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Adultery ☆ प्यार का सबूत ☆ (Completed)

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What should be Vaibhav's role in this story..???

  • His role should be the same as before...

    Votes: 19 9.9%
  • Must be of a responsible and humble nature...

    Votes: 22 11.5%
  • One should be as strong as Dada Thakur...

    Votes: 75 39.1%
  • One who gives importance to love over lust...

    Votes: 44 22.9%
  • A person who has fear in everyone's heart...

    Votes: 32 16.7%

  • Total voters
    192
  • Poll closed .

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
First welcome back TheBlackBlood..

Rupa ki tadaf shayad dada thakur Tak pohanch jayegi aur shayad dada thakur khud ye bat vaibhav se kare

Bhabi ne bola hai Bhai jaise ho so Mera Jo anuman tha bhabi aur vaibhav ki shadi ka o thoda dhundala ho Raha hai par pata nahi kahani kanha mod le

Aisa bhi ho sakata hai ki multiple thakurain ho jaise Rupa Anuradha etc

Dekhate hai aage aage hota hai kya keep it up thanks
Thanks dear...
Aane wale updates me kuch baate clear ho jayengi. Baaki ka aane wale samay me hi pata chalega...
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,821
41,504
259
Agree, Anuradha ka character abhi puri tarah se khul kar saamne nahi aaya hai. Uske bare me abhi bahut kuch hona baaki hai. Aane wale samay me aisa bhi hoga ki vaibhav ke sath uske sambandh ke bare me uski maa ko bhi pata chalega. Tab ja kar judgement hoga ki uska kya hoga...

Is maamle me maine bahut pahle hi soch liya tha riky bhai, baaki dekhiye kya hota hai..
नया कैरेक्टर का सोचा है क्या?
 

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
15,790
32,488
259
nice update ..rupa ke baare me sab bata diya gauri shankar ko ghar ki aurato ne .rupchandra ne ab tak kya kya kiya vaibhav ko thikane lagane ke liye sab bata diya apne gharwalo ko
lalita ji ne sahi kaha ki rupchandra ko pitkar vaibhav ne galat nahi kiya kyunki wo parayi ladki par buri najar laga raha tha .

par kya ye jaruri tha ragad ragad ke nahana vaibhav ka 🤣🤣🤣.

malish karne par mana kar diya vaibhav ne par ye bhabhi kyu jor de rahi thi 😁..
 

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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nice update ..vaibhav aur bhabhi ki baate dil ko chhu gayi .bhabhi kitni parwah karti hai vaibhav ki aur vaibhav bhi dil se samman karta hai apni bhabhi ka 😍😍.
apne ander ke haiwan ko jaagne se rok liya vaibhav ne warna karuna ki chuchiya dekhkar sabkuch bhul jata 🤣.
rupa ne apne dil me jo tha sab bata diya aur uski baato se pata chal gaya ki murari ki beti ke baare me usko pata hai .
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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नया कैरेक्टर का सोचा है क्या?
जीवन में कुछ न कुछ घटित होता ही रहता है। एक परिवार आने वाला है जो हवेली में ही रहेगा। अब देखना ये है कि उससे वैभव अथवा उसके जीवन पर क्या असर पड़ता है। :D
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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nice update ..rupa ke baare me sab bata diya gauri shankar ko ghar ki aurato ne .rupchandra ne ab tak kya kya kiya vaibhav ko thikane lagane ke liye sab bata diya apne gharwalo ko
lalita ji ne sahi kaha ki rupchandra ko pitkar vaibhav ne galat nahi kiya kyunki wo parayi ladki par buri najar laga raha tha .
Shukar hai gaand tod pelaai nahi Hui rupchandra ki :D
par kya ye jaruri tha ragad ragad ke nahana vaibhav ka 🤣🤣🤣.
:laughing: are kheto me kaam karta hai jisse huliya Ganda ho jata hai uska, is liye ragad ragad ke nahaya :roll:
malish karne par mana kar diya vaibhav ne par ye bhabhi kyu jor de rahi thi 😁..
Chull machi hogi uske andar....maybe :D
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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nice update ..vaibhav aur bhabhi ki baate dil ko chhu gayi .bhabhi kitni parwah karti hai vaibhav ki aur vaibhav bhi dil se samman karta hai apni bhabhi ka 😍😍.
apne ander ke haiwan ko jaagne se rok liya vaibhav ne warna karuna ki chuchiya dekhkar sabkuch bhul jata 🤣.
Maalish wala samay vaibhav ke liye bhaari tha, karuna ne bhi zyada zor aajmaaish nahi ki warna vaibhav ka control khatm ho jata... ;)
rupa ne apne dil me jo tha sab bata diya aur uski baato se pata chal gaya ki murari ki beti ke baare me usko pata hai .
:approve:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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अध्याय - 87
━━━━━━༻♥༺━━━━━━


मेरे अंदर से बार बार आवाज़ आ रही थी कि जिस लड़की ने मेरे लिए इतना कुछ किया है और खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया है उसको मुझे यूं ठुकराना नहीं चाहिए। दोपहर में खाना खाने मैं हवेली आ गया। नहा धो कर मैंने खाना खाया और अपने कमरे में आ कर आराम करने लगा। बार बार आंखों के सामने रूपा का रोता हुआ चेहरा दिखने लगता और कानों में उसकी बातें गूंजने लगतीं। तभी किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी मैं सोचो के भंवर से बाहर आया और फिर जा कर दरवाज़ा खोला।


अब आगे....


