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Incest बेटी की जवानी - बाप ने अपनी ही बेटी को पटाया - 🔥 Super Hot 🔥

Daddy's Whore

When in Vietnam
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कहानी में अंग्रेज़ी संवाद अब देवनागरी की जगह लैटिन में अप्डेट किया गया है. साथ ही, कहानी के कुछ अध्याय डिलीट कर दिए गए हैं, उनकी जगह नए पोस्ट कर रही हूँ. पुराने पाठक शुरू से या फिर 'बुरा सपना' से आगे पढ़ें.

INDEX:

 
Last edited:

paarth

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33 - सेक्रेटरी

अगली सुबह जब मनिका उठी तो उसका तन-बदन टूट रहा था. उसका बदन गरम था और हल्का बुख़ार सा लग रहा था. वो उठ कर बाथरूम में गई और शीशे में अपना अक्स देखा.

उसका बदन उनके पाप की गवाही दे रहा था.

बिखरे बाल, ठीक से ना सोने की वजह से गुलाबी हुई आँखें, और उसके पिता के जुल्म से कुछ-कुछ सूज चुके होंठ जो थोड़े काले पड़ चुके थे. उसके गोरे हाथों पर जयसिंह के आक्रमक आलिंगन से खरोंचों के निशान थे. फिर उसने थोड़ा पलट कर अपने अधनंगे अधोभाग को देखा तो पाया कि जयसिंह के ज़ोरदार तमाचों से उसके गोरे कूल्हे गुलाबी हो गए थे और उनमें भी हल्की-हल्की जलन हो रही थी. उसने गंजी उतारी, पूरी पीठ और कमर पर लाल-लाल खरोंचें थी.

पिछली रात जब उसने नीचे जाकर दूसरी बार अपने पिता का आलिंगन किया था, शायद वही पल था जब उसने अपनी नई पहचान को पूरी तरह अपना लिया था. जयसिंह अपने मिशन में कामयाब हो चुके थे, मनिका अब सिर्फ़ उनकी थी.

"हाय, पापा के साथ... किस्स... उम्मम हम कैसे प्यार कर रहे थे... और उन्होंने मुझे अपने डिक पर... कितना अजीब और अच्छा लग रहा था... papa's big black cock... ईश! I am in love with papa."

लेकिन उसकी बहन कभी भी आ सकती थी. वो फ़्रेश हुई, टॉयलेट पर बैठे हुए उसकी योनि में एक अजीब सी चुभन होती रही थी. फिर उसने नहा कर अपना मेक-अप बॉक्स निकाला और अपने जिस्म के दाग मिटाने लगी. जब वो तैयार होके निकली तो पाया कि कनिका अभी तक नहीं आई है. उसने थोड़ा बेड सही किया और रूम में ही बैठी रही, उसकी अकेले नीचे जाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी.

कुछ देर फ़ोन देखते रहने के बाद वो उसे एक तरफ़ रखने ही वाली थी कि 'टिंग' और जयसिंह का मेसेज आया.

Papa: Uth gayi meri jaan?
Manika: Good morning papa.
Papa: Kya kar rahi ho?
Manika: Kuch nahi bas baithi thi.
Papa: All okay?
Manika: Yes. Took a bath. Kanika aane waali hai.
Papa: Hmmm.
Manika: Aap kya kar rahe ho?
Papa: Bas tumhara intezaar, meri good morning kiss kab dogi.
Manika: Happ. Papa thoda control karo.
Papa: Don't worry, majak kar raha hu.
Papa: Panty change karli?

मनिका का दिल उछल पड़ा. पापा पता नहीं कहाँ की बात कहाँ लेजा कर उसे सताने लगते थे.

Manika: Yes pa.
Papa: What about our deal? Kuch batana hai abse roz tumhe.
Manika: You are so bad.
Papa: Batao.
Manika: Pink undies, white bra.
Papa: Mujhe kab dikhaogi?
Papa: Bolo na.
Manika: Papaaa! Aise matt karo na.
Papa: Kaise?
Manika: Delete these messages please.
Papa: Haha theek hai. Chalo vo saali kuttiya Madhu bula rahi hai abhi. Neeche aa jao.
Manika: Haaw!

मनिका ने जयसिंह के उसकी माँ को गाली देने पर प्रतिक्रिया तो दी थी, लेकिन मन ही मन उसे बहुत अच्छा लगा था. उसके बाद जयसिंह का कोई जवाब नहीं आया. शायद वे कुछ काम में लग गए थे. मनिका उनके कहे अनुसार उठी और उठ कर नीचे चल दी.

-​

नीचे हॉल में जयसिंह नाश्ता कर रहे थे. पास ही उसकी दादी बैठी थी और उसकी माँ शायद रसोई में थी. मनिका सीढ़ियों से उतर रही थी तो उसकी नज़र अपने पिता से मिली. उसके गालों पर लालिमा छाने लगी.

उसने एक हल्के बैंगनी रंग का सूट पहन रखा था जिसके नीचे मॉडर्न पैंटनुमा सलवार थी. पिछली रात की करतूतें छिपाने के लिए आज उसे चेहरे पर काफ़ी मेक-अप करना पड़ा था. उसने सुर्ख़ लाल लिपस्टिक के भी दो कोट किए थे, ताकि उसके सूजे हुए होंठ थोड़े कम नज़र आएँ.

टेबल के नीचे जयसिंह ने अपने उबलते लंड को पकड़ कर अंडरवियर के इलास्टिक में फँसाया.

"Good morning." मनिका ने मेज़ के पास आते हुए कहा. लेकिन बोलते-बोलते उसकी आवाज़ भर्रा गई थी.
"Good morning बेटा." जयसिंह ने कहा और शैतानी से मुस्कुरा दिए. उनका सम्बोधन सुन मनिका शर्म से पानी-पानी हो गई.
"नमस्ते दादी." उसने अपनी दादी से कहा.
"जल्दी उठा कर." दादी ने अपने चिर-परिचित अन्दाज़ में कहा, "और आज ये सुबह-सुबह मुँह लाल कर कहाँ जा रही है?"

यह जानकर कि उसका मेक-अप सब नोटिस कर पाएँगे मनिका का दिल डर से धड़कने लगा.

"क्या दादी, आप और मम्मी तो हर वक्त टोकते ही रहते हो. कहीं नहीं जा रही."
"जवान लड़की घर की ज़िम्मेदारी होती है." दादी ने बस इतना ही कहा और अपना दलिया खाने लगी.

मनिका ने जयसिंह की तरफ़ देखा, वे मंद-मंद मुस्कुराते हुए नाश्ता कर रहे थे. उसे उनपे प्यार भी आने लगा और झल्लाहट भी हो रही थी. उतने में उसकी माँ आ गई.

"उठ गई?" मधु ने आते ही दादी वाली बात दोहराई, "कोई उस लड़के को भी उठाओ."

मनिका ने कुछ जवाब नहीं दिया और शुक्र मनाया कि उसकी माँ ने उसके मेक-अप किए चेहरे पर कोई कॉमेंट नहीं किया था. मधु ने सीढ़ियों के पास जा कर हितेश को आवाज़ दी और फिर आकर मेज़ पर बैठ गई. वे लोग नाश्ता करने लगे.

हितेश तो उठ कर नहीं आया लेकिन थोड़ी देर बाद कनिका बाहर से अंदर आई. उसने सबको 'Good Morning' कहा और ऊपर अपने कमरे में जाने लगी.

"कनु नाश्ता?" मधु बोली.
"कर के आई हूँ..." कहते हुए वो ऊपर चली गई.
"तो क्या प्लान है आज का?" जयसिंह ने मनिका से पूछा.
“प... प्लान?" मनिका हड़बड़ा गई, ये पापा क्या पूछ रहे थे?
"अरे तुम ही तो कह रही थी प्रोजेक्ट सबमिट करना है, ऑफ़िस चलोगी साथ में..." जयसिंह की आँखों में चमक थी.
"ओह... हाँ पापा." मनिका उनका आशय समझ बोली. जयसिंह की इस चालबाज़ी ने उसके दिल को पागल कर दिया था.
"चलो कुछ देर तो घर में शांति रहेगी." मधु ने कहा.
"क्या मम्मी, मैं कब हंगामा करती हूँ?" मनिका ने तुनक कर कहा.
"हाहाहा... अरे अब फिर से माँ-बेटी शुरू मत हो जाओ." जयसिंह ने हंस कर कहा और बोले, "चलो फिर, मेरा तो हो गया है ब्रेकफ़ास्ट फ़िनिश करके आओ."
"और थोड़ा प्रोफेशनल लुक बना के आओ अब तो MBA कर रही हो." जयसिंह ने उठते हुए कहा.

जयसिंह ने उठते हुए पास बैठी मनिका की पीठ सहलाई थी. उसका जिस्म एक पल के लिए अकड़ गया. तब तक जयसिंह अपने रूम में जा चुके थे. पर कुछ पल बाद मनिका के फ़ोन पर मेसेज आया.

Papa: Leggings aur t-shirt jo room me pehni thi.

मनिका के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी थी. उसने झट अपनी माँ और दादी की तरफ़ देखा, क्या उन्होंने उसका चेहरा पढ़ तो नहीं लिया था. लेकिन पाया कि उनका ध्यान उसकी तरफ़ नहीं था और दोनों आपस में बातें लगीं थी.

Manika: Papa, vo to... mummy daantegi.
Papa: Kuch nahi hoga jaldi aao. T-shirt ke upar kurta daal lena.
Manika: Aap na, fasaoge mujhe.
Papa: Aa jao.

नाश्ता कर मनिका धड़कते दिल से फिर ऊपर चल दी. कमरे में कनु बिस्तर पर लेटी फ़ोन देख रही थी.

"दीदी." उसने उसे अंदर आते देख कहा.
"क्या कर रही है?"
"कुछ नहीं बस Insta चेक कर रही थी."

