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Thriller ✧ Double Game ✧(Completed)

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नायक ने खतरनाक मंसूबे पाल रखे हैं । डबल गेम के थ्रू एकसाथ अपनी पत्नी और अपने कुलीग दोनों को अपने रास्ते से हमेशा के लिए हटाना चाहता है ।
लेकिन करना क्या चाहता है वो ? कहीं बंद कमरे में अंधेरे में दोनों की सेक्स तो नहीं करवाना चाहता है ? कहीं उनके बीडीओ वगैरह बनाकर ब्लैकमेलिंग तो नहीं करना चाहता है ? या उन्हें उन्हीं के नजरों से गिराकर आत्महत्या के लिए तो नहीं उकसाना चाहता है ?
या कुछ और ही प्लान उसके मन में है ? लेकिन जो भी हो , कर बिल्कुल ही गलत रहा है । जुर्म कागज के नाव की तरह होती है । जिस तरह कागज की नाव ज्यादा समय तक पानी में तैर नहीं सकती उसी तरह जुर्म करने वाले अधिक दिनों तक कानून से बच नहीं सकते ।

लेकिन अभी तक नायक की पहचान अधूरी है । न तो उसके नाम का खुलासा हुआ है और न ही उस शहर के जहां वो नौकरी कर रहा है ।

बहुत बढ़िया अपडेट शुभम भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
 
Last edited:

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
45,138
63,328
304
दूसरा भाग
बहुत ही बेहतरीन महोदय
नायक ने तो बहुत ही भयंकर चाल को अंजाम देने का सोच रखा है। शायद ये रूपा की हत्या से सम्बंधित है। 🤔🤔🤔 लेकिन जहां तक मुझे लगता है तो नायक का यह बहुत ही घटिया चाल है। जब हम किसी के बारे में अच्छा नहीं सोच सकते हैं तो किसी का बुरा सोचने का हमको कोई हक नहीं है। अब नायक के साथ रूपा की शादी हो गई तो उसमे उसकी क्या गलती है, नायक के परायों जैसे व्यवहार के कारण भी रूपा ने कभी उससे शिकायत नहीं की केवल एक सुंदरता को छोड़कर रूपा में सारे गुण मौजूद हैं जो एक कुशल गृहणी में होने चाहिए।
और वैसे भी जब नायक ने अपना मन ही बना लिया है कि रूपा उसे सुंदर नहीं लगती। तो वो चाहे सोलह, बत्तीस या चौसठ श्रृंगार कर ले वो उसे कभी भी सुंदर नहीं लगेगी। क्योंकि उसने अपने मन मे ये धारणा बना रखी है, नहीं तो कितनी भी काली लड़की हो कितनी भी कुरूप क्यों न हो। अगर एक बार ब्यूटीपार्लर चली गई तो वहां से सुंदर बनकर ही बाहर निकलती है। नायक तो पहलवान से भी ज्यादा शातिर है। रूपा के साथ निशांत को बलि का बकरा बना रहा है। रूपा के साथ इतना प्रेम व्यवहार दिखा रहा है कि अगर कल हो उसके साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो नायक के ऊपर कोई शक न करे। निशांत भी पक्का लौंडियाबाज़ इंसान है वो अब नायक को रूपा से मिलाने के लिए कोई रिश्वत जरूर देगा।।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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63,328
304
पहले अध्याय का दूसरा भाग
बहुत ही खतरनाक महोदय,
बहुत ही गहरी चाल चली है नायक ने। शायद नायक का नाम विशेष है सोलंकी के कहेनुसार।। हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है। अपनी बीवी रूपा को तो एहसास भी नहीं होने दे रहा है कि उसके मन मे क्या चल रहा है। यही हाल सोलंकी के साथ भी है। बहुत मंझा हुआ और शातिर खिलाड़ी लग रहा है नायक।। लेकिन एक बात है, मुजरिम कितना भी शातिर क्यों न हो कहीं न कहीं गलती जरूर करता है वही गलती नायक भी करेगा।।
लेकिन यहां पर एक बात गौर करने वाली ये है कि जब वो कार्यालय का इतना सम्मानित और सुलझा हुआ इंसान है तो उसके मन मे इतना घटिया विचार आया कैसे। माना कि आप किसी से नफरत करते हैं, लेकिन इस नफरत के चलते आप अपनी और उसकी जिंदगी क्यों बर्बाद करना चाहते हैं। चलो माना कि आपने प्लान को अंजाम दे दिया लेकिन अगर प्लान की पोल खुल गई तो क्या इज़्ज़त रह जाएगी नायक की ये भी उसे सोचना चाहिए, क्योंकि सोलंकी ने जिसकी फ़ोटो देखी है वो रूपा की नहीं है तो एक बार रूपा को देखकर जरूर सोलंकी कुछ न कुछ प्रतिक्रिया देगा। लगता है रूपा के ऊपर चारित्रिक लांछन लगाने का इरादा है नायक का।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,634
117,518
354
नायक ने खतरनाक मंसूबे पाल रखे हैं । डबल गेम के थ्रू एकसाथ अपनी पत्नी और अपने कुलीग दोनों को अपने रास्ते से हमेशा के लिए हटाना चाहता है ।
लेकिन करना क्या चाहता है वो ? कहीं बंद कमरे में अंधेरे में दोनों की सेक्स तो नहीं करवाना चाहता है ? कहीं उनके बीडीओ वगैरह बनाकर ब्लैकमेलिंग तो नहीं करना चाहता है ? या उन्हें उन्हीं के नजरों से गिराकर आत्महत्या के लिए तो नहीं उकसाना चाहता है ?
या कुछ और ही प्लान उसके मन में है ? लेकिन जो भी हो , कर बिल्कुल ही गलत रहा है । जुर्म कागज के नाव की तरह होती है । जिस तरह कागज की नाव ज्यादा समय तक पानी में तैर नहीं सकती उसी तरह जुर्म करने वाले अधिक दिनों तक कानून से बच नहीं सकते ।

