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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४७

वो इतने दिन वहा रही.. लेकीन अ‍ेक बारभी भावनाने उनसे अच्छी तराह बात नहीकी.. उनका देवायतके प्रती लगाव ओर जुकाव देखकर समज गइ थी.. की कहीना कही.. भावनाका देवायतके साथ कुछ तो सबंध हे.. ओर उपरसे भानुका रीटाको घरपे लेजाना.. ये सब बातोसे सरलाको यकीन हो गया था.. की अब भावना भानुके साथ कभी नही रहेगी.. लेकीन उनको तो अपने तनकी आग बुजानेसे मतलब था.... अब आगे

तो दुसरी ओर सहेरमे साम होते ही लखन अपनी नइ कार लेकर नीलमको आगे बीठाकर बाजारमे चला गया.. रास्तेमे वो नीलमके साथ छेडखानी करने लगा.. तो नीलम भी सरमाके लखनको सब कुछ करने दे रही थी.. लखन अ‍ेक हाथसे ड्राइव करते दुसरे हाथसे नीलमकी चुतको सहेला रहा था.. तो नीलम भी आंख बंध करते चुत सहेलवानेका मजा ले रही थी.. ओर सरमाते हस रही थी..

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लखन : (हसते) नीलु.. क्या हस रही हो..

नीलम : (सरमाकर हसते धीरेसे) जीजु.. आप भी धिरेनकी तराह हो.. मुजे गरम करके छोड देते हो.. कीतनी बार आपको कहा.. लेकीन आप समजते ही नही.. इनसे तो अच्छा हे हम अ‍ेक बार अच्छेसे मीलले.. क्या कहेते हो..? क्युकी अब तो आपके बीना रहा भी नही जाता..

लखन : (मुस्कुराते) नीलु.. हम मील तो लेगे.. लेकीन सोचले.. फीर तु दो दिन बीस्तरसे उठ नही पायेगी.. तेरी हालत खराब होजायेगी.. फीर घरपे सबको क्या कहोगी..? थोडा सही समय आनेदे.. फीर सबकुछ होगा.. जो तु चाहती हे.. आज तो तेरी सृती दीदीके साथ सुहागरात मनाउगा.. फीर दो तीन बाद पुनोदी भी आजायेगी.. फीर उनकी बारी.. फीर तेरे बारेमे सोचते हे..

नीलम : (आस्चर्यसे हसते) क्या..? सृतीदीके साथ..? सब तैय हो गया..? क्या इसीलीये हम ये सब लेने जा रहे हे..?

लखन : हां.. आज उनको बर्थडेकी सरप्राइज देनी हे.. ओर गीफ्टमे सुहागरात.. उनको वो सुख चाहीये जो अभी तुजे चाहीये.. सबर करले.. तेरी भी बारी आयेगी..

नीलम : (कामुक नजरोसे सरमाते धीरेसे) ठीक हे जीजु.. मे उस दिनका इन्तजार करुगी.. पता नही वो दीन कब मेरे नसीबमे होगा..

लखन : (मुस्कुराते) अरे होगा.. तु फीकर मत कर.. अ‍ैसा होगाकी हम डायरेक्ट हनीमुन ही मनायेगे..

फीर दोनो बाते करते बाजारमे आगये.. वहा बर्थडेके लीये कुछ सजानेका सामान लीया.. फीर दोनो अ‍ेक अच्छीसी बेकरीपे चले गये.. वहा लखनने सृतीका नाम लीखवाकर अ‍ेक बडासा केक लेलीया.. ओर दोनो वापस कारमे आगये.. ओर घरकी ओर नीकल पडे.. तभी नीलमने सरमाकर लखनको लोंग ड्राइवपे लेजानेका आइडीया दीया.. फीर दोनो घरपे आगये.. नीलमने सभी सामान नीचे अपने वाले रुममे रख दीया ओर केकको भी फ्रिजमे रख दीया..

फीर रजीया ओर नीलम सामका खाना बनानेमे जुट गइ तो लखन अपनी नइ कार लेके होस्टेलपे चला गया.. राधु लखनको देखते ही उनकी बाहोमे समा गइ.. सभी लडकीया खानेके लीये नीचे आगइ थी.. फीर लखन ओर राधीका प्यारकी बाते करने लगे.. राधीकाने लखनको बतायाकी वो ओर उनकी मम्मी.. लखनकी फेमीलीसे मीलकर बहुत खुस हे.. ओर राधीकाने भी सभी रीस्तोको अ‍ेक्सेप्ट करलीया हे..

