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Incest 𝗚𝗮𝗼𝗻 𝗞𝗶 𝗗𝗲𝘀𝗶 𝗞𝗮𝗺𝘂𝗸 𝗞𝗮𝗵𝗮𝗻𝗶𝘆𝗮 (𝘋𝘢𝘪𝘭𝘺 𝘯𝘦𝘸 𝘴𝘵𝘰𝘳𝘺)

mamta singh

A sweet housewife and mom
126
437
64
गाँव की कामुक कहानियो का संग्रह।।
।।रोज नई नई देसी गाँव की कामुक कहानियाँ, रिस्तो मे आते बदलाव की कहानियाँ, माँ बेटे के बिच प्यार की कहानियाँ, भाई बहन, बाप बेटी, की कामुक गरम कहानियाँ, रात रंगीन करने वाली कहानियाँ।।
images-10
।।INDEX।।
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first page
second massage #2
 
Last edited:

mamta singh

A sweet housewife and mom
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🥰{Story13}🥰
।। हाय... मेरा ससुर दीवाना ।।
🌹{Part06}🌹
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...
सासु माँ और ससुरजी एक साथ खाने पर बैठे, वे खाते हुए खेतो के बारे मे बात कर रहे थे। बारिश और तूफान के कारण सारे केले के पेड़ गिर चुके थे, भारी नुकसान हुई थी। सासु माँ थोड़ा कम लेकिन ससुरजी बहुत दुखी थे, फसल के बर्बाद होने से। उनकी चेहरे की हसीं उनके गम को छीपा नहीं पा रही थी। मै बड़े अच्छे से उनके चेहरे को पढ़ पा रही थी, की वे अंदर से कितना दुखी थे।

लेकिन आज बाजार मे व्यापारी से बात हो गयी थी की, सारे केले अच्छे भाव मे ले जायेगा। लेकिन अब शायद पेड़ गिर जाने के कारण उसकी अच्छी कीमत न मिले।

सासु माँ भरपेट खाने के बाद अपने कमरे चली गयी यह कहते हुए की "बहु आज बदन मे थोड़ी दर्द है, आज नींद मे होश भी न रहेगी।"

ससुरजी खाने को बड़ी धीरे धीरे करके मुश्किल से 2 रोटी खाये और उठ गए। मै कितना भी कहती रही पर वे बाहर के कमरे मे सोने चले गए।

मै -पापाजी आप बाहर क्यों सोने जा रहे हो?

ससुरजी - बहु मै आज अकेले सोना चाहता हु, थोड़ा मूड ठीक नहीं है। तुम अच्छे से दरवाजा बंद कर खाना खा कर सो जाना।

उसके बाद ससुरजी बाहर बने कमरे मे सोने चले गए जो हमारा गेस्ट रूम था जिसे गाँव मे दालान कहा जाता है।

मै उनके दुखी मन को देख कर थोड़ा आहात तो हो गयी थी। मै झट से खाना वाना खाया और सासु माँ को सोता देख, कमरे से बाहर आकर गिलास मे दूध लेकर ससुरजी के कमरे की ओर चली गयी।


IMG-20250728-WA0107
ससुरजी आँखे बंद कर लेटे हुए थे, दरवाजा बस सटाया हुआ था। मै अंदर गयी और अंदर से दरवाजा बंद की तो वे उठ के बैठ गए और बोले

ससुरजी -बहु तुम इस वक्त? तुम्हारी सासु माँ जागेगी तो पता नहीं क्या सोचेगी?

मै दरवाजे की कुण्डी लगाकर पलटी और हाथ मे गिलास लिए हल्की पायलों की छनक के साथ कदम बढ़ाते हुए उनके पास पहुंच गयी। बड़े ही गौर से और प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे।

मै उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे दूध का गिलास पकड़ा दी और बोली


IMG-20250728-WA0113
मै -आप सासु माँ की फ़िक्र ना करो वे सुबह तक नहीं उठने वाली है, थकी हुई है।

मै (मन मे)-चुदाई के बाद जो मीठी दर्द मे नींद आती वो भला भूकंप आने पर भी कहां पता चलता पाता है।

ससुरजी मुझे झकझोरते हुए "अरे बहु कहा खो गयी"।

मै हड़बड़ते हुए"अब ब.. पापाजी.. क क.. कही तो नहीं आप दूध पियो न।
आप दूध पियो कुछ खाय भी नहीं आज?

मेरी नाराजगी भरी बातो से वे हस पड़े और बोले
ससुरजी - अरे बहु मै कोई बच्चा थोड़े हु जो दूध पियूँगा।

मै -अब खाना तो खाये नहीं, कम से कम दूध ही ख़तम कर लो।

ससुरजी मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे, खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, मेरी बाल चेहरे पर लहरा रहे थे। कमरे की हल्की लाल रौशनी से चेहरा सोने की तरह चमक रहा था जिसे ससुरजी दूध पीते हुए निहार रहे थे।

वे मुझे निहारते हुए दूध को ख़त्म कर लिए। मेरी आँचल हवा से उड़ कर, उन्हें मेरी चिकनी पेट और नाभि के दर्शन करा रहे थे।

मै अपने चेहरे को दूसरे तरफ करके मुस्कुरा रही थी। मुझे पता थी की मेरी तीर सही जगह लगी है। इनकी उदासी दूर करने का यही उपाय थी। मै सोच रही थी की आगे क्या होगा तभी उन्होंने अपने उंगलियों के जादू मेरे चेहरे पर चलाने लगे।


IMG-20250728-WA0135
मेरी आँखे बंद होने लगी वे मेरी गोरे गाल और होंठ पर अपनी ऊँगली को फिराने लगे। फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मै उनके सीने पर लेट गयी। वे मेरे पुरे बदन को सहलाने लगे। कमरे की हल्की पिली रौशनी के साथ बाहर बिजली चमकने की सफ़ेद लाइट से हम दोनों के बदन चमक उठती। मै उनकी बाहों मे मचल रही थी और वे मेरी पुरे बदन को मसल रहे थे।

IMG-20250728-WA0142
हमारी सांसे तेज चलने लगी वे एक एक कर कपडे को बदन से गायब करने लगे। मुझे नीचे लेटा कर खुद मेरे ऊपर आय और बदन के हर चिकनी हिस्से को चूमने लगे। मेरी आँखे बंद थी. वे मेरी आँखों को चूमते हुए, गाल होंठ, गर्दन, छाती, पेट और जांघो से होते हुए, मेरी पैरो के अंगूठे को मुँह मे लेकर चूसने लगे।

मै आँखे बंद कर बेड पे मचल रही थी। उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... पापाजी.... हाय.....


let-me-touch-you-couples love-making-love davydoff-love
ससुरजी और मेरी हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ते हुए गरम हो रही थी।
उउउउफ्फ्फ...