लेकिन अभी तक नायक की पहचान अधूरी है । न तो उसके नाम का खुलासा हुआ है और न ही उस शहर के जहां वो नौकरी कर रहा है ।

बहुत बढ़िया अपडेट शुभम भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
Kahani ke naayak ka naam vishesh hai bhaiya ji aur update me main uske naam ka zikra bhi kar chuka hu. Shayad aapne dhyan nahi diya hoga. Khair aapne bilkul sahi kaha ki usne khatarnaak mansube paal rakhe hain. Kahani ke pahle update se wo apne aur apni manodasha ke bare me batata aa raha hai. Kahani ko uski manodasha ke hisaab se dekhenge to samajh jaayenge ki uske jaisa insaan aur uske jaisi kunthit buddhi ka byakti mahan ek cheez ki kharaabi ya kami ke liye kitna kuch karne ka mansuba bana rakha hai. Sahi galat kya hai ye wo samajhna hi nahi chahta aur na hi wo apne alwa kisi dusre ke bare me sochna chahta hai. Shayad yahi vajah hai ki wo ye sab karne ke liye itna pagal hai. Khair Shukriya aapki is khubsurat sameeksha ke liye,,,,:hug:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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दूसरा भाग

बहुत ही बेहतरीन महोदय

नायक ने तो बहुत ही भयंकर चाल को अंजाम देने का सोच रखा है। शायद ये रूपा की हत्या से सम्बंधित है। 🤔🤔🤔लेकिन जहां तक मुझे लगता है तो नायक का यह बहुत ही घटिया चाल है। जब हम किसी के बारे में अच्छा नहीं सोच सकते हैं तो किसी का बुरा सोचने का हमको कोई हक नहीं है। अब नायक के साथ रूपा की शादी हो गई तो उसमे उसकी क्या गलती है, नायक के परायों जैसे व्यवहार के कारण भी रूपा ने कभी उससे शिकायत नहीं की केवल एक सुंदरता को छोड़कर रूपा में सारे गुण मौजूद हैं जो एक कुशल गृहणी में होने चाहिए।

