• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2024 ~ Reviews Thread ★☆★

Status
Not open for further replies.

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
48,544
51,594
304

Mass

Well-Known Member
9,724
20,154
189
Wah! Ise kehte hain aam ke aam aur guthliyon ke daam. Maa aur beti dono ko hi santushti ke sadhan mil gaye aur ye charon sukhi sukhi jiwan vyateet karne lage.

Kahani shuruat se hi kafi kamuk rahi. Shuru me jab savita ke mummy papa savita ko lekar baat karte hain sex karte hue aur us wakt uske papa uski mummy ko savita samajh kar chodte hain to anand ki koi seema nahi rehti.

Fir savita ka arjun se pyar. Savita ke pita ki maut arjun ki behan ka shemale hona, sab kuchh flow mein chalta raha aur aise ban gayi ek mazedar kahani. Rajisexy ji aapko bahut bahut badhai itni shandar kahani ke liye aur best of luck contest ke liye❤️❤️
"aam ke aam..aur gutliyon ke daam" ..yeh kahawat is story par ekdum fit baith ta hain...

Rajizexy manikmittalme07
 
  • Like
  • Love
Reactions: Rajizexy and Shetan

manu@84

Well-Known Member
9,007
12,446
174
स्टोरी :: "बात एक रात की"
राइटर : Samar_Singh


हिंग्लिश/रोमन में कहानी लिखना पढ़ना मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ना जैसा लगता है। लेकिन मैने इस यातना को झेला इसकी वजह आप हो मेरे दोस्त.....!

Crime, thriller, Suspense से सजी हुई कुछ दोस्तो की कहानी जो हिल station पर जाते है, और उनके साथ क्या क्या अजीबो गरीब घटना घटी, इसका विवरण बहुत ही बेहतरीन ढंग से लिखा गया है।

कहानी का प्लॉट अच्छा है, राइटिंग स्किल कमाल है, पात्रों के सँवाद के साथ साथ घटना पर एक्सप्रेशन को शब्दो के जरिये अच्छे तरीके से सम्झया गया है।

अब ज्यादा कुछ क्या लिखूँ कहानी शुरु से लेकर अंत तक बहुत ही तेजी से चलती है, पाठको को बांधने में सफल रहती है, शॉर्ट स्टोरी में कम शब्दो में कहानी को मुकाम पर पहुँचना कठिन होता है, राइटर ने इस कार्य को बखूबी किया है।

निष्कर्ष :: मै प्रोफेसर हू, और आपने मेरी कोचिंग में मुझसे private ट्यूशन नही ली है, इसलिए नम्बर वगेरा भूल जाओ। नम्बर चाहिए तो एक साल की फीस एडवांस मे जमा कर क्लास जॉइन करिये 😜😆

अतः कहानी पर नम्बरों को देने का कार्य जूरी, पूरी ईमानदारी से करेगी...।

धन्यवाद....
 

manu@84

Well-Known Member
9,007
12,446
174
स्टोरी :: "battele of earth"
राइटर : Black


हिंग्लिश/रोमन में कहानी लिखना पढ़ना मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ना जैसा लगता है। लेकिन मैने इस यातना को झेला इसकी वजह आप हो मेरे दोस्त.....!

मेरे दोस्त तुम तो एक दम कलाकार हो, Obesrtvation power कमाल की है। फोरम के सदस्यों को गजब तरीके से observe कर सभी को एक साथ एक लय में बांध कर बेहतरीन हास्य के साथ साथ एक रोमांचित घटना का विवरण लिख दिया।

अब ज्यादा कुछ क्या लिखूँ कहानी शुरु से लेकर अंत तक बहुत ही तेजी से चलती है, पाठको को बांधने में सफल रहती है, शॉर्ट स्टोरी में कम शब्दो में कहानी को मुकाम पर पहुँचना कठिन होता है, राइटर ने इस कार्य को बखूबी किया है।

निष्कर्ष :: मै प्रोफेसर हू, और आपने मेरी कोचिंग में मुझसे private ट्यूशन नही ली है, इसलिए नम्बर वगेरा भूल जाओ। नम्बर चाहिए तो एक साल की फीस एडवांस मे जमा कर क्लास जॉइन करिये 😜😆

अतः कहानी पर नम्बरों को देने का कार्य जूरी, पूरी ईमानदारी से करेगी...।

धन्यवाद....
 

