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Incest बेटे की फैंटसी

Who do you think make better pair?

  • 1) Ravi - Tanya

    Votes: 32 58.2%
  • 2) Ravi - Rekha

    Votes: 33 60.0%
  • 3) Samrat - Rekha,

    Votes: 7 12.7%
  • 4) Samrat - Saloni

    Votes: 12 21.8%

  • Total voters
    55

tharkiman

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उस रात सुहागरात सिर्फ रेखा और सम्राट की नहीं थी। सुहागरात तो रवि और तरुणा के भी मनी थी। चुदाई सिर्फ तान्या के परिवार में नहीं हुई थी। नैना भी अपने माँ बाप के बीच में सैंडविच बन चुदी थी। इस सबके अलावा सोनल की माँ ने भी डिलडो लगाकर सोनल की खूब चुदाई की थी। अगले दिन रेखा और तरुणा की हालत चलने लायक नहीं थी। रेखा का ख्याल रखने को तो भावना और निर्मला थी पर तरुणा के लिए सिर्फ रवि था। दो दिन बाद तान्या ने रवि को फ़ोन करके पुछा - माँ से अपॉइंटमेंट ले लू ?
रवि - अभी एक हफ्ता और रुक जाओ। माँ की तबियत ठीक नहीं है।
तान्या - क्या हुआ ? डॉक्टर को दिखाना है ? मैं आकर देख लू ?
रवि - भाई मत भूलो मैं भी मेडिकल का स्टूडेंट हूँ। कुछ ख़ास नहीं है। वो उस रात ~~
तान्या समझ गई। उसने हँसते हुए कहा - तो माँ की गांड मार ही ली।
रवि जतनय से कुछ भी नहीं छुपाना चाहता था। उसने कहा - हाँ वो नहीं मानी। सुबह तो चूत भी दिया ? तुम्हारी कैसी रही ?
तान्या - जब तुमने बोल ही दिया था तो जैम कर पापा और भाई से चुदी। दोनों ने कचूमर निकाल दिया है। ठीक ही है कुछ दिन बाद मिलते है। माँ को भी बोलती हूँ कुछ दिन खुद पर काबू रखें ताकि जब तुम्हारे साथ हों तो गर्मी बने रहे।
रवि - हम्म। वैसे गरम तो मैं उन्हें कर ही दूंगा।
तान्या - हाँ हाँ पता है। वैसे माँ पूछ रही थी कोई फैंटसी हो तुम्हारी ?
रवि - अब अपने ही डॉक्टर को चोदने की फैंटसी तो पूरी हो ही रही है।
तान्या - उनका मतलब ड्रेस वगैरह को लेकर था।
रवि - ओह्ह। उनके पास वो टाइट मिनी ड्रेस हो वन पीस वाला जिसके बैक में चेन हो तो मजा आ जायेगा। लाल रंग की मिनी ड्रेस उस पर से
व्हाइट गाउन खूब सेक्सी लगेंगी।
तान्या - और मेरे लिए ?
रवि हँसते हुए - तुम कुछ न ही पहनो तो ठीक है।
तान्या - पता है नंगी तो तुम कर ही दोगे पर फिर भी।
रवि - शार्ट फ्रॉक। पिंक कलर की। एकदम बच्ची लगनी चाहिए। माँ बच्ची दोनों को चोदूूँगा।
तान्या - मादरचोद तो हो ही, लगता है बेटीचोद भी बनना छह रहे हो।
रवि - वो तो तुम्हारा बाप है।
तान्या - हाहाहाहाहा , लगता है जलन हो रही है उनसे।
रवि - मैं क्यों जलूं।
दोनों ने कुछ देर और बात की फिर फ़ोन काट दिया।
रवि का हफ्ता थोड़ा हेक्टिक था। दो दिन तो कॉलेज से लीव लिया था पर बाद में वहां के साथ साथ माँ का भी ख्याल रखना पड़ रहा था।
 

