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Ashiq Baba

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मने

मैंने अपना वो कमेंट हटा लिया है । मैं उस कमेंट के लिए माफी चाहूंगा । दरअसल गलती मेरी भी नही थी उस वक्त मुझे जो पढ़ने में आया उसी के मुताबिक मैने कमेंट लिखे । मगर जब आपके अलावा कुछ और कहानियों में ऐसी ही शब्दों और वाक्यों में उल्टा सीधा लेखन आया और फिर मैंने उसे इंग्लिश में ट्रांसलेट किया तो समझ मे आया कि मेरे क्रोम में जो translate डला हुआ है उसके कारण ये गड़बड़ हुई है । अर्थ का अनर्थ तब हो गया जब आपकी हिंदी फॉन्ट में लिखी कहानी को translate द्वारा हिंदी में कन्वर्ट किया गया तो हिंदी फॉन्ट से हिंदी में ट्रांसलेट होने और बहुत सारे शब्द और वाक्य उल्टे सीधे हो गए । जिसका अर्थ से अनर्थ हो गया कुछ ठीक से समझ नही आया तो मुझे लगा आपने किसी और से ये अपडेट लिखाया है जिसने जल्दबाजी में उल जलूल लिख दिया है । मुझे क्षमा करें । और ऐसे ही आगे लिखते रहे ।
एक अच्छा अपडेट लिखा है । इस अपडेट में आपने उन किरदारों पर रोशनी डाली है जो इस कहानी में अब तक महत्वहीन थे या अनजान थे । जैसे गुलाबो और उसकी पिछली जिंदगी । और सेठ के बेटों के क्रियाकलाप । कहानी जब चोदू गाँव की हो रही है तो फिर कोई किरदार अछूता क्यो रह जाय । वैसे भी सेठ के बेटों को लेकर की गई किसी पाठक की टिप्पणी पर आपने ये अपडेट लिखा है । आपकी खूबी है कि किसी पाठक के अनुरोध या टिप्पणी को अधिक महत्व देते हो । ऐसा लेखक बहुत कम ही देखने को मिलते है । जो अपने पाठकों के अनुसार भी अपनी कहानी वैसे ही लिखते है जैसी रिदम और गति से वह अब तक चलती आई है और साथ ही बिना संतुलन खोए उसका टेस्ट बरकरार रखते है । ये एक अच्छे लेखक की काबलियत ही है जो ऐसा कर पाते है । धन्यवाद । दूसरा यह कहना चाहता हूँ कि पाठक बिजी हो जाने से कमेंट कम आ रहे है मगर आपकी कहानी का चार्म बना हुआ है आप निश्चिंत रहे । लिखते रहे बहुत अच्छी दिशा में कहानी गितिशील है ।
 

Premkumar65

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“भाभी तू बेकार डरती है, किसी को कुछ मालुम नहीं पड़नेवाला है, ना तुम बोलोगी, ना मैं, ना ही सेठजी।”



परम ने चूत को सहलाया और कहा, “सोच ले सेठजी से क्या माँगना है, मैं उन्हें बुला कर लाता हूँ, तू नंगी ही बैठी रहना।” वैसे लीला अपने ससुरजी से चुदवाने को तैयार थी पर जताना नहीं चाहती थी।

अब आआगे....................


बहुने चूत को अपनी जांघों पर दबाया और हाथों से चेहरे को ढक लिया। परम ने कपड़े पहने और धीरे से दरवाज़ा खोला और बाहर चला गया। वह वहां अपने पिता से मिला और बोला कि वह सेठजी से मिलना चाहता है। परम सेठजी के पास गया। उसके पास एक ग्राहक थे। सेठ ने उसे और मुनीम को बाहर भेज दिया कहा, परम से कुछ जरुरी बात करनी है।


'सेठजी, सुंदरी को तो आपने चोद ही लिया, आज आपकी दूसरी माल लेकर आया हु।' परम ने बिना कोई वक़्त बरबाद किये बताया।

“कौन,छोटी बहू?” सेठजी चिल्लाये।

परम ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोला: “मैंने उसे पटा लिया है, वो आपके लंड का इंतजार कर रही है, मैंने उसे आपसे चुदवाने के लिए तैयार किया है…लेकिन कुतिया जो मांगेगी देना होगा।”

“मैं अपना सब कुछ उसको दे दूंगा।”

सेठ उठा और परम के साथ अंदर आ गया। वह अपनी छोटी बहु को पूरी तरह नग्न अवस्था में देखकर आश्चर्यजनक रूप से प्रसन्न हुआ।

बहू बिस्तर पर नंगी बैठी थी और उसके हाथ फेस को ढक रहे थे।

“परम दरवाजा बंद कर दे।” कहकर सेठजी अपनी बहू के बगल में बैठ गए। ससुर ने बिना कोई झिझक के नंगी बैठी बहू को अपनी गोद में उठाकर बैठा लिया और चेहरे से बहू का हाथ हटा कर बहू को किस किया। बहू और ससुर की आंखों से आंखे मिली।

"यार बहू, मैं बहुत भाग्यशाली हूं। मुझे सिर्फ दो औरत पसंद आई, एक तुम और सुंदरी।" सेठजी ने बहू के गालों को सहलाते हुए कहा।

बहु क्या करती! दो ही तो हाथ थे, बोबले छुपाती की अपनी चूत को ढकती! बहु अपने दोनों झांगो को कास के क्रोस कर के बैठी थी और हाथों को चुची के ऊपर क्रॉस कर कर के रखा था। सेठजी को जल्दी नहीं था। सेठजी को मालूम था कि नंगी बैठी लड़की अब बिना चुदवायेगी जायेगी नहीं। सेठजी ने कहा,

"बहु,सुंदरी को तो कई बार चोद चुका हूं और आज मैं मेरी प्यारी बहू को चोदूंगा। मैं बहोत भाग्यशाली हूँ, बहु।" सेठजी ने बहू के गालों को चूमा और उसकी झांगो को सहलाने लगे।
नीता और मैत्री की प्रस्तुति।

“परम, देख क्या चिकनी जांघें हैं, ऐसा लगता है कि पुरे शरीर पर मक्खन (बटर) का पोलिश किया हुआ है।” सेठजी ने जांघों को सहलाते हुए अपना हाथ जांघों के बीच घुसाया।

“बाबूजी, छोड़िए ना!” बहू फुसफुसा कर बोली “मैं आपकी बेटी जैसी हूं। आपके छोटे बेटे की पत्नी…मुझे जाने दीजिए। यह सब अच्छा नहीं है।”

"नहीं रानी, अब मत तड़पाओ!" सेठजी ने जांघों के बीच हाथ घुसा कर बहु की चूत को दबाया।

“बोलो रानी क्या चाहिए, जो बोलोगी…”

सेठजी ने क्लिट को मसला तो बहू ने जांघों को खोल दिया और चूची पर हाथ हटा दिया। सेठजी क्लिट को मसलते हुए कहा, "सुंदरी को 50000/- देकर पहली बार चोदा था। अब तू जो बोल दूंगा। जल्दी से भाव बोल, तेरा पूरा माल खरीदूंगा आज।"

सेठजी बहू की चूची (निपल) को मसलने लगे। और बहु छटपटाती रही।

बहुने ससुर के हाथ को अपनी चूत पर दबाते हुए कहा, "कोलकाता बाली कोठी मेरे नाम कर जिजीए और मुझे दो लाख चाहिए।" बहु ने चूत को उजागर करते हुए कहा।

"ठीक है बहू, कोठी तुम्हारी हुइ और तुम्हारी चूत मेरी हुई। जब भी चोदना चाहूंगा चुदवाओगी, सौदा मंजूर!"

“लेकिन मुफ्त में नहीं…जब तक आप हैं, मुझे चोदिये या नहीं, हर महीने मुझे एक लाख नगद चाहिए।” बहू ने मचाते हुए कहा।

“दिया बेटी, मंजूर है। सेठजी ने सौदा पर मंजूरी की महोर ठोकते हुए कहा।

“बाबूजी एक बात और!”

“हाँ बोलो बहु, तुम्हारी चूत और पीछे के माल के लिए सब सौदा मंजूर है मुझे, परम साक्षी है बस!”

बाबूजी मुझे खूब चुदना है, आप के सिवा मैं दुसरे मर्दों का लंड भी लुंगी, आप को मेरे साथ ही रहना पड़ेगा, खास कर मुझे परम का लंड पसंद है और मैं उसके साथ नंगी ही रहना पसंद करुँगी, लेकिन कुछ समस्या आगे आये या तुम्हारा बेटा कुछ विरोध करे तो आपको मेरा पक्ष लेना होगा और मुझे खुली आज़ादी से अपने पैर फैलाने की मंजूरी सब के सामने देना होगा।”
नीता और मैत्री की रचना।

“ओह्ह उसमे कौनसी बड़ी बात है बहु! जब चाहो तुम किसी से भी अपने पैर फैलाओ, अपनी चूत चुदवाओ मैं कभी विरोध नहीं करूँगा। पर मेरा लंड भी तुम्हे शांत रखना ही पड़ेगा। रही बात बेटे की तो मैं उसे शांत कर दूंगा, मुझे पता है वह सुंदरी को चोदना चाहता है और मैं सुंदरी के बदले में तुम्हे और तुम्हारी आज़ादी दोनों का सौदा कर लूँगा। आखिर मैं भी तो व्यापारी हूँ।“

“जी पिताजी, मैं आपके ऊपर भरोसा कर के अपनी चूत आपको गिफ्ट करती हु। और मुझे अपनी आजादी और चूत का भोसड़ा बनाने की आज़ादी। हम दोनों का काम हो जाएगा। वडा करती हूँ की आप के लंड को कभी ज्यादा समय मेरी चूत का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। जब चाहो मेरी चूत में अपने लंड को सैर करने भेज दिया करो, और हाँ साथ में परम का लंड तो कभी भी और कही भी...आप समज गए न।”

“बहु विश्वास पर दुनिया चलती है, तुम किसी भी प्रकार की चिंता ना कर तुम्हे घर की रानी बना के रखूँगा, तुम्हारी सांस भी तुम्हे कुछ नहीं कहेगी,उसके सामने तुम परम का लंड अपनी चूत और गांड को दे सकती हो। जितना मन आये मरवाओ।“ सेठजी ने सौदा पक्का किया।