वे मेरे ऊपर अपने बदन से मेरे बदन को मसलते हुए, मेरे होठो को अपने होठो मे लिए चूसने लगे. बाहर से आती बिजली चमकने की लाइट हम दोनों की चेहरे को चमका रही थी।

उनका कठोर लंड मेरे जाँघ मे लग रही थी. फिर वे मेरे ब्रा को निकाला और गोरी मुलायम चूचियो को हाथो मे तो कभी मुँह मे लेकर खेलने लगे।

हाय... आआहहहह.. उफ्फफ्फ्फ़..


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सासुरजी बच्चे की तरह मेरे चूचियो से खेलने लगे। उनका लंड और कठोर हो रहा था। उन्होंने अपने कच्छे उतारे और अपने 10"लंबा और 3"मोटे लंड हाथ मे लिए हिलाने लगे। मेरी दोनों चूचियो के बिच मे रगड़ते हुए मुँह मे देने लगे। उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़ बहुत बड़ा लंड था उनका।

फिर वे मेरी पैंटी उतारे और चिकनी चुत को ललचाई नजरों से देखने लगे। चुत पानी छोड़ कर गीली हो गयी थी। पहले वे ऊँगली अंदर डाले... उफ्फ्फफ्फ्फ़ग... ऐसा लगा जैसे लंड ही गया, मेरी शरीर कांप गया।

फिर वे जीभ लगाए और बड़े प्यार से चूसने लगे। उफ्फफ्फ्फ़... पापाजी... आआहहहह...


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वे लगातार मेरी चुत को चूस रहे थे। उनकी गरम जीभ से मेरी चुत गीली हो रही थी। चुत पानी छोड़ते हुए, उनके जीभ को अलग एहसास दे रहे थे।

गहरी रात, ऊपर से बरसात की चमक और अपने दीवाना ससुर की बाहों मे उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....

ससुरजी मेरी चुत चुसाई करके अपने लंड को मेरे चुत पर सेट किये और मेरे ऊपर लेट गए... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.. धीरे से ही धक्का लगाए की मै उचक के ऊपर खिसक गई।
हाय... दइया मर गयी उउउह्ह्ह...


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ससुरजी इस बार मुझे अपने बाहों मे जकड लिए, जैसे कोई मछली किसी जाल मे फस जाती है। एक जोर के झटके ने मेरी चुत को चिर दिया,, आआआआहहहहह.... आधा ही लंड गया होगा. उउउउफ्फ्फ्फ़... आअह्ह्ह... मेरी सांस अटक गयी।
आअह्ह्हह्ह्ह्ह... मरररररर गयी उउउउह्ह्ह.....

ससुरजी मेरे आँखों के आंसू को पी गए और मेरे चूचियो को सहलाते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। अभी दर्द ठीक से कम भी नहीं हुआ था की अपना 10" लम्बा लंड मेरे बच्चेदानी तक घुसा दिए..।


tumblr-3690d11dde7b24e56192241a5511317f-6f3233b2-250
आआहहहहहह... मा मर.. गयी..... आअह्ह्ह... उगह्ह्ह्ह... हाय...। ससुरजी मेरे दर्द कम करने के लिए मेरे होंठ, गर्दन और चूचियो को चूसने लगे।

जब थोड़ा आराम हुआ तब, ससुरजी मुझे अपने बाहों मे जकड़े हुए धिरे धीरे चोदने लगे। काफ़ी देर तक मै दर्द मे चुदती रही। आअह्ह्हह्ह्ह्ह....

उसके बाद ससुरजी की मधुर चुदाई से मेरी चुत गीली हो गयी और लंड अंदर बाहर बड़े आराम से होने लगा तब मै उनके बदन को सहलाते हुए चुदने लगी।

कमरे मे मेरी चुदाई की कामुक आवाज और पायलों को छन छन ने चुदाई को और सुरीली बना दिया।


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ससुरजी मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चुत मे पीछे से लंड डाल दिया। हाय...आअह्ह्ह... और फिर चोदने लगे। पीछे से लंड पूरा गहराई तक उतर जाता और चुत की आखिरी झिली को चुम कर वापस आता।

उफ्फ्फफ्फ्फ़.... इतनी मधुर चुदाई मुझे फिरसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। मै मजे से लेट कर चुद रही थी की ससुरजी खुद लेट गए और मुझे गोद मे बैठा कर चोदने लगे। हाय.... इस अंदाज मे चुदने का मजा भी कुछ और थी। आअह्ह्ह... लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी बच्चेदानी को चुम रहा था।


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हाय.... आआहहहह.... हह्म्म्मम्म....उउउह्ह्ह... आहहहह..

ससुरजी अब फिर से मुझे लेटा कर मेरे ऊपर लेट गए और लंड जड़ तक पेलने लगे।
आआहहहह.... हम दोनों चुदाई मे मशगूल थे। ससुरजी तेज झटको के साथ चुत चोद रहे थे।

चुदाई के आखिरी झटके शुरू हो गए थे, ससुरजी जी तेज झटको के साथ मेरी चुदाई कर रहे थे। उनकी रफ़्तार मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गरम पानी ने इस बार ससुरजी की भी लंड को निचोड़ दिया।


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ससुरजी तेज आअह्ह्ह के साथ दो तीन झटके मारे और मेरी चुत के बच्चेदानी मे सारा रस निचोड़ दिए। हाय......
.
...

Upcoming Next soon..
 

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।। हाय... मेरा ससुर दीवाना ।।
🌹{Part06}🌹
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सासु माँ और ससुरजी एक साथ खाने पर बैठे, वे खाते हुए खेतो के बारे मे बात कर रहे थे। बारिश और तूफान के कारण सारे केले के पेड़ गिर चुके थे, भारी नुकसान हुई थी। सासु माँ थोड़ा कम लेकिन ससुरजी बहुत दुखी थे, फसल के बर्बाद होने से। उनकी चेहरे की हसीं उनके गम को छीपा नहीं पा रही थी। मै बड़े अच्छे से उनके चेहरे को पढ़ पा रही थी, की वे अंदर से कितना दुखी थे।

लेकिन आज बाजार मे व्यापारी से बात हो गयी थी की, सारे केले अच्छे भाव मे ले जायेगा। लेकिन अब शायद पेड़ गिर जाने के कारण उसकी अच्छी कीमत न मिले।

सासु माँ भरपेट खाने के बाद अपने कमरे चली गयी यह कहते हुए की "बहु आज बदन मे थोड़ी दर्द है, आज नींद मे होश भी न रहेगी।"

ससुरजी खाने को बड़ी धीरे धीरे करके मुश्किल से 2 रोटी खाये और उठ गए। मै कितना भी कहती रही पर वे बाहर के कमरे मे सोने चले गए।

मै -पापाजी आप बाहर क्यों सोने जा रहे हो?