और वैसे भी जब नायक ने अपना मन ही बना लिया है कि रूपा उसे सुंदर नहीं लगती। तो वो चाहे सोलह, बत्तीस या चौसठ श्रृंगार कर ले वो उसे कभी भी सुंदर नहीं लगेगी। क्योंकि उसने अपने मन मे ये धारणा बना रखी है, नहीं तो कितनी भी काली लड़की हो कितनी भी कुरूप क्यों न हो। अगर एक बार ब्यूटीपार्लर चली गई तो वहां से सुंदर बनकर ही बाहर निकलती है। नायक तो पहलवान से भी ज्यादा शातिर है। रूपा के साथ निशांत को बलि का बकरा बना रहा है। रूपा के साथ इतना प्रेम व्यवहार दिखा रहा है कि अगर कल हो उसके साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो नायक के ऊपर कोई शक न करे। निशांत भी पक्का लौंडियाबाज़ इंसान है वो अब नायक को रूपा से मिलाने के लिए कोई रिश्वत जरूर देगा।।
Aapki sameeksha me aapne khud hi apne sawaalo ke jawaab de diye hain. Is liye is bare me mujhe kuch kahne ki zarurat hi nahi hai. Bas itna hi kahuga ki ham kisi ke kiye ja rahe karmo ko tabhi sahi ya galat karaar dete hain jab ham ya hamara zahen shant hota hai aur sahi galat ko sochne ki kshamta rakhta hai. Lekin aisa aksar hota hai jab ham aisi kisi situation me hote hain to us waqt sahi galat ka faisla kar paane ki condition me nahi hote. Khair Shukriya madam is khubsurat sameeksha ke liye,,,,:hug:
 

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पहले अध्याय का दूसरा भाग
बहुत ही खतरनाक महोदय,
बहुत ही गहरी चाल चली है नायक ने। शायद नायक का नाम विशेष है सोलंकी के कहेनुसार।। हर कदम फूंक फूंक कर रख रहा है। अपनी बीवी रूपा को तो एहसास भी नहीं होने दे रहा है कि उसके मन मे क्या चल रहा है। यही हाल सोलंकी के साथ भी है। बहुत मंझा हुआ और शातिर खिलाड़ी लग रहा है नायक।। लेकिन एक बात है, मुजरिम कितना भी शातिर क्यों न हो कहीं न कहीं गलती जरूर करता है वही गलती नायक भी करेगा।।
Insan jab kisi cheez ko karne ka pran kar leta hai to uske liye wo kuch bhi karte huye kisi bhi had tak ja sakta hai. Khaas kar vishesh jaisa insaan jise apni har cheez khaas hi chahiye hoti hai,,,,:D
लेकिन यहां पर एक बात गौर करने वाली ये है कि जब वो कार्यालय का इतना सम्मानित और सुलझा हुआ इंसान है तो उसके मन मे इतना घटिया विचार आया कैसे। माना कि आप किसी से नफरत करते हैं, लेकिन इस नफरत के चलते आप अपनी और उसकी जिंदगी क्यों बर्बाद करना चाहते हैं। चलो माना कि आपने प्लान को अंजाम दे दिया लेकिन अगर प्लान की पोल खुल गई तो क्या इज़्ज़त रह जाएगी नायक की ये भी उसे सोचना चाहिए, क्योंकि सोलंकी ने जिसकी फ़ोटो देखी है वो रूपा की नहीं है तो एक बार रूपा को देखकर जरूर सोलंकी कुछ न कुछ प्रतिक्रिया देगा। लगता है रूपा के ऊपर चारित्रिक लांछन लगाने का इरादा है नायक का।।
Ye kaha likha hai madam ki agar koi sammanit byakti hai to wo koi ghatiya kaam hi nahi kar sakta?? :D
Sach to ye hai ki aksar aisa hota hai ki jis cheez ki hamne kalpana nahi ki hoti wahi ho jaati hai. Duniya me aise bahut se log aapko mil jaayenge jo duniya ki nazar me bhagwan ban gaye lekin unki asaliyat ka jab pata chala to wo sabki nazro se bhi gir gaye. :dazed:
Vishesh ka plan aise kaise kisi ke saamne khul jaayega? Usne bahut soch samajh kar is kaarya ko karne ke liye kadam badhaya hai, lekin asal me wo karna kya chahta hai ye aage pata chal jaayega. Khair shukriya mahi madam is khubsurat sameeksha ke liye,,,,:hug:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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117,518
354
Chapter - 01
[ Plan & Murder ]
-----------------------------------

