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Incest मां का बदला (incest, adultery)

soank

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मुझे एक बात समझ नही आती की हर writer को स्टोरी लिखने में कम से कम 2 से 3 घंटे का समय लगता है फिर स्टोरी की script को सोचने में जो समय लगे वो अलग लेकिन आप रीडर्स लोग स्टोरी तो पढ़ना चाहते हो लेकिन फीडबैक के नाम पर सब चुप हो जाते हो अगर प्राइवसी का इतना ही डर है तो स्टोरी ही ना पढ़ो या फीडबैक नही देना है तो राइटर्स को कोसना बंद कर दो क्यूंकि हर एक writer इंसान है और प्रत्येक इंसान की एक ही कमजोरी होती है की वह अपनी कृति की तारीफे सुनना पसंद करता है ये भी जरूरी नहीं की सभी उसकी तारीफ ही करे...
लेकिन अच्छी या बुरी वो अपनी कृति के बारे में अपनी मेहनत के बारे सुनना पसंद करता है और तभी वो अपने काम के प्रति लगनशील भी रहता है मेरी इस स्टोरी को अभी तक 38000 लोगो ने देखा है लेकिन यहां 380 लाइक्स भी नही है और ना ही 380 फीडबैक अच्छे हो या बुरे वो भी नही.....

ऐसे में मैं अपना समय क्यूं बर्बाद करू क्या सिर्फ 2 से 4 लोगो के लिए मुझे ये करना चाहिए कभी नही और बिल्कुल भी अगर आपको अपनी प्राइवेसी की इतनी फिकर है तो हम पागल नही है

Story ka agla update 380 likes ke baad आयेगा.....
Very nice .....I always support uu....
 
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krshub22

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Update 5





अगली सुबह रजत आज थोड़ा देरी से उठा फिर उसने जल्दी से अपना डेली रूटीन के काम खत्म कर नहाया और फिर नीचे आ गया।



दरसल रजत का मकान 2 खंड का बना हुआ था (ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर) ग्राउंड फ्लोर पर 2 रूम 1 स्टोर रूम किचेन बाथरूम और इस सबके साथ लगा हुआ एक बड़ा सा हॉल और सेम ऐसा ही ऊपर वाले फ्लोर बने हुए थे नीचे के एक रूम कोमल उसे करती जबकि दूसरा रूम को गेस्ट रूम बना रक्खा था और रजत को ऊपर वाले रूम पसंद आए इसलिए वह ऊपर वाले एक रूम को अपना बेड रूम और दूसरे रूम को अपना स्टडी रूम बनाए हुए था ये मकान ना ही रजत का था और ना ही कोमल का बस कोमल इस मकान में तब से रह रही थी जब से उसने अपना घर छोड़ा था ये मकान किसी ऐसे शक्स का था जो कोमल को बहुत ही करीब से जानता था और उसने कोमल का तब साथ दिया जब कोमल को एक सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत थी।


लेकिन ये कौन हो सकता है और कोमल का उसके साथ कितना गहरा रिश्ता है ये तो आगे ही पता चलेगा.....



अभी तो रजत को सिर्फ इतना ही मालूम था की ये मकान उसके पिता ने बनवाया था लेकिन किसी झगड़े की वजह से वह उसकी मां से दूर रहने लगे रजत को अपने पिता का नाम तक नहीं पता था क्यूंकि कोमल ने बस उसे इतना ही बताया था लेकिन रजत को अपने डैक्यूमेंट्स से अपने पिता का नाम तो मालूम हो गया था "मिस्टर रंजीत सिंह" लेकिन उनकी फोटो को उसने अब तक किसी भी डैक्यूमेंट्स में देखने को नही मिली थी वह जब भी अपनी मां से इस विषय में बात करता तो उसे कोमल शख्ती से साफ मना कर देती की वह उसके पिता के बारे में कभी ना पूछे और जब उचित समय आएगा तो वो उसे खुद बता देगी इसके साथ ही उस दिन उसका मूड ऑफ ही रहता जिसके चलते रजत को काफी दुख होता और बस इसी वजह से अब वह अपने पिता के बारे में कोई बात नही करता।



वापस कहानी पर....




