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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
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Ye arav to pura sasural walo ka hai bhai aur badhiya hua ke sinha sahab ne pura mamla sambhal liya ab rajiv mishra bhi inke kaam aa sakta hai dekhte hai arav kaise samjhayega apne sasur ko
Badhiya update..

Hahaha .. sasural me sukh hai to sasurali hi hoga na .. ju don't worry .. abhi aapke hisse ka sukh bacha hai :hehe:

:thanks: for your awesome wala dil jhumping jhapak response :toohappy: :rock:.. sath bane rahen aur comment karte rahen.. :rose:
 

nain11ster

Prime
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Chalo akhir rajiv mishra ko apni galti samajh to aayi aur aage se wo koi aisa kaam na kare jisse uski jaan hi chali jaye aur yaar ye gufi aur pradip to badi khatarnaak chiz hai ab to inki band nandani ji bajayeng :lol1:
Shaandaar update
Hahaha .. sablog kahani ke gufi ko dekho re baba ... Kyon bechare garib mod ko troll karne me lage ho .. mera ek kabhi kabhar wala reader @guff kamti ho jayega :D


:thanks: for your awesome wala dil jhumping jhapak response :toohappy: :rock:.. sath bane rahen aur comment karte rahen.. :rose:
 

nain11ster

Prime
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:lol1:
ye gufi naam to kahi suna suna sa lag raha hai ,
Guffy are ye to hamare mod sahab hai :yikes:
mod ko driver bana diya , nainu bhai ye achchi bat nahi hai :nope:
Mujhe to Night Warrior aur Addicted ka naam nahi pata wrna unhe to main ramu kaka wala role deta ..

Ab baat achi ho ya kharab ho gayi hat nahi sakti :D .. waise b kahani me guffi tab aaya tha jab wo mod nahi tha aur PARADOX aka Pradeep tab aaya jab wo mod tha... Ye mere kahani ka prakop hai.. pradeep mod na raha aur guffi mod ban gaya :D


:thanks: for your awesome wala dil jhumping jhapak response :toohappy: :rock:.. sath bane rahen aur comment karte rahen.. :rose:
 

nain11ster

Prime
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Update:-87




नंदनी पूरी भीड़ को वापस भेजती हुई कहने लगी… "इसने जो भी गलत किया है उसका पूरा भुगतान के बाद ही इसे निकालूंगी। आप सब यहां से जा सकते हैं।"


सबको वापस भेजने के बाद नंदनी ने इशारा किया और दोनों को ऊपर खींचा गया, इतने में कुंजल अंदर से डंडा निकालकर लेे आयी और नंदनी ने श्रेया को वहीं कुछ देर रुकने के लिए बोली…


दोनों को हॉल में लेकर आया गया। सब लोग गांव के पंच की तरह कुर्सी में बैठे थे और दोनों गुफी और प्रदीप नीचे किसी मुजरिम की तरह अकडू बैठे हुए थे। वहीं आरव अपने हाथ में डंडा लिए दोनों के गोल-गोल चक्कर लगा रहा था।


नंदनी:- श्रेया क्या कह रही थी तुम, दोनों के बारे में, जरा एक-एक करके इनकी गलती बताना।


गुफी:- मैम दीदी जी को क्यों कष्ट करने कह रही हैं, मैं यह काम जल्दी में खत्म कर सकता हूं।


तभी पीछे से एक डंडा गुफी की पीठ पर और वो बेचारा छटपटा कर रह गया। इतने में प्रदीप जो कुछ कहना चाह रहा था, वो अपनी बात अपने हलख के अंदर निगलते हुए चुपचाप सामने देखने लगा..


नंदनी:- आरव सजा बराबर मिलनी चाहिए..


नंदनी का ऐसा कहना था और एक डंडा प्रदीप के पीठ पर भी पड़ गया। बेचारा छटपटाते हुए यहीं सोच रहा था, कम से कम बोलकर ही मार खा लेता।


कुंजल:- भाई वैसे दोनों की शक्ल और ड्रेसिंग स्टाइल पर गौर किया क्या आपने। पहनावे और चेहरे से तो ये दोनों किसी ऑफिस में काम करने वाला डिसेंट कर्मचारी लगते है।


कुंजल का इतना कहना था कि स्वस्तिका ने उसे एक तमाचा देते हुए नंदनी से कहने लगी… "मां आप आगे देखो, इसको मैंने आप की तरफ से थप्पड दे दिया है।"..


सबके बीच थप्पड पड़ने से गुस्साई कुंजल ने पीछे से स्वस्तिका के लंबे बाल को पकड़ कर पूरा खींच दी। जैसे ही वो बाल खींची पीछे से लावणी और साची के जोड़-जोड़ से हसने की आवाज़ आने लगी और सामने बैठे ये दोनों गुफी और प्रदीप भी अपना मुंह दबाए हंस रहे थे। इसके पूर्व जब कुंजल ने स्वस्तिका का बाल खिंचा तो उसके हाथ ने स्वस्तिका का पूरा बाल ही चला आया और उसे बाल के नीचे स्वस्तिका के छोटे-छोटे असली बाल दिखने लगे।


नंदनी अपना सर पिटती हुई कुंजल और स्वस्तिका को कमरे में जाने के लिए बोल दी। वहीं साची, लावणी और श्रेया को भी अपने घर भेज दी। अब वहां बचे थे सिर्फ 4।


आरव:- इनका क्या करें मां। इतने दिनों में आज तक ना हम किसी पड़ोसी के पास गए और ना उन्हें कभी हमारे पास आने की जरूरत पड़ी, इनकी वजह से आज सब हमसे झगड़ा करने पहुंचे थे।


प्रदीप:- सर वो सब तो आप लोगों से वैसे भी जलते है, बस उन्हें आपके साथ झगड़ा करने का मौका चाहिए था। प्लीज, प्लीज, प्लीज, मारना मत।


गुफी:- हां ये सही कह रहा है मैम ।


"रुका क्यों है मार दोनों को एक-एक डंडे"… नंदनी के आदेश पर पुनः डंडे चल गए। इधर दोनों छटपटा रहे थे उधर नंदनी अपनी बात आगे बढ़ाती हुई…. "मेरे पड़ोसी या अपार्टमेंट वाले मुझसे क्या बैर रखते हैं, वो मै समझ लूंगी, बात तो अभी ये है को तुम्हारी इतनी गन्दी हरकतों पर क्या सजा दी जानी चाहिए।"..


गुफी:- बीवी तो पहले छोड़कर भाग गई है, इससे बड़ी और क्या सजा होगी?

प्रदीप:- अरे गुफी भाई, भाभी के याद में आशु बाद में बहा लेना, पहले अपनी जान तो बचाओ। मैम हम दोनों सजा के लिए तैयार हैं लेकिन अभी आप ने हमारा पक्ष नहीं सुना है।


आरव:- जरा शॉर्ट में समझा अपना पक्ष।


गुफी:- इस फ्लोर के आखिर में है सक्सेना फ़ैमिली। वहां का फ्लैट ऑनर 2 रात जबरदस्ती हमारे क्वार्टर में घुसकर दारू पिया और हमे खूब गालियां दिया। 1 दिन छोड़ दिया, दूसरे दिन बर्दास्त किया लेकिन तीसरे दिन धक्के मारकर निकाल दिया।


प्रदीप:- नीचे के फ्लोर पर है जुनेजा फैमिली। वहां की एक पागल लड़की को हमारा क्वार्टर 3 घंटे के लिए चाहिए था, जिसके वो पैसे भी ऑफर कर रही थी। ये जिस लड़की से आप बात कर रही थी उसका भाई और भी 8-10 लोग हैं जिनमें तो कुछ शादीशुदा भी है, उन्हें भी क्वार्टर कुछ घंटों के लिए चाहिए था।


गुफी:- कुछ लोगों को तो लंबोर्गिनी चलानी थी वो भी आप के जानकारी के बिना। तो कुछ लोगों का काम हमने नहीं किया था तो अपनी-अपनी गाडियां ऐसे पार्क करते थे, कि जगह ही नहीं बचे। शुरू के 4-5 दिन इन लोगों ने हमे बहुत परेशान किया, फिर हमने भी बदला ले लिया।


नंदनी:- हम्मम ! और वो जो तुम उस कामवाली के साथ कर रहे थे वो क्या था फिर।


प्रदीप:- हम उसे भी उसके कर्मों की सजा दे रहे थे।


नंदनी:- बातें तो बड़ी बड़ी करते हो, कर्मों की सजा, जैसा किया उसका बदला लिया। अब ये बताओगे की कैसे उसके कर्मों की सजा दे रहे थे?