tharkiman

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उधर निर्मला रेखा का पूरा ख्याल रख रही थी। सम्राट तो काम में व्यस्त हो गया। उसे किसी केस के सिलसिले में बाहर भी जाना पड़ा। भावना भी कॉलेज में व्यस्त हो गई। उसका प्रेम प्रसंग तन्मय के साथ तेजी से परवान चढ़ने लगा था। दोनों बाहर मिलते थे। कई बार वो तन्मय के क्लिनिक चली जाती। तन्मय का क्लिनिक अभी सेटअप हो रहा था, वो उसमे मदद भी करती। वही मौका देख दोनों सेक्स भी कर लेते थे।
तन्मय ने एक पैसे बचा कर एक बड़ी जगह खरीद ली थी। वहां ग्राउंड फ्लोर पर अपना क्लिनिक से शुरुआत कर रहा था। सबने यही सोचा था की बाद में एक छोटा मोटा हॉस्पिटल खोल लेंगे जहाँ सब प्रैक्टिस कर सकेंगे।
घर में रेखा और निर्मला के बीच की नजदीकियां भी बढ़ रही थी। जिस तरह से सुहागरात पर एक ही बिस्तर में रेखा ने सम्राट को निर्मला को भी शामिल किया था वो उससे एकदम गदगद थी। जहाँ लड़कियां परिवार से दूर करती हैं वहीँ रेखा ने सबको एक साथ ला दिया था। अब तीनो औरतें आपस में सहेलिया थी।
जब से तरुणा ने सुहागरात को निर्मला का दूध पिया था उसे लत सी लग गई थी। वो अक्सर निर्मला की गोद में सर रख कर उसके दूध पिया करती थी। दूध पीने के बाद सीधे निर्मला के चूत पर आक्रमण करती और उसका पानी पीती। एक तरह से सुबह शाम का नाश्ता हो गया था ये।
पर उसे ऐसा करते हुए अक्सर तरुणा की याद आती थी। उसके दिमाग में कई बार आया की वो तरुणा और निर्मला दोनों के साथ नंगी एक ही बिस्तर पर सोये। पर वो ये निर्मला से कहने से डरती थी। कहीं ऐसा न हो की वो बुरा मान जाए। क्योंकि अगर तरुणा होगी तो रवि भी होगा।
उसे ये तो अंदाजा था की तन्मय निर्मला को चोदना चाहता था। भावना और निर्मला उसको लेकर आपस में मजाक भी कर लेते थे। ये सबके सामने होता था। पर निर्मला रवि को लेकर क्या सोचती है ये पता नहीं था। संबंधों में और कॉम्प्लीकेशन्स वो जोड़ना भी नहीं चाहती थी।
पर जब भी रवि और तरुणा की याद आती वो उदास हो जाती थी। खासकर जब सम्राट ट्रिप पर गया तो उसे उन दोनों की याद बहुत आती थी। ये शायद निर्मला को अंदाजा हो गया। एक दिन उन्होंने रेखा को कहा - अगर तू एक आध दिन के लिए अपने घर जाना चाहती है तो चली जा।
रेखा - हाँ माँ की याद तो बहुत आती है।
निर्मला - और रवि की ?
रेखा ने सर झुका लिय। चुप ही रही वो।
निर्मला ने उसकी ठुड्ढी पकड़ सर उठा लिया और माथे को चूम कर बोली - मुझे पता है। शर्माने की जरूरत नहीं है। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तू वहां जाये तो।
रेखा - आप भी चलो न। एक रात वहां बिता कर आते हैं। आप भी उन लोगों से ज्यादा बात चीत कहा की हैं। और चलोगी तो माँ और रवि को भी ठीक से जान जाओगी। आप की तरह ही रसीली हैं माँ। और रवि सम्राट से कम नहीं है।
रेखा ने दुसरे वे में अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी थी। निर्मला चुप ही रही। उन्हें चुप देख रेखा बोली - मेरी बात बुरी लगी हो तो मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं आप सबके साथ यही खुश हूँ।
निर्मला बोली - अरे पगली तेरी किसी बात का बुरा मैं नहीं मानती। उनसे मिलने का मन तो मेरा भी है। जिन्होंने तुझे इतना प्यार दिया है वो पक्का ही प्यारे लोग होंगे। मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। पर तेरी बाकी ख्वाहिश पूरी करने की मैं कोई गॅरेंटी नहीं ले सकती। तुझे पता है मैं भावना और तन्मय को लेकर ही कुछ डिसाइड नहीं कर पाई हूँ। भावना ने कितनी बार बोला है और ये और। पता नहीं।
रेखा ने निर्मला को गले लगा लिया और बोली - थैंक यू माँ। आपसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। आपका जो मन करे जब मन करे तभी करना।
निर्मला - तो ठीक है किसी दिन प्लान करते हैं।
रेखा - थैंक यू। उसने निर्मला को दोबारा किस कर लिया।
 

Ak47203

