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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:- 113



इधर श्रेया के घर में….. चल रहे रोमांस को देखकर सभी पागल हुए जा रहे थे। जेन तो पानी-पीते और बाथरूम जाते-जाते परेशान थी, वही हाल बाकियों का भी था। श्रेया से जब रहा नहीं गया तब वो कहने लगी…. "ये तो अपनी रास लीला में लगता है लीन रहेंगे और कुछ बात करने वाले नहीं। इनके रंग में भंग मै ही डालती हूं। जाती हूं अभी दोनो के पास।"


इधर श्रेया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था और उधर दोनो के रोमांस में कोई तब्दीली नहीं नजर आ रही थी। ऐमी डायनिंग टेबल पर बैठी गौर से अपस्यु का चेहरा देख रही थी। अपस्यु उसे सीने से लगाते हुए कहने लगा…. "खुलकर जीने का मज़ा ही कुछ और है।"..


ऐमी, अपस्यु से अलग होती मुस्कुराती हुई उसे देखने लगी… "आज ऐसा लग रहा है कि हम अपनी सोच में बेवकूफ थे। लेकिन जो बीत गया उसे जाने दो और जाकर तुम नहाकर आओ।"


अपस्यु:- तुम भी साथ चल रही हो क्या?


ऐमी, अपस्यु को धक्के देकर दूर हटती… "शाम को जब लौटेंगे तब देखते है, अभी जाओ नहा लो, जबतक मै किशोर को बुला लेती हूं। आज घर का काम करवा लेते है।"..


अपस्यु:- सारे काम 2 बजे तक खत्म कर लेना अभी कह देता हूं।


ऐमी:- हां ठीक है मैंने सुन लिया अब तुम जाओ।


अपस्यु चला गया और उसे जाते देख ऐमी मुस्कुराती हुई किशोर को कॉल लगा दी। अभी वो किशोर से बात करके कॉल रखी ही थी कि बेल बजने लगी। ऐमी दरवाजा खोलकर देखी तो बाहर श्रेया खड़ी थी…. "अपस्यु नहीं है क्या?"


ऐमी:- क्यों वो नहीं रहता तो तुम घर में नहीं आती क्या?


श्रेया, पूरी तरह चौंकती…. "क्या?"


ऐमी, हंसती हुई…. "मज़ाक कर रही थी आओ अंदर। कई बार आंटी के साथ देखी हूं तुम्हे, इसलिए थोड़ा सा मज़ाक।"


श्रेया अंदर आती हुई… "तुमसे कभी ठीक से मुलाकात नहीं हुई, लेकिन अच्छे से जानती हूं तुम्हे।"


ऐमी:- जी इस ज़र्रे नवाजी का शुक्रिया। (कामिनी जानती तो कल कुछ ढंग के लोग भेजती, इतने कमजोर प्लेयर को कॉन्ट्रैक्ट तूने दिया की तेरा खून करने का मन करता है)


श्रेया:- अपस्यु नहीं है क्या ? (देखने से लगता नहीं कि ये इतनी बड़ी फाइटर होगी। अपने फिगर को क्या मेंटेन किया है। तब उस अपस्यु की नजर इसपर से हटती नहीं। पहले इसे अपस्यु से थोड़ा दूर करना होगा, तब मुझे इनके बीच जगह मिलेगी)..


ऐमी:- कहां खो गई, मै कब से पूछ रही हूं, कुछ लोगी क्या?


श्रेया:- सॉरी कुछ सोच रही थी, इसलिए ध्यान नहीं दी। नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस अपस्यु से थोड़ी बात करनी थी।


ऐमी:- नहाने गया है थोड़ी देर में आ जाएगा.. (और तू कामिनी जल्दी से भाग जाना बात करके, क्योंकि ये वक़्त सिर्फ हम दोनों का है)


श्रेया से और बात करना ऐमी को उबाऊ सा लगने लगा इसलिए वो श्रेया को हॉल में बिठाकर किचेन में चली गई। तकरीबन 15 मिनट बाद अपस्यु हॉल में आया… "हेल्लो श्रेया"..


श्रेया:- हेय अपस्यु, क्या हो रहा है?


