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Erotica हरामी साहूकार

AVINASH

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Minal Aaj Lala ke Ramlal namak cream role chakhane aur usako apane choot me lene Bina nahi rahaniwali hai
 

Ashokafun30

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उसका मन तो कर रहा था की एक बार और ट्राई किया जाए पर अब काफ़ी समय हो चुका था....
पिंकी और निशि ने स्कूल बंक किया था, टाइम देखा तो करीब 2 बजने को थे....चुदाई करते हुए समय का पता ही नही चला... उन सबने अपने-2 कपड़े पहने और वापिस गाँव की तरफ चल दिए ताकि पिंकी और निशि अपने स्कूल टाइम के हिसाब से ही घर पहुँच जाए...

लाला ने उन्हे गाँव के बाहर उतारा जहाँ से उन दोनो ने रिक्शा कर लिया और अपने-2 घर पहुँच गयी...
पिंकी की तो हालत बुरी थी, वो बुखार का बहाना करके, बदन दर्द की गोली लेकर सो गयी ताकि लाला के दिए दर्द से उसे शाम तक आराम मिल सके..और निशि घर जाकर अपने कमरे को सजाने संवारने का काम करने लगी...आज की रात वो अपने भाई नंदू को कच्चा चबा लेना चाहती थी...

पर बेचारी ये नही जानती थी की आज उसकी लाइफ में कितना बड़ा धमाका होने वाला है..

**************
अब आगे
**************

नंदू को इस बात की चिंता थी की उसकी बहन को ये ना पता चल जाए की वो उसके अलावा अपनी माँ की भी चुदाई कर रहा है और उसकी माँ को इस बात की चिंता थी की कहीं उसकी बेटी को ये ना पता चल जाए की वो अपने बेटे यानी उसके भाई से चुदवा रही है..

हालाँकि अपने बेटे से चुदवाने के बाद एक पल के लिए तो उसमें वो हीन भावना भी आई थी की कैसी औरत हूँ मैं , अपने ही बेटे से चुदवा लिया...
दुनिया थूकेगी उसपर अगर ये बात किसी को भी पता चल गयी....
और उसने मन ही मन निश्चय भी कर लिया था की अब वो ऐसा दोबारा नही करेगी...
पर घर जाते-2 उसका ये निश्चय एक और बार चुदाई करवाने की जिद्द में बदल गया...
अब ये साली चुदाई होती ही ऐसी चीज़ है, कहां तो वो बरसो से बिना चुदे , बिना लंड अपने अंदर लिए अपनी जिंदगी गुज़ार रही थी, और कहां एक ही दिन की चुदाई ने उसके अंदर की चुदक़्कड़ को बाहर आने पर मजबूर कर दिया.

इसलिए जैसे ही वो दोनो माँ बेटे घर पहुँचे, नंदू की माँ उसपर लगभग टूट ही पड़ी,
पूरे रास्ते साइकल पर बैठकर वो उसके लंड को महसूस करती आ रही थी
और अंदर आते ही उसने उसके उसी हथियार को पकड़कर अपने क़ब्ज़े में ले लिया और अपने नंगे पेट पर रगड़ते हुए सिसकारी मारते हुए बोली : "अहह ...नंदू...... तेरे इस हथियार ने तो मेरी हालत खराब कर दी है...बस मन करता है की हर पल इसे अंदर लेके रखू...''

नंदू भी पूरे रास्ते अपनी माँ के नर्म कूल्हों को महसूस करके उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चूका था...
पर अंदर ही अंदर उसे अपनी बहन निशि का डर भी सता रहा था...
शाम का समय था, इस वक़्त या तो वो अपने घर पर होती है या फिर पिंकी के घर,
घर तो वो थी नही, इसलिए उसके आने से पहले वो उस बात का फायदा उठा लेना चाहता था ताकि रात का झंझट ही ना रहे अपनी माँ को चोदने का..
और वैसे भी उसकी माँ इस वक़्त इतनी उत्तेजित थी की शायद पिंकी के सामने भी वो उसपर इसी तरह से टूट पड़ती...

वो इन्ही ख़यालो में खोया हुआ था की उसे अपने लंड पर कुछ गीला-2 महसूस हुआ,
नीचे देखा तो उसकी माँ उसके लंड को आइस्क्रीम की तरह चूस रही थी....
इस उम्र की औरत को ये शोंक कैसे हो गया भला...
अब उस बेचारे को क्या पता था की लंड चूसने की ललक तो हर औरत में होती है,
बस उसे उस बात को करवाने वाला मर्द होना चाहिए,
और एक बार जब उसे लंड चूसने का चस्का लग गया तो वो हर बार चुदाई की शुरूवात लंड चूसकर ही करेगी...