दरवाज़े के बाहर भाभी खड़ीं थी। उनके चेहरे पर अजीब से भाव थे। जब वो मुझे अजीब तरह से घूरने लगीं तो मैं मन ही मन चौंका। एकदम से मेरे ज़हन में जाने कैसे कैसे विचार उभरने लगे।

"क्या हुआ भाभी?" मैंने धड़कते दिल से पूछा।

"आख़िर कब बाज आओगे तुम अपनी हरकतों से?" भाभी ने सख़्त भाव से मेरी तरफ देखते हुए कहा____"अगर यही सब करना था तो अच्छा इंसान बनने का मुझसे झूठा वादा क्यों किया था तुमने?"

"य...ये आप क्या कह रही हैं भाभी?" मैं उनकी बात से बुरी तरह चौंका____"मैंने ऐसा क्या कर दिया है जिससे आप मुझे ये सब कह रही हैं?"

"मेरे सामने भोला बनने की कोशिश मत करो वैभव।" भाभी ने गुस्से से कहा____"मुझे लगा था कि जिस तरह से तुम आज कल अपनी ज़िम्मेदारियां निभाने लगे हो और खेतों में मेहनत कर रहे हो उससे यकीनन तुम अब अच्छे इंसान बन गए हो मगर नहीं, मैं ग़लत थी। तुम आज भी वैसे ही हो जैसे हमेशा से थे। तुमने मेरा दिल दुखाया है वैभव और इसके लिए मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूंगी।"

मैं भौचक्का सा देखता रह गया भाभी को। सच कहूं तो उनकी बातें सुन कर मेरा सिर ही चकरा गया था। दिमाग़ ने बिल्कुल काम ही करना बंद कर दिया था। मैंने जल्दी से अपने सिर को झटका दिया तो जैसे मेरे होश ठिकाने आए।

"मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैंने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया है जिसके लिए आप मुझे ये सब कह रही हैं।" मैंने मजबूती से कहा____"मैं क़सम खा कर कहता हूं भाभी कि मैंने ऐसा कोई भी काम नहीं किया है जो आपकी नज़र में ग़लत हो और ना ही मैंने आपको दिया हुआ अपना वादा तोड़ा है। मेरा यकीन कीजिए भाभी।"

"अगर तुमने सच में ऐसा कुछ भी नहीं किया है।" भाभी ने आहत भाव से कहा____"तो पिता जी के पास गौरी शंकर क्यों आया है तुम्हारी शिकायत करने?"

"क...क्या???" मैं भाभी की बात सुन कर बुरी तरह उछल पड़ा____"ये क्या कह रही हैं आप? गौरी शंकर पिता जी के पास आया है?"

"हां।" भाभी ने कहा____"मुझे नहीं पता कि उसने पिता जी से ऐसा क्या कहा है लेकिन जिस तरह गुस्से में पिता जी ने अंदर आ कर मां जी से तुम्हें बुलाने को कहा है उससे तो यही लगता है कि तुमने ज़रूर गौरी शंकर के साथ अथवा उसकी बहू बेटियों के साथ कुछ ग़लत किया है।"

"ओह! तो ये बात है।" मैं जैसे सब कुछ समझ गया____"मैं सब समझ गया भाभी कि वो पिता जी के पास क्यों आया है। आप फ़िक्र मत कीजिए और हां मेरा यकीन कीजिए मैंने किसी के साथ कोई भी ग़लत काम नहीं किया है। मैंने आपको वचन दिया है तो यकीन मानिए मैं हर कीमत पर आपको दिया हुआ अपना वचन निभाऊंगा।"

मेरी बात सुन कर भाभी के चेहरे पर नज़र आ रहा गुस्सा ठंडा पड़ता नज़र आया। वो अपलक मेरे चेहरे को ही देखे जा रहीं थी। शायद मेरे चेहरे पर मौजूद भावों को समझने की कोशिश कर रहीं थी।

"क्या तुम सच कह रहे हो?" फिर उन्होंने बड़ी मासूमियत से पूछा।
"आपकी क़सम भाभी।" मैंने कहा____"मेरा यकीन कीजिए। मैंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है।"

"तो फिर वो गौरी शंकर क्यों आया है पिता जी के पास?" भाभी ने व्याकुलता से पूछा____"और ऐसा क्या कह दिया उसने पिता जी से कि वो इतने गुस्से में तुम्हें बुलाने के लिए मां जी से बोले हैं?"