और बहु के कान में आके बहोत धीरे से बोला: ”अपना मुनीमजी का लंड भी बहोत अच्छा है, उस लंड से भी चुदवाना बेटा, मुनीम से भी मेरा एक सौदा है सुंदरी के बदले में वह और उसका बेटा मेरे घर की सब औरतो को चोदने के लिए फ्री है, ठीक है न, लेकिन एक बात याद रहे ना बाप को पता है ना बेटे को, और नाही सुंदरी को। इसलिए यह ध्यान रहे की कही भी तुम्हे यह नहीं कहना है की तुम मुनीम से चुदी हो या चुदवाती हो, जब मन करे यहाँ आके मुनीम का लंड लेके जा सकती हो। और एक बात बेटी, यह मुनीम का लंड काफी तगड़ा है उस से कम ही चुदवाना वरना कोई भी लंड तुम्हे शांत नहीं कर पायेगा। बहोत राक्षसी लंड है उसका।“

बहु ने भी ससुरजी के कान में कहा; “पिताजी हमें लंड से मतलब है कौन चोदेगा और किस को पता है उस में हमें क्या। चूत शांत रहेगी तो सब शांत रहेगा।“ शायद एक प्रकार की धमकी ही थी।

“अब जल्दी चोदो, घर भी जाना है, माँजी इंतज़ार कर रही होगी।” इतना कह कर बहू दोनों पैरो को फैला कर बिस्तर पर लेट गई और चूत के होठों को खोल कर ससुर से कहा "आइये मेरा माल आपके लंड का स्वागत करेगा,बाबूजी चोदो।"

सेठजीने नहीं सोचा था कि वो कभी भी अपनी बहू को चोद पायेगा लेकिन वही अपनी चूत को चोदने के लिए बोल रही थी। सेठजी नंगे हो गए। बहू ने देखा कि सेठजी का भारी पेट नीचे 6” का लंड टाइट होकर बहू को चोदने के लिए तैयार है।

“बाबूजी, आपका पेट इतना मोटा है, लंड मेरी चूत में कैसे घुसेगा!”

“फिकर नोट! लंड चला जायेगा।” सेठजी अब फुल मूड में थे।
नीता और मैत्री की प्रस्तुति।

सेठजीने बहू के पैरों के बीच बैठकर बहू के चूत को मसलने लगे। बहू की चूत छोटी थी, छोटी सी दरार और छोटी सी योनि। सेठजी ने फिंगर चुत में घुसेड़ कर चूत की गहराई को नापा और 2-3 मिनट तक फिंगर्स को चुत के अंदर डाल कर कसी हुई चुत का मजा लिया।

“सेठजी, चूत को चाटिये, बहुत टेस्टी है।” परम ने कहा। परम बहू के सिर पर हाथ रखकर बैठ गया और बहू की चुची को चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी बोबले को मसलता रहा।

“बेटा,चूत चाटुंगा तो फिर बहू की तगड़ी चूत को चोद नहीं पाऊंगा…बाद में तुम चाट लेना।” कहते हुए सेठजी ने बहू के चूत में लंड पेल कर धक्का मारा।

“आह्ह्ह्ह……बाबूजी…धीर…रे... बहु को चोद रहे हो, किसी रंडी को नहीं।”

लेकिन सेठजी ने बहू का कंधा पकड़ कर अपनी छाती पर दबाया और धीरे धीरे चुत्तर उठा कर बहू की चुदाई करने लगे। बहू ने तो सोचा था कि ससुरजी मोटा पेट लेकर चूत में लंड नहीं घुसा पाएंगे लेकिन यहां तो ससुरजी जम कर चुदाई कर रहे हैं।

बहु ने ससुर को बाहों में लेकर चुदाई की मजा लेने लगी। करीब 7-8 मिनट के बाद ससुरजी ने बहू के चूत रूपी जमीन में अपना पानी से चूत को सींच दिया और 4-5 बार जोर से धक्का लगा कर बहू के ऊपर से उतर गए।

बहु को लगा कि इतने देर में वो किसी ट्रक के नीचे थी।''बाबूजी और थोड़ी ज्यादा देर आप धक्का मारते तो मैं मर जाती।"

बहु के कहते हुए परम का ट्राउज़र खोल दिया और शर्ट उतार कर परम पूरा नंगा हो गया। बहू परम के लंड को मुठ मारती हुई बोली,

“बाबूजी, अब तो चोद लिया, मुझे कोठी का पेपर और दो लाख रुपये दो।” आख़िरकार वह एक टॉप रैंक वाले स्टॉक ब्रोकर की बेटी थी। वह जानती थी कि हर चीज़ का अपना मूल्य और उस पर कमीशन होता है।

अब परम बहु के नंगे बोब्लो से खेल रहा था और बहु परम के लंड से, लगता था की की बहु परम के लंड को दुहा रही थी अपनी मलाई के लिये। सेठजी ने धोती बांधा और दरवाजा खोल कर मुनीम को आवाज दी। सेठजी ने दरवाजे पर ही मुनीम को कुछ निर्देश दिया और फिर बहू के पास बैठ कर उसकी जांघें और चूत को सहलाने लगा। परम खूब आराम से बहू की टाइट छोटे बोब्लो का मजा ले रहा था और सेठ बहू की जांघें और चूत को मसल रहा था।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।

“भाभी, एक बार लंड चूसो।”

“नहीं, लंड नहीं चुसुंगी!”

“अरे बेटी चूसो, बहुत मजा आएगा। वह लंड तुम्हे अच्छी मलाई देगा।” ससुरजी ने चूत को निचोड़ते हुए कहा।”

बहु ना-ना करती रही आखिर परम के जिद्द करने पर उल्टा टर्न हो गइ। चुत्तर को पूरा ऊपर उठा कर परम के जांघों के बीच में सिर डाल कर लंड को मुँह के अंदर ले कर चूसने लगी। तभी मुनीम कुछ कागजात और एक बैग लेकर अंदर आया।

मुनीम को अंदर आता देख परम डर गया और बहू ने अपना चेहरा परम के जंघो के बीच छिपा लिया।

मुनीम ने सारे पेपर्स सेठ को दिया और बिल्कुल बहू से सैट कर खड़ा हो गया और बहू की नंगी गोल-गोल कुलहो को सहलाने लगा। मुनीम दंग रह गया कि जवान नंगी लड़की उसके बेटे परम का लंड चूस रही है और सेठ देख रहा है। ऐसा ही सीन है उसने इस बिस्तर पर कुछ दिन पहले देखा था जब सुंदरी एक अजनबी का लंड चूस रही थी और सेठ देख रहा था।

यहाँ सेठजी की बहु है।

******



आज के लिए यहाँ तक।

कल फिर से एक नए एपिसोड के साथ मुलाक़ात होगी।
.


।। जय भारत ।।
Hot update.
 

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मुनीम ने सारे पेपर्स सेठ को दिया और बिल्कुल बहू से सैट कर खड़ा हो गया और बहू की नंगी गोल-गोल कुलहो को सहलाने लगा। मुनीम दंग रह गया कि जवान नंगी लड़की उसके बेटे परम का लंड चूस रही है और सेठ देख रहा है। ऐसा ही सीन है उसने इस बिस्तर पर कुछ दिन पहले देखा था जब सुंदरी एक अजनबी का लंड चूस रही थी और सेठ देख रहा था।

यहाँ सेठजी की बहु है।
अब आगे..............

******




उस दिन मुनीम को हिम्मत नहीं हुई थी, कि सेठ से उस औरत को चोदने के लिए कहे लेकिन अब 3-3 जवान लड़कियों को चोद के का आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया था। मुनीम का लंड टाइट होने लगा था। वह सोच रहा था की सेठजी ने मेरी पत्नी के बदले में काफी कुछ दे दिया है, लेकिन उसे यह बात बिलकुल भी पसंद नहीं आई थी जब सुंदरी की वह साब छोड़ रहा था और सेठजी ने उसे कागजाद लेके बुलाया और वह हसाब ने सुंदरी की गांड पर कागजाद रख के साइन किये थे। वह बिलकुल नहीं चाहता था की ऐसा हो पर उसके हाथ में कुछ नहीं था और नाही परम के हाथ में था, स्थिति को संभालना ही था।

लेकिन आज वह जानता था की परम कौनसी माल को लेके आया है और वह उसी पर नजर गढ़ाए बैठा था की बस एक मौक़ा मिल जाए। जब सेठजी अन्दर जा रहे थे तब मुनीम ने उसको अपनी प्रोमिस याद दिलाई थी की जो भी माल हो आज साथ ही खायेंगे। और अब वह उस कमरे में था जहा एक दिन सुंदरी थ इऔर वह कुछ न कर सका था। वह खुश था की परम ने छोटी बहु पर अपना सिक्का डाल दिया था।

“क्यो मुनिमजी, माल कैसा है?”

“सेठजी बहुत मस्त माल है, लगता है एकदम सोलाआनी माल है।” मुनीम ने कहा और बहू के चूत में पीछे से उंगलियां घुसा कर मजा लेने लगा।

मुनीम उसको चोदना चाहता था।

“सेठजी आप जब बोलिए सुंदरी को लाकर आपके लंड पर डाल दूंगा लेकिन मुझे इस कड़क माल को चोदने दीजिए।”

“परम तो चोद ही चुका है बहु को, तुम भी बहु चोद डालो, लेकिन मैं जब भी सुंदरी को लाऊंगा, जिस से भी चुदवाने बोलूंगा…” सेठजी ने कहा। “देखो मुनीम बहु तुम्हारी हुई लेकिन मुझे सुंदरी चाहिए जब बुलाऊ उसे भेजना पड़ेगा और हां अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मुझे सुन्दर के माल का उपयोग करना पड़ेगा, और उसके लिए तुम, सुंदरी और परम सब खुश रहोगे ऐसा मैं कुछ करूँगा।“ मुनीम के कान में जाके कहा। उस दिन देखा और अब आगे तुम्हारे सामने ठीक है? और हम दोनों की बात किसी से नहीं।”
फनलव और मैत्री की पेशकाश