अपस्यु:- अपनी होने वाली बीवी के साथ हूं, वो भी अकेले तो होना क्या है, खट्टे-मीठे पल का मज़ा उठा रहे है।


श्रेया:- यहां पूरी कॉलोनी सदमे में है और तुम रोमांस में लगे हो।


अपस्यु:- ना तो मै पुलिस हूं और ना ही जो मरे उनमें से किसी को जानता, सो क्या फर्क पड़ता है।


श्रेया:- कमाल है, मै उसी लड़के से आज मिल रही हूं क्या, जो कुछ दिन पहले एक किसी अनजान के शव को नंगे पाऊं कांधा दे रहा था।


अपस्यु:- अखबार और न्यूज में ऐसे खबरे रोज आती हैं, क्या हर खबर के लिए तुम्हारी ऐसी ही भावना होती है। सामान्य सी बात है यार, जिसे नहीं जानते उसके लिए क्या कर सकते है। सुबह सुना मैंने भी, अफ़सोस तो कर लिया अब क्या चाहती हो छाती पीट लूं…


अपस्यु अपनी बात समाप्त ही किया था ठीक उसी वक़्त किशोर दरवाजे पर खड़ा होकर बेल बजाने लगा।… "ऐमी दरवाजे पर देखो शायद किशोर आया हुआ होगा।"…. ऐमी दरवाजा खोलती… "आइए सर"..


जैसे ही किशोर अंदर आया श्रेया की आखें बड़ी हो गई। हालाकि किशोर को श्रेया के बारे में नहीं पता था, लेकिन श्रेया किशोर के बारे में सब जानती थी। दिल्ली का एथिकल हैकर जो अपने सिक्योरिटी सिस्टम के लिए मशहूर था।


ऐमी:- किशोर सर वेलकम…


किशोर, ऐमी के सर पर एक हाथ मारते….. "कितनी बार तुमसे कहा है की ये बोरिंग नाम से मत पुकारा कर। कॉल में रेक्स।"..


अपस्यु दूर से ही… "ऐसा भी क्या फैशन किशोर भईया.. ये तो.. सेक"..


अपस्यु आधे पर ही था तो… "देखो अपस्यु अगर वो नाम बोला तो मै यहां से चला जाऊंगा।".. किशोर हड़बड़ी में अपनी बात कहते हुए अपस्यु के पास पहुंचा।


अपस्यु:- ठीक है नहीं कहता, कुछ लोगे आप?


किशोर:- काम बहुत परे है, क्या करना है वो बता। वहीं रेगुलर चेक करूं की कहीं कोई तेरी जासूसी तो नहीं कर रहा या आज कोई नई मांग है।


ऐमी:- हां सिक्योरिटी अलार्म भी चाहिए जो मोबाइल पर नोटिफिकेशन दे। कल का केस तो पता ही होगा यहां अपार्टमेंट में क्या हुआ है। कब कौन कहां से दुश्मनी निकालने आए किसे पता।


श्रेया:- ठीक है अपस्यु मैं चलती हूं।


"अरे श्रेया कहां जा रही हो। बैठो थोड़े गप्पे मारेंगे। किचेन का काम लगभग खत्म है।"…… ऐमी अपनी बात कहती, हंसती हुई अपस्यु के ओर देखने लगी।


श्रेया:- नहीं जाने दो, वैसे भी तुम्हारे होने वाले पतिदेव कह ही चुके हैं कि आज वो अकेले तुम्हारे साथ खट्टे-मीठे पल बांट रहा है।


श्रेया गेट तक बड़े आराम से निकली और बड़ी तेजी के साथ अपने फ्लैट में गई। बाकी लोगों को सर्विलेंस से सब खबर लग चुकी थी कि अपस्यु के यहां कौन आया है, अब बस सबको भेद खुलने का डर था।


श्रेया की साथी जेन और सादिक अपने अपने शब्दो में चिंता जाहिर करते हुए पूछने लगे….. "हम तो अपस्यु को नॉन टेक्निकल समझते थे, लेकिन इसके पास टैक्निकल टीम भी है।"..


श्रेया, जोर जोर हंसती हुई…. "जानती हो उसमे और हम सब में क्या फर्क है?"


श्रेया की पूरी टीम एक साथ… "वो शिकार है और हम शिकारी।"..


