वो लगभग रोते हुए..गिड़गिड़ाते हुए , लाला से बोली : "ई ना करो लाला....हमार अभी शादी हुई है..हमार जिंदगी बर्बाद हो जाएगी लाला....छोड़ दो हमको...''
लाला ने उसकी कमर से अपना हाथ हटा लिया और बोला : "अर्रे...तू तो ऐसे कह रही है जैसे मैं तेरे साथ कोई जबरदस्ती रहा हूँ ....तू ही दाल लेने आई थी और तूने ही हाथ बढ़ाकर मुझे पकड़ लिया...और अब खुद ही ऐसे चिल्ला रही है जैसे मैने कुछ ग़लत कर दिया है...जाना है तो जा...''
उस वक़्त सीमा की हालत ऐसी हो रही थी की या तो बेशरम बनकर लाला का साथ देकर वहीं चुद ले...
या फिर अपने शरीफपन का ढोंग रचा कर वहां से भाग जाए..
लाला ने तो अपना दाना फेंक ही दिया था...
और उसे पक्का विश्वास था की एक बार उसके लंड को टच करके कोई भी मुँह मोड़कर जा नही सकता ..
सीमा की हालत भी कुछ-2 वैसी ही थी जैसा लाला चाहता था...
उसके निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे...
उसकी मुनिया से गाड़ा पानी निकल कर उसकी जाँघो पर बह रहा था...
पर सीमा का दिमाग़ उसके शरीर की भाषा नही समझ रहा था..
और उसी पाहोपोश में वो लगभग भागती हुई सी गोडाउन से बाहर निकल गयी...
शायद समाज , बिरादरी के डर ने उसके दिमाग़ को वहां से भागने पर मजबूर कर दिया था.
और पीछे रह गया लाला...
जो अंधेरे कमरे में अपने लंड को मसलता हुआ बस यही बुदबुदा रहा था...'साली....कभी तो आएगी मेरे नीचे...कब तक बचेगी.'
एक वो दिन था और एक आज का दिन है...लाला की उसे चोदने की इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी.
उसके बाद जब भी सीमा और लाला का आमना सामना हुआ, वो चुपचाप नज़र चुरा कर निकल जाती थी...
दुकान में भी कभी कभार समान लेने आती तो समान लेकर वापिस चली जाती...
लाला चाहे एक नंबर का ठरकी था, पर आज तक उसने औरत की इच्छा के विरुद्ध जाकर उसकी चुदाई नही की थी...
इसलिए सीमा को भी लाला ने अपनी लिस्ट से निकाल दिया..
क्योंकि उसे पता था की उसे चुदना होता तो अब तक चुद चुकी होती...
कुछ समय बाद उसकी एक लड़की हो गयी, तो उसने और भी दूरिया बना ली..
शायद अब वो अपनी बेटी पिंकी के साथ उस छोटी सी दुनिया में ही खुश थी...
और इस तरह देखते-2 उन्नीस साल बीत गये...
और आज वही पिंकी उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसका लंड चूस रही थी और वही सीमा उसके सामने खड़े होकर चावल माँग रही थी..
''2 किलो चावल दे दो लाला...सुना नही क्या..''
सीमा की इस तीखी आवाज़ ने लाला को यथार्थ के धरातल पर ला पटका...
एक मिनट में ही उसे वो सब पुरानी बाते याद हो आई थी , जिन्हे वो कब का भूल चुका था...
पर वो एक कसक अभी भी उसके दिल में थी की पूरे गाँव में यही एक औरत है जिसने उसका दाना चुगा तो सही पर जाल में नही फँस पाई..
और आज, एक बार फिर से लाला के दिल में वही पुरानी यादें चिल्ला-2 कर कह रही थी की आज मौका है,
कर ले अपने दिल की दबी हुई इच्छा को पूरा...
कर ले लाला...
कर ले.
और पिंकी का इस वक़्त वहां पर होना तो इस घटना को और भी रोमांचक बना देगा...
क्योंकि ये वो चिड़िया थी जो उसका दाना चुग भी चुकी थी और लाला के जाल में अच्छे से फँस भी चुकी थी...
उसके तो उड़ जाने का भी कोई ख़तरा नही था...
और उपर से नाज़िया को उसकी माँ के सामने ही चोदने के बाद , लाला में इतनी हिम्मत तो आ ही चुकी थी की एक बार फिर से एक और माँ -बेटी की जोड़ी को एक दूसरे के रूबरू करके चुदाई का खेल खेल सके...
क्योंकि ऐसा करने में जो रोमांच उसे महसूस हुआ था उसका कोई मुकाबला ही नही था.
