बस अभी दे ही रही हु ................Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
शुक्रिया दोस्तकृपया आभारी ना रहे । हम आपके आभारी है जो बिना की सैलरी लिए आप ये सर्वजन्य हिताय कार्य कर रहे है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
Mast updateअब आगे.................
"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"
वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।
“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”
“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”
उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।
“मैंने बहुत छोकरियो (लड़कियों) को चोदा है.. लेकिन तेरी चूत चोदने में बहुत मजा आएगा।”
महक उसका लंड अपनी जांघों पर महसूस कर रही थी। सुबह उसने अपनी माँ से कहा था कि वो अब चुदाई करवाना चाहती है, लेकिन अब वह इस आदमी से छुटकारा पाना चाहती थी, वह डरी हुई थी।
“प्लीज़ मुझे जाने दीजिए... आप जो बोलेंगे मैं करूंगी।“ मैत्री और फनलवर की रचना है।
“तो पूरी नंगी हो जाओ…” आदमी ने उसे हवा में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसने उसकी स्कर्ट खींची और ब्लाउज फाड़ना चाहा, लेकिन वह रुक गई और एक-एक करके अपने बटन खोलकर ब्लाउज उतार दिया।
“माँ की कसम, तू सच में बहुत ज़्यादा ज़बरदस्त माल है,तू जिस भोस से आई है उस भोस को भी मैं सलाम करता हु, क्या मस्त माल पैदा किया है,तेरी माँ ने!” उसने उसकी जांघें सहलाईं और कहा,
“अब जल्दी से पूरी नंगी हो जा।” लेकिन उसने उसके कुछ करने का इंतज़ार नहीं किया। उसने ब्लाउज खींचा, हुक टूट गया और स्तन बाहर आ गए। महकने अपनी टाँगें क्रॉस करने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी महक के लिए तेज़ और मज़बूत था। उसने फ्रॉक उतार दी और उसकी छोटी सी चूत देखी, जिस पर छोटे-छोटे भूरे बाल थे। उसने उसकी जांघें अलग कीं। उसने अपनी चूत को ढकने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी जांघों के बीच आ गया और उसकी चूत के होंठ अलग कर दिए। उसने चूत और भगशेफ पर उंगली रगड़ी। वह काँपने लगी। महक ने इस मस्ती का और अपने भाई और पिता के सुपारे को अपनी चूत पर रगड़ने का मज़ा तो लिया, लेकिन अब उसे यह सोचकर बहुत बुरा लग रहा है कि यह आदमी सच में... उसकी चुदाई करने जा रहा है, उस सोच से महक को डर लगने लगा है।
उसे याद आया कि कैसे कल शाम को उसकी दोस्त पूनम रोई थी और दर्द महसूस कर रही थी जब उसके पिता ने उसकी चूत में अपना लंड डाला था और उससे पहले सुधा परम के लंड के नीचे रोई थी।
एक बार फिर महकने उसे न चोदने के लिए प्रेरित करने के लिए एक हताश कदम उठाया,
“साहब मुझे छोड़ दो,मैं आपकी बेटी के के बराबर हूं, मेरी… फट जाएगी… प्लीज मुझे घर जाने दो… मैं अपनी सहेली को चुदवाने के लिए ले आऊंगी… प्लीज मुझे जाने दो….! आप चाहे तो आपके पैसे वापिस ले सकते हो।” अब वह चाहती थी की उस से तो अच्छा बाप या भाई ही उसे चोदता, अब वह अपने निर्णय पे पछता रही थी लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। जब चिड़िया चुभ जाए खेत। यहाँ महक पर खूब बैठ रही थी। अब वह एक चुदाई वाले ग्राहक के हाथ मे थी। और कोई भी ग्राहक उसे चोदे बिना कैसे जाने दे सकता था भला!
