DARK WOLFKING
Supreme
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nice update ..ab ye anant ne monica ko lekar aake virat ko thoda hausla diya hai ...solemaan se jyada taaqatwar monica hai ?..matlab yaha raj ki madad leni pad sakti hai solemaan ko ..राज-रानी (बदलते रिश्ते)
""अपडेट"" ( 24 )
अब तक,,,,,,,,,
रेखा को बेड पर सोये हुए क़रीब आधा घंटा ही हुआ था कि सहसा कमरे के दरवाजे की निचली सतह से एकाएक ही सफेद धुआॅ कमरे के अंदर की तरफ आने लगा। गाढ़ा सफेद धुऑ कमरे में एक जगह एकत्रित होकर इंसानी मानव आकृति में बदल गया।
कमरे का वातावरण एकाएक ही बड़ा रहस्यमय लगने लगा था। उस मानव आकृति ने सामने बेड पर सोई पड़ी रेखा को अपने दोनो हाॅथ जोड़ कर प्रणाम किया और फिर बेड की तरफ वह मानव आकृति बढ़ने लगी।
बेड के क़रीब पहुॅच कर वह मानव आकृति रेखा के सिरहाने पर जाकर खड़ी हो गई। कुछ पल तक रेखा के चेहरे को देखने के बाद उसने अपना एक हाथ बढ़ा कर रेखा के सिर पर हौले से रख दिया। हाॅथ रखते ही उसकी हथेली से एक सफेद रोशनी निकल कर रेखा के सिर पर फैल गई और फिर देखते ही देखते वह रोशनी लुप्त भी हो गई। बेड पर सोई हुई रेखा का जिस्म एक सेकण्ड के लिए झटका खाया था फिर शान्त पड़ गया था पहले की तरह।
मानव आकृति ने रेखा के सिर से अपना हाॅथ हटा लिया और वापस दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी। दरवाजे के पास पहुॅच कर वह मानव आकृति फिर से सफेद धुएॅ के रूप में दरवाजे की निचली दरारों से बाहर निकल गई।
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अब आगे,,,,,,,,
रात में खाना पीना करके मैं अपने कमरे में बेड पर लेटा हुआ था। मेरे मन में तरह तरह के ख़याल उभर रहे थे। कल मेरी असल माॅ का जन्मदिन है। अपनी जन्मदायनी माॅ से मिलने के लिए अब कुछ ज्यादा ही बेक़रारी और अधीरता छा रही थी मन में।
कभी कभी इंसान को अपनी सबसे अज़ीज़ चीज़ के मिलने की इतनी ज्यादा खुशी होती है कि वो उस खुशी को अपने अंदर जज़्ब ही नहीं कर पाता। मैं अच्छी तरह समझ सकता था कि ऐसा ही कुछ हाल मेरी उस असल माॅ का हो सकता था इसी लिए तो मैने काल को भेजा था उनके पास ताकि वो मेरी माॅ को ऐसी शक्ति प्रदान कर सके जिससे मेरी माॅ अपने बेटे के मिलने की उस खुशी को आसानी से जज़्ब कर सके। मेरे कहने पर काल ने वही किया था। यानी वह मेरी माॅ के पास गया और मेरी सोती हुई माॅ को शक्ति प्रदान कर वह वहाॅ से चला आया था।
रात के ग्यारह से ऊपर का समय हो गया था लेकिन मेरी ऑखों में नींद का दूर दूर तक कोई नामो निशान तक न था। मुझे लग रहा था कि ये रात कितना जल्दी गुज़र जाए और अगला दिन भी गुज़र जाए। उसके बाद शाम हो और मैं अपनी माॅ के जन्मदिन पर उनसे मिलने जाऊॅ। मगर ये शब तो जैसे एक ही जगह पर मुकीम हो गई थी।
अभी मैं सोचो के गहरे समुद्र में डूबा हुआ ही था कि मेरे बाएॅ साइड सिरहाने पर रखे मेरे फोन पर मैसेज टोन बजी। टोन के बजने से मैं ख़यालों के अथाह सागर से बाहर आ गया। हाथ बढ़ा कर मोबाइल उठाया और फिर जलती हुई स्क्रीन पर नज़र आ रहे मैसेज को देखा तो मेरे होठों पर मुस्कान उभर आई। मैसेज रानी का था। उसने कोई ग़ज़ल भेजी थी जो इस प्रकार थी।
ख्वाब से निकल कर रूबरू मिला कीजिए।
पास रह कर अब यूॅ न फांसिला कीजिए।।
कोई चाहत कोई हसरत कोई आरज़ू क्या है,
हम बताएॅगे नहीं आप खुद पता कीजिए।।
हमको भी कभी नसीब-ए-विसाले यार हो,
हुज़ूर हमारे वास्ते बस यही दुवा कीजिए।।
एक मुद्दत से मरीज़ ए इश्क़ हुए बैठे हैं हम,
थाम कर बाहों में इस दिल की दवा कीजिए।।
इस दर्द से हमें कोई गिला तो नहीं है मगर,
सौगात ए हिज्र अब और न अता कीजिए।।
मैने रानी की भेजी हुई ये ग़ज़ल पढ़ी। उसकी इस ग़ज़ल का हर लफ्ज़ मेरे दिल में उतरता चला गया। मुझे समझने में कतई देरी न हुई कि रानी कहना क्या चाहती है। मैं समझ सकता था कि वो इस ग़ज़ल के ज़रिये मुझसे अपने प्रेम का इज़हार कर रही थी। मुझे तुरंत कुछ समझ में न आया कि मैं उसको क्या जवाब दूॅ? काफी देर तक मैं बस सोचता रहा। तभी मोबाइल पर फिर से उसका मैसेज आया।
"कैसी लगी आपको वो ग़ज़ल भइया?" रानी ने मैसेज में लिखा था___"दरअसल, मैं न आज कल पोएट्री लिखती हूॅ। सोचा आपको भेज दूॅ और फिर पूछूॅ कि कैसी है मेरी लिखी हुई पोएट्री?"
