• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बहू के साथ शारीरिक सम्बन्ध

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
doston ye ek net se liya gaya c.n.p story asha karta hun ki aapko ye story pasand aayegi
story name -
बहू के साथ शारीरिक सम्बन्ध
writer name - शरद सक्सेना
bahut hi jald story ka pahela update aa raha hai
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#1
आप सभी का हृदय से आभार प्रकट करते हुए एक नयी कहानी आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं।कहानी को कल्पनिक ही मान कर पढ़ियेगा क्योंकि मेरी यह कहानी मेरी कल्पना की उड़ान की एक पराकाष्ठा है और एक ऐसे सम्बन्ध पर आधारित है, जिसको कहानी में उकेरने के लिये मुझे काफी सोचना पड़ा.
फिर भी आप लोगों के मनोरंजन के लिये इस कहानी को लिखने बैठ गया हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को कहानी पसंद आयेगी और मेरी गलती के लिये मुझे माफ करेंगे और साथ ही मुझे यह बताना कि इस कहानी के पात्र ने जो कुछ किया सही था या नहीं।
दोस्तो, मेरा नाम साहिल है और मेरी उम्र करीब 50 पार कर चुकी है। मेरे घर में मेरे बेटे सोनू के अलावा और कोई नहीं है। उसकी मां को गुजरे करीब 8 साल हो चुके हैं और अभी दो साल पहले मेरे माता-पिता का भी देहांत हो चुका था।
अब मेरे घर में मैं और मेरा बेटा सोनू ही है, जिसकी उम्र करीब 26 साल की है।
देखने में सोनू ठीक-ठाक है और एक मल्टीनेशनल कम्पनी में कार्यरत है। मैं अपने बेटे की शादी करना चाहता था लेकिन वो शादी करने के लिए मान ही नहीं रहा था.
तब भी परिवार के लोगों के दबाव के कारण मुझे सोनू की शादी एक बहुत ही खूबसूरत और घरेलू लड़की से करनी पड़ी.

photo-1610173827043-9db50e0d8ef9-ixid-Mnwx-Mj-A3f-DB8-MHxwa-G90by1w-YWdlf-Hx8f-GVuf-DB8f-Hx8-ixlib-r.jpg

हांलाँकि सोनू शादी के पक्ष में नहीं था।
शादी हो गयी, मेहमान भी अपने घर चले गये।
एक दिन मेरी बहू सायरा ने मुझसे अपने मायके जाने के लिये अनुमति मांगी। मैंने भी खुशी-खुशी इस शर्त के साथ सायरा को उसके घर भेज दिया कि वो जल्दी वापिस लौटकर आयेगी.
पर 10 दिन बीत गये, वो नहीं आयी। मैंने सोनू को उसे लाने के लिये भेजा, पर वो उसके साथ भी नहीं आयी और बहाना बना दिया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है।
इस तरह एक महीना बीत गया।
इस बीच मैंने मेरे बेटे को 2-3 बार सायरा को बुलाने के लिये कहा लेकिन जैसे वो आना नहीं चाह रही थी।
इधर मेरे दोस्त यार जो मेरे घर अक्सर आ जाया करते थे, बहू के बारे में पूछते थे. लेकिन अब मेरे लिये उन्हें भी टालने मुश्किल होने लगा था।
इसके अलावा मुझे भी बात को जानना था कि ऐसा क्या हो गया जिसके वजह से बहू अपने ससुराल में आने के लिये मना कर रही थी और सोनू के सास ससुर भी सायरा को वापस भेजने के लिये तैयार नहीं हो रहे थे।
इसलिये हारकर एक दिन मैं सोनू के ससुराल पहुँच गया।
मेरी आवभगत तो बहुत अच्छे से हुई और मेरे वहाँ जाने से घर के सभी लोग बहुत खुश थे।
बातों बातों में मैं जानना चाह रहा था कि आखिर सायरा क्यों नहीं वापस अपने ससुराल नहीं आना चाह रही है।
सोनू के ससुर ने बस इतना ही कहा कि जब भी वो लोग सायरा को बोलते तो सायरा बस इतना कहती कि बस थोड़े दिन वो उन लोगों के साथ रह ले, फिर चली जाऊंगी, क्योंकि मेरे यहां उसे अपने घर दोबारा जल्दी आने का मौका नहीं मिलेगा।
मैंने सायरा से भी बात की लेकिन उसने भी मुझे वही रटा रटाया जवाब दिया।
अब मेरा अनुभव जो मुझसे कह रहा था कि जरूर मेरे सोनू के नाकाबिलयत के वजह से यह सब हो रहा है।
पर तुरन्त ही मैंने अपने कान को पकड़े और बोला- हे प्रभु, ऐसा कुछ भी न हो, जैसा मैं सोच रहा हूं।
फिर भी मैं उन बातों को जानना चाह रहा था जिसके कारण सायरा नहीं आ रही थी.
और ऐसी बात सायरा से घर पर नहीं हो सकती थी।
इसलिये मैंने सायरा से कहा- बेटा, तुम्हारे शहर आया हूं, मुझे अपना शहर नहीं घुमाओगी?
सायरा खुशी-खुशी तैयार हो गयी। मैं सायरा के मम्मी पापा से इजाजत लेकर सायरा के साथ घूमने के बहाने घर आ गया। सायरा अपनी स्कूटी में मुझे बैठाकर मेरे साथ चल दी।
थोड़ी देर तक मैं उसके साथ इधर-उधर की बातें करते हुए घूमता रहा। फिर मैंने सायरा को ऐसी जगह पर ले चलने के लिये कहा, जहाँ पर मैं उससे अकेले में बातें कर सकूं।
पहले तो सायरा ने मुझे टालने की कोशिश की लेकिन मेरी जिद के कारण वो मुझे एक रेस्टोरेंट में ले आयी।
रेस्टोरेंट में भीड़ बहुत थी तो हम लोग वहां से वापिस चलने को हुए.
तो मैनेजर ने रोककर जाने का कारण पूछा.
मेरे द्वारा कारण बताने पर वो मुझे एक केबिन की तरफ इशारा करते हुए बोला- सर, इस समय वो केबिन खाली है, अगर आप लोग चाहें तो उसमें बैठ जायें।
मुझे भी यही चाहिये था कि मुझे और सायरा को कोई डिस्टर्ब नहीं करे. तो मैंने मैनेजर को कुछ सनैक वगैरह भिजवाने को कहा और मैं सायरा के साथ उस केबिन के अन्दर आ गया।
कुर्सी पर बैठते ही मैंने सायरा पर पहला वही सवाल दागा कि वो वापस क्यों नहीं जाना चाहती.
पर उसने भी वही रटा रटाया जवाब दिया।
तभी मैंने सायरा के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा- देखो बेटी, मैं ही सोनू की माँ और बाप हूं। अब अगर सोनू की माँ होती तो वो तुमसे पूछ कर समस्या का समाधान निकालती।
फिर मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- देखो बेटा, मैं जानता हूं कि जरूर ऐसी कोई बात तुम दोनों के बीच हुयी है जो मुझे बताने के काबिल तो नहीं है और जिसके वजह से तुम वापस भी नहीं आ रही हो।
लेकिन सायरा ने मेरी बात को काटते हुए कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं है।
“नहीं बेटा, बात तो कुछ न कुछ जरूर है। नहीं तो मुझे बताओ, नयी ब्याही लड़की भला अपने ससुराल से दूर रह सकती है?” इतना कहकर एक बार फिर मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और बोला- देखो सायरा, चाहे तुम मुझे अपनी सास समझो, या ससुर समझो, या दोस्त, जो कुछ भी समझना है समझो, लेकिन आज अपनी समस्या मुझसे शेयर करो। क्योंकि मैं अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तुम्हारे न आने का कारण नहीं बता पा रहा हूं।
इतना कहते हुए मैं उसकी तरफ देखने लगा और सायरा भी मुझे टकटकी लगाकर देखने लगी।
उसकी आंखों के कोने से आंसू की एक बूंद मुझे दिख गयी। मैंने उसके आंसू को अपनी उंगली में लेते हुए कहा- सायरा, देखो ये तुम्हारे आंसू के बूंद बता रहे हैं कि कुछ न कुछ ऐसा जरूर हुआ है कि तुम सोनू से दूर हो गयी हो।
अभी भी बिना बोले सायरा मुझे टकटकी लगाकर देखती रही।
मैंने फिर उसके हाथ को सहलाते हुए कहा- सायरा, तुम बस इतना मान लो कि तुम अपनी सहेली से बात कर रही हो. और जो कुछ भी तुम्हारे अंदर है उसको मुझे बताओ ताकि मैं उस समस्या को दूर कर संकू।
“मुझे तलाक चाहिये।” उसने इस शब्द को अपने रूँधे हुए गले से कहा।
मैं एकदम धक से रह गया- तलाक!!! यह क्या कह रही हो?
मेरा अनुमान सही दिशा में जाने लगा लेकिन मैं सायरा के मुंह से सुनना चाहता था।
“हाँ पापा, मुझे तलाक चाहिये।”
“बेटा तलाक? लेकिन क्यों?”
“पापा, मैं कारण नहीं बता सकती, लेकिन मैं सोनू से तलाक चाहती हूं।”
“बेटा, न्यायालय में भी तलाक का कारण तो बताना पड़ेगा. और इससे मुझे और तुम्हारे पापा दोनों को ही शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी। इतनी देर में मैं यह समझ गया हूं कि तुम्हारे और सोनू के बीच जो समस्या है उसको अभी तक तुमने अपने मम्मी और पापा को नहीं बताया है।”
मेरी बात सुनकर सायरा ने अपनी नजरें झुका ली और हम दोनों के बीच एक अजीब सी शान्ति छा गयी।
थोड़ी देर बाद मैंने बात आगे बढ़ाई और सायरा से बोला- देखो बेटा, मैंने बड़ी उम्मीद से सोनू की शादी करवायी थी कि मेरे यहां औरत नाम पर कोई नहीं है और तुम्हारे आने से यह कमी पूरी हो जायेगी। लेकिन तुम बिना कोई वजह बताये तलाक की बात कर रही हो। थोड़ा देर के लिये सोचो, मैं लोगों से क्या बताऊंगा कि मेरे बेटे और बहू के बीच ऐसा क्या हुआ कि इतनी जल्दी तलाक की नौबत आ गयी।
“तो पापा, मैं क्या करूँ इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।”
“रास्ता नहीं है! रास्ता नहीं है! कह रही हो लेकिन समस्या नहीं बता रही हो?” इस समय मैं भी थोड़ा झल्ला कर सायरा से बोल बैठा।
सायरा ने मेरी तरफ देखा, उसकी पलकें भीगी हुयी थी, रूँधे हुए आवाज के साथ बोली- पापा, सोनू से शादी करने से अच्छा था कि आप जैसे किसी अधेड़ से मैं शादी कर लेती।
अपनी बहू सायरा की इस बात से मैं बिल्कुल समझ गया कि सोनू ने मेरे नाम को मिट्टी में मिला दिया। अब मैं चाह कर भी सायरा से बाते आगे नहीं बढ़ा सकता।
तभी सायरा बोली- पापा जी, एक बात आपसे पूछनी है।
“हाँ हाँ पूछो बेटा?”
“चलिये मैं अपने पापा और आपकी इज्जत के खातिर अपने अन्दर के औरत को भूल जाऊँ. लेकिन जो गलती सोनू की है, उसका इल्जाम मैं अपने ऊपर क्यों लूँ?”
“मैं समझा नहीं?”
“मैं क्षमा चाहते हुए बोल रही हूं, आप बुरा मत मानियेगा।”
“नहीं बेटा, मैं बुरा नहीं मानूंगा।”
“पापाजी, मैं अपनी जिस्मानी भावना को अगर मार भी दूं पर कल को हमारा बच्चा नहीं हुआ तो आपके और हमारे दोस्त और रिश्तेदार ही मुझे बांझ बोलेंगे. जबकि मेरी गलती भी नहीं होगी और अपराधी भी मैं हूंगी।”
“हाँ यह बात तो है सायरा! पर एक रास्ता यह भी तो है कि तुम दोनों एक बेबी को एडाप्ट कर लो तो जमाने वाले नहीं कहेंगे।”
“तब मैं अपने मां-बाप को क्या जवाब दूंगी। वो अगर पूछें कि तुमने बच्चा गोद क्यों लिया?” अगर मैंने सारा किस्सा बताया तो बोलेंगे कि मैंने उन्हें पहले क्यों नहीं बताया. और नहीं बताती तो फिर सोनू की गलती और सजा मुझे?”
“हम्म!” मैं कहकर चुप हो गया।
तभी सायरा ने मेरे हाथों को अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी।
“सायरा, मैं कल सुबह वापस जा रहा हूं। अगर तुमको मुझ पर विश्वास हो तो तुम मां भी बनोगी और और जब तक मैं इस दुनिया में जीवित हूं तुम्हें औरत होने का अहसास भी मिलेगा. और किसी को कुछ भी कहने का मौका भी नहीं मिलेगा।”
सायरा मेरी तरफ टकटकी लगाकर देखने लगी, शायद इस समय मैं कुछ जरूरत से ज्यादा स्वार्थी हो गया था, मैं सायरा से नजर नहीं मिला पा रहा था.
काफी देर तक हम दोनों के बीच खामोशी छायी रही और सायरा की तरफ से कोई उत्तर न आने पर मुझे अपने ही ऊपर गुस्सा आने लगा।
जब बातों का सिलसिला दोबारा शुरू नहीं हुआ तो मैं और सायरा वापिस चल दिये।
रास्ते में मैंने उसे उसकी पसंद के कुछ कपड़े खरीद कर यह कहकर दिये- बेटा, यह छोटा सा गिफ्ट तुम्हारे पापा की तरफ से है।
जब तक घर नहीं आ गया, मैं रास्ते भर यही सोचता रहा कि सायरा मेरी बातों को किस अर्थ में लेगी।
घर पहुँचने के बाद मेरा और सायरा से कोई आमना-सामना नहीं हुआ और मैं भी इसी उधेड़बुन में रहा कि सायरा मेरी बातों को बुरा मान गयी है।
रात के खाने के समय भी सायरा मेरे सामने नहीं आयी।
खाना खाते वक्त ही मैंने सायरा के मम्मी-पापा को सुबह होते ही जाने के लिये बोल दिया।
कहानी जारी रहेगी.
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
sayara ke kuch imaginary photos




