Ajju Landwalia
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एक अद्भुत रोमांचक एहसास के साथ दुकान के बाहर ग्राहकों को देखकर मां बेटे दोनों तुरंत दर्जी की दुकान से बाहर निकल गए थे वह दोनों किसी की नजर में नहीं आना चाहते थे इसलिए वहां ज्यादा देर खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि उन दोनों का मकसद पूरा हो चुका था उन दोनों को जो करना था उन दोनों ने दर्जी की आंखों के सामने उसकी दुकान में कर चुके थे और जल्दबाजी में सुगंधा अपना सीधा हुआ ब्लाउज लेना बिल्कुल भी नहीं भूली थी लेकिन जल्दबाजी में उसे पैसा देना भूल चुकी थी,,,, 5 मिनट के अंदर ही वह दोनों चौराहे पर पहुंच चुके थे दोनों का दिल बड़ी तेजी से धड़क रहा था दोनों के चेहरे पर संतुष्टि का एहसास था दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे और मन ही मन में कह रहे थे कि आज एक अद्भुत एहसास लेकर लौटे हैं।
दोनों ऑटो में बैठ चुके थे अब उसे क्षेत्र में रुकना उन्हें ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह जल्द ही ऑटो पर बैठकर घर पहुंच चुके थे। वैसे तो सुगंधा को कुछ सब्जियां भी खरीदनी थी लेकिन जो कुछ भी मां बेटे में सर जी की दुकान के अंदर किए थे उसे देखते हुए वह कहीं भी खड़ी रहना नहीं चाहती थी और सीधा घर पहुंच चुकी थी। घर पर पहुंचते ही मां बेटे एक दूसरे को देखकर हंस रहे थे क्योंकि आज उन दोनों ने दरजी को बेवकूफ जो बना दिया था तभी सुगंधा को याद आया कि उसने तो दर्जी को ब्लाउज की सिलाई के पैसे दिए ही नहीं इसलिए वह अपने बेटे से बोली।
अरे अंकित उसे दरजी को तो ब्लाउज के पैसे दी ही नहीं वैसे ही ब्लाउज उठा लाइ।
तो क्या हो गया आज उसे उसके जीवन में पैसे से भी ज्यादा सुख जो मिल गया था उसके आगे पैसे की कोई अहमियत नहीं है और अच्छा हुआ कि उसे पैसे नहीं दी देख नहीं रही थी कैसे तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,,, (अंकित की बात सुनते ही सुगंधा शर्मा से लाल हो गई) तुम्हें लगता है कि इसके बाद उसे कुछ पैसे देने चाहिए बल्कि उसे हमें पैसे देने चाहिए थे.।
धत् तुझे क्या मैं धंधे वाली लगती हूं जो उससे पैसे लुं,,, (हाथ में लिया हुआ ठेला टेबल पर रखते हुए वह बोली और कुर्सी खींचकर उस पर बैठ गई,,,)
दुकान के अंदर तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे तुम कोई धंधे वाली हो,,, (अंकित भी कुर्सी खींचकर ठीक अपनी मां के सामने बैठ गया )
अच्छा अब तुझे मैं धंधे वाली लगने लगी ना,,, (गुस्से से अपने बेटे की तरफ देखते हुए सुगंधा बोली)
नहीं नहीं ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं कि तुम धंधे वाली हो लेकिन तुम्हारी हरकतें जो थी लाजवाब थी तुम्हारे चरित्र से एकदम बाहर निकल कर जो तुमने काम की हो वह कोई फिल्म की हीरोइन हीं कर सकती है। अच्छी नहीं तुमने अपनी जवानी से दरजी के पसीने छुड़ा दि,,,,।
सच में दर्जी की तो हालत खराब हो गई,,, (आंखों में अद्भुत नशा लिए हुए सुगंधा बोली)
मैं दावे से कह सकता हूं अगर उसकी मर्दाना ताकत उसके साथ होती तो वह बिना कहे तुम्हारी चुदाई कर देता,,,,
हमममम,,,,, (अपने बेटे की तरफ देखकर अपनी आंखों को नचाते हुए वह बोली,,,)
हां मम्मी में सच कह रहा हूं देखी नहीं दरजी पूरी तरह से अपने अंदर जवानी महसूस कर रहा था। उस दिन तो तुम्हें बेटी कह रहा था लेकिन आज देखो इस बेटी की चूची जोर-जोर से दबा रहा था और पागल हुआ जा रहा था,,,,
(इस बार फिर से सुगंधा के चेहरे पर शर्म की लाली नजर आने लगी वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
उसका चेहरा देखी होती जवानी से भरी हुई एक औरत को अपनी आंखों के सामने चुदवाते हुए देखकर कुछ ना कर सकने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी,,, आज तो वह भी अपनी बढ़ती उम्र से नाराज होकर होगा कितनी जल्दी उसकी उम्र क्यों बढ़ गई अगर उसकी उम्र भी कुछ तौर पर सही होती तो शायद अभी मजा ले पाता,,,।
तू बहुत उसे दरजी को मजा दिलाने के फिराक में है।
ऐसा नहीं है मुझे तो गर्व महसूस हो रहा है कि तुम्हारी जवानी देखकर दर्जी की हालत खराब हो गई थी तुम्हारी चूची दबाते दबाते देखी उसकी तड़प कितनी बढ़ गई थी कुछ न करने की स्थिति में वह केवल छूकर ही मजा ले रहा था देखी थी ना कैसे अपना हाथ आगे बढ़कर तुम्हारी बुर को हल्के से सहलाया था इतने से ही वह जन्नत का मजा लूट रहा था।
तू सच कह रहा है दरजी सच में आज पूरी तरह से पागल हो गया था मेरी बुर पर हाथ लगाकर उसके चेहरे की रूपरेखा जिस तरह से बदली थी मुझे तो लग रहा था कि वह अपने धीरे लंड से ही कुछ कर सकने की कोशिश कर सकता था।
और हां मुझे लग रहा था कि तुम भी दरजी को मजा देने के फिर आंख में थी और उसे पूरा मजा भी दी हो,,,।
वह तो खुद मजा ले रहा था।
वह तो ठीक है लेकिन तुम्हें क्या हो गया था कि उसकी लूंगी में से उसके लंड को बाहर निकाल ली थी।
(अपने बेटे की बात सुनकर एक तरफ बस शर्म से पानी पानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह हंस भी रही थी और हंसते हुए अपने बेटे सेबोली)
उसकी हरकत जिस तरह से थी मैं देखना चाहती थी कि उसकी टांगों के बीच कुछ हरकत हो रही है कि नहीं।
फिर तुमने क्या देखी,,,,?
