सुबह जब ललिया और रघु दोनों घर पर पहुंचे तो सब लोग इन दोनों को सही सलामत देखकर एकदम खुश हो गए,,,,
तुम दोनों कि मुझे कितनी फिक्र हो रही थी रात को इतनी तेज बारिश हो इतनी तेज हवा चल रही थी कि देख ही रही हो सारे पेड़ पौधे ऊखड़ गए हैं,,, तुम दोनों सारी रात थे कहां,,,?(ललिया परेशान होते हुए दोनों से पूछी तो रघु जवाब देते हुए बोला)
मां हम दोनों गांव में ही रुक गए थे,,, अगर हम लोग वहां ना रुक कर निकल गए होते तो रास्ते में फंस गए होते,,,,
यह तुम दोनों ने बिल्कुल ठीक किया,,,,,तुम दोनों को सही सलामत देखकर मेरी तो जान में जान आ गई,,।
(ललिया कुछ भी बोल नहीं रही हो,,, रात वाली बात को लेकर वह काफी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी,,।
और करती भी कैसे नहीं,, रात भर रघु से चुदवाई जो थी, एक तरह से वह उसका भतीजा लगता था लेकिन अपनी प्यासी जवानी के आगे घुटने टेकते हुए वह अपनी उम्र की परवाह ना करते हुए अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ उसके मोटे तगड़े लंड का मजा लूटते हुए रात भर चुदाई का आनंद ली,,, और अब रघु से नजरें मिलाने से कतरा रही थी,,, लेकिन रघु काफी खुश था और संतुष्ट,,, क्योंकि रात भर उसे ललिया की बेहतरीन रसमलाई दार बुर चोदने को जो मिली थी,,,,
इसके बाद ललिया अपने घर चली गई और रघु अपने घर,,,,। कुछ दिन ऐसे ही बीत गया रघु को ना तो दोबारा ललिया को चोदने का मौका मिला और ना ही हलवाई की बीवी को,,,,।
दूसरी तरफ शालू जवानी की आग में सुलगने लगी थी,,बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके छोटे भाई का मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड नजर आ जाता था वह उसकी ही कल्पना में खोई रहती थी,,, उसे अपने भाई के मोटे तगड़े लंड पर गर्व होने लगा था,,,,, जिस तरह से उसके सोच में एकाएक बदलाव आया था उसे देखते हुए वह खुद हैरान थी इस तरह की कल्पना वह कभी नहीं करती थी लेकिन उसके भाई के मोटे तगड़े लंड ने उसके सोचने समझने की शक्ति पूरी तरह से छीण कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपने ही भाई के साथ संभोग सुख लेने के लिए व्याकुल था लेकिन दिमाग इनकार करता था,,, और इसीलिए वह अपने मन और दिमाग के बीच उलझ रही गुत्थी में खुद को पूरी तरह से उलझा लेती थी,,,उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था लेकिन एक बात का एहसास उसे अच्छी तरह से होता था कि जब जब अपने भाई के साथ संभोग करने का ख्याल आता था तब तक उसके तन बदन में एक अद्भुत अजीब सी हलचल होने लगती थी लेकिन जब उसका दिमाग ऐसे ख्याल से इनकार करता था तो वह एकदम परेशान हो जाती थी।
क्या करना है यह उसे समझ में नहीं आता था,,, कभी-कभी उसे अपने भाई से बेहद नाराजगी का एहसास भी होता था वह इस बात से नाराज रहती थी कि वह भी जवान हो गया था लेकिन उसकी हरकत को वह समझ नहीं पाता था वरना दूसरा कोई लड़का होता तो उसकी पहली बार की हरकत के बाद वह अपना लंड उसकी बुर में डाल दिया होता,,,,
यही सब सोचते हुए वह चूल्हे के पास बैठी हुई थी कि तभी जलती हुई रोटी को देखकर कजरी उसके माथे पर धीरे से हाथ मारते हुए बोली,,,।
कहां खो गई है तू तुझे कुछ भान है कि नहीं रोटी चल रही है और तू ना जाने किस ख्याल में खोई है,,,।
(इतना सुनते ही जैसे वह नींद से जागी हो और वह इस तरह से हड़बड़ा कर अपनी मां की तरफ देखते हूए बोली)
वववव,,वो ,,, क्या है ना मां की आज थोड़ा तबीयत सही नहीं लग रही है इसलिए,,,
