीदी:- नाह मेरी बहन को कोई हाथ लगा दे और मै ख़ामोश रहूंगी...
"इसको चढ़ गई पक्के से.. गनीमत है अभी तमाशा कम कर रही है, जल्दी उपाय करना होगा वरना बीतते वक्त के साथ इन्हे संभालना मुश्किल हो जाएगा..."
मै कुछ सोचकर खाने की प्लेट लेकर एक राउंड टेबल तक पहुंची, उन्हे बिठाया और खुद चली गई किचेन मे.. जाने से पहले मै उन्हे बोलकर गई थी कि अपनी जगह से हिले ना.. मै विवाह भवन के किचेन में गई, वहां से नशा उतारने का स्ट्रॉन्ग दवा, यानी कि नींबू पानी, वो भी पानी तो थोड़े ही मात्रा मे होगा, गलास मे 10, 12 नींबू ही नींबू निचोड़ा हुआ था..
लौटकर जब आयी तो प्राची दीदी उस टेबल पर थी और साथ में वो लड़का दिव्यांश भी था.. बुरा सा मुंह बनाए मै उस टेबल पर पहुंची... "हेय मेनका, ये बहुत बुरा फील कर रहा है, जो भी इसने डांस के वक्त किया. प्लीज माफ कर दे बेचारे को"..
मै:- दीदी आप अब रहने दो इस मामले को.. सुनिए भैया आप कहीं और जाइए खाने..
दिव्यांश:- भैया, जहां संया साउंड सुनाई देना चाहिए, वहां भैया सुनाई दिया क्या?
मै फिर कुछ उसे बोलती वो फिर कुछ उल्टा बोलता.. बात खत्म होने के बदले बढ़ती ही रहती.. इसलिए उस लड़के को उसके हाल पर छोड़ते... "दीदी, चलो इसे पी जाओ"..
प्राची दीदी... "रक शर्त पर मै लूंगी इसे, जब तुम कहोगी की मैंने माफ किया दिव्यांश को"..
मै:- दिव्यांश भैया मैंने माफ किया आपको.. अब ठीक है, खुश ना..
प्राची दीदी पुरा गलास एक बार में गटकती हुई... "अब तू भी हैप्पी ना..
मै उसी गलास मे थोड़ा पानी डाल कर हिलाई और वापस से बढ़ाती हुई... "ये पी जाओ फिर मै हैप्पी रहूंगी"
प्राची दीदी उसे भी गटक गई.. गटकने के बाद कुछ देर तक वो शांत रही, फिर वो अपना प्लेट उठाकर चल दी खाने के काउंटर तक... जैसे ही वो गई... "सुनिए मिस मै ऐसा क्या करूं जो आप मुझे माफ़ कर देंगी"..
वो अपनी बात कहते हुए मेरे हाथ के ऊपर हाथ रख दिया, और मेरे आंखो में झांक रहा था.… मै अपना हांथ खींचकर.… "सुनो, मेरे भाई ने बहुत कोशिश कर ली, मै बहुत देर से इग्नोर कर रही. अब तू निकल यहां से अभी के अभी.."
मै उससे बात करती हुई, चारो ओर देख रही थी. उसे शायद लगा कि मै डरी हूं और किसी को ढूंढ रही हूं.. वो नीचे से मेरे पाऊं के ऊपर पाऊं रख दिया.… अब शांत रहने का मतलब होता आफत गले पालना.
मै खाने की भारी प्लेट उसके ऊपर उड़ेलती हुई, खाली प्लेट को उसके कनपटी पर दे मारी. प्लेट के कुछ टुकड़े उसके सर में घुस गए और ब्लीडिंग शुरू हो गई. जैसे ही यह ड्रामा हुआ, कुछ लोग जो वहां मौजूद थे हमारे टेबल के ओर जमा हो गए... "अब निकल लो यहां से, वरना ये सिर्फ ट्रेलर था."
वो लड़का दिव्यांश लोगों को जुटते देख वहां से निकल गया. लोगों की भिड़ से एक सज्जन मुझसे पूछने लगे क्या हुए बेटा... "कुछ नहीं अंकल जी, हमारे बीच शर्त लगी थी कि एक लड़की होकर मै किसी का सर फोड़ सकती की नहीं"..
वो सज्जन व्यक्ति:- ये कैसी शर्त थी...
मै:- शायद उसका सर आजतक नहीं फूटा था इसलिए ऐसी शर्त लगा रहा था.. गया होस्पिटल, अब वापस आएगा तो। शर्त के पैसे देगा...
सभी लोग वहां से हट गए. तभी प्राची दीदी खाने की दूसरी प्लेट लेकर टेबल पर बैठती हुई कहने लगी... "सो फाइनली तूने उसका सर फोड़ दिया"..
मै:- छोड़ो जाने दो उसे, मेरे नहीं तो नकुल के हाथो मार खाना ही था उसको...
प्राची दीदी.… और मेरे हाथ से मार नहीं खाता क्या?
मै:- छोड़ो ना दीदी, उसे मारने के लिए आपके होश में होना जरूरी था, जब आप सोच सकती की क्या करना चाहिए क्या नहीं... आप यदि होश में होती तो बात इतनी आगे ही नहीं बढ़ती...
प्राची दीदी... आई लव यू डार्लिंग... किसी लड़के से निपटने के लिए मेरा या नकुल का होश में होना जरूरी नहीं... तुमने उपचार कर दिया ना, वही बहुत है... चल अब मूड ठीक कर ले, और ये खा...
प्राची दीदी एक निवाला मेरी ओर बढ़ाती हुई कहने लगी.. मै वो निवाला उनके हाथ से खाने लगी.. तभी प्राची दीदी बोली... "मारती तो मै इसे जयमाला स्टेज पर ही.. वो लड़का अपने भाई मिथलेश से इसलिए रूठा था क्योंकि मिथलेश ने उसका इंट्रो तुझ से नहीं करवाया"..
प्राची दीदी:- हां सच बात कह रही हूं... जयमाला स्टेज पर ये इसलिए पहुंचा क्योंकि मै मिथलेश के तरफ हो गई.. वहां मिथलेश ने मेरा परिचय इससे करवा दिया... नजरे तो इसकी कितनी अच्छी थी वो मै स्टेज पर ही समझ गई, बस देख रही थी कि मुझसे बात क्या करता है..
मै:- फिर क्या हुआ दीदी...
प्राची दीदी:- फिर क्या, सुना कि मै दिल्ली में कई सालों से हूं, तो मेरी तारीफ... दीदी आप गॉर्जियस हो, सेक्सी हो.. फलाना हो, ढिकाना हो.. मै सुनती गई...
मै:- इतना सुनने की जरूरत क्या थी, वहीं एक खींचकर दे देती...
प्राची दीदी:- मै बस ओपिनियन ले रही थी... वहीं फिर स्टेज पर ही मुझसे कहने लगा.. "आई थिंक आई एम् इन लव विथ योर सिस्टर"… बस वहीं से इसके ऊपर काल शुरू. जानती है तुझे देखकर प्राउड फील जो गया... ना चिल्लाई, ना हंगामा.. पूरी कोशिश की मामला बात से निपटाने की और अंत मै ट्रीटमेंट देकर अपनी जगह बैठी रही... "आह्ह दैट्स माय सिस्टर"…
मै:- ओह हो मतलब आपको चढ़ी नहीं थी..
प्राची दीदी... पागल है, जब चढ़ने के लिए ही लिया था, तो चढ़ेगी क्यों नहीं, लेकिन थोड़ा थोड़ा.. वैसे यदि ज्यादा चढ़ी होती तो उसका सर पहले ही फुट गया होता...
मै:- पागल कहीं की.. चलो अब.. मुझे वाकई ने ज्यादा ठंड लग रही...
प्राची दीदी:- अरे रुक तो, खा तो लेने दे...
थोड़ी ही देर में हम मंडप वाले हॉल में थे. अंदर पुरा पैक था और हीटर कि सुविधा ने तो सिकोड़ हुए शरीर में जान डाल दिया था... गिनती के खास लोग ही थे वहां अंदर बैठे. पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे, बड़े बुजुर्ग वहां बैठकर सब सुन रहे थे.. दूल्हे को ससुरारी कपड़ा पहनने भेजा गया था, और दुल्हन के मंडप में अभी आने की देरी थी...
मै और प्राची दीदी, आशा भाभी (नकुल की मां) के पास जाकर बैठ गए.. वो और कुछ औरतें ढोल ले आयी थी. अब कुछ ही देर में लोक गीत पर गाली का सेशन होने वाला था... हम वहीं बैठकर आशा भाभी से बात करने लगे...
तकरीबन आधे घंटे बीते होंगे... तभी दिव्यांश सर पर पट्टी बंधवाकर, अपने माता-पिता के साथ उस हॉल में पहुंच गया और वो लड़का मेरे ओर इशारे करने लगा.. उसकी मां बड़ी तेजी से मेरे ओर आयी ही थी, कि आशा भाभी खड़ी होती... "मेरी बच्ची को छू भी ली ना.. तो यहां मै तांडव मचा दूंगी. इसलिए जो सोचकर बढ़ी हो कदम पीछे ले लो"…
"जब मां के ही संस्कार ऐसे हो तो बेटी का क्या दोष. मेरी ऐसी बेटी होती तो गला घोंटकर मार देती"… उसकी मां ने कहा...
आशा भाभी:- खबरदार, तू मेरी बच्ची का गला घोंटने कह रही है... इसको छूना कहीं ना तुम्हे और तुम्हारे समस्त परिवार को भारी पर जाए... मेनका ये गुस्से में क्यों आयी है..
मै:- भाभी इसका बेटा बदतमीजी पर उतर आया था.. हमने पहले भी 2 बार समझाया था, नहीं माना... इसके बेटे का सर फोड़ दिया मैंने..
जैसे ही वो औरत मेरे मुंह से ये बात सुनी, जोर-जोर से चिल्लाने लगी... माहौल और भी ज्यादा गरम हो गया. इसी बीच आशा भाभी उससे भी ज्यादा जोर से चिल्लाती... "लेकर जाओ अपने बेटे को, वरना अभी तो केवल सर फूटा है, हाथ पाऊं भी ना कहीं टूट जाए"…
"तुम घटिया लोग मेरे बेटे के बारे में ऐसा बोलोगे"… दिव्यांश का बाप बोला...
मिथलेश के पापा जो इतनी देर से 2 रिश्तेदारों के बीच नहीं आना चाहते थे, मामला शांत ना होता देख, उन्हे बाहर का रास्ता दिखाते हुए सीधा कह दिए... "बेटा का खून देखकर अगर दील मे आग लग गई हो तो बेटे से पूछ भी लेना था कि वो मार क्यों खाया... अब यहां तमाशा करने की जरूरत नहीं है... यहां मेरे बेटे की शादी है... शादी देखकर आशीर्वाद देकर जाइए या हंगामा करेंगे तो मुझे यहां की सिक्योरिटी बुलानी होगी"…
"कोई जरूरत नहीं है कमलेश (मिथलेश के पिताजी का नाम) अभी तो मै जा रहा हूं, लेकिन ये बात यहीं खत्म नहीं होगी"… उसके बाप ने कहा..
"हां आप राजा रजवाड़े के खानदान से है, बदला ले लीजिएगा, अब जाइए यहां से"… मिथलेश के पापा ने कहा..
उनके जाते ही पुरा माहौल शांत हो गया.. आशा भाभी मुझे देखकर पूछने लगी कि नकुल कहां है... "भाभी उसे मैंने ही कहा था शादी का काम देखने, वो पुरा काम खत्म करके पहुंचेगा"…
भाभी पुरा गुस्सा दिखती.… "सारे काम ठेके पर है फिर भी उसे व्यवस्था देखनी है... अब तू बीच में बिल्कुल भी नहीं आएगी"…
"अरे आंटी, कब तक आप मेनका को नकुल का सहारा देती रहेंगी, ऐसे तो उसे शादी के बाद दहेज मे नकुल को ले जाना होगा... गुस्सा छोड़ो भी.. जो मेनका के लेवल का मामला था वो निपटा ली. और जो आपके लेवल का मामला था आपने निपटा लिया... लड़के बाप ज्यादा उछलेगा, तो यहां लड़की के पिता भी है, और इसके आगे कुछ कहना ही नहीं है... चलिए ठुमके लगाते है, आपकी भतीजी की शादी है ना"..
