Ajju Landwalia
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Nice updateचंद्रिका उसे धकेल कर अंदर आ गयी और ज़ोर से माँ माँ कहती हुई अपने कमरे में चली गयी
सुमेर भी अपने कमरे में अपने कपड़े पहन चूका था
उसकी दोनो लड़लियां आ चुकी थी
जिन्हे देखकर वो एक बार फिर से आज रात की प्लानिंग करने लगा
आज वो उन्हे उसी वशीकरण में फंसाकर उनकी चुदाई करने के मूड में था
ताकि बाद में उसे अफ़सोस ना रहे की घेसू ने उन्हे पहले चोद दिया
आज की रात कुछ अलग होने वाली थी
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अब आगे
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चंदा भी जानती थी की आज उसके पिताजी कुछ अलग ज़रूर करेंगे
पिछले 2-3 बार से जो कुछ भी उन्होने किया था उसके बाद तो सिर्फ़ एक चीज़ ही बचती थी
उसकी चूत
जिसे वो पूरी दुनिया से छुपा कर इतने सालो से अपनी टांगो के बीच छुपा कर घूम रही थी
आज उन टांगो को फैलाने का समय आ चूका था
वैसे अपनी ये टांगे तो अपने भाई सूरज के सामने भी खोल ही दी थी आज
यानी उसे चारा डाल दिया था
और उसने चुग भी लिया था वो दाना
उसे पटाना ज़्यादा मुश्किल नही होगा
वैसे देखा जाए तो मर्दों को पटाना आसान ही होता है
बेचारों को अपने हुस्न का थोड़ा सा जादू दिखाओ तो दौड़े चले आते है
फिर तो वो रिश्तों की मर्यादा भी रही देखते
और ये मर्यादा तो मैने भी नही देखी
तभी इतना मज़ा आ रहा है
इन्सेस्ट की इस जादुई दुनिया में इतना मज़ा और रोमांच आएगा ये तो मुझे पता नहीं था
शायद समाज की नज़रों से छुप कर जो भी काम किया जाता है वो मज़े देने वाला ही होता है
ये सोचते-2 कब मेरी आँख लग गयी पता ही नही चला
शाम को जब मैं उठी तो भाई आ चूका था
वो मुझे तिरछी नज़रों से देख रहा था और मेरे चेहरे पर एक अजीब सी स्माइल आ रही थी जिसे मैं चाहकर भी छिपा नही पा रही थी
और वो मेरा हरामी भाई, ये सब बड़ी बारीकी से नोट कर रहा था
उसके बाद मैं और चंद्रिका दीदी माँ के साथ किचन में उनका हाथ बंटाने लगे
पिताजी तब तक बाजार से जाकर सबके लिए मेरठ की माशूर ऐ-वन आइस्क्रीम ले आए जो मेरी सबसे ज़्यादा फ़ेवरेट थी
यानी पिताजी आज सबको खुश करना चाहते थे
मैं उनकी मंशा समझ रही थी
और शायद चंद्रिका दीदी भी
उनकी नज़रें भी रह रहकर पिताजी को देख रही थी
शायद उन्हे देखकर उन्हे रात वाली बातें याद आ रही थी
वैसे तो दीदी अब मेरे साथ काफ़ी खुल चुकी थी
इसलिए जब हम दोनो अकेले खाना खाने बैठे तो मैने उनसे कहा
“दीदी, आज तो पिताजी काफ़ी मूड में लग रहे है, आइस्क्रीम खिलाकर हमारी क्रीम निकालेंगे वो आज…हे हे..”
दीदी : “हॅट पागल….बेशर्म हो गयी है तू तो एकदम से…ऐसा कुछ नही है..और मैं कहे देती हू, आज उन्होने कल जैसा कुछ किया तो मैं चिल्ला दूँगी, बोले देती हूँ ..”
