UPDATE 56
हम लोग बस में चढ़ते समय मा और कोमल आगे थे उसके पीछे मै और मेरे पीछे विमला मौसी थी ।
तो कोमल को मा के साथ बैठना पडा और मुझे विमला मौसी के साथ ।
कोमल एक नजर अफसोस से मुझे मुड कर देखा क्योकि मै भी जानता था कि कोमल मेरे साथ ही बाते करते हुए जाना चाहती थी लेकिन अब सीट पर बैठ गयी थी क्या हो सकता था ।
क्योकि हमारे बाद और भी लोग चढ़े थे बस मे जिस्से बस पूरी कस गयी थी ।
मै विंडो सीट से लग कर बैठ गया और मेरे बगल मे विमला मौसी बैठ गयी ।
विमला मौसी ने एक डीप गले का नेवी ब्लू रंग की कुर्ती और वाइट लेगी पहनी थी और बाई तरफ से दुपट्टे को कन्धे पर रखा हुआ था ।
विमला मौसी के बदन की गरमी और बस के हिल्कोरे मेरे लण्ड की नसो मे सिहरन पैदा करने लगे और मै रह रह कर तिरछी नज़र से विमला मौसी के चुचियो की घाटी को निहार रहा था ।
विमला मौसी के दाई तरफ एक आदमी उन्की तरफ मुह करके सीट पकडे खड़ा था ।
जब ही बस ह्च्के लेती वो मौसी के उपर झुक जाता जिससे बचने के लिए विमला मौसी मेरे तरफ झुकती और अजिब नजरो से देखती उस आदमी को
फिर जब मुझसे नजर मिलती तो मुस्करा देती थी।
फिर मै नोटिस किया की वो आदमी के पैंट मे तम्बू बना और उसकी नजर विमला मौसी की घाटियो मे है । इस बार जब झटका लगा तो वो बहुत हल्का फुल्का ही था मैने गौर से देखा कि वो जानबुझ कर अपना तम्बू मौसी के बाह पर छुआ देता था ।
इधर निचे की तरफ का बस के झटको से मौसी के बाई तरफ की जांघ कसी हुई लेगी मे दिख रही थी क्योकि हवा से उनकी कुर्ती हट जा रही थी।
विमला मौसी की मासल जान्घे देख कर मेरे मुह मे पानी आ रहा था ।
मै सोचा है तो एक नं की चुद्क्क्ड फिर क्यू नखरे दिखा रही है चलो इसे टटोल कर देखता हू
मैने अपना ड्रामा शुर किया ताकि किसी तरह उनको सेक्स वाली टोपिक पर ले आऊ
सबसे पहले मैने एक बार मौसी की कुर्ती को पकड कर वापस उनकी जांघ पर रख दिया
मुझे ऐसा करता देख वो मुस्कुराई लेकिन कुछ बोली नही
लेकिन कुछ ही देर मे फिर से कुरती हट गयी तो वापस से मैने उसे सही किया और इस बार पकडे रहा
विमला मौसी मुस्कुराई
विमला - अरे बेटा परेशान ना हो उसके लिये
मै विमला के पास होकर कान मे जाकर बोला - वो मौसी बगल वाला आदमी घुर रहा है इसिलिए मैने
विमला मुस्कुराई और बोली - अरे बेटा वो उसे नही इसे घुर रहा है । विमला ने अपने चुचो की तरफ इशारा करते हुए बोली
मै शर्माने की ऐक्टिंग करते हुए चुपचाप बैठ गया और मुस्कुराने लगा
फिर बोला - तो मौसी दुपट्टा कर लिजीये आगे
विमला - अरे बेटा कोई बात नही अगर इतना सोचूंगी तो मेरे फैशन का क्या होगा हीहीहि
मै समझ गया कि अब ये लाईन पर आयेगी इसको छेड़ने की ब्स जरुरत थी ।
मै मुस्कुराते हुए - क्या मौसी आप भी , वैसे सच मे एक बात कहू
विमला - हा बोल ना बेटा
मै झुक कर विमला के कान मे - ऐसे कपड़ो मे आप बहुत अच्छे दिखते हो ,
विमला मुस्कुरा कर - सच मे
मै हा मे सर हिलाते हुए मुस्कुरा दिया