टेंड्स माहौल के बाद, अंदर मंडप पर लोक गीत और ढोल बजने लगे... मै आशा भाभी को खींचकर उनके साथ ठुमके लगाने लगी. मेरे साथ प्राची दीदी भी, ठुमके लगाने लगी... माहौल शोरगुल और हंसी खुशी वाला हो गया था.. और इसी बीच संगीता की भी एंट्री मंडप पर हो गई...
संगीता दीदी के एंट्री के साथ नकुल भी अपना पूरा काम खत्म करके पहुंचा और मेरे पास खड़ा होकर... "फोड़ दी सर"…
मै हंसती हुई उसे देखी... "तू मेरे साथ ही रहना अभी, भाभी का पारा चढ़ा हुआ है"…
वो भी हंसते हुए नाटकीय ढंग से मेरे पल्लू उठाकर उसमे अपना चेहरा छिपाते… "दीदी अब ठीक है"…. "हिहिहिहीहि... हट पागल..."..
"ओय आशिक़.. यहां माहौल इतना गरम था और तेरे कानो तक बात नहीं पहुंची, ये कैसा मैनेजमेंट था"… प्राची दीदी पूछने लगी... नकुल सीधा खड़ा होकर हम दोनों को देखा... "तू क्या कर रहा था?"…. प्राची दीदी ने दोबारा पूछा
इधर नकुल... कर क्या रहा था.…
जुलुश निकल चुका था.. ऋतु और उसके दोस्तों को कुछ समझ में ही नहीं आया कि हुआ क्या यहां?.. उन्होंने पहले संगीता से पूछा था कि मिथलेश से शादी क्यों नहीं की, तब उसने फैमिली प्रेशर बताया.. और अब उन्होंने सुना की सब पहले से तय था, बस उस नीलेश को सबक सिखाना था..
तीनो ही लड़कियां नकुल को एक कमरे पकड़कर बिठाई, पुरा मामला समझी... और फिर जैसे ही तीनो वहां से निकलने लगी, नकुल ने पीछे से ऋतु को पकड़ लिया, आगे उसकी सहेलियां जा रही थी..
इस वक्त ये लोग विवाह भवन के दुल्हन वाले गलियारे मे थे, जहां से सब लोग विवाह भवन के दूसरे सेक्शन में जा चुके थे, जहां जयमाला और शादी का आयोजन था.. ऋतु अपनी आखें दिखाती… "मैंने दिन में ही बोल दिया था, रात को कुछ नहीं"..
नकुल हंसते हुए ऋतु को दीवार से चिपकाकर, उसके चोली के ऊपर से ही उसके स्तन पर हाथ फेरने लगता है.… "अरे रुक तो इशा, कहां भागी जा रही"… ऋतु चिल्लाई और नकुल झट हटकर छिप गया... ऋतु अपने हाथ में फसा दुपट्टा गोल-गोल घुमाती, हंसती हुई वहां से निकल गई...
ऋतु खाने के लिए चल दी.. थोड़ा सा खाकर वो प्लेट रखकर जैसे ही संगीता के कमरे के ओर बढ़ी, बीच में ही डेकोरेशन झाड़ के पीछे से, नकुल ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया... "हीहिहिहिहि... क्या हुआ मेरे बॉयफ्रेंड, कंट्रोल नहीं हो रहा क्या, बताई थी ना रात को कुछ नहीं"..
नकुल इधर-उधर देखा और सीधा अपने होंठ ऋतु के होंठ से लगाकर चूमने लगा.. ऋतु "ऊं ऊं ऊं" करती अपने होंठ बंद किए थे, लेकिन कुछ सेकंड बाद उसने खुद अपने होंठ खोल दिए और नकुल के मुंह में अपना जीभ डालती चूसने लगी.. नकुल भी उसके दोनो चूतड़ को अपने मुट्ठी से भींचते किस्स करने लगा...
तभी वहां कोई आ जाता है और ऋतु खुद को छुड़ाती... "तुम्हारे चक्कर में शादी का कोई भी इवेंट एन्जॉय नहीं करने दोगे... कहीं भागी थोड़े ना जा रही हूं, सारे अरमान पूरे कर लेना, चलो अब"… उसके बाद नकुल को घंटो ऐसा कोई मौका ही नहीं मिला... क्योंकि उसके बाद मिथलेश की एंट्री और फिर जयमाला...
मिथलेश के साथ जयमाला चल रही थी, लड़की वालों के फोटो सेशन का माहौल था. नकुल के बाएं ओर से ऋतु बिल्कुल उसके करीब खड़ी थी और लोग थोड़े से सिकुड़ कर फ्रेम मे आने की कोशिश कर थे. नकुल जैसे ही थोड़ा पीछे हुआ, ऋतु बिल्कुल उसके आगे थी...
पीछे से नकुल ने ऋतु के चूतड पर हाथ लगा दिया और उसे जोड़ से मसल दिया.. ऋतु "आउच" करती थोड़ी आगे सड़क गई. मेनका, प्राची, संगीता और बाकी के जितने भी लोग थे, सब पूछने लगे क्या हुआ…. "वो मेरी हिल अचानक किसी चीज के ऊपर आ गई और मुझे लगा पीछे वाले के पाऊं पर पड़ गया"…
मृदुला, संगीता की एक सहेली.… "तो चिल्लाना उसे चाहिए था ना"..
ऋतु, "अरे लेकिन" कहकर चुप हो गई और सामने ध्यान देने लगी...
एक तो नकुल के दिन का निमंत्रण, जिसके बारे में सोच सोचकर ऋतु की हालात पहले से ही खराब थी, ऊपर से 200 लोगों के बीच नकुल का इतनी सफाई से उसके अंगों को छूकर, कभी सहलाना तो कभी मसलना... उसकी चूत में आग सी कहीं लग रही थी...
लेकिन वो ये भी जानती थी कि इस वक्त यदि नकुल उसके साथ सेक्स करता है, तो उसे तैयार होने मे वक्त लग जाएगा. फिर वो काम नहीं हो पाएगा जिस काम के लिए वो आयी थी... बोले तो संगीता की शादी देखना... और जब वो इतनी दूर आकर उसकी शादी ही नहीं देख पाई, तो निमंत्रण तो वो बंगलौर मे भी पुरा कर सकती थी...
बस यही ख्याल उसके दिमाग में चल रहा था.. नकुल इस वक्त मेनका के साथ था, तो ऋतु के लिए अच्छा मौका था वाशरूम जाकर खुद को कुछ शांत करने का..
ऋतु नकुल के नज़रों से ओझल होती हुई वाशरूम मे जैसे ही घुसी... "यक्क… यहां तो मै बदबू से मर जाऊंगी".. ऋतु कॉमन वाशरूम की हालात देखकर वहां से निकलकर बाहर चली आयी और जिस ओर 3-4 कमरे बने हुए थे उस ओर चल दी...
हर दरवाजे पर बाहर से ताला लटका हुआ था, सिवाय दूसरे नंबर के कमरे को छोड़कर. ऋतु जल्दी से उस कमरे में घुस जाती है और लाइट का स्विच ढूंढने के लिए जैसे ही मोबाइल का फ़्लैश ऑन करती है.… "मर गई ऋतु"… सामने नकुल खड़ा था.
ऋतु भागने के लिए पलटी लेकिन नकुल उसके कमर से पकड़ कर उठा लेता है... "अरे अरे अरे.. नकुल प्लीज.. हिहीहिहिही.. जाने दो"…
"हाथ आयी छटपटाती चिड़िया को छोड़ दिया तो फुर्र हो जाएगी, और मै अपना लंड मसलते रह जाऊंगा"…
"छी देहाती.. नकुल प्लीज नीचे उतारो ना... आआआआआ, पागल.. कटना बंद करो और जाने दो ना.. मै बंगलौर से शादी आटेंड करने आयी हूं"…
नकुल दरवाजे का छिटकिनी लगाकर लाइट जला दिया और ऋतु को बिस्तर पर उछालकर पटक दिया... "आउच, जान ले लोगे क्या नकुल"..
"जानेमन, जयमाला स्टेज पर अभी दूल्हा एक घंटा बैठेगा, फिर उसे मंडप में बुलाया जाएगा, विध शुरू होगा और मेरे ख्याल से रात के 2 बजे दुल्हन मंडप मे आएगी.."
कहते हुए नकुल भी ऋतु के ऊपर छलांग लगा चुका था.. उसकी तो आखें बंद हो गई, लेकिन अगले ही पल उसे अपने होंठ पर जीभ के फिरने का एहसास होने लगता है...
ऋतु, नकुल के गले में हाथ डालकर उसके होंठ को चूमती हुई कहने लगी... "प्लीज मेरी ड्रेस खराब मत करो.. प्यार से, आराम से, सारे कपड़े निकालकर, जो जो तमन्नाएं है सब पूरी करो लो.. बस मेरी ड्रेस खराब मत करना, और शादी मिस मत करवाना"…
"आआआआ"… एक जोड़ की चींख ऋतु के मुंह से निकलती है. नकुल ऋतु के होंठ को दांत मे फसाकर उसे ऊपर तक खिंचते हुए छोड़ दिया. उसकी हालत पर हंसते हुए कहने लगा.… "जितने कपड़ों मे मै रहूंगा उतने कपड़ों में ही तुम्हे रखकर खेल खेलूंगा"..
ऋतु मुस्कुराती हुई नकुल के करीब पहुंची, पहले उसके कोट उतार दी. फिर अपने लंबे नाखून से उसके शर्ट के 3 बटन खोलकर उसे फैला दी और अपना जीभ उसके सीने से टिकाकर, धीरे-धीरे सरकाने लग जाती है. जीभ उसके सीने को गिला करती हुई, नकुल के निप्पल के ओर बढ़ रही थी और नकुल की श्वास बिखरने लगती है...
ऋतु अपने जीभ से नकुल के धंसे हुए निप्पल को चाटने लग जाती है और दूसरे निप्पल को चुटकी मे पकड़कर उसे धीरे धीरे मसलने लगती है… नकुल के तेज श्वान्स चलने की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी...
ऋतु 2 मिनट तक नकुल के निप्पल से खेलने के बाद उसके शर्ट के सारे बटन खोल देती है. नकुल के पीछे आकर वो धीरे से शर्ट को खींच देती है और पीछे से उसके गर्दन पर किस्स करती हुई अपने दांत गड़ाकर उसे लव बाइट देने लगती है...
बड़ा ही कामुक माहौल था और ऋतु, नकुल को पूरी तरह उत्तेजित करने में लगी हुई थी... कुछ ही देर में वो नकुल को बिस्तर पर घुटनों के बल बैठने बोलती है... नकुल ठीक वैसे ही किया और ऋतु उसके चूतड़ पर 2 चमाट मारती... "क्यों हीरो, ये पुरा वैक्स क्या सोचकर करवाया थे.. बिल्कुल चिकनी चमेली लग रही है ये तो"…
"तुम्हे ही बालों से परेशानी थी ना"… नकुल आगे से बोला.. ऋतु हंसती हुई अपनी हाथ आगे बढ़ाकर उसके लटकते लंड को पूरे गोटियों सहित पीछे खीच ली. लंड को हाथ में लेकर ऋतु नकुल के पीछे से, दरारों मे जीभ डालती उसे रिम जॉब देना शुरू कर देती है...
नकुल पूरी तरह से जैसे बेचैन हो गया हो.. उसके पाऊं कांपने लगे.. मस्ती में वो पुरा पागल होने लगा.. ऋतु भी उसके पागलपन को पुरा बढ़ाती, उसके दरारों मे पूरे जोश से अपना जीभ फिरा रही थी.. नकुल की मदाक सिसकारी ऋतु के जोश को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी...