“बेटी, तुम्हारी जैसा माल अगर मेरी अपनी बेटी भी होती तो मैं उसे कब का चोद डालता…।अब तक वह मेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। तू कोई फिकर ना कर।” मैत्री और नीता की रचना।
उसने कपड़े उतारे और कहा, "अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है..." उसने अपना सुपारा चूत के छेद पर रखा और दबाया।
महकने लंड को दूर धकेलने की कोशिश की लेकिन उसने उसके हाथों को उसके शरीर से दूर कर दिया।
“अब बोल रानी, तू वर्जिन है कि चुद चुकी है?”
"आपको चोदना ही है तो क्या फ़र्क पड़ता है.. कि मैं वर्जिन हूँ की नहीं..." महक ने खुद को शांत करने की कोशिश की। वह जानती थी कि आज उसे इस आदमी का लंड अपनी चूत में अंदर तक लेना होगा। लंड साधारण था, न लंबा, न छोटा...महेक को आराम महसूस हुआ कि यह अब तक दो लंडों जितना मोटा नहीं है...
"बहुत दर्द नहीं करेगा... ।"
“फर्क पड़ता है रानी।” आदमी ने अपने लंड को और गहराई तक धकेला और महक ने अपने कूल्हे को झटका दिया।
“तू अगर वर्जिन है तो प्यार से चोदूंगा नहीं तो खूब ठुमका लगाऊंगा…। और वैसे भी पैसे मैंने तेरी शील तोड़ने के दिए है बेटा।”
“तो झुमकर ठुमका लगाओ राजा… मैं बहोत लंड खा चुकी हूँ…” महक को सुनाने में मजा आया। वो असली चुदाई का मजा लेना चाहती थी।
“क्या सोचते हो..कि तुम ही अकेले मर्द हो…जिसे मेरा माल पसंद है……खुद सोचो, क्या कोई मेरी जैसी ‘माल’ को ज्यादा दिनों तक कुंवारी रहने देगा! अब तक कम से कम 30 लौड़ा ले चुकी हूं…।”
महक की बात सुनकर उसे गुस्सा आ गया और उसने अपने कूल्हे को थोड़ा ऊपर उठाया और पूरी ताकत से लंड को चूत में धकेल दिया। महक अपने दर्द को नियंत्रित नहीं कर पाई और चिल्लाई।
“ओह्ह माँ....मैं मर गई माँ…” उसे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसे पसीना आने लगा। उसका शरीर अकड़ गया और एक सहज क्रिया की तरह उसने उस आदमी को अपनी बाहों में ले लिया।
“बहुत दर्द हो रहा है… लंड बाहर निकाल लो…” अब वह सोच सकती है कि कल रात जब मुनीम का वह मोटा लंड पूनम के अंदर गया होगा तो उसे कितना दर्द हुआ होगा।
“रानी जो दर्द होना था हो गया अब तो मज़ा आएगा… कुतिया तुम झूठ क्यों बोली कि तुम वर्जिन नहीं हो…तेरी चूत ने खून का फुवारा दे दिया और अपना प्रमाण दे दिया की तुम्हारा कौमार्य मेरे लंड ने ले लिया है।”
“कोई बात नहीं, अब आराम से चोदूँगा..।”
उसने चुदाई रोक दी और उसे चूमने लगा। उसने उसके होंठों, गालों, आँखों को चूमा और उसके कसे हुए स्तनों को धीरे से सहलाया। कुछ मिनटों के बाद महक का शरीर आराम मिलने लगा और उसे चूत में लंड का कसाव महसूस हुआ।
उसने अपनी कमर हिलाई और कहा, "अब चोदो राजा...जम कर चोदो... ।" मैत्री और नीता की रचना।
आदमी और महक ने चुदाई का भरपूर आनंद लिया और उसने उसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। उसे चुदाई में बहुत मज़ा आया और यह आनंद यादगार था और उसके भाई और पिता के साथ पहले मिले आनंद से कहीं बेहतर था। उसने आदमी को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश की। जब वह स्खलित हुआ और उसकी चूत भर गई, तो उसने उसका लंड चूसा हलाकि उस लंड पर उसके चुतरस और खून भी लगा हुआ था पर आराम से कोई तकलीफ नहीं उसे उस छोटे से लंड को चूसते हुए और उसे फिर से कड़ा कर दिया और उन्होंने फिर से तूफानी चुदाई की।
“ओह्ह्ह्ह…… रानी, मैं सच कहूँ तो मैं बहुत किस्मत बाला हूँ कि तुम्हारे जैसी मस्त माल को चोदने का मौका मिला वो भी कुंवारी चूत…” उसने उसे चूमा और प्यार किया।
“बहनचोद, तेरे सेठ ने तुझे क्यों नहीं चोदा अब तक….वो भी एक नंबर का चुदक्कड है….हमने कई बार एक साथ मजा लिया है…।”
"मुझे तो बस आप जैसा मर्द ही चोद सकता है...मेरे सेठजी में दम नहीं है मेरी गर्मी शांत करने का..." महक ने जवाब दिया और पूछा कि क्या वह तीसरा राउंड चाहता है?”