मुनीम सहमत हो गया।

मुनीम ने पूरे कपड़े उतार दिए। परम और सेठ ने उसके बड़े लम्बे लंड को आलू के आकार के सुपारे के साथ देखा। मुनीम को अपने बेटे के सामने नग्न होने में कोई शर्म नहीं थी। उसे क्यों होना चाहिए जब वह पहले ही अपनी बेटी को चोद चुका है। मुनीम ने बहू के चूतर को फैलाया और सुपारे को चूत के छेद पर रख कर लगातार 4-5 धक्का मारा। बहू को लगेगा कि उसकी प्यारी चूत फट जाएगी। बहू को लंड, अपनी चूत के अंदर बहुत टाइट लग रहा था, उसे ऐसा लगा की पहली बार चुदवा रही हो।

परम जानता था की बाबूजी अब कमाल करेंगे, उसने बहु को आगे पकड़ के रखा ताकि पीछे से उसकी चुदाई शुरू हो तो वह आगे जाके छटक ना जाये। आखिर वह भी बेटा ही था अपने बाप के लिए कुछ भी कर सकता था।

और सच यह था की मुनीम ने सुपारे ने बहु की चूत फाड़ ही डाली, उसकी छुट से खून बह आया, ससुरजी और परम उस खून को सिर्फ देखते ही रहे, ससुरजी ने अपनी गांड का पहला कचुम्बर हुआ याद आ गया। जब की परम को अपनी बहन की चूत और ठीक से नहीं चल पाने की वजह मालुम हो गई। बहनछोड़ बेटी चोदी है तो बहु क्या चीज़ है। फटेगी आज, उसे डर लग रहा थी की कही बहु फिर से इस लंड पे या मेरे लंड पर आएगी की नहीं।

मुनीम बहू की कमर पकड़ कर खूब मस्ती से बहू को पेल रहा था और बहू को लग रहा था कि उसकी चूत में कोई लंड नहीं बल्कि गरम लोहे की रॉड घुसा है। परम ने भी चोदा था तो लगा था कि चूत फट जाएगी लेकिन अब तो लग रहा है कि चूत के साथ-साथ गांड भी फट जाएगी। 20-25 धक्का लगाने के बाद लंड आराम से चूत के अंदर-बाहर होते दिखा।

मुनीम बिस्तर पर आराम से हाथ बढ़ा कर पीछे दोनों चुचियो को मसलते हुए चुदाई करने लगा। मुनीम को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसने पूनम, महक और सुधा की कुंवारी चूत पर अपना झंडा गाड चुका था, जब की लीला अपने पति से एक साल से चुद रही थी। और सुंदरी की गांड पर रखे कागजाद की स्याही उसे याद थी। वह बहु की गांड की गोलाई अपने हाथ और लंड से नाप रहा था, उसकी भूगोल अब खराब हो रही थी।

“सेठजी माल पका है आज हमारी भाषा में कहे तो मैं मेरी इस कलम से इस माल के सभी कागज़ पर सफ़ेद स्याही से साइन करता हूँ।“ मुनीम के उस द्रश्य से और चनक चढ़ गई थी और वह अब लगातार धक्के मारे जा रहा था।

“हाँ...हाँ क्यों नहीं अब यह कागज़ भी आप का ही समजो मुनीमजी” सेठजी ने मुनीम के पिछवाड़े पर हाथ फेराते हुए कहा।

उधर बहु की हालत खाराब थी, उनकी आँखे चौड़ी हो गई थी और वह सिर्फ धक्के का मजा ले रही थी, उसे बस अब यही पर स्वर्ग मिल गया था। उसे कोई परवाह नहीं थी, की उसकी चूत सूज के कैसी हो जायेगी।

वह परम और सेठजी मुनीम के धक्क्के देख कर अपने आप को कोस रहे थे।

उधर बहु...

परम उसकी चूत में घुसने वाला दूसरा लंड था, सेठजी तीसरे और अब मुनीम चौथा। लीला अभी-अभी परम के मोटे, लंबे लंड से चुदी थी और फिर सेठजी ने बहुत देर तक दबाए रख्खा था, लेकिन मुनीम को लग रहा था कि वो किसी अनचुदी चूत को चोदे जा रहा था। चूत बहुत टाइट थी। या फिर उसका सुपारा बहोत बड़ा था वह तो लीला ही बता सकती है या फिर खून से पड़ी उसकी चूत।

लेकिन अब वो देखना चाहता था कि किस कच्ची कली को चोद रहा है। मुनीम झटके से लंड को चूत के बाहर निकला और बिना किसी को मौका दिए बहुत ज्यादा दबाव पर सीधा पलट दिया और दोनों जांघों को धक्का देकर फिर से लंड को धक्का मारने लगा। अब चुदाई का असली मजा आ रहा था। बहू भी अपना चूत्तर हिला कर धक्के का जवाब दे रही थी। लेकिन लीला ने झूठ से अपने लंबे घने बालो से चेहरे को कवर कर लिया। मुनीम ने देखा कि जिस लड़की को वो चोद रहा है उसके चेहरे के बाल से ढका हुआ है। मुनीम ने बालों को हटाना चाहा तो बहू ने मुनिम का हाथ हटा दिया और कहा,

'बस, रज्जा जम कर चोदो। चुदक्कड का चेहरा देख कर क्या करोगे। मैंने सेठजी से पूरे 2 लाख ले लिए हैं। परम और सेठजी चोद ही चुके हैं..अब तुम भी पूरा मजा लो....मेरा चेहरा मत देखो...चूची क्यों नहीं दबाते हो, छोटी है इस लिए!'
मैत्री द्वारा लिखित

हाला की यह जानते हुए भी अनजान बन जाना मुनासिब समज के, मुनीम ने भी चेहरा देखने का जिद्द नहीं किया और लगतार चोदता रहा तब तक वो पुरा डिस्चार्ज नहीं हो गया। परम और सेठजी की तरह मुनीम ने भी चूत में वीर्य भर दिया।

“हाँ सेठजी, मेरे इस कलम की सफ़ेद स्याही पूरी खाली कर दी है यह कागजाद पर।“ उसके चहरे आर एक विजयी मुस्कान थी।

मुनीम ने चूची को चूमा और चूसा और फिर बहू के बदन पर पर से उठ गया। सब ने देखा कि चुदवाने के बाद बहू का पूरा शरीर चाँदी की तरह चमकने लगा। उसकी चूत से मानो वीर्य का बहाव निकल आया।

“सेठजी, साली बहुत जबरदस्त माल है…सुंदरिके साथ भी इतना मजा नहीं आया।” दोनों सेठजी और मुनीम ने एक दुसरे को आँख मारी।

मुनीम कपड़े पहन कर बाहर चला गया। मुनीम के बाहर जाते ही बहू उठी और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। बहु ने चूत को सहलाते हुए कहा “आज तो मेरी माँ ही चुद गई! इस चूत का बाजा बज गया। लेकिन मजा आया एक के बाद एक तीन लंड से चुदवाने में।“ उसने परम को चूमा…और कहा, “परम, ये चूत अब तेरी और तेरे सेठजी की है। लेकिन बाहर का भी लंड कभी-कभी खाने देना, सब से ज्यादा मजा दे के गया है।“ उसका इशारा मुनीमजी के लिए था।

परमने देखा कि सेठजी ने बहू को कुछ पेपर दिए और कहा कि यह कोठी का पेपर है ठीक से रखना। कुछ नोटो का बंडल भी दिया। सेठजी ने परम और बहु को घर जाने को कहा और बोला कि वो एक घंटे में आएंगे। परम और बहू भीतर हो कर कमरे से बाहर निकले। परम आगे के दरवाजे और बहू पीछे के दरवाजे। दोनो रिक्शा पर बैठ कर वापस घर आये। बहू के मन में कोई अपराध बोध नहीं था। वह खुश थी कि मुनीम यह नहीं देख सका कि वह कैसी थी और उसे यकीन था कि सेठजी या परम, कोई भी किसी से चुदाई की बात नहीं करेगा।

अब उसकी चूत के फांके सूजने शुरू हो चुके थे। उसे अब अंदरूनी दर्द हो रहा था। उसने खुन्वाला पेपर नेपकिन अपने पर्स में रखा। उठने की नाकाम कोशिश की लेकिन परम ने उसे मदद की।

“परम, मैं घर जा सकुंगी!”

“भाभी, बाबूजी के निचे से गुजरी हुई हो तो थोडा आराम कर लेना चाहिए, वरना बहोत तकलीफ होती है तभी तो लडकिया बाबूजी से दूर ही रहना पसंद करती है। अभी आपकी चूत सुजेगी, बाद में मूत ने में भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। अब मैं ही आपको चोद दिया करूँगा।“ उसने अपना मौके को पकड़ कर रखा।
मैत्री और नीता की रचना


*****

आजके लिए इतना ही ....कल फिर मिलेंगे ।



।। जय भारत ।।
Bahu ke maje bhi sabne le liye,
 

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“भाभी, बाबूजी के निचे से गुजरी हुई हो तो थोडा आराम कर लेना चाहिए, वरना बहोत तकलीफ होती है तभी तो लडकिया बाबूजी से दूर ही रहना पसंद करती है। अभी आपकी चूत सुजेगी, बाद में मूत ने में भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। अब मैं ही आपको चोद दिया करूँगा।“ उसने अपना मौके को पकड़ कर रखा।

अब आगे............