Update - 04
____________________







मैंने निशांत सोलंकी को अपने दूसरे रास्ते के बारे में जब बताया था तो वो मुझे इस तरह देखने लगा था जैसे मैं कोई अजूबा था। मैंने भी उसे संतुष्ट करने के लिए यही कहा कि ऐसा मैंने फिल्मों में देखा है और जिस तरह का मेरी बीवी का करैक्टर है उसके लिए यही एक रास्ता है जिसे अपनाना होगा। अब क्योंकि मैं ख़ुद ही ऐसा कह रहा था इस लिए निशांत ने भी सोचा कि चलो अच्छा ही है, यानि काम चाहे जैसे भी बने लेकिन काम होना चाहिए।

मैंने निशांत से उसका मोबाइल ले लिया था। उसने मोबाइल से अपना मेमोरी कार्ड निकाल लिया था। दूसरे रास्ते के बारे में मैंने उसे जो बताया था वही मेरे प्लान के दूसरे चरण का आख़िरी पड़ाव था। निशांत ख़्वाब में भी नहीं सोच सकता था कि उसने मुझे अपना मोबाइल दे कर मेरा काम कितना आसान कर दिया था। वो तो इसी बात से बेहद खुश था कि मैं प्रमोशन पाने के लिए अब इस हद तक उतर आया था कि खुद ही अपनी बीवी को ब्लैकमेल करने का रास्ता चुन लिया हूं, ताकि मैं उसे निशान्त के पास भेज सकूं। अब भला वो ये कैसे सोच सकता था कि उसका मोबाइल ही तो मेरे प्लान का सबसे बड़ा और ख़ास हिस्सा था।

रात में अपने मन को मार कर और ये सोच कर मैंने रूपा को प्यार किया कि अब इस कुरूप औरत से बहुत जल्द मेरा पीछा छूट जाएगा। ख़ैर प्यार की पारी समाप्त होने के बाद रूपा तो ख़ुशी ख़ुशी गहरी नींद में सो गई थी लेकिन मैं जागते हुए अपने प्लान और अपने मंसूबों के बारे में गहराई से सोचता रहा। मैं हर एक पहलू के बारे में अच्छी तरह से सोच लेना चाहता था। मैं नहीं चाहता था कि ज़रा सी चूक हो जाने की वजह से मेरे सारे किए कराए पर पानी फिर जाए।

दूसरा दिन मेरे लिए मेरे प्लान के अनुसार बेहद ही ख़ास था। छुट्टी का दिन था इस लिए हमेशा की तरह मैं रूपा को बाहर घूमाने ले जाने वाला था। मैंने रात में ही सोच लिया था कि अगले दिन मुझे क्या करना है। इस लिए सुबह होते ही मैंने रूपा को बता दिया कि आज हमें क्या क्या करना है। रूपा बेहद खुश थी और होती भी क्यों नहीं? साढ़े चार साल की तपस्या का उसे इतना अच्छा फल जो मिल रहा था। उसका पति उसे इतना प्यार और इतना मान जो दे रहा था। उसे अपनी पलकों पर बैठा लिया था और हर दिन नए तरीके से उसे खुश कर रहा था। ऐसी पत्नी को अपने पति से इसके अलावा भला और क्या चाहिए था?

घर से सुबह हम दोनों नास्ता कर के निकले थे। सुबह नौ से बारह सिनेमा हॉल में बैठ कर हम दोनों ने फिल्म देखी। उसके बाद रूपा के ही कहने पर मैं उसे चिड़िया घर दिखाने ले गया। वहां से हम दोनों ढाई बजे एक होटल में पहुंचे। मैंने उसे बताया था कि एक रात हम होटल के एक अच्छे से कमरे में रुकेंगे और वहीं पर एक दूसरे से प्यार करेंगे। रूपा मेरी ये बात सुन कर बेहद खुश हुई थी। अब भला वो ये कैसे सोच सकती थी कि होटल के कमरे में मैं उसे प्यार करने के अलावा और क्या करने वाला था?