“ना रानी…अब तो तुमने सारा गरमी चूस लिया लेकिन बाद में फिर चोदूंगा…” वह उससे सहमति चाहिए थी।
“जब बोलोगे.. आ जाऊँगी... बस सेठजी को बोल देना...” उसने सहमति दे दी।
ऑफिस रूम में बेटी एक पिता जैसे आदमी से चुद रही थी।
और घर में...
*******
बने रहिये और इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले..................
।।जय भारत।।
कल तक के लिए विदा...............
Munim ki tho nikal padiअब आगे................
आप लोगो को याद होगा कि सुबह मुनीम ने पूनम से शाम को फिर से चुदाई के लिए आने को कहा था।
मुनीम को पूरा भरोसा था कि पूनम ज़रूर आएगी, वह जानता था की एक बार जिसने उसका लंड लिया वह दूसरी बार क्या बार-बार आती रहेगी और उसका लंड खली करती रहेगी, और जब दोपहर में उसने सेठजी और उसके सामने सुंदरी को एक आदमी के साथ संबंध बनाते देखा, तो वह पूनम को चोदने के लिए बहुत उत्साहित हो गया।
और उसने तय कर लिया कि आज रात चाहे कुछ भी हो जाए, वह उसकी अपनी बेटी महक को भी चोदेगा। इसलिए सेठजी के घर जाने के तुरंत बाद उसने ऑफिस भी बंद कर दिया और रिक्शा लेकर घर पहुँच गया। चाबी उसके पास थी क्योंकि सुबह ही तय हो गया था कि बाकी सब सेठजी के घर पर होंगे।
मुनीम अंदर आया और लुंगी पहन ली। जब वह नहा रहा था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मुनीम ने सोचा कि पूनम है। फिर भी उसने पूछा;
"कौन है..?"
