• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बरसात की रात,,,(Completed)

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
15,796
32,520
259
nice update ...raghu ne lala ki bahu ko mela ghumaya 😍..
aur ye laliya kahi vaidh ji ke saath kuch kar rahi hai kya 😁😁..
aur ab aandhi aanewali hai aur laliya ko lekar akela raghu ghar vaapas jaanewala hai 😁.
dekhte hai kya hota hai ..
 

rohnny4545

Well-Known Member
14,394
37,334
259
आंधी की शुरुआत हो चुकी थी,,, पर अभी हवा ईतनी तेज नहीं थी,,, रघु वैद्य जी का घर जानता था इसलिए दोड़ता हुआ वहां पहुंच गया,,, ललिया रघु को देखते ही खुश हो गई क्योंकि आंधी की वजह से वह घबरा गई थी,,,।

अच्छा हुआ रघु तू इधर आ गया मैं तो घबरा गई थी,,।

मेरे होते हुए तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है चाची,,
(रघु वहां पर बैठे हुए 4 5 लोगों की तरफ देखते हुए बोला,,)

चाची तुम दवा ले ली हो ना,,।

हा में दवा ले चुकी हूं,,, लेकिन आंधी आने वाली थी इसलिए रूक गई,,,

कोई बात नहीं चाची में आ गया हूं ना,,,अब हमको निकलना होगा कहीं आधी तेज हो गई तो घर नहीं पहुंच पाएंगे अभी उतनी तेरे वाले चल रही है हम जल्दी जल्दी जाएंगे तो पहुंच जाएंगे,,,।
(रघु की बात सुनते ही वेद जी जो कि दूसरे मरीज को देख रहे थे वह बीच में बोले,,)

बेटा आधी बहुत तेज आने वाली है रास्ते में कहीं फस जाओगे तो मुश्किल हो जाएगा,,, कुछ देर यहीं रुक कर इंतजार करो,,,


नहीं वैध जी यहां रुकना ठीक नहीं होगा अगर रुक गए तो अंधेरा हो जाएगा और तब और ज्यादा मुश्किल हो जाएगी अगर अभी जल्दी जल्दी निकलेंगे तो शायद घर पर पहुंच जाएंगे,,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी बेटा,,,
(ललिया दवा की पुड़िया को प्लास्टिक की पन्नी में अच्छे से लपेट कर उसे अपने ब्लाउज के अंदर खोंस ली,, यह देख कर रघु कैमन का मयूर नाच उठा क्योंकि जीस अदा से वह वहां बैठे लोगों की नजरों से बचकर अपनी ब्लाउज में दवा की पूडीया, डाली थी,,, लेकिन वह इस हरकत को रघु की आंखों के सामने की थी,,, इसलिए तो रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी,,,, अब दोनों गांव की तरफ चलने के लिए तैयार थे,,, और दोनों निकल गए अभी हवा कितनी तेज नहीं थी लेकिन फिर भी तेज ही चल रही थी लेकिन इस हवा ने अभी आधी की शक्ल नहीं ली थी,,, रघु जल्दी जल्दी चल रहा था क्योंकि वह जानता था कभी एक बार भी तेज हो गई तो यहां से निकल पाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन ललिया एक औरत होने के नाते ज्यादा तेज नहीं चल पा रही थी,, इसलिए रघु थोड़ी दूर जाकर रुक जाता था ताकि ललिया उसके करीब आ सके,,, हवा के विरुद्ध उन्हें जाना था इसलिए अच्छी खासी मेहनत लग रही थी,,,।
,,
रघु मुझ से तो नहीं चला जाता,,,( ललिया अपना पेट पकड़कर हांफते हुए बोली,,,)

चाची अगर मुमकिन होता तो मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले चलता,,,(ललिया के चेहरे की तरफ देखते हूए बोला और साथ ही उसकी नजर गहरी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही है उसकी चुचीयो पर भी जा रही थी,,, ललिया भी तिरछी नजर से रघु की नजरों के निशान को भांप चुकी थी,,, और रघु की प्यासी नजरों के निशाने को समझते ही उसके तन बदन में हलचल मच गई,,,)

मुझसे तो चला नहीं जा रहा है अपनी गोद में ही उठाकर ले चल,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है चाची लेकिन अगर कोई देख लिया तो क्या समझेगा,,, (रघु का इतना कहना था कि बारिश की बूंदे गिरने लगी और बारिश की बूंदों को गिरता हुआ देख कर रखो चिंता दर्शाता हुआ बोला,,)

जल्दी करो चाची अभी बहुत दूर जाना है अगर आंधी के साथ साथ बारिश शुरू हो गई तो बहुत मुश्किल हो जाएगा,,,

तू ठीक कह रहा है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों फिर से चलने लगे हवा तेज हो रही थी चारों तरफ खेत के फसल हवा के झोंकों से इधर उधर हो रहे थे बड़े-बड़े पेड़ झुकने लगे थे,,,, मेले में इकट्ठी हुई भीड़ एकदम से गायब हो चुकी थी मैदान के हालत को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि कुछ देर पहले यहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हई थी,,,। मेला लगा हुआ था अभी सब कुछ एकदम शांत था सिर्फ आधा ही आंधी नजर आ रही थी,,, हवा इतनी तेज थी कि इस बार रघु को ललिया का हाथ पकड़ना पड़ा रघु ललिया का हाथ पकड़कर आगे आगे चलता चला जा रहा था और हवा के झोंकों से टकराते हुए ललिया अपने आप को संभालते हुए रघु का सहारा लेकर आगे बढ़ रही थी ,,पानी की बूंदे अब दोनों के बदन को भीगोना शुरू कर दी थी,,,,,, रघु कस के ललिया का हाथ पकड़े हुए था,,, ऐसे माहौल में भी ना जाने क्यों ललिया के तन बदन में हलचल मच रही थी,,,,ललिया लगभग भागते हुए चारों तरफ नजर दौड़ा रही थी लेकिन कोई भी वहां नजर नहीं आ रहा था सब के सब गांव की तरफ निकल चुके थे बस वही दोनों रह गए थे,,, हवा का दबाव तेज होने लगा पानी की बूंदों की रफ्तार भी बढ़ने लगी अब अपने आप को पानी की पौधों से बचा पाना दोनों के लिए नामुमकिन था,,, रघु ललिया का हाथ थामे बार-बार पीछे की तरफ देख ले रहा था,,, और अपनी इस लालच पर रोक नहीं पा रहा था क्योंकि ललिया के दोनों चूचियां भागने की वजह से जोर-जोर से उछल रहे थे रघु को इस बात का डर था कि कहीं इतनी जोर से उछलती हुई चुचियों के वजन से उसके ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,अगर ऐसा हो भी जाता है तो रघु के लिए यह सौभाग्य की बात थी,,, रघु जिसको बचपन से अपनी चाची कहता आ रहा था उसके मन में उसके दोनों चुचियों को देखने की ललक जाग रही थी,,, भागते हुए वह अपने मन में सोच भी रहा था कि मौका और हालात दोनों उसके ही पक्ष में है,,,, लेकिन उसे इस बात का डर भी था कि कहीं ललिया इंकार कर दी तो और कहिए वाली बात ना उसकी मां को बता दी तो क्या होगा इसलिए अपने आप को रोके हुए था,,, ललिया को भी इस बात का आभास था कि भागते हुए उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही उछाल मार रही थी,,,, लेकिन ना जाने कि उसे अच्छा भी लग रहा था,,,, तभी बारिश की बौछार तेज हो गई बड़ी बड़ी बूंदे आसमान से गिरने लगी,,, बरसात का मौसम बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मौसम में एकाएक बदलाव आया था,,,आसमान से गिर रहे ठंडे पानी की बूंदों में दोनों का तनबदन भीग रहा था,,,,