मनिका को अलमारी से कपड़े लेकर बाथरूम में घुसते देख उसने आगे पूछा.

"आप कहाँ जा रहे हो?"
"पापा के साथ ऑफ़िस, कुछ प्रोजेक्ट सबमिट करना है कॉलेज के लिए तो अपने बिज़नेस पर ही केस-स्टडी कर रही हूँ.
"अच्छा... तो चेंज कर रहे हो?" कनिका बोली और अपने फ़ोन में मशगूल हो गई.
"पापा ने कहा..." मनिका बोली और अंदर चली गई.

बाथरूम में जा कर मनिका ने कपड़े उतारे और अपना जिस्म निहारा, और खुद ही शरमा गई. उसने वो झीनी टाइट लेग्गिंग किसी तरह पहनी और फिर ऊपर वो छोटा सा टॉप. सब वैसे ही नज़र आ रहा था जैसा उस दिन होटल के कमरे में था, लेकिन आज मनिका की लाज उसे रोकने की बजाय उकसाने का काम कर रही थी. उसने एक लम्बा कुर्ता ऊपर से पहना और बाहर निकल आई.

कनिका फ़ोन एक तरफ़ रख ऊँघ रही थी. मनिका बिना कुछ बोले जल्दी से अलमारी के पास गई और अपने हील्स निकाल कर पहने और बाहर निकल गई.

-​

जब मनिका घर से बाहर आई तो पाया कि जयसिंह ड्राइविंग सीट पर बैठे थे और ड्राइवर एक ओर खड़ा देख रहा था.

"क्या हुआ भैया?" मनिका ने पूछा.
"मैडम आज साहब खुद लेके जाएँगे बोले." उसने सिर झुका सलाम करते हुए कहा.

मनिका समझ गई. वो धड़कते दिल से कार की दूसरी साइड गई और गेट खोल जयसिंह के बग़ल में बैठ गई. उनकी नज़रें मिली, दोनों के चेहरे पर एक नापाक ख़ुशी की दमक थी.

-​

घर से कुछ दूर आते-आते जयसिंह का हाथ मनिका की जाँघों पर था. हालाँकि आज वह कपड़े के ऊपर से ही उनका स्पर्श महसूस कर पा रही थी लेकिन उसके उन्माद की कोई सीमा नहीं थी. पापा कैसे चालाकी से उसे अपने साथ ले जा रहे थे यह सोच कर उसका दिल धड़क-धड़क जाता था.

जयसिंह ने हौले से उसकी जाँघ को सहलाया और इस बार हाथ थोड़ा और ऊपर उसकी योनि के पास ले गए. मनिका की साँस उसके हलक में अटक सी गई और उसने एकदम से अपने पिता का हाथ पकड़ उन्हें रोकना चाहा. उनकी नज़र मिली.

"कैसा लग रहा है?" जयसिंह ने मद भरे अन्दाज़ में पूछा.
"इह..." मनिका ने सिसक कर उनके हाथ को थामे रखा.
"बोलो ना."
"I love you papa." मनिका बोली.

पिछली रात के बाद से जब भी मनिका को अपने पिता की निर्लज्ज हरकतों को अनुमति देनी होती तो वो उन्हें "I love you" कह देती. जयसिंह भी यह बात समझ चुके थे. लेकिन कार में थे, सो उन्होंने कुछ और नहीं किया और फिर से उसकी जाँघ सहलाने लगे. मनिका ने अपनी रुकी हुई साँस छोड़ी.

कुछ देर बाद एक जगह ट्रैफ़िक थोड़ा कम देख जयसिंह ने कार को सड़क से उतार कर टेढ़ा खड़ा किया.

"क्या हुआ पापा?" मनिका ने सवालिया नज़र से पूछा.
"ये उतार लो ना." जयसिंह ने कुर्ते की तरफ़ इशारा कर कहा.

मनिका सकपका गई.

"यहाँ... क... कैसे? कोई देख लेगा."
"अरे जल्दी से उतारो, कोई नहीं है." जयसिंह ने आगे-पीछे देखते हुए कहा.

मनिका एक पल रुकी फिर उनकी बात मानते हुए ऊपर उठ कुर्ते को अपने नीचे से निकला और उतारने लगी. कुर्ता लम्बा था और उसे कार में हाथ ऊपर उठा उतारते वक्त उसके बालों में थोड़ा फँस गया था, और साथ ही उसकी टी-शर्ट भी ऊपर हो गई थी. जयसिंह ने आव-देखा ना ताव उसकी नंगी कमर पर हाथ रख दिया. मनिका ने सिहरते हुए कुर्ता किसी तरह अलग किया और अपनी टी-शर्ट खींच के नीचे करने लगी.

"पापाऽऽ..." उसने तड़पते हुए कहा.
"डार्लिंग..." जयसिंह बोले और उसका कुर्ता लेकर पीछे की सीट पर फेंक दिया.

कार फिर चल पड़ी. मनिका को लगा था कि पापा उसे कहीं घुमाने ले जा रहे हैं. लेकिन पाया कि वे अभी भी ऑफ़िस की रोड पर ही थे.

"पापा! हम कहाँ जा रहे हैं?"
"बताया ना ऑफ़िस..." जयसिंह बोले.
"Whaat! No papa... I am dressed like this!" मनिका घबराते हुए बोली.
"अरे कोई नोटिस नहीं करेगा."
"Noooo papa! वहाँ माथुर अंकल भी होंगे... आप पागल हो क्या?"
"हाहा... कुछ नहीं होगा. चलो..." जयसिंह ने उसकी बात अनसुनी करते हुए ऑफ़िस की बिल्डिंग वाली सड़क पर कार मोड़ी.

मनिका को मानो चक्कर से आने लगे थे लेकिन अपने पिता के सामने वो बेबस थी.

-​

"Morning sir." अपने बॉस को अंदर आते देख देवेश ने ठिठक कर कहा.
"Good morning Devesh, कैसा चल रहा है सब?" जयसिंह बोले.
"All okay sir, वो मित्तल साहब का कॉल आ रहा था बार-बार." देवेश ने बताया.

फिर उसकी नज़र जयसिंह के पीछे खड़ी मनिका और उसके पहनावे पर गई.

हालाँकि उसे पता था कि जयसिंह की दो बेटियाँ है और उसने उसे और कनिका को एक-दो बार देखा भी था. लेकिन इस कामरूपा मनिका को वो पहचान नहीं पाया. उसके चेहरे पर असमंजस और झेंप के भाव आ गए. जयसिंह यह भाँप चुके थे.

"हाहा... meet my new secretary..." जयसिंह ने कहा.
"Oh... hello ma'am." देवेश अटकते हुए बोला. उसे समझ नहीं आ रहा था कहाँ देखे.
"हाहाहा... अरे तुम मिल चुके हो पहले. My daughter Manika..." जयसिंह ने स्थिति साफ़ की.
"ओह... जी जी..." मनिका उनकी बेटी है इतना सुनते ही देवेश ने नज़र नीची कर ली.

ऑफ़िस के गलियारे से जयसिंह के केबिन तक जाते-जाते मनिका की इज़्ज़त तार-तार होती गई. सभी उसे पहचानते थे और उसका यह रूप देख दंग रह गए थे.

केबिन में घुसते-घुसते मनिका का चेहरा तमतमा चुका था और आँखें भर आईं थी. तभी गेट पर दस्तक हुई. मनिका ने किसी तरह अपने-आप को सम्भाला.

माथुर अंदर दाखिल हुआ. वह सीधा अपने केबिन से आ रहा था तो उसने अभी तक मनिका को नहीं देखा था. अभी मनिका की पीठ उसकी तरफ़ थी, उसकी जवानी देख माथुर भी अचकचा कर खड़ा हो गया.

"सर वो..."

मनिका पलटी.

“हेलो अंकल." उसने किसी तरह अपनी आवाज़ सम्भालते हुए कहा.
"अरे मनि बेटा... कैसे हो?" माथुर ने एक नज़र मनिका को सिर से पाँव तक देखा.
"जी अच्छी हूँ."
"हाँ माथुर साहब बोलो..." जयसिंह ने बीच में आते हुए कहा.
"जी वो दिल्ली वाली डील फ़ाइनल हो गई है. हो सकता है हमें एक बार मिलने वापस जाना पड़े."
"वो मैं सम्भाल लूँगा."
"जी सर."

एक उम्र से जयसिंह के साथ काम कर रहे माथुर को भी समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा था.

"अच्छा आज थोड़ा बिज़ी रहूँगा, मनि के कॉलेज का कुछ केस-स्टडी सबमिट करना है, तुम सम्भाल लो जो भी मीटिंग्स वग़ैरह हैं."
"ठीक है सर." माथुर बोला.

माथुर जानता था कि जयसिंह हमेशा अपने परिवार की ज़रूरतों को तवज्जो देते हैं. बस मनिका का पहनावा उसे खटक रहा था, लेकिन क्या कहता. सो मनिका को एक मुस्कान के साथ अलविदा कह केबिन से निकल गया.

जयसिंह के केबिन में उनकी कुर्सी के पीछे एक विशाल शीशा लगा था. शर्म से घायल मनिका ने एक नज़र उसपर देख तो उसकी जान सूख गई. वह सच में बहुत-बड़ी “वो लग रही थी जो उसकी दादी कह रही थी”.

-​

"पापाऽऽऽ, everybody was looking at me!" एकांत पाते ही मनिका ने घबराहट भरे स्वर में कहा.
"हाहा... don't worry darling." जयसिंह उसके क़रीब आते हुए बोले.
"But papa, what will they think?" मनिका ने चेहरा हाथों में छिपा लिया.
"कुछ नहीं... मैंने कहा ना don't worry." जयसिंह उसके क़रीब आ गए थे.