वैसे लूंगी के अंदर जो मैंने देखी उससे अंदाजा लगा सकती हूं कि अपनी जवानी के दिनों में वह भी कहर बरसाया होगा,,,,।
यह बात है,,, (अंकितमुस्कुराते हुए बोला)
हां सच में उसका लंड पर अच्छा खासा ही था बस उम्र के हिसाब से उसमें अकड़ नहीं थी वह ढीला ही था।
लेकिन तुम्हारे हाथ लगाते ही उसमें जान आ गई थी मैंने देखा था।
(अपने बेटे की बात सुनकर वह फिर से हंसने लगी,,)
हां मैंने देखी थी उसके लंड को जैसे ही मैं हाथ में पड़ी उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो गई थी और मैं भी उसे पर थोड़ा दया खा गई थी।
दया खा गई थी मैं कुछ समझा नहीं,,,
अरे मेरा मतलब है कि हम दोनों को इतना अच्छा अनुभव उसकी दुकान में ही तो मिला अगर वह नहीं होता उसकी दुकान नहीं होती तो इतना अच्छा समय हम दोनों कैसे गुजार पाते एक अद्भुत अनुभव से कैसे गुजार पाते हैं यह सब उसे दरजी के ही कारण तो हुआ था इसलिए मैं सोच रही थी कि इसका थोड़ा सा एहसान चुका देना चाहिए और मैं वही की जो मेरी जगह कोई और औरत होती तो करती।
साले का पानी निकाल दी तुमने,,,।
छी,,, सोच कर ही इस समय थोड़ा अजीब लग रहा है।
उसे समय तो बहुत मजा आ रहा था मुझे तो डर लग रहा था कि कहीं तुम उस बुड्ढे का लंड अपने मुंह में ना ले लो,,,,
पागल हो गया क्या,,,?
नहीं नहीं दर्जी की दुकान में सच में तुम एकदम छिनार हो गई थी और इतना मजा मुझे आया कि शायद ऐसा मजा अब कभी मिलेगा नहीं,,, वैसे सोच कर थोड़ा अजीब लगता है लेकिन एक अनजान के सामने चुदाई करने में जो मजा आता है उसका एहसास आज ही होरहा है।
तू सच कह रहा है अंकित पहले तो मुझे भी अजीब लग रहा था लेकिन जैसे-जैसे तेरी हरकतों से मेरे बदन में नशा छाने लगा मैं भी थोड़ा-थोड़ा खुलने लगी और उसके बाद तो जो मजा आया कि पूछ मत अभी तक मेरा शरीर झनझना रहा है,,,,।
तुम्हारी साड़ी उठाया कर तुम्हारी गांड पर जब चपत लगाया तो दर्जी का तो कलेजा ही मुंह को आ गया था शायद उसने अपनी जवानी में इस तरह की हरकत औरत के साथ नहीं किया था।
तू भी तो उसे पूरी तरह से पागल करने के इरादे में था मुझे लगा कि तू बस चोदना शुरू कर देगा लेकिन पीछे से मेरी गांड चाट रहा था।
आप क्या करूं तुम्हारी गांड देखता हूं तो न जाने क्या हो जाता है और वैसे भी तुम्हारी गांड चाटते हुए देख कर वह दर्जी पूरी तरह से पस्त हो गया था।
अभी तक उसको होश ही नहीं आया होगा,,,, (सुगंधा हंसते हुए बोली)
मुझे तो लगता है आज के दिन को याद करके वह बार-बार अपने हाथ से ही काम चलाएगा। वैसे अब कब चलोगी दर्जी की दुकान पर।
अब इस बारे में सोचना भी मत उधर का रास्ता ही भूल जाना अब वहां कभी जाना ही नहीं है मैं नहीं चाहती कि भविष्य में उसे दरजी को पता चले कि हम दोनों के बीच का रिश्ता क्या है हो सकता है कभी उसे दर्जी की दुकान पर जाएं और कोई पहचान का मिल जाए तो सारा भांडा फूट जाएगा,,,।