"हाॅ वो मैं पढ़ ही रहा था रानी।" मैने मैसेज टाइप किया___"बहुत अच्छा लिखती हो तुम? लेकिन ये सब तुम्हारे दिमाग़ में आता कैसे है?"
"पता नहीं भइया।" रानी ने मैसेज भेजा___"बस मन में जैसा ख़याल आता है उसे पोएट्री की शक्ल में लिख देती हूॅ।"
"ओह आई सी।" मैने मैसेज टाइप किया__"तो ये बात है। लेकिन तुम्हारे मन में ऐसे ख़याल क्यों आते हैं बहना? ग़ज़ल को पढ़ कर तो यही लगता है कि जो कुछ इसमें है वो सब सच है और ये सब तुम्हारे खुद के ही दिल का हाल है। आम तौर पर शेरो शायरी या ग़ज़ल इंसान तभी लिखता है या करता है जब उस तरह का माहौल खुद के अंदर भी हो।"
"पता नहीं भइया।" रानी का मैसेज आया__"मुझे अपने अंदर का तो कुछ पता ही नहीं है। ख़ैर छोंड़िये ये बात और ये बताइये कि कल का क्या सोचा है आपने?"
"कल का तो मैने कुछ भी नहीं सोचा है।" मैने मैसेज किया___"बस वक्त और हालात के ऊपर है कि उस समय क्या होगा।"
"कल मैं आपके यहाॅ आऊॅगी।" रानी ने मैसेज भेजा___"और वहाॅ पर सबको माॅ के जन्मदिन पर आने के लिए निमंत्रित करूॅगी।"
"वैसे तो सबको निमंत्रित करने की ज़रूरत नहीं है बहना।" मैने मैसेज भेजा___"क्योंकि मैं सबको लेकर ही आऊॅगा। पर अगर तुम यहाॅ आना चाहती हो तो ये तुम्हारी मर्ज़ी की बात है।"
"मैं ज़रूर आऊॅगी भइया।" रानी ने मैसेज भेजा___"और वहाॅ सबसे मिलूॅगी भी।"
"चलो अच्छी बात है।" मैने मैसेज भेजा__"और अब सो जाओ, बहुत रात हो गई है।"
"अभी तो ऑखों में नींद ही नहीं है।" रानी ने मैसेज भेजा___"क्या आपको नींद आ रही है भइया? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं आपकी नींद ख़राब कर रही हूॅ?"
