Bhai wha yeh toh sub apni apni roti sekhane mein lage hue hai. Mast updateअब आगे
यहाँ जब शेठ बाहर आया, तो उसके मुनीम (सुंदरी के पति) ने पूछा,
“शेठजी माल कैसा था, मज़ा आया। कैसा था उसका माल! अब आपने पसंद किया है और उसे बुलाया था तो मैं समजता हु की बेस्ट ही होगा उसका खजाना!”
“अरे मुनीम जी पूछो मत, इतना मज़ा पहले कभी किसी को चोदने में नहीं आया था। क्या सही तरीके के छेदों है उसके! उसके छेद देख के कोई भी लंड खड़ा हो सकता है, वाह मजा आ गई आज तो उसे चोदने में, लंड को बेहद शांति मिली है मुनीमजी।” वह मुनीम की ओर देखकर मुस्कुराया जैसे उसे बता रहा हो कि उसने अभी-अभी उसकी पत्नी को चोदा है, उसने आगे कहा, “लेकिन तुम्हें क्या।। तुम तो रोज़ गाँव की सबसे मस्त माल को चोदते हो! अगर सुंदरी मेरी बीबी होती तो मैं रात दिन उसके चूत के अंदर लौड़ा डाल कर घुसा रहता!!”
मुनीम को आश्चर्य हुआ। शेठ पहले भी कईबार सुंदरी की खूबसूरती की तारीफ कर चुके हैं लेकिन शालीन तरीके से, आज शेठ बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहा था। मुनीम को अच्छा लगा कि शेठ भी उसकी पत्नी को पसंद करता है। उसने सोचा अगर सेठजी उसकी पत्नी को पसंद करता है और उसके पीछे पागल है तो उसका फायदा लिया जा सकता है। सेठजी को सुदरी पसंद है और वो गाव की श्रेष्ठ महिला मानते है पर मेरे नजरो में महक से ज्यादा कोई अच्छा माल नहीं है। हो सकता है सुदरी को सेठजी के साथ भिड़ा देने से मेरे लिए महक की चूत तक का रास्ता साफ़ हो जाए। साली मेरी बेटी है पर क्या माल बनी बैठी है मेरा लंड को हमेशा परेशान करती रहती है। महक अब तो तुम्हे मेरे लंड के नीची आना पड़ेगा, मैं तेरी माँ को सेठजी के लंड तक पहुचा दूंगा तो तेरी चूत मुझे मिलनी चाहिए। और मुझे कोई आपत्ति भी नहीं, मजे सुदरी में कोई रस नहीं है। हो सकता है इस से मुझे सेठानीजी की छुट भी मिल जाए और रेखा की भी।
उसने जवाब दिया,
"हम लोग तो आपके गुलाम हैं, सुंदरी भी आपकी गुलाम हैं। आपने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। आप जो भी कहेंगे हम करने को तैयार हैं, आप भी तो हमारा ध्यान रखेंगे।" मुनीम ने सोचा कि अगर शेठ उसकी पत्नी को चोदना चाहता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी, आखिरकार शेठ ने वास्तव में उनके परिवार की बहुत मदद की है। उसने आगे कहा,
“आपको जब भी मन हो, सुंदरी को अपने घर में रोक लीजिए, वो आपके पैर दबा देगी और सब सेवा करेगी, लेकिन अब तो वो बूढ़ी हो गई है!!” उसने अपनी सेफ साइड भी राखी ताकि सेठजी को कोई संदेह ना हो।
शेठ ने उसे टोका, '' क्या बात करते हो! आज भी सुंदरी से अच्छी माल अपने गांव या आस-पास के गांव में नहीं है...उसको एक बार चोदने के लिए लोग हजारो देंगे....फिर वह धीरे से बोला, ''मेरा भी मन करता है सुंदरी को चोदने को!!!”
“अरे शेठजी, क्या बोल रहे हो आप? आपको पता है किस के बारे में ऐसा बोल रहे हो!उसने एकतरफा नाटक करते हुए कहा।
“अरे मुनिमजी आप तो बेकार ही बुरा मान गए ऐसा कुछ नहीं यह मैं तो सुदरी की सुन्दरता का वजन दे रहा था।“
“ठीक है सेठजी मैं मानता हु की सुदरी जैसी कोई नहीं है पर वो मेरी पत्नी है। कोई मेरे सामने ऐसी बात करे तो मुझे बुरा तो लगेगा ही! समजो अगर मैंने आपकी सेठानिजी के बारे में ऐसा बोला होता तो......!”
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता दोस्त, मैं तो कहूंगा की अगर चांस मिले तो मेरी बीवी को चोद सकते हो!” सेठजी ने भी पत्ता खोला।
कहानी जारी है .........बने रहिये ......