रजत ने नीचे आकर देखा तो उसे उसकी मां कही भी नजर नहीं आ रही थी।


रजत – मां मां कहां हो आप मां....


लेकिन कोई आवाज नहीं आई....


मां मां.....


जब रजत को कही से फिर आवाज नहीं आई तो वो सोच में पड़ गया क्या मां अभी तक शो रही है कहीं आज फिर से तो वो रात में....



और रजत को जैसे कुछ याद आया तो उसकी पूरी बॉडी सिहर सी गई और वह थोड़ा चिंतित भी नजर आने लगा उसने दौड़कर अपनी मां का रूम खोला तो उसे कोमल वहां भी नही फिर रजत ने नीचे से लेके ऊपर तक पूरा घर तलाश लिया लेकिन उसे उसकी मां कहीं नजर ना आई लेकिन अब रजत भी थोड़ा थक चुका था इसलिए अब वह एक जगह जमीन की ही फर्श पर बैठ गया और सोचने लगा की ये मां कहां चली गई सुबह सुबह बिना उसे बताए।



रजत– क्या मां कहीं बाहर गई है लेकिन अगर उसे बाहर जाना होता है तो वो बिना मेरे तो कहीं भी नही जाती फिर आज कैसे नही ये तो पक्का है वो अकेले बाहर कभी नही जायेगी तो फिर वो है कहां पर अब रजत फिर से थोड़ा सोचते हुए....


मैने नीचे का पूरा घर देख लिया और ऊपर का भी पूरा घर देख लिया अब बचा अरे हां नीचे का स्टोर रूम और ऊपर टैरेस अभी ये बाकी है तो चलो पहले टैरेस देख लेते है और फिर रजत तेज कदमों के साथ टैरेस की ओर बढ़ने लगता है।


और जब रजत टैरेस पर देखता है तो पाता है की उसकी मां कोमल घर की छत पर बैठी किसी शून्य में देखती बस अपनी ही यादों में खोई हुई थी उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार के कोई भाव नहीं थे रजत ने तो आज तक अपनी मां की हसी ही ना देखी थी और ना सुनी थी उसे तो बस उसकी मां की लाल आंखे बड़ी बड़ी देखने को मिला करती थी।


रजत अपनी मां की ऐसी हालत देख बहुत दुखी हो जाता है उसे कुछ भी समझ नही आता की वह क्या करे उसकी मां उससे कुछ भी बताती नही किसी और से पता तो चलने वाला है नही क्यूंकि कोमल की कोई फ्रेंड तो है नही और ना ही उसका कोई रिलेटिव जिसे रजत जानता हो और ये रंजीत मेरे डैड कौन और किस तरह के आदमी है जो अपनी बीबी और अपने बेटे को ऐसे अकेला छोड़ कर चला गया।


फिर रजत दौड़कर कर नीचे किचेन में जाता है और फ्रिज से एक ठंडी बोतल और एक गिलास लेकर अपनी मां की ओर दौड़ पड़ता है।


अभी अभी तो रजत इतनी सीढियां चढ़ कर ऊपर गया था फिर दौड़कर नीचे भी आया और अब फिर से दौड़कर ऊपर जा रहा था क्या अब उसे थकवाट नही हुई शायद नही क्यूंकि ये उसकी मां का सवाल था वह अपनी मां के लिए तो पूरी दुनिया पैदल ही नाप ले भला ये सीढियां क्या चीज थी।


रजत दौड़कर जल्दी से बोतल में से पानी ग्लास में डालता है और फिर अपनी मां के कंधे को पकड़कर बुलाता है।


रजत – मां मां ये लो पानी पी लो...