गुफी ना में इशारा कर रहा था और प्रदीप उसकी बातों को समझ नहीं पाया और बोलता चला गया…. "वो काम वाली के चक्कर में आपकी ऑडी कार को 30000 रुपए के लिए गिरवी रखना पर गया।"…. प्रदीप ने जैसी ही यह बात बोली, आरव कुछ हरकत में तो आया लेकिन नंदनी अपने इशारे से शांत खड़े रहने के लिए बोलकर, प्रदीप को बात पूरी करने बोली… प्रदीप भी अपनी बात पूरी करते हुए कहने लगा… "उस कामवाली सरोजा ने गुफी से शादी का वादा करके 50000 रुपए ऐठ लिए और अब नाटक कर रही है। गुफी भाई ने एक दिन उसके जुग्गी पहुंच गए पैसे मांगने, वहां सरोजा के कुछ लोगों ने गुफी को बहुत पीटा भी था।"


नंदनी:- हम्मम ! तो ये बात है। आरव इस गुफी को 4 डंडे मार पहले, सबके सामने उसकी नीच हरकत के लिए। अब ये बताओ तुम्हारी जुबान कि क्या कहानी है।


गुफी:- मैम अब कोई गाली खाने लायक काम करेगा तो गाली ही दूंगा ना।


नंदनी:- तुम अब तक इसे मारे नहीं। उधेड़ दो इस गुफी की पीठ और काम से बाहर निकालो।


गुफी नंदनी के पाऊं पकड़ते… माफ़ कर दीजिए मैम प्लीज माफ़ जर दीजिए।


नंदनी:- पाऊं छोड़ो मेरा और ध्यान से सुनो, किसने तुम्हारे साथ क्या किया उसके बदला लेने का मतलब यह नहीं कि तुम बदले के आड़ में किसी औरत को पब्लिक में ऐसे छेड़ो या फिर गालियां देते रहो। पहली और आखिरी बार कह रही हूं, गांठ बांध लो ये बात। आरव हमारे लोगों को जिस-जिस ने नौकर समझा है, उसे उसके किए की सजा कल ही मिल जानी चाहिए। और कहीं ये दोनों झूठे निकले तो इनकी जुबान काटकर इन्हे काम से निकाल देना।


आरव दोनों की इशारे करते… चलिए सर मज़े कीजिए। मां मै जरा कमरा भी देख आऊं इनका…


दोनों आगे-आगे और आरव पीछे पीछे… तीनों क्वार्टर में जैसे ही पहुंचे…. "क्यों बे तुम लोगों ने सच कहा था या बचने के लिए कोई कहानी गढ़ी थी।"


प्रदीप:- ये साले पैसे वाले बिना मतलब के किसी को टोकते भी है क्या भाई? वैसे भी मैम थी तो हमने बहुत फिल्टर करके बताया वरना हमारे क्वार्टर को तो कुछ लौंडे आयाशियों का अड्डा बनाना चाहते थे, खासकर वो जो लड़की थी ना श्रेया उसका भाई। ठीक उसके फ्लैट से लगा है हमरा क्वार्टर तो उसकी नजर ज्यादा थी।


गुफी:- अरे वो उसकी गर्लफ्रेंड जो है जुनेजा फैमिली वाली उसका भी तो बताओ।


प्रदीप:- हां भाई वो भी। वो जो लड़की है, वो तो आपके पड़ोसी को तो फसाए है उसके अलावा एक और बाहर के लड़के को फसाए है। उसे भी अपने आईयाशियों के लिए कमरा चाहिए था। मदर.. सॉरी भाई, अब ऐसे में गाली नहीं निकले तो क्या निकले, लगभग 2 कुंवारों के सामने कोई ऐसे करने की बात करे सोचो हम पर क्या बीतती होगी।


गुफी:- लेकिन हमने किसी को भी इस क्वार्टर में घुसने तक नहीं दिया। 30000 के ड्राइवर की नौकरी और रहना कौन आजकल देता है।


आरव:- हम्मम ! समझ गया मै। चलो रिलैक्स हो जाओ लड़कों। कल इस पूरे अपार्टमेंट को ही सजा मिलने वाली है।



_______________________________________________



आज की सुबह ही फ्लैट लैंड की थी और सबके साथ पार्थ और वीरभद्र भी थे। नंदनी ने काफी कोशिश की, लेकिन पार्थ, वीरभद्र के साथ राजस्थान के लिए निकल गया। दोनों दिल्ली से जयपुर फ्लाइट से पहुंचे और उसके आगे जयपुर से उदयपुर और उदयपुर से उसके गांव तक का सफर कार से करनी थी।


लगभग शाम हो चुकी थी दोनों को पहुंचने में। उदयपुर से लगे होने के कारन वीरभद्र के गांव में सभी सुविधाएं थी यदि तुलना करें सुदूर के गांव से। कच्चे-पक्के मकान के बीच एक खूबसूरत बिल्डिंग भी दूर से दिखने लगी।… "वीरे, तेरे गांव के मुखिया का घर है क्या वो?"


वीरभद्र:- अरे नहीं भाई वो हमारा घर है।


पार्थ:- क्या छोड़े तू तो बड़ा अमीर निकला।


वीरभद्र:- यह तो मेरे गुरुदेव आरव की असीम कृपा है जिनके वजह से यह मकान खड़ा हुआ है। अभी तो हमरा गृह प्रवेश भी नहीं हुआ है.. अपने आने का सबको पहले से बता दिया था इसलिए कल ही गृह प्रवेश की पूजा भी रखी है। बस यहां पंडित के ही आने का बहुत बड़ा लफड़ा है।


पार्थ:- इसमें इतनी चिंता की क्या बात है, तेरे साथ है तो पंडित। मै गृह प्रवेश करवा दूंगा लेकिन उसके लिए 21121 रुपया लूंगा।


वीरभद्र:- हाहाहाहा.. क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई।


पार्थ:- तू क्या पागल है। मै तो शादी से लेकर सारे कर्मकांड की पूजा करवाता हूं। यूरोप में तो ये मेरा पार्ट टाइम बिजनेस था।


वीरभद्र:- ठीक है भाई फिर आप ही पूजा करवा देना। भाई एक काम और था?


पार्थ:- हां वीरे बोल ना..