श्रेया:- नहीं, हम बेवकूफ शिकारी है और वो चालाक शिकार। कम से कम उन्हीं दोनो से तो कुछ सीख लेते। कल रात इतने शिकार किए उसने, लेकिन पुलिस को देखकर जरा भी पैनिक नहीं हुए और एक तुमलोग हो, एक लीगल हैकर क्या घुसा उसके घर में, पैनिक हो गए।

"सर्विलेंस पर रहो, यदि ये किशोर इसके साथ है, इसका मतलब इसे शुरू से पता है कि हम कौन है, फिर तो कोई गम ही नहीं, डायरेक्ट डील करेंगे, लेकिन नतीजा निकालने से पहले आराम से सर्विलेंस पर रहो, पूरे दिन में एक यही तो काम का आदमी आया है।


इधर श्रेया के जाने के बाद…. "अपस्यु, बेबी किशोर भईया को अपना काम करने दो, जबतक हम घर से होकर आते है। वैभव और पापा से मिल लेते है। कल से नहीं मिले।"..


अपस्यु, घूरती नज़रों से… "ऐमी देखो मुझे तुम ऐसे जान बूझकर परेशान नहीं करो, हम कहीं नहीं जा रहे।"


ऐमी, अपनी घूरती नजर अपस्यु पर डालती…. "तुम चल रहे हो और इस बात पर कोई बहस नहीं होगी। जाओ चेंज करके आओ।"..


अपस्यु छोटा सा मुंह बनाए अपने कपडे बदल कर आया।… "दरवाजे और कार की चाबी तो लेते आओ बेबी, श्रेया को देते चलते है, आने में देर हो गई तो।"..


दोनो थोड़े ही देर में श्रेया के दरवाजे पर पहुंचे, श्रेया के हाथ में सारी चाबियां देते हुए अपस्यु कहने लगा… "मेरे घर में कुछ काम हो रहा है श्रेया, प्लीज तुम थोड़ा देख लेना, हमे अभी ऐमी के घर जाना है।"


श्रेया:- ओय तुम दोनो झूठे हो, जा रहे हो रोमांस करने कहीं बाहर और मुझे जबरदस्ती काम दे रहे।


अपस्यु, श्रेया के दोनो गाल खिंचते…. "प्लीज अपने दोस्त की मदद कर दो, और वैसे भी मैंने सच कहा था। ऐमी खडूस हो गई है, रोमांस ना करूं मैं इसलिए बहाने से मुझे घर से बाहर ले जा रही है।


ऐमी गुस्से में अपस्यु का हाथ खींचकर ले जाने लगी और उन दोनों को देखकर श्रेया हंसने लगी। दोनो ऐमी की कार से जैसे ही अपार्टमेंट से बाहर निकले… "क्या हुआ ऐमी।"..


ऐमी:- आरव अभी-अभी किडनैप हुआ है।


अपस्यु:- हम्मम ! और कोई जानकारी।


ऐमी:- सिंगल बीप साउंड भेजा है, मतलब केवल वही किडनैप हुआ है, लावणी नहीं।


अपस्यु:- चलो फिर स्वागत कि तैयारी करते है।


ऐमी:- क्यों नहीं सर, वैसे भी कल के एक्शन ने बहुत निराश किया था, शायद आज कुछ टक्कर के लोग मिले। चलो जरा दुश्मन की जानकारी निकाली जाए।


अपस्यु और ऐमी दोनो ही अपने तीसरे फ्लैट पहुंचे जहां पुरा वर्क शॉप था इनका। ऐमी तुंरत अपने कंप्यूटर के साथ लग गई। सभी जानकारी पुख्ता करने लगी। कुछ बधाएं थी इसलिए ऐमी ने पल्लवी को गोवा एयरपोर्ट पर नजर दिए रहने के लिए बोली। इधर जबतक अपस्यु पुरा बैग तैयार कर चुका था, उसमे सारे जरूरत के प्रयाप्त समान के साथ अपने नए सेल रिप्लेसमेंट लिक्वड (cell replacement liquid) के इंगेजेक्शन बैग में डालकर तैयार हो गया।


ऐमी अब भी कंप्यूटर पर नजर बनाए थी। अपस्यु उसके कंधे से लगकर गाल को चूमते…. "क्या पता चला ऐमी।"..


ऐमी, अपस्यु के ओर मुड़कर अपस्यु के होंठ को चूमती…. "हाई टेक प्रोफेशनल, 12 लोगों की एक टीम है। अभी से 10 मिनट पहले एक प्राइवेट प्लेन में गोवा से दिल्ली के लिए उड़ान भरे है।


अपस्यु, भी ऐमी के होंठ को चूमते…. "जो भी है उसे हमारे बारे में सब पता है और शायद कोई सौदा करना चाहते है।"..