जब परम और बहू घर पहुंचे तो शाम के साढ़े पांच बज रहे थे।


वह सबसे पहले लडखडाती हुई अपने कमरे में गई और उन कागजों और पैसो को छिपा दिया। घर की दूसरी औरतें और सेठानी उसके कमरे में आईं और उसने उन्हें दिखाया कि उसने क्या खरीदा है। बड़ी बहू और सुंदरी छोटी के चेहरे और उसके कपड़ों को गौर से देख रही थीं। उन्होंने उसके कपड़ों पर वीर्य के धब्बे और सिकुड़न देखी, बड़ी बहू ने सुंदरी के हाथ दबाए और मुस्कुराई। उन्होंने अंदाज़ा लगाया कि परम ने किसी तरह छोटी बहू को चोदा है। बड़ी बहू ने राहत की साँस ली। उसके लिए अब एक खिड़की खुली हुई लगी क्यों की अब घर में छोटी से चुदाई के मामले में भिड़ना नहीं पड़ेगा।


"चलो, परम को हम दोनों बहू के माल का मज़ा मिल गया।"

******

रात में सब लोग सेठजी के कहने से रुक गए और सब खाना कहने के बाद सो गए.......तब......(शोर्ट में)

"साली बहुत गरम है। बहू को चोदो।"

सेठजी ने अपना लंड बहू के मुँह से बाहर निकाला। लंड अब टाइट हो गया था। उन्होंने खुद को उसकी जांघों के बीच रखा और अपना लंड बहू की गीली चूत में डाल दिया।

उसने एक जोर का धक्का दिया। "बहू तुम्हें तो दिन में चोद लिया था लेकिन अभी भी सुंदरी को चोदने निकला था। लेकिन अच्छा हुआ तुम्हारा टाइट चूत चोदने का मौका मिल गया। सुंदरी को तो कभी भी चोद लूंगा।"

सेठजी ने जोर का धक्का मारा। 100 किलो का आदमी का धक्का छोटी बहू के लिए बहुत था। वो मजा लेकर चुदवाने लगी। परमने थोड़ी देर में उन दोनो की चुदाई देखी और फिर वो बड़ी बहू के कमरे में आ गया। दरवाजा बंद था। परम ने धीरे से दस्तक दी तो दरवाजा खुला और परम ने देखा सुंदरी बिल्कुल नंगी खड़ी है।

"मै जानती थी तू ही होगा। रेखा को मज़ा दिया की नहीं।" उसने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया। अगर वह बाहर देखती तो आसानी से देख सकती थी कि सेठजी अपनी छोटी बहू को चोद रहे थे।

परम ने देखा कि बड़ी बहू भी सुंदरी की तरह नंगी थी और उसे दो-तीन बड़े आकार के खीरे दिखाई दिए।

परम ने उन्हें हाथ में लिया और सुंदरी ने कहा, "हम दोनो ने पहले तो एक दूसरे को खूब चूमा और चूत को चूमा फिर इस खीरे से एक दूसरे को चोदा और गांड में भी घुसाया। तेरी भाभी एक नंबर की चुदासी है।"

परम ने सुंदरी के चूत में ककड़ी घुसडते हुए कहा “तुमसे बड़ी चुदासी दुनिया में कोई नहीं है माँ।”

सुंदरी ने खीरे को पकड़कर लिया और कहा “बेटा लंड में दम नहीं है कि खीरा घुसा रहा है!”

"क्या करू माँ, पहले तो रेखा ने, फिर सेठानी ने और बाद में छोटी बहू ने लंड को पूरा चूस लिया। छोटी बहू की चूत तो महक के चूत से भी टाइट थी।”

'मुझे चुदाई की अभी जरूरत नहीं है। आज विनोद ने खूब चोदा हम दोनो को। चल मेरे चूत से लंड सटा कर सो जा।' सुंदरी ने चूत से खीरा निकाला तो परम खीरे को चबा-चबा कर खा डाला।

“माँ, मैंने बहुत चूत के स्वाद लिया है। लेकिन तेरी चूत सबसे स्वादिष्ट है, स्वादिष्ट है… तेरी चूत में से तो अमृत ही बहता है....आजा मेरी बाहों में आ जा कुतिया…और तेरी चूत से निकालता हुआ रस मेरे भोजन के बराबर है माँ।”

परम बड़ी बहू और सुंदरी के बीच सो गया और सुंदरी ने उसके बेटे के लंड पर अपना लंड रख दिया।

“रातमे लंड टाइट हो तो चूत में पेल देना।“ सुंदरी ने कहा और लाइट बंद कर दी। कुछ देर तक परम ने सुंदरी को चूमा, प्यार किया और फिर उसे पकड़कर सोने की कोशिश की।

सुबह जब सुंदरी उठी तो उसने देखा कि परम का लंड बड़ी बहू की योनि पर खड़ा था और उसके हाथ उसके स्तनों पर थे। उसने ठीक से कपड़े पहने और उन्हें परेशान किए बिना वह बाहर आ गई। उसने बरामदे में खाट पर किसी को सोते हुए देखा जहां परम सोया था। उसने पास जाकर देखा तो छोटी बहू पूरी नंगी थी। सुंदरी ने उसे जगाया। बहू ने आँखें खोलीं और सुंदरी को देखा।

“परम कहा है?”

“बहू, तू परम को छोड़, देख तू नंगी है, कोई देखेगा तो क्या बोलेगा! सेठजी उठने वाले है। जा तू अपने कमरे में।“

बहु तुरंत उठी और नग्न अवस्था में अपने कमरे में चली गई और कमरा अंदर से बंद कर लिया।

सुंदरी सेठानी के कमरे में गई और सेठ और सेठानी दोनों को नग्न देखा। फिर वह ऊपर गई और अपनी बेटी को जगाया, वह असामान्य पोशाक में थी और रेखा नग्न थी। उसने सोचा कि रात में महक को छोड़कर उसका बेटा सभी महिलाओं के साथ आनंद लिया।

जब वह वापस उस कमरे में लौटी जहाँ वह सोई थी, तो उसने परम को बड़ी बहू को चोदते हुए देखा। बहू ने उसे देखा, “सुंदरी, ओह सुबह मेरी चुदाई का अपना मजा है… बहुत मजा आ रहा है… तू भी चुदवाले।”

“बेशरम, कुतिया तू परम के लंड का मजा ले, मैंने रात में पूरा मजा ले लिया था।” सुंदरी ने जवाब दिया और उस कमरे से बाहर आ गई।

“रात में तूने तेरी माँ को चोदा था?”

"क्या भाभी तुम भी! मैं तो तुम्हें चोदने आया था। वो साली तो सोई थी, उसे मालूम ही नहीं मैं कब आया। मैंने तेरी चूत से चिपक कर सो गया। ले अब संभाल मेरा लोडा!"

परमने लंड बाहर निकल कर 8-10 धक्का लगाया और बहू का पानी फुव्वारी की तरह निकल गया।

“बस राजा, अब उतर जा… रात को फिर यहीं रहना,खूब चुदवाऊंगी।”

बहू ने परम को धक्का देकर नीचे गिरा दिया। उसने कपड़े पहने और बाहर चली गई। परम ने भी कपड़े पहने।

जब वह बाहर आये तो परिवार के सभी सदस्य और कुछ कार्यकर्ता पहले से ही परिसर (कोर्ट-यार्ड) में मौजूद थे। सुंदरी ने सभी को चाय परोसी और फिर परम ने सभी से विदा ली और अपनी बहन महक और सुंदरी के साथ घर आ गया। सेठानी ने उन्हें जल्दी आने को कहा।

घर वापस आकर, सुंदरी और महक ने घर की सफाई की और उसके बाद सुंदरी ने नाश्ता बनाया। उन्होंने खाना खाया और पिछली रात के बारे में बातें कीं।

सुंदरी ने बताया कि कल रात परम ने सेठानी से लेकर रेखा तक सभी औरतों के साथ खूब चुदाई की। महक ने उत्तर दिया,

“मैने देखा की कैसे रेखा भैया से मजा लेने के बाद नंगी मेरे बगल में आकार सो गई और बेशरम हो कर बोली कि तेरा भैया के लंड में बहुत मस्ती है और खूब चोद कर जो मजा देता है उसका कोई जवाब नहीं।“

“आखिर बेटा किसका है!” सुंदरी ने कहा।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति

महक ने जवाब दिया, “गाँव की सबसे चुदक्कड़ चुदास सुंदरी का।” वे सभी हँसे। महक ने जारी रखा, “मेरे चूत में भी खुजली होने लगी थी…अगर दोनों भैया होते तो मैं भी अनसे चुदवा लेती।”

सुंदरी- "महक क्या बोलती हो! सेठ के दोनों बेटे तो छक्का है। जो आदमी अपनी बीबी को चोदकर खुश नहीं कर सकता वो तुम्हारे और मेरे जैसे मस्त माल को क्या चोदेगा! तू भी परम के पास आ जाती, तुझे भी मस्त कर देता।"

“तुम भी तो बहार जाके चुदवा रही हो तो क्या मेरे पिताजी में दम नहीं है? उस लंड से तुम्हे जी भर गया है माँ लेकिन मुझे पूछ मेरी चूत से पूछ क्या हालत कर दी थी मार-मार के,किसी के बारे में ऐसा कहने से पहले सोच तो लिया कर। तेरे उस पति के लंड पर तीनो माल लटकने को तैयार है। मैं किसी से भी चुद्वाऊ लेकिन मेरी चूत का प्रथम प्यार तो बाबूजी का लंड ही है।“

“हां हा ठीक है, तू अपने बाबूजी के लंड पर लटकती रह, लेकिन मुझे अब नए लंडो की तलाश है।“

इस तरह वे घर पर ही रहे। परम और महक ने साथ में नहाया, लेकिन एक बार भी उन्होंने चुदाई नहीं की। इसके बाद, सुंदरी बाथरूम में गई। वह नंगी हो गई और कपड़े धोने लगी। उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखा। तभी उसे बाहर के दरवाज़े पर दस्तक सुनाई दी। बाथरूम प्रवेश द्वार से काफ़ी दूर एक कोने में था, इसलिए उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। परम ने अपनी कमर में तौलिया लपेटा और दरवाज़ा खोला। वह अपनी पहली कुंवारी लड़की सुधा को देखकर खुश हुआ। उसे पता नहीं था कि बाद में वह उसके घर आई थी और उसके पिता के मोटे लंड से अपनी चूत चुदवा रही थी।

उसने महक के बारे में पूछा और बेडरूम की तरफ़ जाते हुए उसने सुंदरी को बाथरूम में नंगी देखा। सुंदरी ने पूछा,

"कैसी है बेटी?"

"सुधा बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी हो गई और बोली, "मैं ठीक हूँ, माँ ने आपको और परम को बुलाया है।"

वह उस आदर्श महिला से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही थी, वह सुंदरी थी। वह चाहती थी कि वह भी उसकी तरह हो।

“ठीक है, तू बैठ मैं नहा कर आती हूँ।” सुंदरी ने आगे कहा, “लेकिन रजनी (उसकी माँ) को अभी मुझसे क्या काम है!