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उधर निर्मला रेखा का पूरा ख्याल रख रही थी। सम्राट तो काम में व्यस्त हो गया। उसे किसी केस के सिलसिले में बाहर भी जाना पड़ा। भावना भी कॉलेज में व्यस्त हो गई। उसका प्रेम प्रसंग तन्मय के साथ तेजी से परवान चढ़ने लगा था। दोनों बाहर मिलते थे। कई बार वो तन्मय के क्लिनिक चली जाती। तन्मय का क्लिनिक अभी सेटअप हो रहा था, वो उसमे मदद भी करती। वही मौका देख दोनों सेक्स भी कर लेते थे।
तन्मय ने एक पैसे बचा कर एक बड़ी जगह खरीद ली थी। वहां ग्राउंड फ्लोर पर अपना क्लिनिक से शुरुआत कर रहा था। सबने यही सोचा था की बाद में एक छोटा मोटा हॉस्पिटल खोल लेंगे जहाँ सब प्रैक्टिस कर सकेंगे।
घर में रेखा और निर्मला के बीच की नजदीकियां भी बढ़ रही थी। जिस तरह से सुहागरात पर एक ही बिस्तर में रेखा ने सम्राट को निर्मला को भी शामिल किया था वो उससे एकदम गदगद थी। जहाँ लड़कियां परिवार से दूर करती हैं वहीँ रेखा ने सबको एक साथ ला दिया था। अब तीनो औरतें आपस में सहेलिया थी।
जब से तरुणा ने सुहागरात को निर्मला का दूध पिया था उसे लत सी लग गई थी। वो अक्सर निर्मला की गोद में सर रख कर उसके दूध पिया करती थी। दूध पीने के बाद सीधे निर्मला के चूत पर आक्रमण करती और उसका पानी पीती। एक तरह से सुबह शाम का नाश्ता हो गया था ये।
पर उसे ऐसा करते हुए अक्सर तरुणा की याद आती थी। उसके दिमाग में कई बार आया की वो तरुणा और निर्मला दोनों के साथ नंगी एक ही बिस्तर पर सोये। पर वो ये निर्मला से कहने से डरती थी। कहीं ऐसा न हो की वो बुरा मान जाए। क्योंकि अगर तरुणा होगी तो रवि भी होगा।
उसे ये तो अंदाजा था की तन्मय निर्मला को चोदना चाहता था। भावना और निर्मला उसको लेकर आपस में मजाक भी कर लेते थे। ये सबके सामने होता था। पर निर्मला रवि को लेकर क्या सोचती है ये पता नहीं था। संबंधों में और कॉम्प्लीकेशन्स वो जोड़ना भी नहीं चाहती थी।
पर जब भी रवि और तरुणा की याद आती वो उदास हो जाती थी। खासकर जब सम्राट ट्रिप पर गया तो उसे उन दोनों की याद बहुत आती थी। ये शायद निर्मला को अंदाजा हो गया। एक दिन उन्होंने रेखा को कहा - अगर तू एक आध दिन के लिए अपने घर जाना चाहती है तो चली जा।
रेखा - हाँ माँ की याद तो बहुत आती है।
निर्मला - और रवि की ?
रेखा ने सर झुका लिय। चुप ही रही वो।
निर्मला ने उसकी ठुड्ढी पकड़ सर उठा लिया और माथे को चूम कर बोली - मुझे पता है। शर्माने की जरूरत नहीं है। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तू वहां जाये तो।
रेखा - आप भी चलो न। एक रात वहां बिता कर आते हैं। आप भी उन लोगों से ज्यादा बात चीत कहा की हैं। और चलोगी तो माँ और रवि को भी ठीक से जान जाओगी। आप की तरह ही रसीली हैं माँ। और रवि सम्राट से कम नहीं है।
रेखा ने दुसरे वे में अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी थी। निर्मला चुप ही रही। उन्हें चुप देख रेखा बोली - मेरी बात बुरी लगी हो तो मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं आप सबके साथ यही खुश हूँ।
निर्मला बोली - अरे पगली तेरी किसी बात का बुरा मैं नहीं मानती। उनसे मिलने का मन तो मेरा भी है। जिन्होंने तुझे इतना प्यार दिया है वो पक्का ही प्यारे लोग होंगे। मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। पर तेरी बाकी ख्वाहिश पूरी करने की मैं कोई गॅरेंटी नहीं ले सकती। तुझे पता है मैं भावना और तन्मय को लेकर ही कुछ डिसाइड नहीं कर पाई हूँ। भावना ने कितनी बार बोला है और ये और। पता नहीं।
रेखा ने निर्मला को गले लगा लिया और बोली - थैंक यू माँ। आपसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। आपका जो मन करे जब मन करे तभी करना।
निर्मला - तो ठीक है किसी दिन प्लान करते हैं।
रेखा - थैंक यू। उसने निर्मला को दोबारा किस कर लिया।
Bro jab REKHA ghar aaye to RAVI usse berukhi jaahir kare or tab rekha ko apne sache pyar ka ehsaas ho jo ki ravi hai
OR bro rekha ravi ke bachee ki hi maa bane
 
