रेखा और निर्मला तो तरुणा के घर नहीं जा पाई पर रवि के अपॉइंटमेंट का डेट जरूर आ गया। तब तक तरुणा की तबियत भी ठीक हो चुकी थी और रेखा का पिछवाड़ा भी। जैसा की तान्या ने कहा था डॉक्टर मेहर और तान्या ने भी चुदाई से दुरी बना ली थी। तान्या सच ही कह रही थी। इस दूरी से डॉक्टर मेहर के अंदर एक ज्वाला सी भड़क गई थी। वो अब रवि का इंतजार कर रही थी। इंतजार की वो घडी भी ख़त्म हो गई थी। शनिवार की शाम को रवि तैयार होकर डॉक्टर मेहर के क्लिनिक में पहुँच गया। वहां रिसेप्शन पर तान्या थी। प्लान के हिसाब से कोई और नहीं था। तान्या ने सुन्दर सा पिंक कलर का फ्रॉक पहन रखा था जो मुश्किल से उसके थाईस तक ही आ रहा था। पर उसने उसके ऊपर से गाउन डाल रखा था। उसने रवि को अंदर जाने का इशारा किया।
रवि ने उससे पुछा - तुम नहीं आओगी ?
तान्या ने कहा - आती हूँ। तुम तो चलो।
रवि क्लीनक के अंदर पहुंचा तो देखा डॉक्टर मेहर अपने चेयर पर बैठी थी। उन्होंने रेड कलर का टाइट सा मिनी पहन रखा था। मिनी के ऊपर से उन्होंने भी व्हाइट गाउन डाल रखा था। रवि को देखते हो डॉक्टर मेहर ने उसे बैठने का ईशारा किया।
रवि उनके सामने आकर बैठ गया।
डॉक्टर मेहर - कैसे हो ?
रवि - मैं ठीक हूँ। आप कैसी हैं ?
मेहर -मैं भी ठीक हूँ। आई एम् सॉरी फॉर थेट इवनिंग। उन्होंने उस रात का जिक्र किया जब रवि तान्या को चोद नहीं पाया था।
रवि - अरे आप अभी तक वहीँ अटकी है। उसके बाद मैंने एयर तान्या ने तो कई बार ~~
मेहर - हाँ मुझे पता है। पर मैं उसको कम्पेन्सेट करना चाहती थी।
रवि मन ही मन सोच रहा था की वो कम्पेन्सेट करना चाहती थी या खुद उसे भोगना चाहती थी।
डॉक्टर मेहर - सही सोच रहे हो। जब से तुम्हारा इलाज शुरू किया तभी से मैं तुमसे चुदना चाहती थी। पर उस समय हिम्मत नहीं हुई। मेरी प्रायोरिटी तुम्हे ठीक करने की थी। तुम्हे अपने उस डार्क जोन से निकाल सफल बनाने की थी। देखो आज तुम कुछ ही सालों में डॉक्टर बन जाओगे।
रवि - आपने मेरी मन की बात पढ़ ली।
मेहर - मत भूलो सैकेट्रिस्ट हूँ। चेहरा देख कर मन पढ़ सकती हूँ। अब तुम सोच रहे होंगे की क्या तुम्हे भोगने के लिए तान्या का इस्तेमाल किया ?
रवि बस उन्हें देखता रह गया।
मेहर - जब तुम मेरे क्लीनक में सेशंस लेने लगे तो तान्या यहाँ कभी कभी हेल्प करती थी। उसने तुम्हे पहली नजर में पसंद कर लिया था। वो भी चाहती थी की तुम एक सफल इंसान बनो ताकि तुम दोनों का रिश्ता भी मन माफिक जुड़ सके। और कहते हैं न दिल से चाहो तो सब मिल जाता है। तुम भी उसी प्रोफेशन में आ गए जिसमे वो है और तो और तुम्हे वही कॉलेज मिला जिसमे वो थी।
रवि -मेरे मन में और सवाल है।
मेहर - यही न की तुम्हारी माँ और तुम्हारे बीच सम्बन्ध इस लिए बनाये क्योंकि मेरे परिवार में सामूहिक चुदाई होती थी?
रवि आश्चर्य में था।
मेहर - ऐसा नहीं है। बल्कि जब तुम और तुम्हारी माँ के बीच सम्बन्ध बन रहे थे। मेरे पास और भी ऐसे केस थे जहाँ माँ बेटे और भाई बहन, बेटी बाप आपस में गलती से सेक्स कर बैठे और बाद में अफ़सोस करते थे। कइयों ने तो गिल्ट में अपनी जान देने की कोशिश भी कर ली थी।
उसी ट्विस्टेड एनवायरनमेंट का असर था की तान्या और तन्मय भी आपस में सेक्स कर बैठे फिर हम सब आपस में खुल कर सब करने लगे।
रवि - आपको उसका गिल्ट नहीं है ?