"नहीं रे पागल ऐसा कुछ नहीं है।" मैने मैसेज भेजा___"नींद तो मुझे भी नहीं आ रही।"
"आपको नींद क्यों नहीं आ रही?" रानी ने मैसेज में पूछा।
"कल का सोच सोच कर रानी।" मैने मैसेज भेजा___"मुझे लग रहा कितना जल्दी वो पल आए जब मैं अपनी माॅ के सामने पहुॅच जाऊॅ और....और माॅ मुझे अपने गले से लगा ले। मुझे अपने ममता के ऑचल में छुपा कर मुझे प्यार करे। ये रात ये पल जल्दी से गुज़र क्यों नहीं जाता बहना? अभी तक तो किसी तरह गुज़र ही जाता था मगर अब....अब ये पल नहीं गुज़र रहा।"
"आप अधीर न हों भइया।" रानी ने मैसेज में कहा___"जब तेरह साल का वक्त गुज़र गया है तो ये रात का वक्त भी गुज़र ही जाएगा। जिस तरह का हाल आपका है वैसा ही हाल मेरा भी है। मैं भी तो पिछले तेरह साल से अपनी माॅ के प्यार के लिए तरस रही हूॅ। आपको पता है भइया, आज माॅ(रेखा) यहाॅ हमारे इस घर में आई थी। वो मेरी माॅ(सुमन) से मिली और अपने किये की उनसे माफ़ी माॅग रही थी। इतना ही नहीं माॅ ने बताया कि वो कह रही थी कि कल से हम सब उसी घर में साथ साथ रहेंगे और ये भी कहा कि मैं अपनी फूल सी बच्ची को खूब प्यार दूॅगी।"
"ये तो बहुत अच्छी बात है।" मैने मैसेज में कहा___"अब कल से तुम सब एक साथ ही माॅ पापा के पास रहोगे।"
"और आप भी रहेंगे में।" रानी ने मैसेज में कहा___"जब माॅ को पता चल जाएगा कि आप उनके बेटे ही हैं तो फिर भला वो कैसे आपको खुद से दूर रहने देंगी?"
"देखते हैं क्या होता है रानी।" मैने गहरी साॅस लेते हुए मैसेज किया___"अभी तो सबसे बड़ी समस्या ये है कि ये रात ही नहीं गुज़र रही।"
"देखना क्या है भइया?" रानी ने मैसेज में कहा___"ये तो पक्की बात है कि माॅ आपको पहचान जाएॅगी और फिर आपको वो अपने से दूर जाने ही नहीं देंगी। इस लिए अब आप भी यहीं पर रहने की तैयारी कर लीजिए।"
"मैं अकेला वहाॅ नहीं रहूॅगा रानी।" मैने मैसेज भेजा___"तुम जानती हो कि यहाॅ भी मेरे पास मेरी दो माॅ हैं, एक मामा हैं और एक चाचू हैं। मैं इन सबको छोंड़ कर वहाॅ रहने के बारे में सोच भी नहीं सकता। मैं जहाॅ भी रहूॅगा ये सब मेरे साथ ही रहेंगे।"
"मैं जानती हूॅ भइया।" रानी ने मैसेज में कहा___"जब माॅ को उन सबके बारे में पता चलेगा तो वो उन सबको भी अपने साथ ही रहने को कहेंगी।"
"अब ये तो कल ही पता चलेगा कि क्या क्या होता है।" मैने मैसेज में कहा___"चलो अब सो जाओ, कल मिलते हैं फिर।"
"ठीक है भइया।" रानी ने मैसेज में कहा__"गुड नाइट एण्ड स्वीट ड्रीम्स।"
"गुड नाइट।" मैने मैसेज किया और फोन रख दिया।
मैं रानी से मैसेज में बात करने के बाद आराम से ऑखें बंद किये लेट गया था। ज़ेहन में उसकी बातें अभी भी कत्थक कर रहीं थी। ख़ैर, काफी देर तक मैं करवॅटें बदलता रहा और फिर जाने कब मेरी ऑखों पर नींद की नज़रे इनायत हो गई।
सुबह हुई!
एक खूबसूरत दिन की शुरूआत हुई। जैसे ही मेरी ऑखें खुली तो मेरी नज़र सामने खड़ी मेरी दोनो माॅ यानी मेनका और काया पर पड़ी। वो दोनो मुझे देख कर मुस्कुराए जा रही थी। उनकी मुस्कुराते देख मेरे होठों पर भी मुस्कान उभर आई।
"तो हमारे बेटे की नींद खुल गई?" काया माॅ ने मुस्कुराते हुए मगर नाटकीय अंदाज़ में कहा__"चलो शुकर है कि खुल गई। वरना जाने कब तक इन्तज़ार करना पड़ता?"
"ऐसा क्यों कह रही हैं आप?" मैने उठते हुए कहा था।
"वो क्या है न कि दिन के नौ बज रहे हैं।" काया माॅ ने कहा___"और हम दोनो पिछले दो घण्टे में जाने कितनी बार तुम्हारे कमरे में तुम्हें देखने आ चुके हैं। सोचा शायद अब जग गए होगे। मगर क्या पता था कि हमेशा ब्रम्हमुहूर्त में उठने वाला हमारा बेटा आज रामायण काल का कुम्भकर्ण बन गया है।"
"क्या कहा आपने, नौ बज गए?" मैं बुरी तरह उछल पड़ा___"ओफ्फो आपने मुझे जगाया क्यों नहीं?"
"लो कर लो बात।" काया माॅ ने हाॅथ नचाते हुए कहा___"हमने सोचा था कि गहरी नींद में हो भला क्यों जगाएॅ तुम्हें? जब नींद पूरी हो जाएगी तो खुद ही जग जाओगे। जैसे अभी जग गए हो।"
"क्यों तंग कर रही हो तुम मेरे बेटे को?" तभी मेनका माॅ ने प्यार से कहा___"नौ बजे तक सोए या सारा दिन सोए उसकी मर्ज़ी है। कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है उसके सोए रहने से?"