वह नहीं जानती थी कि कुछ दिन पहले जब परम ने रजनी को चोदा था तो वह केवल इस शर्त पर राजी हुई थी कि परम सुंदरी को उसके पति से चुदवाने के लिए लाएगा। परम भूल गया था लेकिन सुधा की बात सुनने के बाद उसे याद आया। महक ब्रा और पैंटी में बाहर आई और दोनों एक दूसरे से लिपट गईं। महक ने सुधा को अपने कमरे में खींच लिया और परम को बुलाया।

"सुधा, तुझे देखते ही मेरी चूत गरमा जाती है। तू बहुत प्यार से और मजा देकर चूत को मजा देती है। उसने खुद को नंगा किया और सुधा के विरोध के खिलाफ महक ने उसे भी नग्न कर दिया। महक ने जबरदस्त सुधा के मुंह को अपनी जांघों के बीच दबाया। सुधा भी क्या करती, महक की चूत चाटने लगी।

इधर परम अंदर आया तो उसे सुधा का चूत खुला हुआ देखा। सुधा ने झांट भी साफ किया था और पूरी जांघें फैला कर महक के चूत का मजा ले रही थी। परम ने भी सुधा की कमर को पकड़ा और दम लगा कर धक्का मारा। आधा लंड चूत में गया, अंदर घुस गया। सुधा पिछले दिन से चुदवाई नहीं थी और अभी भी चुदाई के लिए तैयार नहीं थी। चूत बिल्कुल सूखी थी। परम को लगा कि कुंवारी चूत को चोद रहा है। लंड बाहर निकाल कर फिर जोर से धक्का मारा और इस बाद लंड पूरा चूत के अंदर चला गया लेकिन सुधा जोर से चिल्ला उठी।।

“ओह्हमा मेरी चूत गयी!”

सुंदरी दौड़ कर नंगी कमरे में आई तो तीनो बच्चो को मजा मारते देखा।

“बेटा, प्यार से चोदो। जब भी किसी चूत को चोदो तो प्यार से चोदना चाहिए। उसे मजा लेने दो।” सुधा ने नज़र उठाई तो उसे सुंदरी का चमकाया और मस्त जवानी दिखाई पड़ी। सुधा इस बात से सहमत थी कि सुंदरी की चूत का आकार बहुत ही सेक्सी है। छोटा सा त्रिकोण, बीच से फूला हुआ और एक पटला स्लिट।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति

“काकी मैं तुम्हारी चूत का मजा लुंगी।”

“ठीक है, ले लेना पहले जम कर चुदवा ले। अपनी चूत की खुजली मिटा बाद में मेरी चूत पर आना।” सुंदरी ने जवाब दिया।


परमने अपनी माँ की चूत को देखा। लंड और टाइट हो गया और फिर से जोर जोर से चोदने लगा। महक ने सुधा को चिल्लाने का मौका नहीं दिया। उसके मुँह को अपनी चूत पर दबाया। परम सुधा के चूत में धक्का लगता था और मजा महक को आ जाता था। सुंदरी कुछ देर देखती रही।

बस आज के लिए यही तक कल फिर आप के सामने नए एपिसोड के साथ आ जाउंगी।


तब तक आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी।




।। जय भारत ।।
Gajab ka sex karwate ho bhai . Mazaa aa jata hai.
 

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परमने अपनी माँ की चूत को देखा। लंड और टाइट हो गया और फिर से जोर जोर से चोदने लगा। महक ने सुधा को चिल्लाने का मौका नहीं दिया। उसके मुँह को अपनी चूत पर दबाया। परम सुधा के चूत में धक्का लगता था और मजा महक को आ जाता था। सुंदरी कुछ देर देखती रही।

अब आगे...............

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Update 16​



सुधा चूस तो रही थी महक की चूत को लेकिन उसका मुन सुंदरी की उठी हुई चूत में था। सुधा ने महक के चूत पर से मुँह हटाया ओर बोली;

“महक तू जरा हट जा,मुझे काकी का चूत का मजा लेने दे!”

महेक अभी भी संतुष्ट नहीं थी, उसने हाथ खींच लिया और बोली, “माँ जरा इस कुतिया को अपनी चूत चटा दे!”

“बेटा, चूत तो चूत है, मेरी हो या तेरी!”

“नहीं काकी, चुतरस का स्वाद हर चूत का अलग होता है। मैं और महक तो कभी भी एकदूसरे की चूत का स्वाद ले सकते है, लेकिन आप की चूत कब मिलेगी!”

“पर बेटी तुम सहेलिया एक दुसरे की चाटो और मजे करो,मेरी उतनी टाईट नहीं जितनी तुम लोगो की होती है।”

“काकी, आपको आपकी चूत की कीमत मालूम नहीं, जरा बाहर जाके देखो कितने लंड उबल रहे है आपकी चूत को छेदने के लिए!”

उसने अब जानबुज के जोड़ा: “उसमे मेरा बाप भी है जो आपकी चूत समज के ही मेरी माँ को चोदता है।“

“मम्मी,अब तुम्हारी चूत से उसका मुंह बंद करो।”
फनलवर की प्रस्तुति

हाँ यह भी ठीक है, किसी को बोलते बंद करना हो तो चूत एक मस्त हथियार है। उसने ठहाका लगाया और अपना घाघरा ऊपर उठा लिया।

सुंदरी ने अपनी योनि सुधा के मुँह के ऊपर रख दी, उसने सुंदरी की जाँघों को खींच लिया और योनि के पूरे त्रिकोण को मुँह में लेने की कोशिश की।

सुंदरी ने कहा, "सुधा, मेरी चूत को खा जाएगी तो तेरे काका चोदेगा किसको। तेरी माँ को!"

“तु चिंता क्यों करती है,” महक ने जवाब दिया “ये हरामजादी तो मेरा भाई और बाप दोनों का लंड खा चुकी है कुतिया।“

सुधा ने सुंदरी की खुली हुई चूत की पंखुड़ी को खींच लिया और जितना हो सके उतनी अंदर जाने की कोशिश करने लगी तभी सुधा को अच्छी तरह से परम के लंड चूत में पंप किया। सुंदरी ने सुधा का सिर अपनी जांघों के बीच दबाया और सुधा की चूत को चूसती रही आखिर सुधा थक गई और सुंदरी के होंठ गिर गइ। परम फिर भी सुधा को चोदता रहा और आख़िर में सुधा कि भूखी चूत को अपने रस से भर दिया।

वो सुधा के ऊपर चिपक कर लेट गया और सुधा के सिर को सुंदरी की चूत के ऊपर से हटा दिया और खुद अपनी माँ की चूत को चूसने लगा। सुंदरी ने चूत को ऊपर उछाला और परम के दोनों हाथों को खींचकर अपने बोबले पर रखा। परम अब सुधा के सामने माँ के बोब्लो को मसलने लगा माँ की चूत का मजा लेने लगा। करीब 10 मिनट तक बेटा और सुधा से चूत चटवाने के उनके दोनों के मुंह में अपना स्त्राव दिया, सुधा खुश हो गई हो ऐसा उसके चहरे से लग रहा था। वह बार अपनी जीभ से अपने होठो को बचे हुए सुंदरी की बुँदे साफ़ कर के चाट रही थी। लेकिनाभी भी वह सुंदरी के चूत खुरेद रही थी, जो भी माल मिले उसे गवाना नहीं चाहती थी।
फनलवर की पेशकश

आखिरकार सुंदरी ने धीरे से अपनी चूत को सुधा के मुंह से हटाया और सुंदरी उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई। महक भी बहार चली गई थी। परम और सुधा चुम्मा चाटी करने लगे। सुधा ने कहा;

“परम मैं एक बार तुम दोनो बाप-बेटे से चुदवाना चाहती हूँ, देखना है कौन ज्यादा मजा देता है…तू या तेरा बाप।”

परमने पूछा कि “तेरे बाप ने तुझे चोदा की नहीं।“

“ना रे, साला रोज़ अपना लंड दिखता है लेकिन चुदाई नहीं करता है बेटीचोद…लेकिन तू बोल, तेरा लंड अपनी माँ सुंदरी की चूत में घुसेड़ा की नहीं?”

परम ने उठकर जवाब दिया, “ना रे जैसा तेरा बाप तुझको रोज लंड दिखाकर चुदाई नहीं करता है वैसे ही मेरी माँ भी चूत चटवाती है लेकिन चोदने नहीं देती। अभी अभी तो तूने देखा, माँ ने अपनी चूत सिकुड़ के चली गई और मेरा लंड तेरी चूत मार के संतोषी होक देख आराम से तेरे सामने झुक जो गया है।“

सुधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, ट्राई करते रहो,जल्दी चुदवाएगी कुतिया तेरे लंड से भी।” उसने परम का लंड दबाया और कहा;

“मुझे जाने दे, माँ ने जल्दी बुलाया था, पता नहीं क्यों!”

परम जानता है, क्यों? आज सुंदरी सुधा के बाप से चुदवायेगी और परम सुधा की माँ की गांड मारेगा। ।

अगले 10 मिनट में सभी तैयार हो गये। सुंदरी ने महेक को कुछ दिनों के लिए बारात के मनोरंजन के लिए विनोद के घर जाकर बात करने का निर्देश दिया। उसने कहा कि वह सुधा की माँ को सुधा और उसकी नौकरानी रिंकू को बारात में शामिल होने के लिए मना लेगी। महक बहुत खुश थी कि वह अपने प्रेमी विनोद के साथ समय बिता सकेगी। उसने सुधा को अपना साथ देने के लिए मना लिया। सुधा अपनी इच्छा के विरुद्ध महक के साथ चली गई और सुंदरी परम को सुधा के घर ले गई।

विनोद महक को देखकर खुश हुआ। वह उसे अपनी माँ और बहन के पास ले गया। उन्होंने बातचीत की और जब महक ने बारात के स्वागत के लिए ज़रूरी लड़कियों के बारे में बताया, तो वह भड़क गई।

“यह सेठजी साला, क्या समजता है अपने आप को? गाव के हर माल उसके है क्या?

"मेरे गाँव की लड़कियाँ रंडी नहीं हैं कि बारात का मनोरंजन करेंगी।“ लग तो रहा था की सही तरीके से गुस्से में नहीं बोल रही थी।

“और तू यहाँ उसकी दलाल बन के आई है क्या?” विनोद की माँ ने उसे पुकारते हुए कहा।

महक ने कहा “आंटीजी, ऐसा नहीं है, पर अब बारात आ ही रही है तो कुछ माल का बंदोबस्त किया हो तो अच्छा, ऐसा सेठजी सोच रहे थे और उन्हों ने मेरी माँ को कहा की थोडा ताज़ा माल जो अच्छे हो उनके लिए व्यव्श्था करे। माँ ने मुझे कहा तो मैं यहाँ आ गई आपसे मिलने को और बात करने के लिए। अगर आप ना चाहो तो कोई बात नहीं, वैसे सेठजी ने आपको भी आमंत्रित किया है और आपकी बड़ी लड़की को भी, अगर हो सके तो आप दोनों आके बाराती के लिए कुछ अपना पेश कर सके!”

