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Erotica हरामी साहूकार

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वो लगभग रोते हुए..गिड़गिड़ाते हुए , लाला से बोली : "ई ना करो लाला....हमार अभी शादी हुई है..हमार जिंदगी बर्बाद हो जाएगी लाला....छोड़ दो हमको...''

लाला ने उसकी कमर से अपना हाथ हटा लिया और बोला : "अर्रे...तू तो ऐसे कह रही है जैसे मैं तेरे साथ कोई जबरदस्ती रहा हूँ ....तू ही दाल लेने आई थी और तूने ही हाथ बढ़ाकर मुझे पकड़ लिया...और अब खुद ही ऐसे चिल्ला रही है जैसे मैने कुछ ग़लत कर दिया है...जाना है तो जा...''

उस वक़्त सीमा की हालत ऐसी हो रही थी की या तो बेशरम बनकर लाला का साथ देकर वहीं चुद ले...
या फिर अपने शरीफपन का ढोंग रचा कर वहां से भाग जाए..

लाला ने तो अपना दाना फेंक ही दिया था...
और उसे पक्का विश्वास था की एक बार उसके लंड को टच करके कोई भी मुँह मोड़कर जा नही सकता ..

सीमा की हालत भी कुछ-2 वैसी ही थी जैसा लाला चाहता था...
उसके निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे...
उसकी मुनिया से गाड़ा पानी निकल कर उसकी जाँघो पर बह रहा था...
पर सीमा का दिमाग़ उसके शरीर की भाषा नही समझ रहा था..
और उसी पाहोपोश में वो लगभग भागती हुई सी गोडाउन से बाहर निकल गयी...

शायद समाज , बिरादरी के डर ने उसके दिमाग़ को वहां से भागने पर मजबूर कर दिया था.

और पीछे रह गया लाला...
जो अंधेरे कमरे में अपने लंड को मसलता हुआ बस यही बुदबुदा रहा था...'साली....कभी तो आएगी मेरे नीचे...कब तक बचेगी.'

एक वो दिन था और एक आज का दिन है...लाला की उसे चोदने की इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी.

उसके बाद जब भी सीमा और लाला का आमना सामना हुआ, वो चुपचाप नज़र चुरा कर निकल जाती थी...
दुकान में भी कभी कभार समान लेने आती तो समान लेकर वापिस चली जाती...
लाला चाहे एक नंबर का ठरकी था, पर आज तक उसने औरत की इच्छा के विरुद्ध जाकर उसकी चुदाई नही की थी...
इसलिए सीमा को भी लाला ने अपनी लिस्ट से निकाल दिया..
क्योंकि उसे पता था की उसे चुदना होता तो अब तक चुद चुकी होती...
कुछ समय बाद उसकी एक लड़की हो गयी, तो उसने और भी दूरिया बना ली..
शायद अब वो अपनी बेटी पिंकी के साथ उस छोटी सी दुनिया में ही खुश थी...

और इस तरह देखते-2 उन्नीस साल बीत गये...
और आज वही पिंकी उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसका लंड चूस रही थी और वही सीमा उसके सामने खड़े होकर चावल माँग रही थी..

''2 किलो चावल दे दो लाला...सुना नही क्या..''

सीमा की इस तीखी आवाज़ ने लाला को यथार्थ के धरातल पर ला पटका...
एक मिनट में ही उसे वो सब पुरानी बाते याद हो आई थी , जिन्हे वो कब का भूल चुका था...
पर वो एक कसक अभी भी उसके दिल में थी की पूरे गाँव में यही एक औरत है जिसने उसका दाना चुगा तो सही पर जाल में नही फँस पाई..

और आज, एक बार फिर से लाला के दिल में वही पुरानी यादें चिल्ला-2 कर कह रही थी की आज मौका है,
कर ले अपने दिल की दबी हुई इच्छा को पूरा...
कर ले लाला...
कर ले.

और पिंकी का इस वक़्त वहां पर होना तो इस घटना को और भी रोमांचक बना देगा...
क्योंकि ये वो चिड़िया थी जो उसका दाना चुग भी चुकी थी और लाला के जाल में अच्छे से फँस भी चुकी थी...
उसके तो उड़ जाने का भी कोई ख़तरा नही था...