"अब ये तो उनके पास जा कर ही पता चलेगा भाभी।" मैंने कहा____"हालाकि मुझे थोड़ा बहुत अंदाज़ा हो गया है।"
"कैसा अंदाज़ा?" भाभी के माथे पर शिकन उभर आई।

"पहले पिता जी के पास जाता हूं।" मैंने कहा____"उसके बाद आपको सब कुछ बताऊंगा।"

उसके बाद मैं भाभी के साथ ही कमरे से बाहर आ गया। मेरे मन में तरह तरह की बातें चलने लगीं थी। ख़ैर कुछ ही देर में मैं बैठक में पहुंच गया। मैंने देखा बैठक में पिता जी के अलावा गौरी शंकर और रूपचंद्र अलग अलग कुर्सियों में बैठे हुए थे। मैंने गौरी शंकर को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और फिर पिता जी की तरफ देखा। पिता जी के चेहरे पर बेहद ही सख़्त भाव थे।

"आख़िर कब तुम हमारा कहना मानोगे?" पिता जी ने सख़्त भाव से मुझसे कहा____"हमने तुम्हें समझाया था न कि अब से तुम सिर्फ वही करोगे जो हम कहेंगे, फिर क्यों तुमने ऐसा काम किया जिसके लिए हमें गौरी शंकर के सामने शर्मिंदा होना पड़ा?"

"मैंने अपनी तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया है पिता जी जिसकी वजह से आपको किसी के सामने शर्मिंदा होना पड़े।" मैंने बेझिझक हो कर कहा____"आपने मुझे जो नसीहतें दी थीं मैं उनका पूरी ईमानदारी से पालन कर रह हूं। मुझे नहीं पता कि गौरी शंकर काका ने आपको मेरे बारे में क्या बताया है जिसके लिए आप ऐसा कह रहे हैं।"

"गौरी शंकर ने हमें बताया है कि तुमने उनकी भतीजी को गांव के बीच रास्ते में रोका और फिर उससे वाहियात बातें की।" पिता जी ने सख़्त नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए कहा____"तुमने कल भी इनकी लड़की को रोका था और आज सुबह भी। क्या तुम इस बात से इंकार कर सकते हो?"

"जी बिल्कुल इंकार करता हूं पिता जी।" मैंने गौरी शंकर और रूपचंद्र को बारी बारी से देखते हुए कहा____"मैंने इनकी लड़की को ना तो कल रोका था और ना ही आज। सच तो ये है कि उसने खुद मुझे रोका था।"

"देख रहे हैं ठाकुर साहब।" गौरी शंकर झट से बोल पड़ा____"आपका बेटा मेरी भतीजी के बारे में क्या कह रहा है? क्या आप सोच सकते हैं कि मेरी भतीजी इतनी निर्लज्ज है कि वो गांव के बीच रास्ते में किसी लड़के को रोकेगी?"

"बड़े आश्चर्य की बात है काका कि इतना कुछ हो जाने के बाद भी आपको अपनी ग़लतियों का एहसास नहीं हुआ।" मैंने गौरी शंकर से कहा____"और ना ही इस बात का एहसास है कि सच को किसी भी कीमत पर झुठलाया नहीं जा सकता। ये बात आप भी जानते हैं कि इस संबंध में कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ।"

"तुम कहना क्या चाहते हो?" रूपचंद्र बोल पड़ा।

"यही कि आप लोगों ने पिता जी को सच नहीं बताया है।" मैंने स्पष्ट भाव से कहा____"बल्कि खुद को और अपनी भतीजी को पूरी तरह निर्दोष बता कर सिर्फ मुझे ही दोषी ठहराया है। अगर आप लोग यहां पर सच में न्याय मांगने आए हैं तो पहले अपनी भतीजी को भी यहां बुलाइए। उसके बाद ही पता चलेगा कि सच क्या है और न्याय भी तभी हो सकेगा।"

"मतलब अब तुम मेरी भतीजी को बदनाम करना चाहते हो?" गौरी शंकर मुझे घूरते हुए बोला।
"बिल्कुल भी नहीं।" मैंने कहा____"न्याय चार दीवारी के अंदर होगा। बाहर वाले को इस बारे में जब कुछ पता ही नहीं चलेगा तो आपकी भतीजी कैसे बदनाम हो जाएगी भला?"

"ये बहसबाजी छोड़ो।" पिता जी ने सख़्ती से कहा____"और हमें सच सच बताओ कि तुम गौरी शंकर की भतीजी से मिले थे कि नहीं?"