चाची इस तरह से बरसात में भागना ठीक नहीं है,,, अब हमें कहीं रुकना पड़ेगा,,,

नहीं रघु हम इस तरह से रोक नहीं सकते कहीं आंधी तूफान थमने का नाम ही नहीं लिया तो यह रात गुजारने का कोई जुगाड़ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,


तुम सच कह रही हो चाची लेकिन करा भी क्या जा सकता है,,,। (दोनों लगातार लगभग भागते हुए एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे दोनों अब पूरी तरह से भीग चुके थे आंधी तूफान और बरसात की वजह से समय से पहले ही अंधेरा छाने लगा था,,, कच्ची सड़क पूरी तरह से पानी से डूबने लगी थी जगह जगह पर कीचड़ होने लगा था जिसमें दोनों के पाव जम जा रहे थे,,, बादलों की गड़गड़ाहट और ज्यादा शोर मचा रही थी जिससे माहौल पूरी तरह से भयानक होता जा रहा था ललिया को डर लगने लगा था क्योंकि अब अंधेरा हो रहा था और अभी भी उन लोगों का घर काफी दूर था,,,ललिया मन ही मन में भगवान का धन्यवाद कर रही थी कि अच्छा हुआ कि रघु उसके साथ था वरना आज पता नहीं क्या होता,,,।

रघु समझ गया था कि इतनी तेज बारिश और आंधी तूफान में आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल था,,,, वह कही अच्छी जगह देखकर रुकने की सोच रहा था कि तभी उसे थोड़ी ही दूर पर,,, खंडहर जैसा मकान नजर आने लगा,,,वह थोड़ा प्रसन्न नजर आने लगा वह अपनी बात ललिया को बोल पाता इससे पहले ही,,,कीचड़ की वजह से ललिया का पैर फिसला और बाकी रह गई इतनी तेज बारिश की वजह से घुटनों के नीचे तक पानी भरा हुआ था इसलिए ललिया पानी में गिरी थी जिससे वह पूरी तरह से निढाल हो गई थी,,, ललिया के गिरने की वजह से रघु भी गिरते गिरते बचा था,,, रघु जल्दी से उसे अपने दोनों हाथों का सहारा देकर ऊठाने लगा,,,, वह मुंह के बल गिरी थी इसलिए रघु उसे उठाने लगा तो उसका पूरा बदन पानी के अंदर था और वह जल्दबाजी में उसे उठाने की कोशिश करते हुए उतना दोनों हाथ उसके आगे की तरफ ले आया और अफरातफरी में उठाते समय उसकी दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चूचियां आ गई,,, और वह उन्हें पकड़ कर उसे उठाने लगा अब तक रघु को इस बात का आभास तक नहीं था कि वह अपने दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चुचियों को पकड़े हुए हैं लेकिन जैसे ही से इस बात का एहसास हुआ वहां ललिया कि दोनों चुचियों को छोड़ने की जगह उसे और जोर से पकड़ कर उठाने लगा,,, ललिया को गिरने की वजह से थोड़ी सी बदहवासी सी छा गई थी,,,इसलिए उसे इस बात का अंदाजा नही था कि रघु उठाते समय उसकी दोनों चूचियों को पकड़े हुए है,,, लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई और ना जाने क्यों उसके तन बदन में हलचल सी मचने लगी,,,रघु जानबूझकर ललिया की चूची को तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि वह ठीक से खड़ी होकर अपने आप को संभाल नहीं ली,,, लेकिन रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी थी,,,ललिया की मदमस्त बड़ी बड़ी चूचीयो के एहसास से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जिस पर अंधेरा होने की वजह से ललिया की नजर पहुंच नहीं पा रही थी,,,,,

तुम्हें चोट तो नहीं लगी चाची,,,,( उसका हाल पूछने के बहाने एक बार फिर से रघु ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को स्पर्श कर लिया,,, रघु की इस हरकत की वजह से ललिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, रघु के द्वारा इस तरह की छूट लेने की वजह से ललिया के मन में घबराहट हो रही थी कि कहीं रघु उसके साथ उल्टा सीधा ना कर ले,,, क्योंकि एक औरत होने के नाते कब तक वह उसका विरोध कर पाएगी। ताकत और शरीर दोनों में रघु उससे आगे ही था,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं,, लेकिन थोड़ा घुटने में दर्द हो रहा है,, मुझे लगता नहीं है कि मैं अब आगे जल्दी जल्दी चल पाऊंगी,,,


चाची अब जब तक बरसात और तूफान थम नहीं जाता तब तक यहां से निकलना ठीक नहीं है क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया है,,, और हमें नहर पार करके जाना है,,, ऐसे में न हार का बहाव तेज होता है कहीं लेने के देने पड़ गए तो इसलिए हमें थोड़ा रुकना पड़ेगा,,,
(रघु की बात में सच्चाई थी इस बात से लगी आपको बिल्कुल भी इनकार नहीं था,,लेकिन उसके मन में यह सवाल उठ रहा था कि ऐसी तूफानी बारिश में रुकेंगे कहां,,,वह दोनों पूरी तरह से गिर चुके थे और अभी भी बारिश जा रही थी हवा बहुत तेज चल रही थी जगह-जगह कमजोर पेड गिरकर ढेर हो चुके थे,,,, ठंडे पानी और तेज हवा के कारण ललिया के बदन में कपकपी हो रही थी और वह कांपते हुए बोली,,,।)

रघु तेरी बात ठीक है लेकिन रुकेंगे कहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है और सर छुपाने की जगह नहीं है,,,,

तूम चिंता मत करो चाची वो सामने खंडहर देख रही हो,,, हमें वही चलना पड़ेगा और जब तक बारिश और तूफान रुक नहीं जाता उसी खंडहर के अंदर रहकर बारिश और तूफान दोनों से अपना बचाव करना होगा,,,