"मैं हूँ काका, दरवाज़ा खोलो!" जवाब आया। एक महिला की आवाज़ आई।
यह सोचकर कि यह पूनम है, उसने उसका स्वागत करने की सोची। उसने लुंगी उतार दी। सिर्फ़ पूनम और सिर्फ़ उसके ख्याल से ही उसका सुपारा पूरा आकार ले चुका था। उसका सुपारा अपे सीथ से आधा बहार आ चुका था। वह नंगा ही दरवाज़ा खोलने आया। उसे हैरानी हुई कि वह 'पूनम' नहीं, बल्कि उसकी बेटी की एक और सहेली 'सुधा' थी। (जब पूनम ने कॉलेज में अपने पिता के बड़े सुपारे के बारे में बताया था, तो सुधा ने उसे चखने का फैसला किया था और जब महक ने कहा कि शाम को वह घर पर नहीं होगी, तो सुधा ने मुनीम के बड़े आलू के आकार के सुपारे के साथ मज़े करने का फैसला किया।)
मुनीम ने इधर-उधर देखा। कोई नज़र नहीं आ रहा था। सुधा मुनीम को पूरी तरह नंगा और पूरे आकार में तना हुआ लंड देखकर चौंक गई। यह उसके पिता के लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा और मोटा था, जिसे उसने सुबह भी देखा था जब वह नौकरानी रिंकू को चोद रहे थे। इससे पहले, कि सुधा कुछ कहती मुनीम ने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
“बेटे अब तो तुमने देख ही लिया है.. तो फिर तुमसे छिपाना क्या…!” मैत्री और नीता की रचना।
मुनीम ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे अपनी ओर खींच लिया। सुधा ने अपनी आँखें हाथों से ढँक ली थीं। उसने उसके हाथों को उसकी आँखों से हटा दिया और कहा
“शर्माती क्यों हो बेटी, तुम तो पूरी जवान हो.. लंड लेने के लायक हो गई हो… इसे छू कर बताओ कि मेरा लंड कैसा है…!” इतना कहकर मुनीम ने लंड सुधा के हाथ में रख दिया।
सुधा तो इसी लंड का मजा लेने आयी थी, पर जब वो यहाँ आई तब तक वह रस्ते में एक से दो बार मन ही मन में मुनीम का लंड अपनी चूत में ले चुकी थी।पर सामने जब मुनीम का लंड आया तो उसकी चूत में एक अजीब सी फड़क बैठ गई, और सोचने लगी की इतना बड़ा लंड, कैसे हो सकता है,सुपारा तो न जाने कहा से लेके आया है। लंड देखने के बाद वह थोड़ी डर गई थी उसकी चूत लंड को देखने के बाद जैसे सिकुड़ कर अपना दरवाजा बंद कर के बैठ गई हो। पूनम की बात बिलकुल सही थी यह लंड बहोत खतरनाक हो सकता है, उसकी चूत और गांड की धज्जिया उदा सकता है। लेकिन पूनम को मजा आया मतलब उसको भी आएगा। वो सोच रही थी कि कैसे मुनीम को चोदने के लिए लिया जाएगा लेकिन यहां तो मुनीम का लंड निकल कर उसके हाथ में डाल दिया है। सुधा इतना सोच ही रही थी कि मुनीम ने सुधा के फ्रॉक को सिर के ऊपर से बाहर निकाल दिया। सुधा ने एक ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मुनीम ने सुधा को अपनी ओर घुमाया और उसकी चुचियो को प्यार से मसलने लगा...
“काका क्या कर रहो हो!” कहते हुए सुधा ने लंड को मसल दिया…।
निपल दबाते-दबाते और खिंच के छोड़ते-छोड़ते, मुनीम का हाथ सुधा के पेट से होते हुए उसकी चूत के आसपास घुस गया और मुनीम ने सुधा की चिकनी चूत को मुट्ठी में लेकर मसल दिया।
“आआहह… काका…।”
थोड़ी देर तक चूत को मसलने के बाद मुनीम ने सुधा को अलग किया। अब सुधा नंगी थी, सुधा का शरीर भी महक की तरह टाइट और स्वस्थ था, लेकिन बोबले महक से छोटे थे। मुनीम ने सुधा को बिस्तर पर ढकेला तो सुधा ने पैर तो फैला कर उठा दिया।
मुनीम को अब कंट्रोल नहीं था। उसने सुधा के चूत की बाहरी पटलो को फैलाया और लंड को उसने सटाया ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई और आवाज आई,
“उसकी माँ को चोदे! कौन है?”
