चतुर्थ अध्याय :-
उर्मी - क्या बात है राजू, आज तो बड़ी गर्मी लग रही है, जिसके सर से दुपट्टा सरकता नही था , आज वो बिना दुप्पटे कहर ढा रही है,
इस से पहले की राजश्री कुछ बोले, बाहर से एक आवाज आई
कविता - बहु में थोड़ी देर शर्मा जी के यहाँ हो आती हु,
उर्मी - ठीक है मम्मी जी,
राजश्री - उर्मी आपको पता है कि मम्मी क्यों गई है ??
उर्मी - पहली बात आप नही तुम अकेले में , और दूसरी बात हाँ मुझे पता है कि मम्मी जी क्यों गई है क्योंकि शर्मा जी के यहाँ इन्वर्टर है,
राजश्री - नही बाबा, आपको, सॉरी सॉरी क्या तुम्हें पता है कि
लड़कियों के छिनारपने की बात सबसे ज्यादा कौन करतीं है,
यही थोड़ी बड़ी उम्र की शादी शुदा औरतें,
उर्मी - ऐसा क्यों, मुझे तो बिल्कुल नही पता था,
राजश्री - एक तो बेचारियों पर कोई लाइन वाइन नहीं मारता,
कभी होली दिवाली को देवर नन्दोई हाथ लगा दें , रंग लगाने के नाम पर ब्लाउज में हाथ डाल दें उससे ज्यादा कुछ भी नहीं,... तो इस आयु की औरतें आपस मे बैठ कर यही सब बातें करती है कि मोहल्ले में किसका टांका किस से भिड़ा है, उनके घर मे चुदाई का कार्यक्रम कैसे चल रहा है, कही घर मे तो कोई किसी से नही भिड़ गया है, ये सब ये सभी औरते बड़े मजे से करती है,
उर्मी - आश्चर्यजनक है, एक तो ये कि मम्मी जी ऐसी बाते करती है, और दूसरे ये कि ये सब तुम्हे कैसे पता??
राजश्री - आप.... सॉरी तुम तो मेरी पक्की सहेली को जानती हो न शर्मा जी की लड़की सुलोचना, मेरी प्यारी सुल्लु वो कभी कभी मुझे वहाँ का आंखों देखा हाल सुनाती है,
उर्मी - अच्छा,
राजश्री - क्या अच्छा? सब की सब एक से बड़ी ठरकी है, मम्मी भी कुछ कम नही है, सब की सब चुदाई की बाते ऐसे करती है जैसे कि साधरण बात हो,
तभी सुलोचना का फ़ोन आया
सुल्लु - क्या कर रही है राजू,?
राजश्री - कुछ नही सुल्लु, बस उर्मी .... उर्मी भाभी के साथ बैठी बैठी बात कर रही थी,
उर्मी ने इशारे से उसे मोबाइल को स्पीकर पर करने को कहा,
सुल्लु - अच्छा ठीक है, फिर बाद में बात करती हूं,
राजश्री - अरे क्यों क्या हुवा??
सुल्लु - भाभी है न इसलिए बाद में बात करती हूं,
राजश्री - अरे कोई बात नही, तुझे एक राज की बात बताऊ, अबसे वो मेरी उर्मी भाभी नही सिर्फ उर्मी है,
सुल्लु - क्या बोल रही है??
तो राजश्री ने उसे सुबह की सारी बात बता दी,
क्यों कि राजश्री और सुलोचना एक दूसरी से सब बातों का आदान प्रदान करती थी,
सुल्लु - अभी कहा है भाभी,??
राजश्री - यही बैठी है मेरे पास और तेरी सारी बाते सुन रही है, मोबाइल को स्पीकर पर किया हुआ है,
सुल्लु (थोड़ी सकपकाते हुवे) - भाभी प्रणाम, क्या मैं भी आपको उर्मी बुला सकती हूँ??
उर्मी - हाँ क्यों नही, तुम तो राजू की प्यारी सुल्लु हो, और हां आप नही तुम,....अकेले में... . तुम उर्मी
"लेकिन सबके सामने आप भाभी"
सुल्लु (खुश होके) .... ठीक है उर्मी, एक किस दे दु फ़ोन पर... ऊऊम्म्म्म्ममआआआह
राजश्री - ऐ पागल ये सब क्या है, ? जिसके लिए फ़ोन किया वो बात न
सुल्लु - सॉरी अभी बताती हु, बताती हु क्या सुनाती हु, आज मैं एक माइक्रोफोन छोटी सी साइज का लेकर आई थी और मम्मी के बेडरूम में लगा दिया है, अब मेरे मुंह से नही उन सभी के मुंह से सुन क्या क्या बोलेगी
और उसने उसके मोबाइल फ़ोन को माइक्रोफोन के स्पीकर से जोड़ दिया,
आवाजो से लगा रहा था कि 5 से 7 औरते होगी, अब जैसे जैसे वो बोलेगी पता चलेगा कौन कौन है??