तुम सच कह रही हो अब हमें वहां जाना नहीं चाहिए वैसे भी जो मजा है वहां मिला है उसके साथ हमें पैसे भी मिल गए हैं उसकी सिलाई ना देकर।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा हंसने लगी,,,, वैसे उसका बेटा सच ही कह रहा था दर्जी की दुकान से माया और पैसे दोनों वापस लेकर लौटे थे दोनों मां बेटे,,,,, सुगंधा को महसूस हो रहा था कि उसे नहाना चाहिए क्योंकि उसे समय जवानी के जोश में उसे उसे दर्जी का स्पर्श तो मजा दे रहा था और उसने खुद जवानी के नशे में चुदाई का सुख भोगते हुए उसके लंड को पकड़ ली थी और उसका पानी निकाल दी थी और उसका पानी उसके हथेली को भिगो दिया था उसे समय तो उसे अजीब नहीं लगा लेकिन अब सोच कर ही उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसे घिन्न आ रही थी अपने ही बदन से कोई और समय होता तो वहां दरजी को कभी अपने पास भी भटकने नहीं देती लेकिन उसे समय का माहौल उसे पूरी तरह से पागल कर दिया था और उसे अच्छी तरह से याद था कि उसे दर्जी ने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाया था मजा लिया था और उसकी बुर पर भी अपनी हथेली रगड़ा था इसलिए उसे इस समय नहाने की जरूरत थी ऐसा उसे महसूस हो रहा था और वह तुरंत कुर्सी पर से उठकर बाथरूम में चली गई नहाने के लिए।
अंकित भी कुर्सी पर से उठा और घर के पीछे की तरफ वह भी नहाने के लिए चल दिया थोड़ी देर में मां बेटे दोनों नहा कर कपड़े पहन चुके थे सुगंधा चाय बना रही थी,,,, चाय पीने के बाद अंकित बाहर टहलने के लिए चला गया क्योंकि थोड़ा अंधेरा हो गया था और उसकी मां खाना बना रही थी,,,, वह सड़क के किनारे इधर-उधर टहल ही रहा था कि तभी सामने से सुमन और उसकी मां आई हुई नजर आ गई सुमन और उसकी मां दोनों अंकित को देखकर मुस्कुराने लगे क्योंकि अंकित को लेकर दोनों के मन में अलग-अलग चाहती थी दोनों किसी भी तरह से अंकित को पाना चाहते थे जिसमें सुमन की मां कामयाब हो चुकी थी वह तीन बार अंकित से चुदाई का सुख भोग चुकी थी लेकिन अभी तक सुमन सिर्फ ऊपर से ही मजा ली थी अभी तक अंकित के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस नहीं की थी जबकि एहसास उसे पहले दिन से ही हो गया था,,, जब वह सुमन के घर में किचन में अनजाने में ही उससे टकरा गया था और जिस स्थिति में सुमन अंकित से टकराई थी उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उसके आगे वाले भाग से सात गया था और इस समय सुमन को एहसास हुआ था कि अंकित कि टांगों के बीच गजब का हथियार है। उसी दिन से वह अंकित से चुदवाना चाहती थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाई थी। अंकित के करीब पहुंचकर मां बेटी दोनों एक साथ बोले।
अरे अंकित यहां क्या कर रहे हो।
कुछ नहीं आंटी बस ऐसे ही टहल रहा था,,, (अंकित मुस्कुराते हुए बोला तो उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर सुमन की मां मां ही मन में बोली कि देखो अभी कितना भोला भाला लग रहा है और अकेले में उसे पास आए तो उसकी बुर का भोसड़ा बनाने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटता,,,, अंकित की बात सुनकर सुमन की मां बोली।)
घर पर अब आते नहीं हो क्या बात है सिर्फ परीक्षा के दिन ही सुमन की याद आती थी। परीक्षा खत्म रिश्ता खत्म।
तुम सही कह रही हो मम्मी उसके बाद तो अंकित कहीं दिखाई ही नहीं देता,,,, मतलब निकल गया तो।
अरे नहीं नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है,,,, तुम तो जानती हो तृप्ति दीदी घर पर नहीं है इसलिए थोड़ा बहुत काम में हाथ बंटाना पड़ता है,,, इसलिए समय नहीं मिलता।