कोमल जो न जाने कब से यहां बैठी थी जब वह अपने बेटे को देखती है जो की उसे पानी पीने को बोल रहा था रजत के माथे पर चिंता की सिलवटे साफ झलक रही थी और दोनो ही मां बेटे के होंठ खुले हुए फड़फड़ा रहे थे दोनो की नजरे आपस में मिलती है तो रजत देखता है की उसकी आंखे पूरी तरह लाल है उसकी आंखे में दर्द पीड़ा घुटन भरा पड़ा हुआ था जिसे देख रजत का गला रूंध सा जाता है।


कोमल ने अपना हाथ आगे बढ़ाया वह रजत से पानी का ग्लास लेने लगती है और जब वह रजत के हाथ से ग्लास लेती है तो रजत को अहसास होता है की उसकी मां का हाथ कांप रहा था और बस अब रजत से बर्दास्त नही होता उसकी आंखे अपने आंसू नहीं रोक पाती अब रजत की आंखे किसी झरने की तरह बहने लगती है और फिर रजत झट से आगे बढ़ अपनी मां को अपने आगोस में भर लेता है।


वही कोमल को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता उसने अपना जो हाथ आगे बढाया था उसे बस अपने बेटे के कंधे पर रख देती है रजत काफी देर तक बस ऐसे ही अपनी मां को अपने से लगाए खुद से रोता रहा और फिर उससे दूर होकर खुद अपने हाथों से अपनी मां को पानी पिलाने लगा...


फिर रजत अपनी मां को सहारा देकर नीचे ले आया और उसे उसके कमरे में लिटा कर जल्दी से बाहर कुछ खाने को लाने के लिए निकल गया।


दरशल आज रात कोमल बिल्कुल भी नही सोई थी जिस कारण उसकी हालत ऐसी हो गई थी उसने रात भर ऐसे ही खुद की घुटन से तड़पती हुई काटी थी और जब सुबह हुई तो वह टहलते टहलते छत पर निकल गई थी और रात भर की थकवाट से वो वही बैठ गई थी।
Bahot Badhaiya. Aise hi likhte rho.
 
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krshub22

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Update 7

पता नही अभी उसके कैसे कैसे ख्याल आ रहे होंगे पता नही वह मुझे लेके क्या सोच रहा होगा।

अभी कोमल अपने ही ख्यालों में खोई थी जब उसका बेटा रजत उसके कमरे में फिर से प्रवेश करता है।


अब आगे :–


रजत जैसे जैसे कोमल के समीप आता जाता है कोमल को अहसास होता है की आज रजत कुछ बदला बदला सा दिख रहा है उसके चेहरे पर गंभीरता साफ झलक रही थी उसकी दोनो भौंहे सिकुड़ी हुई थी लेकिन इसके बावजूद भी उसमे असीम आत्मविश्वास दिख रहा था जिसे देख कोमल अंदर ही अंदर खुश हो जाती है।

कोमल (अपने मन में)– रजत बस ऐसे ही ऐसे ही तुम्हे अपने आप को मजबूत करना होगा किसी भी कैसी भी भावनाओ से ऊपर उठना होगा मेरा प्रत्येक प्रतिशोध का बदला तुम्हे ही लेना होगा आज तुम्हारी मां का जो भी हाल है तुम्हे ऐसा ही हाल अपने दुश्मन का भी करना होगा।


अभी कोमल अपनी ही सोचो में डूबी हुई थी रजत कोमल का हाथ पकड़ उसे बेड से उठा लेता है और बाथरूम की ओर ले जाने लगता है और फिर बाथरूम में ले जाकर एक कुर्सी पर अपनी मां को बिठा देता है जिसने उसे पहले से ही रख दिया था।