“मैं हूँ, मैं पूनम हूं, दरवाजा खोलो।” मैत्री और नीता की सहयारी रचना।
मुनीम सुधा को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर खुद नंगा दी दरवाजे पर गया और पहले की तरह दरवाजा खोला और पूनम को अंदर खींच लिया। पूनम तो दरवाजे पर मुनीम को नंगा देखकर घबरा गई और अंदर आ कर जब सुधा को बिस्तर पर नंगी लेटे देखा तो बोल पडी,
“आज महक नहीं तो सुधा को ही बुला लिया! लगता है तुम लोगों ने अभी चुदाई की नहीं!” पूनम ने सुधा की चूत को चूमा और बोली,
“काका इस कुतीया की प्यास बुझा दो फिर मेरी चुदाई करना।
मुनीम बिस्तर पर चढ़ा और लंड को सुधा के चूत के एंट्री द्वार पर रख कर जोर से दबाया। सुधा की चूत गीली हो चुकी थी और 5-6 करारे धक्के में पूरा लंड घुस गया। मुनीम ने पहले से ही उसका एक हाथ सुधा के मुंह पर रख दिया था। वह जानता था की लंड जाएगा तो यह माल उस्छ्लेगा। उसके यह प्रेक्टिस में था। कोई भी चूत आसानी से मुनिमका लंड नहीं ले सकती थी चाहे कितनी बार ही चुदी हो और यहाँ तो एक कच्चा जैसा माल था।
सुधा ने कस-कर मुनीम को पकड़ कर रखा था और हर धक्के पर सिसकारी मार रही थी…पूनम ने भी काफी सहकार दिया सुधाको अपने बूब को उसन=के मुंह में दल कर धीरे से कह रही थी चिल्लाना मत बस मार खाती जा।
सुधा आब सांतवे आसमान में पहुँच गई थी, बहुत मजा आ रहा था...और आता भी क्यों नहीं...मस्त लंबा, मोटा टाइट लंड और कड़क जवान गरम चूत को खोद रहा था।
फिर कल रात की तरह मुनीम ने दोनो के साथ खुब मस्ती मारी, दोनों लडकियों की चूत को २-३ बार झाड दिया। दोनो से अपना लंड चुसवाया और उनकी चूत को चाटा और चोदा। दोनो लड़कियो ने भी एक दूसरे की चूत का मजा ली। और दोनो ने मुनीम से वादा लिया कि अगली बार उनके सामने पहले महक को चोदेगा और फिर उनकी चूत को।
करीब दो घंटे की मस्त चुदाई और चूत की रस-मलाई छोड़ ने के बाद दोनों लड़कियाँ अपनी एब्नोर्मल चाल से अपने-अपने घर चली गईं। मुनीम लंड को सहलाता रहा और इंतजार करता रहा कि कब महक घर आएगी और उसको जम कर चोदे।
लेकिन महक के बारे में सोचते-सोचते मुनीम को दोपहर का सीन याद आ गया जब वो ऑफिस के कमरे में पेपर साइन करने गया था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुंदरी, पूरी तरह से नंगी, कुत्ते की मुद्रा में, मुँह में एक बड़ा सा लंड और चूत पूरी दुनिया के सामने खुली हुई, कैसे रह सकती है। उसे पछतावा हुआ कि उसने उसे चोदने की इच्छा क्यों नहीं जताई। मुनीम ने तय किया कि अगली बार अगर ऐसा मौका आया तो वो सेठजी की की पत्नी को चोदेगा, चाहे वो सुंदरी हो, महक हो या सेठजी की बेटी या बहू...
हिसाब तो बराबर रहना चाहिए.......शायद मैं तो मेरे दो माल देके सेठजी के सभी मालो पर अपने लंड से वीर्य की धाराए बहता रहूँगा।
****
जाऐगा नहीं................
आपकी राय इस एपिसोड के बारे में देना ना भूले
।।जय भारत।।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गयाअब आगे..................