तो चलो घर पर चाय पिलाती हूं,,, (सुषमा मुस्कुराते हुए बोली उसकी बात सुनकर अंकित अपने मन में ही बोला अब तो मुझे तुम्हारे दूध पीने की आदत पड़ गई है चाय से काम बनने वाला नहीं है,,,, लेकिन ऐसा सिर्फ वह मन में ही बोला अगर सुमन साथ में ना होती तो शायद वह ऐसा बोल भी देता लेकिन सुमन के सामने ऐसा हुआ बोल नहीं सकता था लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए वह बोला)
और किसी दिन आंटी अभी तो खाना खाने का समय होगया है।
तो चलो ना खाना ही खा लेते हैं,,, (सुमन भीमुस्कुराते हुए बोली)
नहीं दीदी किसी और की घर पर खाना बन रहा है अगर तुम्हारे वहां खा लूंगा तो घर का खाना नुकसान हो जाएगा।
बहुत समझदार हो गया है तू,,, (सुषमा बोली)
ऐसी बात नहीं है आंटी फिर मम्मी को भी अकेले खाना खाना पड़ेगा,,,,,
हां वह तो है,,,,, (सुषमा बोली)
चलो कोई बात नहीं किसी और दिन और वैसे तुम घर पर आया जाया करो,,,,, और पढ़ाई में जरूरत हो तो पूछ लिया करो।
जी दीदी जरूर पूछ लूंगा,,,,, (पढ़ाई में मदद की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था और वैसे भी सुमन ही थी जो उसे पहली बार अपने खूबसूरत अंगों को दिखाई थी और उसे जी भर कर खेलने का मौका दे और वह अच्छी तरह से जानता था की पढ़ाई में मदद मांगने के बहाने अगर वह उसके घर जाएगा तो उसे पढ़ाई में मदद की जगह और भी ज्यादा कुछ मिलेगा जिसे वह खुद प्राप्त करना चाहता है,,,,
थोड़ी ही देर में उन दोनों के जाने के बाद अंकित भी अपने घर पहुंच गया खाना बनकर तैयार हो चुका था मां बेटे दोनों साथ में खाना खाकर सोने के लिए छत पर पहुंच गए और फिर से एक बार घमासान चुदाई का खेल खेलते रहे जब तक की दोनों का मन भर नहीं गया यह सिलसिला रोज का हो गया था मां बेटे दोनों एक भी दिन एक भी पाल चुदाई का सुख भोगने से पीछे नहीं हट रहे थे,,,,, अंकित को साथ दिखाई दे रहा था कि अब उसकी मां कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी और उसकी खुशी का कारण अंकित अच्छी तरह से जानता था क्योंकि उसकी खुशी का कारण वह खुद था इसलिए वह अपनी मां को बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था उसे पूरा सुख देने की कोशिश में लगा रहता था।
कुछ दिनों बाद मां बेटे दोनों सब्जी खरीदने के लिए बाजार पहुंच चुके थे,,,,, तभी बाजार में नूपुर और उसका बेटा राहुल भी मिल गया नूपुर को देखते ही सुगंधा खुश होते हुए बोली,,,,।
अरे नुपुर यहां कैसे,,,?
मैं भी सब्जी खरीदने आई हूं तुम भी तो सब्जी खरीदने आई हो ना,,, (अंकित की तरफ देखकर) और बेटा कैसे हो?
बिल्कुल ठीक हूं आंटी आप कैसी हैं।
देख लो कैसी हो जैसा तुम छोड़े थे वैसे ही हूं,,,,
(नूपुर की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा रही थी लेकिन वह नूपुर के कहने के मतलब को नहीं समझ पा रही थी,,,, जिसे अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था अंकित जानता था कि पिछली मुलाकात में नूपुर के साथ उसने क्या किया था डाइनिंग टेबल के नीचे छिपकर उसके पति की मौजूदगी में ही उसकी रसीली बर का स्वाद चखा था और वह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और आनंददायक था निश्चित तौर पर अगर उसे दिन राहुल के पिताजी घर पर मौजूद न होते तो उसी दिन अंकित नूपुर की चुदाई कर दिया होता लेकिन राहुल के पिता की मौजूदगी में ऐसा हो नहीं पाया था,,,,, सुगंधा भी राहुल की तरफ देखकर उसका भी हाल समाचार नहीं और बोली,,,)
इस बार तुम पढ़ने के लिए गए नहीं,,,?