अब रजत अपनी मां के टूथब्रश को अपने हाथ में लेता है और उसमे पेस्ट लगा कर अपने हाथो से कोमल के मुंह के पास कर देता है कोमल अपना हाथ बढ़ाकर टूथब्रश को अपने हाथ में लेना चाहती है तो रजत उसे मना कर देता है और इशारे से कोमल को अपना मुंह खोलने को कहता है कोमल भी अपने बेटे की आंखों में देखती हुई अपना मुंह खोल देती है अब रजत अपने हाथो से कोमल को ब्रश करवाने लगता है, हांलकी कोमल को ब्रश करने में थोड़ी सी तकलीफ होती है लेकिन इसके बावजूद भी वह रजत के हाथो ही जैसे तैसे ब्रश करती है।

ब्रश करवाने के बाद रजत देखता है की उसकी मां पर पेस्ट का झाग गिरकर उसकी मां के गाउन पर उसकी चुचियों पर लग गया है जिसे वो बस एक नजर देखता है और फिर अपनी नजरे फेर लेता है। ( दरशल रजत अपनी मां कोमल को एक बेटे की ही नजर से देख रहा होता है जहां पर उसकी नजरों में उसकी मां के लिए फिक्र, चिंता और प्यार ही नजर आता है।)
लेकिन कोमल भी रजत की नजरों का पीछा कर देखती है तो पाती है की पेस्ट बहकर उसके गाउन पर फैल गया है और सफेद सफेद दाग बन गया है की तभी रजत कोमल से बोलता है।

रजत – मां क्या आप नहा कर बाहर आ सकती है मैं आपके लिए कॉफ़ी और ब्रेकफास्ट रेड़ी करता हूं।

कोमल (अपने मन में) – ये बुद्धू आज बड़े प्यार से मुझे ब्रश करवा रहा था और वैसे भी मुझे इसका मूड ठीक रखने के लिए मुझे थोड़ी मस्ती करनी चाहिए वरना मेरा बेटा मुझे लेके और ज्यादा चिंतित होगा और फिर वह मुझसे अनेकों जवाब सवाल करेगा जो की अभी मैं उसे नही बता सकती, फिर कोमल अपने बेटे की आंखों में देखते हुए बड़े ही प्यार से मुस्कुराते हुए बोलती है।

कोमल – नही मुझे तो अभी नहाना भी है और जैसे तुमने मुझे ब्रश करवाया है वैसे नहला भी तो सकते हो देखो मेरी तबियत सही नही है देखो शायद मुझे बुखार भी है तो मुझसे तो कोई काम नहीं होगा अब अगर तुम मुझे नहला दो तो ठीक है वरना आज तो मैं ऐसे ही बिना नहाए रहने वाली हूं फिर बाद में ना कहना की मां तुमसे स्मैल आ रही है इतना कह कर वह रजत की आंखों में देखने लगती है और मुस्कुराने लगती है।


और कोमल रजत का हाथ पकड़कर अपने गले में लगाते हुए अपने बेटे को बुखार होने का विश्वास दिलाती तो है लेकिन उसका शरीर नॉर्मल होता है जिसे देख रजत बोलता है।

रजत – आपका शरीर तो ठंडा है मुझे नही लगता आपको कोई बुखार है?

कोमल –अरे तो मुझे ठंडा वाला बुखार हुआ है इसलिए मेरा शरीर ठंडा है देखो मैं कांप रही हूं और फिर कोमल कांपने की झूंठी एक्टिंग करने लगती है जिसे देख रजत अपनी हसी नही रोक पाता है और वह अपनी मां को देखते हुए हसने लगता है वही कोमल भी रजत को देखते हुए हसने लगती है।


रजत – अपनी मां को हस्ते हुए देख उसकी स्माइल में खो जाता है और सोचने लगता है (मां तुम ऐसे ही हस्ती रहा करो आपकी स्माइल कितनी प्यारी है)

वही कोमल अपने बेटे को उसे ऐसे देखती है तो इशारे से पूछती है की क्या हुआ?
जिस पर रजत बस ना में गर्दन हिला देता है।

रजत – मां अब आप बहने बाजी छोड़ो और जल्दी से नहाकर आओ आज मैं अपने हाथो से आपके लिए ब्रेकफास्ट बनाता हूं।

कोमल– नही मुझे तो तुम्हारे ही हाथो नहाना है बिल्कुल वैसे जैसे मैं तुमको तुम्हारे बचपन में नहलाया करती थी।

रजत – हां आप मुझे मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर नहलाती थी तो क्या मैं भी आपको नंगा कर नहलाऊं?

