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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Ajju Landwalia

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अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय अतुलनीय संभोग की पराकाष्ठा को प्राप्त करके मधुर गहरी गहरी सांस ले रही थी इस अद्भुत सुख से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी,,, मधु ने कभी भी इस तरह के संभोग की कल्पना भी नहीं की थी राजू उसके ऊपर पूरी तरह से डर चुका था और गहरी गहरी सांस लेता हुआ हांफ रहा था,,,, राजू का लंड अभी भी उसकी मां की बुर की गहराई में समाया हुआ था,,,, मधु की गहरी सांसे और उसका लाल-लाल तम तमाता हुआ चेहरा साफ बयां कर रहा था कि वह संपूर्ण रूप से तृप्ति को महसूस कर पाई थी,,, चुदाई के असली सुख से मधु आज जाकर वाकिफ हुई थी,,,,, मधु अपनी मां के नंगे जिस्म पर लेटा हुआ था उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर सर टिकाएं गहरी गहरी सांस ले रहा था ,,,,,,,। मधु अपने बेटे की नंगी पीठ को सहला रही थी,,,, ,,, बाहर अभी भी बड़े जोरों की बारिश हो रही थी,,,,,, बाहर का तूफान अभी भी जारी था लेकिन अंदर का तूफान कुछ देर के लिए शांत हो गया था,,,, खंडहर के अंदर अब किसी भी प्रकार की मादकता और मदहोशी भरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी बस केवल तेज हवाओ और तेज बारिश का शोर सुनाई दे रहा था,,,, बेल के गले में बंधी घंटी बार-बार बज‌ उठती थी।
मधु लव लगाकर अपना पानी छोड़ी थी और राजू भी अपनी गर्म लावा से अपनी मां की बुर को पूरी तरह से भर दिया था और धीरे-धीरे वह बुर से बाहर भी निकल रहा था,,,, झड़ने के बावजूद भी राजू का लंड पहले ही की तरह एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,। उसकी मां अभी भी हैरान थी कि पानी निकल जाने के बाद भी उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसकी बुर के अंदर अभी भी अपनी मोटाई और लंबाई के साथ-साथ रगड़ महसूस करवा रहा था,,,, जो कि रह-रहकर अभी भी झटके खा रहा था,,,,,,।

धीरे-धीरे आधी रात समय हो चुका था ऐसे में राजू अपनी मां की बुर में लंड डाले उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसकी मां अपने बेटे की मेहनत की सराहना के रूप में उसकी पीठ थपथपा रही थी क्योंकि मधु के लिए तो उसके बेटे द्वारा किया गया यह कार्य बेहद सराहनीय था क्योंकि आज तक उसने चुदाई का असली सुख महसूस नहीं कर पाई थी जो कि आज उसके बेटे ने तूफानी रात में इस खंडहर में अद्भुत चुदाई का प्रदर्शन करते हुए उसद पूरी तरह से तृप्त कर चुका था,,,,। धीरे-धीरे दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त कर रहे थे राजू आज बहुत खुश नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी दुनिया का सबसे खुशनसीब बेटा है जो इतनी खूबसूरत औरत की बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,, जिसके बारे में सोच सोच कर और उत्तेजित होता था और अपने लंड को हिलाता था आज उसी को अपनी अद्भुत मर्दाना ताकत के साथ चुदाई करके तृप्त कर चुका था और वह खुद भी तृप्त हो चुका था लेकिन,,, राजू की प्यास इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी,,,,, वह अपनी सांसों को दुरुस्त करके अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाले हुए ही अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

कैसा लगा मा ‌सच सच बताना,,,,,,
(राजू के कहे गए एक एक शब्द में शरारत भरी हुई थी वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था लेकिन मालूम थी कि अपने बेटे के सवाल पर एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली तो राजू खुद अपनी मां के प्यासे लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, मधु शर्मा कर अपने चेहरे को इधर-उधर कर रही थी लेकिन राजू कहां मानने वाला था वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को किसी फूल की भांति अपने दोनों हथेली में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों का फिर से रसपान करना शुरू कर दिया राजू का अपनी मां के होठों पर यह पहला चुंबन था जो कि बेहद गहरा था पल भर में ही मधु पूरी तरह से मस्त होने लगी राजू अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पी रहा था मानो कि जैसे उसमें से मध झड़ रहा हो,,,, मधु के लाल-लाल होठों का रस किसी मदिरा से कम नहीं था पल भर में ही उसका नशा राजू के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा आंखो में खुमारी छाने लगी एक बार फिर से मधु को अपने बेटे का लंड अपनी बुर की गहराई के अंदर ही मोटा होता हुआ महसूस होने लगा,,,, मधु के लिए यह पल यह एहसास बिल्कुल नया था उसने आज तक ऐसा महसूस कभी नहीं की थी अपने पति से जब भी चुदवाती थी उसका पानी निकलने के बाद ही वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता था लेकिन राजू था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था मधु को लग रहा था एक बार फिर से उसका बेटा तैयार हो रहा है इस बात से मधु पूरी तरह से हैरान थी,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास था कि जब से वह खंडहर में आई थी तब से उसके बेटे का लंड टनटनाकर खड़ा हो चुका था और अभी भी चुदाई करने के बावजूद भी फिर से तैयार हो रहा था इतनी मर्दानगी उसने आज तक अपने पति में कभी नहीं देखी थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित ही थी और इस बात का उसे गर्व भी था कि उसने एक मर्द को जन्म दिया था,,,, राजू पूरी तरह से अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पीने में मजबूर था और अपने दोनों हाथों से अपनी मां के खरबूजे जैसी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था यह सब मधु को फिर से उत्तेजित कर रहा था और राजू खुद उत्तेजित हो चुका था लेकिन मधु अभी तैयार नहीं थी वह थक चुकी थी और जिस तरह की चुदाई उसके बेटे ने अपने मोटे हथौड़े जैसे लंड से किया था उसकी थाप से उसकी पुर दर्द करने लगी थी लेकिन राजू की हरकत ने एक बार फिर से उसके तन बदन में मदहोशी भर दिया था अपनी नजरों को उसी अवस्था में खंडहर के बाहर की तरफ घुमाई तो अभी भी बाहर तेज बारिश हो रही थी और मन ही मन बोलने लगी कि यह बारिश कब बंद होगी ऐसी बारिश उसने आज तक नहीं देखी थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवाओं का झोंका और शोर करती हुई बारिश की बूंदे सब कुछ भयानक सा माहौल पैदा कर रहे थे लेकिन इस खंडहर में उसके बेटे की वजह से जैसे कि बहार आ गई थी जंगल में पुरानी खंडहर में चुदवाने का मधु का यह पहला अवसर था जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को तृप्त कर चुकी थी,,,, मधु जानती थी कि उसका बेटा फिर से उसे चोदने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका था लेकिन वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह काफी थक चुकी थी इसीलिए राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,,।


हट मेरे ऊपर से दर्द कर रहा है,,,,(राजू चाहता तो अपनी मां के ऊपर से हटता नहीं और ना ही मधु उसे हटा सकती थी लेकिन फिर भी दर्द का नाम सुनकर राजू अपनी मां के ऊपर से हटने लगा और अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकालने लगा जैसे ही लंड बुर से बाहर,, निकला,,उसम से लंड को निकलते समय पुच्च की आवाज आ गई ,,, जिसको सुनकर मधु एकदम से शर्मा गई,,, और उठ कर बैठ गई राजू भी आराम से उठ कर अपनी मां की तरह बैठ गया था,,,, धीरे-धीरे लकड़ी में आग कम हो रही थी लेकिन उसकी तपन अभी भी बरकरार थी लेकिन उससे ज्यादा तपन राजू को अपनी मां के बदन से प्राप्त हुआ था वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था आखिरकार मेहनत जो इतना किया था,,,, मधु अपनी बुर की तरफ देखते हुए राजू से बोली,,,।

बाप रे पूरी कमर दर्द करने लगी,,,,(दोनों हाथों से अपनी कमर को पकड़ते हुए बोली तो राजू बोला,,,)

इतनी तेज धक्के जो लगाया हूं मैं यकीन से कह सकता हूं कि पिताजी इस तरह से तेज धक्के कभी नहीं लगाते होंगे,,,
(अपने बेटे की इस बात पर मधु फिर से शर्मा गई और राजू से बोली)

अच्छा जैसे तुझे मालूम है कि तेरे पिताजी कैसे धक्के लगाते हैं देखता था क्या,,,?
(राजू का मन तो कर रहा था कि बता दे कि अपने कमरे के छोटे से छेद से हर रोज तुम्हारी चुदाई देखता था लेकिन फिर भी वह इस बात को बताना ठीक नहीं समझा और बोला)
देखा तो नहीं हूं लेकिन पिताजी के शरीर को देखकर मुझे पता तो चलता है कि कितने तेज धक्के लगा सकते हैं पिताजी पास में तुम्हारी चुदाई देख पाता तो मजा आ जाता,,,,
(मधु कुछ बोली नहीं बस खामोश रहे और बाहर बारिश को देखती रही जो की पूरी तरह से रात को अपनी आगोश में लेकर जी भर के बरस रहा था जैसा कि अभी-अभी उसके बेटे ने बरसा था,,,, अपनी मां की नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसकी चिकनी पीठ को सहला ते हुए राजू बोला,,,)

एक बात तो है मां दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है ऐसा लगता है कोई जवान औरत की बुर हो और किसी का लंड बुर में ली ना हो,,,,,,
(अपने जवान बेटे की मुंह से अपनी कसी हुई बुर की तारीफ सुनकर मधुर एकदम से गदगद हो गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जालिम है तू मार-मार के मेरी बुर को तहस-नहस कर दिया और बोलता है कि कसी हुई है,,,

दिखाओ तो कहां तहस-नहस कर दिया,,,(तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर खोलते हुए) क्या पागलों जैसी बात करती हो मां अभी भी कितनी खूबसूरत लग रही है,,,(अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रखकर उसे रगडते हुए,,,) अभी तो रात भर चुदवाओगी तो भी तुम्हारी बुर‌ ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी,,,,(मधु अपने बेटे की हिम्मत भरी बातें और उसकी हथेली की रगड़ को अपनी बुर के उपर महसूस करके एकदम मस्त हो गई और अपने बेटे का हाथ पकड़कर हटाते हुए बोली)

धत्,,,,, बेशर्म हो गया है तू,,, और रात भर चोदेगा कौन किस में इतना दम है,,,,!


अरे तुम्हें रात भर चोदने वाला तुम्हारे सामने ही तो बेटा है देखो, (अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए) कैसे खड़ा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए अभी टांग फैला दो तो अभी डाल दुं,,,


हां तू तो डाल ही देगा और तुझे काम भी क्या है सिर्फ डालना और निकालना,,,


अरे मा तुम तो ऐसी बातें कर रही हो कि तुम्हें कुछ मजा नहीं मिलता,,, तुम्हारी बुर को चाट चाट कर कितना पानी निकाला हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है पता है ना मुझे नहीं लगता कि पिताजी इस तरह से तुम्हारी बुर को चाटते होंगे,,,

चल अब रहने दे तू अपने पिताजी की बातों को,,,,

क्यों,,,? सच तो कह रहा हूं अगर पहले भी पिताजी से इस तरह से अपनी बुर चुसवाती तो आज ईतना पानी ना फेंकती,,,,
(मधु अपने बेटे की इस तरह की बातें से एकदम मदहोश हुए जा रही थी उसकी बातों के एक-एक शब्द उसकी कानों के साथ-साथ उसकी बुर में मिश्री घोल रहे थे,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें बहुत अच्छी लग रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,)

वह सब रहने दे पहले यह देख आग बुझाने वाली है इसमें लकड़ी डाल,,,,,,

मां इस बुझी हुई आग में लकड़ी डाल दूंगा तो यह फिर से जल उठेगी लेकिन तुम्हारी बुर में अगर लंड नहीं डालूंगा तो वह जल्दी ही रहेगी वह ‌बुझेगी नहीं,,,,
(मधु अपने बेटे के लंड की तरफ देखकर और उसकी बातों को सुनकर एकदम से शर्मा गई और उसे थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

चल अब रहने दे कह रही हु ना उसमें लकड़ी डाल,,,,
(राजू समझ गया था कि अब आग में लकड़ी डाले बिना काम चलने वाला नहीं है क्योंकि वाकई में लकड़ी की आग शांत हो रही थी और खंडहर में एक बार फिर से अंधेरा छाने लगा था इसलिए वह उठा और बोला,,,)

जैसी आपकी आज्ञा महारानी जी,,,,(अपने लिए महारानी की उपमा सुनकर मधु खिलखिला कर हंस दी और राजू फिर से सूखी हुई लकड़ियों को खंडार में से कट्ठा करके उसमें डालकर जलाने लगा और थोड़ी देर में फिर से पूरे खंडहर में जलती हुई आग का उजाला फैल गया मधु को जोड़ो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी जगह से खड़ी हुई तो राजू बोला,,,)

अब क्या हुआ,,,

तु यही बैठ में आती हूं,,,

अरे नई-नई रुको मैं भी चलता हूं मैं जानता हूं तुम मुतने के लिए जा रही हो,, मुझे भी जोरों की पेशाब लगी हुई है ,,(और इतना कहकर राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और मधु एक बार फिर से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसका बेटा एकदम खुले शब्दों में उसे मुतने के लिए बोल रहा था,,, मधु कुछ बोल पाती से पहले ही राजू उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया था और उसे अपने साथ लेकर चलने लगा था मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ज्यादा देर तक वो अपने पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी,,, राजू का लंड एकदम हवा में लहरा रहा था जिसे देखकर मधु की कामना एक बार फिर से जागृत होने लगी थी,,,,,,, गणगौर बारिश के साथ घनघोर काली अंधेरे में भी जलती हुई आग की रोशनी में मधु अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से ले रहा था वह देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी,,, उसकी जवानी अपने बेटे के सामने घुटने टेक रही थी मधु हैरान थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी भी उसके बेटे का लंड टन टना कर कैसे खड़ा है,,,,, मधु मंत्रमुग्ध के साथ-साथ आश्चर्यचकित हो गई थी वह राजू को कुछ भी नहीं बोल पा रही थी और राजू उसका हाथ पकड़कर उसी जगह पर ले जा रहा था जहां पर कुछ देर पहले वह बैठकर मुत रही थी देखते ही देखते राजू उसी जगह पर पहुंच गया और अपनी मां से बोला,,,।