ऐमी:- चलो कम से कम आज मुंह छिपाकर तो नहीं लड़ना होगा।..


ऐमी अपना लैपटॉप बैग में पैक करके दोनो आराम से कार में जकार बैठ गए और बस इंतजार, इंतजार, इंतजार… तकरीबन डेढ़ घंटे बाद… "बेबी तैयार हो जाओ, वो लोग पहुंच गए।"


अपस्यु:- कौन से रास्ते पर है ऐमी।


ऐमी:- जिस हिसाब से ट्रैफिक लाइट को हैक करके अपनी तस्वीरें गायब करते चल रहे है, उस हिसाब से तो लग रहा है कि ये लोग अपने पसंदीदा रास्ते पर होंगे।


अपस्यु कार पूरी रफ्तार से भागते हुए… "ऐमी, पल्लवी भाभी अभी सर्वर पर थी क्या बैठी।"..


ऐमी:- हां वही बैठी है।


अपस्यु, पल्लवी को कॉल लगाया… "जी कहिए।"..


अपस्यु:- कुछ नहीं आपसे बात ही नहीं करनी मुझे।


तकरीबन 2 मिनट बाद पल्लवी प्राइवेट लाइन से कॉल लगाती… "आरव को कुछ समय पहले दिल्ली लाया गया है। मै और जेके थोड़े ऑफिशियल काम में फसे है, जल्द ही फ्री होकर हम भी ज्वाइन करेंगे। हमारे आने का इंतजार करना। ऐसा ना हो आने से पहले ही सारा एक्शन खत्म हो जाए।


अपस्यु:- भाभी, वो तो परिस्थिति तय करेगी ना। फिलहाल मैं कुछ कहता हूं ध्यान से सुनना और जल्द से जल्द जवाब देना, अभी हम दोनों ही दिल्ली उत्तराखंड के हाईवे पर है। अब ध्यान से सुनना, 12 लोगों की एक टीम जो काफी हाई टेक है और काफी योजनाबद्ध। दिल्ली और उत्तराखंड के बीच कहां जाकर हमसे डील कर सकते है।


तकरीबन 5 मिनट बाद पल्लवी एक लोकेशन साझा करती हुई कहने लगी…. "जिस हिसाब से तुमने उनका ब्योरा दिया है, उस हिसाब से तुम्हारे साथ डील वो भेजे गए पते पर ही करने वाले है। इस जगह में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की हाई सिक्यूरिटी है ,जो आज ही सुबह की गई है।..


ऐमी, अपस्यु का चेहरा देखती हुई मंद मंद मुस्कुराने लगी। अपस्यु उसके सर पर एक हाथ मारते हुए… "मै जान रहा हूं तुम क्या सोच रही हो।"..


ऐमी:- अच्छा बताओ मै क्या सोच रही हूं?


अपस्यु:- यही ना की जिसके टेक्नोलॉजी हमने चोरी किए। जिसके ट्रेनिंग मॉड्यूल हमने चुराया, आज वो हमारे सामने होगा वो भी इस बात से अनजान।


ऐमी:- नाह ! मै तो एक्साइटेड हूं यह सोचकर, क्या होगा जब तुम एक एक्सपेरिमेंटल बेबी से भिरोगे, जो तुम्हारा मौसेरा भाई है।


अपस्यु:- फिलहाल तो उसने आरव को उठाकर एक दुश्मन की तरह दस्तक दिया है, तो उससे उसी की भाषा में मिलना है, आगे वक़्त की मर्जी। और हां कुछ रिश्ते आपके माता पिता के जाने के बाद ही चले जाते है, इसलिए वो मेरा भाई नहीं है।..