और उपर से नाज़िया को उसकी माँ के सामने ही चोदने के बाद , लाला में इतनी हिम्मत तो आ ही चुकी थी की एक बार फिर से एक और माँ -बेटी की जोड़ी को एक दूसरे के रूबरू करके चुदाई का खेल खेल सके...
क्योंकि ऐसा करने में जो रोमांच उसे महसूस हुआ था उसका कोई मुकाबला ही नही था.

पर इससे पहले वो निश्चिन्त कर लेना चाहता था की पहले की सीमा और आज की सीमा में कोई बदलाव आया है या नही...और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था.

लाला ने मन ही मन एक प्लान बनाया और सीमा से बोला : "अररी सीमा रानी...तुझे तो पता ही है, दाल चावल तो सब अंदर के गोडोवन् में ही होते है.... चल अंदर..दिखा देता हूँ तुझे, कौन-कौन सा चावल है मेरे पास...''



ये लाला ने इसलिए कहा क्योंकि आज से पहले भी उसने कई बार अंदर के गोडाउन से समान लाकर उसे दिया था...
आज पहली बार था जब वो उसे एक बार फिर से गोडाउन में चलने के लिए कह रहा था...
और वो लाला ने उसे इसलिए कहा की अगर उसने अंदर जाने से मना कर दिया और लाला को ही चावल लाने को कहा तो उसे समझ जाना चाहिए था की वो अभी भी अपनी उसी जिदद पर अड़ी हुई है...
और अगर वो अंदर चलने के लिए मान गयी तो लाला के लिए उतना ही इशारा काफ़ी था उसे चोदने के लिए..

और वही दूसरी तरफ, लाला की गोडाउन में चलने वाली बात सुनकर सीमा का पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया...
वो समझ गयी की लाला क्या चाहता है..
पर अंदर ही अंदर उसे इस बात की खुशी भी हो रही थी की उसकी इतनी उम्र हो जाने के बावजूद लाला उसके लिए आज भी पागल है...
पिंकी के पैदा होने के बाद तो उसके पति ने लगभग ना के बराबर चुदाई करी थी उसकी...
पर उस बात को भूलकर अपनी बेटी को पालने में उसने अपनी जिंदगी लगा दी...
पर आज लाला की इस हरकत ने उसके शरीर में कुछ सोए हुए अरमान फिर से जगा दिए थे, जिन्हे वो आज तक नजरअंदाज करती आई थी..

इसलिए बिना कुछ कहे वो चुपचाप अंदर के गोडाउन में चल दी..

लाला का दिल तो बल्लियों उछल पड़ा..
और साथ ही उछल पड़ा उसका रामलाल भी जो इस वक़्त पिंकी की गिरफ़्त में था..

पिंकी ने नीचे से फुसफुसा कर कहा : "ओ लाला जी...ये क्या रायता फेला रहे हो...जानते हो ना की वो मेरी माँ है...उन्हे टरकाने के बदले आप अंदर ले जा रहे हो...उन्होने मुझे और निशि को यहाँ देख लिया तो अनर्थ हो जाएगा...भगाओ उन्हे यहाँ से जल्दी...''

वो बेवकूफ़ अभी तक लाला के दिमाग़ में चल रही शैतानी को समझ नही पा रही थी..
पर निशि समझ चुकी थी.

वो बोली : "अरी बुद्धू...तू इतना भी नही समझी...लाला का दिल इस वक़्त तेरे लिए नही बल्कि तेरी माँ के लिए मचल रहा है...जैसे उन्होने नाज़िया और उसकी माँ दोनो के साथ मज़े लिए है...वैसा ही कुछ इरादा उनका तेरे और तेरी माँ के लिए भी है...क्यों .यही बात है ना लालाजी...''

निशि ने तो एक पल में ही लाला के प्लान को पिंकी के सामने लीक कर दिया..

लाला तो खुद ही उसे ये बताने वाला था,
निशि ने जब ये सब कहा तो लाला ने मुस्कुरा कर वो सब कबूल कर लिया..

और ये सब सुनकर और लाला को मुस्कुराता देखकर, पिंकी का तो दिमाग़ ही घूम गया...

इतना हरामी भला कोई कैसे हो सकता है....
जब एक इंसान के पास एक जवान बेटी उसका लंड चूसती हुई बैठी है तो ऐसे में वो उसकी माँ के पीछे कैसे जा सकता है..

और कोई होता तो उसे कोई परवाह नही थी क्योंकि वो लाला के रंगीनमिजाज को अच्छी तरह से जानती थी...
पर वो तो उसकी माँ को चोदने की फिराक में था...
अंदर के गोडाउन में लेजाकर वो उसकी पूजा तो करेगा नही.

