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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

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Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 50 40.0%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 27 21.6%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 48 38.4%

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Ek number

Well-Known Member
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शाम को नैना जब घर पहुंची तो वहां तूफ़ान आया हुआ था। उसकी माँ लता उसे देखते ही बरस उठी - चुद आई अपने मामा से ?
नैना - क्या बकवास कर रही हो ? मैं क्लिनिक में थी।
लता - झूठ न बोलो। मैंने क्लिनिक फ़ोन किया था। वहां पता चला तुम मामा का हाल पूछने के लिए निकल गई हो। वहां अनुराग और वर्षा दोनों के फ़ोन पर इतने रिंग गए उन्होंने उठाया ही नहीं। ना ही तुम्हारा फ़ोन लग रहा था। लग गए होंगे तीनो चुदाई में। है न?
नैना समाजः गई अब झीठ बोलने से फायदा नहीं है। उसने कहा - मैं आपकी तरह नहीं डबल स्टैण्डर्ड वाली नहीं हूँ। खुद तो अपने भाई और भतीजी के संग रंगरेलियां मना रही है और मुझे लेक्चर दे रही हैं। बस करिये ये नाटक।
लता कुछ पल के लिए बोल नहीं पाई पर गुस्से में थी। फिर बोल पड़ी - मेरी बात अलग है। तेरे पापा को इसमें कोई ऑब्जेक्शन नहीं है। पर तू , तेरी तो अभी शादी होनी है। क्या मुँह लेकर शादी करेगी ?
नैना - शादी जिससे करनी होगी , उसे सब पता होगा। पर यौम मेरी शादी की चिंता क्यों करती हो ? तुमने कभी मुझे समझने की कोशिश की ? मेरे अंदर झाँक कर मेरी इच्छा जानी? आज शादी की बात कर रही हो ? कभी सोचा मैंने आज तक शादी क्यों नहीं की है ?
लता - क्या जानू मैं ?
नैना - यही तो समस्या है आपकी। आपको तो ये भी नहीं पता। और हाँ पापा को बीच में मत लाया कीजिये। रोज रात में रोले प्ले करते करते आप दोनों किसकी किसको अपने बस्तर पर ले आते हो पता भी है ? कितनी बार आप मेरे रूप लेकर चुदी हो ? उन्हें क्यों ऐतराज होगा आपके और मां के सम्बन्ध से।, वो तो मां के साथ मिलकर आपको चोदना चाहते हैं।
लता ने अब ख़ामोशी रखने में ही भलाई समझी। उसका गुस्सा तो शांत नहीं हुआ था। पर नैना के बताये सच से वो खुद सोचने पर मजबूर हो गई थी।
नैना गुस्से में अपने कमरे में चली गई। उस रात उसने खाना नहीं खाया। लता ने उसे बुलाया भी नहीं। रात शेखर ने भी उससे बात करने की कोशिश की लता खामोश रही। अगले दिन नैना सुबह सुबह उठ कर क्लिनिक चली गई। लता सिर्फ नैना से ही गुस्सा नहीं थी बल्कि वर्षा और अनुराग से भी गुस्सा थी। वो दो तीन दिन तो उनके यहाँ गई ही नहीं। वर्षा और अनुराग ने एक आध बार पूछने की कोशिश भी की तो उसने तबियत का बहाना बना दिया। उन दोनों को कुछ नहीं पता था। सिर्फ इतना ही नहीं था , उस वजह से शेखर और लता के संबंधों में भी खटास पड़ गई थी।
शेखर ने आखिरकार उससे एक दिन जिद पकड़ ली। उसने कहा - तुम दोनों माँ बेटी के बीच क्या चल रहा है ? इधर तुम अनुराग के पास भी नहीं जा रही हो ? वो आज तुम्हारी तबियत का पूछ रहा थ। मुझे कुछ पता ही नहीं , पर मैंने बहाना बना दिया। सच बताओ क्या बात है ?
शेखर की बात सुनकर अंदर ही अंदर घुटी जा रही लता से आखिरकार नहीं रहा गया। वो रोने लगी और उसने रोते रोते ये कह दिया - नैना ने अनुराग से सम्भन्ध बना लिया है। और इतना ही नहीं वर्षा भी उसमे शामिल है।
शेखर थोड़ा शॉक में था , पर उसे यकीन नहीं हुआ। उसने कहा - तुम नैना को नहीं जानती हो ? नैना अनुराग से बहुत प्यार करती है। बिना शादी किये उसके साथ सम्बन्ध नहीं बनाएगी ?
अब चौंकाने की बारी लता की थी। उसने कहा - ये क्या बकवास है ? नैना और अनुराग की शादी ?
शेखर - देखो , चौंको मत। ये मेरे गैस है की नैना अनुराग को बचपन से प्यार करती है। सिर्फ अनुराग को ही नहीं वो बचपन से सुलेखा की भी दीवानी है। भूल गई वो वहां रोज घंटों समय बिताती थी। अक्सर रात तो वो वहीँ रहती थी।
लता - तो ? इसमें क्या हुआ ?
शेखर - देखो कई बार मैंने उसके वहां रहने पर उसकी हरकतों और बॉडी लैंग्वेज पर गौर किया ? वो वहां सुलेखा और अनुराग के ज्यादा नजदीक थी। उनके बच्चों से भी ज्यादा। पर मुझे इतना विश्वास है की अनुराग ने कभी उस पर बुरी नजर नहीं डाली। पर नैना धीरे धीरे अनुराग से बहुत प्यार करने लगी थी।
लता - मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।
शेखर - याद करो , सुलेखा की वजह से ही उसने मेडिकल की पढाई भी की।
लता - भाभी को बिमारी भी थी ?
शेखर - हाँ। उसे कैंसर था। ये बात सिर्फ तीन लोग जानते थे। सुलेखा, अनुराग और नैना। मुझे तो नैना के मेडिकल के कन्सेलिंग के टाइम मालूम पड़ा जब एडमिशन के टाइम काउंसलर ने पुछा डॉक्टर क्यों बनना चाहती हो ? तो उसने मुँह से निकल गया बुआ की बिमारी ठीक करने के लिए। मुझे देख फिर वो रोने लगी थी। उस दिन मुझे उसने साड़ी बात बता दी। उसने सुलेखा और अनुराग के प्रति अपने प्यार का इजहार भी किया।
लता ये सब सुन कर रोने लगी। बोली - मुझे क्यों नहीं बताया ?
शेखर - बाद में मैंने जब अनुराग और सुलेखा से पुछा तो उन्होंने मुझे ये बात किसी को भी बताने से इंकार कर दिया। वो नहीं चाहते थे की तुम या बच्चों के ऊपर इस बात का फर्क पड़े। वो दोनों चाहते थे की बच्चे पढ़कर आगे निकल जाएँ और उनकी वजह से परेशान नहीं रहे। सुलेखा ने मुझे तभी नैना के बारे में भी बता दिया था। और ये भी कहा था की अनुराग ने उसके साथ कुछ भी नहीं किया है।
लता ने रोते हुए शेखर को गले लगा लिया कहा - तुमने ये सब क्यों छुपाया ? तुम मुझसे प्यार नहीं करते हो क्या ?
शेखर - करता हूँ तभी तो नहीं बताया। मुझे पता था की तुम होने इकलौते भाई और भाभी से बहुत प्यार करती हो। उनकी बिमारी से तुम टूट जाती।

लता ये सब सुन रोये जा रही थी। उसे अपने ऊपर अफ़सोस हो रहा था। वो ये सोच कर रिये जा रही थी की अकेले उसके भाई, भाभी और नैना ने कितना कष्ट उठाया है। वो नैना के बारे में सोच कर फुट फुट कर रोने लगी। वो यही सोच रही थी की नैना ने कितना कष्ट सहा है।
पर इतना सब होने पर भी वो नैना और अनुराग के समबन्ध को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। उसका मन अब भी तैयार नहीं था। उसे यकीन नही हो रहा था की नैना अनुराग से इतना प्यार करती है।

