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Incest मुझे प्यार करो,,,

Ajju Landwalia

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एक अद्भुत रोमांचक एहसास के साथ दुकान के बाहर ग्राहकों को देखकर मां बेटे दोनों तुरंत दर्जी की दुकान से बाहर निकल गए थे वह दोनों किसी की नजर में नहीं आना चाहते थे इसलिए वहां ज्यादा देर खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि उन दोनों का मकसद पूरा हो चुका था उन दोनों को जो करना था उन दोनों ने दर्जी की आंखों के सामने उसकी दुकान में कर चुके थे और जल्दबाजी में सुगंधा अपना सीधा हुआ ब्लाउज लेना बिल्कुल भी नहीं भूली थी लेकिन जल्दबाजी में उसे पैसा देना भूल चुकी थी,,,, 5 मिनट के अंदर ही वह दोनों चौराहे पर पहुंच चुके थे दोनों का दिल बड़ी तेजी से धड़क रहा था दोनों के चेहरे पर संतुष्टि का एहसास था दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे और मन ही मन में कह रहे थे कि आज एक अद्भुत एहसास लेकर लौटे हैं।

दोनों ऑटो में बैठ चुके थे अब उसे क्षेत्र में रुकना उन्हें ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह जल्द ही ऑटो पर बैठकर घर पहुंच चुके थे। वैसे तो सुगंधा को कुछ सब्जियां भी खरीदनी थी लेकिन जो कुछ भी मां बेटे में सर जी की दुकान के अंदर किए थे उसे देखते हुए वह कहीं भी खड़ी रहना नहीं चाहती थी और सीधा घर पहुंच चुकी थी। घर पर पहुंचते ही मां बेटे एक दूसरे को देखकर हंस रहे थे क्योंकि आज उन दोनों ने दरजी को बेवकूफ जो बना दिया था तभी सुगंधा को याद आया कि उसने तो दर्जी को ब्लाउज की सिलाई के पैसे दिए ही नहीं इसलिए वह अपने बेटे से बोली।

अरे अंकित उसे दरजी को तो ब्लाउज के पैसे दी ही नहीं वैसे ही ब्लाउज उठा लाइ।

तो क्या हो गया आज उसे उसके जीवन में पैसे से भी ज्यादा सुख जो मिल गया था उसके आगे पैसे की कोई अहमियत नहीं है और अच्छा हुआ कि उसे पैसे नहीं दी देख नहीं रही थी कैसे तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,,, (अंकित की बात सुनते ही सुगंधा शर्मा से लाल हो गई) तुम्हें लगता है कि इसके बाद उसे कुछ पैसे देने चाहिए बल्कि उसे हमें पैसे देने चाहिए थे.।

धत् तुझे क्या मैं धंधे वाली लगती हूं जो उससे पैसे लुं,,, (हाथ में लिया हुआ ठेला टेबल पर रखते हुए वह बोली और कुर्सी खींचकर उस पर बैठ गई,,,)


दुकान के अंदर तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे तुम कोई धंधे वाली हो,,, (अंकित भी कुर्सी खींचकर ठीक अपनी मां के सामने बैठ गया )

अच्छा अब तुझे मैं धंधे वाली लगने लगी ना,,, (गुस्से से अपने बेटे की तरफ देखते हुए सुगंधा बोली)


नहीं नहीं ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं कि तुम धंधे वाली हो लेकिन तुम्हारी हरकतें जो थी लाजवाब थी तुम्हारे चरित्र से एकदम बाहर निकल कर जो तुमने काम की हो वह कोई फिल्म की हीरोइन हीं कर सकती है। अच्छी नहीं तुमने अपनी जवानी से दरजी के पसीने छुड़ा दि,,,,।

सच में दर्जी की तो हालत खराब हो गई,,, (आंखों में अद्भुत नशा लिए हुए सुगंधा बोली)

मैं दावे से कह सकता हूं अगर उसकी मर्दाना ताकत उसके साथ होती तो वह बिना कहे तुम्हारी चुदाई कर देता,,,,

हमममम,,,,, (अपने बेटे की तरफ देखकर अपनी आंखों को नचाते हुए वह बोली,,,)

हां मम्मी में सच कह रहा हूं देखी नहीं दरजी पूरी तरह से अपने अंदर जवानी महसूस कर रहा था। उस दिन तो तुम्हें बेटी कह रहा था लेकिन आज देखो इस बेटी की चूची जोर-जोर से दबा रहा था और पागल हुआ जा रहा था,,,,
(इस बार फिर से सुगंधा के चेहरे पर शर्म की लाली नजर आने लगी वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

उसका चेहरा देखी होती जवानी से भरी हुई एक औरत को अपनी आंखों के सामने चुदवाते हुए देखकर कुछ ना कर सकने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी,,, आज तो वह भी अपनी बढ़ती उम्र से नाराज होकर होगा कितनी जल्दी उसकी उम्र क्यों बढ़ गई अगर उसकी उम्र भी कुछ तौर पर सही होती तो शायद अभी मजा ले पाता,,,।

तू बहुत उसे दरजी को मजा दिलाने के फिराक में है।

ऐसा नहीं है मुझे तो गर्व महसूस हो रहा है कि तुम्हारी जवानी देखकर दर्जी की हालत खराब हो गई थी तुम्हारी चूची दबाते दबाते देखी उसकी तड़प कितनी बढ़ गई थी कुछ न करने की स्थिति में वह केवल छूकर ही मजा ले रहा था देखी थी ना कैसे अपना हाथ आगे बढ़कर तुम्हारी बुर को हल्के से सहलाया था इतने से ही वह जन्नत का मजा लूट रहा था।

तू सच कह रहा है दरजी सच में आज पूरी तरह से पागल हो गया था मेरी बुर पर हाथ लगाकर उसके चेहरे की रूपरेखा जिस तरह से बदली थी मुझे तो लग रहा था कि वह अपने धीरे लंड से ही कुछ कर सकने की कोशिश कर सकता था।


और हां मुझे लग रहा था कि तुम भी दरजी को मजा देने के फिर आंख में थी और उसे पूरा मजा भी दी हो,,,।

वह तो खुद मजा ले रहा था।

वह तो ठीक है लेकिन तुम्हें क्या हो गया था कि उसकी लूंगी में से उसके लंड को बाहर निकाल ली थी।
(अपने बेटे की बात सुनकर एक तरफ बस शर्म से पानी पानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह हंस भी रही थी और हंसते हुए अपने बेटे सेबोली)

उसकी हरकत जिस तरह से थी मैं देखना चाहती थी कि उसकी टांगों के बीच कुछ हरकत हो रही है कि नहीं।

फिर तुमने क्या देखी,,,,?

वैसे लूंगी के अंदर जो मैंने देखी उससे अंदाजा लगा सकती हूं कि अपनी जवानी के दिनों में वह भी कहर बरसाया होगा,,,,।

यह बात है,,, (अंकितमुस्कुराते हुए बोला)

हां सच में उसका लंड पर अच्छा खासा ही था बस उम्र के हिसाब से उसमें अकड़ नहीं थी वह ढीला ही था।

लेकिन तुम्हारे हाथ लगाते ही उसमें जान आ गई थी मैंने देखा था।
(अपने बेटे की बात सुनकर वह फिर से हंसने लगी,,)

हां मैंने देखी थी उसके लंड को जैसे ही मैं हाथ में पड़ी उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो गई थी और मैं भी उसे पर थोड़ा दया खा गई थी।

दया खा गई थी मैं कुछ समझा नहीं,,,

अरे मेरा मतलब है कि हम दोनों को इतना अच्छा अनुभव उसकी दुकान में ही तो मिला अगर वह नहीं होता उसकी दुकान नहीं होती तो इतना अच्छा समय हम दोनों कैसे गुजार पाते एक अद्भुत अनुभव से कैसे गुजार पाते हैं यह सब उसे दरजी के ही कारण तो हुआ था इसलिए मैं सोच रही थी कि इसका थोड़ा सा एहसान चुका देना चाहिए और मैं वही की जो मेरी जगह कोई और औरत होती तो करती।

साले का पानी निकाल दी तुमने,,,।

छी,,, सोच कर ही इस समय थोड़ा अजीब लग रहा है।

उसे समय तो बहुत मजा आ रहा था मुझे तो डर लग रहा था कि कहीं तुम उस बुड्ढे का लंड अपने मुंह में ना ले लो,,,,

पागल हो गया क्या,,,?

नहीं नहीं दर्जी की दुकान में सच में तुम एकदम छिनार हो गई थी और इतना मजा मुझे आया कि शायद ऐसा मजा अब कभी मिलेगा नहीं,,, वैसे सोच कर थोड़ा अजीब लगता है लेकिन एक अनजान के सामने चुदाई करने में जो मजा आता है उसका एहसास आज ही होरहा है।

तू सच कह रहा है अंकित पहले तो मुझे भी अजीब लग रहा था लेकिन जैसे-जैसे तेरी हरकतों से मेरे बदन में नशा छाने लगा मैं भी थोड़ा-थोड़ा खुलने लगी और उसके बाद तो जो मजा आया कि पूछ मत अभी तक मेरा शरीर झनझना रहा है,,,,।

तुम्हारी साड़ी उठाया कर तुम्हारी गांड पर जब चपत लगाया तो दर्जी का तो कलेजा ही मुंह को आ गया था शायद उसने अपनी जवानी में इस तरह की हरकत औरत के साथ नहीं किया था।

तू भी तो उसे पूरी तरह से पागल करने के इरादे में था मुझे लगा कि तू बस चोदना शुरू कर देगा लेकिन पीछे से मेरी गांड चाट रहा था।

आप क्या करूं तुम्हारी गांड देखता हूं तो न जाने क्या हो जाता है और वैसे भी तुम्हारी गांड चाटते हुए देख कर वह दर्जी पूरी तरह से पस्त हो गया था।

अभी तक उसको होश ही नहीं आया होगा,,,, (सुगंधा हंसते हुए बोली)

मुझे तो लगता है आज के दिन को याद करके वह बार-बार अपने हाथ से ही काम चलाएगा। वैसे अब कब चलोगी दर्जी की दुकान पर।

अब इस बारे में सोचना भी मत उधर का रास्ता ही भूल जाना अब वहां कभी जाना ही नहीं है मैं नहीं चाहती कि भविष्य में उसे दरजी को पता चले कि हम दोनों के बीच का रिश्ता क्या है हो सकता है कभी उसे दर्जी की दुकान पर जाएं और कोई पहचान का मिल जाए तो सारा भांडा फूट जाएगा,,,।

तुम सच कह रही हो अब हमें वहां जाना नहीं चाहिए वैसे भी जो मजा है वहां मिला है उसके साथ हमें पैसे भी मिल गए हैं उसकी सिलाई ना देकर।

(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा हंसने लगी,,,, वैसे उसका बेटा सच ही कह रहा था दर्जी की दुकान से माया और पैसे दोनों वापस लेकर लौटे थे दोनों मां बेटे,,,,, सुगंधा को महसूस हो रहा था कि उसे नहाना चाहिए क्योंकि उसे समय जवानी के जोश में उसे उसे दर्जी का स्पर्श तो मजा दे रहा था और उसने खुद जवानी के नशे में चुदाई का सुख भोगते हुए उसके लंड को पकड़ ली थी और उसका पानी निकाल दी थी और उसका पानी उसके हथेली को भिगो दिया था उसे समय तो उसे अजीब नहीं लगा लेकिन अब सोच कर ही उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसे घिन्न आ रही थी अपने ही बदन से कोई और समय होता तो वहां दरजी को कभी अपने पास भी भटकने नहीं देती लेकिन उसे समय का माहौल उसे पूरी तरह से पागल कर दिया था और उसे अच्छी तरह से याद था कि उसे दर्जी ने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाया था मजा लिया था और उसकी बुर पर भी अपनी हथेली रगड़ा था इसलिए उसे इस समय नहाने की जरूरत थी ऐसा उसे महसूस हो रहा था और वह तुरंत कुर्सी पर से उठकर बाथरूम में चली गई नहाने के लिए।

अंकित भी कुर्सी पर से उठा और घर के पीछे की तरफ वह भी नहाने के लिए चल दिया थोड़ी देर में मां बेटे दोनों नहा कर कपड़े पहन चुके थे सुगंधा चाय बना रही थी,,,, चाय पीने के बाद अंकित बाहर टहलने के लिए चला गया क्योंकि थोड़ा अंधेरा हो गया था और उसकी मां खाना बना रही थी,,,, वह सड़क के किनारे इधर-उधर टहल ही रहा था कि तभी सामने से सुमन और उसकी मां आई हुई नजर आ गई सुमन और उसकी मां दोनों अंकित को देखकर मुस्कुराने लगे क्योंकि अंकित को लेकर दोनों के मन में अलग-अलग चाहती थी दोनों किसी भी तरह से अंकित को पाना चाहते थे जिसमें सुमन की मां कामयाब हो चुकी थी वह तीन बार अंकित से चुदाई का सुख भोग चुकी थी लेकिन अभी तक सुमन सिर्फ ऊपर से ही मजा ली थी अभी तक अंकित के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस नहीं की थी जबकि एहसास उसे पहले दिन से ही हो गया था,,, जब वह सुमन के घर में किचन में अनजाने में ही उससे टकरा गया था और जिस स्थिति में सुमन अंकित से टकराई थी उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उसके आगे वाले भाग से सात गया था और इस समय सुमन को एहसास हुआ था कि अंकित कि टांगों के बीच गजब का हथियार है। उसी दिन से वह अंकित से चुदवाना चाहती थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाई थी। अंकित के करीब पहुंचकर मां बेटी दोनों एक साथ बोले।

अरे अंकित यहां क्या कर रहे हो।

कुछ नहीं आंटी बस ऐसे ही टहल रहा था,,, (अंकित मुस्कुराते हुए बोला तो उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर सुमन की मां मां ही मन में बोली कि देखो अभी कितना भोला भाला लग रहा है और अकेले में उसे पास आए तो उसकी बुर का भोसड़ा बनाने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटता,,,, अंकित की बात सुनकर सुमन की मां बोली।)

घर पर अब आते नहीं हो क्या बात है सिर्फ परीक्षा के दिन ही सुमन की याद आती थी। परीक्षा खत्म रिश्ता खत्म।

तुम सही कह रही हो मम्मी उसके बाद तो अंकित कहीं दिखाई ही नहीं देता,,,, मतलब निकल गया तो।

अरे नहीं नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है,,,, तुम तो जानती हो तृप्ति दीदी घर पर नहीं है इसलिए थोड़ा बहुत काम में हाथ बंटाना पड़ता है,,, इसलिए समय नहीं मिलता।


तो चलो घर पर चाय पिलाती हूं,,, (सुषमा मुस्कुराते हुए बोली उसकी बात सुनकर अंकित अपने मन में ही बोला अब तो मुझे तुम्हारे दूध पीने की आदत पड़ गई है चाय से काम बनने वाला नहीं है,,,, लेकिन ऐसा सिर्फ वह मन में ही बोला अगर सुमन साथ में ना होती तो शायद वह ऐसा बोल भी देता लेकिन सुमन के सामने ऐसा हुआ बोल नहीं सकता था लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए वह बोला)

और किसी दिन आंटी अभी तो खाना खाने का समय होगया है।

तो चलो ना खाना ही खा लेते हैं,,, (सुमन भीमुस्कुराते हुए बोली)

नहीं दीदी किसी और की घर पर खाना बन रहा है अगर तुम्हारे वहां खा लूंगा तो घर का खाना नुकसान हो जाएगा।


बहुत समझदार हो गया है तू,,, (सुषमा बोली)

ऐसी बात नहीं है आंटी फिर मम्मी को भी अकेले खाना खाना पड़ेगा,,,,,


हां वह तो है,,,,, (सुषमा बोली)

चलो कोई बात नहीं किसी और दिन और वैसे तुम घर पर आया जाया करो,,,,, और पढ़ाई में जरूरत हो तो पूछ लिया करो।


जी दीदी जरूर पूछ लूंगा,,,,, (पढ़ाई में मदद की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था और वैसे भी सुमन ही थी जो उसे पहली बार अपने खूबसूरत अंगों को दिखाई थी और उसे जी भर कर खेलने का मौका दे और वह अच्छी तरह से जानता था की पढ़ाई में मदद मांगने के बहाने अगर वह उसके घर जाएगा तो उसे पढ़ाई में मदद की जगह और भी ज्यादा कुछ मिलेगा जिसे वह खुद प्राप्त करना चाहता है,,,,

थोड़ी ही देर में उन दोनों के जाने के बाद अंकित भी अपने घर पहुंच गया खाना बनकर तैयार हो चुका था मां बेटे दोनों साथ में खाना खाकर सोने के लिए छत पर पहुंच गए और फिर से एक बार घमासान चुदाई का खेल खेलते रहे जब तक की दोनों का मन भर नहीं गया यह सिलसिला रोज का हो गया था मां बेटे दोनों एक भी दिन एक भी पाल चुदाई का सुख भोगने से पीछे नहीं हट रहे थे,,,,, अंकित को साथ दिखाई दे रहा था कि अब उसकी मां कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी और उसकी खुशी का कारण अंकित अच्छी तरह से जानता था क्योंकि उसकी खुशी का कारण वह खुद था इसलिए वह अपनी मां को बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था उसे पूरा सुख देने की कोशिश में लगा रहता था।

कुछ दिनों बाद मां बेटे दोनों सब्जी खरीदने के लिए बाजार पहुंच चुके थे,,,,, तभी बाजार में नूपुर और उसका बेटा राहुल भी मिल गया नूपुर को देखते ही सुगंधा खुश होते हुए बोली,,,,।

अरे नुपुर यहां कैसे,,,?

