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सुबह 4 बजे जबसे वो उठी, ट्रेनिंग एरिया में उसे देखकर अपस्यु और अराव के दिमाग काम करना बंद कर चुका था। और बस कुछ ही देर की बात थी जब मां भी जाग जाती और उन्हें भी सबकुछ पता चल जाता।
आरव:- अपस्यु, कुछ कर भाई, इसकी हालत मुझ से देखी नहीं जा रही।
कुंजल:- फ़िक्र मत करोओ ओ…… (इतना बोलते बोलते कुंजल धाराम से गिर गई)
"अपस्यु… अपस्यु"… आरव कुंजल को पकड़ कर चिल्लाने लगा… "शांत.. आरव, मां को पता चल जाएगा। चल हॉस्पिटल चलते हैं।"
कुछ इंजेक्शन और स्लाइन की बॉटल चढ़ाने के बाद डॉक्टर साहब दोनों भाई के पास पहुंचे…. "कब से ड्रग्स लेे रही थी"..
अपस्यु:- पता नहीं सर, कोई कॉम्प्लिकेशन तो नहीं है।
डॉक्टर:- वो मैं अभी नहीं बता सकता, पेशेंट की कंडीशन जब स्टेबल होगी तभी कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल तो मुझे ये जानकारी चाहिए कि ये कितने दिनों से ड्रग्स लेे रही थी।
अपस्यु:- कुछ कह नहीं सकते सर कब से लेे रही, बस हमे भी 10 दिनों से पता है। लेकिन इसने 10 दिनों में ड्रग्स को हाथ तक नहीं लगाई।
डॉक्टर:- हां जानता हूं। ब्लड में ड्रग्स की कोई मात्रा नहीं है और इसका दिमाग उस ड्रग्स की मांग कर रहा है। पूरा सीएनएस (सेंट्रल नरवस सिस्टम्स) पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है।..
डॉक्टर साहब अपनी बात कहकर चले गए और दोनों भाई कुंजल के बेड के पास बैठकर उसका हाथ थामे चेहरे को देख रहे थे…. थोड़ी देर में नंदनी भी हॉस्पिटल पहुंच गई। दोनों भाई अब भी कुंजल का हाथ थामे बस उसी को देख रहे थे। इसी बीच नंदनी वार्ड में पहुंची। काफी गुस्से में लग रही थी और आते ही अपस्यु को 2 थप्पड खींचकर लगाई।…. "मर जाने देते, इसको हॉस्पिटल क्यों लेकर आए".. नंदनी चिल्लाते हुए बोलने लगी।
अपस्यु, नंदनी को खुद में समेट कर…. "शांत हो जाओ मां, कुछ नहीं हुआ .. शांत। आप यहां आराम से बैठ जाओ" … नंदनी वहीं चेयर पर बैठ गई, अराव ने उसे तुरंत पानी पिलाते हुए कहने लगा…. "बच्चे ही तो हैं, गलती हो जाती है, और कुंजल ने तो सबकुछ छोड़ दिया है तब उसे हॉस्पिटल आना पड़ा है। ऐसे वक़्त में आप उसे हौसला नहीं देगी तो वो अपने इस बुरे लत को कैसे छोड़ पाएगी"..
अपस्यु:- आरव सही कह रहा है मां। आप मुस्कुराओ और मुस्कुरा कर कुंजल की हिम्मत बढ़ाओ।
नंदनी:- एक शब्द भी नहीं। चुप !! इसकी वजह से पुलिस घर तक अाकर गई है और सबके सामने उन्होंने जो अपशब्द कहे। और फिर ये इसके फोन पर कैसे कैसे कॉल अा रहे है। कितनी गंदी-गंदी गालियां दे रहे है, और तो और मुझ से कह रहे हैं आज तेरी बेटी को मशहूर कर दूंगा। इसकी ऐसी ऐसी तस्वीर भेजी है कि मन तो कर रहा है अभी गला घोंटा दू।
अपस्यु वहीं कुछ देर बैठा रहा। केवल इस बात पर जोड़ देकर समझता रहा की "आज कल हैक के जरिए बहुत सी लड़कियों को फसाया जा रहा है। इसके लिए बहुत से कानून बने हैं.. और अगर कोई चोरी से हमारे घर की लड़की की तस्वीर वायरल कर रहा है तो हमे चोर को पकड़ना चाहिए या फिर जिसके साथ बुरा हो रहा हो उसी का गला घोंटा देना, कहां तक की समझदारी है।"..