Samar_Singh

Conspiracy Theorist
4,587
6,270
144
स्टोरी :: "बात एक रात की"
राइटर : Samar_Singh


हिंग्लिश/रोमन में कहानी लिखना पढ़ना मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ना जैसा लगता है। लेकिन मैने इस यातना को झेला इसकी वजह आप हो मेरे दोस्त.....!

Crime, thriller, Suspense से सजी हुई कुछ दोस्तो की कहानी जो हिल station पर जाते है, और उनके साथ क्या क्या अजीबो गरीब घटना घटी, इसका विवरण बहुत ही बेहतरीन ढंग से लिखा गया है।

कहानी का प्लॉट अच्छा है, राइटिंग स्किल कमाल है, पात्रों के सँवाद के साथ साथ घटना पर एक्सप्रेशन को शब्दो के जरिये अच्छे तरीके से सम्झया गया है।

अब ज्यादा कुछ क्या लिखूँ कहानी शुरु से लेकर अंत तक बहुत ही तेजी से चलती है, पाठको को बांधने में सफल रहती है, शॉर्ट स्टोरी में कम शब्दो में कहानी को मुकाम पर पहुँचना कठिन होता है, राइटर ने इस कार्य को बखूबी किया है।

निष्कर्ष :: मै प्रोफेसर हू, और आपने मेरी कोचिंग में मुझसे private ट्यूशन नही ली है, इसलिए नम्बर वगेरा भूल जाओ। नम्बर चाहिए तो एक साल की फीस एडवांस मे जमा कर क्लास जॉइन करिये 😜😆

अतः कहानी पर नम्बरों को देने का कार्य जूरी, पूरी ईमानदारी से करेगी...।

धन्यवाद....
धन्यवाद मित्र, अगर सब सही रहा तो 10 तारीख से पहले एक और स्टोरी आएगी और वो भी शुद्ध देवनागरी में😁😁
 

Samar_Singh

Conspiracy Theorist
4,587
6,270
144
Experience
ट्रिन ट्रिन...





"हेलो, हां महेश, बोल क्या हाल है? आज कई दिन बाद याद किया?"





"अरे अरे सोमू, आराम से। एक साथ इतने सवाल। वैसे मैं बढ़िया हूं, तू सुना, सब कैसा चल रहा है मुंबई में?"





"मैं भी बढ़िया, और मुंबई भी। दिल्ली के क्या हाल, खास कर वहां की लड़कियां, और सर्दी, दोनो ही फेमस हैं ज्यादा। हाहाहा"





"हाहहा, सब चंगा सी। अच्छा सुन, सबने इस बार न्यू ईयर पार्टी प्लान की है, आ जाना, फोन इसीलिए किया था। और साले 45 के होने जा रहे हो, अभी भी लड़कियां देखनी है तुझे, हैं?"





"हहहा, नही यार बस मजाक था, तू तो जनता ही है।खैर ये बताओ सब लोग आ रहे हैं क्या?"





"हां भाई, और बस तुझे ही ट्रैवल करना है, बाकी तो सब यहीं हैं वैसे भी, इसीलिए तुझे अभी से बता दिया, वरना देश के सबसे बड़े बैंक के प्रेसिडेंट का अपॉइंटमेंट कैसे मिलेगा?"





"हहहा, नही यार, अच्छा किया बता दिया, वैसे भी तू तो जनता ही है फाइनेंशियल सेक्टर और दिसंबर का महीना, साला सबको आखिरी में ही काम करना होता है, पहले से नही कोई करेगा टारगेट अचीव।"





" हाहहा, भारत है भाई। हम वैसे भी आज करे सो कल कर, कल करे सो परसों, इतनी भी क्या जल्दी यारों जब जीना है बरसो में विश्वास करते हैं।"







" हाहहा, वो तो है। खैर वो छोड़, मैं अभी फ्लाइट बुक करके तुमको बताता हूं अपना प्रोग्राम।"





"ओके भाई, टेक केयर।"





"यू टू भाई।"





