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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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सभी बड़े बुजुर्गो एवं बाल गोपापाठकों को होली की हार्दिक शुकानाएं
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अपने लाड़ले भतिजे अमन की शादी होने की खुशी मे आपकी अपनी संगीता बुआ के तरफ से सप्रेम भेंट
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Last edited:

Avi Goswami

Well-Known Member
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UPDATE 83
सोनल का फोन का रख कर मैं निकल गया दुकान की तरफ और वहा का काम खतम कर वापस पढाई मे लग गया ।
4 दिन बीते और मै अपनी रूटीन के हिसाब से निकल गया चंदू के साथ एग्ज़ाम के लिए आज सरला रास्ते मे नही दिखी बल्कि कमरे मे मेरे से पहले ही बैठी थी और मेरे आने से काफी खुश थी

आज उसने वाइट कुर्ती और क्रीम कलर की लेगी पहना हुआ था और साइड से दुपट्टा की थी ।

मै भी उसको देख कर उस दिन उसके घर हुई घटना को याद कर उत्तेजित हो गया और एक गहरी आह भर कर उसके पास बैठ गया ।


सरला जो कि आज काफी खुश थी बोली - आज तो तुम लेट हो गये

मै ह्स कर उसे छेड़ने के अंदाज मे - मुझे नही पता था कि कोई मेरा इन्तजार कर रहा था नही तो जल्दी आ जाता हिहिही

सरला मेरी बात से शर्मा गयी
मै एक और एक्का फेकते हुए - बहुत अच्छी लग रही हो क्या बात ह
सरला शर्माते हूए अपने बालो के लट को कान मे खोस्ते हुए मुस्कुराकर निचे देखने लगी तो मै उसके थोडा और करीब हुआ

सरला थोडा हिचक मह्सुस कर अपनी कमर को सिधा कर इधर उधर देख कर फुसफुसा कर
सरला तिरछी नज़र से मुझे देख कर एक मुस्कुराहट के साथ - ये तुम क्या कर रहे हो राज कोई देख लेगा

मै ह्स कर - तो परिक्षा के बाद ऐसी जगह चले जहा हमे कोई देखे ना

सरला मेरी बातो से अपने होठो को आपस मे दबाते हुए मुह फेर के हसने लगी और फिर जब हसी ना रोकी गयी तो मुह पर हाथ रख लिया

और उसका एक हाथ अभी भी बैठने वाली सीट पर मेरी तरफ था तो मैने हिम्मत कर उसकी ऊँगली को छुआ तो वो झट से अपना हाथ खिच ली

फिर मै भी सीधा होकर इधर उधर देखने लगा
और मैने अपना पेन खोला और वही सामने ब्रेन्च पर लिखा दिया " बाग मे "

और फिर पेन को सीट पर ठक-ठक कर सरला को इशारा किया तो सरला बडे ध्यान से गरदन आगे कर पढने के बाद मुस्कुरा कर ना मे सर हिला कर मुह फेर कर हसने लगती है


फिर परीक्षा का समय होता है और हम दोनो ने मिल कर परीक्षा देने के बाद वाप्स सीट पर लिखे शब्द पर इशारा करता हू और वो इतरा कर मुस्कराने लगती है ।

आखिरी घंटी बाजी और हमारे पेपर जमा हुए और मै जल्दी से चंदू को लिवा कर घर की ओर गया और उसे उसके घर भेज कर वापस से नारायणपुर की ओर
और जैसे ही पुलिया पर आया तो मुझे सरला बाग की ओर जाती दिखी जो घूम घूम कर पुलिया की ओर देखते हुए मेरे आने का इंतजार कर रही थी

मै वही दौड़ कर उसके पास गया और वो मुझे देख कर हसने लगी

मै झट से उसका हाथ पकड कर सड़क से दुर बाग मे ले गया

सरला चौक कर अपनी कलाई छुड़ाने की हल्की सी कोसिस करते हुए - अरे राज ये तुम क्या कर रहे हो कोई देख लेगा हमें छोड़ो मुझे घर जाना है

मै भी तुनक के - क्या करोगी घर जाकर , मुझसे बात नही कर सकती थोडा

सरला इतरा कर मुस्कुराते हुए - मै जानती हू तूम क्या बात करना चाहते हो राज

मै उसके करीब जाकर उसकी कमर मे हाथ डाल कर खिचते हुए - तो बताओ ना प्लीज
सरला शर्मा के नजरे नीची कर ली उसकी तेज सांसे उसकी चुचियो को और फुला रहे थे जिसका आभास मुझे मेरे सीने के निचले हिस्सो पर हो रहा था ।
सरला का कद मेरे कन्धे तक ही था और उसे चूमने के लिए मुझे झुकना पड़ा लेकिन वो भी मानो इसके लिए तैयार थी और उसने बिना किसी रोक के मुझे आगे बढ़ने दिया और मैने उसका चेहरा थाम कर उसके होठो को चूसने लगा
सरला भी मेरा साथ देते हुए मेरे होठो को चुसने लगी

धीरे धीरे मेरे हाथ उसके कूल्हो की ओर जाने लगे और मैने उसकी कुर्ती उठा कर लेगी के उपर से उसके कूल्हे की उभरी चर्बी को दबोचने लगा

जिसका आभास होते ही सरला ने मुझसे अलग हो गयी और अपने सासे बराबर कर - नही राज , मुझे घर जाना है
और वो अपना मुह पोछ कर अपना दुपट्टा सही करते हुए सड़क की ओर जाने को हुई

मै लपक कर एक कदम आगे बढ़ कर वापस से पीछे से सरला को पेट से पकड कर थोडा झुक उसके कन्धे पर सर रख कर - क्या हुआ बाबू हम्म्म
और उसके गाल और कान के सम्वेदनशील हिस्से पर किस्स किया

सरला मेरे दुलार से पिघलने लगी और बोली -
तूम जो चाह रहे हो वो मै नही अह्ह्ह उम्म्ं नही राआआअज अह्ह्ज इस्स्स उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ आराम से अह्ह्ह मा

सरला तो पहले से ही तैयार थी बस वो इतना जल्दी खुलना नही चाहती थी इसलिए मैने उसकी बात खतम होने से पहले ही उसकी चुचियो को कुर्ती के उपर से मिज्ने लगा और उसकी नारियल जितनी मोटी चुचिया का वजन बहुत था और काफी मुलायम भी थी

मै सरला की चुचियो को मिज्ते हुए उसके कान काटने ल्गा और धीरे से कहा - तुम बहुत सेक्सी हो सरला और तुम्हारे नारियल बहुत मोटे है अह्ह्ह

सरला कसमसा के - ओह्ह राज मत करो ऐसा आह्ह और प्लीज ऐसी बाते आह्हा अह्ह्ह मा प्लीज ऐसी बात ना करो मुझसे

धीरे धीरे मैने सरला की चुचिया मिज कर उसे एक मोटे महुए के पेड़ के पास लाकर घुमा कर खड़ा कर दिया और पीछे उक्डु बैठ कर उसकी कुर्ती उठा कर झट से उसकी लेगी निचे खिच दी और लॉन्ग सलेटी पैंटी मे कैद उसकी मोटी गाड़ देख कर मै उन्हे दबोचने लगा जिस्से सरला और भी सिस्कने लगी ।

मै झट से उसकी कच्छी को खिच कर उसके गाड के पाट फैलाते हुए उसके गाड के सुराख को चाटने लगा और सरला पेड़ पकड़े खडे खडे कसमसा कर एठने लगी ।