मैं : “आपका बोलने का अंदाज आपके शब्दों से मेल नही खा रहा, कल रात तो आप बोल रही थी की काफ़ी मज़ा आया हुंह …”
बेचारी कुछ ना बोल पाई, उसकी आँखो में गुलाबी डोरे तेर गये
उसकी हालत मैं समझ सकती हूँ
मैं भी उस दौर से गुज़री हूँ
जब पिताजी ने वो वशीकरण मुझपर आजमाया था
कैसा फील होता है जब आपने शरीर के साथ इतना कुछ आकर कोई करे और आप एक लाश की तरह पड़े रहो…
सोने का नाटक करते रहो
काश ये सब होशो हवास में होता
पर पिताजी के साथ ये सब उनकी आँखो में आँखे डालकर करने की हिम्मत हम दोनो में से किसी की भी नही थी
दीदी ने दोपहर वाली बात भी बताई की जब वो घर आई थी तो उसने माँ और पिताजी को वो सब करते देखा
फिर तो मैने दीदी को पकड़ ही लिया
की मुझे सारा किस्सा डीटेल में सुनना है
दीदी बोली की ये सब वहां पॉसिबल नहीं हैं
इसलिए खाना खाने के बाद मैं उसे ज़बरदस्ती छत्त पर ले गयी और टहलते हुए हम दोनो बाते करने लगे
पहले तो वो शर्मा रही थी
पर मेरे ज़ोर देने पर वो डीटेल में मुझे बताने लगी
की किस तरह वो घर आई तो दरवाजा खुला मिला
अंदर आकर माँ के कमरे से उनके ककराहने की आवाज़ें आ रही थी
और झिर्री से उसने जब उन्हे सैक्स करते देखा तो वो पागल सी हो गयी थी
मैं : “तो….दीदी…आपने कुछ किया..”
मेरा मतलब समझ कर उन्होने नज़रें झुका ली और धीरे से मुस्कुरा दी
मैने आगे बढ़कर उनके कंधे को थाम लिया और बोली : “बताओ न दीssss , क्या किया था…”
वो कुछ ना बोली..
मैने धीरे-2 अपना एक हाथ उनके बूब्स पर लेजाकर रख दिया और उसे होले से दबा दिया
वो काँप कर रह गयी
फिर मैने अपने पूरे हाथ में उनका दाँया बूब पकड़ कर जोरों से दबा दिया
मैने नोट किया की उनका मोटा निप्पल मेरी हथेली में चुभ रहा है
यानी ये सब कहानी सुनाते-2 वो काफ़ी उत्तेजित हो चुकी थी
इसलिए शायद मुझे रोकने की कोशिश भी नही की उन्होने
अचानक उन्हे पता नही क्या हुआ, मुझे अपनी तरफ खींच कर उन्होने ज़ोर से गले लगा लिया
हम दोनो छत्त की मोंटी की ओढ़ में खड़े थे
रात का समय था
कोई दूर -2 तक देखने वाला भी नहीं था
इसलिए मैं भी उस पल के मज़े लेने लगी
सच कहूं तो दीदी के साथ ये सब करने में मुझे एक अलग ही मज़ा आ रहा था
मैं ये सब सोच ही रही थी की अचानक दीदी ने अपना हाथ मेरे उस हाथ पर रख दिया जिसमें मैने उनका बूब पकड़ा हुआ था
और उसे ज़ोर से दबा दिया
और बिना किस चेतावनी के उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो पर रखे और उन्हे चूसने लगी
अपने बूब्स मसलवाते हुए जो चीख उनके गले से निकली थी वो भी मेरे और उनके मुँह में दब कर रह गयी
सिर के उपर आधा चाँद हम दोनो बहनो के कुंवारे जिस्म को अपनी चाँदनी से नहला रहा था
और नीचे हम एक दूसरे को अपनी लार से
पहले तो मुझे थोड़ा अजीब लगा उन्हे किस्स करते हुए पर फिर मज़ा आने लगा
क्योंकि दीदी उसी अंदाज में चूस रही थी जिस अंदाज में एक लड़की को अपने होंठ चुसवाना पसंद होता है
मेरे हाथ और लिप्स एक साथ दीदी के जिस्म पर चलने लगे
दीदी ने भी अपना हाथ मेरे नन्हे कबूतरों पर रखकर उन्हे दबाना शुरू कर दिया
अब तो मेरा पारा हाइ होने लगा
वो अपनी कमर हिलाकर मेरे जिस्म में झटके भी दे रही थी
कुल मिलकर काफ़ी गर्म माहौल बन चुका था छत पर
और तभी अपने चिर परिचित अंदाज में माँ ने हम दोनो को ज़ोर से पुकारा
“चंदा….चंद्रिका….कहाँ मर गयी दोनो…..किचन को समेटना नही है क्या…जल्दी नीचे आओ..”