उसे तो अपनी माँ पर भी गुस्सा आ रहा था क्योंकि इतने सालो में उसने भी तो लाला के बारे में वो सब सुन ही रखा होगा...
उसके बावजूद वो कितनी आसानी से उसकी बातो में आकर बिना कुछ कहे अंदर चली गयी थी...
Fantastic update
 

misdiljpr

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अब उस बेचारी को अपनी माँ और लाला के बीच की वो पुरानी बाते तो पता नही थी...
लेकिन पता भी होती तो इस वक़्त वो यही सब सोच रही होती जो अब सोच रही है..
उसे तो अपनी माँ से जलन भी हो रही थी..
की जब उसकी बेटी मज़े ले रही है लाला से तो उसका बीच में आने का क्या मतलब उठता है..
मारे जलन के उसका मन तो ये भी कर रहा था की लाला के लंड को काट डाले अपने तीखे दांतो से...
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने उपर कंट्रोल किया.

और उसके मन के अंदर जो चल रहा था, उसकी परवाह किए बिना लाला भी उठकर अंदर के गोडाउन में चल दिया..

और पीछे छोड़ गया अवाक सी होकर बैठी पिंकी को...
जिसे अभी तक ये विश्वास नही हो पा रहा था की उस जैसी जवान लड़की को छोड़कर भला कोई कैसे उस 40 साल की औरत के पास जा सकता है..

लाला के जाने के बाद निशि ने उसे समझाया

निशि : "अररी...तेरा गुस्सा होना जायज़ है...पर ये भी तो सोच की तेरी माँ और लाला की इस हरकत की वजह से हमारा कितना फायदा है..''

पिंकी ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली : "फायदा ...? इसमे हमारा फायदा कहाँ से आ गया...''

निशि : "फायदा इसलिए की अगर आज लाला और तेरी माँ के बीच कुछ हो जाता है तो ये सिलसिला आगे भी चलेगा...और भविश्य में अगर तेरी माँ को तुझपर कुछ शक हुआ या उसने तुझे और लाला को चुदाई करते हुए पकड़ लिया तो तेरे पास भी तो कहने के लिए कुछ होगा ना..तू भी तो अपनी माँ को लाला और उनके बीच की ये सच्चाई बताने की धमकी दे सकती है ...''

पिंकी ने मन में सोचा की बात तो वो सही कह रही है..
हालाँकि उसे अपनी माँ पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर अब वो एक औरत की नज़र से वो सब सोच रही थी...
उसे याद है की उसने कई बार रात भर जागकर ये जानने की कोशिश की थी की उसकी माँ और बापू रात में चुदाई करते है या नही...
पर उसे हर बार निराशा ही हाथ लगी थी...
इसका मतलब सॉफ था की उसके माँ बाप के बीच शारीरिक संबंध नाम की कोई चीज़ ही नही थी...
और ऐसे में अगर लाला जैसा बंदा चुदाई की पेशकश करे तो एक प्यासी औरत भला उसे कैसे मना कर पाएगी.

और निशि ने जो बात की थी, उसके हिसाब से अगर माँ को लाला और पिंकी के बारे में पता चल भी जाता है तो शायद उसे उतना बुरा नही लगेगा क्योंकि वो खुद भी तो लाला के साथ वो कांड कर ही चुकी होगी..

पर ये सब तो तब होगा ना जब उसकी माँ लाला से असल में चुदाई करवाएगी...

और ये सब देखने के लिए वो दोनो भी चुपके से अपने घुटनो पर रेंगती हुई अंदर की तरफ चल दी...



जहाँ एक जोरदार चुदाई कांड होने की संभावनाए सॉफ नज़र आ रही थी.
बेटी से पांडे चूसा के उसके थूक से लण्ड गीला कर के उसकी माँ की चुदाई करने का प्लान। बहुत हरामी है ये साहूकार तो।
 

Ek number

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अब उस बेचारी को अपनी माँ और लाला के बीच की वो पुरानी बाते तो पता नही थी...
लेकिन पता भी होती तो इस वक़्त वो यही सब सोच रही होती जो अब सोच रही है..
उसे तो अपनी माँ से जलन भी हो रही थी..
की जब उसकी बेटी मज़े ले रही है लाला से तो उसका बीच में आने का क्या मतलब उठता है..
मारे जलन के उसका मन तो ये भी कर रहा था की लाला के लंड को काट डाले अपने तीखे दांतो से...
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने उपर कंट्रोल किया.