अब मुतो,,,,, मैंने आज तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा,,,।
(इतना सुनते ही मधु को बाजार वाला दृश्य में जरा आने लगा जब वह इसी तरह से चार समोसे की दुकान के पीछे जाकर झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी वह ठीक उसके सामने उसका बेटा पेशाब कर रहा था जिस तरह से वह कह रहा था मधु को यकीन हो चला था कि उसके बेटे को उसके वहां होने की बिल्कुल भी आशंका नहीं थी लेकिन फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह हैरान हो गई थी शर्म से पानी पानी हो रही थी आखिरकार कैसे अपनी बेटी के सामने बैठकर पेशाब करेगी यही सोचकर वह हैरान हो रही थी,,,, इसलिए राजू को समझाते हुए बोली,,,।)

क्या बेटा तू पागलों जैसी बात कर रहा है मैं तेरे सामने बैठकर कैसे पेशाब करूंगी,,,

अरे ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले कर रही थी,,,

तू देख रहा था क्या,,,,


अगर देख नहीं रहा होता तो पानी में आ रहा सांप कैसे नजर आता,,,
(इतना सुनते ही मधु का चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन फिर भी वह बोली)

नहीं-नहीं राजू तेरे सामने मुझे शर्म आएगी,,,,,

क्या बात तुम भी,,,, अभी भी तुम्हें शर्म आएगी मेरे मोटे लंबे लंड को अपने बुर में लेकर मस्त हो गई और कहती हो कि शर्म आएगी,,, मैं नंगा खड़ा हूं तुम नंगी खड़ी हो मेरा लंड तुम साफ देख पा रही हो मैं तुम्हारी बुर देख रहा हूं तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड सब कुछ देख रहा हूं और कहती हो शर्म आएगी,,,, मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था और बार-बार अपने बेटे के लंड की तरफ नजर चली जाने की वजह से उसके बदन में मदहोशी भी छा रही थी,,,,,, वह खुद अपने बेटे की बात मानने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी क्योंकि वह भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे को ना नूकुर करते हुए बोली,,,।)

नहीं नहीं बेटा मेरी बात समझने की कोशिश कर आखिरकार मैं तेरी मां हूं और तेरे सामने में कैसे बैठकर मुत सकती हूं,,,,

क्या मां इतना समझाने के बाद भी तुम समझने को तैयार नहीं हो,,,,,, रुको अच्छा मैं ही तुम्हारे सामने मुत कर दिखाता हूं उसके बाद तुम्हें मुतना होगा,,,
(मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसने इतने करीब से किसी भी इंसान को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी हालांकि बाजार में वह अपने बेटे को देखी थी लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने पेशाब करते हुए देखने का लुफ्त उठा नहीं पाई थी लेकिन इस पल वह सारी कसर उतार लेना चाहती थी,,,.,, फिर भी अपने बेटे को ऐसा करने से रोकते हुए वह बोली,,,।)

अरे नहीं रहने दे थोड़ा तो शर्म कर,,,,

अगर शर्म करता तो तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदा ना होता तुम्हें इतना मजा ना दिया होता थोड़ा और मजा देना चाहता हूं और लेना चाहता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और बोला,,,,)

देखो मैं अब कैसे पेशाब करता हूं,,,,।
(अपने बेटे का लंड अपने हाथ में पकड़ते ही मधु की बुर एक बार फिर से पिघलने लगी,, थी,,, अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्माहट में वह पूरे अपने वजूद को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी और उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को कस के दबा ली थी जिसमें उसके बेटे का लैंड और ज्यादा कड़क होने लगा था,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आसमान में काले बादल अभी भी पूरी तरह से अपना जलवा बिखेर रहे थे तूफानी बारिश लगातार जारी थी हवाओं का तेज झोंका बदन में झनझनाहट पैदा कर दे रहा था दोनों मां-बेटे इस समय खंडार के किनारे एकदम नग्न अवस्था में खड़े होकर आनंद की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश कर रहे थे देखते ही देखते राजू अपनी मां के हाथ में लंड दिया मुतना शुरू कर दिया,,,, जलती हुई आग की लपटे कुछ ज्यादा ही तेज थी इसलिए यहां तक रोशनी आ रही थी जिसमें मधु अपने बेटे के लैंड को और उसमें से निकलती पेशाब की धार को एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में पिघलती जा रही थी उसे सहन नहीं हो रहा था और अनजाने में ही वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी थी यह देख कर राजू के तन बदन में आग लगने लगे वह अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और उसकी मां अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी,,,, अद्भुत नजारा बनता चला जा रहा था मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस कदर अपने बेटे के साथ बेशर्म बन जाएगी पहली बार किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करवा रही थी,,,, राजू पूरी तरह से मस्त हो चुका था और एक हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था उससे अपनी उत्तेजना काबू में नहीं हो पा रही थी राजू की इस हरकत पर मधु एकदम से सिहर उठी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहरह आहहहहहहह राजू,,,,,,ऊममममममम,,,,
(मधु पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन अभी तक उसकी पूर्व से पेशाब की धार नहीं फूटी थी,,, इसलिए राजू अपनी उंगली को अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था ताकि उसमें से गरमा गरम पेशाब की धार फूट पड़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था मधु पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसकी आंखें बंद हो गई थी और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी राजू से अपनी मां की हालत देखी नहीं गई और वह आप पेशाब कर चुका था इसलिए तुरंत अपनी मां का हाथ अपने लंड पर से हटाकर घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत अपने प्यासी होठों को अपनी मां की बुर से लगा कर उसने अपनी जीभ घुसा दिया मधु इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही उसे अपने दूर पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श हुआ वह तुरंत एकदम से मचल उठी और उत्तेजना के मारे अपने आप ही उसकी कमर आगे की तरफ उचक गई और राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया लाख कोशिश करने के बावजूद भी इस हालत में रखो अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू नहीं कर पाई और बल बनाकर उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी लेकिन राजू अपना मुंह बिल्कुल भी नहीं हटाया मधु हैरान थी वह मौत रही थी और उसकी बुर से उसका बेटा मुंह लगाए बैठा था,,, एक तरफ मधु को अत्यधिक उत्तेजना और मदहोशी छाई हुई थी और दूसरी तरफ वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि वह अपने बेटे के मुंह में मुत रही थी अपने बेटे का बाल पकड़कर मधु उसे हटाने की लाख कोशिश करती नहीं लेकिन मधुर से ज्यादा ताकत राजू की भुजाओं में थी और वह कसके अपनी मां की गांड को पकड़े हुए था और उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार को अमृत धार समझकर अपने गले के नीचे घटक रहा था,,,,, मधु या देखकर हैरान थी अपने बेटे की आकांक्षा उसकी हरकतें उसे पूरी तरह से प्रभावित कर रही थी इस तरह का सुख आज तक उसके पति ने कभी भी उसे प्रदान नहीं किया था ना ही कभी इस तरह का जिक्र ही किया था जिस तरह की हरकत राजू कर रहा था राजू की हर एक हरकत मधु के लिए मदहोशी का कारण बन रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर बार-बार उसे झकझोर रही थी ,,,,, मधु का मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां नाक से ज्यादा अपने मुंह से सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी तेज हवाओं का झोंका बारिश की बूंदों को खंडहर के अंदर तक फेंक रहा था क्योंकि दोनों के नंगे तन को भिगो रहा था लेकिन अब भीगने का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था बरसात का पानी जितना दोनों को नहीं भीगा रहा था उससे ज्यादा वासना का तूफान उन दोनों को अपने अंदर डुबाए लेकर चला जा रहा था,,,,

मधु की बुर से लगातार तीव्रता के साथ उसके पेशाब की धार फूट रही थी जोकि सीधा राजू के मुंह के अंदर गिर रही थी और उसके बदन को पूरी तरह से भिगो रही थी एक तरह से राजू अपनी मां के पेशाब में नहा रहा था और यह अनुभव से और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो चुका था अपनी मां को गरमा गरम सिसकारी लेता देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी है राजू अपनी मदहोशी और उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था,,,, राजू का लंड एक बार फिर से अपनी मां की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था मधु की बुर से लगातार पेशाब की धार निकल रही थी उसकी आंखें बंद हो चुकी थी वह मजा ले रही थी और पानी की बूंदे उसके पूरे तन को भिगो रही थी राजू भी भीग रहा था राजू अब एक पल भी गवाना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां की बुर पर से अपना मुंह हटा कर खड़ा हुआ और उसकी मां को समझ पाती इससे पहले ही अपनी मां की जान पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गीली चपचपाती हुई बुर में लंड सटाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, और पहले से ही राजू का लंड अपनी मां की बुर में अपने नाम का सांचा बना चुका था इसलिए फच्च की आवाज के साथ ही राजू का लंड एक झटके में उसकी मां की बुर में समा गया और जैसे ही मोटा तगड़ा लंड बहू की बोर में गिरा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और वह अपनी आंखों को खोल दी और जब उसे पता चला कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया है वह पूरी तरह से मस्त हो गई पानी में भीगने का मलाल उसे बिल्कुल भी नहीं था इस समय वह अपने बेटे के प्यार में उसकी वासना में डूब रही थी और भीग रही थी राजू अपनी मां की कमर पर हाथ रखकर उसकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेटे हुए धीरे-धीरे खंडहर की बाहरी दीवार से उसे हटा दिया और अपनी कमर को हिला कर अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया मधु कभी सोचा भी नहीं था कि उसका बेटा इतनी तीव्रता के साथ अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा लेकिन अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से प्रभावित होते हुए उसकी मर्दानगी ताकत के आगे घुटने टेक दी थी ,,,,,

मधु की एक टांग ऊपर उठी हुई थी और राजू के कमर पर लिपटी हुई थी राजू एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे सहारा दिए हुए था और वह अपनी पीठ को खंडार की दीवार से सटाकर अपने बेटे से चुदवाने का मजा ले रहे थे राजू पहले ही धक्के से रफ्तार को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अपने लंड का मजा अपनी मां को दे रहा था उसका हर एक धक्का मधु की चीख निकाल दे रहा था,,,, राजू अपनी मां की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करते हुए अपनी कमर हिला रहा था तूफानी बारिश लगातार जारी थी जिस तरह से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी उसी तरह से राजू भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था राजू लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था मधु की बुर में बड़े आराम से राजू का लंड अंदर बाहर हो रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,,।

आहहहह राजू मेरे लाल‌ आराम से धक्के लगा तेरा लाल कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इतना मोटा लंड मैंने आज तक अपनी बुर में नहीं ली,,,


तभी तो मां मैं तुम्हें जुदाई का असली सुख दे रहा हूं मैं जानता हूं पिताजी का लंड मेरे से आधा भी नहीं है तुम्हें मजा नहीं आता होगा तुम्हारी जवानी का रस पिताजी बराबर जूस नहीं पाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारी जवानी का रस पीने के लिए आया हूं देखो आज मैं तुम्हारे बुर को कैसे अपने लंड से चोद चोद कर सुजा देता हूं तुम भी आज की रात जिंदगी भर नहीं भूलोगी,,,

आहहहहह वह तो देख ही रही हूं तेरी बेशर्मी के साथ-साथ में भी बेशर्म बन गई हूं,,,,आहहररह आहहररहह ,,,,


चुदाई के मामले में बेशर्म बनने में ही ज्यादा मजा है शर्म करने से कुछ हासिल नहीं होता तो मगर बेशर्मी नहीं दिखाती तो आज मेरे लंड का मजा नहीं लेती,,, हाय कितनी कसी हुई बुर है,,,,ऊमम(अपनी मां की गर्दन को चुमते हुए राजू लगातार अपनी कमर हिला रहा था) देखो मां कितने आराम से मेरा लंड तुम्हारी बुर में जा रहा है,,,,ऊफफ तुम तो मुझे पागल कर दोगी,,,,।
(इतना कहते हुए राजू अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया पानी में दोनों का बदन पूरी तरह से भीग रहा था दोनों एक बार फिर से बारिश के पानी में नहा चुके थे लेकिन बारिश का ठंडा पानी दोनों के बदन की अपन को शांत करने में असमर्थ साबित हो रहा था दोनों पूरी तरह से गर्म आ चुके थे मधु की गर्म जवानी में राजू पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,, मधु की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां राजू की छाती के नीचे दबी हुई थी और राजू अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां को चोद रहा था कुछ देर तक राजू अपनी मां को इसी अवस्था में चोदता रहा वह जानता था कि उसकी मां की टांगे दर्द कर रही होगी इसलिए वह अपनी मां की टांग को अपनी कमर से हटाकर सीधी कर दिया और एक बार अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल लिया मधु को लगा कि शायद उसका पानी निकल गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मधु कुछ कह पाती को समझ पाती इससे पहले ही राजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खंडार की दीवार की तरफ घुमा दिया और उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल-गोल गांड को अपने आगे परोश लिया मधु समझ गई थी कि अब उसका बेटा क्या करने वाला है वह भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी गोल-गोल भारी भरकम गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दे ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों को दोस्त करने के लिए सेनापति ने तोप लगा दी हो लेकिन सामने के दल का सेनापति और ज्यादा चला था दुश्मनों की तोप का जवाब अपनी बंदूक से देना जानता था इसलिए राजू तुरंत अपनी मां की उठी हुई तोप को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बंदूक की नाल तोप के छेद में डाल दिया जिसमें से गर्म लावा उसे पिघलाने के लिए निकलने वाला था,,, एक बार फिर से राजू पूरा मोर्चा संभाल लिया था अपनी मां की कमर थाम कर वह फिर से अपने लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था पीछे से चुदवाने में मधु को भी बहुत मजा आता था इसलिए उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज और तेज हो गई थी राजू कभी अपनी मां की कमर थाम लेता तो कभी अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिलाता,,, लेकिन उसका गरम लावा फूटने का नाम ही नहीं ले रहा था अपने बेटे की मर्दाना ताकत के आगे वह पूरी तरह से वशीभूत हो चुकी थी मंत्रमुग्ध थी वह उसी अवस्था में अपनी गांड को हवा में उठाएं अपने बेटे से चुदवाने का मजा लूट रही थी,,,,।

