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Incest मेरा परिवार सुखी संसार

Lusty Star

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नमस्कार दोस्तों,
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,
कहानी लम्बी है, आशा है आपको पसन्द आएगी,

कई किरदार आएंगे,
कई मौके आएंगे

सम्भव है कि कहानी में कुछ ऐसे से भी संवाद और परिस्थिती आएंगी जो आपको लगे कि कही पर ये पढ़ा है,

और भी बहुत कुछ होगा, कहानी को मजेदार बनाने के लिए आप सभी के द्वारा दिए गए सुझावों को समिल्लित करे जाने का पूरा प्रयास करूंगा,
 
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Lusty Star

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नमस्कार दोस्तों
मैं कोई लेखक नहीं हु, बस समय व्यतीत करने हेतु एक छोटी सी कोशिश कर रहा हु, आशा है आपको पंसद आएगी


इस कहानी के किरदार व स्थानों के नाम पूर्णतया काल्पनिक है, वैसे तो ये कहानी एक परिवार की है, लेकिन बीच में कुछ किरदार आते जाते रहेंगे,


प्रथम अध्याय : -


राजेश सिंह राजस्थान के बहुत बड़े अनाज के व्यापारी हैं,


राजेश सिंह राजस्थान के सीकर शहर के एक व्यापारी है. उनका अनाज के साथ साथ शेयर ट्रेडिंग का भी बिज़नस है, . राजेश सिंह दिखने में ठीक-ठाक और थोड़े पक्के रंग के थे
लेकिन एक अच्छे धनी परिवार से होने की वजह से उनका विवाह कविता से हो गया था जो कि गोरी-चिट्टी और बेहद खूबसूरत थी. राजेश सिंह का विवाह हुए 28 साल बीत चुके थे
और वे 4 बच्चों के पिता बन चुके थे, जिनमें सबसे बड़ा रमेश है , उसकी शादी उर्मिला से हुई थी , रमेश अपने पापा का हाथ बटाता है व्यापर में, और उसकी धर्मपत्नी उर्मिला घर की कामो में, दुसरे नंबर पर राजश्री जिसने अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली थी,
अभी घर पर ही होती है नौकरी के लिए प्रतियोगिता
परीक्षाओ की तैयारी कर रही है उस से छोटा राकेश था जो अभी ९वीं कक्षा में था
और सबसे छोटी थी भाग्यश्री जो ५वीं में पढ़ती थी.
राजेश सिंह की चारो संतान रंग-रूप में अपनी माँ पर गईं थी. जिनमें से राजश्री को तो कभी-कभी लोग उसकी माँ की छोटी बहन समझ लिया करते थे.

राजश्री की प्रतियोगिता परीक्षा का आज परिणाम आ गया था जिसमे वह अच्छे अंकों से पास हो गई थी.
उसके एक सप्ताह बाद उसे उदयपुर की एक कंपनी से कॉल लैटर मिला था जिसमें उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था. राजेश सिंह ने भी उसे वहाँ जाने के लिए हाँ कह दिया था.

राजेश सिंह - रमेश तुम राजश्री के साथ उदयपुर जाओगे,

कविता - क्या जरूरत है लड़की को घर से इतना दूर भेजने की ?? हमारे घर में कोई कमी है क्या ?

राजेश सिंह - बात पैसो की कमी की नही है, बात वर्तमान समय के अनुसार बदलने की और स्वयं के पैरो पर खड़े होने की है

कविता - मेरी तो इस घर में सुनता हे कौन है, उर्मिला बहु चल इनके रास्ते में खाने के लिए कुछ बना दे नहीं तो पता नहीं कोनसी जगह पर क्या मिलेगा खाने के लिए,

उर्मिला - जी मम्मी जी


राजश्री पहली बार घर से इतनी दूर रहने जा रही थी सो वह काफी उत्साहित थी. राजश्री ने उदयपुर जाने की तैयारियाँ शुरू कर दीं. वह कुछ नए कपड़े, जूते और मेक-अप का सामान खरीद लाई थी.
जब उसकी माँ ने उसे ज्यादा खर्चा न करने की हिदायत दी तो राजेश सिंह ने चुपके से उसे अपना ए.टी.एम. कार्ड थमा दिया था.
वैसे भी वह राजेश सिंह की लाड़ली थी. वे हमेशा उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते रहे थे.

रात को रमेश के कमरे में उर्मिला घर का पूरा कम करके आई तो देखा की रमेश अभी तक जाग रहा है नहीं तो साधारणतया उर्मिला को आके उससे दोबारा जगाना पड़ता है,

उर्मिला - क्या बात है? आज अभी तक जाग रहे हो, धन्यभाग मेरे.

उर्मिला (गुनगुनाते हुवे) -
"आप के प्यार में हम सवारने लगे
देख के आप को हम निखार ने लगे"

रमेश - अरे वाह, तुम तो आज लगता है मार ही डालोगी मुझे,

उर्मिला अभी अभी नहाके स्नानघर से आई थी, रेशमी वस्त्र उसके बदन पर ऐसे लग रहे थे की अब फिसले तब फिसले, खुले बालो की कारण एक दम अप्सरा लग रही थी

रमेश भी गुनगुनाते हुवे बोला
"ये रेशमी जुल्फे, ये शरबती आंखे
इन्हें देख कर जी रहे है सभी"


उर्मिला - बस बस रहने दो, ज्यादा बाते बनाने की जरुरत नहीं है, ससुर जी को बोल नहीं सकते थे क्या कि आप नहीं जा सकते, आप तो जानते हो मुझे आपके बिना नींद नहीं आती,

रमेश - मेरे बिना या इसके बिना (अपने लंड की और इशारा करते हुवे)

उर्मिला - जो चाहे समझ लो, बस

रमेश - देखो मना तो मैं नहीं कर सकता, मैं नहीं तो फिर कौन जायेगा राजश्री के साथ,

उर्मिला - वो सब मैं नहीं जानती,

रमेश - अरे मेरी जान गुस्सा क्यों करती हो, आज और कल की रात है न, तुम्हारी पलंग तोड़ चुदाई के लिए, और आते समय तुम्हे लिए एक अच्छी सी साडी लेता आऊंगा, अब प्रसन्न हो,

उर्मिला - (मन को समझाने के तरीके से ) दूसरा कोई उपाय है तो बताओ, ?

रमेश - अभी करता हु

अब उर्मिला ने उससे कुछ भी नहीं बोला और बस रमेश को कनखियों से लगातार देखती रही और जैसे ही रमेश उसके एक दम पास गया तो उसकी गोद में छोटे बच्चो की तरह समा गई थी और
रमेश उर्मिला को अपनी गोद में लेकर पलंग पर पहुंच गया और अब उर्मिला को चूमने लगा.

इसमें उर्मिला भी उसकी मदद करने लगती है,



(यहाँ से आगे उर्मिला को उर्मी कहके संबोधित करेंगे)



अब कभी उर्मी रमेश के ऊपर तो कभी रमेश उर्मी के ऊपर आ जाता.

दोनों एक दूसरे के अंदर समा रह थे और पूरे कमरे में बस एम्म मुऊऊ आअहह उूुउउउउंम की गूँज फेली हुई थी.

फिर जैसे ही रमेश ने पूरे दम से उर्मी के चुंचो को दबाया तो उर्मी उस दर्द की वजह से चिल्ला उठी और उस जोरदार चीख को सुनकर रमेश ने उर्मी के होंठो को अपने होंठो से बंद कर दिए,

जिसकी वजह से उर्मी की आवाज अंदर ही दबकर रह गई और रमेश ने एक बार फिर से उर्मी के चुंचो को दबाना शुरू कर दिया.