लोकेशन मिलने के बाद दोनो बस 5 मिनट में अंदर वहां थे। ऐमी वहां के सारे सिक्यूरिटी सिस्टम भेदने के बाद दोनो अंदर पहुंचे। जैसे ही वहां का सुरक्षा चक्र भेदा गया, वैसे ही किडनैपर को खबर लग गई की उसकी जगह पर घुसपैठ हुई है।…
 

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यह साल 2008 था। अपस्यु अपने दर्द को तो कुछ ही दिनों में भुल गया था किन्तु आरव और ऐमी को उबारने में लगभग 1 साल का वक़्त लग गया था। एक दिन अपस्यु अपने मां के ख्याल में डूबा हुआ था और उसे वो घटना याद आयी, जब उसने अपनी मां सुनंदा से अपने ननिहाल के बारे में पूछा था।


इस सवाल पर उसकी मां के छलकते आंसू याद गए और उन आशुओं में एक दर्द की कहानी बयां हो गई, जो उसकी बड़ी बहन कंचन और जीजा वीर प्रताप के साथ घटा था। इस घटना को याद करके अपस्यु के मन में इक्छा सी हो गई अतीत को जानने की। जानने की तलब इसलिए भी थी, की कहीं दोनो बहन के साथ हुए हादसे में कुछ कड़ियां जुड़ी तो नहीं।


अपस्यु पता लगाते हुए पहुंचा था प्रताप महल। प्रताप महल के छानबीन से अपस्यु को पता चल चुका था कि दोनो बहन के साथ बहुत ही बुरा हुआ। हालांकि वजह अलग-अलग थी, लेकिन घटना एक जैसी। अपस्यु खाली हाथ वहां से वापस आ रहा था और तभी लौटते वक़्त एक घटना हुई थी।


कुछ लोग पीछे के भुल-भुलैया में कुछ गुत्थियां सुलझा रहे थे। सफलता भी हाथ लगी और अंत में फिर वही हुआ जिसे देखकर अपस्यु हंसने लगा था। अपनो के हाथ एक धोखा। अपस्यु धोखेबाज को पहचान चुका था और वो कुछ दिन के बाद अपस्यु को दिल्ली में भी दिखा गया। वो धोखेबाज किसी और जगह नहीं बल्कि उसी एथिकल हैकर किशोर के यहां दिखा था, जो उस धोखेबाज को हैकिंग का ज्ञान दे रहा था।


अपस्यु ने बड़ी चतुराई से ऐमी को उस धोखेबाज के पीछे लगा दिया। फिर तो एक के बाद एक कहानी खुलती चली गई। हालांकि अपस्यु के अतीत से इसका कोई संबंध नहीं था, लेकिन अपने मौसेरे भाई दृश्य के धोखेबाज दोस्त के पीछे पड़ने से, अपस्यु के भविष्य कि तैयारी इतनी आगे पहुंच गई की उसके दुश्मन के पहचान होने के बाद वो काफी बौने नजर आने लगे।


अपने भाई दृश्य के इस दुश्मन के पीछा करने से अपस्यु के हाथ 2012 में एक ऐसी वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी हाथ लगी, जिसके दम पर वो किसी भी खुफिया विभाग के नेटवर्क को एसेस कर सकता था, वो भी बिना उसके नजर में आए। ऐसा भी नहीं था कि अपस्यु ने अपने भाई दृश्य से केवल कुछ लिया ही था, जिस प्रकार वो चोरी से उसके कई सारे अच्छे चीजों को अपना रहा था, ठीक उसी प्रकार वो कई ऐसे मौके पर गुप्त तरीके से उसकी मदद भी करते आया था।


साल 2012 में उसके भाई दृश्य को उसके लक्ष्य में सफलता हासिल हुई थी, उसके बाद फिर कभी अपस्यु ने उसकी खबर नहीं रखी, लेकिन उसका दिल जानता था, अनजाने में ही सही एक ना एक दिन उसके रास्ते टकराएंगे। इन सब मामलों में एक बात और सत्य थी, अपस्यु जहां अपने भाई को हीरो मानता था वहीं उसके दिल में दृश्य के लिए काफी नफरत भी भरी हुई थी।


दृश्य अपने बदले के दौर में एक ऐसी कहानी लिख रहा था, जिसके गुस्से के आगे जो आया वो तबाह सा हो गया। जब वो बदला लेने के लिए निकला था तब ना जाने कितने लोगों के खून से अपनी कहानी लिखी थी। इस कहानी को लिखने के क्रम में दृश्य यह बिल्कुल भुल चुका था कि बहुत सारे लोग पैसों के कारन केवल साथ देते है, जिनको मरना जरूरी नहीं था। और यही एक बड़ी वजह थी, जिस कारन अपस्यु दृश्य से उतनी ही नफरत भी करता था और उसके अनाथालय में उन्हीं घटना से अनाथ हुए बच्चे पल रहे थे।