नंदू की माँ भी अपने बेटे के लंड को चूसकर उसका चॉकलेटी मज़ा ले रही थी....
अपने दूसरे हाथ से उसने उसकी धोती को निकाल फेंका और अपने ब्लाउज़ के बटन खोल कर अपने मुम्मे भी बाहर निकाल लिए...2 मिनट में ही दोनो माँ बेटे पूरे नंगे थे...
 

Ashokafun30

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अपनी माँ की मोटी छातियां देखकर नंदू से भी भला कैसे रुका जाता,
वो भी अपना पूरा जबड़ा खोलकर उनपर टूट पड़ा, ऐसे काटने लगा जैसे रबड़ की बॉल को चूहा कुतर रहा हो..

गोरी को मज़ा तो आ रहा था पर उसे अपनी चूत में हो रही खुजली की ज़्यादा चिंता थी....
वो अपने मुम्मे चुस्वाते-2 पास पड़ी खटिया पर गिर पड़ी और अपनी टांगे खोलकर नंदू को अपने उपर लिटा लिया...

निशाना एकदम सही लगा पहली ही बार में
और नंदू का फौलादी लौड़ा उसकी चिकनी चूत में उतरता चला गया..



''आआआआआआआआआआआहह .उम्म्म्ममममममममममममममममम..... मजाआा आआआआ गय्ाआआआआअ...... पूरे गाँव में तेरे जैसा लंड किसी का नही होगा......लिखवा ले मुझसे....''

वो भी जानती थी की वो झूट बोल रही है...
लाला का लंड उसके बेटे के लंड के मुक़ाबले ज़्यादा मोटा और शानदार था..

और वहीं नंदू भी सोचने लगा, की कह तो ऐसे रही है जैसे पूरे गाँव के लंड चख रखे है उसकी माँ ने...

पर ये वक़्त इन बेकार की बातों पर ध्यान देने का नही था...

ये वक़्त था लंड और चूत के मिलन का मज़ा लेने का...

और नंदू ने वही किया


अपनी माँ के दोनो हाथों को नीचे दबा कर उसने अपने लंड से उन्हे जोरों से पेलना शुरू कर दिया...

पूरी खटिया चूं -2 करने लगी नंदू के लंड के झटकों से

और उन झटकों से गोरी के मोटे मुम्मे हर बार उपर नीचे होकर उसे एक अलग ही मज़ा प्रदान कर रहे थे..




वो अपनी ही मस्ती में मग्न थे की पीछे से निशि की आवाज़ आई..

''भैय्याआआआआ........माँ आआआआआ.....ये क्या कर रहे हो आप दोनो.....''

अपनी बेटी की आवाज़ सुनते ही गोरी की तो हालत ही खराब हो गयी...

और ऐसा ही कुछ हाल नंदू का भी हुआ....
उसका शेर जैसा लंड एक ही पल में चूहा बनकर अपनी माँ के बिल से बाहर निकल आया...
दोनो ने आनन-फानन में नीचे गिरे कपड़ो से अपने नंगे शरीर को ढका...
नंदू को तो नंगा वो देख ही चुकी थी, आज अपनी माँ को भी अपने भरंवा शरीर को छुपाते हुए वो पहली बार देख रही थी...

कुछ देर तक तो कोई कुछ नही बोला

फिर निशि की आवाज आयी

''ये हो क्या रहा है माँ .....कोई बताएगा मुझे...''

निशि ने गुस्से से बिफरते हुए कहा...

उसे गुस्सा इस बात का नही था की उसकी माँ चुदाई करवा रही थी
बल्कि इस बात का था की वो चुदाई नंदू से करवा रही थी...
जिसपर वो पूरी तरह से अपना हक समझकर बैठी थी अभी तक.

स्कूल से आने के बाद वो अपने कमरे में जाकर सो गयी थी...
उसे क्या पता था की नीचे उसकी माँ और भाई ये गुल खिला रहे होंगे...
वो तो सपने में भी नंदू से चुदाई करवा रही थी और सिसकारियाँ मार रही थी...
और जब वैसी ही सिसकारियां उसे नीचे से आती हुई सुनाई दी तो उसकी आँख झट्ट से खुल गयी...
बाहर निकलकर देखा तो उसे विश्वास ही नही हुआ...
उसकी माँ बरामदे में ही अपनी टांगे फेलाए खाट पर लेटी थी और नंदू उसे घपा-घप पेल रहा था..
 

Ashokafun30

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पहले तो उसने सोचा की वो चुपचाप उपर चली जाए पर फिर कुछ सोचकर वो वापिस पलटी और गुस्से के मारे वो चिल्ला पड़ी..