उस आपाधापी और चुम्माचाटी में उसकी रेशमी पाजामी कब उतरी पता ही नहीं चला, और अब रमेश ने उर्मी की रेशमी कुर्ती को भी उतारकर फेंक दिया

रेशमो कुर्ती उतरते ही उसकी लाल चोली (ब्रा) और लाल थोंग दिखाए दी,

रमेश - मैंने कहा था न कि आज तो मारने के मूड से ही आई हो, (क्यूंकि ये अंतवस्त्र का सेट रमेश ने ही ला के दिया था और रमेश को लाल अंतवस्त्र बहुत ही ज्यादा पसंद है)

उर्मी कुछ नहीं बोली और अपनी जालीदार लाल कलर की चोली (ब्रा) में उसके सामने लेटी हुई थी, उनका बेड स्प्रिंग वाला होने की वजह से वो लोग उसमें दबते ही जा रह थे,

अब तो जैसे रमेश में कोई आत्मा प्रवेश कर गयी हो वो अब उर्मी पर हावी होने लगा , उसने अपना पूरा शरीर उर्मी पर एकदम ढीला छोड़कर पागलो की तरह उर्मी की चुम्मि लेने लगा था,
जैसे कि उसने कई सालों से किसी को चूमा ना हो.अब धीरे धीरे उसने मेरे गले को चूमते हुए वो उर्मी के चुंचो पर पहुंच गया और
उसने उस लाल रंग की चोली को बड़े प्यार से उतार फेंका,
अब उर्मी के दोनों चुंचे उसके दोनों होंठो पर थे और उर्मी अपनी दोनों आखें बंद करके इस सारे अनुभव के मज़े ले रही थी और उसके साथ साथ में ज़ोर ज़ोर की सिसकियाँ भी ले रही थी.

दोस्तों जैसा कि मैंने पहले आपको बताया था कि राजेश सिंह का घर बहुत बड़ा है और प्रथम तल पर राजश्री और रमेश का कमरा है बाकी सब का भूमि तल पर
और रात के सन्नाटे में इतनी शांति होने की वजह से उर्मी की आवाज़ गूंजने लगी थी,

उर्मी - आआयुम्मम उफ्फ्फफ्फ्फ़

लेकिन उर्मी जब ये आंहे भरती तो दुबारा उसकी आवाज उसके ही कानों में सुनाई पड़ती और इधर इन सब की बिना परवाह किया रमेश उर्मी के चुंचो को खाए जा रहा था
और उर्मी अपने हाथों से उसके बालों को पकड़कर अपने चुंचो पर और भी ज़ोर से दबाने लगी थी,

जिसकी वजह से रमेश और भी ज़ोर ज़ोर से उर्मी के 36 के चुंचो को अपने मुहं से चूसते हुए निप्पल को निचोड़े जा रहा था और उर्मी ने बहुत ज़ोर से उसे जकड़ा हुआ था.
 
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द्वितीय अध्याय :-



ऐसा नहीं है कि उर्मी ने पहले कभी किसी का भी लंड ना पकड़ा था, विवाह के पूर्व वो बहुत ही रंगीन प्रवर्ती की थी जो आज भी है,

रमेश उर्मी को ऊपर चूमता, लेकिन उर्मी ने अपने पैर पहले ही फैला रखे थे,

जिस वजह से रमेश का लंड निक्कर के अन्दर से उर्मी की चूत पर उनकी थोंग के ऊपर से रगड़े जा रहा था,

उस कारणवश उर्मी और भी ज्यादा पगलाती जा रही थी और एकदम मदहोश हो बैठी थी,

दोस्तों ये सब प्रथम तल पर हो रहा था और पास में ही राजश्री का कक्ष भी था जिसमे आराम से रमेश और उर्मी की उंह आंह सुनी जा सकती थी और सुनी भी जा रही थी,
और वो उंह आह राजश्री को पागल किये जा रहा थी,

जब से उर्मी उसकी भाभी बन के इस घर में आई थी तब से ही राजश्री प्रत्येक रात्रि राजश्रीउनकी चुदाई की आवाजे सुन सुन कर ऊँगली या तो कभी कोई लम्बी सब्जी का उपयोग करके खुद की चूत या बुर की वासना को शांत किया करती थी और

ऐसा करते उसे काफी समय हो गया था, पर क्या करे बदनामी के डर से उसने आज तक कभी वास्तविक लंड के न तो दर्शन किये और ना कभी चूत की आग बुझाने के उपयोग में लिया,

राजश्री मन में - काश ये चुदाई का ज्ञान मुझे पहले होता तो मैं अब तब रमेश से चुद कर गर्भवती हो गयी होती,

अन्दर रमेश के कक्ष में

उर्मी - मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ बेबी

इधर रमेश भी - मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बेबी,

अपने कक्ष में राजश्री - मैं भी आपके लंड को बहुत प्रेम करती हु

रमेश ने ये कहकर उर्मी के चुंचो को काटा और रमेश नीचे उर्मी की नाभि पर पहुंच गया.अब रमेश उर्मी की नाभि को चूमने चाटने लगा,

उर्मी तो उसकी वजह से बिल्कुल तड़प ही उठी. उर्मी ने एक अजब सा अहसास महसूस किया कि वो आज पूर्णत पागल हो जाएगी,

अब रामेश ने उर्मी की चूत पर अपनी एक ऊँगली को रख दिया और उसके स्पर्श से उर्मी तो उसी पल कांप उठी.

उर्मी को इस समय रमेश पर इतना प्यार आने लगा था,

रमेश की उँगलियाँ उर्मी की गरम चूत को छू रही थी,

अब रमेश धीरे धीरे नीचे आते हुए तुरंत उर्मी की चूत के पास पहुंचकर जीभ से उर्मी की चूत को चाटने चूसने लगा था

उर्मी - आअहहुउ उम्म्मउूउउ उफ़फ्फ़ हाँ उउक्ककक बेबी प्लीज़ मेरी चूत में अब जल्दी से अपना लंड डाल दो,
उफफ्फ्फ्फ़ प्लीज अब उर्मी ज्यादा और नहीं सह सकती

उर्मी इतनी अधिक गर्म हो चुकी थी की उसे बिल्कुल भी होश नहीं था कि उर्मी की चीखने चिल्लाने की आवाज़ बाहर
तक जा रही थी, और उन आवाजो को सुन कर राजश्री की हालत भी खराब होई जा रही थी

उर्मी तो बस आज रमेश से आज पूरी ताकत से अपनी चुदाई करवाना चाहती थी. क्यूंकि संभवतः अगली बार उसे लंड शायद दस से पंद्रह दिन बाद मिले
रमेश के उदयपुर से आने के बाद

अब रमेश भी उर्मी की चूत को और भी ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा था. तभी उर्मी अपने दोनों पैरों को पूरा फैलाकर उसका सर पकड़कर अपनी
पूरी ताकत लगाकर उसका मुहं चूत पर दबा लिया, जिसकी वजह से उसकी जीभ पूरी अंदर तक जा पहुंची और
उर्मी एकदम से उसको जकड़कर रमेश के मुहं पर अपनी चूत का गरम गरम पानी छोड़ दिया,
जिसकी वजह से रमेश का पूरा मुहं उर्मी के चिपचिपे गरम माल से भर गया और उसने बड़े प्यार से रमेश ने सारा पानी गटक लिया और फिर ऊपर उर्मी मुहं के पास आ गया,

उसने अपने होंठो पर अपने दोनों गीले होंठ रख दिए और रमेश उर्मी को किस करने लगा.