---------------------





मैं सोमेंद्र कुमार, उम्र करीब 45 साल, अभी देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक का प्रेसिडेंट हूं, और महेश, मेरा दोस्त, दिल्ली का एक बहुत बड़ा बिल्डर। वो मैं और तीन और, रोहित, इलियास और अमित, पांचों ने आईआईएम अहमदाबाद से एक साथ एमबीए किया। महेश ने इस नए साल पर हम सबका एक get-together रखा था। और घर से भी परमिशन मिल गई थी। हां भाई, फैमिली मैन को अपने दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए परमिशन चाहिए होती है, मानो या ना मानो। फिर चाहे वो किसी बैंक का प्रेसिडेंट हो या देश का।





शनिवार की दोपहर को मैं फ्लाइट से दिल्ली निकल गया, और वहां महेश मुझे लेने एयरपोर्ट पर आया हुआ था, हम सीधे छतरपुर उसके फॉर्महाउस की ओर निकल गए, जहां हम सब आज रात और कल का दिन एक साथ बिताने वाले थे। ये 24 घंटे ही हमारे लिए बहुत सुकून वाले होने थे, घर काम सब की चिकचिक से दूर। बस खाना पीना, साथ में भूली बिसरी यादें और बातें...





सबसे पहले हम दोनो ही पहुंच गए थे, बाकी लोग एक दो घंटे में आने को थे, तो मैं जा कर सो गया थोड़ी देर। शाम 7 बजते बजते सब आ गए थे।





थोड़ी हसीं मजाक के साथ महफिल जम चुकी थी, महेश के नौकरों ने चखने का बढ़िया इंतजाम किया था, खाना होटल से ऑर्डर हो चुका था। इलियास, जो विदेश मंत्रालय में था, उसने बढ़िया वाइन का इंतजाम किया था। अमित सबको सर्व कर रहा था।





पुरानी यादें ताजा हो रही थी, साथ साथ एक दूसरे की टांग खिंचाई भी चली थी।





अमित ने बोला कि एक गेम खेलते हैं, truth and dare के जैसा। इसमें बस जिसकी बारी आएगी, उसे कुछ ऐसा बताना होगा जो उसका सबसे अजीब सा एक्सपीरियंस हो। सब तैयार हो गए इस खेल के लिए।





अमित ने ही बोतल घुमाई, और वो एक एक करके सब पर रुकने लगी, अमित ने अपने पहले प्यार के रिजेक्शन की कहानी सुनाई। इलियास ने अपना पहला विदेश मंत्रालय में पोस्टिंग का एक्सपीरियंस शेयर किया जब पहले ही दिन उसे प्रधानमंत्री मिलना हो गया। रोहित ने अपने बिजनेस से रिलेटेड एक कहानी सुनाई जिसमे उस पर रिश्वत से कॉन्ट्रैक्ट लेने का इल्जाम लगा था, और वो कैसे उससे बाहर आया। महेश ने अपने होटलों में घूमने वाली प्रॉस्टिट्यूट के किस्से सुनाए, कि क्या क्या कहानी सुनाती है वो और उनको लाने वाले ग्राहक।





सबसे अंत में मेरी बारी आई, और मेरे लिए जब भी एक्सपीरियंस की बात आती है तो बस एक ही नाम ध्यान में आता है, उर्वशी...



______****_____





उससे मेरी पहली मुलाकात एक कंप्यूटर क्लास में हुई थी, जहां मैं tally सीखने जाता था, कॉमर्स बैकग्राउंड से इंटर करने के बाद कॉलेज में आया था। तब tally नया नया आया था, और टीचर के बोलने पर मैने अपने घर के पास ही एक क्लास को ज्वाइन किया था। कुल मिला कर पूरे बैच में 25 लोग थे और 22 लड़के, तीन लड़कियां। उनमें से ही एक थी उर्वशी। एकदम अपने नाम को सार्थक करती हुई, तीनों में सबसे सुंदर और बिंदास। बाकी दोनो अपने अपने पिता या भाई के साथ आती थी, तो लोग का ध्यान बरबस उर्वशी पर ही ज्यादा जाता था, क्योंकि वो न सिर्फ अकेली आती थी, उसके पास खुद का काइनेटिक होंडा का स्कूटर भी था, जो उस समय हम लड़कों को भी नही नसीब होता था।





इसी कारण वो सबके अट्रैक्शन का कारण भी बनी। सारे लड़के उसे पाने की तमन्ना रखते थे, और बात करने को लालयित रहते थे। लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी। मैं जो अभी तक सिर्फ all boys school में पढ़ा था, इसीलिए मेरी तो फटती थी लड़कियों से बात करने में, ऊपर से वो बला की खूबसूरत, just out of my league.