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उस रात सुहागरात सिर्फ रेखा और सम्राट की नहीं थी। सुहागरात तो रवि और तरुणा के भी मनी थी। चुदाई सिर्फ तान्या के परिवार में नहीं हुई थी। नैना भी अपने माँ बाप के बीच में सैंडविच बन चुदी थी। इस सबके अलावा सोनल की माँ ने भी डिलडो लगाकर सोनल की खूब चुदाई की थी। अगले दिन रेखा और तरुणा की हालत चलने लायक नहीं थी। रेखा का ख्याल रखने को तो भावना और निर्मला थी पर तरुणा के लिए सिर्फ रवि था। दो दिन बाद तान्या ने रवि को फ़ोन करके पुछा - माँ से अपॉइंटमेंट ले लू ?
रवि - अभी एक हफ्ता और रुक जाओ। माँ की तबियत ठीक नहीं है।
तान्या - क्या हुआ ? डॉक्टर को दिखाना है ? मैं आकर देख लू ?
रवि - भाई मत भूलो मैं भी मेडिकल का स्टूडेंट हूँ। कुछ ख़ास नहीं है। वो उस रात ~~
तान्या समझ गई। उसने हँसते हुए कहा - तो माँ की गांड मार ही ली।
रवि जतनय से कुछ भी नहीं छुपाना चाहता था। उसने कहा - हाँ वो नहीं मानी। सुबह तो चूत भी दिया ? तुम्हारी कैसी रही ?
तान्या - जब तुमने बोल ही दिया था तो जैम कर पापा और भाई से चुदी। दोनों ने कचूमर निकाल दिया है। ठीक ही है कुछ दिन बाद मिलते है। माँ को भी बोलती हूँ कुछ दिन खुद पर काबू रखें ताकि जब तुम्हारे साथ हों तो गर्मी बने रहे।
रवि - हम्म। वैसे गरम तो मैं उन्हें कर ही दूंगा।
तान्या - हाँ हाँ पता है। वैसे माँ पूछ रही थी कोई फैंटसी हो तुम्हारी ?
रवि - अब अपने ही डॉक्टर को चोदने की फैंटसी तो पूरी हो ही रही है।
तान्या - उनका मतलब ड्रेस वगैरह को लेकर था।
रवि - ओह्ह। उनके पास वो टाइट मिनी ड्रेस हो वन पीस वाला जिसके बैक में चेन हो तो मजा आ जायेगा। लाल रंग की मिनी ड्रेस उस पर से
व्हाइट गाउन खूब सेक्सी लगेंगी।
तान्या - और मेरे लिए ?
रवि हँसते हुए - तुम कुछ न ही पहनो तो ठीक है।
तान्या - पता है नंगी तो तुम कर ही दोगे पर फिर भी।
रवि - शार्ट फ्रॉक। पिंक कलर की। एकदम बच्ची लगनी चाहिए। माँ बच्ची दोनों को चोदूूँगा।
तान्या - मादरचोद तो हो ही, लगता है बेटीचोद भी बनना छह रहे हो।
रवि - वो तो तुम्हारा बाप है।
तान्या - हाहाहाहाहा , लगता है जलन हो रही है उनसे।
रवि - मैं क्यों जलूं।
दोनों ने कुछ देर और बात की फिर फ़ोन काट दिया।
रवि का हफ्ता थोड़ा हेक्टिक था। दो दिन तो कॉलेज से लीव लिया था पर बाद में वहां के साथ साथ माँ का भी ख्याल रखना पड़ रहा था।
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उधर निर्मला रेखा का पूरा ख्याल रख रही थी। सम्राट तो काम में व्यस्त हो गया। उसे किसी केस के सिलसिले में बाहर भी जाना पड़ा। भावना भी कॉलेज में व्यस्त हो गई। उसका प्रेम प्रसंग तन्मय के साथ तेजी से परवान चढ़ने लगा था। दोनों बाहर मिलते थे। कई बार वो तन्मय के क्लिनिक चली जाती। तन्मय का क्लिनिक अभी सेटअप हो रहा था, वो उसमे मदद भी करती। वही मौका देख दोनों सेक्स भी कर लेते थे।
तन्मय ने एक पैसे बचा कर एक बड़ी जगह खरीद ली थी। वहां ग्राउंड फ्लोर पर अपना क्लिनिक से शुरुआत कर रहा था। सबने यही सोचा था की बाद में एक छोटा मोटा हॉस्पिटल खोल लेंगे जहाँ सब प्रैक्टिस कर सकेंगे।
घर में रेखा और निर्मला के बीच की नजदीकियां भी बढ़ रही थी। जिस तरह से सुहागरात पर एक ही बिस्तर में रेखा ने सम्राट को निर्मला को भी शामिल किया था वो उससे एकदम गदगद थी। जहाँ लड़कियां परिवार से दूर करती हैं वहीँ रेखा ने सबको एक साथ ला दिया था। अब तीनो औरतें आपस में सहेलिया थी।
जब से तरुणा ने सुहागरात को निर्मला का दूध पिया था उसे लत सी लग गई थी। वो अक्सर निर्मला की गोद में सर रख कर उसके दूध पिया करती थी। दूध पीने के बाद सीधे निर्मला के चूत पर आक्रमण करती और उसका पानी पीती। एक तरह से सुबह शाम का नाश्ता हो गया था ये।
पर उसे ऐसा करते हुए अक्सर तरुणा की याद आती थी। उसके दिमाग में कई बार आया की वो तरुणा और निर्मला दोनों के साथ नंगी एक ही बिस्तर पर सोये। पर वो ये निर्मला से कहने से डरती थी। कहीं ऐसा न हो की वो बुरा मान जाए। क्योंकि अगर तरुणा होगी तो रवि भी होगा।
उसे ये तो अंदाजा था की तन्मय निर्मला को चोदना चाहता था। भावना और निर्मला उसको लेकर आपस में मजाक भी कर लेते थे। ये सबके सामने होता था। पर निर्मला रवि को लेकर क्या सोचती है ये पता नहीं था। संबंधों में और कॉम्प्लीकेशन्स वो जोड़ना भी नहीं चाहती थी।
पर जब भी रवि और तरुणा की याद आती वो उदास हो जाती थी। खासकर जब सम्राट ट्रिप पर गया तो उसे उन दोनों की याद बहुत आती थी। ये शायद निर्मला को अंदाजा हो गया। एक दिन उन्होंने रेखा को कहा - अगर तू एक आध दिन के लिए अपने घर जाना चाहती है तो चली जा।
रेखा - हाँ माँ की याद तो बहुत आती है।
निर्मला - और रवि की ?
रेखा ने सर झुका लिय। चुप ही रही वो।
निर्मला ने उसकी ठुड्ढी पकड़ सर उठा लिया और माथे को चूम कर बोली - मुझे पता है। शर्माने की जरूरत नहीं है। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तू वहां जाये तो।
रेखा - आप भी चलो न। एक रात वहां बिता कर आते हैं। आप भी उन लोगों से ज्यादा बात चीत कहा की हैं। और चलोगी तो माँ और रवि को भी ठीक से जान जाओगी। आप की तरह ही रसीली हैं माँ। और रवि सम्राट से कम नहीं है।
रेखा ने दुसरे वे में अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी थी। निर्मला चुप ही रही। उन्हें चुप देख रेखा बोली - मेरी बात बुरी लगी हो तो मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं आप सबके साथ यही खुश हूँ।
निर्मला बोली - अरे पगली तेरी किसी बात का बुरा मैं नहीं मानती। उनसे मिलने का मन तो मेरा भी है। जिन्होंने तुझे इतना प्यार दिया है वो पक्का ही प्यारे लोग होंगे। मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। पर तेरी बाकी ख्वाहिश पूरी करने की मैं कोई गॅरेंटी नहीं ले सकती। तुझे पता है मैं भावना और तन्मय को लेकर ही कुछ डिसाइड नहीं कर पाई हूँ। भावना ने कितनी बार बोला है और ये और। पता नहीं।
रेखा ने निर्मला को गले लगा लिया और बोली - थैंक यू माँ। आपसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। आपका जो मन करे जब मन करे तभी करना।
निर्मला - तो ठीक है किसी दिन प्लान करते हैं।
रेखा - थैंक यू। उसने निर्मला को दोबारा किस कर लिया।
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tharkiman