Yeh toh had ho gayi yha toh bisexual bhi hai. Gajab update“मुझे माफ़ कर दीजिये सेठजी अगर आप इतना बड़ा सोच सकते हो तो मुझे भी सोचना चाहिए था।“
“मुनीमजी सोचो यह खुला वातावरण है यहाँ चूत सिर्फ चुद्वाती है और लंड उसे चोदता है बेकार के सम्बन्ध में ना पड़ो।“
“हां यह भी सही कहा आपने” मुनीम ने नाटक को बांध करते हुए कहा।
“अगर आपको सुदरी इतनी पसंद है तो.......सुंदरी भी आपका माल है, जब मन करे चोदिये लेकिन किसी और को पता नहीं लगना चाहिए।” मुनीम ने जवाब दिया।
शेठ को ख़ुशी हुई कि अब उसे अपने ऑफिस रूम में सुंदरी को चोदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। घर में ही चोदेगा।
शेठ ने कुछ पासे मुनीम के हाथ में रखा और बोला “मुनीम क्या यह सब बताने वाली बात है? तेरी बीवी को मैं चोदुंगा और सब को बताउंगा भी? कैसी बात करते हो। तुम भी तो मेरी बीवी को चोद सकते हो और ऊपर से सुंदरी का सौदा के तौर पर तुम्हे मैं कुछ ना कुछ देके खुश करता रहूँगा।“
मुनीम की आँखे फटी थी क्यों की उसके हाथ में पैसे थे उसने पैसो को अपने खीसे में रखते हुए कहा “शेठजी इसकी कोइ जरुरत नहीं थी।“
“अरे रख ले मुनीम और अब भी सुंदरी की चूत में मेरा लंड जाएगा तुजे भी तो खुश करता रहूँगा।“
“जी शेठ जी आपका बहोत बहोत आभार, बस आप सुंदरी की चूत के मजे लिएते रहिये और मुझे देते रहिये।”
“हां यह तो एक प्रकार से व्यवहार है कह के मुनीम की गांड पर हाथ रख के कहा इसका भी ख्याल रखूँगा। यहाँ भी तो एक छेद है!”
मुनीम मुस्कुराते हुए बोला “जी, शेठजी और वह छेद भी तो आपका ही है।“ और उसने शेठ के हाथ को अपनी गांड पर थोडा सटा के रख दिया।
तब शेठ ने कहा “मुझे तुम जैसो पसंद है जो लंड लेते भी है और देते भी है”, और फिर उसके कान में कहा मैं भी ऐसा ही हु लेता भी हु और देता भी हु।”
मुनीम बस मुस्कुराता रहा और शेठ ने कपडे के ऊपर से ही मुनीम की गांड के छेद को छेड़ा।
“जब मुझे कोई चूत नहीं मिलेगी तब मुनीमजी मुझे इसकी जरुरत पड़ेगी, तैयार हो ना!”
“अब तो सुंदरी तो है ही शेठजी आपके लंड को शांत रखेगी फिर भी अगर जरुरत पड़ेगी तो मैं भी हु हरदम तैयार। बस आप हमारा ख़याल रखे हमारे छेद आपके लंड का ख्याल रखेंगे।“
शेठजी ने मुनीम के कान में जा कर कहा “मुझे वीर्य पीना पसंद है। और पिलाना भी। क्या तुम कर सकोगे?“
बस आपकी कृपा से सब होता रहेगा शेठजी मैं आपका माल गांड और मुह सब में लूँगा और आप जब चाहो मेरे लंड को अपने मुह में खाली करा सकते हो, आपकी मिल्कत है बस यही समजो।“ मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है।
“बहोत खूब मुनीमजी, मुझे तुम पसंद आये एक तरफ तुमने तुम्हारी बीवी की चूत देके मुज पर एहसान किया और ऊपर से तुम्हारा इस खजाने का भी मालिक घोषित कर दिया। कह के सेठजी ने मुनीम को अपनी ओर खिंचा और ऑफिस की तरफ ले गए।
बने रहिये कहानी के साथ ....
जानेंगे आगे क्या हुआ मेरे साथ।....
Yeh toh baap ka no. Pehle lagayegiमुनीम भी वही चाहता था वह भी बीना रुकावट अन्दर चला गया, जहा पहले से ही उसकी बीवी चुद के गई थी।
अरे मुनीम यहाँ आ के बैठो”
लेकिन मुनीम वही खड़ा रहा, सेठजी के पास। सेठजी ने खड़े हुए मुनीम के धोती के अन्दर ही हाथ डाल दिया और मुनीम के लंड तक पहुच गया। दूसरी सेकण्ड पर सेठजी के हाथ में मुनीम का लंड जो अधखड़ा था, हाथ में आ गया, सेठजी ने दूसरा हाथ पीछे की ओर दाल दिया और मुनीम की गांड के छेद पर जाके अटका।
मुनीम मुस्कुराया और फुसफुसाया “सेठजी लोगे की दोगे?”