फीर दोनो घरपे आ गये.. राधीका अपनी मम्मीको खाना खीलाने लगी.. तो रजीया भी खाना लेकर सृतीके पास चली गइ.. तो आज रजीयाको देखकर सृतीको अच्छा नही लगा.. उनको लगाथा की लखन उनको खीलाने आयेगा.. लेकीन आज लखन जान बुजकर सृतीको खीलाने नही गया.. तो सृती अपने हाथोसे ही खाने लगी.. ओर रजीया थोडी देर वही खडी रहेते मुस्कुराती रही.. तभी..
 

dilavar

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सृती : (सरमाते धीरेसे) रजुदीदी.. वो.. आज लखन भैया नही आये..? कही बहार गये हे क्या..?

रजीया : (मुस्कुराते) नही.. नीचे ही हे.. वो मम्मीजीके पास बैठे हे.. आज वो लोग जा रहे हेनां.. तो उनसे बाते कर रहे हे..

सृती : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? राधु दीदी जा रही हे..? लेकीन क्यु..?

रजीया : (पास बैठते) दीदी.. उनकी मम्मीको घर याद आगया.. तो वो घर जानेकी जीद कर रही थी.. तो मंजु दीदीने उसे घर जानेकी परमीशन देदी.. अभी खाना खालेनेके बाद लखन उन दोनोको छोडने जा रहे हे.. इसीलीये लखन उनके पास बैठे हे.. आपको कुछ काम हे क्या..? तो उनको भेजती हु..

सृती : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. मे तो बस.. अ‍ैसे ही पुछ रही थी..

रजीया : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. आपसे अ‍ेक बात कहेनी हे.. कुछ दिनसे पेटमे कुछ जलन जैसा ओर भाभी भारी लगता हे.. ओर बैचेनी जैसा भी लगता हे.. तो मुजे कुछ हुआ तो नही..?

सृती : (मनमे खुस होते) हंम.. हुआ तो नही.. लेकीन.. मुजे लगता हे कुछ दिनोमे जरुर कुछ होगा..

रजीया : (चीन्तासे) दीदी.. क्या होगा..? कुछ बीमारी आयेगी क्या..? बताइअ‍ेनां..?

सृती : (खाना खाकर मुस्कुराते) हां.. बहुत बडी बीमारी.. हें..हें..हें..

रजीया : (जटसे) दीदी.. प्लीज.. मजाक नही.. सीरीयसली पुछ रही हु.. कहीयेनां क्या बीमारी आयेगी..?

सृती : (मुस्कुराते) हां.. पहेले आपका बीपीमे थोडा चेन्ज आयेगा.. फीर आपको उल्टीया होने लगेगी.. ओर थोडी कमजोरी ओर चकर जैसा लगेगा.. फीर लखन भैया आपको होस्पीटल लेकर जायेगे.. वहा आपके कुछ रीपोर्ट होगे.. ओर वो रीपोर्ट पोजीटीव आयेगा.. तो आप रो पडेगी.. हो सकता हे तब लखन भैयाकी आंखोमे भी आंसु आजाये.. फीर डोक्टर आपको कुछ दवाइया देगी.. ओर धीरे धीरे आपका पेट बढने लगेगा..

रजीया : (आंख गीली करते) हाइ दइआं.. क्या इतना सब होगा..? लेकीन बीमारी क्या होगी.. येतो बताइअ‍े..? इनका कुछ नामतो होगानां..?

सृती : (मुस्कुराते) हां हेनां.. इस बीमारीका नाम हे प्रेगनेन्सी.. हें..हें..हें..

रजीया : (खुसीसे सोक्ट होते) व्होट..? आइ मीन.. मे.. प्रेगनेन्ट..

सृती : (जोरोसे हसते) हां रजु दीदी.. सायद यही हे.. पका तो अ‍ेक हप्तेके बादही पता चलेगा.. हें..हें..हें..

रजीया : (खुसीके मारे रोते सृतीको मुका मारते) दीदी.. अ‍ैसा मजाक भी कोइ करता हे..? आपने तो मुजे डरा ही दीया था..

कहेते रजीया अपने दोनो हाथोमे मुह छीपाकर आंसु बहाने लगी.. तो सृतीने उसे अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर रजीयाके सरको सहेलाते हसती रही.. रजीया भी अपने आंसु पोछते हसने लगी.. ओर सृतीके गले लग गइ.. फीर दोनो थोडी देर अ‍ैसे ही बेठी रही.. सृतीने उनको अलग कीया ओर मुस्कुराते रजीयाकी ओंखोमे देखती रही.. तो रजीया सर्मसार होगइ.. ओर अपनी नजर जुकाली..

सृती : (मुस्कुराते) दीदी.. आइ अ‍ेम सोरी.. क्या हेना. लखन भैया मेरे साथ बहुत मजाक करते हे.. तो सोचा थोडा मेभी करलु.. दीदी.. आप खुस तो हेनां..? अभी कीसीको कहीयेगा नही.. जब हम आपकी रीपोर्ट करेगे तब आप अपने पतीको बता देनां..

रजीया : (खुस होते हांमे गरदन हीलाते) हंम.. ठीक हे.. देखना इस मजाकका बादला मे जरुर लुगी.. ओर वो भी आज.. आप सोच भी नही सकती.. सुबह मुजे बताना.. हें..हें..हें..