वीरभद्र:- क्या आप मेरी बहन निम्मी को थोड़ा अंग्रेजी सीखा दोगे। क्या है कुछ दिन बाद दिल्ली जाएंगे तो सोच रहा था कि सबको अपने साथ ही रखूं। अकेले मज़ा नहीं आता रहने में। फिर अंग्रेजी सीख जाएगी तो सहर के हिसाब से पढ़ा लिखा लड़का मिल जाएगा, वरना मेरी मां की तरह उसकी भी ज़िन्दगी गांव में बीत जाएगी।


पार्थ:- एक बात बता फिर जो हमने 10000 डॉलर का खर्चा करके तेरे लिए प्रेसनलाइटी डेवलपमेंट वाली जो टीचर रखी, उसने कुछ नहीं सिखाया क्या?


वीरभद्र कहीं गुम होते… "वो तो कमाल की टीचर थी भाई, ऐसे टीचर पहले मिली होती तो मैं इंग्लिश क्या फ्रेंच रशियन और चाइनीज भी सीख जाता।"


पार्थ:- बस कर लौंडे कहां उस बेचारी को तू नंगे इमेजिन करने लगा। साले गुरु-शिष्य का रिश्ता खराब कर दिया।


वीरभद्र:- क्या भाई, मैंने कोई रिश्ता खराब नहीं किया। वो मुझे सेक्स एजुकेशन दे रही थी और मैं सीख रहा था।


पार्थ:- साले पोर्न एजुकेशन कहते हैं उसे, सेक्स एजुकेशन नहीं।


वीरभद्र:- बस करो भाई, अब वो दौड़ गुजर गया है। लो हम पहुंच गए।


वीरे जैसे ही पहुंचा बैंड बजने लगे। ऐसा लग रहा था पूरा गांव उठकर उसके स्वागत के लिए पहुंच चुका हो। लोग फूल-माला डालकर स्वागत कर रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे कोई नेता पहुंचा हो। वीरभद्र के साथ-साथ पार्थ का भी स्वागत हुआ। दोनों को बीच सभा में बिठाया गया और उसके पास में गांव का मुखिया।


अबतक तो पार्थ को समझ में नहीं आया कि ये आखिर इन गांव वालों को हुआ क्या है, लेकिन जैसी ही उस सभा में वीरभद्र से गांव की पंचायत के लिए 1 लाख की मांग हुई, पार्थ को पूरी कहानी समझ में आ गई। वीरभद्र ने भी बिना दोबारा उनके मांगे 1 लाख रुपए पंचायत को दान कर दिए, साथ में 50000 वहां पर कॉलेज लाने के प्रयत्न कर रहे लोगों के लिए अनुदान दिया, जो गांव के लिए मेहनत कर रहे थे।


पैसा मिलते ही वीरभद्र की जय जयकार करते सारे गांव वाले वहां से निकले। उनके निकलते ही वीरभद्र, पार्थ के साथ एक छोटी सी गली के रास्ते, उस बड़े बंगलो के पीछे जाने लगा, जहां कुछ कच्चे मकान बने हुए थे। छोटी सी गली से जैसे ही दोनों थोड़ा आगे बढ़े.. अल्हड़ सी एक लड़की, घाघरा चोली पहने, रास्ता रोके खड़ी थी। ऐसा लग रहा था अभी-अभी धूल मिट्टी में नहा कर आयी हो। ऊपर से नीचे तक पूरे धूल में वो डूबी नजर आ रही थी।..


वीरभद्र:- क्या हुआ आज घर नहीं जाने देगी क्या मुझे..

तभी मां संकुंतला आरती की थाली लिए, ठीक उसके पीछे खड़ी होकर कहने लगी… "रास्ता छोड़ ना अपने भाई का, अभी तो वो आया है, अभी ही जाकर लाडवा दे सबसे।"..

वीरभद्र:- निम्मी देख हमारे साथ मेहमान आए हुए है। इन्हे ऐसे खड़ा करना अच्छा नहीं लगता।


"जबतक आप बदला नहीं लेते तबतक मै प्रतिशोध की आग में जलती रहूंगी। और जबतक ये प्रतिशोध की ज्वाला जलेगी, तुम्हारी बहन अन्न का एक निवाला नहीं लेगी।".. निम्मी अपनी बात कहती दोनों का रास्ता छोड़कर वहां से सीधा एक कच्चे मकान में घुस गई और धड़ाम से दरवाजा बंद कर लिया…


क्या तेवर थे.. पार्थ जब उसे सुना तो सुनकर ही दंग रहा गया। बिल्कुल किसी तेज छुड़ी की तरह जुबान और आखों में कोई रहम ना बची हो जैसे। क्या एटिट्यूड था, अपनी बात कहकर सीधा अपने कमरे में…


____________________________________________



रात के 8 बजे ऐमी उस कार्गो की डिलीवरी लेकर खोलने में व्यस्त थी, जिसकी शॉपिंग अपस्यु ने यूएसए में किया था। वो अपने स्टोर हाउस में अभी पार्सल खोलना शुरू ही की थी, तभी उसके फोन की घंटी बजी…


"हेल्लो नील"… ऐमी कॉल उठकर बोली..


नील:- तुम्हे पता भी है कुछ यहां मेरे साथ क्या हो रहा है? तुमसे यह उम्मीद नहीं थी ऐमी।


ऐमी:- क्या हो गया मेरे बेबी को? आज बहुत उदास लग रहा है।


नील:- तुम मुझसे अभी मिलो ऐमी? प्लीज आ जाओ बहुत कुछ है जो तुम्हे बताना है। आई मिस यू माय लव।


ऐमी:- ठीक है बेबी, कहां आना है बताओ…


नील:- मेरे सुनसान और वीरान घर में ऐमी, और कहां आओगी?


ऐमी:- ठीक है बेबी, अब वो घर सुनसान और वीरान नहीं होगी। 1 घंटे में तैयार होकर पहुंचती हूं।


नील:- सुनो स्वीटहार्ट, मेरे पास आने के लिए तुम्हे तैयार होने की जरूरत नहीं, जिस हाल में हो निकल आओ। आई रियली नीड यू।


"ठीक है बाबा समझ गई.. बस अपनी नीड को जरा संभालो, मै 10 मिनट में पहुंच रही हूं… लव यू स्वीटी।"…
 

Chinturocky

Well-Known Member
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Ab ye Neel ka kya lafda hai, jarur ye bhi plan ka hi koi hissa hoga. Veere ki entry to gaav me dhamakedar hi aur usaki bahan ki to usase bhi jyada. Saale society wale bahut harami hai, gareeb ko pareshan karte hai. Bahut Achchha sabak milana chahiye sabko khaskar us kaamwali bai ko, guffi ke dil se khelti hai kameeni.
 

CG

Sab Chutiyapa hai Bhaya
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Veer ki bahan se Parth.....setting sahi hai
Aarav shreya k bhai ki class lagaayega lekin shayad kuch majedaar tarike se
Neel k liye Amy ko plot kar ke jaal bichaya hai ya ..........

Lovely update waise mujhe lagaa Apasyu ne jaan bujh kar apni team / office ke hi ladkon ko as a driver rakha hua hai

waiting for the next one
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Update:-86




आरव:- वहीं जो आप समझकर भी नहीं समझना चाहते। क्या जरूरत थी आप को उंगली करने कि… आखिर आप अपने ऑफिस में बैठकर टारगेट किसे कर रहे थे?.


"मै खुद को"… राजीव 1 पेग लगाते हुए आरव से अपनी दिल की बात कह गया।………


आरव:- इससे क्या साबित होगा, आप बहुत महान हो?


राजीव एक पेग और तेजी में खिंचते हुए…. "तुम चले जाओ यहां से, मै अभी होश में नहीं हूं।"..