मधु अपने मन में सोचने लगी कि सच में उसका बेटा चुदाई की कला में पूरी तरह से महारत हासिल किया हुआ है तभी तो हर तरीके से उसे परमआनंद दे रहा है,,,, बरसात की बोल दे दोनों केतन को भी हो रही थी और मधु की चिकनी पीठ पर फिसलती हुई पानी की बूंदों को राजू अपना जीभ लगाकर चाट रहा था और अपनी कमर हिला कर लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनते ही मधु अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और भलभलाकर उसका पानी निकलना शुरू हो गया,,,, उसे अपने बेटे की बात पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था उसे तो इस तरह का संबोधन उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था अभी अपने बेटे के सुर में जवाब देते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा तेरे जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखी तेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मैं धन्य हो गई हूं,,,

ओहहहह मेरी रानी मेरा लंड तेरे लिए ही बना है अब देखना दिन रात तेरी बुर में डालकर मैं ऐसी चुदाई करूंगा तो मस्त हो जाएगी,,,

ओहहहहह मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

साले तू बहुत मस्त पेलवाती है,,, तेरी बुर को चोद‌चोद कर में भोसड़ा बना दुंगा भोसड़ाचोदी,,,,,
(राजू अपनी मां से प्यार की बातें करते करते गाली गलौज पर उतर आया था वह जानता था कि चुदाई करते समय गाली गलौज करने में और ज्यादा मजा आता है और इस बात को मधु भी अच्छी तरह से जानती थी वह तो पहले थोड़ा हैरान हुई अपने बेटे के मुंह से गाली सुनकर लेकिन ना जाने क्यों अपने बेटे के मुंह से इस समय गाली उसे बहुत अच्छी लग रही थी और वह भी अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली)

अरे मादरचोद मैं भी देखना चाहती हूं तेरे में कितना दम है,,, मैं भी तो देखूं कैसे तुम्हारी बुर का भोसड़ा बनाता है मादरचोद,,,


अरे मेरी भोसड़ा चोदी मेरी रंडी तेरी बुर पर मेरा नाम लिख गया है,,,, अब तेरी बुर पर मेरा ही राज चलेगा देख अब कैसे तुझे मस्त करता हूं,,,।
(दोनों पूरी तरह से वासना की आग में लिप्त हो चुके थे दोनों को सही गलत का पहचान बिल्कुल भी नहीं था मां-बेटे का पवित्र रिश्ता टूट चुका था और दोनों में मर्दों और औरतों का रिश्ता पनप गया था इसलिए दोनों एक दूसरे से आनंद लेते हुए एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे और मजा ले रहे मधु ने आज तक इस तरह की चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह की चुदाई राजू कर रहा था राजू बिना रुके बिना थके एक ही लए में अपने लंड को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते हैं मधु दो बार और अपना पानी छोड़ चुकी थी और तीसरी बार की तैयारी थी लेकिन आंसू अभी एक भी बार अपना पानी नहीं निकाला था लेकिन इस बार वह भी पूरा चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और ऐसे में उत्तेजित अवस्था में वह अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों का एक साथ पानी निकल गया दोनों जोर जोर से हांफने लगे,,,, कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे से अलग हुए दोनों पानी में पूरी तरह से भीग चुके थे,,,,।

मधु और राजू दोनों खंडार के किनारे खड़े थे जहां पर पानी की बूंदे उन दोनों को भिगो रही थी मधु तुरंत थोड़ा खंडार के अंदर आ गई और अपने बदन से पानी को अपनी हथेली से साफ करते हुए बोली,,।

तू बहुत हारामी है रे आखिर अपनी मनमानी कर ही लेता है मुझे पूरा भिगो दिया,,,

भी तो मैं भी गया हूं मैं लेकिन मजा कितना आया बहुत मजा आया ना,,,,(इतना कहते हुए राजू अपना कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका और उसे लेकर अपनी मां के बदन से पानी को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में दोनों अपने बदन से पानी सुखा कर आगे के आगे बैठे हुए थे मधु पूरी तरह से थक चुकी थी सुबह होने में भी अभी काफी देर थी लेकिन अब उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि दमदार जुदाई के बाद अक्सर मर्द और औरत दोनों को नींद आ जाती है दिन भर सफ़र की थकान और रात को चुदाई की मेहनत से दोनों थक चुके थे इसलिए राजू अपनी मां की साड़ी को वही जलती हुई आग के किनारे बिछा कर अपनी मां को अपनी आगोश में लेकर सो गया,,,, सुबह जब राजू की नींद खुली तो धीरे-धीरे सुबह हो रही थी काले बादल छोड़ चुके थे धीरे-धीरे हल्का-हल्का उजाला हो रहा था लेकिन उसकी मां अभी भी पूरी तरह गहरी नींद में सोई हुई थी राजू अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी पीट उसकी छाती से सटी हुई थी लेकिन लंड पर गौर किया तो उसका लंड मधु की गांड के छेद के एकदम करीब अपना डेरा डाला हुआ था जो की चेतना में आने की वजह से धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था एक बार फिर से अपनी मां की नंगी गांड का स्पर्श पाते ही राजू के तन बदन में आग लग गई और वह अपनी मां को नींद से उठा के बिना ही धीरे से अपने हाथ को नीचे की तरफ ले गया और हाथों से ही टटोलकर अपनी मां की गीली बुर पर हाथ रखकर अपने लंडके सुपाड़े को उस पर टिका दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ सरका दिया जैसे कोई सांप बिल देखकर अपने आप अंदर की तरफ सरकने लगता है उसी तरह से राजू का लंड भी अपनी मां की गुलाबी बिल देखकर अंदर की तरफ सरकने लगा देखते ही देखते राजू ने निद्रा अवस्था में ही अपनी मां की बुर में अपना लंड डाल दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु पूरी तरह से गहरी नींद में थी लेकिन उत्तेजना के मारे राजू के बदन में गर्मी और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अपना हाथ अपनी मां की चूची पर रख कर जोर से दबाना शुरू कर दिया और चूची को जोर से दबाने की वजह से मधु की नींद खुल गई और जब उसे एहसास हुआ कि उसकी बुर में पूरी तरह से उसके बेटे का लंड समाया हुआ है तो वह एकदम से गन गना गई वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,।

क्या राजू रात भर तो चुदाई किया फिर से शुरू हो गया,,

क्या करूं मा तुम्हारी नंगी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था,,,,

चल यहां इस जंगल में तो ठीक है लेकिन घर पर अपने आप पर काबू में रखना वहां पर ऐसा नहीं कि मेरी गांड देखकर सबके सामने शुरू पड़ जाए,,,


क्या करूं हो भी सकता है तुम्हें देखकर मुझ पर काबू नहीं रह जाता,,,।

(इतना सुनते ही हैरान होते हुए मधुर अपने बेटे की तरफ देखी तो राजू हंसते हुए बोला)

मजाक कर रहा था,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु एक बार फिर से हैरान थे कि इस तरह से लेटे लेटे वह उसे बड़े आराम से चोद रहा था जबकि उसके पति से इस तरह से होता ही नहीं था एक बार फिर से मधु के तन बदन में खुमारी छाने लगी आंखों में मदहोशी छाने लगी,,, राजू भाई आराम से पीछे से अपनी मां की चुदाई कर रहा था देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो गई दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर लिए थोड़ी ही देर में उजाला होने लगा दोनों लग्न अवस्था में ही खंडार के किनारे खड़े होकर बाहर का नजारा देख रहे थे चारों तरफ पानी भरा हुआ था लेकिन अब पानी कम था जिसमें से आराम से दोनों बेल गाड़ी लेकर जा सकते थे,,,,, हल्के हल्के उजाले में राजू और उसकी मां दोनों नंगे ही खंडार के अंदर तेरा जो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,,।


तुम सच में आसमान से उतरी हुई परी लग रही हो,,,

चल अब रहने दे,,,(इतना कहने के साथ ही मधु नीचे बिछी हुई साड़ी को उठाकर शर्म के मारे अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी तो राजू फिर से हंसते हुए बोला)

मेरे सामने अब इसकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक अंग से मैं वाकिफ हो चुका हूं और सच कहूं तो तुम्हारे बदन का हर एक अंग खरा सोना है जिसकी आभा में मैं पूरी तरह से नहा चुका हूं,,,,,(इतना कहते हुए राजू अपनी मां के हाथ मैं पकड़ी हुई साड़ी को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा तो राजू की मां बोली)

अब रहने दे मुझे पहन लेने दे अब चलना है सुबह हो रही है,,,

अभी नहीं,,,

क्यों,,,?(अपने बेटे की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए मधु बोली)

अपने बदन पर देखो कितनी धूल मिट्टी लगी हुई है ऐसे जाओगी तो सब क्या कहेंगे कि कहीं गिर गई थी क्या,,,
(इतना सुनकर मधुर अपने बदन की तरफ देखी तो वास्तव में धूल मिट्टी लगी हुई थी वह अपने हाथ से अपनी धूल मिट्टी साफ करने की कोशिश करने लगी तो राजू बोला,,,)

यह सब करने को रहने दो चलो नहा लेते हैं,,,

यहां कहां नहाएंगे,,,,?

चलो मैं बताता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और उसे खंडहर के अंदर से ही पीछे की तरफ हाथ का इशारा करके दिखाते हुए बोला,,)

वह देखो खंडगर के छत से पानी गिर रहा है और वह एकदम साफ है,,, इसी के नीचे खड़ी होकर नहा लो मैं भी नहा लेता हूं,,,

यहां,,,? लेकिन यहां कोई आ गया तो,,,

क्या मां तुम भी इस जंगल में इस वीराने में इतनी सुबह कौन आएगा और वैसे भी यहां दिन में भी कोई नहीं भटकता चलो जल्दी से नहा लेते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़े हुए खंडार के पीछे छत से गिर रहे पानी के नीचे ले जाकर खड़ा कर दिया चारों तरफ घने घने पेड़ थे जंगली झाड़ियां थी यहां का दृश्य और भी ज्यादा मनोरम में लग रहा था मधु गिरते हुए पानी के नीचे एकदम नंगी खड़ी होकर नहा रही थी राजू अपनी मां को नहाते हुए देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,,


इस तरह से खुले में कभी नंगी होकर नहाई हो,,,
Madhu khandhar k piche nangi nahati huyi

alphabet suédois

कभी नहीं आज पहली बार तेरे साथ इस वीराने में इस तरह से नहाने का मजा ले रही हुं,,,,(और इतना कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी और नहाने का मजा लेने लगी नंगी नहाते हुए मधु और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी अपनी मां की नंगी गांड पर गिरता हुआ पानी देखकर राजू की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी और उसका लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था वह भी अपनी मां के पास जाकर गिरते हुए पानी में नहाने का मजा लेने लगा लेकिन आपस में दोनों का बदन टकरा जा रहा था राजू का लंड कभी उसकी मां की बुर्सेट अगर आता तो कभी उभरी हुई गांड से रगड़ जा रहा था इस तरह से मधु के भी तन बदन में आग लग रही थी बार-बार अपनी गांड से अपने बदन से अपने बेटे का लैंड स्पर्श हो जाने की वजह से उसके बदन में गर्माहट आ गई थी और वह अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाई और तुरंत अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसकी आंख में देखने लगी,,,,



मधु इस रूप में पूरी तरह से बिस्तर में लग रही थी और पूरी तरह से उत्तेजना से भरी हुई,,, राजू अपनी मां की आंखों में वासना का तूफान देख रहा था मधु उसी तरह से अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए उसकी आंखों में देखते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से हल्के से काटकर नीचे की तरफ झुकने लगी और देखते ही देखते घुटनों के बल बैठ गई और अपने बेटे के लंड को तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी राजू अपनी मां की इस हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, और गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया राजू पहली बार देख रहा था कि उसकी मां की आंखों में सर में बिल्कुल भी नहीं था वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी और ऐसी औरतों के साथ राजू को और ज्यादा मजा आता था मधु‌ पूरी तरह से अपना अनुभव दिखाते हुए अपने बेटे का लंड चूस कर उसे मजा दे रही थी दोनों एक बार फिर से तैयार हो चुके थे राजू तुरंत अपनी मां की बांह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और देखते ही देखते अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी गोद में उठा लिया एक बार फिर से अपने बेटे की ताकत से मधु मंत्रमुग्ध हो गई अपनी गोद में उठाए हुए ही राजू अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और एक बार फिर से राजू का लंड उसकी मां की बुर में समा गया राजू अपनी मां को गोद में उठाए हुए उसे चोदना शुरू कर दिया ऊपर से पानी गिर रहा था और नीचे राजू पानी में भीगते हुए अपनी मां को चोद रहा था,,,, मधु अपने बेटे की चोदने की ताकत से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई थी उसके आगे वहां घुटने टेक चुकी थी अपने बेटे की लंड की ताकत पर उसे गर्व होने लगा था,,,।

एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज चलने लगी और दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ कर गहरी सांस लेने लगे शांत होने के बाद राजू अपनी मां को अपनी गोद से नीचे उतारा दोनों लगातार गिरते हुए पानी में नहा रहे थे मधु पानी से अपनी पुर को साफ की और राजू अपने लंड को और थोड़ी ही देर में दोनों उसी जगह पर आ गए थे और अपने अपने कपड़े पहन चुके थे जो कि सूख चुके थे,,, अपने बेटे से असीम संभोग का सुख प्राप्त करके मधु अपनी साड़ी पहनकर शर्मा रहे थे साड़ी उतरने के बाद वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी लेकिन साड़ी पहनने के बाद एक बार फिर से वह मां बन चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे के सामने शर्म महसूस हो रही थी राजू बिना कुछ बोले बेल को खंडार में से बाहर लाया और उसे फिर से बैलगाड़ी में जोड़ दिया और दोनों फिर से गांव की तरफ निकल गए,,,।


Wah Rohnny Bhai Wah......

Atyant Kamuk aur Uttejna se bharpur update he bhai....