क्लास शुरू हुए कुछ ही दिन हुए थे, चूंकि मेरा बैकग्राउंड कॉमर्स का था, और ऊपर से अच्छे इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई, जहां कंप्यूटर कोर्स भी पढ़ाया जाता था उस समय, इसी कारण मेरी गिनती सबसे तेज लड़कों में होने लगी। एक दिन मैं क्लास में था तभी मुझे एक आवाज आई, "excuse me Somendra, can you help me with this balance sheet?'





मैने चौंक कर अपने बगल में देखा, वो उर्वशी थी। मैं आश्चर्य से, "जी आपने मुझसे कहा?"





उर्वशी, "सोमेंद्र तुम्हारा नाम ही है ना, या और कोई है?"





मैं सकपकाते हुए, "नही नही, हां.... मेरा मतलब मैं ही सोमेंद्र हूं। अच्छा आइए मैं देखता हूं।"





वो जींस टॉप में थी, टॉप जिसका गला कुछ ज्यादा ही खुला था, बाहें, जिनसे हाथ और कंधे का जोड़ नुमाया हो रहा था। पढ़ाई में तो वैसे भी मैं अच्छा था। उर्वशी साथ 4 बातें करते ही जो कॉन्फिडेंस की कमी मुझे महसूस होती थी, लड़कियों से बात करते समय वो भी जाती रही। शायद खूबसूरत लोगों के साथ का असर था ये।





"अरे वाह, कितनी आसानी से ये समझा दिया तुमने, वाकई पढ़ाकू हो, और हैंडसम भी। Rare combination है ये तो।"





"मैं handsome?"





"किसने कहा नही हो? या शायद वो अंधी होगी।"





"हाहहा, नही ऐसा तो किसी ने भी नही कहा। खैर क्या हम फ्रेंड्स बन सकते हैं?"





"हम फ्रेंड्स हैं तभी तो तुमसे पूछने आई, वैसे आपका इरादा कुछ और हो तो बता दो।"





"अरे ऐसी बात नहीं है। चलो चलते हैं, क्लास खत्म भी हो गया है।"





ऐसे ही हम दोनो की बातें शुरू हुई। और धीरे धीरे हम करीब आने लगे।





एक दिन वो स्किन टाइट टॉप में आई, जिसमे उसके जिस्म का कटाव साफ दिख रहा था। मेरी जुबान तो उसे देख हलक में ही अटक गई। हां आज मैने भी थोड़ी टाइट शर्ट पहनी थी, और बचपन से ही स्पोर्ट्स में आगे होने के कारण शरीर हष्ट पुष्ट था मेरा।





"अरे वाह! पूरे handsome hunk बने घूम रहे हो।"





मैं शरमाते हुए, "अरे यार ऐसा कुछ नही, बस आज ये पुरानी शर्ट पहनने का मन किया, बस।"





"ओ हेलो, ऐसे क्या शर्मा रहे हो इधर देखो।"





अब लड़की का इधर देखो बोलना भी कई मायने रखता है। मैने उसकी ओर देखा तो एक सवाल सा दिखा आंखों में, कई दोस्तों ने बताया था कि लड़की तारीफ करे या न करे, लेकिन तुम उसकी तारीफ हमेशा करना, अगर जो उसका साथ पाना चाहते हो।





मैने भी कहा, "तुम भी सुंदर लग रही हो।"





"तो क्या पहले नही लगती थी?"





"नही पहले क्या हमेशा ही हो, पर आज ज्यादा लग रही हो।"





"ज्यादा क्या? अरे यार शरमाओ नही, जो बोलना है साफ साफ बोलो।"





अब क्या साफ बोलूं? मेरी तो सुंदर बोलने में ही हालत खराब हो गई। लेकिन जब लड़की सामने से खुद ही बुलवाना चाहे तो बोल खुद से ही निकल जाते हैं, "बहुत हॉट लग रही हो आज!!"