मेहर - होता है कभी कभी। पर उसके बजाये खुल के जीने में विश्वास ज्यादा है। गिल्ट से दबकर निराश होने से बढ़िया है जो हो रहा है उसे एन्जॉय करो। कोई भी सम्बन्ध जब रजामंदी से है , उनमे कोई जोर नहीं है बल्कि प्यार है तो सम्बन्ध बुरा नहीं है।
रवि - फिर भी।
मेहर - मानो तो पाप वार्ना मौज है। विश्व के कई सभ्यता और समाज में आपस के नजदीकी रिश्तो में सम्बन्ध होते है। वर्जनाएं जरूरी है। पर शरीर है , जीवन है मजे लेते रहो। कम से कम बाहर जाकर किसी और के चक्कर में ब्लैकमेल होना या बीमारी लेना या फिर ब्रेक उप करके रट रहने से तो बढ़िया है। अब देखो तान्या की गर्लफ्रेंड यहाँ आने को तैयार नहीं थी। कोई और होता तो या तो वही रह जाता या टूट जाता। पर हमारे होने से उसका दुःख कुछ ही दिनों में ख़त्म हो गया।
रवि - पर मैं और भावना भी तो बाहरी हैं।
मेहर - भावना को तन्मय बचपन से जानता है। और तुम्हे भी मैं और तान्या बचपन से ही जानते हैं। तुम्हारा इलाज भले ही कुछ महीने या साल चल हो पर मुझे तुम्हारी खबर पूरी थी। तरुणा जी से बात होती रहती थी।
रवि - तो सब नियति है।
मेहर - नियति और चाहत। चाहत मेरी और तान्या की।
रवि - आपकी ?
मेहर अब उठ कर उसके पास आकर कड़ी हो गई। और झुक कर बोली - दरअसल फैन्टेसी सिर्फ बेटे की नहीं थी। मेरी जैसे माँ की भी थी। एक डॉक्टर की भी थी।
रवि - मैं समझा नहीं।
मेहर - मैं भी चाहती थी की अपने क्लिनिक में एक बेटे जैसे पेसेंट को चोद सकूं। पर ये किसी के साथ भी नहीं कर सकती थी।
रवि - तन्मय को बुला लेती।
मेहर ने रवि के गालो और होठो पर अपनी ऊँगली फेरते हुए कहा - वो मादरचोद तो पहले से ही मेरी गांड में घुसा रहता था। जिस दिन से तुम्हे देखा तभी से मेरी फैन्टेसी सिर्फ तुम्हारे साथ थी।
रवि - तो वो सब यहाँ जो हुआ वो
डॉक्टर मेहर ने उसे गालो पर किस करके कहा - वो जितनी तुम्हारी फैंटेसी थी उतनी ही मेरी भी। और आज उसे पूरी तरह से पूरा करने का दिन आ गया है।
डॉक्टर मेहर ने उसका हाथ पकड़ा और अपना गाउन एक तरफ करके अपने नंगे जांघो पर रख दिया। अब रवि अपने एक हाथ से मेहर के चिकने चिकने जांघो को सहला रहा था और दुसरे से उसने गवां के ऊपर से ही उसके मुम्मे पकड़ मसलने शुरू कर दिए। डॉक्टय मेहर झुक कर उसके होठो को किस किये जा रही थी। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद रवि से नहीं रहा गया। वो खडा हो गया और डॉक्टर मेहर का गाउन उतार कर उसे उसकी टेबल पर ही उल्टा कर दिया। टाइट मिनी में मेहर की गांड एकदम उभरी हुई दिख रही थी। रवि ने पहले तो पीछे से उसकी जांघों को सहलाया फिर उसके गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोला - बहुत गांड मरवाई हो। मस्त फ़ैल गई है।
मेहर - अब तो बिना मरवाये मजा ही नहीं आता।
रवि ने दो तीन थप्पड़ उसके मिनी के ऊपर से लगाया फिर पीछे से ही पकड़ उसकी मिनी को कमर से ऊपर कर दिया। मेहर ने अंदर एक थोंग पहन रखा था जिसकी डोरी उसके गांड के फांको के बीच में फसी हुई थी। उसके मटके जैसे गांड एकदम से नुमाया हो गए। रवि ने उन्हें हाथो में पकड़ कर भींच लिया फिर एक दो थप्पड़ उस पर भी लगाए। उसने फिर पैंट उतार दिया और अपने लंड से उस पर मारने लगा।
मेहर - लौड़े से बाहर नहीं अंदर मारा जाता है।
रवि - सही कह रही हो रंडी डॉक्टरनी। ये बताओ हांड मरवाओगी या चूत।
मेहर - खोल तो रखा है। अब तेरी मर्जी।
रवि ने फिर मेहर को और झुका दिया और उसके थोंग की डोरी हो हटा कर उसका गांड फैला दिया। उसने फिर उसके गांड पर अपना खूब सारा थूक लगा दिया और अपना लंड एक ही झटके में डाल दिया। वैसे तो मेहर ने गांड बहुत मरवाई थी पर रवि का लंड बिना क्रीम या तेल के एक ही बार में घुस रहा था। वो दर्द से बिलबिला उठी - मादरचोद , एक ही बार में घुस दिया वो भी बिना तेल के। कुछ तो लगा देता लुब्रिकेशन के लिए।
रवि - तूने ही तो कहा था जैसे मन करे वैसे चोदू। मुझे तो ऐसे मजा आता है।
मेहर - अपनी माँ की गांड भी ऐसे ही मारी थी क्या ?