बाहर इतने लोग बैठे थे और पापा उसके पास यूँ खड़े हैं ये सोच मनिका और डर गई और पीछे होना चाहा. लेकिन जयसिंह ने उसके हाथ पकड़े और किसी मनचले आशिक़ की तरह अपने पास खींच लिया.

"मर्दों को अपनी गर्लफ़्रेंड की नुमाइश करना पसंद होता है, you know." जयसिंह ने खरखराती आवाज़ में कहा.
"पापा कोई आ जाएगा."
"सब बेल बजा कर आते हैं... यहाँ आओ." कहते हुए जयसिंह ने उसे खींचा और उसके होंठों पर होंठ रख दिए.

मनिका का बदन डर से अकड़ गया था लेकिन जयसिंह की पकड़ के आगे उसकी एक ना चली. शेर के मुँह एक बार खून लग जाता है तो छूटता नहीं है. वे क़रीब पाँच मिनट तक उसके होंठ चूसते रहे. लेकिन आज पकड़े जाने के डर से मनिका उनका साथ नहीं दे रही थी. आख़िर जयसिंह ने भी उसे छोड़ दिया.

"हाय पापा... आप भी ना." मनिका ने बिदकते हुए कहा था.

जयसिंह अब अपनी कुर्सी पर बैठ गए और मनिका भी कुछ देर खड़ी रहने के बाद पास लगे सोफ़े पर बैठ गई. बार-बार उनकी नज़र मिलती और जयसिंह मुस्कुरा देते, कुछ देर बाद मनिका भी सहज होने लगी और हल्का-हल्का शरमाने, मुस्कुराने लगी. जयसिंह को तो जैसे इसी बात का इंतज़ार था, उन्होंने उसे पास आने का इशारा किया. मनिका ने कुछ देर तो मुँह बना कर मना किया लेकिन फिर शर्म से लाल मुँह लिए उनके पास आ गई. जयसिंह ने पैर खोले और अपनी जाँघ थपथपाई. मनिका को तो इसकी ट्रेनिंग पहले से ही थी, वो उनकी जाँघ पर बैठ गई.

"पापा, कोई आ जाएगा." एक बार फिर उसने अपने मन की शंका ज़ाहिर की थी.
"मैंने कहा ना, सब बेल बजा कर ही आते हैं. Don't worry." कहते हुए जयसिंह ने एक छोटा सा किस्स उसके होंठों पर किया.
"आप ना..." मनिका इतना बोल चुप हो गई.

जयसिंह उसका बदन सहला रहे थे. कुछ पल बाद जयसिंह बोले,

"ऐसा लग रहा है जैसे फ़िल्मों में बॉस की सेक्सी सेक्रेटेरी होती है वैसे मेरी भी है."
"हेहेहे... क्या बोलते हो पापा."
"क्यूँ? तुम सेक्सी नहीं हो?"
"ईश!"
"उम्म..." जयसिंह ने मनिका की कान की पास मुँह लेजा कर धीरे से उसका गाल चूमा, "एक बात पूछूँ?"
"क... क्या?"
"वर्जिन हो अभी तक?" जयसिंह ने कहा. यह बोलते-बोलते मनिका की जाँघों पर रखे उनके हाथों कि पकड़ मज़बूत हो गई थी.
"Whaat?" मनिका कांप उठी.
"सेक्स किया है कभी?" जयसिंह ने वैसे ही मादकता से पूछा.
"नन्... नहीं... नो पापा!" मनिका ने तड़पते हुए कहा.
"गुड."

जयसिंह ने हौले से कहा और एक बार फिर उसका चेहरा अपनी ओर घुमा उसके होंठ चूमे.

इस बार मनिका ने प्रतिरोध नहीं किया.

-​

जैसा कि जयसिंह ने कहा था, जो भी उनके ऑफिस में आता था घंटी बजा कर ही आता था. उस दिन दो-तीन बार से ज़्यादा बार कोई नहीं आया. माथुर ने जयसिंह के कहे अनुसार सबसे कह दिया था कि बॉस आज बिजी हैं.

और जब भी कोई आता था, मनिका को एक और बैठे लैपटॉप पर काम करते पाता था. शाम ढले धीरे-धीरे ऑफिस ख़ाली होने लगा. आख़िर में माथुर आया और उसने भी जयसिंह को एक दो फ़ाइलें पकड़ा घर जाने की इजाज़त ली और चला गया. इस बार उसने मनिका की तरफ़ देख भी नहीं था.

माथुर के जाने के बाद ऑफिस में सिर्फ़ मनिका और उसके पिता ही बचे थे. गार्ड लोग सब बाहर ड्यूटी बजा रहे थे.

अब जयसिंह उठे. मनिका को लगा कि वे लोग भी अब घर जाएँगे. लेकिन जयसिंह ने जा कर अपने केबिन का दरवाज़ा अंदर से लॉक कर लिया और उसकी तरफ़ पलटे. अब मनिका को भी समझ आ गया कि अभी उसके पिता घर जाने के मूड में नहीं है. आगे क्या होने वाला है यह सोच उसका तन-बदन आतंकित होने लगा था.

जयसिंह को पास आता देख, वह भी खड़ी हो गई.

“पापा? हम क्या कर रहे हैं?” उसने नीची आवाज़ में पूछा.

आख़िर पता तो उसे भी था कि वे दोनों क्या कर रहे थे.

“कुछ नहीं डार्लिंग.” जयसिंह ने उसे आग़ोश में लिया और बोले, “अब तुम चली जाओगी तो मेरा मन कैसे लगा करेगा? सो मैंने सोचा कुछ स्पेशल किया जाए.”
“क… क्या पापा?”
“तुम्हारा एक स्पेशल फ़ोटो-शूट. ताकि जब तुम चली जाओगी तो मेरे पास तुम्हारी प्यारी-प्यारी निशानियों बाक़ी रहें.”
“फ़ोटोज़? नहीं ना पापा! कोई देख लेगा तो…” आशंकित हो मनिका ने कहा, “आपका फ़ोन तो वैसे भी इधर-उधर लोग देखते रहते हैं.”
“अरे डरो नहीं, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.” जयसिंह ने उसके होंठों को हौले से चूम कर कहा, “तुम्हारी स्पेशल पिक्स के लिए ख़ास तौर पर नया आईफ़ोन मँगवाया है, जो मेरे लॉकर में रहेगा.”

मनिका ने बहुत से MMS और वीडियो लीक होने की बातें देखीं सुनीं थी. इसलिए जयसिंह के इस आग्रह ने उसे थोड़ा असहज कर दिया था. लेकिन वह आगे कुछ सोच पाती उस से पहले जयसिंह ने अपनी जेब से एक नया चमचमाता आईफ़ोन निकाला और उसके चेहरे की तरफ़ कर दिया.

“क्लिक” की आवाज़ आई और मनिका चिंतित सा का खूबसूरत चेहरा उनके फ़ोन में क़ैद हो गया. मनिका ने एन मौक़े पर अपना चेहरा छुपाना भी चाहा था, मगर न छिपा सकी.
“पापा! आप कहाँ से लाते हो ऐसे क्रेजी आइडियाज़?” मनिका ने हौले से उन्हें झकझोर कर पूछा. इस पर जयसिंह मुस्कुरा भर दिए और फिर उसका हाथ पकड़ उसे केबिन में रखे काउच की तरफ़ ले गए.

उन्होंने नया फ़ोन एक तरफ़ रखा और ख़ुद मनिका को अपनी बाँहों में कस काउच पर ले बैठे.

“मनि डार्लिंग…”
“पापा! आप मुझे ‘मनि’ क्यों कह रहे हो?” मनिका उनके उस अभिवादन से ठिठक गई थी.
“हाहाहा… मुझे लग ही रहा था तुम नोटिस कर लोगी.” जयसिंह ने हंसते हुए कहा.
“पर क्यों पापा? You said you will call me Manika.” उसने पूछा.
“Because… कल जब तुमने वो ‘राँड’ वाली बात मुझे बताई तो मैंने महसूस किया कि…” कह जयसिंह चुप हो गए.
“क्या पापा?” मनिका ने सवालिया नज़रों से उन्हें देखा.
“यही कि… I enjoy more when I think of you as my daughter… शायद तुम्हें भी मुझे ‘पापा’ कहना ज़्यादा अच्छा लगता है… instead of boyfriend… am I right?”

मनिका चुप हो गई. उसके पापा ने एक-बार फिर खेल घुमा दिया था. कहाँ तो उन्होंने मर्द और औरत के रिश्ते की दुहाई दे-दे कर उसे अपने साथ पाप में भागीदार होने को कहा था. और अब वे उसी नापाक रिश्ते को फिर से बाप-बेटी के रिश्ते का नाम देने को कह रहे थे.

“But papa… आपने तो कहा था कि हम… as man and woman… ये सब…” मनिका ने शर्मिंदा हो सिर झुका लिया.

“हाँ डार्लिंग… लेकिन कल जब तुमने मुझे बताया कि उस बात ने तुम्हें किस तरह अफेक्ट किया है तो मुझे समझ आया कि अगर हम बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड बनेंगे तो एक पॉइंट के बाद हमारा रिलेशन वैसा ही नीरस हो जाएगा जैसा किसी आम बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का होता है. लेकिन अगर…”

“लेकिन… क्या पापा?” मनिका उनकी बातों से असहज होने लगी थी.

“लेकिन अगर हम… as father and daughter… आगे बढ़ें तो मुझे लगता है ज़्यादा इंजॉय कर पाएँगे. क्योंकि उस रिश्ते में एक कशिश होगी… और जैसा कि तुम्हारा नेचर है… कि तुम अपनी इमेज को लेकर काफ़ी सेंसिटिव हो, तो इसमें मुझे ज़्यादा मज़ा आएगा और शायद तुम्हें भी. क्योंकि… घर में जहाँ सब लोग तुम्हें थोड़ी नकचढ़ी लेकिन एक आदर्श लड़की समझते हैं, वहीं सिर्फ़ हम दोनों जानते हैं कि सच क्या है…”

जयसिंह ने हौले से मनिका के पेट पर हाथ फिराते हुए कहा.