“दोनों! हर माल को सही तरीके से पहचानना जरुरी है मुनीम” कह के मुनीम की धोती को ऊपर कर दी और मुनीम का अध खड़ा हुआ लंड सेठजी के मुह के द्वार पे आए खड़ा हो गया।
सेठजी ने बिना पूछताछ किये उसका लोडा अपने मुह में टपका दिया और मुह में ही उसकी चमड़ी को ऊपर निचे करता रहा।
“आह्ह्ह सेठजी”
सेठजी ने अपनी मुह की स्पीड जरा तेज कर दी क्यों की उसे थोड़ी जल्दी थीऔर अभी अभी उसके मुह में परम का वीर्य पड़ा हुआ था। पर सेठजी आये हुए मौके को गवाना नहीं चाहता था क्यों की यही मौक़ा था सुंदरी को उसके पति के सामने चोदने का।
सेठजी ने लपालप मुनीम के लंड को चगलना चालू कर दिया और उसी बिच सेठजी ने मुनीम की गांड को तराशा और दुसरे पल उसकी आधी ऊँगली मुनीम की गांड में घुस गई थी।
तक़रीबन 15-20 मिनट की चुसाई के बाद मुनीम ने एक कराह के साथ अपना माल सेठजी के मुह में खली कर दिया। सेठजी ने संतृप्त नजरो से उसकी ओर देखा और मुस्कुरये, “मस्त माल था, अब से रोज ही ऐसा चलेगा थी है?”
“जी सेठजी, बस आपका लंड है जब भी चाहे आप मुह में ले के खाली कर सकते है, सच कहू तो सुंदरी से भी ज्यादा मजा आई आज!
इस दौरान सेठजी की तीन ऊँगली मुनीम की गांड में पूरी धसी हुई थी, काम ख़तम होने काठ-साथ ऊँगली भी बहार आई और दोनों पुरुष ने मिल कर ऊँगली साफ़ कर धी और धोती सरका के मुनीम बहार आ गया और सेठजी वही उसके वीर्य को मुह में चगलते हुए आगे की सोच ने लगे।
सेठजी काफी संतुष्ट थे उनके मुह में बाप-बेटे दोनों का माल पड़ा था और दोनों ही उसे भा गए थे। उसे पसंद आया था और सोचा की कभी भी अब वह मुनीम की गांड मार सकता है और उसका माल भी खा सकता है और बिना कुछ डरे वह जब चाहे सुंदरी को उठा के चोद सकता है, सामने परम उसकी पत्नी और बेटी को चोदेगा या उसकी बहु को भी चोद सकता है लेकिन उसको उसकी परवा नहीं थी।
क्यों की बाद में परम उसे रेखा की चूत भी दिला सकता था या फिर महक की चूत से भी लड़ा सकता है, बाप को कोई एतराज नहीं होगा। वाह वैसे सौदा बराबर का है।
****
उधर....
शेठ के घर पर परम ने देखा कि रेखा अपनी सहेलियों के साथ बैठी है। परम को देखकर किसी ने कमेंट किया, "साला रेखा का गुलाम आ गया।"
“बहुत प्यार करता है, रेखा को ससुराल जाने दो, फिर साले को नीम के पत्ते पर भी चाटने के लिए नहीं मिलेगा।”
तीसरी ने कहा, “तुम लोग मत देना, मैं तो परम को रात दिन अपनी स्कर्ट के नीचे छुपा कर रखूंगी, साला बहुत मस्त लड़का है।।” उसने पूछा, “रेखा, परम ने तुमको चोदा की नहीं?” मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना।
सभी हँसे। इसी तरह समय बीतता गया और परम और सुंदरी घर लौट आये। मुनीम भी दूसरा राउंड उसकी गांड में सेठजी का लंड लेके अपनी गांड का छेद को बड़ी कर के सब से पहले ही वापस आ चुका था, इस बार सेठजी ने उसके मुह में ढेर सारा वीर्यदान किया था जिस से वह खुश था। रात को खाना खाने के बाद सभी सोने चले गये। परम और महेक नंगे हो गए और वहीं चूसने और झड़ने का डेली रूटीन शुरू कर दिया।
“महेक, तुम कब मेरा लंड चूत के नीचे लोगी! अब कंट्रोल नहीं होता है, मादरचोद।” परम ने कहा,
“कंट्रोल नहीं होता है तो अपनी माँ (सुंदरी) को क्यों नहीं चोदते हो....मैं थोड़े दिन और कंट्रोल करूंगी…”
बने रहिये प्लीज़....