उर्मी ने जैसे ही सुना 5 से 7 औरते होंगी तो फिर से वो गुनगुनाने लगी
"सात सहेलियां खड़ी खड़ी
फ़रियाद सुनाएँ घडी घडी"
शर्मा आंटी - अरे आ गई सब, ये लो सब जूस पीलो, गला गीला कर लो, गर्मी बहुत है,
कविता - हाँ दे ही दे, आज तो गर्मी ने जान निकाल दी है, और ये मेरी बड़ी बेटी भी न,
राजश्री (खुद का नाम सुनते ही - उर्मी की तरफ देखते हुवे) - मैंने क्या किया ??
उर्मी - सुनो क्या बोल रही है मम्मी जी,
गुप्ता आंटी - अब क्या कर दिया तेरी बड़ी बेटी ने, ?
कविता - अरे कुछ खास नही अभी तक तो, लेकिन आज सुबह वो ऐसे कपड़े पहन कर आई कि इसके बाप का लन्ड तन गया, जैसे ही उर्मी ने उसको कपड़े बदलने के लिए बोला तो मैंने सुन लिया और मेरे कमरे में से झांक कर देखा तो राजू ऐसे चल रही थी कि जैसे कोई रंडी चल रही ही, खुद के चूतड उछाल उछाल कर चल रही थी, इसके बाप की और दोनों भाइयों की हालत खराब हो गई थी, और फिर जैसे ही वो कमरे के गेट पर पहुंची तो मैंने देखा कि वो उर्मी को गंदे गंदे इशारे कर रही थी और उर्मी भी उसका जवाब दे रही थी,
शर्मा आंटी - फिर
कविता - इसके भाइयों का तो मुझे पता नही, लेकिन इसके बाप ने तुरंत कमरे में आके मेरी ऐसी चुदाई की के मुझे तो मेरी जवानी के दिन आ गए, क्या ताबड़ तोड़ चुदाई हुई,
सभी अन्य औरते एक साथ - वाह वाह, लेकिन तुम तो बड़ी बेटी को कोस रही हो, लेकिन कविता तुम पूरी बात बताओ,
कविता - सुनाती हु सब सुनाती हु,
राजू के कमरे में जाते ही राजू के पापा हमारे कमरे में आ गए, तभी में भी वापस आईने के सामने जाके कपड़े पहनने लगी,
राजू के पापा ने मुझे पकड़ कर पलँग लिटा दिया, और पेटीकोट ऊंचा करके मेरी चूत को चूसने लगे,
राजू के पापा उस समय मेरी चूत चाट रहे थे। फिर राजू के पापा ने मेरी चूत के होंठो को चूसना बंद कर दिया,
कविता - क्या हुआ रुके क्यों??
तब राजू के पापा ने अलमारी से तेल की शीशी उठाकर उसका ढक्कन खोला और उसको अपने लंड की तरफ झुका दिया। अब तेल की शीशी से तेल निकलकर राजू के पापा के मोटे, लम्बे, काले लंड पर गिरने लगा था
अब मैं अपना हाथ आगे करके उनके लंड पर तेल मालिश करने लगी थी। अब राजू के पापा का लंड पत्थर की तरह सख़्त हो चुका था और बहुत ही टाईट हो चुका था।
फिर राजू के पापा ने तेल की शीशी को मेरी चूत के ऊपर की तरफ कर दिया, तो शीशी से तेल की धार निकलकर मेरी चूत में जाने लगी थी। अब मैंने अपनी उंगली से तेल को अपनी चूत में अंदर करना चालू कर दिया था।
फिर राजू के पापा ने मेरी की दोनों टांगे फैलाई और मेरी दोनों टांगो के बीच में जाकर बैठ गये और अपना लंड सेट करके मेरी चूत के मुँह पर रख दिया।
तब मेरे मुँह से आअहह, ऑश की मीठी आवाज निकल गयी।
फिर राजू के पापा ने धीरे से अपने लंड से एक झटका मारा तो उनका लगभग आधा लंड मेरी चूत में अंदर तक धँस गया था। तब मेरे मुँह से आआहह की आवाज आई, लेकिन मुझे और राजू के पापा को साफ-साफ़ पता था कि यह दर्द की आवाज नहीं है, यह तो मजे लेने की आवाज थी।
राजू के पापा - क्यों मेरी रानी मज़ा आया?