आरव, राजीव को कमर से पकड़ते, उठाकर बिस्तर पर बिठा दिया…. "पी कर टून नहीं होना ना, मुझे अभी आपसे बात करनी है, फिर दोनों साथ में पिएंगे।


राजीव:- देख तू फालतू में किसी पचरे में ना ही पर, और निकल जाओ यहां से, वरना मुझे भी पता ना की मै तुम्हारा यहां क्या हाल करूंगा?


आरव:- नपुंसक समझते हो ना, वही हो आप.. और कुछ नहीं कर सकते। एक बार कोशिश तो कि थी ना… भेजे तो थे शूटर मुझे मारने के लिए, क्या हो गया फिर?


आरव की बात सुनकर राजीव पूरे होश खोते उसे एक थप्पड जर दिया…. और गुस्से में खड़े होकर उसे देखने लगा…


आरव:- मै जा रहा हूं लेकिन एक बात आप याद रखना, वो जो आप खुद के लिए कर रहे हो ना, उसमे आपके बीवी और बच्चे सभी लपेट लिए जाएंगे। आईएएस का मतलब मोस्ट इंटेलिजेंट होता है, खुद को देख लो, क्या हो आप।


अपनी बात कहकर आरव वहां से निकलने लगा तभी राजीव उसे रोकते हुए माफी मांगा और साथ बैठने के लिए बोला… कुछ पल की खामोशी रही फिर राजीव अपना हाल-ए-दिल आरव के सामने बयान करने लगा। कैसे वो शुरवात से लेकर अब तक का सफर तय किया था। उसकी पूरी कहानी सुनने के बाद आरव अपनी बात रखते कहने लगा…


"जिंदा रहोगे और परिवार सलामत रहेगा तो कई मौके मिलेंगे गलत को सही करने के लिए, वरना गुस्से में जो आप खेल गए, उससे होना कुछ नहीं है। सब मिलकर आपके और आपके परिवार की बली लेकर अपने जीत का जश्न मनाएंगे। बुद्धिमानी किस बात में है, वो आपको सोचना है। मैंने सिन्हा अंकल को होम मिनिस्टर सर से मिलने भेज दिया है, इस आश्वाशन के साथ की अब इसके बाद आप और कोई बेवकूफी नहीं करेंगे। आगे आप की मर्जी।"..


आरव की पूरी बात सुनकर राजीव कुछ देर खामोश रहा, सभी बिंदु पर सोचते हुए वो आरव से कहने लगा… "हम्मम !! ठीक है अब मै मौका देखकर सलाह लेकर ही कुछ करूंगा। मैंने गुस्से में गलत फैसला लिया था।"

आरव:- अब पीते हुए बात करें क्या ?


राजीव पहले तो आरव को गुस्से से घुरा, फिर हंसते हुए उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, दोनों बैठ गए बैठक लगाने… मां घर पर थी, इसलिए आरव ज्यादा पी नहीं सकता था। लेकिन अब ससुर के साथ बैठा तो, जिद में नॉर्मल से 2 पेग ज्यादा खींच लिया।


आरव:- ससुर जी अब मै चलता हूं, लेकिन जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।


राजीव:- ठीक है सर बिल्कुल निभाऊंगा। चलो मै तुम्हे छोड़कर आता हूं…


आरव:- नाह, मै चला जाऊंगा आप आराम करो।


आरव धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरा, फिर दाएं-बाएं एतिहात से देखने लगा, कहीं लावणी तो नहीं। हॉल में लावणी को ना देखकर, आरव दबे पाऊं हॉल से बाहर निकल ही रहा था, कि उसी वक़्त राजीव ऊपर से चिल्लाते हुए कहने लगा… "बेटा अपना बैग यहीं ऊपर ही छोड़कर जा रहे।"


आरव का नाम सुनते ही लावणी के कान खड़े हो गए और वो भागकर बाहर आयी, आरव को घूरती हुई इशारों में अपने कमरे में जाने के लिए कही और राजीव से बैग लेने चली गई। लावणी ने जैसे ही अपने हाथ में बैग ली, उसे बैग जरूरत से ज्यादा ही भारी लगी। वहां से वो चुपचाप नीचे अपने कमरे में आयी और दरवाजा धम्म से बंद करती…. "तुम्हारा ये बैग इतना भारी क्यों है।"..


आरव एक कदम आगे बढ़ते उसके कमर में जैसे ही हाथ डालने की कोशिश किया, उसके हाथ में सुई चुभी और वो अपने हाथ झटकते रुका…. "चुपचाप पलंग पर बैठो और मेरे सवालों का जवाब दो।"


आरव उसे हसरत भरी नजरों से देखते…. "बेबी वो तो हम एक दूसरे को गले लगाकर भी एक दूसरे से लिपट कर बात कर सकतें है ना।"..


लावणी अपनी आखें दिखाती… "दुनियाभर के लोगों से ऐसे ही गले मिलकर बात करते हो क्या?"


आरव:- क्या है यार किस बात का खुननस निकाल रही हो? सब लोग थे थोड़ा सा मज़ाक कर लिए, इसमें कौन सा बड़ा इश्यू हो गया।


लावणी:- हम्मम !! और ये शराब कि बॉटल, ये तो आज कल सोशल है ना। तुम्हारा ये लड़खड़ा कर चलना भी नॉर्मल ही होगा। ठीक है जाओ यहां से। और सॉरी..


आरव, लावणी का उतरा चेहरा देखकर समझ गया कुछ तो गड़बड़ हो गई है, वो तुरंत गलती की सुधारने के लिए उससे "सॉरी" कहने लगा। लावणी बिना कोई प्रतिक्रिया देती दरवाजा पूरा खोल दी और हाथ के इशारे से बाहर जाने के लिए कहने लगी, लेकिन आरव, लावणी का उतरा चेहरा देखकर कहीं जाना नहीं चाहता था इसलिए वो वहीं बिस्तर पर बैठा रहा…. "फाइन !! तुम यहीं रहो मै ही जाती हूं।"


आरव मायूसी से… "रूको मै जाता हूं। लेकिन ये गलत है, गुस्से में जोर से कुछ निकल गया तो उसपर तुम इतना रिएक्ट कर रही हो।"..


लावणी:- होश में होते ना और जोर से क्या, 2 थप्पड भी लगा देते तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन.. छोड़ो जाने दो।


आरव:- तुम्हे मेरे नशे से प्रॉबलम है ना.. मेरे पीने से ना.. ठीक है..


लावणी:- रूको भीष्म प्रतिज्ञा लेने की जरूरत नहीं, मुझे बस तुम्हारे रोज-रोज के पीने से प्रॉबलम है बस। कभी-कभी के लिए कोई बात नहीं है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि तुम ओवरलोड होकर आओ।


आरव:- अब तो मुस्कुरा दो..


साची:- हां, हां मुस्कुरा भी दे, बेचारा कितना क्यूट लग रहा है देख तो।


लावणी:- क्या दीदी आप भी ना.. कब से छिपकर सब देख रही थी..


साची:- शुरू से। वैसे मै जा रही हूं कुंजल से गप्पे लड़ाने तुम दोनों आराम से बातें करो।


लावणी:- सुनो दी, आरव को भी लेते जाओ और थोड़ा बचा लेना आंटी को पता ना चले।


साची:- कहीं उसे बचाने के चक्कर में मुझे ना लाफा पर जाए। नंदनी आंटी मुन्ना भाई से इंस्पायर्ड है। वो फिल्म में लाफा किंग है और यहां हमारी नंदनी आंटी लाफा क्वीन।


आरव:- हटो दोनों रास्ते से। मेरा घर बसने से पहले ही उजर जाएगा.. यहां हॉट रोमांस होना चाहिए तो माहौल को पूरा सास बहू का मेलो ड्रामा बनाकर रख दिया।


आरव मुंह लटकाए वहां से निकल गया और उसे ऐसे जाते देख दोनों बहन की हंसी निकल गईं। साची उसे बिठाते हुए कहने लगी… "कुछ ज्यादा तूने गुस्सा नहीं दिखा दिया बेचारे पर।"..