Sub randi mail hai. Madam ji tussi gr8 hoUpdate 05
उसने अपने भाई को चूमा और कहा कि कल रात वह फिर सुधा या किसी और लड़की को उसके पास चुदवाने लाएगी, लेकिन उसने फिर ज़ोर देकर कहा कि वह सुंदरी को चोदने की कोशिश करे, जिसे बाकी सब चोदना चाहते हैं।
“ठीक है, आज उस सुंदर सुंदरी को चोदूँगा जिसे सारे मर्द चोदना चाहते हैं…!”
“जा बुला ला उस चुदास को…तेरे सामने चोदूँगा और तेरी चूत भी चटवाऊँगा…!”
उसने बहन से कहा कि जाकर उसे इस कमरे में ले आओ। महक उठी और फ्रॉक पहनने लगी, लेकिन परम ने उसे नंगी ही रहने दिया और कमरे से बाहर धकेल दिया। परम को लगा कि उसकी बहन का फिगर रेखा या गाँव की बाकी लड़कियों से कहीं ज़्यादा अच्छा है और उसने जल्द ही उसका कौमार्य भंग करने की सोची। लेकिन उसे क्या पता था कि उसके लंड से पहले उसकी बहन की चूत में तीसरा लंड जाएगा। महक कमरे में वापस आई और बोली कि सुंदरी आ रही है और उसे ज़ोर से चोदना चाहिए। परम ने पूछा कि क्या पापा ने उसे नंगी देखा है। महक ने जवाब दिया कि वह गहरी नींद में है, लेकिन पूरी तरह से नंगे। उसने अपने पापा का आधा खड़ा लंड देखा। महक ने लंड मुँह में लिया और उसे निगलने और चबाने लगी। परम ने उसके स्तन सहलाए और फिर सुंदरी पेटीकोट और ऊपर सिर्फ एक दुपट्टा में कमरे में दाखिल हुई। उसने अपने बच्चों को नंगे देखा। उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और दोनों बच्चों के बीच आ गई। मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है।
"बच्चों क्या चाहिए?" उसने ज़ोर से पूछा।
दोनों ने एक साथ जवाब दिया, "माँ तुम्हारी चूत..!"
और परम ने अपना लंड उसकी चूत के द्वार पर रखा और लंड को अंदर धकेल दिया। लंड बिना कोई हिचकिचाहट से चूत में गहराई तक घुस गया। परम ने उसे कंधे से पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा। चुदाई करते हुए और अपनी बेटी की चूत सहलाते हुए सुंदरी ने पूछा कि क्या परम ने उसकी बहन को चोदा है। महक ने जवाब दिया कि वह अभी कुंवारी है, लेकिन जल्द ही परम उसे चोदेगा, यह एक प्रकार से मेरा वादा है।
सुंदरी ने महक की चूत पर उंगली उठाई और कहा कि “जब तक वह कुंवारी है, उसे ऐसे ही रहना चाहिए। मैं चाहती हु कि उसकी 'सील' किसी व्यक्ति द्वारा कम से कम 2.00 लाख रुपये की भारी कीमत पर तोड़ी जाए। क्या ख़याल है बच्चो?“
उसने परम को भी सलाह दी कि “बेटा,तुम्हे उसे तब तक नहीं चोदना चाहिए जब तक उसकी सील न टूट जाए।“
अब जहा पैसो की बात हो तो, परम को महक को चोदने की कोई जल्दी नहीं थी। उसके पास चोदने के लिए बहुत सारी लड़कियां उपलब्ध थीं और जैसा कि महक ने कहा था कि उसे कल चोदने के लिए एक और माल (लड़की) मिल सकती है। वह सुन्दरी की चूत पर थप-थपाता रहा।
महक ने सुंदरी से पूछा, “माँ तुम कितना लंड खा चुकी हो…?”
"ज्यादा नहीं, सिर्फ पांच, लेकिन अब मन करता है कि रोज नया-नया लंड से चुदवाऊं। तेरे बाप के साथ चुदाई में मजा नहीं आता है..।" उसने परम की पीठ पर अपने पैर रख दिए और उससे कहा कि “बेटा, अब मेरे लिए भी कोई नया लंड धुन्धो पर जरा पैसो में कामले भी देख लेना बेटे। अच्छा लगता है जब चूत में लंड और ऊपर से पैसा भी! दोनों जरूरियात एकसाथ पूरी हो जाए।” मैत्री और फनलव की अनिवादित रचना।
उसने महक की चूत पर हाथ रखते हुए कहा:” बेटी मैं चाहती हु की तेरी शील कोई आमिर आदमी ही तोड़े,वैसे भी शील का क्या काम है, चुदवाना तो है ही....है ना सही कह रही हु ना बेटी?”