खंडहर,,,, में,,, ना बाबा ना मैं खंडहर में नहीं जाऊंगी मुझे तो डर लगता है ऐसे खंडहर में भूत रहते हैं,,,(ललिया घबराते हुए बोली,,,।)

क्या पागलों जैसी बात कर रही हो चाची भूत ऊत कुछ नहीं होते,,,, सब बेकार की बातें हैं मैं रात रात भर ना जाने कैसी कैसी जगह पर रुका हूं सोया हूं मुझे तो कहीं भूत नजर नहीं आता,,,तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,

तू है तभी तो थोड़ा हिम्मत कर रही हूं वरना वही वेद के घर रुक गई होती,,,

वेद के घर तुम जानती हो वेद को वह कितना हरामी आदमी है रात भर रुकने का मतलब है कि,,,,(इतना कहकर रघु रुक गया,,)

क्या मतलब है रात भर रोकने का,,,

कुछ नहीं चाची जल्दी से चलो देख रही हो पानी भरता चला जा रहा है,,, ओर तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु ललिया का हाथ थाम कर जैसे ही आगे बढ़ा,,, ललिया फिर से गिरते-गिरते बची क्योंकि उसके घुटनों में चोट लग गई थी,,, वह ठीक से चल पाने में असमर्थ थीं,,,)

आहहहहहह,,,, रघु मैं नहीं चल पाऊंगी मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है,,,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि मेले में आते समय गोद में ले चलने का जिक्र हुआ था और भगवान की कृपा देखो की शाम ढलने के बाद ही उसकी ये इच्छा पूरी होने वाली थी,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ललिया को गोद में उठाने की उसकी इच्छा पहले से ही थी,,, अपनी तेज चलती सांसो को संभालते हुए रघु बोला,,)

देख ली ना चाची तुम्हारी इच्छा थी कि मैं तुम्हें गोद में उठा कर ले जाऊं,, और भगवान ने तुम्हारी बहुत ही जल्दी सुन ली,,,।

अरे मुझे क्या मालूम था भगवान इतनी जल्दी सुन लेंगे और इस सूरत में सुनेंगे,,,


कैसे भी हाल में सुनो तो सही,,,

ऐसा लग रहा है जैसे मुझे गोद में उठाने के लिए तू उतावला हो रहा था,,,

कुछ ऐसा ही समझ लो,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु लड़कियों को अपनी गोद में उठाने के लिए उसकेएक हाथ नितंबों के नीचे की तरफ ले जाकर दूसरी पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,।

संभाल कर रघु गिरा मत देना,,,।

मेरे हाथों में हो चाची गिरने नहीं दूंगा,,,।
( इतना कहने के साथ ही रघु ललिया को गोद में उठाए हुए लगभग घुटनों तक पानी में आराम से चलने लगा घुटनों तक पानी के साथ-साथ कीचड़ होने की वजह से रघु को चलने में दिक्कत आ रही थी लेकिन ललिया को अपनी गोद में उठाए हुए उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,, शरीर में बढ़ रही हूं तेज ना की वजह से उसमें काफी ताकत और हिम्मत महसूस हो रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी जिसकी वजह से ललिया को डर भी लग रहा था,,। तेज बारिश होने की वजह से पानी की बूंदे ललिया की आंखों में गिर रही थी जिसकी वजह से अपनी आंखों को बंद किए हुए थी,,, रघु ललिया की तरफ देख रहा था यूं तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन बिजली की चमक हो जाने की वजह से रह रहे कर ललिया का बदन उसे नजर आ जा रहा था,,,अपराध टीवी में अपने आप ही ले लिया के ब्लाउज का पहला बटन खुल चुका था जिसकी वजह से उसके दोनों खरबूजे आपस में एकदम सटे हुए थे और दोनों खरबूजा के बीज की पतली लकीर बेहद लुभावनी लग रही थी,, पूरा ब्लाउज पानी में भीगने की वजह से ललिया की निप्पल ब्लाउज के अंदर से भी बाहर झलक रही थी,, रघु को ललिया के निप्पल का नूकीलापन बेहद आकर्षक लग रहा था,,, रघु इच्छा हो रही थी कि ललिया की चूची को मुंह में भर कर जी भर कर पीए,,, उत्तेजना के मारे रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि पानी मैं चलने की वजह से उसका लंड आसमान की तरफ मुंह करके खड़ा था और अब धीरे-धीरे ललिया की चिकनी पीठ पर स्पर्श होने लगा था कुछ देर तक तो ललीया को समझ में नहीं आया कि उसकी पीठ पर रगड़ खा रही और चुभन दे रही चीज क्या है,,,लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी पीठ पर चुभ रही और रगड़ खा रही चीज कुछ और नहीं बल्कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड है तो इस बात के एहसास से ही पल भर में ही उसकी बुर ऊतेजना के मारे गरम रोटी की तरह फूलने पिचकने लगी,,।
 
Last edited:

hellboy

Active Member
883
1,251
138
आंधी की शुरुआत हो चुकी थी,,, पर अभी हवा ईतनी तेज नहीं थी,,, रघु वैद्य जी का घर जानता था इसलिए दोड़ता हुआ वहां पहुंच गया,,, ललिया रघु को देखते ही खुश हो गई क्योंकि आंधी की वजह से वह घबरा गई थी,,,।

अच्छा हुआ रघु तू इधर आ गया मैं तो घबरा गई थी,,।

मेरे होते हुए तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है चाची,,
(रघु वहां पर बैठे हुए 4 5 लोगों की तरफ देखते हुए बोला,,)

चाची तुम दवा ले ली हो ना,,।

हा में दवा ले चुकी हूं,,, लेकिन आंधी आने वाली थी इसलिए रूक गई,,,

कोई बात नहीं चाची में आ गया हूं ना,,,अब हमको निकलना होगा कहीं आधी तेज हो गई तो घर नहीं पहुंच पाएंगे अभी उतनी तेरे वाले चल रही है हम जल्दी जल्दी जाएंगे तो पहुंच जाएंगे,,,।
(रघु की बात सुनते ही वेद जी जो कि दूसरे मरीज को देख रहे थे वह बीच में बोले,,)

बेटा आधी बहुत तेज आने वाली है रास्ते में कहीं फस जाओगे तो मुश्किल हो जाएगा,,, कुछ देर यहीं रुक कर इंतजार करो,,,