उसने शेखर से कहा - मुझे नैना और अनुराग के बीच के रिश्ते को सोच अच्छा नहीं लग रहा। मैं समझ नहीं पा रही हूँ नैना ऐसा क्यों कर रही है ?
शेखर - तुम्हे किसी भी निर्णय पर पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है। पर नैना और अनुराग से नाराजगी ठीक नहीं है। जरा नैना को समझो। नैना तुम्हारे मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं करेगी। थोड़ी बहुत अठखेलियां करने दो। उसकी ख़ुशी का भी तो हमें सोचना है। बाकी हमें नहीं पता अनुराग के मन में क्या है।
लता - सही कह रहे हो। मैंने अभीतक अपनी बेटी को जाना ही नहीं है। कितनी अकेली है मेरी बेटी। उसे जरूर कोई अच्छा लड़का मिल जायेगा। वो अनुराग को भूल जाएगी। अभी तक मैं निश्चिन्त थी , पर अब उसके लिए लड़का ढूंढूंगी।
शेखर - जो भी करना उसके मर्जी से करना। हमारी अकेली लड़की है। उसका दिल पहले से दुखी है। मैं उसे और दुखी नहीं देख सकता।
लता ने शेखर की तरफ देखा और धीरे से कहा - तभी मुझे नैना बनाकर चोद लेते हो।
शेखर ये सुनकर थोड़ा शर्मा गया। उसने नजरें नीची कर लीं। बोला - वो तो मस्ती में तुम्हे माँ बनाकर भी चोदा है। मजा बढ़ जाता है।
लता ने उसे किस कर लिया और कहा पर आज मैं लता बनकर तुमसे चुदुँगी। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। इतना अच्छा पति कहा मिलेगा ?
शेखर ने उसे चूमते हुए कहा - और भाई को कितना प्यार करती हो ? ऐसा भाई कही मिलेगा ?
लता - तुम भी न , शेखर को हमारे बीच में क्यों ले आते हो ?
शेखर - सच बोलूं तो मुझे उसके साथ मिलकर तुम्हे चोदना है। सोचो कितना मजा आएगा , जब हम दोनों के बीच में तुम सैंडविच बानी होगी।
ये सुन लता के शरीर में सिहरन सी आ गई। शेखर ने उस रात लता को खूब चोदा और उसे अनुराग के साथ थ्रीसम के लिए मनाने की कोशिश में लगा रहा।
Shandaar update
 
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tharkiman

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नैना ने इस बीच वर्षा को सारी बात बता दी थी और कहा था कि बिना अनुराग को बताये वो कुछ दिन तक वो उसका जिक्र लता के सामने न करे और खुद भी सावधान रहे। उसने रूबी को भी फ़ोन किया था। नैना की बात सुनने के बाद उसने नैना से कहा कि वो वर्षा , लता और अपने पापा के संबंधों के बारे में सब जानती है ये बात नैना भी किसी से न कहे। उसने कहा कि समय के साथ जैसा होगा देखा जायेगा।
नैना अपने किस्मत से दुखी थी। उसे ऐसे वक़्त में सुलेखा कि बहुत याद आ रही थी। नैना बचपन से लेकर सुलेखा के रहने तक हमेशा अपने दिल कि बात सुलेखा से कि थी। सुलेखा उसकी खुशियां , दुःख और परेशानियां समझती थी। नैना जब भी किसी बात से परेशान होती , सुलेखा के बाँहों में आकर सब भूल जाती। सुलेखा उसके लिए माँ से बढ़कर थी तो उसकी प्रेमिका भी। अजीब सा सम्बन्ध था दोनों के बीच। दोनों एक दुसरे के चेहरे को पढ़कर ही अंदर के भाव पढ़ लेते थे। सुलेखा के अंदर कोई तो ऐसा गुण था जिसक वजह से वो सिर्फ नैना कि ही नहीं बल्कि सबके मनोभाव को पढ़ लेती थी। वो किसी न किसी तरह से अपने आस पास वालों के अंदर के दुःख को कम कर ही देती थी। माहौल को हल्का रखना , खुशनुमा रखना वो सबसे बेहतर तरीके से जानती थी। धीरे धीरे यही गुण नैना में भी आ गए। पर सुलेखा के जाने के आड़ वो अकेली पद गई थी। अनुराग ने उसके प्रेम को कभी खुलकर स्वीकार नहीं किया था। अब जब वो स्वीकार कर इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के ओर चले तो लता एक दिवार बन गई।
उस रात कि बाद लता ने नैना के शादी के लिए लड़के ढूंढने शुरू कर दिए। उसने धीरे धीरे नैना के साथ रिश्ते भी सामान्य करने कि कोशिश की। उसने कई बार नैना को समझाया भी की अनुराग के साथ रिश्ता गलत है। नैना भी उससे लड़ती नहीं थी , बस सुन कर टाल जाती थी।
लता को समझ आने लगा था कि नैना को समझाना मुश्किल है। और जब उसने शादी के लिए नैना को फ़ोर्स किया तो नैना ने शुरू में इग्नोर किया पर बाद में इस उसे मन कर दिया कि शादी के लिए फ़ोर्स न करे।
एक दिन नैना, लता और शेखर खाने पर बैठे थे तभी लता ने फिर से शादी कि चर्चा छेड़ दी।
लता - अब आप ही इसे समझाओ , उम्र होती जा रही है शादी कर ले।
शेखर - देखो, मैं तुमसे पहले भी कह चूका हूँ, इसके मर्जी के खिलाफ मैं नहीं जाऊंगा। इसे डिसाइड करने दो कि इसे शादी करनी है या नहीं।
लता - तुमने ही इसे बिगाड़ रखा है। जिद पर अड़ी है और तूम इसका साथ देकर इसकी जिद और बढ़ा रहे हो
अब नैना से बर्दास्त नहीं हुआ।
वो बोल पड़ी - आपको मैं बिगड़ी हुई दिखती हूँ ? मेरे साथ कि लड़कियां जिन्होंने शादी कर ली है ,उनमे से मुश्किल से आधे शादी से खुश हैं ? कुछ तो जिंदगी बिता रहे हैं क्योंकि शादी कर ली है , और कुछ डाइवोर्स के प्रोसेस में हैं। आपके जिद से शादी कर लू तो आपको लगता है मैं खुश रहूंगी ? ओह्ह , सॉरी पर आपको मेरी ख़ुशी का अंदाजा ही कहाँ है ? आपको बचपन से लेकर आज तक कभी मेरी ख़ुशी कि फिक्र भी रही है ?
लता - ऐसे कैसे बोल रही है ? मैंने तुम्हारे लिए क्या क्या नहीं किया ? अब तुम बताओगी नहीं तो मुझे कैसे मालूम पड़ेगा कि तुम दुखी हो या खुश ?
नैना - एक मामी थी , मन पढ़ लेती थी। और एक आप हो जिसे बताने पर भी मेरी ख़ुशी और दुःख का कारण नहीं मालूम पड़ता।
लता - उसी सुलेखा का किया धरा है सब। पता नहीं क्या जादू कर दिया था उसने। खुद तो गई पर मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी।
नैना खाना छोड़ उठ कड़ी हुई। उसने कहा - अब बहुत हुआ। मैं मामी के बारे में एक शब्द नहीं सुनूंगी। पहले उनके रहने की वजह से जिन्दा हूँ और अब उनकी यादों के सहारे। अब एक भी शब्द बोला तो मुझे इस घर में नहीं पाओगी।
कहकर नैना रोते हुए अपने कमरे में चली गई। पूरा माहौल बिगड़ चूका था। शेखर ने भी खाना छोड़ दिया। लता भी वहीँ बैठे बैठे रोने लगी। उसे खुद पर गुस्सा आने लगा। आज पता नहीं किस झोंक में थी सुलेखा के बारे में गलत बोल दिया। सुलेखा और अनुराग को वो खुद भी बहुत मानती थी। पता नहीं उसे क्या हो गया था। पर आज नैना का रोना उसे चोट पहुंचा गया। नैना ने सही हो तो कहा कि लता ने कब उसे समझने कि कोशिश की।

