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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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धर्मवीर सिंह अपने शयन कक्ष में सोने की तैयारी कर रहे हैं , सोते समय उन्हें दूध पीने की आदत है लेकिन उनका नौकर (अनवर) चार दिन के लिए छुट्टी पर है ।
धर्मवीर सिंह अपना मोबाइल उठाते है और अपनी बहन का नंबर डायल करते हैं ।

उधर आरती जैसे ही अपने मोबाइल पर भैया का कॉल देखती है तो उसके माथे पर शिकन आजाती है कि रात को 11 बजे भैया को क्या काम हो सकता है । इसी सोच में डूबी आरती मोबाइल को कान पर लगाती है ।
आरती - hello भईया ।
धरमवीर सिह - hello आरती तुम सोई नहीं हो अभी तक ।
आरती - वो भईया वो मैं मूवी देख रही थी बस सोने ही जा रही थी कि आपका फोन आगया ।
धर्मवीर - अनवर छुट्टियों पर है और मुझे दूध पीकर ही नींद आती है ।


( ये सुनकर आरती डर गई कि मै कैसे भूल गई कि आज दूध नहीं गया भईया के लिए अब पता नहीं क्या होगा । क्युकी धरमवीर बहुत ही गंभीर और गुस्से वाले आदमी थे । )
आरती - sorry भईया मै मूवी देखते देखते भूल गई , माफ कीजिएगा । अभी लाती हूं ।

ये सुनकर धर्मवीर सिंह ने फोन रख दिया और और लेट गया अपने बैड पर ।
उधर संगीत जल्दी से उठी और सोचने लगी क्या पहनकर जाऊं क्युकी उसने सोने के नाइटी डाली हुई थी । आरती जल्दी से उठी और उसने जल्दी जल्दी में बिना पैंटी के ही सूट और चूड़ीदार सलवार पहन ली । सूट गलती से साइज में छोटा खरीद लिया था पर अब क्या जल्दी जल्दी में उसने वहीं पहन लिया ।
अपने आपको आइने में देखा तो खुद से ही शर्मा गई क्युकी उसके बूब्स उसमे से बाहर निकालने के लिए आजादी मांग रहे थे । वहीं हाल सलवार का था , आरती की जांघो में सलवार ऐसे फंस गई थी जैसे मानो चलते में चरर से फट ना जाए । अचानक उसके दिमाग में क्या आया उसने अपने होंठो पर dark red लिपस्टिक लगा ली जिससे उसके होंठ और ज्यादा रसीले और कामुक नजर आने लगे । आरती दुपट्टा डालकर किचन से दूध लेकर चल दी Lift की ओर क्युकी धरमवीर तीसरे फ्लोर पर रहते थे ।




जैसे ही आरती ने गेट खटखटाया अंदर से आवाज आयी - गेट खुला है आजाओ ।
आरती जैसे ही कमरे में घुसी उसने महसूस किया कि कमरे में से बहुत ही लुभाने वाली खुसबू आरही है । उधर जैसे ही धर्मवीर की नजर आरती पर पड़ी तो आरती टाईट फसे हुए सूट सलवार में उनकी तरफ हथिनी जैसी मस्तानी चाल चलती हुई उनके नजदीक आरही थी।
आरती ने दूध धर्मवीर के हाथ में दिया - लीजिए भईया ।
धर्मवीर - रख दो , आरती लगता है तुम आजकल काफी खुश रहने लगी हो देखो मोटी भी हो गई हो ।
यह सुनकर आरती समझ गई भईया किस मोटापे की बात कर रहे हैं तुरंत हकलाते हुए बोली - भ_भईया मै मोटी तो नहीं हूं ये सूट गलती से छोटा आगया है ।
धर्मवीर - तो कोई बात नहीं आरती कल जाकर और खरीद लेना या मेरे साथ कंपनी चल देना वहां से choose कर लेना ।
आरती - जी भईया ।
धर्मवीर के मन में अचानक विचार कोंधा की उसकी विधवा बहन अब भी कितना बन संवर कर रहती है होठ कितने लाल रचाए हुए हैं ।
अचानक आरती के हाथ से उसका मोबाइल नीचे गिर गया जैसे ही आरती मोबाइल उठाने के लिए झुकी धर्मवीर का दिमाग सामने का नजारा देखकर भनभना गया ।
आरती नीचे जैसे ही झुकी उसकी कुर्ती उसके विशाल भारी चूतड़ों को छुपाने में नाकामयाब होने लगी । उसके तबले जैसे दोनों चूतड़ चौड़े हो गए झुकने की वजह से । जैसा कि सलवार पहले ही जैसे तैसे फसाकर पहनी थी झुकने की वजह से वो दोनो चूतड़ों को संभाल नहीं पाई और बीच में से चरररर की आवाज करती हुई फट गई । पैंटी पहनी नहीं थी जिस वजह से फटी हुई सलवार में से घने और काले बाल बाहर की तरफ दिखने लगे ।
जैसे ही आरती ने ये महसूस किया आरती के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई । आरती बिजली की फुर्ती से खड़ी हुई और sorry भईया बोलकर बाहर आगई । गेट से बाहर निकलते ही आरती थोड़ा ठहरी और अपने धड़कते दिल पर हाथ रखकर थोड़ा नॉर्मल होने की कोशिश करने लगी और फिर जाकर अपने कमरे में सो गई ।