Kya gazab ki writing skills he......awesome Bhai
 

Napster

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बहुत ही गरमागरम कामुक और
एक बार फिर राजू बाजार में कुछ देर रुक कर बैलगाड़ी लेकर आगे बढ़ गया था,,, लेकिन बाजार में उसने अपनी आंखों से और अपनी बातों से अपनी मां के साथ खूब मस्ती किया था जिसका एहसास मधु को भी थोड़ा थोड़ा हो रहा था,,,,,, खरबूजे वाली बात की तुलना अपनी मां की चुचियों से करके राजू अपने हौसले को और बड़ा चुका था,,, वह आप समझ गया था कि उसकी मां के साथ वो किसी भी तरह की बात करेगा तो उसकी मां उससे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,, राजू अपने मन में यही सोच कर खुश हो रहा था कि उसकी गंदी बातों से उसकी मां को भी मजा आता है तभी तो वह उसे रोकती नहीं है ,,बस उपर उपर से ही नाराज होने का नाटक करती है,,,,,, औरत और बाजार में दुकान के पीछे जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देख कर उसके तन बदन में अभी भी उत्तेजना की हलचल हो रही थी वह सोचा नहीं था कि उसे ऐसे माहौल में अपनी मां की नंगी गांड देखने को मिल जाएगी और उस जबरदस्त नजारे को देखकर उसके मन में पूरी तरह से माहौल बन चुका था,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार अपनी मां की गांड देख रहा था वह कई बार अपनी मां को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख चुका था और अपने पिताजी के साथ संभोग रत और संभोग से पहले की क्रियाकलापों को भी देख चुका था,,, लेकिन एक मर्द चाहे जितनी बार भी औरत को नग्न अवस्था में देख ले फिर भी उस औरत को नग्न,,, बिना कपड़ों के देखने की उसकी लालच कभी कम नहीं होती और यही हाल राजू का भी था क्योंकि वह भी मर्दों की जाति से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था,,,।

अपनी मां को पेशाब मुद्रा में देखकर वह पूरी तरह से अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,,, सुनहरी धूप में गोरी गोरी गांड ओर भी ज्यादा चमकते हुए अपनी आभा बिखेर रही थी,,, जिसकी चमक में खुद है राजू की आंखें चौंधिया गई थी,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार किसी औरत की गांड को देख रहा था अब तो कुछ नहीं ना जाने कितनी औरतों की गांड को नंगी देख भी चुका था और अपने हाथों से नंगी करके चुका था और गांड चुदाई भी कर चुका था,,,, फिर भी उसे अपनी मां की नंगी गांड देखकर जो मजा मिलता था वह किसी भी औरत की गांड से ना तो देखकर और ना ही उनसे संभोग करके मिलती थी,,,,।,,,

बाजार से निकल चुके थे और दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनों अपने अपने मन में वही सोच रहे थे जो कि कुछ देर पहले हो चुका था मधु भी दुकान के पीछे वाले भाग में जिस तरह से पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी कमर तक उठा कर बैठी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई उसे इस हाल में देख रहा होगा,,,,‌ यह तो निश्चित तौर पर वह नहीं कह सकती थी कि उसे पेशाब करते हुए उसके बेटे ने देखा था या नहीं देखा था,,, लेकिन जिस हाल में उसने अपने बेटे को देखी थी और उसके अंजानपन को देखकर मधु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे ही उसके बेटे ने अनजाने में ही वहां पर आ गया था लेकिन उसे पेशाब करते हुए देखा नहीं था अपने बेटे को इतने करीब महसूस करके शर्म के मारे मधु का जो हाल हो रहा था वह बयां नहीं कर सकती थी वह एकदम शर्मसार हुए जा रही थी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके बेटे की नजर उसकी गांड पर पड़ जाती है तो क्या होता उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका बेटा अपने मन में क्या सोचता,,,, बाजार में पेशाब करते समय जो हाल मधु का हुआ था उससे उसे अपनी जवानी के दिनों की बात याद आ गई थी जब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और ऐसे ही एक दिन वह बाजार गई हुई थी और बाजार से लौटते समय खेत में झाड़ियों के पीछे इसी तरह से अपनी सलवार की डोरी खोल कर वह पेशाब करने बैठ गई थी और उसी समय एक आदमी ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया था वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन दरी बिल्कुल भी नहीं थी और तुरंत खड़ी होकर अपनी सलवार को बाद कर उस आदमी को खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन इस तरह की हिम्मत वह अपने बेटे के सामने नहीं दिखा पाई थी,,,, अपने बेटे की मौजूदगी में तो उसमें अपनी साड़ी को नीचे कर सकने की हिम्मत नहीं थी ताकि उसकी नंगी गांड ढंक जाए,,,,,, क्योंकि उस समय उसमें शर्म और डर दोनों के भाव एक साथ भरे हुए थे,,,, उस समय अपने बेटे के यहां भाव को देखकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे यह सब कुछ अनजाने में ही हुआ है और वह उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा था वधू बड़े आसानी से अपने बेटे के जाल में फंस गई थी उसकी चला कि को बिल्कुल भी समझ नहीं पाई थी और राजू था कि अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपनी मां की नंगी गांड को भी देख लिया था और अपने खड़े लंड का दर्शन भी अपनी मां को करा दिया था जिसे देखकर उसकी मां की बुर कुलबुलाने लगी थी,,,,,,,।


बेल गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और मधु अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर ‍शर्म भी महसूस कर रही थी और ना जाने क्यों उतेजीत भी हुए जा रही थी,,,। बैलगाड़ी में रखे हुए बड़े-बड़े खरबूजे को देखकर उसकी नजर अपने आप ही अपनी छातियों पर चली गई तो वह मुस्कुरा दी,,, क्योंकि जिस तरह से खुले तौर पर उसके बेटे ने सूचियों की तुलना खरबूजे के आकार को लेकर किया था इस तरह से खुलकर तो कभी उसके पति ने भी उससे यह बात नहीं कहा था लेकिन एक बात पर वह हैरान थी कि उसके बेटे को उसकी चुचियों का आकार एकदम सचोट रूप से कैसे पता है,,,, वह ऐसे ही एक खरबूजे को अपने हाथ में उठा लिया और दूसरे हाथ में दूसरे खरबूजे को और तराजू की तरह दोनों को नापने तोलने लगी,,, कभी खरबूजे की तरफ तो कभी अपनी चुचियों की तरफ देख रही थी दोनों के आकार में बिल्कुल भी अंतर नहीं था,,,, मधु मन ही मन में सोचने लगी कि उसका बेटा चोरी छुपे उसके बदन को देखता है,,, या तो ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों का नाप भांप गया हो,,,,।

मधु अपने मन में यही सब सोच रही थी और बैलगाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी बाजार काफी दूर निकल गया था,,, एकदम दोपहर का समय हो चुका था लेकिन जगह जगह पर काले काले बादल नजर आ रहे थे लेकिन अभी तक बारिश हुई नहीं थी जो कि उन दोनों के लिए अच्छा था क्योंकि सफर काफी लंबा था ऐसे में बरसात हो जाती तो दोनों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती,,,,,,,, एक नजर अपने बेटे की तरफ डालकर मधु बोली,,,।

राजू तू अब बैलगाड़ी एकदम अच्छा चलाने लगा है बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होती कितने आराम से लेकर जा रहा है,,,


मेरे पिताजी ने मुझे अच्छे से सिखा दिया है,,, तभी तो तुम्हें इतनी दूर ले जाने ले आने की जिम्मेदारी मुझे सौंप दिए हैं वरना वह खुद आ जाते,,,,,


हां राजू सही बात कह रहा है तू वरना तेरे पिताजी इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं करते कि तुझे बेल गाड़ी ठीक से चलानी ना आती हो तो मुझे तेरे साथ इतनी दूर भेज दिए हो,,,
(दोनों मां-बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि,,, राजू को बेल गाड़ी चलाने आने की वजह से उसके पिताजी ने सहज रूप से उसे दवा लेने के लिए भेज दिया था बल्कि हकीकत तो यह थी कि जैसे ही बैलगाड़ी गुलाबी और हरिया की नजरों से दूर हुआ था वैसे ही तुरंत वह दोनों घर में आते ही दरवाजा बंद करके सिटकिनी लगा दिए थे,,, और दोनों के बदन से कब कपड़े निकल कर जमीन पर गिर गए दोनों को पता ही नहीं चला,,, इसके बाद दोनों की कामलीला शुरू हो गई,,, ऐसा मौका दोनों को कहां रोज रोज मिलता था इसलिए दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करने लगे और हरिया अपनी छोटी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया और यह सिलसिला अभी तक जारी ही था तो उन्होंने घर में दरवाजा बंद करके नंगे होने के बाद कपड़ों को हाथ तक नहीं लगाए थे और उसी तरह से ही घर का काम पूरा होता भी रहा दोनों ने खाना भी खाया और जब से भैया का लैंड खड़ा होता था तब तक वह गुलाबी की बुर में डालकर शांत हो जाता था,,,,)

अच्छा ही हुआ राजू कि तेरे पिताजी ने तुझे बेल गाड़ी चलाना सिखाती है वरना तू भी गांव के लड़कों की तरह आवारा घूमता रहता और औरतों के बारे में ना जाने कितनी गंदी गंदी बातें करता रहता,,,,।

अरे मां तुम मुझे गलत समझ रही हो,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं लोगों से गंदी बातें लिखता नहीं हूं लेकिन क्या है ना कि उन लोगों की बातें सुनकर मेरे दिमाग में भी ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगती हैं,,,, पहले देखो मैं इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था जबसे उन लोगों की संगत में आ गया तब से औरतों को दूसरी नजर से देखना शुरू कर दिया,,, और पहले तो मैं औरतों से बिल्कुल भी बात तक नहीं करता था ना उनकी तरफ देखता था,,,, इसमें तुम बिल्कुल भी बुरा मत मानना मैं अपनी गलती तुम्हारे सामने सभी कार्य कर रहा हूं और मैं जानता हूं कि तुम मुझे माफ कर दोगी,,,,,।

(मधु अपने बेटे की बात को सुन कर मुस्कुरा रही थी और जैसे उसकी नजर चूड़ियों की तरफ गई तो उसके मन में जो सवाल था वह उसके होंठों पर आ गया और वह राजू से बोली,,,,)

अच्छा मुझे तो सच सच बता कि तेरे पास इतने पैसे आए कहां से,,,, जो तूने मुझे चूड़ियां खरीद के दिला दिया,,, औरत और खरबूजे समोसे और जलेबियां भी खिलाया,,,।

अरे मां तुम क्या समझती हो कि कहीं में डाका डाल कर पैसे लेकर आया हूं डाकू या चोर नहीं हूं मैं मेहनत के पैसे हैं और वैसे भी मैं तुम्हें उस दिन बताया ही था ना कि लाला हमें और ज्यादा अधिक काम देने लगा है,,, और तो और मैं उसके आना आज के गोडाउन पर थोड़ा और काम कर देता हूं तो मुझे बख्शीश दे देता है यह पैसे उसी के थे,,,,,,


अरे वाह राजू तू तो अब कमाने लगा है और तेरी उम्र के लड़के जो भी अपने गांव में है मुझे नहीं लगता कि एक पैसा भी कमा कर आते हैं,,,

नहीं तो वह लोग कहीं काम नहीं करते,,,,

तब तो तू उन लड़कों में सबसे अच्छा लड़का है,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर राजू खुश हो गया वह चाहता है तो अपनी मां को हकीकत बता सकता था कि हलाला क्यों उस पर मेहरबानी करने लगा है वह साला और उसकी बहन की काली करतूतों को अपनी मां के सामने बता देता लेकिन वह खास मकसद से उस राज को अभी बताना नहीं चाहता था वह खास मौके पर अपनी मां से उन दोनों की कामलीला को बताना चाहता था ताकि उसका भी काम बन सके,,,,।
दोनों के बीच कुछ देर के लिए फिर से खामोशी छा गई मधु अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे की हरकत तो शर्मिंदगी और उत्तेजना से भरी हुई है लेकिन वह आप कमाने लगा है वह एक अब आदमी बन गया है जो अपने परिवार की जिम्मेदारी लेकर चलने लगा है इस बात की खुशी मधु के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन फिर उसकी हरकतों के बारे में सोच कर उसके चेहरे के भाव बदलने लगते थे वह शर्म से पानी पानी होने लगती थी उसकी बातों पर गौर करके उसकी हरकत को देखकर,,,, उसमें अपने बेटे से ज्यादा एक मर्द नजर आने लगता था,,,, क्योंकि जो कुछ भी हो कहता था जो कुछ भी हो करता था वह एक बेटा बिल्कुल भी नहीं कर सकता था और वैसे भी राजू की हरकतें एक बेटे की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,, एक मर्द जिस तरह से औरत को रिझाने के लिए अश्लील हरकतें करता है गंदी बातें करता है उसी तरह से राजु भी अपनी मां को रिझाने के लिए एक मर्द की तरह ही बर्ताव कर रहा था मधु अपने मन में सोच रही थी कि शायद उसका बेटा उसे अपनी मां न समझ कर एक औरत समझकर इस तरह की हरकत कर रहा है,,,,,,, रिश्तो के बीच जब मर्द और औरत का नजरिया आ जाए तो मर्यादा की डोरी टूटने में बिल्कुल भी देर नहीं लगती लेकिन इस मर्यादा की डोरी को टूटने से अभी तक मधु बचाई हुई थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की हरकत से उसे भी आनंद आने लगा था उसकी बातें सुनकर उसे भी मजा आता था,,,,,,,, सभी राज्यों के मन में ख्याल आया कि देखो उसकी मां समोसे की दुकान के पीछे वाले वाक्ये के बारे में क्या बताती है,,, इसलिए वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ बोला,,,।

वैसे मां तुम चली कहां गई थी क्या कोई चीज अच्छी लग गई थी उसे खरीदना चाहती थी क्या,,,, अगर ऐसा है तो मुझे बताई होती मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,,।
(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु एकदम सकते में आ गई क्योंकि वह उस समय पेशाब कर रही थी लेकिन अपने बेटे को झूठ बोली थी कि वह बाजार में इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि वह ठीक अपने बेटे के सामने बैठी हुई थी इसलिए वह अपनी बात को बनाते हुए बोली)

नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो यूं ही बाजार में घूम रही थी काफी दिनों बाद बाजार आई थी ना इसलिए वैसे भी मुझे बाजार घूमने में बहुत मजा आता है,,,,।

ओहहहह तो कहना चाहिए था ना मैं रोज तुम्हें बाजार लेकर जाता अब तो बैलगाड़ी ही मेरे हाथों में आ गई है,,,

हां यह तो तू ठीक कह रहा है अब जब भी मेरा मन करेगा तो तुझे बाजार लेकर चली जाऊंगी अब तो उसके पैसे भी कम आने लगा है इसलिए पैसे की भी चिंता नहीं है,,


हा मा तुम पैसे की बिल्कुल भी चिंता मत करना तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है,,,

अरे वाह तू मेरे लिए जान देने लगा कब से,,,।

अरे कब से क्या जब से इस बात का एहसास हुआ है कि मेरी मां सबसे खूबसूरत औरत है इसलिए,,,,।
(अपने बेटे के मुंह से औरत शब्द सुनकर मधु की दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे एक औरत के नजरिए से देखता है तभी उसकी हरकतें इतनी अश्लील होते जा रही हैं,,,,)

चल रहने दे मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरत गांव भर में है,,,

तुम्हारी ।ह गलतफहमी है मा,,, तुमसे खूबसूरत गांव में तो क्या अगल-बगल के 10 गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं है,,,,


तुझे कैसे पता चला कि गांव में मेरे जैसी खूबसूरत औरत कोई और नहीं है तो क्या औरतों को देखता रहता है क्या,,,?