नंदू ने भी नही सोचा था की जिस बात को वो उससे छिपाना चाहता था वो इतनी बुरी तरह से सामने आएगी...

निशि फिर से गरजी : "एक माँ अपने ही बेटे के साथ ऐसा घिनोना काम कैसे कर सकती है....??? ''

और फिर नंदू की तरफ घूमकर बोली : "और तुम, तुम्हे भी शरम नही आई...इतनी ही जवानी में उबाल आ रहा था तो शादी कर लो ना...ऐसे अपनी ही माँ की चूत मारते हुए तुम्हे भी शरम नही आई....इसी चूत में से निकले हो ना...अब उसी में अपना लंड पेल रहे थे....''

गोरी और नंदू भी उसके लंड ,चूत वाले शब्दो को सुनकर हैरान थे

पर उसके उन शब्दो पर आपत्ति करने की हालत में दोनो ही नही थे...

निशि अपनी माँ के सामने जाकर खड़ी हो गयी और बोली : "मुझे पता है माँ की तुम बरसो से प्यासी हो, पिताजी के जाने के बाद तुमने अपनी पूरी जिंदगी हम दोनो के लालन पोषण में लगा दी...हर शरीर को इस सुख की ज़रूरत होती है मैं मानती हूँ ...पर अपने ही बेटे से चुदवाकर आप क्या साबित करना चाहती हो...इस हिसाब से तो आपसे बचपन से लेकर अब तक जो भी मैने सीखा है, मुझे भी शायद यही करना चाहिए...''

ये कहते हुए हुए उसके चेहरे पर एक कुटिल सी मुस्कान आ गयी....
उसकी माँ ने उसकी बात सुनी और उसका मतलब समझकर चौंकते हुए उसकी तरफ देखा और तब तक वो अपने सीने पर पड़ी चुन्नी को एक तरफ उछाल चुकी थी...
और वो कुछ और कर पाती इससे पहले ही निशि ने अपने स्कूल की ड्रेस , जो की नीले रंग की एक लंबी कुरती थी, उसे भी खींचकर उसने उतार डाला...
नीचे तो वो हमेशा से ही ब्रा नही पहनती थी, इसलिए एक ही पल में वो अपनी माँ और भाई के सामने अपनी भरी हुई छातियाँ लेकर टॉपलेस खड़ी थी...



गोरी के साथ-2 नंदू की भी हालत खराब सी हो गयी...

गोरी ने जल्दी से अपने नंगे शरीर को ढकने वाले कपड़े उसपर डाल दिए ताकि उसका भाई निशि के नंगे योवन को ना देख पाए...
नंदू तो क्या-2 देखा चुका था ये भला उसे क्या पता था..
पर अपनी तरफ से तो वो अपनी बेटी की नंगी जवानी को उसके भाई के सामने आने से बचाना चाहती थी...
पर इन सबमें वो ये भूल गयी की उसका खुद का शरीर अब नंगा हो चुका है...



गोरी : "पागल हो गयी है क्या...क्या कर रही है ये....''

निशि ने बड़े शांत स्वर में उत्तर दिया : "वही, जो आप कर रही थी अभी...जैसे आपके शरीर की कुछ
ज़रूरते है वैसी ही मेरी भी है...''

गोरी जो इस वक़्त पूरी नंगी खड़ी थी , वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी : "तू पागल हो गयी है क्या...अपनी उम्र तो देख, अभी तू बच्ची है...ये सब करने का वक़्त नही है तेरा...''

निशि : "मैं कितनी बड़ी हो चुकी हूँ ये मैं आपको अभी दिखा सकती हू,अगर आप मुझे और भाई को एक मिनट के लिए अकेला छोड़ दे तो...''

गोरी की आँखे फैलती चली गयी अपनी बेटी की बाते सुनकर...
उसकी तो समझ में नही आ रहा था की आज उसके साथ ये हो क्या रहा है...


पहले तो वो खुद अपने बेटे से चुदवाते हुए पकड़ी गयी थी,
उपर से उसकी बेटी भी उसी दलदल में कूदने को तैयार हो रही थी जिसमें वो अपने बेटे के साथ मज़े ले रही थी...

वो जानती थी की इस उम्र में ऐसी चुदसी चड़ना आम बात है...
पर अपनी ही आँखो के सामने वो अपनी बेटी और बेटे को चुदाई करते हुए कैसे देख पाएगी भला..

और यही था निशि का मास्टरस्ट्रोक...

वो जान तो पहले ही चुकी थी की नंदू अपनी माँ का दीवाना है...
और जब भी मौका मिलेगा, वो उसके अलावा अपनी माँ को भी चोदने से पीछे नही हटेगा...