कहेते रजीया सृतीकी ओर देखकर जोरोसे हसती नीचे चली गइ.. तो सृती उनको मुह फाडते देखती ही रही.. उनको समजमे नही आयाकी रजीया अब उनके साथ कैसा बदला लेगी.. जैसे ही रजीया नीचे आइ.. सबलोग खाना खाने बैठ गये.. लखनकी अ‍ेक तरफ राधीका तो दुसरी ओर रजीया बैठ गइ.. तो आज रजीया सृतीकी बातसे बहुत खुस नजर आ रही थी.. तो नीलम आज लखनके सामने बेठी थी..

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तभी लखनको अपने पैरपे कीसीका पैर महेसुस हुआ.. तो लखनने टेडी नजरसे सबकी ओर देखा तो नीलम कामुक स्माइल करते लखनकी ओर देखते हस रही थी.. लखन समज गयाकी आज उसने रास्तेमे नीलमको छेडा था इसकी वजहसे नीलम अ‍ैसा कर रही हे.. तो लखने भी नीलमके पैरोको सहेलाया.. ओर सहेलाते सहेलाते उपरकी ओर लेजाने लगा.. तो नीलम सर्मसार होने लगी..

उसने सबकी ओर देखते अपने दोनो पैर थोडा फैला दिये.. तो लखनने अपना पैर सीधा नीलमकी जांगोमे फसादीया.. ओर अंगुठेसे नीलमकी चुतको खरोदने लगा.. नीलमने खाना खाते अपनी आंख जोरोसे बंध करते भीचली.. ओर अपने दोनो पैरको सीकुडने लगी.. लखन लगातार नीलमकी चुतको रगड रहा था.. जीनकी वजहसे नीलम भी उतेजीत होगइ.. ओर उसने दोनो पैर खोल दीये..

वो खाना खाते अपनी चुतकी खुदाइको अ‍ेन्जोय करने लगी.. तब कुछ ही देरमे वो अपनी चरमपे पहोंच गइ.. ओर कांपते हुअ‍े अपने पैरको सीकोडने लगी.. कुछ ही देरमे लखनको अपने अंगुठेपे गीलापन महेसुस हुआ.. तो वो समज गयाकी नीलम जड चुकी हे.. ओर लखनने अपना पैर वापस खीच लीया.. तबतक राधीका ओर रजीया बाते करते खाना खाती रही.. ओर सबने खाना फीनीस कीया..
 
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dilavar

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नीलम : (जटसे खडी होकर उपर जाते) दीदी.. मे अभी आइ.. आप बर्तन मत लेना.. मे आकर लेलुगी..

रजीया : (सामने देखते) ये लडकी भीनां.. लता दीदी इनकी जीम्वेवारी मुजे देकर गइ हे..

राधीका : (मुस्कुराते) हां अब जवान लडकी हे.. तो सम्हालना मुस्कील हो जाता हे.. चलीये मे मदद करती हु..

रजीया : (मुस्कुराते) नही दीदी आप अपना सामान देखीये.. हम अभी कर लेगे.. आपको जाना भी हे.. अभी लखन आपको छोड देगे.. दीदी.. फीर वापस कब आओगी..?

राधीका : (मुस्कुराते) देखती हु.. अब जब तक मम्मीका मन होगा तबतक वहा रहेगे.. वरना वापस आजायेगे.. अब तो यहासे जानेका मेरा भी मन नही करता.. मम्मीकी वजहसे जाना पड रहा हे..

लखन : (खडा होते) राधु.. सामान पेक करलो.. फीर मे मम्मीको कारमे बीठाता हु..

राधीका : (मुस्कुराते) लखन.. पेक ही हे.. आप मम्मीको बीठादो.. मे सृती दीदीको मीलकर सामान लेकर आ रही हु..

फीर राधीका सृतीको गले मीलकर नीचे आगइ.. तो लखनने राधीकाकी मम्मीको गोदमे उठालीया.. राधीका भी सामान लेकर साथ चलने लगी.. ओर लखनने उनकी मम्मीको आगे बीठा दीया.. राधीका रजीया ओर नीलमको गले मीलने लगी.. ओर खुदभी सामानके साथ कारमे बैठ गइ.. ओर लखन कार लेकर उनके घरकी ओर चल पडा.. रास्तेमे लखनने दुध ओर कुछ सब्जीया भी लेली..

फीर तीनो घरपे आ गये..तो राधीकाने घरका ताला खोला ओर अपनी मम्मीका बेड सही करदीया.. लखन उनको गोदमे उठार घरमे ले आया ओर बेडपे सुला दीया.. तो राधीकाकी मम्मी खुस होगइ.. ओर लखनको आशीर्वाद देने लगी.. फीर लखनने राधुका भी सामान रखनेमे मददकी.. ओर मदद करते दोनो प्यार करने लगे.. ओर प्यार करते बहेकने लगे.. कुछ ही देरके बाद दोनोके कपडे अ‍ेक कोनेपे पडे अपनी कीस्मतपे रो रहे थे..