तेरी तबीयत खराब है,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी शालू के माथे पर हाथ रख कर देखने लगी माथा एकदम ठंडा था,,,) बुखार तो तुझे बिल्कुल भी नहीं है तो क्या हुआ है तुझे,,,,
मां,,,, कुछ नहीं बस सर में थोड़ा दर्द हो रहा था,,,
अच्छा ला मैं रोटी बना देती हुं,,,,
नहीं नहीं मां मैं बना लेती हूं तुम जाओ,,,,
अच्छा ठीक है मैं खेतों में जा रही हूं तू थोड़ा आराम कर लेना,,,
(इतना कहकर कजरी खेतों की तरफ चली गई,,,और शालू मन में यह सोचने लगी कि अगर इस समय उसका भाई घर में होता तो जरूर कुछ ऐसी हरकत करती कि आज उसके न्यारे न्यारे हो जाते.. लेकिन हाय रे फूटी किस्मत की घर पर रघु भी नहीं था,,, शालू जल्दी जल्दी खाना बना कर,,, बिरजू के आम के बगीचे में जाने के लिए तैयार होने लगी,,, वैसे तो कोई नक्की नहीं था कि बिरजू भाई मिलेगा लेकिन उसे विश्वास था कि बिरजू वही होगा इसलिए वह जल्दी से तैयार होकर आम के बगीचे की तरफ निकल गई,,,
थोड़ी ही देर में आम के बगीचे मैं पहुंच गई चारों तरफ सन्नाटा था केवल पंछियों का शोर सुनाई देता था,,,यहां पर फैली हुई शांति शालू को भी बेहद पसंद थी और बिरजू से मिलने का इससे अच्छा जगह उसे और कोई नजर नहीं आता था,,,, तभी उसे बिरजू वहीं बैठा नजर आया जहां पर वह हमेशा बैठा रहता था और एक एक कंकड़ को तालाब में फेंका करता था,,,। वह खुश होकर बिरजू के पास जाने लगी बिरजू अपने ख्यालों में खोया हुआ था लेकिन शालू के पैरों की पायल की आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और वह पीछे देखा तो सालों उसकी तरफ आ रही थी और यह देखकर उसके चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे और वह वहीं पर बैठा हुआ ही खुश होता हुआ बोला,,,।
अरे वाह मेरी रानी,,, तुम यहां आओगी मुझे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,,
क्यों तुमसे मिलने के लिए नहीं आ सकती क्या,,? (शालू उसके पास बैठते हुए बोली,,,)
नहींनहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तुम मुझसे जब चाहो तब मिल सकती हो मुझ पर तुम्हारा पूरा हक है,,,।
पूरा हक है ,,,,सिर्फ बातें बनाते हो,,,, कभी अपने माता-पिता से मेरे बारे में कुछ बताया नहीं ना तब कैसे में विश्वास कर लूं कि तुम मुझसे ही शादी करोगे,,,
(शालू बिरजू से यह सब बातें कर ही रही थी कि रघु उनके पीछे की घनी झाड़ियों के बीच से निकलने लगा जिसकी भनक तक उन दोनों के कानों में नहीं पड़ी क्योंकि वह चोरी छिपे आम के बगीचे में आम तोड़ने के लिए आया था,,,लेकिन खुश रहो शेर की आवाज उसके कानों में पड़ते ही वह एकदम से चौकन्ना हो गया और वह झाड़ियों में से ना निकल कर उन्हें झाड़ियों में छुपकर देखने लगा कि आखिर आवाज किसकी आ रही है,,, और थोड़ी ही देर में उसे पत्थर पर बैठे हुए बिरजू और उसकी बहन नजर आ गई,,,वह उनके पीछे से देख रहा था लेकिन वह अपनी बहन और बिरजु दोनों को अच्छी तरह से पहचानता था,,,,अपनी बहन को बिरजू के साथ बैठा हुआ देखकर वह एकदम दंग रह गया उसे गुस्सा आने लगा,,, वह इसी समय बाहर निकल करबिरजू को धर दबोचा ना चाहता था और उसे पीटकर बराबर कर देना चाहता था लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि वह थोड़ी देर रुक कर वहां का माहौल तो देख ले कि आखिर दोनों में क्या खिचड़ी पक रही है,,, तभी उसके कानों में शालू की आवाज पड़ी,,,)
बिरजू मैं तुमसे प्यार करती हूं आखिर कब तक इस तरह से छुप छुप कर हम दोनों मिलेंगे,,,