2019-New-Design-Lace-Bras-Big-Breast.jpg



Wholesale-Fashion-Sexy-Lace-Push-Up-Women.jpg



34-52-CDE-Cup-Sexy-Women-Girls.jpg
 
  • Like
Reactions: Gsc and kamdev99008

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#2
दूसरे दिन मैं सात बजे अपना सामान लेकर बाहर आया तो देखा एक बैग और भी है और सायरा के पापा ऑटो लेकर आ चुके थे। उधर सायरा भी नारी सुलभ परिधान में तैयार होकर आ चुकी थी और अपने मां-बाप से विदाई लेकर मेरे साथ हो ली।
हमने अपने शहर के लिये बस पकड़ी। हम दोनों के बीच इस बीच कोई बातचीत नहीं हुयी।
बस चल चुकी थी और हम दोनों के हाथ आपस में टकरा रहे थे। कई किलोमीटर तक हम लोग बिना बातचीत के यात्रा करते रहे। लेकिन मेरे शब्दों को सायरा ने पकड़ा या नहीं … यह मुझे जानना था.
इसलिये मैंने सायरा का हाथ लिया और उसको सहलाते हुए पूछा- सायरा थैंक्स, तुम्हारे इस अहसान का बदला नहीं चुका पाऊंगा। लेकिन एक बात जाननी है मुझे कि जो कुछ मैंने कहा, उसका आशय ही समझ कर मेरे साथ आयी हो ना?
मेरी पुत्रवधू में मेरी तरफ देखा और कहा- कहते हैं ना कि आदमी हो या औरत … अपना भाग्य खुद बनाती है. और आज मैं भी अपना भाग्य खुद बनाने आपके साथ चल रही हूं. या फिर मैं अपने मां-बाप पर दुबारा वो बोझ नहीं डालना चाहती।
“नहीं सायरा, अगर ऐसी बात हो तो तुम मेरे बेटे से तलाक ले सकती हो और तुम अपने माँ-बाप पर बोझा भी नहीं डालोगी, मैं तुम्हारा पूरा खर्च उठाऊंगा।”
“तब फिर आपने ऐसा क्या पाप कर दिया कि आप हर जगह पैसा भी खर्च करें और हाथ भी आपका खाली रहे और बदनामी भी आपको ही मिले?”
“तो फिर मैं समझूँ कि तुम्हारे मन में किसी प्रकार का बोझ नहीं है?”
उसने मेरी तरफ देखा, फिर बस में चारों ओर देखा और मेरे हाथ को चूमते हुए बोली- पापा, यह सबूत है कि मुझे कोई अफसोस नहीं है।
तब मैंने भी सायरा के हाथ को चूमते हुए कहा- सायरा, समाज के सामने हमारे रिश्ते जो भी हों लेकिन आज से हम एक-दूसरे के दिल में रहेंगे, बस तुम्हें धैर्य रखना होगा. क्योंकि मैं चाहता हूं कि जैसा तुमने अपनी सुहागरात के सपना देखा होगा, उससे ज्यादा सुखद तुम्हारी सुहागरात हो।
फिर पूरे रास्ते हम दोनों के हाथ एक-दूसरे से अलग नहीं हुए।
हम दोनों घर पहुंचे, दरवाजा सोनू ने खोला। मेरे साथ सायरा को देखकर बहुत खुश हुआ। खुशी में उसने सायरा को कसकर अपनी बांहों में भर लिया। थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे और फिर सायरा अलग होते हुए मेरे सीने से चिपक गयी।
सायरा के देखा-देखी सोनू भी मेरे सीने से चिपक गया।
मेरा एक हाथ सोनू के सिर को सहला रहा था जबकि दूसरा हाथ सायरा के पीठ से लेकर चूतड़ तक सहला रहा था।
थोड़ी देर तक हम लोग बातें करते रहे। फिर सोनू को होटल से खाना लाने के लिये भेज दिया।
सोनू के जाते ही मैंने सायरा को पैसे निकाल कर देते हुए कहा- तुम अपने हिसाब से अपनी सुहागरात की तैयारी करो, जिस रात को मौका मिलेगा, उस रात तुम्हारे जीवन का सबसे सुखद दिन होगा।
धीरे-धीरे सायरा को आये 15-20 दिन बीत गये लेकिन कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था। बस रोज सुबह शाम सायरा की नजरें मुझसे सवाल करती रहती थी।
इस बीच हनीमून के बहाने सायरा और सोनू घूमने भी चले गये।
लेकिन शाम को फोन पर नमस्ते पापा की एक धीमी आवाज मेरे दिल में नश्तर की तरह चुभती थी। इस बीच मैंने न तो सायरा को छुआ और न ही सायरा ने मुझे छूने की कोशिश की.
इस तरह से दिन बीत रहे थे कि तभी एक दिन सोनू ने आकर बताया कि उसे उसके बॉस के साथ दूसरे दिन सुबह जाना है और दूसरी रात को वो वापिस आयेगा।
मेरे मन को सोनू की इस बात से बहुत खुशी मिली।
मैंने सायरा की तरफ देखा तो वो अपनी नजरें नीचे की हुयी अपने पैरों के नाखून से जैसे जमीन को खोद रही थी।
दूसरे दिन सोनू करीब 10 बजे घर से निकला. उसके जाते ही सायरा मुझसे चिपक गयी और बोली- पापा, आज की रात के लिये मैं न जाने कितनी रातों से बैचेनी से इंतजार कर रही थी।
“जाओ सायरा, तुम अपनी तैयारी करो और मैं अपना बेडरूम सजवाता हूं।”
फिर मैंने सायरा से उसके पैन्टी और ब्रा की साईज पूछी। सायरा ने बड़े ही सहजता से कहा- 80 साइज की ब्रा है और 85 साईज की पैन्टी है।
मैं घर के बाहर आ गया और सायरा को गिफ्ट करने के लिये एक सुन्दर सोने का हार खरीदा, उसके साईज की पैन्टी-ब्रा लिया और साथ ही ढेर सारे फूल लेकर मैं घर पहुंचा।
ब्रा, पैन्टी और फूल मैंने सायरा को दे दिया। फूल देखकर सायरा बहुत खुश हुयी।
फिर मैंने सायरा को ब्यूटी-पार्लर जाने के लिये कहा।
बाहर जाते हुए सायरा बोली- पापा, आज आपको एक दुल्हन ही मिलेगी!
“और तुम्हें एक दूल्हा, जो तुम्हें आज रात एक कली से फूल और एक लड़की से औरत बनायेगा।”
सायरा मेरी बात को सुनकर शर्माते हुए नजरें झुका कर बाहर निकल गयी।
इधर मैंने अपने बिस्तर पर सफेद चादर बिछाया और उस पर तीन चार प्रकार के फूल से ढक दिया। दो-तीन घंटे के बाद सायरा वापिस ब्यूटी पार्लर से आयी, उसके चेहरे पर चमक थी। अभी शाम को सात बजे थे। हम दोनों के मन में ही जिस्मानी मिलन की एक उत्सुकता थी।
इसलिये हम दोनों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद मैंने सायरा से कहा कि वह दुल्हन की पोशाक पहनकर मेरे कमरे में मेरा इंतजार करे।
करीब साढ़े आठ बजे के बाद मैं वापिस आया और शेरवानी पहनकर मैंने भी एक दूल्हे के गेटअप लिया. और अपने कमरे के दरवाजे को हल्के से खोलते हुए अन्दर आया.
दरवाजा बन्द करके अपने पलंग की ओर देखा, सायरा दुल्हन के वेश में अपने को सिकोड़ कर बैठी हुयी थी। कमरे की खुशबू आज ठीक वैसी ही थी जैसे मेरी सुहागरात के समय की थी।
मैं पलंग पर सायरा के पास बैठ गया और उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिये। सायरा के लिये शायद इस तरह से मेरा उसके हाथ को छूने का पहला मौका था इसलिये उसने अपने आपको और समेट लिया।
एक बार फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ा एक बार वो फिर पीछे हुयी। मैंने उसका घूंघट उठाते हुए उसकी ठुड्डी को उठाया, पलकें अभी भी सायरा ने झुका रखी थी।
मैंने सायरा से कहा- सायरा तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
मेरा इतना बोलना था कि सायरा की नजरें मेरी तरफ उठी.
ठीक उसी समय मैंने सायरा को उस सोने के हार का सेट देते हुए कहा- इस खूबसूरत दुल्हन का गिफ्ट।
अब सायरा की नजर उस हार पर ही थी.
मैंने पूछा- कैसा लगा?
बोली- बहुत खूबसूरत।
इसके बाद मैं सायरा के सीने पर अपने सिर टिका कर उसके दिल की धड़कन सुनने लगा. उसका दिल बहुत ही तेज धड़क रहा था और सांसें भी काफी तेज चल रही थी।
उसके बाद मैंने उसके सर से पल्लू हटाते हुए उसकी नथ उतारी और धीरे-धीरे उसके बदन से सारे गहने उतार कर किनारे रखकर सायरा को अपनी बाहों में भर लिया. सायरा ने भी मुझे कस कर अपनी बांहों से जकड़ लिया।
मैंने सायरा से पूछा- सायरा, तुम तैयार हो?
“हूम्म!” मेरी पुत्रवधू ने एक संक्षिप्त उत्तर दिया।
मैंने धीरे-धीरे सायरा को बिस्तर पर लेटाया और उसके सीने से साड़ी हटाते हुए उसके सीने को चूमते हुए पेटीकोट में फंसी साड़ी को हटाया और पेटीकोट का नाड़ा खोलकर अपना हाथ उसके अन्दर डालते हुए उसकी चूत पर फिराने लगा.
सायरा की चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कान को दांतों के बीच फंसाते हुए कहा- सायरा तुमने तो पानी छोड़ दिया।
सायरा बोली- आज सुबह से केवल आपके बारे में सोच रही थी। मैं कितना बर्दाश्त करती, जैसे ही आपने मुझे छुआ, मैं गीली हो गयी। प्लीज आप ऐसा करते रहिये, आपका इस तरह सहलाना मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है.
इतना कहकर सायरा ने अपने पैरों को सिकोड़ते हुए अपनी टांगों के बीच थोड़ा गैप बना दिया।
सायरा की चूत गीली हुयी तो क्या हुआ, मेरे हाथ अभी भी उसके अनारदाने को मसल रहे थे और उंगली को अन्दर डालने का प्रयास कर रहे थे।
फिर मैंने उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके खरबूजे को बारी-बारी मैं अपने मुंह में लेता और मसलता। फिर मैंने सायरा के ब्लाउज और ब्रा को उसके जिस्म से अलग किया और उसके छोटे-छोटे दानो पर अपनी जीभ चलाते हुए उसके खरबूजे को मसलता था और बीच-बीच में दानों को काट लेता था। वो सीईईई करके रह जाती थी। मैं उसकी नाभि उसके पेट पर जीभ फिराता।
मैं अभी भी यही कर रहा था कि सायरा बोली- पापा, चुनचुनाहट हो रही है, प्लीज कुछ करिये ना!
बस इतना कहना था कि मैंने सबसे पहले अपने आपको नंगा किया और फिर अपनी बहू सायरा के बचे-खुचे कपड़े हटाकर उसको नंगी किया और उसकी टांगों के बीच आकर बैठ गया।
बहू की चूत काफी चिकनी थी लेकिन मैं इस समय सायरा से कुछ पूछना नहीं चाहता था। बस मैंने इतना किया कि दो तकिये लिये और सायरा की कमर के नीचे लगा कर उसकी कमर को अपनी कमर की ऊंचाई तक उठाया और उसके चूत के मुहाने को लंड से सहलाते हुए कहा- सायरा, आज थोड़ा तुम्हें दर्द, जलन होगा, तैयार हो ना?
“पापा, आप करो, जो भी होगा, मैं बर्दाश्त करूँगी।” मेरी बहू ने कहा.
बस इतना ही कहना था, मैं सायरा के ऊपर झुका, अपने लंड को पकड़कर सायरा की चूत में ताकत के साथ अन्दर डालने लगा.
जैसे-जैसे सायरा की चूत मेरे लंड को अन्दर लेने के लिये जगह बना रही थी, वैसे-वैसे सायरा का चिल्लाना शुरू हो चुका था। वो मुझे नोच खसोट रही थी और मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी, पर मैं उसकी सभी बातों को अनसुना करते हुए लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर डालता ही जा रहा था।
तभी सायरा की रूंधी हुयी आवाज आयी- पापा, रहने दो, बहुत दर्द हो रहा है। मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं, मैं मर जाऊंगी, प्लीज छोड़ दो-प्लीज छोड़ दो।
लेकिन मैंने उसकी किसी बातों पर ध्यान नहीं दिया और लंड को पूरा चूत के अन्दर डाल दिया।
उसकी सील टूट चुकी थी क्योंकि मेरा लंड चिपचिपाने लगा था।
फिर मैंने रूक कर उसके आंसू को, उसके होंठों को, उसकी छोटे-छोटे निप्पल पर बारी-बारी जीभ चलाता।
कुछ ही देर के बाद सायरा ने अपनी कमर उठानी शुरू की और अपनी कमर को हिला-डुला कर लंड को सेट करते हुए बोली- पापा, एक बार फिर चुनचुनाहट हो रही है।
अब तक सायरा दो-तीन बार अपनी कमर उचका चुकी थी।