कुछ देर चूमते हुए उर्मी नीचे आ गई और जब उर्मी ने रमेश के कड़क लंड को देखा तो उर्मी बिल्कुल ही दंग रह गई, ये लंड प्रत्येक दिन वाला
लंड नहीं लग रहा था, आज कुछ अलग ही दिखाई दे रहा था

रमेश का लंड करीब 6 इंच लंबा और करीब 3 सेंटीमीटर मोटा था, इसलिए उसका लंड कभी भी उर्मी के मुहं में पूरी तरह से नहीं घुस पाया था,

लेकिन उर्मी भी कम खिलाडी नहीं थी मुंह में भले ही न आया हो पर चूत में पूरा का पूरा ले लेती थी,

थोड़ी डर तक उर्मी लंड को चाट रही थी, अब रमेश ने उठ कर लंड को उर्मी की चूत के मुहं पर सेट किया.

उर्मी - बेबी बहुत मोटा है आपका, प्लीज मेरा थोड़ा सा ख्याल जरुर रखना.

रमेश - अरे यार पहली बार थोड़ी है,

उर्मी - पहली बार नहीं पर इसकी मोटाई मेरी हालत ख़राब कर देती है

रमेश - आज से पहले तुम्हे कुछ नहीं होने दिया अब कैसे कुछ होने दूंगा तुम्हें कुछ भी नहीं होगा

फिर रमेश लंड को सेट करके उर्मी चेहरे के पास आ गया. और फिर बड़े प्यार से उर्मी की चूत के मुहं पर अपना टोपा रखा और धीरे से अंदर की तरफ दबाव बना दिया,

जिसकी वजह से उसके लंड का टोपा उर्मी की चूत के अंदर जा पहुंचा और उतने में उर्मी उर्मी मुहं से बहुत ज़ोर की चीख निकल पड़ी,

उर्मी - उफ्फ्फ्फ़ आईईई माँ उर्मी मर गई, प्लीज थोड़ा धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है, इस दर्द से मर जाउंगी उूुुउउ एम्म्मएम्म उउंमम्मा

रमेश - अरे यार ये क्या है, ये रोज का है तुम्हारा, इतने महीने से चुदवा रही हो, फिर भी इतना क्या चिल्लाना,

उर्मी - तुम तो अच्छे से जानते हो की मुझे चुदवाते समय चिल्लाना बहुत पंसद है,

इसके आगे उर्मी कुछ भी बोलती रमेश ने झट से उर्मी के होंठो को अपने होंठो से बंद कर दिया और रमेश धीरे धीरे उर्मी की चुदाई करने लगा

कुछ देर तक उर्मी के चुंचो को सहलाने लगा, उसने उर्मी पूरे शरीर को अपने हल्के हाथ से सहलाया लेकिन जैसे ही उसने उसके होंठ उर्मी के होंठो से हटाये उर्मी फिर से चिल्लाने लगी

उर्मी - आअहहह उूउउउउफफफ्फ़ उूउउएम्म्म एम्म्म उउउक्च्छ हुउूहह

रमेश - अरे यार मरवाओगी तुम .

उर्मी - बेशर्मी से बोली - मरवा तो रही हु

उर्मी - अब बस जल्दी से चोद दो, अब ज्यादा नहीं चिल्लाउंगी

रमेश उर्मी की यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया. उसने उर्मी यह बात सुनकर और एक बार जोरदार धक्का देकर अपना पूरा 6 इंच का मोटा लंड पूरा उर्मी की
चूत के अंदर डाल दिया, इस अचानक आक्रमण से उर्मी एकदम से चिल्ला उठी,

उर्मी - आआहहहुउ उउफफफ्फ़उू उउईईईईईइ माँ मर गई, आउूउचहह उफ्फ्फफ्फ्फ़ माँ
बहुत दर्द हो रहा है, ऐसा कोई करता है क्या तुमने तो मुझे मार ही डाला था

लेकिन रमेश उसकी बातो को अनसुना करते हुवे उर्मी की चूत में ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा और लगातार उर्मी की आवाज़ निकलती रही,

उर्मी - आआहह हुउऊउफफफ्फ़ उूईईईईईई उउउफ़फ्फु.

अब उर्मी भी बराबर साथ दे रही थी उसने रमेश को ज़ोर से जकड़ा हुआ था,

रमेश उर्मी की चूत में अपने लंड को घोड़े पर सवार की तरह उचक उचककर धक्के देते हुए चोदे जा रहा था

कुछ समय बाद उर्मी और रमेश आनंद के सरोवर में सराबोर हो गए और सब कुछ भूल कर बस चुदाई की दुनिया में खो गए,

उर्मी भी अब उसके साथ साथ नीचे से अपनी चूतड़ को उठा उठाकर धक्के देने लगी थी और उर्मी अपनी कमर को उठाकर रमेश से चुदने लगी.

बहुत समय हो गया था तो भी रमेश उर्मी को लगातार धक्के देकर चोदता जा रहा था,

रमेश बिल्कुल भी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, पता नहीं उस पर कौनसा भूत सवार था,

उर्मी इस बीच ना जाने कितनी बार झड़ गई थी, उर्मी को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था,

अब पूरे रूम में उन दोनों के नंगे बदन के टकराने की फच फच फच की आवाज़ और उर्मी की सिसकियों की आवाज़ गूंजने लगी थी.

और साथ ही राजश्री भी ऊँगली करते करते कितनी बार झड गयी होगी

पूरे एक घंटे तक उर्मी उसी के नीचे लेटी हुई चुद रही थी और रमेश भी बहुत जोश में आकर उर्मी चोदे जा रहा था.

फिर कभी उर्मी उसको किस करती तो कभी रमेश उर्मी को किस करता तो कभी रमेश उर्मी के चुंचो को चूमता और कभी उसे जमकर पकड़कर निचोड़ देता

तो कभी रमेश उर्मी के चुंचो पर अपना सर रखकर उस पर लेट जाता. रमेश जो भी उर्मी के साथ करता उर्मी उसका पूरा पूरा साथ देती जाती.