मैं भी सब्जी खरीदने आई हूं तुम भी तो सब्जी खरीदने आई हो ना,,, (अंकित की तरफ देखकर) और बेटा कैसे हो?

बिल्कुल ठीक हूं आंटी आप कैसी हैं।

देख लो कैसी हो जैसा तुम छोड़े थे वैसे ही हूं,,,,
(नूपुर की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा रही थी लेकिन वह नूपुर के कहने के मतलब को नहीं समझ पा रही थी,,,, जिसे अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था अंकित जानता था कि पिछली मुलाकात में नूपुर के साथ उसने क्या किया था डाइनिंग टेबल के नीचे छिपकर उसके पति की मौजूदगी में ही उसकी रसीली बर का स्वाद चखा था और वह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और आनंददायक था निश्चित तौर पर अगर उसे दिन राहुल के पिताजी घर पर मौजूद न होते तो उसी दिन अंकित नूपुर की चुदाई कर दिया होता लेकिन राहुल के पिता की मौजूदगी में ऐसा हो नहीं पाया था,,,,, सुगंधा भी राहुल की तरफ देखकर उसका भी हाल समाचार नहीं और बोली,,,)


इस बार तुम पढ़ने के लिए गए नहीं,,,?

जाने वाला आंटी लेकिन अभी थोड़ा समय लग जाएगा,,,,।(अंकित अच्छी तरह से देख रहा था कि राहुल बात करते समय उसकी मां की चूचियों की तरफ ही देख रहा था क्योंकि पीले रंग की साड़ी और पीले रंग के ब्लाउज में गजब की लग रही थी,,,, अंकित जानता था कि उसकी मां लो कट ब्लाउज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां पारदर्शी साड़ी में दिखाई देती थी। और उसे देख कर राहुल मन ही मन ललच रहा था। अंकित यह देखकर मन ही मन गुस्सा हो रहा था वह जानता था कि राहुल उसकी मां की जवानी क्या आकर्षण में मस्त है,,,,, इधर-उधर की बात करने के बाद नूपुर बोली,,,)

तुम तो नहीं बैठ कर बातें करो हम दोनों सब्जियां खरीद कर आते हैं,,,,,।

ठीक है आंटी,,,,,।

(सुगंधा और नूपुर दोनों सब्जी खरीदने के लिए मार्केट के अंदर प्रवेश कर गई थी और उन्हें चाहते हुए राहुल देख रहा था और अंकित अच्छी तरह से जानता था कि राहुल किसे देख रहा था राहुल अंकित की मां को ही देख रहा था खास करके उसके भारी भरकम गोलाकार पिछवाड़े को देख रहा था सुगंधा की गांड देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था और पेट के ऊपर से अपने लंड को दबा दिया था यह देखकर अंकित को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था,,,,, राहुल अंकित से बोला,,,)


चल जब तक दोनों सब्जी खरीद कर आते हैं सबसे कम दोनों चाय पी लेते हैं,,,,,,(और इतना कहकर राहुल अंकित का हाथ पकड़कर एक छोटी सी दुकान पर गया जहां पर चाय समोसे मिल रहे थे,,,, उस दुकान के बाहर तीन-चार बड़े-बड़े लंबे पत्थर रखे हुए थे जिस पर लोग बैठकर गप्पे लड़ाते हुए चाय समोसे का लुफ्त उठा रहे थे। राहुल जानबूझकर अंकित को ऐसी जगह पर ले जाकर बैठाया जहां पर दूसरा कोई नहीं था जहां पर वह आराम से अंकित से बात कर सकता था और वह खुद दुकान पर गया और चाय समोसे लेकर आया,,,,, एक समोसा और चाय अंकित को थमा कर खुद उसके पास बैठ गया और चाय की चुस्की लेते हुए अंकित से बोला,,,,)

एक बात कहूं अंकित बुरा मत मानना।
(अंकित समझ गया था कि राहुल किस बारे में बात करना चाहता था और वह देखना चाहता था कि वह क्या बोलना चाहता है इसलिए वह बोला)

हां बोलो क्या बात है,,,,।


यार तेरी मां गजब की लगती है एकदम फिल्म की हीरोइन,,,,।
(राहुल की बात सुनकर अंकित कुछ बोला नहीं बस उसकी तरफ देखने लगा और चाय की चुस्की लेने लगा अंकित का हाव भाव देखकर राहुल को लगने लगा था कि वह कुछ भी बोलेगा अंकित सुनेगा क्योंकि ऐसे भी राहुल अंकित को थोड़ा दब्बू किस्म का लड़का समझता था,,,,)

देख नाराज मत होना मैं एकदम सही कह रहा हूं तूने शायद गौर नहीं किया होगा लेकिन तुझे छोड़कर बाकी सब ने गौर किया होगा कि तेरी मां फिल्म की हीरोइन लगती है एकदम गजब की लगती है तेरी मां का जिस्म एकदम तराशा हुआ है,,,,,


यह सब क्या बोल रहे हो यार किसी और बारे में बात करो,,,,,(अंकित जानबूझकर अपना ले जा थोड़ा ठंडा रख कर बोल रहा था ताकि राहुल को लगेगी उसे फर्क नहीं पड़ रहा है और इसी बात का फायदा उठाते हुए राहुल बोला)

यार जब तेरी मां आसपास हो तो किसी और के बारे में बात करने का मतलब ही नहीं होता मैं तो तेरी मम्मी को देखा ही रह गया यार पीली साड़ी में एकदम कयामत लगती है मेरी मां तो तेरी मां के सामने कुछ भी नहीं है,,,,।


लेकिन मुझे तो तुम्हारी मम्मी ज्यादा ही अच्छी लगती है,,,,।

(राहुल को अंकित की तरफ से इस तरह का जवाब मिलेगा इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह थोड़ा आश्चर्य से अंकित की तरफ देखने लगा लेकिन थोड़ी देर में सहज बनते हुए मुस्कुराने लगा और बोला)


घर की मुर्गी दाल बराबर ऐसा ही होता है लेकिन तुम हकीकत से वाकिफ नहीं हो तुम्हारी मम्मी मेरी मम्मी से लाख गुना ज्यादा खूबसूरत और गर्म औरत है उसकी चूची देख हो कितनी बड़ी-बड़ी है तुम्हें शायद गौर नहीं किया होगा लेकिन मैं अभी-अभी गौर किया ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए पागल रहती है तुम्हारी मां की चूचियां,,,,,।
(राहुल की बातें सुनकर अंकित को गुस्सा आ रहा था लेकिन वह किसी तरह से अपने गुस्से को दबा ले गया था क्योंकि वह भी उसकी मां के बारे में बातें जो करने लगा था इसलिए वह भी जवाब देते हुए बोला)

अपना अपना नजरिया है मैं भी तुम्हारी मां की चूचियां देखा थोड़ा सा अपना सीना आगे की तरफ कर दे तो शायद ब्लाउज का एक दो बटन अपने आप ही टूट जाए,,,,(चाय की चुस्की लेटा हुआ राहुल की तरफ देखते हुए वह बोला राहुल तो एकदम हैरान था)


चाहे कुछ भी हो लेकिन मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगती है जाते समय देखा किसी भी साड़ी में तेरी मम्मी की गांड आहहहा हाहाकार मचा रही थी। मेरा तो लंड खड़ा हो गया।

मेरा भी कुछ ऐसा ही हालत था तुम्हारी मम्मी की गांड देखकर,,,,,।
(फिर से राहुल हैरान हो गया अभी तक वह जी अंकित से मिला था उसे अंकित में और आज के अंकित में जमीन आसमान का फर्क था,,,, दोनों का रवैया एकदम अलग था फिर भी ,,, राहुल को मजा आ रहा था अंकित से बात करने में,,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद राहुल फिर से बोला,,,)

अच्छा एक बात बता अंकित तूने कभी अपनी मां को बिना कपड़ों के देखा है।

बिल्कुल भी नहीं और तुम,,,,,


मैंने तो बहुत बार देखा हूं यार कसम से औरत का जिस इतना खूबसूरत होता है कि मर्द पागल हो जाता है,,,,,,।

कैसे और कहां देखें तुमने,,,,।

कपड़े बदलते हुए नहाते हुए,,,,


ओहहह,,,,, तो क्या तुम्हारी मम्मी बिना कपड़ों के नहाती है,,,,,।


बिल्कुल सही और वह बाथरूम का दरवाजा भी बंद नहीं करती अनजाने में मैंने देख लिया था और मैं यही सोच रहा हूं कि अगर तुम भी अपनी मां को बिना कपड़ों के देखोगे तो तुम्हारी क्या हालत होगी मेरी तो सोच कर ही हालत खराब हो रही है लंड पूरी तरह से औकात में आकर खड़ा है सच कहूं तो तुम्हारी मां को याद करके मुठ मारने का मन कर रहा है।
(राहुल इस तरह की बातें करके अंकित का मन बहकाना चाहता था,,,, मौका देखकर राहुल बोला)

तो तुमने तो अपनी मां को बहुत बार बिना कपड़ों के देखे हो तो उसके बारे में भी सोच कर मुठ मारते होंगे।

बिल्कुल ठीक कह रहे हो तुम बहुत बार ऐसा हुआ है मैं अपनी मां के बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मारा हूं और वैसे भी इसमें कोई गलत बात नहीं है। और तुम्हारी भी उम्र तो हो चुकी है मुठ मारने वाली और चोदने वाली। तुमने मारा है अपनी मां के बारे में सोचकर मुझे तो पूरा यकीन है कि कभी ना कभी तो तुम अपनी मां को बिना कपड़ों के देखे होंगे पेशाब करते हुए कपड़े बदलते हुए नहाते हुए,,,,,।

(राहुल की बात सुनकर अंकित थोड़ा सोचने लगा और फिर वह राहुल को थोड़ा जलाने के लिए बोला जो की हकीकत ही था)


हां तुम ठीक कह रहे हो एक बार अनजाने में मैंने मम्मी को पेशाब करते हुए देख लिया था,,,।

सचमें,,,(एकदम उत्साहित और खुश होते हुए राहुल बोला)

हां अनजाने में देख लिया था वैसे कोई मेरा इरादा नहीं था,,,।


कहां देखा था यार बताना,,,,,।

छत पर जब हम लोग सो रहे थे तब आधी रात को मेरी नींद खुली तो देखा मम्मी बगल में नहीं थी,,,।

बगल में नहीं थी मतलब कि तुम दोनों साथ में ही सोते हो,,,,।

पागल साथ में सोते हैं लेकिन एक ही बिस्तर पर नहीं सोते हैं समझे मेरी नींद खुली तो देखा कि बगल वाले बिस्तर पर मम्मी नहीं थी,,,,(अंकित जाने अनजाने में ऐसी बात नहीं करना चाहता था जिससे राहुल को शक होगी उसकी तरह उन दोनों के बीच भी कुछ हो रहा है)

फिर ,,,,फिर क्या हुआ,,,(चाय के कप से आखरी घूंट भरता हुआ वह बोला)


फिर क्या मैं नींद में इधर-उधर देखने लगा उठकर बैठ गया लेकिन सामने की तरफ देखा तो छत के कोने पर मम्मी पेशाब कर रहे थे।

हाए,,,,, क्या गजब का नजारा होगा यार,,,(अपने पेट के आगे वाले भाग पर हाथ रखते हुए) किस अवस्था में थी तेरी मम्मी,,,,.


किस अवस्था में क्या जैसे औरत पेशाब करने के लिए बैठी रहती है वैसे ही थी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और पीछे से सब कुछ दिख रहा था।

ओहहहहह ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे सामने कोई फिल्म चल रही है और सच-सच बता तेरी हालत खराब हो गई होगी ना।


इसमें कौन सी हालत खराब होने वाली बात है मैं जब जान गया की मम्मी सामने है तो मैं फिर से सो गया,,,।

धत् तेरी की तू कैसा मर्द है रे मर्द है भी कि नहीं मुझे समझ में नहीं आ रहा है अपनी आंखों के सामने इतना खूबसूरत है तेरे से देखने के बाद भी तू शांत होकर सो गया मैं होता तो इस समय तेरी मां के पीछे पहुंच जाता और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसकी गांड से रगड़ने लगता,,,,,।


तुम क्या अपनी मां के साथ ऐसा ही करते हो,,,,।

करने का तो बहुत मन करता है लेकिन मम्मी करने नहीं देती मैं वही सोच रहा हूं कि अगर तेरी जगह में तेरी मम्मी का बेटा होता तो अब तक तो तेरी मम्मी की चुदाई कर दिया होता,,,,,।


जैसे अपनी मम्मी की चुदाई करता है ना,,,,।
(राहुल एकदम से अंकित की तरफ देखने लगा और बोला)

पागल हो गया है क्या,,,,, बस सोचता हूं करता नहीं लेकिन हां मौका मिला तो तेरी मम्मी की चुदाई जरूर करूंगा,,,,,।

मेरी मम्मी के बारे में तो सोचना भी मत वह तेरी मां की तरह नहीं है,,,,।

तेरा क्या मतलब है कि मेरी मां की तरह नहीं है।


चल रहने दे मैं अपनी आंखों से देखा हूं तेरी मम्मी तेरे लंड पर कूद रही थी पागल की तरह चुदवा रही थी और तू अपनी मां को मस्त होकर चोद रहा था धक्के पर धक्के दे रहा था,,,,,।

(अंकित की बात सुनकर राहुल एकदम से घबरा गया उसे उम्मीद नहीं थी किया अंकित इस तरह से कुछ कह देगा जिसमें सच्चाई थी लेकिन फिर भी वह निकाल करते हुए बोला)

देख तू झूठ मत बोल समझा मैं तेरी मां के बारे में उल्टा सीधा बोल रहा हूं तो इस तरह से मेरे से बदला ले रहा है।


बदला नहीं ले रहा हूं मैं सच कह रहा हूं,,, मैंने यह सब अपनी आंखों से देखा दोपहर के समय मैं तुझसे मिलने तेरे घर आया था और तुम लोग जल्दबाजी में घर का दरवाजा बंद करना ही भूल गए थे हल्के से धक्का देने पर दरवाजा खुल गया था और मैं इधर-उधर ढूंढता हुआ तेरी मां के कमरे तक पहुंच गया था और खिड़की से मैं सब कुछ देख लिया था कि तुम दोनों किस तरह से चार दिवारी के अंदर मर्द और औरत का खेल खेलते हो,,,,, मैं तो उस दिन देख कर एकदम से चौंक गया कि कोई बेटा कैसे अपनी मां को चोद सकता है,,,, और कैसे एक मां अपने ही बेटे से खुलकर नंगी होकर मस्त होकर रंडी की तरह चुदवा सकती है मैं तो एकदम हैरान हो गया था मैं उसी समय तुम दोनों का आवाज लगाना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कर नहीं पाया क्योंकि तुम दोनों एकदम से आपस में खो चुके थे दिन दुनिया से बेखबर होकर एक दूसरे में समा गए थे मुझे आज भी याद है,,,, कि तेरा लंड तेरी मां की बुर के अंदर बिना रुकावट के अंदर बाहर हो रहा था सच कहूं तो पहली बार में किसी औरत की चुदाई देख रहा था और मुझे उम्मीद नहीं नहीं था की पहली बार में ही मैं मां बेटे की चुदाई देखूंगा,,,, तभी मैं समझ गया था कि तेरी मां पूरी गर्म जवानी की है और शायद अपनी जवानी की गर्मी तेरे बाप से बुझा नहीं पाती है इसलिए तेरा सहारा ले रही है।
(मौका देखकर अंकित चौका मार दिया था चौका नहीं छक्का मार दिया था,,,,, अंकित के मन में इस समय कुछ और चल रहा था और राहुल के तो पसीने छूट रहे थे,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था किसकी चोरी इस तरह से पकड़ी जाएगी मां बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि घर की चार दिवारी के अंदर जो कुछ भी वह दोनों कर रहे थे वह किसी को कानों कान खबर तक नहीं थी लेकिन राहुल कि यह गलतफहमी दूर हो चुकी थी क्योंकि अंकित अपनी आंखों से पूरी फिल्म देख लिया था अब इंकार करने का कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए राहुल धीरे से बोला,,,)


देख अंकित यह बात किसी को मत बताना,,,,

इसके बदले मुझे क्या मिलेगा,,,,


चुप रहने के बदले तो दो-चार समोसे और खा ले,,,,।

तो सच में बेवकूफ है आंखों के सामने पकवान पड़ा है और तू चाय समोसे से मेरा मुंह बंद करना चाहता है।


मैं समझा नहीं,,,,।

देख बात एकदम सीधी है उसे दिन तुम मां बेटे की चुदाई देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था,,, मन तो मेरा उसी दिन कर रहा था कि तुम दोनों के साथ में भी जुड़ जाऊं और जिंदगी में पहली बार चुदाई का सुख प्राप्त करूं लेकिन मैं अपने आप को रोक रह गया था और इस तरह का ख्याल अपने मन में दोबारा कभी नहीं लाया था लेकिन आज तेरी बातें सुनकर एक बार फिर से मेरे अरमान जाग गए हैं।


तु कहना क्या चाहता है मे कुछ समझा नहीं।


मैं यह कहना चाहता हूं कि जैसे तू मजा लेना है वैसे मैं भी मजा लेना चाहता हूं मैं भी तेरी मां को चोदना चाहता हूं उसी दिन से तेरी मां के बारे में याद करके बार-बार मेरा लंड खड़ा हो जाता है।

तू पागल हो गया क्या,,,?(गुस्से में थोड़ा जोर से राहुल बोला तो आसपास बैठे हुए लोग उन दोनों की तरफ देखने लगे यह देखकर अंकित बोल)