आंटी हस दी और बोला “अच्छा है, साला ने मुझे आमंत्रण तो दिया। खेर तो तुम चाहती हो की मैं और मेरी बेटी बरातियो का स्वागत अपने माल दिखाके करे!”

महक की गांड थोड़ी फटी लेकिन अपनी बात को जोर देते हुए कहा :”अगर आंटी आप और बड़ी बेटी चाहे तो वरना नहीं। यहाँ इस गाँव में किसी पर कोई बंधन तो नहीं। यह आप अच्छे से जानती है। मैंने सिर्फ कोशिश की है।”

थोड़ी बहस के बाद वोनोद की माँ ने सहमती दे दी।

“सेठजी को बोल देना, मैं 5 नहीं, 10-10 माल (लड़कियाँ) सेठजी के पास भेज दूँगी। वो चाहे तो खुद भी सबका मज़ा लेले।" उसने वहीं विनोद और अपनी बेटी को निर्देश दिया कि वे जाए और जो मजदुर अपने लिए काम पर आये है वह मज़दूरों के बीच से अलग-अलग उम्र की 10 सेक्सी मालो (लड़कियों) को चुनें और शादी वाले दिन सुबह उन्हें सेठजी से मिलवाएँ।

महक और सुधा ने कुछ देर बातें कीं, कुछ नाश्ता किया और चली गईं। विनोद उनके साथ महक के घर गया। दरवाज़े पर ही सुधा ने माफ़ी मांगी और अपने घर चली गई।

महक ने अपने घर का दरवाज़ा खोला, चारों ओर देखा और विनोद को अपने साथ अंदर खींच लिया। उसने दरवाज़ा बंद किया और विनोद को उसी बिस्तर पर अपने ऊपर खींच लिया जहाँ पिछली सुबह विनोद ने सुंदरी और बड़ी बहू को चोदा था।
फनलवर की रचना है

महक: “क्या इरादा है मिस्टर?”

विनोद: “जो तेरा है उस से कही ज्यादा मेरा है।“और उसने महक के बोबले पर आक्रमण करने की कोशिश की पर महक हट गई।

महक: “साले तू बहोत चोदु किसम का है रे,सीधा माल पर हमला करता है।“

विनोद: “अब क्या करू जैसी माँ है वैसी बेटी है उसका माल भी तो चख ही लेना चाहिए!”

महक: साले तू मेरी माँ के पीछे क्यों पड़ा है? जब की उसकी बेटी का माल के पीछे नहीं है!”

विनोद: “देखो डार्लिंग, तेरी माँ के सपने हर कोई देखता है उसका माल सच में मस्त है और हर छोटा बड़ा उसकी चूत में सफ़र करना चाहेगा, लेकिन तुम भी तो कम नहीं है और दूसरी बात यह है की तेरी माँ को अगर चांस मिले तो चोद लू। तू तो मेरा ही माल है जब चाहे तुजे चोद सकता हु चाहे शादी के बाद ही सही।“

महक: “देखो विनोद माँ और बेटी को चोदना अच्छी बात नहीं है।” उसने अपने बोब्लो को फ्रॉक के ऊपर से ही थोडा सहलाया और विनोद को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करती रही।

विनोद थोडा आगे बढ़ा और महक के बोब्लो पर हमला कर दिया। इस बार महक तैयार नहीं थी या फिर खुद ही वह हमले होने की राह देख रही थी। खेर जो भी हो विनोद के हाथ में उसका एक बोबला आ गया था और वह उसी को दबाने लगा।

महक ने सिर्फ एक छोटी सी सिसकारी दी और विनोद का हाथ पकड़ कर अपने दुसरे स्तन पर रख दिया।

“अब भोसडिके, इसको क्यों छोड़ रहा है मादरचोद! दो बोबले होते है लड़की के एक को दबाएगा तो दुसरे को दुःख नहीं होगा क्या?”

विनोद ने भी “ह्म्म्म” के साथ दुसरे बोबले को मसलना चालू कर दिया। और दोनों के होठ अब एक हो गए।

थोड़ी देर के बार महक थोडा खिसकी।

महक ने अपने फ्रॉक को उठाया और अपना माल विनोद के सामने दिखाया।

अब चिकना माल सामने था तो विनोद का लंड उसको सलामी देने लगा और अपनी पेंट को निचे कर दी अंडरवियर तो था ही नहीं तो उसके लंड ने महक की चूत के सामने आके उसको सलामी देने लगा।

विनोद: “देख, मेरा लंड अपने माल (चूत) को सलामी दे रहा है अब उसके जाने के लिए जगह बनाने दे मेरी जान!”

महक:”जल्दी है क्या! आराम से। यह माल तेरा ही है और होगा शादी के बाद तो बस यह लंड और मेरी चूत हर रोज अपनी लड़ाई करते रहेंगे।” कह कर महक ने अपनी चूत के फांको को थोडा फैलाया और विनोद के लंड को अपने हाथ में ले लिया।

विनोद ने भी उसे कपनी तरफ खिंचा और फिर से उसके होठो पर अपने होठ रख के एक कर दिया, दोनों प्रेमी एक दुसरे के होठो के रस चूसने लगे। उस दरमियान दोनों के हाथ भी एक दुसरे के गुप्तांगो को सहला रहे थे।

थोड़े समय के फोरप्ले के बाद दोनों में एक मस्त आग लगी हुई थी जो ठंडी होनी चाहिए थी। विनोद ने पहल करते हुए महक को बिस्तर पर लेटा दिया। जैसे ही महक बिस्तर पर लेती उसने अपनी टांगो को हवा में फैला दी और अपनी चूत को उजागर करते हुए प्रेमी का लंड को आमंत्रित कर दिया।

विनोद ने अपने लंड को सहलाते हुए महक को फ्रॉक उतारने का इशारा किया और महक उस इशारों पे चली गई। अपने आप को नंगा कर दिया और साथ ही उसने विनोद को भी नंगा कर दिया।

विनोद ने अपना लंड को चूत के द्वार पर रखा और एक धक्का मारा, लंड उसकी चूत को चीरते हुए बड़े आराम से अन्दर चला गया। विनोद को लगा की इतनी आसानी से उसकी माँ की भोस में भी नहीं गया था जितनी आसानी से महक की छोटी सी चूत में गया।

महक समज गई की वोनोद क्या सोच रहा था। उसने तुरंत कहा कब से चूत गीली पड़ी हुई है, बस तेरे इस लंड का इंतज़ार करती थी और झरती रही थी।

और थोड़ी देर में “फ्च्च्क, फच्चक” की मधुर आवाजे कमरे में गूंजने लगी।

इसके बाद विनोद ने महक ने उसे पूरी तरह से संतुष्ट किया। उन्होंने दो घंटे से ज़्यादा समय तक मज़े किए और थकने के बाद विनोद ने कसम खाई कि वह महक से ही शादी करेगा और वह भी बहुत जल्द। यह महक की अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी, उसके पिता द्वारा की गई चुदाई से भी थोडा अलग, क्यों की वह प्रेमी था। विनोद के साथ चुदाई में कुछ खास बात है, शायद उसने सोचा होगा कि उसकी चूत में लंड के तेज़ झटके के साथ विनोद ने उसके शरीर पर प्यार की बारिश कर दी थी। दोनों सो गए और तभी उठे जब उन्होंने दरवाजे पर ज़ोरदार दस्तक सुनी।


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आज के लिए बस इतना ही, कल फिर एक नए एपिसोड के साथ मिलेंगे.


तब तक आप अपने मंतव्यो दे।.


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Sab ke sab bade chuddakad hain.
 

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पुष्पा ने कहा की वह थोड़ी ही देर के लिए आई हुई थी तो सब लोग वहा उसके घर चले। उन्होंने नाश्ता खत्म किया, तैयार हुए और सब साथ में घर से निकल पड़े। वे सब पुष्पा के घर पहुँचे। पुष्पा घर में ही रही और पूनम ने महक को पकड़ लिया और उससे साथ रहने का अनुरोध किया। उसने कहा कि शाम को वे दोनों सेठजी के घर चलेंगे। परम ने पूमा को देखा, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, पुष्पा का पति बाहर आ गया। सुंदरी ने अपना सिर ढक लिया और कहा, "प्रणाम भैया" और परम ने उनके पैर छुए। आखिर वह परम के होने वाले ससुर जो थे।

*****

अब आगे.................



कुछ बातचीत के बाद परम और सुंदरी ने रिक्शा लिया और सेठजी के घर पहुँच गए। सेठजी के बेटे अभी तक नहीं लौटे थे। सेठजी भी घर पर थे। उन्होंने परम को बहुत सारा काम सौंपा और जब तक परम ने सारा काम पूरा किया, रात के खाने का समय हो गया। उन्होंने खाना खाया और पिछली रात की तरह सुंदरी और परम सेठजी के घर रुके। शाम को महक पूनम और उसकी बहन के साथ आई थीं। वहाँ और भी दोस्त थे। रेखा के साथ समय बिताने के बाद,



महक, पूनम के साथ उसके घर गई और खाना खाने के बाद पूनम, महक के साथ उसके घर गई। हालाँकि घर पर कोई पुरुष नहीं था, फिर भी दोनों रात भर सो नहीं पाईं। उन्हें परम के बिस्तर के नीचे दो किताबें मिलीं और दोनों ने उनके पन्ने पलटने का आनंद लिया। उन्होंने ज़ोर-ज़ोर से कहानियाँ पढ़ीं और एक-दूसरे के साथ वैसे ही आनंद लिया जैसे पहली बार लिया हो। उसके बाद मुनीम ने अपनी बेटी महक की मौजूदगी में पूनम का कौमार्य भंग किया। दोनों लड़कियाँ तस्वीरें देखकर खुश हो गईं, जिनकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
फनलवर की रचना

पूनम: महक, ऐसा हो सकता है क्या?

महक: "क्या?"