ससुरजी - बहु मै आज अकेले सोना चाहता हु, थोड़ा मूड ठीक नहीं है। तुम अच्छे से दरवाजा बंद कर खाना खा कर सो जाना।

उसके बाद ससुरजी बाहर बने कमरे मे सोने चले गए जो हमारा गेस्ट रूम था जिसे गाँव मे दालान कहा जाता है।

मै उनके दुखी मन को देख कर थोड़ा आहात तो हो गयी थी। मै झट से खाना वाना खाया और सासु माँ को सोता देख, कमरे से बाहर आकर गिलास मे दूध लेकर ससुरजी के कमरे की ओर चली गयी।


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ससुरजी आँखे बंद कर लेटे हुए थे, दरवाजा बस सटाया हुआ था। मै अंदर गयी और अंदर से दरवाजा बंद की तो वे उठ के बैठ गए और बोले

ससुरजी -बहु तुम इस वक्त? तुम्हारी सासु माँ जागेगी तो पता नहीं क्या सोचेगी?

मै दरवाजे की कुण्डी लगाकर पलटी और हाथ मे गिलास लिए हल्की पायलों की छनक के साथ कदम बढ़ाते हुए उनके पास पहुंच गयी। बड़े ही गौर से और प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे।

मै उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे दूध का गिलास पकड़ा दी और बोली


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मै -आप सासु माँ की फ़िक्र ना करो वे सुबह तक नहीं उठने वाली है, थकी हुई है।

मै (मन मे)-चुदाई के बाद जो मीठी दर्द मे नींद आती वो भला भूकंप आने पर भी कहां पता चलता पाता है।

ससुरजी मुझे झकझोरते हुए "अरे बहु कहा खो गयी"।

मै हड़बड़ते हुए"अब ब.. पापाजी.. क क.. कही तो नहीं आप दूध पियो न।
आप दूध पियो कुछ खाय भी नहीं आज?

मेरी नाराजगी भरी बातो से वे हस पड़े और बोले
ससुरजी - अरे बहु मै कोई बच्चा थोड़े हु जो दूध पियूँगा।

मै -अब खाना तो खाये नहीं, कम से कम दूध ही ख़तम कर लो।

ससुरजी मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे, खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, मेरी बाल चेहरे पर लहरा रहे थे। कमरे की हल्की लाल रौशनी से चेहरा सोने की तरह चमक रहा था जिसे ससुरजी दूध पीते हुए निहार रहे थे।

वे मुझे निहारते हुए दूध को ख़त्म कर लिए। मेरी आँचल हवा से उड़ कर, उन्हें मेरी चिकनी पेट और नाभि के दर्शन करा रहे थे।

मै अपने चेहरे को दूसरे तरफ करके मुस्कुरा रही थी। मुझे पता थी की मेरी तीर सही जगह लगी है। इनकी उदासी दूर करने का यही उपाय थी। मै सोच रही थी की आगे क्या होगा तभी उन्होंने अपने उंगलियों के जादू मेरे चेहरे पर चलाने लगे।


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मेरी आँखे बंद होने लगी वे मेरी गोरे गाल और होंठ पर अपनी ऊँगली को फिराने लगे। फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मै उनके सीने पर लेट गयी। वे मेरे पुरे बदन को सहलाने लगे। कमरे की हल्की पिली रौशनी के साथ बाहर बिजली चमकने की सफ़ेद लाइट से हम दोनों के बदन चमक उठती। मै उनकी बाहों मे मचल रही थी और वे मेरी पुरे बदन को मसल रहे थे।

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हमारी सांसे तेज चलने लगी वे एक एक कर कपडे को बदन से गायब करने लगे। मुझे नीचे लेटा कर खुद मेरे ऊपर आय और बदन के हर चिकनी हिस्से को चूमने लगे। मेरी आँखे बंद थी. वे मेरी आँखों को चूमते हुए, गाल होंठ, गर्दन, छाती, पेट और जांघो से होते हुए, मेरी पैरो के अंगूठे को मुँह मे लेकर चूसने लगे।

मै आँखे बंद कर बेड पे मचल रही थी। उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... पापाजी.... हाय.....


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ससुरजी और मेरी हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ते हुए गरम हो रही थी।
उउउउफ्फ्फ...

वे मेरे ऊपर अपने बदन से मेरे बदन को मसलते हुए, मेरे होठो को अपने होठो मे लिए चूसने लगे. बाहर से आती बिजली चमकने की लाइट हम दोनों की चेहरे को चमका रही थी।

उनका कठोर लंड मेरे जाँघ मे लग रही थी. फिर वे मेरे ब्रा को निकाला और गोरी मुलायम चूचियो को हाथो मे तो कभी मुँह मे लेकर खेलने लगे।

हाय... आआहहहह.. उफ्फफ्फ्फ़..


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सासुरजी बच्चे की तरह मेरे चूचियो से खेलने लगे। उनका लंड और कठोर हो रहा था। उन्होंने अपने कच्छे उतारे और अपने 10"लंबा और 3"मोटे लंड हाथ मे लिए हिलाने लगे। मेरी दोनों चूचियो के बिच मे रगड़ते हुए मुँह मे देने लगे। उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़ बहुत बड़ा लंड था उनका।

फिर वे मेरी पैंटी उतारे और चिकनी चुत को ललचाई नजरों से देखने लगे। चुत पानी छोड़ कर गीली हो गयी थी। पहले वे ऊँगली अंदर डाले... उफ्फ्फफ्फ्फ़ग... ऐसा लगा जैसे लंड ही गया, मेरी शरीर कांप गया।

फिर वे जीभ लगाए और बड़े प्यार से चूसने लगे। उफ्फफ्फ्फ़... पापाजी... आआहहहह...


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वे लगातार मेरी चुत को चूस रहे थे। उनकी गरम जीभ से मेरी चुत गीली हो रही थी। चुत पानी छोड़ते हुए, उनके जीभ को अलग एहसास दे रहे थे।

गहरी रात, ऊपर से बरसात की चमक और अपने दीवाना ससुर की बाहों मे उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....

ससुरजी मेरी चुत चुसाई करके अपने लंड को मेरे चुत पर सेट किये और मेरे ऊपर लेट गए... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.. धीरे से ही धक्का लगाए की मै उचक के ऊपर खिसक गई।
हाय... दइया मर गयी उउउह्ह्ह...


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ससुरजी इस बार मुझे अपने बाहों मे जकड लिए, जैसे कोई मछली किसी जाल मे फस जाती है। एक जोर के झटके ने मेरी चुत को चिर दिया,, आआआआहहहहह.... आधा ही लंड गया होगा. उउउउफ्फ्फ्फ़... आअह्ह्ह... मेरी सांस अटक गयी।
आअह्ह्हह्ह्ह्ह... मरररररर गयी उउउउह्ह्ह.....

ससुरजी मेरे आँखों के आंसू को पी गए और मेरे चूचियो को सहलाते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। अभी दर्द ठीक से कम भी नहीं हुआ था की अपना 10" लम्बा लंड मेरे बच्चेदानी तक घुसा दिए..।


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आआहहहहहह... मा मर.. गयी..... आअह्ह्ह... उगह्ह्ह्ह... हाय...। ससुरजी मेरे दर्द कम करने के लिए मेरे होंठ, गर्दन और चूचियो को चूसने लगे।

जब थोड़ा आराम हुआ तब, ससुरजी मुझे अपने बाहों मे जकड़े हुए धिरे धीरे चोदने लगे। काफ़ी देर तक मै दर्द मे चुदती रही। आअह्ह्हह्ह्ह्ह....