"अरे तो मैने कब कहा दीदी कि पहाड़ टूट पड़ा है?" काया माॅ ने चौंकते हुए कहा__"मैं तो वैसे भी तसल्ली से उसे सोता हुआ देख ही रही थी। आप ही ने आकर उसे जगा दिया है। हाय मेरा बेटा कितना सुंदर और मासूम लग रहा था सोते हुए।"
"अब अगर उसे देख कर तुम्हारा मन भर गया हो तो चलें यहाॅ से?" मेनका माॅ ने हॅसते हुए कहा___"उसे अब फ्रेश होने दो। कालेज के लिए देर हो जाएगी उसे।"
"काश! मैं भी अपने बेटे के साथ उसके कालेज जाती।" काया माॅ ने कहा___"मैं भी देख पाती कि इंसानी दुनियाॅ में स्कूल कालेज कैसे होते हैं और वहाॅ पर किस तरह की पढ़ाई होती है?"
"हाहाहाहा आप और कालेज??" मुझे ज़ोर की हॅसी आई थी।
"ओए तुम हॅस क्यों रहे हो इस तरह?" काया माॅ ने कहा___"क्या तुम मुझे चिढ़ा रहे हो?
"नहीं माॅ, मैं भला आपको क्यों चिढ़ाऊॅगा?" मैने कहा___"मुझे तो बस इस लिए हॅसी आ गई कि आपने ये बात कहा ही ऐसे अंदाज़ में था जैसे कोई छोटा बच्चा हो।"
"हाॅ हाॅ मैं तो अभी बच्ची ही हूॅ।" काया माॅ ने कहा___"मैं जब चाहूॅ तुम्हारे जैसे कालेज जा सकती हूॅ। इसमें कौन सी बड़ी बात है?"
"हाॅ ये तो है।" मैने कहा___"बस कालेज में आपको देख कर कोई ऑटी जी न कह बैठे।"
"क्या बोला?" काया माॅ की ऑखें फैल गई, बोली___"क्या मतलब हुआ ऑटी जी न कह बैठे? रुक अभी तुझे बताती हूॅ मैं।"
काया माॅ झपटते हुए बेड की तरफ बढ़ी जबकि बेड पर उनके पहुॅचने से पहले ही मैं जम्प मार कर अटैच बाथरूम में घुस गया था। बाथरूम का दरवाजा बंद कर अंदर से कुण्डी लगा ली थी मैने।
"देखा दीदी इसने क्या कहा मुझे?" कमरे में काया माॅ मेनका माॅ से मेरी शिकायत कर रही थी___"क्या मैं ऑटी जैसी लगती हूॅ?"
"अरे वो तो तुम्हें छेड़ रहा था।" मेनका माॅ ने मुस्कुराते हुए कहा___"तुम तो किसी भी एंगल से ऑटी नहीं लगती हो। सिर्फ अमा ही लगती हो।"
"क्या???? आप भी??" काया माॅ ने बुरा सा मुह बना लिया___"आप भी उसका पक्ष ले रही हैं।"
"अरे तो क्या ग़लत कहा मैने?" मेनका माॅ ने कहा___"तुम तो राज की अम्मा ही हो न।"
"हाॅ ये तो है।" काया माॅ ने कहा___"मैं राज की माॅ ही तो हूॅ। वो मेरा बेटा है। मेरा प्यारा बेटा। पता है दीदी, जब वो मुझे इस तरह तंग करता है और छेड़ता है तो मुझे भी बहुय मज़ा आता है।"
"हाॅ मैं जानती हूॅ कि तुम जानबूझ कर ऐसी हरकतें करती रहती हो जिससे वो तुम्हें छेंड़े है ना?" मेनका माॅ ने कहा।
"हाॅ ये सच है दीदी।" काया माॅ ने कहा__"इस दुनियाॅ में इंसान बन कर हर तरह से जीने का आनंद ही कुछ अलग है। उस शैतानी दुनियाॅ में तो हमने इन छोटी छोटी खुशियों की कल्पना भी न की थी।"
"तुम भले ही ढाई सौ साल की हो गई हो काया।" मेनका माॅ ने कहा___"मगर तुम्हारे अंदर एक छोटी सी बच्ची अभी भी मौजूद है।"
मेनका माॅ ने काया माॅ को अपने गले से लगा लिया। फिर वो दोनो कमरे से बाहर चली गई। मैं भी नहा कर बाथरूम से बाहर आया। कमरे में आकर मैने कालेज का यूनीफार्म पहना और फिर बैग लेकर नीचे आ गया। नीचे सब लोग मेरा ही इन्तज़ार कर रहे थे।
मैं भी अपनी दोनो माॅ के बीच कुर्सी पर बैठ गया। उसके बाद सब नास्ता करने लगे। मेरी दोनो माॅ हमेशा की तरह मुझे अपने हाॅथ से खिला रही थी।
"तो आज तुम्हारी असल माॅ का जन्मदिन है राज बेटे?" वीर चाचू ने कहा___"और तुम्हें उनके जन्मदिन की पार्टी पर जाना भी है। ये बहुत अच्छी बात है। आख़िर वो समय आ ही गया जब तुम्हें अपने लोगों से मिलना होगा।"
"मैं अकेला वहाॅ पर नहीं जाऊॅगा चाचू।" मैने कहा___"बल्कि आप सबको भी मेरे साथ वहाॅ चलना पड़ेगा। मेरी बहन रानी आप सबको लेने यहाॅ खुद आएगी।"
"अरे वाह हमारी बच्ची हम सबको लेने यहाॅ आएगी।" रिशभ मामा खुशी से कह उठे___"फिर तो आज आफिस जाना कैंसिल है हमारा। क्यों वीर?"