और उसके मन के अंदर जो चल रहा था, उसकी परवाह किए बिना लाला भी उठकर अंदर के गोडाउन में चल दिया..

और पीछे छोड़ गया अवाक सी होकर बैठी पिंकी को...
जिसे अभी तक ये विश्वास नही हो पा रहा था की उस जैसी जवान लड़की को छोड़कर भला कोई कैसे उस 40 साल की औरत के पास जा सकता है..

लाला के जाने के बाद निशि ने उसे समझाया

निशि : "अररी...तेरा गुस्सा होना जायज़ है...पर ये भी तो सोच की तेरी माँ और लाला की इस हरकत की वजह से हमारा कितना फायदा है..''

पिंकी ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली : "फायदा ...? इसमे हमारा फायदा कहाँ से आ गया...''

निशि : "फायदा इसलिए की अगर आज लाला और तेरी माँ के बीच कुछ हो जाता है तो ये सिलसिला आगे भी चलेगा...और भविश्य में अगर तेरी माँ को तुझपर कुछ शक हुआ या उसने तुझे और लाला को चुदाई करते हुए पकड़ लिया तो तेरे पास भी तो कहने के लिए कुछ होगा ना..तू भी तो अपनी माँ को लाला और उनके बीच की ये सच्चाई बताने की धमकी दे सकती है ...''

पिंकी ने मन में सोचा की बात तो वो सही कह रही है..
हालाँकि उसे अपनी माँ पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर अब वो एक औरत की नज़र से वो सब सोच रही थी...
उसे याद है की उसने कई बार रात भर जागकर ये जानने की कोशिश की थी की उसकी माँ और बापू रात में चुदाई करते है या नही...
पर उसे हर बार निराशा ही हाथ लगी थी...
इसका मतलब सॉफ था की उसके माँ बाप के बीच शारीरिक संबंध नाम की कोई चीज़ ही नही थी...
और ऐसे में अगर लाला जैसा बंदा चुदाई की पेशकश करे तो एक प्यासी औरत भला उसे कैसे मना कर पाएगी.

और निशि ने जो बात की थी, उसके हिसाब से अगर माँ को लाला और पिंकी के बारे में पता चल भी जाता है तो शायद उसे उतना बुरा नही लगेगा क्योंकि वो खुद भी तो लाला के साथ वो कांड कर ही चुकी होगी..

पर ये सब तो तब होगा ना जब उसकी माँ लाला से असल में चुदाई करवाएगी...

और ये सब देखने के लिए वो दोनो भी चुपके से अपने घुटनो पर रेंगती हुई अंदर की तरफ चल दी...



जहाँ एक जोरदार चुदाई कांड होने की संभावनाए सॉफ नज़र आ रही थी.
Superb
 

Ashokafun30

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बेटी से पांडे चूसा के उसके थूक से लण्ड गीला कर के उसकी माँ की चुदाई करने का प्लान। बहुत हरामी है ये साहूकार तो।
harami hai tabhi to iski kahani padne me alag hi maja hai
aap bas enjoy kariye
baaki kaam lala aur mujhpe chhod dijiye
 
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Ashokafun30

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हमेशा की तरह एक ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था गोडाउन में, जिसकी हल्की रोशनी में ढंग से किसी का चेहरा देखना भी मुश्किल था...
सीमा का दिल धाड़-2 बज रहा था
उसे सालो पहले की वो सारी बातें याद हो आई जब उसी जगह पर अंधेरे में उसने लाला का वो लंड अंजाने में पकड़ लिया था.
वही सीलन भरी महक आ रही थी गोडाउन से जो सालों पहले थी...
चारो तरफ चावल और चीनी की बोरियां पड़ी थी...
रैक्क में दाल और मसालों के पेकेट लगे थे.

सीमा को याद आ गया की उसी रैक्क को टटोलते हुए उसने लाला का वो तगड़ा लंड पकड़ा था...
वो याद आते ही वो सिहर उठी और अचानक उसे एहसास हुआ की उसकी गांड को कोई छू रहा है...
और इस वक़्त लाला के सिवा और कौन हो सकता था....
सीमा ने मन में सोचा 'ये साला हरामी लाला सीधा ही गांड पकड़ने पर आ गया है...'