उधर जैसे ही आरती गई धरमवीर को झटका सा लगा जैसे किसी सपने से जागे हों । धरमवीर सिह ने आज पहली बार अपनी बहन की जवानी की तरफ ध्यान दिया था ।
धरमवीर सोचने लगा कि आरती कितनी गदराई हुई है। उसके चौड़े चौड़े चूतड़ जैसे निमंत्रण दे रहे हों की आओ और हमारी चौड़ाई की वजह बनो ।
और ये क्या आरती नीचे के बाल साफ़ नहीं करती । हां बेचारी करे भी किसके लिए विधवा जो ठहरी । लेकिन आरती का गदराया हुआ बदन नहीं कहता कि वो विधवा है ।
आरती की जांघो के देखकर लगता है कि मेरा पूरा मुंह उन जांघों में छुप जाएगा । अचानक धरमवीर का हाथ लेटे लेटे अपने हल्लबी लंड पर चला गया जो अपनी औकात में खड़ा हो गया था। धर्मवीर के लंड का साइज़ 12 इंच था पूरा और मोटाई 4 इंच । धर्मवीर सोचने लगा कि मेरा लन्ड सिर्फ आरती जैसी कोई प्यासी विधवा रांड ही झेल सकती है ।
और दोस्तो ये सच भी था कि धर्मवीर का लन्ड ही ऐसा था जो आरती के फैले हुए चूतड़ों को पार करके उसकी गांड पर फतह पा सकता था।
अचानक धर्मवीर के मुंह से निकला - मेरी रांड बहन तुझे अगर शर्मीली आरती से चुदक्क़ड रण्डी ना बना दिया , अगर मैंने तेरे चूतड़ों को फैलाकर उसमे मुंह ना फसाया , अगर तेरे काले घने बालों से ढके भोसड़े पर अपने लन्ड का परचम ना लहराया तो मै भी धरमवीर नहीं ।
इतना कहते ही धरमवीर के लन्ड से इतनी तेज पिचकारी निकली की सीधी दीवार से जा टकराई । लगातार 5 मिनट तक झड़ने के बाद धरमवीर ठंडा पड़ गया । इतना वीर्य निकला धर्मवीर के टट्टो से जैसे एक साथ एक जगह पर दस लोग झड़े हों ।
ठंडा होते ही धर्मवीर खुद से ही कहने लगा नहीं मै ऐसा नहीं सोच सकता आखिर वो मेरी बहन है ।



इन्हीं विचारों के साथ धरमवीर नींद के आगोश में चला गया ।
Shandar update
 

Pitaji

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क्या आधी अधुरी कहानी पड़ा कर टाइम बेस्ट कर दिया कहानी में इतने पात्र एक साथ डालने की जरूरत क्या थी लोगों को चाहिए था आरती के साथ लेकर चलना था उसी को ट्रिल इरोटिक बनाना था तुमने तो पूरे परिवार का गु गोवर कर दिया
You are right bro
 
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