"बिलकुल रिशभ।" वीर चाचू ने कहा__"हम रानी के आने का यहीं पर इन्तज़ार करेंगे। वैसे राज कब तक आएगी वो यहाॅ?"
"अभी तो हम काॅलेज जाएॅगे।" मैने कहा___"कालेज में अपने ग्रुप के दोस्तों को शाम को आने का कह कर वापस आ जाएॅगे। रानी मेरे साथ ही यहाॅ आएगी।"
"ओह फिर तो ठीक है।" वीर चाचू ने कहा__"लेकिन जल्दी आना। हम भी अपनी बच्ची को अपनी ऑखों के सामने देखना चाहते हैं। उस बच्ची को जो तुम्हारी तरह ही अद्भुत है।"
"हाॅ लेकिन वो ये नहीं जानती कि वो असल में क्या चीज़ है?" मैने कहा___"और तब तक जानेगी भी नहीं जब तक उसे उसकी असलियत के बारे में बताया न जाए।"
"समय आने पर उसे बताना ही पड़ेगा राज बेटे।" रिशभ मामा ने कहा___"इंसान की वास्तविकता ज्यादा देर तक छुपी नहीं रह सकती।"
"वो सब बाद में देखा जाएगा मामा जी।" मैने कहा___"अभी तो हम सब आज उस जगह जाएॅगे जिस जगह पर मेरी माॅ रहती है।"
अभी हम सब बातें ही कर रहे थे कि सहसा हमारे बीच काल आ गया। सबने उसे देखा। इस वक्त वो एकदम नार्मल इंसानों जैसा था। काल मेरा हमशक्ल था। अंतर सिर्फ इतना था कि वो रंगत से साॅवला था जबकि मैं गोरा था।
"क्या बात है काल?" मैने कहा___"तुम इस तरह यहाॅ कैसे?"
"आपको कुछ ज़रूरी सूचना देना है।" काल ने कहा।
"कैसी सूचना?" मैने कहा___"सब कुछ ठीक तो है न?"
"बाॅकी सब तो ठीक ही है लेकिन एक चीज़ ठीक नहीं है।" काल ने कहा___"आपके नाना जी यानी शैतानों के भूतपूर्व सम्राट विराट आपको पुनः हासिल करने के लिए साजिश और प्लान बना रहैं। अगर आपकी इजाज़त हो तो एक झटके में उन्हें वहीं पर गर्क कर दूॅ।"
"नहीं काल।" मैने कहा___"आज खुशी का दिन है। आज मेरी माॅ का जन्मदिन है। आज मैं वर्षों बाद अपनी माॅ के सामने जाऊॅगा। इस खुशी के अवसर पर किसी की ज़िंदगी को खत्म करना अच्छी बात नहीं है। उनको जो करना है करने दो। अगर नियति में उनका मेरे हाॅथों मर जाना ही लिखा है तो वो ज़रूर होगा।"
"मैं तो उसी दिन उस दुरात्मा को खत्म कर देना चाहता था राज।" सहसा मामा जी ने आवेश में कहा___"लेकिन तुमने मुझे रोंक लिया था वरना आज ये नौबत ही न आती।"
"हर इंसान को एक बार सुधरने का मौका देना चाहिए मामा जी।" मैने कहा___"इसके बाद भी अगर सामने वाला नहीं सुधरता तो फिर उसे सबक सिखाना या दंड देना निश्चित हो जाता है।"
"तो अब ये साबित हो गया है कि वो दुस्ट दिये गए मौके में सुधरने की बजाय फिर से उसी रास्ते पर चल पड़ा है।" मामा जी ने कहा___"इस लिए अब तुम मुझे हर्गिज़ रोंकने की कोशिश मत करना राज। मैं खुद अपने हाॅथों से उस नीच का अंत करूॅगा।"
"ठीक है नहीं रोकूॅगा आपको।" मैने गहरी साॅस लेकर कहा__"फिलहाल तो शान्त हो जाइये और नास्ता कीजिए।"
"काल तुम जाओ और उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखना।" मैने काल से कहा।