नकुल को ऊंचाइयों पर पहुंचाकर ऋतु उसके पास से हट गई. नकुल पलट कर बैठते हुए खुद को थोड़ा शांत करने लगा. इधर जबतक बहुत ही आराम से ऋतु अपने ड्रेस उतरकर ब्रा और पैंटी में उसके पास पहुंचती... "ये तुम्हारा लिए छोड़ दिया है. बाकी कपड़े उतारते वक्त कहीं तुम जोश में फाड़ ना देते"..
नकुल, ऋतु को खींचकर अपने गोद में गिरा लिया. उसकी आंखों में देखते हुए... "आज कुछ और फाड़ना है जानेमन, तुम्हे केवल कपड़ों की ही चिंता क्यों है"..… "ऐसी बात है क्या, तो शुरू हो जाओ... देखते है कहां से कितना और क्या-क्या फाड़ सकते हो"….. "ओह हो ऐसी बात है क्या"…
और इतना कहकर नकुल, ऋतु के होंठ के होंठ लगाकर पुरा जीभ उसके मुंह में डालकर चूसने लगता है... ऋतु भी उसका पूरा साथ देती, उसके होंठ को चूसने लगती है और अपना हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को मुथियाने लगती है...
नकुल उसके होंठ को पूरा चूसते हुए अपने हाथ उसके बदन के सबसे पसंदीदा जगह तक के जाता है और ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूची को मथने लगता है.… "आउच.. आराम से दबाओ ना.. वरना सोच लो नीचे क्या है मेरे हाथ में".. इतना कहकर ऋतु आंख मार देती है और नकुल के होंठ से होंठ लगाकर उसके जीभ का पूरा रसपान शुरू कर देती है..
नकुल थोड़े प्यार तो थोड़े जोर के साथ उसके चूची को मस्त दबाने लगता है.. चूची की पूरी गोलाई को मेहसूस करने के लिए हाथ पीछे ले जाकर उसके ब्रा को खोल देता है और ऋतु को बिस्तर पर लिटा देता है..
नकुल थोड़ा दूर होकर उसके मस्त गोल चूची को देखने लगता है... चूची बिल्कुल गोल और खड़े निप्पल जैसे उसे बुला रहे थे और वो झुककर एक चूची को मुंह में लेते हुए दूसरे चूची के निप्पल को मिजने लगता है... "उफ्फफफफ, नकुल बड़ा मज़ा आ रहा है... ऊम्ममममम.. हां ऐसे ही थोड़ा जोर से दबाओ ना"..
नकुल मुस्कुराकर एक बार ऋतु के आखों मे देखता है फिर उसके दूसरे चूची को अपने मजबूत हथेली से कसते हुए चला जाता है.. हाथ का दवाब इतना ज्यादा था कि ऋतु की चींख निकल जाती है... वो नकुल के बाल खींचकर उसके सर को अपने चेहरे के पास लाती.. "बेबी आज प्यार से सब कुछ करने का मन है, शायद फिर कभी मौका मिले की नहीं, इसलिए सब कुछ प्यार से यादगार बाना दो"..
ऋतु कहती हुई वापस से उसके होंठ को अपने होंठ से लगाती चूसने लगती है.. कुछ देर नकुल भी उसके होंठ को चूसने के बाद, अपने जीभ से उसका पूरा चेहरा चाटते हुए, गीला करते धीरे-धीरे उसके चूचियों के ओर बढ़ जाता है..
पहले दाएं चूची के निप्पल के चारो ओर जीभ चलाते हुए बाएं चूची को मसलने लगता है, फिर बाएं चूची के निप्पल पर जीभ फिराने लगता है... ऋतु के बदन मे पहले से ही आग लगी हुई थी.. वो बार-बार अपने कमर को चादर पर मसलती हुई, नकुल के पीठ पर हाथ फेर रही थी..
नकुल अपने जीभ को धीरे से उसके दोनो चूची की गहराईं के बीच से लेकर नीचे सरकने लगता है... ऋतु को पूरा गुदगुदा एहसास सा होने लगता है... ऋतु नकुल के सर का बाल पर प्यार से हाथ फेरती हुई... "नकुल प्लीज आगे बढ़ जाओ, सुबह से ही केवल फोरप्ले चल रहा है... बेबी रियल प्ले करो ना"…
ऋतु की बात मानकर नकुल उसके सर के पास पहुंचा, ऋतु उसका लन्ड अपने मुंह में लेकर गिला कर देती है. नकुल फिर उसके दोनो पाऊं के बीच में आकर पहले पैंटी को निकला. उसके बाद चूत में मुंह डालकर, पूरे चूत को खोलकर उसे चूसते हुए दोनो पाऊं के बीच बैठ गया. लंड को चूत से लगाकर धीरे-धीरे पुरा लंड उसकी चूत में उतार दिया... "ईशशशशशशश बेबी"…
दोनो की नजरे एक दूसरे से टकरा रही थी और नकुल पुरा लंड बाहर निकाल कर एक पुरा झटका देता और वापस लंड बाहर निकलकर, फिर से पुरा झटका देता.. ऐसे लंबे-लंबे झटके ऋतु को और पागल बाना रहे थे.. वो मादक सिसकारी लेती नकुल के आखों में देख रही थी और नकुल उसे देखकर झटके लगा रहा था...
"नकुल मै भी तैयार होकर आयी हूं, मुझे भी तुम्हारी फैंटेसी अनुभव करनी है"… कहती हुई ऋतु उठी और घुटनों के बल होकर घोड़ी बन गई...
नकुल ऋतु के चूतड़ पर अपनी पूरी जीभ फेरते.. "पक्का तुम तैयार हो"… "हम्मम ! तुम आगे बढ़ो"… नकुल अपने जीभ उसके चूतड से फिरते हुए, उसके दरार को फैलाकर गान्ड के चारो ओर अपनी जीभ फिराने लगता है.. ऋतु का सरिर झटका खाने लगा.. उसकि चूत हल्का-हल्का रिसने लगती है... कुछ भयानक तो कुछ मादक वाली फीलिंग अभी से ही ऋतु के अंदर आने लगी थी...
नकुल पहले से सब तैयारी कर रखा था. कुछ देर जीभ से गीला करने के बाद नकुल उसके गान्ड के छेद को फैलाकर उसमे तेल डाल देता है और अपनी एक उंगली उसके अंदर और एक उंगली चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगता है..
ऋतु का बदन पूरे झटके खाने लगता है.. उसका बदन कभी इतना मादकता मेहसूस नहीं किया था.. झटके खाते हुए उसके चूत से पानी की फुहार बरसने लगती है और वो सीधी होकर, बिस्तर से टिककर अपने श्वांस सामान्य करने लगती है..
नकुल कुछ दूर हटकर उसके ऊपर नीचे होते स्तन को देखने लगता है. इतने में ऋतु अपनी आखें खोलकर उसे देखने लगती है. नकुल उसकी आंखों में देखते, नीचे से उसके पाऊं फैला देता है... नीचे बैठकर उसके जांघ को सपने कंधे पर लेकर, नकुल उसकी चूत को मुंह में भरकर उसे चूसते हुए क्लीट को दांत से हल्का-हल्का कुरदने लग जाता है..
अपना हाथ वो नीचे ले जाकर 2 उंगली उसकी गान्ड की छेद से लगाकर अंदर डालने लगता है... धीरे-धीरे छेद थोड़ी बड़ी होती जा रही थी.. तेल के कारन उंगली के अंदर जाने मे आसानी तो हुई, लेकिन उंगली इतनी टाईट जा रही थी कि ऋतु की दर्द भरी सिसक निकल जाती है..
एक बार फिर से दोहरा हमला नकुल ने शुरू कर दिया था शुरवाती हल्के दर्द के बाद, ऋतु फिर से मज़े के सातवे आसमान में थी.. ऋतु नकुल के बाल खींचकर एक बार फिर उसके आखों मै देखी और उसके होंठ पर गीला किस्स करती हुई कहने लगी... "मै तैयार हूं"..
नकुल ये सुनकर ऋतु के सीने के ऊपर पहुंचा और लंड उसके मुंह में डाल दिया.. लंड गीला करके नकुल नीचे पहुंचा जबतक ऋतु पेट के नीचे तकिया लगाकर उल्टी लेट गई.. उसकी उभरी चूतड़ कमाल का लुक दे रही थी.. नकुल नीचे से उसके दोनो जांघ फैलाकर दरार के पास लंड को ले जाता है और गंद कि छेद फैलाकर, लंड को छेद से लगाकर पुरा प्रेशर डालता है... लंड जैसे-जैसे नीचे उतर रहा था, ऋतु की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.. वो अपना मुंह में चादर डालकर दोनो हाथ पूरे मजबूती से भिंची हुई थी...
तेल होने के बावजूद भी लंड पुरा टाईट होकर अंदर घुस रहा था.. अंदर घुसने मे लंड को भी तकलीफ जा रही थी, लेकिन यह एक अलग ही उत्तेजना थी और नकुल धीरे-धीरे लंड को कुछ अंदर डालकर रुकता और फिर से लंड अंदर डालने लगता...
नकुल स्लो मोशन मे पुरा लंड गान्ड मै उतार चुका था, लेकिन ऋतु पूरी तरह से ऐसे दर्द मे आयी की वो चिल्लाई तो नहीं, लेकिन उसका पूरा बदन दर्द से कांप रहा था... नकुल अपना लन्ड अन्दर डालकर धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा और अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके दबे चूची के ऊपर अपना हाथ रख दिया..
ऋतु के गान्ड मे नकुल धीरे-धीरे धक्के मारते हुए, उसके निप्पल को मसलना शुरू कर दिया.. वो इतने प्यार से और हल्के हाथ से निप्पल को मसल रहा था कि ऋतु के सरीर मे धीरे-धीरे मादक प्रसार बढ़ने लगा... ऋतु की कमर ऐसे हिलने लगे की चूतड़ उसके बल खाकर थिरक रहे थे... "नकुल.. शुरू हो जाओ.. आह्हहहहहहह.. अब मज़ा आ रहा है"..
नकुल भी बहुत देर से दर्द ना के चक्कर में खुद पर बहुत काबू किए हुए था. इशारा मिलते ही फिर तो वो ऋतु के स्तन को पूरा दबाते हुए, ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा... ऐनल इंटरकोर्स इतना मज़ा देगी ऋतु को पता नहीं था.. एक अलग ही लेवल का वो सेक्स एन्जॉय कर रही थी..
इतने में ही नकुल इतना जोश में आया की वो पलंग पर बैठ और सीने पर हाथ देकर ऋतु के बदन को ऊपर उठाकर गोद में ले लिया... ऋतु भी अपने फैले पाऊं समेटकर उसके आगे हो गई..
ऋतु नकुल के गोद में बैठी थी और नकुल का लंड नीचे से उसके गंद में पुरा घुसा हुआ था... दोनो के पीठ आपस में जुड़ गए थे.. और आगे से नकुल उसके दोनो चूची को पूरा मसलते हुए धक्के लगाने लगा...
"ऊम्ममममममम.. आह्हहहहहहहहहहह... आह्हहहहह.. येसस.. बेबी... आह्हहहहहहहहहहहहहहह, उफ्फफफफफफ.. मज़ा आ गया और जोड़ से... और तेज... आह्हहहहह... आह्हहहह.." ऋतु पूरे जोश ने नकुल का उत्साह बढ़ाती...
नकुल उसके एक स्तन को छोड़कर उसके गर्दन को बाएं घुमाया और अपने जीभ निकालकर उसके होंठ को चाटने लगा... ऋतु भी अपने कमर जोर-जोर से हिलाती हुई, अपने जीभ बाहर करके नकुल के जीभ से मिलाकर उसके जीभ को चाटने लगी..
ऋतु का पुरा बदन जोर के झटको से हील रहा था.. तभी ऋतु उसके लंड से उठकर पलंग से नीचे उतर गई और दीवार से सीधी जाकर चिपक गई... दीवार से चिपककर वो अपने दोनो पाऊं को पूरा फैला लेती है...