इसी धक्कमपेल में रमेश उर्मी की चूत में ही झड गया, और ऐसे एक दुसरे की बांहों में नंगे ही सो गए,

इधर राजश्री भी पलंग पर पड़े पड़े सोच रही थी कि इस ट्रिप पर भैया के लंड को चख ही लिया जाए, उसकी बहुत सी सहेलिया ऐसा ही कर रही थी,

यही सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला

सुबह उसकी आँख उर्मी की आवाज से ही खुली

जो की उसे जगाने आयी थी
 
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Rinkp219

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भाग संख्या - 2



ऐसा नहीं है कि उर्मी ने पहले कभी किसी का भी लंड ना पकड़ा था, विवाह के पूर्व वो बहुत ही रंगीन प्रवर्ती की थी जो आज भी है,

रमेश उर्मी को ऊपर चूमता, लेकिन उर्मी ने अपने पैर पहले ही फैला रखे थे,

जिस वजह से रमेश का लंड निक्कर के अन्दर से उर्मी की चूत पर उनकी थोंग के ऊपर से रगड़े जा रहा था,

उस कारणवश उर्मी और भी ज्यादा पगलाती जा रही थी और एकदम मदहोश हो बैठी थी,

दोस्तों ये सब प्रथम तल पर हो रहा था और पास में ही राजश्री का कक्ष भी था जिसमे आराम से रमेश और उर्मी की उंह आंह सुनी जा सकती थी और सुनी भी जा रही थी,
और वो उंह आह राजश्री को पागल किये जा रहा थी,

जब से उर्मी उसकी भाभी बन के इस घर में आई थी तब से ही राजश्री प्रत्येक रात्रि राजश्रीउनकी चुदाई की आवाजे सुन सुन कर ऊँगली या तो कभी कोई लम्बी सब्जी का उपयोग करके खुद की चूत या बुर की वासना को शांत किया करती थी और

ऐसा करते उसे काफी समय हो गया था, पर क्या करे बदनामी के डर से उसने आज तक कभी वास्तविक लंड के न तो दर्शन किये और ना कभी चूत की आग बुझाने के उपयोग में लिया,

राजश्री मन में - काश ये चुदाई का ज्ञान मुझे पहले होता तो मैं अब तब रमेश से चुद कर गर्भवती हो गयी होती,

अन्दर रमेश के कक्ष में

उर्मी - मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ बेबी

इधर रमेश भी - मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बेबी,

अपने कक्ष में राजश्री - मैं भी आपके लंड को बहुत प्रेम करती हु

रमेश ने ये कहकर उर्मी के चुंचो को काटा और रमेश नीचे उर्मी की नाभि पर पहुंच गया.अब रमेश उर्मी की नाभि को चूमने चाटने लगा,

उर्मी तो उसकी वजह से बिल्कुल तड़प ही उठी. उर्मी ने एक अजब सा अहसास महसूस किया कि वो आज पूर्णत पागल हो जाएगी,

अब रामेश ने उर्मी की चूत पर अपनी एक ऊँगली को रख दिया और उसके स्पर्श से उर्मी तो उसी पल कांप उठी.

उर्मी को इस समय रमेश पर इतना प्यार आने लगा था,

रमेश की उँगलियाँ उर्मी की गरम चूत को छू रही थी,

अब रमेश धीरे धीरे नीचे आते हुए तुरंत उर्मी की चूत के पास पहुंचकर जीभ से उर्मी की चूत को चाटने चूसने लगा था

उर्मी - आअहहुउ उम्म्मउूउउ उफ़फ्फ़ हाँ उउक्ककक बेबी प्लीज़ मेरी चूत में अब जल्दी से अपना लंड डाल दो,
उफफ्फ्फ्फ़ प्लीज अब उर्मी ज्यादा और नहीं सह सकती

उर्मी इतनी अधिक गर्म हो चुकी थी की उसे बिल्कुल भी होश नहीं था कि उर्मी की चीखने चिल्लाने की आवाज़ बाहर
तक जा रही थी, और उन आवाजो को सुन कर राजश्री की हालत भी खराब होई जा रही थी

उर्मी तो बस आज रमेश से आज पूरी ताकत से अपनी चुदाई करवाना चाहती थी. क्यूंकि संभवतः अगली बार उसे लंड शायद दस से पंद्रह दिन बाद मिले
रमेश के उदयपुर से आने के बाद

अब रमेश भी उर्मी की चूत को और भी ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा था. तभी उर्मी अपने दोनों पैरों को पूरा फैलाकर उसका सर पकड़कर अपनी
पूरी ताकत लगाकर उसका मुहं चूत पर दबा लिया, जिसकी वजह से उसकी जीभ पूरी अंदर तक जा पहुंची और
उर्मी एकदम से उसको जकड़कर रमेश के मुहं पर अपनी चूत का गरम गरम पानी छोड़ दिया,
जिसकी वजह से रमेश का पूरा मुहं उर्मी के चिपचिपे गरम माल से भर गया और उसने बड़े प्यार से रमेश ने सारा पानी गटक लिया और फिर ऊपर उर्मी मुहं के पास आ गया,

उसने अपने होंठो पर अपने दोनों गीले होंठ रख दिए और रमेश उर्मी को किस करने लगा.

कुछ देर चूमते हुए उर्मी नीचे आ गई और जब उर्मी ने रमेश के कड़क लंड को देखा तो उर्मी बिल्कुल ही दंग रह गई, ये लंड प्रत्येक दिन वाला
लंड नहीं लग रहा था, आज कुछ अलग ही दिखाई दे रहा था

रमेश का लंड करीब 6 इंच लंबा और करीब 3 सेंटीमीटर मोटा था, इसलिए उसका लंड कभी भी उर्मी के मुहं में पूरी तरह से नहीं घुस पाया था,

लेकिन उर्मी भी कम खिलाडी नहीं थी मुंह में भले ही न आया हो पर चूत में पूरा का पूरा ले लेती थी,

थोड़ी डर तक उर्मी लंड को चाट रही थी, अब रमेश ने उठ कर लंड को उर्मी की चूत के मुहं पर सेट किया.

उर्मी - बेबी बहुत मोटा है आपका, प्लीज मेरा थोड़ा सा ख्याल जरुर रखना.

रमेश - अरे यार पहली बार थोड़ी है,

उर्मी - पहली बार नहीं पर इसकी मोटाई मेरी हालत ख़राब कर देती है

रमेश - आज से पहले तुम्हे कुछ नहीं होने दिया अब कैसे कुछ होने दूंगा तुम्हें कुछ भी नहीं होगा

फिर रमेश लंड को सेट करके उर्मी चेहरे के पास आ गया. और फिर बड़े प्यार से उर्मी की चूत के मुहं पर अपना टोपा रखा और धीरे से अंदर की तरफ दबाव बना दिया,

जिसकी वजह से उसके लंड का टोपा उर्मी की चूत के अंदर जा पहुंचा और उतने में उर्मी उर्मी मुहं से बहुत ज़ोर की चीख निकल पड़ी,

उर्मी - उफ्फ्फ्फ़ आईईई माँ उर्मी मर गई, प्लीज थोड़ा धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है, इस दर्द से मर जाउंगी उूुुउउ एम्म्मएम्म उउंमम्मा

रमेश - अरे यार ये क्या है, ये रोज का है तुम्हारा, इतने महीने से चुदवा रही हो, फिर भी इतना क्या चिल्लाना,

उर्मी - तुम तो अच्छे से जानते हो की मुझे चुदवाते समय चिल्लाना बहुत पंसद है,

इसके आगे उर्मी कुछ भी बोलती रमेश ने झट से उर्मी के होंठो को अपने होंठो से बंद कर दिया और रमेश धीरे धीरे उर्मी की चुदाई करने लगा

कुछ देर तक उर्मी के चुंचो को सहलाने लगा, उसने उर्मी पूरे शरीर को अपने हल्के हाथ से सहलाया लेकिन जैसे ही उसने उसके होंठ उर्मी के होंठो से हटाये उर्मी फिर से चिल्लाने लगी

उर्मी - आअहहह उूउउउउफफफ्फ़ उूउउएम्म्म एम्म्म उउउक्च्छ हुउूहह

रमेश - अरे यार मरवाओगी तुम .