हम दोनो एकदम से यथार्थ के धरातल पर आ गिरे और जल्दी से अपना-2 हुलिया ठीक करके नीचे चल दिए
माँ ने हम दोनो को किचन समेटने को और पिताजी और भाई को दूध देने को कहा और खुद सोने चली गयी, बोली की आज तबीयत खराब है
अब इस उम्र में दिन के समय चुदाई करवाएगी तो यही होगा ना..
वैसे भी अच्छा ही है
उनके सोने के बाद ही तो पिताजी अपने मिशन को पूरा कर पाएँगे
इसलिए हम दोनों ने जल्दी-2 अपना काम निपटाया और करीब आधे घंटे बाद दूध गर्म करके उन्हे देने चल पड़ी
चंद्रिका पिताजी के पास और मैं सूरज भैय्या के पास
वो अपने कमरे में बैठे अपना मोबाइल देख रहे थे
मुझे देखते ही वो एकदम से हड़बड़ा कर उठ गये और बेड पर सीधे होकर बैठ गये
भैय्या : “चंदा….वो…वो आज जो कुछ भी खेतों में हुआ….वो…”
मैं : “भैय्या, आप भी कितना सोचते है…जो हुआ सो हुआ, बचपन में भी तो ये सब होता था…अब उम्र बढ़ गयी तो इसका मतलब हम वो सब ना करे…क्या हमारा रिश्ता बदल जाएगा इन सबसे…”
पर वो शायद पूरी बात क्लियर कर लेना चाहता था
सूरज : “पर जो आज हुआ….वो सब एक भाई बहन के बीच…..नही होना चाहिए….इसलिए….अगर तुम्हे बुरा लगा हो तो…”
मैं : “और अगर अच्छा लगा हो तो…..”
सूरज : “हैं ??”
उसकी आँखे गोल हो गयी ये सुनकर
और मैं एक शरारत भरी मुस्कान के साथ उनके कमरे से भागती चली आई
शर्त लगा कर कह सकती हूँ
मेरी इस अदा को देखकर आज रात पक्का मुट्ठ मारेंगे भैय्या मेरे नाम की…
मैं फिर से सोचने लगी
इन मर्दों को अपनी उंगलियों पर नचाना कितना आसान काम है
उसे रात भर तड़पने के लिए छोड़कर मैं अपने कमरे में आ गयी और दीदी के साथ लिपटकर सो गयी
Behtreen updateदीदी को मैने बताया की आज की रात भी पिताजी ज़रूर आएँगे उनके पास और वही वशीकरण विद्या का इस्तेमाल करके हमे मज़े देंगे
दीदी को भी इस बात का पता था
इसलिए वो भी पूरी तैयार थी आज
वैसे भी छत्त पर हम दोनो ने एक दूसरे को गर्म तो कर ही दिया था
मन तो अभी भी कर रहा था वो सब फिर से करने का
पर पिताजी ने भी तो आना था
इसलिए हम दोनो ने वैसी कोई हरकत नही की
पर दोनो एक दूसरे से चिपक कर ख़ुसर फुसर जरूर करती रही
और करीब एक घंटे बाद धीरे से कमरे का दरवाजा खुला
और हम दोनो ने पिताजी को अंदर दाखिल होते देखा
हम दोनो बहने दम साधकर सोने का नाटक करने लगी
पिताजी आए और हम दोनो के चेहरे के करीब आकर हम दोनो को आवाज़ लगाई
जब कोई हरकत ना हुई तो उन्होने अपने हाथ में पकड़ी वशीकरण की किताब खोली और वही मंत्र पढ़ने लगे
एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |
करीब 5 मिनट बाद उनके सारे मंत्र समाप्त हो गये तो उन्होने हम दोनो बहनो जो झंझोर कर उठाया
अब उनके हिसाब से हम दोनो बहने उनके वशीकरण में आ चुकी थी
और हम दोनो भी बिना कोई एक्सप्रेशन दिए रोबोट की तरह उठ कर बैठ गयी
पिताजी : “चंदा अपने कपड़े उतारो ….चंद्रिका तुम भी अपने कपड़े उतारो ..”