लावणी:- लेकिन दी..


साची:- वो एंगेजमेंट में नहीं पिया, जिस दिन सब डिस्को में थे तब नहीं पिया, मुझे नहीं लगता कि उसने यूएसए में कभी पिया भी हो जबकि चोरी से हमने ही पिया था, अब बताओ।


लावणी:- सॉरी दी, मैंने इतनी गहराई से नहीं सोचा बस जो जी में आया बोल गई।


साची:- सॉरी मुझे नहीं उसे जाकर बोल।


दोनों बहन चल दी ऊपर। फ्लैट में जाने के 2 दरवाजे थे, चुकी आरव पीकर आया था इसलिए सब लोग जहां बैठक लगाए रहते है, उस दरवाजे से ना अाकर आरव चुपचाप दूसरे दरवाजे से दाखिल हुआ और सबको दूर से ही देखकर, हाथ हिलाते अपने कमरे में चला गया।


कुंजल खाना पका रही थी और नंदनी बैठकर स्वस्तिका से बात कर रही थी। तभी दोनों ने भी आरव को देखा, आरव को देखते ही नंदनी कहने लगी… "देखी इसकी होशियारी, इसे लगता है दूर से जाएगा तो मुझे कुछ पता नहीं चलेगा।


स्वस्तिका:- बुलाऊं क्या फिर उसे मां।


नंदनी:- नहीं रहने दे, मेरा ये बेटा समझदार हो गया है। अब ये नहीं पीता, बस वही बड़ा वाला बिगड़ा निकल गया, कितना भी माना करो फिर भी वहीं हाल है।


स्वस्तिका एडवांस में ही अपने गाल पर दोनों हाथ रखती…. "मां वो"…


नंदनी:- मार तो वैसे भी खा जाएगी इसलिए जाने दे उसकी चमची मत बन।


इतने में घर की बेल बजी और दोनों बहन अंदर। अंदर आते ही लावणी सीधा नंदनी के पास पहुंची और उसे पाऊं छूकर प्रणाम करने लगी…. "अब क्या तुम सुबह-शाम आओगी तो यूं ही प्रणाम करती रहोगी। बस हो गया ये कभी-कभी अच्छा लगता है, रोज करते रहोगी तो बकवास लगेगा। क्यों सही कहा ना।


साची और स्वस्तिका दोनों एक साथ:- हां बिल्कुल !!


लावणी:- आंटी आरव कहां है?


नंदनी:- अपने कमरे में है।


बस एक छोटा सा सवाल और सबके सामने से लावणी निकल गई आरव के कमरे में। उस इतने विश्वास के साथ जाते देख नंदनी हंसती हुई साची से पूछने लगी… "इसे क्या हुआ।"..


साची:- वहीं जो पति पत्नी के बीच अक्सर होता है। इनका पहले से हो रहा है।


स्वस्तिका:- हीहीहीहीही… चलकर मेलो ड्रामा एन्जॉय करे क्या?


नंदनी:- पागल, तू क्या करेगी जाकर, दोनों को आपस में समझने दे।


तीनों अभी बात कर ही रहे थे कि बाहर शोर होने लगा… शोर की आवाज़ सुनकर नंदनी बाहर निकली। बाहर गहमा-गहमी का माहौल था। लावणी अभी कमरे तक पहुंची भी नहीं थी, इतने में आरव भी शोर सुनकर बाहर निकाल ही रहा था कि रास्ते में ही लावणी टकरा गई…


आरव:- क्या हुआ अब यहां आकर सुनाने वाली हो क्या?


"हीहीहीहीही.. नहीं."… और इतना कहकर वो आरव के कमर में हाथ डालकर उससे चिपकती हुई कहने लगी… "आई एम् सॉरी"…. "बेबी कल कहीं घूमने चलते है, और अभी का रोमांस कल पर टालते है। फिलहाल बाहर देखने दो किस बात का हल्ला हो रहा है।"


लावणी:- नाह मै कल तक रुक नहीं सकती, आज रात ठीक वैसे ही आना जैसे पहले आए थे।


आरव:- लेकिन बेबी..


लावणी उसके होटों पर उंगली डालती… "कोई लेकिन नहीं, सब क्लियर है और तुम आ रहे हो। अब चलो।"


वो दोनों भी बाहर निकले। बाहर निकलकर ऐसा लगा जैसे वहां कोई जंग का माहौल हो। पूरी कॉलोनी ही इनके घर के आगे जैसे जमा हो और नंदनी सबको बस शांत होने कह रही थी। इतने में गलती से, एक लड़के से नंदनी को धक्का लग गया और नंदनी पीछे दीवार से टकरा गई।


वहीं पास में ही स्वस्तिका खड़ी थी, और सामने पूरी भीड़। स्वस्तिका उस लड़के का कॉलर पकड़ी और खींचती हुई लॉबी की बाउंड्री तक ले जाती सीधा तीन माले से नीचे लटका दी।… "साले सब शांत हो जाओ वरना इसकी तरह लतकाऊंगी नहीं, बल्कि सबको सीधा नीचे फेक दूंगी।"..


स्वस्तिका का ऐसा करना था और पूरी भीड़ शांत। आरव दौड़ कर पहुंचा और उस लड़के को ऊपर खींचा। स्वस्तिका अब भी गुस्से में दिख रही थी… "क्या हुआ नॉटी ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही है।"


स्वस्तिका:- वही तो हम भी पूछ रहे है इनसे, लेकिन सब लोग आराम से बोलन के बदले धक्का-मुक्की कर रहे है और चिल्ला रहे है।


आरव को भी गुस्सा आया और वो सामने खड़े लोगों को घूरते हुए कहने लगा… "मेरी बहन ने जो अभी कहा है ना उसे करने में मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी इसलिए आराम से एक-एक करके के बताओ की क्या हुआ?


एक औरत:- तुम्हारा वो ड्राइवर गूफी मेरी कामवाली को छेड़ता है..


कोई एक आदमी:- तुम्हारा वो ड्राइवर गूफी रोज रात को मेरा दरवाजा खटखटाता है।


एक लड़का:- तेज आवाज में पता नहीं गाता है या रोता है वो गूफी..