थोडी देर बाद मैने उसको घुमाया और सामने कर उसकी झाटो से भरी चुत मे मुह पेल दिया जिस्से सरला सिस्क गयी और मेरे सर को दबाने लगी । उसकी चुत तो पहले से ही पनियाई थी जिसका चटक नमकीन स्वाद पाकर मेरा जीभ और जोर से उसकी गुलाबी गली मे घुसने लगा
सरला - ओह्ह मा राज आराम से मै गिर जाऊंगी आह्ह अहआह्ह उम्म्ंम

मै यहा बाग मे ज्यादा समय नही बिता सकता था क्योकि आये दिन यहा प्रेमी युगल जो कि ज्यादतर स्कूली बच्चे होते थे यहा रंगरेलिया मनाते देखे जाते थे ।
फिर मैने देर ना करते हुए उसे वापस घुमा कर पेड़ पकड़ा कर झुका दिया और अपना पैंट खोल कर लण्ड बाहर निकाला और मुह से थूक लेके सुपाड़े पर लगा कर गिला किया ।

फिर सरला के गाड़ को खिच कर थोड़ा और झुका दिया और खुद भी झुक कर एक बार हाथ से उसकी चुत को टटोला और अपना लण्ड उसके चुत के मुहाने पर लगा कर ग्च्च से आधा लण्ड पेल दिया

वही सरला मेरे धक्के से अपना मुह दबा के अपनी चीख को दबाते हुए सिस्कने लगी

मैने धक्के तेज कर जल्द ही पुरा लण्ड उसके खुले चुत मे अंदर बाहर करने लगा

मेरे मोटे लण्ड से लगातार चुद्ने से सरला जल्द ही झड़ने लगी और उसकी पानी से मेरा लण्ड और भी लय बना कर अंदर बाहर होने ल्गा तो मैने सरला के कुल्हो को थाम कर उसकी चुतड मे जांघ लड़ाते हुए तेजी से पेलने लगा । मै जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था इसिलिए उसकी चुत मे तेजी से घपाघप पेले जा रहा था और मेरी गति इतनी तेज थी की उसके बदन का पुर्जा पुर्जा हिल रहा था और उसकी सिसकियो मे भी झंझनाहट आ गयी थी । जल्द ही मेरे लण्ड मे खुन गरम होने लगा और उसका आकार चुत के बढने लगा
जिससे सरला की आवाज सिसकी तेज हो गई और वो मुह पर हाथ कर दर्द सह्ती रही और मै जल्द ही झड़ने के कारिब आया और मैने उसे खिच कर नीचे कर उस्के मुह पर लण्ड हिलाने लगा और उसके मुह पर झड़ने लगा और उसके मुह मे जबरजस्ती लण्ड को पेल दिया और उसने बडे चाव से मेरे लण्ड को चुस कर साफ किया

फिर हमने अपने कपड़े पहने और मैने जेब से अपना रुमाल दिया तो उसने गरदन और चेहरा पर लगा मेरा पानी साफ कर मुझे रुमाल देने लगी

मै ह्स कर - कोई बात नही रख लो उधर कही फेक देना

फिर मैने उसको पकड कर उसके होठो को चूसा और उसकी मोटी गाड दबाई

फिर वो बिना कुछ बोले निकल गयी और मै उसकी मतकती गाड देख के फिर उत्तेजित मह्सुस करने लगा ।

लेकिन यहा रुकना ज्यादा देर तक मेरे लिये सही नही था तो मै वहा से निकल के वाप्स घर की ओर आ गया
घर आके मैने खाना खाया और सो गया ।

फिर मैने आगे के परीक्षा की तैयारी मे लग गया ।
और अगले बाकी 2 परीक्षाओ के दिन मैने सरला को उसी बाग मे ऐसे ही शार्ट टाईम चोदा और इधर कोमल ने अलग विषय लिये थे तो जिस दिन उसका एग्ज़ाम रहता उस दिन दोपहर को विमला मेरे पास फोन करती और फिर मै विमला के साथ अनिता की भी जम कर चुदाई करता ।

खैर समय बीता और 2 मई को मेरी आखिरी परीक्षा समाप्त हुई । अब अगले दो तीन महिने मै पूरी तरह फ्री था ना कोई पढाई ना कोई कोचिंग बस मस्ती मजा और सेक्स का धमाल होना ।

आखिरी एग्ज़ाम के बाद मुझे सरला से मिलने जाने का मौका नही मिल पाया

क्योकि मै और चंदू स्कूल से निकल कर सबसे पहले उसके चौराहे वाले घर गये और रास्ते मे हमने कोक की दो बॉटल ली और सबसे उपर की छ्त के जीने के दरवाजे के पास बैठ कर हम दोनो ने अपनी कोक की कैन को खोला और एक एक सिप लेने के बाद


चंदू - भई भाई अब कोई टेन्सन नही है अब बस घर जाकर सबसे पहले मा को चोदूंगा
और अगले हफते दीदी भी आ रही है एग्ज़ाम खतम कर ,,फिर उसकी भी मोटी गाड़ मे अपना लौडा डालूंगा

मै भडकते हुए शब्दो मे - तो जा ना साले मुझे क्या सुना रहा है , भाग यहा से

चंदू थोड़ा सहम कर - सॉरी भाई ,,यार भडक मत

मै चिल्ला कर - तो क्या करु भाई ,,तू साले रोज अपनी मा बहन को चोद लेता है और मुझे हिलाकर काम चलाना पड़ता है ।

चंदू अपनी सफाई मे कुछ बोलता उससे पहले ही मै वाप्स भड़के स्वर मे - भाई प्लीज कुछ बोल मत मै सफाई नही सुनना चाहता कुछ जब तेरे बस का है ही नही तू मेरे लिए कुछ कर सके तो बेकार है तेरी दोस्ती


चंदू अकड के - भाई अब तू दोस्ती को बिच मे मत ला ,,, मै तेरे लिए कुछ भी कर सकता हू

मै चिल्ला के - तो कर ना भाई ,,,मै परेशान हो गया हू हिला हिला कर

चंदू कोक की बोतल को खाली करते हुए - ठीक है अगले हफते दीदी आ रही है और मुझसे पहले तू उसकी चुत मारेगा ये मेरा वादा है भाई

मै खुशी से चंदू को देख्ते हुए - सच कह रहा है भाई

चंदू - हा रे , वैसे भी सालि हमेशा रट लगाती है की काश मेरे जैसा दो लण्ड होता तो उसको एक साथ लेती ,,,अब तेरे मोटे खूटे से उसकी गाड़ फड़वाउंगा। आने दे

फिर मै खुश होकर उसको शाबसी दी और वो अपने घर चला गया और मै बगल मे अपने घर

चंदू के साथ काफी समय बिच चुका था तो मुझे सरला से ना मिलने का अफसोस था
फिर घर आकर देखा कि दीदी आ चुकी है फिर भी मैने खाना खाया उसको लेके घुस गया एक बेडरूम मे

सोनल ह्स्ते हुए - ओह्ह भाई अरे इतना उतावला मत हो भाई

मै सोनल को पीछे से कस कर उसकी चुचियो को सूट के उपर से मसलते हुए - आह्ह दिदी आज मत रोको उम्म्ं बहुत दिन से रोका हुआ है खुद को

सोनल कसकसा कर - उह्ह्ह भाई रुक जा मै नही कर सकती ना आज ना ही अगले 3 4 दिन

मै चौक कर - क्यू आपका मन नही है क्या
सोनल घूम कर मेरे गाल सहलाते हुए - भाई मेरा भी बहुत मन है लेकिन अभी मेरा महीना आया हुआ है