और वो भी यही चाहती थी की जब भी उसकी चुदाई की इच्छा हो तो उसकी माँ बीच में ना आए...
आज अपनी माँ को रंगे हाथ पकड़कर वो उन्हे उसी दबाव में रखकर अपने मन की बात पूरी कर लेना चाहती थी ताकि आगे से घर पर एक साथ चुदाई के लिए मना ना कर सके...
वरना जिस तरह की सख्त माँ थी वो, उन्हे किसी दूसरे तरीके से मनाना आसान काम नही था...

और निशि की बातें सुनकर नंदू भी अब उसका गेम प्लान समझ चुका था और मन ही मन वो अपनी बहन की तारीफ भी कर रहा था...
करता भी क्यों नही, उसे अब बिना किसी डर के अपनी माँ और बहन को चोदने का मौका जो मिलने वाला था और वो भी बिना किसी दबाव के..

और इसी बीच निशि ने अपना आख़िरी दाँव भी फेंक दिया

वो बोली : "और अगर भाई ने मेरे साथ ये सब करने से मना कर दिया या आपने मुझे रोका तो मुझे मजबूरन गाँव के दूसरे मर्दों के सामने अपना बदन पेश करना पड़ेगा...और ये कहने की ज़रूरत नही है की ऐसे जवान जिस्म के कितने दीवाने है इस गाँव में ...''

ये सुनते ही गोरी की माँ और भी ज़्यादा सकते में आ गयी...
यानी चुदाई का भूत तो उसपर बुरी तरह चढ़ ही चुका था, और अब वो सीधे शब्दों में धमकी दे रही थी की मुझे भी नंदू का लंड लेने दो वरना बाहर जाकर मैं भी चुदवाउंगी..

और ऐसा करते हुए उसकी माँ हरगिज़ नही देख सकती थी..

पूरे गाँव में उसकी इज़्ज़त थी,
अपनी बेटी की इस नादानी भरी बातों से वो उस इज़्ज़त को गँवाना नही चाहती थी..

अब गोरी का दिल पिघलने लगा...
वो अपनी बेटी की बात पर सोचने के लिए मजबूर हो गयी...

वो सोचने लगी की ऐसा करने में कोई बुराई भी तो नही है...
घर की बात घर में ही रहेगी...
ना तो उसका राज बाहर निकलेगा और ना ही उसकी बेटी के पैर...

और रही बात अपने ही भाई से चुदवाने की तो इसमें भला हर्ज ही क्या है,
वो भी तो यही कर रही थी..
अपने बेटे से चुदवाकर उसने पहले ही मर्यादा की सारी सीमाएँ लाँघ ली थी,
ऐसे में भला वो किस मुँह से अपनी बेटी को ऐसा करने से रोकती..

ये सब सोचते-2 उसके हाथ से वो कपड़ा ना जाने कब नीचे गिर गया जिससे उसने निशि की छातियों को धक रखा था...

और एक बार फिर नंदू के सामने निशि की सुडौल चुचिया तनकर खड़ी थी...
और उससे कुछ ही दूरी पर उसकी माँ पूरी नंगी...



उसने शायद सपने में भी नही सोचा था की ऐसा दृशय देखने को मिलेगा..

अपनी आँखो के सामने अपनी माँ और बहन को नंगा देख रहा था वो.

गोरी का मन तो निशि की दलील सुनकर मन चुका था...
पर उसे नंदू की चिंता थी...
उसने आशाभरी नज़रों से नंदू को देखा तो निशि झट्ट से उनके मन की बात समझकर बोल पड़ी : "आप भाई की चिंता ना करो...वो भी शायद नही चाहेंगे की उनकी बहन गाँव में जाकर किसी और से चुदे ...बोलो भैय्या, चोदोगे ना मुझे...''

ऐसा कहते हुए उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से अपनी भाई नंदू को एक आँख मार दी और उसे होंठ गोल करके एक फ्लाइंग किस्स सप्लाइ कर दी..

नंदू बेचारे के हाथ से उसकी धोती फिसलकर नीचे गिर गयी जब उसकी बहन ने इतने सैक्सी तरीके से अपनी माँ के सामने चुदाई के लिए पूछा...

चुदाई तो वो उसकी 2 दिन से कर ही रहा था...
पर आज जो परिस्थितियां बनी थी उनमें निशि उसे एक बार फिर से कुँवारी चूत की तरह दिखाई दे रही थी,
जो अपनी माँ के सामने ही अपने भाई से चुदने की परमिशन माँग रही थी.

जैसे ही नंदू की धोती नीचे गिरी, उसका विशालकाय लंड जो फिर से एक बार तन कर खड़ा हो चुका था, निशि और गोरी की आँखो के सामने आ गया...

इसका मतलब सॉफ था, नंदू भी राज़ी था...