पिताजी के इस हुक्म के लिए तो हम दोनो कब से तरस रही थी
दोनो ने अपने-2 कपड़े उतार दिए और पिताजी के सामने नंगे होकर खड़े हो गये
पिताजी ने मोबाइल की लाइट जला कर साइड में रख दिया ताकि हमारे नंगे जिस्मों को आराम से देख पाए
और हमारे नंगे जिस्म देखकर उनकी हालत पतली हो गयी
ऐसी उम्र में 2 जवान और कच्ची कलियों के नंगे जिस्म को देखना हर किसी के बस की बात नही होती
उन्होने भी अपने सारे कपड़े 1-2 करके निकाल दिए
हल्की रोशनी में उनका भारी भरकम शरीर हम दोनो पर भारी था
और सबसे ज़्यादा डरावना उनका मोटा लॅंड लग रहा था
जो एकदम कड़क होकर हमारे सामने खड़ा था
और उस लॅंड के नीचे लटक रही बॉल्स किसी क्रिकेट बॉल की तरह लग रही थी
दीदी तो पहले ही अपनी सील तुड़वा चुकी थी पर मेरा ये पहला मौका था
मैं मन ही मन आशा कर रही थी की पिताजी मुझसे ना शुरूवात करे
मुझे सच में अब डर लग रहा था
पिताजी ने हम दोनो को सामने बिठाया और हमे हुक्म दिया की उनका लॅंड चूसें
ये काम तो आसान था
हम दोनो बिना कोई प्रतिक्रिया दिए उनके सामने घुटनो के बाल बैठ गयी और उनके लॅंड को बारी-2 से चूसने लगे
उनके लॅंड से निकल रही पसीने की महक मुझे दीवाना बना रही थी
ऐसी ही महक भाई के शरीर से भी आ रही थी जब वो मेरे काफ़ी करीब था
शायद ये हमारी खानदानी खुश्बू है
पर इस वक़्त तो मेरा पूरा ध्यान उनके लॅंड को चूसने पर था
दीदी जैसे-2 चूस रही थी, उनके बाद मैं भी उनकी देखा देखी वैसे ही चूस रही थी
वो मेरे लिए एक टीचर का काम कर रही थी जो मुझे लॅंड चूसना सीखा रही थी अलग ढंग से
वो बीच-2 में उनकी बॉल्स को भी अपने मुँह में लेकर चुभलाती
और मैने भी जब ऐसा किया तो लगा कोई बड़ा सा गुलाब जामुन मेरे मुँह में आ गया है
कुल मिलाकर काफ़ी मज़ा आ रहा था
फिर पिताजी ने अचानक दीदी को नीचे गिरा दिया और खुद उनकी टांगो के बीच पहुँच गये
वो कुछ समझ पाती इस से पहले ही उनकी जीभ ने चंद्रिका दीदी की चूत का टपकता हुआ पानी चाटना शुरू कर दिया
उनकी मोटी जाँघो पर अपने चेहरे को रगड़ -2 कर उसे दांतो से काट भी रहे थे
अब दीदी की सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी
“उम्म्म्ममममम………………….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ….. अहह…. उम्म्म्मममममम”