(इतना सुनते ही रघु के जेहन में अजीत हलचल होने लगी उसे उस दिन वाला दृश्य याद आने लगा जब वह और रामू दोनों गांव से दूर झरने के पास गए थे और वहां पर रघु ने अपनी आंखों से साफ देखा था कि एक लड़की तालाब से निकलकर एकदम नंगी होकर झाड़ियों के बीच भागकर अदृश्य हो गई थी और वहां पर बिरजू भी खड़ा था कहीं ऐसा तो नहीं कि वह अपनी आंखों से अपनी ही उनकी बहन को देखा था जो कि बिरजू के साथ तालाब में एकदम नंगी होकर नहाने का मजा लूट रही थी या कुछ और भी कर रही थी,, यह सब ख्याल मन में आते ही रघु का दिमाग एकदम सन्न हो गया,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसके मन में ढेर सारे सवाल उठने लगे उसे लगने लगा कि उसकी बहन बिरजू के साथ चुदवा चुकी है,,,और इसीलिए उसके बदन में बार-बार चुदवाने की गर्मी उठ रही है जिसकी वजह से वह उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे उकसाने की कोशिश करती है रघु को चालू की तरफ से हो रहे सारे हरकत का मामला समझ में आ गया वह हैरान था गुस्से में था लेकिन फिर भी ना जाने क्यों इन सब बातों को याद करके उसका लंड खड़ा होने लगा था,,, वह बराबर अपना कान खोल कर उन दोनों की बातें सुन रहा था,,,।
मैं ,,,,मैं सचकह रही हूं बिरजू अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं हुई तो मैं अपने आप को खत्म कर लूंगी,,,।
(इतना सुनते ही बिरजू उसके होठों पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराते हुए बोला,)
तुम पागल हो गई हो साले अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा इस बारे में कभी सोची हो,,, तुम नहीं रहोगी तो मैं भी अपने आप को खत्म कर लूंगा,, तुम शायद नहीं जानती कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं,,,,
तो हम दोनों की शादी के बारे में अपने माता-पिता से बोलते क्यों नहीं,,,
शालूमैं सही समय देखकर हम दोनों के बारे में पिता जी से बात करूंगा और मुझे पूरा यकीन है कि पिताजी मेरी बात का इनकार बिल्कुल भी नहीं कर पाएंगे बस थोड़ा सा सब्र करो,,,।
कितना सब्र करु बिरजू अगर मां ने कहीं और लड़का ढूंढ कर मेरी शादी करा दी तो मैं जीते जी मर जाऊंगी,,,।
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मेरी जान बस मुझ पर भरोसा रखो,,,,(इतना कहने के साथ ही फिर जो हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ को सालु के होंठों के करीब लाकर उसके होठों को चूमने लगा,,, यह देखकर बिरजू को गुस्सा आने लगा,,,, लेकिन फिर भी वह खामोश रहा सिर्फ इसलिए किशालू उससे बेहद प्यार करती थी और वह भी सालों से प्यार करता था अगर सच में इन दोनों की शादी हो जाती है तो उसकी बहन अच्छे से अपनी जिंदगी काट सकती थी इसलिए वह मन में यही चाहता था कि यह दोनों का रिश्ता हो जाए लेकिन उसकी आंखों के सामने वह दोनों जो कुछ भी कर रहे थे उससे उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उत्तेजना भी मिल रही थी,,,, तभी शालू अपने आपको उसे से छुड़ाते हुए बोली,,,।
रहने दो यह सब जब अपने पिताजी से मेरे बारे में बात कर लोगे तब यह चुम्मा चाटी करना,,,,।
तुम तो यार नाराज हो जाती हो चुम्मा भी ठीक से लेने नहीं देती,,,,
अगर यह सब करना है तो पहले शादी फिर उसके बाद जो कुछ भी तुम कहोगे सब कुछ होगा,,,,।
अच्छा एक बार अपनी बुर तो दिखा दो,,,, शादी तक थोड़ी बहुत तसल्ली तो रहेगी,,,।
नहीं बिल्कुल भी नहीं ,,,, सब कुछ शादी के बाद अगर एक बार शादी हो गई तो इत्मीनान से तुम्हें दे दूंगी,,, लेकिन अभी कुछ भी नहीं एक झलक तक नहीं मिलेगी,,,(अपनी बहन के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी वह काफी कामोत्तेजना से भर गया था,,)