अरे माँ अब हम मिल के जो भी करना है करेंगे, तुम नाहक की चिंता कर रही हो, अभी तो भाई के लंड पर ध्यान दो और उसके लंड को पूरा अन्दर तक जाने दो ताकि तुम्हारी भूख मिट सके।
“मां, तुम बोलो तो, तुम्हें चोदने के लिए लंड की लाइन लगा दूंगा..” परम अपने धक्के को तेज़ करते हुए बोला।
बने रहिये इस कहानी में मेरे साथ और आपकी राय देना ना भूले प्लीज़
एकदम मस्त अपडेट है । परम अपने टारगेट के पीछे लग गया है । और उसे उस घर मे पूरा सपोर्ट है । खुद सेठानी ने सुन्दरी को व्यख्यान कर दिया है कि अब जल्दी ही छोटी बहू भी परम के नीचे होगी । बड़ी बहू तो परम की दीवानी है जिसने छोटी के लिए उसे आगे बढ़ाया । उधर विनोद महक को अपने जाल में फसाने के लिए मेहनत कर ही रहा है । आगे के अपडेट देखना और रोमांचक हो गया है । बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।अब आगे....................
परम ने आगे बढ़कर बड़ी बहू को बाहों में लेकर दबा दिया और उसकी मस्त मस्त चुचियो को दबाते दबाते चूम लिया।
“सुबह चोद कर मन नहीं भरा तेरा?” वह मुस्कुराई और बोली कि वह कल फिर आएगी, चुदाई के लिए और सुंदरी की चूत खाने के लिए।“
बड़ी बहू ने उसे धक्का देकर कहा “सेठजी के घर पर कुछ भी न करने की चेतावनी देती हूँ, क्योंकि कोई भी देख लेगा और उसकी बदनामी होगी और तुम सेठजी के घर नहीं आ पाएगा।“
फिर उसने लंड को शॉर्ट्स के ऊपर लपेटा और कहा; “मैं छोटी बहू को सलाह देगी कि वह अपने कमरे में सामान व्यवस्थित करने के लिए तुम्हारी (परम की) मदद ले। ठीक है! बाकी तुम जानते हो क्या करना है ठीक है मेरी तरफ से तुम्हे गिफ्ट, मेरी देवरानी।“
उसने लंड को ज़ोर से दबाया और कहा;
"जैसा कल मेरी बोब्लो दबाए थे, छोटी को भी पटाकर उसकी टाइट बोब्लो का मज़ा लो। और उसके बोब्लो को थोडा मोटा और ढीला कर दो।"
"भाभी, वो तो मुस्कुराती भी नहीं है...." परम ने कहा।
बड़ी बहू मुस्कुराई और कमरे से बाहर चली गई लेकिन जाते जाते बोली: “सब माल इतनी आसानी से नहीं मिल जाते, कभी कभी मेहनत करनी पड़ती है, लोडे।“
वह भी कमरे से बाहर आया और देखा कि रेखा अपने भाइयों और महक के साथ व्यस्त है। रेखा के साथ मस्ती करने का कोई मौका नहीं था। वह सेठानी के पास गया और उसकी मदद करने लगा। कुछ देर बाद उसने सुना
“परम जा कर छोटी बहू को रूम में सामान ठीक करने में मदद करो।” आप मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है।
यह बड़ी बहू की आवाज थी। उसने छोटी की ओर देखा। वह अपने पति के पास चली गई, उसका पति महक के बहुत करीब बैठा था, उनकी जांघें छू रही थीं। छोटी ने उससे कुछ कहा लेकिन उसने उत्तर दिया,
“लीला, जाओं ना परम सब ठीक कर देगा, वो घर का आदमी है,उसे अपना देवर समझो..!”