नहीं वैध जी यहां रुकना ठीक नहीं होगा अगर रुक गए तो अंधेरा हो जाएगा और तब और ज्यादा मुश्किल हो जाएगी अगर अभी जल्दी जल्दी निकलेंगे तो शायद घर पर पहुंच जाएंगे,,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी बेटा,,,
(ललिया दवा की पुड़िया को प्लास्टिक की पन्नी में अच्छे से लपेट कर उसे अपने ब्लाउज के अंदर खोंस ली,, यह देख कर रघु कैमन का मयूर नाच उठा क्योंकि जीस अदा से वह वहां बैठे लोगों की नजरों से बचकर अपनी ब्लाउज में दवा की पूडीया, डाली थी,,, लेकिन वह इस हरकत को रघु की आंखों के सामने की थी,,, इसलिए तो रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी,,,, अब दोनों गांव की तरफ चलने के लिए तैयार थे,,, और दोनों निकल गए अभी हवा कितनी तेज नहीं थी लेकिन फिर भी तेज ही चल रही थी लेकिन इस हवा ने अभी आधी की शक्ल नहीं ली थी,,, रघु जल्दी जल्दी चल रहा था क्योंकि वह जानता था कभी एक बार भी तेज हो गई तो यहां से निकल पाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन ललिया एक औरत होने के नाते ज्यादा तेज नहीं चल पा रही थी,, इसलिए रघु थोड़ी दूर जाकर रुक जाता था ताकि ललिया उसके करीब आ सके,,, हवा के विरुद्ध उन्हें जाना था इसलिए अच्छी खासी मेहनत लग रही थी,,,।
,,
रघु मुझ से तो नहीं चला जाता,,,( ललिया अपना पेट पकड़कर हांफते हुए बोली,,,)

चाची अगर मुमकिन होता तो मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले चलता,,,(ललिया के चेहरे की तरफ देखते हूए बोला और साथ ही उसकी नजर गहरी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही है उसकी चुचीयो पर भी जा रही थी,,, ललिया भी तिरछी नजर से रघु की नजरों के निशान को भांप चुकी थी,,, और रघु की प्यासी नजरों के निशाने को समझते ही उसके तन बदन में हलचल मच गई,,,)

मुझसे तो चला नहीं जा रहा है अपनी गोद में ही उठाकर ले चल,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है चाची लेकिन अगर कोई देख लिया तो क्या समझेगा,,, (रघु का इतना कहना था कि बारिश की बूंदे गिरने लगी और बारिश की बूंदों को गिरता हुआ देख कर रखो चिंता दर्शाता हुआ बोला,,)

जल्दी करो चाची अभी बहुत दूर जाना है अगर आंधी के साथ साथ बारिश शुरू हो गई तो बहुत मुश्किल हो जाएगा,,,

तू ठीक कह रहा है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों फिर से चलने लगे हवा तेज हो रही थी चारों तरफ खेत के फसल हवा के झोंकों से इधर उधर हो रहे थे बड़े-बड़े पेड़ झुकने लगे थे,,,, मेले में इकट्ठी हुई भीड़ एकदम से गायब हो चुकी थी मैदान के हालत को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि कुछ देर पहले यहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हई थी,,,। मेला लगा हुआ था अभी सब कुछ एकदम शांत था सिर्फ आधा ही आंधी नजर आ रही थी,,, हवा इतनी तेज थी कि इस बार रघु को ललिया का हाथ पकड़ना पड़ा रघु ललिया का हाथ पकड़कर आगे आगे चलता चला जा रहा था और हवा के झोंकों से टकराते हुए ललिया अपने आप को संभालते हुए रघु का सहारा लेकर आगे बढ़ रही थी ,,पानी की बूंदे अब दोनों के बदन को भीगोना शुरू कर दी थी,,,,,, रघु कस के ललिया का हाथ पकड़े हुए था,,, ऐसे माहौल में भी ना जाने क्यों ललिया के तन बदन में हलचल मच रही थी,,,,ललिया लगभग भागते हुए चारों तरफ नजर दौड़ा रही थी लेकिन कोई भी वहां नजर नहीं आ रहा था सब के सब गांव की तरफ निकल चुके थे बस वही दोनों रह गए थे,,, हवा का दबाव तेज होने लगा पानी की बूंदों की रफ्तार भी बढ़ने लगी अब अपने आप को पानी की पौधों से बचा पाना दोनों के लिए नामुमकिन था,,, रघु ललिया का हाथ थामे बार-बार पीछे की तरफ देख ले रहा था,,, और अपनी इस लालच पर रोक नहीं पा रहा था क्योंकि ललिया के दोनों चूचियां भागने की वजह से जोर-जोर से उछल रहे थे रघु को इस बात का डर था कि कहीं इतनी जोर से उछलती हुई चुचियों के वजन से उसके ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,अगर ऐसा हो भी जाता है तो रघु के लिए यह सौभाग्य की बात थी,,, रघु जिसको बचपन से अपनी चाची कहता आ रहा था उसके मन में उसके दोनों चुचियों को देखने की ललक जाग रही थी,,, भागते हुए वह अपने मन में सोच भी रहा था कि मौका और हालात दोनों उसके ही पक्ष में है,,,, लेकिन उसे इस बात का डर भी था कि कहीं ललिया इंकार कर दी तो और कहिए वाली बात ना उसकी मां को बता दी तो क्या होगा इसलिए अपने आप को रोके हुए था,,, ललिया को भी इस बात का आभास था कि भागते हुए उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही उछाल मार रही थी,,,, लेकिन ना जाने कि उसे अच्छा भी लग रहा था,,,, तभी बारिश की बौछार तेज हो गई बड़ी बड़ी बूंदे आसमान से गिरने लगी,,, बरसात का मौसम बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मौसम में एकाएक बदलाव आया था,,,आसमान से गिर रहे ठंडे पानी की बूंदों में दोनों का तनबदन भीग रहा था,,,,

चाची इस तरह से बरसात में भागना ठीक नहीं है,,, अब हमें कहीं रुकना पड़ेगा,,,

नहीं रघु हम इस तरह से रोक नहीं सकते कहीं आंधी तूफान थमने का नाम ही नहीं लिया तो यह रात गुजारने का कोई जुगाड़ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,


तुम सच कह रही हो चाची लेकिन करा भी क्या जा सकता है,,,। (दोनों लगातार लगभग भागते हुए एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे दोनों अब पूरी तरह से भीग चुके थे आंधी तूफान और बरसात की वजह से समय से पहले ही अंधेरा छाने लगा था,,, कच्ची सड़क पूरी तरह से पानी से डूबने लगी थी जगह जगह पर कीचड़ होने लगा था जिसमें दोनों के पाव जम जा रहे थे,,, बादलों की गड़गड़ाहट और ज्यादा शोर मचा रही थी जिससे माहौल पूरी तरह से भयानक होता जा रहा था ललिया को डर लगने लगा था क्योंकि अब अंधेरा हो रहा था और अभी भी उन लोगों का घर काफी दूर था,,,ललिया मन ही मन में भगवान का धन्यवाद कर रही थी कि अच्छा हुआ कि रघु उसके साथ था वरना आज पता नहीं क्या होता,,,।