थोड़ा धीरे बोल चिल्लाएगा तो तू ही बदनाम होगा,,,,,

देख अंकित में तेरे हाथ जोड़ता हूं,,, मैं तेरी मां के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा लेकिन तु यह अपने मन से ख्याल निकाल दे।


मेरी मां के बारे में तो वैसे भी अब तु कुछ बोलने लायक नहीं है,,,, लेकिन तेरी मां को याद करके मेरी हालत खराब होने लगी है मैं सच में तेरी मां को चोदना चाहता हूं जिसमें तू ही मेरी मदद करेगा।

(अंकित की बात सुनकर राहुल एकदम क्रोधित हो रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था लेकिन फिर भी अंकित की बात सुनकर वह बोला)


अगर मैं इसमें तेरी मदद ना करूं तो,,,,।

तो तू ही सोच कर तुम मां बेटे की सच्चाई तेरे पापा को पता चल गई तो अगर तुम मां बेटे की सच्चाई धीरे-धीरे समझ में सबको पता चलने लगी तो,, तो सोच तेरी मम्मी भी टीचर है और अगर यह बात स्कूल में फैल गई तब क्या होगा तेरी मां कभी भी घर से बाहर नहीं निकल पाएगी लोग तेरी मां के बारे में तेरे बारे में कैसे किसी बातें करेंगे तुम मां बेटे की इज्जत एकदम से खाक में मिल जाएगी साथ में तुम दोनों अपने आप की भी इज्जत ले डुबोगे अगर मेरी बात नहीं मानोगे तो।

(अंकित पूरी तरह से खुले शब्दों में उसे धमकी दे रहा था और इसका अंजाम राहुल अच्छी तरह से समझ रहा था राहुल के पसीने छूट रहे थे वह जानता था कि अगर अंकित यह बात किसी को बता दिया तो मां बेटे का जीना मुश्किल हो जाएगा समझ में मुंह दिखाने के लायक दोनों नहीं रह जाएंगे और वह धीरे से बोला)


लेकिन मम्मी नहीं मानेगी,,,,(अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए बोला,,,)


मम्मी तो तेरी मान ही जाएगी तू मानेगा कि नहीं यह बता,,,,, यही बात में तेरी मम्मी को बोल दूंगा तो वह मेरे सामने अपनी टांगे खोलने में बिल्कुल भी देर नहीं करेगी आखिरकार इज्जत बचाने के लिए वह इतना तो कर ही सकती है जब तेरे सामने टांग खोल सकती है तो मैं भी तो तेरी मां का बेटा जैसा ही हूं,,,,


लेकिन यह सब होगा कैसे,,,,,


तू तैयार है कि नहीं पहले यह बता,,,


तेरी बात मानने के सिवा मेरे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं है,,,,,
(राहुल की बात सुनकर अंकित मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अब उसे क्या करना है वैसे भी उसकी मां पहले सही तैयार थी बस इस खेल में उसके बेटे को शामिल करना था। राहुल की बात सुनकर अंकित खुश होता हुआ बोला,,,)


अब आएगा असली मजा,,,

लेकिन जो तू कह रहा है क्या तुझे लगता है की मम्मी तैयार हो जाएगी।


यह सब तु मुझ पर छोड़ दे,,, मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तेरी मां को क्या चाहिए उसे मोटा तगड़ा लंंड चाहिए जो कि मेरे पास है और अगर ऐसा ना होता तो वह तेरे पापा से ही खुश रहती तेरे साथ यह सब कभी नहीं करती इसलिए कैसे करना है यह सब तु मुझ पर छोड़ दे,,,, बस चल तू दोपहर में घर पर मौजूद मत रहना मैं तेरे घर पहुंच जाऊं और उसके बाद तू 1 घंटे बाद आना,,,,,,, वैसे तेरे पापा घर पर रहते हैं कि नहीं दोपहर में,,,।

नहीं वह तो ऑफिस में रहते हैं,,,।

तब तो सारा मामला फिट है तो तय रहा कल मैं तेरे घर आऊंगा,,,,,

(इतने में नूपुर और सुगंधा दोनों सब्जी लेकर वहां पहुंच गई,,,, राहुल का दांव पूरी तरह से उल्टा पड़ गया था,,,, उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि ना वह इस तरह की बातें छेड़ता और ना ही अंकित इस तरह का खेल उसके साथ खेलता,,,, वैसे भी राहुल अपने मन में यही सोच रहा था कि जैसा अंकित चाहता है उसकी मां, वैसा कभी नहीं करेगी,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में शंका बना हुआ था कि जिस तरह से अंकित उसे मां बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में बोलकर उसे मजबूर कर दिया था वही बोलकर उसकी मां को भी मजबूर कर सकता है तब उसकी मां के पास भी उसके साथ हम बिस्तर होने के सिवा और कोई रास्ता नहीं होगा,,,,,,,, नूपुर अपने बेटे के साथ और सुगंधा अपने बेटे के साथ घर की तरफ निकल गए थे लेकिन अब अंकित के मन में कोई और ही खिचड़ी पक रही थी,,,,)

Gazab ki update he rohnny4545 Bhai

Ankit ne to gazab hi kar diya..............

Kaha rahul uske aur uski maa ke maje le raha tha...........

Ankit ne to sara game palat kar nupur k chodne ka plan bana liya vo bhi rahul ki sahamati ke sath.......

Keep rocking Bro
 
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Sanju@

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मां बेटे दोनों को लग रहा था कि वह गंदी किताब की कहानी दोनों के बीच की दूरी को खत्म करने के लिए मददगार साबित हो सकती थी,,,, बस उस गंदी किताब की कहानी के मुद्दे को सही तरीके से उपयोग करना था,,,, कहानी को पढ़कर अंकित के तन बदन में पूरी तरह से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, पर यही हाल सुगंधा का भी था सुगंधा किसी भी तरह से चाहती थी कि वह किताब अंकित के हाथ में लग जाए और ऐसा ही हुआ और जानबूझकर उसे कहानी को पढ़ने के लिए वह अपने बेटे से बोली अपने बेटे के मुंह से उसे कहानी के उसे क्षण को पढ़कर वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी,,,, सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना के लहर उठ रही थी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की हालत पल-पल खराब होती चली जा रही थी।वह कभी सोची नहीं थी कि वह हिम्मत दिखा कर अपने बेटे को गंदी किताब की गंदी कहानी पढ़ने को बोलेगी।

कहानी में जो बैठा था वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, अपने बेटे को किताब का वह नजारा पढ़ते हुए देख कर अपने मन में सोच रही थी,, ऐसा पल तो उसके जीवन में बहुत बार आया था,,, बहुत बार ऐसा हुआ था कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, और बहुत बार तो वह खुद ही अब जानबूझकर अपने बेटे को या नजारा दिखा चुकी थी,,,, लेकिन किताब के नायक के मन की दशा को पढ़कर सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा भी बिल्कुल ऐसा ही उसके बारे में सोच रहा होगा उसे पेशाब करते हुए देखकर उसकी नंगी गांड देखकर उसका मन भी उसे चोदने को करता होगा,,,क्योंकि मन में अगर इस तरह का ख्याल ना आए तो फिर किसी भी औरत को अर्धनग्न अवस्था में या नग्न अवस्था में देखकर मर्द को कोई फायदा ना हो मर्द औरत को इस अवस्था में देख कर केवल उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बारे में ही सोचता है,,, तभी तो उसकी उत्तेजना केवल औरत को नग्न, अर्धनग्न अवस्था में देखकर बढ़ जाती है। कहानी के नायक की तरह उसके बेटे ने उसे बहुत बार देखा था उसके मन में भी उसे चोदने का ख्याल आता होगा तभी तो उसका लंड खड़ा हो जाता है,,, कहानी को पढ़ते समय भी उसके पेंट में तंबू बना हुआ था,,, यह सब यही दर्शाता है कि वह भी कहानी के नायक की तरह अपनी मां को चोदना चाहता है। इस बात को सोचकर ही सुगंधा का बदन गनगना गया,,,,।

सुगंधा मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थीक्योंकि धीरे-धीरे मां बेटे आगे की तरफ बढ़ रहे थे मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे मंजिल अब ज्यादा दूर नजर नहीं आ रही थी,,,,दोनों में से कोई एक अगर जल्दी से कदम आगे बढ़ा देता तो शायद दोनों को मंजिल भी मिल जाती लेकिन कोई भी कदम आगे बढ़ाने को तैयार नहीं था बल्कि साथ-साथ ही चल रहे थेऔर शायद इसी में असली सुख भी छुपा हुआ था धीरे-धीरे में जो आनंद है दोनों मां बेटे को प्राप्त हो रहा था वह उनकी कल्पना से भी परे था,,, अंकित भी पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह जान चुका था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,, औरतों की मां की आहट को धीरे-धीरे समझने लगा था जिसने यह अनुभव उसेराहुल की मां और अपनी ही नानी से प्राप्त हुआ था दोनों दिखने में तो बहुत सीधी शादी थी लेकिन अपने अंदर एक तूफान लिए हुए थी,,,बाहर से शांत दिखने वाली दोनों औरतें नदी की तरह थी एकदम शांत लेकिन अंदर से तूफान लिए हुए एक प्यास लिए हुए जो मौका देखकर किसी भी मर्द के साथ एकाकार होने में नहीं हिचकीचाती,,,, अंकित भी अपने काम में लगा हुआ था सुगंधा भी काम में लगी हुई थी लेकिन आगे की योजना अपने मन में बना रही थी,,,,।कपड़ों को व्यवस्थित कर लेने के बाद वह धीरे-धीरे उसे अलमारी में रखने लगी,,,,मां बेटे के बीच इस समय किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थीक्योंकि कुछ देर पहले दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ था कहानी को लेकर जिस तरहके भाव दोनों के मन में जगह थे वह उन दोनों को कुछ देर के लिए एकदम शांत कर दिया था और अपने आप को ही सोचने पर मजबूर कर दिया था कि अब आगे क्या करना है।

अलमारी में कपड़े रख लेने के बाद,,, सुगंधा के मन में कुछ और चल रहा थावह अपने बेटे के सामने अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठकर कमर में खोज दी और घुटने के नीचे तक उसकी साड़ी जो थी अब वह घुटनों तक आ चुकी थी उसकी मांसल पिंडलियां उजागर हो चुकी थी और वह अपनी साड़ी को अपनी कमर पर कस ली थी इस रूप में उसकी साड़ी का पल्लू उसकी चूचियों के बीच से आकर नीचे कमर में फंसी हुई थी जिसे अपने हाथ से ही खोंशी थी लेकिन उसके ऐसा करने की वजह से साड़ी का पल्लू उसकी धोनी चूचियों के बीच से नीचे की तरफ और भी ज्यादा बड़ी और उन्नत लग रही थी जिस पर नजर पड़ते ही अंकित के बदन मदहोशी का रस घुलने लगा था,,,। अपनी मां को ऐसा करते हुए देखकर अंकित ऊपर से नीचे की तरफ अपनी मां को देखकर बोला,,,।

अब क्या करने जा रही हो,,,,?
(अंकित जिस तरह से प्यासी नजरों से उसके बदन को ऊपर से नीचे तक देखा था इसका एहसास सुगंध को बड़ी अच्छी तरह से हुआ था और उसके बदन में उत्तेजना की फुहार उठने लगी थी,,, क्योंकि सुगंधा को अपने बेटे की आंखों में वासना और प्यास एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,अपने खूबसूरत अंगों के उभार के लिए उसकी आंखों में एक चमक दिखाई दे रही थी और उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि अगर अपने बेटे को वह छूट दे देगी तो उसका बेटा उसके खूबसूरत अंगों को अपनी हथेली में लेकर मसल मसल कर उसका रस निचोड़ डालेगा। और इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार थीबहुत बार उसने इशारों ही इशारों में अपने बेटे को किया जताने की कोशिश कर चुकी थी कि वह क्या चाहती है उसका क्या इरादा है लेकिन उसका बेटा ना जाने क्यों शायद ना जाने में या सब कुछ जान कर भी आगे बढ़ने से अपने आप को रोक ले रहा था,,, लेकिन अब वह चाहती थी कि अब जो कुछ भी हो दोनों के बीच जल्दी हो जाए क्योंकि अब यह तड़प उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,, वह अपने बेटे की मजबूत बुझाओ में अपने आप को सिमटती हुई महसूस करना चाहती थी,,, अपने बेटे के मर्दाना अंग को अपने कोमल अंग के अंदर उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी उसकी रगड़ को महसूस करके पानी पानी हो जाना चाहती थी।

इस तरह की अभिलाषा शायद उसे शादीके पहले भी नहीं हुई होगी जितना कि अब वह एक मर्द का साथ पाने के लिए तड़प रही थी,,, शायद वह इसलिए की,तब उसे नहीं मालूम था कि उसकी मंजिल कहां है उसे क्या चाहिए किस चीज की जरूरत है वह ऐसे ही अपनी जिम्मेदारी एक मां की तरह निभाते चली जा रही थी और अपने अंदर की औरत को वह अपने पति के देहांत के बाद ही मर चुकी थी लेकिन जैसे ही उसके अंदर की एक औरत जागरूक हुई उसकी मां की तरह की जिम्मेदारी एक औरत की अभिलाषा के दबाव में दबती चली गई,,, एक औरत की अभिलाषा एक औरत की प्यास एक मां पर भारी पड़ रही थी वह मजबूर हो चुकी थी अपने अंदर की हवस मिटाने के लिए अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए,,, वह यह जानकर भी वह जो कुछ करने जा रही है वह गलत है अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाना पाप है लेकिन वह मजबूर थी अपनी प्यास के आगे बेबस हो चुकी थी और अपने आप को अपने मन को इस बात से दीलासा भी दे चुकी थी कि एक चार दिवारी के अंदर मां बेटे क्या करते हैं यह किसी को क्या पता चलेगा,,,, समाज में समझ के आगे भले ही वह मां बेटे की तरह व्यवहार करते हो लेकिन घर की चार दिवारी के अंदर अगर पति-पत्नी की तरह व्यवहार करेंगे तो इस बारे में किसी को कैसे पता चलेगा और चोरी तब तक ही रहती है जब तक की पकड़ी ना जाए अौर सुगंधा को पूरा भरोसा था कि अगर उसके और उसके बेटे के बीचशारीरिक संबंधी स्थापित हो जाता है तो भी इस बारे में किसी को कानों कान खबर तक नहीं होगी,,,, अपने बेटे के सवाल पर मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देख कर बोली,,,)

अलमारी की सफाई तो हो गई लेकिन कैमरे की सफाई बाकी है जा जाकर बाहर से झाड़ू लेकर आ,,,,।

ओहहह तो तुम झाड़ू लगाने जा रही हो मुझे लगा इस तरह से,,(हथेली अपनी मां की तरफ करके ऊपर से नीचे की तरफ हथेली को घुमाते हुए) क्या करने जा रही हो..


अरे कुश्ती नहीं करने जा रही हूं,,,, और वैसे भी मेरे साथ कुश्ती करेगा कौन,,,,।

मैं हूं ना तुम्हारे साथ कुस्ती करने के लिए,,,(अंकित मुस्कुराते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर सुगंधा भी बोल पड़ी)

एक ही बार में दबा दूंगी चित्त हो जाएगा,,,,भले ही तो कसरत करता है लेकिन मुझसे ज्यादा मजबूत नहीं होगा,,,।

अगर यह बात है तो चलो कुश्ती करके देख लेते हैं कौन जीतता है,,,,।

नहीं नहीं रहने देकहीं नीचे गिरकर हड्डी टूट गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,।

बस हो गया डर गई,,,।


डर तो बिल्कुल नहीं गई क्योंकि जब मैं कक्षा8 में थी तो स्कूल में कबड्डी का कंपटीशन होता था और उसमें में हीं फर्स्ट आती थी,,,।

सच में मम्मी,,,,।

तो क्या तुझे भरोसा नहीं होता क्या,,,,

मुझे तो भरोसा है लेकिन,,,,

अच्छा तो तुझे भरोसा नहीं है चल फिर एक बार एक-एक हाथ हो ही जाए,,,,।

यहां पर इस कमरे में,,,।

तो क्या बाहर जाकर कुश्ती लड़ेंगे क्या,,, मां बेटे की बीच की कुश्ती तो घर की चार दिवारी के अंदर ही होती है,,, बिस्तर पर,,,,(सुगंधा अपने बेटे से दो अर्थ वाली बातें कर रही थी और अंकित अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,, और अपनी मां की अभिलाषा जानकर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था,,,, और उसकी बात सुनकर बोला,,,)

और कहीं कुश्ती लड़ते-लड़ते पलंग टूट गई तो,,,।

पलंग तोड़ कुश्ती में ही तो मजा आता है तभी तो दोनों में कितना दम है इसका पता चलता है,,,,,,

बात तो सही है तुम्हारे साथ कुश्ती करने का मजा भी तभी है जब पलंग टूट जाए,,,,(अंकित भी अपनी मां की तरह दो अर्थ में बात करते हुए बोला और सुगंधा अपने बेटे के कहने के मतलब को समझ कर उत्तेजना से गनगना गई,,,,)