मै उदास मन से - अब फिर क्या करु तब
सोनल हस कर - निशा को बुला ले हिहिहिही
मै एक कातिल हसी से सोनल को अपनी तरफ खिच कर - वाहह जान क्या आइडिया है , मै अभी फोन लगाता हू उसे

फिर मैने झट से जेब से फोन निकाला और लगाया 3 रिंग के बाद फोन उठा

मै कुछ बोलता कि उस्से पहले ही चाची की आवाज आई - हा हैलो राज बेटा बोलो

मै चौक कर अपनी भावनाओ को दबाते हुए - अरे चाची आप ,, निशा दिदी कहा है

चाची - बेटा अभी तो वो परिक्षा देने गयी है ,, उसकी दुसरी शिफ्ट मे 2 से 5 परिक्षा है ना

चाची की बात सुन कर मेरा मूड फिर से बिगड़ गया मै गिरे मन से - ओह्ह ठीक है चाची

चाची - और बता बेटा तेरा और सोनल का परीक्षा कैसा गया

मै मुह बना कर - लो दिदी है उसी से बात कर लो
फिर मै फोन दीदी को दे कर वही बिस्तर पर मुह गिराये बैठ गया ।


थोडी देर बाद सोनल चाची से बात कर फोन रख दी और मेरे पास आई - क्या हुआ भाई ऐसे उदास ना हो मेरे पास एक और आइडिया है मेरे जानू

मै उखड़े मुह से - अब क्या है बोलो
लेकिन सोनल बिना मेरे सवालो का जवाब दिये मेरे पैरो के पास निचे घुटनो के बल खड़ी हो के मेरे पैंट खोलने लगी और फिर मेरे सोये लण्ड को अंडरवियर के उपर से छुआ

जिससे मेरे तन मे एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई
जल्द ही सोनल ने मेरा लण्ड को बाहर आधे खडे लण्ड को हाथ मे पकड कर मुह मे भर लिया और उसके होठो के मुलायम घिसायि से मेरे लण्ड की नसो मे जान आने लगी और उनमे खुन की गति तेज होने लगी । धिरे धीरे दीदी ने मेरे पुरे लण्ड को गिला कर अच्छे से सहलाते हुए खड़ा के दिया और सुपाडे पर अपने जीभ की कला दिखाने लगी ।

मेरे चेहरे के भाव बदल गये और मन मे एक गजब की शान्ति छाने लगी और एक सिसकी से मेरे गले से बाहर आने लगी ।

कुछ ही पलो मे दिदी ने लण्ड को पुरा मुह मे लेना सुरु कर दिया और गूऊऊऊऊ गुउउउऊ कर खास्ते हुए लण्ड गले मे उतार कर सारा लण्ड लार से गिला कर दिया
सोनल के गले मे की घुंडी मे सुपाडे को छूने लगी और धीरे धीरे मेरे आड़ो की थैली कसने लगी और उनमे एक्थ्था वीर्य अपनो जगह बदलने लगा और लण्ड के नसो मे प्रेशर बढाने ल्गा और मै अपने गाड़ को सख्त कर सुपाडे की नश पर जोर देके अन्त तक वीर्य को बाहर निकलने से रोके रहा । नतिजन उस दबाव से मेरे चेहरे के हाव भाव बदल गये और तपन बढ़ गयी । वही सोनल लगातार गले मे लण्ड गुउऊ गुउऊ गुऊ कर उतारे जा रही थी ,,,, और मेरे सांसे फूलने लगी वही लण्ड की नशो मे वीर्य भरने से वो और भी मोटा हो गया और सुपाड़े मे जलन होने लगी ,,,जिससे मेरे नशो की पकड ढीली पड़ने लगी और एक तेज अह्ह्ह के साथा मैंने लण्ड की नश से अपना दबाव छोड दिया और एक भलभ्ला कर लण्ड ने पिचकारी सोनल के गले की दिवारों पर जाने लगी और बाकी मुह भरने से वीर्य उसके मुह से निकल कर मेरे लण्ड और आड़ो पर रिसने ल्गा ।
जल्द ही सोनल ने वापस से मेरे लण्ड को चुसना शुरु कर दिया और अच्छे से जीभ फिरा कर लण्ड को साफ कर छोड दिया और बेड से टेक लगा कर हाफने लगी । वही मै चित होकर बिस्तर पर गिर गया ।

परीक्षा की थकान और दीदी से अपना लण्ड निचोडवाने के बाद मैने अपने कपड़े ठीक है वही बेडरूम मे ही सो गया ।


शाम 4 बजे तक मेरी निद मा के जगाने से खुली
मै उठती आँखो से - उह्ह्ह हा मा बोलो क्या हुआ

मा हस कर - अरे उठ जा बेटा , चल कुछ खा पी ले

मै एक जोर की अंगड़ाई लेके उठा और जाकर फ्रेश हुआ और फिर मा ने चाय नासट दिया
फिर मै निकल गया दुकान के लिए

मै दुकान पर गया

और आज दुकान पर ऐसी हस्ती आई थी जिनको देख कर दिल बागबाग हो गया ।
अंगुरी रंग के बेस पकड़े लाल हरा और गहरे नीले की चौकोर चित्तीयो वाली सिफान की साडी जिसमे उनका पारदर्शि यौवन दिख रहा था । सीने पर मैचींग ब्लाउज मे कसा उनका 34DD का गोल कड़ा जोबन , हल्की चर्बीदार पेट से 4 इन्च उभरा हुआ था ।
डार्क मैट मे मरून लिपस्टिक उनके होठो की मुस्कुराहट को और भी कामुक बना रहे थे । ब्ड़ी ब्ड़ी गोल मटोल नेचुरल सुरमई आंखे के बीच एक छोटी सी बिंदीया ।
कमर के निचे के क्या कहने अन्दाजन 36 का उभार लिये सिफान की साडी मे चिपके दो अर्ध गोले
अह्ह्ह ये हुस्न
इसको देख कर मह्सूस होने लगा मानो दिल ने अपना काम मेरे लण्ड को सौप दिया हो और पुरे शरीर का खुन वही से फिल्टर होने के लिए एकठ्ठा हो रहा हो

मैने एक गहरी सास लेके पैंट मे आये उभार को दबा कर ह्स्ते हुए दुकान मे चढा और मुझे देख कर वो रसिली छैलछ्बिली हस कर बोली - आओ देवर जी आओ

उसके मुह मे सफेद मोतियो जैसे दाँत के बीच सुर्ख गुलाबी जीभ मेरे सांसो को भारी करने लगी और मै एक नयी कलपना मे खो गया । उसके बदन से आती एक परफ्युम की महक मुझे अध्यात्मिक शान्ति के साथ उसकी ओर मुझे एकाग्र करने मे मानो मेरी मदद करने लगी

वो कल्पना मुझे एक बंद कमरे के सोफे मे ले गयी जहा हर तरफ ब्लैक डीप अंधेरा था और कोई फोक्स लाईट हमारे कृत्य को उजागिर कर रही थी मै खुद को हवा मे उडते हुए मह्सूस कर एक परम आनन्द के मजे ले रहा था मेरे पैरो मे बैठी वो हसिना मेरे लण्ड के सुपाड़े पर अपनी गीली गुलाबी जीभ नचा रही थी

तभी मुझे वापस उसकी आवाज आई - मै कबसे तुम्हारी ही राह देख रही थी ।

और मानो मै किसी गहरे दिवास्वप्न से जगा हू और वापस उसी मे डूब जाना चाहता हू
एक गहरी सास के साथ मुस्कुरा कर उखड़ी हुई आंखो से - अरे पंखुड़ि भाभी आप