लंड राज़ी तो सब राज़ी...

निशि ने मुस्कुराते हुए अपनी पायजामी भी उतार डाली और उन दोनो की तरह वो भी अब पूरी नंगी होकर उनके सामने खड़ी थी...
 

Ashokafun30

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इस वक़्त निशि की शक्ल उस बिल्ली की तरह लग रही थी जो अपने सामने लटक रहे लंड नुमा चूहे को कच्चा खा जाने के मूड में थी

थोड़ा अजीब ज़रूर लग रहा था सबको एक दूसरे के सामने नंगा खड़े होने में
पर एक अलग ही तरह का रोमांच भी महसूस हो रहा था उन्हे...

पहल निशि ने ही की,
वो आगे बड़ी और उसने बड़ी ही नज़ाकत से नंदू के फुफकारते हुए लंड को पकड़ लिया...
उसपर अभी भी उसकी माँ की चूत का रस लगा हुआ था, जिसे सॉफ करने का उसके पास बहुत अच्छा तरीका था..

वो झट्ट से नीचे बैठी और पलक झपकते ही अपने भाई के लंड को निगल कर जोरों से चूसने लगी..



ये शायद गोरी की ज़िदगी का सबसे बड़ा झटका था...

थोड़ी देर पहले जिस लंड को वो खुद चूस रही थी, अब उसकी बेटी चूस रही है
और वो भी उससे बाड़िया तरीके से..
मतलब सॉफ था,
ये उसकी लाइफ की पहली चुसाई नहीं थी...
यानी ये काम वो पहले भी कर चुकी है...

निशि ने लंड चूसते - 2 अपनी माँ की तरफ देखा और बोली : "माँ , ऐसे ही खड़ी रहोगी तो कुछ नही मिलने वाला...अब ये लाज शर्म छोड़ो और आओ यहाँ ...वरना सारी मलाई मैने ही खा जानी है...''

इतनी बेशर्मी से निशि अपनी माँ से बोल रही थी...
पर इस बार उसकी बात पर हैरान होने के बजाए गोरी मुस्कुरा दी,
उसे भी पता चल चुका था की अब उसके बस में कुछ भी नही है...
और वैसे भी उसकी बेटी सही ही तो कह रही थी,
ऐसे खड़े रहने से कुछ नही मिलने वाला...
निशि ने भी तो हिम्मत की है, तभी उसके हाथ में इस वक़्त नंदू का लंड था...

इसलिए उसकी बात मानकर वो आगे आई और घुटनो के बल उसके साथ वहीँ बैठ गयी,
दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे की तरफ देखा और एक साथ अपने मुँह को आगे करके नंदू के लंड पर जीभ रख दी..



नंदू की लाइफ का शायद सबसे उत्तेजना से भरा पल था ये...
जिस माँ को वो पूरी जिंदगी चोदने के सपने देखता रहा और जिस जवान बहन के जिस्म की उसने मन में कई बार तारीफ की थी, वो दोनो इस वक़्त नंगी होकर उसके सामने बैठी थी और उसका लंड चूस रही थी...
आज तो उसे मौत भी आ जाए तो उसे कोई गम नही होगा, उसे उसकी लाइफ की सबसे बड़ी खुशी आज मिल चुकी थी..

और जल्द ही लंड चूसते - 2 उन दोनो माँ बेटियों ने नंदू के लंड को पहले से भी ज़्यादा लंबा और सख्त कर दिया... डबल पावर का यही असर होता है

और अब उस डबल पावर वाले लंड को इस्तेमाल करने का वक़्त आ चुका था..

और इस बार निशि ने कोई दरियादिली नही दिखाई...
उसने नंदू को धक्का देकर ज़मीन पर लिटाया और उसके उपर खुद सवार हो गयी...

उसकी आँखो के सामने अभी तक पिंकी और लाला की चुदाई की पिक्चर चल रही थी...
और जैसे-2 पिंकी ने आज लाला से चुदवाया था, ठीक वैसे ही वो नंदू के लंड से मज़ा लेना चाहती थी...
और इन सबके बीच वो ये बिल्कुल भूल चुकी थी की उसकी माँ भी वहां मोजूद है,
जो शायद एक बार फिर से हैरानी की उसी अवस्था में पहुँच चुकी थी जैसे वो कुछ समय पहले थी, जब उसने देखा की कैसे निशि ने नंदू के उस मोटे लंड को अपनी नन्ही सी चूत में आसानी से ले लिया है....
यानी लंड चुसाई तो कुछ भी नही था, वो पहले चुदाई भी करवा चुकी थी...