तो चल देखते हैं कौन पलंग तोड़ता है,,,।

चलो मैं तो तैयार हूं,,,,(ऐसा कहते हुए अंकित शुरुआत करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर उठा दिया और अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा दिया मानो की सच में वह कुश्ती करने के लिए तैयार हो चुका था,,, सुगंधा भीअपने दोनों हाथ को आगे बढ़ा दी और वह भी कुश्ती करने के लिए तैयार हो चुकी थी सुगंधा और अंकित दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था यह तो सिर्फ कुश्ती का बहाना था दोनों एक दूसरे को छूने दबाने और मसलने का मजा लेना चाहते थे,,,,
देखते ही देखते अंकितदोनों हाथ ऊपर किए हुए ही अपनी मां की हथेली को अपनी हथेली में दबोच लिया और जिस तरह से दो योद्धा कुश्ती करते हैं इस तरह से वह दोनों भी तैयार हो चुके थे दोनों जोर लगा रहे थे एक दूसरे के तरफऔर दोनों का जोर बराबर लग रहा था कभी वह एक कदम पीछे चले जा रहा था तो कभी सुगंधा एक कदम पीछे चली जा रही थी।लेकिन अगले ही पल हुआ अपनी स्थिति में आ जा रही थी अपनी मां की ताकत हिम्मत देखकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि वाकई में पलंग पर उसकी मां के साथ कुश्ती करने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा,,,,ऐसा अपने मन में सोते हुए को थोड़ा सा जोर लगाया तो उसकी मां गिरने को हो गई लेकिन तुरंत अपने आप को संभाल ली,,,,


लेकिन अगले ही पल अंकित थोड़ा सा जोर लगाया और इस बार वह अपनी मां को लेकर पलंग पर जा गिरा सुगंधा पलंग पर नीचे गिरी हुई थी और अंकित उसके ऊपर गिरा हुआ था और उसे अपनी भुजाओं से दबोच कर रखा हुआ था,,,,लेकिन उसके पलंग पर गिरने से उसकी सारी घुटनों के ऊपर तक एकदम से चढ़ गई थी उसकी मोटी मोटी नंगी जांघोंका एहसास अंकित को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था और किसी भी तरह से अपनी मां की जान को अपनी हथेली सेदबाना चाहता था मसलना चाहता था तब पूछना चाहता था उसके मखमली जांघों को छुकर महसूस करना चाहता था अपनी मां की जवानी को,,,, सुगंधा उसके नीचे दबी हुई थी और उससे छूटने की कोशिश कर रही थी,,,लेकिन अंकित उसे अपनी भुजाओं से दबोचा हुआ था और उसे पर काबू करने के बहाने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को कस के दबोच लिया था,,,,अपनी मां की चिकनी जांघों का एहसास उसके बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ा रही थी,,, ओ पागल हुआ जा रहा था और उसके हाथ जांघों के ऊपरी सतह पर अपने आप फिसलते हुए चले जा रहे थे जिसका एहसास सुगंधा को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था,,,,वह अपने बेटे की पकड़ से छोड़ना चाहती थी लेकिन अंकित की हरकत से वह मदहोश हुए जा रही थी,,,, मां बेटे दोनों जोर लगा रहे थे और दोनों का मजा भी आ रहा थाअंकित कुश्ती के बहाने अपनी मां के मखमली बदन को छू रहा था उसे अपनी हथेली में दबोच रहा था इस समय उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी पेंट के अंदर उसका लंड पूरी तरह से टन्ना गया था।

तभी अंकित की नजर अपनी मां की चूचियों पर पड़ी जो की ब्लाउज से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,, क्योंकिकुश्ती का जोर लगाने की कसम काम सुगंधा के ब्लाउज का ऊपर वाला बटन अपने आप ही टूटकर गिर गया था जिसकी वजह से उसकी आधे से भी ज्यादा चूचियां ब्लाउज से बाहर झांकने लगी थी,,,जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आने लगा था और इसी मौके का फायदा उठाकर सुगंधा एकदम से अपना दांव बदली औरअपने बेटे के कंधे को पकड़ कर उसे ज़ोर से दम लगाकर एकदम से पलट दी और खुद उसके ऊपर चढ़ गईलेकिन ऊपर चढ़ने में उसकी साड़ी एकदम कमर तक उठ गई जिससे उसकी मदद कर देने वाली बड़ी-बड़ी गांड लाल रंग की चड्डी में एकदम साफ दिखाई देने लगी लेकिन इस समय अंकित अपनी मां को ही जरूरत में नहीं देख सकता था क्योंकि वह नीचे दबा हुआ था लेकिन अपने आप को ऊपर उठने की कोशिश में अपने आप को बचाने की कोशिश मेंवह अपने हाथ को अपनी मां के बदन के इधर-उधर रखकर जोर लगा रहा था और ऐसे में उसके दोनों हाथ सुगंधा के भारी भरकम गांड पर चली गई और उसे एहसास हुआ की साड़ी कमर तक उठी हुई है लेकिन पूरे नंगेपन को ढकने के लिए अभी भी उसके बदन पर चड्डी थी जिसका एहसासअंकित को अपनी हथेली पर चड्डी के स्पर्श होते ही महसूस हो रहा था और वह एकदम से मत हुआ जा रहा था लेकिन इस समय कुश्ती के खेल में सुगंधा पूरी तरह से हावी हो चुकी थी,,,।

सुगंधा जिस तरह से कुश्ती के नियम का फायदा उठाते हुए कि,, जब सामने वाले प्रति द्ववंदी का ध्यान थोड़ा सा भी भटके तो तुरंत दांव लगाकर उसे पटकनी दे दो,,,और सुगंधा को जैसे ही लगा कि उसके बेटे का ध्यान पूरी तरह से भटक चुका है क्योंकि वह अपने बेटे की नजर को देख चुकी थी और उसकी नजर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर थी जो ब्लाउज के बटन टूटने की वजह से बाहर की तरफ पानी भरे गुब्बारे की तरह लुढका हुआ था तभी वहअपने बेटे की कमजोरी का फायदा उठाकर उसे नीचे पटक दीजिए लेकिन जिस तरह से वह अपने बेटे के ऊपर बैठी हुई थी उसकी गांड पर उसकी गांड के बीचों बीच कुछ कड़क चीज चुभती हुई महसूस हो रही थी और उसे समझते देर नहीं लगी कि नीचे से कौन सा अंग उसकी गांड के बीचो-बीच चुभ रहा है यह एहसास होते ही वह पानी पानी होने लगी,,,सुगंध को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था की कुश्ती करते समय जब वह पलंग पर पटकी गई थी और जब वह उसके ऊपर चढ़ी तब उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी और इस समय पेट के अंदर से ही उसके बेटे का लंड उसकी पेंटि के ऊपर से उसकी बुर पर ठोकर मार रहा थायह एहसास उसका पानी निकालने के लिए काफी था वह मदहोश हो जा रही थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी लेकिन दोनों हाथों से अपने बेटे की हथेलियां को दबोच कर बिस्तर पर दबाए हुए थी ताकि वह कोई हरकत ना कर सके,,,,।

अंकित को भी एहसास हो रहा था कि वह किस स्थिति में है अपनी मां का भारी भरकम बदन वह अपने ऊपर महसूस कर रहा था,,, और शायदयह उसके लिए एक तरह का अभ्यास था जब वह दोनों के बीच सारी मर्यादाएं खत्म होने के बाद जब दोनों संभोग सुख का मजा लेंगे तब शायद इसी तरह से वह अपनी मां को अपने लंड के ऊपर रखकर नीचे से ठोकर लगाएगा,,,और तब वह अपनी मां के भारी भरकम वजन को संभाल सकता है कि नहीं यह देखने के लिए यह पल उसके लिए बेहद जरूरी था,,,और अच्छी तरह से उसकी मां की भारी भरकम गांड का दबाव उसके लंड पर पड़ रहा था उसे देखकर अंकित को एहसास हो रहा था कि वह अपनी मां के भार को अच्छी तरह से संभाल लेगा,,,सुगंधा किस तरह से अपने नीचे उसे दबाए हुए थी वह पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था और कुश्ती के नियम के अनुसार वह हार चुका था,,, और सुगंधा हल्के से अपनी गांड कोएक दो बार अपने बेटे के लंड पर गोल-गोल घुमाई जिसका एहसास अंकित को महसूस हुआ था और वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था उसका मन तो इसी समय कर रहा था कि अपनी मां को बोल दे की बस अपनी चड्डी उतार दो मुझे रहा नहीं जा रहा है लेकिन ऐसा कह नहीं पाया,,,।

सुगंधा अपनी जीत को लेकर बेहद खुश थी और अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,,।

क्यों बच्चु हो गया ना,,, ऐसे ही चार-पांच मेडल नहीं जीती हूं अब तो तुझे यकीन हुआ ना की कुश्ती में तु मुझसे नहीं जीत सकता।

बिल्कुल सच में मैं तुमसे नहीं जी सकता तुमने जिस तरह से पटकनी लगाइ हो मैं तो सोच भी नहीं सकता,,,।

मेरे लाल यही तो कुश्ती का नियम है,,,(ऐसा कहते हुए अपने बेटे के ऊपर से उठने लगी उसकी सारी कमर तक उठी हुई थी और अपने को बेटी के सामने ही खड़ी होकर अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी उसे बेहद रोमांच का अनुभव हुआ था उसे बहुत मजा आया था,,,, अंकित भी बिस्तर पर उठकर बैठ गया और बोला,,,)

अच्छा हुआ कि तुम्हारी पलंग नहीं टूटी वरना लेने के देने पड़ जाते,,,।

सच कहूं तो मैं उतना जोर लगाई ही नहीं थी वरना सच में पलंग टूट जाती।( इतना कहते हुए वह पलंग से नीचे उतर गई,,,, अंकित भी धीरे से पलंग से नीचे उतर गया,,,, सुगंधा अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

जब जल्दी से जाकर झाडू ले आ कमरे की सफाई कर देती हुं,,,,,।

ठीक है मैं अभी लेकर आता हूं,,,,,(इतना कहकर अंकित अपनी मां के कमरे से बाहर चला गया और सुगंधा जल्दी से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी पैंटी को जल्दी से उतारने लगी और अपनी मोटी मोटी जांघों से नीचे सरकाते हुए वह आगे की योजना बनाने लगी और अगले ही पल वह अपनी पैंटी को अपने पैरों से बाहर निकाल कर उसे बिस्तर के नीचे छुपा दी और अपनी साड़ी को पहले की तरह अपनी कमर में खोंस ली,,,)
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है मां बेटे की चूदाई की कहानी पढ़कर दोनों उत्तेजित हो गए सुगंधा और अंकित के मन में पहल कौन करे यह द्वंद चल रहा था सुगंधा अपनी अगली चाल चलती है और दोनों कुश्ती करते हैं कुश्ती के बहाने सुगंधा चाहती हैं कि अंकित पहल करे और उसके साथ चूदाई करे लेकिन वह पहल नहीं कर पा रहा है
 

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मां बेटे दोनों को लग रहा था कि वह गंदी किताब की कहानी दोनों के बीच की दूरी को खत्म करने के लिए मददगार साबित हो सकती थी,,,, बस उस गंदी किताब की कहानी के मुद्दे को सही तरीके से उपयोग करना था,,,, कहानी को पढ़कर अंकित के तन बदन में पूरी तरह से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, पर यही हाल सुगंधा का भी था सुगंधा किसी भी तरह से चाहती थी कि वह किताब अंकित के हाथ में लग जाए और ऐसा ही हुआ और जानबूझकर उसे कहानी को पढ़ने के लिए वह अपने बेटे से बोली अपने बेटे के मुंह से उसे कहानी के उसे क्षण को पढ़कर वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी,,,, सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना के लहर उठ रही थी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की हालत पल-पल खराब होती चली जा रही थी।वह कभी सोची नहीं थी कि वह हिम्मत दिखा कर अपने बेटे को गंदी किताब की गंदी कहानी पढ़ने को बोलेगी।






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कहानी में जो बैठा था वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, अपने बेटे को किताब का वह नजारा पढ़ते हुए देख कर अपने मन में सोच रही थी,, ऐसा पल तो उसके जीवन में बहुत बार आया था,,, बहुत बार ऐसा हुआ था कि उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, और बहुत बार तो वह खुद ही अब जानबूझकर अपने बेटे को या नजारा दिखा चुकी थी,,,, लेकिन किताब के नायक के मन की दशा को पढ़कर सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा भी बिल्कुल ऐसा ही उसके बारे में सोच रहा होगा उसे पेशाब करते हुए देखकर उसकी नंगी गांड देखकर उसका मन भी उसे चोदने को करता होगा,,,क्योंकि मन में अगर इस तरह का ख्याल ना आए तो फिर किसी भी औरत को अर्धनग्न अवस्था में या नग्न अवस्था में देखकर मर्द को कोई फायदा ना हो मर्द औरत को इस अवस्था में देख कर केवल उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बारे में ही सोचता है,,, तभी तो उसकी उत्तेजना केवल औरत को नग्न, अर्धनग्न अवस्था में देखकर बढ़ जाती है। कहानी के नायक की तरह उसके बेटे ने उसे बहुत बार देखा था उसके मन में भी उसे चोदने का ख्याल आता होगा तभी तो उसका लंड खड़ा हो जाता है,,, कहानी को पढ़ते समय भी उसके पेंट में तंबू बना हुआ था,,, यह सब यही दर्शाता है कि वह भी कहानी के नायक की तरह अपनी मां को चोदना चाहता है। इस बात को सोचकर ही सुगंधा का बदन गनगना गया,,,,।





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सुगंधा मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थीक्योंकि धीरे-धीरे मां बेटे आगे की तरफ बढ़ रहे थे मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे मंजिल अब ज्यादा दूर नजर नहीं आ रही थी,,,,दोनों में से कोई एक अगर जल्दी से कदम आगे बढ़ा देता तो शायद दोनों को मंजिल भी मिल जाती लेकिन कोई भी कदम आगे बढ़ाने को तैयार नहीं था बल्कि साथ-साथ ही चल रहे थेऔर शायद इसी में असली सुख भी छुपा हुआ था धीरे-धीरे में जो आनंद है दोनों मां बेटे को प्राप्त हो रहा था वह उनकी कल्पना से भी परे था,,, अंकित भी पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह जान चुका था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,, औरतों की मां की आहट को धीरे-धीरे समझने लगा था जिसने यह अनुभव उसेराहुल की मां और अपनी ही नानी से प्राप्त हुआ था दोनों दिखने में तो बहुत सीधी शादी थी लेकिन अपने अंदर एक तूफान लिए हुए थी,,,बाहर से शांत दिखने वाली दोनों औरतें नदी की तरह थी एकदम शांत लेकिन अंदर से तूफान लिए हुए एक प्यास लिए हुए जो मौका देखकर किसी भी मर्द के साथ एकाकार होने में नहीं हिचकीचाती,,,, अंकित भी अपने काम में लगा हुआ था सुगंधा भी काम में लगी हुई थी लेकिन आगे की योजना अपने मन में बना रही थी,,,,।कपड़ों को व्यवस्थित कर लेने के बाद वह धीरे-धीरे उसे अलमारी में रखने लगी,,,,मां बेटे के बीच इस समय किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थीक्योंकि कुछ देर पहले दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ था कहानी को लेकर जिस तरहके भाव दोनों के मन में जगह थे वह उन दोनों को कुछ देर के लिए एकदम शांत कर दिया था और अपने आप को ही सोचने पर मजबूर कर दिया था कि अब आगे क्या करना है।






अलमारी में कपड़े रख लेने के बाद,,, सुगंधा के मन में कुछ और चल रहा थावह अपने बेटे के सामने अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठकर कमर में खोज दी और घुटने के नीचे तक उसकी साड़ी जो थी अब वह घुटनों तक आ चुकी थी उसकी मांसल पिंडलियां उजागर हो चुकी थी और वह अपनी साड़ी को अपनी कमर पर कस ली थी इस रूप में उसकी साड़ी का पल्लू उसकी चूचियों के बीच से आकर नीचे कमर में फंसी हुई थी जिसे अपने हाथ से ही खोंशी थी लेकिन उसके ऐसा करने की वजह से साड़ी का पल्लू उसकी धोनी चूचियों के बीच से नीचे की तरफ और भी ज्यादा बड़ी और उन्नत लग रही थी जिस पर नजर पड़ते ही अंकित के बदन मदहोशी का रस घुलने लगा था,,,। अपनी मां को ऐसा करते हुए देखकर अंकित ऊपर से नीचे की तरफ अपनी मां को देखकर बोला,,,।

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अब क्या करने जा रही हो,,,,?
(अंकित जिस तरह से प्यासी नजरों से उसके बदन को ऊपर से नीचे तक देखा था इसका एहसास सुगंध को बड़ी अच्छी तरह से हुआ था और उसके बदन में उत्तेजना की फुहार उठने लगी थी,,, क्योंकि सुगंधा को अपने बेटे की आंखों में वासना और प्यास एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,अपने खूबसूरत अंगों के उभार के लिए उसकी आंखों में एक चमक दिखाई दे रही थी और उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि अगर अपने बेटे को वह छूट दे देगी तो उसका बेटा उसके खूबसूरत अंगों को अपनी हथेली में लेकर मसल मसल कर उसका रस निचोड़ डालेगा। और इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार थीबहुत बार उसने इशारों ही इशारों में अपने बेटे को किया जताने की कोशिश कर चुकी थी कि वह क्या चाहती है उसका क्या इरादा है लेकिन उसका बेटा ना जाने क्यों शायद ना जाने में या सब कुछ जान कर भी आगे बढ़ने से अपने आप को रोक ले रहा था,,, लेकिन अब वह चाहती थी कि अब जो कुछ भी हो दोनों के बीच जल्दी हो जाए क्योंकि अब यह तड़प उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,, वह अपने बेटे की मजबूत बुझाओ में अपने आप को सिमटती हुई महसूस करना चाहती थी,,, अपने बेटे के मर्दाना अंग को अपने कोमल अंग के अंदर उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी उसकी रगड़ को महसूस करके पानी पानी हो जाना चाहती थी।

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इस तरह की अभिलाषा शायद उसे शादीके पहले भी नहीं हुई होगी जितना कि अब वह एक मर्द का साथ पाने के लिए तड़प रही थी,,, शायद वह इसलिए की,तब उसे नहीं मालूम था कि उसकी मंजिल कहां है उसे क्या चाहिए किस चीज की जरूरत है वह ऐसे ही अपनी जिम्मेदारी एक मां की तरह निभाते चली जा रही थी और अपने अंदर की औरत को वह अपने पति के देहांत के बाद ही मर चुकी थी लेकिन जैसे ही उसके अंदर की एक औरत जागरूक हुई उसकी मां की तरह की जिम्मेदारी एक औरत की अभिलाषा के दबाव में दबती चली गई,,, एक औरत की अभिलाषा एक औरत की प्यास एक मां पर भारी पड़ रही थी वह मजबूर हो चुकी थी अपने अंदर की हवस मिटाने के लिए अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए,,, वह यह जानकर भी वह जो कुछ करने जा रही है वह गलत है अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाना पाप है लेकिन वह मजबूर थी अपनी प्यास के आगे बेबस हो चुकी थी और अपने आप को अपने मन को इस बात से दीलासा भी दे चुकी थी कि एक चार दिवारी के अंदर मां बेटे क्या करते हैं यह किसी को क्या पता चलेगा,,,, समाज में समझ के आगे भले ही वह मां बेटे की तरह व्यवहार करते हो लेकिन घर की चार दिवारी के अंदर अगर पति-पत्नी की तरह व्यवहार करेंगे तो इस बारे में किसी को कैसे पता चलेगा और चोरी तब तक ही रहती है जब तक की पकड़ी ना जाए अौर सुगंधा को पूरा भरोसा था कि अगर उसके और उसके बेटे के बीचशारीरिक संबंधी स्थापित हो जाता है तो भी इस बारे में किसी को कानों कान खबर तक नहीं होगी,,,, अपने बेटे के सवाल पर मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देख कर बोली,,,)




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अलमारी की सफाई तो हो गई लेकिन कैमरे की सफाई बाकी है जा जाकर बाहर से झाड़ू लेकर आ,,,,।

ओहहह तो तुम झाड़ू लगाने जा रही हो मुझे लगा इस तरह से,,(हथेली अपनी मां की तरफ करके ऊपर से नीचे की तरफ हथेली को घुमाते हुए) क्या करने जा रही हो..