मैं उसकी इच्छा को देखते हुए मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा। अब उसकी चूत की सिकुड़न कम होने लगी और फैलाव आने लगा। जैसे-जैसे उसकी चूत में संकुचन में कमी और फैलाव में अधिकता होती जा रही थी, मेरी स्पीड भी बढ़ती जा रही थी।
उसके बाद रफ्तार ने जोर पकड़ा और सायरा की आवाज आने लगी- हाँ पापाजी, बहुत अच्छा लग रहा है, बस ऐसे ही कीजिए।
मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी। लंड और चूत के मिलन के थप-थप की आवाजों के गवाह मेरा कमरा बना जा रहा था।
सोनू के मम्मी के जाने के कई साल बाद चूत चोदने को मिल रही थी, वो भी सोनू की नाकामी की वजह से!
लेकिन अब मैं थकने लगा था और सांस भी फूलने लगी थी इसलिये मैंने सायरा के ऊपर अपना वजन डाला और उसके खरबूजों को बारी-बारी चूसता, उसके होंठों को चूसता, उसके कान काटता, सायरा भी मेरा साथ दे रही थी।
जब मैं अपने स्टेमिना पर काबू पा लेता तो फिर धकापेल शुरू हो जाता।
इस बीच दो बार मेरा लंड अच्छे से गीला हो चुका था, पर पता नहीं क्या बात थी कि लंड मुझसे धक्के पर धक्के लगवाये जा रहा था। जब-जब लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है, तब-तब लंड मुझे धोखा दे जाता, मुझे और कसरत करनी पड़ जाती।
खैर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती … मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मुझे पता नहीं लगा कि कितना वीर्य निकला … लेकिन हुआ मजे का था। कई सालों से टट्टों में कैद था।
मैं हाँफते काँपते अपनी बहू सायरा के नंगे बदन के ऊपर गिर गया और जब तक मेरे महाराज उस छेद से बाहर नहीं निकले, मैं तब तक सायरा के ऊपर ही रहा.
फिर मैं उसके बगल में आकर लेट गया।
कहानी जारी रहेगी.
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#3
शरीर में थोड़ी ताकत आने के बाद मैंने सायरा को एक बार फिर से अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया, ताकि मुझे उसके गर्म जिस्म से गर्मी मिल सके। थोड़ी देर तक वो मुझसे चिपकी रही, लेकिन फिर वो कसमसाने लगी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने की कोशिश करती रही.
लेकिन वो जितना मुझसे अपने को छुड़ाती, उतना ही मैं सायरा को जकड़ लेता।
मेरी बहू कसमसाते हुए बोली- पापा जी, प्लीज अब छोड़ दीजिए ना!
“क्या हुआ? पसंद नहीं आ रहा है क्या?”
“नहीं यह बात नहीं है, लेकिन …”
“लेकिन क्या?”
“जी पेशाब आ रही है।”
बस इतना सुनना था कि मैंने सायरा को और जकड़ लिया।
“पापा, प्लीज छोड़ दीजिए … नहीं तो बिस्तर पर ही निकल जायेगी।”
मैंने सायरा को छोड़ दिया, वो चादर से अपने नंगे जिस्म को ढकने लगी, मैंने तुरन्त चादर पकड़ ली और बोला- इसे क्यों ओढ़ रही हो?
वो अपने पैरों को चिपका कर उछलते हुए बोली- शर्म आ रही है।
“अब क्या शर्माना … अब हम तुम पति-पत्नी भी हैं. और तुमको पेशाब करने जाना है तो नंगी ही जाओ!” कहकर मैंने चादर खींच ली।
वो चादर छोड़ कर लंगड़ाती हुए बाथरूम की तरफ भागी। भागते समय सायरा के कूल्हे ऊपर नीचे हो रहे थे।
काफी देर बाद सायरा पेशाब करके बाहर आयी तो मैंने पूछा- अन्दर देर क्यों लगा दी?
तो वो बोली- पापा, पेशाब करते समय मुझे जलन महसूस हुयी तो मैंने देखा तो पेशाब के साथ-साथ हल्का-हल्का खून भी आ रहा था.
वो अपनी ताजी चुदी चूत की तरफ इशारा करते हुए बोली- मैं बस इसे साफ कर रही थी।
अपनी बात खत्म करने के बाद सायरा मेरे पास आकर मेरे सीने में मुक्के बरसाते हुए बोली- पापा, आप बड़े वो हैं।
मैंने उसके हाथ पकड़कर चिपका लिया और बोला- अगर मैं बड़ा वो नहीं होता तो तुमको मजा नहीं आता।
मेरी बात सुनकर वो चुप हो गयी और फिर बोली- पापा, अन्दर अब भी बड़ी जलन हो रही है।
मुझे इसका अंदाजा पहले से ही था, मैंने क्रीम लाकर रखी हुई थी, उसे निकाली और उंगली में लेकर सायरा की चूत के अन्दर अच्छे से लगा दिया।
यह सब करने के बाद मैंने सायरा से पूछा- कैसा लगा बेटी?
“पापा बहुत अच्छा लगा, मैं जिस उम्मीद से आपके साथ आयी थी, वो पूरी हुयी। और आपने तो कमाल ही कर दिया. मैं आपको बताऊं … मेरा पानी दो बार निकल चुका था लेकिन आप तो मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे।”
“चलो अच्छा है. अब हमारी सुहागरात हो चुकी है, इसलिये आज के बाद जब भी तुम चाहोगी, मैं तुम्हें सुख दे दिया करूँगा।”
“थैक्यूं पापा।”
“अब ये बताओ कि सुहागरात के समय सोनू ने क्या किया था?”
“कुछ नहीं, कमरे में आने के तुरन्त बाद उसने जल्दी-जल्दी मेरे और अपने कपड़े उतारे और मुझे यहां वहां चूमने चाटने लगा, इससे पहले मैं कुछ समझ पाती, मुझे अपने नीचे कुछ गीला लगा, मेरा ध्यान जब तक वहां से हटता, तब तक सोनू बगल में लेटकर सो चुका था, मैं अपनी उंगलियों के बीच सोनू के पानी को मल रही थी और सोते हुए सोनू को देख रही थी, पूरी रात मेरी रोते रोते बीती।
“चलो कोई बात नहीं, आज भी तुम्हारी पूरी रात रोते रोते ही बीतेगी लेकिन तुम्हें उसका सुखद एहसास होगा।”
“अच्छा जरा नीचे उतरकर कमरे की पूरी लाईट जला कर मेरे पास आओ।”
मेरी बहू लाईट जलाकर मेरे पास आयी, हम दोनों की नजर खून से सनी हुई चादर पर पड़ी तो सायरा ने शर्माकर अपनी नजरें झुका ली।
मैं उसके पास खड़ा होकर उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला- चादर पर यह खून बता रहा है कि तुम्हारी सील टूट गयी है।
तभी सायरा मेरे लंड की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली- पापा जी, मेरा खून इस पर भी लग गया है।
“कोई बात नहीं।” कहकर मैं बाथरूम में घुसा और अपने लंड को साफ किया.
इधर सायरा ने भी पलंग का चादर बदल कर, उस चादर को लाकर बाल्टी में डालकर उसे गीला कर दिया।
उसके बाद मैं और सायरा वापिस पलंग पर आकर बैठ गये।
थोड़ी देर बाद मैंने सायरा को बिस्तर पर ही खड़े होने के लिये कहा. मेरी बात को मानते हुए सायरा बिस्तर पर खड़ी हो गयी। सायरा का जिस्म दूध जैसा था। जांघ के पास एक तिल था।
मैं सायरा को लगातार घूरे जा रहा था, मुझे इस तरह घूरते देखकर बोली- पापा, आप मुझे इस तरह क्यों देख रहे है?
“कुछ खास नहीं, तुम्हारे दूध जैसे उजले जिस्म को देख रहा हूं। ऊपर वाले ने तुम्हारे जिस्म को बहुत ही फुरसत से ढाला है।”
“नहीं पापा, अभी अभी आपकी वजह से मेरा जिस्म खूबसूरत हुआ है, नहीं तो मुझे मेरा यह जिस्म बोझ ही लग रहा था।” सायरा के चेहरे पर सकून के साथ-साथ एक अलग सी खुशी थी।
एक बार फिर मैंने सायरा के हाथों को पकड़कर और उसकी नाभि के पास एक हल्का सा चुंबन दिया और बोला- मुझे माफ करना सायरा जो मेरे वजह से तुम्हें सोनू जैसा पति मिला।
“आप जैसा ससुर भी तो मिला जिसने मेरे सभी दुखों को एक बार में ही दूर कर दिया।” इतना कहते ही सायरा मेरी गोदी में बैठ गयी और एक बार फिर मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी चूत पर चलने लगे.
मैं बार-बार उसकी गर्दन को चूमता और कानों के चबा लेता या फिर जीभ से गीली करता।
मेरे द्वारा उसकी चूत में इस तरह सहलाने के कारण सायरा को भी अपनी टांगों को फैलाने में मजबूर कर दिया। मेरे हाथ अभी तक सायरा के चूत को ऊपर ही ऊपर सहला रहे थे, सायरा के टांगों को फैलाने के कारण अब उंगली भी अन्दर जाने लगी।
सायरा ने मेरे दूसरे हाथ को पकड़ा और अपने चूची पर रख दी। अब मेरे दोनों हाथ व्यस्त हो चुके थे। एक हाथ चूत की सेवा कर रहा था तो दूसरा हाथ उसकी चूची की! इसके अलावा मेरे होंठ और दांत उसकी गर्दन और कान की सेवा कर रहे थे।
सायरा ने भी मेरे हाथों को पकड़ रखा था।
कुछ देर बाद सायरा बोली- पापा, एक बार फिर खुजली शुरू हो चुकी है।
मैंने सायरा को लेटाया और लंड चूत के अन्दर पेवस्त कर दिया। हालाँकि इस बार भी थोड़ा ताकत लगानी पड़ी, पर पहले से अराम से मेरा लौड़ा अन्दर जा चुका था।
सायरा ने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली। मैं पोजिशन लेकर चूत चोद रहा था और सायरा का जिस्म हिल रहा था।
इस बार मैं सायरा को और मजा देना चाहता था, इसलिये मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, सायरा की टांगें हवा में उठायी और फिर लंड को चूत के मुहाने में रख कर अन्दर डाला लेकिन इस पोजिशन से उसकी चूत थोड़ी और टाईट हो गयी और सायरा को एक बार फिर दर्द का अहसास हुआ।
इस पोजिशन की चुदाई से मुझे भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन एक बार फिर मैं थकने लगा। इस बार मैंने नीचे होकर सायरा को अपने ऊपर ले लिया और लंड को सायरा की चूत के अन्दर पेल दिया।
थोड़ी देर तक मैं अपनी कमर को उठा-उठाकर सायरा को चोद रहा था, फिर सायरा खुद ही वो सीधी होकर उछालें मार रही थी।
काफी देर हो चुकी थी और अब मेरा निकलने वाला था. इधर मेरी बहू मेरे लंड पर बैठ कर लगातार उछाले मारे जा रही थी, बीच-बीच में अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए मुझे चोद रही थी।
तभी सायरा चीखी- पापा, मेरा दूसरी बार निकलने वाला है!
“मुझे चोदती रहो सायरा बेटी … मेरा लंड भी पिचकारी छोड़ने वाला है।”
मेरे कहते ही दूसरे पल मेरी पिचकारी छुट गयी और साथ ही सायरा भी मेरे ऊपर धड़ाम से गिर पड़ी। फिर अपनी सांसों पर काबू पाने के बाद मुझसे अलग हुई।
“सायरा, इस बार भी मजा आया न?”
“हाँ पापा, आपने इस बार भी मेरी भूख को शांत कर दिया।”
थोड़ी देर तक तो हम दोनों के बीच खामोशी रही।
फिर कुछ देर बाद मैं बोला- सायरा!
“हाँ पापा?”
“सारी मर्यादा हम दोनों के बीच की टूट चुकी है।”
“हाँ पापा! लेकिन पापा, जो भी मर्यादा, सीमाएँ हैं वो हमारे और आपके जिस्म जब बिस्तर पर मिलेंगे तब ही टूटेंगी, बाकी कभी भी आपकी इस बहू बेटी से आपको कभी भी कोई शिकायत नहीं होगी।”
मुझे नींद आने लगी थी, मैंने ऊंघते हुए कहा- सायरा बेटी, मुझे नींद आ रही है।
“पापा, आप सो जाइए!”
मैंने करवट बदली और अपनी आंखें बन्द कर ली। सायरा ने भी तुरन्त करवट बदली और अपने चूतड़ों को मेरी जांघों के बीच फंसा कर मेरे हाथ को अपने मुलायम उरोज पर रख दिया।
अभी मैंने अपनी आँखें सोने के लिये बन्द की थी, वो सायरा की गांड की गर्मी और उसके नर्म गर्म चूची की वजह से खुल गयी।
फिर भी मैंने अपनी आँखें सोने के लिये जबरदस्ती बन्द की, लेकिन अब आँखों से एक बार फिर नींद गायब हो गयी।
किसी तरह मैंने थोड़ा वक्त बिताया लेकिन जब मैं हार गया तो खुद को सायरा से अलग किया और सीधा होकर लेट कर अपनी आँखें बन्द कर ली. सायरा के गर्म जिस्म का अहसास अभी भी मेरे दिमाग में चल रहा था।