"मैं आपको पूरा किस्सा ही बता देता हूं पिता जी।" मैंने दोनों चाचा भतीजे को बारी बारी से देखने के बाद कहा____"असल में बात ये है कि काका की भतीजी रूपा मुझसे प्रेम करती है और वो चाहती है कि मैं उससे ब्याह करूं। मैं ये नहीं कहता कि रूपा में कोई ख़राबी है या फिर उसमें कोई दोष है। वो यकीनन बहुत अच्छी लड़की है किंतु इस मामले में मैंने उसे पहले ही समझाया था कि उसके घर वाले मेरे जैसे लड़के के साथ उसका ब्याह किसी कीमत पर नहीं करेंगे इस लिए मेरे प्रति प्रेम की भावना को निकाल दे। मेरे लाख समझाने पर भी वो ऐसा नहीं कर सकी। ख़ैर ऐसे ही वक्त गुज़रता रहा। मेरा उससे मिलना भी बंद हो गया था, उसके बाद आपने मुझे गांव से निष्कासित ही कर दिया था। वापस आने के बाद आपको भी पता है कि हम सब किस मामले में फंस गए थे। ऐसे में मैं रूपा से मिला ही नहीं। मुझे नहीं पता था कि आज भी उसके मन में वही सब है या नहीं, जबकि सच यही था कि वो आज भी मेरे प्रति अपने दिल में प्रेम की भावना रखे हुए थी। ये उसी भावना का असर था कि वो अपनी भाभी के साथ उस रात हमारी हवेली में आपसे मिलने आई थी। आप खुद सोचिए पिता जी कि जिस घर का बच्चा बच्चा हमसे नफ़रत या घृणा करता था उस घर की किसी लड़की को हमारे बारे में अच्छा सोचने की क्या ज़रूरत थी? आज जब सारी कहानी का हमें पता चल चुका है तो हमें ये भी समझ आ गया है कि ये सब कैसे हुआ होगा। सवाल उठता है कि रूपा को ये कैसे पता चला था कि कोई मुझे जान से मारने के लिए अगली सुबह चंदनपुर जाने वाला है? अगर गहराई से सोच कर कड़ियों को जोड़ा जाए तो सारी तस्वीर आईने की तरह साफ दिखने लगेगी। मुझे यकीन है कि उस रात रूपा ने अपने घर वालों को कहीं से मुझे जान से मारने की योजना बनाते हुए सुन लिया था, तभी तो वो उसी समय अपनी भाभी के साथ आपसे मिलने यहां हवेली आई थी।"

"हां हमें भी अब ये सारी बातें समझ आ गई हैं।" पिता जी ने सिर हिलाते हुए कहा____"किंतु इस वक्त इन सब बातों का क्या मतलब है अब?"

"इन्हीं सब बातों का ही तो मतलब है पिता जी।" मैंने ज़ोर देते हुए कहा____"इन्हीं सब बातों से तो पता चलता है कि काका की भतीजी ने ऐसा क्यों किया? उसने ऐसा इसी लिए किया क्योंकि वो मुझसे प्रेम करती थी और वो ये कैसे चाह सकती थी कि जिसे वो प्रेम करती है उसकी हत्या हो जाए? उसे उसी रात पता चल गया था कि मुझे जान से मारने की योजना बनाने वाले उसके अपने ही हैं लेकिन मुझे यकीन है कि उसने यहां आ कर आपसे ये नहीं बताया होगा कि वो लोग कौन थे? बताती भी कैसे? इतना आसान नहीं होता अपने ही हाथों अपने ही परिवार को ख़तरे में डाल देना। हां पिता जी, अगर वो उसी समय सब कुछ बता देती तो क्या ये सब हो पाता जो हो चुका है? ख़ैर, इतना कुछ होने के बाद कल जब उसने मुझे देखा तो उसने मुझे आवाज़ दे कर रोका। मैं तो अपनी मोटर साईकिल से खेतों की तरफ जा रहा था मगर उसने जब रोका तो मुझे रुकना ही पड़ा। हालाकि मैं हैरान ज़रूर हुआ था कि इतना कुछ होने के बाद भी वो मुझसे कोई ताल्लुक़ कैसे रख सकती है? बहरहाल मैं इस लिए रुक गया क्योंकि उसी की वजह से आज मैं जीवित हूं। मुझे नई ज़िंदगी दिलाने वाली को मैं कैसे नज़रअंदाज़ कर देता? उसके साथ में उस वक्त इनकी बेटी राधा भी थी। मैं जब रुका तो उसने एक बार फिर से वही सब कहना शुरू कर दिया जो पहले भी कहा करती थी कि मैं उसके प्रेम को स्वीकार कर लूं और उसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लूं। उसकी ये बात सुन कर मैं ये सोच कर हैरान हुआ कि वो इतना कुछ होने के बाद भी मुझसे प्रेम करती है और मेरी बनना चाहती है। उसकी इन बातों पर मैंने एक बार फिर से उसे समझाया कि पहले ऐसा होने की संभावना भी थी किंतु अब तो कोई संभावना ही नहीं है इस लिए उसे इस तरह का पागलपन छोड़ देना चाहिए। यही बात आज सुबह भी हुई। मैं अपनी मोटर साइकिल से खेतों की तरफ जा रहा था और वो नीलम भाभी के साथ कहीं जा रही थी। उसने जब मुझे जाते देखा तो फिर से आवाज़ दे कर मुझे रोक लिया। अब आप ही बताइए कि इसमें मेरी क्या ग़लती है? काका कहते हैं कि मैंने उसे रोका था जबकि सच तो यही है कि उसने ही मुझे रोका था और ये सब कहा था।"