रवि - साली माँ ने पहली बार मरवाई। पर तो एक्सपर्ट है। तेरे को तेल क्यों चाहिए।
मेहर - इसका मतलब ये थोड़े ही तू मेरी गांड फाड़ डालेगा।
रवि - अभी तो गांड ही में गया है। चूत का क्या होगा ?
मेहर - चूत तो पहले से पनिया गई है।
रवि - तान्या सच कह रही थी एकदम चुदासी हो तुम।
मेहर - बहनचोद , चोदू तो तुम भी हो एक नंबर के।
रवि - बनाया किसने है।
मेहर - इसी लिए बनाया है की धीरे धीरे मारो। साले तेज मार।
रवि ने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिया। चुदाई के साथ साथ रवि ने मेहर के मिनी का चेन खोल दिया था और उसे बाहों से निकाल कर उसके मुम्मे दबाने लगा था। मेहर थोड़ा पीछे होकर मजे से गांड मरवा रही थी। उसका मिनी ड्रेस ऊपर और निचे दोनों तरफ से सिमट कर कमर पर अटका हुआ था। ब्रा निकल कर टेबल पर पड़ा था। कुछ देर ऐसे ही गांड मारते मारते रवि ने मेहर के हाथ पकड़ कर सीधा खड़ा कर दिया और धक्के लगाते लगाते दिवार से लगे सोफे की तरफ चलने लगा।
मेहर - आह आह। और कितनी देर तक मारेगा। मेरी सच में फट जाएगी। अभी तो तान्या की चूत भी मारनी है।
रवि - उसकी भी चूत मारूंगा और तेरी भी। पर बहन की लौड़ी है कहाँ ?
मेहर - साली लाइव टेलीकास्ट देखते हुए चूत में ऊँगली कर रही होगी। उसे चुदने में जितना मजा आता है उतना ही चुदाई देखने में भी।
रवि - जानेमन लाइव ब्रॉडकास्ट मत देखो , लाइव चुदाई देखो।
अब रवि सोफे पर बैठ गया था। मेहर उसके तरफ पीठ करके बैठी थी। बैठी क्या थी उसके ऊपर उछाल रही थी। तभी कमरे में तान्या दाखिल हुई। उसने वही फ्रॉक पहनी हुई थी पर उसके हाथो में उसकी पैंटी थी जो गीली हो राखी थी। वो अपनी माँ के सामने पहुँचती है और उसके मुँह पर अपनी पैंटी ठूस देती है। उसके बाद वो नीचे बैठ उसकी चूत चाटने लगती है।
मेहर - आह , कहा थी अब तक छिनाल बेटी। इतनी देर लगा दी। देख मेरी रसभरी चूत बाह रही है। पी जा।
तान्या मेहर जी चूत चाटने के साथ साथ रवि के आड़ुओ को भी सहला रही थी। जैसे ही रवि ने माँ और बेटी दोनो को एक साथ इस तरह से देखा उसका लंड एकदम से अपना माल छोड़ दिया। माल छोडते ही मेहर उठ खड़ी हुई और सोफे पर गांड लटका कर बैठ गई। तान्या अब रवि के लंड पर लगी उसकी मलाई के साथ साथ अपनी माँ के गांड से रिश्ते माल को भी चाट गई।