मनिका उनका आशय समझ लज्जित हो उठी.

“देखो मनि… मुझे पता है कि तुम सोच रही होगी कि कल रात तो मैंने तुम्हें कुछ और कहा था. लेकिन उस वक्त हम ऐसी जगह पर थे जहाँ तुम्हारा शांत होना ज़रूरी था. हम खुल कर बात नहीं कर सकते थे. लेकिन मैं तब भी जान गया था कि हमारे असली रिश्ते की डोर बार-बार तुम्हारा मन बदलेगी. लेकिन अब तुम इतना आगे बढ़ चुकी हो कि वापस नहीं जा सकती. इसलिए इसे एक्सेप्ट करना ही बेस्ट ऑप्शन है.”

जयसिंह ने आगे कहा,

“जब हम यहाँ से दिल्ली गए थे, तभी से… I started liking you… but I seriously thought… कि तुम मेरी बेटी हो और हमारे बीच वैसा कुछ नहीं हो सकता… लेकिन फिर जब मैंने तुम्हें क़रीब से जाना, तो मुझे लगा कि… we can be together… और तुम्हें भी पता है कि मैं बस तुम्हें इस सच्चाई को एक्सेप्ट करने को कह रहा हूँ. ताकि हम आगे बढ़ अच्छे से इंजॉय कर सकें.”

जयसिंह किसी चालाक बहेलिये की तरह गलती से जाल में आ बैठी चिड़िया को फाँसने में लगे थे. उन्होंने अपने भारी स्वर में कहा, जिसे वे अक्सर सीरियस बातों के लिए इस्तेमाल किया करते थे.

“जैसे तुम्हें मुझे इतना सब होने के बाद भी पापा कहना अच्छा लगता है वैसे ही मुझे भी तुम्हें अपनी डॉटर कहने पर अच्छा लगेगा ना?”

-​

उनका इतना कहना था कि मनिका तड़प उठी. उसके पापा ने दिल्ली जाते समय ही उसके बारे में ऐसा सूचना शुरू कर दिया था, यह बात अगर उसे कुछ समय पहले पता चलती तो शायद उसकी प्रतिक्रिया कुछ अलग होती. लेकिन अब तो यह जान कर भी वो उनकी चाहत में तड़पने लगी थी. जयसिंह की बात सही थी, उसे उन्हें ‘पापा’ कहने में मज़ा आता था. और जैसे ही उन्होंने कहा था कि वे उसे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं डॉटर कहना चाहते हैं, मनिका के पूरे बदन में करंट सा दौड़ गया था.

उसे पूरी तरह से इस बात का एहसास हुआ कि वो अपने पापा के साथ इस तरह की नापाक रिलेशनशिप बना रही थी. और दूसरा यह ऑफिस एक जानी-पहचानी जगह थी, जहाँ उनका पूरा परिवार आता-जाता था, वहाँ ऐसी गंदी हरकतें करने का सोच कर ही उसकी आँखों में वासना का नशा सा छा गया था.

जयसिंह की लगाई फसल अब कटने को तैयार थी.

-​

“ओह पापा!” उसने मचलते हुए उनका आलिंगन किया, “You make me so mad!”
“हाहाहा… that’s my darling Mani…” जयसिंह बोले तो मनिका के रोम-रोम में एक स्पंदन सा होने लगा, “Ready for your special photoshoot?”
“Eh… papa!” मनिका सिसकी और घूम गई.

जयसिंह ने पीछे से उसे पकड़ लिया. मनिका ने सामने शीशे में देखा, तो उसे लगा कि वह उस पॉर्न साईट पर लगी तस्वीर को हू-ब-हू देख रही है. एक पक्के रंग का मर्द और उसके साथ एक जवान लड़की. फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि यहाँ वो मर्द एक पिता था और लड़की उसकी बिगड़ैल बेटी.

जयसिंह ने पीछे से अपना मुँह उसके गाल के बग़ल में ला कर उसपर एक चुंबन दिया और फिर अपने दोनों हाथ छाती पर ले गए.

“आँऽऽऽऽ…” मनिका को जैसे एक झटका सा लगा.

-​

एक लड़की की छाती भी उसके होंठों की तरह होती है. जिसे छूने का अधिकार वह अपने जीवनकाल में बहुत कम लोगों को दिया करती है. ख़ास-तौर पर अपने पिता को तो कभी नहीं. सो जब जयसिंह ने उसके स्तनों को पकड़ा तो मनिका दहल उठी थी.

-​

मनिका को तो मानो साँस आना ही बंद हो गया था. उसने चेहरा झुका लिया था और उसके खुले बाल चेहरे के सामने आ गए थे.

जयसिंह ने कहा, “Look at me darling.”

जयसिंह अब हौले-हौले उसकी जवान छाती मसल रहे थे. और उसके कान में फुसफुसा रहे थे.

“उम्म… सच में यार मनि तुम तो बहुत जवान हो गई हो.”
“इह... पापा.” मनिका बोली, “क्या करते हो…”
“अपनी बेटी की जवानी चेक कर रहा हूँ.” जयसिंह मद भरे अन्दाज़ में बोले, “कैसा लग रहा है?”
“हाय पापा… this is so wrong papa.” उसने ढीले हाथों से उनके हाथों को अपने वक्ष से हटाने की नाकाम कोशिश की.
“उम्म…”

फिर जयसिंह उसके कान में कुछ ऐसा बोले कि मनिका को मानो साँप सूंघ गया.

“कितने बड़े कर लिए तुमने… हम्म… ये भी नहीं बताया पापा को… चलो अब दिखाओ मुझे…”
“नहींऽऽऽ पापा… प्लीज़ नोऽऽऽ” मनिका उनका आशय समझ कर बोली.
“हम्म… पर फिर पापा के लिए स्पेशल फ़ोटो-शूट कैसे करवाओगी…”

यह जान कर कि जयसिंह उसकी नंगी तस्वीरें खींचना चाहते हैं, मनिका उनकी गिरफ़्त से निकालने को हुई. लेकिन उनकी पकड़ काफ़ी मज़बूत थी. उन्होंने उसे जाने न दिया और उल्टे वापस अपनी तरफ़ घुमा लिया.

उनके चेहरे की नापाक मुस्कुराहट मनिका के कलेजे पर छुर्रियाँ चला रहीं थी.

जयसिंह ने उसे सामने से आलिंगन में भरते हुए उसके कान में कहा,

“मेरे साथ अकेले में अब तुम्हारा ड्रेस-कोड अलग होगा…”
“क… क्या पापाऽऽऽ?” मनिका थरथराई.

कुछ पल चुप रहने के बाद जयसिंह ने कहा,

“सिर्फ़ ब्रा-पैंटी और हील्स.”
“Whaaat!”
“Yes darling…”

जयसिंह ने उसका चेहरा उठा उस से नज़र मिलाते हुए कहा. उनकी आँखों में एक आदेश था.

फिर उन्होंने उसका गाल हौले से थपथपाया और बोले,

“तो चलो, अब उतारो…”

कह जयसिंह ने उसे छोड़ दिया. वे पीछे हो कर काउच पर बैठ गए और वो नया फ़ोन उठा कर कैमरा ऑन कर लिया.

“नहीं ना पापा… प्लीज़.” मनिका ने मिन्नत की.

जयसिंह उसका वीडियो बनाना शुरू कर चुके थे. उनकी बातें अब वीडियो में रिकॉर्ड होने लगी.

“उतारो ना डार्लिंग, तुम तो कहती थी कि पापा की हर बात मानोगी.”
“प्लीज़ पापा… ये मत करो ना… किसी को पता चल जाएगा.”
“कुछ नहीं होगा मनि… do as I a say… कपड़े उतारो… मैं चाहता हूँ कि पहली बार तुम अपने आप उतार के मुझे खुश करो.” जयसिंह ने खरखराती आवाज़ में कहा, “अगली बार से मैं अपने-आप उतार दिया करूँगा.”
“हाय पापा!”

जब जयसिंह ने देखा कि मनिका कपड़े उतारने में हिचक रही है तो वे उठ खड़े हुए और मनिका के पास गए.

“करना है कि नहीं?” उन्होंने थोड़ी तल्ख़ी से कहा.

मनिका उनका मूड चेंज भाँप गई, “पापा को ग़ुस्सा आ रहा है!”

“प्लीज़ ना पापा…” उसने एक आख़िरी बार मिन्नत की.

वैसे तो मनिका भी जानती थी कि एक ना एक दिन उनके बीच यह होना ही था. लेकिन जयसिंह के अचानक उसे इस तरह की स्थिति में ला देने ने उसे भयभीत कर दिया था. अगर वे होटल के किसी रूम में हौले-हौले उसे बहला कर नंगी करते तो शायद वह इतना ना-नुकुर नहीं करती. लेकिन जयसिंह की चाल तो यही थी, मनिका को हमेशा इस तरह से उत्साहित रखना कि वह एक आम रिलेशनशिप के बारे में सोच ही ना सके.

“कुछ नहीं होगा मनि… मैं कह रहा हूँ ना?”
“ये… येस…”
“हम्म… चलो…” कह जयसिंह एक कदम पीछे हट गए.

मनिका ने बहुत ही धीरे-धीरे अपनी छोटी सी टी-शर्ट को ऊपर करना शुरू किया. उसके क़रीब आते हुए जयसिंह ने फ़ोन वाला हाथ नीचे कर लिया था, लेकिन अब उन्होंने फिर से कैमरा ऑन कर लिया. मनिका कैमरा देखते ही एक पल के लिए ठिठक गई थी लेकिन जयसिंह ने हाथ से उसे कपड़े उतारते रहने का इशारा किया और काउच पर बैठ गए.