मै वापस से विम्ला के कान मे - क्या आप ऐसे ही कपडे हमेशा पहनते हो या फिर और भी मोर्डन
विमला - बेटा सच कहू तो मुझे छोटे छोटे कपडे भी पसंद है लेकिन घर मे तो पहन नही सकती ना और अब तो मै विधवा हू तो चार लोग ऐसे ही बात बनायेंगे ,,,तू समझ रहा है ना
मै - हा मौसी जानता हू , ये समाज किसी की भावना को सिर्फ अपनी जरुरत के लिए महत्व देता है बस
विमला मुस्कुरा कर - अरे वाह तू तो बड़ो के जैसे बाते करने लगा अब
मै मुस्कुरा कर - काम भी बड़ो के जैसे कर लेता हू मौसी ,,कभी जरुरत हो तो याद करना
विमला मेरे डबल मिनिग बात को समझ गयी और मुस्कुरा कर सामने देखने लगी ।
इधर वो आदमी अब ज्यादा से ज्यादा विमला के बदन से सट कर खड़ा हो गया था और उनकी तम्बू विमला के बाजू को रगड़ रहा था ,
मै विमला के कान मे - मौसी वो आदमी कुछ ज्यादा नही परेशान कर रहा है आपको
विमला मुस्कुरा कर मेरे कान मे बोली - उसकी छोड बेटा वो तो अभी जवान है , उसके बगल मे खड़े बूढ़े को देख ,,,कब से अपनी धोती खुजा रहा है हिहिहिही
मै विमला से इतना ज्यादा खुल कर बात करने की उम्मीद नही थी और मैने जब उस बुढे को देखा तो वो मौसी के बगल मे खडे आदमी के पीछे से ही मौसी की घाटियो को निहारते हुए धोती मे हाथ फ्साये हुए था ।
मुझे हसी आ गई और मै विमला के कान मे बोला - आपको अजीब नही लगता मौसी कि ऐसे सब आपको देख कर हरकते कर रहे है
विमला मुस्कुराई और बोली - बेटा हम औरतो को इन सब की आदत होती है और अबला स्त्री को सेक्स की भुखी समझ कर हर कोई अपना हाथ आजमाना चाह्ता है
मै अचरज के भाव मे - तो मतलब आपको कोई फर्क नही पड़ता है ऐसे कोई करे तो
विमला - बेटा फर्क किसे नही पड़ता अब तो मेरे पति को गुजरे 4 साल हो गए है और जरुरत सबको होती है , मुझे भी है लेकिन मै अपनी मर्यादा नही लाँघ सकती ना
मै मन मे - देखो सालि कितनी सती सावित्री बन रही है मेरे सामने जबकि लण्ड की इतनी आदी है कि देवरो का लण्ड नही मिला तो मेरे मामा को भी लपेट लिया और अब मेरे सामने खुद को मजबुर दिखा रही है ।
मै - तो ऐसे मे आप क्या करती हो मौसी अपनी जरुरतो के लिए
विमला मुस्कुराई- तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कूछ पता ही ना हो कि एक अबला बिना पति के कैसे अपनी जरूरत पूरी करती है ।
मै अचरज का भाव लाकर - सच मे नही पता मौसी
विमला शर्मा कर - चल झुठा ,
मै हैरान सा मुह लेके - मै झूठ क्यू बोलूंगा
विमला - अच्छा अभी तो कह रहा था कि बड़ो के सारे काम कर लेता है तू और अब कह रहा है की एक अबला की जरुरत के बारे मे तुझे पता ही । सच मे नही जानता या मेरे मुह से निकलवाना चाहता है
मै विम्ला की बात से हस दिया
विमला मेरे हाथ पर चींटी काटते हुर - बहुत बदमाश हो गया है तू हा
मै - अह्ह्ह आह्ह सो सो सॉरी ना मौसी हीहीहि
विमला ने मुझे छोड़ दिया और मुस्कुराने लगी ।
इसीबिच वो बुढऊ निढ़ाल होकर मौसी के बगल वाले खडे आदमी के कन्धे के सहारे हो गये
जब मौसी के बगल वाले आदमी को अपने कन्धे पर उस बुढे के सर मह्सूस हुआ