अपस्यु को सुनने के बाद नंदनी का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ लेकिन कलेजे में आग अब भी लगी थी….. "मैं नहीं जानती की तू क्या करेगा लेकिन ऐसी तस्वीरें अगर वायरल हुई तो मैं आत्महत्या कर लूंगी"
"आप चिंता मत कीजिए, कुंजल के जागने से पहले मैं सरा मामला निपटा लूंगा। अराव मां के पास तू रुक"… अराव भी चार कदम साथ चला, "मैं भी चल रहा हूं तेरे साथ"…………... "नहीं इस वक़्त हम में से एक का यहां रहना यहां जरूरी है। तूने उस फ़िरदौस की कुंडली कहां रखी है।"….…. "वहीं सेफ में है।" …..….. "ठीक है आरव, तू मां के पास रुक"…..…. "प्लान करेगा या सब कुछ अचानक, ये तो बता दे"………. "आरव, तुझे क्या लगता है इस वक़्त मै बैठकर प्लान करूंगा। जैसा-जैसा दिमाग में आएगा वैसा-वैसा करता चला जाऊंगा। आज स्वयं महादेव मुझ में विराजमान है। रौद्र रूप देखेंगे मेरा।…... "अपस्यु, किसी को भी मत छोड़ना और ना ही वहां कोई सबूत मिले, पूरा तांडव करना"
अपस्यु फ्लैट वापस आया… किसी साधु की भांति हवन कुंड जला कर उसमें अग्नि प्रजॉल्लित की। कुछ समय के यज्ञ के बाद उसने रक्त तिलक किया। युद्ध का बिगुल बजाकर संख्णद किया और खुद को तैयार करने लगा।
वहां से सीधा वो पुलिस चौकी निकला और जाकर उस थानेदार के सामने बैठा जिसने बदतमीजी की थी। जाते ही 1000 की 2 गाडियां उसके आगे पटकते…. "फ़िरदौस से मिलना है मुझे।"
थानेदार:- तू कौन है बे और ये जो तू नोट फेंक रहा…
बोल ही रहा था कि अपस्यु ने फिर से एक गद्दी फेकी… फिर वो कुछ बोलने के हुआ… अपस्यु ने फिर एक गद्दी फेकी… 5 गड्डियां फेंके जाने के बाद जब वो दोबारा मुंह खोल, अपस्यु ने सारे नोट समेटना शुरू कर दिया। थानेदार उसका हाथ पकड़कर… "तू तो गुस्सा हो रहा है छोटे। चल मिलवाता हूं तुझे फ़िरदौस से। अपनी गाड़ी तो लाया है ना"
दोनों वहां से निकल गए दिल्ली-हरियाणा के हाईवे पर। थोड़ा अंदर जाकर एक वीराने में, खेतों के बीचों बीच चल रहा था ये जहर बनाने का कारोबार। अपस्यु पैदल-पैदल आगे बढ़ रहा था और साथ में अपनी वॉच डिवाइस को भी हवा में उड़ाता जा रहा था, जिसका फोकस आगे था।
खेत के बीच की पगडंडी पर वो रुका और वहीं बैठकर चारो ओर का जायजा लेने लगा…. "तू ये क्या कर रहा है चुटिया… कहीं तू यहां कोई कांड तो करने ना आया।"
वो बोल ही रहा था इतने में उसकी सर्विस रिवॉल्वर अपस्यु के हाथ में…. "चू-चपर नहीं। वरना ये जो मैंने अभी उड़ाया है ना, ये ना केवल मुझे आगे देखने में मदद करता है बल्कि इससे मैं एक छोटा धमाका भी कर सकता हूं। एक धमाके से भले कुछ ना बिगड़े लेकिन अपने सर पर देख.. इतने सारे एक साथ फोड़ दिए ना तो तेरे बदन के भी इतने ही छोटे चीथरे होंगे.. इसलिए अब चुपचाप पास पड़ी गोली भी ला और तमाशा देख"…
अपस्यु किसी पागल कि तरह सिना चौड़ा किए आगे बढ़ा… 4 कदम आगे जाते ही 2 लोगों ने उसका रास्ता रोका… अपस्यु ने धाय-धाय करते 2 फायरिंग की और दोनों अपना पाऊं पकड़ कर कर्रहाने लगे। फायरिंग की आवाज़ सुनते ही लोग हथियार लेकर निकले।
कहीं कोई नहीं बस 2 लोगों के कर्रहाने की आवाज़। कुछ लोग दौड़ कर उस आवाज़ के पास पहुंचने लगे… इधर अपस्यु घने धान में लेटा वॉच डिवाइस से 4 लोगों को आते देखा… पहली फायरिंग एक ढेर और अपस्यु ने अपनी जगह बदली।
