UPDATE 58
हम दोनो रास्ते में फुसफुसा कर बाते करते हुए जा रहे थे और मै बाजार से बाहर आने का इंतजार कर रहा था
क्योकि हमारी कोचिंग चंदू के चौराहे वाले घर मे थी और
बाजार से चौराहे के बिच 400 मीटर का फासला था जो काफी सुनसान होता है इतना भी नही की कोई आये जाये ना
बस मेन बाजार या चौराहे जितना रौनक नही होती थी । थोडा खाली खाली होता था और थोड़े अगल बगल खेत होते थे ।
जब हम बाजार से 50 60 मिटर आगे आ गये
मै - तुम ऐसा क्यों कर रही हो दीदी
दीदी मुस्कुरा कर - मैने क्या किया
मै उसके करीब आने को होकर बोला - बताऊ अभी , बताऊ हा
दीदी हस्ते हुए - नही भाई प्लीज सड़क पर नही
मै - वहा था तो बहुत याद आ रही थी ना अब क्या हुआ हा
दीदी - भाई मुझे समय चाहिए थोडा इन सब के लिए ,,, क्या तुम इतना भी नही करोगे मेरे लिए ।
वो मुह बना कर मासूमियत से बोली
मै तरस खा कर - हम्म्म ठीक है लेकिन चिढ़ाना बंद करो
दीदी हस्ते हुए - तुझे छेड़ने मे मज़ा आता है भाई हिहिहिही
मै - जिस दिन मै छेड़ दिया ना तब और भी मज़ा आयेगा
दीदी शर्मा कर - चुप कोई सुन लेगा
हमारी ऐसे ही हल्की नोक झोक जारी रही कोचिंग तक
फिर हम क्लास मे गये लेकिन इस बार भी मै ज्यादातर दीदी पर फोक्स किया रहा , और वो भी मुझे कभी कभी अपनी तरफ देखता पाकर सामने बोर्ड पर देखने का इशारा करके मुस्कुरा देती ।
करीब साढ़े चार बजे चंदू जल्दी जल्दी मेरे बगल मे आकर बैठ रहा था कि सर की नजर उसपे गयी और शुरू कर दिया बेज्ज्त करना कि कहा लेट हो गए और ना जाने क्या क्या
वही चंदू बीच क्लास में खडे होकर मन ही मन टीचर पर अपनी भड़ास निकाल रहा था
फिर वो बैठा
चंदू - ये भोस्डी वाला औकात से ज्यादा उड़ रहा है इसको निकलवा देता हू अपने घर से अगले महीने , मादरचोद कही का
मै हस्ते हुए - तो साले लेट क्यू आया , उसकी आदत जानता है ना लेट आने पर किसी को नही छोडता , उस दिन जब ठाकुर की नतिनी को नही छोडा तो तुझे क्या हहहाहा
चंदू चौक कर - क्या कहा इस भोस्डी के पिल्ले ने मेरी मालती को भी बेज्ज्त किया ,,, मादरचोद को तो कल ही खदेड़ रहा हू
मै अचरज से - साले तेरी मालती कैसे बे ,,, ठाकुर गाड़ मे तेरे इतनी गोलिया भरवा देगा की गाड उठा भी नही पायेगा वजन से
चंदू दिवानो की तरह उदास मन से - भाई सच मे मै उसे चाहता हू
मै - अबे लवड़े तू उसे चाहता है ये इम्पोर्टेंट नही है वो ठाकुर की नातिन है ये इम्पोर्टेंट है
चंदू - भाई तू कुछ मदद कर ना
मै - मै क्या करू मदद तू खुद उसको दुर करने पर अडा है
चंदू - मै कैसे
मै - साले तू ये कोचिंग बंद करवा देगा तो वो वैसे भी नही आयेगी यहा तो क्या करेगा और वैसे भी वो शहर के कालेज मे पढने जाती है
चंदू झल्ला कर - अबे वो तो मै ऐसे ही फेक रहा था ,,,अगर मै मेरे बाप को बोलूंगा तो वो मुझे ही घर से भगा देगा
मै ह्सने लगा
चंदू - भाई प्लीज कुछ कर ना यार , एक मुलाकात तो करा दे प्लीज भाई प्लीज
मै कुछ बोलता कि तभी चंदू के लिलाट पर लिखने वाले मार्कर का ढक्कन पट्ट से लगा जो हमारे सर ने फेका था और उसके मुह निकला- ये मादर्चोद मानेगा नही