काल, सिर को हल्का सा ख़म करके चला गया। उसके बाद हम सबने नास्ता किया। नास्ता करने के बाद मैं अपना बैग लेकर बाहर आ गया। गैराज से अपनी कार लेकर मैं रानी को लेने चला गया। रानी को उसके घर से पहले ही पिक करके मैं कालेज के निकल गया। रास्ते में रानी ने मुझे बताया कि आज सुबह ही माॅ और पापा हमें लेने आए थे। माॅ मुझसे मिली और मुझसे माफ़ी माग रही थी। उन्होने मुझे अपने सीने से लगाया और खूब रोई। उसके बाद साथ चलने को कहा तो मैने माॅ से कहा कि मैं कालेज के बाद खुद ही आ जाऊॅगी। फिर माॅ और पापा माॅ(सुमन) को लेकर चले गए और मैं आपके साथ कालेज आ गई।
रानी की इस बात से मुझे खुशी हुई। रानी का चेहरा आज काफी खिला खिला लग रहा था। आख़िर लगे क्यों न, आज माॅ ने उसे अपने सीने से लगा कर प्यार जो किया था। ख़ैर, कालेज में पहुॅच कर हम अपने दोस्तों से मिले। रानी ने सबको शाम सात बजे तक घर पहुॅचने को कहा। सभी दोस्त उसकी निमंत्रण से खुश हो गए। उसके बाद हम सब क्लास में चले गए। क्लास में एक दो पीरियड अटेन्ड करने के बाद मैं और रानी मेरे घर के लिए निकल पड़े।
घर आ कर मैने सबसे रानी को मिलवाया। सब रानी से मिल कर बेहद खुश हुए। मेरी दोनो माॅ तो रानी को अपने बीच में ही बैठा लिया था और बड़ा लाड प्यार कर रही थी उसे। वीर चाचू और मामा जी रानी को देख कर बहुत खुश हुए और उसे प्यार और दुवाएॅ दी।
"एक बेटी की कमी थी सो आज एक बेटी भी मिल गई मुझे।" मेनका माॅ ने कहा___"आज का दिन बहुत ही ज्यादा खुशी का दिन है। जैसा मैने सोचा था उससे कहीं ज्यादा प्यारी है मेरी बच्ची। किसी की नज़र न लगे।"
"आपने सही कहा दीदी।" काया माॅ ने कहा___"कितने खुशनसीब हैं हम जो एक ही जीवनकाल में इतना कुछ मिल गया हमे। इससे ज्यादा और क्या चाहिए हमे?"
"अच्छा ये बता बेटी कि ये राज तुझे ज्यादा तंग तो नहीं करता न?" मेनका माॅ ने रानी से पूछा था।
"नहीं माॅ।" रानी ने भोलेपन से कहा__"बल्कि मैं ही इन्हें तंग करती हूॅ।"
"बिलकुल ठीक करती है तू।" मेनका माॅ ने मुस्कुरा कर कहा___"ऐसे ही इसे तंग करना। ये तेरा हक़ है और अगर ये तुझे कुछ कहे तो मुझसे बताना। मैं इसकी पिटाई करूॅगी।"
"वाह क्या बात है।" मैने कहा__"बेटी मिल गई तो बेटे को पराया कर दिया। वाह माॅ बहुत खूब। मुझ मासूम पर अब यही सितम होना बाॅकी रह गया था।"
"तू चिंता मत कर राज।" काया माॅ ने मुझे अपने पास बैठाते हुए कहा___"मैं तो तेरे साथ ही हूॅ। मैं तुझे कभी पराया नहीं करूॅगी।"
"ओह माॅ बस आप ही का सहारा है अब।" मैने काया माॅ से छुपकते हुए कहा__"एक माॅ ने तो बेटी के मिलते ही पल्ला बदल लिया।"
"ऐसा कुछ नहीं है भइया।" रानी ने कहा__"माॅ तो आपसे ही ज्यादा प्यार करती हैं। पर मैं छोटी हूॅ न इस लिए मुझे थोड़ा आपसे ज्यादा इस वक्त लाड प्यार मिल रहा है।"
"देख ले तुझसे ज्यादा तो मेरी बेटी समझदार है।" मेनका माॅ ने कहा__"मेरी बेटी से कुछ बुद्धि ले ले अब।"
"हाॅ अब तो इससे ट्यूशन लेना ही पड़ेगा मुझे।" मैने कहा___"तो बताइये कब आऊॅ ट्यूशन पढ़ने?"