मज़े की बात एक और थी। दृश्य अपने बदले के क्रम में 2 नाजायज बच्चो को भी पीछे छोड़ आया था, जिसमें से एक उसे मिल गया था जो इस वक़्त उसी के पास था। लेकिन अपने जीत के साथ ही वो अपना दूसरे बच्चे को भुल चुका था जो इस वक़्त सिन्हा जी के देख रेख में पल रहा था।


अपस्यु को भली-भांति पता था कि दृश्य को शायद ही कभी पता चले कि उसका कोई मौसेरा भाई भी है, लेकिन अपने इस नाजायज बच्चे का पता लगाकर वो एक ना एक दिन उसके दरवाजे तक जरूर पहुंचेगा, लेकिन ऐसे आरव को उठाकर पहुंचेगा उसे उम्मीद ना थी। अपस्यु और ऐमी को भी उन लोगों के दिल्ली पहुंचने से पहले तक जारा भी अंदाजा नहीं था कि आरव को दृश्य ने उठाया है। लेकिन जैसे ही दिल्ली के ट्रैफिक कैमरे से केवल उनकी इमेज गायब होनी शुरू हुई, अपस्यु और ऐमी को समझते देर ना लगी ये नया दुश्मन कौन है।


जैसे ही अपस्यु ने अपने भाई के सिक्योरिटी सिस्टम को भेदकर जैसे ही वहां कदम रखा, उन लोगों तक भी ये खबर पहुंच गई….


"भाई, लगता है मीटिंग की जगह पर कोई घुसपैठ हुई है।".. दृश्य का कंप्यूटर एक्सपर्ट और उसके छोटे भाई जैसा साथी आरूब मामले की जानकारी देते हुए दृश्य से कहने लगा।


दृश्य:- अरूब, देखो कौन घुसा है।"..


अरुब ने लैपटॉप ऑन करके जैसे ही स्क्रीन पर देखा, आश्चर्य से उसकी आखें बड़ी हो गई, और वो स्क्रीन घुमा कर सबको दिखाने लगा….


"वाउ.. क्या रोमांटिक कपल है लव, कितना पशनेटली नाच रहे है।".. दृश्य की जान अश्क उन्हें देखकर मुस्कुराती हुई कहने लगी।


दृश्य, अश्क को अपनी बाहों में समेटकर… "मै कबसे इतना पैशनेटली तुमसे एक किस्स चाह रहा हूं, उसपर कोई ध्यान ही नहीं है। सच ही लोग कहते है, शादी के बाद प्यार हवा हो जाता है।


अश्क:- इसलिए बाहर प्यार बर्षा रहे थे उसी की एक नाजायज कड़ी तो आज मै समेटने जा रही हूं, और एक परा है अपने दादा-दादी के पास। लव सच-सच बताओ और कितने नाजायज बच्चे है जो मेरी जानकारी में नहीं है।


दृश्य:- हद है क्यूटी, मै जब भी रोमांस के मूड में होता हूं, तुम पुरानी बात छेड़ देती हो।


अश्क:- मेरा मूड था अभी रोमांस का, लेकिन आपके नाजायज अफेयर मुझे याद आ गए और अब मेरा मूड आपसे झगड़ा करने का हो रहा है।


दृश्य:- हां ये अच्छा है। जारा फ्लैशबैक में जाओगी। एक बच्चा क्या 2 बच्चा ले लो, मेरे ओर से एक गिफ्ट, कौन भावनाओ में बहा था। मै किस दौर से गुजर था उस वक़्त तुम्हे याद है क्यूटी। मुझे पता है आज भी वो वाकया याद करके तुम रोती हो, लेकिन क्या ही करे, बुरा दौड़ था वो भी और हम कितने नासमझ।


अश्क, दृश्य में सिमटती हुई…. "जाने दो, बीती बातों को याद करने से केवल दर्द ही मिलेगा। चलो चलकर अपने बच्चे को वापस लाए। ना जाने वो लोग अपने बच्चे को किस तरह का हथियार के रूप में ढाल रहे होंगे…"


दृश्य:- कोई बात नहीं होगी उनसे क्यूटी, यदि हमारा प्रस्ताव मान गए तो ठीक वरना सबकी लाश पर से अपना बच्चा लेकर जाऊंगा।