मै हस्ते हुए - अभी पढ ले फिर कभी बाद मे बात करेंगे इसपे
फिर हमने क्लास खत्म की और फिर हम तीनो ( मै ,दिदी और चंदू ) साथ मे घर के लिए निकल गए
मै सोचा - यार ये अमन क्यू नही आया
मै दिदी के करीब गया और धीरे से पुछा - आज अमन नही आया
दीदी मुस्कुरा कर - वो अपने चाचा के साथ कही बाहर गया है कुछ दिन के लिए
मै इस बात को इग्नोर किया और घर की ओर जाने लगा ।
फिर सब कुछ सामान्य ही रहा। रोज रात मे पापा मा और बुआ को चोदते है तो कभी गोदाम मे बुला लेते और दिन मे बुआ चाचा से चुदती और मौका मिलने पर मै भी दोपहर मे कभी मा तो कभी बुआ को पेल देता था ।
धीरे धीरे 10 दिन गुजर गये
इस दौरान मेरे और दीदी के बीच काफी नजदीकिया आई और हम साथ मे काफी घुल मिल कर रहते । जब भी मुझे मौका मिलता मै उन्के साथ थोडी बहुत मस्ती कर लेता लेकिन उनकी शरारत कभी कम नही होती जब भी मौका मिलता मुझे परेशान जरुर करती और मुझे दिदी का ये बात बहुत अच्छी लगती थी ।
वही कोमल से कभी कभी बात होती तो मेरे लण्ड की आस लगाये हमेशा मेरे खडे लण्ड की तस्वीर मागती जब मै रात को मालिश करता और कभी कभी वीडियो काल पर दिखाने को बोलती ।
वैसे तो मै रात मे कभी भी मालिश नही करता था लेकिन कोमल को दिखाने के चक्कर मे आदत होने लगी ।
फिर 10 दिन बाद चाची निशा और राहुल सब भोपाल से वापस आ गये।
एक दिन चाचा के यहा रुक कर शिला बुआ अपने घर चली गई ।
बुआ के जाने के बाद घर सुना सुना सा लगने लगा ।
जब तक वो थी दिन रात सेक्स की आअह्ह्ह उह्ह्ह से निचे का कमरा चीखता ही रहता ।
हमारी लाइफ भी पहले जैसे नही रही अब सबके मन मे बीते एक महीने मे हवस ने एक खास जगह बना ली थी ,,, एक तरफ जहा मा को मुझसे दिन मे प्यार मिल जाता था , वही दीदी भी मुझसे काफी करीब हो चुकी थी और पापा को भी नये चुत की तलब होने लगी जो कभी कभी मा चुदाई के समय मुझसे बताती रहती थी ।
लेकिन जैसा भी था समय की इस रवैये से हम सभी खुश थे जिसने हमें जिन्दगी मे मज़े लेने के ढ़ेरो आसार दिखाये ।
समय बीता और फिर तय हुआ की अगले महीने से नये घर का काम शुरू होना है। जिसमे कुछ दिन ही बाकी थे ।
उधर निशा की वापसी हो चुकी थी जो मुझसे मिलने को बेकरार थी और मुझे नये घर के लिए तैयारी से फुर्सत नही मिल रही थी ।
और इधर मेरे कन्धे पर दो जरुरी भार थे जिनको समय रहते पुरा करना था ।
एक तो दीदी की शादी अमन से कराने के लिए मा को मनाना
दुसरी कोमल के घर की समस्या को पापा के साथ मिल कर पुरा करना था
लेकिन दोनो की पहल के लिए मुझे सही मौके का इंतजार करना था ।
देखते है दोस्तो कि राज अपनी जिम्मेदारी को कैसे निभाता है और आने वाला समय राज को कौन से नये सबक सिखाता है ।
जल्द ही एक नये रोमांच का आरम्भ होने को है
दोस्तो आज का अपडेट काफी छोटा है लेकिन कहानी को आगे ले जाने के लिए बहुत जरुरी था ।
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे
धन्यवाद