कोई दूसरी औरत:- हमारे गाड़ी को के आगे तुम्हरे दूसरे ड्राइवर रोंज ऐसे गाड़ी पार्क कर देता है कि मेरी गाड़ी नहीं निकलती और जब गाड़ी कहो साइड करने तो 1 घंटे लगा देता है आने में।


कोई तीसरी औरत:- मेरे घर का दरवाजा रोज रात को खाखटकर मुझ से सोडा मांगता है।


नंदनी:- बस समझ गई मै, लेकिन वो दोनों तो यहां नहीं, फिर अभी क्यों बताने आए हो… और कोई एक जवाब देगा…


श्रेया:- आंटी दोनों आते ही होंगे.. इसलिए आप को बताने आए है। आप खुद अपनी आखों से देख लेना। और दोनों की भाषा तो पूछो ही मत.. ऐसा लगता है जैसे मुंह खोले तो गाली ही निकाल रहा है।


आरव:- मां ये खूबसूरत बाला कौन है।


लावणी उसे घूरती हुई… "कुत्ते की दुम हो आरव मुंह बंद करो अपना लार मत टपकाओ"…


इतने में ही दोनों अपार्टमेंट के गेट पर पहुंचे और प्रदीप के कंधे पर गूफी हाथ डाले जोर-जोर से गाने गाते अंदर पहुंचा… चिल्ला-चिल्ला कर तेज आवाज़ में … "तेरी दुनिया से दूर होकर मै मजबुर चला".. ऐसा लग रहा था गा कम रहा है और रो ज्यादा रहा है।


तभी ठीक उसी वक़्त एक कामवाली अपने काम से वापस लौटती थी। दोनों को देखकर वो उनके रास्ते से कटने लगी.. इतने में गूफी उसका रास्ता रोके खड़ा होकर कुछ बात करने लगा.. वह औरत किसी तरह वहां से बचकर निकली लेकिन जाते जाते गूफी ने उसे पीछे से चिमटी काट ली, वो बेचारी मुंह छिपाकर वहां से भागी।


तभी दोनों जोर-जोर से गाते हुए उस लॉबी में पहुंचे और जैसे ही वहां का भीड़ देखा तो प्रदीप कहने लगा… "बैंचों ये सब यहां आकर कौन सी पंचायत कर रहे हैं गूफी भाई।"..


गुफी:- अपनी मां की शादी के बारात लेकर आए होंगे.. क्यों रे मां दो लाडलो यहीं बात है ना…


तभी बीच से भीड़ छंटी और नंदनी को देखकर दोनों बिल्कुल अटेंशन में आ गए.. तभी नंदनी ने आरव और स्वस्तिका को देखी और दोनों तेजी से उनके पास पहुंचकर उन दोनों को तीन माले की बिल्डिंग से लटका दिया।… आरव दोनों को घूरते हुए कहने लगा…

"साला एक बार का रोमांस सास के सीरियल वाले मेलो ड्रामे में चला गया और दूसरी बार शुरू होने के कुछ चांस थे तो तुम दोनों की कुत्ते जैसी हरकतें ले डूबी। जी तो कर रहा है अभी ही नीचे फेक दूं।"


नंदनी पूरी भीड़ को वापस भेजती हुई कहने लगी… "इसने जो भी गलत किया है उसका बुरा भुगतान के बाद ही इसे निकालूंगी। आप सब यहां से जा सकते हैं।"
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नंदनी पूरी भीड़ को वापस भेजती हुई कहने लगी… "इसने जो भी गलत किया है उसका पूरा भुगतान के बाद ही इसे निकालूंगी। आप सब यहां से जा सकते हैं।"


सबको वापस भेजने के बाद नंदनी ने इशारा किया और दोनों को ऊपर खींचा गया, इतने में कुंजल अंदर से डंडा निकालकर लेे आयी और नंदनी ने श्रेया को वहीं कुछ देर रुकने के लिए बोली…


दोनों को हॉल में लेकर आया गया। सब लोग गांव के पंच की तरह कुर्सी में बैठे थे और दोनों गुफी और प्रदीप नीचे किसी मुजरिम की तरह अकडू बैठे हुए थे। वहीं आरव अपने हाथ में डंडा लिए दोनों के गोल-गोल चक्कर लगा रहा था।


नंदनी:- श्रेया क्या कह रही थी तुम, दोनों के बारे में, जरा एक-एक करके इनकी गलती बताना।


गुफी:- मैम दीदी जी को क्यों कष्ट करने कह रही हैं, मैं यह काम जल्दी में खत्म कर सकता हूं।


तभी पीछे से एक डंडा गुफी की पीठ पर और वो बेचारा छटपटा कर रह गया। इतने में प्रदीप जो कुछ कहना चाह रहा था, वो अपनी बात अपने हलख के अंदर निगलते हुए चुपचाप सामने देखने लगा..


नंदनी:- आरव सजा बराबर मिलनी चाहिए..


नंदनी का ऐसा कहना था और एक डंडा प्रदीप के पीठ पर भी पड़ गया। बेचारा छटपटाते हुए यहीं सोच रहा था, कम से कम बोलकर ही मार खा लेता।


कुंजल:- भाई वैसे दोनों की शक्ल और ड्रेसिंग स्टाइल पर गौर किया क्या आपने। पहनावे और चेहरे से तो ये दोनों किसी ऑफिस में काम करने वाला डिसेंट कर्मचारी लगते है।


कुंजल का इतना कहना था कि स्वस्तिका ने उसे एक तमाचा देते हुए नंदनी से कहने लगी… "मां आप आगे देखो, इसको मैंने आप की तरफ से थप्पड दे दिया है।"..


सबके बीच थप्पड पड़ने से गुस्साई कुंजल ने पीछे से स्वस्तिका के लंबे बाल को पकड़ कर पूरा खींच दी। जैसे ही वो बाल खींची पीछे से लावणी और साची के जोड़-जोड़ से हसने की आवाज़ आने लगी और सामने बैठे ये दोनों गुफी और प्रदीप भी अपना मुंह दबाए हंस रहे थे। इसके पूर्व जब कुंजल ने स्वस्तिका का बाल खिंचा तो उसके हाथ ने स्वस्तिका का पूरा बाल ही चला आया और उसे बाल के नीचे स्वस्तिका के छोटे-छोटे असली बाल दिखने लगे।


नंदनी अपना सर पिटती हुई कुंजल और स्वस्तिका को कमरे में जाने के लिए बोल दी। वहीं साची, लावणी और श्रेया को भी अपने घर भेज दी। अब वहां बचे थे सिर्फ 4।


आरव:- इनका क्या करें मां। इतने दिनों में आज तक ना हम किसी पड़ोसी के पास गए और ना उन्हें कभी हमारे पास आने की जरूरत पड़ी, इनकी वजह से आज सब हमसे झगड़ा करने पहुंचे थे।


प्रदीप:- सर वो सब तो आप लोगों से वैसे भी जलते है, बस उन्हें आपके साथ झगड़ा करने का मौका चाहिए था। प्लीज, प्लीज, प्लीज, मारना मत।


गुफी:- हां ये सही कह रहा है मैम ।


"रुका क्यों है मार दोनों को एक-एक डंडे"… नंदनी के आदेश पर पुनः डंडे चल गए। इधर दोनों छटपटा रहे थे उधर नंदनी अपनी बात आगे बढ़ाती हुई…. "मेरे पड़ोसी या अपार्टमेंट वाले मुझसे क्या बैर रखते हैं, वो मै समझ लूंगी, बात तो अभी ये है को तुम्हारी इतनी गन्दी हरकतों पर क्या सजा दी जानी चाहिए।"..


गुफी:- बीवी तो पहले छोड़कर भाग गई है, इससे बड़ी और क्या सजा होगी?