उसके बाद ससुरजी की मधुर चुदाई से मेरी चुत गीली हो गयी और लंड अंदर बाहर बड़े आराम से होने लगा तब मै उनके बदन को सहलाते हुए चुदने लगी।

कमरे मे मेरी चुदाई की कामुक आवाज और पायलों को छन छन ने चुदाई को और सुरीली बना दिया।


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ससुरजी मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चुत मे पीछे से लंड डाल दिया। हाय...आअह्ह्ह... और फिर चोदने लगे। पीछे से लंड पूरा गहराई तक उतर जाता और चुत की आखिरी झिली को चुम कर वापस आता।

उफ्फ्फफ्फ्फ़.... इतनी मधुर चुदाई मुझे फिरसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। मै मजे से लेट कर चुद रही थी की ससुरजी खुद लेट गए और मुझे गोद मे बैठा कर चोदने लगे। हाय.... इस अंदाज मे चुदने का मजा भी कुछ और थी। आअह्ह्ह... लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी बच्चेदानी को चुम रहा था।


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हाय.... आआहहहह.... हह्म्म्मम्म....उउउह्ह्ह... आहहहह..

ससुरजी अब फिर से मुझे लेटा कर मेरे ऊपर लेट गए और लंड जड़ तक पेलने लगे।
आआहहहह.... हम दोनों चुदाई मे मशगूल थे। ससुरजी तेज झटको के साथ चुत चोद रहे थे।

चुदाई के आखिरी झटके शुरू हो गए थे, ससुरजी जी तेज झटको के साथ मेरी चुदाई कर रहे थे। उनकी रफ़्तार मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गरम पानी ने इस बार ससुरजी की भी लंड को निचोड़ दिया।


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Haiii ufffff

Aakhri sasur ji aur sapna ka madhur milan ho hi gaya.
Sapna ne sasur ji ki udasi ka bakhubi ilaaj kiya apni garam chut se.
Bohot sexy update tha. Mazedar scene aur dilchasp lekhan...
Uffff hamare bhi niche tarangein uth gayi mamta singh ji.

Sasu maa ye sab hote hue gadhe ghode bech rahi thi ya kuch aur scene tha ..dekhna hoga..😁😆

Next madhur aur erotic update ka intezar rhega
 

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सासु माँ और ससुरजी एक साथ खाने पर बैठे, वे खाते हुए खेतो के बारे मे बात कर रहे थे। बारिश और तूफान के कारण सारे केले के पेड़ गिर चुके थे, भारी नुकसान हुई थी। सासु माँ थोड़ा कम लेकिन ससुरजी बहुत दुखी थे, फसल के बर्बाद होने से। उनकी चेहरे की हसीं उनके गम को छीपा नहीं पा रही थी। मै बड़े अच्छे से उनके चेहरे को पढ़ पा रही थी, की वे अंदर से कितना दुखी थे।

लेकिन आज बाजार मे व्यापारी से बात हो गयी थी की, सारे केले अच्छे भाव मे ले जायेगा। लेकिन अब शायद पेड़ गिर जाने के कारण उसकी अच्छी कीमत न मिले।

सासु माँ भरपेट खाने के बाद अपने कमरे चली गयी यह कहते हुए की "बहु आज बदन मे थोड़ी दर्द है, आज नींद मे होश भी न रहेगी।"

ससुरजी खाने को बड़ी धीरे धीरे करके मुश्किल से 2 रोटी खाये और उठ गए। मै कितना भी कहती रही पर वे बाहर के कमरे मे सोने चले गए।

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ससुरजी - बहु मै आज अकेले सोना चाहता हु, थोड़ा मूड ठीक नहीं है। तुम अच्छे से दरवाजा बंद कर खाना खा कर सो जाना।

उसके बाद ससुरजी बाहर बने कमरे मे सोने चले गए जो हमारा गेस्ट रूम था जिसे गाँव मे दालान कहा जाता है।

मै उनके दुखी मन को देख कर थोड़ा आहात तो हो गयी थी। मै झट से खाना वाना खाया और सासु माँ को सोता देख, कमरे से बाहर आकर गिलास मे दूध लेकर ससुरजी के कमरे की ओर चली गयी।


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ससुरजी आँखे बंद कर लेटे हुए थे, दरवाजा बस सटाया हुआ था। मै अंदर गयी और अंदर से दरवाजा बंद की तो वे उठ के बैठ गए और बोले

ससुरजी -बहु तुम इस वक्त? तुम्हारी सासु माँ जागेगी तो पता नहीं क्या सोचेगी?

मै दरवाजे की कुण्डी लगाकर पलटी और हाथ मे गिलास लिए हल्की पायलों की छनक के साथ कदम बढ़ाते हुए उनके पास पहुंच गयी। बड़े ही गौर से और प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे।

मै उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे दूध का गिलास पकड़ा दी और बोली


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मै -आप सासु माँ की फ़िक्र ना करो वे सुबह तक नहीं उठने वाली है, थकी हुई है।

मै (मन मे)-चुदाई के बाद जो मीठी दर्द मे नींद आती वो भला भूकंप आने पर भी कहां पता चलता पाता है।

ससुरजी मुझे झकझोरते हुए "अरे बहु कहा खो गयी"।

मै हड़बड़ते हुए"अब ब.. पापाजी.. क क.. कही तो नहीं आप दूध पियो न।
आप दूध पियो कुछ खाय भी नहीं आज?

मेरी नाराजगी भरी बातो से वे हस पड़े और बोले
ससुरजी - अरे बहु मै कोई बच्चा थोड़े हु जो दूध पियूँगा।

मै -अब खाना तो खाये नहीं, कम से कम दूध ही ख़तम कर लो।

ससुरजी मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे, खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, मेरी बाल चेहरे पर लहरा रहे थे। कमरे की हल्की लाल रौशनी से चेहरा सोने की तरह चमक रहा था जिसे ससुरजी दूध पीते हुए निहार रहे थे।

वे मुझे निहारते हुए दूध को ख़त्म कर लिए। मेरी आँचल हवा से उड़ कर, उन्हें मेरी चिकनी पेट और नाभि के दर्शन करा रहे थे।

मै अपने चेहरे को दूसरे तरफ करके मुस्कुरा रही थी। मुझे पता थी की मेरी तीर सही जगह लगी है। इनकी उदासी दूर करने का यही उपाय थी। मै सोच रही थी की आगे क्या होगा तभी उन्होंने अपने उंगलियों के जादू मेरे चेहरे पर चलाने लगे।


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मेरी आँखे बंद होने लगी वे मेरी गोरे गाल और होंठ पर अपनी ऊँगली को फिराने लगे। फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मै उनके सीने पर लेट गयी। वे मेरे पुरे बदन को सहलाने लगे। कमरे की हल्की पिली रौशनी के साथ बाहर बिजली चमकने की सफ़ेद लाइट से हम दोनों के बदन चमक उठती। मै उनकी बाहों मे मचल रही थी और वे मेरी पुरे बदन को मसल रहे थे।

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हमारी सांसे तेज चलने लगी वे एक एक कर कपडे को बदन से गायब करने लगे। मुझे नीचे लेटा कर खुद मेरे ऊपर आय और बदन के हर चिकनी हिस्से को चूमने लगे। मेरी आँखे बंद थी. वे मेरी आँखों को चूमते हुए, गाल होंठ, गर्दन, छाती, पेट और जांघो से होते हुए, मेरी पैरो के अंगूठे को मुँह मे लेकर चूसने लगे।

मै आँखे बंद कर बेड पे मचल रही थी। उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... पापाजी.... हाय.....