लता वहीँ टेबल पर सर रख कर बैठे बैठे रोने लगी। जब शेखर ने देखा लता कमरे में नहीं आ रही तो वो उठकर वापस लता के पास गया। उसने लता से कहा - अभी उस दिन तो हमारी बात हुई थी। तुमने कहा था कि तुम नैना को समझने की कोशिश करोगी। पर ये कैसी जिद पकड़ कर बैठी हो ? और आज ये सुलेखा के बारे में क्या बोल गई ? तुम्हे बताया तो था नैना उससे कितना प्यार करती है। आज वो जो भी है उसमे हमारे तुम्हारे से ज्यादा सुलेखा और अनुराग का योगदान है।
लता - मैं क्या करूँ, मुझे नैना और अनुराग का सम्बन्ध अच्छा नहीं लग रहा।
शेखर - क्या अच्छा नहीं लग रहा ? क्या तुमने कभी अपने और अनुराग के बीच चल रहे खेल के बारे में सोचा है ? क्या वो सही है ?
शेखर ने खुल कर कभी ये एक्सेप्ट नहीं किया था कि उसे सब पता है। पर आज उसे बोलना ही पड़ गया।
लता शेखर का चेहरा देखने लगी।
शेखर - ऐसे मत देखो। मुझे सब पता है। मुझे ये अंदाजा है कि अनुराग न सिर्फ तुम्हारे साथ बल्कि वर्षा के साथ भी सम्बन्ध बना चुका है। और मुझे इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है।
लता अब भी चुप रही। उसकी चुप्पी में एक तरह कि स्वीकारोक्ति थी।
शेखर - जब तुम अनुराग को प्यार कर सकती हो , उसके साथ सम्बन्ध बना सकती हो जबकि तुम मुझसे खुश हो , तो नैना के लिए क्या दिक्कत है ? वो तो बिलकुल अकेली है।
लता - मेरा और अनुराग का जो भी है ,वो गलत ही है। पर हम सब खुश हैं तो इस लिए मैं बड़ी बात नहीं मानती। पर नैना तो शादी के करना चाहती है। वो उसके साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहती है।
शेखर - इसमें गलत क्या है ? दक्षिण भारत में और कई सम्प्रदायों में मामा भांजी की तो शादी भी होती है। उनके बीच कौन सा खून का रिश्ता है ? और जब अनुराग अपने खून के रिश्ते में सम्बन्ध बना चूका है जिसमे तुम्हे कोई आपत्ति नहीं तो फिर यहाँ क्यों ?
लता - उम्र का अंतर देखा है ? उसकी बेटी के अरबार की है। आज अनुराग हम सबको खुश रख लेगा पर बाद में ?
शेखर मुश्कुराते हुए बोला - शरीर की भूख हर वक़्त नहीं होती है। अगर मन से प्रेम नहीं हो तो सेक्स में भी मजा नहीं आता है। अब मुझे ही देख लो सिवाय तुम्हारे आजतक किसी के पास नहीं गया। तुमसे ही प्यार करता हूँ और तुमसे ही सेक्स भी।
लता फिर से रोने लगी। बोली - इस हिसाब से मैंने तो तुम्हे धोखा ही दिया है।
शेखर - मैं इसे धोखा नहीं मानता। तुम अनुराग से सेक्स के लिए राजी हुई क्योंकि तुम उसे उतना ही प्यार करती हो जितना मुझे। तुमने हवस में बहकर उसके साथ सम्बन्ध नहीं बनाई बल्कि उसकी खुशियों के लिए बनाई। और शेखर को मैं भी बहुत मानता हूँ। मेरे छोटे भाई और दोस्त जैसा है।
लता ने उसके कंधे पर सर रख दिया और कहा - तुम इतने अच्छे क्यों हो ?
शेखर - मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
लता - पर मैं तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ नहीं कर पा रही। न ही नैना के लिए।
शेखर - फिलहाल तुम मुझे तो खुश कर ही सकती हो।
लता ने उसके कंधे से सर उठा लिया और कंधे पर हाथ से मारते हुए बोली - तुम्हे हर वक़्त यही सूझता है क्या ?
शेखर - तुम पास होती हो तो।
शेखर ने उसे किस कर लिया। लता भी बेबस हो गई। उसने उसका साथ देना शुरू कर दिया। शेखर ने उसे खड़ा किया और उसके सारे कपडे उतार दिए। अब लता पूरी तरह से नंगी थी। शेखर ने वापस उसे अपने गोद में बिठा लिया और उसके शरीर से खेलने लगा। उसका लंड लता के चूत के मुहाने पर था। लता ने कमर हिलाते हुए अपने चूत को उसके लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया।
लता - उफ़ , तुम भी पगा कर देते हो। अब खुश हो न ?
शेखर - हाँ। पर मेरी ख़ुशी और बढ़ जाएगी जब पीछे से अनुराग तुम्हारी गांड मार रहा होगा।
अनुराग का नाम सुन लता सिहर गई। उसने शेखर के लंड को अपने चूत में ले लिया और कमर हिलाकर उससे चुदने लगी।
लता - आह इस्सस। क्यों हमारे बीच उसको ले आते हो। तुम्हारा लंड हैं न मेरी चूत में। और क्या चाहिए ?
अनुराग - मुझे पता है तुम भी यही चाहती हो। सोचो परिवार का प्रेम कितना बढ़ जायेगा। तुम हम दोनों के बीच सैंडविच बनकर चुदोगी। मुझे तुम्हारी गांड भी मिल जाएगी।
लता - अगर गांड ही मारनी है तो मार लेना कभी पर इस तरह उसके साथ ?
शेखर - चलो गांड देने के लिए राजी तो हुई। पर मैं तुम्हे अनुराग के साथ मिलकर छोड़ना चाहता हूँ। अंदर की हवस पूरी तरह से बाहर लाना चाहता हूँ।
लता - आह आह आह। अभी तो प्यार की बात कर रहे थे। अब हवस।
शेखर ने उसके गांड पर हाथ लगाते हुए बोला - आह क्या मस्त गांड है तुम्हारी। इसी ने तो हवसी बना दिया है। तुम्हारी मटकती गांड देखता हूँ तो मन करता है लंड डाल दूँ।

लता को अनुराग के साथ किचन में किये पहले सेक्स की याद आ गई। ये सोचते ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो शेखर से लिपट पड़ी।
शेखर के लंड ने पानी नहीं छोड़ा था। उसने लता को उल्टा किया और वापस अपने लंड को उसके चूत में डाल दिया। अब लता की पीठ शेखर के तरफ थी। शेखर लता के मुम्मे दबाते हुए उसे चोदने लगा।
शेखर - काश इस समय मेरा लंड तुम्हारे गांड में होता ?
लता - मिल जाएगी। मेरी गांड भी मिल जाएगी मेरे प्यारे बालम। अभी तो बस चूत चोद लो।
शेखर - तुमने खुश कर दिया मेरी जान। बस एक बार अनुराग और मेरे साथ मिलकर चुदाई का खेल खेल लो बस। जिंदगी बन जाएगी।
लता - उफ़ तुम नहीं मानोगे। कर लेना अपनी मर्जी। पर समय दो। सोचने दो।
शेखा - मेरे पास समय ही समय है। सोच लो। उफ़ आह आह। मेरा होने वाला है।
लता - ग्रुप सेक्स सोचते ही आने को हो गए।
उन दोनों का प्रेम अपने चरम पर ही था की तभी नैना पानी पीने के लिए कमरे से निकली।
उसने उन दोनों को सेक्स करते देखा तो बोली - दुसरे को दुखी करके खुद चुद रही हो। बड़ी अजीब हो तुम।
नैना को देखकर दोनों हड़बड़ा गए थे। उसकी बात लता को और चुभ गई।
लता उठ खड़ी हुई और उसके पास जाकर बोली - मुझे माफ़ कर दे। मैं स्वार्थी हो गई थी । मेरा मन मान ही नहीं रहा।
नैना - हाँ , मेरे लिए क्यों मानेगा। खुद तो ग्रुप सेक्स के लिए भी तैयार हो।