उर्मी - बेशर्मी से बोली - मरवा तो रही हु

उर्मी - अब बस जल्दी से चोद दो, अब ज्यादा नहीं चिल्लाउंगी

रमेश उर्मी की यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया. उसने उर्मी यह बात सुनकर और एक बार जोरदार धक्का देकर अपना पूरा 6 इंच का मोटा लंड पूरा उर्मी की
चूत के अंदर डाल दिया, इस अचानक आक्रमण से उर्मी एकदम से चिल्ला उठी,

उर्मी - आआहहहुउ उउफफफ्फ़उू उउईईईईईइ माँ मर गई, आउूउचहह उफ्फ्फफ्फ्फ़ माँ
बहुत दर्द हो रहा है, ऐसा कोई करता है क्या तुमने तो मुझे मार ही डाला था

लेकिन रमेश उसकी बातो को अनसुना करते हुवे उर्मी की चूत में ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा और लगातार उर्मी की आवाज़ निकलती रही,

उर्मी - आआहह हुउऊउफफफ्फ़ उूईईईईईई उउउफ़फ्फु.

अब उर्मी भी बराबर साथ दे रही थी उसने रमेश को ज़ोर से जकड़ा हुआ था,

रमेश उर्मी की चूत में अपने लंड को घोड़े पर सवार की तरह उचक उचककर धक्के देते हुए चोदे जा रहा था

कुछ समय बाद उर्मी और रमेश आनंद के सरोवर में सराबोर हो गए और सब कुछ भूल कर बस चुदाई की दुनिया में खो गए,

उर्मी भी अब उसके साथ साथ नीचे से अपनी चूतड़ को उठा उठाकर धक्के देने लगी थी और उर्मी अपनी कमर को उठाकर रमेश से चुदने लगी.

बहुत समय हो गया था तो भी रमेश उर्मी को लगातार धक्के देकर चोदता जा रहा था,

रमेश बिल्कुल भी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, पता नहीं उस पर कौनसा भूत सवार था,

उर्मी इस बीच ना जाने कितनी बार झड़ गई थी, उर्मी को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था,

अब पूरे रूम में उन दोनों के नंगे बदन के टकराने की फच फच फच की आवाज़ और उर्मी की सिसकियों की आवाज़ गूंजने लगी थी.

और साथ ही राजश्री भी ऊँगली करते करते कितनी बार झड गयी होगी

पूरे एक घंटे तक उर्मी उसी के नीचे लेटी हुई चुद रही थी और रमेश भी बहुत जोश में आकर उर्मी चोदे जा रहा था.

फिर कभी उर्मी उसको किस करती तो कभी रमेश उर्मी को किस करता तो कभी रमेश उर्मी के चुंचो को चूमता और कभी उसे जमकर पकड़कर निचोड़ देता

तो कभी रमेश उर्मी के चुंचो पर अपना सर रखकर उस पर लेट जाता. रमेश जो भी उर्मी के साथ करता उर्मी उसका पूरा पूरा साथ देती जाती.

इसी धक्कमपेल में रमेश उर्मी की चूत में ही झड गया, और ऐसे एक दुसरे की बांहों में नंगे ही सो गए,

इधर राजश्री भी पलंग पर पड़े पड़े सोच रही थी कि इस ट्रिप पर भैया के लंड को चख ही लिया जाए, उसकी बहुत सी सहेलिया ऐसा ही कर रही थी,

यही सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला

सुबह उसकी आँख उर्मी की आवाज से ही खुली

जो की उ
Super...bhai papa ka character strong karna
से जगाने आयी
 

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तृतीय अध्याय : -



(कहानी के प्रारम्भ में मैंने गलती से लिख दिया था कि भाग्यश्री कक्षा ५ में पढ़ती और राकेश कक्षा ९ में पढ़ते है परन्तु भाग्यश्री द्वितीय वर्ष की छात्रा और
राकेश कक्षा 12 की परीक्षा दे चूका है और दोनों ही परिणाम आने की प्रतीक्षा में है)



अब आगे ----


उर्मी नहा धो कर उसके कमरे में आयी थी,

उसके बदन से महकी सी सुगंध आ रही थी, वो सुगंध राजश्री को पागल किये जा रही थी, उसी समय उर्मी उसके मुंह को राजश्री के कान के पास ले गयी
और जैसे ही उसे जगाने के लिए कुछ बोलने वाली थी, राजश्री ने चेहरा उसकी तरफ घुमा दिया और जानबूझ कर उर्मी के होठो पर एक जबरदस्त चुम्मा दे दिया,

हडबडा कर उर्मी ने खुद को पीछे खिंच लिया और गुस्सेल दृष्टि से राजश्री की और देखने लगी,

उस सुगंध में मदहोश हो रही राजश्री ऐसा कुछ कर बैठेगी उर्मी और राजश्री ने कभी स्वप्न में भी न सोचा होगा,

राजश्री भी अब सकपका गयी और उर्मी से बोली,

राजश्री - भाभी प्लीज मुझे माफ़ कर दो, मुझे पता नहीं क्या हो गया था, प्लीज आप किसी से कुछ कहाँ मत,

और गिडगिडाती घुटनों पर बैठ गयी और ये भूल गयी थी की उसने कुछ पहना नहीं है, क्यूंकि कल रात को वो ऊँगली करते करते नग्न ही सो गयी थी,

उर्मी ये देख कर और ज्यादा घबरा गयी,

उर्मी ने खुद को सभालते हुवे बोली - नहीं कहूँगी कुछ भी, लेकिन हम दोनों को इस बारे में बात करनी होगी, अब शांत हो जाओ और सबसे पहले तुम कपडे पहनो,

सामने लगे आईने में जब राजश्री ने खुद को देखा तो भयंकर रूप से डर गयी और शर्मा भी गयी, पास पड़ी चादर को खीच कर अपने नंगे बदन को ढक लिया,

उर्मी (माहोल को थोडा ठंडा करने के लिए ) - अब ढकने से क्या होगा ननद रानी, मैंने तो सब देख लिया,

इस पर राजश्री थोडा और डर गयी और नीची नजरे करके बैठी रही,

उर्मी - अब चलो कुछ नहीं हुवा, और हाँ मैं कभी भी किसी से इस बात कोई जिक्र नहीं करुँगी, लेकिन एक शर्त पर

राजश्री - शर्त..... कैसी शर्त ??

उर्मी - अब से हर रोज मैं जब तुम्हे जगाने आऊ तो मुझे इस से भी अच्छी वाली किस चाहिए, बोलो अगर मंजूर हो तो नहीं तो मैं अभी चली सब को बताने,

उर्मी ने ये सोच कर ऐसा कहा था ताकि राजश्री थोड़ी संभल जाए,

लेकिन अगले ही पल राजश्री ऐसा कुछ कर देगी उसने कभी भी नहीं सोचा था,

राजश्री ने उठ कर अपने आप को संभाला और जाके सीधे उर्मी के होठो पर खुद के होठ रख दिए और जबरदस्त किस कर दिया, दो मिनट लम्बे किस के बाद राजश्री बोली.

राजश्री - ऐसे ही न भाभी ??

उर्मी ने भी उस किस का भरपूर आनदं लिया और बोली - हाँ बिलकुल ऐसे ही, और आज से अकेले में तुम मुझे उर्मी ही कहोगी, भाभी दुनिया के सामने,

राजश्री - ठीक है उर्मी, और आज से आप भी मुझे राजू कह कर बुलायेंगी,

उर्मी ने राजश्री के ललाट पर एक चुम्मा दिया और उसके कमरे से बहार निकल गयी,

उर्मी ने सभी प्रकार की चुदाई कर रखी थी, चाहे लेस्बियन हो या सीधे सीधे, कोलेज में सब कुछ किया था उसने, और आज जिस समय से राजश्री गुजर रही है उस समय से वो भी गुजर चुकी थी,

उर्मी ने सोच लिया था की वो राजश्री को एकदम परिपक्व बना देगी चुदाई के मामले में,


तभी

'राजू?' कविता ने राजश्री को उसके घर के नाम से पुकारते हुए आवाज़ लगाई.