(राजू को इस बात का एहसास तो हो गया था कि उसकी मां सेवा कुछ भी कहेगा उसकी मां बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि वह बहुत कुछ बोल चुका था गंदी से गंदी बातें कर चुका था यहां तक कि खुले शब्दों में अपनी मां की बुर में लंड डालने की बात भी कह चुका था लेकिन उसकी मां से एक शब्द तक नहीं खाई थी इसीलिए राजू इस मौके का फायदा उठाना चाहता था और अपनी बातों से अपनी मां का दिल बहलाना चाहता था औरतों की संगत में आकर राजु को इतना तो समझ में आ ही गया था कि औरतों को किस तरह की बातें अच्छी लगती हैं इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

नहीं पहले तो नहीं देखता था लेकिन जब से मेरी संगत गलत दोस्तों से पड़ गई तब से ना जाने क्यों मेरा नजरिया बदलता चला गया और मैं गांव भर में घूम-घूम कर औरतों को देखने लगा,,,


क्या देखता था औरतों में,,,(मधु उत्सुकता भरे शब्दों में बोली,,,,, एक बार फिर से राजू को माहौल बनता हुआ नजर आ रहा था,,,, बैलगाड़ी कच्चे रास्ते से आगे बढ़ती चली जा रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी ऐसे में अपनी मां की उत्सुकता को देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, भले ही राजू अपनी मां से लाख कोशिशों के बाद भी उसे हासिल नहीं कर पाया था उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था लेकिन उसे अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करने में भी बेहद उत्तेजना का अनुभव होता था और उसे बहुत मजा आता था इसलिए अपने होठों पर मुस्कान लाता हुआ अपनी मां से बोला,,,)

सच कहूं तो औरतों में देखने लायक क्या नहीं है ऊपर से नीचे तक सब कुछ देखने लायक है । सर के बाल से लेकर झांट के बाल तक सब कुछ खूबसूरत ही होता है,,,।
(राजू जानबूझकर इस तरह की बात कर रहा था और अपने बेटे के मुंह से झांट शब्द सुन कर‌ वह चौंकते हुए बोली,,,)

क्या,,,,?

अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं यहीं पर बात खत्म करता हूं लेकिन जो कुछ भी हकीकत है मैं वही बता रहा हूं,,,


नहीं नहीं वह बात नहीं है तूने कहा क्या खूबसूरती के बारे में,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसकी मां वही सुनना चाहती है जो वह बोलना चाहता है इसलिए आप अपनी बात में बिल्कुल भी मर्यादा के शब्द चलाना नहीं चाहता था वह पूरी तरह से अपने शब्दों को अश्लील कर देना चाहता था इसलिए वह बोला,,)

यही मां की औरतों का सब कुछ खूबसूरत होता है उनके सर के बाल से लेकर के उनके झां‌ट‌ के बाल तक,,,)

सर के बाल तो ठीक है लेकिन उस बाल के बारे में तुझे कैसे पता चला,,,,


अरे मां तुम भी अब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे सब कुछ पता चलता है और वैसे भी ऐसे दोस्त मिले हैं कि अगर नहीं पता चलता हो तो फिर भी सब कुछ बता देते हैं,,,


तूने देखा है क्या वहां के बाल,,,,(मधु अपने चेहरे पर शर्म का एहसास लाते हुए बोली)

हां देखा हूं,,,


कहां देखा है,,,(थोड़ा सा मधु घबराते हुए बोली उसे इस बात का डर था कि कहीं घर में ही तो नहीं देख लिया है)


अरे अपना मुन्ना है ना वही मुझे पड़ोस के गांव लेकर गया था अपनी चाची के वहां,,,, वहीं पर मैंने उसकी चाची को देखा था,,,।

क्या वह तुझे अपनी चाची दिखाने के लिए किया था,,,


अरे नहीं मैं वह मुझे अपनी चाची दिखाने के लिए नहीं ले गया था बल्कि किसी काम से गया था,,,,

तो तूने केसे देख लिया,,,,?

अरे वहां पहुंचकर मुन्ना किसी काम से किसी दूसरे के घर चला गया और मैं वहीं बैठा रह गया मुझे बैठे-बैठे प्यास लग गई,,,, और मैं पानी लेने के लिए घर के पीछे की तरफ चला गया और वहां जाकर देखा तो मेरे होश उड़ गए,,,।

(इतना सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा क्या राजु ने देख लिया इसलिए उत्सुकता भरे स्वर में बोली,,)

ऐसा क्या देख लिया कि तेरे होश उड़ गए,,,


अरे मां यह पूछो कि मैंने क्या नहीं देखा,,,, मैं जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो मैंने देखा कि मुन्ना की चाची जो कि एकदम जवानी से भरी हुई थी वह कुए पर खड़ी थी और कुएं में बाल्टी से पानी निकाल रही थी,,,,।
(कुवे वाली बात सुनते ही मधु की आंखों के सामने अपनी बेटे के साथ कुएं से रस्सी खींचने वाली बात याद आ गई जब पहली बार वह उसका साथ देने के बहाने उसके साथ कुएं पर आया था और उसके पीछे खड़ा होकर अपने मर्दाना अंग की रगड़ को उसकी गांड पर महसूस कर आया था तभी से मधु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा बड़ा हो रहा है और साथ में उसका लंड भी बड़ा हो रहा है,,,,)

तो इसमें क्या हो गया कुवे से पानी निकाल रही थी तो,,,


अरे यही तो बात है वह दूसरी औरतों की तरह ही कुवे से पानी निकाल रही थी लेकिन दूसरी औरतों की तरह उसके बदन पर कपड़ा होना चाहिए था ना साड़ी पहनी होनी चाहिए लेकिन वह बिल्कुल नंगी थी एकदम नंगी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था,,,)

क्या,,,,?( मधु,,एकदम से चौंकते हुए बोली)


हां मैं एकदम सच कह रहा हूं मैं पहली बार किसी औरत को बिना कपड़ों के देखा था एकदम नंगी और क्या लग रही थी मैं ठीक उसके पीछे खड़ा था थोड़ी दूरी पर पेड़ के पीछे छुप कर मैं सब कुछ देख रहा था,,,, उसकी गोरी गांड मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मेरा तो हालत ही खराब हो गया,,,, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं एक बार तो ऐसा मन हो रहा था कि वहां से चला जाऊं लेकिन पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था इसलिए मेरे पैर वहीं जम से गए थे,,,, और नजरें उसी दृश्य से चिपक गई थी,,,,,,।


तुझे डर नहीं लग रहा था अगर कोई तुझे वहां देख लेता तो,,,


डर तो मुझे बहुत लग रहा था लेकिन जिस तरह का नजारा मेरी आंखों के सामने पहली बार आया था उधर से जाने का मन नहीं कर रहा था,,,,


फिर क्या हुआ,,,?(मधु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और राजू अपनी मां की उत्सुकता देख कर खुश हो रहा था ऐसा किसी भी तरह का वाकया उसके साथ बिल्कुल भी नहीं हुआ था बस वह ऐसे ही मनगढ़ंत बातें अपनी मां को बता कर उसके मन को टटोल रहा था)


फिर मैं उसी तरह से रस्सी को खींच रही थी और रस्सी खींचने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर नीचे हो रही थी मानो कि जैसे बड़े-बड़े तरबूज उसके पीछे बांध दिए गए हो,,,(गांड की जगह बड़े-बड़े तरबूज की उपमा को अपने बेटे के मुंह से सुनकर मधु को हंसी आ गई थी लेकिन वह अपने हंसी को रोक ली,,,) मेरी तो हालत खराब हो रही थी पहली बार मैं किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था उसकी नंगी चिकनी पीठ सब कुछ नजर आ रहा था तभी वह पानी निकाल कर मेरी तरफ घूम गई लेकिन उसने मुझे नहीं देखी थी लेकिन मैं सब कुछ देख रहा था उसकी चूचियां,,,, तुम्हारी जैसी खूबसूरत तो नहीं थी,,,( अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह सीधे-सीधे उसकी चूचियों की तुलना उस औरत से कर रहा था और उसके मुंह से यह सुनकर अच्छा लग रहा था कि उसकी तरह उसकी चूचियां नहीं थी मतलब की मधु की खुद की चूचियां बहुत खूबसूरत थी) लेकिन नारंगी से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,,,, उसे देख कर तो मेरी आंखें एकदम चमक गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं वह ठीक मेरे सामने खड़ी थी उसकी नजर कभी भी मेरे पर पड़ सकती थी लेकिन मैं अपने आपको पेड़ के पीछे पूरी तरह से छुपा लिया था और थोड़ी देर बाद फिर से नजर उसकी तरफ करके देखने लगा तो इस बार मेरी नजर उसकी चिकने पेट से नीचे की तरफ आई और दोनों टांगों के बीच की वह पतली लकीर मैंने जिंदगी में पहली बार देखा जिसे बुर कहते हैं,,,, घुंघराले बालों से गिरी हुई बहुत खूबसूरत लग रही थी पहली बार मुझे पता चला कि औरत की बुर के आसपास बाल होते हैं,,,,,,(अपने बेटे के मुंह से बेझिझक बुर शब्द सुनकर मधु के तन बदन में आग लग गई हो गहरी सांस लेते हुए अनजाने में ही साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख दी जो कि धीरे-धीरे पानी छोड़ रही थी,,, एक बार इसी तरह की बातों से राजू ने उसका पानी निकाल दिया था और अब धीरे-धीरे उसके मदन रस की बूंदों को बुर की अंदरूनी दीवारों से बाहर निकलवा रहा था,,,, और राजू बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) वरना मैं तो यही समझता था कि हम मर्दों के लंड के आसपास ही बाल होते हैं,,,,(राजू अपने शब्दों के बाण से लगातार अपनी
मां के संस्कारी और मर्यादा रूपी दीवार को गिराने की कोशिश कर रहा था धीरे-धीरे उसके शब्दों से वह मर्यादा की दीवार डहने को मजबूर होती जा रही थी,,,,,, पहले गांड और बुर और फिर लंड अपने बेटे के मुंह से इस तरह के शब्दों को सुनकर मर्यादा की मजबूत डोरी तार-तार होने पर मजबूत हो रही थी,,, मधु में इतनी हिम्मत अब नहीं बची थी कि वह अपने बेटे को इस तरह के शब्दों को कहने से रोक सके,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें अच्छी लगने लगी थी और उत्तेजित भी हुए जा रही थी खास करके वह बात दोनों टांगों के बीच की पतली दरार,,, औरतों की बुर के बारे में उसे पतली दरार के रूप का व्याख्यान पहली बार हुआ अपने बेटे के मुंह से सुन रही थी वरना आज तक सिर्फ हुआ अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को बुर ही कहती आ रही थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।) सच में मां मैं तो यही सोचता था किसी भी हम मर्दों को ही लंड के आसपास बाल होते लेकिन पहली बार मुन्ना की चाची को देखकर मेरा ख्याल बदल गया था और मैं पहली बार जाना था कि औरतों की बुर के आसपास भी बाहर होते हैं और पहली बार तो मैं किसी औरत की बुर देख रहा था इसलिए दूर देखकर मैं एकदम से हैरान रह गया था इससे पहले तो मैं बुर की कभी कल्पना भी नहीं कर पाता था कि बुर दिखती कैसी है,,,, सच में मां मैं पहली बार देख रहा था कि औरत की बुर केवल एक पतली दरार की तरह होती है बीच में पतली बनार और इर्द-गिर्द फूली हुई जगह मानो कि जैसे कचोरी फुल गई हो,,,।
(जिस तरह से राजू औरत के अंगों के बारे में उदाहरण दे रहा था उसे सुनकर मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी)

सच में तु पहली बार देख रहा था,,,,


हा मा मैं सच कह रहा हूं में पहली बार देख रहा था,,, इससे पहले में औरतों को केवल कपड़ों में ही देखा था,,, मैं तो तब और ज्यादा हैरान हो गया जब देखा कि मुन्ना की चाची साबुन से अपनी बुर रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी मेरे तो होश उड़ गए सच कहूं मा तो मेरा तो लंड खड़ा हो गया था,,, ठीक उस दिन की तरह जब खेत में मैंने तुम्हारे हाथ में पकड़ाया था,,,( इस बार अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बात सुनकर वह एकदम से मदहोश हो गई,,,, राजू अपनी मां के चेहरे पर अपनी बातों का असर देखना चाहता था उसी के पीछे मुड़कर अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई उसकी मां का चेहरा शर्म और उत्तेजना से एकदम लाल हो गया था,,, वह तुरंत आगे की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी बातों ने उसकी मां पर असर करना शुरू कर दिया था और वह भी एकदम बुरी तरह से,,,, अपनी बात को आगे बढ़ाता तब से उसे आगे गांव नजर आने लगा और वह बोला,,)

लगता है हम लोग आ गए ना,,,
(इतना सुनकर मधु आगे की तरफ देखने लगी तो गांव नजर आ रहा था और वह गहरी सांस लेते हुए बोली)