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बेडपे दो जीस्म अ‍ेक दुसरेके अंदर समा जानेकी होडमे लगे हुअ‍े थे.. लखन बडे ही प्यारसे राधुके होठोको चुमते उनकी चुदाइ कर रहा था.. ना जाने लखनने राधुको कीतनी बार जडा दीया.. ओर अपने पानीसे दो दो बार राधुकी चुतको हरी भरी करदी.. फीर दोनोने अपने कपडे पहेनलीये ओर अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा गये.. फीर लखन राधुके होठोको चुमकर वहासे नीकल गया.. ओर सीधा अपने घरपे आगया..

तबतक वहा भी रजीया ओर नीलमने मीलकर अपना सारा काम नीपटा लया था.. ओर दोनो रबरके बलुन फुलाकर सृतीके बर्थडेकी सजावट कर रही थी.. तो लखन भी उनकी मदद करने लगा.. तो कुछ ही देरमे तीनोने पुरा होल सजा दीया.. फीर तीनो बाराह बजे नीचे मीलनेका कहेकर घर बंध करके आराम करने चले गये.. लखनने रुममे जाते ही रजीयाको भी दो बार जमकर पेल लीया..

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फीर लखन नहानेके लीये बाथरुममे घुस गया.. तो रजीया नीलमको जगाने गइ.. सृती भी सो गइ थी.. तो रजीया नीलमको जगाकर सृतीके रुममे चली गइ.. ओर उसे जगाकर बाथरुममे जानेके लीये पुछा.. सृती आंख मलते बेडपे बैठ गइ.. ओर रजीयाने उनको सहारा दीया.. प्लास्टीककी चेरके सहारे सृती बाथरुममे चली गइ.. ओर फ्रेस होगइ.. फीर वापस बेडपे आगइ.. ओर अपने बेडपे बैठ गइ..

तबतक लखन भी कंपलीट होकर सृतीके पास आगया.. तो सृती लखनको देखकते ही खुस होगइ.. ओर सरमाते मुस्कुराने लगी.. तभी सृतीसे छुपकर लखनने रजीयाको इसारा कीया तो रजीया मुस्कुराते नीचे चली गइ.. ओर नीलमके साथ मीलकर बर्थडेकी तैयारीया करने लगी.. जैसे ही रजीया चली गइ सृतीने लखनको हाथ पकडकर अपने पास बीठा दीया.. ओर उनके होठोको चुम लीया..

सृती : (सरमाते हसते) भाइ.. क्या बात हे.. अभी तक मीया बीवी जाग रहे हो.. कोइ खास बात हे क्या..? ओर मुजे भी जगा दीया..? आपका इरादा तो नेक हेनां..? हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) हां दीदी.. इरादा तो नेक हे.. लेकीन आजकल मेरी दीदीका इरादा नेक नही लग रहा.. तो सोचा चलो आज इनको सरप्राइज देही देता हु..

सृती : (मनमे खुस होते मुस्कुराते) वाव.. भाइ.. बताओ क्या सरप्राइज हे मेरे लीये..

लखन : (मुस्कुराते) देखो कीतने बजे हे..? फीर सरप्राइज मीलेगी आपको..

सृती : (घडीकी ओर देखते) कीतने बजे हे मतलब..? बाराह बजके पांच मीनीट.. इनका सरप्राइजसे क्या तालुक..? भाइ बताओनां..?

लखन : (खडा होकर सृतीकी अांखोके पटी बांधते) मतलब हे इसीलीये तो पुछ रहा हु..

सृती : (हसते) भाइ.. क्या कर रहे हो..? आंखोपे पटी क्यु बांध रहे हो..? आपका इरादातो नेक हेनां..?

लखन : (पटी बांधते मुस्कुराते) चुप.. अ‍ेकदम चुप.. अब आप चुपचाप बैठीये.. जो मे कर रहा हु करने दीजीये.. अभी आपको सब पता चल जायेगा..

कहेते लखनने सृतीकी आंखोमे पटी बांधकर उसे गोदमे उठालीया.. ओर नीचे होलकी ओर चल पडा.. सृती लखनके गलेमे बाहोका हार पहेनाते हस रही थी.. उनको कुछ समज नही आ रहा थाकी सब क्या हो रहा हे.. ओर लखनने नीचे आकर सृतीको सोफेपे बीठा दीया.. नीलमने हसते हुअ‍े टेबलको सृतीके सामने रखदीया जीसमे फुलोकी सजावटके बीच सृतीकी बर्थडे केक रखी हुइ थी..
 
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लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. अब आपकी सरप्राइजके लीये तैयार होजाइअ‍े..