दिन भर घूमने के चक्कर में रूपा कुछ ज़्यादा ही थक गई थी इस लिए होटल के कमरे में आते ही वो बेड पर सो गई थी। मैंने भी उसे आराम से सोने दिया, क्योंकि मेरे पास मेरे अपने काम के लिए काफी वक़्त था। कुछ देर मैं अपने प्लान के बारे में सोचता रहा और फिर मैं भी उसके बगल से सो गया। शाम को मेरी आँख खुली तो मैंने उसे जगाया। फ्रेश होने के बाद हम दोनों एक बार फिर घूमने निकल ग‌ए। घूम घाम कर हम वापस आठ बजे होटल आए। पहले तो होटल में हमने डिनर किया और फिर कमरे में आ गए।

डिनर कर के हम दोनों होटल के अपने कमरे में आ गए थे। रूपा बेहद खुश थी। मैंने भी समय बर्बाद न करते हुए रूपा को उसकी उम्मीद से ज़्यादा प्यार दे कर संतुष्ट किया। रूपा संतुष्ट होने के बाद बेड पर निढाल सी आँखें बंद किए पड़ी थी। उसके चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे। मेरी तरह वो भी निर्वस्त्र थी। हालांकि बेड की चादर को उसने अपने पेट तक खींच कर अपने आधे जिस्म को ढँक लिया था। पेट से ऊपर उसके जिस्म का बाकी हिस्सा निर्वस्त्र ही था जिसमें उसकी बड़ी बड़ी लेकिन गहरी सांवली छातियां कमरे में फैले लाइट के दुधिया प्रकाश में चमक रहीं थी।

उसे इस हालत में देख कर सहसा मुझे याद आया कि मुझे अभी अपना असली काम करना है। मैं बहुत ही आहिस्ता से बेड से नीचे उतरा और अपनी पैंट की जेब से निशांत का मोबाइल निकाला। रूपा अभी भी वैसे ही पड़ी हुई थी। मैंने निशांत के टच स्क्रीन मोबाइल से जल्दी जल्दी उसकी कुछ फोटो खींच ली। अब मैं चाहता था कि उसकी कुछ ऐसी फोटो भी लूं जिसमें उसकी आँखें खुली हुई हों और साथ ही वो थोड़ा हंसती मुस्कुराती नज़र आए। मैं ये भी चाहता था कि रूपा को ये न पता चल सके कि मैं उसकी फोटो खींच रहा हूं।

मैंने मोबाइल वाला हाथ पीछे किया और बेड में उसके थोड़ा क़रीब आ कर मैंने उसे पुकारा तो उसने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें खोली। इस बीच मैंने जल्दी से उसकी एक फोटो खींच ली थी और फिर झट से मोबाइल को छुपा लिया था। मैं उससे बातें करने लगा था और वो शरमाते हुए उठ गई थी। बेड की चादर उसके पेट तक ही थी इस लिए जब वो उठी तो वो सरक कर थोड़ा और नीचे हो गई थी। उसने अपनी ब्रा को खोजने के लिए बेड के दूसरी तरफ गर्दन घुमाई तो मैंने जल्दी से उसकी एक और फोटो खींच ली। इस बार मैंने मोबाइल को सामने ही अपने पैरों के पास इस तरह से रख लिया कि उसकी नज़र उस पर न पड़े। आगे की तरफ चादर थी जो उसके उठ जाने से बेड पर सिकुड़ कर थोड़ा ऊपर को उठ गई थी। ऐसे में उसे आसानी से मेरे हाथ में मौजूद मोबाइल नहीं दिख सकता था जबकि मैं नीचे से ही एंगल बना कर उसकी फोटो बड़े आराम से खींच सकता था।