"वाह! ये हुई न बात, ऐसे ही बोला करो मुझसे, खुल कर।"





उसका ये बेबाक अंदाज मुझे अंदर से गुदगुदा जाता था। सुंदर लड़की हो, साथ में बेबाक भी, तो हर इंट्रोवर्ट भी उसी के समान वाचाल हो जाता है, अट्रैक्शन का पहला नियम है शायद।





ऐसे ही देखते देखते 3 महीने कैसे बीते पता ही नही चला। आज उस क्लास का आखिरी दिन था, उसके बाद सब अलग अलग हो जाते। वैसे इतने दिनो में न उसने मेरा नंबर पूछा, और न मेरे में हिम्मत हुई। उस दिन तो वो और भी हॉट अवतार में आई थी, जैसे किसी को आज उसे रिझाना ही है।







"हाय!!" वो मेरे पास आते ही बोली।





उसे देख मेरी भी हालत कुछ खराब हो रही थी। "हेलो, आज तो कयामत बन कर आई हो।" थूक निगलते हुए मैने जवाब दिया।





"किसी पर बिजलियां जो गिरानी है।" मेरे कान में फुसफुसाते हुए वो बोली।





मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी सी हो गई।





"क्लास के बाद मिलते हैं, कहीं।"





"ठीक है, वैसे भी आज आखिरी दिन है, तो कोई जल्दी नहीं।" मैने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया।





छुट्टी के बाद हम मिले, " कहां चलना है फिर?"





"रुको, अभी सबको जाने दो, फिर हम चलेंगे।" उसने लगभग फुसफुसाते हुए कहा।





सब के जाने के बाद, उसने मेरा हाथ पकड़ा, और उसी बिल्डिंग में और ऊपर लेकर चलने लगी।





"कहां जा रहे हैं हम?"





"अरे बुद्धू, चलो ना चुपचाप, आज हम क्वालिटी समय बिताएंगे।"





वो मुझे बिल्डिंग के छत के दरवाजे के पास ले गई, वो लॉक था लेकिन साइड में एक छोटी सी बालकनी जैसी बनी थी जो खाली थी, बिल्डिंग का टॉप फ्लोर भी खाली था, मतलब किसी के भी यहां आने का चांस बहुत ही कम था। हम वहां पहुंच और उसने अपने बैग से एक चादर निकल कर बिछा दी। ना सिर्फ पूरी रिसर्च, बल्कि प्लानिंग के साथ आई थी वो मेरे साथ क्वालिटी टाइम बिताने।





"आओ ना बैठो यहां।" उसने चादर पर बैठते हुए मुझे भी अपने साथ बैठने का इशारा किया।





मेरे बैठते ही उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, 3 महीने से भले ही हम साथ थे, मगर ये पहली बार था जब हम अकेले में थे। और उसका ऐसे हाथ पकड़ना मुझे कुछ अजीब लगा, और मैंने अपना हाथ छुड़ा लिया।





"बड़े शर्मीले हो यार तुम।" उसने मेरे कंधे पर मारते हुए कहा।





"वो कभी लड़कियों के साथ ज्यादा रहा नही न।"





"अच्छा तो कभी सेक्स भी नही किया होगा, किस किया है या वो भी नही?"





मैं आश्चर्य से उसे देखने लगा।





"अरे! ऐसे क्यों देख रहे हो यार? आज कल तो सब कॉमन है ये। चलो अब मैं सारे एक्सपीरियंस दिलवा दूंगी तुमको"





"तुमने किया है... की.. किस?"





"हां सेक्स भी किया है, आखिर 20 की होने वाली हूं।"





"मतलब तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड था?" थूक निगलते हुए मैने पूछा।





"हां 2 थे।"





"20 की होने वाली है, मतलब मुझसे 2 साल बड़ी है। बड़ी है मुझसे तो हो सकता है कि पहले कोई अफेयर रहा हो, कोई बात नही।" मैने मन में सोचा।





"फिर क्या हुआ उनके साथ?"





"फिर क्या, मुझको रोहन मिल गया, पहले वाले दोनो बड़ी पाबंदी लगाते थे मुझ पर, लेकिन रोहन ने मुझे पूरी आजादी दे रखी है।"





उसकी बातें मेरे दिमाग में धमाके कर रही थी।





"छोड़ो इन बातों को, let's enjoy ourself." ये कहते हुए उसने अपने होठ मेरे होठ पर रख दिए...





मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था, और बस ये सोचे जा रहा था कि रोहन ने मुझे पूरी आजादी दी है? मतलब अभी भी उसका बॉयफ्रेंड है? फिर मैं क्या हूं?