हां यही गांव है आगे चलकर बांई ओर मुड जाना,,,

और थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी ठीक वैद्य के घर के सामने जाकर रुकी,,, बैलगाड़ी में से उतरने से पहले मधु साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को टटोलकर उस का जायजा लेना चाहती थी कि उसके बेटे के शब्दों ने उसे कितनी क्षति पहुंचाई है,,, इस बार अपने बेटे की बात सुनकर वह झाड़ी नहीं थी लेकिन बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,,।)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
बाजार से निकल कर राजू और मधु अपने गंतव्य सफर पर निकल गये मधु राजू के बारे में सोच कर हैरान हो रही थी
राजू अपनी माँ मधु पर बातों के जाल पर जाल फेक रहा था और मधू उसकी चिकनी चुपडी बातों में फसते हुए अपने आप में उत्तेजना महसुस कर बुर से लार टपकाये जा रही थी
मधू लगभग राजू के मोटे तगडे और लंबे लंड के निचे आना तय हैं बस सफर आगे बढता रहे
 

hon3y_gill

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अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय अतुलनीय संभोग की पराकाष्ठा को प्राप्त करके मधुर गहरी गहरी सांस ले रही थी इस अद्भुत सुख से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी,,, मधु ने कभी भी इस तरह के संभोग की कल्पना भी नहीं की थी राजू उसके ऊपर पूरी तरह से डर चुका था और गहरी गहरी सांस लेता हुआ हांफ रहा था,,,, राजू का लंड अभी भी उसकी मां की बुर की गहराई में समाया हुआ था,,,, मधु की गहरी सांसे और उसका लाल-लाल तम तमाता हुआ चेहरा साफ बयां कर रहा था कि वह संपूर्ण रूप से तृप्ति को महसूस कर पाई थी,,, चुदाई के असली सुख से मधु आज जाकर वाकिफ हुई थी,,,,, मधु अपनी मां के नंगे जिस्म पर लेटा हुआ था उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर सर टिकाएं गहरी गहरी सांस ले रहा था ,,,,,,,। मधु अपने बेटे की नंगी पीठ को सहला रही थी,,,, ,,, बाहर अभी भी बड़े जोरों की बारिश हो रही थी,,,,,, बाहर का तूफान अभी भी जारी था लेकिन अंदर का तूफान कुछ देर के लिए शांत हो गया था,,,, खंडहर के अंदर अब किसी भी प्रकार की मादकता और मदहोशी भरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी बस केवल तेज हवाओ और तेज बारिश का शोर सुनाई दे रहा था,,,, बेल के गले में बंधी घंटी बार-बार बज‌ उठती थी।
मधु लव लगाकर अपना पानी छोड़ी थी और राजू भी अपनी गर्म लावा से अपनी मां की बुर को पूरी तरह से भर दिया था और धीरे-धीरे वह बुर से बाहर भी निकल रहा था,,,, झड़ने के बावजूद भी राजू का लंड पहले ही की तरह एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,। उसकी मां अभी भी हैरान थी कि पानी निकल जाने के बाद भी उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसकी बुर के अंदर अभी भी अपनी मोटाई और लंबाई के साथ-साथ रगड़ महसूस करवा रहा था,,,, जो कि रह-रहकर अभी भी झटके खा रहा था,,,,,,।

धीरे-धीरे आधी रात समय हो चुका था ऐसे में राजू अपनी मां की बुर में लंड डाले उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसकी मां अपने बेटे की मेहनत की सराहना के रूप में उसकी पीठ थपथपा रही थी क्योंकि मधु के लिए तो उसके बेटे द्वारा किया गया यह कार्य बेहद सराहनीय था क्योंकि आज तक उसने चुदाई का असली सुख महसूस नहीं कर पाई थी जो कि आज उसके बेटे ने तूफानी रात में इस खंडहर में अद्भुत चुदाई का प्रदर्शन करते हुए उसद पूरी तरह से तृप्त कर चुका था,,,,। धीरे-धीरे दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त कर रहे थे राजू आज बहुत खुश नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी दुनिया का सबसे खुशनसीब बेटा है जो इतनी खूबसूरत औरत की बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,, जिसके बारे में सोच सोच कर और उत्तेजित होता था और अपने लंड को हिलाता था आज उसी को अपनी अद्भुत मर्दाना ताकत के साथ चुदाई करके तृप्त कर चुका था और वह खुद भी तृप्त हो चुका था लेकिन,,, राजू की प्यास इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी,,,,, वह अपनी सांसों को दुरुस्त करके अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाले हुए ही अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

कैसा लगा मा ‌सच सच बताना,,,,,,
(राजू के कहे गए एक एक शब्द में शरारत भरी हुई थी वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था लेकिन मालूम थी कि अपने बेटे के सवाल पर एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली तो राजू खुद अपनी मां के प्यासे लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, मधु शर्मा कर अपने चेहरे को इधर-उधर कर रही थी लेकिन राजू कहां मानने वाला था वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को किसी फूल की भांति अपने दोनों हथेली में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों का फिर से रसपान करना शुरू कर दिया राजू का अपनी मां के होठों पर यह पहला चुंबन था जो कि बेहद गहरा था पल भर में ही मधु पूरी तरह से मस्त होने लगी राजू अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पी रहा था मानो कि जैसे उसमें से मध झड़ रहा हो,,,, मधु के लाल-लाल होठों का रस किसी मदिरा से कम नहीं था पल भर में ही उसका नशा राजू के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा आंखो में खुमारी छाने लगी एक बार फिर से मधु को अपने बेटे का लंड अपनी बुर की गहराई के अंदर ही मोटा होता हुआ महसूस होने लगा,,,, मधु के लिए यह पल यह एहसास बिल्कुल नया था उसने आज तक ऐसा महसूस कभी नहीं की थी अपने पति से जब भी चुदवाती थी उसका पानी निकलने के बाद ही वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता था लेकिन राजू था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था मधु को लग रहा था एक बार फिर से उसका बेटा तैयार हो रहा है इस बात से मधु पूरी तरह से हैरान थी,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास था कि जब से वह खंडहर में आई थी तब से उसके बेटे का लंड टनटनाकर खड़ा हो चुका था और अभी भी चुदाई करने के बावजूद भी फिर से तैयार हो रहा था इतनी मर्दानगी उसने आज तक अपने पति में कभी नहीं देखी थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित ही थी और इस बात का उसे गर्व भी था कि उसने एक मर्द को जन्म दिया था,,,, राजू पूरी तरह से अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पीने में मजबूर था और अपने दोनों हाथों से अपनी मां के खरबूजे जैसी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था यह सब मधु को फिर से उत्तेजित कर रहा था और राजू खुद उत्तेजित हो चुका था लेकिन मधु अभी तैयार नहीं थी वह थक चुकी थी और जिस तरह की चुदाई उसके बेटे ने अपने मोटे हथौड़े जैसे लंड से किया था उसकी थाप से उसकी पुर दर्द करने लगी थी लेकिन राजू की हरकत ने एक बार फिर से उसके तन बदन में मदहोशी भर दिया था अपनी नजरों को उसी अवस्था में खंडहर के बाहर की तरफ घुमाई तो अभी भी बाहर तेज बारिश हो रही थी और मन ही मन बोलने लगी कि यह बारिश कब बंद होगी ऐसी बारिश उसने आज तक नहीं देखी थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवाओं का झोंका और शोर करती हुई बारिश की बूंदे सब कुछ भयानक सा माहौल पैदा कर रहे थे लेकिन इस खंडहर में उसके बेटे की वजह से जैसे कि बहार आ गई थी जंगल में पुरानी खंडहर में चुदवाने का मधु का यह पहला अवसर था जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को तृप्त कर चुकी थी,,,, मधु जानती थी कि उसका बेटा फिर से उसे चोदने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका था लेकिन वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह काफी थक चुकी थी इसीलिए राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,,।


हट मेरे ऊपर से दर्द कर रहा है,,,,(राजू चाहता तो अपनी मां के ऊपर से हटता नहीं और ना ही मधु उसे हटा सकती थी लेकिन फिर भी दर्द का नाम सुनकर राजू अपनी मां के ऊपर से हटने लगा और अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकालने लगा जैसे ही लंड बुर से बाहर,, निकला,,उसम से लंड को निकलते समय पुच्च की आवाज आ गई ,,, जिसको सुनकर मधु एकदम से शर्मा गई,,, और उठ कर बैठ गई राजू भी आराम से उठ कर अपनी मां की तरह बैठ गया था,,,, धीरे-धीरे लकड़ी में आग कम हो रही थी लेकिन उसकी तपन अभी भी बरकरार थी लेकिन उससे ज्यादा तपन राजू को अपनी मां के बदन से प्राप्त हुआ था वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था आखिरकार मेहनत जो इतना किया था,,,, मधु अपनी बुर की तरफ देखते हुए राजू से बोली,,,।

बाप रे पूरी कमर दर्द करने लगी,,,,(दोनों हाथों से अपनी कमर को पकड़ते हुए बोली तो राजू बोला,,,)

इतनी तेज धक्के जो लगाया हूं मैं यकीन से कह सकता हूं कि पिताजी इस तरह से तेज धक्के कभी नहीं लगाते होंगे,,,
(अपने बेटे की इस बात पर मधु फिर से शर्मा गई और राजू से बोली)

अच्छा जैसे तुझे मालूम है कि तेरे पिताजी कैसे धक्के लगाते हैं देखता था क्या,,,?
(राजू का मन तो कर रहा था कि बता दे कि अपने कमरे के छोटे से छेद से हर रोज तुम्हारी चुदाई देखता था लेकिन फिर भी वह इस बात को बताना ठीक नहीं समझा और बोला)
देखा तो नहीं हूं लेकिन पिताजी के शरीर को देखकर मुझे पता तो चलता है कि कितने तेज धक्के लगा सकते हैं पिताजी पास में तुम्हारी चुदाई देख पाता तो मजा आ जाता,,,,
(मधु कुछ बोली नहीं बस खामोश रहे और बाहर बारिश को देखती रही जो की पूरी तरह से रात को अपनी आगोश में लेकर जी भर के बरस रहा था जैसा कि अभी-अभी उसके बेटे ने बरसा था,,,, अपनी मां की नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसकी चिकनी पीठ को सहला ते हुए राजू बोला,,,)

एक बात तो है मां दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है ऐसा लगता है कोई जवान औरत की बुर हो और किसी का लंड बुर में ली ना हो,,,,,,
(अपने जवान बेटे की मुंह से अपनी कसी हुई बुर की तारीफ सुनकर मधुर एकदम से गदगद हो गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जालिम है तू मार-मार के मेरी बुर को तहस-नहस कर दिया और बोलता है कि कसी हुई है,,,

दिखाओ तो कहां तहस-नहस कर दिया,,,(तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर खोलते हुए) क्या पागलों जैसी बात करती हो मां अभी भी कितनी खूबसूरत लग रही है,,,(अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रखकर उसे रगडते हुए,,,) अभी तो रात भर चुदवाओगी तो भी तुम्हारी बुर‌ ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी,,,,(मधु अपने बेटे की हिम्मत भरी बातें और उसकी हथेली की रगड़ को अपनी बुर के उपर महसूस करके एकदम मस्त हो गई और अपने बेटे का हाथ पकड़कर हटाते हुए बोली)

धत्,,,,, बेशर्म हो गया है तू,,, और रात भर चोदेगा कौन किस में इतना दम है,,,,!


अरे तुम्हें रात भर चोदने वाला तुम्हारे सामने ही तो बेटा है देखो, (अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए) कैसे खड़ा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए अभी टांग फैला दो तो अभी डाल दुं,,,


हां तू तो डाल ही देगा और तुझे काम भी क्या है सिर्फ डालना और निकालना,,,


अरे मा तुम तो ऐसी बातें कर रही हो कि तुम्हें कुछ मजा नहीं मिलता,,, तुम्हारी बुर को चाट चाट कर कितना पानी निकाला हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है पता है ना मुझे नहीं लगता कि पिताजी इस तरह से तुम्हारी बुर को चाटते होंगे,,,

चल अब रहने दे तू अपने पिताजी की बातों को,,,,

क्यों,,,? सच तो कह रहा हूं अगर पहले भी पिताजी से इस तरह से अपनी बुर चुसवाती तो आज ईतना पानी ना फेंकती,,,,
(मधु अपने बेटे की इस तरह की बातें से एकदम मदहोश हुए जा रही थी उसकी बातों के एक-एक शब्द उसकी कानों के साथ-साथ उसकी बुर में मिश्री घोल रहे थे,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें बहुत अच्छी लग रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,)

वह सब रहने दे पहले यह देख आग बुझाने वाली है इसमें लकड़ी डाल,,,,,,

मां इस बुझी हुई आग में लकड़ी डाल दूंगा तो यह फिर से जल उठेगी लेकिन तुम्हारी बुर में अगर लंड नहीं डालूंगा तो वह जल्दी ही रहेगी वह ‌बुझेगी नहीं,,,,
(मधु अपने बेटे के लंड की तरफ देखकर और उसकी बातों को सुनकर एकदम से शर्मा गई और उसे थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

चल अब रहने दे कह रही हु ना उसमें लकड़ी डाल,,,,
(राजू समझ गया था कि अब आग में लकड़ी डाले बिना काम चलने वाला नहीं है क्योंकि वाकई में लकड़ी की आग शांत हो रही थी और खंडहर में एक बार फिर से अंधेरा छाने लगा था इसलिए वह उठा और बोला,,,)

जैसी आपकी आज्ञा महारानी जी,,,,(अपने लिए महारानी की उपमा सुनकर मधु खिलखिला कर हंस दी और राजू फिर से सूखी हुई लकड़ियों को खंडार में से कट्ठा करके उसमें डालकर जलाने लगा और थोड़ी देर में फिर से पूरे खंडहर में जलती हुई आग का उजाला फैल गया मधु को जोड़ो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी जगह से खड़ी हुई तो राजू बोला,,,)

अब क्या हुआ,,,

तु यही बैठ में आती हूं,,,

अरे नई-नई रुको मैं भी चलता हूं मैं जानता हूं तुम मुतने के लिए जा रही हो,, मुझे भी जोरों की पेशाब लगी हुई है ,,(और इतना कहकर राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और मधु एक बार फिर से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसका बेटा एकदम खुले शब्दों में उसे मुतने के लिए बोल रहा था,,, मधु कुछ बोल पाती से पहले ही राजू उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया था और उसे अपने साथ लेकर चलने लगा था मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ज्यादा देर तक वो अपने पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी,,, राजू का लंड एकदम हवा में लहरा रहा था जिसे देखकर मधु की कामना एक बार फिर से जागृत होने लगी थी,,,,,,, गणगौर बारिश के साथ घनघोर काली अंधेरे में भी जलती हुई आग की रोशनी में मधु अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से ले रहा था वह देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी,,, उसकी जवानी अपने बेटे के सामने घुटने टेक रही थी मधु हैरान थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी भी उसके बेटे का लंड टन टना कर कैसे खड़ा है,,,,, मधु मंत्रमुग्ध के साथ-साथ आश्चर्यचकित हो गई थी वह राजू को कुछ भी नहीं बोल पा रही थी और राजू उसका हाथ पकड़कर उसी जगह पर ले जा रहा था जहां पर कुछ देर पहले वह बैठकर मुत रही थी देखते ही देखते राजू उसी जगह पर पहुंच गया और अपनी मां से बोला,,,।