राजश्री - 'जी मम्मी आयी '

कविता - 'तुम तैयार हुई कि नहीं? जल्दी से नीचे आ कर नाश्ता कर लो.'

राजश्री - 'हाँ-हाँ आ रही हूँ मम्मा.'

कुछ देर बाद राजश्री नीचे हॉल में आई तो देखा कि उसके पिता और भाई-बहन पहले से डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट कर रहे थे.

राजश्री - 'गुड मोर्निंग पापा. मम्मी कहाँ है?' .

राजेश सिंह - 'वो कपड़े बदल कर अ...आ रही है.' और जैसे ही राजश्री को देखा तो उसके पहने कपड़ों को देख वे हकला गए,

बचपन से ही राजेश सिंह अपने बच्चो पर कोई रोक-टोक न रखने की वजह से राजश्री नए-नए फैशन के कपड़े ले आया करती थी और राजेश सिंह भी उसकी
बचकानी जिद के आगे हार मान जाया करते थे.

लेकिन बड़ी होते-होते उसकी माँ कविता ने उसे टोकना शुरू कर दिया था. आज उसने अपनी नई लाइ पोशाकों में से एक चुन कर पहनी थी.

आज उसने लेग्गिंग्स के साथ छोटी सी टी-शर्ट पहन रखी थी जो मुश्किल से उसकी नाभी तक आ रही थी.

लेग्गिंग्स में ढंके राजश्री के जवान बदन के उभार पूरी तरह से नज़र आ रहे थे. उसकी टी-शर्ट भी स्लीवेलेस और गहरे गले की थी.

राजेश सिंह अपनी बेटी को इस रूप में देख झेंप गए और नज़रें झुका ली. तभी उर्मी किचन से बहार आयी

राजश्री - 'भाभी कैसी लगी मेरी नई ड्रेस?'

राजश्री अपने पापा के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गयी,

उर्मी (सकपकाते हुवे ) - 'अ...अ...अच्छी है, बहुत अच्छी है.' और आँख मारते हुवे रसोई के अन्दर बुलाया,

रसोई के अन्दर

उर्मी - ये क्या पहना है ?? थोड़ी तो शर्म करो, पापा जी है,

राजश्री - सॉरी भाभी, मैं तो ये आपको दिखाने के लिए पहना कर आयी थी,

उर्मी - ठीक है अब मैंने देख ली, अब जाके बदल कर आओ इसे,


राजश्री रसोई से निकल कर कमरे की तरफ जाने लगी तो राजेश सिंह भी कुर्सी से उठ चुके थे और पीछे-पीछे ही थे. आगे चल रही राजश्री
की ठुमकती चाल पर न चाहते हुए भी उनकी नज़र चली गई.

राजश्री ने ऊँचे हील वाली चप्पल पहन रखी थी जिस से उसकी टांगें और ज्यादा तन गईं थी और उसके नितम्ब उभर आए थे.

यह देख राजेश सिंह का चेहरा गरम हो गया था.

उधर राजश्री इस बात से बेखबर थी लेकिन उर्मी और भाग्यश्री की नज़रे सब कुछ देख रही थी और तभी राजेश सिंह की धोखेबाज़ नज़रें एक बार फिर ऊपर उठ गईं थी.

राजश्री के तेज तेज चलने से उसकी गोरी कमर और नितम्ब हौले-हौले डोल रहे थे. यह देख राजेश सिंह को उत्तेजना का एहसास होने लगा था पर अगले ही पल वे ग्लानी और शर्म से भर उठे.

उर्मी फिर से गुनगुना रही थी
"छम्मक छल्लो, जरा धीरे चलो"

राजश्री के कमरे से रसोई का गेट दिखाई देता है, जब कमरे के गेट पर पहुंच कर उसने रसोई की तरफ देखा तो उर्मी दरवाजे पर खड़ी उसे ही देख रही थी,

जैसे ही दोनों की नजरे मिली तो उर्मी ने खुद के होठो पर जीभ फिरे और काटने के जैसा मुंह बनाया,

तो जवाब में राजश्री ने खुद के निचले होठ को काट खाया,

राजश्री की इस हरकत को उसके पापा ने अच्छे से देखा लेकिन भाग्यश्री ने उर्मी और राजश्री दोनों को देख लिया और उनके इशारे भी समझ गयी,




भाग्यश्री बड़ी बहन राजश्री से दो कदम आगे थी, हालाँकि उसने भी अभी तक असली लंड से चुदवाया नहीं है लेकिन वो कभी कभी अपनी परम मित्र / पक्की सहेली

सावनी के साथ मिलकर लेस्बियन चुदाई का आनदं ले चुकी है, और उसने कई कहानिया भी पढ़ी हुई है और रोज रात को चूत में डिल्डो डाल कर सोती है, उसने और

भी चुदाई में काम आने वाली वस्तुए ला रखी है, और अगर कभी चूत में नही तो गांड में बट प्लग लगा कर रखती है, ये तो कई बार पुरे दिन लगा कर रख चुकी है,

भाग्यश्री के मम्मे राजश्री से थोड़े बड़े थे क्यूंकि सावनी ने कुछ मेहनत की थी उसपे,




नाश्ते के बाद राजश्री नहा धो कर दुसरे कपडे पहन कर पलंग पर उलटी लेटी थी,

राकेश अपने कमरे में मोबाइल पर कुछ गेम खले रहा था,

उर्मी और उसकी सास कविता घर का काम कर रहे थे,

भाग्यश्री भी कमरे में सीधी लेटी हुई पंखे को देखते हुवे आज के इशारे बाजी के बारे में सोच रही थी,

राजेश सिंह और रमेश अपने ऑफिस चले गए थे,

लाइट को जाके कुछ आधा घंटा हो गया था,

कविता (साड़ी के पल्लू से हवा खाते हुवे ) - कितनी बार तुम्हारे ससुर जी को बोला है कि एक इन्वर्टर लगवा दो,

उर्मी - हाँ मम्मी जी, देखिये तो सही गर्मी के मारे हालत ख़राब हो रही है,

कविता - आज आने दो दोनों बाप बेटों को, कल की कल इन्वर्टर लगवाऊंगी, ठीक है मैं ये कपडे राकेश के कमरे में रख देती हु और तू इन्हें भागु और राजू के कमरे में,

पसीने में लथपथ कविता कपडे ले कर राकेश के कमरे में गयी तो उसका पल्लू उसने ऐसे ले रखा था कि उसके मम्मो की गहरी और लम्बी दरार (डीप क्लीवेज) साफ़ साफ़ नजर आ रही थी,

राकेश ने देखा की उसकी मम्मी उसके कमरे में आयी है तो उसने मोबाइल से आँखे हटा कर कविता की तरफ देखा

उसकी सीधी नजर कविता की क्लीवेज पर गयी और न चाहते हुवे भी नजर वही गडा दी, इस बात से अनजान कविता उसके सामने ही उसके पलंग पर बैठ गयी और

साड़ी के पल्लू से हवा खाते हुवे कपडे समेटने लगी,

राकेश नजरे बचा कर कविता की क्लीवेज को ही देखे जा रहा था और एक हाथ से खुद के लंड को मसले जा रहा था,