पर इससे पहले वो निश्चिन्त कर लेना चाहता था की पहले की सीमा और आज की सीमा में कोई बदलाव आया है या नही...और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था.
लाला ने मन ही मन एक प्लान बनाया और सीमा से बोला : "अररी सीमा रानी...तुझे तो पता ही है, दाल चावल तो सब अंदर के गोडोवन् में ही होते है.... चल अंदर..दिखा देता हूँ तुझे, कौन-कौन सा चावल है मेरे पास...''
ये लाला ने इसलिए कहा क्योंकि आज से पहले भी उसने कई बार अंदर के गोडाउन से समान लाकर उसे दिया था...
आज पहली बार था जब वो उसे एक बार फिर से गोडाउन में चलने के लिए कह रहा था...
और वो लाला ने उसे इसलिए कहा की अगर उसने अंदर जाने से मना कर दिया और लाला को ही चावल लाने को कहा तो उसे समझ जाना चाहिए था की वो अभी भी अपनी उसी जिदद पर अड़ी हुई है...
और अगर वो अंदर चलने के लिए मान गयी तो लाला के लिए उतना ही इशारा काफ़ी था उसे चोदने के लिए..
और वही दूसरी तरफ, लाला की गोडाउन में चलने वाली बात सुनकर सीमा का पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया...
वो समझ गयी की लाला क्या चाहता है..
पर अंदर ही अंदर उसे इस बात की खुशी भी हो रही थी की उसकी इतनी उम्र हो जाने के बावजूद लाला उसके लिए आज भी पागल है...
पिंकी के पैदा होने के बाद तो उसके पति ने लगभग ना के बराबर चुदाई करी थी उसकी...
पर उस बात को भूलकर अपनी बेटी को पालने में उसने अपनी जिंदगी लगा दी...
पर आज लाला की इस हरकत ने उसके शरीर में कुछ सोए हुए अरमान फिर से जगा दिए थे, जिन्हे वो आज तक नजरअंदाज करती आई थी..
इसलिए बिना कुछ कहे वो चुपचाप अंदर के गोडाउन में चल दी..
लाला का दिल तो बल्लियों उछल पड़ा..
और साथ ही उछल पड़ा उसका रामलाल भी जो इस वक़्त पिंकी की गिरफ़्त में था..
पिंकी ने नीचे से फुसफुसा कर कहा : "ओ लाला जी...ये क्या रायता फेला रहे हो...जानते हो ना की वो मेरी माँ है...उन्हे टरकाने के बदले आप अंदर ले जा रहे हो...उन्होने मुझे और निशि को यहाँ देख लिया तो अनर्थ हो जाएगा...भगाओ उन्हे यहाँ से जल्दी...''
वो बेवकूफ़ अभी तक लाला के दिमाग़ में चल रही शैतानी को समझ नही पा रही थी..
पर निशि समझ चुकी थी.
वो बोली : "अरी बुद्धू...तू इतना भी नही समझी...लाला का दिल इस वक़्त तेरे लिए नही बल्कि तेरी माँ के लिए मचल रहा है...जैसे उन्होने नाज़िया और उसकी माँ दोनो के साथ मज़े लिए है...वैसा ही कुछ इरादा उनका तेरे और तेरी माँ के लिए भी है...क्यों .यही बात है ना लालाजी...''
निशि ने तो एक पल में ही लाला के प्लान को पिंकी के सामने लीक कर दिया..
लाला तो खुद ही उसे ये बताने वाला था,
निशि ने जब ये सब कहा तो लाला ने मुस्कुरा कर वो सब कबूल कर लिया..
और ये सब सुनकर और लाला को मुस्कुराता देखकर, पिंकी का तो दिमाग़ ही घूम गया...
इतना हरामी भला कोई कैसे हो सकता है....
जब एक इंसान के पास एक जवान बेटी उसका लंड चूसती हुई बैठी है तो ऐसे में वो उसकी माँ के पीछे कैसे जा सकता है..
और कोई होता तो उसे कोई परवाह नही थी क्योंकि वो लाला के रंगीनमिजाज को अच्छी तरह से जानती थी...
पर वो तो उसकी माँ को चोदने की फिराक में था...
अंदर के गोडाउन में लेजाकर वो उसकी पूजा तो करेगा नही.
उसे तो अपनी माँ पर भी गुस्सा आ रहा था क्योंकि इतने सालो में उसने भी तो लाला के बारे में वो सब सुन ही रखा होगा...
उसके बावजूद वो कितनी आसानी से उसकी बातो में आकर बिना कुछ कहे अंदर चली गयी थी...