कहानी जारी रहेगी.
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#4
थोड़ी देर बाद मुझे एक हलचल सी महसूस सी हुई, मैंने हल्की सी अपनी आँखें खोली, देखा कि सायरा उठकर बैठी, अपने बालों का जूड़ा बनाया, मुझे ऊपर से नीचे देखा.
फिर उसकी नजर मेरे लंड पर जाकर ठहर गयी और खुद से बात करने लगी- हाय पापा, आपका लंड तो सोनू के लंड से दुगुना लम्बा और मोटा है, सोनू का लंड तो मेरे हथेली के अन्दर आकर गुम हो जाता है. पर आपका लंड है कि हथेली में समाता ही नहीं है। सोनू का लंड मेरी चूत को छूने से पहले झर जाता है और आपका लंड जब तक मेरी चूत को जब तक मसल नहीं देता तब तक छोड़ता ही नहीं है।
इतना कहने के साथ ही साथ दो-तीन बार उसने मेरे लंड को चूमा और सुपारे पर अपनी जीभ चलाने लगी.
मेरी नजर अभी भी सायरा की हरकतों पर थी, उसने अपने अंगूठे को सुपारे पर फिराया और अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने के बाद चाटने लगी और फिर चटकारे लेते हुए बोली- पापा थैंक्यू, मुझे अपने निर्णय पर पछतावा नहीं है।
इसके बाद वो उठी और बाथरूम की तरफ चल दी। मैं अभी भी अधखुली आँखों से सायरा की हर हरकत पर ध्यान रख रहा था।
कोई दो-तीन मिनट बाद सायरा वापिस पलंग पर आकर बैठ गयी और मेरे लंड को निहारने लगी और साथ ही अपनी चूत अपर हाथ फेर रही थी। फिर वो मेरे लंड पर झुकी, पर एक बार उसने मुझे फिर देखा, मैंने तुरन्त ही आँखें बन्द कर ली।
शायद सायरा इस बात को देखना चाह रही थी कि मैं सो रहा हूं या जाग रहा हूं।
मैं अपनी आँखों को मूंदे हुए था पर दिमाग को खुला रखाकर सायरा की हिलने डुलने को समझ रहा था.
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि एक बार सायरा का पूरा ध्यान मेरे लंड पर है। मैंने फिर अपनी आंख को थोड़ा खोला और फिर से देखने लगा. सायरा अभी भी मेरे लंड पर झुकी हुई थी।
फिर एकाएक मुझे लगा कि सायरा के होंठों का स्पर्श मेरे लंड के सुपारे पर है, शायद उसने मेरे लंड को चूमा था।
एक बार फिर सायरा मेरे पास से हटकर शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने जिस्म को निहारने लगी, अपनी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसलते हुए अपने हाथ को अपनी चूत की तरफ ले जाकर, फिर अपनी टांगों को फैलाकर चूत को जोर-जोर से रगड़ते हुए लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।
चूत को अच्छे से मलने के बाद वो अपनी दोनों हथेलियों को चाटने लगी.
इधर अपनी बहू की कामुकता भरी हरकतों को देखकर मेरा लंड हिलौरें मारते हुए टनटना चुका था. सायरा ने जब मेरा लंड चूमा था, तभी से वो खड़ा था लेकिन अब चमड़ी को फाड़कर सुपारा बाहर आ चुका था और 90 डिग्री पर सेट हो गया।
सायरा की नजर मेरे लंड पर पड़ी. तने लंड को देखकर समीप आकर उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कैद किया और सुपारे पर अपनी जीभ चलाते हुए बोली- पापा, आप भले ही सो रहे हों लेकिन आपका लंड मानने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब आपको जगाकर परेशान थोड़े ही करूँगी. पर आपके लंड को तब तक प्यार करूँगी, जब तक इसका मन होगा.
कहकर वो मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे टट्टों के साथ खेलने लगी.
बीच-बीच में वो मुझे देख लेती और फिर अपने काम में जुट जाती.
सायरा के लगातार ऐसा करने से मेरे जिस्म में अकड़न सी शुरू हो चुकी थी, मेरे चूतड़ आपस में मिल चुके थे. सायरा मस्त होकर अपने ससुर के लंड को चूसे जा रही थी. उसको मेरे जिस्म में होने वाले हलचल की कोई खबर न थी.
बस इसी एक पल का मैंने फायदा उठाते हुए अपने जिस्म की अकड़न को खत्म किया, इसके परिणाम स्वरूप मेरा वीर्य सायरा के मुंह के अन्दर छूट गया. अचानक मेरे लंड से निकलते हुए वीर्य की वजह से सायरा हड़बड़ा गयी और मेरे लंड को मुंह से निकाल दिया.
मेरे वीर्य से उसका पूरा चेहरा गीला हो चुका था पर सायरा ने मेरे लंड को छोड़ा नहीं वो मेरे सुपारे को चाटती रही.
उसके बाद एक बार फिर शीशे के सामने खड़े होकर चेहरे पर पड़ी मेरी मलाई से अच्छे से अपने चेहरे को मला, फिर अपनी चूची में लगाया और फिर चूत पर मलने के बाद मेरे पास आकर बैठ गयी.
मेरी बहू मेरे बालों को सहलाते हुए बहुत ही धीमी आवाज में बोली- पापा, आप बहुत अच्छे हो। आज आपने मुझे कली से फूल बना दिया. पर …
अब मेरे कान खड़े हो गये, सायरा क्या कहना चाह रही थी?
“पर पापा … मैं क्या कहूं, कैसे बोलूं, मुझे अच्छे से प्यार कीजिए, मैं आपके लंड को खुल कर चूसना चाहती हूं लेकिन आपके जागते हुए … आपको मजा देते हुए!”
“हम्म!” मैं अपने मन में ही बोल पड़ा- सायरा मेरी बहू, मैं भी तुम्हारी चूत को चाटना चाहता था तुमसे अपना लंड चुसवाना चाहता था, पर तुम बुरा न मान जाओ, इसलिये नहीं किया, लेकिन कल तुम्हें खूब मजा दूंगा।
फिर मैंने करवट बदल लिया। सायरा भी मुझसे चिपक गयी। उसके जिस्म की गर्मी को बर्दाश्त करते हुए मैं सो गया।
सुबह सायरा ने मुझे जगाया, उसने पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। पीली छोटी बिंदी, पीली लिपस्टिक, पीली चूड़ियाँ बहुत सुंदर दिख रही थी।
उसके हाथ में चाय का कप था- पापा उठिये, चाय!
मैंने उठकर चाय उसके हाथ से ली, सायरा तुरन्त ही झुककर मेरे पैर छुये, मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- दूधो नहाओ, पूतो फलो।
मुसकुराते हुए बोली- अब मैं पूतों से फल जाऊंगी क्योंकि अब आपके दूध का आशीर्वाद मिल गया है।
उसकी बात काटते हुए बोला- सोनू का फोन आया था?
“हां पापा-रात तक आ जायेंगे। पापा, आप नहा धो लो, मैं तब तक आपके लिये नाश्ता बना देती हूं!”
कहकर वो उठी और रसोई की तरफ चल दी।
सायरा के सुबह के व्यवहार को देखकर मैं रात की बात सोचने लगा कि किस तरह सायरा ने मुझे और मेरे लंड को संतुष्ट किया.
अभी मैं सोच ही रहा था कि सायरा ने मुझे झकझोरा और फ्रेश होने के लिये बोली.
मैंने सायरा को ऊपर से नीचे तक देखा, हुस्न भी उसके सामने इस समय फीका लगता.
एक बार फिर सायरा ने मुझे झकझोरा और बोली- क्या सोच रहे हैं पापा?
मैंने अपनी गर्दन न में हिलायी और फ्रेश होने के लिये बाथरूम में घुस गया।
नहाने धोने के बाद तौलिया ही लपेटे बाहर आया, सायरा अभी भी रसोई में ही थी, उसने अपने साड़ी के पल्लू को कमर में खोंस रखा था. अपनी जवान बहू की चिकनी कमर देख कर मेरे और मेरे लंड महराज को नशा सा छाने लगा। सायरा की पीठ मेरी तरफ थी और वो अपने काम में मशगूल थी।
मैं दबे पांव रसोई के अन्दर गया और सायरा की कमर को सहलाते हुए उसको पीछे से कस कर पकड़ लिया।
बड़ी सहजता के साथ बोली- पापा जी, नहा चुके है आप?
“हां नहा तो चुका हूं!” मैं उसकी चूची को उसके ब्लाउज के ऊपर से दबाते हुए बोला.
“तो फिर मैं नाश्ता लगा देती हूं।”
मैंने सायरा को गोद में उठाया और अपने रूम में लाकर पलंग पर लिटाते हुए कहा- नाश्ता कहां भागा जा रहा है, बस मेरी प्यारी गुड़िया एक बार मुझे प्यार कर ले तो नाश्ता भी जमकर खा लूंगा.
“और हां …” उसके बगल में लेटते हुए कहा- अब तुम ही मुझे प्यार करोगी, मैं कुछ भी नहीं करूंगा।
थोड़ा सा झिझकने का नाटक करते हुए मेरी पुत्रवधू बोली- पापा, मैं?
“हाँ तुम!” मैंने भी अपनी बातों में जोर देते हुए कहा- पर एक शर्त और भी है, मुझे मजा आना चाहिये।
“पापा मैं कैसे करूंगी?”
“क्यों, क्या हुआ? आजकल की लड़की हो, तुम्हें तो पता होना चाहिए कि मर्द को कैसे अपने वश में किया जाता है।”
थोड़ी देर वो मुझे ऐसे ही देखती रही।
मैंने सायरा को अपने ऊपर खींचा और उसके चेहरे को ढक रहे बालों को एक तरफ करते हुए कहा- सायरा, यह मत सोचो कि मैं क्या सोचूंगा। बस तुम मुझे ऐसा प्यार करो कि मैं तुम्हारा गुलाम हो जाऊं.
इतना कहने के साथ ही मैंने उसके होंठों को चूमा और फिर उसके उत्साह को बढ़ाने के लिये बोला- सायरा, एक बात कहूँ, तुम इस पीली साड़ी और मेकअप में बहुत ही सेक्सी लग रही हो।
एक बार फिर सायरा ने शर्माने का नाटक किया लेकिन कुछ ही देर बाद वो मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे होंठ पर एक बहुत ही छोटी लेकिन मिठास से भरी हुई पप्पी दी।
दो-तीन बार तक सायरा ने ऐसा ही किया।
मैंने चुपचाप अपने हाथ पैर सब खोल दिये थे।
अभी तक सायरा मेरे होंठों को पप्पी दे रही थी पर अब चूसना शुरू कर दिया। फिर अपनी जीभ के मेरे मुंह के अन्दर डालती, मेरे होंठों पर चलाती और अगर मैं भी अपनी जीभ बाहर निकालता तो मेरे जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसती।
अब उसके ऊपर कामवासना हावी होने लगी थी।
सायरा ने मेरे दोनों गालों को कसकर पकड़ा और मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी। फिर नीचे की तरफ खिसककर मेरे निप्पल को चूसती और काटती और इससे भी मन नहीं भरता तो अपनी उंगलियों के बीच में फंसाकर मेरे निप्पल को जोर-जोर से मसलती।
सायरा की आँखें बता रही थी कि उसे क्या चाहिये।
फिर वो मेरी जाँघों के पर बैठ गयी और अपनी साड़ी का पल्ले को हटाकर अपने ब्लाउज के हुक को खोलकर ब्लाउज को अपने जिस्म से अलग किया।
अरे वाह … उसने मैचिंग ब्रा भी पहनी हुई थी.
जल्दी से उसने अपनी ब्रा को अपने जिस्म से अलग किया और अपने थन को उसने आजाद कर दिया और मेरे निप्पल को अपने निप्पल से चूमाचाटी करवाने लगी। फिर अपनी दोनों चूचियों को हाथ से पकड़कर मेरी छाती पर खासतौर से निप्पल पर रगड़ने लगी और फिर बारी-बारी से अपनी चूची मेरे मुंह में भर देती और मैं उसे चूसता।
कहानी जारी रहेगी.
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#5
थोड़ी देर तक बहू ऐसे ही करती रही और फिर एक बार सीधी बैठी और इस बार अपनी साड़ी को अपने से अलग किया तो मुझे उसका मैचिंग पेटीकोट नजर आया।
सायरा अब और नीचे मेरी जांघ की तरफ आ गयी और झुककर मेरे पेट पर जीभ चलाते हुए मेरे लंड को पकड़कर मुठ मारने लगी।
मैं उसका हौसला बढ़ाते हुए बोला- सायरा, शाबाश … बहुत अच्छे, मजा आ रहा है। बस ऐसे ही प्यार करती रहो, मत सोचो तुम अपने ससुर के साथ हो, बस मुझे अपना मर्द मानो, शर्म छोड़कर मजा लो, मैं चाह रहा था, झिझक में मजा खत्म न हो जाये।
मेरे बात सुनकर सायरा ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराती हुई मेरी जाँघों पर बारी-बारी जीभ फिराने लगी. साथ ही सुपारे पर अपनी उंगली रगड़ रही थी।
“शाबाश शाबाश … बहुत मजा आ रहा है। ये हुई ना बात नयी पीढ़ी वाली बात … और आगे बढ़ो, तुम बहुत मजा दे रही हो।” मैं सिसकारी भी ले रहा था।
शायद मेरे हौसले बढ़ाने वाले बोल को वो समझ गयी. उसने पहले तो पूरे लंड पर जीभ चलाई और फिर धीरे से लंड को मुंह के अन्दर ले लिया। अब वो मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह चूस रही थी, सुपारा चाट रही थी। वो मेरे अंडों को कभी दबाती तो कभी मुंह में भर लेती।
सायरा ने इस बीच अपनी गांड को मेरी तरफ कर दिया था जिससे मैं सायरा के चूतड़ को सहला कर और चूत के अन्दर उंगली करके मस्त हो रहा था। सायरा मेरे लंड को चूसते हुए मेरे अंडकोष को बड़े ही प्यार के साथ सहला रही थी और साथ ही अपने पिछवाड़े को मेरी तरफ लाती जा रही थी। अब मेरे हाथ असानी से उसके कूल्हे, गांड का छेद, उसकी चूत की फांकों में हरकत कर रहे थे।
ऐसा करते हुए वो 69 की पोजिशन में आ गयी। उसकी गुलाबी चूत और उसकी कली अब मेरे सामने थी। बस अब मेरे दोनों हाथों में लडडू थे। मैं उसकी फांकों के अच्छे से मसल रहा था और सायरा भी अपना पिछवाड़ा हिला रही थी।
थोड़ी देर तक उसकी चूत से मैं इसी तरह खेलता रहा, फिर उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसकी हल्की गुलाबी पंखुड़ियो के बीच मेरी लपलपाती हुई जीभ को लगा दिया.
जीभ लगने का इंतजार जैसे सायरा कर रही हो, तुरन्त ही उसने मुड़कर मुझे देखा और फिर मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गयी। मेरी जीभ को उसकी चूत का लसलसा कसैला और नमकीन सा स्वाद लगा।
हम दोनों के यौनांग पानी छोड़ने लगे थे। सायरा मेरे सुपारे को चटखारे ले लेकर चाट रही थी और अंडों से खेल रही थी. मैं भी उसकी चूत के नमकीन और कसैला पानी के स्वाद का अनुभव कर रहा था. मैं उसके कूल्हों के साथ खेलते हुए उसकी गांड में उंगली फिरा रहा था।