कविता दस मिनट तक ऐसे ही बैठ कर कपडे समेट कर जाने लगी तो बोली

कविता - तू ऐसा क्या कर रहा है जो पिछली दस मिनट से चोर नजरो से मुझे देखे जा रहा है, दिखा तेरा मोबाइल

राकेश (हडबडाहट से ) - कुछ नहीं देख रहा, मम्मी तुम तो बस ऐसे ही शक करती और मोबाइल कविता की तरफ बढ़ा दिया,

कविता (राकेश घर में सबसे छोटा होने की बजह से सबका लाडला था) - अरे नहीं रे, मुझे ऐसा लगा, खेल ले तेरे गेम, मुझे नहीं देखना तेरा मोबाइल,

राकेश (गुस्से से) - देख लो अब, आप हमेशा मुझे गलत समझती हो,

कविता - नहीं रे

राकेश के पास जाकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा और ललाट पर एक किस दिया

उसी समय राकेश की नजर उसी क्लीवेज पर फिर से गड गयी,

किस देकर कविता वहां से चली गयी,

उधर राजश्री के कमरे में जैसे ही उर्मी गयी तो राजश्री उलटे से सीधी हो गयी, उसने उसके कुर्ते के ऊपर दुपट्टा नहीं डाला था, और ऐसे ही उठ कर बैठ गयी,

हालाँकि राजश्री के मम्मे ज्यादा बड़े नहीं थे पर इतने बड़े तो थे की क्लीवेज तो बन ही जाये जो कि उसके कुर्ते के बड़े गले से साफ़ दिखाई दे रही थी,
 
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चतुर्थ अध्याय :-



उर्मी - क्या बात है राजू, आज तो बड़ी गर्मी लग रही है, जिसके सर से दुपट्टा सरकता नही था , आज वो बिना दुप्पटे कहर ढा रही है,

इस से पहले की राजश्री कुछ बोले, बाहर से एक आवाज आई

कविता - बहु में थोड़ी देर शर्मा जी के यहाँ हो आती हु,
उर्मी - ठीक है मम्मी जी,

राजश्री - उर्मी आपको पता है कि मम्मी क्यों गई है ??
उर्मी - पहली बात आप नही तुम अकेले में , और दूसरी बात हाँ मुझे पता है कि मम्मी जी क्यों गई है क्योंकि शर्मा जी के यहाँ इन्वर्टर है,

राजश्री - नही बाबा, आपको, सॉरी सॉरी क्या तुम्हें पता है कि
लड़कियों के छिनारपने की बात सबसे ज्यादा कौन करतीं है,
यही थोड़ी बड़ी उम्र की शादी शुदा औरतें,

उर्मी - ऐसा क्यों, मुझे तो बिल्कुल नही पता था,

राजश्री - एक तो बेचारियों पर कोई लाइन वाइन नहीं मारता,
कभी होली दिवाली को देवर नन्दोई हाथ लगा दें , रंग लगाने के नाम पर ब्लाउज में हाथ डाल दें उससे ज्यादा कुछ भी नहीं,... तो इस आयु की औरतें आपस मे बैठ कर यही सब बातें करती है कि मोहल्ले में किसका टांका किस से भिड़ा है, उनके घर मे चुदाई का कार्यक्रम कैसे चल रहा है, कही घर मे तो कोई किसी से नही भिड़ गया है, ये सब ये सभी औरते बड़े मजे से करती है,

उर्मी - आश्चर्यजनक है, एक तो ये कि मम्मी जी ऐसी बाते करती है, और दूसरे ये कि ये सब तुम्हे कैसे पता??

राजश्री - आप.... सॉरी तुम तो मेरी पक्की सहेली को जानती हो न शर्मा जी की लड़की सुलोचना, मेरी प्यारी सुल्लु वो कभी कभी मुझे वहाँ का आंखों देखा हाल सुनाती है,

उर्मी - अच्छा,

राजश्री - क्या अच्छा? सब की सब एक से बड़ी ठरकी है, मम्मी भी कुछ कम नही है, सब की सब चुदाई की बाते ऐसे करती है जैसे कि साधरण बात हो,

तभी सुलोचना का फ़ोन आया

सुल्लु - क्या कर रही है राजू,?

राजश्री - कुछ नही सुल्लु, बस उर्मी .... उर्मी भाभी के साथ बैठी बैठी बात कर रही थी,

उर्मी ने इशारे से उसे मोबाइल को स्पीकर पर करने को कहा,

सुल्लु - अच्छा ठीक है, फिर बाद में बात करती हूं,

राजश्री - अरे क्यों क्या हुवा??

सुल्लु - भाभी है न इसलिए बाद में बात करती हूं,

राजश्री - अरे कोई बात नही, तुझे एक राज की बात बताऊ, अबसे वो मेरी उर्मी भाभी नही सिर्फ उर्मी है,

सुल्लु - क्या बोल रही है??

तो राजश्री ने उसे सुबह की सारी बात बता दी,

क्यों कि राजश्री और सुलोचना एक दूसरी से सब बातों का आदान प्रदान करती थी,

सुल्लु - अभी कहा है भाभी,??

राजश्री - यही बैठी है मेरे पास और तेरी सारी बाते सुन रही है, मोबाइल को स्पीकर पर किया हुआ है,

सुल्लु (थोड़ी सकपकाते हुवे) - भाभी प्रणाम, क्या मैं भी आपको उर्मी बुला सकती हूँ??

उर्मी - हाँ क्यों नही, तुम तो राजू की प्यारी सुल्लु हो, और हां आप नही तुम,....अकेले में... . तुम उर्मी
"लेकिन सबके सामने आप भाभी"

सुल्लु (खुश होके) .... ठीक है उर्मी, एक किस दे दु फ़ोन पर... ऊऊम्म्म्म्ममआआआह

राजश्री - ऐ पागल ये सब क्या है, ? जिसके लिए फ़ोन किया वो बात न

सुल्लु - सॉरी अभी बताती हु, बताती हु क्या सुनाती हु, आज मैं एक माइक्रोफोन छोटी सी साइज का लेकर आई थी और मम्मी के बेडरूम में लगा दिया है, अब मेरे मुंह से नही उन सभी के मुंह से सुन क्या क्या बोलेगी

और उसने उसके मोबाइल फ़ोन को माइक्रोफोन के स्पीकर से जोड़ दिया,

आवाजो से लगा रहा था कि 5 से 7 औरते होगी, अब जैसे जैसे वो बोलेगी पता चलेगा कौन कौन है??

उर्मी ने जैसे ही सुना 5 से 7 औरते होंगी तो फिर से वो गुनगुनाने लगी
"सात सहेलियां खड़ी खड़ी
फ़रियाद सुनाएँ घडी घडी"

शर्मा आंटी - अरे आ गई सब, ये लो सब जूस पीलो, गला गीला कर लो, गर्मी बहुत है,

कविता - हाँ दे ही दे, आज तो गर्मी ने जान निकाल दी है, और ये मेरी बड़ी बेटी भी न,

राजश्री (खुद का नाम सुनते ही - उर्मी की तरफ देखते हुवे) - मैंने क्या किया ??

उर्मी - सुनो क्या बोल रही है मम्मी जी,

गुप्ता आंटी - अब क्या कर दिया तेरी बड़ी बेटी ने, ?