पर वो उसका वहम था की वो लाला का हाथ है ...
वो तो रामलाल था,
जो लाला की धोती में खड़ा होकर अपने गोडाउन में आए इस नये मेहमान की गांड को टच करके उसकी गर्मी का एहसास ले रहा था
और ये जानने की कोशिश कर रहा था की उस गांड के पीछे छिपी चूत के मन में क्या चल रहा है..

और सीमा की चूत का हाल तो वो खुद ही जानती थी....
अंदर आते हुए हर कदम के साथ उसकी चूत ने बूँद-2 करके गीला रस उसकी जाँघो पर बिखेर दिया था...
जिसे अपनी साड़ी और पेटीकोट से सॉफ करते-2 वो भी थक सी चुकी थी...

लाला ने उसकी कान में अपनी गर्म साँसे छोड़ते हुए कहा : "कौन सा चावल लेगी सीमा रानी...''

वो हकलाते हुए बोली : "दि...... दिखा ...दो लाला...कोई अच्छा सा....चावल...जो पकने के बाद लंबा निकले...''

लाला ने अपनी घनी मूँछो पर ताव देते हुए कहा : "एक पुराना चावल है मेरे पास...और वो पकने के बाद लंबा भी हो जाता है और मीठा भी...देखेगी तो बात कर...अभी निकालता हूँ...''

लाला ये कह भी रहा था और बड़ी ही बेशर्मी से अपनी धोती में खड़े हुए लंड को मसल भी रहा था...
लाला का इशारा किस पुराने चावल की तरफ था ये तो सीमा समझ ही चुकी थी...
इतने साल बीत जाने के बाद भी उसकी कठोरता को अपने कुल्हो पर महसूस करके ही वो समझ चुकी थी की ये चावल सच में काफ़ी लंबा होगा..

उसका पूरा शरीर काँप सा रहा था...
और उसने सकुचाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके लाला के लंड की तरफ देखा, जो कपड़े की हल्की सी आड़ में पूरा विकराल रूप लेकर खड़ा था...
अगर वो कपड़ा हटा दो तो नीचे वो नंगा ही मिलता...
ये सोचते ही उसकी हालत और भी ज़्यादा खराब हो गयी...
एक बार फिर से उसी दोराहे पर खड़ी थी सीमा, जहां से वो 16 साल पहले भाग चुकी थी...
पर आज वही ग़लती दोबारा करके वो इस हाथ आए मौके को छोड़ना नही चाहती थी.

इसलिए थरथराई हुई सी आवाज़ में वो बोली : "ठीक है, दिखा दो लाला...अगर सच में लंबा हुआ तो ले लूँगी...''

और अपनी माँ की इस बात को सुनकर, घी के कनस्तरॉ के पीछे छिपी पिंकी की झांटे सुलग उठी....
आज तक उसने अपनी माँ को एक आदर्श माँ की तरह ही देखा था...
पूरे गाँव में उनका मान सम्मान था...
पर आज वो किस तरह से लाला के सामने इतनी गिरी हुई हरकत कर रही है....
पर वो कुछ कर भी तो नही सकती थी ना...
इसलिए चुपचाप तमाशा देखती रही.

और दूसरी तरफ निशि को उतना ही मज़ा आ रहा था वो सब देखकर...
सीमा आंटी को जितना आदर्शवादी वो समझती थी वो उतनी निकली नही...
कैसे लाला के लंबे लंड को देखकर फिसल गयी थी वो...
उसकी बगल में बैठी पिंकी अपनी माँ की हरकत देखकर कुढ़ रही थी और सीमा अंदर से उतनी ही खुश हो रही थी..

लाला ने जब सीमा के मुँह से वो सुना तो वो मुस्कुरा दिया...
और उसने बड़ी शान से अपने इंडिया गेट का फाटक उपर उठा दिया...
और अंदर से निकला सीमा के हुस्न को सलामी देता हुआ लाला का हरामी लंड...
रामलाल.

जिसे देखते ही बूँद नहीं बल्कि पूरी पिचकारी निकल गयी सीमा की चूत से....
ऐसा लंड तो उसने सपने में भी नही देखा था...
पिंकी के बापू का लंड तो ऐसी हालत में रहता था जैसे सूखा हुआ अदरक का टुकड़ा
और इस बूढ़े हो चुके लाला के लंड में इतनी कसावट देखकर ही वो समझ गयी की उसकी चूत में जाकर उसने कोहराम मचा देना है...