सृती : (मुस्कुराते) अरे बाबा.. मे तैयार ही हु.. ये पटीतो खोलीये..

पुरे होलमे अंधेरा छाया हुआ था.. तभी नीलमने केकके उपर रखी मोमबतीया जलाइ.. ओर लखनने धीरेसे सृतीकी आंखोकी पटी खोलदी.. तो पुरे होलमे अंधेरा छाया हुआ था.. ओर मोमबतीका प्रकाश सबके चहेरेपे पड रहा था.. सृतीने पहेले तीनोकी ओर देखा.. ओर धीरेसे नीचेकी ओर नजरकी.. तो टेबलपे बडासा केक रखा हुआ था.. ओर उसमे हेपी बर्थडे सृती.. लीखा हुआ था.. तो सृती केक देखकर चोंक गइ..

ओर लखनकी ओर देखने लगी.. तीनोने तालीया बजाकर हेपी बथ्रडेका गाना सुरु कीया.. तो सृती अवाचक बनके तीनोको देखती रही.. तभी लखनने सृतीके हाथोमे गाना गाते छुरी दी.. तो सृतीकी आंखोसे आंसु बहेने लगे.. उसने छुरी टेबलपे रखदी.. ओर लखनकी ओर दोनो हाथ फैलाकर उसे हग करनेका इसारा कीया.. तो लखन सृतीके गले लग गया.. ओर सृती जोरोसे फुटफुटके रोने लगी..

लखन : (हसते सांत करते) दीदी.. क्या हुआ..? अ‍ैसे रो क्यु रही हो..? सांत होजाओ.. आपका बर्थडे हे..

सृती : (आंसु बहाते) भाइ.. आइ लव यु.. आइ लव यु.. मुजे इतना प्यार मत करो.. मेतो भुल ही गइ थीकी मेरा बर्थडे भी आता हे.. आइ लव यु सो मच..

रजीया : (मुस्कुराते सृतीके आंसु पोछते) बस दीदी सांत होजाइअ‍े.. यही तो थी सरप्राइज.. ओर आज आपको अ‍ेक ओर सरप्राइज भी मीलने वाली हे.. तब आप क्या करोगी..? सांत होजाइअ‍े..

सृती : (आंसु पोछते मुस्कुराते) आप लोगोकी सरप्राइज खतम होगीकी नही..? थेन्क्स दीदी.. थेन्क्स नीलु..

लखन : (हसते) अरे..? तो मुजे थेन्क्स नही कहोगी..?

सृती : (कामुक नजरोसे मुस्कुराते) नही.. आपको अ‍ैसे थेन्क्स नही कहुगी.. चलीये केक काटते हे..

ओर सृतीने छरी उठाकर केक काटा.. ओर रोते हुअ‍े अ‍ेक टुकडा लखनको खीलाया.. तो लखनने आधा ही टुकडा खाया.. ओर बाकी बचा सृतीके मुहमे देदीया.. फीर सृतीने रजीया ओर नीलमको भी केक खीलाया.. ओर उन दोनोने भी सृतीको बथ्रडे वीस करते मुह मीठा करवाया.. तभी सृती रजीयाके सहारे खडी होगइ.. ओर लखनसे लीपट गइ.. तो लखनने सृतीको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया..

नीलम भी सृतीके लीये पानी लेकर आगइ.. फीर चारो सोफेपे बैठ गये.. तबभी सृती लखनकी कमरमे हाथ डालकर उनके कंधेपे सर रखके बैठी थी.. रजीया सबके लीये आइसक्रिम लेने चली गइ.. तो नीलम भी उनके पीछे जाने लगी.. दोनो लखन ओर सृतीके कुछ देर अकेले छोडदेना चाहते थे.. ताकी दोनो अकेल बात कर सके.. सृती लखनकी आंखोमे दखकर मुस्कुराने लगी..

सृती : (मुस्कुराते) भाइ.. थेन्क्यु सो मच.. क्या आपको मेरा बर्थडे याद था..?

लखन : (सृतीके बालको सहेलाते) हंम.. मेरी दीदीका बर्थडे कैसे भुल सकता हु.. हेपी बर्थडे माय स्वीट हार्ट..

सृती : (बैठेही बाहोमे भीचते) मेरा स्वीट भाइ.. भाइ.. मुजे तो पता ही नही.. की मेने अपना बर्थडे कीन साल मनाया.. मे तो सब भुल ही गइ थी.. थेन्क्यु सो मच.. लेकीन आपको बताया कीसने..?

लखन : (सृतीके गाल चुमते) हंम.. हेनां आपकी प्यारी सौतन.. मेरी मेरी स्वीट दीदी.. हें..हें..हें..

सृती : (मुस्कुराते) ओह.. पुनो दीदीने..? हां.. उनको सब पता हे.. भाइ.. उस दिन आपने कहा था.. की सरप्राइज देखकर आप रो पडोगी.. भाइ.. आपने सचमे मुने रुला दिया.. आइ लव यु सो मच..