पूनम - "यहीं सब।" पूनम अपनी कसी हुई चूत में महक की उंगली करने का आनंद ले रही थी “उसने किताबें फेंक दीं और कहा कि चूत के लिए बस परम और मुनीम जी जैसा मस्त लौड़ा चाहिए।”

महक ने पूनम की चूत में तीन-तीन उंगली एक साथ घुसते हुए कहा, "कुटिया चुदवाती होगी तभी तो ये फोटो है। देख चुदक्कड क्या आराम से पेलवा रही है।"

“तो क्या हुआ…मैं जब तेरा बाप और परम का मोटा लम्बा लंड अपनी चूत में ले सकती हूँ तो साला इसका लंड क्या है! वो तो आराम से चूत में घुस जाएगा।” पूनम ने अपनी चूची को मसलते हुए कहा।

“तू मरवायेगी इस से?” महक ने पूछा।

“ना बाबा ना… मुझे तो बस मुनीम काका का ही लंड चाहिए। काका क एल्न्द से मेरी चूत कब की हार कर फ़िदा हो गई है।” पूनम ने कहा।

लेकिन महक को इस बात पे उस पर गुस्सा आ गया था, वह मुनीम के लंड को सिर्फ और सिर्फ उसकी चूत के लिए है ऐसा वह मानती थी। वह उसके बाप का बच्चा भी रखना चाहती थी। हलाकि वह परम और वह अनजान सेठ के लंड को अपनी चूत में समा चुकी थी पर वह अभी भी अपने बाप का वह मोटा सुपारा....की सोच मात्र से उसकी चूत बह जाती थी। फिर भी वह अपने बाप को नयी-नयी चुतो को सप्लाय भी करना चाहती थी क्योकि उसकी माँ अगर दुसरे लंड को खा सकती थी तो उसका बाप क्यों नहीं। हलाकि सभी लोगो से एक बात तो तय थी की महक अब उसके बाप की रखैल थी। उसे यह भी पता था की जब सुंदरी को यह बात का पता चला तो उसका मुंह ख़राब हो गया था लेकिन उसने ना मन से स्वीकार भी था। वह दोनों माँ-बेटी मुनीम को किसी और के साथ नहीं सहन कर पा रही थी। सुंदरी के लिए उसका पति ही प्रथम प्रेम था और महक के लिए उसके बाप का लंड ही सर्वोपरी था। वही सोच से ही बाप का लंड उसकी चूत को फाडेगा की सोच से वह और कामुक हो गई।

अब महक ने पूनम की जांघों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया था और जोर जोर से चूत को मसल रही थी।

“सच बता, तुझे परम का लंड ज्यादा पसंद है कि मेरे बाप का।”

“मालूम नहीं…जब तेरा बाप चोदता है तो बहुत मजा आता है, फाड़ कर रख देता है, दो दिन तक चुदवाने का नाम नहीं लेती मेरी चूत, सूज के बड़ी रोटी जैसी बन जाती है। लेकिन परम के साथ चोदने में भी बहुत मजा आया था,लेकिन मुझे दोनों में तेरा बाप का सुपारा बहुत पसंद है।” पूनम ने कहा।

“साली, मेरे बाप को ज्यादा मत निचोड़ना! उस पर मेरा अधिकार भी है। बस सही समय की राह देख रहि हूँ।” महक को पसंद तो नही आया पर कुछ कर ना भी नहीं कह सकती थी।

महक ने अपनी सहेली को खूब डांटा और फिर दोनों 2-3 बार एक-दुसरे को झड के सुबह तक सोये रहे।



******

सेठाजी के घर पर परम के लिए सेट बैक था। रेखा, बड़ी बहू और सुंदरी ने मासिक धर्म के पहले दिन में प्रवेश किया। इसलिए चुदाई के लिए केवल छोटी बहू और सेठानी ही उपलब्ध थीं। रात के खाने के बाद जब सब बातें कर रहे थे तो सोने से पहले सेठानी ने चिंता व्यक्त की कि उसके दोनों बेटे अभी तक वापस नहीं आये हैं।

बड़ी बहू ने जवाब दिया..


“चिंता क्यों करती है! माँजी, दोनों किसी वेश्या के साथ कोठे पर मस्ती मार रहे होंगे!”

सुंदरी और सेठजी हँसे लेकिन सेठानी को बुरा लगा, उसने टिप्पणी की, "वो दोनों तुम बहुओं का कितना ख्याल रखते हो और तुम उन्हें बदनाम कर रही हो!"

“कितना ख्याल रखता है वे सिर्फ हम दोनों जानते हैं।” छोटी बहू ने कहा और अपने कमरे में चली गई।

सुंदरी, सेठजी और सेठानी के साथ उनके कमरे में चली गई। और कुछ देर बाद लीला परम के पास आई और दोनों ने तब तक चुदाई की जब तक वे फिर से उत्तेजित नहीं हो गए।
फनलवर की रचना

“परम, तू ही मेरा पति है…। हर बार मुझे खुश कर देता है।”

“भाभी, जिस दिन मैंने आपको पहली बार प्यार किया था, उस दिन कहा था ना,” परम ने बहू को गले लगाया और कहा: “मैं आपका जनम-जनम का गुलाम हूं।” उसने लीला को अपने कमरे में जाने को कहा। वह उठी और वहां खड़ी सेठानी का सामना किया।

“साली, खुद तो छिनार है, मेरी बेटो को रंडीबाज बोलती है! मादरचोद, यहाँ अपनी माँ चुदवा रही थी क्या!” सेठानी ने बहू को गाली दी।

लीला सास के पास आई और सेठानी के ढीले लेकिन काफ़ी बड़े स्तन दबाते हुए बोली, “माँजी, परम बहुत मस्त चुदाई करता है…आपकी सूखी हुई चूत को फिर से रसीला कर देगा। मेरी माँ को भी चुदवा लुंगी अगर अवसर मिला तो लेकिन सांस को चुदवा सकती हूँ अभी।” लीला ने परम को संबोधित करते हुए कहा,

“राजा, इस कुतिया को चोद कर अपनी बना दे!” उसने सास को परम की ओर धकेला।

परमने सेठानी को गले लगाते हुए कहा, "लीला भाभी, सेठानी जी मेरी पहली औरत है, पहली माल है।"

“माँ ही जब रंडी होगी, छिनाल होगी तो बेटा रंडीबाज बनेगा ही…और वो रेखा भी जरूर सबसे से चुदवाती होगी।” लीला ने कहा और देखा कि परम ने सेठानी को नंगा कर दिया है।

“साला, एक नंबर का जादूगर है ये सुंदरी का बेटा।” लीला अपने कमरे में चली गई, “किसिको भी पटा लेता है। साला मस्त भोस की पैदाश है।”

छोटी बहू बड़बड़ाती हुई अपने कमरे में चली गई। सेठाजी को अपने बिस्तर पर देखकर उसे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। वह उसकी बाहों में समा गई और दोनों ने रात भर खूब मस्ती की। परम ने सेठानी को जी भर के चोदा। सेठानी भी खुश हो कर काफी बार उसकी चूत रस छोड़-छोड़ कर आराम से परम के ऊपर पड़ी थी।

इधर सुंदरी भी सेठजी के साथ में थी हालाकि उसकी चूत भी लिक कर रही थी, पर सेठजी ने उसे खूब मसला।

“सेठजी अभी सेठानी आ जायेगी।”

“तो क्या? डरो मत वह परम के साथ होगी,मुझे पता है, मेरी बहु के साथ होगी, अपना मजा वह खुद ले लगी।“ उसने सुंदरी के स्तन को अपने मुंह में भरते हुए कहा।
फनलवर की पेशकश

सुंदरी ने भी अपना स्तन को पकडे हुए निपल चूसाते हुए बोली: ”वह सब तो ठीक है लेकिन आप को पता है ना आज मेरी चूत लीकेज में है। इसलिए आपके लंड को कोई आराम की जगह नहीं है!” और उनके लंड को हाथ में ले के खेलने लगी।

“सुंदरी, मुनीम कुछ बोलता तो नहीं ना!” सेठजी ने निपल को छोड़ा।

“नही सेठजी, लेकिन हम एक दुसरे से इस तरह की बाते नहीं करते। और नाही परम और महक से। आप की बहु को मुनीम चोदा यह नहीं मुझे नहीं पता पर मेरा उसको नहीं पता।“ सुंदरी ने दूसरा स्तन की निपल को थोडा खिंचा और सेठजी के मुंह के आगे रख दिया।

“चलो, अच्छी बात है तुम सब एक दुसरे को नहीं बताते सब जानते हुए भी!” इतना कह के उसने सुंदरी का घाघरा निचे कर दिया, उसने देखा की सेठानी की पेंटी वह पहने हुए थी। उसने अपना हाथ पीछे ले जाके एक ऊँगली सुंदरी गांड में पिरो दी। एक हलकी सी सिसकारी सुंदरी के मुंह से निकली और अपने पैरो को थोडा खोला और अपने दुसरे हाथ से अपने कुल्हे को थोडा खिंचा ताकि ऊँगली अपने मार्ग पर आगे बढे।

बस इस तरह सेठजी ने उसकी गांड अपनी ऊँगली से मारते रहे और रात भर अपने लंड का माल से सुंदरी का पेट भरते रहे।

सुबह-सुबह सुंदरी उठ गई और वह सेठजी के कमरे से बाहर आई सब से पहले उसने बहु के रूम के पास गई। सुंदरी ने दरवाज़ा खटखटाया और नंगी सेठानी ने दरवाजा खोला जहा परम नंगा अपनी झंगो के बिच लंड लटकता हुआ सोया हुआ था।

उसने सेठानी से कहा सेठानी आपका काम रातभर हो चुका होगा शायद, आपकी चूत से अभी भी परम का आशीर्वाद टपक रहा है।”

उसने सेठानी की चूत के फाको पर हाथ रखते हुए बोला था। उसकी उंगलियों पर परम और सेठानी का मिश्र रस आके चिपक गया जो उसने बड़े आराम से अपनी ऊँगली को चाट लिया, और थोडा सेठानी के मुंह में रख दिया जो उसने भी बड़े आराम से चाट लिया और ऊपर से उसकी चूत में ऊँगली डाल के फिर से मिश्र रस को लिया और चाट गई।

“सुंदरी तेरे बेटे का रस बहोत बढ़िया है।“ सेठानी ने सुंदरी की गांड को दबय्ते हुए कहा।

“जानती हु सेठानिजी, और आपका स्वाद भी मस्त है तभी तो मैंने आपकी चूत से टपक रहा परम का माल भी चाट लिया।“ सेठानी ने सुंदरी बोल्स को दबाया और कहा “मुझे तेरा स्वाद चखने का मौक़ा कब दे रही है?”