"ओए अब बस भी करो।" वीर चाचू ने कहा___"बातों के चक्कर में ये भी भूल गए कि रानी बेटी पहली बार गर आई है इस लिए उसे कुछ खिलाओ पिलाओ।"
"अरे हाॅ ये तो हम भूल ही गईं।" काया माॅ ने कहा___"रुको अभी अपनी बेटी के लिए कुछ स्पेशल लेकर आती हूॅ।"
काया माॅ ने रानी को प्यार से खूब आव भगत की और खिलाया पिलाया। ये अलग बात है कि रानी मना करते करते थक गई थी। उसके बाद रानी ने सबको शाम की पार्टी में आने के लिए कहा। कुछ देर और बैठने के बाद रानी घर जाने के लिए कहने लगी तो मैं उसे कार से घर के कुछ पास तक भेज आया। रानी को भेजने के बाद मैं वापस घर आ गया।
घर आया तो पता चला कि सब बाहर जा रहे हैं कुछ सामान खरीदने के लिए। मुझे भी जाने को कहा सबने मगर मैं न गया।
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वहीं दूसरी तरफ!
वैम्पायर्स के भूतपूर्व किंग सम्राट और वेयरवोल्फ किंग अनंत एक बार फिर उस गुफा के अंदर आमने सामने बैठे हुए थे। लेकिन उन सबके बीच जो एक चेहरा दिख रहा था वो चेहरा नितान्त अजनबी था। उसका पहनावा और वेशभूषा सब अलग थी।
"मित्र इनसे मिलो।" सम्राट अनंत कह रहा था___"ये हैं मोनिका। इनके द्वारा आपका मकसद ज़रूर पूरा हो जाएगा।"
"ये हैं कौन और आप इन्हें कहाॅ से लेकर आए हैं मित्र?" विराट ने न समझने वाले भाव से कहा___"और भला इनके द्वारा हमारा मकसद कैसे पूरा हो जाएगा?"
"आप इन्हें साधारण न समझें मित्र।" अनंत ने कहा___"इनके पास काफी अद्भुत शक्तियाॅ हैं। ये किसी भी ब्यक्ति का रूप बदल सकती हैं।"
"रूप तो हम और आप भी बदल सकते हैं मित्र।" विराट ने कहा___"इसमें कौन सी बड़ी बात है?"
"बड़ी बात ये है मित्र हमारे रूप बदलने से हमारी असलियत उस बला के सामने आ जाती है जिस बला को उस बालक ने खुद बनाया है उन चारो की सुरक्षा के लिए।" अनंत ने कहा___"हाॅ मित्र। अच्छा हुआ हम उस बालक के पास नहीं गए वर्ना उस बालक के बनाए हुए काल की नज़र में आ जाते। मोनिका ने ही बताया कि उस बालक के सभी चाहने वालों की देख रेख और सुरक्षा काल करता है।"
"अब ये काल कौन है मित्र?" विराट की ऑखें फैल गई___"और ये कहाॅ से आ गया?"
"काल रूपी बला को उस बालक ने ही बनाया है मित्र।" अनंत ने कहा___"जिसके बारे में अभी तक हम जानते ही नहीं थे। अगर हम वहाॅ जाते तो ज़रूर काल के द्वारा पकड़े जाते।"
"ये तो सचमुच हैरातअंगेज बात है महाराज अनंत।" विराट ने कहा___"तो अब हम क्या करेंगे?"