अब मुतो,,,,, मैंने आज तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा,,,।
(इतना सुनते ही मधु को बाजार वाला दृश्य में जरा आने लगा जब वह इसी तरह से चार समोसे की दुकान के पीछे जाकर झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी वह ठीक उसके सामने उसका बेटा पेशाब कर रहा था जिस तरह से वह कह रहा था मधु को यकीन हो चला था कि उसके बेटे को उसके वहां होने की बिल्कुल भी आशंका नहीं थी लेकिन फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह हैरान हो गई थी शर्म से पानी पानी हो रही थी आखिरकार कैसे अपनी बेटी के सामने बैठकर पेशाब करेगी यही सोचकर वह हैरान हो रही थी,,,, इसलिए राजू को समझाते हुए बोली,,,।)

क्या बेटा तू पागलों जैसी बात कर रहा है मैं तेरे सामने बैठकर कैसे पेशाब करूंगी,,,

अरे ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले कर रही थी,,,

तू देख रहा था क्या,,,,


अगर देख नहीं रहा होता तो पानी में आ रहा सांप कैसे नजर आता,,,
(इतना सुनते ही मधु का चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन फिर भी वह बोली)

नहीं-नहीं राजू तेरे सामने मुझे शर्म आएगी,,,,,

क्या बात तुम भी,,,, अभी भी तुम्हें शर्म आएगी मेरे मोटे लंबे लंड को अपने बुर में लेकर मस्त हो गई और कहती हो कि शर्म आएगी,,, मैं नंगा खड़ा हूं तुम नंगी खड़ी हो मेरा लंड तुम साफ देख पा रही हो मैं तुम्हारी बुर देख रहा हूं तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड सब कुछ देख रहा हूं और कहती हो शर्म आएगी,,,, मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था और बार-बार अपने बेटे के लंड की तरफ नजर चली जाने की वजह से उसके बदन में मदहोशी भी छा रही थी,,,,,, वह खुद अपने बेटे की बात मानने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी क्योंकि वह भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे को ना नूकुर करते हुए बोली,,,।)

नहीं नहीं बेटा मेरी बात समझने की कोशिश कर आखिरकार मैं तेरी मां हूं और तेरे सामने में कैसे बैठकर मुत सकती हूं,,,,

क्या मां इतना समझाने के बाद भी तुम समझने को तैयार नहीं हो,,,,,, रुको अच्छा मैं ही तुम्हारे सामने मुत कर दिखाता हूं उसके बाद तुम्हें मुतना होगा,,,
(मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसने इतने करीब से किसी भी इंसान को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी हालांकि बाजार में वह अपने बेटे को देखी थी लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने पेशाब करते हुए देखने का लुफ्त उठा नहीं पाई थी लेकिन इस पल वह सारी कसर उतार लेना चाहती थी,,,.,, फिर भी अपने बेटे को ऐसा करने से रोकते हुए वह बोली,,,।)

अरे नहीं रहने दे थोड़ा तो शर्म कर,,,,

अगर शर्म करता तो तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदा ना होता तुम्हें इतना मजा ना दिया होता थोड़ा और मजा देना चाहता हूं और लेना चाहता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और बोला,,,,)

देखो मैं अब कैसे पेशाब करता हूं,,,,।
(अपने बेटे का लंड अपने हाथ में पकड़ते ही मधु की बुर एक बार फिर से पिघलने लगी,, थी,,, अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्माहट में वह पूरे अपने वजूद को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी और उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को कस के दबा ली थी जिसमें उसके बेटे का लैंड और ज्यादा कड़क होने लगा था,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आसमान में काले बादल अभी भी पूरी तरह से अपना जलवा बिखेर रहे थे तूफानी बारिश लगातार जारी थी हवाओं का तेज झोंका बदन में झनझनाहट पैदा कर दे रहा था दोनों मां-बेटे इस समय खंडार के किनारे एकदम नग्न अवस्था में खड़े होकर आनंद की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश कर रहे थे देखते ही देखते राजू अपनी मां के हाथ में लंड दिया मुतना शुरू कर दिया,,,, जलती हुई आग की लपटे कुछ ज्यादा ही तेज थी इसलिए यहां तक रोशनी आ रही थी जिसमें मधु अपने बेटे के लैंड को और उसमें से निकलती पेशाब की धार को एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में पिघलती जा रही थी उसे सहन नहीं हो रहा था और अनजाने में ही वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी थी यह देख कर राजू के तन बदन में आग लगने लगे वह अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और उसकी मां अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी,,,, अद्भुत नजारा बनता चला जा रहा था मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस कदर अपने बेटे के साथ बेशर्म बन जाएगी पहली बार किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करवा रही थी,,,, राजू पूरी तरह से मस्त हो चुका था और एक हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था उससे अपनी उत्तेजना काबू में नहीं हो पा रही थी राजू की इस हरकत पर मधु एकदम से सिहर उठी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहरह आहहहहहहह राजू,,,,,,ऊममममममम,,,,
(मधु पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन अभी तक उसकी पूर्व से पेशाब की धार नहीं फूटी थी,,, इसलिए राजू अपनी उंगली को अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था ताकि उसमें से गरमा गरम पेशाब की धार फूट पड़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था मधु पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसकी आंखें बंद हो गई थी और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी राजू से अपनी मां की हालत देखी नहीं गई और वह आप पेशाब कर चुका था इसलिए तुरंत अपनी मां का हाथ अपने लंड पर से हटाकर घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत अपने प्यासी होठों को अपनी मां की बुर से लगा कर उसने अपनी जीभ घुसा दिया मधु इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही उसे अपने दूर पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श हुआ वह तुरंत एकदम से मचल उठी और उत्तेजना के मारे अपने आप ही उसकी कमर आगे की तरफ उचक गई और राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया लाख कोशिश करने के बावजूद भी इस हालत में रखो अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू नहीं कर पाई और बल बनाकर उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी लेकिन राजू अपना मुंह बिल्कुल भी नहीं हटाया मधु हैरान थी वह मौत रही थी और उसकी बुर से उसका बेटा मुंह लगाए बैठा था,,, एक तरफ मधु को अत्यधिक उत्तेजना और मदहोशी छाई हुई थी और दूसरी तरफ वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि वह अपने बेटे के मुंह में मुत रही थी अपने बेटे का बाल पकड़कर मधु उसे हटाने की लाख कोशिश करती नहीं लेकिन मधुर से ज्यादा ताकत राजू की भुजाओं में थी और वह कसके अपनी मां की गांड को पकड़े हुए था और उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार को अमृत धार समझकर अपने गले के नीचे घटक रहा था,,,,, मधु या देखकर हैरान थी अपने बेटे की आकांक्षा उसकी हरकतें उसे पूरी तरह से प्रभावित कर रही थी इस तरह का सुख आज तक उसके पति ने कभी भी उसे प्रदान नहीं किया था ना ही कभी इस तरह का जिक्र ही किया था जिस तरह की हरकत राजू कर रहा था राजू की हर एक हरकत मधु के लिए मदहोशी का कारण बन रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर बार-बार उसे झकझोर रही थी ,,,,, मधु का मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां नाक से ज्यादा अपने मुंह से सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी तेज हवाओं का झोंका बारिश की बूंदों को खंडहर के अंदर तक फेंक रहा था क्योंकि दोनों के नंगे तन को भिगो रहा था लेकिन अब भीगने का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था बरसात का पानी जितना दोनों को नहीं भीगा रहा था उससे ज्यादा वासना का तूफान उन दोनों को अपने अंदर डुबाए लेकर चला जा रहा था,,,,

मधु की बुर से लगातार तीव्रता के साथ उसके पेशाब की धार फूट रही थी जोकि सीधा राजू के मुंह के अंदर गिर रही थी और उसके बदन को पूरी तरह से भिगो रही थी एक तरह से राजू अपनी मां के पेशाब में नहा रहा था और यह अनुभव से और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो चुका था अपनी मां को गरमा गरम सिसकारी लेता देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी है राजू अपनी मदहोशी और उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था,,,, राजू का लंड एक बार फिर से अपनी मां की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था मधु की बुर से लगातार पेशाब की धार निकल रही थी उसकी आंखें बंद हो चुकी थी वह मजा ले रही थी और पानी की बूंदे उसके पूरे तन को भिगो रही थी राजू भी भीग रहा था राजू अब एक पल भी गवाना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां की बुर पर से अपना मुंह हटा कर खड़ा हुआ और उसकी मां को समझ पाती इससे पहले ही अपनी मां की जान पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गीली चपचपाती हुई बुर में लंड सटाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, और पहले से ही राजू का लंड अपनी मां की बुर में अपने नाम का सांचा बना चुका था इसलिए फच्च की आवाज के साथ ही राजू का लंड एक झटके में उसकी मां की बुर में समा गया और जैसे ही मोटा तगड़ा लंड बहू की बोर में गिरा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और वह अपनी आंखों को खोल दी और जब उसे पता चला कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया है वह पूरी तरह से मस्त हो गई पानी में भीगने का मलाल उसे बिल्कुल भी नहीं था इस समय वह अपने बेटे के प्यार में उसकी वासना में डूब रही थी और भीग रही थी राजू अपनी मां की कमर पर हाथ रखकर उसकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेटे हुए धीरे-धीरे खंडहर की बाहरी दीवार से उसे हटा दिया और अपनी कमर को हिला कर अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया मधु कभी सोचा भी नहीं था कि उसका बेटा इतनी तीव्रता के साथ अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा लेकिन अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से प्रभावित होते हुए उसकी मर्दानगी ताकत के आगे घुटने टेक दी थी ,,,,,

मधु की एक टांग ऊपर उठी हुई थी और राजू के कमर पर लिपटी हुई थी राजू एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे सहारा दिए हुए था और वह अपनी पीठ को खंडार की दीवार से सटाकर अपने बेटे से चुदवाने का मजा ले रहे थे राजू पहले ही धक्के से रफ्तार को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अपने लंड का मजा अपनी मां को दे रहा था उसका हर एक धक्का मधु की चीख निकाल दे रहा था,,,, राजू अपनी मां की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करते हुए अपनी कमर हिला रहा था तूफानी बारिश लगातार जारी थी जिस तरह से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी उसी तरह से राजू भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था राजू लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था मधु की बुर में बड़े आराम से राजू का लंड अंदर बाहर हो रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,,।

आहहहह राजू मेरे लाल‌ आराम से धक्के लगा तेरा लाल कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इतना मोटा लंड मैंने आज तक अपनी बुर में नहीं ली,,,


तभी तो मां मैं तुम्हें जुदाई का असली सुख दे रहा हूं मैं जानता हूं पिताजी का लंड मेरे से आधा भी नहीं है तुम्हें मजा नहीं आता होगा तुम्हारी जवानी का रस पिताजी बराबर जूस नहीं पाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारी जवानी का रस पीने के लिए आया हूं देखो आज मैं तुम्हारे बुर को कैसे अपने लंड से चोद चोद कर सुजा देता हूं तुम भी आज की रात जिंदगी भर नहीं भूलोगी,,,

आहहहहह वह तो देख ही रही हूं तेरी बेशर्मी के साथ-साथ में भी बेशर्म बन गई हूं,,,,आहहररह आहहररहह ,,,,


चुदाई के मामले में बेशर्म बनने में ही ज्यादा मजा है शर्म करने से कुछ हासिल नहीं होता तो मगर बेशर्मी नहीं दिखाती तो आज मेरे लंड का मजा नहीं लेती,,, हाय कितनी कसी हुई बुर है,,,,ऊमम(अपनी मां की गर्दन को चुमते हुए राजू लगातार अपनी कमर हिला रहा था) देखो मां कितने आराम से मेरा लंड तुम्हारी बुर में जा रहा है,,,,ऊफफ तुम तो मुझे पागल कर दोगी,,,,।
(इतना कहते हुए राजू अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया पानी में दोनों का बदन पूरी तरह से भीग रहा था दोनों एक बार फिर से बारिश के पानी में नहा चुके थे लेकिन बारिश का ठंडा पानी दोनों के बदन की अपन को शांत करने में असमर्थ साबित हो रहा था दोनों पूरी तरह से गर्म आ चुके थे मधु की गर्म जवानी में राजू पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,, मधु की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां राजू की छाती के नीचे दबी हुई थी और राजू अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां को चोद रहा था कुछ देर तक राजू अपनी मां को इसी अवस्था में चोदता रहा वह जानता था कि उसकी मां की टांगे दर्द कर रही होगी इसलिए वह अपनी मां की टांग को अपनी कमर से हटाकर सीधी कर दिया और एक बार अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल लिया मधु को लगा कि शायद उसका पानी निकल गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मधु कुछ कह पाती को समझ पाती इससे पहले ही राजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खंडार की दीवार की तरफ घुमा दिया और उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल-गोल गांड को अपने आगे परोश लिया मधु समझ गई थी कि अब उसका बेटा क्या करने वाला है वह भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी गोल-गोल भारी भरकम गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दे ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों को दोस्त करने के लिए सेनापति ने तोप लगा दी हो लेकिन सामने के दल का सेनापति और ज्यादा चला था दुश्मनों की तोप का जवाब अपनी बंदूक से देना जानता था इसलिए राजू तुरंत अपनी मां की उठी हुई तोप को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बंदूक की नाल तोप के छेद में डाल दिया जिसमें से गर्म लावा उसे पिघलाने के लिए निकलने वाला था,,, एक बार फिर से राजू पूरा मोर्चा संभाल लिया था अपनी मां की कमर थाम कर वह फिर से अपने लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था पीछे से चुदवाने में मधु को भी बहुत मजा आता था इसलिए उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज और तेज हो गई थी राजू कभी अपनी मां की कमर थाम लेता तो कभी अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिलाता,,, लेकिन उसका गरम लावा फूटने का नाम ही नहीं ले रहा था अपने बेटे की मर्दाना ताकत के आगे वह पूरी तरह से वशीभूत हो चुकी थी मंत्रमुग्ध थी वह उसी अवस्था में अपनी गांड को हवा में उठाएं अपने बेटे से चुदवाने का मजा लूट रही थी,,,,।

