• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery मेरी तो ईद हो गयी

Sana azeem

New Member
4
18
3
सलाम दोस्तों … मेरा नाम सना है और फिलहाल मैं दिल्ली में ओखला इलाके में रहती हूँ। शादीशुदा हूँ और ओखला में ससुराल है। अब तक जिंदगी दिल्ली में ही गुजरी है और जो भी मजे लिये जा सकते हैं एक जवान जिस्म और उफनती जवानी के साथ … वे सारे ही मैंने लिये हैं।

पहली बार अठारह की उम्र में सेक्स किया जब अपने शरीर में मौजूद उन नशीली तरंगों से परिचित हुई जो आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं। आज मेरी उम्र चौबीस साल है और इस बीच मैंने लगभग हर तरह से अपने शरीर का मजा लिया है।

पहला ब्वायफ्रेंड तो स्कूल से ही बन गया था और अकेले में दूध दबाने मसलने का सिलसिला शुरू हो गया था। यहां मैं एक बात यह बता दूँ कि मुझे जो सबसे ज्यादा चीजें पसंद हैं, उनमें से एक तो अपने बदन को सहलवाना मसलवाना है और दूसरा लंड को हाथ से धीरे-धीरे सहलाते हुए चूसने का।

यह शौक इस हद तक है कि किसी भी मर्द को देखते ही मेरी कुत्सित निगाहें उसके पैंट में छुपे लंड तक चली जाती हैं और दिमाग इस कल्पना में डूब जाता है कि इसका कैसा होगा और चूसने में कितना मजा आयेगा।

फर्स्ट इयर तक आते-आते बात मेरे जिस्म की सहलाहट मसलाहट से कहीं आगे बढ़ कर सलवार के ऊपर से मेरी चूत रगड़ने मसलने, उंगली करने और मेरे हाथ से मूठ मरवाने तक पहुंच गयी थी जो अपनी पहली चुदाई से ठीक पहले तक लंड चूसने चाटने तक जा पहुंची थी।

मैंने बहुत पोर्न साहित्य पढ़ा था और फिल्में देखी थीं जिससे उनका असर मेरे दिल दिमाग पर बड़े गहरे तौर पर पड़ा था, जिससे मैं सबकुछ वैसे ही करना चाहती थी। एक बार चुद गयी तो जैसे एक नये आनन्द का द्वार खुल गया।

अब कालेज से बंक कर कर के ब्वायफ्रेंड बदल बदल के पार्क में चली जाती थी जहां ज्यादातर वक्त में चुदाई की तो नौबत नहीं आ पाती थी लेकिन दबाई मसलाई और चूत में उंगली तक के खेल के साथ मेरा मनपसंद ओरल जरूर होता था।
यहां तक कि शुरू शुरू में अटपटाने के बाद मैं मुंह में ही झड़वा लेती थी, क्योंकि वहां पौंछने पाछने का कोई इंतजाम भी नहीं होता था।

इक्कीस तक शादी होने की नौबत आई. तब सात सात ब्वायफ्रेंड बदल कर सात लंडों के मजे चख चुकी थी लेकिन शादी के बाद इस सिलसिले पर ब्रेक लग गया था और शौहर पर ही सब्र करना पड़ गया था।

लेकिन हाय री मेरी किस्मत … शौहर भी मिला तो गल्फ वाला। चार महीने यहां तो पौने दो साल कतर में। आये तो अंधाधुँध चुदाई और जाये तो चूत एक लंड को भी तरस के रह जाये।

जिस कहानी का मैं जिक्र कर रही हूँ वह इसी ईद से पहले वाली चांद रात की है। उन दिनों मैं अपनी चुदास के चलते बहुत तपी हुई थी। साल भर हो चुका था उन्हें गये … चुदाई के लिहाज से देखें तो चूत सूख चुकी थी।
मुंह अलग तरसा हुआ था एक अदद लंड के लिये।

इधर अपनी चुल मिटाने के लिये मैं अक्सर एक काम करती थी कि बाजार के दिन नकाब पहन के अकेली ही खरीदारी करने बाजार चली जाती थी। दिल तो करता था कि बिना अंदर कोई और कपड़ा पहने सिर्फ नकाब पहन कर ही बाजार चली जाऊ और हर तरह के मर्दाने स्पर्श का मजा ले आऊं लेकिन ससुराल में यह काम थोड़ा ज्यादा रिस्क वाला था।