रजत एक झटके में बोल तो जाता है लेकिन जैसे ही उसे अहसास होता है की उसने क्या बोला है तो उसका सर नीचे हो जाता है और तुरंत ही सॉरी बोलता है।

वही कोमल अपने बेटे से उसे नंगा कर नहलाने वाली बात सुन हिल जाती है और मारे शर्म और गुस्सा के वह बाथरूम से बाहर आ अपने कमरे में खड़ी हो जाती है।


कोमल (अपने मन में ) ये क्या था? नही उससे गलती से निकल गया होगा, क्या सच में या फिर वो भी अपने बाप की तरह मेरे साथ..... नही नही ऐसा नहीं है वो मेरा बेटा है उसका नही रजत में मेरे संस्कार है रजत को मैने अपने प्यार से सींचा है उसकी रग में मेरा खून है वो उस कमीने को तो जानता भी नहीं.....

हां जरूर ये गलती से निकल आया होगा।

तभी रजत बाथरूम से निकल कमरे में आया और बिना अपनी मां की तरफ देखे बोला .....

रजत – मां मुझे माफ कर दो मेरा ऐसा कोई मतलब नहीं था वो तो आपने मुझे मेरे बचपन की याद दिला दी तो मेरे मुंह से निकल गया प्लीज मां मुझे माफ कर दो।

कोमल – जा सिमरन तुझे माफ किया जा जी ले अपनी जिन्दगी और हां मेरे लिए ब्रेकफास्ट रेड़ी कर के रखना वरना ये तेरा बापू तुझे ब्रेकफास्ट के लिए तुझे ट्रेन के पीछे दौड़ाएगा, और फिर मुस्कुराने लगती है।

रजत भी अपनी मां की मुस्कुराहट को एक बार फिर से अपनी मां के चेहरे पर सजता देख खुश हो जाता है और हस्ते हुए बोलता है।

रजत – न... न... को...को...को.....कोमल

कोमल – ऐ रुक मेरा नाम लेगा रुक तुझे अभी बताती हूं।

लेकिन रजत हस्ते हुए वहां से भाग आता है और कोमल बस अपने कमरे के दरवाजे के पास खड़ी होकर उसे जाता देख हस्ती रहती है और फिर लौटकर बाथरूम में फिर से घुस जाती है।
Aise hi dhire dhire thik h, Hawas nhi.
Bahot acchi kahani..
 

krshub22

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लेकिन अच्छी या बुरी वो अपनी कृति के बारे में अपनी मेहनत के बारे सुनना पसंद करता है और तभी वो अपने काम के प्रति लगनशील भी रहता है मेरी इस स्टोरी को अभी तक 38000 लोगो ने देखा है लेकिन यहां 380 लाइक्स भी नही है और ना ही 380 फीडबैक अच्छे हो या बुरे वो भी नही.....

ऐसे में मैं अपना समय क्यूं बर्बाद करू क्या सिर्फ 2 से 4 लोगो के लिए मुझे ये करना चाहिए कभी नही और बिल्कुल भी अगर आपको अपनी प्राइवेसी की इतनी फिकर है तो हम पागल नही है

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Bittoo

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Behtreen update

Update 3
ललित नवीन की बात सुन उसे थोड़ा राहत मिलती है और फिर वह भी एक बनावटी स्माइल देकर हसने लगता है।


इधर कोमल एक बार पूरी क्लास पर अपनी नजर दौड़ती है और फिर प्रजेंटी लेने लगती है और उसके बाद वह अपना सब्जेक्ट इंग्लिश पढ़ाने लगती है।



अब आगे –



कोमल अपनी क्लास को खत्म कर चली जाती है हां जाने से पहले वह एक बार हिमानी के बारे जरूर पूछती है।


कोमल–रीतू हिमानी नही दिख रही है, क्या आज वह स्कूल नही आई है? क्या कोई प्राब्लम है?