“आपका तो माल है सेठानिजी जब चाहे मेरे पैरो को खोल के अपना मुंह अन्दर डाल दीजिये।“

“सेठ ने कुछ किया!”

सुंदरी मुस्कुराई और बोली:”पूरी रात गांड मारते रहे अपनी उंगलियों से।“

उसने जोड़ते हुए कहा: “अगर अब आपका काम हो गया हो तो आप अपने कमरे में वापस चले जाएँ, इससे पहले कि कोई मेहमान आप लोगो को एक साथ देख न ले।“

सेठानी की चुदाई के बाद, परम रेखा के कमरे में गया, लेकिन चूमने और सहलाने के बाद उसने उसे वापस भेज दिया।

जब वहा,पूनम और महक ने ज़बरदस्त लेस्बियन सेक्स के बाद अच्छी नींद ली।


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आज के लिए बस इतना ही
। हो सके तो अपनी राय देना ना भूले, बाकी आपकी मर्जी


फनलवर का

जय भारत
Bahut gajab ka sex chal raha hai. Sabko sab pataa hai par sab anjaan bhi bane hue hain.
 

Premkumar65

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सेठानी की चुदाई के बाद, परम रेखा के कमरे में गया, लेकिन चूमने और सहलाने के बाद उसने उसे वापस भेज दिया।



जब वहा,पूनम और महक ने ज़बरदस्त लेस्बियन सेक्स के बाद अच्छी नींद ली।

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अब आगे.............

Update 17​



आपको याद होगा कि कोलकाता जाते समय कार में सुंदरी के बारे में बात करने के बाद, सेठाजी के बड़े बेटे (मोटा सेठ - बड़े भाई) ने ड्राइवर से पूछा, ड्राइवर इस अनुरोध पर खुश हुआ। उसे अचानक कहा गया कि वह इन दोनों भाइयों को शहर ले जाए। उसने रात के लिए कोई कपड़े नहीं लिए थे। लगभग पाँच घंटे की ड्राइव थी। ड्राइवर ने शहर में उनके समय के बारे में पूछा। उसे बताया गया कि वे दो रातों के लिए वहाँ रुक सकते हैं, लेकिन कल रात से पहले तो नहीं। ड्राइवर ने बदलने के लिए एक जोड़ी कपड़े की अनुमति माँगी और उसने कार को अपने घर की ओर मोड़ दिया जो पास ही था। वह अंदर गया और लगभग दस मिनट बाद एक बैग लेकर बाहर आया। उसके पीछे उसकी माँ और एक दुबली-पतली महिला चल रही थी, जो साड़ी पहने और घूँघट से चेहरा ढके हुए थी। दोनों भाइयों ने उसकी तरफ देखा। हालाँकि वे उसकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सके, लेकिन वह बहुत जवान लग रही थी। दोनों महिलाओं ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। ड्राइवर ने एक को अपनी माँ और दूसरी को अपनी पत्नी बताया।

ड्राइवर ने सीट ली और इंजन स्टार्ट किया। उस समय बुज़ुर्ग महिला ने कहा कि गुलाबो कोलकाता देखना चाहती है और दोनों से उसे साथ ले जाने का अनुरोध किया। उसने ड्राइवर को उसे अपने साथ ले जाने की सलाह दी। दोनों ने लड़की के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान देखी। सभी फिर से अंदर गए और जल्द ही एक और बैग लेकर वापस आ गए। महिला अपने पति के पास बैठ गई और गाड़ी चल पड़ी। रास्ते में दोनों भाई ड्राइवर की पत्नी 'गुलाबो' से बात करते रहे। वह धीरे-धीरे खुलने लगी। उसने अपना चेहरा खोला और दोनों भाइयों ने एक बहुत ही जवान और तरोताज़ा चेहरा देखा।

उनकी शादी को केवल एक साल हुआ था। वह ड्राइवर की दूसरी पत्नी थी जिसकी उम्र लगभग 34 साल थी। जब उन्होंने उससे उसकी उम्र के बारे में पूछा तो वह खिलखिलाकर हँस पड़ी और कहा कि वह अपने माता-पिता की आखिरी संतान है। ड्राइवर ने बताया कि वह सिर्फ़ 20 साल की है, उसकी आधी उम्र की। लगभग 10 मिनट की बातचीत के बाद, उनके पास बात करने के लिए कुछ नहीं बचा था, इसलिए सब चुप रहे। गाड़ी आराम से चल रही थी।

गुलाबो को नींद आने लगी। पीछे बैठे दोनों भाइयों ने देखा कि गुलाबो ऊँघते हुए अपना सिर एक तरफ़ घुमा रही थी। वे लगभग 10 मिनट तक यह देखते रहे। फिर छोटे भाई ने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा। छोटा भाई गाड़ी से बाहर आया और दरवाज़ा खोला। उसने गुलाबो को बाहर आने को कहा। पति-पत्नी दोनों ने उसे खाली आँखों से देखा।

उसने कहा कि अगर वह इसी तरह ऊँघती रही, तो ड्राइवर को भी नींद आ जाएगी और कोई दुर्घटना हो सकती है। गुलाबो झिझकते हुए बाहर आई और मोटे भाई के बगल वाली पिछली सीट पर बैठ गई, हालाँकि उनके बीच लगभग दो फ़ीट का अंतर था। छोटा भाई आगे बैठ गया और गाड़ी फिर चल पड़ी। उसने एक किताब निकाली और पढ़ने लगा।

अपने पास इतनी पास बैठी एक जवान लड़की को देखकर मोटा भाई उत्तेजित हो गया और सोचने लगा कि इस लड़की को कैसे फुसलाया जाए ताकि ये दोनों उसे चोदें। वह ड्राइवर के ठीक पीछे बैठा था। उसने फिर से गुलाबो को गाँव, उसके परिवार, उसके बचपन वगैरह की बातों में उलझा दिया। वह कोयल की तरह सुनाती रही। और बातें करते-करते मोटा भाई बोला,

“अरे, इतनी दूर बैठी हो, कुछ सुनाई नहीं दे रहा, ज़रा नज़दीक आ जाओ!”

मासूमियत से वह उसकी तरफ बढ़ी और अब अगर वह चाहता तो अपने हाथ उसकी जांघों, पेट या यहाँ तक कि उसके स्तनों पर भी रख सकता था। दोनों पिछली सीट पर बातें कर रहे थे और गुलाबो की नज़रें कई बार रियर व्यू मिरर में उसके पति की नज़रों से टकराईं। और फिर अचानक उसने पाया कि उसकी दो उंगलियाँ बड़ेभाई की उंगलियों की गिरफ़्त में हैं।

उसने उंगलियाँ निकालने की कोशिश की, लेकिन बड़ेभाई ने उन्हें अपनी गिरफ़्त में रखा और आख़िरकार उसने हार मान ली और अपनी उंगलियाँ उसके हाथ में छोड़ दीं। वह मुस्कुराई और दूसरी तरफ़ देखने लगी। अब बड़ाभाई का हौसला बढ़ा और उसने उसकी हथेली अपने हाथ में लेकर उसे कसकर पकड़ लिया। वह सीधी बैठ गई और अपनी आँखें बंद कर लीं। उसके हाथ अभी भी बड़ेभाई के हाथ में थे, लेकिन दोनों हाथ उनकी जांघों के बीच एक फ़ीट से ज़्यादा की दूरी पर थे। छोटेभाई ने पीछे मुड़कर देखा और यह देखकर खुश हुआ कि उसके भाई ने उसका हाथ पकड़ रखा है। वह जानता था कि जल्द ही उसके भाई के हाथ उसके कसे हुए बोबले पर होंगे।

बड़ाभाई उसका छोटा और मुलायम हाथ थामकर बहुत खुश था। हालाँकि बड़ी बहू, उसकी पत्नी बहुत 'मालदार' है, वह उसकी संगति में कभी सहज महसूस नहीं करता था। उसकी पत्नी सेक्स के मामले में बहुत ज़िंदादिल, गर्म और कठोर थी, जबकि दोनों भाई कोमल और सुखदायक चुदाई चाहते थे। हालाँकि बड़ी बहू मुखमैथुन के लिए गिड़गिड़ाती रही, वह कभी राजी नहीं हुआ। अब, इस कार में, उसे इस 18 साल की जवान लड़की, उनके ड्राइवर की पत्नी, के साथ बैठना अच्छा लग रहा था, वह भी उसके पति की मौजूदगी में। बड़ाभाई उसे थामे हुए अच्छा महसूस कर रहा था।

गुलाबो भी सोच रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इलाके के सबसे अमीर आदमी का बेटा उसे कभी छूएगा और अब उसका हाथ उसने थाम लिया था। ऐसा नहीं है कि किसी ने उसे पहली बार छुआ हो। शादी से पहले गाँव के एक आदमी ने उसे कुछ बार सहलाया था, लेकिन उसने कभी उसके नंगे बदन को नहीं छुआ था। पिछली होली पर भी लोगों ने नहीं, कुछ लोगों ने तो उसके स्तन भी दबाए और चूत पर चुटकी भी ली, लेकिन कपड़ों के ऊपर से। वह अपने पति की चुदाई से खुश थी। हालाकि वह भी अपने घर सेफ तो नहीं थी और नाही सिलपेक ससुराल आई थी, वह भी जानती थी की जो उसका बाप कहलाता है वह दरअसल में उसका बाप नहीं है, पर उसे बाप ने ही उसे चोद दिया था,उसका माल भी अपनी चूत में ले चुकी थी, फिर उसके भाई ने भी अपना लंड उसकी चूत में खाली कर दिया था, पर उनको ज्यादा मौक़ा मिलता उसकी मलाईदार चूत का उस से पहले ही उसकी शादी हो गई।

बस,अभी फिलहाल तो इस से ज्यादा आगे जानने में कोई दिलचश्पी नहीं है।




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आज के लिए बस यही तक। फिर परसों मिलेंगे एक नए एपिसोड के साथ

तब तक आप अपनी राय देना ना भूलिए................


फललवर की तरफ से



जय भारत
Wah ab ek aur nai chut aa gai hai.
 

sunoanuj

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