अरे कुश्ती नहीं करने जा रही हूं,,,, और वैसे भी मेरे साथ कुश्ती करेगा कौन,,,,।

मैं हूं ना तुम्हारे साथ कुस्ती करने के लिए,,,(अंकित मुस्कुराते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर सुगंधा भी बोल पड़ी)

एक ही बार में दबा दूंगी चित्त हो जाएगा,,,,भले ही तो कसरत करता है लेकिन मुझसे ज्यादा मजबूत नहीं होगा,,,।

अगर यह बात है तो चलो कुश्ती करके देख लेते हैं कौन जीतता है,,,,।

नहीं नहीं रहने देकहीं नीचे गिरकर हड्डी टूट गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,।

बस हो गया डर गई,,,।


डर तो बिल्कुल नहीं गई क्योंकि जब मैं कक्षा8 में थी तो स्कूल में कबड्डी का कंपटीशन होता था और उसमें में हीं फर्स्ट आती थी,,,।

सच में मम्मी,,,,।

तो क्या तुझे भरोसा नहीं होता क्या,,,,

मुझे तो भरोसा है लेकिन,,,,






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अच्छा तो तुझे भरोसा नहीं है चल फिर एक बार एक-एक हाथ हो ही जाए,,,,।

यहां पर इस कमरे में,,,।

तो क्या बाहर जाकर कुश्ती लड़ेंगे क्या,,, मां बेटे की बीच की कुश्ती तो घर की चार दिवारी के अंदर ही होती है,,, बिस्तर पर,,,,(सुगंधा अपने बेटे से दो अर्थ वाली बातें कर रही थी और अंकित अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,, और अपनी मां की अभिलाषा जानकर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था,,,, और उसकी बात सुनकर बोला,,,)

और कहीं कुश्ती लड़ते-लड़ते पलंग टूट गई तो,,,।

पलंग तोड़ कुश्ती में ही तो मजा आता है तभी तो दोनों में कितना दम है इसका पता चलता है,,,,,,

बात तो सही है तुम्हारे साथ कुश्ती करने का मजा भी तभी है जब पलंग टूट जाए,,,,(अंकित भी अपनी मां की तरह दो अर्थ में बात करते हुए बोला और सुगंधा अपने बेटे के कहने के मतलब को समझ कर उत्तेजना से गनगना गई,,,,)

तो चल देखते हैं कौन पलंग तोड़ता है,,,।

चलो मैं तो तैयार हूं,,,,(ऐसा कहते हुए अंकित शुरुआत करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर उठा दिया और अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा दिया मानो की सच में वह कुश्ती करने के लिए तैयार हो चुका था,,, सुगंधा भीअपने दोनों हाथ को आगे बढ़ा दी और वह भी कुश्ती करने के लिए तैयार हो चुकी थी सुगंधा और अंकित दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था यह तो सिर्फ कुश्ती का बहाना था दोनों एक दूसरे को छूने दबाने और मसलने का मजा लेना चाहते थे,,,,
देखते ही देखते अंकितदोनों हाथ ऊपर किए हुए ही अपनी मां की हथेली को अपनी हथेली में दबोच लिया और जिस तरह से दो योद्धा कुश्ती करते हैं इस तरह से वह दोनों भी तैयार हो चुके थे दोनों जोर लगा रहे थे एक दूसरे के तरफऔर दोनों का जोर बराबर लग रहा था कभी वह एक कदम पीछे चले जा रहा था तो कभी सुगंधा एक कदम पीछे चली जा रही थी।लेकिन अगले ही पल हुआ अपनी स्थिति में आ जा रही थी अपनी मां की ताकत हिम्मत देखकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था अपने मन में सोच रहा था कि वाकई में पलंग पर उसकी मां के साथ कुश्ती करने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा,,,,ऐसा अपने मन में सोते हुए को थोड़ा सा जोर लगाया तो उसकी मां गिरने को हो गई लेकिन तुरंत अपने आप को संभाल ली,,,,




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लेकिन अगले ही पल अंकित थोड़ा सा जोर लगाया और इस बार वह अपनी मां को लेकर पलंग पर जा गिरा सुगंधा पलंग पर नीचे गिरी हुई थी और अंकित उसके ऊपर गिरा हुआ था और उसे अपनी भुजाओं से दबोच कर रखा हुआ था,,,,लेकिन उसके पलंग पर गिरने से उसकी सारी घुटनों के ऊपर तक एकदम से चढ़ गई थी उसकी मोटी मोटी नंगी जांघोंका एहसास अंकित को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था और किसी भी तरह से अपनी मां की जान को अपनी हथेली सेदबाना चाहता था मसलना चाहता था तब पूछना चाहता था उसके मखमली जांघों को छुकर महसूस करना चाहता था अपनी मां की जवानी को,,,, सुगंधा उसके नीचे दबी हुई थी और उससे छूटने की कोशिश कर रही थी,,,लेकिन अंकित उसे अपनी भुजाओं से दबोचा हुआ था और उसे पर काबू करने के बहाने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को कस के दबोच लिया था,,,,अपनी मां की चिकनी जांघों का एहसास उसके बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ा रही थी,,, ओ पागल हुआ जा रहा था और उसके हाथ जांघों के ऊपरी सतह पर अपने आप फिसलते हुए चले जा रहे थे जिसका एहसास सुगंधा को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था,,,,वह अपने बेटे की पकड़ से छोड़ना चाहती थी लेकिन अंकित की हरकत से वह मदहोश हुए जा रही थी,,,, मां बेटे दोनों जोर लगा रहे थे और दोनों का मजा भी आ रहा थाअंकित कुश्ती के बहाने अपनी मां के मखमली बदन को छू रहा था उसे अपनी हथेली में दबोच रहा था इस समय उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी पेंट के अंदर उसका लंड पूरी तरह से टन्ना गया था।





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तभी अंकित की नजर अपनी मां की चूचियों पर पड़ी जो की ब्लाउज से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,, क्योंकिकुश्ती का जोर लगाने की कसम काम सुगंधा के ब्लाउज का ऊपर वाला बटन अपने आप ही टूटकर गिर गया था जिसकी वजह से उसकी आधे से भी ज्यादा चूचियां ब्लाउज से बाहर झांकने लगी थी,,,जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आने लगा था और इसी मौके का फायदा उठाकर सुगंधा एकदम से अपना दांव बदली औरअपने बेटे के कंधे को पकड़ कर उसे ज़ोर से दम लगाकर एकदम से पलट दी और खुद उसके ऊपर चढ़ गईलेकिन ऊपर चढ़ने में उसकी साड़ी एकदम कमर तक उठ गई जिससे उसकी मदद कर देने वाली बड़ी-बड़ी गांड लाल रंग की चड्डी में एकदम साफ दिखाई देने लगी लेकिन इस समय अंकित अपनी मां को ही जरूरत में नहीं देख सकता था क्योंकि वह नीचे दबा हुआ था लेकिन अपने आप को ऊपर उठने की कोशिश में अपने आप को बचाने की कोशिश मेंवह अपने हाथ को अपनी मां के बदन के इधर-उधर रखकर जोर लगा रहा था और ऐसे में उसके दोनों हाथ सुगंधा के भारी भरकम गांड पर चली गई और उसे एहसास हुआ की साड़ी कमर तक उठी हुई है लेकिन पूरे नंगेपन को ढकने के लिए अभी भी उसके बदन पर चड्डी थी जिसका एहसासअंकित को अपनी हथेली पर चड्डी के स्पर्श होते ही महसूस हो रहा था और वह एकदम से मत हुआ जा रहा था लेकिन इस समय कुश्ती के खेल में सुगंधा पूरी तरह से हावी हो चुकी थी,,,।





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सुगंधा जिस तरह से कुश्ती के नियम का फायदा उठाते हुए कि,, जब सामने वाले प्रति द्ववंदी का ध्यान थोड़ा सा भी भटके तो तुरंत दांव लगाकर उसे पटकनी दे दो,,,और सुगंधा को जैसे ही लगा कि उसके बेटे का ध्यान पूरी तरह से भटक चुका है क्योंकि वह अपने बेटे की नजर को देख चुकी थी और उसकी नजर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर थी जो ब्लाउज के बटन टूटने की वजह से बाहर की तरफ पानी भरे गुब्बारे की तरह लुढका हुआ था तभी वहअपने बेटे की कमजोरी का फायदा उठाकर उसे नीचे पटक दीजिए लेकिन जिस तरह से वह अपने बेटे के ऊपर बैठी हुई थी उसकी गांड पर उसकी गांड के बीचों बीच कुछ कड़क चीज चुभती हुई महसूस हो रही थी और उसे समझते देर नहीं लगी कि नीचे से कौन सा अंग उसकी गांड के बीचो-बीच चुभ रहा है यह एहसास होते ही वह पानी पानी होने लगी,,,सुगंध को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था की कुश्ती करते समय जब वह पलंग पर पटकी गई थी और जब वह उसके ऊपर चढ़ी तब उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी और इस समय पेट के अंदर से ही उसके बेटे का लंड उसकी पेंटि के ऊपर से उसकी बुर पर ठोकर मार रहा थायह एहसास उसका पानी निकालने के लिए काफी था वह मदहोश हो जा रही थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी लेकिन दोनों हाथों से अपने बेटे की हथेलियां को दबोच कर बिस्तर पर दबाए हुए थी ताकि वह कोई हरकत ना कर सके,,,,।







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अंकित को भी एहसास हो रहा था कि वह किस स्थिति में है अपनी मां का भारी भरकम बदन वह अपने ऊपर महसूस कर रहा था,,, और शायदयह उसके लिए एक तरह का अभ्यास था जब वह दोनों के बीच सारी मर्यादाएं खत्म होने के बाद जब दोनों संभोग सुख का मजा लेंगे तब शायद इसी तरह से वह अपनी मां को अपने लंड के ऊपर रखकर नीचे से ठोकर लगाएगा,,,और तब वह अपनी मां के भारी भरकम वजन को संभाल सकता है कि नहीं यह देखने के लिए यह पल उसके लिए बेहद जरूरी था,,,और अच्छी तरह से उसकी मां की भारी भरकम गांड का दबाव उसके लंड पर पड़ रहा था उसे देखकर अंकित को एहसास हो रहा था कि वह अपनी मां के भार को अच्छी तरह से संभाल लेगा,,,सुगंधा किस तरह से अपने नीचे उसे दबाए हुए थी वह पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था और कुश्ती के नियम के अनुसार वह हार चुका था,,, और सुगंधा हल्के से अपनी गांड कोएक दो बार अपने बेटे के लंड पर गोल-गोल घुमाई जिसका एहसास अंकित को महसूस हुआ था और वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था उसका मन तो इसी समय कर रहा था कि अपनी मां को बोल दे की बस अपनी चड्डी उतार दो मुझे रहा नहीं जा रहा है लेकिन ऐसा कह नहीं पाया,,,।




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सुगंधा अपनी जीत को लेकर बेहद खुश थी और अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,,।

क्यों बच्चु हो गया ना,,, ऐसे ही चार-पांच मेडल नहीं जीती हूं अब तो तुझे यकीन हुआ ना की कुश्ती में तु मुझसे नहीं जीत सकता।

बिल्कुल सच में मैं तुमसे नहीं जी सकता तुमने जिस तरह से पटकनी लगाइ हो मैं तो सोच भी नहीं सकता,,,।

मेरे लाल यही तो कुश्ती का नियम है,,,(ऐसा कहते हुए अपने बेटे के ऊपर से उठने लगी उसकी सारी कमर तक उठी हुई थी और अपने को बेटी के सामने ही खड़ी होकर अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी उसे बेहद रोमांच का अनुभव हुआ था उसे बहुत मजा आया था,,,, अंकित भी बिस्तर पर उठकर बैठ गया और बोला,,,)

अच्छा हुआ कि तुम्हारी पलंग नहीं टूटी वरना लेने के देने पड़ जाते,,,।

सच कहूं तो मैं उतना जोर लगाई ही नहीं थी वरना सच में पलंग टूट जाती।( इतना कहते हुए वह पलंग से नीचे उतर गई,,,, अंकित भी धीरे से पलंग से नीचे उतर गया,,,, सुगंधा अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

जब जल्दी से जाकर झाडू ले आ कमरे की सफाई कर देती हुं,,,,,।




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ठीक है मैं अभी लेकर आता हूं,,,,,(इतना कहकर अंकित अपनी मां के कमरे से बाहर चला गया और सुगंधा जल्दी से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी पैंटी को जल्दी से उतारने लगी और अपनी मोटी मोटी जांघों से नीचे सरकाते हुए वह आगे की योजना बनाने लगी और अगले ही पल वह अपनी पैंटी को अपने पैरों से बाहर निकाल कर उसे बिस्तर के नीचे छुपा दी और अपनी साड़ी को पहले की तरह अपनी कमर में खोंस ली,,, थोड़ी ही देर में अंकित झाड़ू लेकर कमरे में आ गया और सुगंधा मुस्कुराते हुए अपने बेटे के हाथ में से झाडू ले ली,,, और झुक कर झाड़ू लगाने लगी,,,।

आज वह अपने बेटे के सामने कुछ ज्यादा ही गांड मटका कर चल रही थी जिसका एहसास अंकित को अच्छी तरह से हो रहा था और अपनी मां की कई हुई साड़ी में बड़ी-बड़ी गांड को देखकर अंकित का लंड बार-बार खड़ा हो जा रहा था,, सुगंधाबार-बार उसकी आंखों के सामने एकदम से झुक कर झाड़ू लगने लगती थी पलंग के नीचे घुसकर झाड़ू लगने लगती थी ताकि उसकी भारी भरकम गांड पर उसके बेटे की नजर पड़ सके,,,और ऐसा हो भी रहा था सुगंधा घर में चारों तरफ झाड़ू लगा रही थी और उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर अपनी आंख सेंक रहा था,,, अंकित की हालत बहुत ज्यादा खराब हो रही थी लंड की नशे ऐसा लग रहा था कि अभी फट जाएंगी,,,,बार-बार अंकित अपनी मां की गांड को देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दे रहा था,,,, वैसे तो अंकित अपनी उत्तेजना को दबा ले जाता था लेकिन इस समय उसकी उत्तेजना पूरी तरह से बेकाबू होचुकी थी वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था बार-बार उसका मन कर रहा था कि पीछे से अपनी मां को दबोच नहीं और अपने लंड को उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रगड़ रगड़ कर पानी निकाल दे लेकिन किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए था।





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देखते ही देखते सुगंधा अपनी जवानी खातिर अपने बेटे के ऊपर चला कर तेरे कमरे में झाड़ू लगा दी,,,, वाकई में झाड़ू लगाने के बाद सुगंधा का कमरा एकदम साफ और चकाचक दिखाई दे रहा था,,, जिसे देखकर अंकित बोला,,,,।


वाह मम्मी तुम्हारा कमरा तो एकदम साफ हो गया,,,,।

सफाई करूंगी तो साफ़ ही होगा ना,,,, बहुत दिनों से मैंने अपना कमरा साफ नहीं की थी आज देखो कितना अच्छा लग रहा है सोने में मजा आएगा,,,।

लेकिन हमें तो छत पर सोना है,,,।

अरे हां मैं तो भूल ही गई थीफिर भी जब भी कमरे में सोना होगा तब भी एकदम सुकून मिलेगा,,, वैसे भी साफ-साफ कमरा हो तो अच्छा लगता है।