लता ने नजरे नीची कर लीं। वो एकदम से दुखी होकर वापस जाने लगी। तभी नैना को एहसास हुआ की वो खुद भी तो अपनी माँ को दुखी कर रही है। उसने लता की बाहँ पकड़ ली और कहा - सॉरी। आप बस खुश रहो। मुझे आपकी ख़ुशी से कोई दिक्कत नहीं है।
लता ने पलट कर नैना को गले से लगा लिया। लता के गले लगते ही नैना पिघल गई। लता बिना कपडे के ही थी और नैना ने भी बस एक मिनी स्लीवलेस नाइटी पहनी थी जिसके अंदर कुछ भी नहीं था। उसने अपनी माँ के बदन का एहसास होते ही कुछ कुछ होने लगा। उसके निप्पल टाइट हो गए और चूत सिसकने लगी। उसने भी अपनी माँ को बाँहों में जकड लिया और बोली - माँआआ।
नैना की आवाज सुनते ही लता शेखर से बोली - तुम अपने कमरे में जाओ। आज मुझे अपनी बेटी मिली है। उसके साथ थोड़ा समय दूंगी।
शेखर ने अपनी लुंगी बाँधी और मुस्कुराता हुआ उन दोनों के पास आया। उसने नैना के माथे को चूम कर कहा - तेरी माँ तुझे बहुत प्यार करती है।
नैना - हाँ पापा मुझे पता है। तभी तो मैं इनसे नाराज नहीं हो पाती। आज जो भी स्थिति है शायद उसमे मेरी भी गलती है।
शेखर वापस जाते हुए बोला - आज सारे गीले शिकवे दूर कर लेना।
पर लौटते हुए उसने लता ने नंगे चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए कहा - मुझे ये जल्दी ही चाहिए।
लता - अब तो अनु के साथ ही मिलेगा।

शेखर अपने लंड को हिलाते अपने कमरे में चला गया। उसके जाते ही लता ने नैना के होठों पर अपने होठ लगा दिए। नैना के होठ अनछुए नहीं थी। उन होठों ने सुलेखा के अलावा अपनी बहनो और प्यारी दोस्त तृप्ति को भी तृप्त किया था , पर माँ माँ होती है। वो पानी पीना भूल गई थी। पर आज उसे अपनी माँ के चूत का पानी मिलना था। शायद कुछ और भी। उसके अंदर का प्रेम और की हवस फिर से बाहर आने को तैयार था। जो खेल वो सुलेखा के साथ खुल कर खेलती थी, अब वो पुरे परिवार के साथ खेल सकती थी। वो सुलेखा के अंदाज की गुलाम थी। पर जो अंदाज उसने सुलेखा से सीखा था उसी से वो सबको गुलाम बनाने वाली थी।
नैना ने किस करने के बाद लता को पलट दिया और उसके गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोली - तो अब ये कुँवारी गांड फटने को तैयार है।
लता उसके अंदाज से चौंक गई पर उसे मजा आ रहा था।
लता - हाँ , फड़वाउंगी। तेरे बाप से भी और तेरे खसम से भी।
नैना - मेरा खसम तो तेरी चूत और गांड दोनों कबाड़ा कर देगा। गांड फाड़ कर गेट बना देगा।
लता - उससे पहले मैं अपने भाई से तेरी गांड मरवाउंगी।
नैना - तेरा भाई , पुरे परिवार का मालिक है और मैं उसकी मालकिन। उस हिसाब से तुम सब मेरे हिसाब से चलोगे।
लता - जो हुकुम मालकिन।
नैना - फिर चलो मेरी चूत चाटो।
नैना वहीँ कुर्सी खींच कर बैठ गई। लता उसके पैरों के पास। नैना ने अपनी नाइटी कमर से ऊपर कर ली और टांगे फैला दी। लता अब उसके चूत को चाटने लगी नैना ने लता के सर पर हाथ रख कर उसे बालों से पकड़ लिया।
नैना - आह क्या मस्त चाटती हो माँ। मजा आ रहा है। आह आह चाट जाओ मेरी चूत। तुम दोनों की चुदाई देख कर ये पगला गई थी। आह आह।
लता - तो तू पहले से देख रही थी।
नैना ने लता के गाल पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा और कहा - आप कहो। मालकिन हूँ तो देखूंगी ही। चाटना जारी रखो।
लता बोली - ठीक है मालकिन।
लता ने सुएक चूत पर जीभ फेरना शुरू कर दिया। वो अपनी जीभ उसके चूत पर ऊपर नीचे कर रही थी और नैना की चूत उसकी इस हरकत से बहे जा रही थी।
नैना - जीभ अंदर डालो ना। चोदो मुझे। खा जाओ मेरी चूत को। तुम्हे और वर्षा को मामी से सब कला सीख लेनी चाहिए थी। अब मुझे ही सिखाना पड़ेगा।
लता - वर्षा से कब चुदी ?
नैना - उस दिन वषा ने ही तो खुश किया था। तुम सोच रही थी मामा ने किया।
लता - तो बता देती। ये सब लड़ाई होती ही नहीं।
नैना - आह आह। आधा सच था। मामा के सामने वर्षा ने प्यार किया था। उस दिन वर्षा को गाय बना कर दुहवाया था और चूत चटवाई थी। पर उसे भी ठीक से नहीं आता।
लता - सुलेखा एक्सपर्ट थी ?
नैना - आह। इस्सस , बात बंद करो जीभ से चोदो। मैं तुम सबको एक्सपर्ट बना दूंगी।
लता ने अपनी जीभ को पतला किया और उसके चूत में अंदर बाहर करने लगी।
नैना - आह आह। हाँ ऐसे ही। फ़क मी , फ़क मी फ़ास्ट। लीक माय पुसी।
लता ने उसे छेड़ते हुए कहा - हिंदी में बोलो न मालकिन।
नैना ने उसके गाल पर एक थप्पड़ और लगाया और कहा - चूत चाट मेरी। चोद अपने जीभ से। रंडी है तू। हाथ लगा। मेरे लौड़े को सहला।
लता ने चूत चाटने और चोदने के साथ उसके क्लीट पर काम शुरू कर दिया। उसने एक हाथ के अंगूठे से उसके क्लीट को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया।
नैना अब सातवें आसमान पर थी। उसे सुलेखा वाली खुशी तो नहीं मिल रही थी पर यही काफी था इस समय।
नैना - आह आह। इस्सस और तेज जल्दी जल्दी। उफ्फ्फ्फ़ एक्सपर्ट हो जाएगी जल्दी ही। चल मेरे लौड़े को चूस। खा जा उसे भी।
लता ने अपनी एक ऊँगली उसके चूत में डाल दी और अपने होठो को उसके क्लीट पर लगा दिया। वो कुतिया की तरह उसके क्लीट को चाट रही थी।
नैना कई बार झाड़ चुकी थी। पर अबकी उसके आनंद की सीमा पार होने वाली थी।
नैना - खा जाओ उसे। चूस लो। आह आह।
लता ने उसके क्लीट को चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही पल बाद नैना का शरीर कांपने लगा। उसने लता के बालों को जोर से खींच कर अपने पैरों के बीच में उसका सर फंसा दिया। वो बुरी तरह से स्खलित हो रही थी। आनंद के अतिरेक में पहुँच गई थी। कुछ देर बाद जैसे ही उसके शरीर कांपना बंद किया उसने अपने जांघो के जकड़न से अपनी माँ को मुक्त किया और आई लव यू बोलते हुए निचे उसके बगल में बैठ कर उसे चूमने लगी। उसने लता के होठों और जीभ पर लगे अपने पानी को चाटना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो बोली - मुझे माफ़ कर दो माँ। मैंने तुम्हे आज मारा।
लता ने उसका सर अपने कंधे पर रख लिया और उसके बालों को सहलाते हुए बोली - मुझे पता नहीं था तू इतनी वाइल्ड सेक्स करती है। क्या सुलेखा के साथ भी ऐसा करती थी ?
नैना - कभी कभी। वाइल्डनेस तो आपके और पापा के वजह से है।
दोनों हंसने लगी। लता - तुझे पानी पीना था न।
नैना - फिर पिलाओ न अपना पानी।
सुलेखा - पीयेगी।
नैना बच्ची बनकर बोली - हाँ , मैं बहुत प्यासी हूँ।
सुलेखा उठ खड़ी हुई। वो चेयर पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला कर बोली - पी ले। सब तेरा ही है।
नैना अब उसके पैरों के बीच आ गई। पहले तो उसने लता के जांघो पर रिसे पानी को चाटा फिर पैरों को अपने कंधे पर रख कर जाँघि के अंदर और पीछे के हिस्से को। लता सोचने लगी - सच में सुलेखा ने इसे एक्सपर्ट बना दिया है।
नैना कुछ देर तक उसके पैरों के ऊपरी हिस्से को चाटने के बाद उसके कमर को चाटने लगी। फिर उसके नाभि को। लता अब पागल हो रही थी। लता - चूत चाट न। वो तड़प रही है।
नैना - थोड़ा तड़पने दो। रो लेगी तो उसके आंसू पियूँगी।
लता - अगर आंसू की जगह उसने अपना नलका खोल दिया तो ?
नैना समझ गई लता क्या कह रही है। उसने कहा - फिर तो दिल खोल कर नलके का पानी पियूँगी। मामी के जाने के बाद से नलके का पानी पिया ही नहीं है। पर अभी सब्र करो। टैप टाइट से बंद करो।
लता - तू ही बंद कर दे अपने जीभ से।
नैना ने अपने जीभ को उसके चूत पर धर दिया। लता की चूत से उसके पानी के अलावा शेखर का वीर्य भी बाहर आ रहा था। मिश्रण का एहसास होते ही नैना एक सेकंड को पीछे हो गई।
लता समझ गई। बोली - कुछ तो बाप का भी हक़ बनता है।
नैना ने मन ही मन सोचा - कौन सा अपने पाब का लंड चूस रही है। उसने वापस मुँह लगा दिया और उसके चूत को चाटने लगी। लता पहले से चुद चुकी थी और नैना के चूत चाटते चाटते और भी बाह चुकी थी। अब नैना के माहिर होठो से चुदने से वो और भी पागल हो गई। कुछ ही देर में उसके चूत ने पहके चूत के रास का फवारा छोड़ा और फिर उसने कहा - टैप से पानी रुकेगा नहीं।
नैना - बहने दो माँ।
लता ने कहा - गन्दा है।
नैना - गंदे का ही तो मजा है।
लता ने ये सुनते ही वहीँ नैना के ऊपर मूतना शुरू कर दिया। नैना ने उसके खारे पानी को पीना शुरू कर दिया। कुछ घोंट अंदर और बाकी से नहाने लगी।
न दोनों का ये किंकी सेक्स शेखर छुप कर देख रहा था। उसे पता नहीं था की नैना इतनी किंकी और वाइल्ड सेक्स करने वाली होगी। पर उसने मन ही मन सोचा आखिर बेटी भी तो उसी की है।
लता ने जब मूतना शुरु किया तो नैना बोली - पापा आ जाओ। आप भी अपनी प्यास बुझा लो। नैना की आवाज सुनते ही शेखर दौड़ कार आ गया। लता ने उसके लिए खुद को रोक लिया था। शेखर के आते ही उसने शेखर के ऊपर मूतना शुरू कर दिया।
नैना उठ गई। उसने किचन से दो ठंढी बोतल उठाई। एक वहीँ टेबल पर रखा और दूसरा लेते हुए अपने कमरे में चली गई।
उसे जो चाहिए था अब जल्दी ही मिलने वाला था। वो जल्द ही सुलेखा की जगह लेने वाली थी। पर उससे पहले वो अनुराग को हर ख़ुशी देना चाहती थी। वो चाहती थी की अनुराग सबको अपना गुलाम बना ले। और चूँकि वो अनुराग की रानी थी। तो सब उसके होते। ये उसके प्यार करने का तरीका था। जैसे सुलेखा सबको खुश रखना जानती थी। नैना भी सबको खुश रखना चाहती थी। पर वो सुलेखा से एक कदम आगे बढ़कर सबको प्यार देना चाहती थी। पर ये सब सिर्फ अनुराग के लिए था। उसका शरीर और मन सिर्फ अनुराग का था।
 