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Zyada kuchh nahi bolunga vahi same line..
Bahut umda bahut zabardast update har baar ki tarah .Aur bahaut hi zyada wait krwaya hai. Har baar ki tarah.. Aur aise mauke pe hi story milti hai jab m busy ya udas hota hun and that update cheer me up..
 

rjkiran

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You are loosing your followers . Because you are giving updates so late.
 

karthik90

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अगली सुबह जब मनिका उठी तो उसका तन-बदन टूट रहा था. उसका बदन गरम था और हल्का बुख़ार सा लग रहा था. वो उठ कर बाथरूम में गई और शीशे में अपना अक्स देखा.

उसका बदन उनके पाप की गवाही दे रहा था.

बिखरे बाल, ठीक से ना सोने की वजह से गुलाबी हुई आँखें, और उसके पिता के जुल्म से कुछ-कुछ सूज चुके होंठ जो थोड़े काले पड़ चुके थे. उसके गोरे हाथों पर जयसिंह के आक्रमक आलिंगन से खरोंचों के निशान थे. फिर उसने थोड़ा पलट कर अपने अधनंगे अधोभाग को देखा तो पाया कि जयसिंह के ज़ोरदार तमाचों से उसके गोरे कूल्हे गुलाबी हो गए थे और उनमें भी हल्की-हल्की जलन हो रही थी. उसने गंजी उतारी, पूरी पीठ और कमर पर लाल-लाल खरोंचें थी.

पिछली रात जब उसने नीचे जाकर दूसरी बार अपने पिता का आलिंगन किया था, शायद वही पल था जब उसने अपनी नई पहचान को पूरी तरह अपना लिया था. जयसिंह अपने मिशन में कामयाब हो चुके थे, मनिका अब सिर्फ़ उनकी थी.

"हाय, पापा के साथ... किस्स... उम्मम हम कैसे प्यार कर रहे थे... और उन्होंने मुझे अपने डिक पर... कितना अजीब और अच्छा लग रहा था... papa's big black cock... ईश! I am in love with papa."

लेकिन उसकी बहन कभी भी आ सकती थी. वो फ़्रेश हुई, टॉयलेट पर बैठे हुए उसकी योनि में एक अजीब सी चुभन होती रही थी. फिर उसने नहा कर अपना मेक-अप बॉक्स निकाला और अपने जिस्म के दाग मिटाने लगी. जब वो तैयार होके निकली तो पाया कि कनिका अभी तक नहीं आई है. उसने थोड़ा बेड सही किया और रूम में ही बैठी रही, उसकी अकेले नीचे जाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी.

कुछ देर फ़ोन देखते रहने के बाद वो उसे एक तरफ़ रखने ही वाली थी कि 'टिंग' और जयसिंह का मेसेज आया.

Papa: Uth gayi meri jaan?
Manika: Good morning papa.
Papa: Kya kar rahi ho?
Manika: Kuch nahi bas baithi thi.
Papa: All okay?
Manika: Yes. Took a bath. Kanika aane waali hai.
Papa: Hmmm.
Manika: Aap kya kar rahe ho?
Papa: Bas tumhara intezaar, meri good morning kiss kab dogi.
Manika: Happ. Papa thoda control karo.
Papa: Don't worry, majak kar raha hu.
Papa: Panty change karli?

मनिका का दिल उछल पड़ा. पापा पता नहीं कहाँ की बात कहाँ लेजा कर उसे सताने लगते थे.

Manika: Yes pa.
Papa: What about our deal? Kuch batana hai abse roz tumhe.
Manika: You are so bad.
Papa: Batao.
Manika: Pink undies, white bra.
Papa: Mujhe kab dikhaogi?
Papa: Bolo na.
Manika: Papaaa! Aise matt karo na.
Papa: Kaise?
Manika: Delete these messages please.
Papa: Haha theek hai. Chalo vo saali kuttiya Madhu bula rahi hai abhi. Neeche aa jao.
Manika: Haaw!

मनिका ने जयसिंह के उसकी माँ को गाली देने पर प्रतिक्रिया तो दी थी, लेकिन मन ही मन उसे बहुत अच्छा लगा था. उसके बाद जयसिंह का कोई जवाब नहीं आया. शायद वे कुछ काम में लग गए थे. मनिका उनके कहे अनुसार उठी और उठ कर नीचे चल दी.

-​

नीचे हॉल में जयसिंह नाश्ता कर रहे थे. पास ही उसकी दादी बैठी थी और उसकी माँ शायद रसोई में थी. मनिका सीढ़ियों से उतर रही थी तो उसकी नज़र अपने पिता से मिली. उसके गालों पर लालिमा छाने लगी.

उसने एक हल्के बैंगनी रंग का सूट पहन रखा था जिसके नीचे मॉडर्न पैंटनुमा सलवार थी. पिछली रात की करतूतें छिपाने के लिए आज उसे चेहरे पर काफ़ी मेक-अप करना पड़ा था. उसने सुर्ख़ लाल लिपस्टिक के भी दो कोट किए थे, ताकि उसके सूजे हुए होंठ थोड़े कम नज़र आएँ.

टेबल के नीचे जयसिंह ने अपने उबलते लंड को पकड़ कर अंडरवियर के इलास्टिक में फँसाया.

"Good morning." मनिका ने मेज़ के पास आते हुए कहा. लेकिन बोलते-बोलते उसकी आवाज़ भर्रा गई थी.
"Good morning बेटा." जयसिंह ने कहा और शैतानी से मुस्कुरा दिए. उनका सम्बोधन सुन मनिका शर्म से पानी-पानी हो गई.
"नमस्ते दादी." उसने अपनी दादी से कहा.
"जल्दी उठा कर." दादी ने अपने चिर-परिचित अन्दाज़ में कहा, "और आज ये सुबह-सुबह मुँह लाल कर कहाँ जा रही है?"

यह जानकर कि उसका मेक-अप सब नोटिस कर पाएँगे मनिका का दिल डर से धड़कने लगा.

"क्या दादी, आप और मम्मी तो हर वक्त टोकते ही रहते हो. कहीं नहीं जा रही."
"जवान लड़की घर की ज़िम्मेदारी होती है." दादी ने बस इतना ही कहा और अपना दलिया खाने लगी.

मनिका ने जयसिंह की तरफ़ देखा, वे मंद-मंद मुस्कुराते हुए नाश्ता कर रहे थे. उसे उनपे प्यार भी आने लगा और झल्लाहट भी हो रही थी. उतने में उसकी माँ आ गई.

"उठ गई?" मधु ने आते ही दादी वाली बात दोहराई, "कोई उस लड़के को भी उठाओ."

मनिका ने कुछ जवाब नहीं दिया और शुक्र मनाया कि उसकी माँ ने उसके मेक-अप किए चेहरे पर कोई कॉमेंट नहीं किया था. मधु ने सीढ़ियों के पास जा कर हितेश को आवाज़ दी और फिर आकर मेज़ पर बैठ गई. वे लोग नाश्ता करने लगे.

हितेश तो उठ कर नहीं आया लेकिन थोड़ी देर बाद कनिका बाहर से अंदर आई. उसने सबको 'Good Morning' कहा और ऊपर अपने कमरे में जाने लगी.

"कनु नाश्ता?" मधु बोली.
"कर के आई हूँ..." कहते हुए वो ऊपर चली गई.
"तो क्या प्लान है आज का?" जयसिंह ने मनिका से पूछा.
“प... प्लान?" मनिका हड़बड़ा गई, ये पापा क्या पूछ रहे थे?
"अरे तुम ही तो कह रही थी प्रोजेक्ट सबमिट करना है, ऑफ़िस चलोगी साथ में..." जयसिंह की आँखों में चमक थी.
"ओह... हाँ पापा." मनिका उनका आशय समझ बोली. जयसिंह की इस चालबाज़ी ने उसके दिल को पागल कर दिया था.
"चलो कुछ देर तो घर में शांति रहेगी." मधु ने कहा.
"क्या मम्मी, मैं कब हंगामा करती हूँ?" मनिका ने तुनक कर कहा.
"हाहाहा... अरे अब फिर से माँ-बेटी शुरू मत हो जाओ." जयसिंह ने हंस कर कहा और बोले, "चलो फिर, मेरा तो हो गया है ब्रेकफ़ास्ट फ़िनिश करके आओ."
"और थोड़ा प्रोफेशनल लुक बना के आओ अब तो MBA कर रही हो." जयसिंह ने उठते हुए कहा.

जयसिंह ने उठते हुए पास बैठी मनिका की पीठ सहलाई थी. उसका जिस्म एक पल के लिए अकड़ गया. तब तक जयसिंह अपने रूम में जा चुके थे. पर कुछ पल बाद मनिका के फ़ोन पर मेसेज आया.

Papa: Leggings aur t-shirt jo room me pehni thi.

मनिका के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी थी. उसने झट अपनी माँ और दादी की तरफ़ देखा, क्या उन्होंने उसका चेहरा पढ़ तो नहीं लिया था. लेकिन पाया कि उनका ध्यान उसकी तरफ़ नहीं था और दोनों आपस में बातें लगीं थी.

Manika: Papa, vo to... mummy daantegi.
Papa: Kuch nahi hoga jaldi aao. T-shirt ke upar kurta daal lena.
Manika: Aap na, fasaoge mujhe.
Papa: Aa jao.

नाश्ता कर मनिका धड़कते दिल से फिर ऊपर चल दी. कमरे में कनु बिस्तर पर लेटी फ़ोन देख रही थी.

"दीदी." उसने उसे अंदर आते देख कहा.
"क्या कर रही है?"
"कुछ नहीं बस Insta चेक कर रही थी."