वो अपने प्यारी सी मुस्कान देने के बाद इतरा कर - शुक्र है हमरे किसी देवर ने हमको पहचाना तो

फिर अनुज की ओर इशारा कर - और ये है इनकी बहिनीया को घोड़ा चोदे , हमसे शरमा ऐसे रहे है जैसे इनके भसुर आ गये हो सामने

मै उनकी बातो से ह्स के - अरे अनुज पहचाना नही ,,,ये हमारे गाव वाले जमुना ताऊ की पतोह है पंखुडी भौजी हिहिहिही

अनुज शर्मा कर ह्स्ते हुए - हा जानता हू भैया ,,लेकिन ये हमको परेशान कर रही थी

पंखुडी भौजी - अरे अब अपने छोटकन भतार से मजाक ना करे तो का ससुर से करे , हा बोलो

मै उनकी बाते सुन के हस कर - हा हा काहे नही भौजी ,,
मै अनुज से - अरे तुम ये सब छोडो और जाकर कल्लु काका के यहा से कुछ खाने के लाओ , ये ग्राहक बाद मे है अपनी मेहमान पहले है


पंखुडी अनुज को छेड़ते हुए - अरे हम तो कबसे राह देखत रही कि कब हमार छोटका भतार हमको आपन गुलाबजामुन खिलैहिन


पंखुडी भौजी की डबल मिनिग बात मै और अनुज बखूबी समझ रहे थे ।
अनुज जल्दी से पैसा लेके निकल गया कल्लु की दुकान की ओर


मै हस कर - आओ भौजी बैठो , और बताओ कैसी हो और घर मे सब कैसे है

पंखुडी खुशि भाव से - घर मे तो सब ठीक है बाबू लेकिन तुम कभी नही आते अपना भौजी के हालचाल लेने

मै - बस थोडा बिजी हू भौजी ,, और बताओ अकेले आई हो का

पंखुडी भौजी - अरे नही वो तो हम अम्मा के साथ आई थी तो वो गयी है तोहार बाऊजी के दुकान पर कुछ सामान के लिये और हमको यहा से काम था ,,

मै हस कर- अरे कोई शादी वादी है क्या भौजी

पंखुडी भौजी - हा वो हमारे बनारस वाली बुआ के लडकी की शादी है वही जाना है , ले मै तो भूल ही गयी । मुझे तो बहुत समान लेना है जल्दी जल्दी तू निकाल दे लल्ला


मै खड़ा होकर - जी भौजी बोलो
फिर पंखुडी भाभी ने समान की लिस्ट मुझे दी

मैने एक नजर समान के पर्ची पर डाली और उसमे ब्रा पैंटी भी था लेकिन साइज़ नही था

मै हस कर भौजी को पर्ची मे ब्रा पैंटी वाली लाईन दिखा कर - अरे भौजी ये कौन सी साइज़ मे रहेगी


पंखुडी भौजी हस कर मुझे छेड़ते हुए - इतनी ब्ड़ी पर्ची मे सिर्फ़ उहे नाही समझ आया तुमको हा , मेरे नाप का निकाल दियो दो सेट

मै थोडा मुस्कुरा कर - जी भौजी साइज़

पंखुडी हस के - धत्त मतलब कौनौ काम के भतार ना हो तुम सब

मै ह्स कर - मतलब
पंखुडी- अरे साइज़ पुछा जात है कि मापा जात है

मै उन्के छेड़ने की अदा से शर्मा गया
पंखुडी - दो 34DD की ब्रा और दो 36 की पैंटी निकाल देना ,,,

मै कुछ बोलने को हुआ की वो वापस मुझे छेड़ी जिससे मै झेप गया - अब ई ना पुछना कि इतना बड़ा साइज कैसे है हमार हिहिही

मै उनकी बातो से शर्मा गया और काम लग गया ।

नया परिचय

जमुना ताऊ - मेरे पिता के चचेरे भाई
पत्नी - रंजू ताई , सावला रन्ग भरा जोबन और फैले हुए कुल्हे । शुध्द फुहर पूर्वांचली बोली ,,, मजाक के मामले इनसे सब 19 ही है

बेटा - रोहन 28 साल , बडे शहर मे प्राइवेट जॉब करता है

पतोह - पंखुडी, रोहन की पत्नी 25 साल , कायाकल्प का विस्तार तो ही गया है और अपनी सास की संगत मे ये भी मजाकिया पदो के बिच खुल कर मजाक करती है । जैसा सुन्दर सुरत वैसी ही अच्छी सीरत । बड़ो के साथ अदब , छोटो के साथ प्यार और हसी मजाक

पोती - सलोनी , रोहन और पंखुडी की बेटी काफी छोटी है । ( कोई रोल नही )

ये सारे लोग चमनपुरा से लगे हमारे पुस्तैनी गाव फुलपुर मे रहते है जहा मेरे स्व बाबा के समय मे पापा का बचपन गुजरा था ।

खैर मैने जल्दी से सारा समान निकाला थोडी देर मे अनुज भी समोसा लेके आया और फिर पंखुडी भौजी और हम सबने मिल कर खाया ।

फिर पंखुडी भौजी को रंजू ताई फोन आया की उनको समय लगेगा बाजार मे वो घर चली जाय भैस दुहने का समय हो गया है ।

पंखुडी - ला लल्ला सामान दे मुझे जाना है
मै - क्या हुआ भौजी अकेले काहे जा रही हो
पंखुडी - अरे लल्ला वो शाम होने को है और भैसिया के दूहने का समय हो गया ना


मै हस कर - अरे वाह आपको दूध दुहने आता है क्या

पंखुडी भौजी हस कर - कभी आना तुमको भी सिखा दूँगी दूध दुहना , आखिर कुछ साल बाद काम आयेगा ही हिहिहिही

मै उनकी बाते सुन कर अनुज के सामने झेप सा गया क्योकि मै और अनुज दोनो उनकी डबल मिनिग बाते समझ रहे थे ।


ऐसी ही तो थी मेरी पंखुडी भौजी , सेक्सी चंचल और रन्गीली। किसी का भी मन मोह ले ऐसी

थोडी देर मे हम खाली हुए और यहा अनुज थोडे देर पहली हुई पंखुडी भाभी की छेड़छाड़ से शर्मिंदा मह्सुस कर रहा था

मै मन मे - यार ऐसे नही चलेगा इसकी शर्म कम करनी ही पड़ेगी , जल्द ही कूछ ना कुछ करना ही पडेगा इसके लिए ।

मै अनुज से - और बता भाई कैसी चल रही है लाइफ

अनुज ह्स कर - ठीक है भैया
मै - और कोई दिक्कत तो नही
अनुज - नही भैया कोई दिक्कत नही

मै - फिर कोई प्लान बनाया कि नही छुट्टीयो मे घूमने का

अनुज मायुश होकर - कहा भैया दुकान से फुरसत ही नही है तो क्या करु

मै ह्स कर - अरे अब मै आ गया हू ना , जा कही घूम टहल आ

अनुज - हा लेकिन किसके साथ जाऊ और कहा

मै - अरे कही क्या ,,मामा या बुआ के यहा चला जा या फिर मौसी के यहा घूम आ कुछ दिन


अनुज मेरे बातो से इंकार करने के भाव मे - भक्क भैया पिछ्ले साल भी तो गया था बुआ के यहा ,,, मामा के यहा गाव मे जाने का मन नही करता और मौसी के यहा कोई होता ही नही जिसके साथ घुमू बात करु

मै हस कर - तब कहा जायेगा

अनुज - भैया वो राहुल अपनी मौसी के यहा जा रहा है बडे शहर मे और मुझे भी बोल रहा था ,, लेकिन मा जाने नही देगी मुझे पता है