उसने परम की ओर देखा और कहा, "परम जा भाभी को मदद कर दे।" परम छोटी बहू के पीछे-पीछे उसके कमरे तक गया... ।
उधर सेठानी भी अपने मन में मल्काई और अपने आप से कहा की अब छोटी की भी चूत का भोसड़ा बना देगा यह लड़का, सच में बहोत नसीबवाला है।
उसने यही बात सुंदरी को कही। सुंदरी ने भी मुस्कुरा के कहा “ बस, आपकी मेहरबानी से यह सब हो रहा है, मालकिन, जैसे आपने खोला वैसे ही आपकी दोनों बहुओ भी खोल देगी।“
दोनों ने एक दुसरे को मुस्कराहट की आप-ले करी।
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अब देखते हैं विनोद का क्या हुआ, जिसने महक को कॉलेज खत्म होने के बाद उसका इंतज़ार करने को कहा था।
आखिरी घंटी बजी। महक कॉलेज के गेट से बाहर आई और विनोद को एक पेड़ के नीचे इंतज़ार करते देखा। वह हिम्मत करके उसके पास गई। विनोद ने उसे आगे वाली रॉड पर बिठाया और खुद साइकिल चलाकर चला गया। कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल पर बैठे देखा। सुधा ने भी उसे देखा और सोचा कि विनोद जल्द ही महक को चोदने वाला है।
सुधा अपने घर चली गई। जब तक सुधा कॉलेज से घर पहुँची, परम सुधा की माँ और नौकरानी की अच्छी और संतोषजनक चुदाई करके जा चुका था। सुधा ने अपनी माँ को बहुत दिनों बाद इतनी खुश देखा था। वह वजह जानना चाहती थी, लेकिन उसकी माँ ने उसे गले लगा लिया और उसके कॉलेज के बारे में पूछा। लगभग एक घंटे बाद सुधा ने अपनी माँ से कहा कि वह महक के घर जा रही है और दो घंटे में वापस आ जाएगी। वहाँ जाते हुए उसकी इच्छा हुई कि पूनम की तरह मुनीम भी अपना मोटा सुपारा उसकी चूत में डाल दे, जो परम के बाद भी नहीं चुदी थी। कुछ दस दिन पहले मैंने उसे पहली बार चुदवाया था।
"कल फिर मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।" मैत्री और नीता की रचना पढ़ रहे है।
"मेरे बोबले दबाने के लिए? तुम बहुत गंदे हो.." महक उसे देखकर मुस्कुराई और घर के अंदर भाग गई।
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परम लीला (छोटी बहू) के पीछे-पीछे उसके कमरे में गया। उसने देखा कि कई डिब्बे और बैग बेतरतीब ढंग से रखे हुए थे। वह एक कुर्सी पर बैठ गई और परम को चीज़ें सही जगह पर रखने का निर्देश दिया। परम उसकी बात मान गया। उसे उसके पास आने का कोई मौका नहीं मिला, इसलिए उसे उसके स्तन सहलाने का कोई मौका नहीं मिला। लीला ने गहरे नीले रंग की एक सुंदर साड़ी और उससे मेल खाता ब्लाउज पहना हुआ था। उसने साड़ी बहुत कसकर पहनी हुई थी या यूँ कहें कि साड़ी उसके लड़की जैसे शरीर को बहुत कसकर ढक रही थी। उसका एक स्तन पल्लू से बाहर था। उसने आँखों से स्तनों का नाप लिया और सोचा कि ये लगभग 34 इंच के होंगे, बड़ी बहू की चूचियों से काफ़ी छोटे और सुंदरी से भी छोटे। हाँ, परम को लगा कि ये चूचियाँ लगभग रजनी काकी के आकार की हैं, जिनकी उसने दोपहर में चुदाई की थी।
वह पतली तो थी, फिर भी मज़बूत और सेक्सी लग रही थी। वह पैर क्रॉस करके बैठी थी और कसकर लिपटी साड़ी के ऊपर से उसकी जांघों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था। उसकी जांघें पूनम जैसी थीं। 15 मिनट से ज़्यादा समय बीत गया और किसी ने बात नहीं की। परम बेचैन हो रहा था। उसे कल रात बड़ी बहू के साथ की गई मस्ती याद आ रही थी और यहाँ तो वह छोटी बहू से बात भी नहीं कर पा रहा था।
"भाभी, सेठजी तुमको बहुत पसंद करते हैं।" अचानक परम ने बात शुरू की।
"तुमको कैसे मालूम?" उसने पूछा।
परम ने अपना काम जारी रखा और जवाब दिया, "सेठजी ने मुझे खुद कहा है, एक बार नहीं।" हर रोज तुम्हारे बारे में मेरी बात होती है।”
परम ने पहली बार उसे घूरकर देखा। उनकी नजरें मिलीं। परम को उसकी आँखों की चमक अच्छी लगी।
“बाबूजी (वह सेठजी को बुलाती थी) क्या बोलते हैं…?” वह जानना चाहती थी।
“बहुत कुछ…” परम ने उसकी आँखों में गहराई से देखा और कहा “वह तुम्हारी सुंदरता की सराहना करते रहते है। और जवानी, सेठजी कहते हैं कि तुमको देखकर उनको बहुत अच्छा लगता है। तुम्हारी आंखें बहुत सुंदर हैं, तुम्हारे होंठ बहुत रसीले हैं,,, और तुम्हारे बालों को देखकर सेठजी का मन करता है कि उससे सहलाते रहें…!”