एकदम से मुझे एक लिजलीजापन महसूस हुआ और मैं झटके से खड़ा हुआ और वहां से चल दिया। उसने पीछे से मुझे आवाज लगाई, लेकिन मैं बिना मुड़े वहां से वापस आ गया, उसे छोड़ कर हमेशा के लिए।





लेकिन शायद वो मेरी और उसकी आखिरी मुलाकात न थी, किस्मत मुझे उससे फिर मिलाने वाली थी।





उस घटना के करीब 9 साल बाद, मेरी पोस्टिंग अपने ही शहर में हुई, बैंक की पहली ब्रांच खुल रही थी, और मेरा होम टाउन होने के कारण वहां की जिम्मेदारी मुझे ही दी गई। इन सालों में मैं न सिर्फ कई शहर, बल्कि विदेश में भी रह चुका था। मेरे भी एक दो अफेयर हुए थे, और विदेशियों की जिंदगी करीब से देख कर वन नाइट स्टैंड जैसी चीजें कुछ अजीब नही लगती थी। या यूं कहें कि जिंदगी में अब खुल चुका था मैं।





तो ब्रांच स्टेबलिश करने की जिम्मेदारी मिली थी तो बहुत बिजी रहता था। एक साल बाद जब सब सही तरीके से व्यवस्थित हो गया तो मुझे भी थोड़ा आराम मिल गया, और भाग दौड़ भी कम हो गई। एक दिन ऐसे ही ऑफिस में बैठा था तो नजर बाहर खड़ी एक औरत पर गई। उसे शायद कुछ परेशानी थी। मुझे कुछ जानी पहचानी लगी वो। साइड से देख रहा था तो समझ नही आया ज्यादा, इसीलिए मैं काम में लग गया।





थोड़ी देर बाद मेरे केबिन का दरवाजा खुला और वो महिला अंदर आई, और मुझे देख कर थोड़ा चौंकी।





"सोमेंद्र ये तुम ही हो ना? पहचाना मुझे?"





मैने थोड़ा गौर से उसे देखा, कोई 30 के आसपास की होगी, गोरा रंग, कसा हुआ बदन, बढ़िया मेकअप, हाइलाइटेड बाल, नाभी दिखती जींस टॉप में मौजूद मेरे सामने उर्वशी खड़ी थी।





"उर्वशी? Right?" मैने भी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा।





"हां, long time no see. और अब तो बैंक मैनेजर, वाह। चलो अब मेरा काम करवा दो।"





"हां बोलो ना क्या हुआ?"





उसे अकाउंट में कुछ पैसे मंगवाने थे बाहर से, मैने अरेंज करवा दिया, क्योंकि बहुत ज्यादा नहीं थे।





फिर बातों ही बातों में अगले दिन की एक कॉफी डेट फिक्स हो गई हमारी।





अगले दिन मैं CCD पहुंचा तो उसे बैठा ही पाया।





"Oo hi! I was bit free तो सोचा थोड़ा तुम्हारा इंतजार कर लूं।"





"Great, पहली बार किसी लड़की ने मेरा इंतजार किया।" मैने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया।





थोड़ी इधर उधर की बात चीत के बाद हमने ऑर्डर दिया।





"तो और बताओ शादी कर ली?" उसने मुझसे पूछा





"अभी नही यार, पर मां पापा अब pessure बनाने लगे हैं, तो सोचता हूं कर ही लूं। तुम बताओ? अभी क्या कर रही हो?"





"मैने तो शादी कर ली, रोहन से ही, हम दोनो का मिजाज एक जैसा ही था, तो मुझे तो उससे बेस्ट कोई नही मिलता।"





"अरे वाह! मतलब अब भी वो तुमको पूरी आजादी दे कर रखता है?"





"बिल्कुल, हम दोनो ही एक दूसरे की आजादी का पूरा खयाल रखते हैं।" उसने wink करते हुए कहा।





मुझे फिर थोड़ा अजीब लगा।





वो एक होटल में काम करती थी, और रोहन का भी किसी लोकल प्राइवेट कंपनी में छोटा सा जॉब था, हालांकि उर्वशी को देख कर लगता नही था कि पैसे की ऐसी कोई कमी होगी उसे, शायद पुश्तैनी पैसा हो। दोनो का एक बेटा भी था जो शहर के एक महंगे स्कूल में पढ़ रहा था।





"और उस दिन तो तुम भाग गए थे? क्या हो गया था?"