मै हस कर - तू बता तेरा मन है जाने का

अनुज हा मे सर हिलाया
मै खुशी से - ठीक है फिर फिर तू जाने की तैयारी कर मै मा को मना लूंगा

अनुज खुसी से - थैंक यू भैया

मै - अरे कोई नही रे तू भाई है अपना
फिर थोडी देर ऐसे ही बाते चली और अनुज को बिठा कर चल दिया पापा के पास

जारी रहेगी
Shandar update bhai
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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174
UPDATE 84


मै अनुज को दुकान पर बिठा कर निकल गया पापा के पास क्योकि पिछ्ले काफी समय से मै परीक्षा की वजह से पापा से कोई खास बात चित नही कर पाया था और वही मुझे करीब 3 महिने का खाली समय था तो सोच रहा था कि सोनल की शादी को लेके ही कुछ बाते फाइनल हो जाये ।

टहलते हुए पापा की दुकान पर गया तो दुकान पर बबलू काका बैठे ।

मै अचरज से - अरे काका , पापा कहा है दिख नही रहे

काका - छोटे सेठ , वो सेठ जी से मिलने कोई जान पहचान के आये है तो वो अन्दर कमरे मे है ।

मै सोचते हुए - ऐसा कौन ही सकता है अंदर , कही पंखुडी भाभी की सास मेरी रंजू ताई तो नही , हा वही होगी और वैसे भी पापा मेहमानो को अन्दर ही लिवा जाते है ।

मै मुस्कुरा कर - ठीक है काका आप बैठो मै वही मिल लेता हू
काका - जी छोटे सेठ
फिर मै धीरे धीरे पीछे गोदाम की तरफ बने रेस्ट रूम के पास गया और देखा कि रेस्टरूम का तो दरवाजा बाहर से बन्द है फिर पापा कहा गये होगे ।

फिर मैने सोचा एक बार फोन कर लू लेकिन फिर लगा कही उपर के तो नही चले गये बात करने के लिए

तो मै मस्त पीछे आगन मे बने सीढी से उपर छत के गोदाम मे चला गया और आस पास देखा तो सब शांत नजर आया

तभी मुझे साम्ने हाल मे परछाई हिल्ती दिखी और मै बिना किसी आहट के गलियारे से होकर उस तरफ गया और जैसे जैसे मेरे पाव हाल की तरफ बढ़ रहे थे मुझे कुछ सिसकिया और थप थप की अवाजे आने लगी

मै समझ गया कि मेरा बाप किसी को चोद रहा है , लेकिन किसे ??? कही ताई तो नही ,, मेरे दिल की धडकनें तेज हुई
मेरे चेहरे पर मुस्कान और लण्ड मे कसावट आनी शुरु हुई और गलियारे के छोर से पहले मै हाल मे झाका और मेरा अन्दाजा सही निकला

पापा हाल मे एक चौकी पर किसी सावली औरत को झुकाये खडे खडे पेल रहे थे ।
उस औरत की साड़ी और पेतिकोट कमर तक चढ़ी थी उसके सावले रंग के चुचे खुले ब्लाउज से लटक रहे थे और इतने मोटे थे मानो भैस के थन जैसे हो । वही उसकी मोटी काली गाड़ बहुत चर्बीदार थी और काफी फैली हुई थी जिसको थाम कर पापा अपना मुसल उस्के काले भोस्दे मे पेले जा रहे थे और झडने के करीब थे ।

पापा हाफ्ते हुए स्वर मे - आह्ह भौजी अब निकलेगा मेरा ओह्ह्ह

तभी वो औरत की आवाज आई - ओह्ह देवर बाबू रुका तनी अह्ह्ह हा लाओ हमार मुह मे भर दो आपन माल उम्म्ंम्म्ं उम्म्ंम्म्ं उम्म सृउउऊऊऊपपपपप सुउउउर्र्र्रुउऊऊऊप्प

जैसे वो औरत पलती मै उसे पहचान गया क्योकि वो औरत रंजू ताई ही थी
साला मेरा बाप इतनी आसानी से सबको लपेट कैसे लेता है हिहिहिही


यहा ये लोग अपना काम खतम करे उस्से पहले ही मै सरक लिया और दुकान मे आकर बैठ गया ।

थोडी देर बाद पापा और रंजू ताई भी दुकान मे आये ।
फिर मैने रंजू ताई के पाव छू कर आशीर्वाद लिया और वो पापा से कुछ बात कर निकल गये ।

पापा बबलू काका से - काका जरा पानी लाना अन्दर से
फिर काका अन्दर पानी लेने चले गये

पापा - और बेटा तुम कब आये
मै हस कर - मै तो तभी आया जब आप ताई को उपर योगा करवा रहे थे ।

पापा मेरी बात समझ गये कि मै उनको ताई को चोदते हुए देख लिया है और वो थोडा मुझसे हिचक रहे थे ।

मै खुशी भाव मे - कोई बात नही पापा मै जानता हू आपको शुरु से इनसब की आदत हो गई लेकिन

पापा - क्या बेटा बोल ना
मै संकोचवश- लेकिन पापा ताई तो अपने घर की है ना और रिश्ते मे भी तो ये आपको गलत नही लगता

पापा मेरी बातो पर कुछ बोलते उस्से पहले बबलू काका पानी लेके आ गये ।
फिर पापा पानी पी के मुझे लिवा कर रेस्टरूम मे चले गये ।

मै थोडा जिज्ञासू मन से - पापा बताओ ना

पापा मुस्कुराये और बोले - बेटा इस मामले में जाने से पहले मै तुझसे कुछ सवाल करूँगा तू जवाब देना फिर मै इसपे आता हू

मै खुसी भाव से - जी पापा पुछो
पापा - ये बता बेटा क्या तुने अब तक किसी के साथ सेक्स किया है या नहीं

मै शर्म के भाव लाते हुए - जी नही पापा , मै किसके साथ

पापा - अच्छा लेकिन क्या तेरा मन नही होता
मै शर्मा कर हा मे सर हिलाया

पापा - अच्छा तुझे कैसी लडकी के साथ सेक्स करना पसंद है

मै - मतलब , मै तो कभी किया नही तो क्या बताऊ

पापा ह्स कर - अरे मेरे कहने का मतलब ,,किस तरह की औरत से तू पहली बार करना चाहेगा ,, कोई है तेरी नजर मे

मै थोडी देर सोचते हुए जानबुझ कर तीन नाम लिये जो पापा के बहुत करीब थे - जी पापा मुझे रज्जो मौसी और शिला बुआ की तरह और मा के जैसी कोई औरत हो

ये बोलकर मै मुह दबा कर शर्मा कर हसने लगा

पापा मेरे चॉइस की दाज देते हुए थूक गटक कर बोले - हम्म्म अच्छा तो राज ये बताओ जब तुमने सोचा कि तुम अपनी मा , मौसी और बुआ जैसी औरतो के साथ सेक्स करना चाहते हो तो क्या तुम्हारे मन मे एक पल के लिए भी आया कि नही ये मेरी मा , बुआ और मौसी है मै इनके बदन के बारे मे ऐसे कैसे सोच सकता हू

मै पापा के बात घुमाने के अंदाज का फैन हो गया और एक संकोच भरे लहजे मे - हा पापा आपकी बात तो ठीक है मैंने उस समय बस उनके जिस्मो के बारे मे सोचा ना की हमारे रिश्ते के बारे

पापा ह्स के - बस यही मै सोच रहा था जब रंजू भाभी के साथ उपर था ,,मुझे उनका गदराया बदन बहुत पसंद है और उनको मेरा मुसल तो हिह्हिहिही समझ गये ना