कविता - हाँ मेरे राज़ा, मेरे चोदू राजा पूरा अंदर डालो ना, मज़ा तो पूरा तभी आएगा जब तुम्हारा गधे जैसा मूसल लंड मेरी चूत में अंदर बच्चेदानी तक ठोकर मारेगा, मेरी चूत की प्यास तो तभी बुझती है। लेकिन आज इतना जोश,
राजू के पापा - लो मेरी रानी, अभी लो में तुम्हारी प्यासी चूत की प्यास बुझाता हूँ, लो मेरा पूरा लंड लो ये तेरी छिनाल बेटी ने आज मेरी हालत खराब कर दी, अगर औए ऐसी ही रही तो एक दिन में ही उसको पटक कर चोद दूंगा,
और यह कहकर राजू के पापा ने मेरी चूत में एक जोरदार धक्का मारा। अब इस बार राजू के पापा का मूसल लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस गया था।
फिर राजू के पापा ने मेरे दोनों चुंच्चो को अपने दोनों हाथों में लेकर ज़ोर से दबाया। जैसे के चुंचो में से संतरों जैसे रस निकालना चाहते हो,
और में बिना रुके बस यही करे जा रही थी,
कविता - आआअहह मेरे राजा, यह हुई ना मर्दों वाली बात, आआआ, अब रूको मत, ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारो पूरी स्पीड से जैसे एक कुत्ता अपनी कुत्ती को चोदता है, वैसे ही चोदो, मेरे दिल के राज़ा, फाड़ दो मेरी इस प्यारी चूत को, अयाया, वूऊव, हाए, आह, ऐसे ही, ऐसे ही, मारो मेरी चूत, मारो मेरे राज़ा। और मौका मिले तो चोद दो अपनी बेटी को,
औरत हो या मर्द चुदाई के समय बहुत कुछ ऐसा बोल जाते है कि जो सही नही हो परन्तु चुदाई का मजा बहुत बढ़ा देते है, ऐसा ही कुछ राजू के पापा यानी के राजेश सिंह के साथ हुवा
राजू के पापा ने ज़ोर-ज़ोर से मेरी चुदाई करनी आरंभ कर दी।ये सब सुनकर गुप्ता आंटी बोली
गुप्ता आंटी - अब मेरी चूत में भी बुरी तरह से खुजली हो रही है, में भी चाहती हूँ कि कोई राजू के पापा की तरह मेरे भी बूब्स दबाए और मेरी चूत में अपना लूंबा मूसल लंड डालकर मजे दे अआह्ह्ह
और ये बोलके उसने खुद के मम्मो को मसल दिया,
कविता - इतनी ही तीव्र इच्छा हो रही है तो उस धोबी को बुलवा ले जिस से पिछले हफ्ते ही चुदवाया था,
रमा आंटी - अरे गुप्ताइन छोड़ इसको, कविता तू आगे सुना,
कविता - राजू के पापा ने मेरी चूत में धक्के मार-मारकर मेरी टागों को थका दिया था।
तब मैं उनको बोली - बस करो, आज इतना जोश ... तुम्हारा लन्ड है की झड़ने का नाम नहीं ले रहा है और मेरी टांगे थककर चूर हो गयी है, प्लीज और पोज़िशन में चुदाई कर लो, में बहुत थक गयी हूँ।
राजू के पापा - जो हुकम मेरी रानी, लेकिन पहले एक बार तुम मेरे मजेदार लॉलीपोप को चूस तो लो,
और यह कहकर राजू के पापा ने मेरी चूत में से अपना लंड बाहर निकाला तो में देखकर दंग रह गयी आआहह, उनका लंड आज से पहले तो तो इतना मोटा और लंबा नहीं लगा और आज अपनी ही बेटी के रंडी वाले अंदाज से और भी मोटा, लम्बा और काला लग रहा था।
अब राजू के पापा अपने घुटनों के बल बैठ गये थे और फिर मैंने उनके लंड को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और गप-गप की आवाज से अपने मुँह में डाल लिया था और बहुत ही प्यार से चूसने लगी,