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अभी तो बस यहाँ तक ......बाकी कल मिलते है एक नए अपडेट के साथ......तब तक के लिए विदा........
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अरे,हाँ अपनी कोमेंट देना मत भूलना दोस्तों........
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।।जय भारत।।
एक पूरा अपडेट आपने रजनी और परम की कामलीला पर केंद्रित करके लिखा है ये बहुत अच्छा लगा । आपने अपनी कहानी की पृष्ठभूमि के हिसाब से किस किरदार और घटना को कितनी अहमियत कब देनी है ये नाप तोल मेजरमेंट बहुत बढ़िया मैनेज कर रखा है जो कि काबिले गौर काबिले तारीफ है । एक पुरी तरह से बैलेंस कहानी पेश कर रहे है कोई फालतू की लाइन और शब्दों का प्रयोग नही है । आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।अब आगे...........
परम ने कहा और फिर से झुककर उसके छोटे स्तनों को दबाता रहा। दबाते हुए, उसने ब्लाउज के कप ऊपर खींच दिए और अब उसके नर्म, नंगे स्तन उसके हाथों में थे। उसने लंड को छोड़ा और सोफ़े पर लेट गई। परम उसके स्तनों को बेरहमी से मसल रहा था और उसकी गर्मी बढ़ती जा रही थी। और वह अब परम की हरकतों के आगे समर्पण कर रही थी। वह कराह उठी।
“आआआआआआआआआआआआआआआहहह… छोड़ दे बेटा,,, वो धीरे से बोली। लेकिन उसने परम के हाथो को अपने बोबले से दबाये रखा।
लेकिन परम ने उसका ब्लाउज उसके बदन से खींच ली और उसके हाथ उसके वक्ष और पेट पर फिरने लगे। उसने उसे ऊपर खींच लिया। उसने डरते हुए सामान्य विरोध किया। परम ने उसे दूसरे कोने में रखे दीवान पर खींच लिया।
परम ने रजनी को बिस्तर पर लेटा दिया और एक झटके में उसका पेटीकोट खोलकर उसके बदन से उतार दिया। वो ऊपर से नीचे तक नंगी थी। उसने अपनी टाँगें क्रॉस कर लीं और परम की नज़रों से अपनी चूत छिपाने की कोशिश की।
“काकी, अब रुको, देखो तुम्हारी चूत पानी-पानी हो गई है.. मेरा लंड लेने के लिए बेताब है… अब चुदवा ही ले रानी। उसके सिवा अब तेरा यह माल तुजे चेन से जीने नहीं देगा।“ फनलवर और मैत्री की रचना।
यह कहते हुए परम ने उसकी जाँघें अलग कीं और रजनी की प्यारी क्लीन शेव्ड चूत देखी। यह उसकी बहन महक और सुधा की चूत से भी छोटी थी। परम ने चूत पर एक चुम्बन लिया। उसे चूत से निकलने वाले रस का स्वाद आ रहा था। लेकिन अचानक रजनी ने अपने पैर परम की छाती पर रख दिए और जोर का धक्का दे दिया। परम दीवान से गिर गया। रजनी और रिंकू दोनों हँस पड़े।
“मासी बेचारे को क्यों तड़पा रही हो… अब तो उसका लंड माल में लेलो.. नहीं तो लंड फूट जाएगा। और आपका माल अधुरा रह जाएगा। चलो परम उठो और मौसी की चूत पर अपने लंड से हमला करो और माल जित लो। फिर मैं भी हूँ।“
वह उठ बैठी,परम को खींच लिया और फिर से उसका लंड हाथ में ले लिया। उसने कहा;
“देख परम, मैं तुमसे आज ही नहीं, बार-बार चुदवाऊंगी लेकिन एक शर्त पर…!”
“तू जो बोल काकी, मैं सब करूंगा…” परम ने उत्तर दिया और पहली बार उसके होंठों को चूमा।
“तू अगले रविवार को अपनी माँ सुंदरी को लेकर आयेगा और मेरे और रिंकू के सामने अपनी माँ को काका (उसके पति) से चुदवायेगा…” रजनी ने कहा!