अगर ये निशि का पहली बार होता तो इतने मोटे लंड को अंदर लेने में उसकी मा मर जानी थी, पर ऐसा कुछ नही हुआ, उसके मुँह से चीखों के बदले सिर्फ़ रसीली सिसकारियाँ ही निकल रही थी...
जैसे-2 वो मोटा लंड उसकी चूत में समाता जा रहा था, उसकी आँखे बंद और होंठ खुलते जा रहे थे...



और अंत में जब उसने पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया तो उसके चेहरे की मुस्कान देखने लायक थी...
एक विजयी मुस्कान लिए वो धीरे-2 नंदू के घोड़े पर बैठी हिचकोले खाने लगी...

नंदू के हाथ भी उपर आए और उसने निशि की नन्ही बूबीयों को मसलना शुरू कर दिया और नीचे से अपनी गांड उठा कर उसकी चूत में झटके मारने भी शुरू कर दिए..

पूरे घर में दोनो की आंनद में डूबी सिसकारियाँ तैर रही थी..

''आआआआआआआआआआआआआआअहह ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममममम...... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... भाईईईईईईईईई.... ऐसे ही चोदो मुझे...................... अहह ...चोदो अपनी बहन को.....मारो अपनी रंडी बहन की चूत .....''



जिस बुरी तरह से वो बके जा रही थी, नंदू को लग रहा था की ऐसा ना हो की ये उनकी आख़िरी चुदाई साबित हो...
कोई भी माँ अपनी बेटी की ऐसी हरकतें देखकर चुप नही बैठ सकती...

अपनी माँ की तरफ देखा उसने तो उन्हे एक अलग ही दुनिया में पाया...

शायद निशि को चुदते देखकर उन्हे अपनी जवानी के दिन याद आ गये थे,
ठीक ऐसे ही वो भी लंड लेते हुए एक रंडी बन जाया करती थी और अपनी चूत में आए लंड का कचुंबर निकाल कर ही दम लेती थी...

उन्हे ऐसा करते देखकर वो फर्श पर बैठी हुई अपनी चूत मसलने में लगी थी...

और धीरे-2 बुदबुदा भी रही थी...

''हाँ ...बेटा....चोद इस रंडी को....साली की चूत में बहुत आग लगी हुई है.... अपने ही भाई से चुदवा रही है छिनाल की जनी .....इसकी चूत का बेंड बजा दे रे नंदू....फाड़ दे इसकी चूत, जिसमें इतनी खुजली हो रही है....अहह''

इतना कहते-2 उसकी चूत ने ढेर सारा पानी वही ज़मीन पर निकाल दिया...

दूसरी तरफ नंदू भी झड़ने के काफ़ी करीब था,
ऐसी परिस्थिति में आकर तो अच्छे - अच्छों के लंडो का पानी जल्दी निकल जाता है,
फिर नंदू की क्या मिसाल थी..

निशि तो उस घोड़े पर कूदते-2 दो बार झड़ भी चुकी थी....
जिस जगह पर वो बैठी थी, उसके नीचे का फर्श भी उसके रज से भीग चुका था...
शायद एक बार उसका सुसु भी निकल गया था बीच में ...
और अब एक और बार वो झड़ने वाली थी जिसमें उसकी चूत में विस्फोट की स्थिति उत्पन कर दी थी....
और वो विस्फोट जल्द ही हो भी गया...
जिसे महसूस करते ही वो पागल कुतिया की तरह बिलबिलाती हुई, अपने भाई के लंड पर लोटनियां मारती हुई झड़ने लगी..

''आआआआआआआआआआआआहह.....भाई.................मेरी ज़ाआाआआअंन्न...... उम्म्म्ममममममम........ वाााआआअहह.... क्या मजाआाआआआअ दिया है तूने आआआआअजज...... उम्म्म्मममममममममम.......... आई लव यू भाई....''

नंदू की तोप ने भी कई गोले उसकी चूत में दाग दिए थे....
और आख़िरी में आकर जब निशि ने आई लव यू बोला तो उन दोनो के होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपके जैसे बरसों तक नही छूटने वाले ....




और फिर निशि का शरीर फिसलकर नीचे आ गया....
वो थोड़ा टेडी हुई और नंदू के लंड के आस पास पड़ी मलाई को चपर -2 करके चाट गयी....




और फिर बिना अपनी माँ को देखे, अपने कपड़े उठाकर , अपनी गांड मटकाते हुए उपर अपने कमरे की तरफ चल दी...

इस वक़्त उसे ऐसा फील हो रहा था जैसे एक चतुर बिल्ली ने अपनी चालाकी से दूसरी बिल्ली के हिस्से की मलाई खा ली हो...
उस मलाई के निशान अभी भी निशि के होंठों पर थे, जिनपर एक बार फिर से जीभ फेराकार वो उसे निगल गयी और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में घुस गयी...