प्रदीप:- अरे गुफी भाई, भाभी के याद में आशु बाद में बहा लेना, पहले अपनी जान तो बचाओ। मैम हम दोनों सजा के लिए तैयार हैं लेकिन अभी आप ने हमारा पक्ष नहीं सुना है।


आरव:- जरा शॉर्ट में समझा अपना पक्ष।


गुफी:- इस फ्लोर के आखिर में है सक्सेना फ़ैमिली। वहां का फ्लैट ऑनर 2 रात जबरदस्ती हमारे क्वार्टर में घुसकर दारू पिया और हमे खूब गालियां दिया। 1 दिन छोड़ दिया, दूसरे दिन बर्दास्त किया लेकिन तीसरे दिन धक्के मारकर निकाल दिया।


प्रदीप:- नीचे के फ्लोर पर है जुनेजा फैमिली। वहां की एक पागल लड़की को हमारा क्वार्टर 3 घंटे के लिए चाहिए था, जिसके वो पैसे भी ऑफर कर रही थी। ये जिस लड़की से आप बात कर रही थी उसका भाई और भी 8-10 लोग हैं जिनमें तो कुछ शादीशुदा भी है, उन्हें भी क्वार्टर कुछ घंटों के लिए चाहिए था।


गुफी:- कुछ लोगों को तो लंबोर्गिनी चलानी थी वो भी आप के जानकारी के बिना। तो कुछ लोगों का काम हमने नहीं किया था तो अपनी-अपनी गाडियां ऐसे पार्क करते थे, कि जगह ही नहीं बचे। शुरू के 4-5 दिन इन लोगों ने हमे बहुत परेशान किया, फिर हमने भी बदला ले लिया।


नंदनी:- हम्मम ! और वो जो तुम उस कामवाली के साथ कर रहे थे वो क्या था फिर।


प्रदीप:- हम उसे भी उसके कर्मों की सजा दे रहे थे।


नंदनी:- बातें तो बड़ी बड़ी करते हो, कर्मों की सजा, जैसा किया उसका बदला लिया। अब ये बताओगे की कैसे उसके कर्मों की सजा दे रहे थे?


गुफी ना में इशारा कर रहा था और प्रदीप उसकी बातों को समझ नहीं पाया और बोलता चला गया…. "वो काम वाली के चक्कर में आपकी ऑडी कार को 30000 रुपए के लिए गिरवी रखना पर गया।"…. प्रदीप ने जैसी ही यह बात बोली, आरव कुछ हरकत में तो आया लेकिन नंदनी अपने इशारे से शांत खड़े रहने के लिए बोलकर, प्रदीप को बात पूरी करने बोली… प्रदीप भी अपनी बात पूरी करते हुए कहने लगा… "उस कामवाली सरोजा ने गुफी से शादी का वादा करके 50000 रुपए ऐठ लिए और अब नाटक कर रही है। गुफी भाई ने एक दिन उसके जुग्गी पहुंच गए पैसे मांगने, वहां सरोजा के कुछ लोगों ने गुफी को बहुत पीटा भी था।"


नंदनी:- हम्मम ! तो ये बात है। आरव इस गुफी को 4 डंडे मार पहले, सबके सामने उसकी नीच हरकत के लिए। अब ये बताओ तुम्हारी जुबान कि क्या कहानी है।


गुफी:- मैम अब कोई गाली खाने लायक काम करेगा तो गाली ही दूंगा ना।


नंदनी:- तुम अब तक इसे मारे नहीं। उधेड़ दो इस गुफी की पीठ और काम से बाहर निकालो।


गुफी नंदनी के पाऊं पकड़ते… माफ़ कर दीजिए मैम प्लीज माफ़ जर दीजिए।


नंदनी:- पाऊं छोड़ो मेरा और ध्यान से सुनो, किसने तुम्हारे साथ क्या किया उसके बदला लेने का मतलब यह नहीं कि तुम बदले के आड़ में किसी औरत को पब्लिक में ऐसे छेड़ो या फिर गालियां देते रहो। पहली और आखिरी बार कह रही हूं, गांठ बांध लो ये बात। आरव हमारे लोगों को जिस-जिस ने नौकर समझा है, उसे उसके किए की सजा कल ही मिल जानी चाहिए। और कहीं ये दोनों झूठे निकले तो इनकी जुबान काटकर इन्हे काम से निकाल देना।


आरव दोनों की इशारे करते… चलिए सर मज़े कीजिए। मां मै जरा कमरा भी देख आऊं इनका…


दोनों आगे-आगे और आरव पीछे पीछे… तीनों क्वार्टर में जैसे ही पहुंचे…. "क्यों बे तुम लोगों ने सच कहा था या बचने के लिए कोई कहानी गढ़ी थी।"


प्रदीप:- ये साले पैसे वाले बिना मतलब के किसी को टोकते भी है क्या भाई? वैसे भी मैम थी तो हमने बहुत फिल्टर करके बताया वरना हमारे क्वार्टर को तो कुछ लौंडे आयाशियों का अड्डा बनाना चाहते थे, खासकर वो जो लड़की थी ना श्रेया उसका भाई। ठीक उसके फ्लैट से लगा है हमरा क्वार्टर तो उसकी नजर ज्यादा थी।


गुफी:- अरे वो उसकी गर्लफ्रेंड जो है जुनेजा फैमिली वाली उसका भी तो बताओ।


प्रदीप:- हां भाई वो भी। वो जो लड़की है, वो तो आपके पड़ोसी को तो फसाए है उसके अलावा एक और बाहर के लड़के को फसाए है। उसे भी अपने आईयाशियों के लिए कमरा चाहिए था। मदर.. सॉरी भाई, अब ऐसे में गाली नहीं निकले तो क्या निकले, लगभग 2 कुंवारों के सामने कोई ऐसे करने की बात करे सोचो हम पर क्या बीतती होगी।


गुफी:- लेकिन हमने किसी को भी इस क्वार्टर में घुसने तक नहीं दिया। 30000 के ड्राइवर की नौकरी और रहना कौन आजकल देता है।


आरव:- हम्मम ! समझ गया मै। चलो रिलैक्स हो जाओ लड़कों। कल इस पूरे अपार्टमेंट को ही सजा मिलने वाली है।



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आज की सुबह ही फ्लैट लैंड की थी और सबके साथ पार्थ और वीरभद्र भी थे। नंदनी ने काफी कोशिश की, लेकिन पार्थ, वीरभद्र के साथ राजस्थान के लिए निकल गया। दोनों दिल्ली से जयपुर फ्लाइट से पहुंचे और उसके आगे जयपुर से उदयपुर और उदयपुर से उसके गांव तक का सफर कार से करनी थी।


लगभग शाम हो चुकी थी दोनों को पहुंचने में। उदयपुर से लगे होने के कारन वीरभद्र के गांव में सभी सुविधाएं थी यदि तुलना करें सुदूर के गांव से। कच्चे-पक्के मकान के बीच एक खूबसूरत बिल्डिंग भी दूर से दिखने लगी।… "वीरे, तेरे गांव के मुखिया का घर है क्या वो?"


वीरभद्र:- अरे नहीं भाई वो हमारा घर है।


पार्थ:- क्या छोड़े तू तो बड़ा अमीर निकला।


वीरभद्र:- यह तो मेरे गुरुदेव आरव की असीम कृपा है जिनके वजह से यह मकान खड़ा हुआ है। अभी तो हमरा गृह प्रवेश भी नहीं हुआ है.. अपने आने का सबको पहले से बता दिया था इसलिए कल ही गृह प्रवेश की पूजा भी रखी है। बस यहां पंडित के ही आने का बहुत बड़ा लफड़ा है।


पार्थ:- इसमें इतनी चिंता की क्या बात है, तेरे साथ है तो पंडित। मै गृह प्रवेश करवा दूंगा लेकिन उसके लिए 21121 रुपया लूंगा।


वीरभद्र:- हाहाहाहा.. क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई।


पार्थ:- तू क्या पागल है। मै तो शादी से लेकर सारे कर्मकांड की पूजा करवाता हूं। यूरोप में तो ये मेरा पार्ट टाइम बिजनेस था।


वीरभद्र:- ठीक है भाई फिर आप ही पूजा करवा देना। भाई एक काम और था?


पार्थ:- हां वीरे बोल ना..