सीमा को अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर लाला बोला : "देख ले...यही है वो पुराना चावल....और तुझे एक बात बता दूँ की अभी ये पूरा पका नही है....अपने बर्तन में जब इसे डालकर हिलायेगी ना ..तब देखियो इसकी लंबाई ...तब निकलेगी...पूरा पकने के बाद...''

लाला की लच्छेदार बातें सुनकर वो मुस्कुरा दी...
लाला ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला : "अररी...हाथ में लेकर देख....देखने के थोड़े ही दाम लगते है...''

सीमा का बदन अकड़ सा गया...
ठीक लाला के लंड जैसा..
यानी वो भी अपनी उत्तेजना में आ चुकी थी...
लाला का पुराना चावल यानी उसका कसावदार लंड पकड़कर उसका मन कर रहा था की अब देर ना करे लाला..
बस कूट डाले उसकी चूत को इस मूसल से...

पर पहली ही बार में अपने अंदर की आग को इतनी बेशर्मी से बेपर्दा नही करना चाहती थी वो...
इसलिए सकुचाते हुए सिर्फ़ उस लंड को पकड़कर खड़ी रही.

लाला की तो आँखे बंद हो गयी उसके कोमल हाथो में अपने लंड को देकर..
अभी कुछ देर पहले तक यही लंड उसकी बेटी चूस रही थी...
और अब उसे माँ ने पकड़ रखा है...
लाला भी अपने इस हरामीपन पर मन ही मन हंस दिया.

उसने नज़रें तिरछी करके उन दोनो छिपकलियों को छुपे हुए देखा की कैसे हैरानी भरी नज़रों से वो दोनो लाला का ये खेल देख रही थी..

ये वही लाला था जिसने कुछ देर पहले तक उनकी चुदाई को टाल दिया था...
ये कहकर की वो थका हुआ है...
पर हरामी की हरकतें तो देखो, नया माल आते ही पहले जैसा डट कर तैयार खड़ा था फिर से...
अब ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा की वो सही में चुदाई भी करेगा या नही...
पर अभी के लिए कम से कम वो उसे अपने जाल में पूरा फँसा लेना चाहता था.

और यही सोचकर लाला ने एक झटका देकर सीमा को अपनी बाहो में खींच लिया.

लाला के बदन से आ रही मर्दानी खुश्बू सूँघकर वो अपनी सुध बुध खो बैठी...
और उसका हाथ लाला के लंड पर चलना शुरू हो गया....
वो उसे उपर से नीचे तक सहला रही थी...
उसकी गोटियों का वजन लेकर ये जानने की कोशिश कर रही थी की उसमें से माल कितना निकलेगा.

और लाला तो उसके गदराये बदन को बाहों में लेकर एक अलग ही दुनिया में खो गया...
वो उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाटते हुए बुदबुदाया : "हाय ...सीमा रानी...तुझे पता नही है...तेरे लिए कितने सालो से तड़प रहा हूँ मैं ....आज तो तेरे बदन को चाट कर अपनी प्यास बुझाऊंगा मैं....''

सीमा के बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी लाला की बात सुनकर...
भला उसका बदन भी कोई चाटने वाली चीज़ है....

पर वो नही जानती थी की लाला जो बोलता है वो करके दिखाता है...
लाला ने एक झटके में उसे घुमाकर अपने सामने खड़ा कर दिया...
और अस्त व्यस्त साड़ी में लिपटी सीमा की गांड लाला के लंड पर आ लगी...
और लाला ने अपने दोनो हाथ आगे करके उसके उरोजों पर रख दिए और उन्हे ज़ोर से दबा दिया..

''आआआआआआआआआआअहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... लाला......... मार डालेगा तू तो आज मुझे......''
 

Ashokafun30

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से भरी चूत में डाल दिया...
सीमा ने एक जोरदार चीख मारकर लाला के बाल पकड़ कर उसे और अंदर खींच लिया...


''आआआआआआआआहह लाला.....भेंन चोद ....साले .....चूस इसे..... और ज़ोर से चूस.... इसको....''

लाला की लपलपाती जीभ ने उसकी चूत में कहर सा बरपा दिया...
वो अपने पैने दांतो से उसकी चूत के दानो को चुभलाता...
अपनी जीभ से उसकी परत फेलाता और अंदर का निकला पानी गटक जाता...
ये करीब 3-4 बार किया लाला ने...और हर बार वो झनझनाकर झड़ी भी.
और अंत में जब सीमा से सहन नही हुआ तो उसने लाला को खींचकर अपने सामने खड़ा किया और बोरी से फिसलकर नीचे आयी और पंजो पर बैठकर उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...
पिंकी को लगा था की उसकी माँ ये काम शायद ही करे...
क्योंकि ये लंड चूसना तो आजकल की लड़कियों का काम होता है...
पहले की औरतें कहां ये काम करती होंगी...
पर वो ग़लत थी...
शायद उसकी माँ इतनी भी पहले की नहीं थी जितना की वो सोच रही थी...