मै हस कर शर्म से - जी पापा लेकिन

पापा अचरज से - क्या लेकिन बेटा , क्या सोच रहे हो

मै संकोचवश- तो इस हिसाब से हम अपने घर मे ही सेक्स कर सकते है क्या

पापा मेरे दिल की बात समझ कर मुस्कुराते हुए - हा बेटा कर सकते है लेकिन एक बात हमेशा याद रखना कि सामने वाली रजामंदी के साथ ही कुछ करना चाहिए। वैसे तू किसके साथ करना चाहता है अपनी मा या दीदी के साथ


मै पापा से ऐसे सीधे प्रश्नो की उम्मीद नही थी तो मै सकपका गया - म म मै तो बस पुछ रहा था ,,और वैसे भी दीदी अमन से प्यार करती है

पापा हस कर - और तेरी मा , वो तो तुझे मुझसे भी ज्यादा चाहती थी ।

मै हस कर - मार खिलाओगे क्या पापा आप हिहिहिही , मै बस ऐसे ही पुछ रहा था

पापा - हमम्म कोई नही , तब हो गये तेरे सवाल पुरे

मै थोडा हिचक - नही बस एक और है

पापा हस कर - भाई वो भी पुछ ले अब शर्मा क्या रहा है ।

मै संकोच करते हुए - पापा क्या आप भी अपने घर मे किसी के साथ , मतलब दादी या बुआ के साथ

इतना बोल के मै चुप हो गया

पापा मेरे सवाल से मुस्कुराये - मुझे लगा ही था कि तू ऐसा ही कुछ पूछेगा , मा के साथ कभी ऐसा नही हो पाया क्योकि वो काफी दुबली पतली थी और समय से पहले ही गुजर गयी थी । हा लेकिन अभी जो रंजू भौजी गयी है उनकी सास यानी मेरी चाची के साथ जरुर किया था ।


मै पापा की बाते सुन कर पैंट मे लण्ड अद्जेस्ट कर बोला - और बुआ लोगो मे किसी के साथ

पापा मुझे एक मुस्कान देकर बोले - हा बस शिला दिदी के साथ

मै जानबुझ कर चौकने का भाव लाता हुआ - क्या सच मे पापा ,लेकिन कब कैसे

पापा मुस्कुरा कर - वो लम्बी कहानी है बेटा फिर कभी

मै उदास मन से - हमम ठीक है पापा

पापा - अरे मन छोटा ना कर और ये बता तू खुद कुछ अपने लिये इन्तेजाम करेगा कि मै करु तेरे लिए

मै शर्मा कर - नही उसकी जरुरत नही है समय आयेगा तो मै ही कुछ कर लूंगा

पापा ह्स के - अरे वाह शाबाश बेटा और बता कुछ

मै - लो मेन बात बताना ही भूल गया हिहिही

पापा ह्स के - वो क्या बेटा
मै - अरे वो मेरे एग्ज़ाम खतम हो गये है और अनुज कह रहा था कि वो राहुल के साथ उसके मौसी के यहा बडे शहर जाना चाहता है


पापा खुसी से - अरे तो क्या हुआ कौन सा वो लोग गैर है सब अपने ही तो है ,,जाने दे, बेचारा घूम टहल लेगा

मै खुसी से - ठीक है पापा , तब मै चल्ता हु घर

पापा घड़ी देख के - देख बातो ही बातो मे 6 बज गया ,,चल मै भी चलता हू घर ही आज तेरे साथ

फिर पापा बबलू काका को दुकान बढ़ाने का बोल कर मेरे साथ नये घर के लिए निकल गये ।

रास्ते मे

मै - पापा एक बात पूछू
पापा हस कर - हा बोल ना बेटा
मै - क्या मा आपके इन सब रिश्तो के बारे मे जानती है

पापा ठहरते हुए लफ्ज मे - हा बेटा जान्ती है वो और वो एक बहुत ही अच्छी पत्नी है । उसने हमेशा मेरी कमजोरियो और जरुरतो को समझा है ।इसिलिए मै भी उसके साथ कोई बात नही छिपाता


मै थोडा संकोची भाव मे - तो क्या मा ऐतराज नही करती इनसब के लिये

पापा ह्स कर मेरे करीब आकर - एक मजे की बात बताऊ बेटा
मै हसकर - जी पापा बोलो ना

पापा मेरे कान के पास आकर - वो शिला दीदी को मेरे लिए तेरी मा ने ही पटाया था , नही तो मै पूरी जींदगी कोसिस करता लेकिन सफल नही हो पाता हिहिहिही

मै चौककर पापा को देखता हू - हा सच मे पापा
पापा हस के हा मे गरदन हिलाये
मै थूक गटक कर - तो क्या आप मा और बुआ दोनो को एक साथ किये थे

पापा एक गहरी सास लेके - आह्ह बेटा मत याद दिला वो हसिन पल जब दो गदराई मालो को एक साथ चोदा था मैने अह्ह्ह , उफ्फ्फ क्या मस्त फुली हुई गाड़ है दिदी की उम्म्ंम

मै पापा की इस हरकत से हसने ल्गा और फिर उनहे भी समझ आया कि हम सड़क पे है ।

फिर हम दोनो ह्स्ते हुए घर आ गये
जहा मा किचन मे खाना बना रही थी और दीदी कही दिख नही रही थी ।

हम दोनो गलियारे से किचन मे देखते है और पापा मुस्कुरा कर मेरे कान मे - देख कैसे मजा लेता हू तेरी मा से

मुझे पापा की बात से हसी और पापा धीरे से मा के पास खडे होकर मैकसी के उपर से उनके गाड़ सह्लाते हुए बोले - आह्ह जान क्या बना रही हो

मा ने कुछ खास रिएक्ट नही किया लेकिन पापा मुझे मा की गाड़ दबाते हुए दिखा रहे थे

मा - ओफो क्या कर रहे है जी बच्चे सब घर मे है

पापा - तो क्या हुआ वो लोग भी जानते है हम मा बाप के अलावा पति पत्नी भी है तो रोमांस होना चाहिए ना

फिर पापा मा को पीछे से उनके गले मे हाथ डाल कर पकड लिये

मा पापा को धकेल के - ओहो हतिये जी कितनी गर्मी है उहू

फिर पापा मा से अलग होकर बैठ गये और मुझे चिपकने का इशारा किया

मै किचन मे मा को आवाज ल्गाते हुए उनको पीछे से हग कर लिया और बोला - मम्मीईई

मा खुशी भाव से - अरे मेरा बच्चा आ गया तू ,,और बता कुछ खाया पिया की नही

मै पीछे से ही मा के गालो को चूम कर - अब आपसे दुर था तो कौन पुछता मुझे

मा हस कर - अरे मेरा बच्चा बैठ तू मै कुछ देती हू

पापा - ओहो बड़ा प्यार आ रहा है इसपे ,,मै कर रहा था तो ब्ड़ी गर्मी लग रही थी

मा ह्स कर - आपके प्यार और मेरे बेटे के प्यार के फर्क है जी हिहिहिही
पापा ह्स के - किस चिज का भई
मा ह्स कर - नियत का हिहिहिहिही

मै भी वही टेबल पर बैठे हुए हसने लगा फिर मा ने मुझे और पापा को चाय नमकीन दीये ।

फिर पापा अपनी चाय से एक सिप लेने के बाद मा के पास गये और बोले - लो जानू तुम भी पीयो