रूपा को बातों में उलझा कर मैंने उसकी चोरी से कई सारी फोटो खींच ली थी। जब मैंने उसके जिस्म से उसके कपड़े उतारे थे तो मैंने जान बूझ कर उसके कपड़े कमरे के फर्श पर फेंक दिए थे ताकि बाद में उन्हें लेने के लिए उसे निर्वस्त्र हालत में ही बेड से नीचे उतरना पड़े और ऐसा हुआ भी। हालांकि रूपा को अपने निर्वस्त्र होने पर बेहद शर्म आ रही थी लेकिन फिर भी उसे कपड़े तो पहनने ही थे इस लिए मजबूरन उसे निर्वस्त्र ही बेड से उतरना पड़ा था। हालांकि मुझे तो ये भी डर था कि कहीं वो बेड की चादर को अपने जिस्म पर न लपेट ले, अगर ऐसा होता तो मेरे लिए समस्या हो जाती लेकिन अच्छा हुआ कि उसने ऐसा नहीं किया था। जब वो अपने कपड़े लेने के लिए बेड से उतर कर फर्श पर आई थी तो मैंने पीछे से उसकी फोटो बड़े आराम से खींच ली थी। उसके बाद अलग पोज़ में भी उसकी फोटो खींची थी। जब वो कपड़े उठाने लगी थी तब भी, और जब वो कपड़े ले कर सीधा खड़ी हुई तब भी। मैं उससे ऐसी बातें करता जा रहा था जिसमें उसके चेहरे पर हंसी भी दिखे और उसका मुस्कुराना भी।

मैं जो चाहता था वो हो चुका था इस लिए इस बात से मैं अंदर ही अंदर बेहद खुश हो गया था। रूपा को ज़रा भी इस बात की भनक न लग सकी थी कि मैंने उसकी निर्वस्त्र हालत वाली फोटो खींची थी। ख़ैर उसके बाद हम दोनों ही सो गए। दूसरे दिन हम दोनों होटल से वापस अपने घर आ गए।

दूसरे दिन जब मैं ऑफिस गया तो निशांत का मोबाइल भी अपने साथ ही ले कर गया। लंच करते समय निशांत ने मुझसे पूछा कि मैंने अपनी बीवी को फंसाने का काम किया कि नहीं तो मैंने उससे झूठ मूठ कहा कि मेरी बीवी की तबियत ख़राब थी इस लिए उसे नहीं ले जा पाया। निशांत मेरी बात सुन कर मायूस सा हो गया था। उसने अपना मोबाइल माँगा तो मैंने कहा कि मोबाइल मेरे पास ही रहना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि कोई जुगाड़ बन जाए।

निशांत को मैंने विश्वास दिला दिया था कि उसका काम हो जाएगा, बदले में उसने भी ये कहा कि जब उसका काम हो जाएगा तभी वो मेरे प्रमोशन के लिए मेरा नाम लिस्ट में डलवाएगा। मेरे लिए ये एक प्लस पॉइंट था। निशांत के पास दूसरा मोबाइल भी था इस लिए उसे अपने मोबाइल की फ़िक्र नहीं थी। वैसे भी उसने अपना वही मोबाइल दिया था जिसका नंबर कंपनी में किसी के पास नहीं था। उसका मोबाइल अपने पास ही रखने का मेरा बस यही मकसद था कि कुछ दिनों तक मैं उसके मोबाइल से रूपा को निशांत बन कर ही मैसेजेस करुंगा।

अपनी कुरूप बीवी को अपनी ज़िन्दगी से हमेशा के लिए दूर करने का मेरा प्लान अब आख़िरी चरण पर था। यानि वो दिन दूर नहीं जब मुझे हमेशा के लिए मेरी बीवी से छुटकारा मिल जाएगा।