रघु समझ गया था कि इतनी तेज बारिश और आंधी तूफान में आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल था,,,, वह कही अच्छी जगह देखकर रुकने की सोच रहा था कि तभी उसे थोड़ी ही दूर पर,,, खंडहर जैसा मकान नजर आने लगा,,,वह थोड़ा प्रसन्न नजर आने लगा वह अपनी बात ललिया को बोल पाता इससे पहले ही,,,कीचड़ की वजह से ललिया का पैर फिसला और बाकी रह गई इतनी तेज बारिश की वजह से घुटनों के नीचे तक पानी भरा हुआ था इसलिए ललिया पानी में गिरी थी जिससे वह पूरी तरह से निढाल हो गई थी,,, ललिया के गिरने की वजह से रघु भी गिरते गिरते बचा था,,, रघु जल्दी से उसे अपने दोनों हाथों का सहारा देकर ऊठाने लगा,,,, वह मुंह के बल गिरी थी इसलिए रघु उसे उठाने लगा तो उसका पूरा बदन पानी के अंदर था और वह जल्दबाजी में उसे उठाने की कोशिश करते हुए उतना दोनों हाथ उसके आगे की तरफ ले आया और अफरातफरी में उठाते समय उसकी दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चूचियां आ गई,,, और वह उन्हें पकड़ कर उसे उठाने लगा अब तक रघु को इस बात का आभास तक नहीं था कि वह अपने दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चुचियों को पकड़े हुए हैं लेकिन जैसे ही से इस बात का एहसास हुआ वहां ललिया कि दोनों चुचियों को छोड़ने की जगह उसे और जोर से पकड़ कर उठाने लगा,,, ललिया को गिरने की वजह से थोड़ी सी बदहवासी सी छा गई थी,,,इसलिए उसे इस बात का अंदाजा नही था कि रघु उठाते समय उसकी दोनों चूचियों को पकड़े हुए है,,, लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई और ना जाने क्यों उसके तन बदन में हलचल सी मचने लगी,,,रघु जानबूझकर ललिया की चूची को तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि वह ठीक से खड़ी होकर अपने आप को संभाल नहीं ली,,, लेकिन रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी थी,,,ललिया की मदमस्त बड़ी बड़ी चूचीयो के एहसास से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जिस पर अंधेरा होने की वजह से ललिया की नजर पहुंच नहीं पा रही थी,,,,,

तुम्हें चोट तो नहीं लगी चाची,,,,( उसका हाल पूछने के बहाने एक बार फिर से रघु ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को स्पर्श कर लिया,,, रघु की इस हरकत की वजह से ललिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, रघु के द्वारा इस तरह की छूट लेने की वजह से ललिया के मन में घबराहट हो रही थी कि कहीं रघु उसके साथ उल्टा सीधा ना कर ले,,, क्योंकि एक औरत होने के नाते कब तक वह उसका विरोध कर पाएगी। ताकत और शरीर दोनों में रघु उससे आगे ही था,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं,, लेकिन थोड़ा घुटने में दर्द हो रहा है,, मुझे लगता नहीं है कि मैं अब आगे जल्दी जल्दी चल पाऊंगी,,,


चाची अब जब तक बरसात और तूफान थम नहीं जाता तब तक यहां से निकलना ठीक नहीं है क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया है,,, और हमें नहर पार करके जाना है,,, ऐसे में न हार का बहाव तेज होता है कहीं लेने के देने पड़ गए तो इसलिए हमें थोड़ा रुकना पड़ेगा,,,
(रघु की बात में सच्चाई थी इस बात से लगी आपको बिल्कुल भी इनकार नहीं था,,लेकिन उसके मन में यह सवाल उठ रहा था कि ऐसी तूफानी बारिश में रुकेंगे कहां,,,वह दोनों पूरी तरह से गिर चुके थे और अभी भी बारिश जा रही थी हवा बहुत तेज चल रही थी जगह-जगह कमजोर पेड गिरकर ढेर हो चुके थे,,,, ठंडे पानी और तेज हवा के कारण ललिया के बदन में कपकपी हो रही थी और वह कांपते हुए बोली,,,।)

रघु तेरी बात ठीक है लेकिन रुकेंगे कहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है और सर छुपाने की जगह नहीं है,,,,

तूम चिंता मत करो चाची वो सामने खंडहर देख रही हो,,, हमें वही चलना पड़ेगा और जब तक बारिश और तूफान रुक नहीं जाता उसी खंडहर के अंदर रहकर बारिश और तूफान दोनों से अपना बचाव करना होगा,,,

खंडहर,,,, में,,, ना बाबा ना मैं खंडहर में नहीं जाऊंगी मुझे तो डर लगता है ऐसे खंडहर में भूत रहते हैं,,,(ललिया घबराते हुए बोली,,,।)

क्या पागलों जैसी बात कर रही हो चाची भूत ऊत कुछ नहीं होते,,,, सब बेकार की बातें हैं मैं रात रात भर ना जाने कैसी कैसी जगह पर रुका हूं सोया हूं मुझे तो कहीं भूत नजर नहीं आता,,,तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,

तू है तभी तो थोड़ा हिम्मत कर रही हूं वरना वही वेद के घर रुक गई होती,,,

वेद के घर तुम जानती हो वेद को वह कितना हरामी आदमी है रात भर रुकने का मतलब है कि,,,,(इतना कहकर रघु रुक गया,,)

क्या मतलब है रात भर रोकने का,,,

कुछ नहीं चाची जल्दी से चलो देख रही हो पानी भरता चला जा रहा है,,, ओर तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु ललिया का हाथ थाम कर जैसे ही आगे बढ़ा,,, ललिया फिर से गिरते-गिरते बची क्योंकि उसके घुटनों में चोट लग गई थी,,, वह ठीक से चल पाने में असमर्थ थीं,,,)

आहहहहहह,,,, रघु मैं नहीं चल पाऊंगी मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है,,,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि मेले में आते समय गोद में ले चलने का जिक्र हुआ था और भगवान की कृपा देखो की शाम ढलने के बाद ही उसकी ये इच्छा पूरी होने वाली थी,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ललिया को गोद में उठाने की उसकी इच्छा पहले से ही थी,,, अपनी तेज चलती सांसो को संभालते हुए रघु बोला,,)

देख ली ना चाची तुम्हारी इच्छा थी कि मैं तुम्हें गोद में उठा कर ले जाऊं,, और भगवान ने तुम्हारी बहुत ही जल्दी सुन ली,,,।

अरे मुझे क्या मालूम था भगवान इतनी जल्दी सुन लेंगे और इस सूरत में सुनेंगे,,,


कैसे भी हाल में सुनो तो सही,,,

ऐसा लग रहा है जैसे मुझे गोद में उठाने के लिए तू उतावला हो रहा था,,,

कुछ ऐसा ही समझ लो,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु लड़कियों को अपनी गोद में उठाने के लिए उसकेएक हाथ नितंबों के नीचे की तरफ ले जाकर दूसरी पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,।