मा एक नजर मुझे देख के - नही जी आप पीयो गरमी है बहुत
फिर मा मेरे पास आई और बोली - और कुछ दू बेटा
मै ना मे से हिला कर बोला - नही मा ,, आओ बैठो ना चाय पीयो आप भी

फिर अपनी जूठी चाय मा को पिलात हू
पापा - देखा बेटा मै कह रहा था ना कि तेरी मा मुझसे ज्यादा तुझे प्यार करती है ।

मा इतरा के मेरे चेहरे को अपने मुलायम चुचे मे छिपाते हुए - तो फिर मेरा राजा बेटा है

पापा हस के - अरे मेरी रानी वो राजा बेटा भी इस राजा की देन है कुछ प्यार से तो हमे भी नवाजो हीहिहिही

मै ह्स कर - हा मा पापा का भी तो थोडा बहुत हक बनता है आप पर हिहिहिही

फिर मा पापा के पास आई लेकिन पापा उनको गोद मे उठा लिये और बोले - बेटा मै अभी अपने हिस्से का प्यार लेके आता हू ठीक है हिहिहिही

मा पापा की गोद मे छटपटाने लगी लेकिन पापा ने मजबूती से मा को थामा हुआ था और झट से बगल के गेस्टरूम मे चले गये और मै भी अपनी चाय खतम कर हाल मे सोफे पर बैठ कर उन्के बाहर आने का इन्तजार करने लगा

करीब 8 10 मिंट बाद वो दोनो बाहर आये और मा झट से हस्ती हुई किचन मे चली गयी और पापा हाफ्ते हुए मेरे बगल मे बैठ गये


मै हस कर - मिल गया प्यार लग रहा है ,,

पापा हस कर मेरे हाथ पर हाथ रख थपथपाते हुए हस कर तेज सांसे ले रहे थे जिस्का मतलब था कि मैने जो बोला वो सही था

मै पापा के पास जाके - क्या किये इतनी जल्दी आप लोग हिहिही
पापा खुसफुसा कर - तेरी मा लण्ड बहुत ही मस्त चुस्ती है बेटा ब्स निचोड लिया अभी को


मै शर्म से ह्सते हुए - ओह्ह हिहिहिजी

पापा - एक बार चुसवा लेगा ना बेटा जो जन्नत है जन्नत

मै हस के - क्या पापा आप भी जाईये हाथ मुह धुल लिजीये

पापा हाफ्ते हुए - नही बेटा गर्मी बहुत है। बिना नहाए काम नही चलेगा

फिर पापा अपने बेडरूम मे नहाने चले गये और मै झट से लपक कर मा के पास गया

मा मुझे देख के इशारे से की पापा कहा है
मै - वो नहाने गये और दिदी नही दिख रही

मा - वो उस्का महीना आया है तो सोयी है
मै ह्स कर - मम्मी मुझे आपको कुछ बताना है ।

मा खुश होते हुए - हा बोल ना बेटा
फिर मैने गोदाम से लेकर घर आने तक के एक एक वाकये को मा को बताया

मा हस कर - ओहो अब आगे क्या सोचा है
मै खुशी से - बस मा जल्द ही हमारे सपने पुरे होगे ब्स आप पापा को कोई शक ना होने देना और हो सके तो आज रात पापा जरुर इस मुद्दे पे बात करे आपसे किसी तरह घुमा फिरा कर लेकिन आप ध्यान रखना और आदर्श बीवी बने रहना


मा ह्स कर - ठीक है मेरे लाल जैसे तू बोल

तभी हमे मेन गेट के खूलने की आवाज आई और हम सतर्क हो गये

वो अनुज था और फिर वो सीधा नहाने का बोल के छ्त पर चला गया और अनुज के आने से मुझे उसकी बात याद आई

मै - मा मै कह रहा था कि अनुज बेचारा डेढ़ महिने से दुकान सम्भाल रहा है और अब मै खाली हो गया हू और उसकी भी छुट्टिया चल रही है तो उसे कही घूमने जाने दिया जाय

मा खुश होकर - हा बेटा कहा जाने को बोला है इस बार
मै - इस बार वो राहुल के साथ उसकी मौसी के यहा बडे शहर जाना चाहता है घूमने , कह रहा था कि कभी बडे शहर गया नही

मा थोडे सोच के - ठीक है मै शालिनी से बात कर उसे भी भेज दूँगी और कुछ

मै एक कातिल मुस्कान के साथ लण्ड सह्लाते हुए - हा

मा मुसकी मारते हुए सब्जी चलाते हुए इतराने लगी और बोली - धत्त बदमाश जा तू भी नहा ले मेरा भी खाना हो गया है ,,फिर मै भी नहाने जा रही हू
फिर नहाने के लिए अपने बेडरूम मे चला गया
नहाने के बाद मैने एक तिशर्त और हाफ लोवर डाला और बाहर आया , जहा पापा और अनुज नहा कर बैठे थे वो लोग भी बनियान और चढ़ढे मे थे ।

दिदी किचन मे खाना लगा रही थी और अनुज को आवाज दी तो अनुज किचन मे चला गया इतने मे मा अपने कमरे से एक सूती हल्के गुलाबी रंग ब्लाउज मे बिना ब्रा के और उसी रंग का पेतिकोट पहने बाहर आई

ब्लाउज मे कसे चुचे देख कर मेरा लण्ड अपने सर उठाने लगा वही पापा भी बडे ध्यान से मा को निहार रहे थे

फिर मा वही से सीधा किचन ने गयी और पापा मेरे तरफ झुक कर मुस्कुराते हुए - तो बेटा अब क्या ख्याल तेरी मा के बारे मे हम्म्म्म

मै शर्माने लगा
पापा - बेटा तू शर्मा रहा है लेकिन तेरा ये छोटा शेर अपनी गरदन उठा के तेरी मा के भैस जैसे मोटे मोटे दूध देखने के लिए परेशान हो रहा है

पापा मेरे लोवर मे बने टेन्ट की तरफ इशारा कर बोले

मै मुह फेर कर हसने ल्गा
पापा - मै तो आज रात जम कर चोदने वाला हू तेरी मा को ,,, अगर तुझे देखना हो तो चूपके से आ जाना

मै आवाक होके पापा को देख्ते हुए - लेकिन मै क्या करुगा पापा

पापा ह्स के - अरे बेटा मुझे देख सिख तभी ना आगे काम आयेगा हिहिही

मै पापा की बात पे ह्सने लगा
पापा - तेरी मा आ रही है देख कैसे उसके चुचे मिजता हू

मै मुह पे हाथ रख के हसने ल्गा इत्ने मे मा आई और पापा के बजाय मेरे बगल मे आकर बैठ गई जिस्से मेरी हसी छूटी

मा - क्या बात है बेटा हस क्यू रहा है

मैने सोचा जब सब कूछ खुला हुआ ही है तो क्यू ना मजा लिया जाय

मै हस के - मम्मी पापा ने आपको अभी भैस बोला हिहिही

मा अचरज से - भैस , वो क्यू
मै हस कर - पता नही
मा हसते हुए - बेटा जरा रूम से मेरा दुपट्टा लेके आना ,,मै समझ रही हू मुझे भैस क्यू बोला गया है

मै - क्यू मा बताओ ना
मा हस कर अपने छाती को दिखाते हुए - ये देख रहा है बेटा क्या है

मै मासूम बच्चों के जैसे - हा मा ये तो दूध है
मा हस के - और ये कैसे है
मै मा को हग कर अपना मुह उसके चुचे पर रख कर - मा ये तो बडे बडे और मुलायम है हिहुही