मेरी बातें सुनने के बाद बैठक में सन्नाटा सा छा गया। जहां एक तरफ पिता जी काफी गंभीर नज़र आने लगे थे वहीं दूसरी तरफ गौरी शंकर और रूपचंद्र अजीब से भाव लिए चुप रह गए थे।

"हम ये जानना चाहते हैं कि जिस तरह वो तुमसे प्रेम करती है।" पिता जी ने मेरी तरफ देखा___"तो क्या तुम भी उसी तरह उससे प्रेम करते हो?"

"मैं झूठ नहीं बोलूंगा पिता जी।" मैंने स्पष्ट लहजे में कहा____"सच ये है कि मेरे दिल में उसके प्रति प्रेम जैसी कोई भावना नहीं है लेकिन हां सम्मान और आदर की भावना बहुत ज़्यादा है। उसकी वजह से ही आज मैं जीवित हूं तो उमर भर उसका ऋणी रहूंगा।"

"सिर्फ़ ये कह देने से बात ख़त्म नहीं हो जाती कि तुम जीवन भर उसके ऋणी रहोगे।" पिता जी ने कहा____"अगर तुम सच में समझते हो कि तुम्हारा जीवन उसी का दिया हुआ है और तुम उसके ऋणी हो तो तुम्हें उसके प्रेम को स्वीकार कर के उसे अपनाना होगा। आख़िर वो तुमसे प्रेम करती है। हम उससे मिल चुके हैं और हम जानते हैं कि वो बहुत ही नेक और प्यारी बच्ची है। जिस रात उसने हमें वो ख़बर दी थी तो हम भी उसके एहसानमंद हो गए थे।"

कहने के साथ ही पिता जी ने गौरी शंकर की तरफ देखा और फिर कहा____"गौरी शंकर, हम तुम्हारे पास हमारे संबंधों को फिर से सुधार लेने के उद्देश्य से आए थे। अब जबकि हमें इस बात का भी पता लग गया है तो क्यों न इस रिश्ते को जोड़ कर एक मजबूत संबंधों की शुरुआत कर लें।"

"लेकिन मुझे ये मंज़ूर नहीं है।" गौरी शंकर ने सपाट लहजे में कहा____"मैं ये हर्गिज़ मंजूर नहीं करूंगा कि मेरी भतीजी उस खानदान की बहू बने जिस खानदान के व्यक्ति ने हमारा समूल विनाश कर दिया हो।"

"हमें आश्चर्य हो रहा है कि इस सबके बाद भी तुम सिर्फ हमें ही दोषी मान रहे हो।" पिता जी ने आहत भाव से कहा____"जबकि सच यही है कि शुरुआत तुम लोगों ने ही की थी। हमारी जगह कोई दूसरा होता तो वो भी बदले की भावना में ऐसा ही करता। हां ये हो सकता है कि वो गुस्से में सबकी जान न लेता मगर किसी न किसी की जान तो वो ले ही लेता। गौरी शंकर, हम सब कुछ भुला कर उस दिन भी तुम्हारे पास आए थे और आज भी सब कुछ भुला कर यही कह रहे हैं कि तुम भी सब कुछ भूल जाओ और एक नए सिरे से शुरुआत करो। किसी के जीवन का कोई भरोसा नहीं है कि ऊपर वाला कब किसे अपने पास बुला ले। न तुम्हें दुश्मनी कर के कुछ मिल गया और न ही हमें कुछ मिल गया। बेहतर यही है कि हम दोनों एक नई शुरुआत करें और कुछ इस तरीके से करें कि उसमें दोनों ही परिवार के सदस्यों के बीच सिर्फ प्रेम और सम्मान की ही भावना हो।"

"हमने भी तो आपसे कहा था कि अगर संबंध सुधारना ही है तो अपनी बेटी का ब्याह मेरे भतीजे से कर दीजिए।" गौरी शंकर ने कहा____"मगर मैं जानता हू कि आप ऐसा नहीं करेंगे।"

"अगर कुसुम हमारी बेटी होती तो हम यकीनन उसका ब्याह तुम्हारे भतीजे से कर देते।" पिता जी ने अधीरता से कहा____"किंतु वो हमारे मरहूम भाई की बेटी है। हम भले ही उसे उसके मां बाप से ज़्यादा प्यार और स्नेह करते हैं लेकिन जहां हक़ की बात है तो हमारा पक्ष बेहद ही कमज़ोर है। हां अगर उसकी मां चाहे तो वो कर दे, हमें कोई समस्या नहीं होगी।"

"फिर तो आपका और मेरा एक जैसा ही हाल है ठाकुर साहब।" गौरी शंकर ने कहा____"रूपा भी तो मेरे मरहूम भाई की बेटी है। इस लिए मेरा भी उस पर इस हिसाब से कोई हक़ नहीं है।"