नकुल भी बिस्तर से उठा और ऋतु के पास पहुंचकर उसके दोनो पाऊं को हाथ में लेकर जमीन से ऊपर उठा दिया. ऋतु की पीठ दीवार से पूरी टिकी थी और दोनो पाऊं हवा में.... ऋतु अपना हाथ नीचे ले जाकर लंड को चूत से लगाई और नकुल फिर धक्के पर धक्का देना शुरू कर दिया..
पूरे चूत में वो तेज तेज धक्का देने लगा. ऋतु की पीठ दीवार से टिकी ऊपर नीचे होती रही और दोनो होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे के होंठ चूसते, अपने-अपने कमर को जोर-जोर से हिला रहे थे...
तभी नकुल अपने पूरे चरम पर पहुंच जाता है.. उसके धक्के की रफ्तार इतनी थी, की ऋतु की पीठ दीवार से घिसकर छीलने लगती है.. ऋतु नकुल के गोद से उतरकर उसके लंड को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से 2-4 बार मुथयाई और नकुल आह्हहहहहह करता पुरा वीर्य उसके चेहरे पर पिचकारी कर दिया...
"आह्हहहहहह" की एक धिमि आवाज नकुल के मुंह से निकली और वो जाकर बिस्तर पर लेट गया... ऋतु अपने चेहरे को साफ करके उसके पास लेट गई... दोनो के चेहरे आमने सामने थे और दोनो एक दूसरे को देखकर धीमे-धीमे श्वास ले रहे थे.… "मज़ा आ गया नकुल.. मैने पहली बार एनाल सेक्स किया है, अलग ही लेवल का अनुभव था.."..
नकुल उसके होंठ पर अपनी जीभ फिरते... "मेरे लिए तुम्हारे इमोशन"..
ऋतु:- हां थोड़ा सा … एक क्यूट सा लड़का, जो काफी प्यारा है.... यही इमोशन शुरू से है... बस सेक्स की टीजिंग और सेक्स के वक्त तू बड़ा लगता है... इसलिए तेरे लिए कोई फीलिंग ना आएगी बेटा !!!
नकुल:- हम्मम ! अब क्या इरादा है...
ऋतु:- सेक्स पार्टनर, जब तक कि हमे कोई अपना नहीं मिल जाता... तबतक जब कभी मिले, थोड़ा सा मज़ा ले लिए... हिहिहीहिहि.… तू अपना बोल..
नकुल:- मै सीरियस तो नहीं, लेकिन कभी-कभी ख्याल आता है कि, एक गांव के शरीफ लड़के को तुमने बिल्कुल आधुनिक रिश्ते में बांध दिया.. मेरी कोई सेक्स पार्टनर होगी ऐसा तो कभी दूर के ख्यालों में भी नहीं था.…
ऋतु:- अरे गधे, ऐसा हर जगह होता है... तेरे गांव के किस्से मैंने मेनका से सुने है. वहां तो दोस्ती का मतलब सीधा सेक्स.. जब तक साथ रहे तब तक मज़े, शादी कौन करता है... मै तो ईमानदार हूं, कोई लाइफ पार्टनर होगा तो कोई दूसरा नहीं होगा... वहां तो एक्स्ट्रा मरियटल अफेयर (extra marital affair) भी जोड़ों पर है...
हां गांव में बस कोई मुझ जैसी ओपन पार्टनर चुनने वाली ना होगी.. इतना ही फर्क है ना... अपना-अपना जीने का तरीका है बेटा, बाकी आजकल गांव क्या और सहर क्या... सब अपने-अपने मज़े करते है... बाकी सेक्स और सेक्स पार्टनर और लाइफ पार्टनर को लेकर सबकी अपनी सोच है और मै उनका सम्मान करती हूं, सिवाय कुछ बातों को छोड़कर.. समझे बुद्धू...
नकुल:- वो कुछ बातें क्या है...
ऋतु:- नीतू जैसी लड़कियों से नफ़रत है... जो बदन के इस्तमाल को इतना बखूबी जानती है कि वो लड़की से पता नहीं क्या बन जाती है... दुख तो ये है कि फसाने वाली लड़कियों की कमी नहीं... और घृणा होती है मुझे ऐसे लोगों से...
नकुल गहरी श्वांस लेते.… "मेरी साधारण सी ख्वाइश थी, और तुम अचानक से बस उस ख्वाइश के बीच में आ गई.. ना तो मै सीरियस हूं तुम्हारे लिए और ना ही तुम जैसा किसी के साथ रिश्ता हो पाएगा… अब बहुत बातें हो गई जाने भी दो... छोड़ते है... मुझे समझ में ही नहीं आएगा कि इस पर मै क्या कहूं... बस कभी हक मत जमाना..."
ऋतु, नकुल के चेहरे पर हाथ फेरती… "हक तो मेरा तबतक रहेगा जबतक तू कह ना दे की मुझे मेरी ड्रीमगर्ल मिल गई.. और तुम्हे भी वो हक रहेगा... बाकी तू मेरे लिए सदा एक क्यूट सा लड़का ही रहेगा... समझा...
नकुल:- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है...
ऋतु बिस्तर से नीचे उतरती... "ठीक है तुम जाओ, मै कुछ देर से आती हूं, डेढ़ बज गए और मै यहां संगीता की शादी देखने आयी हूं.…
नकुल उसकी बात सुनकर ऋतु के होंठ पर एक छोटा सा चुम्बन लेकर, अपने कपड़े पहना और वहां से निकल गया... कमरे से बाहर निकलकर एक स्टाफ से उसे पूरी बात पता चल गई.. मेनका का दिव्यांश का सर फोड़ने से लेकर उसके मां बाप का यहां आकर हंगामा करना…
नकुल तो पहुंचा था मेनका से उसका हाल लेने और प्राची ने उल्टा उसका ब्योरा मांग किया. नकुल बस इस वक्त यही सोच रहा था कि वो था कहां... तभी प्राची उसे हिलाती... "क्या हुआ आशिक़ कहां खो गए"…
नकुल:- आज एक ही रात में इतनी घटनाएं हुई है कि मै क्या बता दूं कहां था.. बस इतना ही की मै सभी घटनाओं को मैनेज कर रहा था, सिवाय एक घटना के.. जिसे दीदी ने खुद मैनेज कर लिया..
मै:- छोड़ अब उसे जाने दे.. ऐसे शादियों में ये छोटी-छोटी घटनाएं होते रहती है. अभी संगीता की शादी पर कन्सन्ट्रेट करते है...
हम सब अब चल रही शादी को देख रहे थे. इतने में हमारे बीच ऋतु भी पहुंची.. हम सबको लगा की उसे चलने मे थोड़ी तकलीफ है.. पूछने पर वो अपने लहंगे को थोड़ा ऊपर करके, हील दिखती हुई कहने लगी... "यहां रेड कार्पेट बिछाकर लिखते भी नहीं... लड़कियों के लिए वार्निग, नीचे फ्लोर नहीं बल्कि आरा टेढ़ा जमीन है.. चलते हुए पाऊं ही हल्का मुड़ गया"..
उसकी बात सुनकर हम सबकी हंसी निकल गई... "इतना होने के बाद भी हाई हील अब भी पाऊं मे है. और घायल होने के बाद जाग भी रही हो"..
ऋतु:- तीखा खाने से मुंह जल जाता है तो क्या खाना छोड़ देते है... ये हाई हिल भी ऐसा ही है... और रही बात जागने की तो.. मै इतनी दूर संगीता की शादी में आयी हूं... आज पूरी रात थककर चूर हो गई उसके बाद में तेरे ही भाई से कल बॉडी मसाज लूंगी.. वो भी थाई मसाज…
आशा भाभी... ऐ ऋतु, तू किसके भाई की बात कर रही है...
ऋतु:- तुम ना जानो ऑटी, ये हमारे बीच की बात है... यहां पर कड़क जिसका हाथ होगा उसी से मसाज करवाऊंगी ना...
आशा भाभी ऋतु को बेशर्म कहती, दूसरे औरतों से बात करने लगी. उसके मजाकिया जवाब ने हम सबको हंसा दिया.. हंसी मज़ाक के बीच रात के साढ़े 3 बजे सिंदूरदान हुआ.. ये पल किसी भी लड़की पक्ष वालों के लिए थोड़ा भावुक होते है. संगीता के मम्मी-पापा के आखों मे आशु थे...
एक ग्रैंड सेलिब्रेशन का लगभग समापन होने जा रहा था.. लंबे समय का प्यार अपनी मंजिल पर था और दोनो (संगीता और मिथलेश) के चेहरे से लग रहा था कि दोनो कितने सुकून मे है.. दोनो एक दूसरे के लिए एक अच्छे और प्यारे जीवन साथी..
एक बात जो सत्य है, यदि संगीता जैसी लड़की किसी लड़के की किस्मत में हो, तो उसका जीवन में खुशियां कभी मुंह नहीं मोड़ सकती, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो... क्योंकि रिश्ते संजोने का काम हम लड़कियों का ही होता है....
मै खुश थी, प्राची दीदी खुश थी और उन्हे देखकर अंदर से यही आवाज आ रही थी "मेड फिर ईच अदर"….
"इट्स पार्टी टाइम … वूहू…" पुराने बराती तो मुंह छिपाकर उसी वक्त निकल लिए, जब नीलेश की जुलुश निकली. रुककर वो लोग भी अपनी इज्जत थोड़े ना उतरवाते...
संगीता के रिश्तेदार इस मंथन मे की लड़के का पता पहले नहीं लगा सकती थी, फिर आशा भाभी (नकुल की मां) को सुनाने लगे... कैसे तुम्हारे फरिक है, और कैसे संस्कार..
वो डिपार्टमेंट फिर संगीता के मम्मी और पापा ने संभाला और कहने लगे की... "शादी अभी टली नहीं है बल्कि असली बारात तो अभी आना बाकी है"… फिर आपस में जो भी ये लोग करे, इधर तो सामने से मिथलेश अपने कुछ रिश्तेदार और दोस्तों के साथ विवाह भवन में ग्रैंड एंट्री मार चुका था.…
देखते ही देखते वहां काम करने वाले वेटर ने पूरे मैदान से कुर्सियां हटाकर केवल आगे के 100 कुर्सियां रहने दिया... मुख्य द्वार से जैसे ही मिथलेश का कारवां जयमाला ग्राउंड तक पहुंचा... बूम बूम बूम... अंडरटेकर के एंट्री जैसे लाइट बुझाकर, रास्ते के दोनो किनारे से आतिश बाजी होने लगी और बिल्कुल उसी के कॉमेंटेटर कि टोन मे अनाउंस होना शुरू हुआ... "हेयर कम्स दि ओरिजनल सोलमेट ऑफ़ संगीता.. दि वन हंड्रेड एंड फिफ्टी फाइव पाउंड... मिस्टर मिथलेश प्रसाद सिन्हा".. (here comes the original soulmate of sangeeta.… The hundred and fifty five pound, mr. Mithlesh Prasad Sinha"….
ओह माइ गॉड ये क्या था, किसने प्लान किया था, हमारी तो हंसी ही नहीं रुक रही थी… तभी म्यूज़िक लाउड हुई... डीजे ने ओपनिंग साउंड बजाय.… "आँखों से छु लूं के बाहें तरसती हैं, दिल ने पुकारा है हाँ, अब तो चले आओ। आओ कि शबनम की बूँदें बरसती हैं, मौसम इशारा है हाँ, अब तो चले आओ"….
ये जब बजना शुरू हुआ, तभी बीच मैदान में केवल मिथलेश खड़ा था... जो हाथ संगीता के ओर उठा दिया, और संगीता भी मुस्कुराती हुई उसकी ओर चल दी.… दोनो कुछ कदम चलकर साथ हुए और तभी ओपनिंग लाइन खत्म होते ही चार बार कान फाड़ साउंड... "नचले, नचले.. आजा नचले".. 4 बार इन शब्दों को रिपीट करने के बाद, पुरा ही अंतरा चलाया... "आजा नचले नचले मेरे यार तू नचले" सोंग का...