मधु अपने मन में सोचने लगी कि सच में उसका बेटा चुदाई की कला में पूरी तरह से महारत हासिल किया हुआ है तभी तो हर तरीके से उसे परमआनंद दे रहा है,,,, बरसात की बोल दे दोनों केतन को भी हो रही थी और मधु की चिकनी पीठ पर फिसलती हुई पानी की बूंदों को राजू अपना जीभ लगाकर चाट रहा था और अपनी कमर हिला कर लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनते ही मधु अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और भलभलाकर उसका पानी निकलना शुरू हो गया,,,, उसे अपने बेटे की बात पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था उसे तो इस तरह का संबोधन उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था अभी अपने बेटे के सुर में जवाब देते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा तेरे जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखी तेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मैं धन्य हो गई हूं,,,

ओहहहह मेरी रानी मेरा लंड तेरे लिए ही बना है अब देखना दिन रात तेरी बुर में डालकर मैं ऐसी चुदाई करूंगा तो मस्त हो जाएगी,,,

ओहहहहह मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

साले तू बहुत मस्त पेलवाती है,,, तेरी बुर को चोद‌चोद कर में भोसड़ा बना दुंगा भोसड़ाचोदी,,,,,
(राजू अपनी मां से प्यार की बातें करते करते गाली गलौज पर उतर आया था वह जानता था कि चुदाई करते समय गाली गलौज करने में और ज्यादा मजा आता है और इस बात को मधु भी अच्छी तरह से जानती थी वह तो पहले थोड़ा हैरान हुई अपने बेटे के मुंह से गाली सुनकर लेकिन ना जाने क्यों अपने बेटे के मुंह से इस समय गाली उसे बहुत अच्छी लग रही थी और वह भी अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली)

अरे मादरचोद मैं भी देखना चाहती हूं तेरे में कितना दम है,,, मैं भी तो देखूं कैसे तुम्हारी बुर का भोसड़ा बनाता है मादरचोद,,,


अरे मेरी भोसड़ा चोदी मेरी रंडी तेरी बुर पर मेरा नाम लिख गया है,,,, अब तेरी बुर पर मेरा ही राज चलेगा देख अब कैसे तुझे मस्त करता हूं,,,।
(दोनों पूरी तरह से वासना की आग में लिप्त हो चुके थे दोनों को सही गलत का पहचान बिल्कुल भी नहीं था मां-बेटे का पवित्र रिश्ता टूट चुका था और दोनों में मर्दों और औरतों का रिश्ता पनप गया था इसलिए दोनों एक दूसरे से आनंद लेते हुए एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे और मजा ले रहे मधु ने आज तक इस तरह की चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह की चुदाई राजू कर रहा था राजू बिना रुके बिना थके एक ही लए में अपने लंड को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते हैं मधु दो बार और अपना पानी छोड़ चुकी थी और तीसरी बार की तैयारी थी लेकिन आंसू अभी एक भी बार अपना पानी नहीं निकाला था लेकिन इस बार वह भी पूरा चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और ऐसे में उत्तेजित अवस्था में वह अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों का एक साथ पानी निकल गया दोनों जोर जोर से हांफने लगे,,,, कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे से अलग हुए दोनों पानी में पूरी तरह से भीग चुके थे,,,,।

मधु और राजू दोनों खंडार के किनारे खड़े थे जहां पर पानी की बूंदे उन दोनों को भिगो रही थी मधु तुरंत थोड़ा खंडार के अंदर आ गई और अपने बदन से पानी को अपनी हथेली से साफ करते हुए बोली,,।

तू बहुत हारामी है रे आखिर अपनी मनमानी कर ही लेता है मुझे पूरा भिगो दिया,,,

भी तो मैं भी गया हूं मैं लेकिन मजा कितना आया बहुत मजा आया ना,,,,(इतना कहते हुए राजू अपना कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका और उसे लेकर अपनी मां के बदन से पानी को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में दोनों अपने बदन से पानी सुखा कर आगे के आगे बैठे हुए थे मधु पूरी तरह से थक चुकी थी सुबह होने में भी अभी काफी देर थी लेकिन अब उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि दमदार जुदाई के बाद अक्सर मर्द और औरत दोनों को नींद आ जाती है दिन भर सफ़र की थकान और रात को चुदाई की मेहनत से दोनों थक चुके थे इसलिए राजू अपनी मां की साड़ी को वही जलती हुई आग के किनारे बिछा कर अपनी मां को अपनी आगोश में लेकर सो गया,,,, सुबह जब राजू की नींद खुली तो धीरे-धीरे सुबह हो रही थी काले बादल छोड़ चुके थे धीरे-धीरे हल्का-हल्का उजाला हो रहा था लेकिन उसकी मां अभी भी पूरी तरह गहरी नींद में सोई हुई थी राजू अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी पीट उसकी छाती से सटी हुई थी लेकिन लंड पर गौर किया तो उसका लंड मधु की गांड के छेद के एकदम करीब अपना डेरा डाला हुआ था जो की चेतना में आने की वजह से धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था एक बार फिर से अपनी मां की नंगी गांड का स्पर्श पाते ही राजू के तन बदन में आग लग गई और वह अपनी मां को नींद से उठा के बिना ही धीरे से अपने हाथ को नीचे की तरफ ले गया और हाथों से ही टटोलकर अपनी मां की गीली बुर पर हाथ रखकर अपने लंडके सुपाड़े को उस पर टिका दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ सरका दिया जैसे कोई सांप बिल देखकर अपने आप अंदर की तरफ सरकने लगता है उसी तरह से राजू का लंड भी अपनी मां की गुलाबी बिल देखकर अंदर की तरफ सरकने लगा देखते ही देखते राजू ने निद्रा अवस्था में ही अपनी मां की बुर में अपना लंड डाल दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु पूरी तरह से गहरी नींद में थी लेकिन उत्तेजना के मारे राजू के बदन में गर्मी और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अपना हाथ अपनी मां की चूची पर रख कर जोर से दबाना शुरू कर दिया और चूची को जोर से दबाने की वजह से मधु की नींद खुल गई और जब उसे एहसास हुआ कि उसकी बुर में पूरी तरह से उसके बेटे का लंड समाया हुआ है तो वह एकदम से गन गना गई वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,।

क्या राजू रात भर तो चुदाई किया फिर से शुरू हो गया,,

क्या करूं मा तुम्हारी नंगी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था,,,,

चल यहां इस जंगल में तो ठीक है लेकिन घर पर अपने आप पर काबू में रखना वहां पर ऐसा नहीं कि मेरी गांड देखकर सबके सामने शुरू पड़ जाए,,,


क्या करूं हो भी सकता है तुम्हें देखकर मुझ पर काबू नहीं रह जाता,,,।

(इतना सुनते ही हैरान होते हुए मधुर अपने बेटे की तरफ देखी तो राजू हंसते हुए बोला)

मजाक कर रहा था,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु एक बार फिर से हैरान थे कि इस तरह से लेटे लेटे वह उसे बड़े आराम से चोद रहा था जबकि उसके पति से इस तरह से होता ही नहीं था एक बार फिर से मधु के तन बदन में खुमारी छाने लगी आंखों में मदहोशी छाने लगी,,, राजू भाई आराम से पीछे से अपनी मां की चुदाई कर रहा था देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो गई दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर लिए थोड़ी ही देर में उजाला होने लगा दोनों लग्न अवस्था में ही खंडार के किनारे खड़े होकर बाहर का नजारा देख रहे थे चारों तरफ पानी भरा हुआ था लेकिन अब पानी कम था जिसमें से आराम से दोनों बेल गाड़ी लेकर जा सकते थे,,,,, हल्के हल्के उजाले में राजू और उसकी मां दोनों नंगे ही खंडार के अंदर तेरा जो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,,।


तुम सच में आसमान से उतरी हुई परी लग रही हो,,,

चल अब रहने दे,,,(इतना कहने के साथ ही मधु नीचे बिछी हुई साड़ी को उठाकर शर्म के मारे अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी तो राजू फिर से हंसते हुए बोला)

मेरे सामने अब इसकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक अंग से मैं वाकिफ हो चुका हूं और सच कहूं तो तुम्हारे बदन का हर एक अंग खरा सोना है जिसकी आभा में मैं पूरी तरह से नहा चुका हूं,,,,,(इतना कहते हुए राजू अपनी मां के हाथ मैं पकड़ी हुई साड़ी को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा तो राजू की मां बोली)

अब रहने दे मुझे पहन लेने दे अब चलना है सुबह हो रही है,,,

अभी नहीं,,,

क्यों,,,?(अपने बेटे की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए मधु बोली)

अपने बदन पर देखो कितनी धूल मिट्टी लगी हुई है ऐसे जाओगी तो सब क्या कहेंगे कि कहीं गिर गई थी क्या,,,
(इतना सुनकर मधुर अपने बदन की तरफ देखी तो वास्तव में धूल मिट्टी लगी हुई थी वह अपने हाथ से अपनी धूल मिट्टी साफ करने की कोशिश करने लगी तो राजू बोला,,,)

यह सब करने को रहने दो चलो नहा लेते हैं,,,

यहां कहां नहाएंगे,,,,?

चलो मैं बताता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और उसे खंडहर के अंदर से ही पीछे की तरफ हाथ का इशारा करके दिखाते हुए बोला,,)

वह देखो खंडगर के छत से पानी गिर रहा है और वह एकदम साफ है,,, इसी के नीचे खड़ी होकर नहा लो मैं भी नहा लेता हूं,,,

यहां,,,? लेकिन यहां कोई आ गया तो,,,

क्या मां तुम भी इस जंगल में इस वीराने में इतनी सुबह कौन आएगा और वैसे भी यहां दिन में भी कोई नहीं भटकता चलो जल्दी से नहा लेते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़े हुए खंडार के पीछे छत से गिर रहे पानी के नीचे ले जाकर खड़ा कर दिया चारों तरफ घने घने पेड़ थे जंगली झाड़ियां थी यहां का दृश्य और भी ज्यादा मनोरम में लग रहा था मधु गिरते हुए पानी के नीचे एकदम नंगी खड़ी होकर नहा रही थी राजू अपनी मां को नहाते हुए देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,,


इस तरह से खुले में कभी नंगी होकर नहाई हो,,,

कभी नहीं आज पहली बार तेरे साथ इस वीराने में इस तरह से नहाने का मजा ले रही हुं,,,,(और इतना कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी और नहाने का मजा लेने लगी नंगी नहाते हुए मधु और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी अपनी मां की नंगी गांड पर गिरता हुआ पानी देखकर राजू की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी और उसका लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था वह भी अपनी मां के पास जाकर गिरते हुए पानी में नहाने का मजा लेने लगा लेकिन आपस में दोनों का बदन टकरा जा रहा था राजू का लंड कभी उसकी मां की बुर्सेट अगर आता तो कभी उभरी हुई गांड से रगड़ जा रहा था इस तरह से मधु के भी तन बदन में आग लग रही थी बार-बार अपनी गांड से अपने बदन से अपने बेटे का लैंड स्पर्श हो जाने की वजह से उसके बदन में गर्माहट आ गई थी और वह अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाई और तुरंत अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसकी आंख में देखने लगी,,,, मधु इस रूप में पूरी तरह से बिस्तर में लग रही थी और पूरी तरह से उत्तेजना से भरी हुई,,, राजू अपनी मां की आंखों में वासना का तूफान देख रहा था मधु उसी तरह से अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए उसकी आंखों में देखते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से हल्के से काटकर नीचे की तरफ झुकने लगी और देखते ही देखते घुटनों के बल बैठ गई और अपने बेटे के लंड को तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी राजू अपनी मां की इस हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, और गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया राजू पहली बार देख रहा था कि उसकी मां की आंखों में सर में बिल्कुल भी नहीं था वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी और ऐसी औरतों के साथ राजू को और ज्यादा मजा आता था मधु‌ पूरी तरह से अपना अनुभव दिखाते हुए अपने बेटे का लंड चूस कर उसे मजा दे रही थी दोनों एक बार फिर से तैयार हो चुके थे राजू तुरंत अपनी मां की बांह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और देखते ही देखते अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी गोद में उठा लिया एक बार फिर से अपने बेटे की ताकत से मधु मंत्रमुग्ध हो गई अपनी गोद में उठाए हुए ही राजू अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और एक बार फिर से राजू का लंड उसकी मां की बुर में समा गया राजू अपनी मां को गोद में उठाए हुए उसे चोदना शुरू कर दिया ऊपर से पानी गिर रहा था और नीचे राजू पानी में भीगते हुए अपनी मां को चोद रहा था,,,, मधु अपने बेटे की चोदने की ताकत से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई थी उसके आगे वहां घुटने टेक चुकी थी अपने बेटे की लंड की ताकत पर उसे गर्व होने लगा था,,,।

एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज चलने लगी और दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ कर गहरी सांस लेने लगे शांत होने के बाद राजू अपनी मां को अपनी गोद से नीचे उतारा दोनों लगातार गिरते हुए पानी में नहा रहे थे मधु पानी से अपनी पुर को साफ की और राजू अपने लंड को और थोड़ी ही देर में दोनों उसी जगह पर आ गए थे और अपने अपने कपड़े पहन चुके थे जो कि सूख चुके थे,,, अपने बेटे से असीम संभोग का सुख प्राप्त करके मधु अपनी साड़ी पहनकर शर्मा रहे थे साड़ी उतरने के बाद वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी लेकिन साड़ी पहनने के बाद एक बार फिर से वह मां बन चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे के सामने शर्म महसूस हो रही थी राजू बिना कुछ बोले बेल को खंडार में से बाहर लाया और उसे फिर से बैलगाड़ी में जोड़ दिया और दोनों फिर से गांव की तरफ निकल गए,,,


 

hon3y_gill

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सब कुछ इतने बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है की इसको
🌟🌟🌟🌟🌟 देना तो बनता है superb रॉनी भाई Keep it up 👍
लेकिन राजू ने मधु की मोटी मोटी गोरी गान्ड को चाटना तो दूर एक kiss भी न किया...😏 ये बहुत खटक रहा है
 
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