यह बात तो तुम ठीक कह रही हो,,,।

चल कमरे की सफाई तो होगी लेकिन अभी भी पंखा गंदा दिखाई दे रहा है,,,,।

तो अब,,,।

तो अब क्या पंखा भी साफ करना होगा,,,।

लाओ में पंखा साफ कर दुं,,,,,।

नहीं तू रहने दे तुझसे नहीं हो पाएगा,,, तो सिर्फ जाकर टेबल लेकर ए और एक कपड़े को पानी में भिगोकर लेकर आ मैं साफ कर देती हुं।(अंकित को हिदायत देते हुए सुगंधा बोली और अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला)





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ठीक है मम्मी मैं अभी लेकर आता हूं,,,,,(इतना कहकर वह अपनी मम्मी के कमरे से बाहर चला गया,,, और उसके कमरे से जाते ही सुगंधा अपनी साड़ी को थोड़ा सा और ऊपर उठकर उसे कमर पर खोंस दी इस बार उसकी साड़ी घुटनों से भी ऊपर उसकी जांघों तक आ चुकी थी,,,क्योंकि वह अपने बेटे को जो चीज दिखाना चाहती थी उसके लिए ऐसा करना बेहद जरूरी था,,,, सुगंधा का दिल जोरो से धड़क रहा था। वैसे तो वह अपने बेटे को अपने खूबसूरत अंगों के दर्शन बहुत बार जानबूझकर करा चुकी थी लेकिन हर एक बार एक अलग ही अनुभव उसके बदन में महसूस होने लगता था ऐसा लगता था कि जैसे आज पहली बार ही वह अपने बेटे को अपना अंग दिखाने जा रही है। सुगंधा के बदन में मदहोशी जा रही थी वह मस्त हुए जा रही थी,,,, अपने मन में सोच रही थी कि यह वह यह सब कैसे कर पाएगी लेकिन उसे पूरा विश्वास था कि वह कर लेगी,,, सुगंधा यही सब सो रही थी तब तक उसका बेटा टेबल और हाथ में पोंछा लेकर कमरे में दाखिल हुआ,,, उसे देखकर सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

टेबल को बीच में पंखे के नीचे रख दें,,,,

क्या तुम इस पर चढ़ोगी मम्मी,,,(टेबल को कमरे के बीचो-बीच ठीक पंखे के नीचे रखते हुए अंकित बोल तो उसकी बात सुनकर सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली)

तो इसमें क्या हो गयामैं इस तरह से बहुत बार सफाई कर चुकी हूं इसमें नहीं कोई बात नहीं है,,,।

नहीं मुझे इस बात कि फिकर है कि अगर गिर गई तो,,,





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नहीं गिरूंगी और वैसे भी तू किस लिए है तु क्या मुझे गिरने देगा,,,,(सुगंधा मुस्कुराते हुए टेबल के ऊपर चढ़ने लगी तो अपनी मां की बात सुनकर अंकित भी मुस्कुराते हुए बोला)

बिल्कुल भी नहीं मैं भला तुम्हें कैसे गिरने दूंगा,,,, तुम तो मेरी हीरोइन की तरह हो,,,,(अंकित एकदम से बोल पड़ा उसकी बात सुनकर उसकी मां उसकी तरफ नजर घूमते हुए आंखों को तर्राते हुई देखी और बोली,,,)

अच्छा मैं तेरी हीरोइन हूं मैं हीरोइन की तरह हुं,,।

बिल्कुल तुम किसी फिल्म की हीरोइन से कम थोड़ी लगती हैऔर मैं तुम्हारे साथ रहता हूं इसलिए मैं तुम्हारा हीरो हूं।

तुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैं तेरे साथ ही रहती हूं स्कूल जाते समय मैं किसी के साथ भी रह सकती हूं,,,।

नहीं बिल्कुल नहीं मुझे तुम पर पूरा भरोसा है तुम किसी और के साथ रह ही नहीं सकती,,,।

ऐसा क्यों,,,?


क्योंकि तुम बहुत सीधी-सादी और संस्कारी हो,,,,।

(अपनी बेटी की बात सुनकर सुगंध अपने मन में ही बोली सीधी शादी और संस्कारी तो मैं थी लेकिन तेरे चक्कर में बेशर्म बनती जा रही हूं और एक दिन लगता है कि तेरी रंडी बन जाऊंगी,,, ऐसा अपने मन में सोचते हुए वह टेबल पर चढ़ गईऔर पंखे की तरफ देखते हुए अपना हाथ नीचे की तरफ करके अपने बेटे को हाथ से इशारा करके बोली,,,)





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कपड़ा दे और इस पानी में भिगोकर लाया है ना,,,,।

हां लाया हूं,,,(ऐसा कहते हुए आप ने हाथ में लिया हुआ कपड़ा अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा दिया और वह कपड़ा हाथ में लेकरपंखे को साफ करने लगी और इसी बीच वह अपनी टांग को थोड़ा खोल दी अभी तक अंकित की नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच नहीं पड़ी थी,,,,और पंखा साफ करते हुए सुगंधा नजर हल्के से नीचे करके अपने बेटे की तरफ देख रही थी और उसे भी एहसास हो रहा था कि उसके बेटे की नजर अभी तक उसकी साड़ी के अंदर तक नहीं पहुंची है,,,, इसलिए वह अपने बेटे का ध्यान अपनी तरफ लाने के लिए बोली,,,)

टेबल ठीक से पकड़ना गिरने मत देना,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी,,,, आराम से साफ करो,,,,,,(अंकित का इतना कहना था की सुगंधा थोड़ा सा और टांग को खोल दीऔर इस बार अंकित की नजर अपनी मां की साड़ी के अंदर तक पहुंच गई और जिस तरह से सुगंधा ने अपनी साड़ी को जांघों तक उठा रखी थी उसे अपनी मां की बुर एकदम साफ दिखाई देने लगी और जैसे ही उसकी नजर अपनी मां की बुर पर पड़ी उसकी तो आंखें फटी की फटी रह गई उसके होश उड़ गए वह अपनी मां की टांगों के बीच देखता ही रह गया,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या देख रहा हैहालांकि साड़ी के अंदर उजाला थोड़ा काम था लेकिन फिर भी इतना तो उजाला था कि वह अपनी मां की बुर को एकदम साफ तौर पर देख सके उसे ज्यादा कुछ नहीं केवल गांड की फांक की लकीर और बुर की पतली सी दरार एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, जिसे देखकर अंकित एकदम दंग रह गया था,,,अंकित अपनी मां की बुर की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि कुछ देर पहले जब दोनों कुश्ती कर रहे थे कब बिस्तर पर उसे एहसास हुआ था कि उसकी मां चड्डी पहनी हुई थी, लेकिन यहां तो उसकी मां चड्डी नहीं पहनी थी एकदम नंगी थी साड़ी के अंदर।





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अंकित का दिमाग एकदम से चक्कर आने लगा था कुछ देर पहले उसकी मां चड्डी पहनी थी और इस समय चड्डी नहीं पहनी थीयह सब क्या है यह माजरा क्या है उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह अपनी मां की साड़ी के अंदर ही देख रहा था और सुगंधा भी पंखा साफ करते हुए अपनी नजर को नीचे करके अंकित की तरफ देख रही थी और जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसके बेटे की नजर उसकी साड़ी के अंदर तक पहुंच गई है तो वह एकदम से उत्तेजना से गनगना गई,,वह अपने बेटे को पूरी तरह से पागल करने के लिए अपनी दोनों टांग को हल्के-हल्के ऊपर नीचे करके उठा बैठ रही थी जिसकी वजह से उसकी बुर की तरह आपस में रहकर खा रही थी गांड की फाग भी आपस में रगड़ खाती भी नजर आ रही थी जिसे देखकर अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हुई जा रही थी,,, सुगंधा की बुर का गीलापन अंकित को एकदम साफ दिखाई दे रहा था अंकित समझ गया था कि उसकी मां गीली हो चुकी है बिल्कुल उसकी नानी की तरह,,,,सुगंधा अपनी जवानी का जलवा अपने

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बेटे के ऊपर गिरा रही थी और उसका बेटा पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था।





पंखा साफ करना तो एक बहाना था पंखा साफ करते हुए अपनी बर दिखाना ही मुख्य मकसद था सुगंधा का जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी,,,सुगंधा बार-बार हल्की नजर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी उसके बेटे की हर पूरी तरह से खराब हो रही थी उसकी बुर देखकर उसके बेटे की हालतकैसी हो रही है इसका एहसास सुगंधा को अपने बेटे का चेहरा देखकर ही समझ में आ रहा था जो की सुर्ख लाल होता चला जा रहा था,,,,,अंकित गहरी गहरी सांस ले रहा था उसे रहने जा रहा था इस समय उत्तेजना के परम शिखर पर था क्योंकि उसकी मां की बुर उसकी आंखों के सामने थी और धीरे-धीरे अंकित को एहसास होने लगा कि उसकी मां जानबूझकर उसे अपनी बुर दिखा रही थी,,,इस बात का अहसास होते ही अंकित एकदम से उत्तेजना से गुणगान आ गया और एक हाथ से अपने लंड को दबा दिया और उसकी यह हरकत उसकी मां ने देख ली और यह हरकत का सुगंधा पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ा,,,, वह धीरे से अपनी टांग को और थोड़ा सा खोल दिया और इस समयअंकित को उसकी मां की बुर एकदम साफ दिखाई देने लगी थी जो की हल्की सी खुली हुई भी थी उसमें से मदन रस भी टपक रहा था,,,, जो कुछ भी हो रहा था उन सब से अनजान बनने की कोशिश करते हुए सुगंधा बोली,,,।

बाप रे पंखा कितना गंदा हो चुका था अच्छा हुआ में साफ कर दी वरना और न जाने कितना गंदा हो जाता थोड़ा समय लगेगा अंकित तु पकड़े रहना,,,।






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तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी तुम आराम से साफ करो मैं पकड़ा हूं,,,(अपनी मां की साड़ी में झांकते हुए अंकित बोला और सुगंधा अपने मन में बोली,,,, इस तरह से तो तू मेरी बुर देखते हुए जिंदगी भर खड़ा ही रह जाएगा तुझे कौन सी चिंता है ऐसा नहीं की हाथ आगे बढ़कर साड़ी के अंदर डालकर मेरी बुर को मसल देमेरी बुर में अपना लंड डाल दे मेरी प्यास बुझा दे बस सिर्फ देख कर ही अपना भी तड़प रहा है और मुझे भी तड़पा रहा है,,,, सुगंधा की हालत खराब हो रही थी सुगंधाअपने नितंबों पर काबू करके उसे आपस में हल्के हल्के हिलाते हुए अपनी बुर को थिरका रही थी,,, जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंद उसकी बूंद की तरह पिघल कर उसकी बुर से नीचे टपक गई जिसे अंकित बड़े ध्यान से देख रहा था और उसकी आंखों के सामने ही वह बुंद ठीक उसकी मां की टांगों के बीच नीचे कदमों में जा गिरी,,,, जिसका एहसास सुगंधा को भी था,, सुगंधा भी अपने कदमों के बीच अपनी बुर से निकली हुई बदन रस की बुंद को गिरते हुए देख रही थी,,,, यह देखकरवह एकदम से और ज्यादा गनगना गई कि उसका बेटा भी उसकी बुर से निकले हुए मदन रस की बूंद को देख रहा था,,,,।सुगंधा उत्तेजना के मारे गहरी सांस ले रही थी कुछ देर के लिए वह पंखा साफ करना भूल चुकी थी क्योंकि उसका बेटा उसके मदन रस की भूत को टेबल पर गिरा हुआ देख रहा था जो की हल्का सा फैल गया था सुगंधा देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है,,,,।


तभी मैं तुमसे हैरान हो गई जब देखी कि उसका बेटा अपनी उंगली उसे मदद उसकी बूंद पर स्पर्श करा कर उसे जल्दी से अपनी होठों के बीच रखकर उसे चाट लिया यह सुगंधा के लिए बेहद असहनीय थावह एकदम से झड़ने वाली थी लेकिन किसी तरह से संभल गई थी वरना उसकी बुर से भल भला कर मदन रस सीधे टेबल पर ही गिरता,,,, सुगंधा को याद था किस पहले भी एक बार उसका बेटा उसके कमरे में आकर उसकी नींद का फायदा उठाते हुए उसकी बुर पर अपने होंठ लगाकर चाटा था लेकिन आज अंकित के लालच पन की हद हो गई थी,,, अंकित भी अपनी मां की बुर का नमकीन रस चाट कर मदहोश हो गया था,,,हल्का कसैला और नमकीन स्वाद पूरी तरह से उसे मदहोश कर दिया था और ऐसा करते हुए वह एक हाथ से अपने लंड को दबा भी रहा था यह सब सुगंधा की नजरों से बच नहीं पाया था और सुगंध समझ गई थी कि उसका बेटा उसे चोदने के लिए किस हद तक तड़प रहा था,,,।

पंखा साफ हो चुका था और वह धीरे से टेबल से नीचे उतरी,,, और बोली,,,।


को पंखे की सफाई तो हो गई,,,,।

तो अब,,,,,(गहरी सांस लेते हुए अंकित बोला)


अब कपड़े रह गए हैं उन्हें धोना बाकी है और फिर नहाना भी बाकी है,,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सुगंधा चाहती है कि अंकित आगे से पहल करे इसलिए पंखा साफ करने के बहाने वह अपनी बूर के दर्शन कराके अंकित को उत्तेजित कर देती हैं लेकिन दोनों वासना की आग में जल रहे हैं लेकिन शुरुआत दोनों ही नहीं कर पा रहे हैं
 

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पंखा साफ करते हुए जो कुछ भी हुआ था वह बेहद अद्भुत और अकल्पनीय था क्योंकि अंकित ने कभी सोचा नहीं था कि टेबल पर चढ़ी उसकी मां अपनी दूर से मदन रस की बूंद नीचे गिराएगी और वह उसे उंगली से लगाकर चाट जाएगा ना तो यह कल्पना अंकित ने किया था और ना ही उसकी मां सुगंधा ने हीं,,,, सुगंधा तो इस दृश्य को देखकर पानी पानी हो गई थी,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसके बेटे की लालच ईस कदर बढ़ जाएगी की,, वह उसके बुर से निकले नमकीन पानी को चाटने के लिए इस कदर व्याकुल हो जाएगा,,,, सुगंधा इतना तो समझ गई थी कि दोनों मां बेटे में एक दूसरे को पानी की जो चाहत थी वह काफी हद तक बढ़ चुकी थी आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी,,,, सुगंधा आज पूरी तरह से बेशर्म बन जाना चाहती थी इसीलिए तो उसने अपने बेटे से अलमारी साफ करने के लिए बोली थी और उस गंदी किताब को अपने बेटे के हाथ लगने दी थी जिसे वह पहले भी पढ़ चुका था लेकिन यह बात सुगंधा नहीं जानती थी।





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सुगंधा ही अपने बेटे को इस किताब की कहानी को पढ़कर सुनाने के लिए मजबूर की थीऔर भला अंकित कहां पीछे हटने वाला था वह भी किताब में लिखा है कि एक शब्द अपनी मां के सामने पढ़कर उसे सुना दिया जिसे सुनकर उसकी मां की बुर गीली होने लगी थी और अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था जिसका एहसास सुगंधा को भी अच्छी तरह से हो रहा था,,,,और फिर अलमारी की सफाई के बाद जिस तरह से वह अपनी गांड दिखाते हुए झाड़ू लगाई थी वह भी सुगंधा की सोच से कई ज्यादा हिम्मत दिखा देने वाली बातें थी और फिर जिस तरह से उसने अपनी पैंटी निकाल कर एक तरफ रख दी थी और पंखा साफ करते हुए अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराई थी यह सब कुछ मां बेटे दोनों के लिए अकल्पनिय था जिनकी दोनों ने भी कल्पना नहीं किए थे,,,। अपने बेटे को अपनी जवानी के दर्शन करने के लिए जिस हद तक उसने अपनी हिम्मत और शौर्य दिखाई थी यह बेहद काबिले तारीफ थी जिसके लिए वह खुद अपने आप को ही बधाई दे रही थी और अपने ही मन में अपने ही हिम्मत की सराहना कर रही थी क्योंकि सुगंधा के लिए यह बहुत था अपने बेटे को पूरी तरह से अपनी तरफ ललाईत करने के लिए,,, वैसे भी अब दोनों मां बेटे के बीच कुछ ज्यादा बचा नहीं थाबस जरूरत थी अंकित को थोड़ा हिम्मत दिखाने की और सुगंधा को थोड़ा और बेशर्म बन जाने की,,, अपने बेटे के पेट में बने हुए तंबू को देखकर सुगंधा की भावनाएं बेकाबू हो रही थी सुगंधा किसी भी तरह से अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होने के लिए तड़प रही थी,,, वह मचल रही थी अपने जीवन को दोबारा एक नई राह दिखाने के लिए अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिएअपने पति के देहांत के बाद वह एक बार फिर से शरीर सुख प्राप्त करना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि अपने बेटे से चुदवाकर उसे कैसा महसूस होता है,,, वह अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों मेंअपने बेटे के मोटे-मोटे लंड की रगड़ को अच्छी तरह से महसूस करना चाहती थीअपना पानी झाड़ देना चाहती थी जो उसे काफी परेशान कर रहा था लेकिन शायद अभी भी इस पल के लिए कुछ पल और सबर करना था।