उफ्फफ दूल्हा-दुल्हन साथ में क्या डांस कर रहे थे... हाय कितने प्यारे लग रहे थे... अरमान जागने लगे कि... "क्या कोई मुझे भी इतना चाहने वाले मिलेगा"…
मै संगीता और मिथलेश को देखकर कहीं खो सी गई थी, इतने में ही मिथलेश ने मेरा हाथ पकड़कर खींच लिया और मै बीच में.. और जब होश आया तो देखी यहां के फ्लोर पर तो मुझे और नकुल को केवल अकेला छोड़ा गया था.. बाकी सब हमे देख रहे थे...
नकुल की देखकर मै हंसी और कहने लगी भाई फिर बाजवा दे.. उसने भी कान फाड़ आवाज जी सिटी बजाई, और कहने लगा.. बजाओ रे… "देखा ना हाए रे, सोचा ना हाय रे".. और हम दोनों एक-एक हाथ का स्टेप लेते, डांस भी कर रहे थे और ठुमके भी लगा रहे थे...
कुछ देर बाद तो मुझे प्राची दीदी के भी नए गुण का पता चला, हम दोनों को नाचते देख वो इतनी जोर से हूटिंग करके सिटी बजाई की बाकियों की सिटी और हूटिंग एक तरफ और प्राची दीदी सब पर भारी…
मै और नकुल उनको देखकर हसने लगे और उन्हे भी खींच लिया... तुरंत ही म्यूज़िक बदला, वहां भीड़ में लोग नाचना शुरू कर दिए. हर कोई नाच रहा था लेकिन फ्लोर पर आग तो बंगलौर वालियों ने ही लगा रखा था..
वो जिसके साथ भी नाच रही थी, इतना चिपक के नाच रही थी कि दूसरे खड़े लड़के उन्हे देखकर बस यही सोच रहे थे... "उफ्फ मेरा नंबर कब आएगा".. उन्हीं में एक नाचने वाले कपल नकुल और ऋतु भी थे, लेकिन अब मैंने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया क्योंकि, थोड़ा खुश होने का हक़ तो उसे भी था... कौन सा दोनो कुछ ऐसी हरकत कर रहे थे जिसमे शर्म की बात हो...
बहरहाल मै और संगीता केवल ठुमके ही लगा रहे थे.. प्राची दीदी मिथलेश के साथ थोड़ा नाच रही थी.. इतने में डांस करते हुए मेरे पास खड़े एक लड़के ने मेरी कमर के किनारे को, अपने पंजे से दबोचकर छोड़ा…
मै पूरी तरह से सकपका गई, और किनारे होकर उसे घूरने लगी... अजीब सी कुत्ते वाली हसी थी और वैसा ही चेहरा.. मै गुस्से में उसे देखकर वापस से अपना ध्यान संगीता के साथ नाचने मे लगाई, लेकिन इस बार मैंने जगह बदल ली..
लेकिन ये लड़का तो बहुत बड़ा वला केस था, मै दूसरी ओर हुई तो वो दूसरे किनारे होकर अपना पूरा हाथ मेरे पीछे, कमर के नीचे से फेर दिया.... नकुल के पास एक छोटी सी कॉलर माईक थी, तुरंत उसने म्यूज़िक बंद करवाया और संगीता दीदी को घूरते हुए कहने लगा... साढ़े 11 बज गए है, पूरी रात पागल की तरह नाचना ही है क्या?"
लोग वहां से निकलकर अपनी-अपनी जगह लिए और संगीता, अपना मेकअप और कपड़े ठीक करने दुल्हन के कमरे में चली गई.. मै और प्राची दीदी आगे जा रहे थे तभी मुझे सुनाई दिया...
"सुन भाई, ये टच-वच जो तू कर रहा था गलत है, ऐसा दोबारा मत करना, शादी मे आया है तो सरीफों की तरह रह"
लड़का:- इतनी खुसबसरत और मस्त लड़की के लिए तो एक बार जान भी चली जाए तो गम नहीं.. उसका तू भाई है क्या? यदि हां, तो अपना पता बताओ मै रिश्ते की बात लेकर आऊंगा..
नकुल जोड़ से हंसा, इतनी तेज की हम दोनों (मै और प्राची दीदी) भी साफ सुन रहे थे... फिर नकुल उसके गाल को थपथपाते... "मुझे तू जरा भी अच्छा नहीं लगा, रिश्ते की बात भुल जा और जो समझाया वो याद रख"..
"ये दोनो किस लड़की की बात कर रहे है".. प्राची दीदी ने पूछा… "मेरी बात कर रहे हैं दीदी, नाचते वक्त मेरे कमर और पिछे हाथ साफ किया था इसने, शायद नकुल ने देख लिया होगा".. "बुला ले उसे कहीं झगड़ा ना कर ले"…. "वो तो झगड़ा नहीं ही करेगा दीदी, लेकिन उस लड़के की इक्छा होगी तो वो जरूर मार खा कर ही मानेगा"…
उधर वो लड़का नकुल को जवाब दिया.… "तेरे पसंद ना आने से घंटा होगा, वहीं तेरी बहन खड़ी है उससे पूछ ले"…
नकुल:- देख भाई, मै आराम से समझा रहा हूं और तू जाने के बदले बकवास कर रहा है... मै ही जाता हूं, और ध्यान रहे दोबारा नोटिस मे मत आना..
नकुल अपनी बात कहकर जैसे ही हमारे ओर पलटा... "नोटिस मे तो आज से आऊंगा ही तेरे, साले.. होने वाले जीजा को नोटिस नहीं करोगे"…
"ये साले कुत्ते की दुम ऐसे नहीं मानने वाला"… मै खुद से कही और आस पास देखने लगी…. "अरे ऐसे क्या ढूंढ रही है तू"…
प्राची दीदी ने जैसे ही यह बात मुझसे पूछी, नकुल दौर लगा दिया... "प्राची इसे पकड़ो, वरना उसका सर फोड़ देगी"… आप सोच रहे है की क्या हुआ..
दरअसल नकुल पूरे माहौल का जायजा पहले लेता है.. बारात, भिड़ और नाच.. लड़के थोड़े उद्वंड हो जाते है.. उसकी कोशिश रहती है, एक बार वार्निग देकर छोड़ दो.. ठीक उसके विपरीत मै.. कट लो वहां से और ज्यादा ढितपनी दिखाए तो हाऊंक दो डंडा, और मै वही डंडा ढूंढ रही थी...
नकुल मेरा हाथ पकड़ कर खिंचते हुए... "बस भी कर, अभी-अभी तो यहां इतना बड़ा कांड हुआ है, जाने दे समझा दिया है. वैसे भी तेरे से शादी की बात कर रहा था, अब रिश्ते की बात करने वालों को मारते थोड़े ना है"..
मै:- चुपकर गांधी जी.. पहले उसका नाक तोड़ने दे तब सुकून मिलेगा मुझे... एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी... शादी करेगा मुझसे... हरामजादा कहीं का...
प्राची:- बस भी कर इतना गुस्सा अच्छा नहीं..
मै गहरी श्वांस खींचती... "ठीक है छोड़ो मुझे, अब मै शांत हूं"…
नकुल ने मेरा हाथ छोड़ा, कुछ दूर तक हम शांत चल रहे थे. गुस्से से मै अभी भी हल्का तेज-तेज श्वांस खींच रही थी. तभी अचानक से मेरे दिमाग में कुछ बात स्ट्राइक की... "मुझे अभी दोनो से बात करनी है, नहीं नकुल से केवल..."
प्राची दीदी... "तो मै जाऊं क्या यहां से"..
मै:- नहीं तुम भी रुको दीदी, दोनो को साथ खड़े करके पूछने वाली बात है... तू ये बता, जब तू मुझे पकड़ने के लिए बोल रहा था तो क्या बोला?
नकुल:- मेनका को पकड़ो…
मै:- नाना उससे पहले क्या बोला था...
नकुल:- उससे पहले तो मै उस लड़के को वार्निग दे रहा था..
मै:- नहीं रे गधे, जब चिल्लाते हुए बोला था तब क्या बोला था...
नकुल:- यही की मेनका को पकड़ो...
मै:- अब लग रहा है तू जाना बूझकर नाटक कर रहा है... तूने कहा कि प्राची मेनका को पकड़ो..
प्राची:- हां तो, हम दोस्त है, मेरे पास भाई भी है और एक प्यारी सी छोटी बहन भी. एक दोस्त की कमी थी वो नकुल ने पूरी कर दी... कोई ऑब्जेक्शन है तुझे...
मै:- बड़ी लड़की से दोस्ती, बड़ी लड़की गर्लफ्रेंड, भतीजे तेरे लिए चिंता हो रही है... किसी आंटी को उठाकर ना ले आना..
प्राची:- हिहिहिहिहि… रेडीमेड बच्चे हो तो और भी ज्यादा अच्छा होगा...
उनकी बात सुनकर मै भी हसने लगी. वो बेचारा भागने लगा.. जब वो मुंह छिपाकर भाग रहा था तब पीछे से प्राची दीदी चिल्लाने लगी…. "ऋतु के पास जा रहा है क्या रे आशिक़"…
"रूपा चाची की भाषा आ गई है तुम दोनो मे पागलों"… कहता हुआ नकुल वहां से चला गया. हम दोनों पहुंचे संगीता के कमरे में जहां रूम पुरा लॉक था.. चार बार खटखटाने के बाद दरवाजा थोड़ा खुला और संगीता की दोस्त मृदुला हम दोनों को देखती.… "कोई आंटी तो नहीं साथ मे"..
प्राची दीदी झट से दरवाजा खोलकर मुझे अंदर लेती... "मुझे भी बुलाना था ना.. लाओ एक पेग मुझे भी दो"..
मै:- सब के सब बेवरी हो गई है... ऑफ़ ओ तो दुल्हन भी पेग मार रही है... मैडम के कितने पेग हो गए...
संगीता:- अभी जयमाला स्टेज पर भी नाचना होगा ना इसलिए 3 लिटिल वोदका शॉट लिया है...
मै:- आप लोग आओ, मै भी जाकर थोड़ा मेकअप और साड़ी ठीक करके आती हूं...
प्राची दीदी:- तू कहां चली रुक ना...
मै:- दीदी आप भी अपने मेकअप और कपड़े ठीक कर लेना, फोटो मे चमकता चेहरा आना चाहिए.. मै जरा वाशरूम भी जाऊंगी.. आप लोग एन्जॉय करो...
मै वहां से बाहर निकलकर, लेडीज के कमरे में आ गई, जहां आशा भाभी (नकुल की मां) और संगीता की मां अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ बैठकर बातें कर रही थी.. सब शायद लड़के के बारे में बात कर रहे थे, तभी संगीता की मां कहने लगी, नकुल और मेनका को तो सब शुरू से पता था...
मै तो आश्चर्य मे उन्हें देखने लगी. तभी आशा भाभी पूछने लगी.… "क्यों मेनका भाभी (नकुल की मां) क्या कह रही है"..
मै:- भाभी आपको जो भी पूछना है, मेरे साथ चलकर पूछ लेना, लेकिन अभी मेरे साथ चलो ना...
उन्होंने कुछ पूछा भी नहीं की कहां चलना है, वहां से उठकर आशा भाभी, अपनी भाभी यानी की संगीता की मां से कहने लगी, अभी आयी भाभी... और वो मेरे साथ चल दी...
मै उन्हे अपने कमरे में ले आयी, जहां मै तैयार हुई थी. फिर फाटक से बाथरूम में घुस गई थी... ये ठंड में ना मै बता नहीं सकती की पानी पीना कितना ख़तरनाक हो सकता है.. रोके रोके तो मेरी जान निकल गई थी.. वाशरूम से आकर मै चीत बिस्तर पर लेट गई... "भाभी मेरा बदन दुखने लगा है, पूछो अब क्या पूछ रही थी"..
आशा भाभी:- कुछ नहीं रे, वही मिथलेश और संगीता के बारे में, लेकिन जाने दे घर पर तू सब बता देना.. खाना खाई की नहीं अब तक...
मै:- भाभी नहीं खाई अब तक, जयमाला बाद खाऊंगी..