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ससुरजी और मेरी हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ते हुए गरम हो रही थी।
उउउउफ्फ्फ...

वे मेरे ऊपर अपने बदन से मेरे बदन को मसलते हुए, मेरे होठो को अपने होठो मे लिए चूसने लगे. बाहर से आती बिजली चमकने की लाइट हम दोनों की चेहरे को चमका रही थी।

उनका कठोर लंड मेरे जाँघ मे लग रही थी. फिर वे मेरे ब्रा को निकाला और गोरी मुलायम चूचियो को हाथो मे तो कभी मुँह मे लेकर खेलने लगे।

हाय... आआहहहह.. उफ्फफ्फ्फ़..


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सासुरजी बच्चे की तरह मेरे चूचियो से खेलने लगे। उनका लंड और कठोर हो रहा था। उन्होंने अपने कच्छे उतारे और अपने 10"लंबा और 3"मोटे लंड हाथ मे लिए हिलाने लगे। मेरी दोनों चूचियो के बिच मे रगड़ते हुए मुँह मे देने लगे। उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़ बहुत बड़ा लंड था उनका।

फिर वे मेरी पैंटी उतारे और चिकनी चुत को ललचाई नजरों से देखने लगे। चुत पानी छोड़ कर गीली हो गयी थी। पहले वे ऊँगली अंदर डाले... उफ्फ्फफ्फ्फ़ग... ऐसा लगा जैसे लंड ही गया, मेरी शरीर कांप गया।

फिर वे जीभ लगाए और बड़े प्यार से चूसने लगे। उफ्फफ्फ्फ़... पापाजी... आआहहहह...


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वे लगातार मेरी चुत को चूस रहे थे। उनकी गरम जीभ से मेरी चुत गीली हो रही थी। चुत पानी छोड़ते हुए, उनके जीभ को अलग एहसास दे रहे थे।

गहरी रात, ऊपर से बरसात की चमक और अपने दीवाना ससुर की बाहों मे उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....

ससुरजी मेरी चुत चुसाई करके अपने लंड को मेरे चुत पर सेट किये और मेरे ऊपर लेट गए... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.. धीरे से ही धक्का लगाए की मै उचक के ऊपर खिसक गई।
हाय... दइया मर गयी उउउह्ह्ह...


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ससुरजी इस बार मुझे अपने बाहों मे जकड लिए, जैसे कोई मछली किसी जाल मे फस जाती है। एक जोर के झटके ने मेरी चुत को चिर दिया,, आआआआहहहहह.... आधा ही लंड गया होगा. उउउउफ्फ्फ्फ़... आअह्ह्ह... मेरी सांस अटक गयी।
आअह्ह्हह्ह्ह्ह... मरररररर गयी उउउउह्ह्ह.....

ससुरजी मेरे आँखों के आंसू को पी गए और मेरे चूचियो को सहलाते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। अभी दर्द ठीक से कम भी नहीं हुआ था की अपना 10" लम्बा लंड मेरे बच्चेदानी तक घुसा दिए..।


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आआहहहहहह... मा मर.. गयी..... आअह्ह्ह... उगह्ह्ह्ह... हाय...। ससुरजी मेरे दर्द कम करने के लिए मेरे होंठ, गर्दन और चूचियो को चूसने लगे।

जब थोड़ा आराम हुआ तब, ससुरजी मुझे अपने बाहों मे जकड़े हुए धिरे धीरे चोदने लगे। काफ़ी देर तक मै दर्द मे चुदती रही। आअह्ह्हह्ह्ह्ह....

उसके बाद ससुरजी की मधुर चुदाई से मेरी चुत गीली हो गयी और लंड अंदर बाहर बड़े आराम से होने लगा तब मै उनके बदन को सहलाते हुए चुदने लगी।

कमरे मे मेरी चुदाई की कामुक आवाज और पायलों को छन छन ने चुदाई को और सुरीली बना दिया।


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ससुरजी मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चुत मे पीछे से लंड डाल दिया। हाय...आअह्ह्ह... और फिर चोदने लगे। पीछे से लंड पूरा गहराई तक उतर जाता और चुत की आखिरी झिली को चुम कर वापस आता।

उफ्फ्फफ्फ्फ़.... इतनी मधुर चुदाई मुझे फिरसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। मै मजे से लेट कर चुद रही थी की ससुरजी खुद लेट गए और मुझे गोद मे बैठा कर चोदने लगे। हाय.... इस अंदाज मे चुदने का मजा भी कुछ और थी। आअह्ह्ह... लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी बच्चेदानी को चुम रहा था।


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हाय.... आआहहहह.... हह्म्म्मम्म....उउउह्ह्ह... आहहहह..

ससुरजी अब फिर से मुझे लेटा कर मेरे ऊपर लेट गए और लंड जड़ तक पेलने लगे।
आआहहहह.... हम दोनों चुदाई मे मशगूल थे। ससुरजी तेज झटको के साथ चुत चोद रहे थे।

चुदाई के आखिरी झटके शुरू हो गए थे, ससुरजी जी तेज झटको के साथ मेरी चुदाई कर रहे थे। उनकी रफ़्तार मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गरम पानी ने इस बार ससुरजी की भी लंड को निचोड़ दिया।


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ससुरजी तेज आअह्ह्ह के साथ दो तीन झटके मारे और मेरी चुत के बच्चेदानी मे सारा रस निचोड़ दिए। हाय......
.
...

Upcoming Next soon..
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
आखिर ससुर और बहु का मिलन हो ही गया वो भी बरसात की रात में
जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Naughtyrishabh

Well-Known Member
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🥰{Story13}🥰
।। हाय... मेरा ससुर दीवाना ।।
🌹{Part06}🌹
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...
सासु माँ और ससुरजी एक साथ खाने पर बैठे, वे खाते हुए खेतो के बारे मे बात कर रहे थे। बारिश और तूफान के कारण सारे केले के पेड़ गिर चुके थे, भारी नुकसान हुई थी। सासु माँ थोड़ा कम लेकिन ससुरजी बहुत दुखी थे, फसल के बर्बाद होने से। उनकी चेहरे की हसीं उनके गम को छीपा नहीं पा रही थी। मै बड़े अच्छे से उनके चेहरे को पढ़ पा रही थी, की वे अंदर से कितना दुखी थे।

लेकिन आज बाजार मे व्यापारी से बात हो गयी थी की, सारे केले अच्छे भाव मे ले जायेगा। लेकिन अब शायद पेड़ गिर जाने के कारण उसकी अच्छी कीमत न मिले।

सासु माँ भरपेट खाने के बाद अपने कमरे चली गयी यह कहते हुए की "बहु आज बदन मे थोड़ी दर्द है, आज नींद मे होश भी न रहेगी।"

ससुरजी खाने को बड़ी धीरे धीरे करके मुश्किल से 2 रोटी खाये और उठ गए। मै कितना भी कहती रही पर वे बाहर के कमरे मे सोने चले गए।

मै -पापाजी आप बाहर क्यों सोने जा रहे हो?