साथ ही जब मैं चूत की फांकों पर दांत रगड़ने लगता तो सी-सी करती हुई सायरा चूत को बचाने का प्रयास करती. जब सफल नहीं हो पाती तो वो भी मेरे सुपारे को काट लेती और मुझे हारकर दांत रगड़ना बन्द करना पड़ता।
काफी देर तक हम दोनों के बीच ऐसा चलता रहा. पर अब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर जाने के लिये बेताब होने लगा. शायद सायरा की चूत को भी लंड अपने अन्दर लेने की चाहत होने लगी होगी.
इसलिये वो मेरे ऊपर से हटी और मेरे लंड पर आकर बैठ गयी. लेकिन उसके लिये मुश्किल यह थी कि वो लंड को चूत के अन्दर ले नहीं पा रही थी, वो लंड को पकड़ कर जब भी अन्दर डालने के जोर लगाती, लंड उसको चिढ़ाते हुए इधर-उधर फिसल जाता.
वो बड़ी मासूमियत से मेरी तरफ देखने लगी. सायरा को ज्यादा न तड़पाते हुए मैंने लंड को पकड़कर उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ते हुए सेट करके उसे आराम-आराम से लंड पर दवाब बनाने के लिये बोला.
सायरा ने ऐसा ही किया और अब फिर लंड की क्या मजाल जो चूत की गुफा में जाने से बच जाये। सायरा धीरे-धीरे उछलने लगी और फिर उसकी स्पीड बढ़ती गयी, उसके चूचे भी उसके साथ-साथ उछाले भर रहे थे।
जितना सायरा उछाल भर रही थी, मेरे लंड की खुजली उतनी बढ़ती जा रही थी।
तभी मुझे लगा कि मेरा वीर्य अब निकलने वाला है। मैंने सायरा से कहा- मां कब बनना चाहती हो?
मेरी यह बात सुनकर वो रूक गयी- क्या पापा?
“मां कब बनना चाहती हो?”
“अरे पापा, अभी नहीं, अभी तो मुझे आपके साथ और आपके लंड के साथ खेलना है, फिर मां बनना है।”
“तब ठीक है.”
मैंने उसकी बांहों को पकड़ते हुए उसे अपने नीचे लिया और 8-10 धक्के मारने के बाद मैंने उसकी चूत के ऊपर ही अपना सारा वीर्य छोड़ दिया और बगल में आकर लेट गया। सायरा अपनी चूत पर पड़े हुए मेरे वीर्य को अपने हाथों से पौंछने लगी और उंगलियों के बीच फंसे रेशे को देखती. फिर वो उठी और शीशे के सामने खड़े होकर अपनी चूत देखती और अपनी उंगलियों को देखती।
फिर उसने अपनी पैन्टी उठायी. शायद मुझे दिखाने के लिये अपनी चूत को साफ करने लगी. मैं भी कुछ नहीं बोला, मैं एक बारगी खुलकर नहीं आना चाहता था.
उसके बाद सायरा ने उसी पैन्टी से मेरे लंड को साफ किया और फिर पेटीकोट ब्लाउज साड़ी पहनकर अपनी ब्रा-पैन्टी उठाकर बाथरूम के अन्दर चली गयी।
मैं भी दबे पांव बाथरूम के पास पहुंचकर अन्दर देखने लगा, जहाँ सायरा अपनी पैन्टी को सूंघने में मस्त थी, मैं उसको वहीं छोड़कर तौलिये पहने डायनिंग हाल में पहुंचा और आवाज लगायी- बहू, अभी पेट की भूख नहीं बुझी, नाश्ता लगा दो तो कर लिया जाये।
“हाँ पापा, आयी।” कहकर वो तुरन्त ही बाथरूम से बाहर निकली, मुझे देखते हुए बोली- सॉरी पापा, बस अभी लगा रही हूँ।
“जल्दी से लगा दो. और हां तुम भी अपना नाश्ता लगा देना दोनों लोग साथ ही खायेंगे।”
वो मुस्कुराते हुए रसोई में चली गयी और थोड़ी देर बाद वो नाश्ता लेकर आयी, हम दोनों ने साथ-साथ नाश्ता किया। सायरा नाश्ता करती जा रही थी और मुस्कुराती जा रही थी।
नाश्ता करने के बाद एक अच्छी बहू की तरह उसने सायरा सामान समेटा और रसोई में चली गयी।
मैंने भी न्यूज पेपर लिया और पढ़ने लगा। रसोई और डायनिग हॉल आमने-सामने ही था। सायरा ने अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोंसा और साड़ी को थोड़ा उठाकर भी कमर में खोंस लिया. इससे उसकी चिकनी गोरी टांगें मेरी नजरों में बस गयी इसलिये बीच-बीच में मेरी नजर सायरा पर टिक जाती थी, सायरा नजर भी मेरी नजर से टकरा जा रही थी।
जैसे ही उसकी नजर मेरे से टकराती … वो हल्की सी मुस्कुराहट छोड़ देती थी।
इस समय भी मेरे जिस्म में केवल तौलिया ही थी और वो भी मेरे अग्र भाग को पूरी तरह से ढक पाने में नाकाम थी। शायद सायरा की नजर वहां ठहर जा रही थी और जिसके वजह से वो मुस्कुराहट छोड़ जा रही थी।
मैं भी कहां कम था, मैंने अपनी टांगों को और फैला दिया और कनखियो से सायरा को देख रहा था। अब उसका मन रसोई में कम लग रहा था और मेरी तौलिये के बीच फंसे मेरे लंड पर ज्यादा था। इसलिये मेरे टांगों के खोलने के जवाब में सायरा ने अपनी साड़ी थोड़ा और ऊपर चढ़ा ली. मेरी नजर उसकी मोटी-सुडोल जाँघों पर टिक गयी।
अगर सायरा ने अपनी साड़ी को थोड़ा और ऊपर चढ़ा लिया होता तो शायद उसकी नंगी जांघें भी मेरी नजरों के सामने होती. पर शायद सायरा ने मुझे चिढ़ाने के लिये या मेरा ध्यान अपने ऊपर लाने के लिये ऐसा कर रही होगी।
अब मेरा अखबार पढ़ने में कम और उसकी जाँघों को देखने में ज्यादा लग रहा था। शायद मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल होगा कि जब कोई औरत मुझे इस तरह आमत्रण दे रही हो। मैं अपने आपको काबू कर रहा था।
तभी सायरा अपना काम जल्दी-जल्दी खत्म करके मेरे पास आयी और बोली- पापाजी क्या पढ़ रहे हैं?
उसकी तरफ देखते हुए कहा- न्यूज।
“अच्छा, मैं भी पढ़ूंगी.” कहते हुए बिना मेरे प्रत्युत्तर के मेरी जाँघों पर बैठ गयी।
मैंने भी कुछ नहीं कहा क्योंकि मैं जानता था कि मेरे बेटे की गलती की वजह से वो एक-एक दिन किस तरह से तड़पी होगी और आज जब उसे मेरी तरफ से इशारा मिल गया है तो अपनी हजार ख्वाहिशों को पूरा करना चाहती है।
इधर मैंने भी सोनू की परवरिश के चक्कर में कभी अपना ध्यान नहीं दिया। पिछले काफी समय से मेरे अन्दर जो मर्दानगी इकट्ठी हो रही थी, उसे निकालना चाह रहा था।
सायरा मेरे से काफी चिपक कर बैठी थी, उसकी पीठ की तपिश मेरा सीना महसूस कर रहा था। सायरा अपनी पीठ को बार-बार मेरे सीने से रगड़ रही थी जिसका सीधा असर मेरे लंड पर और मेरी जांघ पर पड़ रहा था। सायरा के हिलने-डुलने से मेरे जांघ की हड्डियाँ इधर-उधर होने लगी।
मैंने सायरा को अपने ऊपर से उठाते हुए कहा- बहू, बेटा मैं हर जगह से मजबूत नहीं हूं जरा सा उठो और अगर मेरी जांघ पर बैठना ही है तो मेरे दोनों जाँघों पर अपना वजन बराबर से रखो।
सायरा मेरे दर्द को समझ गयी। उसने मुझसे अखबार लिया और डायनिंग टेबल पर रख दिया। फिर उसने मेरी टांगों को आपस में मिलाकर मेरे ऊपर बैठ गयी। लेकिन सायरा की चूत की महक पाकर लंड महराज उसकी चूत पर टकराते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगे, इसकी वजह से एक बार फिर सायरा हिलने डुलने लगी।
मैंने सायरा के गालों को सहलाते हुए कहा- बहू, यह बहुत गलत बात है बेटा।
“अब क्या हुआ पापाजी?”
“अब तुम्ही समझो क्या हुआ!”
उसने अपने चारों तरफ देखते हुए समझने की कोशिश की लेकिन समझ नहीं पा रही थी।
जब समझ में नहीं आया तो बोली- पापा अब आप ही बता दो ना?
“अरे पगली, मैंने उसके गाल को हल्के से चपत लगाते हुए कहा- तुम्हारा पापा केवल तौलिया में है और तुम पूरे कपड़े में हो। ये नाइंसाफी हुई या नहीं।
अपने गाल पर उंगली रखते हुए सोच की मुद्रा में आयी और बोली- हाँ पापा जी, है तो यह गलत।
फिर झटके से खड़ी होते हुये बोली, पापा-बस दो मिनट दो, मैं अभी आपकी शिकायत दूर कर देती हूं।
फिर बहू दूसरे कमरे में गयी और दो मिनट बाद तौलिये लपेटे हुए बाहर आयी। मैं समझ तो गया था कि सायरा को खेल में मजा आ रहा था। अब मैं भी मजे लेने के मूड में आ चुका था।
मैंने थोड़ा मुंह बनाते हुए कहा- सायरा, बेटा तुमने मुझे ध्यान से नहीं देखा, मैंने कमर के नीचे से तौलिये को लपेटा है।
“ओह सॉरी पापा!” कहते हुए घूम गयी और तौलिये को उसने कमर पर लपेट लिया और मेरी तरफ घुमते हुए बोली- पापा, अब ठीक है।
“हाँ मेरी बेटी! अब बराबर वाली बात लग रही है!”
मेरा ध्यान इस समय उसकी गोल-गोल चूची पर था जो बड़ी आकर्षक लग रही थी, खासतौर से मटर के दाने जैसे दो तने हुए निप्पल, जिसको देखकर मेरी जीभ लपलपाने लगी। मैंने अपनी दोनों बांहों को फैलाकर उसे मेरी बांहों में समा जाने के लिये आमंत्रण दिया।
कहानी जारी रहेगी.
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#6
मेरे इशारे को समझते हुए वो मेरी बांहों की कैद में आ गयी और अपने दोनों पैरों को फैलाते हुए बैठने लगी.
“अहं अहं … अभी मत बैठो, ऐसे ही खड़ी रहो!” कहते हुए मैंने उसके तौलिये के अन्दर हाथ डाला और चूत के अन्दर उंगली डाल दी।
मेरी बहू की चूत गीली हो चुकी थी।
मैंने अपनी उंगली बाहर निकाली और सायरा को दिखाते हुए कहा- तुमने तो काफी पानी छोड़ दिया।
“धत्त!” शर्माते हुए वो बोली।
मैंने इस बीच दो-तीन बार उसकी चूत के पानी से अपने लंड की मालिश की और फिर सायरा को बैठने के लिये बोला।
सायरा जब बैठने को हुई तो एक हाथ से उसकी कमर को पकड़कर अपनी तरफ हल्का सा खींचा, इस तरह सायरा के बैठते ही मेरा लंड उसकी गीली चूत के अन्दर चला गया।
थोड़ा बनावटी गुस्से के साथ बोली- पापा, आपने मजा खराब कर दिया।
“क्या हुआ मेरी प्यारी सायरा?”
“पापा, आप तो सीधे ही शुरू हो गये।”
मैंने अपने हाथ को बाहर किया और हाथ को देखते हुए सायरा से कहा- अपने ससुर पर भरोसा रखो, जब मजा न मिले तो कहना!
कहते हुए उसके पानी से गीले हो चुके अपनी उंगलियों को सूंघने लगा और फिर सायरा को दिखाते हुए उन उंगलियों को चाट कर साफ कर दिया।
फिर सायरा की कमर को पकड़ते हुए कहा- आओ, जीभ लड़ायें!
कह कर मैंने अपनी जीभ बाहर की और सायरा ने भी अपनी जीभ बाहर की. दोनों एक-दूसरे की जीभ को चाटने की कोशिश कर रहे थे और बीच-बीच में मैं सायरा की जीभ को मुंह के अन्दर ले लेता तो सायरा मेरी जीभ को मुंह के अन्दर ले लेती।
पता नहीं कब जीभ लड़ाते-लड़ाते दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे, पता भी नहीं चला। दोनों एक दूसरे के अन्दर समा जाने की होड़ लगाने लगे।
मैं उसकी चूचियों को कस-कस कर मल रहा था. तो सायरा भी पीछे नहीं रहने वाली थी, वो भी मेरे निप्पल को मसल रही थी और इसी मदहोशी में सायरा मेरे निप्पल को दांतों से काटती तो कभी उसको पीने की कोशिश करती.
इस तरह करते-करते वो कब मेरे ऊपर से हट गयी और कब हम दोनों का तौलिया भी हमारे जिस्म से अलग हो चुका था, पता ही नहीं चला।
मजे की बात तो यह थी कि दोनों तौलिये भी एक दूसरे के ऊपर ही थे तो मेरी हल्की सी हँसी छूट गयी।
इस बीच सायरा मेरे लंड से खेलने लगी, कभी वो मेरे लंड को मुंह के अन्दर तक भर लेती, तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ चलाती, तो मेरे अंडों को कस-कस कर मसल देती. मेरी जाँघों पर अपनी जीभ चलाती, वो इतनी मदहोश हो चुकी थी, कि उसे मालूम ही नहीं चल रहा था कि वो क्या कर रही है.
इसी मदहोशी के आलम में उसने मेरे अण्डों को गीला करते-करते उसने जीभ से मेरी गुदा (गांड) को गीला करना शुरू कर दिया. जब मुझे भी मेरी गांड में जीभ चलने अहसास हुआ तो मैं चिहुंका, मेरे चिहुंकने से मेरी नजरो से बचती हुई सायरा फिर से मेरे लंड और अण्डों के साथ खेलने लगी. नई उमर की लड़की थी, सब कुछ जानती थी, और शायद इस पल में वो कोई मुरव्वत नहीं बरतना चाहती थी।
मैंने भी उसकी उलझन न बढ़ाते हुए अपनी आँखें बन्द रखी और जो वो सुख मुझे इतने वर्षों के बाद दे रही थी, उसी अहसास में मैं डुबा हुआ था।
सायरा काफी देर तक मेरे जिस्म से खेलती रही और अब मेरी बारी थी. मैंने सायरा की बांहों को पकड़ते हुए उसे कुर्सी पर बैठाया, उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत के गुलाबी मुहाने पर अपनी जीभ चलाने लगा.
शायद काफी देर से वो इस बात को चाह रही थी कि मैं भी उसकी चूत चाटूं. जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत के मुहाने से टच हुई, उसके मुख से ‘शाआआअ’ की आवाज आयी और फिर जैसे-जैसे मैं उसकी चूत को चाटता, वैसे-वैसे वो लम्बी-लम्बी सांसें लेती।
मैं उसकी भगनासा को अपने दांतों से काटता, उसकी चूची को बारी-बारी से मसलता, वो आह-ओह करती जाती।
मैं धीरे-धीरे होश खोते हुए मदहोशी के आलम में जकड़े जा रहा था। मैं उसकी चूत के अन्दर फांकों के बीच अपनी जीभ घुसेड़ देता तो कभी उसकी फांकों पर अपने दांत कचकचा कर चला देता. या फिर अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर डाल कर चलाता और उसकी चूत का जो रस मेरी उंगली में लगता, उसको मैं कुल्फी समझ कर चाट जाता. उसके मजे को और बढ़ाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड के मुहाने पर अपनी जीभ चला देता या फिर उसके भगान्कुर को अपने मुंह के अन्दर लेकर आईसक्रीम की तरह चूस रहा था.