और पीछे छोड़ गयी उत्तेजना से भरी, आधी चुदाई करवाकर, फुफकारती हुई अपनी माँ
जिसकी नज़र अभी भी अपने बेटे के सिकुड़े हुए लंड पर थी....

एक बात तो पक्की थी की आज की रात नंदू की शामत आने वाली थी....

बस देखना ये था की गोरी नंदू को कितनी जल्दी और कैसे अपनी चुदाई के लिए तैयार कर पाती है..
 

Ek number

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उसका मन तो कर रहा था की एक बार और ट्राई किया जाए पर अब काफ़ी समय हो चुका था....
पिंकी और निशि ने स्कूल बंक किया था, टाइम देखा तो करीब 2 बजने को थे....चुदाई करते हुए समय का पता ही नही चला... उन सबने अपने-2 कपड़े पहने और वापिस गाँव की तरफ चल दिए ताकि पिंकी और निशि अपने स्कूल टाइम के हिसाब से ही घर पहुँच जाए...

लाला ने उन्हे गाँव के बाहर उतारा जहाँ से उन दोनो ने रिक्शा कर लिया और अपने-2 घर पहुँच गयी...
पिंकी की तो हालत बुरी थी, वो बुखार का बहाना करके, बदन दर्द की गोली लेकर सो गयी ताकि लाला के दिए दर्द से उसे शाम तक आराम मिल सके..और निशि घर जाकर अपने कमरे को सजाने संवारने का काम करने लगी...आज की रात वो अपने भाई नंदू को कच्चा चबा लेना चाहती थी...

पर बेचारी ये नही जानती थी की आज उसकी लाइफ में कितना बड़ा धमाका होने वाला है..

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अब आगे
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नंदू को इस बात की चिंता थी की उसकी बहन को ये ना पता चल जाए की वो उसके अलावा अपनी माँ की भी चुदाई कर रहा है और उसकी माँ को इस बात की चिंता थी की कहीं उसकी बेटी को ये ना पता चल जाए की वो अपने बेटे यानी उसके भाई से चुदवा रही है..

हालाँकि अपने बेटे से चुदवाने के बाद एक पल के लिए तो उसमें वो हीन भावना भी आई थी की कैसी औरत हूँ मैं , अपने ही बेटे से चुदवा लिया...
दुनिया थूकेगी उसपर अगर ये बात किसी को भी पता चल गयी....
और उसने मन ही मन निश्चय भी कर लिया था की अब वो ऐसा दोबारा नही करेगी...
पर घर जाते-2 उसका ये निश्चय एक और बार चुदाई करवाने की जिद्द में बदल गया...
अब ये साली चुदाई होती ही ऐसी चीज़ है, कहां तो वो बरसो से बिना चुदे , बिना लंड अपने अंदर लिए अपनी जिंदगी गुज़ार रही थी, और कहां एक ही दिन की चुदाई ने उसके अंदर की चुदक़्कड़ को बाहर आने पर मजबूर कर दिया.

इसलिए जैसे ही वो दोनो माँ बेटे घर पहुँचे, नंदू की माँ उसपर लगभग टूट ही पड़ी,
पूरे रास्ते साइकल पर बैठकर वो उसके लंड को महसूस करती आ रही थी
और अंदर आते ही उसने उसके उसी हथियार को पकड़कर अपने क़ब्ज़े में ले लिया और अपने नंगे पेट पर रगड़ते हुए सिसकारी मारते हुए बोली : "अहह ...नंदू...... तेरे इस हथियार ने तो मेरी हालत खराब कर दी है...बस मन करता है की हर पल इसे अंदर लेके रखू...''

नंदू भी पूरे रास्ते अपनी माँ के नर्म कूल्हों को महसूस करके उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चूका था...
पर अंदर ही अंदर उसे अपनी बहन निशि का डर भी सता रहा था...
शाम का समय था, इस वक़्त या तो वो अपने घर पर होती है या फिर पिंकी के घर,
घर तो वो थी नही, इसलिए उसके आने से पहले वो उस बात का फायदा उठा लेना चाहता था ताकि रात का झंझट ही ना रहे अपनी माँ को चोदने का..
और वैसे भी उसकी माँ इस वक़्त इतनी उत्तेजित थी की शायद पिंकी के सामने भी वो उसपर इसी तरह से टूट पड़ती...

वो इन्ही ख़यालो में खोया हुआ था की उसे अपने लंड पर कुछ गीला-2 महसूस हुआ,
नीचे देखा तो उसकी माँ उसके लंड को आइस्क्रीम की तरह चूस रही थी....
इस उम्र की औरत को ये शोंक कैसे हो गया भला...
अब उस बेचारे को क्या पता था की लंड चूसने की ललक तो हर औरत में होती है,
बस उसे उस बात को करवाने वाला मर्द होना चाहिए,
और एक बार जब उसे लंड चूसने का चस्का लग गया तो वो हर बार चुदाई की शुरूवात लंड चूसकर ही करेगी...