उसका दिल खूब जोर जोर से धड़क रहा था। इससे पहले सुंदरी अपनी मर्जी से परम, सेठ और विनोद के लंड को अपनी चूत में पेलवाती थी। लेकिन आज सुंदरी इस अजनबी से चुदवाने में घबरा रही थी। सुबह जब सेठ ने कहा था यहां आने के लिए तो उसने सोचा था कि सेठ ही फिर चुदाई करेगा लेकिन यहां तो एक काला कलूटा जवान मर्द खड़ा था उसे चोदने के लिए। सेठ ने अचानक ही उसकी साड़ी को खींच कर अलग कर दिया कर दिया था और अब सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़ में।
उसने अपने हाथों को क्रॉस करके अपनी चुची को ढक रखा था। काला आदमी समय बर्बाद नहीं करना चाहता था। उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और सुंदरी के पास आया। उसने मुँह मोड़ने की कोशिश की, लेकिन अजनबी ने उसे पकड़ लिया और उसे ऊपर खींच लिया। वह चूमने लगा और चूमते-चूमते उसके स्तन दबाने लगा। कुछ मिनट तक सुंदरी स्थिर रही, लेकिन कब तक? आख़िरकार वह एक जवान औरत थी और अजनबी धीरे-धीरे लेकिन मज़बूती से उसकी चुची दबा रहा था और चूम रहा था।
उसने जवाब दिया। उसने उसका एक पैर उठाया और उसे अपनी कमर के चारों ओर लपेट लिया। अब अजनबी का हाथ उसके कूल्हों पर घूम रहा था और उसकी चूत दबा रहा था। सुंदरी ने अपना पेटीकोट खोला और उसका लंड पकड़ लिया। उसने लंड को अपने जघन क्षेत्र और योनि के होंठों पर रगड़ा। अजनबी उत्तेजित हो गया। उसका लंड उछल पड़ा। यह एक सामान्य आकार का लंड था, लगभग 6 इंच लंबा और 1.5 इंच मोटा। कुछ मिनट तक उसे चूमने के बाद उसने सुंदरी को बिस्तर पर धकेल दिया और बिना किसी मस्ती के उसके पैरों को अलग किया, लंड को चूत पर रखा और जोर लगाया।
चूत के अंदर पूरा जाने के लिए उस मर्द को जाम कर 4-5 धक्का लगाना पड़ा। सुंदरी जोर से कराह उठी। जैसे पहली बार कोई लंड उसकी चूत में प्रवेश कर रहा हो। ऐसा ही करना पड़ता है तभी तो सामनेवाले को मजा अत है।
“आआहह……”
अजनबी को जोश आ गया और उसने सुंदरी को ज़ोर-ज़ोर से चोदा। 7-8 मिनट के बाद उसे झड़ने का एहसास हुआ और उसने सुंदरी से पूछा-
“तेरी चूत में मूत दू…?” मैत्री और नीता की रचना
“नहीं राजा, बाहर निकल लो.. मैं हाथ से ठंडा कर दूंगी।”
उसने अपना लंड बाहर निकाला और सुंदरी के चेहरे के पास घुटनों के बल बैठ गया।
“रानी, चूस कर ठंडा कर दो..” उसने लंड सुंदरी के मुँह में ठूँस दिया। हालाँकि अजनबी पूरा लंड सुंदरी के मुँह में ठूँसना चाहता था, लेकिन उसने लंड का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा ही लिया और उसे अपने होंठों के बीच चूस लिया। सुंदरी का चूसना एक अनोखा अनुभव था जो किसी मर्द ने पहले कभी नहीं किया था। वह उसे लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और उसके अंडकोषों को भी सहला रही थी। अजनबी खुद को रोक नहीं पाया और सुंदरी ने अपना मुँह बाहर खींच लिया। उसने लंड को पकड़े रखा और वीर्य की बूँदें अपने स्तनों पर गिरने दीं। सुंदरी उसके वरी को पीना या चाटना नहीं चाहती थी। उसने उस आदमी की आँखों में देखा और पूछा,
"कैसा रहा?"