पिताजी ने उसके चेहरे को देखा की कहीं वो वशीकरण से आज़ाद तो नही हो गयी
पर दीदी ने ऐसा कोई और संकेत नही दिया जिस से उन्हे शक होता
मैं भी अब समझने लग गयी थी, पिताजी को हमारे होश में आने का भी डर था
इसलिए मैने सोच लिया की चाहे जो कुछ भी हो जाए मैं अपने मुँह से कुछ नही निकालूंगी
मैं भी दीदी की बगल में लेटी अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी
और जल्द ही मेरा नंबर भी आ गया
दीदी की चूत को चाट-2 कर पिताजी ने उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया था
और उनकी चूत से निकला सारा पानी वो पी भी गये
दीदी ने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख निकलने से बचाई
उसके बाद जब वो मेरी टांगो के बीच आए तो उनकी जीभ के पहले एहसास ने ही मेरे शरीर को पूरा झनझना कर रख दिया
और जब उनके मोटे होंठो के बीच मेरी कुँवारी चूत आई तो मेरे सब्र का इम्तिहान हो गया
मेरी चीख निकल ही गयी
“उम्म्म्मममममममममममममममममममममममम……. अहह…….. स….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. म्म्म्मममममम”
अब पिताजी भी चपर -2 करके हमारी मलाई चाट रहे थे
उन्हे मज़ा आने लगा था
फिर वो पल भी आ ही गया जिसका हम दोनो बहनो को अंदेशा भी था और इंतजार भी
पिताजी ने अपने लॅंड पर ढेर सारा थूक मला और चंद्रिका दीदी की टांगो के बीच आ गये
उनकी नज़रें घड़ी पर भी थी क्योंकि आधे घंटे की अवधि समाप्त होने से पहले उन्हे निकलना भी था
काश घेसू उन्हे पहले ही ज़्यादा देर तक वशीकरण में रहने के मंत्र बता देता तो आज पूरी रात वो अपनी बेटियों की चुदाई करते
पर उसी मंत्र की वजह से ही तो इस चुदाई की नौबत आई थी
यानी जो भी हुआ अच्छा हुआ
पिताजी का चमकदार लॅंड देखकर दीदी का चेहरा सुर्ख हो गया
पिताजी ने जैसे ही अपने लॅंड का टोपा दीदी की कसी हुई चूत के मुँह पर लगाया तो उनके मुँह से सिसकारी निकल गयी
पर पिताजी ने उसकी परवाह किए बिना अपना पूरा भार उनके उपर डाल दिया और परिणामस्वरूप उनका लॅंड अंदर फिसलता चला गया
“आआआआआआअहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़……मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई रे…………..”