जाने वाला आंटी लेकिन अभी थोड़ा समय लग जाएगा,,,,।(अंकित अच्छी तरह से देख रहा था कि राहुल बात करते समय उसकी मां की चूचियों की तरफ ही देख रहा था क्योंकि पीले रंग की साड़ी और पीले रंग के ब्लाउज में गजब की लग रही थी,,,, अंकित जानता था कि उसकी मां लो कट ब्लाउज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां पारदर्शी साड़ी में दिखाई देती थी। और उसे देख कर राहुल मन ही मन ललच रहा था। अंकित यह देखकर मन ही मन गुस्सा हो रहा था वह जानता था कि राहुल उसकी मां की जवानी क्या आकर्षण में मस्त है,,,,, इधर-उधर की बात करने के बाद नूपुर बोली,,,)
तुम तो नहीं बैठ कर बातें करो हम दोनों सब्जियां खरीद कर आते हैं,,,,,।
ठीक है आंटी,,,,,।
(सुगंधा और नूपुर दोनों सब्जी खरीदने के लिए मार्केट के अंदर प्रवेश कर गई थी और उन्हें चाहते हुए राहुल देख रहा था और अंकित अच्छी तरह से जानता था कि राहुल किसे देख रहा था राहुल अंकित की मां को ही देख रहा था खास करके उसके भारी भरकम गोलाकार पिछवाड़े को देख रहा था सुगंधा की गांड देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था और पेट के ऊपर से अपने लंड को दबा दिया था यह देखकर अंकित को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था,,,,, राहुल अंकित से बोला,,,)
चल जब तक दोनों सब्जी खरीद कर आते हैं सबसे कम दोनों चाय पी लेते हैं,,,,,,(और इतना कहकर राहुल अंकित का हाथ पकड़कर एक छोटी सी दुकान पर गया जहां पर चाय समोसे मिल रहे थे,,,, उस दुकान के बाहर तीन-चार बड़े-बड़े लंबे पत्थर रखे हुए थे जिस पर लोग बैठकर गप्पे लड़ाते हुए चाय समोसे का लुफ्त उठा रहे थे। राहुल जानबूझकर अंकित को ऐसी जगह पर ले जाकर बैठाया जहां पर दूसरा कोई नहीं था जहां पर वह आराम से अंकित से बात कर सकता था और वह खुद दुकान पर गया और चाय समोसे लेकर आया,,,,, एक समोसा और चाय अंकित को थमा कर खुद उसके पास बैठ गया और चाय की चुस्की लेते हुए अंकित से बोला,,,,)
एक बात कहूं अंकित बुरा मत मानना।
(अंकित समझ गया था कि राहुल किस बारे में बात करना चाहता था और वह देखना चाहता था कि वह क्या बोलना चाहता है इसलिए वह बोला)
हां बोलो क्या बात है,,,,।
यार तेरी मां गजब की लगती है एकदम फिल्म की हीरोइन,,,,।
(राहुल की बात सुनकर अंकित कुछ बोला नहीं बस उसकी तरफ देखने लगा और चाय की चुस्की लेने लगा अंकित का हाव भाव देखकर राहुल को लगने लगा था कि वह कुछ भी बोलेगा अंकित सुनेगा क्योंकि ऐसे भी राहुल अंकित को थोड़ा दब्बू किस्म का लड़का समझता था,,,,)
देख नाराज मत होना मैं एकदम सही कह रहा हूं तूने शायद गौर नहीं किया होगा लेकिन तुझे छोड़कर बाकी सब ने गौर किया होगा कि तेरी मां फिल्म की हीरोइन लगती है एकदम गजब की लगती है तेरी मां का जिस्म एकदम तराशा हुआ है,,,,,
यह सब क्या बोल रहे हो यार किसी और बारे में बात करो,,,,,(अंकित जानबूझकर अपना ले जा थोड़ा ठंडा रख कर बोल रहा था ताकि राहुल को लगेगी उसे फर्क नहीं पड़ रहा है और इसी बात का फायदा उठाते हुए राहुल बोला)
यार जब तेरी मां आसपास हो तो किसी और के बारे में बात करने का मतलब ही नहीं होता मैं तो तेरी मम्मी को देखा ही रह गया यार पीली साड़ी में एकदम कयामत लगती है मेरी मां तो तेरी मां के सामने कुछ भी नहीं है,,,,।
लेकिन मुझे तो तुम्हारी मम्मी ज्यादा ही अच्छी लगती है,,,,।
(राहुल को अंकित की तरफ से इस तरह का जवाब मिलेगा इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह थोड़ा आश्चर्य से अंकित की तरफ देखने लगा लेकिन थोड़ी देर में सहज बनते हुए मुस्कुराने लगा और बोला)
घर की मुर्गी दाल बराबर ऐसा ही होता है लेकिन तुम हकीकत से वाकिफ नहीं हो तुम्हारी मम्मी मेरी मम्मी से लाख गुना ज्यादा खूबसूरत और गर्म औरत है उसकी चूची देख हो कितनी बड़ी-बड़ी है तुम्हें शायद गौर नहीं किया होगा लेकिन मैं अभी-अभी गौर किया ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए पागल रहती है तुम्हारी मां की चूचियां,,,,,।