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रेखा और निर्मला तो तरुणा के घर नहीं जा पाई पर रवि के अपॉइंटमेंट का डेट जरूर आ गया। तब तक तरुणा की तबियत भी ठीक हो चुकी थी और रेखा का पिछवाड़ा भी। जैसा की तान्या ने कहा था डॉक्टर मेहर और तान्या ने भी चुदाई से दुरी बना ली थी। तान्या सच ही कह रही थी। इस दूरी से डॉक्टर मेहर के अंदर एक ज्वाला सी भड़क गई थी। वो अब रवि का इंतजार कर रही थी। इंतजार की वो घडी भी ख़त्म हो गई थी। शनिवार की शाम को रवि तैयार होकर डॉक्टर मेहर के क्लिनिक में पहुँच गया। वहां रिसेप्शन पर तान्या थी। प्लान के हिसाब से कोई और नहीं था। तान्या ने सुन्दर सा पिंक कलर का फ्रॉक पहन रखा था जो मुश्किल से उसके थाईस तक ही आ रहा था। पर उसने उसके ऊपर से गाउन डाल रखा था। उसने रवि को अंदर जाने का इशारा किया।
रवि ने उससे पुछा - तुम नहीं आओगी ?
तान्या ने कहा - आती हूँ। तुम तो चलो।
रवि क्लीनक के अंदर पहुंचा तो देखा डॉक्टर मेहर अपने चेयर पर बैठी थी। उन्होंने रेड कलर का टाइट सा मिनी पहन रखा था। मिनी के ऊपर से उन्होंने भी व्हाइट गाउन डाल रखा था। रवि को देखते हो डॉक्टर मेहर ने उसे बैठने का ईशारा किया।
रवि उनके सामने आकर बैठ गया।
डॉक्टर मेहर - कैसे हो ?
रवि - मैं ठीक हूँ। आप कैसी हैं ?
मेहर -मैं भी ठीक हूँ। आई एम् सॉरी फॉर थेट इवनिंग। उन्होंने उस रात का जिक्र किया जब रवि तान्या को चोद नहीं पाया था।
रवि - अरे आप अभी तक वहीँ अटकी है। उसके बाद मैंने एयर तान्या ने तो कई बार ~~
मेहर - हाँ मुझे पता है। पर मैं उसको कम्पेन्सेट करना चाहती थी।
रवि मन ही मन सोच रहा था की वो कम्पेन्सेट करना चाहती थी या खुद उसे भोगना चाहती थी।
डॉक्टर मेहर - सही सोच रहे हो। जब से तुम्हारा इलाज शुरू किया तभी से मैं तुमसे चुदना चाहती थी। पर उस समय हिम्मत नहीं हुई। मेरी प्रायोरिटी तुम्हे ठीक करने की थी। तुम्हे अपने उस डार्क जोन से निकाल सफल बनाने की थी। देखो आज तुम कुछ ही सालों में डॉक्टर बन जाओगे।
रवि - आपने मेरी मन की बात पढ़ ली।
मेहर - मत भूलो सैकेट्रिस्ट हूँ। चेहरा देख कर मन पढ़ सकती हूँ। अब तुम सोच रहे होंगे की क्या तुम्हे भोगने के लिए तान्या का इस्तेमाल किया ?
रवि बस उन्हें देखता रह गया।
मेहर - जब तुम मेरे क्लीनक में सेशंस लेने लगे तो तान्या यहाँ कभी कभी हेल्प करती थी। उसने तुम्हे पहली नजर में पसंद कर लिया था। वो भी चाहती थी की तुम एक सफल इंसान बनो ताकि तुम दोनों का रिश्ता भी मन माफिक जुड़ सके। और कहते हैं न दिल से चाहो तो सब मिल जाता है। तुम भी उसी प्रोफेशन में आ गए जिसमे वो है और तो और तुम्हे वही कॉलेज मिला जिसमे वो थी।
रवि -मेरे मन में और सवाल है।
मेहर - यही न की तुम्हारी माँ और तुम्हारे बीच सम्बन्ध इस लिए बनाये क्योंकि मेरे परिवार में सामूहिक चुदाई होती थी?
रवि आश्चर्य में था।
मेहर - ऐसा नहीं है। बल्कि जब तुम और तुम्हारी माँ के बीच सम्बन्ध बन रहे थे। मेरे पास और भी ऐसे केस थे जहाँ माँ बेटे और भाई बहन, बेटी बाप आपस में गलती से सेक्स कर बैठे और बाद में अफ़सोस करते थे। कइयों ने तो गिल्ट में अपनी जान देने की कोशिश भी कर ली थी।
उसी ट्विस्टेड एनवायरनमेंट का असर था की तान्या और तन्मय भी आपस में सेक्स कर बैठे फिर हम सब आपस में खुल कर सब करने लगे।
रवि - आपको उसका गिल्ट नहीं है ?
मेहर - होता है कभी कभी। पर उसके बजाये खुल के जीने में विश्वास ज्यादा है। गिल्ट से दबकर निराश होने से बढ़िया है जो हो रहा है उसे एन्जॉय करो। कोई भी सम्बन्ध जब रजामंदी से है , उनमे कोई जोर नहीं है बल्कि प्यार है तो सम्बन्ध बुरा नहीं है।
रवि - फिर भी।
मेहर - मानो तो पाप वार्ना मौज है। विश्व के कई सभ्यता और समाज में आपस के नजदीकी रिश्तो में सम्बन्ध होते है। वर्जनाएं जरूरी है। पर शरीर है , जीवन है मजे लेते रहो। कम से कम बाहर जाकर किसी और के चक्कर में ब्लैकमेल होना या बीमारी लेना या फिर ब्रेक उप करके रट रहने से तो बढ़िया है। अब देखो तान्या की गर्लफ्रेंड यहाँ आने को तैयार नहीं थी। कोई और होता तो या तो वही रह जाता या टूट जाता। पर हमारे होने से उसका दुःख कुछ ही दिनों में ख़त्म हो गया।
रवि - पर मैं और भावना भी तो बाहरी हैं।
मेहर - भावना को तन्मय बचपन से जानता है। और तुम्हे भी मैं और तान्या बचपन से ही जानते हैं। तुम्हारा इलाज भले ही कुछ महीने या साल चल हो पर मुझे तुम्हारी खबर पूरी थी। तरुणा जी से बात होती रहती थी।
रवि - तो सब नियति है।
मेहर - नियति और चाहत। चाहत मेरी और तान्या की।
रवि - आपकी ?
मेहर अब उठ कर उसके पास आकर कड़ी हो गई। और झुक कर बोली - दरअसल फैन्टेसी सिर्फ बेटे की नहीं थी। मेरी जैसे माँ की भी थी। एक डॉक्टर की भी थी।
रवि - मैं समझा नहीं।
मेहर - मैं भी चाहती थी की अपने क्लिनिक में एक बेटे जैसे पेसेंट को चोद सकूं। पर ये किसी के साथ भी नहीं कर सकती थी।