इधर जबतक अपस्यु और ऐमी एक दूसरे को देखकर मदहोश होकर नाच रहे थे, दृश्य की पूरी टीम पहुंच गई…. "शुक्रिया मेरा वक़्त बचाने के लिए, वरना लगा था कि कहीं मुझे पता बताकर बुलाना ना पड़ता। देखो मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है तुमसे, मेरा कुछ तुम्हारे पास है उसे शांति से लौटा दो। फिर तुम अपने रास्ते और मै अपने रास्ते"… दृश्य अंदर घुसते ही अपस्यु से कहने लगा।


अपस्यु:- कमाल है बिना निजी दुश्मनी के ही तुमने मेरे भाई को उठा लिया। खैर ऐसा क्या है जो तुम्हे मुझसे चाहिए?


मुखिया:- तुम्हारे पास एक लड़का है वैभव वो और तुम्हारे अनाथालय के 60 बच्चे जो वीरदोई के है मुझे वो सब चाहिए।


अपस्यु:- ना ही मै कोई अनाथालय चलता हूं और ना ही मेरे बच्चे अनाथ है। उन सबका पिता तुम्हारे सामने खड़ा है, और जबतक मै जीवित हूं, उन्हें कोई हाथ भी नहीं लगा सकता।


"कितने प्यारे लगते है दोनो साथ में, तुम दोनो अलग रहकर काफी तरप जाओगे, इसलिए दोनो के आत्मा की तृप्ति आज ही एक साथ कर देंगे, और तुम्हारी लाश पर से उन सबको ले जाएंगे। ".. अश्क उस जगह पर हुंकार भरती हुई कहने लगी…

अपस्यु:- जैसा तुम चाहो स्वीटहार्ट। हम दोनों तो कबसे मरने को तैयार है, बस साथ मारने का मजा और भी बढ़ जाता यदि मेरा भाई आरव भी साथ होता…


दृश्य:- मरने वाले की आखरी इक्छा पूरी कर दो आदिल, छोड़ दो उस लड़के को। और कुछ तो डिमांड तो नहीं है…


उसके कहने पर आरव को खोल दिया गया… वो भागकर अपस्यु और ऐमी के ओर आया। उसके आते ही ऐमी उसके चेहरे से लेकर पूरे बदन को व्याकुलता से देखती हुई आरव के गले लग गई…. "तुझे कहीं चोट तो नहीं आयी।"..


आरव, ऐमी से अलग होते… "नहीं आयी भाभी, तुम परेशान ना हो।"…


ऐमी:- बेबी आज मै और आरव है, आप ड्रिंक एन्जॉय करो। हमारे हथियार दो और बैकअप देते रहना।


आरव:- क्या बात कर रही हो। यार ये लोग चिड़ियाघर से भागे जरूर लगते है लेकिन सभी प्रोफेशनल है, अपस्यु को भी बोले आए।


अपस्यु, दोनो के बैग से रॉड निकालकर फेकते हुए…. "मै हूं ना, बस जो भी करना खुद पर काबू रखकर।"… फिर अपस्यु अपना बॉटल निकालकर दृश्य से कहने लगा… "अब क्या मुहरत का इंतजार कर रहे हो, आ भी जाओ।"..


जैसे ही आरव और ऐमी रॉड लेकर अपनी पोजीशन लिए, उसे देखकर दृश्य की टीम से आदिल कहने लगा…. "ये तो सिंडिकेट का लगता है। हमारे जैसी फाइटिंग स्टाइल।"..

दृश्य:- हां तो देर किस बात की है आदिल इन्हे भी उनके गुरुओं के पास जल्दी पहुंचा दो। चलकर फिर उन बचे हुए वीरदोयी से भी तो हिसाब लेना है।


आदिल ने अपने 2 लोगों को इशारा किया और वो लोग भी उन्हीं की तरह रॉड लेकर मैदान में उतर गए। वो दोनो तेजी से दौड़ते हुए ऐमी और आरव की ओर बढ़ने लगे। आरव इशारे से ऐमी को अपनी पोजीशन पर रुकने के लिए कहा और खुद तेजी से दौड़ता हुए आगे बढ़ने लगा।


जो 2 लोग दौड़ते आ रहे थे उनमें से एक अपने घुटने पर स्लाइड करते हुए आरव के पाऊं को निशाना बनाया, तो दूसरा हवा में उछलकर आरव के सर को। आरव उनकी नीति देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सका और अगले ही पल आरव 360⁰ बैंक फ्लिप लेकर 3 फिट पीछे आ गया।