मनिका को अलमारी से कपड़े लेकर बाथरूम में घुसते देख उसने आगे पूछा.

"आप कहाँ जा रहे हो?"
"पापा के साथ ऑफ़िस, कुछ प्रोजेक्ट सबमिट करना है कॉलेज के लिए तो अपने बिज़नेस पर ही केस-स्टडी कर रही हूँ.
"अच्छा... तो चेंज कर रहे हो?" कनिका बोली और अपने फ़ोन में मशगूल हो गई.
"पापा ने कहा..." मनिका बोली और अंदर चली गई.

बाथरूम में जा कर मनिका ने कपड़े उतारे और अपना जिस्म निहारा, और खुद ही शरमा गई. उसने वो झीनी टाइट लेग्गिंग किसी तरह पहनी और फिर ऊपर वो छोटा सा टॉप. सब वैसे ही नज़र आ रहा था जैसा उस दिन होटल के कमरे में था, लेकिन आज मनिका की लाज उसे रोकने की बजाय उकसाने का काम कर रही थी. उसने एक लम्बा कुर्ता ऊपर से पहना और बाहर निकल आई.

कनिका फ़ोन एक तरफ़ रख ऊँघ रही थी. मनिका बिना कुछ बोले जल्दी से अलमारी के पास गई और अपने हील्स निकाल कर पहने और बाहर निकल गई.

-​

जब मनिका घर से बाहर आई तो पाया कि जयसिंह ड्राइविंग सीट पर बैठे थे और ड्राइवर एक ओर खड़ा देख रहा था.

"क्या हुआ भैया?" मनिका ने पूछा.
"मैडम आज साहब खुद लेके जाएँगे बोले." उसने सिर झुका सलाम करते हुए कहा.

मनिका समझ गई. वो धड़कते दिल से कार की दूसरी साइड गई और गेट खोल जयसिंह के बग़ल में बैठ गई. उनकी नज़रें मिली, दोनों के चेहरे पर एक नापाक ख़ुशी की दमक थी.

-​

घर से कुछ दूर आते-आते जयसिंह का हाथ मनिका की जाँघों पर था. हालाँकि आज वह कपड़े के ऊपर से ही उनका स्पर्श महसूस कर पा रही थी लेकिन उसके उन्माद की कोई सीमा नहीं थी. पापा कैसे चालाकी से उसे अपने साथ ले जा रहे थे यह सोच कर उसका दिल धड़क-धड़क जाता था.

जयसिंह ने हौले से उसकी जाँघ को सहलाया और इस बार हाथ थोड़ा और ऊपर उसकी योनि के पास ले गए. मनिका की साँस उसके हलक में अटक सी गई और उसने एकदम से अपने पिता का हाथ पकड़ उन्हें रोकना चाहा. उनकी नज़र मिली.

"कैसा लग रहा है?" जयसिंह ने मद भरे अन्दाज़ में पूछा.
"इह..." मनिका ने सिसक कर उनके हाथ को थामे रखा.
"बोलो ना."
"I love you papa." मनिका बोली.

पिछली रात के बाद से जब भी मनिका को अपने पिता की निर्लज्ज हरकतों को अनुमति देनी होती तो वो उन्हें "I love you" कह देती. जयसिंह भी यह बात समझ चुके थे. लेकिन कार में थे, सो उन्होंने कुछ और नहीं किया और फिर से उसकी जाँघ सहलाने लगे. मनिका ने अपनी रुकी हुई साँस छोड़ी.

कुछ देर बाद एक जगह ट्रैफ़िक थोड़ा कम देख जयसिंह ने कार को सड़क से उतार कर टेढ़ा खड़ा किया.

"क्या हुआ पापा?" मनिका ने सवालिया नज़र से पूछा.
"ये उतार लो ना." जयसिंह ने कुर्ते की तरफ़ इशारा कर कहा.

मनिका सकपका गई.

"यहाँ... क... कैसे? कोई देख लेगा."
"अरे जल्दी से उतारो, कोई नहीं है." जयसिंह ने आगे-पीछे देखते हुए कहा.

मनिका एक पल रुकी फिर उनकी बात मानते हुए ऊपर उठ कुर्ते को अपने नीचे से निकला और उतारने लगी. कुर्ता लम्बा था और उसे कार में हाथ ऊपर उठा उतारते वक्त उसके बालों में थोड़ा फँस गया था, और साथ ही उसकी टी-शर्ट भी ऊपर हो गई थी. जयसिंह ने आव-देखा ना ताव उसकी नंगी कमर पर हाथ रख दिया. मनिका ने सिहरते हुए कुर्ता किसी तरह अलग किया और अपनी टी-शर्ट खींच के नीचे करने लगी.

"पापाऽऽ..." उसने तड़पते हुए कहा.
"डार्लिंग..." जयसिंह बोले और उसका कुर्ता लेकर पीछे की सीट पर फेंक दिया.

कार फिर चल पड़ी. मनिका को लगा था कि पापा उसे कहीं घुमाने ले जा रहे हैं. लेकिन पाया कि वे अभी भी ऑफ़िस की रोड पर ही थे.

"पापा! हम कहाँ जा रहे हैं?"
"बताया ना ऑफ़िस..." जयसिंह बोले.
"Whaat! No papa... I am dressed like this!" मनिका घबराते हुए बोली.
"अरे कोई नोटिस नहीं करेगा."
"Noooo papa! वहाँ माथुर अंकल भी होंगे... आप पागल हो क्या?"
"हाहा... कुछ नहीं होगा. चलो..." जयसिंह ने उसकी बात अनसुनी करते हुए ऑफ़िस की बिल्डिंग वाली सड़क पर कार मोड़ी.

मनिका को मानो चक्कर से आने लगे थे लेकिन अपने पिता के सामने वो बेबस थी.

-​

"Morning sir." अपने बॉस को अंदर आते देख देवेश ने ठिठक कर कहा.
"Good morning Devesh, कैसा चल रहा है सब?" जयसिंह बोले.
"All okay sir, वो मित्तल साहब का कॉल आ रहा था बार-बार." देवेश ने बताया.

फिर उसकी नज़र जयसिंह के पीछे खड़ी मनिका और उसके पहनावे पर गई.

हालाँकि उसे पता था कि जयसिंह की दो बेटियाँ है और उसने उसे और कनिका को एक-दो बार देखा भी था. लेकिन इस कामरूपा मनिका को वो पहचान नहीं पाया. उसके चेहरे पर असमंजस और झेंप के भाव आ गए. जयसिंह यह भाँप चुके थे.

"हाहा... meet my new secretary..." जयसिंह ने कहा.
"Oh... hello ma'am." देवेश अटकते हुए बोला. उसे समझ नहीं आ रहा था कहाँ देखे.
"हाहाहा... अरे तुम मिल चुके हो पहले. My daughter Manika..." जयसिंह ने स्थिति साफ़ की.
"ओह... जी जी..." मनिका उनकी बेटी है इतना सुनते ही देवेश ने नज़र नीची कर ली.

ऑफ़िस के गलियारे से जयसिंह के केबिन तक जाते-जाते मनिका की इज़्ज़त तार-तार होती गई. सभी उसे पहचानते थे और उसका यह रूप देख दंग रह गए थे.

केबिन में घुसते-घुसते मनिका का चेहरा तमतमा चुका था और आँखें भर आईं थी. तभी गेट पर दस्तक हुई. मनिका ने किसी तरह अपने-आप को सम्भाला.

माथुर अंदर दाखिल हुआ. वह सीधा अपने केबिन से आ रहा था तो उसने अभी तक मनिका को नहीं देखा था. अभी मनिका की पीठ उसकी तरफ़ थी, उसकी जवानी देख माथुर भी अचकचा कर खड़ा हो गया.

"सर वो..."

मनिका पलटी.

“हेलो अंकल." उसने किसी तरह अपनी आवाज़ सम्भालते हुए कहा.
"अरे मनि बेटा... कैसे हो?" माथुर ने एक नज़र मनिका को सिर से पाँव तक देखा.
"जी अच्छी हूँ."
"हाँ माथुर साहब बोलो..." जयसिंह ने बीच में आते हुए कहा.
"जी वो दिल्ली वाली डील फ़ाइनल हो गई है. हो सकता है हमें एक बार मिलने वापस जाना पड़े."
"वो मैं सम्भाल लूँगा."
"जी सर."

एक उम्र से जयसिंह के साथ काम कर रहे माथुर को भी समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा था.

"अच्छा आज थोड़ा बिज़ी रहूँगा, मनि के कॉलेज का कुछ केस-स्टडी सबमिट करना है, तुम सम्भाल लो जो भी मीटिंग्स वग़ैरह हैं."
"ठीक है सर." माथुर बोला.

माथुर जानता था कि जयसिंह हमेशा अपने परिवार की ज़रूरतों को तवज्जो देते हैं. बस मनिका का पहनावा उसे खटक रहा था, लेकिन क्या कहता. सो मनिका को एक मुस्कान के साथ अलविदा कह केबिन से निकल गया.

जयसिंह के केबिन में उनकी कुर्सी के पीछे एक विशाल शीशा लगा था. शर्म से घायल मनिका ने एक नज़र उसपर देख तो उसकी जान सूख गई. वह सच में बहुत-बड़ी “वो लग रही थी जो उसकी दादी कह रही थी”.

-​

"पापाऽऽऽ, everybody was looking at me!" एकांत पाते ही मनिका ने घबराहट भरे स्वर में कहा.
"हाहा... don't worry darling." जयसिंह उसके क़रीब आते हुए बोले.
"But papa, what will they think?" मनिका ने चेहरा हाथों में छिपा लिया.
"कुछ नहीं... मैंने कहा ना don't worry." जयसिंह उसके क़रीब आ गए थे.