रवि - तन्मय को बुला लेती।
मेहर ने रवि के गालो और होठो पर अपनी ऊँगली फेरते हुए कहा - वो मादरचोद तो पहले से ही मेरी गांड में घुसा रहता था। जिस दिन से तुम्हे देखा तभी से मेरी फैन्टेसी सिर्फ तुम्हारे साथ थी।
रवि - तो वो सब यहाँ जो हुआ वो
डॉक्टर मेहर ने उसे गालो पर किस करके कहा - वो जितनी तुम्हारी फैंटेसी थी उतनी ही मेरी भी। और आज उसे पूरी तरह से पूरा करने का दिन आ गया है।
डॉक्टर मेहर ने उसका हाथ पकड़ा और अपना गाउन एक तरफ करके अपने नंगे जांघो पर रख दिया। अब रवि अपने एक हाथ से मेहर के चिकने चिकने जांघो को सहला रहा था और दुसरे से उसने गवां के ऊपर से ही उसके मुम्मे पकड़ मसलने शुरू कर दिए। डॉक्टय मेहर झुक कर उसके होठो को किस किये जा रही थी। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद रवि से नहीं रहा गया। वो खडा हो गया और डॉक्टर मेहर का गाउन उतार कर उसे उसकी टेबल पर ही उल्टा कर दिया। टाइट मिनी में मेहर की गांड एकदम उभरी हुई दिख रही थी। रवि ने पहले तो पीछे से उसकी जांघों को सहलाया फिर उसके गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोला - बहुत गांड मरवाई हो। मस्त फ़ैल गई है।
मेहर - अब तो बिना मरवाये मजा ही नहीं आता।
रवि ने दो तीन थप्पड़ उसके मिनी के ऊपर से लगाया फिर पीछे से ही पकड़ उसकी मिनी को कमर से ऊपर कर दिया। मेहर ने अंदर एक थोंग पहन रखा था जिसकी डोरी उसके गांड के फांको के बीच में फसी हुई थी। उसके मटके जैसे गांड एकदम से नुमाया हो गए। रवि ने उन्हें हाथो में पकड़ कर भींच लिया फिर एक दो थप्पड़ उस पर भी लगाए। उसने फिर पैंट उतार दिया और अपने लंड से उस पर मारने लगा।
मेहर - लौड़े से बाहर नहीं अंदर मारा जाता है।
रवि - सही कह रही हो रंडी डॉक्टरनी। ये बताओ हांड मरवाओगी या चूत।
मेहर - खोल तो रखा है। अब तेरी मर्जी।
रवि ने फिर मेहर को और झुका दिया और उसके थोंग की डोरी हो हटा कर उसका गांड फैला दिया। उसने फिर उसके गांड पर अपना खूब सारा थूक लगा दिया और अपना लंड एक ही झटके में डाल दिया। वैसे तो मेहर ने गांड बहुत मरवाई थी पर रवि का लंड बिना क्रीम या तेल के एक ही बार में घुस रहा था। वो दर्द से बिलबिला उठी - मादरचोद , एक ही बार में घुस दिया वो भी बिना तेल के। कुछ तो लगा देता लुब्रिकेशन के लिए।
रवि - तूने ही तो कहा था जैसे मन करे वैसे चोदू। मुझे तो ऐसे मजा आता है।
मेहर - अपनी माँ की गांड भी ऐसे ही मारी थी क्या ?
रवि - साली माँ ने पहली बार मरवाई। पर तो एक्सपर्ट है। तेरे को तेल क्यों चाहिए।
मेहर - इसका मतलब ये थोड़े ही तू मेरी गांड फाड़ डालेगा।
रवि - अभी तो गांड ही में गया है। चूत का क्या होगा ?
मेहर - चूत तो पहले से पनिया गई है।
रवि - तान्या सच कह रही थी एकदम चुदासी हो तुम।
मेहर - बहनचोद , चोदू तो तुम भी हो एक नंबर के।
रवि - बनाया किसने है।
मेहर - इसी लिए बनाया है की धीरे धीरे मारो। साले तेज मार।
रवि ने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिया। चुदाई के साथ साथ रवि ने मेहर के मिनी का चेन खोल दिया था और उसे बाहों से निकाल कर उसके मुम्मे दबाने लगा था। मेहर थोड़ा पीछे होकर मजे से गांड मरवा रही थी। उसका मिनी ड्रेस ऊपर और निचे दोनों तरफ से सिमट कर कमर पर अटका हुआ था। ब्रा निकल कर टेबल पर पड़ा था। कुछ देर ऐसे ही गांड मारते मारते रवि ने मेहर के हाथ पकड़ कर सीधा खड़ा कर दिया और धक्के लगाते लगाते दिवार से लगे सोफे की तरफ चलने लगा।
मेहर - आह आह। और कितनी देर तक मारेगा। मेरी सच में फट जाएगी। अभी तो तान्या की चूत भी मारनी है।
रवि - उसकी भी चूत मारूंगा और तेरी भी। पर बहन की लौड़ी है कहाँ ?
मेहर - साली लाइव टेलीकास्ट देखते हुए चूत में ऊँगली कर रही होगी। उसे चुदने में जितना मजा आता है उतना ही चुदाई देखने में भी।
रवि - जानेमन लाइव ब्रॉडकास्ट मत देखो , लाइव चुदाई देखो।
अब रवि सोफे पर बैठ गया था। मेहर उसके तरफ पीठ करके बैठी थी। बैठी क्या थी उसके ऊपर उछाल रही थी। तभी कमरे में तान्या दाखिल हुई। उसने वही फ्रॉक पहनी हुई थी पर उसके हाथो में उसकी पैंटी थी जो गीली हो राखी थी। वो अपनी माँ के सामने पहुँचती है और उसके मुँह पर अपनी पैंटी ठूस देती है। उसके बाद वो नीचे बैठ उसकी चूत चाटने लगती है।
मेहर - आह , कहा थी अब तक छिनाल बेटी। इतनी देर लगा दी। देख मेरी रसभरी चूत बाह रही है। पी जा।
तान्या मेहर जी चूत चाटने के साथ साथ रवि के आड़ुओ को भी सहला रही थी। जैसे ही रवि ने माँ और बेटी दोनो को एक साथ इस तरह से देखा उसका लंड एकदम से अपना माल छोड़ दिया। माल छोडते ही मेहर उठ खड़ी हुई और सोफे पर गांड लटका कर बैठ गई। तान्या अब रवि के लंड पर लगी उसकी मलाई के साथ साथ अपनी माँ के गांड से रिश्ते माल को भी चाट गई।
 