आप दिल्ली के हैं तो आपको पता होगा कि हफ्ते के अलग-अलग दिन में अलग-अलग इलाकों में बाजार लगती है जहां काफी भीड़ भाड़ होती है और यहां हाथ और लंड सेंकने के चक्कर में काफी चालू लौंडे भी हर हाल में पहुंचते ही पहुंचते हैं।

तो मेरे इलाके में बटला हाऊस में संडे को बाजार लगती है और मैं खास इसी इरादे से बाजार चली जाती थी कि शौकीन लौंडों के हाथों से दूध और चूतड़ सहलवा दबवा और रगड़वा लेती थी जिससे थोड़ी चुल तो शांत हो जाती थी … बाकी गर्मी रात को उंगली कर के निकाल लेती थी। खास इस मौके पर न मैं ब्रा ही पहनती थी और न ही पैंटी, जिससे भरपूर टच मिल सके।

तो चांद रात को भी यही हुआ था … उस दिन बाजार में इतनी ज्यादा भीड़ थी कि एकदम सट-सट के चलना पड़ रहा था। किसका हाथ टच हो रहा, किसका लंड … ठीक से अहसास ही नहीं हो पा रहा था।

मैं उस वक्त एक दुकान पे कुछ देख कर हटी ही थी कि पीछे से किसी हाथ का अहसास हुआ जो कमर पर था। अंदाज ऐसा ही था जैसे चलते-चलते लोगों के अनजाने में लोगों के पड़ जाते हैं और लगा कि कमर पे हाथ रखने वाला जगह बना के आगे निकल जायेगा।

लेकिन वह सट कर कंधे से कंधा रगड़ता चलने लगा। मैंने कनखियों से देखने की कोशिश की लेकिन बस इतना ही देख पाई कि कोई जवान युवक था।
 

MS DHONI

Member
311
537
93
:celebconf::congrats: Sana ji for starting a new thread...Lagta hai story kafi hot aur chudai se bharpur hone wala hai..Umeed hai hame regular updates ke saath ek lajawab story padhne ka saubhagya prapt hoga..Best of luck:party:
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

blackdesk2

New Member
99
64
28
Woaw what a plot, i like your heroine. Let her gets lots and lots of rough low class people's long and big cocks.let her breasts to be sqweezed cruelly by those men. And I think your heroine also loves these rough sexual acts more.
Please make it a long novel please.
 

blackdesk2

New Member
99
64
28
So hot. So erotic. I like your plot of the story. Your heroine is a nympho, so she likes sex from whomever. It's one of my fantasy. Let her get lots of love class men's cocks. Let her breasts to be squeezed brutally. Let her enjoys rough fuckings and biting, squeezing of her breasts.
 

Sana azeem

New Member
4
18
3
एक बार तो मेरा रियेक्शन जांचने के लिये उसने हाथ कुछ सेकेंड रखने के बाद हटा लिया था लेकिन मेरे कोई नोटिस न लेने पर उसने हाथ फिर टिका दिया था और भीड़ में लगभग सरकते हुए साथ ही चलने लगा था।

फिर उसका हाथ कमर से नीचे सरकते हुए चूतड़ों तक पहुंच गया। पहले तो एकदम अजीब सा लगा लेकिन अगले पल में जैसे ही मन ने उस स्पर्श को स्वीकार किया, एकदम से मादक सी सनसनाहट पूरे शरीर में फैल गयी।

उस सरसराहट को उसने भी महसूस किया होगा … शायद इसीलिये कुछ सेकेंड थमा था कि मैं पलट के कुछ रियेक्ट करूँगी लेकिन मैंने कुछ रियेक्ट नहीं किया। भले मेरी सांसें भारी हो गयी हों।

इससे उसने मेरी मौन सहमति का अंदाजा लगा लिया और जैसे उसकी मुंह मांगी मुराद मिल गयी हो। वह चूतड़ों को दबाने रगड़ने लगा और अपनी उंगलियां चूतड़ों की दरार में धंसाने लगा। उसे अहसास हो चुका था कि मैंने पैंटी नहीं पहनी।