"उस दिन.... तब मुझे इन सबका कुछ पता नहीं था, इसीलिए बड़ा अजीब लगा। बाद में मुझे बुरा फील हुआ तुम्हारे लिए, लेकिन कोई कॉन्टैक्ट नही था ना इसीलिए फिर मिल नही पाया।" साफ झूठ बोला था मैंने, लेकिन इतनी तो दुनियादारी सीख ली थी की सच्चाई चेहरे पर न आए।





"चलो कोई बात नही, वैसे अब तो सब पता है ना तुमको? How to enjoy in that situation?" उसने फिर से wink करते हुआ कहा।





"हां बिलकुल, वैसे भी एक गर्लफ्रेंड है अभी, और फॉरेन रिटर्न भी हूं।" मैने थोड़ा इतराते हुए कहा। आखिर मैं भी मर्द ही था, अपने को उससे कम कैसे दिखा सकता था।





"बढ़िया, अब तो सब जान ही गए तुम। तो फिर कभी...?"





"हां sure, पर आज कल थोड़ा busy हूं।" मैने जरा टालते हुए कहा।





और ऐसे ही कुछ हल्की फुल्की बात के बाद मैं वापस आ गया। नंबर एक्सचेंज हो चुका था, और उसके व्हाट्सएप रोज ही आ जाते थे। नॉर्मल गुड मॉर्निंग टाइप के, मैं भी थोड़ा बहुत रेस्पोंड कर देता। एक दिन उसने कुछ नॉनवेज जोक भेजा, कोई बहुत ज्यादा नहीं था, और फिर तुरंत ही उसका सॉरी मैसेज भी आया, कि गलती से उसे फॉरवर्ड कर दिया जो उसे अपनी किसी फीमेल फ्रेंड को भेजना था।





"It's all right."





"Thanks, waise joke pasand aaya?"





"Haan majedar tha 😂"





"So shall I send you more?"





"Yes, why not?"





अब इसके बाद उसके नॉनवेज जोक भी आने लगे, और धीरे धीरे उसकी इंटेंसिटी और गहरी होती जा रही थी। एक दो बार मुलाकात भी हुई थी, पर बैंक में ही हुई।





ऐसे ही लगभग एक साल और गुजर गया, उसके अकाउंट में अच्छा खासा ट्रांजेक्शन होता था, पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वैसे भी मैं उसके घर से परिचित था नही ज्यादा।





अब मेरा ट्रांसफर फिर से हो रहा था, और एक बार फिर अपने शहर को छोड़ने का समय आ गया था, इस बार मैंने मां पापा को भी साथ ही शिफ्ट होने के लिए मना लिया था। सुधा (मेरी तब की प्रेमिका और अभी की पत्नी) से भी अब उनकी बात होती रहती थी, और हमारी शादी भी लगभग तय ही थी।





ऐसे ही लगभग आखिरी हफ्ते में उसका एक नॉनवेज जोक पढ़ कर बस ऐसे ही मैंने सोचा कि चलो क्यों न एक बार इसके साथ भी थोड़ा एंजॉय कर लिया जाय, लाइन तो बहुत देती है। जैसा मैंने पहले ही कहा की सेक्स का अनुभव पहले ही हो चुका था मुझे, लेकिन जीवन में कभी वेश्यागमन नही किया था, और न ही कभी करने की ख्वाहिश ही थी।





खैर, मैने उसे फोन लगाया।





"Hello कैसी हो?"





"Fit and fine, तुम बताओ, याद ही नही करते कभी मुझे?"





"अरे यार बहुत काम था बैंक में, वैसे अब मेरा ट्रांसफर हो गया है, next week releave हो जाऊंगा यहां से। इसीलिए सोचा तुमसे बात कर लूं और हो सके तो मिल भी लूं।"





"अरे इतनी जल्दी? यार जा रहे हो तुम?" उसकी आवाज में थोड़ी निराशा थी।





"यार क्या करें काम ही ऐसा है मेरा। वो छोड़ो, वो क्या बोलती हो तुम, let's enjoy ourself. कल मिलेगी क्या?"