ससुरजी - बहु मै आज अकेले सोना चाहता हु, थोड़ा मूड ठीक नहीं है। तुम अच्छे से दरवाजा बंद कर खाना खा कर सो जाना।

उसके बाद ससुरजी बाहर बने कमरे मे सोने चले गए जो हमारा गेस्ट रूम था जिसे गाँव मे दालान कहा जाता है।

मै उनके दुखी मन को देख कर थोड़ा आहात तो हो गयी थी। मै झट से खाना वाना खाया और सासु माँ को सोता देख, कमरे से बाहर आकर गिलास मे दूध लेकर ससुरजी के कमरे की ओर चली गयी।


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ससुरजी आँखे बंद कर लेटे हुए थे, दरवाजा बस सटाया हुआ था। मै अंदर गयी और अंदर से दरवाजा बंद की तो वे उठ के बैठ गए और बोले

ससुरजी -बहु तुम इस वक्त? तुम्हारी सासु माँ जागेगी तो पता नहीं क्या सोचेगी?

मै दरवाजे की कुण्डी लगाकर पलटी और हाथ मे गिलास लिए हल्की पायलों की छनक के साथ कदम बढ़ाते हुए उनके पास पहुंच गयी। बड़े ही गौर से और प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे।

मै उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे दूध का गिलास पकड़ा दी और बोली


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मै -आप सासु माँ की फ़िक्र ना करो वे सुबह तक नहीं उठने वाली है, थकी हुई है।

मै (मन मे)-चुदाई के बाद जो मीठी दर्द मे नींद आती वो भला भूकंप आने पर भी कहां पता चलता पाता है।

ससुरजी मुझे झकझोरते हुए "अरे बहु कहा खो गयी"।

मै हड़बड़ते हुए"अब ब.. पापाजी.. क क.. कही तो नहीं आप दूध पियो न।
आप दूध पियो कुछ खाय भी नहीं आज?

मेरी नाराजगी भरी बातो से वे हस पड़े और बोले
ससुरजी - अरे बहु मै कोई बच्चा थोड़े हु जो दूध पियूँगा।

मै -अब खाना तो खाये नहीं, कम से कम दूध ही ख़तम कर लो।

ससुरजी मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे, खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, मेरी बाल चेहरे पर लहरा रहे थे। कमरे की हल्की लाल रौशनी से चेहरा सोने की तरह चमक रहा था जिसे ससुरजी दूध पीते हुए निहार रहे थे।

वे मुझे निहारते हुए दूध को ख़त्म कर लिए। मेरी आँचल हवा से उड़ कर, उन्हें मेरी चिकनी पेट और नाभि के दर्शन करा रहे थे।

मै अपने चेहरे को दूसरे तरफ करके मुस्कुरा रही थी। मुझे पता थी की मेरी तीर सही जगह लगी है। इनकी उदासी दूर करने का यही उपाय थी। मै सोच रही थी की आगे क्या होगा तभी उन्होंने अपने उंगलियों के जादू मेरे चेहरे पर चलाने लगे।


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मेरी आँखे बंद होने लगी वे मेरी गोरे गाल और होंठ पर अपनी ऊँगली को फिराने लगे। फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मै उनके सीने पर लेट गयी। वे मेरे पुरे बदन को सहलाने लगे। कमरे की हल्की पिली रौशनी के साथ बाहर बिजली चमकने की सफ़ेद लाइट से हम दोनों के बदन चमक उठती। मै उनकी बाहों मे मचल रही थी और वे मेरी पुरे बदन को मसल रहे थे।

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हमारी सांसे तेज चलने लगी वे एक एक कर कपडे को बदन से गायब करने लगे। मुझे नीचे लेटा कर खुद मेरे ऊपर आय और बदन के हर चिकनी हिस्से को चूमने लगे। मेरी आँखे बंद थी. वे मेरी आँखों को चूमते हुए, गाल होंठ, गर्दन, छाती, पेट और जांघो से होते हुए, मेरी पैरो के अंगूठे को मुँह मे लेकर चूसने लगे।

मै आँखे बंद कर बेड पे मचल रही थी। उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... पापाजी.... हाय.....


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ससुरजी और मेरी हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ते हुए गरम हो रही थी।
उउउउफ्फ्फ...

वे मेरे ऊपर अपने बदन से मेरे बदन को मसलते हुए, मेरे होठो को अपने होठो मे लिए चूसने लगे. बाहर से आती बिजली चमकने की लाइट हम दोनों की चेहरे को चमका रही थी।

उनका कठोर लंड मेरे जाँघ मे लग रही थी. फिर वे मेरे ब्रा को निकाला और गोरी मुलायम चूचियो को हाथो मे तो कभी मुँह मे लेकर खेलने लगे।

हाय... आआहहहह.. उफ्फफ्फ्फ़..


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सासुरजी बच्चे की तरह मेरे चूचियो से खेलने लगे। उनका लंड और कठोर हो रहा था। उन्होंने अपने कच्छे उतारे और अपने 10"लंबा और 3"मोटे लंड हाथ मे लिए हिलाने लगे। मेरी दोनों चूचियो के बिच मे रगड़ते हुए मुँह मे देने लगे। उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़ बहुत बड़ा लंड था उनका।

फिर वे मेरी पैंटी उतारे और चिकनी चुत को ललचाई नजरों से देखने लगे। चुत पानी छोड़ कर गीली हो गयी थी। पहले वे ऊँगली अंदर डाले... उफ्फ्फफ्फ्फ़ग... ऐसा लगा जैसे लंड ही गया, मेरी शरीर कांप गया।

फिर वे जीभ लगाए और बड़े प्यार से चूसने लगे। उफ्फफ्फ्फ़... पापाजी... आआहहहह...


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वे लगातार मेरी चुत को चूस रहे थे। उनकी गरम जीभ से मेरी चुत गीली हो रही थी। चुत पानी छोड़ते हुए, उनके जीभ को अलग एहसास दे रहे थे।

गहरी रात, ऊपर से बरसात की चमक और अपने दीवाना ससुर की बाहों मे उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....