सायरा ‘ओह पापाजी, ओह पापाजी’ कहती जाती।
मेरा लंड भी अब फड़फड़ाने लगा था.
मैं चूत चाटना छोड़ खड़ा हुआ और सायरा की टांगों को पकड़कर उसकी कमर को अपनी उंचाई तक लाया और लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल दिया. सायरा ने गिरने के डर के मारे कुर्सी पकड़ ली.
उसके बाद ससुर के लंड ने बहू की चूत के अन्दर अपना जलवा दिखाना शुरू किया। थप थप की आवाज और सायरा के उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज से कमरा गूंजने लगा।
थोड़ा सा खुलापन हम दोनों के बीच हो चुका था।
कुछ देर बाद मैंने सायरा को गोद में लेकर धक्का लगाने लगा, मैं धीरे-धीरे मजे का डोज बढ़ाने लगा।
“पापा … बहुत मजा आ रहा है.” सायरा बोली।
मेरा निकलने वाला था, सायरा को उसी पोजिशन में लेकर कमरे में आया और पलंग पर लिटाते हुए उसको चोदने लगा।
आठ-दस धक्कों के बाद मेरा निकलने लगा तो मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी चूत के ऊपर ही सायरा माल गिरा दिया और उसके बगल में पसर गया।
सायरा ने अपनी उंगलियों के बीच मेरे वीर्य को कैद किया और मलने लगी. फिर बहू ने मेरी तरफ देखा, उठी और बाथरूम के अन्दर घुस गयी।
उसके अन्दर जाते मैं भी दीवार की आड़ लेते हुए अर्ध खुले दरवाजे की से सायरा को देखने लगा जो अपनी चूत के ऊपर पड़ी मेरी मलाई को अपनी उंगलियों में लेती और फिर अपनी जीभ से टच करती.
दो-तीन बार उसने ऐसा ही किया और वो चूत पर लगी मेरी मलाई को साफ कर गयी।
फिर सायरा ने अपनी गीली पैन्टी को एक बार फिर उठाया और बाहर आयी.
इससे पहले वो बाहर आती, मैं जल्दी से पलंग पर आकर लेट गया। मैं इस बात को समझ चुका था कि वो अभी इस तरह मेरे सामने नहीं करना चाहती. शायद सोच रही हो कि मैं बुरा न मान जाऊँ.
और मैं इस उपापोह में था कि सायरा न जाने मेरे बारे में क्या सोचेगी।
पर ठीक था … सायरा को उसमें मजा था और मुझे इसमें मजा था।
इसी बीच सायरा ने उस गीली पैन्टी से मेरे लंड को साफ किया और मुझे झकझोरते हुए बोली- पापा, क्या सोचने लगे? कुछ नही। आपको कुछ चाहिये तो नहीं?
“नहीं बेटा!”
“तो मैं कपड़े धोने जा रही हूं।”
“हाँ हाँ … तुम जाओ।”
मैं बिस्तर पर लेटकर सोचने लगा कि क्या मेरी किस्मत है, जिससे मुझे दूर रहना चाहिये मैं उसी के जिस्म से खेल रहा हूं।
पर जो होनी थी, वो हो रही थी।
एक बार फिर मैंने बाथरूम में झांककर देखा तो नंगी बहू सायरा बड़ी तल्लीनता के साथ कपड़े धो रही थी।
इधर बीच में क्या करूँ?
तभी मेरे दिमाग में आया कि सोनू की मम्मी मेरे सामने कपड़े पहनती थी और मैं उसे बड़े ही शौक के साथ कपड़े पहनते हुए देखता था। उसके इस संसार से जाने के बाद मैंने उस शौक को पूरा नहीं किया.
जैसे ही मेरे दिमाग में यह ख्याल आया, मैं उठा और सायरा के बेड रूम से उसके लिये उसकी साड़ी-ब्लाउज के साथ मैचिंग ब्रा-पैन्टी लाकर अपने बेड पर रख दिये और वही आराम कुर्सी पर आंख मूंद कर बैठ गया।
थोड़ी देर के बाद सायरा की पायल की झंकार मेरे कानों में पड़ने से मेरी आँखें खुल गयी.
नंगी सायरा ने अपने कपड़े मेरे बेड पर देखे तो वो ठिठक गयी और मुझे देखने लगी।
उसके मन के संशय को मिटाने के लिये मैं बोला- मैं ही लाया हूं।
हल्की सी मुस्कुराहट के साथ उसने बेड पर ही पड़े मेरे तौलिये को लिया और अपने जिस्म को अच्छे से पौंछने लगी. उसके बाद बड़ी इत्मीनान के साथ उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किया और फिर बाल्टी उठाकर कपड़े सुखाने के लिये बारजे पर आ गयी।
फिर रसोई में आकर दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी।
इस बीच मैं भी बाहर टहलने के लिये चला गया क्योंकि मैं घर में रहता तो उसको देख-देख कर या तो लंड को मरोड़ता या फिर उसको काम से रोककर चुदाई करता. क्योंकि नई और गर्म चूत जब तक सामने रहती है, लंड महराज शांत से नहीं बैठने देते।
पर क्या करूँ … मन तो बाहर भी नहीं लग रहा था. अगर कामकाजी होता तो नौकरी कर रहा होता या फिर पूरी फैमली होती तो फिर अपने में कंट्रोल करता.
लेकिन इन दोनों चीज की कमी के वजह से मुझे नई उमर की फसल को काटने का मौका मिला।
मैं फिर जल्दी से घर आया, सीधा रसोई में गया और सायरा को पकड़ लिया।
“क्या हुआ पापा जी, मन नहीं लग रहा है?”
“हां, मन तो नहीं लग रहा है।”
वो हंसते हुए बोली- हाँ पापा, आपका दोस्त मेरे पीछे दस्तक देकर बता रहा है कि अभी उसका और आपका मन भरा नहीं है।
“बेटी, क्या बताऊं, कामकाजी होता तो काम पर होता तो तुम्हें परेशान नहीं करता लेकिन अब इस उम्र में कोई काम तो है नहीं … तो मेरे लंड महाराज उत्पात मचाये हुए हैं.”
“क्या पापा आप भी?”
“सही कह रहा हूं, इसमें गलती इस साले लंड की है जो मुझे बैचेन किये जा रहा है।”
सायरा मेरी तरफ घूमते हुए बोली- पापा, आप अपने उत्पाती लंड को कभी भी शांत कर सकते हैं. पर अगर आप खाना नहीं खायेंगे और आपका लंड हर बार अपना माल निकालने के बाद शांत होगा, इसलिये पहले खाना खा लीजिये, फिर अपने उत्पाती लंड के उत्पात को शांत कीजिए।
“ठीक है, तो चलो मेरी प्यारी बहू, पहले खाना खा ही लेते हैं।”
“ये लो 10 रूपये!”
“ये क्यों?”
“तुमने अपनी मधुर वाणी से मेरे लंड का नाम लिया, उसी का इनाम है.”
“ये तो मैं तब बोली, जब आप कई बार लंड लंड बोल चुके थे. तो आपको खुश करने के लिये बोल दिया. पर आप मत सोचना कि मैं आगे बोलूंगी।”
“अरे बेटा, तुम्हारे मुंह से सुनना अच्छा लग रहा है, तुम कुछ भी बोलो, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।”
मेरे शब्द सुनकर सायरा हँस दी।
फिर दोनों ने मिलकर खाना खाया। एक बार फिर अच्छी बहू की तरह उसने बर्तन समेटे और किचन में जाकर मुझे तड़पाने के लिये (मैं खुद समझ रहा हूं वो ऐसा कर रही थी कि नहीं मैं नहीं बता सकता) अपना पल्लू और साड़ी को चढ़ाकर कमर में खोंस दिया।
मैं कुछ देर तक तो ऐसे ही देखता रहा, पर जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं भी किचन में घुस गया और हल्की सी चिकोटी उसकी कमर पर काट ली।
“उफ्फ पापाजी, क्या कर रहे हैं।” घूमते ही जैसे सायरा ने यह शब्द बोले, मैंने तुरन्त ही उसके होंठों पर एक किस कर दिया।
“पापा जी, आप भी ना!”
अरे पगली … इस लुक में तुम इतनी सेक्सी लग रही हो कि मेरी नीयत डोल गयी।”
“चलिये जब आपने मेरी तारीफ कर ही दी है तो थोड़ा इनाम तो आपका भी बनता है।” कहते हुए मुझसे चिपक गयी. मेरी कमर के चारों ओर अपनी बांहों का घेरा बना दिया और मेरे होंठ चूमने के लिये अपने होंठों को गोल कर लिया.
मैंने अपनी बहू के गोल होंठ को चूमा.
और फिर वो मुझसे अलग हो गयी और बोली- पापा, अब आप जाओ, नहीं तो मैं काम नहीं कर पाऊँगी और आपका इंतजार लम्बा होता जायेगा।
“ठीक है, काम खत्म करके कमरे में आ जाना।”
सर हिला कर सायरा ने अपनी सहमति दी।
मैं अपने कमरे में आकर आँखें मूंद कर सायरा का इंतजार करने लगा।
थोड़ी देर बाद मुझे मेरे होंठों पर चुंबन का अहसास हुआ. बस फिर क्या था, मैंने सायरा को अपनी बांहों में भरा और अपने ऊपर गिराते हुए पलटी मारी और उसके ऊपर आ गया और उसके पूरे चेहरे पर चुंबनों की बौछार कर दी।
जब मैं अच्छे से उसके चेहरे को चूम चुका तो बोला- जो तुमने मुझे इंतजार कराकर तड़पाया है, ये उसकी सजा है।
“पापाजी, तब तो मैं रोज आपको तड़पाऊंगी, आपकी सजा मेरा ईनाम होगा।”
अच्छा, कहते हुए मैंने उसकी नाक काट ली।
नाक को सहलाते हुए वो बोली- पापा जी, आप मम्मी जी को भी ऐसे ही सजा देते होंगे।
“नहीं बेटा, भरा पूरा परिवार था, मौका ही कहां लगता था। रात को जब सब सो जाते थे, उसी वक्त थोड़ा बहुत हो जाये तो हो जाये … नहीं तो जल्दी से चुदाई करके फुरसत हो जाता था।”
“आप झूठ बोल रहे हैं, जिस तरह आप मेरे को प्यार कर रहे है, ऐसा तो नहीं लगता कि आप इतनी जल्दी चोदने के मूड में आ जाते हो।”
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- तुम चाहे जो सोचो. लेकिन जो मैं करने जा रहा हूं वो तो मैं करके ही रहूंगा.
कहते हुए उसकी बलाउज के बीच फंसी चूचियों की घाटी के दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा।
अभी इतना ही कर पाया था कि सायरा बोली- पापा जी मान गये आपको! कोई औरत अगर आपके नीचे आ जाये तो बार-बार आना चाहे।
“नहीं बेटा, मेरी जिंदगी में पहली औरत तुम्हारी सास थी और दूसरी तुम हो, वो भी मजबूरी में!”
कहते हुए मैंने उसकी ब्लाउज का ऊपर का हुक खोला, घाटी थोड़ी और खुलकर सामने आ गयी, अब घाटी और गहरी हो गयी, मैंने अपनी जीभ उसकी घाटी के बीच फंसा दी, फिर एक हुक खोला और 4-5 राउण्ड उसकी घाटी के बीच में अपनी जीभ चलाता रहा।
पर अब उसकी ब्रा बीच में आ रही थी। मैंने उसकी ब्लाउज को पूरा खोल दिया और उसकी काली रंग की ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को मुंह में भरने लगा और दबाने लगा।
मेरी बढ़ती उत्तेजना से उसके चूचे मुझसे बहुत-बहुत तेज दब रहे थे, थोड़ी देर तक सायरा ने बर्दाश्त किया फिर बोली- पापा जी, दर्द हो रहा है, थोड़ा धीरे-धीरे दबाओ।
उसकी बात को सुनकर मैंने अपना हाथ उसके उरोजों से हटाया और ब्रा का भी हुक खोलकर ब्लाउज और ब्रा को उससे अलग किया और फिर सायरा की दोनों हथेलियों को अपनी हथेली में फंसाकर उसके पीछे की तरफ ले गया और अपना वजन सायरा की जांघ के ऊपर देकर सायरा के होंठों को चूसते हुए उसकी कान और गर्दन पर चुम्मे की बरसात कर दी।
अब बारी थी उसके कांख की, जैसे ही मैंने उसकी कांख पर अपनी जीभ फेरना शुरू किया, बोबोलने लगी- उईईई पापाजी, बहुत गुदगुदी हो रही है।
उसकी बातों को अनसुना करते हुए मैं उसकी कांख पर जीभ चलाता रहा.
फिर मैं उसके तन चुके निप्पल को बारी-बारी मुंह में लेकर चूसता या सायरा के चूची का हिस्सा जितना मेरे मुंह में भर सकता, मैं उतना ही भर लेता. ऐसे करते-करते मैं उसकी नाभि पर अपनी जीभ चलाता जा रहा था और उसकी पनिया चुकी चूत को हाथ से मसले जा रहा था.
सायरा कसमसा जा रही थी; उसने खुद ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया था, बाकी उतारने का काम मैंने कर दिया और उसकी पनियाई चूत में मुंह लगा दिया।
“उफ्फ पापा, मुझे भी तो कुछ करने दीजिये।”
मैंने उसके भाव को समझते हुए 69 की पोजिशन में आते हुए मेरा लंड चूसने का ऑफर दिया। मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरे लंड को चूसते हुए मेरे अण्डों से खेल रही थी।
थोड़ी देर तक यह राउन्ड चला और फिर मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू किया। सायरा भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। कभी वो मेरे ऊपर होती, कभी मैं उसके ऊपर होते हुए चुदाई कर रहे थे।
फिर लंड घिसते-घिसते अपने अन्तिम पड़ाव में आ गया, मैंने एक बार फिर अपना माल उसकी चूत के ऊपर निकाला और उससे अलग हो गया।
उसके बाद सायरा उठी और बाथरूम में चली गयी.
एक बार फिर सायरा ने मेरी मलाई चाटकर अपनी चूत साफ की और फिर गीले कपड़े से मेरे लंड को।
उसके बाद वो मुझसे चिपक कर सो गयी.
शाम को काफी देर में नींद खुली, सोनू के आने का टाईम हो रहा था, हम दोनों ने अपने-अपने को अच्छे से तैयार किया.
उसके बाद सायरा रात के खाने की तैयारी करने लगी लेकिन इस समय वो पूरी तरह से एक संस्कारी बहू की तरह पेश आ रही थी।
कोई आधे घंटे के बाद सोनू भी आ गया. काफी थका लग रहा था, सायरा ने उसकी खूब आवभगत की.
फिर हम तीनों ने साथ खाना खाया, सोनू थका होने के कारण जल्दी कमरे में चला गया. इधर सायरा ने सारे काम को समेटा और मेरे को नाईट किस करने के बाद अपने बेड रूम में चली गयी।
अब हमारा यही रूटीन हो चुका था। दिन में सायरा मेरे साथ दो राउण्ड चुदाई का करती और रात में सोनू का ध्यान रखती. उन दोनों के बीच कभी किसी बात की तल्खी नहीं देखी.
मैं सायरा की तारीफ़ करूंगा कि उसने किस तरह हम दोनों को एडजस्ट किया था।
फिर एक दौर आया, जब सायरा ने माँ बनने की इच्छा जतायी और अपनी इच्छा के अनुसार मेरे बीज को अपने अन्दर लेकर मातृ्त्व का आनन्द लिया.
बच्चा होने के बाद हम दोनों ने सहमति से एक-दूसरे से दूरी बना ली और हँसी खुशी रहने लगे।
लेकिन जब मेरा पोता स्कूल जाने लगा तो सायरा की वासना पुनः सर उठाने लगी और मुझे उसकी मदद करनी पड़ी.
 