लखन : (मुस्कुराते) दी.. अब ओर क्या चाहीये आपको..?

सृती : (हसते सामने देखते) भाइ.. मेरा गीफ्ट..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. बोलो क्या चाहीये आपको..? पुरा दिन पडा हे.. जो आप बोलोगी दीलवा दुगा..

सृती : (हसते) अच्छा..? मे जो बोलुगी.. देदोगे..? देखना फीर मुकर मत जाना.. क्युकी गीफ्ट बहुत महेंगी हे..

लखन : (मुस्कुराते) क्या मेरी दीदीसे भी महेंगी हें..? बोलो.. क्या चाहीये..

सृती : (सीनेमे सर छुपाते धीरेसे) वो प्यार.. जो मे चाहती हु..

कहेते सृतीने लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर आंख गीली करते लखनके सीनेमे सब छुपा लीया.. तभी रजीया ओर नीलम चारोके लीये आइसर्किम लेकर आगइ.. तो सबने मीलकर आइसर्किम खाइ.. सृती लखनको खीलाती रही तो लखन सृती रजीया ओर नीलमको खीलाता रहा.. फीर कुछ देर बाते करते बैठे रहे.. तभी सृतीके मोबाइलकी रींग बजने लगी.. देखा तो पुनमका फोन था..
 
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dilavar

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पुनम : (फोन उठाते ही) हेपी बर्थडे माय स्वीटहार्ट.. जन्म दिनकी खुब खुब बधाइ हो.. कैसी हो दीदी..?

सृती : (आंख गीली करते मुस्कुराते) थेन्क्यु दी.. बस.. हम सब नीचे होलमे हे.. अभी बर्थडे सेलीब्रेट कीया.. आप कैसी हो..? दीदी.. आइ मीस यु.. आजाओ प्लीज..

पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. सेम टुयु दी.. मेभी आप सबको बहुत मीस कर रही हु.. सायद दो तीन दिनमे वहा आजाउगी.. कहीये.. क्या कर रहे हे हमारे सैया..? आपने अपना बर्थडे गीफ्ट लेलीया..? हें..हें..हें..

सृती : (लखनकी ओर देखते मुस्कुराते) नही यार.. अभी तक तो नही लीया.. बस.. हम वोही बात कर रहे थे.. अभी यही बैठे हे.. मेरे पास..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. आज अच्छा मौका हे आपके पास.. अपना बर्थडे गीफ्ट लेलो..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. मे भी यही सोच रही थी.. ठीक हे.. देखती हु..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. फोन जरा भाइको देनां.. मुजे उनसे बात करनी हे..

सृती : (सरमाते हसते) हां देती हु.. (फोन देते) भाइ.. दीदी आपसे बात करना चाहती हे..

लखन : (फोन लेते) हाइ स्वीटहार्ट.. कैसी हो..? कहीये.. क्या बात करनी हे..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे) जानु.. आज दीदीका बर्थडे हे.. तो आज आप उनको खुस करदो.. समज गयेनां..? ओर देखना.. आज उनपे कोइ रहेम मत करना.. समज गये..?

लखन : (हसते सृतीकी ओर देखते) हंम.. समज गया.. ठीक हे.. लो रजुसे बात करलो..

रजीया : (फोन लेते हसते) हां दीदी कहीये.. कैसी हे आप..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. मे मजेमे हु.. सुनो.. आज उन दोनोको अकेले सोने देना.. समज गइनां..?

रजीया : (हसते लखनकी ओर देखते) हंम.. समज गइ.. दीदी यही होगा जो आप चाहती हे..

पुनम : दीदी.. फोन जरा नीलुको देना..

रजीया : (मुस्कुराते फोन देते) नीलु.. येले.. दीदी तुमसे बात करना चाहती हे..

नीलम : (आस्चर्यसे देअचे फोन लेते) मुजसे..?

रजीया : हां तुमसे.. येले बात कर..

नीलम : (फोन लेते) हेलो दीदी.. मे नीलम..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) नीलु.. तुम मुजसे बात क्यु नही करती.. सुन.. आज सृतीदीका दीन हे.. मुजे तुमसे ढेर सारी बात करनी हे.. तुम अपने रुममे जाओतो मुजे कोल करना.. बाकी बाते हम मीलेगे तब करेगे.. ओके.. चल रखती हु..

नीलम : (मुस्कुराते) जी दीदी.. बाय..

पुनमने नीलमसे भी अच्छेसे बात करली.. क्युकी उनके लीये तो नीलम धिरेनसे अलग होनेका अ‍ेक जरीया मात्र थी.. ओर वो नीलमके भवीस्यके बारेमे भी जानती थी.. इसीलीये पुनमको नीलमके प्रती कोइ रागद्नेस नही था.. जब बाते होगइ तो नीलम ओर रजीया यहाका सब समेटने लगी.. ओर सोनेके लीये उपर जाने लगी.. लखनने भी सृतीको अपनी गोदमे उठालीया.. ओर उनके रुमकी ओर चल पडा..