संभाल कर रघु गिरा मत देना,,,।

मेरे हाथों में हो चाची गिरने नहीं दूंगा,,,।
( इतना कहने के साथ ही रघु ललिया को गोद में उठाए हुए लगभग घुटनों तक पानी में आराम से चलने लगा घुटनों तक पानी के साथ-साथ कीचड़ होने की वजह से रघु को चलने में दिक्कत आ रही थी लेकिन ललिया को अपनी गोद में उठाए हुए उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,, शरीर में बढ़ रही हूं तेज ना की वजह से उसमें काफी ताकत और हिम्मत महसूस हो रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी जिसकी वजह से ललिया को डर भी लग रहा था,,। तेज बारिश होने की वजह से पानी की बूंदे ललिया की आंखों में गिर रही थी जिसकी वजह से अपनी आंखों को बंद किए हुए थी,,, रघु ललिया की तरफ देख रहा था यूं तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन बिजली की चमक हो जाने की वजह से रह रहे कर ललिया का बदन उसे नजर आ जा रहा था,,,अपराध टीवी में अपने आप ही ले लिया के ब्लाउज का पहला बटन खुल चुका था जिसकी वजह से उसके दोनों खरबूजे आपस में एकदम सटे हुए थे और दोनों खरबूजा के बीज की पतली लकीर बेहद लुभावनी लग रही थी,, पूरा ब्लाउज पानी में भीगने की वजह से ललिया की निप्पल ब्लाउज के अंदर से भी बाहर झलक रही थी,, रघु को ललिया के निप्पल का नूकीलापन बेहद आकर्षक लग रहा था,,, रघु इच्छा हो रही थी कि ललिया की चूची को मुंह में भर कर जी भर कर पीए,,, उत्तेजना के मारे रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि पानी मैं चलने की वजह से उसका लंड आसमान की तरफ मुंह करके खड़ा था और अब धीरे-धीरे ललिया की चिकनी पीठ पर स्पर्श होने लगा था कुछ देर तक तो ललीया को समझ में नहीं आया कि उसकी पीठ पर रगड़ खा रही और चुभन दे रही चीज क्या है,,,लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी पीठ पर चुभ रही और रगड़ खा रही चीज कुछ और नहीं बल्कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड है तो इस बात के एहसास से ही पल भर में ही उसकी बुर ऊतेजना के मारे गरम रोटी की तरफ फूलने पिचकने लगी,,।
awesome update
 

Dhansu

Active Member
568
1,090
93
आंधी की शुरुआत हो चुकी थी,,, पर अभी हवा ईतनी तेज नहीं थी,,, रघु वैद्य जी का घर जानता था इसलिए दोड़ता हुआ वहां पहुंच गया,,, ललिया रघु को देखते ही खुश हो गई क्योंकि आंधी की वजह से वह घबरा गई थी,,,।

अच्छा हुआ रघु तू इधर आ गया मैं तो घबरा गई थी,,।

मेरे होते हुए तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है चाची,,
(रघु वहां पर बैठे हुए 4 5 लोगों की तरफ देखते हुए बोला,,)

चाची तुम दवा ले ली हो ना,,।

हा में दवा ले चुकी हूं,,, लेकिन आंधी आने वाली थी इसलिए रूक गई,,,

कोई बात नहीं चाची में आ गया हूं ना,,,अब हमको निकलना होगा कहीं आधी तेज हो गई तो घर नहीं पहुंच पाएंगे अभी उतनी तेरे वाले चल रही है हम जल्दी जल्दी जाएंगे तो पहुंच जाएंगे,,,।
(रघु की बात सुनते ही वेद जी जो कि दूसरे मरीज को देख रहे थे वह बीच में बोले,,)

बेटा आधी बहुत तेज आने वाली है रास्ते में कहीं फस जाओगे तो मुश्किल हो जाएगा,,, कुछ देर यहीं रुक कर इंतजार करो,,,


नहीं वैध जी यहां रुकना ठीक नहीं होगा अगर रुक गए तो अंधेरा हो जाएगा और तब और ज्यादा मुश्किल हो जाएगी अगर अभी जल्दी जल्दी निकलेंगे तो शायद घर पर पहुंच जाएंगे,,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी बेटा,,,
(ललिया दवा की पुड़िया को प्लास्टिक की पन्नी में अच्छे से लपेट कर उसे अपने ब्लाउज के अंदर खोंस ली,, यह देख कर रघु कैमन का मयूर नाच उठा क्योंकि जीस अदा से वह वहां बैठे लोगों की नजरों से बचकर अपनी ब्लाउज में दवा की पूडीया, डाली थी,,, लेकिन वह इस हरकत को रघु की आंखों के सामने की थी,,, इसलिए तो रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी,,,, अब दोनों गांव की तरफ चलने के लिए तैयार थे,,, और दोनों निकल गए अभी हवा कितनी तेज नहीं थी लेकिन फिर भी तेज ही चल रही थी लेकिन इस हवा ने अभी आधी की शक्ल नहीं ली थी,,, रघु जल्दी जल्दी चल रहा था क्योंकि वह जानता था कभी एक बार भी तेज हो गई तो यहां से निकल पाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन ललिया एक औरत होने के नाते ज्यादा तेज नहीं चल पा रही थी,, इसलिए रघु थोड़ी दूर जाकर रुक जाता था ताकि ललिया उसके करीब आ सके,,, हवा के विरुद्ध उन्हें जाना था इसलिए अच्छी खासी मेहनत लग रही थी,,,।
,,
रघु मुझ से तो नहीं चला जाता,,,( ललिया अपना पेट पकड़कर हांफते हुए बोली,,,)

चाची अगर मुमकिन होता तो मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले चलता,,,(ललिया के चेहरे की तरफ देखते हूए बोला और साथ ही उसकी नजर गहरी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही है उसकी चुचीयो पर भी जा रही थी,,, ललिया भी तिरछी नजर से रघु की नजरों के निशान को भांप चुकी थी,,, और रघु की प्यासी नजरों के निशाने को समझते ही उसके तन बदन में हलचल मच गई,,,)

मुझसे तो चला नहीं जा रहा है अपनी गोद में ही उठाकर ले चल,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है चाची लेकिन अगर कोई देख लिया तो क्या समझेगा,,, (रघु का इतना कहना था कि बारिश की बूंदे गिरने लगी और बारिश की बूंदों को गिरता हुआ देख कर रखो चिंता दर्शाता हुआ बोला,,)

जल्दी करो चाची अभी बहुत दूर जाना है अगर आंधी के साथ साथ बारिश शुरू हो गई तो बहुत मुश्किल हो जाएगा,,,