आदमी - अरे बाऊ जी क्या हुआ सो गये क्या
जैसे ही मै और विमला उस आदमी की बाते सुने एक दुसरे के तरफ देख कर मुस्कुराये फिर मुह दबा कर हसने लगे ।
हसी इस बात की थी कि मौसी की घाटियो का मज़ा लेने वाले बाप बेटे निकले हाहाह्हाह्हा
तभी आगे जाकर बस रुक गयी सड़क के किनारे लगायी गयी । आस पास कोई दुकान नही थी एक दम सुनसान जगह थी दोनो तरफ जंगल थे ।
काफी लोग बस से उतर कर नजारा देख रहे थे इधर मा और कोमल परेशान हो गये कि क्यू इतना टाईम लग रहा है और बस क्यू रुकी है
मा - बेटा जरा देख क्या हुआ है यहा बीच जन्गल मे बस क्यू रोक दी इनलोगो ने
मै खिडकी से झाका तो बस conductor से पुछा की क्या बात है तो वो बोला बस की अगली टायर पन्चर हो गयी है ।
टायर पन्चर का सुन कर हम सबके और पसीने छूट गए क्योकि गर्मी बहुत थी उस पे बस खराब होना
इधर बस से लगभग सारे लोग निकल गये थे और हमे भी बाहर आने को बोला गया
मै - चलो मा बाहर जाना पडेगा तभी बस बनेगी
मा और कोमल उठ गये और आगे जाने लगे
मै विमला को इशारे से उठने को बोला तो वो उठी और जैसे ही हम आगे बढ़ते की हमारी सीट के पीछे वो बुढऊ बेसुध सोये हुए दिख गये ।
उनको देख कर मेरी और विमला की फिर से हसी छूट गई ।
फिर विमला आगे बढी तो पीछे उसकी कुर्ती सिम्टी हुई थी
मै - मौसी आप कुर्ती सही कर पीछे सिलवटे आ गई है
मेरी बात सुन के विमला मूडी और बोली - बेटा जरा नीचे बैठ कर सही कर देगा , अच्छा नही लगता है ऐसे
मै मुस्कुरा झुका और कुर्ती का नीचे का हिस्सा खीच कर थोडा ठीक किया लेकिन उतना अच्छा हुआ नही
विमला - अरे बेटा हाथ लगा कर सही के दे ना
मै एक कातिल मुस्कान से एक हाथ विमला की कुर्ती का निचला हिस्सा पकड का खीचा और दुसरे हाथ से प्रेस की तरह उसके चुतडो पर हाथ फेरने लगा फिर दोनो हाथों से खिच के कुर्ती ठीक किया और खड़ा हो गया ।
मै - हो गया मौसी चलो
विमला मुस्कुराई और अपने चुतड हिलाते बस से निचे उतर गयी।
बाहर तेज धूप थी और आस पास कोई ठिकाना भी नही नजर आ रहा था
बस से निकले लोग जंगल मे चले गये छाव के लिए ।
कुछ आदमी बस से दुर हट कर सड़क किनारे पेसाब कर रहे थे तो कुछ जन्गल मे थोडा उतर कर
एक दो औरते जन्गल मे अन्दर की तरफ जा रही थी पेसाब करने के लिए ही शायद
उन औरतो को जन्गल मे जाता देख मा बोली - अरे विमला सुनो चलो हम भी फ्रेश होकर आते है, आ कोमल तू भी चल
लेकिन कोमल अंदर जाने से डर रही थी
कोमल सहम कर - मौसी कितना बड़ा जन्गल है और देखो उधर बन्दर भी है
बंदरो को देख कर मा का मन भी डोल गया
मा - हा बात तो सही है लेकिन मुझे प्रेसर आया है
विमला मुस्कुरा कर - मुझे भी रागिनी
मा - बेटा राज तू भी चल हमारे साथ थोडा बंदरो पे नजर रखना
मै खुश हुआ और एक कातिल मुस्कान से कोमल को देखा तो वो शर्मायी लेकिन मुझे छेड़ने के मूड मे अजीब सा मुह बना कर - क्या सच मे ये भी आयेगा
विमला - अरे तो क्या हुआ चल बेटा