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नैना ने इस बीच वर्षा को सारी बात बता दी थी और कहा था कि बिना अनुराग को बताये वो कुछ दिन तक वो उसका जिक्र लता के सामने न करे और खुद भी सावधान रहे। उसने रूबी को भी फ़ोन किया था। नैना की बात सुनने के बाद उसने नैना से कहा कि वो वर्षा , लता और अपने पापा के संबंधों के बारे में सब जानती है ये बात नैना भी किसी से न कहे। उसने कहा कि समय के साथ जैसा होगा देखा जायेगा।
नैना अपने किस्मत से दुखी थी। उसे ऐसे वक़्त में सुलेखा कि बहुत याद आ रही थी। नैना बचपन से लेकर सुलेखा के रहने तक हमेशा अपने दिल कि बात सुलेखा से कि थी। सुलेखा उसकी खुशियां , दुःख और परेशानियां समझती थी। नैना जब भी किसी बात से परेशान होती , सुलेखा के बाँहों में आकर सब भूल जाती। सुलेखा उसके लिए माँ से बढ़कर थी तो उसकी प्रेमिका भी। अजीब सा सम्बन्ध था दोनों के बीच। दोनों एक दुसरे के चेहरे को पढ़कर ही अंदर के भाव पढ़ लेते थे। सुलेखा के अंदर कोई तो ऐसा गुण था जिसक वजह से वो सिर्फ नैना कि ही नहीं बल्कि सबके मनोभाव को पढ़ लेती थी। वो किसी न किसी तरह से अपने आस पास वालों के अंदर के दुःख को कम कर ही देती थी। माहौल को हल्का रखना , खुशनुमा रखना वो सबसे बेहतर तरीके से जानती थी। धीरे धीरे यही गुण नैना में भी आ गए। पर सुलेखा के जाने के आड़ वो अकेली पद गई थी। अनुराग ने उसके प्रेम को कभी खुलकर स्वीकार नहीं किया था। अब जब वो स्वीकार कर इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के ओर चले तो लता एक दिवार बन गई।
उस रात कि बाद लता ने नैना के शादी के लिए लड़के ढूंढने शुरू कर दिए। उसने धीरे धीरे नैना के साथ रिश्ते भी सामान्य करने कि कोशिश की। उसने कई बार नैना को समझाया भी की अनुराग के साथ रिश्ता गलत है। नैना भी उससे लड़ती नहीं थी , बस सुन कर टाल जाती थी।
लता को समझ आने लगा था कि नैना को समझाना मुश्किल है। और जब उसने शादी के लिए नैना को फ़ोर्स किया तो नैना ने शुरू में इग्नोर किया पर बाद में इस उसे मन कर दिया कि शादी के लिए फ़ोर्स न करे।
एक दिन नैना, लता और शेखर खाने पर बैठे थे तभी लता ने फिर से शादी कि चर्चा छेड़ दी।
लता - अब आप ही इसे समझाओ , उम्र होती जा रही है शादी कर ले।
शेखर - देखो, मैं तुमसे पहले भी कह चूका हूँ, इसके मर्जी के खिलाफ मैं नहीं जाऊंगा। इसे डिसाइड करने दो कि इसे शादी करनी है या नहीं।
लता - तुमने ही इसे बिगाड़ रखा है। जिद पर अड़ी है और तूम इसका साथ देकर इसकी जिद और बढ़ा रहे हो
अब नैना से बर्दास्त नहीं हुआ।
वो बोल पड़ी - आपको मैं बिगड़ी हुई दिखती हूँ ? मेरे साथ कि लड़कियां जिन्होंने शादी कर ली है ,उनमे से मुश्किल से आधे शादी से खुश हैं ? कुछ तो जिंदगी बिता रहे हैं क्योंकि शादी कर ली है , और कुछ डाइवोर्स के प्रोसेस में हैं। आपके जिद से शादी कर लू तो आपको लगता है मैं खुश रहूंगी ? ओह्ह , सॉरी पर आपको मेरी ख़ुशी का अंदाजा ही कहाँ है ? आपको बचपन से लेकर आज तक कभी मेरी ख़ुशी कि फिक्र भी रही है ?
लता - ऐसे कैसे बोल रही है ? मैंने तुम्हारे लिए क्या क्या नहीं किया ? अब तुम बताओगी नहीं तो मुझे कैसे मालूम पड़ेगा कि तुम दुखी हो या खुश ?
नैना - एक मामी थी , मन पढ़ लेती थी। और एक आप हो जिसे बताने पर भी मेरी ख़ुशी और दुःख का कारण नहीं मालूम पड़ता।
लता - उसी सुलेखा का किया धरा है सब। पता नहीं क्या जादू कर दिया था उसने। खुद तो गई पर मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी।
नैना खाना छोड़ उठ कड़ी हुई। उसने कहा - अब बहुत हुआ। मैं मामी के बारे में एक शब्द नहीं सुनूंगी। पहले उनके रहने की वजह से जिन्दा हूँ और अब उनकी यादों के सहारे। अब एक भी शब्द बोला तो मुझे इस घर में नहीं पाओगी।
कहकर नैना रोते हुए अपने कमरे में चली गई। पूरा माहौल बिगड़ चूका था। शेखर ने भी खाना छोड़ दिया। लता भी वहीँ बैठे बैठे रोने लगी। उसे खुद पर गुस्सा आने लगा। आज पता नहीं किस झोंक में थी सुलेखा के बारे में गलत बोल दिया। सुलेखा और अनुराग को वो खुद भी बहुत मानती थी। पता नहीं उसे क्या हो गया था। पर आज नैना का रोना उसे चोट पहुंचा गया। नैना ने सही हो तो कहा कि लता ने कब उसे समझने कि कोशिश की।