रीतू–मैम उसने मुझे आज ना आने के बारे में कुछ भी नही बताया था।


कोमल–ओ अच्छा (थोड़ा उदास होते हुए) दरसल हिमानी कोमल की पसंददिदा स्टूडेंट थी और हो भी क्यूं ना हिमानी एक ऐसा कैरेक्टर जो ढूढने से भी नही मिलता और कोमल की फेवरेट होने का एक और रीजन था क्यूंकि कोमल हिमानी में अपना बचपना देखती थी हिमानी पूरी क्लास में सबसे सुंदर लड़की थी और इसके साथ ही वह पढ़ने में भी बहुत तेज़ भी किसी जमाने में कोमल भी उसी की तरह अपने क्लास की सबसे सुंदर लड़की हुआ करती थी और पढ़ाई में तो उसने हमेशा टॉप किया था लेकिन एक बात थी जो इन दोनो में थोड़ा अलग था और वो ये जहां हिमानी बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की थी वही कोमल चुलबुली हुआ करती थी और इसी कारण वह अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों काफी चर्चित हुआ करती थी। खैर उसके बाद कोमल बाहर निकल जाती है और उसके निकलते ही रजत अपनी सीट बदल देता है ऐसा वो रोजाना करता था वो कोमल के लिए आगे बैठता और जैसे ही उसकी क्लास खत्म होती तो वो अपनी पसंददीदा जगह पर ही जाकर बैठता और उसकी पसंदीदा जगह उस क्लास की लास्ट बेंच थी जिस पर दो लड़के हमेशा बैठे होते और वो भी रजत के आने का ही इंतजार किया करते।



चिराग और चीनू ये दो लड़के रजत के बेस्ट फ्रेंड थे ये दोनो भी एक साधारण परिवार से ही आते थे इनके परिवार का विवरण तब ही दिया जाएगा जब उसकी जरूरत होगी।


रजत–अबे चोमू कल तू प्ले ग्राउंड क्यूं नही आया हम सब तेरा ही इंतजार कर रहे थे साले तेरी वजह से ही हम कल का मैच हार गए और वो मादरचोद बाजपेई साले को खेलने को नही मिला तो जान बुझ कर कैचेज छोड़ रहा था उसके जैसा मक्कार आदमी नही देखा अरे भाई हम लोग कोई मजे के लिए तो नही खेल रहे थे आखिर कल टूर्नामेंट था लेकिन बहन चोद को खेलने को नही मिला तो फील्डिंग में गद्दारी कर गया।


चिराग–मैं तो तेरे से पहले ही कह रहा था इस मादरचोद बाजपेई और रघू पे भरोसा नही कर सकते तूने देखा नही रघु की बोलिंग कितनी गंदी थी साला हर एक ओवर में पिट रहा था।


रजत–अब क्या करे ये सब इन जनाब की वजह से हुआ अगर ये आया होता तो बोलिंग ये संभालता और फील्डिंग हम दोनो वैसे अभी तक तूने बताया नही तू आया क्यूं नही था।


चीनू–यार कल लड़के वाले दीदी को देखने आए थे जिसकी वजह से नही आ सका मैं तो तुम लोगो को भी बुलाना चाहता था लेकिन मुझे पता था कल का क्रिकेट इंपॉर्टेंट है इसलिए फिर मैने तुम दोनो को नही बुलाया लेकिन अगर मुझे मालूम होता मेरा होना इतना जरूरी है तो फिर मैं कैसे भी करके आने की पूरी कोशिश करता।