हालाँकि सीमा का पति भी उससे ये काम करवाता था...
पर उसकी नुन्नी को चूसने में और इस गठीले लंड को चूसने में काफ़ी अंतर था...

और लाला के लंड को अच्छी तरह से लंबा करके सीमा ने कराहते हुए लाला से गुहार लगाई

''अब डाल भी दो लाला....कब से तड़प रही हूँ मैं .....''

और ये वो पल था जब लाला ने अपने दिमाग़ में की हुई सारी केल्कुलेशन को सामने रख दिया....
छूट मारने का मन और ताक़त तो उसमें पहले भी नही थी ..
वरना पिंकी या निशि की कुँवारी चूत से अच्छा भला और क्या हो सकता था...
वो तो बस सीमा को अपने जाल में फँसा कर उपर-2 के मज़े लेकर ये सुनिश्चित कर लेना चाहता था की आगे के लिए वो चुदने के लिए तैयार रहे...

और इसलिए ,
अपनी योजना को रूप देते हुए,
उसने चौंकने का नाटक किया और ज़ोर से चिल्लाया

''अर्रे......पिंकी....निशि ...तुम दोनों ....तुम अंदर कैसे आ गयी...''
 

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अपनी बेटी का नाम सुनते ही सीमा तो फिसल कर नीचे गिर पड़ी...
और नंगी हालत में इधर उधर पड़े कपड़े उठा कर उसने अपनी छाती को ढका...

और तब तक वो दोनो भी आँखे और मुँह फाड़े सामने आकर खड़े हो चुके थे...
उनकी समझ में भी नही आ रहा था की ये लाला ने खुद ही अपना भांडा क्यो फोड़ डाला..

लाला को छोड़कर सबके चेहरों पर हवाइयाँ उड़ रही थी...
लाला मन-2 मुस्कुरा रहा था जिसे देखकर पिंकी अब तक इतना तो समझ ही चुकी थी की ये लाला का कोई मास्टर प्लान है इसलिए उसे जितना समझ आया उसके हिसाब से उसने सकुचाते हुए अपनी माँ से कहा : "माँ ..वो...वो ...आप घर नही थी तो मैं यहां चली आई...निशि की मम्मी ने बताया की तुम चावल लेने यहां आई हो...''

हालाँकि सीमा ने निशि की माँ को ऐसा कुछ भी नही बताया था पर उसने सोचा की शायद उसने उसे लाला की दुकान की तरफ आते देखा होगा, इसलिए इन्हे बोल दिया..

पर इस वक़्त तो उसे अपने नंगेपन पर शर्म आ रही थी...
वो सपने में भी नही सोच सकती थी की बरसों बाद जिस कदम को उठाने की उसमे हिम्मत आई थी , उसके बदले उसे अपनी ही बेटी के सामने ज़िल्लत का सामना करना पड़ेगा..

लाला ने अपने कपड़े पहने और चुपचाप बाहर निकलकर अपनी दुकान पर जाकर बैठ गया...
ताकि पीछे से वो तीनो आपस में निपट ले. क्योंकि अपनी योजना के अनुसार उसने जो करना था वो कर चुका था..

सीमा ने नज़रे झुका रखी थी...
पिंकी अपनी माँ के करीब गयी और अपने हाथ में पकड़ी हुई ब्रा उन्हे पहनाने लगी जो लाला ने उछाल कर उसके सिर पर फेंक दी थी..

ब्रा पहनाने के बाद पिंकी ने उन्हे खड़ा किया और उन्हे पेंटी भी पहनाई...
ऐसा करते हुए जब वो झुकी तो अपनी माँ की खूबसूरत चूत को करीब से देखकर उसके मुँह में पानी आ गया...
उसमे से निकल रही भीनी-2 खुश्बू ने उसे पागल सा कर दिया..
मन तो उसका कर रहा था की इस माँ बेटी के रिश्ते को यहीं लाला के गोडाउन में एक नया आयाम दे डाले पर अभी माँ का मूड सही नही लग रहा था इसलिए उन्हे चुपचाप पेंटी पहनाने के बाद वो उन्हे कपड़े पहनाने लगी..