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तृप्ति के जाने के बाद दोनों मां बेट आपस में बहुत ज्यादा खुलने लगे थे,,, दोनों के बीच ऐसी कई घटनाएं हुई थी जिससे दोनों बेहद करीब आ सकते थे लेकिन फिर भी दोनों में से कोई पहल करने को तैयार नहीं था लेकिन फिर भी मंजिल पर पहुंचने से ज्यादा मजा दोनों को सफर में आ रहा था दोनों बार-बार उत्तेजित हो रहे थे मदहोश हो रहे थे पानी निकाल रहे थे और ऐसा बहुत कुछ था जो मंजिल से पहले का सुख प्रदान कर रहा था,,,,,, सुगंधा और अंकित अपने मन में इस बात को लेकर बेहद खुश भी होते थे कि अच्छा हुआ की तृप्ति नानी की वहां चली गई है क्योंकि उसकी मौजूदगी में शायद दोनों इतना सुख और इतना खुलापन महसूस नहीं कर पाते। घर में मां बेटे दोनों अकेले थेपर दोनों ही प्यासे थे एक अपनी जवानी की पूरी उत्थान पर थी और एक अभी-अभी जवान हुआ था दोनों की आकांक्षाएं और महत्वाकांक्षा एक ही थी दोनों की मंजिल एक ही थी और रास्ता भी एक ही था दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए साथ-साथ चल भी रहे थे इसलिए तो यह सफर बेहद मनमोहक और मदहोशी से भरा हुआ था। पंखा साफ करते हुए अंकित अपनी मां की बुर के दर्शन करके पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,,कुश्ती करते समय उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ था कि उसकी मां चड्डी पहनी हुई थी लेकिन इस समय उसके बदन पर चड्डी नहीं थी,,,यह देखकर उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी मां क्या चाहती है और अपनी मां की चालाकी पर उसे और ज्यादा मजा आ रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां छिनार है ठीक अपनी मां की तरह ही बस खुलकर बोल नहीं पा रही है,,,।


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एक औरत होने की नाते उसे अच्छी तरह से मालूम था कि इस समय उसे क्या चाहिएलेकिन वह सिर्फ इशारे ही इशारे में समझ रही थी मुंह से कुछ बोल नहीं पा रही थी और इसके उल्टेखुद उसकी मां खुले शब्दों में अंकित से बता दी थी कि उसे क्या चाहिए और दो दिन उससे खुलकर मजा लेने के बाद ही वह अपने घर गई थी और अंकित को एक अद्भुत सुख और एक अनुभव देकर गई थी जो उसे अब काम आने वाला था। अंकित भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी नानी उसे जो सुख प्रदान की है तो बेहद अद्भुत था जिसके बारे में वह सोचता भर था।लेकिन ऐसा कभी किया नहीं था इसलिए तो अपनी नानी का मन ही मन में बहुत धन्यवाद करता था। क्योंकि वह नहीं होती तो शायदचुदाई करना हुआ है इतनी जल्दी नहीं सीखा होता और उसकी नानी की ही बदौलत उसका आत्मविश्वास पूरी तरह से बढ़ गया था जिसके चलतेघर में चीनी मांगने आई सुमन की मां की भी उसने चुदाई कर दिया था और उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था अब यही अनुभव उसे अपनी मां पर दिखाना था लेकिन कैसे या उसे भी समझ में नहीं आ रहा था।





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घर की सफाई के साथ-साथ पंखे की भी सफाई हो चुकी थी,,,और अब सिर्फ कपड़े की सफाई रह गई थी,,,सुगंधा अपने बेटे को अद्भुत नजारा दिखाने के बाद मुस्कुराते हुए अपने बेटे से बोली,,,,।

बाहर कपड़े रखे हुए हैं उसे लेकर घर के पीछे रख दे वहीं पर उसे धो डालती हूं,,, तू जाकर रख दे मैं आती हूं,,,।



ठीक है मम्मी,,,,(और इतना कहकर अंकित अपनी मां के कमरे से बाहर निकल गया और कपड़ों का ढेर लेकर उसे पीछे की तरफ ले जाने लगा वहां पर भी नहाने और कपड़े धोने का अच्छा इंतजाम थाऔर वहीं पर सूखने के लिए कपड़े भी डाल दिए जाते थे इसलिए वहां ज्यादा समय व्यर्थ गवना ना पड़ता अंकित तो चला गया था लेकिन सुगंधा अपने कमरे में खड़े-खड़े मुस्कुरा रही थी,,,, वह टेबल पर देखी तो उसके बुरे से निकले नमकीन रस का धब्बा लगा हुआ था और उसे धब्बे को देखकर उसके बदन में गनगनी सी दौड़ने लगी,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका बेटा जब उसकी बुर के नमकीन रस को उंगली से लगाकर चाट सकता है तो बुर पर अपने होंठ लगाकर जब चाटेगा तब कितना मजा आएगा,,,,,, पहले भी एक बार उसके बेटे ने उसके नींद में होने का फायदा उठाते हुए पल भर के लिए अपने होठों को उसकी बुर से लगाया था लेकिन जब वह खुलकर उसकी बुर में उसकी जीभ डालकर चाटेगा तो कितना मजा आएगा ऐसी कल्पना करते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी वह बेहद आनंदित हो उठी,,, उस पल का सुगंधा को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। यह सब सोच कर बार-बार उसकी बुर गीली हो रही थी।

अंकित घर केपीछे पहुंच चुका था जहां पर उसे कपड़े धोने में उसकी मां की मदद करनी थी ऐसे तो इससे पहले अंकित अपनी मां की मदद कभी नहीं करता था बस थोड़ा बहुत हाथ बता देता था लेकिन तृप्ति के जाने के बाद वह अपनी मां का खुलकर साथ दे रहा था क्योंकि वह जानता था कि उसका साथ देने में ही उसकी भलाई थी जिसका फल उसे धीरे-धीरे मिल रहा था,,,,सुगंधा अपने कमरे से बाहर निकलने से पहले वह अपनी छतिया की तरफ देखने लगी जो की काफी उन्नत थी और उत्तेजना के मारे उसका जाकर थोड़ा बढ़ चुका था वह धीरे से ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल दे और उस पर साड़ी का पल्लू लगा दीक्योंकि आगे क्या करना था उसे अच्छी तरह से मालूम था और वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकले और वह भी घर के पिछले हिस्से पर पहुंच गई,,,जहां पर पहले से ही अंकित टेबल पर बैठकर अपनी मां का इंतजार कर रहा था अपनी मां को देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह बोला,,,।

मैं भी कपड़े धोने में मदद कर देता हूं कपड़े बहुत ज्यादा है अकेले कब तक धोओगी,,,।

बात तो तु सही कह रहा है कपड़े कुछ ज्यादा ही है,,,, ऐसा करते हैं आधा कपड़ा तु धो दें और आधा कपड़ा में धो देती हूं,,,

हां यह ठीक रहेगा,,,।




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चल फिर जल्दी से टब में पानी भर दे,,,(बड़े से कपड़े धोने वाले तब को आगे की तरफ सरकाते हुए सुगंधा बोली,,,, और अंकित उसमें पानी भरने लगा और इसी बीच सुगंधा कपड़ों के ढेर को आधा करने लगी और जब उसने देखी कि उन कपड़ों के देर में उसकी पैंटी और ब्रा भी थी तो वह ब्रा और पेंटी को अपने बेटे के हिस्से वाले कपड़ों के ढेर में डाल दी,,,क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसकी आंखों के सामने ही उसकी ब्रा और पैंटी को किस तरह से धोता हैजबकि वह जानती थी कि यह उसके लिए बेहद आम बात होगी क्योंकि वह खुद उसके लिए ब्रा पेंटी खरीद कर ला चुका था और उसे अपनी आंखों के सामने उसे पहनते हुए देखा भी चुका था लेकिन फिर भी एक अजीब सी चाह सुगंधा के मन में थी इसलिए वह ब्रा और पैंटी को अपने बेटे के हिस्से वाले कपड़ों में डाल दी,,,, देखते ही देखते अंकित पानी के टब को पानी से भर दिया था,,,, और सुगंधा कपड़े धोने की तैयारी करते हुए अपनी साड़ी फिर से घुटनों तक उठाकर उसे अपनी कमर में खोंस दी थी एक बार फिर से सुगंधा की मांसल पिंडलियां दिखाई देने लगी थी,,, जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह कपड़े धोने के लिए एक लकड़ी का पाटी लेकर उस पर बैठ गई अपनी दोनों टांगें खोलकर,,,ताकि अंकित की नजर एक बार फिर उसकी साड़ी के अंदर तक पहुंच सके और वह उसकी बुर के दर्शन कर सके,,,,।




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अंकित अपनी मां की हरकत को देखकर मस्त बज रहा था वह ठीक अपनी मां के सामने बैठकर कपड़े धोने लगा था कि वह भी उसे नजारे को देख सके जिसे दिखाने के लिए उसकी मां मचल रही थी। मां बेटे दोनों कपड़े धोने शुरू कर दिए थे,,, दोनों को बहुत मजा आ रहा था इससे पहले अंकित ने कभी कपड़े नहीं धोए थे लेकिन आज अपनी मां के साथ कपड़े धोने में उसे बेहद आनंद आ रहा था उसे मजा आ रहा थालेकिन इस बीच उसकी तिरछी नजर अपनी मां की साड़ी के अंदर ही थी लेकिन जिस तरह से उसकी मां बैठे थे साड़ी के अंदर अंधेरा ही था इसलिए अंकित को ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था और सुगंधा को ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा चोर नजरों से उसकी बुर कोई देख रहा है,,, वह कपड़े धोने में और अपनी बुर दिखाने में पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, कपड़ों से उठ रहे साबुन का झाग सुगंधा के हाथों में पूरी तरह से लगा हुआ था और उसके बालों की लट उसके गालों पर आकर बार-बार उसे परेशान कर रही थी,,,जिसे वह अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपने कान के पीछे ले गई लेकिन इस बीच साबुन का ढेर सारा झाग उसके बालों पर लग चुका था जिसे देखकर अंकित मुस्कुरा रहा था,,,,। यह देख कर सुगंधा बोली।

क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रहा है,,?

तुम्हारे बालों पर ढेर सारा झाग लगा हुआ है,,,।

तो क्या हो गया अभी नहाना तो है,,,, साबुन कम लगाना पड़ेगा,,,।

अच्छा तो एक साथ दो-दो कम कर ले रही हो कपड़ा भी धो ले रही हो और अपने बदन पर साबुन भी लगा ले रही हो,,,।

तो इसमें क्या हो गया साबुन से झाग तो निकलता ही है अगर झाग लगा ली तो और भी अच्छा है मेहनत काम करना पड़ेगा,,,,।




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ओहहहह,,, तुम्हें साबुन लगाने मे भी मेहनत लगती है क्या,,,?

तो क्या सच कहूं तो मुझे साबुन लगाने में बहुत कंटाला आता है मुझे साबुन लगाना अच्छा नहीं लगता इसलिए मैं ठीक से नहा नहीं पाती,,, पूरे बदन में साबुन नहीं लगाती,,,(सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे से यह बात बोल रही थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कहता है)

कोई बात नहीं आज कहीं तुम्हारे बदन पर साबुन लगा दूंगा और वह भी एकदम अच्छे तरीके से तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

सच में,,,,।

तो क्या हुआ,,,

तब तो आज अच्छी तरह से नहाउंगी,,,, तु मेरा कितना ख्याल रखता है,,,(ऐसा कहते हुए एक बार वहतसल्ली करने के लिए अपनी दोनों टांगों के बीच अच्छी तो वाकई में उसे अंदर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था इसलिए वह समझ गई कि उसके बेटे को कुछ नजर नहीं आ रहा होगा और वह बात ही बात मेंअपनी दोनों टांगों को हल्का सा और खोल दी और साड़ी को दोनों हाथों से ऊपर की तरफ खींच दी उसकी आधी जांघ के ऊपर साड़ी खींची हुई थी,,,,अंकित अपनी मां की सर को देख रहा था और अपने मन ही मन में बोल रहा था कि देखो कितनी छिनार है अपनी बुर दिखाने के लिए कितना तड़प रही हैलेकिन ऐसा नहीं कह रही है कि बेटा मेरी बुर में लंड डाल दे मेरी चुदाई कर दे,,,, बस तड़पा रही है। और ऐसा सोचते हुए उसकी नजर एक बार फिर से अपनी मां की साड़ी के अंदर गई तो इस बार उसे अपनी मां की बुर एकदम साफ दिखाई देने लगी और वह मन ही मनपसंद होने लगावह इस बात से और ज्यादा खुश था कि उसकी मां जो दिखाना चाह रही थी वह उसे दिखाने लगा था और अपने बेटे के चेहरे पर आए प्रसन्नता के भाव को देखकर वह समझ गई कि उसका काम बन गया है,,,,।




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लेकिन सुगंधा अपनी हरकत से खुद ही गनगना गई थी। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह क्या कर रही है उसके होश उड़े हुए थे उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, सुगंधा का दिल जोरों से धड़क रहा थावाकई में एक मां के लिए यह कितना शर्मनाक बात होती है कि वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कारण उसे वह अंग देखने को मजबूर कर दे जिसे वह हमेशा ढक कर रखती है क्योंकि वह जानती थी कि कैसे हालात में एक औरत एक मर्द को अपनी बुर दिखाती हैक्योंकि एक औरत का एक मर्द को अपनी बुर दिखाने का मतलब साफ होता है कि वह उससे चुदवाना चाहती हैं,,,, और यही सुगंधा के मन में भी चल रहा था।

मां बेटे दोनों का दिल जोरो से दर्द रहा था कपड़े धोते समय अंकित अपनी मां की साड़ी के अंदर उसकी बुर को देख रहा था और पागल हुआ जा रहा था और सुगंध अपनी ही हरकत पर शर्मसार होकर मदहोश हो रही थी,,,,कुछ देर के लिए दोनों के बीच वार्तालाप एकदम से बंद हो चुकी थी दोनों के बीच खामोशी छा चुकी थी दोनों शांति से कपड़े धो रहे थे। और तभी अंकित के हाथ में उसकी मां की पेंटी आ गई जिसे देखकरअंकित के चेहरे पर भी उत्तेजना और प्रसन्नता दोनों के भाव साफ नजर आने लगे और जब सुगंधा ने अपने बेटे के हाथ में उसकी पेंटिं देखी तो उसका चेहरा भी खिल उठा।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सुगंधा अपने बेटे को पूरी तरह मदहोश कर रही है वह अपने बेटे को रिझा रही है अंकित सब कुछ समझ कर अनजान बनकर मजे ले रहा है
 

rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है मां बेटे की चूदाई की कहानी पढ़कर दोनों उत्तेजित हो गए सुगंधा और अंकित के मन में पहल कौन करे यह द्वंद चल रहा था सुगंधा अपनी अगली चाल चलती है और दोनों कुश्ती करते हैं कुश्ती के बहाने सुगंधा चाहती हैं कि अंकित पहल करे और उसके साथ चूदाई करे लेकिन वह पहल नहीं कर पा रहा है
Dhanyawad dost kahani padhne k liye

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rohnny4545

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सुगंधा चाहती है कि अंकित आगे से पहल करे इसलिए पंखा साफ करने के बहाने वह अपनी बूर के दर्शन कराके अंकित को उत्तेजित कर देती हैं लेकिन दोनों वासना की आग में जल रहे हैं लेकिन शुरुआत दोनों ही नहीं कर पा रहे हैं
Wah bahut hi lajawab comment karte ho aap kahani ke update ka pura nichod

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rohnny4545

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बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सुगंधा अपने बेटे को पूरी तरह मदहोश कर रही है वह अपने बेटे को रिझा रही है अंकित सब कुछ समझ कर अनजान बनकर मजे ले रहा है
ISI mein to jyada maja hai

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Sanju@

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अंकित के हाथ में उसकी मां की पेंटि आ चुकी थीऔर यह सुगंधा देख चुकी थी सुगंध बड़े प्यार से अपनी टांगें चौड़ी करके साड़ी के अंदर से अपने बेटे को अपनी बुरे दिख रही थी उसकी झलक जाकर अंकित पागल हुआ जा रहा था,,,एक तरफ उसकी मां की जवानी उसे पूरी तरह से परेशान की हुई थी और दूसरी तरफ उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी आ चुकी थी,,,, और वह एकदम से उसे पेंटि को अपने हाथ में लेकर देखने लगा,,, मानो के जैसे उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी नहीं बल्कि उसकी बुर आ गई हो,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और यही हाल सुगंधा का भी था सुगंधा कपड़े धोते हुए टांगे चोरी करके अपने बेटे को अपनी बुर की झलक दिखाते हुए तिरछी नजर से अपने बेटे को देख रही थी उसके चेहरे पर बदलते हाव भाव को देखकर प्रसन्न हो रही थी। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे के हाथ में उसकी पसंदीदा चीज आ गई है,,,,।





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अंकित मदहोशी में अपनी मां की पेटी पर जोर-जोर से साबुन लगाकर उसे मरोड़ मरोड़ कर दो रहा था यह देखकर उसकी मां एकदम से बोली,,,।

अरे अरे बेटा यह क्या कर रहा है इतनी जोर-जोर से नहीं कहीं मेरी फट गई तो,,,।

तुम्हारी इतनी कमजोर थोड़ी है मम्मी की थोड़ा सा दम दिखाने पर पड़ जाएगी मैं जानता हूं इसमें बहुत दम है चाहे जितना भी रगड़ो बिल्कुल भी नहीं फटेगी,,,(साड़ी के अंदर अपनी मां की बुर को देखते हुए अंकित बोल उसकी बात सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह अपने बेटे सेदो अर्थों में बात कर रही थी और उसका बेटा भी उसकी बात को शायद समझ गया था तभी वह भी उसके ही जुबान में उसे जवाब दे रहा था,,,)

अरे मैं जानती हूं कि बहुत मजबूत है लेकिन एकदम मखमल की तरह है थोड़ा प्यार से,,, अभी इसे बहुत चलाना है,,,,।