कविता - अरे कुछ खास नही अभी तक तो, लेकिन आज सुबह वो ऐसे कपड़े पहन कर आई कि इसके बाप का लन्ड तन गया, जैसे ही उर्मी ने उसको कपड़े बदलने के लिए बोला तो मैंने सुन लिया और मेरे कमरे में से झांक कर देखा तो राजू ऐसे चल रही थी कि जैसे कोई रंडी चल रही ही, खुद के चूतड उछाल उछाल कर चल रही थी, इसके बाप की और दोनों भाइयों की हालत खराब हो गई थी, और फिर जैसे ही वो कमरे के गेट पर पहुंची तो मैंने देखा कि वो उर्मी को गंदे गंदे इशारे कर रही थी और उर्मी भी उसका जवाब दे रही थी,

शर्मा आंटी - फिर

कविता - इसके भाइयों का तो मुझे पता नही, लेकिन इसके बाप ने तुरंत कमरे में आके मेरी ऐसी चुदाई की के मुझे तो मेरी जवानी के दिन आ गए, क्या ताबड़ तोड़ चुदाई हुई,

सभी अन्य औरते एक साथ - वाह वाह, लेकिन तुम तो बड़ी बेटी को कोस रही हो, लेकिन कविता तुम पूरी बात बताओ,

कविता - सुनाती हु सब सुनाती हु,

राजू के कमरे में जाते ही राजू के पापा हमारे कमरे में आ गए, तभी में भी वापस आईने के सामने जाके कपड़े पहनने लगी,

राजू के पापा ने मुझे पकड़ कर पलँग लिटा दिया, और पेटीकोट ऊंचा करके मेरी चूत को चूसने लगे,

राजू के पापा उस समय मेरी चूत चाट रहे थे। फिर राजू के पापा ने मेरी चूत के होंठो को चूसना बंद कर दिया,

कविता - क्या हुआ रुके क्यों??

तब राजू के पापा ने अलमारी से तेल की शीशी उठाकर उसका ढक्कन खोला और उसको अपने लंड की तरफ झुका दिया। अब तेल की शीशी से तेल निकलकर राजू के पापा के मोटे, लम्बे, काले लंड पर गिरने लगा था

अब मैं अपना हाथ आगे करके उनके लंड पर तेल मालिश करने लगी थी। अब राजू के पापा का लंड पत्थर की तरह सख़्त हो चुका था और बहुत ही टाईट हो चुका था।

फिर राजू के पापा ने तेल की शीशी को मेरी चूत के ऊपर की तरफ कर दिया, तो शीशी से तेल की धार निकलकर मेरी चूत में जाने लगी थी। अब मैंने अपनी उंगली से तेल को अपनी चूत में अंदर करना चालू कर दिया था।

फिर राजू के पापा ने मेरी की दोनों टांगे फैलाई और मेरी दोनों टांगो के बीच में जाकर बैठ गये और अपना लंड सेट करके मेरी चूत के मुँह पर रख दिया।

तब मेरे मुँह से आअहह, ऑश की मीठी आवाज निकल गयी।

फिर राजू के पापा ने धीरे से अपने लंड से एक झटका मारा तो उनका लगभग आधा लंड मेरी चूत में अंदर तक धँस गया था। तब मेरे मुँह से आआहह की आवाज आई, लेकिन मुझे और राजू के पापा को साफ-साफ़ पता था कि यह दर्द की आवाज नहीं है, यह तो मजे लेने की आवाज थी।

राजू के पापा - क्यों मेरी रानी मज़ा आया?

कविता - हाँ मेरे राज़ा, मेरे चोदू राजा पूरा अंदर डालो ना, मज़ा तो पूरा तभी आएगा जब तुम्हारा गधे जैसा मूसल लंड मेरी चूत में अंदर बच्चेदानी तक ठोकर मारेगा, मेरी चूत की प्यास तो तभी बुझती है। लेकिन आज इतना जोश,

राजू के पापा - लो मेरी रानी, अभी लो में तुम्हारी प्यासी चूत की प्यास बुझाता हूँ, लो मेरा पूरा लंड लो ये तेरी छिनाल बेटी ने आज मेरी हालत खराब कर दी, अगर औए ऐसी ही रही तो एक दिन में ही उसको पटक कर चोद दूंगा,

और यह कहकर राजू के पापा ने मेरी चूत में एक जोरदार धक्का मारा। अब इस बार राजू के पापा का मूसल लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस गया था।

फिर राजू के पापा ने मेरे दोनों चुंच्चो को अपने दोनों हाथों में लेकर ज़ोर से दबाया। जैसे के चुंचो में से संतरों जैसे रस निकालना चाहते हो,

और में बिना रुके बस यही करे जा रही थी,

कविता - आआअहह मेरे राजा, यह हुई ना मर्दों वाली बात, आआआ, अब रूको मत, ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारो पूरी स्पीड से जैसे एक कुत्ता अपनी कुत्ती को चोदता है, वैसे ही चोदो, मेरे दिल के राज़ा, फाड़ दो मेरी इस प्यारी चूत को, अयाया, वूऊव, हाए, आह, ऐसे ही, ऐसे ही, मारो मेरी चूत, मारो मेरे राज़ा। और मौका मिले तो चोद दो अपनी बेटी को,

औरत हो या मर्द चुदाई के समय बहुत कुछ ऐसा बोल जाते है कि जो सही नही हो परन्तु चुदाई का मजा बहुत बढ़ा देते है, ऐसा ही कुछ राजू के पापा यानी के राजेश सिंह के साथ हुवा

राजू के पापा ने ज़ोर-ज़ोर से मेरी चुदाई करनी आरंभ कर दी।ये सब सुनकर गुप्ता आंटी बोली

गुप्ता आंटी - अब मेरी चूत में भी बुरी तरह से खुजली हो रही है, में भी चाहती हूँ कि कोई राजू के पापा की तरह मेरे भी बूब्स दबाए और मेरी चूत में अपना लूंबा मूसल लंड डालकर मजे दे अआह्ह्ह

और ये बोलके उसने खुद के मम्मो को मसल दिया,

कविता - इतनी ही तीव्र इच्छा हो रही है तो उस धोबी को बुलवा ले जिस से पिछले हफ्ते ही चुदवाया था,

रमा आंटी - अरे गुप्ताइन छोड़ इसको, कविता तू आगे सुना,

कविता - राजू के पापा ने मेरी चूत में धक्के मार-मारकर मेरी टागों को थका दिया था।

तब मैं उनको बोली - बस करो, आज इतना जोश ... तुम्हारा लन्ड है की झड़ने का नाम नहीं ले रहा है और मेरी टांगे थककर चूर हो गयी है, प्लीज और पोज़िशन में चुदाई कर लो, में बहुत थक गयी हूँ।

राजू के पापा - जो हुकम मेरी रानी, लेकिन पहले एक बार तुम मेरे मजेदार लॉलीपोप को चूस तो लो,

और यह कहकर राजू के पापा ने मेरी चूत में से अपना लंड बाहर निकाला तो में देखकर दंग रह गयी आआहह, उनका लंड आज से पहले तो तो इतना मोटा और लंबा नहीं लगा और आज अपनी ही बेटी के रंडी वाले अंदाज से और भी मोटा, लम्बा और काला लग रहा था।

अब राजू के पापा अपने घुटनों के बल बैठ गये थे और फिर मैंने उनके लंड को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और गप-गप की आवाज से अपने मुँह में डाल लिया था और बहुत ही प्यार से चूसने लगी,
 
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