लता वहीँ टेबल पर सर रख कर बैठे बैठे रोने लगी। जब शेखर ने देखा लता कमरे में नहीं आ रही तो वो उठकर वापस लता के पास गया। उसने लता से कहा - अभी उस दिन तो हमारी बात हुई थी। तुमने कहा था कि तुम नैना को समझने की कोशिश करोगी। पर ये कैसी जिद पकड़ कर बैठी हो ? और आज ये सुलेखा के बारे में क्या बोल गई ? तुम्हे बताया तो था नैना उससे कितना प्यार करती है। आज वो जो भी है उसमे हमारे तुम्हारे से ज्यादा सुलेखा और अनुराग का योगदान है।
लता - मैं क्या करूँ, मुझे नैना और अनुराग का सम्बन्ध अच्छा नहीं लग रहा।
शेखर - क्या अच्छा नहीं लग रहा ? क्या तुमने कभी अपने और अनुराग के बीच चल रहे खेल के बारे में सोचा है ? क्या वो सही है ?
शेखर ने खुल कर कभी ये एक्सेप्ट नहीं किया था कि उसे सब पता है। पर आज उसे बोलना ही पड़ गया।
लता शेखर का चेहरा देखने लगी।
शेखर - ऐसे मत देखो। मुझे सब पता है। मुझे ये अंदाजा है कि अनुराग न सिर्फ तुम्हारे साथ बल्कि वर्षा के साथ भी सम्बन्ध बना चुका है। और मुझे इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है।
लता अब भी चुप रही। उसकी चुप्पी में एक तरह कि स्वीकारोक्ति थी।
शेखर - जब तुम अनुराग को प्यार कर सकती हो , उसके साथ सम्बन्ध बना सकती हो जबकि तुम मुझसे खुश हो , तो नैना के लिए क्या दिक्कत है ? वो तो बिलकुल अकेली है।
लता - मेरा और अनुराग का जो भी है ,वो गलत ही है। पर हम सब खुश हैं तो इस लिए मैं बड़ी बात नहीं मानती। पर नैना तो शादी के करना चाहती है। वो उसके साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहती है।
शेखर - इसमें गलत क्या है ? दक्षिण भारत में और कई सम्प्रदायों में मामा भांजी की तो शादी भी होती है। उनके बीच कौन सा खून का रिश्ता है ? और जब अनुराग अपने खून के रिश्ते में सम्बन्ध बना चूका है जिसमे तुम्हे कोई आपत्ति नहीं तो फिर यहाँ क्यों ?
लता - उम्र का अंतर देखा है ? उसकी बेटी के अरबार की है। आज अनुराग हम सबको खुश रख लेगा पर बाद में ?
शेखर मुश्कुराते हुए बोला - शरीर की भूख हर वक़्त नहीं होती है। अगर मन से प्रेम नहीं हो तो सेक्स में भी मजा नहीं आता है। अब मुझे ही देख लो सिवाय तुम्हारे आजतक किसी के पास नहीं गया। तुमसे ही प्यार करता हूँ और तुमसे ही सेक्स भी।
लता फिर से रोने लगी। बोली - इस हिसाब से मैंने तो तुम्हे धोखा ही दिया है।
शेखर - मैं इसे धोखा नहीं मानता। तुम अनुराग से सेक्स के लिए राजी हुई क्योंकि तुम उसे उतना ही प्यार करती हो जितना मुझे। तुमने हवस में बहकर उसके साथ सम्बन्ध नहीं बनाई बल्कि उसकी खुशियों के लिए बनाई। और शेखर को मैं भी बहुत मानता हूँ। मेरे छोटे भाई और दोस्त जैसा है।
लता ने उसके कंधे पर सर रख दिया और कहा - तुम इतने अच्छे क्यों हो ?
शेखर - मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
लता - पर मैं तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ नहीं कर पा रही। न ही नैना के लिए।
शेखर - फिलहाल तुम मुझे तो खुश कर ही सकती हो।
लता ने उसके कंधे से सर उठा लिया और कंधे पर हाथ से मारते हुए बोली - तुम्हे हर वक़्त यही सूझता है क्या ?
शेखर - तुम पास होती हो तो।
शेखर ने उसे किस कर लिया। लता भी बेबस हो गई। उसने उसका साथ देना शुरू कर दिया। शेखर ने उसे खड़ा किया और उसके सारे कपडे उतार दिए। अब लता पूरी तरह से नंगी थी। शेखर ने वापस उसे अपने गोद में बिठा लिया और उसके शरीर से खेलने लगा। उसका लंड लता के चूत के मुहाने पर था। लता ने कमर हिलाते हुए अपने चूत को उसके लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया।
लता - उफ़ , तुम भी पगा कर देते हो। अब खुश हो न ?
शेखर - हाँ। पर मेरी ख़ुशी और बढ़ जाएगी जब पीछे से अनुराग तुम्हारी गांड मार रहा होगा।
अनुराग का नाम सुन लता सिहर गई। उसने शेखर के लंड को अपने चूत में ले लिया और कमर हिलाकर उससे चुदने लगी।
लता - आह इस्सस। क्यों हमारे बीच उसको ले आते हो। तुम्हारा लंड हैं न मेरी चूत में। और क्या चाहिए ?
अनुराग - मुझे पता है तुम भी यही चाहती हो। सोचो परिवार का प्रेम कितना बढ़ जायेगा। तुम हम दोनों के बीच सैंडविच बनकर चुदोगी। मुझे तुम्हारी गांड भी मिल जाएगी।
लता - अगर गांड ही मारनी है तो मार लेना कभी पर इस तरह उसके साथ ?
शेखर - चलो गांड देने के लिए राजी तो हुई। पर मैं तुम्हे अनुराग के साथ मिलकर छोड़ना चाहता हूँ। अंदर की हवस पूरी तरह से बाहर लाना चाहता हूँ।
लता - आह आह आह। अभी तो प्यार की बात कर रहे थे। अब हवस।
शेखर ने उसके गांड पर हाथ लगाते हुए बोला - आह क्या मस्त गांड है तुम्हारी। इसी ने तो हवसी बना दिया है। तुम्हारी मटकती गांड देखता हूँ तो मन करता है लंड डाल दूँ।