"अब हम कुछ नहीं करेंगे मित्र।" अनंत ने कहा___"बल्कि अब जो कुछ करना है वो मोनिका करेगी। ये हमारी ही दुनियाॅ की है मगर हम सबसे अलग भी है। इनके पिता हमारे राजगुरू हुआ करते थे। उन्होंने अपनी मौत से पहले अपनी बेटी को अपनी समस्त शक्तियाॅ दे दी थी। मगर उनकी ये शक्तियाॅ तभी काम करेंगी जब ये उन शक्तियों को सम्हालने लायक हो जाती। इसके लिए इन्हें सौ वर्ष तक कठोर तप करना था। हम पिछली बार जब आपसे मिल कर गए थे तभी इनका सौ वर्षों का तप पूरा हुआ था और ये हमारे दूसरे दिन हमारे राजमहल में आई थी। अब ये हर तरह से उस बालक से टकराने के लिए सक्षम हैं।"
"ओह तो ये बात है।" विराट के चेहरे पर खुशी और उम्मीद की किरण नज़र आई, बोला___"फिर तो बहुत अच्छी बात है मित्र। इनसे कहो कि ये उस बालक को हमारे क़दमों में लाकर लेटा दें। हम उस बालक को अपनी उगलियों पर नचाएॅगे।"
"ज़रूर ऐसा ही होगा मित्र।" अनंत ने मुस्कुरा कर कहा___"ये वहाॅ जाकर उस बालक को पकड़ कर आपके पास लाएगी।"
"उस बालक को नहीं मित्र।" विराट के चेहरे पर कठोरता आ गई___"बल्कि उन चारों को यहाॅ लाना है। वो बालक तो खुद ही यहाॅ आएगा उनके लिए।"
"ऐसा ही होगा महाराज।" मोनिका ने अजीब भाव से कहा___"आप बिलकुल निश्चिंत रहें। बहुत जल्द वो चारो आपके सामने बंधनों में जकड़े हुए नज़र आएॅगे।"
"ठीक है हम उस पल का बेसब्री से इन्तज़ार करेंगे।" विराट ने कहा___"और आपका बहुत बहुत धन्यवाद महाराज अनंत आपकी मित्रता पूज्यनीय है। हम हमेशा आपके ऋणी रहेंगे।"
"ऐसा न कहें मित्र।" अनंत ने कहा__"हम तो बस अपनी मित्रता का फर्ज़ निभा रहे हैं।"
"अगर मोनिका ने ये सब कर दिया तो हम भी अपना वादा निभाएॅगे मित्र।" विराट ने कहा___"हमें याद है। आपके बेटे जयंत के साथ हम अपनी बड़ी बेटी मेनका की शादी करेंगे।"
"मोनिका अपने काम में ज़रूर सफल होगी मित्र।" अनंत ने कहा___"हमें इनके ऊपर पूर्ण विश्वास है।"
"तो ये काम कब शुरू करना है?" विराट ने पूछा___"क्योंकि अब तो हमसे पल भर का भी इन्तज़ार नहीं होगा। दूसरी बात ये भी है कि हमे हमारा राज्य भी वापस चाहिए।"
"तो फिर आप ही बताइये महाराज।" मोनिका ने कहा___"सबसे पहले कौन सा काम करूॅ मैं? वैसे सबसे पहले यही करना चाहिए कि राज्य पर अपना अधिकार पुनः स्थापित किया जाय। सोलेमान की शक्तियों का मैने मुआयना कर लिया है वो मेरी शक्तियों के सामने कुछ भी नहीं है।"
"मोनिका बिलकुल सही कह रही है महाराज विराट।" अनंत ने कहा___"सबसे पहले राज्य पर आपका अधिकार होना चाहिए। उसके बाद ही दूसरे काम को किया जाए। आख़िर कब तक आप सोलेमान के डर से यहाॅ गुफा में छुपे बैठे रहेंगे?"
"आप सही कह रहे हैं मित्र।" विराट ने गहरी साॅस लेते हुए कहा___"हमें सबसे पहले अपने राज्य को ही वापस हासिल करना चाहिए। तो फिर ठीक है, हम सबसे पहले सोलेमान से अपना राज्य ही हासिल करेंगे।"
"ठीक है महाराज।" मोनिका ने कहा__"मुझे आज्ञा दीजिए। मैं आपसे परसों मिलूॅगी। क्योंकि अभी मुझे कुछ ज़रूरी काम करना है। तब तक आप भी तैयारियाॅ कर लीजिएगा।"
"ठीक है हम इन्तज़ार करेंगे तुम्हारा।" विराट ने कहा।
विराट की बात सुन कर मोनिका पल भर में अपनी जगह से गायब हो गई। ये देख कर विराट हैरान भी हुआ और खुश भी।
"ये ज़रूर हमारी उम्मीदों को पूरा करेगी महाराज अनंत।" विराट ने कहा___"और ये सब आपकी वजह से हुआ है। आप सच में हमारे सबसे अच्छे मित्र बन गए हैं।"
कुद देर और ऐसी ही उनके बीच बातें होती रहीं फिर सम्राट अनंत गुफा से अपने राज्य की तरफ चला गया। जबकि विराज आने वाले समय के सुनहरे ख़यालों में खोने सा लगा था।
दोस्तो, अपडेट हाज़िर है,,,,,,,,,
मुझे पता है आप बड़ी शिद्दत से अपडेट का इन्तज़ार कर रहे हैं। ये अपडेट मैने समय निकाल कर दो दिन में थोड़ा थोड़ा करके लिखा है। हो सकता है ये अपडेट आपकी उम्मीदों पर खरा न उतरे। क्योंकि आप सबने तो कुछ और ही उम्मीद कर रखी है। लेकिन धैर्य रखें....वो समय भी आएगा दोस्तो,,,,,,