यार झरने के नीचे तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी और यह नखरा कर रही हो,,,
एक मौका दी थी तुम्हें लेकिन तुमसे कुछ हुआ नहीं इसलिए अब शादी के बाद,,,,
(अपनी बहन के मुंह से यह बात सुनते हीयह बात तय हो गई कि उस दिन रघु ने जो अपनी आंखों से भागती हुई नंगी लड़की को देखा था का कोई और नहीं उसकी बहन थी यह बात की पुष्टि होते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आने लगा जब वह उस भागती हुई लड़की को बल्कि उसकी खुद की बहन को तालाब में से निकलते हुए और भागते हुए देखा था उसके गोलाकार गांड को याद करके उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,उसके मन में क्या चल रहा था कि अनजाने में ही सही वह अपनी बहन को पूरी तरह से निर्वस्त्र हालत में देख चुका है और निर्वस्त्र होने के बाद उसकी बहन बला की खूबसूरत लगती थी इस बात से कोई इनकार नहीं था,,,,अपनी बहन की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसे देना उसकी बहन अपने कपड़े उतारकर बिरजू को एक मौका देना चाहती थी लेकिन बिरजू उस मौके का फायदा नहीं उठा पाया था,, जिसका मलाल शायद उसकी बहन के साथ-साथ बिरजू को भी था,,,, शालू की बात सुनकर बिरजू बोला,,,)
शालू मेरी जान यहां पर मुझे एक मौका दो ,,, बस एक मौका,,,,
नहीं नहीं अब बिल्कुल भी नहीं जो भी मौका मिलेगा शादी के बाद,,,,(इतना कहकर शालू चलती बनी)
अरे अरे थोड़ी देर और तो रुक जाओ,,,
नहीं मुझे घर जल्दी पहुंचना है,,,,
(बिरजु वहीं खड़ा शालू को जाता हुआ देखता रहा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, कुटिल मुस्कान नहीं यह देखकर रघु प्रसन्न हो गया क्योंकि बिरजू की खुशी देखकर रघु को लगने लगा कि बिरजू के मन में चोर बिल्कुल भी नहीं है वह सच्चे दिल से प्यार करता है,,, और वह वहां से दबे पांव पीछे आ गया,,, लेकिन उसकी बहन की बातों ने उसके तन बदन में वासना की लहर को और ज्यादा भड़का दिया था,,,, वह गांव की तरफ आ ही रहा था कि रास्ते में बग्गी खड़ी हुई मिली वह तुरंत दौड़कर बग्घी के करीब गया उसे लगा की बग्गी के अंदर लाला की बहू होगी,,,, लेकिन बग्गी के बाहर लाला खड़ा था,,, उसे देखते ही रघु उसे नमस्कार किया और बोला,,,।
क्या हुआ लाला सेठ इस तरह से आप बग्गी के बाहर क्यों खड़े हैं,,,,।
अरे बेटा इसके चालक को चक्कर आने लगा तो बग्गी यहीं पर रोकना पड़ा,,,,
(लाला की बात सुनते ही रघु पास में ही बैठे चालक की तरफ देखने लगा,,,)
हां हां तबीयत तो ठीक नहीं लग रही है,,, लेकिन अब आप घर कैसे जाओगे लाला सेठ,,,
अरे यही तो बात है रघु बेटा,,,,(लाला कुछ सोचते हुए) रघु क्या तू बग्गी चला लेगा,,,,
मैं,, हां हां,,, इसमें कौन सी बड़ी बात है घोड़ा ही तो दौड़ाना है,,,,।
तब तो ठीक है बेटा तू ही ईस बग्घी को चला ले,,,,
ठीक हे लाला सेठ जैसी आपकी मर्जी,,,,( इतना कहने के साथ ही रहो बग्गी के आगे बैठ गया और लाला अपने चालक को आराम हो जाने के बाद घर चले जाने की हिदायत देकर बग्गी के अंदर बैठ गया रघु बहुत खुश नजर आ रहा था लाला के बैठते ही वह घोड़े को हांकने लगा और घोड़ा आराम से आगे बढ़ने लगा,,,अंदर बैठे बैठे ही लाला ने उसे घर पर बग्गी ले जाने के लिए बोला और रघु बग्गी को लाला के घर की तरफ ले जाने लगा उसके मन में हलचल सी मच ने लगी क्योंकि वह जानता था कि लाला के घर पर जाकर वह उसकी बहू के दर्शन कर सकेगा,,,, लाला की खूबसूरत बहू और अपनी बहन की बातों को याद करके पजामे के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा,,।