"नहीं गौरी शंकर।" पिता जी ने कहा____"हमारे और तुम्हारे हाल में काफी अंतर है। वो अंतर ये है कि तुम्हारी भतीजी खुद ही चाहती है कि उसका ब्याह वैभव से हो, जबकि हमारी भतीजी के मन में ऐसी कोई बात नहीं है। हमारा ख़याल है कि बेमतलब का हमें तर्क कुतर्क नहीं करना चाहिए। जहां संभावना हो वहां पर रिश्ता जोड़ कर एक नया संबंध बना लेना चाहिए।"

"माफ़ कीजिए ठाकुर साहब लेकिन ये संभव नहीं है।" गौरी शंकर ने कुर्सी से उठते हुए कहा____"अच्छा अब आज्ञा दीजिए।"

"हर माता पिता अपने बच्चों की खुशी ही चाहते हैं गौरी शंकर।" पिता जी ने कहा____"हम तुमसे यही कहेंगे कि अगर तुम्हारी भतीजी की खुशी हमारे बेटे की बन जाने में ही है तो उसे उसकी खुशी दे दो। हमें तो अब ये लगता है कि शायद यही सब सोच कर ऊपर वाले ने उस मासूम बच्ची के दिल में हमारे बेटे के प्रति प्रेम का अंकुर पैदा किया रहा होगा।"

पिता जी की बात का गौरी शंकर ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि पिता जी को प्रणाम करने के बाद वो अपने भतीजे रूपचंद्र के साथ बैठक से बाहर निकल गया। उसके जाने के बाद पिता जी कुछ देर तक जाने क्या सोचते रहे फिर मेरी तरफ देखा।

"हम तुमसे सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि तुम बाकी सभी फ़िज़ूल बातों से अपना ध्यान हटा कर सिर्फ अपनी ज़िम्मेदारियों की तरफ ध्यान दो।" पिता जी ने कहा____"अब तुम जा सकते हो।"

पिता जी की बात सुन कर मैंने सिर हिलाया और फिर मैं पलट कर अंदर की तरफ बढ़ चला। अभी मैं कुछ ही क़दम आगे बढ़ा था कि मैंने देखा मां और भाभी दीवार से सट कर खड़ी थीं। मैं समझ गया कि वो दोनों हम सबकी बातें सुन रहीं थी।

मैं अपने कमरे में पहुंचा ही था कि तभी मेरे पीछे भाभी भी आ गईं। उन्हें आया देख मैं थोड़ा असहज हो गया। उधर वो मुझे अजीब तरह से देखे जा रहीं थी।

"तो आपने और मां ने सुन लिया न कि गौरी शंकर क्यों आया था यहां?" मैंने भाभी की तरफ देखते हुए कहा____"और ये भी कि कैसे वो मुझे दोषी ठहरा रहा था?"

"मैं तुमसे सिर्फ एक ही बात जानना चाहती हूं वैभव।" भाभी ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा____"क्या तुम रूपा से ब्याह करना चाहते हो?"

"ये कैसा सवाल है भाभी?" मैंने कहा____"आप भी जानती हैं कि उसके घर वाले उसका ब्याह मुझसे किसी भी कीमत पर नहीं करेंगे।"

"वो करेंगे कि नहीं ये बाद की बात है।" भाभी ने कहा____"तुम बताओ कि क्या तुम उससे ब्याह कर सकते हो?"

"अगर उसके एहसानों का कर्ज़ उससे ब्याह कर के ही चुकाया जा सकता है तो बेशक मैं उससे ब्याह कर लूंगा।" मैंने कहा____"वैसे भी पिता जी भी तो यही चाहते हैं। इस लिए अब उनकी बात मानने के सिवा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।"

"मतलब अगर तुम्हारे पास कोई दूसरा रास्ता होता तो तुम उस लड़की से ब्याह नहीं करते?" भाभी ने आंखें सिकोड़ते हुए पूछा।

"बिल्कुल।" मैंने स्पष्ट भाव से कहा____"जिस लड़की से मैं प्रेम ही नहीं करता उससे ब्याह क्यों करूंगा? हां ये ज़रूर है कि मैं उसका बेहद सम्मान करता हूं और उसके प्रेम की कद्र करता हूं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं उससे ब्याह ही कर लूं।"

"एक बात हमेशा याद रखो वैभव कि इंसान को उसी से ब्याह करना चाहिए जो व्यक्ति उसे दिलो जान से प्रेम करता हो।" भाभी ने कहा____"तुम्हें किसी से प्रेम है ये उतना मायने नहीं रखता। बैठक में तुम्हारी सारी बातें सुनने के बाद मुझे पता चल गया है कि वो लड़की सच में तुम्हें बहुत चाहती है। तुम खुद मानते हो कि ये उसकी चाहत ही थी जिसके चलते उसने अपने प्रेमी के लिए क्या क्या नहीं कर डाला। ऐसी लड़की को ठुकरा देना सबसे बड़ी मूर्खता होगी। उसके साथ अन्याय करना होगा,।"