तू ठीक कह रहा है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों फिर से चलने लगे हवा तेज हो रही थी चारों तरफ खेत के फसल हवा के झोंकों से इधर उधर हो रहे थे बड़े-बड़े पेड़ झुकने लगे थे,,,, मेले में इकट्ठी हुई भीड़ एकदम से गायब हो चुकी थी मैदान के हालत को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि कुछ देर पहले यहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हई थी,,,। मेला लगा हुआ था अभी सब कुछ एकदम शांत था सिर्फ आधा ही आंधी नजर आ रही थी,,, हवा इतनी तेज थी कि इस बार रघु को ललिया का हाथ पकड़ना पड़ा रघु ललिया का हाथ पकड़कर आगे आगे चलता चला जा रहा था और हवा के झोंकों से टकराते हुए ललिया अपने आप को संभालते हुए रघु का सहारा लेकर आगे बढ़ रही थी ,,पानी की बूंदे अब दोनों के बदन को भीगोना शुरू कर दी थी,,,,,, रघु कस के ललिया का हाथ पकड़े हुए था,,, ऐसे माहौल में भी ना जाने क्यों ललिया के तन बदन में हलचल मच रही थी,,,,ललिया लगभग भागते हुए चारों तरफ नजर दौड़ा रही थी लेकिन कोई भी वहां नजर नहीं आ रहा था सब के सब गांव की तरफ निकल चुके थे बस वही दोनों रह गए थे,,, हवा का दबाव तेज होने लगा पानी की बूंदों की रफ्तार भी बढ़ने लगी अब अपने आप को पानी की पौधों से बचा पाना दोनों के लिए नामुमकिन था,,, रघु ललिया का हाथ थामे बार-बार पीछे की तरफ देख ले रहा था,,, और अपनी इस लालच पर रोक नहीं पा रहा था क्योंकि ललिया के दोनों चूचियां भागने की वजह से जोर-जोर से उछल रहे थे रघु को इस बात का डर था कि कहीं इतनी जोर से उछलती हुई चुचियों के वजन से उसके ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,अगर ऐसा हो भी जाता है तो रघु के लिए यह सौभाग्य की बात थी,,, रघु जिसको बचपन से अपनी चाची कहता आ रहा था उसके मन में उसके दोनों चुचियों को देखने की ललक जाग रही थी,,, भागते हुए वह अपने मन में सोच भी रहा था कि मौका और हालात दोनों उसके ही पक्ष में है,,,, लेकिन उसे इस बात का डर भी था कि कहीं ललिया इंकार कर दी तो और कहिए वाली बात ना उसकी मां को बता दी तो क्या होगा इसलिए अपने आप को रोके हुए था,,, ललिया को भी इस बात का आभास था कि भागते हुए उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही उछाल मार रही थी,,,, लेकिन ना जाने कि उसे अच्छा भी लग रहा था,,,, तभी बारिश की बौछार तेज हो गई बड़ी बड़ी बूंदे आसमान से गिरने लगी,,, बरसात का मौसम बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मौसम में एकाएक बदलाव आया था,,,आसमान से गिर रहे ठंडे पानी की बूंदों में दोनों का तनबदन भीग रहा था,,,,

चाची इस तरह से बरसात में भागना ठीक नहीं है,,, अब हमें कहीं रुकना पड़ेगा,,,

नहीं रघु हम इस तरह से रोक नहीं सकते कहीं आंधी तूफान थमने का नाम ही नहीं लिया तो यह रात गुजारने का कोई जुगाड़ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,


तुम सच कह रही हो चाची लेकिन करा भी क्या जा सकता है,,,। (दोनों लगातार लगभग भागते हुए एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे दोनों अब पूरी तरह से भीग चुके थे आंधी तूफान और बरसात की वजह से समय से पहले ही अंधेरा छाने लगा था,,, कच्ची सड़क पूरी तरह से पानी से डूबने लगी थी जगह जगह पर कीचड़ होने लगा था जिसमें दोनों के पाव जम जा रहे थे,,, बादलों की गड़गड़ाहट और ज्यादा शोर मचा रही थी जिससे माहौल पूरी तरह से भयानक होता जा रहा था ललिया को डर लगने लगा था क्योंकि अब अंधेरा हो रहा था और अभी भी उन लोगों का घर काफी दूर था,,,ललिया मन ही मन में भगवान का धन्यवाद कर रही थी कि अच्छा हुआ कि रघु उसके साथ था वरना आज पता नहीं क्या होता,,,।

रघु समझ गया था कि इतनी तेज बारिश और आंधी तूफान में आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल था,,,, वह कही अच्छी जगह देखकर रुकने की सोच रहा था कि तभी उसे थोड़ी ही दूर पर,,, खंडहर जैसा मकान नजर आने लगा,,,वह थोड़ा प्रसन्न नजर आने लगा वह अपनी बात ललिया को बोल पाता इससे पहले ही,,,कीचड़ की वजह से ललिया का पैर फिसला और बाकी रह गई इतनी तेज बारिश की वजह से घुटनों के नीचे तक पानी भरा हुआ था इसलिए ललिया पानी में गिरी थी जिससे वह पूरी तरह से निढाल हो गई थी,,, ललिया के गिरने की वजह से रघु भी गिरते गिरते बचा था,,, रघु जल्दी से उसे अपने दोनों हाथों का सहारा देकर ऊठाने लगा,,,, वह मुंह के बल गिरी थी इसलिए रघु उसे उठाने लगा तो उसका पूरा बदन पानी के अंदर था और वह जल्दबाजी में उसे उठाने की कोशिश करते हुए उतना दोनों हाथ उसके आगे की तरफ ले आया और अफरातफरी में उठाते समय उसकी दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चूचियां आ गई,,, और वह उन्हें पकड़ कर उसे उठाने लगा अब तक रघु को इस बात का आभास तक नहीं था कि वह अपने दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चुचियों को पकड़े हुए हैं लेकिन जैसे ही से इस बात का एहसास हुआ वहां ललिया कि दोनों चुचियों को छोड़ने की जगह उसे और जोर से पकड़ कर उठाने लगा,,, ललिया को गिरने की वजह से थोड़ी सी बदहवासी सी छा गई थी,,,इसलिए उसे इस बात का अंदाजा नही था कि रघु उठाते समय उसकी दोनों चूचियों को पकड़े हुए है,,, लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई और ना जाने क्यों उसके तन बदन में हलचल सी मचने लगी,,,रघु जानबूझकर ललिया की चूची को तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि वह ठीक से खड़ी होकर अपने आप को संभाल नहीं ली,,, लेकिन रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी थी,,,ललिया की मदमस्त बड़ी बड़ी चूचीयो के एहसास से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जिस पर अंधेरा होने की वजह से ललिया की नजर पहुंच नहीं पा रही थी,,,,,