निशांत सोलंकी की हत्या करके उसकी हत्या में अपनी बीवी को फंसा देना ही मेरा असल प्लान था। इतने दिनों से ये जो कुछ भी मैं कर रहा था वो सब इसी बात की भूमिका थी। अब ऐसा तो हो नहीं सकता था कि निशांत सोलंकी मेरी बीवी रूपा पर इतना ज़्यादा फ़िदा हो जाता कि वो ख़ुद उसे फांसने का सोचता। सच तो ये है कि उसके मन में मेरी बीवी को भोगने का अगर ख़याल भी आता तो वो उसे देखते ही अपना ये ख़याल जीवन भर के लिए मिटा देता। उसके बाद मेरे उस मंसूबे का क्या होता जो मैंने बनाया हुआ था? यानि अपनी कुरूप बीवी से हमेशा के लिए छुटकारा पाना। ख़ैर इसी लिए मुझे ये सब करना पड़ा और इस तरीके से करना पड़ा कि निशांत को ज़रा भी इस बात का शक न हो सके कि इस सबके पीछे मेरा मकसद क्या है। कंपनी से जुड़ा कोई भी शख़्स ये नहीं जानता था कि मेरी बीवी दिखने में कैसी है। हालांकि ये तो सब जानते थे कि मैं शादी शुदा हूं लेकिन अगर कभी किसी ने मेरी बीवी की तस्वीर दिखाने की बात भी कही तो मैंने उन्हें कभी नहीं दिखाया। दिखाता भी कैसे? मैं अपने मोबाइल में उसकी तस्वीर रखता ही नहीं था। आप तो अच्छी तरह जानते हैं कि अगर बीवी की मोहिनी सूरत इस तरह की हो और उसका पति ऐसे ख़यालात वाला हो तो अपनी बीवी की तस्वीर मोबाइल में रखने का सवाल ही नहीं पैदा हो सकता। निशांत को जब मैंने बली का बकरा बनाने का सोचा था तो इसी लिए एक ऐसी सुन्दर औरत की तस्वीर अपने पर्श में रख कर उसकी नज़र में लाया था ताकि उसे देखते ही उसके मन में उसे भोगने की चाहत पैदा हो जाए। उसके बाद का तो सारा काम मुझे ही करना था।

सब कुछ करने वाला तो मैं ही था लेकिन करने वाला असल में निशान्त कहलाता। मुझे ये दिखाना था कि निशांत ही वो शख़्स था जिसने मेरी बीवी को ग़लत इरादे से अपने जाल में फंसाया और इतना ही नहीं बल्कि मेरी बीवी ने खुद भी अपने पति की चोरी से ख़ुशी ख़ुशी उससे सम्बन्ध बना लिया।

मेरी थ्योरी के अनुसार, शुरुआत के कुछ दिन तो बहुत अच्छे गुज़रे लेकिन एक दिन जब निशांत ने उसे अपने अलावा किसी और मर्द का भी बिस्तर गर्म करने के लिए कहा तो रूपा उसकी इस बात से भड़क गई। रूपा को भड़कते देख निशांत ने उसे ब्लैकमेल करने के लिए अपने मोबाइल में उसकी वो फोटो दिखाई जिसमें वो निर्वस्त्र हालत में थी। रूपा अपनी ऐसी फोटो देख कर सकते में आ गई और फिर मजबूर हो कर वो निशांत के कहने पर दूसरे मर्द का बिस्तर गर्म करने के लिए राज़ी हो गई। रूपा ने निशांत से तो कह दिया था कि वो दूसरे मर्द का बिस्तर गर्म करने के लिए तैयार है लेकिन वो भी जानती थी कि ऐसा करना उसके लिए संभव नहीं है। उसे समझ आ गया था कि निशांत के चक्कर में आ कर उसने बहुत बड़ी ग़लती की है। उसे अपने पति से इस तरह बेवफ़ाई नहीं करनी चाहिए थी। ये एहसास होते ही रूपा ने मन ही मन सोच लिया था कि अब वो सब कुछ ठीक करके रहेगी। उसी रात निशांत ने जब रूपा को अपने फ्लैट पर बुलाया तो रूपा अपने पति के सो जाने के बाद आधी रात को निशांत के फ्लैट पर बड़े ही ख़तरनाक इरादे के साथ ग‌ई। अपने घर से वो सब्जी काटने वाला चाकू भी छुपा कर ले गई थी। निशांत के फ्लैट पर पहुंच कर पहले तो उसने निशांत से अपनी उन गन्दी तस्वीरों को मोबाइल से डिलीट करने को कहा और जब निशान्त ने ऐसा करने से इंकार किया तो गुस्से में आ कर रूपा ने छुपा कर लाए हुए उस चाक़ू से निशांत की हत्या कर दी थी। रूपा ने गुस्से में हत्या तो कर दी थी लेकिन जब उसका गुस्सा शांत हुआ तब उसे समझ आया कि ये उसने क्या ग़ज़ब कर दिया है? अपने सामने निशांत को खून से नहाए मरा पड़ा देख वो बुरी तरह डर गई और फिर वो डर कर वहां से भागते हुए वापस घर आ गई थी।