मै कोमल को आंख दिखाते हुए हसा और उन लोगो के साथ बस से थोडी दुर होकर जंगल मे एक पतले से रास्ते पर उतरने लगा जो थोडा बहुत आवागमन से बना हूआ था , उस सकरे रास्ते के अगल बगल झाडिया और मूँझ उगे थे
आगे आगे करीब 20 25 मीटर जाने के बाद मै घुमा तो तीनो आपस मे बाते करते हुए आ रही थी
जंगल के जिस एरिया मे हम रुके थे वहा कुछ कुछ ही आम के पेड़ थे बाकी सगौन के ही मोटे मोटे पेड़ लगे और नीचे झाडियों भी थी
मै - मा कहा पे जाओगे आप
मा ने एक नजर सड़क की तरफ आदमियो को तहलते देखा तो बोली - थोडा और आगे चल ना बेटा यहा सब दिखेगा
मै करीब सड़क से 50 मीटर की दुरी पर आ गया और रास्ता घुमावदार था अब सड़क भी नही दिख रही थी
मा - बस रुक जा बेटा
मै रुक गया और उन लोगो की तरफ घूम गया
मा - कोमल चल इधर थोडा आगे ही कर लेटे है ।
मा - बेटा तू यही रुक विमला के साथ कोई आये ना इस रास्ते हम लोग आते है
वो दोनो चली गयी और विमला मौसी और मै खडे बाते करने लगे कि कब कैसे बस सही होगा कितना समय लगेगा
इसीबिच मुझे पास के ही आम के पेड़ पर दो बंदरो की आपस मे चुदाई होते दिखी जिसको देख कर मेरी हसी छूटी
विमला - क्या हुआ बेटा हस क्यू रहा है
मै हसते हुए - कुछ नही
विमला - फिर हस क्यू रहा है
मैने विमला को आम के उसी मोटे डाल पर इशारा किया तो विमला भी देख कर मुस्कुराने लगी ।
तभी उन बंदरो की नजर हम दोनो पर पड़ी तो वो हमारी तरफ ही शोर मचाते आने लगे जिससे विमला डरने लगी लेकिन मैने पास से एक मिट्टी का ढेला लिया और उनकी तरफ फेका तो वो उसी तरफ भागे जिधर मा और कोमल गये थे ।
फिर विमला चैन की सांस ली
तभी मा और कोमल सामने से आते दिखे
मा - जा विमला तू भी पलट आ
विमला अकेले जाने का सोच कर ही घबरा गई
विमला - अरे नही तू भी चल ना , अभी दो बन्दर हमे काटने को आ रहे थे वो तो राज ने उन्हे उसी तरफ खदेड़ा
मा भी थोडी डर गयी - ऐसा कर तू राज के साथ चली जा , हम दोनो बस तक जाते है यहा रुकना खतरनाक है
मा - बेटा तू चला जा इसके साथ आगे बस 10 15 मीटर आगे ही एक खाली जगह है
मै हा मे सर हिलाया और विमला के साथ उधर ही निकल गया , मा और कोमल बस के तरफ निकल गए
विमला मेरे काफी करीब होकर चल रही थी और फिर हम उस खुली जगह पर आ गये
पास मे ही मुझे पेशाब किये हुए दो गीले जगह दिखे जो मा और कोमल के ही थे ।
मै - मौसी आप कर लो मै यही हू
विमला मुझे अपनी तरफ पीठ करता देख बोली - अरे तू उधर देखेगा और कही बन्दर मेरे पीछे से काट लिये तो
विमला - तू मेरी तरफ ही देख बेटा ठीक है
मै थोडा संकोच मे - म म मै ,,,, लेकिन
विमला - तू लेकिन वेकिन छोड
इससे पहले मै कुछ ज्यादा कहता विमला ने झट से पैंटी के साथ लेगी को नीचे किया और फट से बैठ गई
मेरी आन्खे विमला को गोरी चित्ती जान्घे और चुतडो के गोल उभार देख कर फटी रह गयी
उधर विमला तेज धार से मूत रही थी और मै थूक गटकते हुए उसको साइड से उसके गाड़ की गोलाई को निहार रहा था । जिससे मेरे जीन्स मे तम्बू बन गया था