लता को अनुराग के साथ किचन में किये पहले सेक्स की याद आ गई। ये सोचते ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो शेखर से लिपट पड़ी।
शेखर के लंड ने पानी नहीं छोड़ा था। उसने लता को उल्टा किया और वापस अपने लंड को उसके चूत में डाल दिया। अब लता की पीठ शेखर के तरफ थी। शेखर लता के मुम्मे दबाते हुए उसे चोदने लगा।
शेखर - काश इस समय मेरा लंड तुम्हारे गांड में होता ?
लता - मिल जाएगी। मेरी गांड भी मिल जाएगी मेरे प्यारे बालम। अभी तो बस चूत चोद लो।
शेखर - तुमने खुश कर दिया मेरी जान। बस एक बार अनुराग और मेरे साथ मिलकर चुदाई का खेल खेल लो बस। जिंदगी बन जाएगी।
लता - उफ़ तुम नहीं मानोगे। कर लेना अपनी मर्जी। पर समय दो। सोचने दो।
शेखा - मेरे पास समय ही समय है। सोच लो। उफ़ आह आह। मेरा होने वाला है।
लता - ग्रुप सेक्स सोचते ही आने को हो गए।
उन दोनों का प्रेम अपने चरम पर ही था की तभी नैना पानी पीने के लिए कमरे से निकली।
उसने उन दोनों को सेक्स करते देखा तो बोली - दुसरे को दुखी करके खुद चुद रही हो। बड़ी अजीब हो तुम।
नैना को देखकर दोनों हड़बड़ा गए थे। उसकी बात लता को और चुभ गई।
लता उठ खड़ी हुई और उसके पास जाकर बोली - मुझे माफ़ कर दे। मैं स्वार्थी हो गई थी । मेरा मन मान ही नहीं रहा।
नैना - हाँ , मेरे लिए क्यों मानेगा। खुद तो ग्रुप सेक्स के लिए भी तैयार हो।

लता ने नजरे नीची कर लीं। वो एकदम से दुखी होकर वापस जाने लगी। तभी नैना को एहसास हुआ की वो खुद भी तो अपनी माँ को दुखी कर रही है। उसने लता की बाहँ पकड़ ली और कहा - सॉरी। आप बस खुश रहो। मुझे आपकी ख़ुशी से कोई दिक्कत नहीं है।
लता ने पलट कर नैना को गले से लगा लिया। लता के गले लगते ही नैना पिघल गई। लता बिना कपडे के ही थी और नैना ने भी बस एक मिनी स्लीवलेस नाइटी पहनी थी जिसके अंदर कुछ भी नहीं था। उसने अपनी माँ के बदन का एहसास होते ही कुछ कुछ होने लगा। उसके निप्पल टाइट हो गए और चूत सिसकने लगी। उसने भी अपनी माँ को बाँहों में जकड लिया और बोली - माँआआ।
नैना की आवाज सुनते ही लता शेखर से बोली - तुम अपने कमरे में जाओ। आज मुझे अपनी बेटी मिली है। उसके साथ थोड़ा समय दूंगी।
शेखर ने अपनी लुंगी बाँधी और मुस्कुराता हुआ उन दोनों के पास आया। उसने नैना के माथे को चूम कर कहा - तेरी माँ तुझे बहुत प्यार करती है।
नैना - हाँ पापा मुझे पता है। तभी तो मैं इनसे नाराज नहीं हो पाती। आज जो भी स्थिति है शायद उसमे मेरी भी गलती है।
शेखर वापस जाते हुए बोला - आज सारे गीले शिकवे दूर कर लेना।
पर लौटते हुए उसने लता ने नंगे चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए कहा - मुझे ये जल्दी ही चाहिए।
लता - अब तो अनु के साथ ही मिलेगा।