(राहुल की बातें सुनकर अंकित को गुस्सा आ रहा था लेकिन वह किसी तरह से अपने गुस्से को दबा ले गया था क्योंकि वह भी उसकी मां के बारे में बातें जो करने लगा था इसलिए वह भी जवाब देते हुए बोला)
अपना अपना नजरिया है मैं भी तुम्हारी मां की चूचियां देखा थोड़ा सा अपना सीना आगे की तरफ कर दे तो शायद ब्लाउज का एक दो बटन अपने आप ही टूट जाए,,,,(चाय की चुस्की लेटा हुआ राहुल की तरफ देखते हुए वह बोला राहुल तो एकदम हैरान था)
चाहे कुछ भी हो लेकिन मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगती है जाते समय देखा किसी भी साड़ी में तेरी मम्मी की गांड आहहहा हाहाकार मचा रही थी। मेरा तो लंड खड़ा हो गया।
मेरा भी कुछ ऐसा ही हालत था तुम्हारी मम्मी की गांड देखकर,,,,,।
(फिर से राहुल हैरान हो गया अभी तक वह जी अंकित से मिला था उसे अंकित में और आज के अंकित में जमीन आसमान का फर्क था,,,, दोनों का रवैया एकदम अलग था फिर भी ,,, राहुल को मजा आ रहा था अंकित से बात करने में,,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद राहुल फिर से बोला,,,)
अच्छा एक बात बता अंकित तूने कभी अपनी मां को बिना कपड़ों के देखा है।
बिल्कुल भी नहीं और तुम,,,,,
मैंने तो बहुत बार देखा हूं यार कसम से औरत का जिस इतना खूबसूरत होता है कि मर्द पागल हो जाता है,,,,,,।
कैसे और कहां देखें तुमने,,,,।
कपड़े बदलते हुए नहाते हुए,,,,
ओहहह,,,,, तो क्या तुम्हारी मम्मी बिना कपड़ों के नहाती है,,,,,।
बिल्कुल सही और वह बाथरूम का दरवाजा भी बंद नहीं करती अनजाने में मैंने देख लिया था और मैं यही सोच रहा हूं कि अगर तुम भी अपनी मां को बिना कपड़ों के देखोगे तो तुम्हारी क्या हालत होगी मेरी तो सोच कर ही हालत खराब हो रही है लंड पूरी तरह से औकात में आकर खड़ा है सच कहूं तो तुम्हारी मां को याद करके मुठ मारने का मन कर रहा है।
(राहुल इस तरह की बातें करके अंकित का मन बहकाना चाहता था,,,, मौका देखकर राहुल बोला)
तो तुमने तो अपनी मां को बहुत बार बिना कपड़ों के देखे हो तो उसके बारे में भी सोच कर मुठ मारते होंगे।
बिल्कुल ठीक कह रहे हो तुम बहुत बार ऐसा हुआ है मैं अपनी मां के बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मारा हूं और वैसे भी इसमें कोई गलत बात नहीं है। और तुम्हारी भी उम्र तो हो चुकी है मुठ मारने वाली और चोदने वाली। तुमने मारा है अपनी मां के बारे में सोचकर मुझे तो पूरा यकीन है कि कभी ना कभी तो तुम अपनी मां को बिना कपड़ों के देखे होंगे पेशाब करते हुए कपड़े बदलते हुए नहाते हुए,,,,,।
(राहुल की बात सुनकर अंकित थोड़ा सोचने लगा और फिर वह राहुल को थोड़ा जलाने के लिए बोला जो की हकीकत ही था)
हां तुम ठीक कह रहे हो एक बार अनजाने में मैंने मम्मी को पेशाब करते हुए देख लिया था,,,।
सचमें,,,(एकदम उत्साहित और खुश होते हुए राहुल बोला)
हां अनजाने में देख लिया था वैसे कोई मेरा इरादा नहीं था,,,।
कहां देखा था यार बताना,,,,,।
छत पर जब हम लोग सो रहे थे तब आधी रात को मेरी नींद खुली तो देखा मम्मी बगल में नहीं थी,,,।
बगल में नहीं थी मतलब कि तुम दोनों साथ में ही सोते हो,,,,।
पागल साथ में सोते हैं लेकिन एक ही बिस्तर पर नहीं सोते हैं समझे मेरी नींद खुली तो देखा कि बगल वाले बिस्तर पर मम्मी नहीं थी,,,,(अंकित जाने अनजाने में ऐसी बात नहीं करना चाहता था जिससे राहुल को शक होगी उसकी तरह उन दोनों के बीच भी कुछ हो रहा है)
फिर ,,,,फिर क्या हुआ,,,(चाय के कप से आखरी घूंट भरता हुआ वह बोला)
फिर क्या मैं नींद में इधर-उधर देखने लगा उठकर बैठ गया लेकिन सामने की तरफ देखा तो छत के कोने पर मम्मी पेशाब कर रहे थे।
हाए,,,,, क्या गजब का नजारा होगा यार,,,(अपने पेट के आगे वाले भाग पर हाथ रखते हुए) किस अवस्था में थी तेरी मम्मी,,,,.