बाहर इतने लोग बैठे थे और पापा उसके पास यूँ खड़े हैं ये सोच मनिका और डर गई और पीछे होना चाहा. लेकिन जयसिंह ने उसके हाथ पकड़े और किसी मनचले आशिक़ की तरह अपने पास खींच लिया.

"मर्दों को अपनी गर्लफ़्रेंड की नुमाइश करना पसंद होता है, you know." जयसिंह ने खरखराती आवाज़ में कहा.
"पापा कोई आ जाएगा."
"सब बेल बजा कर आते हैं... यहाँ आओ." कहते हुए जयसिंह ने उसे खींचा और उसके होंठों पर होंठ रख दिए.

मनिका का बदन डर से अकड़ गया था लेकिन जयसिंह की पकड़ के आगे उसकी एक ना चली. शेर के मुँह एक बार खून लग जाता है तो छूटता नहीं है. वे क़रीब पाँच मिनट तक उसके होंठ चूसते रहे. लेकिन आज पकड़े जाने के डर से मनिका उनका साथ नहीं दे रही थी. आख़िर जयसिंह ने भी उसे छोड़ दिया.

"हाय पापा... आप भी ना." मनिका ने बिदकते हुए कहा था.

जयसिंह अब अपनी कुर्सी पर बैठ गए और मनिका भी कुछ देर खड़ी रहने के बाद पास लगे सोफ़े पर बैठ गई. बार-बार उनकी नज़र मिलती और जयसिंह मुस्कुरा देते, कुछ देर बाद मनिका भी सहज होने लगी और हल्का-हल्का शरमाने, मुस्कुराने लगी. जयसिंह को तो जैसे इसी बात का इंतज़ार था, उन्होंने उसे पास आने का इशारा किया. मनिका ने कुछ देर तो मुँह बना कर मना किया लेकिन फिर शर्म से लाल मुँह लिए उनके पास आ गई. जयसिंह ने पैर खोले और अपनी जाँघ थपथपाई. मनिका को तो इसकी ट्रेनिंग पहले से ही थी, वो उनकी जाँघ पर बैठ गई.

"पापा, कोई आ जाएगा." एक बार फिर उसने अपने मन की शंका ज़ाहिर की थी.
"मैंने कहा ना, सब बेल बजा कर ही आते हैं. Don't worry." कहते हुए जयसिंह ने एक छोटा सा किस्स उसके होंठों पर किया.
"आप ना..." मनिका इतना बोल चुप हो गई.

जयसिंह उसका बदन सहला रहे थे. कुछ पल बाद जयसिंह बोले,

"ऐसा लग रहा है जैसे फ़िल्मों में बॉस की सेक्सी सेक्रेटेरी होती है वैसे मेरी भी है."
"हेहेहे... क्या बोलते हो पापा."
"क्यूँ? तुम सेक्सी नहीं हो?"
"ईश!"
"उम्म..." जयसिंह ने मनिका की कान की पास मुँह लेजा कर धीरे से उसका गाल चूमा, "एक बात पूछूँ?"
"क... क्या?"
"वर्जिन हो अभी तक?" जयसिंह ने कहा. यह बोलते-बोलते मनिका की जाँघों पर रखे उनके हाथों कि पकड़ मज़बूत हो गई थी.
"Whaat?" मनिका कांप उठी.
"सेक्स किया है कभी?" जयसिंह ने वैसे ही मादकता से पूछा.
"नन्... नहीं... नो पापा!" मनिका ने तड़पते हुए कहा.
"गुड."

जयसिंह ने हौले से कहा और एक बार फिर उसका चेहरा अपनी ओर घुमा उसके होंठ चूमे.

इस बार मनिका ने प्रतिरोध नहीं किया.

-​

जैसा कि जयसिंह ने कहा था, जो भी उनके ऑफिस में आता था घंटी बजा कर ही आता था. उस दिन दो-तीन बार से ज़्यादा बार कोई नहीं आया. माथुर ने जयसिंह के कहे अनुसार सबसे कह दिया था कि बॉस आज बिजी हैं.

और जब भी कोई आता था, मनिका को एक और बैठे लैपटॉप पर काम करते पाता था. शाम ढले धीरे-धीरे ऑफिस ख़ाली होने लगा. आख़िर में माथुर आया और उसने भी जयसिंह को एक दो फ़ाइलें पकड़ा घर जाने की इजाज़त ली और चला गया. इस बार उसने मनिका की तरफ़ देख भी नहीं था.

माथुर के जाने के बाद ऑफिस में सिर्फ़ मनिका और उसके पिता ही बचे थे. गार्ड लोग सब बाहर ड्यूटी बजा रहे थे.

अब जयसिंह उठे. मनिका को लगा कि वे लोग भी अब घर जाएँगे. लेकिन जयसिंह ने जा कर अपने केबिन का दरवाज़ा अंदर से लॉक कर लिया और उसकी तरफ़ पलटे. अब मनिका को भी समझ आ गया कि अभी उसके पिता घर जाने के मूड में नहीं है. आगे क्या होने वाला है यह सोच उसका तन-बदन आतंकित होने लगा था.

जयसिंह को पास आता देख, वह भी खड़ी हो गई.

“पापा? हम क्या कर रहे हैं?” उसने नीची आवाज़ में पूछा.

आख़िर पता तो उसे भी था कि वे दोनों क्या कर रहे थे.

“कुछ नहीं डार्लिंग.” जयसिंह ने उसे आग़ोश में लिया और बोले, “अब तुम चली जाओगी तो मेरा मन कैसे लगा करेगा? सो मैंने सोचा कुछ स्पेशल किया जाए.”
“क… क्या पापा?”
“तुम्हारा एक स्पेशल फ़ोटो-शूट. ताकि जब तुम चली जाओगी तो मेरे पास तुम्हारी प्यारी-प्यारी निशानियों बाक़ी रहें.”
“फ़ोटोज़? नहीं ना पापा! कोई देख लेगा तो…” आशंकित हो मनिका ने कहा, “आपका फ़ोन तो वैसे भी इधर-उधर लोग देखते रहते हैं.”
“अरे डरो नहीं, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.” जयसिंह ने उसके होंठों को हौले से चूम कर कहा, “तुम्हारी स्पेशल पिक्स के लिए ख़ास तौर पर नया आईफ़ोन मँगवाया है, जो मेरे लॉकर में रहेगा.”

मनिका ने बहुत से MMS और वीडियो लीक होने की बातें देखीं सुनीं थी. इसलिए जयसिंह के इस आग्रह ने उसे थोड़ा असहज कर दिया था. लेकिन वह आगे कुछ सोच पाती उस से पहले जयसिंह ने अपनी जेब से एक नया चमचमाता आईफ़ोन निकाला और उसके चेहरे की तरफ़ कर दिया.

“क्लिक” की आवाज़ आई और मनिका चिंतित सा का खूबसूरत चेहरा उनके फ़ोन में क़ैद हो गया. मनिका ने एन मौक़े पर अपना चेहरा छुपाना भी चाहा था, मगर न छिपा सकी.
“पापा! आप कहाँ से लाते हो ऐसे क्रेजी आइडियाज़?” मनिका ने हौले से उन्हें झकझोर कर पूछा. इस पर जयसिंह मुस्कुरा भर दिए और फिर उसका हाथ पकड़ उसे केबिन में रखे काउच की तरफ़ ले गए.

उन्होंने नया फ़ोन एक तरफ़ रखा और ख़ुद मनिका को अपनी बाँहों में कस काउच पर ले बैठे.

“मनि डार्लिंग…”
“पापा! आप मुझे ‘मनि’ क्यों कह रहे हो?” मनिका उनके उस अभिवादन से ठिठक गई थी.
“हाहाहा… मुझे लग ही रहा था तुम नोटिस कर लोगी.” जयसिंह ने हंसते हुए कहा.
“पर क्यों पापा? You said you will call me Manika.” उसने पूछा.
“Because… कल जब तुमने वो ‘राँड’ वाली बात मुझे बताई तो मैंने महसूस किया कि…” कह जयसिंह चुप हो गए.
“क्या पापा?” मनिका ने सवालिया नज़रों से उन्हें देखा.
“यही कि… I enjoy more when I think of you as my daughter… शायद तुम्हें भी मुझे ‘पापा’ कहना ज़्यादा अच्छा लगता है… instead of boyfriend… am I right?”

मनिका चुप हो गई. उसके पापा ने एक-बार फिर खेल घुमा दिया था. कहाँ तो उन्होंने मर्द और औरत के रिश्ते की दुहाई दे-दे कर उसे अपने साथ पाप में भागीदार होने को कहा था. और अब वे उसी नापाक रिश्ते को फिर से बाप-बेटी के रिश्ते का नाम देने को कह रहे थे.

“But papa… आपने तो कहा था कि हम… as man and woman… ये सब…” मनिका ने शर्मिंदा हो सिर झुका लिया.

“हाँ डार्लिंग… लेकिन कल जब तुमने मुझे बताया कि उस बात ने तुम्हें किस तरह अफेक्ट किया है तो मुझे समझ आया कि अगर हम बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड बनेंगे तो एक पॉइंट के बाद हमारा रिलेशन वैसा ही नीरस हो जाएगा जैसा किसी आम बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का होता है. लेकिन अगर…”

“लेकिन… क्या पापा?” मनिका उनकी बातों से असहज होने लगी थी.

“लेकिन अगर हम… as father and daughter… आगे बढ़ें तो मुझे लगता है ज़्यादा इंजॉय कर पाएँगे. क्योंकि उस रिश्ते में एक कशिश होगी… और जैसा कि तुम्हारा नेचर है… कि तुम अपनी इमेज को लेकर काफ़ी सेंसिटिव हो, तो इसमें मुझे ज़्यादा मज़ा आएगा और शायद तुम्हें भी. क्योंकि… घर में जहाँ सब लोग तुम्हें थोड़ी नकचढ़ी लेकिन एक आदर्श लड़की समझते हैं, वहीं सिर्फ़ हम दोनों जानते हैं कि सच क्या है…”

जयसिंह ने हौले से मनिका के पेट पर हाथ फिराते हुए कहा.