"कल, अच्छा एक मिनट।" उसकी आवाज में एक खुशी सी महसूस हुई मुझे।





"कल मिलते हैं, अपना शेड्यूल देख रही थी, फ्री हूं। वैसे कितनी देर साथ रहेंगे हम दोनो?"





"उम्म्म। एक घंटा तो निकल ही सकता हूं।"





"Wow बढ़िया यार, स्टैमिना है तुममें।" मैं अपने समय की बात कर रहा था, और वो।





"हाहहा, इतनी देर तो एंजॉय किया ही जा सकता है।"





"चलो देखते हैं कल।"





"पक्का।"





"अच्छा सुनो तुमको तो मेरा अकाउंट नंबर पता है ना?"





"हां, फिर कुछ हुआ क्या?"





"अरे नहीं, एक घंटे के 2000 उसी में ट्रांसफर कर देना, और होटल की बुकिंग भी तुम्हारी।"





"क्या मतलब?"





"अरे मतलब क्या? अब एंजॉयमेंट के लिए पैसे तो देने ही पड़ते हैं न। इतने तो experianced हो तुम, फिर भी पूछ रहे हो?"





ये सुनते ही मेरे कानो से धुआं निकलने लगा, और मैंने तुरंत फोन काट कर उसका नंबर ही सीधा ब्लॉक कर दिया। क्या चीज है ये, पहले जब मैं इसको पसंद करने लगा था, शायद, तब ये enjoyment करना चाहती थी, और अब सीधे धंधा।





शायद मेरा ही experiance बहुत कम है इसके आगे।





मैने अपने बैंक के एक एजेंट से, जो काफी चलता पुर्जा था, उर्वशी के बारे में मालूमात करवाई, तो पता चला कि थी तो वो भले घर की संतान, मगर न जाने की कारण से आज वो इस शहर की सबसे हाई प्रोफाइल प्रॉस्टिट्यूट बन गई है, और उसका पति भी उसी इसी कमाई पर ऐश कर रहा है। होटल की नौकरी बस दिखावे के लिए है। उस दिन के बाद मैने कभी न उससे बात की और न ही जानने की कोशिश.....







________***________







रात काफी हो चुकी थी, और हम सबको सुरूर भी अच्छा खासा हो चुका था, सब अपने अपने कमरे में जा कर सो गए।





अगले दिन हम सब धीरे धीरे विदा हुए, शाम को मैं भी महेश के साथ एयरपोर्ट के लिए निकल गया।





रास्ते में एक सिग्नल पर मेरी नजर फुटपाथ पर बैठी एक औरत पर पड़ी, जो मैले कुचले कपड़ों में थी, और चुपचाप शून्य में देख रही थी।





उसको देखते ही मेरे मुंह से निकला,"उर्वशी....





महेश ने भी मेरी नजरों का पीछा किया, और उसे देखते ही मेरे हाथ को थपथपा कर कहा, "तू प्लेन पकड़, मैं देखता हूं इसको, अब और एक्सपीरियंस न बढ़ा अपना।"

Review
कहानी - Experience
लेखक - Riky007

कथानक - सोमेंद्र कई सालो बाद अपने दोस्तो से मिलता है, जहां अपने दोस्त महेश के फार्म हाउस पर सब दोस्त अपने जीवन के कुछ अजीब किस्से एक दूसरे को बताते है, सोमेंद्र अपनी और उर्वशी की मुलाकात और अपने जीवन के पहले आकर्षण से जुड़े अनुभव साझा करता है।

कहानी का विषय काफी अच्छा था और जिस तरह कहानी की शुरुआत होती है, जब सब दोस्त truth और dare का गेम खेलते है तो लगता है की आगे कुछ रोमांचक राज जानने को मिलेंगे, लेकिन उसके उलट सब कुछ बहुत हल्के में निपट जाता है।
कहानी की थीम तो अच्छी थी, लेकिन उसका एग्जिक्यूशन और प्लॉट बहुत कमजोर था, जिस तरह पेश किया गया है, की सोमेंद्र के जीवन का कुछ खास अनुभव होगा मुझे वो वैसा बिलकुल नहीं लगा।
मेरे नजर में कहानी में क्षमता बहुत थी, लेकिन वैसे बन नही पाई। इससे कही बेहतर आपकी पिछली कहानी थी।

ये मुझे एक औसत कहानी ही लगी।
 
Status
Not open for further replies.
Top