चलाना है तो इसे उपयोग में लिया करो नहीं तो पड़े पड़े ही फट जाएगी ऐसा लग रहा है कि जैसे बरसों गुजर गए इसका उपयोग नहीं कि हो,,,,(अंकित अपनी मां की बुर को देखते हुए दो अर्थ में बात करते हुए बोला,,,,अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा शर्म से पानी पानी होने लगी वह समझ गई कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है वाकई में बरसों गुजर गए थे उसने अपनी बुर को पेशाब करने के सिवा और कोई काम में नहीं ली थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे की बात का क्या जवाब दें लेकिन फिर भी वह बेहद सोच समझ कर जवाब देते हुए बोली,,)





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क्या करूं बेटा यह तो मेरी सबसे पसंदीदा चीज है लेकिन कभी ऐसा मौका ही नहीं आया कि इसका उपयोग कर सकूं इसलिए यह बीना उपयोग किए पड़ी की पड़ी रह गई,,,,।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मम्मी उपयोग करने के लिए अपने मन को मनाना पड़ता है अपने मन को मना लोगी तो अपने आप मौका निकल आएगा उपयोग करने के लिए,,,।

बात तो सही कह रहा है मैंने कभी अपने मन को मनाए ही नहीं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि बहुत ही जल्दी इसका उपयोग होने वाला है नहीं तो सच में बिना उपयोग किया ही खराब हो जाएगी कोई काम के नहीं रह जाएगी,,,।

बहुत समझदार हो बहुत जल्दी समझ गई,,,,,(पेंटी को अच्छे से साबुन लगा लगा कर धोने के बाद उसे पास में पड़ी बाल्टी में रखते हुए वह बोला,,,, इस अद्भुत दो अर्थ वाली मदहोशी भरी वार्तालाप से मां बेटे दोनों की हालत खराब हो चुकी थी अंकित का लंड पूरे बहार में खिला हुआ था और सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूल गई थी,,, जो कि इस समय अंकित को एकदम साफ दिखाई दे रही थी अंकित कोयह भी दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी और पानी से लबालब भरी हुई थी उसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपने होंठ लगाकर अपनी मां के नमकीन रस को पी जाना चाहता था।वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की कचोरी जैसी खुली हुई बुर में उसका मोटा तगड़ा मुसल जाएगा तो वाकई में उसकी मां की बुर फट जाएगी,,,, शायद इस बात को उसकी मां भी समझ रही थी दोनों की बातें बेहद मदहोशी भरी थी,,,।




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पेटी को धो लेने के बाद,,, अंकित फिर से कपड़ों के देर में से अपनी मां की ब्रा निकाला जिसे वह देख लिया था और उसे धोने लगावह ब्रा को अच्छी तरह से जमीन पर फैला कर उसके दोनों कप को साबुन लगा लगाकर साफ कर रहा था और अपनी हथेली में उसे कब को दबोच भी ले रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ब्रा नहीं बल्कि उसकी मां की चूची हो यह देखकर उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपने बेटे की हरकत को देखकर बोली,,,,।

अरे उसके अंदर कुछ भी नहीं जो हथेली में लेकर दबा रहा है,,,,,(सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि उसके कहने का मतलब उसका बेटा अच्छी तरह से समझ जाएगा इसलिए उसकी बात सुनते ही अंकित अपनी नजर ऊपर उठाकर बोला,,,,)

मैं जानता हूं मम्मी की इसमें चुची नहीं है,,,(चुची शब्द अंकित एकदम से खुलकर बोल गया था,,, क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी है,,,,) मैं तो बस अच्छी तरह से इसकी सफाई कर रहा हूं लेकिन मैंने कभी भी तुम्हें यह पहने हुए नहीं देखा,,,,.

अब क्या तुझे दिखा दिखा कर पहनूंगी,,,।




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नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन फिर भी सूखे हुए कपड़ों में दिखाई देता है और इस पर मेरी नजर कभी नहीं पड़ी,,,।

बाप रे तो क्या तू सूखे हुए कपड़ों में यही सब ढूंढता रहता है,,,।

अरे मम्मी ऐसा नहीं है कपड़े सूखने के लिए पड़े रहते हैं और जब शाम को हमने कभी उतारने जाता हूं तो हर एक कपड़ा हाथ में आता है तो दिखाई तो देता है ना और इस तरह का कपड़ा कभी मेरे हाथ में नहीं आया,,,,।

बात तो तू सही कह रहा है ,,, ऐसे में पहनती नहीं हूं यह तो अलमारी में से निकली है इसलिए धोने के लिए रख दी,,,,।(कपड़े धोते हुए सुगंधा बोली,,,)

लेकिन मम्मी ब्रा बहुत खूबसूरत लग रही है,,, तुम्हारे ऊपर बहुत खूबसूरत लगेगी,,,,।

चल रहने दे इसका साइज छोटा है मुझे ठीक से हो नहीं पाएगी,,,।

तब तो और ज्यादा अच्छा लगेगा,,, क्योंकितुम्हारी उसकी साइज से कम साइज की ब्रा पहनोगी तो एकदम ज्यादा बड़ी लगेगी,,,, (मौके की नजाकत को समझते हुए अंकित अपनी बेशर्मी पर उतर आया था और उसे इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था उसकी मां उसके मुंह से इस तरह की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गई थी,,, और अाश्चय्र से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

दैया रे दैया यह सब कहां से सीख गया तू किसका देख लिया,,,।

तुम्हारी अलमारी से जो किताब निकाली थी ना उसमें इस तरह का चित्र देखा था जिसमें उसे औरत ने काम साइज के ब्रा पहनी थी और उसकी दोनों गोलाई एकदम बड़ी-बड़ी लग रही थी। उसे देखकर मुझे लग रहा है कि तुम पर भी कम साइज की ब्रा अच्छी लगेगी,,,,।




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बाप रे इतनी जल्दी तू यह सब सीख गया तुझे वह किताब पढ़ने के लिए देना ही नहीं चाहिए था,,,,पता नहीं उस किताब के जरिए तु क्या-क्या सीख जाएगा,,,,।

सच में मम्मी किताब की बड़ी दिलचस्प पढ़ने में तो मेरी हालत खराब हो गई थी,,,,,और वैसे भी ऐसा लग रहा था की पूरी किताब पढ़ लो तो जरूर कुछ ना कुछ सीख जाओगे,,,।

अच्छी बात बिल्कुल भी नहीं सीख पाएगा सब गंदी बातें ही सीखेगा उससे,,,।

हां यह बात तो है,,,, लेकिन तुम्हें पढ़ते समय कुछ अजीब सा नहीं लग रहा था बदन में कुछ सरसराहट,,,,।

अरे मैं बोली तो तेरे पापा लेकर आए थे मैं पढी नहीं हूं बस तेरे पापा की याद में उसे रखे रह गई।

अच्छा हुआ रखे रह गई वरना मुझे पता भी नहीं चलता कि इस तरह की भी किताबें मिलती हैं,,,।

चल अब रहने दे इस तरह की किताब खरीद कर मत लाना,,,।

मुझे क्या मालूम कहां मिलती है तुम्हें मालूम है कहां मिलती है,,,,।




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मैं क्या जानू इस तरह की किताब कभी खरीदी हूं क्या,,,,!(इस तरह की बातें करते हुए सुगंधा कपड़ों को धो धो कर अपने हाथ में लेकर थोड़ा ऊपर उठा देती थी जिसकी वजह से पानी उसके ऊपर गिरने लगता था और धीरे-धीरे उसका ब्लाउज पूरी तरह से गिला होने लगा था जिसमें से उसके स्तन एकदम साफ दिखाई दे रहे थे,,,, जो की अंकित को भी नजर आ रहा था,,, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह थी कि सुगंधा ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी शायद यह कि उसकी कोई युक्ति थी जिस पर वह अमल कर रही थी और वहां युक्ति अब काम आ रही थी क्योंकि धीरे-धीरे उसकीच ब्लाउज के जिला हो जाने की वजह से पूरी तरह से उभर कर नजर आने लगी थी जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था क्योंकि मदहोश कर देने वाली बातों से उसकी चूची के खजूर कड़क हो चुके थे और भाले की नौक की तरह ब्लाउज के बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रहे थे। अंकित अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर पागल हुआ जा रहा था कपड़े धोने की वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।





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अब कपड़े धोते हुए अंकित अपनी मां की चूचियों की तरफ देख रहा था क्योंकि वह बेहद लुभावनी और अपनी तरफ आकर्षित कर देने वाली लग रही थीअंकित का मन कर रहा था किसी समय आगे बढ़कर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां के दोनों चूचियों को अपने हथेली में भर ले उसे जोर-जोर से दबाकर उनका रस मुंह में डालकर पी जाए,,,, और शायद यह संभावित अगर वह थोड़ी और हिम्मत दिखाता तो लेकिन इससे ज्यादा हिम्मत दिखाने से न जाने क्यों वह घबरा रहा था। सुगंध को भी मालूम था कि उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है जिसका ऊपरवाला बटन पहले से ही वह खोल रखी थी जिसकी बदौलतबड़ी-बड़ी चूचियों की बीच की पतली दरार एकदम साफ दिखाई दे रही थी और इस दरार की गहराई में अंकित अपनी आपको डुबो देना चाहता था। कुछ देर के लिए फिर से मां बेटे के बीच खामोशी छा गई और वह दोनों अपने आप को कपड़े धोने में व्यस्त होने का दिखावा कर रहे थे ,,, लेकिन तिरछी नजर से एक दूसरे को देख रहे थे अंकित की आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत अंग पूरी तरह से उजागर और वह भी एक साथ दो दो टांगों के बीचउसकी पतली दरार साड़ियों के अंदर से एकदम साफ दिखाई दे रही थी और ब्लाउज के अंदर उसकी दोनों चूचियां गीली हो जाने की वजह से अपनी आभा को भी कह रही थी यह सब अंकित की उत्तेजना को अत्यधिक बढ़ा रहे थे वह इतना ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था कि उसे लग रहा था कि उसके लंड की नस कहीं फट ना जाए,,, मां बेटे दोनों पागल हुए जा रहे थे,,,, सुगंधा की आंखें तब फटी के फटी रह गई जबअंकित भी अपनी मां की तरह हरकत करते हो अपने दोनों टांगों को खोल दिया और उसके पेट में उसके लंड का आकार पूरी तरह सेउभरने लगा भले ही वह पूरी तरह से नंगा नहीं दिखाई दे रहा था लेकिन उसका लंड खड़ा होने की वजह से पेट के ऊपर अपनी आभा भी कह रहा था अपने होने का एहसास दिला रहा था जिसे देखकर सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फुले ने पिचकने लगी थी। यह अद्भुत नजारा वाकई में सुगंधा के लिए सब्र का बांध तोड़ देने वाला लग रहा था उसका मन बेहद आतुर था अपने बेटे के लंड को नंगा देखने के लिए वह अपने बेटे के लंड को पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी,,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि इतना कुछदोनों के बीच हो रहा था और जिसमें वह खुद अग्रसर थी अपना अंग दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही थी लेकिन फिर भी एक मां के चरित्र से वह बाहर नहीं आ पा रही थी इस बात का गुस्सा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।




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मां बेटे दोनों बेकाबू हुए जा रहे थे।लेकिन पहल करने से डर रहे थे सब कुछ उनकी आंखों के सामने था वह दोनों इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उन दोनों के द्वारा एक कदम आगे बढ़ने का मतलब था की जन्नत का मजा लूटना वह सुख भोगने जिसके लिए दोनों ललाईत थे,,,,और उसे सुख से दोनों एक कदम पीछे थे बस एक कदम बढ़ाने की देरी थी उनके हाथ में वह सारा सुख होता जो एक मर्द और औरत अपनी सहमति से प्राप्त करते हैं,,,धीरे-धीरे मां बेटे दोनों अपने हिस्से के कपड़े को धो चुके थे और उसे साफ पानी में धोकर एक बाल्टी में रख रहे थे,,, लेकिन अंकितउसे धुले हुए कपड़े को अपने कंधे पर रख दे रहा था क्योंकि वह भी भीगना चाहता था और आज वह अपनी मां के साथ नहाने का आनंद लेना चाहता था अपने मुंह से तो वह कुछ बोल नहीं पाया था लेकिन इशारे ही इशारे में अपनी मां को बता देना चाहता था कि वह उसके साथ नहाना चाहता है,,, शायद उसकी मां उसके इशारे को समझ गई थी इसलिए वह बोली,,,।

अंकित तू भी गीला हो गया है एक काम करना तू भी नहा लेना और वैसे भी काम करके थक गया होगा नहा लगा तो थोड़ा तरो ताजा हो जाएगा,,, हल्का महसूस करने लगेगा,,,।





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ठीक है मम्मी मैं भी नहा लूंगा,,(इस बात को बोलकर वह अपने मन में सोचने लगा कि एक हल्के से ही सारे को उसकी मां समझ गई थी लेकिनजो इशारा वह बेहद गहराई से कर रहा था उसे समझ नहीं पा रही थी या ना समझने का सिर्फ नाटक कर रहे थे उसके सारे को समझ जाती तो इसी समय दोनों टांगें फैला कर उसकी बुर में अपना लंड डाल देता, देखते ही देखते मां बेटे दोनों कपड़ों को धोकर एक बाल्टी में रख चुके थे कपड़ों की सफाई हो चुकी थी,,,, और सुगंधा अपनी जगह से धीरे से उठकर खड़ी होने लगीऔर कड़ी होते समय वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे उसकी ब्लाउज में कैद दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी अंकित फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को देख रहा था और यही तो सुगंधा दिखाना चाहती थी,, वह धीरे से अपनी जवानी का जलवा बिखेर कर खड़ी होते हुए बोली।)

एक काम कर अंकित जाकर तू छत पर कपड़े सूखने के लिए डाल दे अभी कड़ी धूप है जल्दी सूख जाएंगे,,,,।





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ठीक है मम्मी मैं सारे कपड़े छत पर डाल देता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया लेकिन वह जानता था कि उसके साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो जाएगा जो कि पहले से ही खड़ा था और वह अपने पेंट में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया जिस पर उसकी मां की नजर एकदम साफ तौर पर पड़ रही थी जिसे देखकरसुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी वह इस कदर बहाल हुई जा रही थी कि उसका मन कर रहा था कि अपनी बुर में अपनी उंगली डालकर अपनी प्यास को बुझा ले,,,, लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप पर बड़ी मुश्किल से काबू कर पाई थी और अंकित भी उसके मन में क्या चल रहा है यह सब अपनी मां के सामने दर्शाकर छत की तरफ चल दिया,,, छत पर पहुंचकर वह बाल्टी में से एक कपड़े लेकर उसे रस्सी पर टांगने लगा और अपनी मां के बारे में सोचने लगा वह अपने मन में ही बोला की मां कितनी छिनार हैवह अपनी बुर में लंड लेना चाहती है लेकिन अपने मुंह से बोल नहीं पा रही है कैसे बहाना कर करके अपनी बुर अपनी चूची दिखा रही है,,,, लेकिन फिर अपने आप पर ही गुस्सा दिखाते हुए वह बोला,,,।





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साला मैं ही चुतीया हूं वह इतना इशारा कर रही है आगे बढ़ने के लिएलेकिन मैं ही हूं की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा हूं वह तो चाहती है कि मैं उसे चोदु अपने लंड को उसकी बुर में डालु,,,, लेकिन नहीं कुछ कर नहीं पा रहा हूंएक औरत भला अपने मुंह से कैसे रहेगी कि वह चुदवाना चाहती है वह तो ईसारे से ही सब कुछ बताएगी ना,,,,, उसकी मां दूसरी औरतों की तरह तो है नहीं की सीधा जाकर मेरा लंड पकड़ लेगी और अपनी साड़ी उठाकर अपनी बर पर सटा लेगी,,,,क्योंकि वह संस्कारी और मर्यादा में रहने वाली औरत है वह तो कुछ महीनो से उसका मन भटक गया है और उसी का तो फायदा उठाना है वरना वह भी सुमन की मां की तरह होती तो शायद अब तक ना जाने कितनों से चुदवा चुकी होती,,,क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि वह इतनी जल्दी तैयार हो जाएगी पहली बारी में ही अपनी टांगें खोल दी मेरे लिए कास उसकी मां भी ऐसी होती तो मजा आ जाता,,, ऐसा कहते हुए वह एक-एक कपड़े रस्सी पर टांग रहा था और तभी उसके हाथ में उसकी मां की पेंटि आ गई जिसे वह अपने हाथ में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो गया,,,, और इस दोनों हाथों में लेकर उसे अपनी नाक पर रखकर जोर से सांस खींचने लगा जैसे की अपनी ही मा की बुर सुंघ रहा हो,,,, अंकित पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह कुछ नहीं किया तो कहीं ऐसा ना हो कि कोई और मम्मी की चुदाई करने लगे क्योंकि वह जानता था किराहुल जैसे लड़कों की कमी नहीं थी जो खुद की मां को चोद सकते हैं तो दूसरे की मां चोदने में उन्हें कौन सा समय लगेगा,,,, यही सोच कर वह पेंटी को भी रस्सी के ऊपर डाल दिया और बाल्टी लेकर नीचे आ गया,,,, और बाती लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां उसकी मां नानी की तैयारी कर रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी वह फटी आंखों से अपनी मां को देखता ही रह गया।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सुगंधा और अंकित के बीच जो कुछ हो रहा है वह बहुत ही मजेदार है सुगंधा अपने बेटे के साथ बेशर्म होकर अंकित को चूदाई के लिए इशारे कर रही है लेकिन अभी तक अंकित और सुगंधा का मिलन नहीं हो पा रहा है
 
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