मैं गनगना उठी।

वह मेरी गांड के छेद पर टच कर रहा था और अपनी उंगलियों को चूत के निचले हिस्से तक पहुंचा रहा था। यहां मैं एक बात यह भी बता दूँ कि मुझे अपने दोनों छेदों से मजा लेने का शौक है तो पीछे के छेद पर कोई स्पर्श भी मुझे उतना ही गर्म कर देता है जितना आगे के छेद पर और मैं गीली हो जाती हूँ।

मेरी मूक सहमति जान कर वह मेरे पीछे हो गया और मेरे चिपक कर चलने लगा।

इतना तो मैंने देख लिया था कि उसने कॉटन का पजामा पहना हुआ था और शायद मेरे जैसे शिकार का मजा लेने ही आता था तो नीचे अंडरवियर भी नहीं पहने था क्योंकि जब उसने खुद को मुझसे सटाया था तो मुझे उसके खड़े, कड़े और गर्म लंड का बिल्कुल साफ अहसास हुआ था।

मैंने सलवार कुरता और ऊपर से बुर्का पहना हुआ था जिससे चेहरा भी कवर कर के रखा हुआ था … बस मेरी आंखें ही देखी जा सकती थीं।

थोड़ी देर बुर्के के ऊपर से ही मेरे चूतड़ों की दरार में अपना लंड सटाये भीड़ में मुझे आगे ठेलता रहा। फिर नीचे से बुर्के को चूतड़ तक ऊपर उठा दिया और फिर सलवार के ऊपर से दोनों चूतड़ों के बीच अपना लंड गड़ा दिया।

इस पल में मुझे थोड़ा डर जरूर लगा कि कहीं सलवार ही न नीचे कर दे और भरी बाजार मेरे चांद जैसे चूतड़ अनावृत हो जायें लेकिन जब उसने ऐसा नहीं किया तो मेरी जान में जान आई।

इससे उसकी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी और उसने लंड मेरे चूतड़ों पर दबाये एक हाथ से आगे मेरी जांघ पर दबाव बना लिया और दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबाना मसलना शुरू कर दिया।

हाय …. कब से तरसी हुई थी मैं। दिल किया कि वहीं वह मुझे चोद दे। मैं महसूस कर सकती थी कि मेरी चूत बुरी तरह गीली हो कर बहने लगी थी।

“मजा आ रहा है न जानेमन?” उसने अपना मुंह मेरे कान से सटाते हुए फुसफुसा कर कहा।
तब पहली बार मैंने गर्दन घुमा कर उसकी तरफ देखा। सिग्रेट की महक मेरे नथुनों तक पहुंची जो मुझे हमेशा अच्छी लगती थी। कोई खास अच्छा तो नहीं पर कबूल सूरत युवक था।

नकाब के पीछे बंद मेरे होंठ मुस्कराये थे जो वह नहीं देख पाया होगा लेकिन होंठ के साथ मेरी आंखें भी मुस्कराई थीं जो उसने अवश्य महसूस कर ली होंगी। तभी नीचे वाले हाथ से उसने मेरी चूत दबाई थी।

मेरे शरीर का समर्पण, मेरी भावभंगिमा उसे संदेश दे रही थी कि मैं क्या चाहती थी और उसे वह संदेश कैच करने में कोई अड़चन नहीं थी।

वह मुझे अपने हिसाब से ठेलता हुआ बाजार से सट कर अंदर जाती एक छोटी, संकरी गली में ले आया जो एक दुकान का पिछवाड़ा भी था। उधर अंधेरा ही था और दुकान के पार होती बाजार की रोशनी की वजह से ही बस देख पाने की गुंजाइश भर थी।

देखकर लगता नहीं था कि उधर कोई आम रास्ता था कि लोग गुजरें लेकिन फिर भी रिस्क तो थी ही … फिर भी दिमाग पर इस हद तक गर्मी चढ़ी थी कि मैं वहां भी चुदने के लिये तैयार थी और मेरी हालत यह हो रही थी कि मैंने सोच लिया था कि और कोई भी आ गया तो उससे भी चुदवा लूंगी।
 
Top