मा ह्स कर - हम्म्म तो बडे बडे दूध कीस जानवर के होते है बेटा बताओ तो

मै मा के चुचे हल्के हाथो से पकड कर मासुम बच्चो के जैसे - भैस के
फिर चौकने के भाव मे मा से हटते हुर - ओह्ह इस लिए पापा ने आपको भैस बोला

मा ह्स के - हा बेटा ,,अब ये भैस तेरे पापा को लात भी मारेगी सोते समय

मै ह्स्ते हुए - हिहिहिहीही क्या मा आप भी
तब तक किचन से दिदी ने सबको बुलाया और हम सब खाना खाने के लिए चले गये । खाने के दौरान पापा बार बार मुझे इशारे कर मा को दिखाते थे और मै हस्ता था ।

फिर खाना खतम कर सब अपने कमरो मे चले गये
कमरे मे जाने के बाद मैने अपना मोबाईल चेक किया तो देखा सरोजा जी के तीन मिस्काल आये हुए थे और दो काजल के भी

मै झट से पहले काजल को फोन किया
फोन पर
मै - हाय बेबी
काजल - हाय के बच्चे कहा थे कबसे फोन लगा रही थी
मै ह्स कर - अरे मोबाईल चार्ज मे था और मै खाना खा रहा था
कोमल - और बताओ कब आ रहे हो मिलने मुझसे
मै - क्यू फिर खुजली हो रही है क्या हममम
कोमल मायुस हो कर - तब क्या कितने दिन हो गये राज ,,,तुमको नही मन होता क्या कभी

मै कोमल की बातो से उत्तेजित होकर - बहुत मन है दोस्त और जल्द ही आउँगा मिलने ,,,तब तक तू मनोज को भी मौका दे ना

कोमल शर्मा कर - धत्त पागल भाई है वो मेरा
मै ह्स कर - हा लेकिन वो तो तेरे नाम से हिलाता है ना

कोमल ह्स कर - नही अब उसको जरुरत ही नही पड़ती , मा है ना

मै जानबुझ कर - क्या मतलब
कोमल हस कर - राज मुझे तुमको कुछ ब्ताना है हिहिहिही

मै जिज्ञासा दिखाते हुए - हा हा बताओ ना कोमल
कोमल इतरा के - पता है मनोज अब रोज रात मे मा के साथ सोता है हिहिही

मै - तो उसमे क्या है
कोमल - अरे बुधु वो मा के साथ वो सब भी करता है हिहिहिही

मै चौकाने के भाव मे - क्या सच मे कोमल , मनोज , मौसी मतलब अपनी मा को चोदता है

कोमल - हा यार
मै - तुमको कब पता चला
कोमल - जब मै जौनपुर से वापस आई तभी के बाद से देख रही थी कि मा और मनोज के बीच काफी नजदिकिया आ गयी है और फिर एक रात मैने जासूसी की और सब कुछ पता चल गया ।


मै - अरे यार इसके तो मजे है मौसी जैसी गदराई माल को चोद रहा है
कोमल तुनक कर - हुह तुम सब लडके एक जैसे हो ,, हर जगह लार टपकाते फिरते हो

मै हस कर - ओह्हो चलो कोई बात नही जो हुआ अच्छे के लिए हुआ ,, अब इसी बहाने विम्ला मौसी के बाहर जाके मस्ती करने वाले प्रोब्लम से निजात हो गयी है

कोमल - हा सो तो है ,,
मै - फिर तुमने क्या सोचा है , तुम कब शामिल हो रही हो उन्के साथ
कोमल शर्मा के - धत्त मै कैसे पागल कही के

मै - अब तुम देखो कि क्या करना है मै तो रोज नही आ सकता ना तुम्हारे पास लेकिन अगर मनोज से तुम कर ली तो

कोमल ह्स कर - धत्त तुम रहने दो आज तुम्हारा मूड ही अलग लग रहा है ,, मै सोने जा रही हू बाय

मै - ठीक है सो जाओ लेकिन इस बारे मे विचार करना
फिर कोमल ने फोन रख दिया

मै भी ह्स कर बिस्तर पे लेट गया ।
तभी मेरे मोबाइल पे एक मैसेज बिप हुआ जो सरोजा जी ने किया था

मैने भी उनका हाल चाल लिया और फोन साइड रख दिया ।
क्योकि इस वक़्त सरोजा या और किसी से भी ज्यादा मुझे पापा के बाते रोमांचित कर रही थी और आज खाने से पहले वो बोले थे कि आज वो दरवाजा खुला रखने वाले है ।

मै कुछ सोचा और मोबाईल रख कर झट से उठा और बिना किसी आहट के
आराम से दरवाजा खोल के एक नजर हाल मे देखा और फिर दबे पाव सामने पापा के कमरे की तरफ बढ़ा जहा मुझे हल्की फुल्की खुस्फुसाहत सुनाई दे रही थी

जो पापा ने हल्का सा भिड्का रखा था और मैने हल्का सा जोर देखे बीते भर का गैप बना दिया और अन्दर कमरे मे देखा

जहा पापा बेड पर टेक लगाये बैठे थे और मा उनके सामने झुक कर उनका लण्ड चूसे जा रही थी ।

पापा मा से बाते किये जा रहे थे और सिस्क भी रहे थे ।
पापा - रागिनी एक बार सोच के देखो ना उस मजे को
मा लंड को मुह से निकालकर - लेकिन राज के पापा वो मेरा बेटा है मै कैसे उसके सामने ऐसे पेश आ सकती हू , उस रात वो सोया था तो मैने आपकी बात मान ली लेकिन अब ये ना हो पायेगा हमसे

पापा - अरे मेरी जान मैने आज परखा है उसे और वो भी तुम्हारे साथ मजे करना चाहता है ,,,

मा परेशान होने के भाव मे - ओहो लेकिन
पापा मा के गाल को छू के - ओह्ह रागिनी मेरी जान क्या तुम मेरी इस इच्छा को नही पूरी करोगी ,,,,मै तुम्हे अपने सामने किसी से चुदते हुए देखना चाहता हू एक रन्दी के जैसे ,,माना की तुम किसी गैर को ये सब नही करने दोगी तो क्या अपने राज के साथ तो कर सकती हो ना ,,,आखिर वो भी बड़ा हो रहा है और समय के साथ उसे भी सिखना जरुरी है ये सब ,,,कही किसी गलत रास्ते पर ना चला जाये वो इसिलिए मै कह रहा हू

मा एक कातिल मुस्कान के साथ- मै सब समझ रही हू आपकी गोल मतोल बाते ,,, आपको राज की नही अपनी भावनाओं की चिंता है हिहिहिही

पापा ह्स कर - तो कर दो ना मेरे लिये मेरी जान प्लीज
मा पापा की आन्खो मे देखते हुए उन्के सुपाडे को मुह मे भर कर गले तक उतार के निकाल देती है और मुस्कुरा कर लण्ड मुठीयाते हुए - ठीक है मै कोसिस करूंगी एक बार लेकिन अगर मुझे लगा कि वो इनसब नही रुचि ले रहा है तो मै कुछ नही करूंगी ऐसा


मै मा की चालाकी भरी बातो पर हस रहा था और उन्के कामुक अन्दाज पर लण्ड भी सहला रहा था

मुझे खुसी थी एक बार फिर मा और मेरा मिलन होगा लेकिन इस बार जिसका गवाह पापा खुद बनेंगे ।
एक तरफ मुझे पापा को जताना भी था कि मै उनको देख रहा हू वही दुसरी तरफ मा की गाड़ देख के उनको चोदने का भी मन था इसिलिए मैने कूछ सोचा और झट से अपने कमरे मे गया और वापस कर पापा के दरवाजे पर खटखट किया


जारी रहेगी
 
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