A.A.G.

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उस रात सुहागरात सिर्फ रेखा और सम्राट की नहीं थी। सुहागरात तो रवि और तरुणा के भी मनी थी। चुदाई सिर्फ तान्या के परिवार में नहीं हुई थी। नैना भी अपने माँ बाप के बीच में सैंडविच बन चुदी थी। इस सबके अलावा सोनल की माँ ने भी डिलडो लगाकर सोनल की खूब चुदाई की थी। अगले दिन रेखा और तरुणा की हालत चलने लायक नहीं थी। रेखा का ख्याल रखने को तो भावना और निर्मला थी पर तरुणा के लिए सिर्फ रवि था। दो दिन बाद तान्या ने रवि को फ़ोन करके पुछा - माँ से अपॉइंटमेंट ले लू ?
रवि - अभी एक हफ्ता और रुक जाओ। माँ की तबियत ठीक नहीं है।
तान्या - क्या हुआ ? डॉक्टर को दिखाना है ? मैं आकर देख लू ?
रवि - भाई मत भूलो मैं भी मेडिकल का स्टूडेंट हूँ। कुछ ख़ास नहीं है। वो उस रात ~~
तान्या समझ गई। उसने हँसते हुए कहा - तो माँ की गांड मार ही ली।
रवि जतनय से कुछ भी नहीं छुपाना चाहता था। उसने कहा - हाँ वो नहीं मानी। सुबह तो चूत भी दिया ? तुम्हारी कैसी रही ?
तान्या - जब तुमने बोल ही दिया था तो जैम कर पापा और भाई से चुदी। दोनों ने कचूमर निकाल दिया है। ठीक ही है कुछ दिन बाद मिलते है। माँ को भी बोलती हूँ कुछ दिन खुद पर काबू रखें ताकि जब तुम्हारे साथ हों तो गर्मी बने रहे।
रवि - हम्म। वैसे गरम तो मैं उन्हें कर ही दूंगा।
तान्या - हाँ हाँ पता है। वैसे माँ पूछ रही थी कोई फैंटसी हो तुम्हारी ?
रवि - अब अपने ही डॉक्टर को चोदने की फैंटसी तो पूरी हो ही रही है।
तान्या - उनका मतलब ड्रेस वगैरह को लेकर था।
रवि - ओह्ह। उनके पास वो टाइट मिनी ड्रेस हो वन पीस वाला जिसके बैक में चेन हो तो मजा आ जायेगा। लाल रंग की मिनी ड्रेस उस पर से
व्हाइट गाउन खूब सेक्सी लगेंगी।
तान्या - और मेरे लिए ?
रवि हँसते हुए - तुम कुछ न ही पहनो तो ठीक है।
तान्या - पता है नंगी तो तुम कर ही दोगे पर फिर भी।
रवि - शार्ट फ्रॉक। पिंक कलर की। एकदम बच्ची लगनी चाहिए। माँ बच्ची दोनों को चोदूूँगा।
तान्या - मादरचोद तो हो ही, लगता है बेटीचोद भी बनना छह रहे हो।
रवि - वो तो तुम्हारा बाप है।
तान्या - हाहाहाहाहा , लगता है जलन हो रही है उनसे।
रवि - मैं क्यों जलूं।
दोनों ने कुछ देर और बात की फिर फ़ोन काट दिया।
रवि का हफ्ता थोड़ा हेक्टिक था। दो दिन तो कॉलेज से लीव लिया था पर बाद में वहां के साथ साथ माँ का भी ख्याल रखना पड़ रहा था।
Nice update..!!
Chalo tanya ne khud hi ravi ki uski maa ke sath settting kar di..ravi ne bhi apni fantasy bata di..ab maja aayega kyunki khud tanya aur dr. Meher bhi yahi chahti hai..!!
 