आशा भाभी:- तो चल ना यहां क्या कर रही है.. जयमाला तो शुरू होने वाला होगा...
मै:- इसलिए तो आपको साथ लेकर आयी हूं.. भाभी मेरी साड़ी सही कर दो ना..
भाभी हंसती हुई... "डरपोक कहीं की, अंधेरा हो गया था और तू अनजान जगह पर अकेले कमरे में आने से घबरा रही होगी...
मै आशा भाभी को देखकर हंसती हुई उनके गले लग गई और उनके गाल को चूमती हुई कहने लगी.... "आप मेरी दूसरी मां हो, और हां नकुल जैसा भाई देने के लिए धन्यवाद भाभी... देखना मै आपने भाई की शादी में जलसा करूंगी.. एक हफ्ते पहले से संगीत का आयोजन होगा... पूरे गांव को हफ्ते भर भोज खिलाऊंगी"…
भाभी मेरे सर पर एक चपेट लगाती, मेरे बालों में हाथ देकर उसे अपने हाथों से संवारती हुई कहने लगी... "मेरी जैसी इक्छा थी एक बेटी की, तू वहीं है. किसी का तो पता नहीं लेकिन जब तू बाहर गई थी तो मेरा मन नहीं लग रहा था"..
मै आशा भाभी के दोनो गाल खिंचते… "भाभी मेरे लिए कोई घर जमाई ढूंढना या फिर आस पास का लड़का... वरना मन को कठोर बनाना परेगा…"
आशा भाभी:- तब की तब देख लेंगे, अभी तो चल वरना जयमाला मिस हो जाएगी...
मै भी कहां गप्पे मारने में भुल ही गई थी कि शादी में आयी हूं.. भाभी से फटाफट अपनी साड़ी ठीक करवाई. हल्का मेकअप पोत कर हुलिए को पहला जैसा चकाचक कर लिया और बाहर चली आयी.
मै जब बाहर निकली संगीता के कमरे का भी दरवाजा खुला और फिर से उसे डोली मे ले जाया जाने लगा.. संगीता के पीछे से जीजा की सालियां अर्थात संगीता की 2-3 रिश्तेदार बहने आरती की थाली पकड़ी हुई थी...
चुमावन एक रश्म होता है जो जयमाला के दौरान और मरवा मे शादी के दौरान सालियां ये रश्म निभाती है... हां गिफ्ट मिलता है उन्हे, इसलिए वो भी ज्यादा उत्साह से इन रश्मों मे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है...
कुछ रशमें पुरानी औरतें, बोले तो सास के लेवेल की औरतों की होती है जो लोक गीत के दौरान गलियां देने की होती है... लेकिन उसमे अभी समय है, वो विवाह के रश्मों की बात है.. मुझे तो बहुत मज़ा आता है...
ओह मै बातों में लगी हूं और यहां बेवरियों की टीम तो निकलकर जयमाला स्टेज पर जा रही है... "ओह माइ गॉड.. ये तो लड़को को टक्कर देदे..".. "इतनी ज्यादा कैपेसिटी"… "मै होती तो लड़खड़ा कर गिर गई होती, और पता ना कौन लड़का मुझे उठाकर घर छोड़ने जाता"… "कब, पूरी रात रखने के बाद, या उसी वक्त"…. "ऑब्वियसली यार पूरी रात रखने के बाद, टूल होने के बाद कहां पता याद रहता"…
मै जब उनके पीछे गई तो संगीता की सहेलियां ऐसी ही कुछ बातें कर रही थी.. समझ में इतना तो आया कि किसी ने दबाकर पी है और वो इतना पीने के बाद भी पूरे होश में है.. कुल 5 लोग थे, जिसमे 3 बंगलौर की सहेलियां बात कर रही थी और चौथी जो डोली में चढ़कर जयमाला स्टेज पर जा रही थी, उसके बारे में तो ऋतु को पूरा पता होगा...
मै घूरते हुए प्राची दीदी को देखी... "कितने"..
प्राची दीदी:- ज्यादा नहीं रे, 8 पेग ही तो ली हूं, अभी 4 पेग और ले सकती हूं, तब भी नॉर्मल ही रहूंगी...
तभी पीछे से संगीता की एक सहेली बोली... "8 लार्ज से भी ज्यादा बड़ा पेग था..."
"बेवारी कहीं की, इतना कैसे"… मै आश्चर्य से पूछने लगी...
प्राची दीदी... आज रात जब हम साथ होंगे तब इसपर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे बच्चा.. अभी तो जयमाला स्टेज पर चल ना, कहां तू धीमे हो गई"…
मै हंसती हुई पीछे से उनके कमर में थोड़ा जोड़ की चिकोटी काटकर भागी.. हम सब पहुंच चुके थे जयमाला स्टेज पर, जहां एक ओर दूल्हे पक्ष के लड़के खड़े थे तो दूसरे ओर दुल्हन पक्ष के...
वहीं जयमाला स्टेज पर ही, जब सबसे ज्यादा व्यस्त समय होता है किसी भी शादी में, एक दूल्हा-दुल्हन के लिए. ठीक उसी वक्त मिथलेश प्राची से कहने लगा... "बहन को तो भाई के ओर से होना चाहिए प्राची, कहां तुम दुल्हन पक्ष से हो"…
प्राची दीदी थोड़ी सी इमोशनल हो गई. थोड़ा इमोशनल तो मिथलेश भी था.. और प्राची दीदी मुस्कुराती हुई उस ओर चली गई, मिथलेश के बिल्कुल पास..
जयमाला की रशमे फिर शुरू हुई.. वरमाला डालने के लिए थोड़े से मेहनत मशक्कत करवाने की कोशिश होने लगी.. दुल्हन को दुल्हन की सहेलियां पहले ऊपर कर रही थी, और बाद में दूल्हे के दोस्त, दूल्हे को...
मै वहीं खड़ी इन सब नजरों का लुफ्त उठा रही थी. इसी बीच नजर जब घूम रही थी, तब एहसास हुआ कि कोई बिना नजरें इधर-उधर किए, नीचे कुर्सी से, मुझे बस एक टक घुर रहा है... ये कोई और नहीं बल्कि वही लड़का था, जो डांस के वक्त कुछ ज्यादा ही टची हो रहा था...
खैर मैंने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया, और अपना पूरा ध्यान जयमाला पर लगाई.. 5 सालियां आकर विधि को पूरा करने लगी, और उसके बाद शुरू हो गया फोटो सेशन.. पहला आमंत्रण लड़के वालों का था, और दूल्हा पक्ष से सब आकर तस्वीरें लेने लगे...
इसी बीच वो लड़का मिथलेश के पास पहुंचा. शक्ल से थोड़ा रूठा लगा... मिथलेश ने कुछ कहा उससे, वो हाथ पाऊं झटकने लगा.. फिर प्राची दीदी और मिथलेश की बात हुई.. उसके बाद वो लड़का प्राची दीदी से हाथ मिलाया. दोनो के बीच थोड़ी सी बातचीत के बाद, दोनो हंसते हुए बात करने लगे... इसके बाद वो मिथलेश के सामने दोनो कान पकड़ा..
जब फोटो सेशन शुरू हुआ तब मै दूसरी लड़कियों के साथ नीचे उतर आयी और दूर से ही ये ड्रामे देख रही थी... फोटो सेशन होता रहा, वो लड़का, कभी प्राची दीदी से बात करता तो कभी मिथलेश से. लेकिन बार-बार वो नजर घूमाकर मुझे ही देख रहा था...
लगभग सवा 12 बज रहे थे. लड़के वालों का फोटो सेशन जैसे ही समाप्त हुआ, हमारा शुरू... हम लोगो पूरे ग्रुप के साथ तस्वीरें ले रहे थे, तभी अचानक ऋतु के जोर के "आउच" ने हमारा ध्यान खींचा.. ये बेवरि लड़कियां भी ना.. ऋतु को लगा कि उसकी हील किसी के पाऊं के ऊपर आ गई, और चौंककर उसके मुंह से आवाज निकल गया..
बहरहाल हम तस्वीरों मे अपना ध्यान लगाए हुए थे.… तभी मैंने गौर किया तो वो लड़का लगातार मेरी तस्वीर निकाल रहा था... गुस्सा तो तब आ गया जब वो मैदान से भागकर, विवाह मंडप वाले हॉल में भगा...
और उसी के 2 मिनट बाद ऐसा लगा कि वो लड़का छत से मेरी तस्वीर ले रहा है.. मैंने नकुल के पास ही खड़ी थी, उसका हाथ खींचकर कहने लगी, भाई विवाह मंडप वाले हाल के ऊपर देख तो, किसी कमरे के कि खिड़की पर कोई है क्या?..
नकुल ने ऊपर अपनी नजर दौड़ाई और उसे लगा कि एक कमरे की खिड़की पर कोई है, लेकिन अंधेरे की वजह से वो पहचान नहीं पाया... वो मुझसे पूछने लगा कि बात क्या हो गई, तो मै बात बदलती हुई... "कुछ नहीं बस ऐसे ही पूछ ली, तुमने खाना खा लिया क्या"..
नकुल हां में जवाब देते हुए कहने लगा, जयमाला के बाद पुरा अरेंजमेंट चेक करके सब स्टॉक पर नजर देना था, इसलिए पहले खा लिया… मै मुस्कुराती हुई कही कोई बात नहीं है, और ध्यान सामने की ओर देने लगी..
जयमाला स्टेज से उतरकर मै प्राची दीदी के साथ निकलकर खाने चली गई, और नकुल यहां का व्यवस्था देखने... मै प्राची दीदी के साथ चलती हुई... "तुम्हारा पेट तो चखने से ही भर गया होगा"…
"हाई दीदी, हेल्लो मिस"… सामने से वहीं सरदर्द हाथ हिलाते हुए चला आ रहा था...
"खाना खा लिए दिव्यांश"… प्राची दीदी पूछने लगी..
वो लड़का एक नजर मुझे देखते... "बस खाने ही जा रहा था... आपने खा लिया क्या?".. अपनी बात बोलकर वो दोबारा मुझे एक नजर देखा..
प्राची दीदी:- हम भी बस खाने ही जा रहे थे.. मेनका इससे मिलो, ये है दिव्यांश, मिथलेश का कजिन ब्रदर..
मै:- दीदी चलो ना खाना खाने, बाहर ठंड से मै सिकुड़ रही हूं...
दिव्यांश:- लक्स कोजी नहीं है क्या, ठंडी मे भी गर्मी का एहसास...
मै, उसकी बात को अनदेखा कर दोनो को वहीं छोड़ दी और प्लेट लेकर खाने चल दी… प्राची दीदी मुझे अकेले जाते देख दौरी हुई मेरे पास पहुंची... "हद है, मुझे छोड़कर चली आयी"..
मै:- दीदी डांस के वक्त उसने मेरे बदन पर 2 बार हाथ फेरा था, फिर भी अगर आप उससे बात करने में रुचि रखती है तो वो आपका फैसला है, लेकिन मुझसे बर्दास्त नहीं होगा.. मै आपको किसी बात के लिए थोड़े ना मना कर सकती हूं, इसलिए खुद किनारे हो गई... वैसे 2 प्लेट ले ली हूं पहले से, अपने हाथ का प्लेट रख दो वहीं...
प्राची दीदी.… अच्छा ये वही लड़का था.. वहां मुझे पता ही नहीं चला.. रुक उसकी अभी क्लास लेती हूं..
हम दोनों खाने के बुफे के ओर प्लेट लेकर चलते हुए बातें कर रहे थे... प्राची दीदी कि बात सुनकर मै क्या कहूं, बस शरीर और जुबान नहीं लड़खड़ा रहा था, बाकी दिमाग काम करना पुरा बंद कर दिया था... "आप बस खाने पर ध्यान दो, बाकी नकुल ने उसे वार्निग दे दिया था, अब जो होगा वो मै देख लूंगी"…
प्राची दीदी:- नाह मेरी बहन को कोई हाथ लगा दे और मै ख़ामोश रहूंगी...