मुतने के बाद विमला उठी और मेरी नजर को अपनी गाड़ पर गड़ा देखा शरारती अंदाज मे अपनी पैंटी को कमर पर चढाते हुए बोली - तुझे मैने मेरे पीछे नजर रखने को बोला था तू तो पिछवाड़े पर ही नजर गड़ा लिया
मै झेप गया - अ अ ब ब वो वो मै देख रहा कही कोई पीछे न आये मौसी
विमला अपनी लेगी को चढाती हुई कुर्ती ठीक करते हुए - हा देखा मैने मौके का फायदा उठा लिया आखिर तुने भी हा
मै शर्मिदा मह्सूस कर रहा था
तभी विमला की नजर मेरे जीन्स मे बने तम्बू पर गयी
विमला - अब तू भी कर ले जल्दी
मै - नही मै उधर ही कर लूंगा
विमला - हा क्यो नही वहा ज्यादा औरतो के बीच मूतने मे ज्यादा मज़ा आयेगा ना
मै झेप गया फिर से
विमला मुस्कराई- अरे कर ले मै मज़ाक कर रही हू
मै थोडी राहत की सांस ली एक पल को लगा ये सच मे बहस करने के मूड मे है ।
मै थोडा आगे बढ़ते हुए एक साइड मे खड़ा हुआ और लण्ड को बाहर निकाल कर झाडियो मे मूतने लगा
विमला - कितना टाईम लगा रहा है जल्दी कर ना
मै - बस हो गया है एक मिंट वो चैन पुरा खुला नही है तो धीरे धीरे हो रहा है
विमला - हा जल्दी कर भाई
फिर मै जल्दी से लण्ड अन्दर किया और घुम के विमला के पास आया
वो फिर मेरे जीन्स मे बने तम्बू को देख कर मुस्कुराते हुए बोली - अरे अभी सही से किया नही क्या
मै शर्मा कर - कर तो लिया मौसी
विमला - फिर ये क्यू ऐसे है
मेरे जीन्स मे बने उभार की तरफ इशारा करते हुए बोली
मै - वो तो
विमला ह्स्ते हुए - हा हा समझ गई,, शर्म कर मै तेरे मा की उम्र की हू
मै मुस्कुरा कर - मेरा तो ठीक था लेकिन बस मे वो बुढऊ का क्या
विमला हस्ते हुए - हमम कोई नही हो जाता है अभी नया नया जवान हुआ , शायद मेरे से पहले किसी के नंगे कुल्हे देखे भी नही होगे तुने , क्यू सही है ना
मै शर्मा कर चुप रहा
विमला - अरे शर्मा मत होता है और तू भी सही है , अब जब मेरे घर मे मेरे खुद के दोनो देवर मुझ पर लार टपकाते है तो तू तो जवान है
मै कोमल के चाचाओ का जिक्र सुन कर मेरे मन मे एक नयी हलचल हुई
मै - क्या सच मे मौसी ऐसा सोचते है आपके देवर लोग
विमला - बेटा एक विधवा औरत को सब कोई अपनें निचे लाना चाहता है और मजबूरी का फायदा उठाकर इस्तेमाल करना चाहता है
मै - लेकिन मै ऐसा नही हू मौसी ,,,हमारे बीच जो भी हुआ वो अनजाने मे हुआ है बस
विमला मुस्कुरा कर - हा जानती हू रे पगले ,,,तू पहला है जिसने मेरे तन को उघारने के बजाय ढकने का सोचा ।
मै मन ही मन खुश हुआ
विमला आगे आगे चल रही थी और मै पीछे उसके हिलते चुतडो को निहारते हुए मज़े से उसकी बाते सुन रहा था ।
विमला - ये दुनिया बहुत जालिम है राज ,,लोग अपनी जरुरत के लिए रिस्तो का मतलब भी परे कर दते है और चंद पैसो के लिए मजबुर लाचार लोगो की मजबूरी का फायदा उठाते हैं ।
मै समझ गया कि विमला के बातो के पीछे का दर्द जो वो खुल कर मुझसे कहना नही चाहती थी लेकिन कोमल की मदद के लिए मुझे उसकी मा से बात करना बहुत जरूरी था
मै - एक बात पूछू मौसी बुरा नहीं मनोगे ना