तो दुसरी ओर आज गांवमे भी सामके वक्त डो. वसुधा अपनी क्लीनीकपे थी.. देवायत उनके घरपे चला गया.. वहा चारु ओर नीशाकी जमकर चुदाइ करली.. जबतक वसुधा घरपे नही आइ तबतक तीनोके बीच चुदाइका खेल चलता रहा.. ओर तीनोको वसुधासे कोइ सरम संकोच नही था.. अब तो देवायत वसुधाकी हाजरी मे भी कइ बार चारु ओर नीशाको अपनी आगोसमे लेकर चुम लेता था..

जीसे देखकर अब वो भी उतेजीत होने लगी थी.. ओर उनकी चुत भी हल्कीसी गीली होने लगी थी.. अब वसुधाके सरीरमे काफी बदलाव आगया था.. उनके दोनो बुब्स थोडा भरावदार होगये थे.. ओर बाल भी काफी बढने लगे थे.. जो उनके कंधेसे नीचे आगये थे.. जब वो पुरुष थी तब अ‍ेक ही सख्सने उनका बहुत खयाल रखा था.. ओर वो था मुना.. वसुधाको आज भी मुनाके प्रती कुछ विसेस इतना लगाव था..

जो अभी भी वो ओर बरखा उनकी क्लीनीक संम्हालते थे.. मुना अभी सुधीरको नही पहेचान पाया था.. ओर उपरसे सुधीर लेडीस होगया था.. तो मुना उनकी बहुत रीस्पेक्ट करने लगा था.. जीसे देखकर वसुधा भी मजे ले रही थी.. लेकीन वो मुनाका अहेसान कभी नही भुली थी.. क्युकी अ‍ेक मुना ही था.. जब वो अ‍ेक मर्द होते हुअ‍े भी अ‍ेक ओरतकी तराह अपनी काम वासना मुनासे पुरी करती थी..

मुनाने उनको वो हर सुख दीया जो वो चाहता था.. तो अब ओरत होनेके बाद वो मुनाका अहेसान कैसे भुल सकती हे..? इसीलीये आज ओरत होनेके बावजुद भी उनकी पहेली पसंद मुना ही था.. उनको पता था की मुना आयुर्वेदके बारेमे बहुत कुछ जानता हे.. ओर उन्होने ही अपने सभी दोस्तोको कामोतेजनाकी जडी बुटी पीलाइ हे.. ओर उनके सभी दोस्तोमे आये हुअ‍े बदलावके बारेमे भी जानती थी..
 

dilavar

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तो दुसरी ओर रश्मी ओर वंदना भी वापस गांवमे आ गये थे.. तो पुनम ओर लता उनको मीलने चली गइ.. फीर दोनोको देवायत ओर मंजुने कही बदलावकी बात बतादी.. जीसे सुनकर रश्मीको तो कोइ फर्क नही पडा लेकीन वंदना थोडी मायुस होगइ.. जब रश्मी चारोके लीये चाइ बनाने चली गइ.. तब पुनमने वंदनाको अकेलेमे उनकी पुरी कहानी बतादी.. ओर वंदनाको समजाया तब जाके वंदना मान गइ..

वंदना : (सरमाते धीरेसे) पुनो.. क्या तु सचमे लखन भैयासे सादी कर रही हे..? ओर लता भाभी भी बडे भैयासे..? मेरी तो कुछ समजमे ही नही आता..

पुनम : (मुस्कुराते) वंदु.. तुजे कहा तो सही.. अब जो भी होगा अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे होगा.. तो फीर तु क्यु गभरा रही हे..? तेरी मर्जीके बगैर लखन भैया तेरे सामने देखेगे भी नही.. पुछले लताको..

लता : (मुस्कुराते) हां वंदु दीदी.. आप तो वो कहानी पुरी जानती हे.. ओर हम सब वही तो हे.. मे भी अपनी मर्जीसे यहा आइ हु.. ओर भाइसे सादी कर रही हु.. ओर फीकर मत करो.. बहुत जल्द भाइ भी आपसे सादी कर लेगे.. तो आपको इस बच्चेकी चीन्ता करनेकी जरुरत नही हे.. इसीलये तो लखनको जडीबुटी दी हे..

वंदना : (सरमाते हसते) तो फीर ठीक हे..

फीर चारोने चाइ पीते भी इस बारेमे बहुत सारी बातेकी.. ओर लखनके अंदर आये बदलावके बारेमे भी बात हुइ.. फीर चारुके नये सरपंच बननेकी बात भी हुइ.. जीसे सुनकर वंदना भी खुस हो गइ.. तो रश्मीके मनमे लडु फुटने लगे.. क्युकी उनको अ‍ेक नया लंड मीलने वाला था.. लेकीन उसने अपने चहेरेपे जाहीर नही होने दिया.. फीर दोनोसे बात करके पुनम ओर लता वापस घरपे आगइ..

