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Dosto, Next update post kar diya hai,,,,

Kahani ke naayak ka naam vishesh hai bhaiya ji aur update me main uske naam ka zikra bhi kar chuka hu. Shayad aapne dhyan nahi diya hoga. Khair aapne bilkul sahi kaha ki usne khatarnaak mansube paal rakhe hain. Kahani ke pahle update se wo apne aur apni manodasha ke bare me batata aa raha hai. Kahani ko uski manodasha ke hisaab se dekhenge to samajh jaayenge ki uske jaisa insaan aur uske jaisi kunthit buddhi ka byakti mahan ek cheez ki kharaabi ya kami ke liye kitna kuch karne ka mansuba bana rakha hai. Sahi galat kya hai ye wo samajhna hi nahi chahta aur na hi wo apne alwa kisi dusre ke bare me sochna chahta hai. Shayad yahi vajah hai ki wo ye sab karne ke liye itna pagal hai. Khair Shukriya aapki is khubsurat sameeksha ke liye,,,,नायक ने खतरनाक मंसूबे पाल रखे हैं । डबल गेम के थ्रू एकसाथ अपनी पत्नी और अपने कुलीग दोनों को अपने रास्ते से हमेशा के लिए हटाना चाहता है ।
लेकिन करना क्या चाहता है वो ? कहीं बंद कमरे में अंधेरे में दोनों की सेक्स तो नहीं करवाना चाहता है ? कहीं उनके बीडीओ वगैरह बनाकर ब्लैकमेलिंग तो नहीं करना चाहता है ? या उन्हें उन्हीं के नजरों से गिराकर आत्महत्या के लिए तो नहीं उकसाना चाहता है ?
या कुछ और ही प्लान उसके मन में है ? लेकिन जो भी हो , कर बिल्कुल ही गलत रहा है । जुर्म कागज के नाव की तरह होती है । जिस तरह कागज की नाव ज्यादा समय तक पानी में तैर नहीं सकती उसी तरह जुर्म करने वाले अधिक दिनों तक कानून से बच नहीं सकते ।
लेकिन अभी तक नायक की पहचान अधूरी है । न तो उसके नाम का खुलासा हुआ है और न ही उस शहर के जहां वो नौकरी कर रहा है ।
बहुत बढ़िया अपडेट शुभम भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
Aapki sameeksha me aapne khud hi apne sawaalo ke jawaab de diye hain. Is liye is bare me mujhe kuch kahne ki zarurat hi nahi hai. Bas itna hi kahuga ki ham kisi ke kiye ja rahe karmo ko tabhi sahi ya galat karaar dete hain jab ham ya hamara zahen shant hota hai aur sahi galat ko sochne ki kshamta rakhta hai. Lekin aisa aksar hota hai jab ham aisi kisi situation me hote hain to us waqt sahi galat ka faisla kar paane ki condition me nahi hote. Khair Shukriya madam is khubsurat sameeksha ke liye,,,,दूसरा भाग
बहुत ही बेहतरीन महोदय
नायक ने तो बहुत ही भयंकर चाल को अंजाम देने का सोच रखा है। शायद ये रूपा की हत्या से सम्बंधित है।लेकिन जहां तक मुझे लगता है तो नायक का यह बहुत ही घटिया चाल है। जब हम किसी के बारे में अच्छा नहीं सोच सकते हैं तो किसी का बुरा सोचने का हमको कोई हक नहीं है। अब नायक के साथ रूपा की शादी हो गई तो उसमे उसकी क्या गलती है, नायक के परायों जैसे व्यवहार के कारण भी रूपा ने कभी उससे शिकायत नहीं की केवल एक सुंदरता को छोड़कर रूपा में सारे गुण मौजूद हैं जो एक कुशल गृहणी में होने चाहिए।
और वैसे भी जब नायक ने अपना मन ही बना लिया है कि रूपा उसे सुंदर नहीं लगती। तो वो चाहे सोलह, बत्तीस या चौसठ श्रृंगार कर ले वो उसे कभी भी सुंदर नहीं लगेगी। क्योंकि उसने अपने मन मे ये धारणा बना रखी है, नहीं तो कितनी भी काली लड़की हो कितनी भी कुरूप क्यों न हो। अगर एक बार ब्यूटीपार्लर चली गई तो वहां से सुंदर बनकर ही बाहर निकलती है। नायक तो पहलवान से भी ज्यादा शातिर है। रूपा के साथ निशांत को बलि का बकरा बना रहा है। रूपा के साथ इतना प्रेम व्यवहार दिखा रहा है कि अगर कल हो उसके साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो नायक के ऊपर कोई शक न करे। निशांत भी पक्का लौंडियाबाज़ इंसान है वो अब नायक को रूपा से मिलाने के लिए कोई रिश्वत जरूर देगा।।
Insan jab kisi cheez ko karne ka pran kar leta hai to uske liye wo kuch bhi karte huye kisi bhi had tak ja sakta hai. Khaas kar vishesh jaisa insaan jise apni har cheez khaas hi chahiye hoti hai,,,,पहले अध्याय का दूसरा भागबहुत ही खतरनाक महोदय,बहुत ही गहरी चाल चली है नायक ने। शायद नायक का नाम विशेष है सोलंकी के कहेनुसार।। हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है। अपनी बीवी रूपा को तो एहसास भी नहीं होने दे रहा है कि उसके मन मे क्या चल रहा है। यही हाल सोलंकी के साथ भी है। बहुत मंझा हुआ और शातिर खिलाड़ी लग रहा है नायक।। लेकिन एक बात है, मुजरिम कितना भी शातिर क्यों न हो कहीं न कहीं गलती जरूर करता है वही गलती नायक भी करेगा।।
Ye kaha likha hai madam ki agar koi sammanit byakti hai to wo koi ghatiya kaam hi nahi kar sakta??लेकिन यहां पर एक बात गौर करने वाली ये है कि जब वो कार्यालय का इतना सम्मानित और सुलझा हुआ इंसान है तो उसके मन मे इतना घटिया विचार आया कैसे। माना कि आप किसी से नफरत करते हैं, लेकिन इस नफरत के चलते आप अपनी और उसकी जिंदगी क्यों बर्बाद करना चाहते हैं। चलो माना कि आपने प्लान को अंजाम दे दिया लेकिन अगर प्लान की पोल खुल गई तो क्या इज़्ज़त रह जाएगी नायक की ये भी उसे सोचना चाहिए, क्योंकि सोलंकी ने जिसकी फ़ोटो देखी है वो रूपा की नहीं है तो एक बार रूपा को देखकर जरूर सोलंकी कुछ न कुछ प्रतिक्रिया देगा। लगता है रूपा के ऊपर चारित्रिक लांछन लगाने का इरादा है नायक का।।