पर जितना मुश्किल लग रहा था उतना हुआ नही
पिताजी का लॅंड बड़ी आसानी से दीदी की चूत की गुफा में फिसलता चला गया
एक बार अंदर जाने के बाद वो थोड़ी देर तक रुके और फिर धीरे-2 अपनी कमर आगे पीछे करके दीदी की चुदाई करने लगे
अब दीदी के चेहरे पर सुकून के भाव थे
हालाँकि उनकी चूत की गहराई आज लॅंड ने पहले से ज़्यादा नापी थी इसलिए वो दर्द हुआ था
पर एक बार अंदर की वो झिल्ली खुलने के बाद जो मज़ा उन्हे आ रहा था वो उनके चेहरे पर सॉफ दिखाई दे रहा था
शायद उनका मान चिल्लाने का कर रहा था
पापा –पापा बोलकर चुदाई करवाने का कर रहा था
पर ऐसा करना अभी के लिए सही नही था
पर मज़े पूरे मिल रहे थे दोनो को
पिताजी भी अपनी बेटी की कसी हुई चूत में अपना मोटा लॅंड पेलकर एक दूसरी ही दुनिया में पहुँच चुके थे
पर अभी काम अधूरा था
वो आज की रात पूरी जंग जीत लेना चाहते थे
भले ही मज़े एक बारे मिले पर लॅंड वो दोनो बेटियों के अंदर पिरो देना चाहते थे आज की रात
Fantastic updateइसलिए उन्होने अपना लॅंड दीदी की चूत से निकाला और मेरी तरफ आ गये
मेरा पूरा शरीर सुन्न पड़ गया
क्योंकि ये मेरी पहली चुदाई थी
और वो भी अपने सगे बाप से
पिताजी ने उसी चाशनी में डूबे लॅंड को मेरी चूत के उपर लगाया और उसे धक्का देकर अंदर धकेला
पर वो इतनी टाइट थी की वहीँ फिसल कर रह गया
वो समझ गये की अभी तक मैं कुँवारी हूँ
पता नही दीदी के बारे में उन्होने क्या सोचा होगा जब उनका लॅंड आसानी से अंदर चला गया
पर मेरी कुँवारी चूत देखकर एक पल के लिए उनके चेहरे पर खुशी ज़रूर आ गयी
आख़िर एक बाप की जिंदगी में ये पल हर रोज नही आता जब वो अपनी कुँवारी लड़की की चूत मारे
उन्होने मेरी दोनो जाँघो को दोनो तरफ फेला दिया
और अपने लॅंड को पकड़ कर मेरी चूत के होंठो के बीच फँसाया
और उसके बीच अपने लॅंड को घिसकर उसे रगड़ने लगे
मुझे तो बाद में एहसास हुआ की वो मेरी चूत का लुब्रीकेशन अपने लॅंड पर मल कर उसे अंदर जाने के लिए तैयार कर रहे थे
और जब वो लॅंड पूरा मेरे काम रस से भीग कर रसीला हो गया तो उन्होने चूत के होंठो को फेलाया और जितना अंदर हो सकता था अपने लॅंड के सिरे को पहुँचा दिया ताकि उनके लॅंड का टोपा होंठो के बीच फँस कर फिसले ना
और जब उसके बाद उन्होने धक्का मारा तो मेरी चूत के छेड़ का वो छोटा सा दरवाजा उनकी मोटी तोप के सामने ध्वस्त होता चला गया और पिताजी अपनी तोप लेकर दनादन मेरी चूत का टोल नाका तोड़ते हुए अंदर घुसते चले गये
“आआआआआआआआययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईई……….. उहह……… मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”
दीदी ने दूसरी तरफ से आकर मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे ढाढ़स बँधाया
वो शायद जानती थी की पहली चुदाई का दर्द कैसा होता है
मेरे अंदर तो जैसे पिताजी ने अपनी गर्म तलवार उतार दी थी
बहुत दर्द हो रहा था चूत के उपर
शायद खून भी निकल रहा था अंदर से
पर पिताजी अपनी ही मस्ती में धीरे-2 झटके मारकर इंच दर इंच अपना लॅंड अंदर धकेल रहे थे
मेरी चीखे निकलती चली जा रही थी
पर पिताजी तो जैसे जानवर बन चुके थे इस वक़्त
उन्हे मेरी चीखों से भी कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
उनकी स्पीड अब तेज हो गयी