विमला रास्ते मे रुक गयी अभी हम सड़क से 40 मिटर दुर थे
विमला मुस्कुरा कर छ्लकी आँखो को पोछते हुए - हा बोल ना बेटा
मै - आपकी बातो से लग रहा है आप मौसा के जाने के बाद से बहुत तकलीफ मे है
विमला मुस्कुराई- पति के बिना कौन खुश होता है बेटा , लेकिन तकलीफ तब ज्यादा होती है जब सहारा देने वाले ही धकेलने पर आ जाये
मै - मै कुछ समझा नही मौसी
विमला दुखी होकर - अब तुझसे क्या बताऊ बेटा
मै विमला को आश्वासन देते हुए - आप बताओ ना मौसी हो सकता है आपको जिस मदद की तलाश हो वो मै ही हू
विमला मेरी बातो से मुस्कुरा कर बोली - तू बहुत भोला है रे , और तेरा मन बहुत साफ है बिलकुल तेरी मा के जैसे ,,लेकिन मै अपने गरज के लिए तुझ मासूम को इस दलदल मे नही घसीटना चाहती हू
ये बोल कर विमला सिस्क पड़ी
मै विमला के कन्धे पर हाथ रखा और बोला- देखो मौसी मै आपमे और मा मे कोई फर्क नहीं रखता हूँ, मै बस इतना ही कहूंगा और अगर आप मुझे अपना समझती होगी तो अपना दर्द जरुर बतायेगी
विमला मेरे बातो से बहुत प्रभावित हुई और एक उम्मीद भरी नजरो से मुझे देखने लगी
मैने उनके दुपट्टे से उनके आंसू पोछे और बोला - चलिये अब आपके दीवाने आपको खोज रहे होगे
मेरी बाते सुन कर विमला हस दी - धत्त बदमाश , चल अब
फिर हम दोनो खुद को नोर्मल किये और सड़क के किनारे आ गये जहा एक साइड मा और कोमल खड़ी थी ।
मा - देख बेटा अभी तक नही बना
मै - अरे मा अभी तो 15 मिनट भी नही हुआ , बन जायेगा
तभी मुझे वो बुढऊ एक पेड़ के किनारे सर पर गम्छा रखे हुए बस की तरफ हो रहे काम को निहार रहा था
मैने विमला के हाथ पर चींटी काट कर बुढऊ की तरफ इशारा करते हुए हसा
विमला मुह पर हाथ रख कर हसने लगी और अपनी भौहे उठा कर मुझ पर झूठ का गुस्सा दिखा कर मुस्कुराने लगी ।
फिर ऐसे ही समय कटा और करीब 20 मिंट मे बस फिर से जाने के लिए तैयार थी और बारी बारी से सारे लोग बस मे बैठ गये और इस बार मौका देख कर कोमल मेरे बगल मे बैठ गई,,,, इस बार विमला को अफसोस हुआ मेरे साथ कोमल के बैठने पर लेकिन जलद ही वो मा के साथ बातो मे लग गई और इधर मै कोमल को झेद्ते उसके साथ मस्ती करते हुए सफ़र का मज़ा लेने लगा ।
करीब पौने 12 वजे तक बस चमनपुरा बस स्टैंड पहुची और हम सब उतर गये और अपने अपने बैग लिये ।
कुछ दुरी साथ मे आने के बाद विमला और कोमल अपने घर के रास्ते पर निकल गये क्योकि उनका घर मार्केट से बाहर की तरफ था और मै मा के साथ अपने घर के रास्ते पर जाने लगा ।
रास्ते मे
मै ह्स्ते हुए - मा दुकान पर जाओगी या घर चलोगी
मा मेरा मुस्कुराता चेहरा देख कर समझ गई मै रात वाली फोन पर हुई बात को उभार रहा हू जब बुआ ने मा को गोदाम में एक साथ पापा से चुदने का आमंत्रण दिया था ।
मा मुस्कुराते हुए - नही घर चल मेरे पैर दुख रहे है
मै - तो चलो
फिर हम घर के तरफ की गली मे मुड गये ।
देखते है दोस्तो राज की घर वापसी कहानी मे क्या रूप लेती है
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
पढ कर रेवियू जरुर दे