ससुरजी मेरी चुत चुसाई करके अपने लंड को मेरे चुत पर सेट किये और मेरे ऊपर लेट गए... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.. धीरे से ही धक्का लगाए की मै उचक के ऊपर खिसक गई।
हाय... दइया मर गयी उउउह्ह्ह...


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ससुरजी इस बार मुझे अपने बाहों मे जकड लिए, जैसे कोई मछली किसी जाल मे फस जाती है। एक जोर के झटके ने मेरी चुत को चिर दिया,, आआआआहहहहह.... आधा ही लंड गया होगा. उउउउफ्फ्फ्फ़... आअह्ह्ह... मेरी सांस अटक गयी।
आअह्ह्हह्ह्ह्ह... मरररररर गयी उउउउह्ह्ह.....

ससुरजी मेरे आँखों के आंसू को पी गए और मेरे चूचियो को सहलाते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। अभी दर्द ठीक से कम भी नहीं हुआ था की अपना 10" लम्बा लंड मेरे बच्चेदानी तक घुसा दिए..।


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आआहहहहहह... मा मर.. गयी..... आअह्ह्ह... उगह्ह्ह्ह... हाय...। ससुरजी मेरे दर्द कम करने के लिए मेरे होंठ, गर्दन और चूचियो को चूसने लगे।

जब थोड़ा आराम हुआ तब, ससुरजी मुझे अपने बाहों मे जकड़े हुए धिरे धीरे चोदने लगे। काफ़ी देर तक मै दर्द मे चुदती रही। आअह्ह्हह्ह्ह्ह....

उसके बाद ससुरजी की मधुर चुदाई से मेरी चुत गीली हो गयी और लंड अंदर बाहर बड़े आराम से होने लगा तब मै उनके बदन को सहलाते हुए चुदने लगी।

कमरे मे मेरी चुदाई की कामुक आवाज और पायलों को छन छन ने चुदाई को और सुरीली बना दिया।


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ससुरजी मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चुत मे पीछे से लंड डाल दिया। हाय...आअह्ह्ह... और फिर चोदने लगे। पीछे से लंड पूरा गहराई तक उतर जाता और चुत की आखिरी झिली को चुम कर वापस आता।

उफ्फ्फफ्फ्फ़.... इतनी मधुर चुदाई मुझे फिरसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। मै मजे से लेट कर चुद रही थी की ससुरजी खुद लेट गए और मुझे गोद मे बैठा कर चोदने लगे। हाय.... इस अंदाज मे चुदने का मजा भी कुछ और थी। आअह्ह्ह... लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी बच्चेदानी को चुम रहा था।


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हाय.... आआहहहह.... हह्म्म्मम्म....उउउह्ह्ह... आहहहह..

ससुरजी अब फिर से मुझे लेटा कर मेरे ऊपर लेट गए और लंड जड़ तक पेलने लगे।
आआहहहह.... हम दोनों चुदाई मे मशगूल थे। ससुरजी तेज झटको के साथ चुत चोद रहे थे।

चुदाई के आखिरी झटके शुरू हो गए थे, ससुरजी जी तेज झटको के साथ मेरी चुदाई कर रहे थे। उनकी रफ़्तार मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गरम पानी ने इस बार ससुरजी की भी लंड को निचोड़ दिया।


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ससुरजी तेज आअह्ह्ह के साथ दो तीन झटके मारे और मेरी चुत के बच्चेदानी मे सारा रस निचोड़ दिए। हाय......
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Upcoming Next soon..
वाह, क्या जबरदस्त चुदाई का वर्णन किया है, आखिरकार ससुर ने बहू का किला फतह कर ही लिया....
 

mamta singh

A sweet housewife and mom
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Haiii ufffff

Aakhri sasur ji aur sapna ka madhur milan ho hi gaya.
Sapna ne sasur ji ki udasi ka bakhubi ilaaj kiya apni garam chut se.
Bohot sexy update tha. Mazedar scene aur dilchasp lekhan...
Uffff hamare bhi niche tarangein uth gayi mamta singh ji.

Sasu maa ye sab hote hue gadhe ghode bech rahi thi ya kuch aur scene tha ..dekhna hoga..😁😆

Next madhur aur erotic update ka intezar rhega
😌😌🥰🥰🥰🥰
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
आखिर ससुर और बहु का मिलन हो ही गया वो भी बरसात की रात में
जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
😌😌😌🥰🥰🥰
वाह, क्या जबरदस्त चुदाई का वर्णन किया है, आखिरकार ससुर ने बहू का किला फतह कर ही लिया....
😌😌😌🫣🫣😘😘
Thanks dear😘😘😘😘
 

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
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🥰{Story13}🥰
।। हाय... मेरा ससुर दीवाना ।।
🌹{Part06}🌹
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सासु माँ और ससुरजी एक साथ खाने पर बैठे, वे खाते हुए खेतो के बारे मे बात कर रहे थे। बारिश और तूफान के कारण सारे केले के पेड़ गिर चुके थे, भारी नुकसान हुई थी। सासु माँ थोड़ा कम लेकिन ससुरजी बहुत दुखी थे, फसल के बर्बाद होने से। उनकी चेहरे की हसीं उनके गम को छीपा नहीं पा रही थी। मै बड़े अच्छे से उनके चेहरे को पढ़ पा रही थी, की वे अंदर से कितना दुखी थे।

लेकिन आज बाजार मे व्यापारी से बात हो गयी थी की, सारे केले अच्छे भाव मे ले जायेगा। लेकिन अब शायद पेड़ गिर जाने के कारण उसकी अच्छी कीमत न मिले।

सासु माँ भरपेट खाने के बाद अपने कमरे चली गयी यह कहते हुए की "बहु आज बदन मे थोड़ी दर्द है, आज नींद मे होश भी न रहेगी।"

ससुरजी खाने को बड़ी धीरे धीरे करके मुश्किल से 2 रोटी खाये और उठ गए। मै कितना भी कहती रही पर वे बाहर के कमरे मे सोने चले गए।

मै -पापाजी आप बाहर क्यों सोने जा रहे हो?

ससुरजी - बहु मै आज अकेले सोना चाहता हु, थोड़ा मूड ठीक नहीं है। तुम अच्छे से दरवाजा बंद कर खाना खा कर सो जाना।

उसके बाद ससुरजी बाहर बने कमरे मे सोने चले गए जो हमारा गेस्ट रूम था जिसे गाँव मे दालान कहा जाता है।

मै उनके दुखी मन को देख कर थोड़ा आहात तो हो गयी थी। मै झट से खाना वाना खाया और सासु माँ को सोता देख, कमरे से बाहर आकर गिलास मे दूध लेकर ससुरजी के कमरे की ओर चली गयी।


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ससुरजी आँखे बंद कर लेटे हुए थे, दरवाजा बस सटाया हुआ था। मै अंदर गयी और अंदर से दरवाजा बंद की तो वे उठ के बैठ गए और बोले

ससुरजी -बहु तुम इस वक्त? तुम्हारी सासु माँ जागेगी तो पता नहीं क्या सोचेगी?