A.A.G.

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उधर निर्मला रेखा का पूरा ख्याल रख रही थी। सम्राट तो काम में व्यस्त हो गया। उसे किसी केस के सिलसिले में बाहर भी जाना पड़ा। भावना भी कॉलेज में व्यस्त हो गई। उसका प्रेम प्रसंग तन्मय के साथ तेजी से परवान चढ़ने लगा था। दोनों बाहर मिलते थे। कई बार वो तन्मय के क्लिनिक चली जाती। तन्मय का क्लिनिक अभी सेटअप हो रहा था, वो उसमे मदद भी करती। वही मौका देख दोनों सेक्स भी कर लेते थे।
तन्मय ने एक पैसे बचा कर एक बड़ी जगह खरीद ली थी। वहां ग्राउंड फ्लोर पर अपना क्लिनिक से शुरुआत कर रहा था। सबने यही सोचा था की बाद में एक छोटा मोटा हॉस्पिटल खोल लेंगे जहाँ सब प्रैक्टिस कर सकेंगे।
घर में रेखा और निर्मला के बीच की नजदीकियां भी बढ़ रही थी। जिस तरह से सुहागरात पर एक ही बिस्तर में रेखा ने सम्राट को निर्मला को भी शामिल किया था वो उससे एकदम गदगद थी। जहाँ लड़कियां परिवार से दूर करती हैं वहीँ रेखा ने सबको एक साथ ला दिया था। अब तीनो औरतें आपस में सहेलिया थी।
जब से तरुणा ने सुहागरात को निर्मला का दूध पिया था उसे लत सी लग गई थी। वो अक्सर निर्मला की गोद में सर रख कर उसके दूध पिया करती थी। दूध पीने के बाद सीधे निर्मला के चूत पर आक्रमण करती और उसका पानी पीती। एक तरह से सुबह शाम का नाश्ता हो गया था ये।
पर उसे ऐसा करते हुए अक्सर तरुणा की याद आती थी। उसके दिमाग में कई बार आया की वो तरुणा और निर्मला दोनों के साथ नंगी एक ही बिस्तर पर सोये। पर वो ये निर्मला से कहने से डरती थी। कहीं ऐसा न हो की वो बुरा मान जाए। क्योंकि अगर तरुणा होगी तो रवि भी होगा।
उसे ये तो अंदाजा था की तन्मय निर्मला को चोदना चाहता था। भावना और निर्मला उसको लेकर आपस में मजाक भी कर लेते थे। ये सबके सामने होता था। पर निर्मला रवि को लेकर क्या सोचती है ये पता नहीं था। संबंधों में और कॉम्प्लीकेशन्स वो जोड़ना भी नहीं चाहती थी।
पर जब भी रवि और तरुणा की याद आती वो उदास हो जाती थी। खासकर जब सम्राट ट्रिप पर गया तो उसे उन दोनों की याद बहुत आती थी। ये शायद निर्मला को अंदाजा हो गया। एक दिन उन्होंने रेखा को कहा - अगर तू एक आध दिन के लिए अपने घर जाना चाहती है तो चली जा।
रेखा - हाँ माँ की याद तो बहुत आती है।
निर्मला - और रवि की ?
रेखा ने सर झुका लिय। चुप ही रही वो।
निर्मला ने उसकी ठुड्ढी पकड़ सर उठा लिया और माथे को चूम कर बोली - मुझे पता है। शर्माने की जरूरत नहीं है। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तू वहां जाये तो।
रेखा - आप भी चलो न। एक रात वहां बिता कर आते हैं। आप भी उन लोगों से ज्यादा बात चीत कहा की हैं। और चलोगी तो माँ और रवि को भी ठीक से जान जाओगी। आप की तरह ही रसीली हैं माँ। और रवि सम्राट से कम नहीं है।
रेखा ने दुसरे वे में अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी थी। निर्मला चुप ही रही। उन्हें चुप देख रेखा बोली - मेरी बात बुरी लगी हो तो मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं आप सबके साथ यही खुश हूँ।
निर्मला बोली - अरे पगली तेरी किसी बात का बुरा मैं नहीं मानती। उनसे मिलने का मन तो मेरा भी है। जिन्होंने तुझे इतना प्यार दिया है वो पक्का ही प्यारे लोग होंगे। मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। पर तेरी बाकी ख्वाहिश पूरी करने की मैं कोई गॅरेंटी नहीं ले सकती। तुझे पता है मैं भावना और तन्मय को लेकर ही कुछ डिसाइड नहीं कर पाई हूँ। भावना ने कितनी बार बोला है और ये और। पता नहीं।
रेखा ने निर्मला को गले लगा लिया और बोली - थैंक यू माँ। आपसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। आपका जो मन करे जब मन करे तभी करना।
निर्मला - तो ठीक है किसी दिन प्लान करते हैं।
रेखा - थैंक यू। उसने निर्मला को दोबारा किस कर लिया।
Bhai iss rekha ko dur hi rakho trauma se..ab rekha khud apni masti kar rahi hai apne sasural me toh wahi rahe..yaha ravi aur taruna ke paas na bhatke..!! Iss rekha ko apni fantasy pure Karni hai taruna ko uss nirmala ke sath share kar ke kal ko yeh chutiya rekha uss chutiye samrat ke sath bhi taruna ko share karna chahegi kyunki ab iss rekha pe bharosa nahi raha..jo sachhe pyaar ko pehchan nahi payi uska koi bharosa nahi..aur ravi apni maa ko kabhi bhi kisike sath share nahi karega..ravi taruna se itna pyaar karta hai ki woh akele apni maa ke sath zindagi bita sakta hai..!! Rekha ko ghar aana hai toh Akeli aayee aur kha pikar nikal jaye..apne gande khayalo se taruna ko dur hi rakhe..aur ravi bhi usko ab jyada tavajju na de usse duri banaye..taruna bhi rekha se dur hi rahe kyunki rekha ne taruna ke bete ke pyaar ko nahi samjha..rekha ko bhi ehsas ho usne kya kho diya hai..aur iss harami samrat ke asli rang bhi uske samne jald hi aayenge..!!
 
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