शेखर अपने लंड को हिलाते अपने कमरे में चला गया। उसके जाते ही लता ने नैना के होठों पर अपने होठ लगा दिए। नैना के होठ अनछुए नहीं थी। उन होठों ने सुलेखा के अलावा अपनी बहनो और प्यारी दोस्त तृप्ति को भी तृप्त किया था , पर माँ माँ होती है। वो पानी पीना भूल गई थी। पर आज उसे अपनी माँ के चूत का पानी मिलना था। शायद कुछ और भी। उसके अंदर का प्रेम और की हवस फिर से बाहर आने को तैयार था। जो खेल वो सुलेखा के साथ खुल कर खेलती थी, अब वो पुरे परिवार के साथ खेल सकती थी। वो सुलेखा के अंदाज की गुलाम थी। पर जो अंदाज उसने सुलेखा से सीखा था उसी से वो सबको गुलाम बनाने वाली थी।
नैना ने किस करने के बाद लता को पलट दिया और उसके गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोली - तो अब ये कुँवारी गांड फटने को तैयार है।
लता उसके अंदाज से चौंक गई पर उसे मजा आ रहा था।
लता - हाँ , फड़वाउंगी। तेरे बाप से भी और तेरे खसम से भी।
नैना - मेरा खसम तो तेरी चूत और गांड दोनों कबाड़ा कर देगा। गांड फाड़ कर गेट बना देगा।
लता - उससे पहले मैं अपने भाई से तेरी गांड मरवाउंगी।
नैना - तेरा भाई , पुरे परिवार का मालिक है और मैं उसकी मालकिन। उस हिसाब से तुम सब मेरे हिसाब से चलोगे।
लता - जो हुकुम मालकिन।
नैना - फिर चलो मेरी चूत चाटो।
नैना वहीँ कुर्सी खींच कर बैठ गई। लता उसके पैरों के पास। नैना ने अपनी नाइटी कमर से ऊपर कर ली और टांगे फैला दी। लता अब उसके चूत को चाटने लगी नैना ने लता के सर पर हाथ रख कर उसे बालों से पकड़ लिया।
नैना - आह क्या मस्त चाटती हो माँ। मजा आ रहा है। आह आह चाट जाओ मेरी चूत। तुम दोनों की चुदाई देख कर ये पगला गई थी। आह आह।
लता - तो तू पहले से देख रही थी।
नैना ने लता के गाल पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा और कहा - आप कहो। मालकिन हूँ तो देखूंगी ही। चाटना जारी रखो।
लता बोली - ठीक है मालकिन।
लता ने सुएक चूत पर जीभ फेरना शुरू कर दिया। वो अपनी जीभ उसके चूत पर ऊपर नीचे कर रही थी और नैना की चूत उसकी इस हरकत से बहे जा रही थी।
नैना - जीभ अंदर डालो ना। चोदो मुझे। खा जाओ मेरी चूत को। तुम्हे और वर्षा को मामी से सब कला सीख लेनी चाहिए थी। अब मुझे ही सिखाना पड़ेगा।
लता - वर्षा से कब चुदी ?
नैना - उस दिन वषा ने ही तो खुश किया था। तुम सोच रही थी मामा ने किया।
लता - तो बता देती। ये सब लड़ाई होती ही नहीं।
नैना - आह आह। आधा सच था। मामा के सामने वर्षा ने प्यार किया था। उस दिन वर्षा को गाय बना कर दुहवाया था और चूत चटवाई थी। पर उसे भी ठीक से नहीं आता।
लता - सुलेखा एक्सपर्ट थी ?
नैना - आह। इस्सस , बात बंद करो जीभ से चोदो। मैं तुम सबको एक्सपर्ट बना दूंगी।
लता ने अपनी जीभ को पतला किया और उसके चूत में अंदर बाहर करने लगी।
नैना - आह आह। हाँ ऐसे ही। फ़क मी , फ़क मी फ़ास्ट। लीक माय पुसी।
लता ने उसे छेड़ते हुए कहा - हिंदी में बोलो न मालकिन।
नैना ने उसके गाल पर एक थप्पड़ और लगाया और कहा - चूत चाट मेरी। चोद अपने जीभ से। रंडी है तू। हाथ लगा। मेरे लौड़े को सहला।
लता ने चूत चाटने और चोदने के साथ उसके क्लीट पर काम शुरू कर दिया। उसने एक हाथ के अंगूठे से उसके क्लीट को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया।
नैना अब सातवें आसमान पर थी। उसे सुलेखा वाली खुशी तो नहीं मिल रही थी पर यही काफी था इस समय।
नैना - आह आह। इस्सस और तेज जल्दी जल्दी। उफ्फ्फ्फ़ एक्सपर्ट हो जाएगी जल्दी ही। चल मेरे लौड़े को चूस। खा जा उसे भी।
लता ने अपनी एक ऊँगली उसके चूत में डाल दी और अपने होठो को उसके क्लीट पर लगा दिया। वो कुतिया की तरह उसके क्लीट को चाट रही थी।
नैना कई बार झाड़ चुकी थी। पर अबकी उसके आनंद की सीमा पार होने वाली थी।
नैना - खा जाओ उसे। चूस लो। आह आह।
लता ने उसके क्लीट को चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही पल बाद नैना का शरीर कांपने लगा। उसने लता के बालों को जोर से खींच कर अपने पैरों के बीच में उसका सर फंसा दिया। वो बुरी तरह से स्खलित हो रही थी। आनंद के अतिरेक में पहुँच गई थी। कुछ देर बाद जैसे ही उसके शरीर कांपना बंद किया उसने अपने जांघो के जकड़न से अपनी माँ को मुक्त किया और आई लव यू बोलते हुए निचे उसके बगल में बैठ कर उसे चूमने लगी। उसने लता के होठों और जीभ पर लगे अपने पानी को चाटना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो बोली - मुझे माफ़ कर दो माँ। मैंने तुम्हे आज मारा।
लता ने उसका सर अपने कंधे पर रख लिया और उसके बालों को सहलाते हुए बोली - मुझे पता नहीं था तू इतनी वाइल्ड सेक्स करती है। क्या सुलेखा के साथ भी ऐसा करती थी ?
नैना - कभी कभी। वाइल्डनेस तो आपके और पापा के वजह से है।
दोनों हंसने लगी। लता - तुझे पानी पीना था न।
नैना - फिर पिलाओ न अपना पानी।
सुलेखा - पीयेगी।
नैना बच्ची बनकर बोली - हाँ , मैं बहुत प्यासी हूँ।
सुलेखा उठ खड़ी हुई। वो चेयर पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला कर बोली - पी ले। सब तेरा ही है।
नैना अब उसके पैरों के बीच आ गई। पहले तो उसने लता के जांघो पर रिसे पानी को चाटा फिर पैरों को अपने कंधे पर रख कर जाँघि के अंदर और पीछे के हिस्से को। लता सोचने लगी - सच में सुलेखा ने इसे एक्सपर्ट बना दिया है।
नैना कुछ देर तक उसके पैरों के ऊपरी हिस्से को चाटने के बाद उसके कमर को चाटने लगी। फिर उसके नाभि को। लता अब पागल हो रही थी। लता - चूत चाट न। वो तड़प रही है।
नैना - थोड़ा तड़पने दो। रो लेगी तो उसके आंसू पियूँगी।
लता - अगर आंसू की जगह उसने अपना नलका खोल दिया तो ?
नैना समझ गई लता क्या कह रही है। उसने कहा - फिर तो दिल खोल कर नलके का पानी पियूँगी। मामी के जाने के बाद से नलके का पानी पिया ही नहीं है। पर अभी सब्र करो। टैप टाइट से बंद करो।
लता - तू ही बंद कर दे अपने जीभ से।
नैना ने अपने जीभ को उसके चूत पर धर दिया। लता की चूत से उसके पानी के अलावा शेखर का वीर्य भी बाहर आ रहा था। मिश्रण का एहसास होते ही नैना एक सेकंड को पीछे हो गई।
लता समझ गई। बोली - कुछ तो बाप का भी हक़ बनता है।
नैना ने मन ही मन सोचा - कौन सा अपने पाब का लंड चूस रही है। उसने वापस मुँह लगा दिया और उसके चूत को चाटने लगी। लता पहले से चुद चुकी थी और नैना के चूत चाटते चाटते और भी बाह चुकी थी। अब नैना के माहिर होठो से चुदने से वो और भी पागल हो गई। कुछ ही देर में उसके चूत ने पहके चूत के रास का फवारा छोड़ा और फिर उसने कहा - टैप से पानी रुकेगा नहीं।
नैना - बहने दो माँ।
लता ने कहा - गन्दा है।
नैना - गंदे का ही तो मजा है।
लता ने ये सुनते ही वहीँ नैना के ऊपर मूतना शुरू कर दिया। नैना ने उसके खारे पानी को पीना शुरू कर दिया। कुछ घोंट अंदर और बाकी से नहाने लगी।
न दोनों का ये किंकी सेक्स शेखर छुप कर देख रहा था। उसे पता नहीं था की नैना इतनी किंकी और वाइल्ड सेक्स करने वाली होगी। पर उसने मन ही मन सोचा आखिर बेटी भी तो उसी की है।
लता ने जब मूतना शुरु किया तो नैना बोली - पापा आ जाओ। आप भी अपनी प्यास बुझा लो। नैना की आवाज सुनते ही शेखर दौड़ कार आ गया। लता ने उसके लिए खुद को रोक लिया था। शेखर के आते ही उसने शेखर के ऊपर मूतना शुरू कर दिया।
नैना उठ गई। उसने किचन से दो ठंढी बोतल उठाई। एक वहीँ टेबल पर रखा और दूसरा लेते हुए अपने कमरे में चली गई।
उसे जो चाहिए था अब जल्दी ही मिलने वाला था। वो जल्द ही सुलेखा की जगह लेने वाली थी। पर उससे पहले वो अनुराग को हर ख़ुशी देना चाहती थी। वो चाहती थी की अनुराग सबको अपना गुलाम बना ले। और चूँकि वो अनुराग की रानी थी। तो सब उसके होते। ये उसके प्यार करने का तरीका था। जैसे सुलेखा सबको खुश रखना जानती थी। नैना भी सबको खुश रखना चाहती थी। पर वो सुलेखा से एक कदम आगे बढ़कर सबको प्यार देना चाहती थी। पर ये सब सिर्फ अनुराग के लिए था। उसका शरीर और मन सिर्फ अनुराग का था।
Behtreen update bro maza aa gaya.ab Rubi ka number bhi laga do
 

Skb21

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Bahut hi gajab ka update maja aagaya maa(Lata) beti(Naina) ne ek dusre ki choot chat li or beti ne baap maa ka moot pi liya or apne baap ko bhi pila diya waiting for next
 
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