मै दरवाजे की कुण्डी लगाकर पलटी और हाथ मे गिलास लिए हल्की पायलों की छनक के साथ कदम बढ़ाते हुए उनके पास पहुंच गयी। बड़े ही गौर से और प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे।

मै उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे दूध का गिलास पकड़ा दी और बोली


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मै -आप सासु माँ की फ़िक्र ना करो वे सुबह तक नहीं उठने वाली है, थकी हुई है।

मै (मन मे)-चुदाई के बाद जो मीठी दर्द मे नींद आती वो भला भूकंप आने पर भी कहां पता चलता पाता है।

ससुरजी मुझे झकझोरते हुए "अरे बहु कहा खो गयी"।

मै हड़बड़ते हुए"अब ब.. पापाजी.. क क.. कही तो नहीं आप दूध पियो न।
आप दूध पियो कुछ खाय भी नहीं आज?

मेरी नाराजगी भरी बातो से वे हस पड़े और बोले
ससुरजी - अरे बहु मै कोई बच्चा थोड़े हु जो दूध पियूँगा।

मै -अब खाना तो खाये नहीं, कम से कम दूध ही ख़तम कर लो।

ससुरजी मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे, खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, मेरी बाल चेहरे पर लहरा रहे थे। कमरे की हल्की लाल रौशनी से चेहरा सोने की तरह चमक रहा था जिसे ससुरजी दूध पीते हुए निहार रहे थे।

वे मुझे निहारते हुए दूध को ख़त्म कर लिए। मेरी आँचल हवा से उड़ कर, उन्हें मेरी चिकनी पेट और नाभि के दर्शन करा रहे थे।

मै अपने चेहरे को दूसरे तरफ करके मुस्कुरा रही थी। मुझे पता थी की मेरी तीर सही जगह लगी है। इनकी उदासी दूर करने का यही उपाय थी। मै सोच रही थी की आगे क्या होगा तभी उन्होंने अपने उंगलियों के जादू मेरे चेहरे पर चलाने लगे।


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मेरी आँखे बंद होने लगी वे मेरी गोरे गाल और होंठ पर अपनी ऊँगली को फिराने लगे। फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मै उनके सीने पर लेट गयी। वे मेरे पुरे बदन को सहलाने लगे। कमरे की हल्की पिली रौशनी के साथ बाहर बिजली चमकने की सफ़ेद लाइट से हम दोनों के बदन चमक उठती। मै उनकी बाहों मे मचल रही थी और वे मेरी पुरे बदन को मसल रहे थे।

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हमारी सांसे तेज चलने लगी वे एक एक कर कपडे को बदन से गायब करने लगे। मुझे नीचे लेटा कर खुद मेरे ऊपर आय और बदन के हर चिकनी हिस्से को चूमने लगे। मेरी आँखे बंद थी. वे मेरी आँखों को चूमते हुए, गाल होंठ, गर्दन, छाती, पेट और जांघो से होते हुए, मेरी पैरो के अंगूठे को मुँह मे लेकर चूसने लगे।

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ससुरजी और मेरी हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ते हुए गरम हो रही थी।
उउउउफ्फ्फ...

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उनका कठोर लंड मेरे जाँघ मे लग रही थी. फिर वे मेरे ब्रा को निकाला और गोरी मुलायम चूचियो को हाथो मे तो कभी मुँह मे लेकर खेलने लगे।

हाय... आआहहहह.. उफ्फफ्फ्फ़..


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सासुरजी बच्चे की तरह मेरे चूचियो से खेलने लगे। उनका लंड और कठोर हो रहा था। उन्होंने अपने कच्छे उतारे और अपने 10"लंबा और 3"मोटे लंड हाथ मे लिए हिलाने लगे। मेरी दोनों चूचियो के बिच मे रगड़ते हुए मुँह मे देने लगे। उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़ बहुत बड़ा लंड था उनका।

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गहरी रात, ऊपर से बरसात की चमक और अपने दीवाना ससुर की बाहों मे उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....

ससुरजी मेरी चुत चुसाई करके अपने लंड को मेरे चुत पर सेट किये और मेरे ऊपर लेट गए... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.. धीरे से ही धक्का लगाए की मै उचक के ऊपर खिसक गई।
हाय... दइया मर गयी उउउह्ह्ह...


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आअह्ह्हह्ह्ह्ह... मरररररर गयी उउउउह्ह्ह.....

ससुरजी मेरे आँखों के आंसू को पी गए और मेरे चूचियो को सहलाते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। अभी दर्द ठीक से कम भी नहीं हुआ था की अपना 10" लम्बा लंड मेरे बच्चेदानी तक घुसा दिए..।


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आआहहहहहह... मा मर.. गयी..... आअह्ह्ह... उगह्ह्ह्ह... हाय...। ससुरजी मेरे दर्द कम करने के लिए मेरे होंठ, गर्दन और चूचियो को चूसने लगे।

जब थोड़ा आराम हुआ तब, ससुरजी मुझे अपने बाहों मे जकड़े हुए धिरे धीरे चोदने लगे। काफ़ी देर तक मै दर्द मे चुदती रही। आअह्ह्हह्ह्ह्ह....

उसके बाद ससुरजी की मधुर चुदाई से मेरी चुत गीली हो गयी और लंड अंदर बाहर बड़े आराम से होने लगा तब मै उनके बदन को सहलाते हुए चुदने लगी।

कमरे मे मेरी चुदाई की कामुक आवाज और पायलों को छन छन ने चुदाई को और सुरीली बना दिया।


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ससुरजी मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चुत मे पीछे से लंड डाल दिया। हाय...आअह्ह्ह... और फिर चोदने लगे। पीछे से लंड पूरा गहराई तक उतर जाता और चुत की आखिरी झिली को चुम कर वापस आता।

उफ्फ्फफ्फ्फ़.... इतनी मधुर चुदाई मुझे फिरसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। मै मजे से लेट कर चुद रही थी की ससुरजी खुद लेट गए और मुझे गोद मे बैठा कर चोदने लगे। हाय.... इस अंदाज मे चुदने का मजा भी कुछ और थी। आअह्ह्ह... लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी बच्चेदानी को चुम रहा था।


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हाय.... आआहहहह.... हह्म्म्मम्म....उउउह्ह्ह... आहहहह..

ससुरजी अब फिर से मुझे लेटा कर मेरे ऊपर लेट गए और लंड जड़ तक पेलने लगे।
आआहहहह.... हम दोनों चुदाई मे मशगूल थे। ससुरजी तेज झटको के साथ चुत चोद रहे थे।

चुदाई के आखिरी झटके शुरू हो गए थे, ससुरजी जी तेज झटको के साथ मेरी चुदाई कर रहे थे। उनकी रफ़्तार मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गरम पानी ने इस बार ससुरजी की भी लंड को निचोड़ दिया।


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ससुरजी तेज आअह्ह्ह के साथ दो तीन झटके मारे और मेरी चुत के बच्चेदानी मे सारा रस निचोड़ दिए। हाय......
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Upcoming Next soon..
Sexy' update dear 👌👌👌
 
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