जिस चाकू से उसने निशांत की हत्या की थी वो चाकू भी वो उसके फ्लैट में ही छोड़ आई थी। उस चाकू में उसकी उंगलियों के निशान छप चुके थे। ख़ैर वो उस हत्या से इतना डर गई थी कि उसे निशांत के मोबाइल से अपनी गन्दी तस्वीरों को डिलीट करने का ख़याल भी नहीं रहा था।

उसके बाद सुबह होगी और ज़ाहिर है कि किसी तरह पुलिस को पता चल ही जाएगा कि किसी ने निशांत नाम के आदमी की हत्या कर दी है। पुलिस निशांत के फ्लैट पर जाएगी और हत्या की जांच पड़ताल करेगी। पुलिस को जल्द ही पता चल जाएगा कि वो हत्या किसने की है। पुलिस अपने किसी न किसी माध्यम से सीधा मेरे घर आएगी और रूपा को निशांत की हत्या करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लेगी।

अदालत में बड़ी आसानी से साबित हो जाएगा कि निशांत सोलंकी की हत्या रूपा ने ही की है। निशांत के मोबाइल में उसकी नंगी तस्वीरें, हत्या के औज़ार पर उसके फिंगर प्रिंट्स और साथ ही उसके ख़ुद के मोबाइल में भी निशांत के साथ हुई उसकी बात चीत के मैसेजेस। इतना ही नहीं बल्कि निशांत के मोबाइल की लोकेशन भी पुलिस को बताएगी कि निशांत का मेरे घर आना जाना था। ये सब चीख चीख कर गवाही देंगे कि निशांत की हत्या रूपा ने ही की है। अदालत में पब्लिक प्रासीक्यूटर अपनी दलील में चीख चीख कर जज साहब को बताएगा कि रूपा एक बदचलन और पति से बेवफ़ाई करने वाली औरत है। निशांत सोलंकी से उसके नाजायज़ सम्बन्ध थे। जब निशांत ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू किया तो रूपा के अक्ल के परदे खुल गए और उसे समझ आ गया कि उसने ऐसे ग़लत आदमी से सम्बन्ध बना कर अच्छा नहीं किया। उसे एहसास हुआ कि निशांत के ऐसा करने से उसके पति को उसके ऐसे सम्बन्ध का पता चल जाएगा और फिर ये भी सच ही है कि इससे उसकी शादी शुदा ज़िन्दगी ख़तरे में पड़ जाएगी। ये सब सोच कर रूपा ने पहले तो निशांत से अपनी वो गन्दी तस्वीरें उसके मोबाइल से डिलीट करने की मिन्नतें की होंगी और जब निशांत ने उसकी मिन्नतों को ठुकरा दिया तो उसके पास एक ही चारा रह गया और वो चारा था निशांत सोलंकी की बेरहमी से हत्या कर देना। इस बीच मैं ऐसी स्थिति में खुद को दिखाऊंगा जैसे इस सबसे मुझे कितनी तकलीफ़ हुई है। रूपा अगर मुझसे कुछ कहेगी या मुझसे किसी चीज़ के लिए कुछ कहने को कहेगी तो मैं उसकी ना तो कोई बात मानूंगा और ना ही ऐसी कोई बात कहूंगा जिससे उसकी कोई मदद हो सके। उधर एक तरफ कंपनी के मेरे वो साथी भी इस केस में अपने बयानों के द्वारा अंजाने में ही मेरा पक्ष मजबूत बना देंगे जो मुझे निर्दोष के साथ साथ मासूम बना देंगे।

मेरी थ्योरी के अनुसार अदालत में पब्लिक प्रासीक्यूटर आसानी से ये साबित कर देगा कि निशांत सोलंकी की हत्या रूपा त्रिपाठी ने ही की है। उसके बाद जज साहब अपने फैंसले में उसे फ़ांसी की अथवा उम्र क़ैद की सज़ा सुना देंगे। यही मेरा प्लान था और यही मेरा मंसूबा था रूपा से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का।

 
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