पिंकी : "माँ ...आप इस तरह से शर्मिंदा मत हो...मैं समझ सकती हूँ की आपने ये किसलिए किया होगा...पिताजी तो आपको ढंग से टाइम नही दे पाते...उनकी उम्र भी हो चुकी है..इसलिए आपने अगर ये सब कर भी लिया तो इसमे आपकी कोई ग़लती नही है....''

सीमा की आँखो से आँसू निकल पड़े...
अपनी माँ के मन की बातें समझने वाली बेटियाँ आजकल कम ही मिलती है..

उसने भीगी आँखो से पिंकी को देखा और फिर निशि को जो अपनी सहेली की बाते सुनकर पहले से ही जवाब के लिए तैय्यार थी..

निशि : "मेरी फ़िक्र ना करो काकी ...आप तो मेरी माँ जैसी हो...आपके बारे में मैं किसी से भी कुछ नही कहूँगी...''

दोनो का अपने प्रति ऐसा प्यार देखकर उसने दोनो को अपने गले से लगा लिया...

वरना अभी कुछ देर पहले तक रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद वो यही सोच रही थी की इन दोनो के सामने अब उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी...
और इनमे से किसी ने, ख़ासकर निशि ने, अगर बाहर किसी को ये बोल दिया तो वो किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहेगी...

अपना चेहरा और हुलिया ठीक करने के बाद सीमा और वो दोनो बाहर निकल आए...

बाहर निकलते हुए पिंकी ने लाला के चेहरे का हरामीपन देखा जो उन्हे देखकर मुस्कुरा रहा था ,
वो देखकर पिंकी की भी हँसी निकल गयी ...
उनमे से किसी ने भी लाला से कुछ बात नही की और चुपचाप घर की तरफ चल दिए..
जाते हुए चावल तो नही पर एक अजीब सा बोझ लेकर वापिस जा रही थी सीमा अपने घर की तरफ...
पूरे रास्ते उनके बीच कोई बात नही हुई और निशि को उसके घर छोड़ने के बाद वो दोनो भी अपने घर पर आ गयी..

अंदर आने के साथ ही सीमा सीधा बाथरूम में घुस गयी और अपने शरीर का एक-2 कपड़ा निकाल फेंका और ठंडा पानी अपने सिर पर डालकर सुबकने लगी...
आज जो भी उसकी जिंदगी में हुआ था, वो उसके और पिंकी के बीच के रिश्ते पर एक बहुत गहरा प्रभाव डालने वाला था...

पर जो प्रभाव आज लाला ने उसके जिस्म पर डाला था वो भी कम नही था...
एक ऐसा नशा जो उसने आज तक महसूस नही किया था वो आज लाला के उस जादुई लंड को मुँह में लेकर उसने महसूस किया था...
कच्ची शराब की वो बूंदे उसे अपने गले से नीचे उतरती हुई महसूस हुई थी जो दुनिया जहान को पीछे छोड़ देती है और एक दूसरी ही दुनिया में ले जाती है...
इस नशे की गिरफ़्त में आकर आज उसने अपने जिस्म की असली परिभाषा को महसूस किया था...
महसूस किया था की उसका जिस्म इस तरह के मज़े और नशे के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था और वो पागल इस दुनिया की लाज शर्म की वजह से उससे आज तक वंचित रही थी....
अच्छा होता की उसने लाला के लंड को उस पहली बार में ही पकड़ कर अपने मुँह या चूत में ले लिया होता तो शायद आज जो उसकी इकलौती बेटी पिंकी है, उसकी रगों में भी शायद इस लाला का खून दौड़ रहा होता...

पर उस सालो पहले की गयी ग़लती के मुक़ाबले आज की हुई ये हरकत उसे ज़्यादा मज़ा दे गयी थी...
क्योंकि आज उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से लाला के सपुर्द कर दिया था...
काश आज पिंकी और निशि वहां ना आई होती तो उस लाला के मोटे लंड को अपनी इस गीली चूत में लेकर वो स्वर्ग पा लेती...

उफफफ्फ़.....
क्या कसक थी...
क्या कशिश थी उस लंड में ....
काश एक बार दोबारा मिल जाए तो इस बार वो शायद पिंकी की परवाह भी नही करेगी और बेशर्मी से उसी के सामने लाला के लंड को अपनी चूत में ले लेगी..
 
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