फायरिंग के साथ ही वहां के इलाकों में उड़ रहे डेवाइस से भी "भिन-भिन" की आवाजें शुरू। सभी पागल होकर गोली चलाने वाले को ढूंढ़ने लगे। जहां-तहां पागलों की तरह गोलियां चला रहे थे। ऐसे माहौल को देखकर थानेदार को भी अपने जान कि चिंता होने लगी और उसने भी तुरंत वायरलेस करके बैकअप भेजने के लिए बोल दिया।
बस एक ही निर्भीक था वहां जो आगे बढ़ते हुए सबको ऐसे गोली मार रहा था, कि उनके दिलों में खौफ बढ़ता जा रहा था। इसी बीच फ़िरदौस को जब कुछ समझ में नहीं आया और उसे लगा कि पुलिस का कोई बड़ा ऑपरेशन चल रहा है, तब वो अपनी जान बचाकर भागने लगा, लेकिन अपनी मौत से कौन भाग पाया हैं।
अपस्यु भी खड़ा हुआ… शारीरिक क्षमता ऐसी की जब उसने दौड़ लगाई तो पल भर में यहां से वहां… वो तेज लहरों की भांति आगे बढ़ रहा था और रास्ते में आने वाला हर कोई गोली खाकर चिल्लाते हुए नीचे गिरते जा रहा था। बस कुछ समय और फ़िरदौस के पाऊं पर अपस्यु ने एक लात जमा दिया।
लड़खड़ा कर वो नीचे जा गिरा… अपने दोनो हाथ जोड़कर वो आत्मसमर्पण करने की बात कहने लगा…. गुस्से में अपस्यु ने उसके मुंह पर एक लात जमा दिया। उसका जबरा टूट चुका था और मुंह से खून बाहर आने लगा। दर्द में कर्राहते हुए उसने फिर रहम कि भीख मांगी। एक और लात मुंह पर फिर से जमाया.. जबड़ों की ज्योग्राफीया बदल गया।
एक हाथ अपने मुंह पर रखकर, एक हाथ आगे उसे दिखाते बस का इशारा करने लगा… गुस्से में अपस्यु ने इस बार पसलियों पर लात मारी। तीन पसलियां टूट चुकी थी। फ़िरदौस के आखों के आगे अंधेरा छा गया, उसमे अब कोई भी चेतना नहीं बची थी। लेकिन अपस्यु का गुस्सा अब भी कम नहीं हुआ।
दाएं कॉलर बोन पर फिर से तेज-तेज 2 लात जमा दिया और अंत में 10mm का एक सरिया उसके जांघ के ठीक ऊपर वाले हिस्से जहां "फीमर बोन" होता है, वहां वो सरिया इस पार से उस पार घुसेड़ दिया। दूसरे सरिया को पर में ऐसे घुसेड़ा की उसके किडनियों के बीचोबीच से लेकर लिवर फाड़ते हुए पेट के दाएं से बाएं वो सरिया निकल अाई। थानेदार डर से कांपता हुआ वहीं कुछ दूर पीछे खड़ा था।
"मेरे साथ चल"… अपस्यु थानेदार को घूरते हुए बोला। वो बिना कोई शब्द कहे अपस्यु के साथ चल दिया। रास्ते में चलते-चलते अपस्यु ने वहां हुए हर डैमेज का ब्योरा उस थानेदार को दिया। किसे कहां गोली लगी, कौन कितना डैमेज है और कितने वक़्त तक इलाज ना मिलने के कारण वो मर सकते हैं। बस केवल फ़िरदौस को छोड़कर जो हॉस्पिटल में ज्यादा से ज्यादा 2 दिन तक दर्द झेलेगा लेकिन मारना उसका निश्चित है।
बात करते करते दोनों एक झोपड़े में पहुंच गए, जहां नशे के समान का रख-रखाव होता था।अपस्यु ने टेबल पर पड़ी लैपटॉप को अपने बैग में डाला, जबकि फ़िरदौस का फोन वो पहले ही लेे चुका था.. उसके यहां का काम ख़त्म हुआ… थानेदार के साथ फिर वो बाहर निकला, वहीं पास पड़े एक अपराधी का गन उठाकर थानेदार के कंधे पर सीधा गोली मारी… गोली लगते ही वो चिल्लाने लगा…
अपस्यु, उसकी सर्विस रिवॉल्वर वापस करते हुए…. "तुम बिना घायल हुए अकेले इतना बड़ा कांड कैसे कर सकते हो… अच्छी सी कहानी सोचो जबतक तुम्हारा बैकअप पहुंचता होगा। अभी 2 लोग और हैं लिस्ट में।