उसने उसे चूमा और कहा, "तुम बहुत मस्त हो, बहुत मज़ा आया..." उसने अपने गले से 'सोने का हार' निकाला और सुंदरी को पहनाने में मदद की। दोनों एक-दूसरे को पकड़कर बिस्तर पर लेट गए। वे इधर-उधर की बातें करते रहे और अजनबी सुंदरी के शरीर को सहलाता रहा। वह लंड को सहलाती रही और लगभग आधे घंटे बाद लंड फिर से सुंदरी की गीली चूत में था। इस बार वह उसे ज़मीन पर खड़ा करके चोद रहा था, सुंदरी के दोनों पैर हवा में फैले हुए थे। वह अपने दोनों मज़बूत हाथों में उसके पैरों को संतुलित करके चोद रहा था।
वह हर धक्के के साथ अपना 80 किलो वज़न चूत के अंदर डाल रहा था। सुंदरी इस चुदाई का पहले से कहीं ज़्यादा आनंद ले रही थी। परम और विनोद परिपक्व नहीं थे, उसका पति एक साधारण सा चोदू था और सेठ उसे तेज़ी से चोद सकता था। वह बहुत भारी था। उसने चूत के अंदर हर धक्के का आनंद लिया। हर धक्के के साथ वह कराह रही थी और उसकी कराह तेज़ होती जा रही थी। इस बार मनुष्य योनि को अधिक समय तक अंदर रोक कर रख सकता है और उसे बाहर निकालने की अनुमति नहीं मांग सकता है। उसने सुंदरी की चूत को अपने वीर्य से भर दिया और डिस्चार्ज होने के बाद वह सुंदरी के ऊपर उसकी जाँघों के बीच गिर गया। सुंदरी ने तुरंत अपनी चूत पर जोर लगाया और उसका वीर्य को बाहर उगल दिया।
दोनों ने अपनी सांसें वापस पाने की कोशिश की और तभी उन्हें दरवाजे खुलने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने कोई परवाह नहीं की। सेठजी अंदर कमरे में आये।
"क्यों सर, माल कैसा लगा! मजा आया कि नहीं.?" सेठ ने पूछा। मैत्री और फनलवर की रचना
अजनबी ने सुंदरी की चुची से अपना सिर उठा लिया। परम और सेठ दोनों ने सुंदरी को मुस्कुराते हुए देखा। अजनबी उसके स्तन सहला रहा था और सुंदरी के दोनों पैर अजनबी की कमर के चारों ओर घिरे हुए थे।
"बहुत मस्त माल है सेठजी, मजा आ गया। आपने जितना बोला था साली उस से भी ज्यादा मस्त है। माल ने मुझे खुश कर दिया है, लाइये मैं आपको खुश कर देता हूं।" अजनबी ने जवाब दिया और उसने फिर से उसे चूमा।
उन्होंने फिर कहा, “मुनीम को बोलो सारा बुक लेकर आ जाए, आज इस माल के नंगे बदन को खा कर तुम्हारा सारा बिल पास करा दूंगा।”
जैसे ही सुंदरी ने यह सुना, वह भयभीत हो गई। उसने अजनबी को धक्का दिया और उठ गई। उसने पेटीकोट पहनने की कोशिश की लेकिन अजनबी ने पेटीकोट खींच लिया और कहा
'तुम्हारे मस्त बडी गांड पर रजिस्टर रख कर साइन करूंगा।“ मैत्री और नीता की रचना
सुंदरी तुरंत डॉगी पोज़ में घूम गई और अजनबी की जांघों के बीच अपना सिर घुसा दिया। अजनबी दोनों पैर फैलाए बैठा था। वह सुंदरी के लंबे और घने बालों से खेलने लगा। तभी सेठ और मुनीम कमरे में दाखिल हुए। सुंदरी ने मुनीम के कदमों की आहट सुनी। वह डर गई। उसे यकीन था कि मुनीम उसे पहचान लेगा और उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं होगा।
.
.
.
.
बने रहिये। आपके के कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी।
.
..
.
.
।।जय भारत।।