मनिका उनका आशय समझ लज्जित हो उठी.

“देखो मनि… मुझे पता है कि तुम सोच रही होगी कि कल रात तो मैंने तुम्हें कुछ और कहा था. लेकिन उस वक्त हम ऐसी जगह पर थे जहाँ तुम्हारा शांत होना ज़रूरी था. हम खुल कर बात नहीं कर सकते थे. लेकिन मैं तब भी जान गया था कि हमारे असली रिश्ते की डोर बार-बार तुम्हारा मन बदलेगी. लेकिन अब तुम इतना आगे बढ़ चुकी हो कि वापस नहीं जा सकती. इसलिए इसे एक्सेप्ट करना ही बेस्ट ऑप्शन है.”

जयसिंह ने आगे कहा,

“जब हम यहाँ से दिल्ली गए थे, तभी से… I started liking you… but I seriously thought… कि तुम मेरी बेटी हो और हमारे बीच वैसा कुछ नहीं हो सकता… लेकिन फिर जब मैंने तुम्हें क़रीब से जाना, तो मुझे लगा कि… we can be together… और तुम्हें भी पता है कि मैं बस तुम्हें इस सच्चाई को एक्सेप्ट करने को कह रहा हूँ. ताकि हम आगे बढ़ अच्छे से इंजॉय कर सकें.”

जयसिंह किसी चालाक बहेलिये की तरह गलती से जाल में आ बैठी चिड़िया को फाँसने में लगे थे. उन्होंने अपने भारी स्वर में कहा, जिसे वे अक्सर सीरियस बातों के लिए इस्तेमाल किया करते थे.

“जैसे तुम्हें मुझे इतना सब होने के बाद भी पापा कहना अच्छा लगता है वैसे ही मुझे भी तुम्हें अपनी डॉटर कहने पर अच्छा लगेगा ना?”

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उनका इतना कहना था कि मनिका तड़प उठी. उसके पापा ने दिल्ली जाते समय ही उसके बारे में ऐसा सूचना शुरू कर दिया था, यह बात अगर उसे कुछ समय पहले पता चलती तो शायद उसकी प्रतिक्रिया कुछ अलग होती. लेकिन अब तो यह जान कर भी वो उनकी चाहत में तड़पने लगी थी. जयसिंह की बात सही थी, उसे उन्हें ‘पापा’ कहने में मज़ा आता था. और जैसे ही उन्होंने कहा था कि वे उसे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं डॉटर कहना चाहते हैं, मनिका के पूरे बदन में करंट सा दौड़ गया था.

उसे पूरी तरह से इस बात का एहसास हुआ कि वो अपने पापा के साथ इस तरह की नापाक रिलेशनशिप बना रही थी. और दूसरा यह ऑफिस एक जानी-पहचानी जगह थी, जहाँ उनका पूरा परिवार आता-जाता था, वहाँ ऐसी गंदी हरकतें करने का सोच कर ही उसकी आँखों में वासना का नशा सा छा गया था.

जयसिंह की लगाई फसल अब कटने को तैयार थी.

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“ओह पापा!” उसने मचलते हुए उनका आलिंगन किया, “You make me so mad!”
“हाहाहा… that’s my darling Mani…” जयसिंह बोले तो मनिका के रोम-रोम में एक स्पंदन सा होने लगा, “Ready for your special photoshoot?”
“Eh… papa!” मनिका सिसकी और घूम गई.

जयसिंह ने पीछे से उसे पकड़ लिया. मनिका ने सामने शीशे में देखा, तो उसे लगा कि वह उस पॉर्न साईट पर लगी तस्वीर को हू-ब-हू देख रही है. एक पक्के रंग का मर्द और उसके साथ एक जवान लड़की. फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि यहाँ वो मर्द एक पिता था और लड़की उसकी बिगड़ैल बेटी.

जयसिंह ने पीछे से अपना मुँह उसके गाल के बग़ल में ला कर उसपर एक चुंबन दिया और फिर अपने दोनों हाथ छाती पर ले गए.

“आँऽऽऽऽ…” मनिका को जैसे एक झटका सा लगा.

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एक लड़की की छाती भी उसके होंठों की तरह होती है. जिसे छूने का अधिकार वह अपने जीवनकाल में बहुत कम लोगों को दिया करती है. ख़ास-तौर पर अपने पिता को तो कभी नहीं. सो जब जयसिंह ने उसके स्तनों को पकड़ा तो मनिका दहल उठी थी.

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मनिका को तो मानो साँस आना ही बंद हो गया था. उसने चेहरा झुका लिया था और उसके खुले बाल चेहरे के सामने आ गए थे.

जयसिंह ने कहा, “Look at me darling.”

जयसिंह अब हौले-हौले उसकी जवान छाती मसल रहे थे. और उसके कान में फुसफुसा रहे थे.

“उम्म… सच में यार मनि तुम तो बहुत जवान हो गई हो.”
“इह... पापा.” मनिका बोली, “क्या करते हो…”
“अपनी बेटी की जवानी चेक कर रहा हूँ.” जयसिंह मद भरे अन्दाज़ में बोले, “कैसा लग रहा है?”
“हाय पापा… this is so wrong papa.” उसने ढीले हाथों से उनके हाथों को अपने वक्ष से हटाने की नाकाम कोशिश की.
“उम्म…”

फिर जयसिंह उसके कान में कुछ ऐसा बोले कि मनिका को मानो साँप सूंघ गया.

“कितने बड़े कर लिए तुमने… हम्म… ये भी नहीं बताया पापा को… चलो अब दिखाओ मुझे…”
“नहींऽऽऽ पापा… प्लीज़ नोऽऽऽ” मनिका उनका आशय समझ कर बोली.
“हम्म… पर फिर पापा के लिए स्पेशल फ़ोटो-शूट कैसे करवाओगी…”

यह जान कर कि जयसिंह उसकी नंगी तस्वीरें खींचना चाहते हैं, मनिका उनकी गिरफ़्त से निकालने को हुई. लेकिन उनकी पकड़ काफ़ी मज़बूत थी. उन्होंने उसे जाने न दिया और उल्टे वापस अपनी तरफ़ घुमा लिया.

उनके चेहरे की नापाक मुस्कुराहट मनिका के कलेजे पर छुर्रियाँ चला रहीं थी.

जयसिंह ने उसे सामने से आलिंगन में भरते हुए उसके कान में कहा,

“मेरे साथ अकेले में अब तुम्हारा ड्रेस-कोड अलग होगा…”
“क… क्या पापाऽऽऽ?” मनिका थरथराई.

कुछ पल चुप रहने के बाद जयसिंह ने कहा,

“सिर्फ़ ब्रा-पैंटी और हील्स.”
“Whaaat!”
“Yes darling…”

जयसिंह ने उसका चेहरा उठा उस से नज़र मिलाते हुए कहा. उनकी आँखों में एक आदेश था.

फिर उन्होंने उसका गाल हौले से थपथपाया और बोले,

“तो चलो, अब उतारो…”

कह जयसिंह ने उसे छोड़ दिया. वे पीछे हो कर काउच पर बैठ गए और वो नया फ़ोन उठा कर कैमरा ऑन कर लिया.

“नहीं ना पापा… प्लीज़.” मनिका ने मिन्नत की.

जयसिंह उसका वीडियो बनाना शुरू कर चुके थे. उनकी बातें अब वीडियो में रिकॉर्ड होने लगी.

“उतारो ना डार्लिंग, तुम तो कहती थी कि पापा की हर बात मानोगी.”
“प्लीज़ पापा… ये मत करो ना… किसी को पता चल जाएगा.”
“कुछ नहीं होगा मनि… do as I a say… कपड़े उतारो… मैं चाहता हूँ कि पहली बार तुम अपने आप उतार के मुझे खुश करो.” जयसिंह ने खरखराती आवाज़ में कहा, “अगली बार से मैं अपने-आप उतार दिया करूँगा.”
“हाय पापा!”

जब जयसिंह ने देखा कि मनिका कपड़े उतारने में हिचक रही है तो वे उठ खड़े हुए और मनिका के पास गए.

“करना है कि नहीं?” उन्होंने थोड़ी तल्ख़ी से कहा.

मनिका उनका मूड चेंज भाँप गई, “पापा को ग़ुस्सा आ रहा है!”

“प्लीज़ ना पापा…” उसने एक आख़िरी बार मिन्नत की.

वैसे तो मनिका भी जानती थी कि एक ना एक दिन उनके बीच यह होना ही था. लेकिन जयसिंह के अचानक उसे इस तरह की स्थिति में ला देने ने उसे भयभीत कर दिया था. अगर वे होटल के किसी रूम में हौले-हौले उसे बहला कर नंगी करते तो शायद वह इतना ना-नुकुर नहीं करती. लेकिन जयसिंह की चाल तो यही थी, मनिका को हमेशा इस तरह से उत्साहित रखना कि वह एक आम रिलेशनशिप के बारे में सोच ही ना सके.

“कुछ नहीं होगा मनि… मैं कह रहा हूँ ना?”
“ये… येस…”
“हम्म… चलो…” कह जयसिंह एक कदम पीछे हट गए.

मनिका ने बहुत ही धीरे-धीरे अपनी छोटी सी टी-शर्ट को ऊपर करना शुरू किया. उसके क़रीब आते हुए जयसिंह ने फ़ोन वाला हाथ नीचे कर लिया था, लेकिन अब उन्होंने फिर से कैमरा ऑन कर लिया. मनिका कैमरा देखते ही एक पल के लिए ठिठक गई थी लेकिन जयसिंह ने हाथ से उसे कपड़े उतारते रहने का इशारा किया और काउच पर बैठ गए.

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