"इसको चढ़ गई पक्के से.. गनीमत है अभी तमाशा कम कर रही है, जल्दी उपाय करना होगा वरना बीतते वक्त के साथ इन्हे संभालना मुश्किल हो जाएगा..."
मै कुछ सोचकर खाने की प्लेट लेकर एक राउंड टेबल तक पहुंची, उन्हे बिठाया और खुद चली गई किचेन मे.. जाने से पहले मै उन्हे बोलकर गई थी कि अपनी जगह से हिले ना.. मै विवाह भवन के किचेन में गई, वहां से नशा उतारने का स्ट्रॉन्ग दवा, यानी कि नींबू पानी, वो भी पानी तो थोड़े ही मात्रा मे होगा, गलास मे 10, 12 नींबू ही नींबू निचोड़ा हुआ था..
लौटकर जब आयी तो प्राची दीदी उस टेबल पर थी और साथ में वो लड़का दिव्यांश भी था.. बुरा सा मुंह बनाए मै उस टेबल पर पहुंची... "हेय मेनका, ये बहुत बुरा फील कर रहा है, जो भी इसने डांस के वक्त किया. प्लीज माफ कर दे बेचारे को"..
मै:- दीदी आप अब रहने दो इस मामले को.. सुनिए भैया आप कहीं और जाइए खाने..
दिव्यांश:- भैया, जहां संया साउंड सुनाई देना चाहिए, वहां भैया सुनाई दिया क्या?
मै फिर कुछ उसे बोलती वो फिर कुछ उल्टा बोलता.. बात खत्म होने के बदले बढ़ती ही रहती.. इसलिए उस लड़के को उसके हाल पर छोड़ते... "दीदी, चलो इसे पी जाओ"..
प्राची दीदी... "रक शर्त पर मै लूंगी इसे, जब तुम कहोगी की मैंने माफ किया दिव्यांश को"..
मै:- दिव्यांश भैया मैंने माफ किया आपको.. अब ठीक है, खुश ना..
प्राची दीदी पुरा गलास एक बार में गटकती हुई... "अब तू भी हैप्पी ना..
मै उसी गलास मे थोड़ा पानी डाल कर हिलाई और वापस से बढ़ाती हुई... "ये पी जाओ फिर मै हैप्पी रहूंगी"
प्राची दीदी उसे भी गटक गई.. गटकने के बाद कुछ देर तक वो शांत रही, फिर वो अपना प्लेट उठाकर चल दी खाने के काउंटर तक... जैसे ही वो गई... "सुनिए मिस मै ऐसा क्या करूं जो आप मुझे माफ़ कर देंगी"..
वो अपनी बात कहते हुए मेरे हाथ के ऊपर हाथ रख दिया, और मेरे आंखो में झांक रहा था.… मै अपना हांथ खींचकर.… "सुनो, मेरे भाई ने बहुत कोशिश कर ली, मै बहुत देर से इग्नोर कर रही. अब तू निकल यहां से अभी के अभी.."
मै उससे बात करती हुई, चारो ओर देख रही थी. उसे शायद लगा कि मै डरी हूं और किसी को ढूंढ रही हूं.. वो नीचे से मेरे पाऊं के ऊपर पाऊं रख दिया.… अब शांत रहने का मतलब होता आफत गले पालना.
मै खाने की भारी प्लेट उसके ऊपर उड़ेलती हुई, खाली प्लेट को उसके कनपटी पर दे मारी. प्लेट के कुछ टुकड़े उसके सर में घुस गए और ब्लीडिंग शुरू हो गई. जैसे ही यह ड्रामा हुआ, कुछ लोग जो वहां मौजूद थे हमारे टेबल के ओर जमा हो गए... "अब निकल लो यहां से, वरना ये सिर्फ ट्रेलर था."
वो लड़का दिव्यांश लोगों को जुटते देख वहां से निकल गया. लोगों की भिड़ से एक सज्जन मुझसे पूछने लगे क्या हुए बेटा... "कुछ नहीं अंकल जी, हमारे बीच शर्त लगी थी कि एक लड़की होकर मै किसी का सर फोड़ सकती की नहीं"..
वो सज्जन व्यक्ति:- ये कैसी शर्त थी...
मै:- शायद उसका सर आजतक नहीं फूटा था इसलिए ऐसी शर्त लगा रहा था.. गया होस्पिटल, अब वापस आएगा तो। शर्त के पैसे देगा...
सभी लोग वहां से हट गए. तभी प्राची दीदी खाने की दूसरी प्लेट लेकर टेबल पर बैठती हुई कहने लगी... "सो फाइनली तूने उसका सर फोड़ दिया"..
मै:- छोड़ो जाने दो उसे, मेरे नहीं तो नकुल के हाथो मार खाना ही था उसको...
प्राची दीदी.… और मेरे हाथ से मार नहीं खाता क्या?
मै:- छोड़ो ना दीदी, उसे मारने के लिए आपके होश में होना जरूरी था, जब आप सोच सकती की क्या करना चाहिए क्या नहीं... आप यदि होश में होती तो बात इतनी आगे ही नहीं बढ़ती...
प्राची दीदी... आई लव यू डार्लिंग... किसी लड़के से निपटने के लिए मेरा या नकुल का होश में होना जरूरी नहीं... तुमने उपचार कर दिया ना, वही बहुत है... चल अब मूड ठीक कर ले, और ये खा...
प्राची दीदी एक निवाला मेरी ओर बढ़ाती हुई कहने लगी.. मै वो निवाला उनके हाथ से खाने लगी.. तभी प्राची दीदी बोली... "मारती तो मै इसे जयमाला स्टेज पर ही.. वो लड़का अपने भाई मिथलेश से इसलिए रूठा था क्योंकि मिथलेश ने उसका इंट्रो तुझ से नहीं करवाया"..
प्राची दीदी:- हां सच बात कह रही हूं... जयमाला स्टेज पर ये इसलिए पहुंचा क्योंकि मै मिथलेश के तरफ हो गई.. वहां मिथलेश ने मेरा परिचय इससे करवा दिया... नजरे तो इसकी कितनी अच्छी थी वो मै स्टेज पर ही समझ गई, बस देख रही थी कि मुझसे बात क्या करता है..
मै:- फिर क्या हुआ दीदी...
प्राची दीदी:- फिर क्या, सुना कि मै दिल्ली में कई सालों से हूं, तो मेरी तारीफ... दीदी आप गॉर्जियस हो, सेक्सी हो.. फलाना हो, ढिकाना हो.. मै सुनती गई...
मै:- इतना सुनने की जरूरत क्या थी, वहीं एक खींचकर दे देती...
प्राची दीदी:- मै बस ओपिनियन ले रही थी... वहीं फिर स्टेज पर ही मुझसे कहने लगा.. "आई थिंक आई एम् इन लव विथ योर सिस्टर"… बस वहीं से इसके ऊपर काल शुरू. जानती है तुझे देखकर प्राउड फील जो गया... ना चिल्लाई, ना हंगामा.. पूरी कोशिश की मामला बात से निपटाने की और अंत मै ट्रीटमेंट देकर अपनी जगह बैठी रही... "आह्ह दैट्स माय सिस्टर"…
मै:- ओह हो मतलब आपको चढ़ी नहीं थी..
प्राची दीदी... पागल है, जब चढ़ने के लिए ही लिया था, तो चढ़ेगी क्यों नहीं, लेकिन थोड़ा थोड़ा.. वैसे यदि ज्यादा चढ़ी होती तो उसका सर पहले ही फुट गया होता...
मै:- पागल कहीं की.. चलो अब.. मुझे वाकई ने ज्यादा ठंड लग रही...
प्राची दीदी:- अरे रुक तो, खा तो लेने दे...
थोड़ी ही देर में हम मंडप वाले हॉल में थे. अंदर पुरा पैक था और हीटर कि सुविधा ने तो सिकोड़ हुए शरीर में जान डाल दिया था... गिनती के खास लोग ही थे वहां अंदर बैठे. पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे, बड़े बुजुर्ग वहां बैठकर सब सुन रहे थे.. दूल्हे को ससुरारी कपड़ा पहनने भेजा गया था, और दुल्हन के मंडप में अभी आने की देरी थी...
मै और प्राची दीदी, आशा भाभी (नकुल की मां) के पास जाकर बैठ गए.. वो और कुछ औरतें ढोल ले आयी थी. अब कुछ ही देर में लोक गीत पर गाली का सेशन होने वाला था... हम वहीं बैठकर आशा भाभी से बात करने लगे...
तकरीबन आधे घंटे बीते होंगे... तभी दिव्यांश सर पर पट्टी बंधवाकर, अपने माता-पिता के साथ उस हॉल में पहुंच गया और वो लड़का मेरे ओर इशारे करने लगा.. उसकी मां बड़ी तेजी से मेरे ओर आयी ही थी, कि आशा भाभी खड़ी होती... "मेरी बच्ची को छू भी ली ना.. तो यहां मै तांडव मचा दूंगी. इसलिए जो सोचकर बढ़ी हो कदम पीछे ले लो"…
"जब मां के ही संस्कार ऐसे हो तो बेटी का क्या दोष. मेरी ऐसी बेटी होती तो गला घोंटकर मार देती"… उसकी मां ने कहा...
आशा भाभी:- खबरदार, तू मेरी बच्ची का गला घोंटने कह रही है... इसको छूना कहीं ना तुम्हे और तुम्हारे समस्त परिवार को भारी पर जाए... मेनका ये गुस्से में क्यों आयी है..
मै:- भाभी इसका बेटा बदतमीजी पर उतर आया था.. हमने पहले भी 2 बार समझाया था, नहीं माना... इसके बेटे का सर फोड़ दिया मैंने..
जैसे ही वो औरत मेरे मुंह से ये बात सुनी, जोर-जोर से चिल्लाने लगी... माहौल और भी ज्यादा गरम हो गया. इसी बीच आशा भाभी उससे भी ज्यादा जोर से चिल्लाती... "लेकर जाओ अपने बेटे को, वरना अभी तो केवल सर फूटा है, हाथ पाऊं भी ना कहीं टूट जाए"…
"तुम घटिया लोग मेरे बेटे के बारे में ऐसा बोलोगे"… दिव्यांश का बाप बोला...
मिथलेश के पापा जो इतनी देर से 2 रिश्तेदारों के बीच नहीं आना चाहते थे, मामला शांत ना होता देख, उन्हे बाहर का रास्ता दिखाते हुए सीधा कह दिए... "बेटा का खून देखकर अगर दील मे आग लग गई हो तो बेटे से पूछ भी लेना था कि वो मार क्यों खाया... अब यहां तमाशा करने की जरूरत नहीं है... यहां मेरे बेटे की शादी है... शादी देखकर आशीर्वाद देकर जाइए या हंगामा करेंगे तो मुझे यहां की सिक्योरिटी बुलानी होगी"…
"कोई जरूरत नहीं है कमलेश (मिथलेश के पिताजी का नाम) अभी तो मै जा रहा हूं, लेकिन ये बात यहीं खत्म नहीं होगी"… उसके बाप ने कहा..
"हां आप राजा रजवाड़े के खानदान से है, बदला ले लीजिएगा, अब जाइए यहां से"… मिथलेश के पापा ने कहा..
उनके जाते ही पुरा माहौल शांत हो गया.. आशा भाभी मुझे देखकर पूछने लगी कि नकुल कहां है... "भाभी उसे मैंने ही कहा था शादी का काम देखने, वो पुरा काम खत्म करके पहुंचेगा"…
भाभी पुरा गुस्सा दिखती.… "सारे काम ठेके पर है फिर भी उसे व्यवस्था देखनी है... अब तू बीच में बिल्कुल भी नहीं आएगी"…
"अरे आंटी, कब तक आप मेनका को नकुल का सहारा देती रहेंगी, ऐसे तो उसे शादी के बाद दहेज मे नकुल को ले जाना होगा... गुस्सा छोड़ो भी.. जो मेनका के लेवल का मामला था वो निपटा ली. और जो आपके लेवल का मामला था आपने निपटा लिया... लड़के बाप ज्यादा उछलेगा, तो यहां लड़की के पिता भी है, और इसके आगे कुछ कहना ही नहीं है... चलिए ठुमके लगाते है, आपकी भतीजी की शादी है ना"..