"तो आप चाहती हैं कि मैं उस लड़की से ब्याह करूं?" मैंने हैरानी से उनकी तरफ देखा तो भाभी ने मेरे क़रीब आ कर कहा____"बिल्कुल। जिसने अपना सब कुछ अपने प्रेमी को सौंप दिया हो उसका सबसे बड़ा सम्मान यही होगा कि उसे हमेशा के लिए अपना बना लिया जाए। मुझे तो खुशी हो रही है कि कोई लड़की तुम्हें इस हद तक चाहती है कि वो तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती है। उस दिन पंचायत में मैंने देखा था उसे किंतु तब मैं ये नहीं जानती थी कि तुम दोनों के बीच का असल सच क्या है। सच कहूं तो मेरा मन उसे देखने को कर रहा है। क्या तुम मुझे मिलवाओगे उससे?"

"ये आप क्या कह रही हैं भाभी?" मैं हैरान परेशान सा बोल पड़ा____"आप जानती हैं कि उसके घर वाले ऐसा कुछ भी नहीं चाहते हैं। आप बेकार में ही उसके लिए इतना अधीर हो रही हैं।"

"कुछ भी कहो लेकिन मुझे तो मिलना है उससे।" भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा____"मैं उस लड़की को देखना चाहती हूं जिसने मेरे देवर की जान बचाने का सबसे महान काम किया है। काश! ऊपर वाला साहूकारों की बुद्धि को ठीक कर दे ताकि वो खुशी खुशी अपनी लड़की का ब्याह तुमसे कर दें। मुझे भी एक प्यारी सी देवरानी मिल जाएगी। वो कहने के लिए मेरी देवरानी होगी मगर मैं उसे अपनी छोटी बहन की तरह प्यार और स्नेह दूंगी।"

"हे भगवान!" मैं चकित भाव से कह उठा____"पता नहीं आप क्या क्या सोचे जा रहीं हैं। अपने आपको सम्हालिये भाभी, ये सब महज ख़्वाब हैं जो पूरे नहीं हो सकते।"

"अरे! ज़रूर पूरे होंगे वैभव।" भाभी ने दृढ़ता से कहा____"पिता जी को भी ये रिश्ता मंज़ूर है और उन्होंने कह भी दिया है इस लिए देखना एक दिन ज़रूर वो लड़की इस हवेली में मेरी देवरानी बन के आएगी।"

"क्या आप ये मानती हैं कि मुझमें पहले की अपेक्षा काफी बदलाव आया है?" मैंने भाभी की तरफ देखते हुए पूछा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए झट से कहा____"ज़ाहिर है उसी लड़की की वजह से।"

"नहीं भाभी।" मैंने इंकार में सिर हिला कर कहा____"उसकी वजह से मुझमें रत्ती भर भी बदलाव नहीं आया था कभी।"

"ये क्या कह रहे हो तुम?" भाभी ने हैरत से देखा मुझे____"फिर किसकी वजह से बदलाव आया है तुममें?"

"मैं ये दिल से मानता हूं कि रूपा ने अपने प्रेम के चलते मेरे लिए बहुत बड़ा काम किया है जिसके लिए मैं जीवन भर उसका एहसानमंद रहूंगा।" मैंने कहा____"लेकिन मुझे मुकम्मल रूप से बदल देने वाली कोई और है भाभी।"

"क्या????" भाभी बुरी तरह उछल पड़ीं।

"यही सच है भाभी।" मैंने उन्हें सब कुछ बता देने का इरादा कर लिया था इस लिए बोला____"मेरी नज़र में उसकी रूपा से भी ज़्यादा अहमियत है क्योंकि उसने मेरे चरित्र को बदल कर मुझे एक नया रूप ही दे दिया है। इंसान को चाहे हज़ारों बार नया जीवन मिल जाए लेकिन अगर उसका चरित्र निम्न दर्जे का ही रहे तो कोई मतलब का नहीं रहता उसका जीवन।"

"कौंन है वो लड़की?" भाभी ने अजीब भाव से मेरी तरफ देखा____"जिसने तुम्हारे चरित्र को बदल कर तुम्हारा कायाकल्प कर दिया है?"

"वो एक मामूली से किसान की बेटी है।" मैंने धड़कते दिल से उन्हें बताया____"उसी मामूली से किसान की बेटी जिसकी हत्या कर दी गई थी और उसकी हत्या का इल्ज़ाम मुझ पर लगाया गया था। ये तब की बात है जब मैं इस गांव से निष्कासित किए जाने पर यहां से दूर अपनी बंज़र ज़मीन पर रहता था।"

मेरी बात सुन कर भाभी मुझे आश्चर्य से देखने लगीं। उनके चेहरे पर कई तरह के भाव आते जाते नज़र आए। इधर मेरी धड़कनें ये सोच कर तेज़ हो गईं थी कि जाने भाभी क्या कहेंगी अब?