नंदू की माँ भी अपने बेटे के लंड को चूसकर उसका चॉकलेटी मज़ा ले रही थी....
अपने दूसरे हाथ से उसने उसकी धोती को निकाल फेंका और अपने ब्लाउज़ के बटन खोल कर अपने मुम्मे भी बाहर निकाल लिए...2 मिनट में ही दोनो माँ बेटे पूरे नंगे थे...
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Ek number

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अपनी माँ की मोटी छातियां देखकर नंदू से भी भला कैसे रुका जाता,
वो भी अपना पूरा जबड़ा खोलकर उनपर टूट पड़ा, ऐसे काटने लगा जैसे रबड़ की बॉल को चूहा कुतर रहा हो..

गोरी को मज़ा तो आ रहा था पर उसे अपनी चूत में हो रही खुजली की ज़्यादा चिंता थी....
वो अपने मुम्मे चुस्वाते-2 पास पड़ी खटिया पर गिर पड़ी और अपनी टांगे खोलकर नंदू को अपने उपर लिटा लिया...

निशाना एकदम सही लगा पहली ही बार में
और नंदू का फौलादी लौड़ा उसकी चिकनी चूत में उतरता चला गया..



''आआआआआआआआआआआहह .उम्म्म्ममममममममममममममममम..... मजाआा आआआआ गय्ाआआआआअ...... पूरे गाँव में तेरे जैसा लंड किसी का नही होगा......लिखवा ले मुझसे....''

वो भी जानती थी की वो झूट बोल रही है...
लाला का लंड उसके बेटे के लंड के मुक़ाबले ज़्यादा मोटा और शानदार था..

और वहीं नंदू भी सोचने लगा, की कह तो ऐसे रही है जैसे पूरे गाँव के लंड चख रखे है उसकी माँ ने...

पर ये वक़्त इन बेकार की बातों पर ध्यान देने का नही था...

ये वक़्त था लंड और चूत के मिलन का मज़ा लेने का...

और नंदू ने वही किया


अपनी माँ के दोनो हाथों को नीचे दबा कर उसने अपने लंड से उन्हे जोरों से पेलना शुरू कर दिया...

पूरी खटिया चूं -2 करने लगी नंदू के लंड के झटकों से

और उन झटकों से गोरी के मोटे मुम्मे हर बार उपर नीचे होकर उसे एक अलग ही मज़ा प्रदान कर रहे थे..




वो अपनी ही मस्ती में मग्न थे की पीछे से निशि की आवाज़ आई..

''भैय्याआआआआ........माँ आआआआआ.....ये क्या कर रहे हो आप दोनो.....''

अपनी बेटी की आवाज़ सुनते ही गोरी की तो हालत ही खराब हो गयी...

और ऐसा ही कुछ हाल नंदू का भी हुआ....
उसका शेर जैसा लंड एक ही पल में चूहा बनकर अपनी माँ के बिल से बाहर निकल आया...
दोनो ने आनन-फानन में नीचे गिरे कपड़ो से अपने नंगे शरीर को ढका...
नंदू को तो नंगा वो देख ही चुकी थी, आज अपनी माँ को भी अपने भरंवा शरीर को छुपाते हुए वो पहली बार देख रही थी...

कुछ देर तक तो कोई कुछ नही बोला

फिर निशि की आवाज आयी

''ये हो क्या रहा है माँ .....कोई बताएगा मुझे...''

निशि ने गुस्से से बिफरते हुए कहा...

उसे गुस्सा इस बात का नही था की उसकी माँ चुदाई करवा रही थी
बल्कि इस बात का था की वो चुदाई नंदू से करवा रही थी...
जिसपर वो पूरी तरह से अपना हक समझकर बैठी थी अभी तक.

स्कूल से आने के बाद वो अपने कमरे में जाकर सो गयी थी...
उसे क्या पता था की नीचे उसकी माँ और भाई ये गुल खिला रहे होंगे...
वो तो सपने में भी नंदू से चुदाई करवा रही थी और सिसकारियाँ मार रही थी...
और जब वैसी ही सिसकारियां उसे नीचे से आती हुई सुनाई दी तो उसकी आँख झट्ट से खुल गयी...
बाहर निकलकर देखा तो उसे विश्वास ही नही हुआ...
उसकी माँ बरामदे में ही अपनी टांगे फेलाए खाट पर लेटी थी और नंदू उसे घपा-घप पेल रहा था..
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