अब तो मंजुने भी अपनी सभी सौतनोको अ‍ेक ही रुममे सोनेके लीये बुला लीया था.. तो चंदा दया के साथ भावनाको भी अपने रुममे लेजाने लगी.. अब सबको अ‍ेक दुसरेके बारेमे पता चल चुका था.. सबको पता थाकी अब भावनाको यही रहेना हे.. ओर देवायतके साथ उनका रीलेशन हे.. तो देवायत बारी बारी सबकी जमकर दो दो बार चुदाइ करलेता.. ओर मंजुका वीसेस खयाल रखता..

तो आज भी जो भावनाकी चुतमे धमाका कर रहा था.. चंदा भी काफी हद तक सदमेसे बहार आ चुकी थी.. जब भी उनको चुदवानेकी इच्छा होती.. तो वो पहेले ही देवायतसे सामनेसे कहेकर अपनी धमाकेदार चुदाइ करवा लेती.. लेकीन जबसे धिरेन पुनमका इस्यु हुआ तबसे वो गुम सुम रहेने लगी थी.. उनको देवायतसे प्यार करनेकी इच्छा होती तो वो देवायतको वासना भरी अजीब नजरोसे देखती रहेती..

तब देवायत उनको सामनेसे अपने पास बुला लेता.. तो वो भी अपने कपडे नीकालकर देवायतके साथ लेट जाती.. देवायत भी बहुत ही कामुक तरीकेसे चंदाको दो दो बार चोद लेता.. तो चंदा बहुत खुस होजाती.. ओर अपनी जगहपे जाकर सो जाती..

तो दुसरी ओर आज बंसी अभी सांतीकी चुतमे लंड डालकर उसे जोरोसे चोद रहा था.. क्युकी आज प्लानके हीसाबसे सांतीके कहेनेपे ही उसने कामोतेजक गोली खाइ थी.. तो सांतीकी हालत पतली होने लगी थी.. जागृती भी बहार खीडकीसे दोनोकी चुदाइ देखते अपनी चुतमे उंगली कर रही थी.. इस बातका बंसी ओर सांतीको भी पता था.. ओर आखीर बंसी सांतीकी चुतमे खलास हो गया.. तभी..

सांती : (खीडकी की ओर देखते) जागु.. अब तो आजा.. कब तक तु बहारसे देखती रहेगी..? अब तो हम तीनोके अलावा घरपे कोइ हेभी नही.. तो कीस बातका डर..?

जागृती : (सरमसे पानी पानी होते जाते हुअ‍े) नही दीदी.. आप दोनो मजे करो.. मुजे नही आना..

सांती : (मुस्कुराते पीठ सहेलाते) जानु.. अब इस कमीनीका क्या करे..? इनको कीतना समजाया.. फीर भी सरमा रही हे.. आज इस कमीनीका भी काम तमाम करदो.. तबतक मुजे हाथ भी मत लगाना.. कीतने दिनोसे नखरे कर रही हे.. ओर आप वही सोजाना.. कलसे तो मे उनको भी यहा बुला लुगी.. वरना आपतो मुजे थका ही देते हो.. पता नही मुना भाइने आप सबको कौनसी जडी बुटी पीलाइ हे..

बंसी : (उपरसे हटते) सांती.. देखना फीर.. वो चीलायेगी तो नही..?

सांती : अरे नही चीलायेगी.. क्या चुमा चाटी करते हो तब चीलाती हे..? तब तो दोनो मजेसे अ‍ेक दुसरेके साथ लगे रहेते हो.. मेने तुम दोनोको कीतने मौके दीये.. फीर भी दोनो आगे नही बढे.. अब तो चीलाये तो भी कोइ डर नही.. यहा मेरे सीवा हेभी कौन..? जो यहा देखने आयेगा.. साली खामखा नखरे कर रही हे.. ओर हां.. उनका पहेली बार हे.. तो जरा ध्यानसे.. समज गयेनां..? अब जाओ भी..

कहातो बंसी कपडे पहेनकर मुस्कुराते जागृतीके रुमकी ओर चला गया.. उनका लंड जटके मारने लगा.. क्युकी आज उनकी खुदकी बीवीने उनको अपनी बहेनको चोदनेके लीये भेज रही थी.. तो बंसी जागृतीके रुमके पास आ गया ओर दरवाजेको धका मारा.. तो दरवाजा अंदरसे लोक था.. तभी बंसीने धीरेसे दरवाजेपे नोक कीया.. तो जागृतीको लगा उनकी भाभी सांती होगी.. उसे ये उमीद नही थीकी बंसी आयेगा.. ओर उसने दरवाजा खोल दीया....

कन्टीन्यु
 
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