टेंड्स माहौल के बाद, अंदर मंडप पर लोक गीत और ढोल बजने लगे... मै आशा भाभी को खींचकर उनके साथ ठुमके लगाने लगी. मेरे साथ प्राची दीदी भी, ठुमके लगाने लगी... माहौल शोरगुल और हंसी खुशी वाला हो गया था.. और इसी बीच संगीता की भी एंट्री मंडप पर हो गई...
संगीता दीदी के एंट्री के साथ नकुल भी अपना पूरा काम खत्म करके पहुंचा और मेरे पास खड़ा होकर... "फोड़ दी सर"…
मै हंसती हुई उसे देखी... "तू मेरे साथ ही रहना अभी, भाभी का पारा चढ़ा हुआ है"…
वो भी हंसते हुए नाटकीय ढंग से मेरे पल्लू उठाकर उसमे अपना चेहरा छिपाते… "दीदी अब ठीक है"…. "हिहिहिहीहि... हट पागल..."..
"ओय आशिक़.. यहां माहौल इतना गरम था और तेरे कानो तक बात नहीं पहुंची, ये कैसा मैनेजमेंट था"… प्राची दीदी पूछने लगी... नकुल सीधा खड़ा होकर हम दोनों को देखा... "तू क्या कर रहा था?"…. प्राची दीदी ने दोबारा पूछा
इधर नकुल... कर क्या रहा था.…
जुलुश निकल चुका था.. ऋतु और उसके दोस्तों को कुछ समझ में ही नहीं आया कि हुआ क्या यहां?.. उन्होंने पहले संगीता से पूछा था कि मिथलेश से शादी क्यों नहीं की, तब उसने फैमिली प्रेशर बताया.. और अब उन्होंने सुना की सब पहले से तय था, बस उस नीलेश को सबक सिखाना था..
तीनो ही लड़कियां नकुल को एक कमरे पकड़कर बिठाई, पुरा मामला समझी... और फिर जैसे ही तीनो वहां से निकलने लगी, नकुल ने पीछे से ऋतु को पकड़ लिया, आगे उसकी सहेलियां जा रही थी..
इस वक्त ये लोग विवाह भवन के दुल्हन वाले गलियारे मे थे, जहां से सब लोग विवाह भवन के दूसरे सेक्शन में जा चुके थे, जहां जयमाला और शादी का आयोजन था.. ऋतु अपनी आखें दिखाती… "मैंने दिन में ही बोल दिया था, रात को कुछ नहीं"..
नकुल हंसते हुए ऋतु को दीवार से चिपकाकर, उसके चोली के ऊपर से ही उसके स्तन पर हाथ फेरने लगता है.… "अरे रुक तो इशा, कहां भागी जा रही"… ऋतु चिल्लाई और नकुल झट हटकर छिप गया... ऋतु अपने हाथ में फसा दुपट्टा गोल-गोल घुमाती, हंसती हुई वहां से निकल गई...
ऋतु खाने के लिए चल दी.. थोड़ा सा खाकर वो प्लेट रखकर जैसे ही संगीता के कमरे के ओर बढ़ी, बीच में ही डेकोरेशन झाड़ के पीछे से, नकुल ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया... "हीहिहिहिहि... क्या हुआ मेरे बॉयफ्रेंड, कंट्रोल नहीं हो रहा क्या, बताई थी ना रात को कुछ नहीं"..
नकुल इधर-उधर देखा और सीधा अपने होंठ ऋतु के होंठ से लगाकर चूमने लगा.. ऋतु "ऊं ऊं ऊं" करती अपने होंठ बंद किए थे, लेकिन कुछ सेकंड बाद उसने खुद अपने होंठ खोल दिए और नकुल के मुंह में अपना जीभ डालती चूसने लगी.. नकुल भी उसके दोनो चूतड़ को अपने मुट्ठी से भींचते किस्स करने लगा...
तभी वहां कोई आ जाता है और ऋतु खुद को छुड़ाती... "तुम्हारे चक्कर में शादी का कोई भी इवेंट एन्जॉय नहीं करने दोगे... कहीं भागी थोड़े ना जा रही हूं, सारे अरमान पूरे कर लेना, चलो अब"… उसके बाद नकुल को घंटो ऐसा कोई मौका ही नहीं मिला... क्योंकि उसके बाद मिथलेश की एंट्री और फिर जयमाला...
मिथलेश के साथ जयमाला चल रही थी, लड़की वालों के फोटो सेशन का माहौल था. नकुल के बाएं ओर से ऋतु बिल्कुल उसके करीब खड़ी थी और लोग थोड़े से सिकुड़ कर फ्रेम मे आने की कोशिश कर थे. नकुल जैसे ही थोड़ा पीछे हुआ, ऋतु बिल्कुल उसके आगे थी...
पीछे से नकुल ने ऋतु के चूतड पर हाथ लगा दिया और उसे जोड़ से मसल दिया.. ऋतु "आउच" करती थोड़ी आगे सड़क गई. मेनका, प्राची, संगीता और बाकी के जितने भी लोग थे, सब पूछने लगे क्या हुआ…. "वो मेरी हिल अचानक किसी चीज के ऊपर आ गई और मुझे लगा पीछे वाले के पाऊं पर पड़ गया"…
मृदुला, संगीता की एक सहेली.… "तो चिल्लाना उसे चाहिए था ना"..
ऋतु, "अरे लेकिन" कहकर चुप हो गई और सामने ध्यान देने लगी...
एक तो नकुल के दिन का निमंत्रण, जिसके बारे में सोच सोचकर ऋतु की हालात पहले से ही खराब थी, ऊपर से 200 लोगों के बीच नकुल का इतनी सफाई से उसके अंगों को छूकर, कभी सहलाना तो कभी मसलना... उसकी चूत में आग सी कहीं लग रही थी...
लेकिन वो ये भी जानती थी कि इस वक्त यदि नकुल उसके साथ सेक्स करता है, तो उसे तैयार होने मे वक्त लग जाएगा. फिर वो काम नहीं हो पाएगा जिस काम के लिए वो आयी थी... बोले तो संगीता की शादी देखना... और जब वो इतनी दूर आकर उसकी शादी ही नहीं देख पाई, तो निमंत्रण तो वो बंगलौर मे भी पुरा कर सकती थी...
बस यही ख्याल उसके दिमाग में चल रहा था.. नकुल इस वक्त मेनका के साथ था, तो ऋतु के लिए अच्छा मौका था वाशरूम जाकर खुद को कुछ शांत करने का..
ऋतु नकुल के नज़रों से ओझल होती हुई वाशरूम मे जैसे ही घुसी... "यक्क… यहां तो मै बदबू से मर जाऊंगी".. ऋतु कॉमन वाशरूम की हालात देखकर वहां से निकलकर बाहर चली आयी और जिस ओर 3-4 कमरे बने हुए थे उस ओर चल दी...
हर दरवाजे पर बाहर से ताला लटका हुआ था, सिवाय दूसरे नंबर के कमरे को छोड़कर. ऋतु जल्दी से उस कमरे में घुस जाती है और लाइट का स्विच ढूंढने के लिए जैसे ही मोबाइल का फ़्लैश ऑन करती है.… "मर गई ऋतु"… सामने नकुल खड़ा था.
ऋतु भागने के लिए पलटी लेकिन नकुल उसके कमर से पकड़ कर उठा लेता है... "अरे अरे अरे.. नकुल प्लीज.. हिहीहिहिही.. जाने दो"…
"हाथ आयी छटपटाती चिड़िया को छोड़ दिया तो फुर्र हो जाएगी, और मै अपना लंड मसलते रह जाऊंगा"…
"छी देहाती.. नकुल प्लीज नीचे उतारो ना... आआआआआ, पागल.. कटना बंद करो और जाने दो ना.. मै बंगलौर से शादी आटेंड करने आयी हूं"…
नकुल दरवाजे का छिटकिनी लगाकर लाइट जला दिया और ऋतु को बिस्तर पर उछालकर पटक दिया... "आउच, जान ले लोगे क्या नकुल"..
"जानेमन, जयमाला स्टेज पर अभी दूल्हा एक घंटा बैठेगा, फिर उसे मंडप में बुलाया जाएगा, विध शुरू होगा और मेरे ख्याल से रात के 2 बजे दुल्हन मंडप मे आएगी.."
कहते हुए नकुल भी ऋतु के ऊपर छलांग लगा चुका था.. उसकी तो आखें बंद हो गई, लेकिन अगले ही पल उसे अपने होंठ पर जीभ के फिरने का एहसास होने लगता है...
ऋतु, नकुल के गले में हाथ डालकर उसके होंठ को चूमती हुई कहने लगी... "प्लीज मेरी ड्रेस खराब मत करो.. प्यार से, आराम से, सारे कपड़े निकालकर, जो जो तमन्नाएं है सब पूरी करो लो.. बस मेरी ड्रेस खराब मत करना, और शादी मिस मत करवाना"…
"आआआआ"… एक जोड़ की चींख ऋतु के मुंह से निकलती है. नकुल ऋतु के होंठ को दांत मे फसाकर उसे ऊपर तक खिंचते हुए छोड़ दिया. उसकी हालत पर हंसते हुए कहने लगा.… "जितने कपड़ों मे मै रहूंगा उतने कपड़ों में ही तुम्हे रखकर खेल खेलूंगा"..
ऋतु मुस्कुराती हुई नकुल के करीब पहुंची, पहले उसके कोट उतार दी. फिर अपने लंबे नाखून से उसके शर्ट के 3 बटन खोलकर उसे फैला दी और अपना जीभ उसके सीने से टिकाकर, धीरे-धीरे सरकाने लग जाती है. जीभ उसके सीने को गिला करती हुई, नकुल के निप्पल के ओर बढ़ रही थी और नकुल की श्वास बिखरने लगती है...
ऋतु अपने जीभ से नकुल के धंसे हुए निप्पल को चाटने लग जाती है और दूसरे निप्पल को चुटकी मे पकड़कर उसे धीरे धीरे मसलने लगती है… नकुल के तेज श्वान्स चलने की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी...
ऋतु 2 मिनट तक नकुल के निप्पल से खेलने के बाद उसके शर्ट के सारे बटन खोल देती है. नकुल के पीछे आकर वो धीरे से शर्ट को खींच देती है और पीछे से उसके गर्दन पर किस्स करती हुई अपने दांत गड़ाकर उसे लव बाइट देने लगती है...
बड़ा ही कामुक माहौल था और ऋतु, नकुल को पूरी तरह उत्तेजित करने में लगी हुई थी... कुछ ही देर में वो नकुल को बिस्तर पर घुटनों के बल बैठने बोलती है... नकुल ठीक वैसे ही किया और ऋतु उसके चूतड़ पर 2 चमाट मारती... "क्यों हीरो, ये पुरा वैक्स क्या सोचकर करवाया थे.. बिल्कुल चिकनी चमेली लग रही है ये तो"…
"तुम्हे ही बालों से परेशानी थी ना"… नकुल आगे से बोला.. ऋतु हंसती हुई अपनी हाथ आगे बढ़ाकर उसके लटकते लंड को पूरे गोटियों सहित पीछे खीच ली. लंड को हाथ में लेकर ऋतु नकुल के पीछे से, दरारों मे जीभ डालती उसे रिम जॉब देना शुरू कर देती है...
नकुल पूरी तरह से जैसे बेचैन हो गया हो.. उसके पाऊं कांपने लगे.. मस्ती में वो पुरा पागल होने लगा.. ऋतु भी उसके पागलपन को पुरा बढ़ाती, उसके दरारों मे पूरे जोश से अपना जीभ फिरा रही थी.. नकुल की मदाक सिसकारी ऋतु के जोश को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी...
nice update ..wo ladka maar khane ke baad apne maa baap ko jhagda karne ke liye leke aaya ..waise mujhe laga uske maa baap ki bhi thodi bahut pitaai hogi par bach gaye ..
rutu aur nakul to apne me hi mast hai ab ..