तुम्हें चोट तो नहीं लगी चाची,,,,( उसका हाल पूछने के बहाने एक बार फिर से रघु ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को स्पर्श कर लिया,,, रघु की इस हरकत की वजह से ललिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, रघु के द्वारा इस तरह की छूट लेने की वजह से ललिया के मन में घबराहट हो रही थी कि कहीं रघु उसके साथ उल्टा सीधा ना कर ले,,, क्योंकि एक औरत होने के नाते कब तक वह उसका विरोध कर पाएगी। ताकत और शरीर दोनों में रघु उससे आगे ही था,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं,, लेकिन थोड़ा घुटने में दर्द हो रहा है,, मुझे लगता नहीं है कि मैं अब आगे जल्दी जल्दी चल पाऊंगी,,,


चाची अब जब तक बरसात और तूफान थम नहीं जाता तब तक यहां से निकलना ठीक नहीं है क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया है,,, और हमें नहर पार करके जाना है,,, ऐसे में न हार का बहाव तेज होता है कहीं लेने के देने पड़ गए तो इसलिए हमें थोड़ा रुकना पड़ेगा,,,
(रघु की बात में सच्चाई थी इस बात से लगी आपको बिल्कुल भी इनकार नहीं था,,लेकिन उसके मन में यह सवाल उठ रहा था कि ऐसी तूफानी बारिश में रुकेंगे कहां,,,वह दोनों पूरी तरह से गिर चुके थे और अभी भी बारिश जा रही थी हवा बहुत तेज चल रही थी जगह-जगह कमजोर पेड गिरकर ढेर हो चुके थे,,,, ठंडे पानी और तेज हवा के कारण ललिया के बदन में कपकपी हो रही थी और वह कांपते हुए बोली,,,।)

रघु तेरी बात ठीक है लेकिन रुकेंगे कहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है और सर छुपाने की जगह नहीं है,,,,

तूम चिंता मत करो चाची वो सामने खंडहर देख रही हो,,, हमें वही चलना पड़ेगा और जब तक बारिश और तूफान रुक नहीं जाता उसी खंडहर के अंदर रहकर बारिश और तूफान दोनों से अपना बचाव करना होगा,,,

खंडहर,,,, में,,, ना बाबा ना मैं खंडहर में नहीं जाऊंगी मुझे तो डर लगता है ऐसे खंडहर में भूत रहते हैं,,,(ललिया घबराते हुए बोली,,,।)

क्या पागलों जैसी बात कर रही हो चाची भूत ऊत कुछ नहीं होते,,,, सब बेकार की बातें हैं मैं रात रात भर ना जाने कैसी कैसी जगह पर रुका हूं सोया हूं मुझे तो कहीं भूत नजर नहीं आता,,,तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,

तू है तभी तो थोड़ा हिम्मत कर रही हूं वरना वही वेद के घर रुक गई होती,,,

वेद के घर तुम जानती हो वेद को वह कितना हरामी आदमी है रात भर रुकने का मतलब है कि,,,,(इतना कहकर रघु रुक गया,,)

क्या मतलब है रात भर रोकने का,,,

कुछ नहीं चाची जल्दी से चलो देख रही हो पानी भरता चला जा रहा है,,, ओर तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु ललिया का हाथ थाम कर जैसे ही आगे बढ़ा,,, ललिया फिर से गिरते-गिरते बची क्योंकि उसके घुटनों में चोट लग गई थी,,, वह ठीक से चल पाने में असमर्थ थीं,,,)

आहहहहहह,,,, रघु मैं नहीं चल पाऊंगी मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है,,,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि मेले में आते समय गोद में ले चलने का जिक्र हुआ था और भगवान की कृपा देखो की शाम ढलने के बाद ही उसकी ये इच्छा पूरी होने वाली थी,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ललिया को गोद में उठाने की उसकी इच्छा पहले से ही थी,,, अपनी तेज चलती सांसो को संभालते हुए रघु बोला,,)

देख ली ना चाची तुम्हारी इच्छा थी कि मैं तुम्हें गोद में उठा कर ले जाऊं,, और भगवान ने तुम्हारी बहुत ही जल्दी सुन ली,,,।

अरे मुझे क्या मालूम था भगवान इतनी जल्दी सुन लेंगे और इस सूरत में सुनेंगे,,,


कैसे भी हाल में सुनो तो सही,,,

ऐसा लग रहा है जैसे मुझे गोद में उठाने के लिए तू उतावला हो रहा था,,,

कुछ ऐसा ही समझ लो,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु लड़कियों को अपनी गोद में उठाने के लिए उसकेएक हाथ नितंबों के नीचे की तरफ ले जाकर दूसरी पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,।

संभाल कर रघु गिरा मत देना,,,।

मेरे हाथों में हो चाची गिरने नहीं दूंगा,,,।
( इतना कहने के साथ ही रघु ललिया को गोद में उठाए हुए लगभग घुटनों तक पानी में आराम से चलने लगा घुटनों तक पानी के साथ-साथ कीचड़ होने की वजह से रघु को चलने में दिक्कत आ रही थी लेकिन ललिया को अपनी गोद में उठाए हुए उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,, शरीर में बढ़ रही हूं तेज ना की वजह से उसमें काफी ताकत और हिम्मत महसूस हो रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी जिसकी वजह से ललिया को डर भी लग रहा था,,। तेज बारिश होने की वजह से पानी की बूंदे ललिया की आंखों में गिर रही थी जिसकी वजह से अपनी आंखों को बंद किए हुए थी,,, रघु ललिया की तरफ देख रहा था यूं तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन बिजली की चमक हो जाने की वजह से रह रहे कर ललिया का बदन उसे नजर आ जा रहा था,,,अपराध टीवी में अपने आप ही ले लिया के ब्लाउज का पहला बटन खुल चुका था जिसकी वजह से उसके दोनों खरबूजे आपस में एकदम सटे हुए थे और दोनों खरबूजा के बीज की पतली लकीर बेहद लुभावनी लग रही थी,, पूरा ब्लाउज पानी में भीगने की वजह से ललिया की निप्पल ब्लाउज के अंदर से भी बाहर झलक रही थी,, रघु को ललिया के निप्पल का नूकीलापन बेहद आकर्षक लग रहा था,,, रघु इच्छा हो रही थी कि ललिया की चूची को मुंह में भर कर जी भर कर पीए,,, उत्तेजना के मारे रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि पानी मैं चलने की वजह से उसका लंड आसमान की तरफ मुंह करके खड़ा था और अब धीरे-धीरे ललिया की चिकनी पीठ पर स्पर्श होने लगा था कुछ देर तक तो ललीया को समझ में नहीं आया कि उसकी पीठ पर रगड़ खा रही और चुभन दे रही चीज क्या है,,,लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी पीठ पर चुभ रही और रगड़ खा रही चीज कुछ और नहीं बल्कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड है तो इस बात के एहसास से ही पल भर में ही उसकी बुर ऊतेजना के मारे गरम रोटी की तरफ फूलने पिचकने लगी,,।
Bahut dhansu update
 
Top