"उस मामूली से किसान की लड़की ने आख़िर तुम्हारे चरित्र को कैसे बदल दिया?" भाभी को जैसे यकीन नहीं हुआ____"मैं उसके बारे में सब कुछ जानने को उत्सुक हूं। मुझे बताओ कि उसका क्या किस्सा है?"

मैंने भाभी को अनुराधा के बारे में वो सब कुछ बताया जो मेरे और उसके बीच हुआ था और वर्तमान में भी जो कुछ हो रहा है। मैंने उन्हें ये नहीं बताया कि उसके पहले मैंने उसकी मां के साथ नाजायज़ संबंध भी बना लिए थे।

"बड़ी दिलचस्प कहानी है ये तो।" सारी बातें सुनने के बाद भाभी ने गहरी सांस ले कर कहा____"यानि ये कहा जाए तो ग़लत न होगा कि पिता जी के द्वारा निष्कासित किया जाना काफी फ़ायदेमंद रहा। तुम्हारी मुलाक़ात एक ऐसी लड़की से हुई जो दिखने में भले ही एक आम लड़की थी लेकिन इसके बावजूद उसमें कुछ ऐसा था कि तुम उसके साथ ग़लत न कर सके। मैं तो ये सोच सोच के ही हैरान हूं कि तुम उस लड़की की वजह से बदल गए। ख़ैर तो अब उसके बारे में क्या ख़याल है तुम्हारा? क्या तुम उससे ब्याह करना चाहते हो?"

"ब्याह करना तो फिलहाल बाद की बात है भाभी।" मैंने कहा____"अभी तो मैं ये समझने की कोशिश कर रहा हूं कि आज के वक्त में क्या सचमुच उसके दिल में मेरे प्रति प्रेम पैदा हो चुका है?"

"तुम्हारी बातें सुनने के बाद तो मुझे यही लगता है कि वो तुम्हें बहुत ज़्यादा प्रेम करने लगी है।" भाभी ने कहा____"ये प्रेम ही तो है कि वो तुम्हें देखने के लिए हर रोज़ उस मकान तक आती है। ये प्रेम ही तो है कि तेज़ बारिश में भी वो भीगती है और तुमसे वो सब कहती है। अब सवाल ये है कि क्या तुम भी उसी के जैसे उससे प्रेम करते हो या फिर उसके प्रति सिर्फ आकर्षित हो तुम?"

"नहीं भाभी।" मैंने स्पष्ट रूप से कहा____"ये सिर्फ आकर्षण नहीं है। इतने समय में इतना तो मैं भी खुद के बारे में समझ गया हूं कि मैं भी उससे प्रेम करता हूं। उसे तकलीफ़ होती है तो मुझे भी तकलीफ़ होती है। शायद यही प्रेम है।"

"चलो मुझे तो इसी बात की खुशी है कि वैभव जैसे इंसान को प्रेम का एहसास तो हुआ।" भाभी ने जैसे मुझे छेड़ते हुए कहा____"तुम्हें पता तो चल गया कि प्रेम किसे कहते हैं? शुक्र है ऊपर वाले का जो उसने तुम्हें ऐसी लड़की से मिला दिया जिसने तुम्हें बदल भी दिया और प्रेम का पाठ भी सिखा दिया।"

"अभी पूरी तरह कहां सीखा हूं भाभी?" मैंने गहरी सांस ले कर कहा____"अभी तो प्रेम की डगर में खड़ा ही हुआ हूं। डगर में चलना तो अभी बाकी ही है। अभी तो मुझे ये देखना और समझना है कि प्रेम की इस डगर में क्या क्या देखना और सहना पड़ेगा मुझे?"

"ये तो तुमने सही कहा।" भाभी ने कुछ सोचते हुए कहा____"उस लड़की के साथ प्रेम का सफ़र करना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा क्योंकि अगर पिता जी को इसका पता चला तो संभव है कि वो उस लड़की से तुम्हारे इस प्रेम प्रसंग पर नाराज़ हो जाएं और तुम्हें उसको भुला देने के लिए कह दें। कहने का मतलब ये कि सचमुच प्रेम की इस डगर पर तुम्हें बहुत कुछ सहना पड़ सकता है।"

भाभी की इन बातों ने मुझे एकाएक चिंता में डाल दिया। वो मुझे आराम करने का बोल कर चली गईं जबकि मैं पलंग पर लेटने के बाद गहरी सोच में डूब गया।



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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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Dosto, mujhe kal delhi ke liye nikalna tha but ticket confirm nahi thi is liye rukna pada. Socha ki is free time me ek update hi likh daalu. Is liye ye update likh ke post kar diya hai. Aaj ki ticket confirm hai is liye aaj delhi ke liye niklunga. Next update aane me thoda time lag sakta hai kyoki bahut se kaam pending pade hain. Unhe niptane ke baad hi story ki taraf rukh karunga... Tab tak ke liye alvida..... :ciao:
 
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