Last edited:

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#7
अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बहू सायरा ने मेरे बीज से एक बच्चे को जन्म दे दिया था. उसके गर्भ से मेरे पोते के जन्म से लेकर उसके स्कूल जाने तक मैं सायरा से अलग ही रहा था.
अब आगे:
जब से मैंने सायरा से दूरी बना ली थी, तब से उसने सजना संवरना लगभग छोड़ दिया था.
वो मेरे पोते राहुल के साथ अपना समय बिताती थी या फिर उसके स्कूल जाने के बाद घर के काम काज को निपटाती रहती.
उसके बाद अपने कमरे में चली जाती थी.
हां एक बात थी, मेरी सेवा और सम्मान में उसने कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन अब उसमें वो उत्साह नहीं था, जो कुछ समय पहले तक था.
इधर मैंने भी एक तरीके से अपने आपको अपने कमरे में बन्द कर रखा था.
कभी-कभी जब मुझे ज्यादा बैचेनी होती थी, तो मुठ मारकर अपना काम चला लिया करता था.
क्योंकि हम दोनों के बीच एक समझौता था कि जब तक सायरा को अपनी जवानी का मजा चाहिये होगा … तब तक मैं उसे मजा दूंगा, लेकिन बच्चे के बाद मैं उसे नहीं छुऊंगा.
बस इसी वजह से मैं सायरा से दूर रहने की कोशिश करता था … और शायद सायरा भी इसीलिए संयम बरत रही थी.
पर उसके होंठों की मुस्कुराहट के गायब होने के कारण और चेहरे की उदासी के कारण मैं अब बेचैन रहने लगा था.
इन्हीं सब वजह से इधर मैं तीन-चार रात से सो भी नहीं पा रहा था.
इसी क्रम में एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं यूं ही टहलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया.
मेरी नजर सीधा सोनू के कमरे की अर्ध खुली खिड़की से आती हुयी रोशनी पर गयी. मैं दबे पांव उस तरफ चला गया और खिड़की से झांक कर अन्दर देखने लगा.
मेरी नजर सीधा सोनू के बेड पर थी, जिस पर सोनू सायरा की तरफ पीठ किये हुए सो रहा था और राहुल (मेरा पोता) सोनू के सीने से चिपका हुआ सो रहा था.
पर सायरा … वो पूर्ण रूप से नग्न थी और अपनी चूची को दबाते हुए अपनी चूत में उंगली डालकर अन्दर बाहर कर रही थी.
इस समय उसके दोनों पैर सिकुड़े हुए थे. बीच-बीच में सायरा अपनी जीभ को निप्पल पर चलाने की कोशिश कर रही थी.
उसके मुँह से मादक सिसकारी की आवाज भी निकल रही थी.
उसकी यह कामुक सिसकारी मुझे उन सिसकारियों जैसी नहीं लग रही थी, जब वो मेरे लंड से चुदते हुए निकालती थी.
सायरा अपनी चूत से उंगली निकालती उसको चाटती, फिर जीभ को अपने निप्पल पर चलाती और उंगली को एक बार फिर अपनी चूत के अन्दर डाल देती.
सायरा को इस तरह अपनी चूत की आग को शांत करते देखने से मुझे खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था कि मेरी वजह से उसी सायरा को आज अपनी चूत की आग बुझाने के लिए उंगली का सहारा लेना पड़ा रहा है, जिसने मेरी इज्जत बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बिना सोचे समझे दांव पर लगा दी थी.
मैं उसकी इस दबी हुई ख्वाहिश को नहीं जान पाया था. मैं नहीं जान पाया था कि आखिर में वो एक औरत ही है … और उसको भी अपनी आग बुझाने के लिए कुछ न कुछ चाहिए.
इधर मेरा लौड़ा उसकी चूत की गर्मी को शांत कर सकता था … मगर इस समय मैं खुद को कैसे कन्ट्रोल कर रहा था, मैं बता नहीं सकता.
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उसके कमरे को खुलवाकर उसकी कामवासना को शांत कर दूं.
पर अपने बेटे के कमरे में इस तरह जाना भी गैर मुनासिब था, इसलिए मैं खिड़की के बाहर खड़ा होकर अन्दर का नजारा देख रहा था.
उसको इस पोजीशन में देख कर मैं बड़ा विचलित हुआ जा रहा था.
अब सायरा की उंगली और तेज-तेज चलने लगी, फिर वो शांत पड़ गयी. फिर उसने अपनी उंगली चाटी और अपनी उखड़ी हुई सांसों को काबू में करने लगी.
उसके बाद वो उठी और चादर को उसने एक बार फिर से करीने से बिछाया.
जिस समय वो अपने बिस्तर को सही कर रही थी, उस समय उसकी गांड मेरी तरफ थी और जांघों के बीच से झांकती हुयी उसकी चूत जैसे मुझे बुला रही थी कि पापाजी आओ … मेरी प्यास बुझा जाओ.
चादर सही करने के बाद वो अपने कमरे से बाहर की तरफ आने लगी.
मैं जल्दी से एक किनारे हो गया.
वो नंगी ही तेजी से बाथरूम में घुसी और शॉवर ऑन करके नहाने लगी.
उसने दरवाजे को बन्द नहीं किया था, इस वजह से उसका पूरा जिस्म दमकता हुआ दिखायी दे रहा था.
मैं तेज कदमों से बाथरूम में घुस गया और सायरा को पीछे से कस कर पकड़ कर उसकी गर्दन पर चुम्बनों की बौछार कर दी.
इससे पहले सायरा कुछ बोलती, मैंने उसको चुप कराते हुए कहा- कुछ मत बोलो सायरा … ये मेरे लिए शर्म की बात है कि तुम्हें मेरे होते हुए अपनी चूत की गर्मी निकालने के लिए उंगली और ठंडे पानी की जरूरत पड़ रही है.
मैं उसकी पीठ और गर्दन पर चुम्बन की बौछार कर रहा था, लेकिन सायरा मुझे रोकते हुए बोली- अभी नहीं पापा, सोनू जाग रहा है.
इतना कहने के बाद वो तेजी से बाथरूम से बाहर निकली और कमरे में घुस गयी.
अपनी सायरा को थोड़ी देर और नंगी देखते रहने की चाहत से एक बार फिर मैं कमरे में झांकने लगा.
इस बार सोनू ने करवट बदली और सायरा से सॉरी बोलने लगा.
सायरा थोड़ा सा खीझते हुए बोली- तुम्हारा तो अब हर रात को सॉरी बोलकर काम चल जाता है. क्योंकि तुम मेरे अन्दर की सैर करो … उससे पहले ही तुम्हारी सब एनर्जी खत्म हो जाती है.
सोनू ने एक बार फिर सॉरी बोला और इधर सायरा ने कमरे की लाइट ऑफ कर दी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया. मैं पूरी रात सायरा के विषय में ही सोचता रहा.
सुबह होते-होते मैंने इतना तय कर लिया कि जब तक मैं जिन्दा हूं, सायरा के जिस्म को इस तरह से परेशान नहीं होने दूंगा.
ठंड के जाते हुए मौसम का महीना था. सायरा अपने प्रतिदिन के काम को करने में लगी हुयी थी.
मैंने वापिस अपने बिस्तर पर लेटकर अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मेरी हल्की सी नींद लग गयी थी, इसलिए जब मेरी नींद खुली … तो 10 बज रहे थे.
बाहर गुनगुनी धूप खिली थी. मैं रसोई में गया और सायरा को पीछे से कसकर पकड़ लिया और उसके गालों पर, गर्दन पर चुम्बन की बौछार करने लगा.
थोड़ा सा कुम्लाहते हुए सायरा बोली- पापा, छोड़िये ना प्लीज … थोड़ी देर रूक जाओ.
“मुझे तुम्हारे इस मखमली जिस्म से निकलती हुयी पसीने की गंध को मेरी सांसों में बसा लेने दो.” ये कहते हुए मैंने सायरा के साड़ी का पल्लू एक गिराते हुए साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया.
फिर पेटीकोट के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को दबाने लगा.
दो चार चुम्बन उसके चूतड़ों पर देने के बाद मैं खड़ा हो गया. मैं उसके ब्लाउज को और ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए उसके उरोजों को कस कस कर भींचने लगा.
सायरा ने भी अपने हाथों को ऊपर उठाकर अपने सिर को मेरे सीने से सटा दिया और मादक सीत्कार के साथ अपने उरोजों और निप्पलों को दबवाने का मजा लेने लगी.
मैं उसके उरोजों और निप्पलों को मींजते हुए उसकी पीठ पर अपनी जीभ फिरा रहा था.
फिर मैंने सायरा को अपनी तरफ किया और उसके दोनों उरोजों को बारी-बारी से मुँह में भरते हुए नीचे की तरफ आने लगा.
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा.
कुछ देर बाद एक बार फिर से मैं ऊपर हुआ और उसके उरोजों को, जो अब काफी तन चुके थे, बारी-बारी से मुँह में भरकर चूसने लगा.
फिर सायरा के उरोजों के बीच जीभ चलाते हुए वापस नीचे की ओर बढ़ने लगा. सायरा की चूत देखने के लिए मैंने उसकी पैन्टी उतार दी.
पर यह क्या … उसकी चूत को तो जंगल जैसी झांटों से छुपा रखा था. मैं झांटों पर उंगली फिराते हुए बोला- सायरा, ये तुमने इतनी बड़ी-बड़ी झांटें क्यों उगा रखी हैं?
मुझे लग रहा था कि मैंने जिस दिन सायरा को अन्तिम बार चोदा था, उसके बाद से अपनी झांटें नहीं बनाई थीं.
सायरा बोली- पापा, मैं झांटें किसके लिए बनाती. आप तो मुझसे दूर हो गए और …
इतना कहने के बाद सायरा चुप हो गयी. मैं समझ गया था कि आगे जो वो बोलने वाली थी, वो सोनू की नामर्दी के बारे में था.
औरत को अपनी चूत चिकनी तब अच्छी लगती है, जब उसको चूमने वाला कोई हो.
मैंने सायरा को गोदी में उठाते हुए कहा- चल आज तुझे तेरी झांटों के साथ चोदता हूं. फिर तेरी इस चूत का मुंडन करूंगा.
गोदी में आते ही सायरा मेरे होंठ को चूमते हुए बोली- पापा याद है ना आपको, एक बार आप बोले थे कि आप नंगे हो और मैं तौलिया लपेटे हुए हूं और आज मैं नंगी हूं … और आप लुंगी पहने हो.
“मैं मना कहां कर रहा हूँ. मेरी गांठ खोल दे न … मैंने नीचे कुछ नहीं पहना है. मैं भी नंगा हो जाऊंगा.”
सायरा ने लुंगी की गांठ खोल दी और लुंगी मुझसे अलग हो गयी.
मैं सायरा को लेकर अपने कमरे में आ गया और पलंग पर लेटाकर उसकी टांगों के बीच में आ गया.
मैंने अपनी हथेली में थूक लेकर अपने लंड पर लगाया और सायरा की चूत पर भी चिकने के लिए थूक लगा दिया.
अब मैंने लंड को सायरा की चूत पर सैट किया और हल्का सा धक्का से दिया.
काफी समय से सायरा की चूत प्यासी थी, हालांकि उंगली से चुद तो रही थी, लेकिन लंड और उंगली में फर्क तो होता ही है. इसलिए जैसे ही मेरे लंड का टोपा उसकी धधकती हुयी चूत के अन्दर गया, तो सायरा ‘आह … मर गई ..’ करके कराह उठी.
मैं थोड़ा रूक कर उसके मम्मों को पीने लगा. पहले दिन की तरह उसकी चूत टाईट थी.
मैंने फिर हल्का सा धक्का मारा, एक बार फिर आह की आवाज आयी. सायरा ने अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दिया और अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मैं रूक रूक कर स्ट्रोक लगाता और उसके मुँह से आह की आवाज आती. अब चूत में ढीलापन आ चुका था और आह की जगह हम्म की आवाज आ रही थी.
फिर मैंने सायरा को जकड़ लिया और पलटते हुए उसको अपने ऊपर कर लिया.
इस समय सायरा मेरे ऊपर थी और मुझसे चिपके हुए ही अपनी कमर को उचका-उचका कर मुझे चोद रही थी.
रसखलन होने से पहले तक हम दोनों ही इसी अवस्था में एक-दूसरे को चोद रहे थे.
मैंने अपना सायरा रस सायरा के अन्दर ही डाल दिया था और मेरा लंड उसके रस से सराबोर हो चुका था.
जब लंड ढीला होकर चुत से बाहर निकला, तो सायरा अपनी उंगली चूत पर ले जाने लगी.
मैंने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा- नहीं, ऐसे ही रहने दो और अपने और मेरे लिए चाय बना लाओ. तब तक मेरे लंड तुम्हारे रस को अपने से चिपकाए रहेगा और मेरा रस तुम्हारी चूत को अच्छा लगेगा.
“जी पापा जी!” कहते हुए सायरा उठी और बोली- पापाजी, आपने भी अपनी झांटें बनाना छोड़ दी हैं क्या!
मैंने उसके गालों को चिकोटी काटते हुए कहा- हां मेरी प्यारी बहू. जब इसको प्यार करने वाला कोई नहीं रहा, तो झांटें तो उग ही आएंगी ना … अब जाओ जल्दी से चाय बना लाओ.
सायरा हंसते हुए उठी और अपने चूतड़ों को मटकाते हुए चाय बनाने के लिए रसोई में चली गयी.
मैं भी रसोई के सामने डायनिंग हाल में बैठ गया और सायरा को चाय बनाते हुए देखने लगा. मेरी नजरों का निशाना सायरा के चूतड़ों पर ही था. इस समय उसके चूतड़ बहुत टाईट और उभरे हुए थे.
सायरा चाय बनाकर ले आयी.
हम दोनों ने चाय पी और मैं खड़ा हो गया.
मैंने सायरा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- सायरा, मैं हगने जा रहा हूं … अगर तू चाहे तो मुझे शौच करा सकती है. अगर कल को मैं बीमार हो गया और बिस्तर से न उठ पाया, तो तुझे दिक्कत नहीं होगी.
“बीमार पड़ें आपके दुश्मन!” कहते हुए सायरा ने मेरे होंठों पर उंगली रख दी- आपसे पहले अगर मैं बीमार पड़ गयी और बिस्तर पकड़ लिया तो!
“तो जा … तू पहले हग ले, मैं तुझे शौच करा देता हूं.” कहते हुए मैं हंसने लगा.
सायरा मेरे सीने में मुक्के बरसाते हुए बोली- आप बड़े गन्दे हो.
मैंने सायरा की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और सीने से चिपकाते हुए कह- हम दोनों तो पति-पत्नी है न. इतना तो हक है ही मेरा कि मेरे दिल में जो बात है, वो बोल ही दूं.
वो मेरे चूतड़ों में हाथ फेरने लगी और साथ ही उंगली को मेरी गांड के अन्दर डालते हुए और मेरी तरफ देखते हुए बोली- वैसे बात आपकी भी सही है कि जब हम लोगों ने हर जगह का मजा लिया है … तो फिर इससे क्या फर्क पड़ता है. आप जाओ फ्रेश होने, जब फ्री हो जाना, तो मुझे बुला लेना, मैं आपको शौच करा दूंगी.
मैंने उसके गाल थपथपाते हुए कहा- हां अब तुमने बिल्कुल सही बात कही.
मैं सायरा को अपने से अलग करके वाशरूम की तरफ जाने लगा, पर मुझे कुछ याद आया, तो मैं रूक गया और पलट कर सायरा को देखने लगा.
मुझे इस तरह देखने से वो मुझसे इशारे से पूछने लगी- अब क्या हुआ?
मैं सायरा के समीप गया और बोला- रूई, कैंची और हेयर रिमूवर लेकर आ जा. पहले मैं तेरी बुर को चिकना करने का इंतजाम कर दूं, फिर हगने जाऊंगा.
सायरा सब सामान ले आयी. मैं पटली ले कर बैठ गया, जबकि सायरा मेरे सामने खड़ी थी. मैंने पहले उसकी झांटों पर काट-काट कर छोटा किया और फिर बाकी बची हुयी झांटों को रिमूवर से अच्छे से कवर कर दिया.
उसके बाद सायरा ने मेरी झांटों को कुतरना शुरू किया और फिर रिमूवर से मेरे भी बची खुची झांटों पर क्रीम मल दी.
उसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया. मैंने वाशरूम का दरवाजा बन्द नहीं किया.
करीब 7-8 मिनट बाद सायरा दरवाजे की टेक लेकर खड़ी हो गयी और होंठों को गोल घुमाते हुए बोली- मियां जी, अगर कर लिया हो तो मैं सुच्ची करा दूं.
मैंने गांड धोते हुए कहा- नहीं ठीक है. मैंने धो लिया है.
“ठीक है … आपने अपने आप अपनी गांड को धो लिया, लेकिन मैं तो अब आपसे ही अपनी गांड धुलवाऊंगी!”
मैंने हाथ धोते हुए कहा- मैंने कब मना किया बेगम, जब तू कहेगी, मैं तुरन्त आ जाऊंगा. अच्छा अब चुपचाप इधर आ कर खड़ी हो जा.
हम दोनों अपनी ही रसभरी इन बातों से हंस पड़े.
फिर मैंने उसे अन्दर आने का इशारा करते हुए कहा, तो वो मेरे सामने आ गई.
 