अभी ये सभी आपस में बाते कर ही रहे थे की रागिनी मैम अंदर आ जाती है रागिनी मैम इस स्कूल की दूसरी बोल्ड टीचर इनकी तारीफ जितनी की जाए उतना ही कम है और आज तो शायद ये अपनी क्लास लेने नही बल्कि बच्चो की गांड़ फाड़ने आई थी क्यूंकि आज उसने एक ब्लैक कॉलर की साड़ी पहनी हुई थी और उसके साथ ही स्लीवलेस ब्लैक ब्लाउज जिसमे वो बिल्कुल काम वासना से लिपटी कोई अप्सरा नजर आ रही थी इसकी चूचियां कोमल की चुचियों से बड़ी थी और इसका जिस्म भी थोड़ा गदराया भी था और इसका सबसे आकर्षक अंग इसकी हाहाकारी गांड़ जो बाहर को निकली हुई थी और जब ये चलती तो वह ऐसे हिलती जैसे "रज्जो का कोठा"

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रागिनी मैथ की टीचर थी उसके आते ही पूरी क्लास में खामोशी छा जाती है और सब उसे ही ताड़ने लगते है अभी कुछ देर पहले ही जो लण्ड थोड़े बहुत ढीले पड़े होंगे वो एक बार फिर से अपना सर उठाने लगे और फिर आज की तरह सारे लड़के रागिनी के गदराए जिस्म को देख वह कोमल के जिस्म से तुलना करने लगे वह सभी अपने मन में दोनो को नंगा कर सोचने लगे की कौन सबसे मस्त दिखता होगा ओबियस ज्यादा वोट तो कोमल के ही पछ में गिरने वाले थे पर अभी शायद रागिनी को देखने की जरूरत सभी को थी मानो जैसे वो कोई अमृत दश्य हो जिसे देखने से सुकून मिलता हो हां सही कहां सुकून ही तो मिलता है देखने वाले को भी और दिखाने वाले को भी 🤫


यहां अपना रजत भी कैसे शांत रहता वो भी आंखे फाड़े अपनी रागिनी मैम के जलवे देख हैरान था रागिनी के आगे की घुराली लटे उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे रागिनी जिसकी उम्र अभी 25 वर्ष थी वह खुद भी किसी भी तरह से टीचर नही बल्कि उनकी ही क्लास की कोई सहछात्रा ही दिख रही थी।

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इधर जब रागिनी ने देखा की क्लास के सारे ही लड़के बस उसे ही ताड़ रहे है तो वो अंदर ही अंदर बहुत खुश हो जाती है और अपने मन सोचने लगती है।


वाह रागिनी देख ये लड़के कैसे तुछे ताड़ रहे है देख रही है इनकी नजरे तेरे किन किन को अब तक तो ना जाने कितनी बार नंगा कर चुके होंगे और फिर रागिनी एक बार नवीन और रजत को अच्छी तरह से देखती है तो पाती है की वो दोनो भी बस उसे ही घूरे जा रहे थे जिसे देख रागिनी अंदर ही अंदर सिहर जाती है और उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान आ जाती है।