और उसके बाद तो मेरी चूत में कब दर्द गायब हो गया मुझे पता ही नही चला
अब चुदाई का असली मज़ा आने लगा था
जो जैसा पढ़ा - सुना था मैने उस से कहीं ज़्यादा मजेदार था
हाय
इतने सालो तक मैं इस सुख से वंचित रही
काश ये वशीकरण वाला आइडिया पिताजी को पहले आ गया होता
ऐसे ही जवानी के 2-3 साल बर्बाद कर दिए
पर अब नही करूँगी बर्बाद
पहली बार का डर था जो अब जा चुका था
अब ऐसा नही होने दूँगी अपनी प्यारी पुस्सी के साथ
जितना हो सके उतना मज़ा दूँगी इसे
दीदी साइड में लेटी हुई अपनी चूत मसल रही थी
अब मैं भी पिताजी से चिपक -2 कर उनके लॅंड को और ज़्यादा अंदर ले रही थी
उचक कर उनके होंठो को चूस भी रही थी
उनके सिर को अपनी नन्ही बूबीयों के उपर घिस भी रही थी
और जैसे ही उनके होंठो ने मेरे पिंक निप्पल्स को चूसते हुए 2-4 तेज झटके मारे , मेरे अंदर का ज्वार भाटा बाहर निकलता चला गया
मैं झटके मार-मारकर झड़ने लगी
ऐसा लग रहा था की बरसों से जिस बाँध को अंदर रखा हुआ था वो आज पूरी तरहा टूटकर बाहर आने को तैयार था
झड़ते हुए मेरे मुँह से अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी
“उगगगगगगगगघह ….. उम्म्म्मममममममममममममममम……. अहह …सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. पीईईईईईईईईताजी…….”
और अंत में ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से पिताजी निकल ही गया
पर गनीमत रही की पिताजी ने नही सुना वरना उन्हे पता चल जाता की मैं होश में हूँ.
कुछ देर मेरे अंदर घिसाई करने के बाद पिताजी फिर से एक बार दीदी की तरफ चल दिए
मेरी चूत से निकले लॅंड पर लाल रंग लगा हुआ था जो मेरी सील टूटने का प्रमाण था
मैने कपड़े से अपनी चूत से निकल रहा खून सॉफ किया और फिर ढेर सारा थूक लगा कर उसे अपनी उंगलियों से रगड़ने लगी
अब पिताजी ने दीदी को घोड़ी बना कर अपना मोटा लॅंड पीछे से अंदर डाल दिया
दीदी भी हिनहीना कर उनके लॅंड को लेकर दौड़ती चली गयी
पिताजी के लॅंड की स्पीड और उनकी गांड हिलाने की स्पीड एक से बढ़कर एक थी
और जल्द ही वो पल आ गया जब पिताजी के लॅंड से पानी निकलने को हो गया
उन्होने जल्दी से लॅंड को बाहर खींचा और हम दोनो को सामने बैठने को कहा
और जैसे ही दोनो सामने बैठी उनके लॅंड से निकले सफेद रस ने हम दोनो के चेहरों को रंगना शुरू कर दिया
उफ़फ्फ़
कितना गर्म था वो रस
एकदम दूध से उतरी मलाई जैसा
गाड़ा और रसीला
मीठा और स्वादिष्ट
हम दोनो ने जी भरकर वो रस पिया
और फिर एक दूसरे को चेहरे को भी चाट -चाटकर सॉफ किया
हम दोनो ये सब करने में लगे थे और पिताजी ने जल्दी-2 अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए
अभी तो आधा घंटा ही हुआ था
काश हम बोल पाते की पिताजी आज की रात यही रह जाओ ना
उन्होने जाने से पहले अपना आख़िरी हुक्म दिया की दोनो जल्दी से कपड़े पहनो और सो जाओ
हम दोनो कपड़े पहनने की एक्टिंग करने लगे और वो बाहर निकल गये
उनके जाते ही हम दोनो खुशी से चिल्लाते हुए एक दूसरे के गले लग गये नंगे ही
और अगले ही पल मैं और दीदी एक गहरी स्मूच में डूब गये
आज की रात यादगार रहने वाली थी
इसलिए उस रात हम दोनो ने कपड़े नही पहने
ऐसे ही नंगे लेटकर एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे
और आने वाले दिनों में क्या-2 होगा उसके बारे में बात करते रहे.