“ठीक है काकी, मैं सुंदरी को मना लूंगा, वो तेरे पति से चुदवाएगी लेकिन मैं भी काका के सामने तुम्हें चोदूंगा…।” परम ने कहा।
“हाँ हिसाब तो बराबर करना पड़ेगा।” रजनी ने अपनी चूत खोलते हुए कहा। मैत्री और फनलवर की रचना।
“लाओ मौसी मैं आपके पैर उठाके पकडती हूँ लगता है यह लम्बे समय का घोडा है।“ और उसने रजनी के पैरो को ऊपर उठाये और उसकी चूत पर हाथ घुमाया और परम से बोली; “माल तैयार है बस हथोड़े की जरुरत है मार दो साली की चूत में।“
“हाँ हाँ डार्लिग देखती जा मेरे लंड की कमाल, एक बार मुझ से जो चुद गई वह दुबारा अपने पैर फैलाके ही मेरे पास आती है।“ परम को उसकी बात ने ज्यादा उत्तेजित कर दिया और धक्के की स्पीड बढ़ गई।
रिंकू भी समज गई की परम उसकी बातो से ज्यादा उत्तेजित हो के अपने हमले तेज कर रहा है। वह उसके अन्डकोशो को हाथ में लिए कहा; “मेरी मालकन बहोत चुदासी है परम, जब से साहब नेमुझे चोदना चालू किया तब से वह बेचारी अपनी चूत सह्लाती रही और मुझे ही उसकी चूत को ठंडा करना पड़ता था। आज उसके माल को पूरा मौक़ा मिला है की वह एक जवान लड़के का लंड से अपनी चूत मरवा रही है। थोक दे आज और भर दे उसकी चूत।“
हाँ हां रंडी तुमने मेरे पति के लंड पर कब्जा किया हुआ है तो मैं क्या करू! परम लगा आज मेरी चूत का भोंसडा बना दे। मैं भी देखू की तेरे लंड में कितना दम है, मेरी चूत हारती है या तेरा यह लंड। जो मस्त मार रहा है, मार दे मेरी चूत को फाड़ दे।“
और उसके बाद दोनों ने मिशनरी पोज़ में आ गए और परम का लंड एक झटके में तो अन्दर नही घुसा लेकिन 3-4 धक्को में रजनी के माल की उन्ड़ाई को नापने अंदर तक पहुच गया। रिंकू बस उसके अंडकोष ही देख पाती थी और लंड अन्दर से बहार आके फिर अन्दर जाके रजनी के माल की खुदाई कर रहा था। रजनी की आँखे बंद कर के हर धक्के को अपनी गांड उछाल कर जवाब देने लगी थी। रिंकू ने उन्हें चुदाई करते हुए देखा। उसने देखा कि परम का बड़ा और मोटा लंड उसकी मालकिन की चूत में बहुत तेज़ी से अंदर और बाहर जा रहा था। वो बहुत उत्तेजित हो गई और उसने अपनी ड्रेस उतार दी। वह नंगी हो गई और परम चोदते हुए काकी के ठीक सामने खड़ी हो गई।
"काकी कैसा लग रहा है?" परम ने पूछा।
"ओह बेटा तू तो बहुत बड़ा चोदु है। मुझे पहले पता होता तो अब तक तेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है.. और ज़ोर से चोद... आह्ह... ।"
रिंकू ने खुद को उंगली से चोदा और परम ने काकी को चोदने और रिंकू को खुद को उंगली करते देखने का आनंद लिया। एक साल से ज़्यादा समय के अंतराल के बाद रजनी ने चुदाई का आनंद लिया। जब से उसका पति रिंकू के साथ उसके बिस्तर पर सोने लगा, उसकी चुदाई में रुचि खत्म हो गई थी, लेकिन अब उसे मज़ा आ रहा था और वह ज़्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकती थी। वह चरम पर पहुँच गई और परम को कसकर पकड़ लिया। उसने परम पर चुम्बनों की बौछार कर दी और कुछ ही पलों में परम रजनी की चूत में ही झड़ गया। उधर रजनी की चूत ने भी बाकी रहा अपना चुतरस त्याग दिया। दोनों पूरी तरह से संतुष्ट थे। उसकी चूत को परम का लंड अभीभी अपना पानी पिला रहा था और धीरे धीरे ठंडा होक बाहर आने की कोशिश कर रहा था। जब की रजनी वैसे ही पैरो को फैलाके रह गई थी और वह उसकी चूत में हर एक बूंद की गरमी को महसूस कर सकती थी। उसने परम को जकड कर रखा हुआ था और अपने चूत की मंस्पेशियो को खिंच कर परम के लोडे को निचोड़ रही थी। परम को मजा आता था इस प्रकिरू=या से उसका लंड की हर एक बूंद निचोडे जा रही थी।
शुक्रिया दोस्तों
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आपके कोमेंट की प्रतीक्षा में।
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कल तक आपसे विदा चाहूंगी।
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।।जय भारत।।
Shukriya dostMast garmagaram update