इसके कुछ देर बाद रागिनी अपना सब्जेक्ट रिवीजन करवाती है आज उसका मन पढ़ाने में बिल्कुल भी नही था वह पहले लड़कियों के पास जाकर उन्हें कुछ क्वेश्चन देती है जिन्हे उनको सॉल्व करना था और उसके बाद वो कुछ क्वेश्चन लडको को देती है क्वेश्चन दोनो ही पछ के हार्ड थे जिनको आसानी से तो नहीं सोल्ब किया जा सकता था लेकिन कुछ बच्चे थे जो पढ़ने में थोड़ा होशियार थे जिन्होंने जल्द ही उन सभी क्वेश्चन के हल जल्दी से खोज निकाले नवीन जिसको ये क्वेश्चन नही आते थे लेकिन उसने रागिनी का दिल जीतने के लिए चीटिंग करली और इधर रजत उसके भी 2 ही क्वेश्चन सॉल्व हुए थे जब रागिनी सभी की नोटबुक चेक करने को उनके पास जाती और झुककर उनकी नोटबुक देखती तो उसकी चूचियां नीचे को लटक जाती और रागिनी के बड़े क्लीवेज से उसके चूचियों की बड़ी सी घाटी अच्छे से दिखने लगती लेकिन रागिनी तो अच्छे से जानती थी और वह तो खुद ऐसा ही चाहती थी वह बस चोर नज़रों से उनकी नजरों को देखती और फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए आगे बढ़ जाती ऐसे ही जब वह नवीन के पास आई तब नवीन ने भी अपनी नजरे उसकी चूचियों में ही गड़ा दिया और वह उसकी चुचियों को घूरते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरने लगा जिसे देख रागिनी बस शांती से कभी कभी उसकी नजरों को देखती वह अभी नवीन के लिए थोड़ा परेशान थी उसने नवीन पर अपना गुस्सा तो जाहिर नही किया क्यूंकि वह जानती थी नवीन एक बड़ी हस्ती है और उसे ऐसे डायरेक्ट ओफेंड करना सही नहीं था इसके बाद वह वहां से रजत की ओर आती है और रजत की टेबल के पास आके खड़ी हो जाती है।


वही रजत को जैसे आभास होता है तो वह भी अपनी गर्दन उठाने लगता है लेकिन अभी वह अपनी गर्दन उठा कर रागिनी की नजरों से मिलाता उससे पहले ही उसकी नजर एक जगह पर आके ठहर गई दरसल रागिनी जब नवीन के पास से आई तो उसकी साड़ी उसके पेट से हट गई और उसकी गहरी नाभी दिखने लगी जो अभी रजत की बिल्कुल आंखो के सामने और उसके बहुत ही करीब थी जिसे देख वह बुत ही बन गया वही चिराग और चीनू अभी अपनी नोटबुक में लगे हुए थे वो दोनो ही डरे से लग रहे थे और इसीलिए अपनी नजरे ऊपर नही कर पा रहे थे वो जानते थे की अगर उन दोनो ने मैम से नजरे मिलाई तो मैम जरूर उनसे पूछ बैठेंगी जबकि अगर वो ऐसे ही बैठे रहे तो मैम उनको छोड़ आगे बढ़ जाएगी।


लेकिन यहां तो शीन ही अलग था रजत रागिनी की नाभी में ऐसे खो गया था जैसे वह गहरे संदर में उतर गया हो और जब रागिनी ने रजत की नजरों का पीछा किया तो उसके चेहरे पर हैरानी के साथ मुस्कान आए बिना रह ना पाई और मन में सोचने लगी।


रागिनी (अपने मन में) ये भी नहीं रजत मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी और देखो तो कैसे मेरे नंगे पेट को देख रहा है मतलब ये भी सभी की तरह ही है।


रजत (अपने मन में) यार ये मैम को भगवान ने कितना मस्त बनाया है देखो तो कोई इनकी खूबसूरती पर नजर ना लगा सके इसलिए भगवान ने मैम की कमर पर काला तिल भी दे दिया ये कितना खूबसूरत है काश मैम अपनी कमर में कमर चैन और पहन ले तो कितनी मस्त दिखे।

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इधर जब रागिनी रजत की नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाती तो वह वहां से हट कर फिर से लड़कियों की ओर बढ़ जाती है और उनकी नोटबुक चेक करने चली जाती है लेकिन फिर अचनाक ही वह एक बार मुडकर देखती है तो पाती है की रजत अपनी नोटबुक में झुकापड़ा है जिसे देख रागिनी अपने सर पर हल्के से हांथ मारती है और हस पड़ती है और उसके मुंह से बस इतना ही निकलता है (बुद्धू)



और फिर ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है स्कूल की लीव के बाद कोमल और रजत फिर से एक ही स्कूटी में बैठकर अपने घर की ओर निकल पड़ते है।
एक अच्छी शुरुआत
कथानक अच्छा है और शैली भी
 
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