वीरभद्र:- क्या आप मेरी बहन निम्मी को थोड़ा अंग्रेजी सीखा दोगे। क्या है कुछ दिन बाद दिल्ली जाएंगे तो सोच रहा था कि सबको अपने साथ ही रखूं। अकेले मज़ा नहीं आता रहने में। फिर अंग्रेजी सीख जाएगी तो सहर के हिसाब से पढ़ा लिखा लड़का मिल जाएगा, वरना मेरी मां की तरह उसकी भी ज़िन्दगी गांव में बीत जाएगी।


पार्थ:- एक बात बता फिर जो हमने 10000 डॉलर का खर्चा करके तेरे लिए प्रेसनलाइटी डेवलपमेंट वाली जो टीचर रखी, उसने कुछ नहीं सिखाया क्या?


वीरभद्र कहीं गुम होते… "वो तो कमाल की टीचर थी भाई, ऐसे टीचर पहले मिली होती तो मैं इंग्लिश क्या फ्रेंच रशियन और चाइनीज भी सीख जाता।"


पार्थ:- बस कर लौंडे कहां उस बेचारी को तू नंगे इमेजिन करने लगा। साले गुरु-शिष्य का रिश्ता खराब कर दिया।


वीरभद्र:- क्या भाई, मैंने कोई रिश्ता खराब नहीं किया। वो मुझे सेक्स एजुकेशन दे रही थी और मैं सीख रहा था।


पार्थ:- साले पोर्न एजुकेशन कहते हैं उसे, सेक्स एजुकेशन नहीं।


वीरभद्र:- बस करो भाई, अब वो दौड़ गुजर गया है। लो हम पहुंच गए।


वीरे जैसे ही पहुंचा बैंड बजने लगे। ऐसा लग रहा था पूरा गांव उठकर उसके स्वागत के लिए पहुंच चुका हो। लोग फूल-माला डालकर स्वागत कर रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे कोई नेता पहुंचा हो। वीरभद्र के साथ-साथ पार्थ का भी स्वागत हुआ। दोनों को बीच सभा में बिठाया गया और उसके पास में गांव का मुखिया।


अबतक तो पार्थ को समझ में नहीं आया कि ये आखिर इन गांव वालों को हुआ क्या है, लेकिन जैसी ही उस सभा में वीरभद्र से गांव की पंचायत के लिए 1 लाख की मांग हुई, पार्थ को पूरी कहानी समझ में आ गई। वीरभद्र ने भी बिना दोबारा उनके मांगे 1 लाख रुपए पंचायत को दान कर दिए, साथ में 50000 वहां पर कॉलेज लाने के प्रयत्न कर रहे लोगों के लिए अनुदान दिया, जो गांव के लिए मेहनत कर रहे थे।


पैसा मिलते ही वीरभद्र की जय जयकार करते सारे गांव वाले वहां से निकले। उनके निकलते ही वीरभद्र, पार्थ के साथ एक छोटी सी गली के रास्ते, उस बड़े बंगलो के पीछे जाने लगा, जहां कुछ कच्चे मकान बने हुए थे। छोटी सी गली से जैसे ही दोनों थोड़ा आगे बढ़े.. अल्हड़ सी एक लड़की, घाघरा चोली पहने, रास्ता रोके खड़ी थी। ऐसा लग रहा था अभी-अभी धूल मिट्टी में नहा कर आयी हो। ऊपर से नीचे तक पूरे धूल में वो डूबी नजर आ रही थी।..


वीरभद्र:- क्या हुआ आज घर नहीं जाने देगी क्या मुझे..

तभी मां संकुंतला आरती की थाली लिए, ठीक उसके पीछे खड़ी होकर कहने लगी… "रास्ता छोड़ ना अपने भाई का, अभी तो वो आया है, अभी ही जाकर लाडवा दे सबसे।"..

वीरभद्र:- निम्मी देख हमारे साथ मेहमान आए हुए है। इन्हे ऐसे खड़ा करना अच्छा नहीं लगता।


"जबतक आप बदला नहीं लेते तबतक मै प्रतिशोध की आग में जलती रहूंगी। और जबतक ये प्रतिशोध की ज्वाला जलेगी, तुम्हारी बहन अन्न का एक निवाला नहीं लेगी।".. निम्मी अपनी बात कहती दोनों का रास्ता छोड़कर वहां से सीधा एक कच्चे मकान में घुस गई और धड़ाम से दरवाजा बंद कर लिया…


क्या तेवर थे.. पार्थ जब उसे सुना तो सुनकर ही दंग रहा गया। बिल्कुल किसी तेज छुड़ी की तरह जुबान और आखों में कोई रहम ना बची हो जैसे। क्या एटिट्यूड था, अपनी बात कहकर सीधा अपने कमरे में…


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रात के 8 बजे ऐमी उस कार्गो की डिलीवरी लेकर खोलने में व्यस्त थी, जिसकी शॉपिंग अपस्यु ने यूएसए में किया था। वो अपने स्टोर हाउस में अभी पार्सल खोलना शुरू ही की थी, तभी उसके फोन की घंटी बजी…


"हेल्लो नील"… ऐमी कॉल उठकर बोली..


नील:- तुम्हे पता भी है कुछ यहां मेरे साथ क्या हो रहा है? तुमसे यह उम्मीद नहीं थी ऐमी।


ऐमी:- क्या हो गया मेरे बेबी को? आज बहुत उदास लग रहा है।


नील:- तुम मुझसे अभी मिलो ऐमी? प्लीज आ जाओ बहुत कुछ है जो तुम्हे बताना है। आई मिस यू माय लव।


ऐमी:- ठीक है बेबी, कहां आना है बताओ…


नील:- मेरे सुनसान और वीरान घर में ऐमी, और कहां आओगी?


ऐमी:- ठीक है बेबी, अब वो घर सुनसान और वीरान नहीं होगी। 1 घंटे में तैयार होकर पहुंचती हूं।


नील:- सुनो स्वीटहार्ट, मेरे पास आने के लिए तुम्हे तैयार होने की जरूरत नहीं, जिस हाल में हो निकल आओ। आई रियली नीड यू।


"ठीक है बाबा समझ गई.. बस अपनी नीड को जरा संभालो, मै 10 मिनट में पहुंच रही हूं… लव यू स्वीटी।"…
Fantastic update bhai
 

Naina

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कुंजल का इतना कहना था कि स्वस्तिका ने उसे एक तमाचा देते हुए नंदनी से कहने लगी… "मां आप आगे देखो, इसको मैंने आप की तरफ से थप्पड दे दिया है।"..


सबके बीच थप्पड पड़ने से गुस्साई कुंजल ने पीछे से स्वस्तिका के लंबे बाल को पकड़ कर पूरा खींच दी। जैसे ही वो बाल खींची पीछे से लावणी और साची के जोड़-जोड़ से हसने की आवाज़ आने लगी और सामने बैठे ये दोनों गुफी और प्रदीप भी अपना मुंह दबाए हंस रहे थे। इसके पूर्व जब कुंजल ने स्वस्तिका का बाल खिंचा तो उसके हाथ ने स्वस्तिका का पूरा बाल ही चला आया और उसे बाल के नीचे स्वस्तिका के छोटे-छोटे असली बाल दिखने लगे।
ha ha ha ha ha ha ha :roflol: :roflol:
matlab swastika ganji hai.... :roflol:
kab se :roflol:
....... bala re bala o bala :roflol:
Achha hua joh ghar k bhitar iski pol Khuli... :lol:
yeh kis kis ko malum hai ki ye swastika ganji takli hai... :lol:
Waise tel maalish karati hai ki nahi chaand sa chamakt sar pe... :D
pata nahi ab kaise kaise defective piece nikle us ghar se oppss sorry us flat se :D
................
Khair nainu uspar hasniyega nahi ok :D
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills.. :applause: :applause:
 
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