किस अवस्था में क्या जैसे औरत पेशाब करने के लिए बैठी रहती है वैसे ही थी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और पीछे से सब कुछ दिख रहा था।
ओहहहहह ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे सामने कोई फिल्म चल रही है और सच-सच बता तेरी हालत खराब हो गई होगी ना।
इसमें कौन सी हालत खराब होने वाली बात है मैं जब जान गया की मम्मी सामने है तो मैं फिर से सो गया,,,।
धत् तेरी की तू कैसा मर्द है रे मर्द है भी कि नहीं मुझे समझ में नहीं आ रहा है अपनी आंखों के सामने इतना खूबसूरत है तेरे से देखने के बाद भी तू शांत होकर सो गया मैं होता तो इस समय तेरी मां के पीछे पहुंच जाता और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसकी गांड से रगड़ने लगता,,,,,।
तुम क्या अपनी मां के साथ ऐसा ही करते हो,,,,।
करने का तो बहुत मन करता है लेकिन मम्मी करने नहीं देती मैं वही सोच रहा हूं कि अगर तेरी जगह में तेरी मम्मी का बेटा होता तो अब तक तो तेरी मम्मी की चुदाई कर दिया होता,,,,,।
जैसे अपनी मम्मी की चुदाई करता है ना,,,,।
(राहुल एकदम से अंकित की तरफ देखने लगा और बोला)
पागल हो गया है क्या,,,,, बस सोचता हूं करता नहीं लेकिन हां मौका मिला तो तेरी मम्मी की चुदाई जरूर करूंगा,,,,,।
मेरी मम्मी के बारे में तो सोचना भी मत वह तेरी मां की तरह नहीं है,,,,।
तेरा क्या मतलब है कि मेरी मां की तरह नहीं है।
चल रहने दे मैं अपनी आंखों से देखा हूं तेरी मम्मी तेरे लंड पर कूद रही थी पागल की तरह चुदवा रही थी और तू अपनी मां को मस्त होकर चोद रहा था धक्के पर धक्के दे रहा था,,,,,।
(अंकित की बात सुनकर राहुल एकदम से घबरा गया उसे उम्मीद नहीं थी किया अंकित इस तरह से कुछ कह देगा जिसमें सच्चाई थी लेकिन फिर भी वह निकाल करते हुए बोला)
देख तू झूठ मत बोल समझा मैं तेरी मां के बारे में उल्टा सीधा बोल रहा हूं तो इस तरह से मेरे से बदला ले रहा है।
बदला नहीं ले रहा हूं मैं सच कह रहा हूं,,, मैंने यह सब अपनी आंखों से देखा दोपहर के समय मैं तुझसे मिलने तेरे घर आया था और तुम लोग जल्दबाजी में घर का दरवाजा बंद करना ही भूल गए थे हल्के से धक्का देने पर दरवाजा खुल गया था और मैं इधर-उधर ढूंढता हुआ तेरी मां के कमरे तक पहुंच गया था और खिड़की से मैं सब कुछ देख लिया था कि तुम दोनों किस तरह से चार दिवारी के अंदर मर्द और औरत का खेल खेलते हो,,,,, मैं तो उस दिन देख कर एकदम से चौंक गया कि कोई बेटा कैसे अपनी मां को चोद सकता है,,,, और कैसे एक मां अपने ही बेटे से खुलकर नंगी होकर मस्त होकर रंडी की तरह चुदवा सकती है मैं तो एकदम हैरान हो गया था मैं उसी समय तुम दोनों का आवाज लगाना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कर नहीं पाया क्योंकि तुम दोनों एकदम से आपस में खो चुके थे दिन दुनिया से बेखबर होकर एक दूसरे में समा गए थे मुझे आज भी याद है,,,, कि तेरा लंड तेरी मां की बुर के अंदर बिना रुकावट के अंदर बाहर हो रहा था सच कहूं तो पहली बार में किसी औरत की चुदाई देख रहा था और मुझे उम्मीद नहीं नहीं था की पहली बार में ही मैं मां बेटे की चुदाई देखूंगा,,,, तभी मैं समझ गया था कि तेरी मां पूरी गर्म जवानी की है और शायद अपनी जवानी की गर्मी तेरे बाप से बुझा नहीं पाती है इसलिए तेरा सहारा ले रही है।
(मौका देखकर अंकित चौका मार दिया था चौका नहीं छक्का मार दिया था,,,,, अंकित के मन में इस समय कुछ और चल रहा था और राहुल के तो पसीने छूट रहे थे,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था किसकी चोरी इस तरह से पकड़ी जाएगी मां बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि घर की चार दिवारी के अंदर जो कुछ भी वह दोनों कर रहे थे वह किसी को कानों कान खबर तक नहीं थी लेकिन राहुल कि यह गलतफहमी दूर हो चुकी थी क्योंकि अंकित अपनी आंखों से पूरी फिल्म देख लिया था अब इंकार करने का कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए राहुल धीरे से बोला,,,)
देख अंकित यह बात किसी को मत बताना,,,,
इसके बदले मुझे क्या मिलेगा,,,,
चुप रहने के बदले तो दो-चार समोसे और खा ले,,,,।
तो सच में बेवकूफ है आंखों के सामने पकवान पड़ा है और तू चाय समोसे से मेरा मुंह बंद करना चाहता है।
मैं समझा नहीं,,,,।
देख बात एकदम सीधी है उसे दिन तुम मां बेटे की चुदाई देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था,,, मन तो मेरा उसी दिन कर रहा था कि तुम दोनों के साथ में भी जुड़ जाऊं और जिंदगी में पहली बार चुदाई का सुख प्राप्त करूं लेकिन मैं अपने आप को रोक रह गया था और इस तरह का ख्याल अपने मन में दोबारा कभी नहीं लाया था लेकिन आज तेरी बातें सुनकर एक बार फिर से मेरे अरमान जाग गए हैं।
तु कहना क्या चाहता है मे कुछ समझा नहीं।