Last edited:
  • Like
Reactions: kamdev99008

odin chacha

Banned
1,415
3,417
143
#8
अब तक आपने पढ़ा कि ससुर ने बहू को चोदा. उसके बाद मैं फ्रेश होने गया था और मेरी बहू सायरा मुझसे मजाक कर रही थी.

अब आगे



फ्रेश होकर आने के बाद मैंने उसके हाथ से रूई ली और उसकी चूत पर लगे अनचाहे बालों को साफ करने लगा. जैसे-जैसे चूत पर से बाल हट रहे थे, पाव रोटी की तरह फूली हुयी गुलाबी चूत मेरी नजरों के सामने आती जा रही थी.
जब पानी से चुत को अच्छे से साफ किया … तो बस मेरा मन कर रहा था कि उस पाव रोटी जैसी फूली हुयी गुलाबी चूत को पाव रोटी ही समझ कर खा जाऊं.
मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और वही कर बैठा, जो मैं सोच रहा था.
मैंने उसकी कोमल चूत पर अपने दांत गड़ा दिए.
“आउच … क्या कर रहे हो पापा!”
“कुछ नहीं, तेरी ये चूत मुझे खुद को खा जाने के लिए बुला रही थी, इसलिए मैं इसे खाने की कोशिश करने लगा.
“पापा अगर आप मेरी चूत को खा लेंगे … तो फिर अपने लंड के लिए आपको नयी चूत ढूंढनी पड़ेगी.” ये कहकर सायरा हंसने लगी.
“बात तो तेरी सही है … तो चल तेरी चूत को खाता नहीं हूं, बस थोड़ा प्यार कर लेता हूँ.” कहते हुए मैंने उस नाजुक चूत पर चुम्बन की बौछार कर दी.
“बस पापा … अब आप खड़े हो जाओ, जिससे मैं आपके लंड को भी चिकना कर दूं.”
मैं उसकी बात मानते हुए खड़ा हो गया. मेरा लंड तना हुआ था. जब वो मेरी झांट साफ करने लिए थोड़ा आगे आती, तो मेरा लंड कभी उसके गालों से तो कभी उसके होंठों से टच हो जाता.
जब वो इससे थोड़ा परेशान हो गयी, तो बोली- उफ पापा, आपका दोस्त मान ही नहीं रहा है.
“तो तुम भी इसे अपना दोस्त बना लो न!”
मेरी तरफ देखते हुए बोली- मतलब!
“बस ज्यादा कुछ नहीं … थोड़ी देर मुँह में ले लो, तो फिर ये कोई शरारत नहीं करेगा.”
“आपकी बात सही है.” कहते हुए उसने सुपारे को चूमा और मुँह में लेकर चूस लिया.
फिर वो सुपारे को ही दांतों के बीच फंसा कर मेरी झांट को साफ करने लगी.
जब उसने अच्छे से झांटें साफ कर दीं … तो बोली- लो पापा हो गया. अब आपका लंड भी मुछ-मुंडा हो गया.
मैं हंस दिया.
वो भी हंसते हुए खड़ी हुयी और मुझसे चिपकर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर चलाने लगी.
मैंने उसे गोदी में उठाया और कमरे में आकर बोला- चल लेट जा, तेरी मालिश कर दूं. इधर घर का काम-काज कुछ ज्यादा हो गया है. चल मैं तेरी मालिश कर देता हूं. आजकल मैं देख रहा हूं कि तुम अपना ध्यान नहीं रख रही हो. चलो पेट के बल लेट जाओ.
मेरी बात मानते हुए सायरा पेट के बल लेट गयी.
मैंने तेल हाथ में लिया और उसकी पीठ से लेकर उसकी कमर तक मालिश की शुरूआत कर दी. अगल-बगल, पीठ में मालिश करने के बाद मैं सायरा का गांड की तरफ आया.
उसके गोल-गोल और उठे हुए कूल्हे को छूते हुए और थोड़ा चिढ़ाने के अंदाज में बोला- क्या बात है सायरा, तुम्हारी गांड तो काफी उठ गयी है.
थोड़ा नखरे करने के अंदाज में सायरा बोली- क्या पापाजी आप भी!
“नहीं नहीं … मैं सही कह रहा हूं, कही … सोनू तो तुम्हारी गांड नहीं मारता है!”
“सही कहा पापा आपने, सोनू ही तो अब मेरे लिए बचा है … जो मेरी गांड मारेगा. पहले सही तरीके से अपना लंड मेरी चूत के अन्दर डाल ले. साला उसका लंड अन्दर जाने से पहले पिघल जाता है … भोसड़ी का नामर्द.”
इसी तरह बातों ही बातों में मैं सायरा की टांगों के बीच में आ गया और सायरा से बोला- बहू!
इस समय मैंने जानबूझकर बहू शब्द बोला.
“हां ससुर जी.”
कम्बखत, मेरी बहू भी बहुत हाजिर जवाब थी.
“जरा अपनी गांड को खोलो, देखूं तो सही.”
सायरा ने अपने कूल्हों को पकड़ा और अपनी गांड खोल कर बोली- लीजिए देख लीजिए.
मैं लंड को पकड़ते हुए उसकी गांड में चलाने लगा.
“ये क्या कर रहे हो पापा जी!”
“कुछ नहीं, मेरा लंड तुम्हारी गांड की महक सूंघना चाहता था, सो वही कर रहा हूं.”
ये कहते हुए सुपारे को सायरा की गांड के छेद से रगड़ने लगा.
सुपारे को इस तरह रगड़ते रहने पर सायरा बोली- लगता है आपके लंड को मेरी गांड की महक अच्छी लगी.
मैंने तुरन्त ही जवाब दिया- पता नहीं, उसने मुझे बताया नहीं … लाओ मैं ही सूंघ लेता हूं कि कैसी महक है तेरी गांड में.
तो मैंने सायरा के कूल्हों को कसकर पकड़ा और उसकी गांड के बीच अपनी नाक लगाकर सूंघने लगा.
सूंघने के बाद मैंने सायरा से कहा- महक तो अच्छी है … थूक लगा-लगा कर चाटने में बड़ा मजा आएगा और मुझे लगता है लंड को भी महक अच्छी लगी और वो अन्दर घुस कर आनन्द लेना चाहता है.
“पापा जी, आग मेरी चूत में लगी है और आप मेरी गांड की प्यास बुझाने में लगे हो.”
“इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि लंड इस समय तुम्हारी गांड की डिमांड कर रहा है.”
मैंने उसके चूतड़ों पर हल्की सी चपत लगायी और एक कूल्हे को भींचने लगा और फिर दोनों कूल्हों को फैलाया, इससे उसकी गांड भी अच्छी खासी खुल गयी थी.
उसके अन्दर मैंने थूक उड़ेल दिया और कुछ थूक अपने लंड के ऊपर उड़ेल कर लंड से गांड की छेद को सहलाने लगा.
मौका देखकर मैंने सुपारे को अन्दर घुसेड़ दिया.
“आह पापाजी दर्द हो रहा है.”
“तो क्या हुआ … होने दे.”
“पापा, ये गलत बात है. आपने मालिश करने की बात कही थी, गांड मारने की नहीं.” दर्द से कहराती हुयी सायरा बोली.
“हां बेटा तू ठीक कह रही है. लेकिन जब से लंड ने तेरी गांड की खुशबू सूंघी है, उसका मन अन्दर जाने को कर रहा था.”
यही सब बात करते-करते मैंने सायरा की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, इससे वो घुटने के बल आ गयी और मैं थोड़ा खड़े होकर उसकी गांड को चोदने लगा.
जिस तरह से मेरे धक्के की ताकत होती, उसी तरह से सायरा के मुँह से आवाज आती.
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. फच-फच की आवाज से कमरा गूंज रहा था और मैं मस्त होकर सायरा की गांड चोद रहा था.
कुछ देर बाद लंड ने हार मान ली और गांड के अन्दर ही मैंने अपना सारा माल छोड़ दिया.
सायरा एक बार फिर पूरी तरह पेट के बल लेट गयी और मैंने उसके ऊपर हल्के से अपना वजन रख दिया.
कुछ देर बाद लंड महराज सिकुड़कर गांड से बाहर आ गए.
लंड बाहर आते ही मैंने सायरा से कहा- तो तुम्हारे पीछे की मालिश हो गयी. अब पलट जाओ तुम्हारे आगे की मालिश कर दूं.
“मान गयी पापा जी, आप में स्टेमिना बहुत है.”
“अरे बेटा. इतने दिन बाद तो तू मिली है. तो सारी बची हुयी एनर्जी अब यूज होगी. अभी 10 मिनट और रूक जा. देखना तेरी मालिश करते-करते यह फिर एक बार तेरी चूत की मालिश करने के लिए हुंकार भरेगा.”
“पापाजी, मैं तो कब से बाट जोह रही थी मेरी चूत की मालिश हो.”
“तो तुम क्यों इतने दिन तक दबायी रही, बोल देती … तो इस तरह तुम्हें उंगली से अपनी चूत की क्षुधा शांत नहीं करनी पड़ती … और तुम्हारी चूत में झांटों का जंगल न हो जाता.”
ये कहते हुए मैंने तेल उसके जिस्म पर डाला और मालिश करने लगा.
कुछ देर चुप रहने के बाद सायरा बोली- पापा कुछ ऐसा करो कि मैं आपके लंड को प्यार कर सकूं.
“ठीक है.” कहते हुए मैंने सायरा को क्रॉस किया और उसके सीने पर उकड़ूँ होकर बैठ गया. इससे मेरा लंड और मेरी गांड सायरा के मुँह के करीब हो गया था. अब जब तक मैं सीधा होकर मालिश करता, तो सायरा मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसती … और जब हल्का से आगे की तरफ झुकता, तो वो अपनी जीभ की टो मेरी गांड में चलाने लगती.
फिर मैं सीधा होकर उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसके पैरों को अपनी जांघ पर रखकर मालिश करने लगा.
इधर मैं उसके पैर की मालिश करता, तो कभी वो उंगली चूत के अन्दर करती … तो कभी अपनी पुत्तियों को मसलती.
फिर जब मेरे हाथ उसकी चूत के ऊपर होते, तो वो अपनी चूची से खेलती और अपने निप्पलों पर अपनी जीभ चलाती.
मैं भी बीच-बीच में उसके निप्पल को अपने मुँह में भरकर चूस लेता था.
खैर … मैं मालिश करते हुए उसकी हर हरकत को बड़े ध्यान से देख रहा था.
सायरा की सिसकारियां निकलने लगी थीं, उसकी आंखें बन्द होने लगी थीं. वो कामुकता से अपने होंठों को काट रही थी. मेरे हाथ रूक गए और रात वाला दृश्य इस समय मेरे सामने था.
उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और भगांकुर को तेज-तेज मसलने लगी. उसकी उंगली चूत के अन्दर बाहर तेज-तेज होने लगी … और सिसकारी बढ़ती जा रही थी.
वो अपनी जवान चूचियों को भी बेहरमी से मसल रही थी. इस समय वो आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी. बीच-बीच में अपनी कमर उठाकर अपनी गांड को भी कुरेद लेती.
कुछ देर बाद सायरा ने पैरों की उंगलियों पर अपने पैर का वजन देकर कमर को उठा लिया और “हम्म-हम्म … आह-आह ..” की आवाज के साथ बहुत तेज-तेज चूत को अपनी उंगली से चोदने लगी थी.
वो शायद चर्मोत्कर्ष पर पहुंच रही थी.
मेरा लंड भी उसकी हरकतों को देखकर टनटना चुका था. मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसकी उंगलियों को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूसने लगा.
उसके पूरे जिस्म का स्वाद उसकी उंगलियों में इस समय था.
मैं उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसाकर उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसने लगा.
इधर लंड भी सायरा की चूत को पुच्ची कर रहा था, पर अन्दर नहीं जा पा रहा था.
इसका हल सायरा ने निकाला, उसने मुझसे अपना हाथ छुड़ाया और वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी कमर को उचकाते हुए लंड को चूत में लेने लगी.
थोड़े ही प्रयासों में मेरा लंड चूत के अन्दर जा चुका था.
एक अजीब सा सुकून मेरे लंड को भी मिला. जिस छेद के अन्दर लंड जाने को मचल रहा था, इस समय वो उसी की गहराई में समाया हुआ था और हिलोरे मार रहा था.
लंड ही नहीं, सायरा की चूत भी इस अहसास से खुश हो रही थी कि उसका साथी उसके पास आ गया है.
इसलिए वो कमर को उचकाकर मेरे लंड को अन्दर की तरफ और भी ज्यादा खींचना चाह रही थी.
शायद आग लगना इसी को कहते हैं. एक तरफ लंड अन्दर जाकर फड़फड़ा रहा था, तो चूत भी उछाल मार-मार कर लंड को अपने में समा लेने की भरपूर कोशिश कर रही थी.
मैंने दोनों को थोड़ा और खुशी देने के लिए अपने ऊपर कंट्रोल किया और सायरा की चूचियों को दबा-दबाकर और निप्पल को मुँह में भरकर उसके अन्दर से दूध निकालने की पूरी कोशिश कर रहा था. पर मेरे लंड की फड़कन और उसकी चूत की कुलाचें मुझे मतवाला बनने पर विवश कर रही थीं.
सायरा तो अपनी कमर को चला रही थी, मैंने भी अपने कमर को चलाना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे चुदाई की हवस हम दोनों पर हावी होती जा रही थी और धक्के लगाने की गति में भी बढ़ोत्तरी होने लगी थी.
चुदाई की गति बढ़ती जा रही थी और फच-फच की आवाज भी तेज हो रही थी.
सायरा ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ रखा था और आंखें बन्द किए हुए अपने होंठों को चबा रही थी.
चुदाई को काफी देर हो चुकी थी. लग रहा था कि कभी भी मैं झड़ सकता हूं, लेकिन मेरा लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
सायरा ने यह महसूस कर लिया था, तभी तो उसने मुझे इशारे से रूकने का इशारा करके खुद मेरे ऊपर आने के लिए कह रही थी.
मैं थक भी रहा था तो मैं लेट गया और सायरा मेरे ऊपर आ गयी.
पहले तो वो मेरे सीने से चिपकी और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को मुँह में भर लिया और उसके थूक को निगलने लगा. फिर मेरे निप्पल पर जीभ चलाने के साथ-साथ अपनी कमर चलाती जा रही थी.
फाइनली मेरा निकलने वाला था, मैंने सायरा से कहा- बेटा, अब लंड साथ नहीं दे रहा है … कभी भी पिचकारी छूट सकती है.
आह-ओह की आवाज भी मेरे मुँह से आ ही रही थी.
मेर मुँह से इतना सुनते ही वो कुछ देर रूकी, मेरी तरफ देखा … और लंड को अपनी चूत से बाहर करके 69 की अवस्था में आ गयी.
उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी, सफेद तरल पदार्थ बाहर आ रहा था. मैंने जीभ को उसकी फांकों के आस-पास चलाना शुरू कर दिया. इधर मेरा लंड भी पिचकारी छोड़ने लगा था.
मुझे तो सायरा का चुतरस चाटने में मजा आ रहा था, लेकिन जब मैंने बोला- बहू लंड चूसना बन्द कर दे … नहीं तो तेरे मुँह के अन्दर आ जाएगा.
मगर सायरा ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और लंड को चूसती रही. मैं भी उसकी चूत को चाट-चाट कर साफ कर रहा था.
मैंने फिर भी सायरा को मुँह हटाने के लिए कई बार बोला, लेकिन सायरा ने मेरी बात नहीं मानी. नतीजन मेरा वीर्य उसके मुँह के अन्दर जाने लगा.
उसने भी मेरे लंड से निकले वीर्य के बूंद के एक-एक रस को अच्छे से चाट लिया.
फिर वो पलट गई और अपनी जीभ को बाहर कर लिया.
एक बार फिर हम लोग जीभ लड़ाने लगे.
उसके बाद सायरा बोली- जब मेरा पति मेरी चूत का रस पी सकता है … तो मैं पत्नी हूं. मेरा भी अपने पति के वीर्य रस को पीने का अधिकार है. चुदाई के समय हम दोनों पति-पत्नी हैं … तो शर्म कैसी.
ये बात तो उसकी सही थी. फिर हम दोनों उठे और नहाने चल दिए.
नहाने के बाद सायरा ने डोरी नुमा ब्रा और पैंटी को पहन लिया. जबकि मैं अभी भी पूर्ण रूप से नंगा था.
मैंने सायरा को वो कपड़े पहनने को मना किया.
लेकिन सायरा बोली- पापाजी, नंगी से ज्यादा मैं आपको इसमें ज्यादा उत्तेजित करूंगी, ताकि आपका लंड एक बार फिर खड़ा हो जाए और मेरी चूत और गांड का बाजा बजाए.
मैंने कहा- तुम अभी ही कहो तो अभी ही एक राउंड और हो जाए!
“अरे नहीं पापा, घड़ी देखिए, राहुल कभी भी आ सकता है. मैंने अपना गाउन निकाल लिया है और आप भी कपड़े पहन लो. राहुल के आने से पहले तक मैं ऐसी रहकर आपको रिझाऊंगी. अब मैं किचन में चलती हूं. मुझे सबके लिए खाना बनाना है.”
सायरा रसोई की तरफ जाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ा और बोला- रोज रात को दूध पिला दिया करो.
“ठीक है मेरे पति देव. आज रात से यह सेवा शुरू कर दी जाएगी.”
रात को बहू ने अपना वादा निभाते हुए सोने से पहले दोनों निप्पलों को बारी बारी से मेरे मुँह से लगाती और मैं चूसता.
इस तरह से अब हम दोनों के चुदाई की गाड़ी एक बार फिर चल निकली. जब भी मौका मिलता तो मेरी प्यारी बहू मुझे अपनी चूत देकर मेरी प्यास बुझा देती. मैं अपने खड़े लंड से उसकी चूत की सेवा कर देता.

the end
 
Last edited:
Top