जो आदमी हवा से उछलकर सर को निशाना बना रहा था, वो अपना खाली वार करने के बाद सीधा आरव के सामने गिरा, जिसपर आरव ने बिना कोई रहम दिखाए अपना रॉड उसके कनपट्टी पर चला दिया और वो आदमी वहीं बेहोश।


दूसरा जो स्लाइड करते हुए आ रहा था वो सीधा ऐमी के पाऊं के पास रुका। जबतक वो खुद को दूसरे वार करने के लिए तैयार करता, उससे पहले ही ऐमी ने एक लात उसके मुंह पर दिया और वो भी बेहोश होकर किनारे हो गया।


इस तरह के लड़ाई की उम्मीद दृश्य को कतई नहीं थी। उसने आदिल के ओर इशारा किया और आदिल सहित सभी 6 लोग मैदान में कूद पड़े। तभी उन 7 में से एक लड़ाकी, अपने कपड़ों से कई सारी चाकू निकालकर लगातार फेकने लगी।


उन चाकुओं की बरसात के पीछे से, 6 लोगों की टीम भी आगे बढ़ने लगी। इधर जैसे ही चाकू फेकने शुरू हुए, आरव और ऐमी ने अपने दोनो हाथ के 4 फिट के रॉड को बीच से जोड़ते हुए उसे 8 फिट के 1 रॉड में तब्दील कर दिया और बीच से पकड़कर इतनी तेजी के साथ गोल-गोल घुमा रहे थे कि ऐसा लग रहा था कोई पंखा नाच रहा हो। सभी चाकू टकराकर दाएं बाएं गिर रहे थे।



"क्या निम्मी तुझे अपने पास बुलाकर नहीं सिखाई तो तूने तो वफादारी ही बदल ली।"… ऐमी अपने रॉड घूमती हुई कहने लगी…


तभी अपस्यु अपना एक पेग खिंचते हुए, पास परे 2 चाकू को उठाया और दोनो चाकू इस तेजी से निम्मी के उपर फेका की जबतक निम्मी को पता चलता उसे बचना है, उसके दाएं और बाएं दोनो हाथ में चाकू घुस चुका था। जैसे ही निम्मी का खून गिरा, वैसे ही पूरी टीम ठहर गई और निम्मी कर्राहते हुई अपना मस्क उतारती हुई कहने लगी…. "वफादारी तो शुरू से जैसी थी वैसी ही है, बस आपसे बहुत कुछ सीखने की चाहत थी है और सदा रहेगी।"


निम्मी को अप्पू ने थामा। अपने साथी का खून गिरते देख सब लोग आग बबूला हो गया, इसी बीच अश्क गुस्से में खड़ी हुई, लेकिन दृश्य ने उसका हाथ पकड़कर इशारों में इंतजार करने कहने लगा..


सभी 5 लोग आदिल की अगुवाई में ऐमी और आरव को घेरे खड़े थे। सबके हाथ में एक ही जैसे रॉड और बस फर्क साइज का थोड़ा सा। आते ही सभी एक साथ टूट परे। वहीं ऐमी और आरव के बीच नज़रों का कुछ संवाद हुआ और ऐमी 2 स्टेप पीछे लेकर तेजी से दौड़ी, आरव ने जल्दी से अपना हाथ आगे किया।


ऐमी दौड़कर हवा में आरव के हाथ पर तकरीबन 4 फिट उछली, जहां आरव ने उसके उछाल को नई गति देकर तकरीबन 8 फिट उछाल दिया। ऐमी हवा में फिलिप करती, उनके घेरे के पार खड़ी हो गई। सभी लोगों का ध्यान जैसे ही भटक कर पीछे गया, आरव के अपने रॉड की मार से उन्हें अवगत करवा दिया।
 
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nainu ka sar to vese he is story ko leke ghuma huaa hai.
pahale nainu socha tha ye story 100 update main sedhe tarike se nipata dega.
baad main likhane ka nasaha aye sa chada roj updates likhane ke baad apna sar diwar par patak kar apna sar dard kam karata hain :dazed:
:D .. nahi 100 update ka story to nahi tha .. haan lekin jab likhne ka bhut aata hai to pata na kya ho jata hai.. ye sahi hai :D
 

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