मैं यह कहना चाहता हूं कि जैसे तू मजा लेना है वैसे मैं भी मजा लेना चाहता हूं मैं भी तेरी मां को चोदना चाहता हूं उसी दिन से तेरी मां के बारे में याद करके बार-बार मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
तू पागल हो गया क्या,,,?(गुस्से में थोड़ा जोर से राहुल बोला तो आसपास बैठे हुए लोग उन दोनों की तरफ देखने लगे यह देखकर अंकित बोल)
थोड़ा धीरे बोल चिल्लाएगा तो तू ही बदनाम होगा,,,,,
देख अंकित में तेरे हाथ जोड़ता हूं,,, मैं तेरी मां के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा लेकिन तु यह अपने मन से ख्याल निकाल दे।
मेरी मां के बारे में तो वैसे भी अब तु कुछ बोलने लायक नहीं है,,,, लेकिन तेरी मां को याद करके मेरी हालत खराब होने लगी है मैं सच में तेरी मां को चोदना चाहता हूं जिसमें तू ही मेरी मदद करेगा।
(अंकित की बात सुनकर राहुल एकदम क्रोधित हो रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था लेकिन फिर भी अंकित की बात सुनकर वह बोला)
अगर मैं इसमें तेरी मदद ना करूं तो,,,,।
तो तू ही सोच कर तुम मां बेटे की सच्चाई तेरे पापा को पता चल गई तो अगर तुम मां बेटे की सच्चाई धीरे-धीरे समझ में सबको पता चलने लगी तो,, तो सोच तेरी मम्मी भी टीचर है और अगर यह बात स्कूल में फैल गई तब क्या होगा तेरी मां कभी भी घर से बाहर नहीं निकल पाएगी लोग तेरी मां के बारे में तेरे बारे में कैसे किसी बातें करेंगे तुम मां बेटे की इज्जत एकदम से खाक में मिल जाएगी साथ में तुम दोनों अपने आप की भी इज्जत ले डुबोगे अगर मेरी बात नहीं मानोगे तो।
(अंकित पूरी तरह से खुले शब्दों में उसे धमकी दे रहा था और इसका अंजाम राहुल अच्छी तरह से समझ रहा था राहुल के पसीने छूट रहे थे वह जानता था कि अगर अंकित यह बात किसी को बता दिया तो मां बेटे का जीना मुश्किल हो जाएगा समझ में मुंह दिखाने के लायक दोनों नहीं रह जाएंगे और वह धीरे से बोला)
लेकिन मम्मी नहीं मानेगी,,,,(अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए बोला,,,)
मम्मी तो तेरी मान ही जाएगी तू मानेगा कि नहीं यह बता,,,,, यही बात में तेरी मम्मी को बोल दूंगा तो वह मेरे सामने अपनी टांगे खोलने में बिल्कुल भी देर नहीं करेगी आखिरकार इज्जत बचाने के लिए वह इतना तो कर ही सकती है जब तेरे सामने टांग खोल सकती है तो मैं भी तो तेरी मां का बेटा जैसा ही हूं,,,,
लेकिन यह सब होगा कैसे,,,,,
तू तैयार है कि नहीं पहले यह बता,,,
तेरी बात मानने के सिवा मेरे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं है,,,,,
(राहुल की बात सुनकर अंकित मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अब उसे क्या करना है वैसे भी उसकी मां पहले सही तैयार थी बस इस खेल में उसके बेटे को शामिल करना था। राहुल की बात सुनकर अंकित खुश होता हुआ बोला,,,)
अब आएगा असली मजा,,,
लेकिन जो तू कह रहा है क्या तुझे लगता है की मम्मी तैयार हो जाएगी।
यह सब तु मुझ पर छोड़ दे,,, मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तेरी मां को क्या चाहिए उसे मोटा तगड़ा लंंड चाहिए जो कि मेरे पास है और अगर ऐसा ना होता तो वह तेरे पापा से ही खुश रहती तेरे साथ यह सब कभी नहीं करती इसलिए कैसे करना है यह सब तु मुझ पर छोड़ दे,,,, बस चल तू दोपहर में घर पर मौजूद मत रहना मैं तेरे घर पहुंच जाऊं और उसके बाद तू 1 घंटे बाद आना,,,,,,, वैसे तेरे पापा घर पर रहते हैं कि नहीं दोपहर में,,,।
नहीं वह तो ऑफिस में रहते हैं,,,।
तब तो सारा मामला फिट है तो तय रहा कल मैं तेरे घर आऊंगा,,,,,
(इतने में नूपुर और सुगंधा दोनों सब्जी लेकर वहां पहुंच गई,,,, राहुल का दांव पूरी तरह से उल्टा पड़ गया था,,,, उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि ना वह इस तरह की बातें छेड़ता और ना ही अंकित इस तरह का खेल उसके साथ खेलता,,,, वैसे भी राहुल अपने मन में यही सोच रहा था कि जैसा अंकित चाहता है उसकी मां, वैसा कभी नहीं करेगी,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में शंका बना हुआ था कि जिस तरह से अंकित उसे मां बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में बोलकर उसे मजबूर कर दिया था वही बोलकर उसकी मां को भी मजबूर कर सकता है तब उसकी मां के पास भी उसके साथ हम बिस्तर होने के सिवा और कोई रास्ता नहीं होगा,,,,,,,, नूपुर अपने बेटे के साथ और सुगंधा अपने बेटे के साथ घर की तरफ निकल गए थे लेकिन अब अंकित के मन में कोई और ही खिचड़ी पक रही थी,,,,)
Gazab ki update he rohnny4545 Bhai
Ankit ne to gazab hi kar diya..............
Kaha rahul uske aur uski maa ke maje le raha tha...........
Ankit ne to sara game palat kar nupur k chodne ka plan bana liya vo bhi rahul ki sahamati ke sath.......
Keep rocking Bro











































