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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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राजू: अंकल, सच तो ये है कि मेरी इच्छा यह है कि मैं समीर की तरह ही अपने पापा और माँ के कमरे में ही सोऊँ और जैसे समीर अपनी माँ का दूसरा पति है , वैसे ही मैं भी माँ का दूसरा पति बनूँ और पापा के साथ ही उनको ख़ूब चोदूँ ।
राजन और सुषमा यह सुनकर अपने हाथ अब ज़ोर से चलाने लगे।

नमिता समझ गयी कि उसके पड़ोस में अब एक और इन्सेस्ट परिवार बनने वाला है

गुप्ता: अगर तुम्हारे पापा या माँ इसके लिए राज़ी हो जाएँ तो तुममें क्या परिवर्तन आएगा?

राजू: मैं अपना पूरा ध्यान अपने बैड्मिंटोन के करीयर में लगा दूँगा और पढ़ाई भी इतनी तो कर ही लूँगा की पास तो हो ही जाऊँ।

गुप्ता: हम्म और अगर वो तुम्हारी बात ना माने तो?

राजू: पता नहीं मैं क्या करूँगा ? आधा पागल तो हो ही गया हूँ, शायद पूरा ही पागल हो जाऊँ।


गुप्ता: चलो मैं कोशिश करता हूँ कि तुम्हारे घर वाले माने जाएँ। अब तुम चाहो तो अपना रस निकाल सकते हो। ये लो टिशू पेपर।

अब राजू आँखें बंद करके आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँआऽऽऽऽऽ कहकर ज़ोर से हिलाकर झड़ने लगा। उसका ढेर सारा वीर्य उसके हाथ में और पेपर में गिरा। नमिता, सुषमा और राजन आँख फाड़के उसके गाढ़े रस को निकलते देख रहे थे। अब राजन भी ज़ोर ज़ोर से हिलाके झड़ने लगा, उसने जेब में रखा रुमाल निकाल कर उसमें ही अपना रस गिराया।


नमिता भी उत्तेजित थी , पर सुषमा तो ऊँगली डालकर झड़ ही गयी। बाद में अपने रुमाल से अपनी ऊँगली साफ़ की।

गुप्ता इस मैच में रेफ़री की भाँति neutral था, उसने अपना लौड़ा अंदर कर लिया।

थोड़ी देर बाद गुप्ता सुषमा और राजन को अपने कमरे में ही ले आया।

राजू को तो पता नहीं था कि उन दोनों ने उसकी सब बातें सुनी और देखी भी हैं। उधर वो दोनों एक दूसरे से भी आँख नहीं मिला पा रहे थे।
गुप्ता: देखिए राजन जी आपके बेटे को आपकी सहायता की ज़रूरत है। अब इसका फ़ैसला आप ही को करना है कि आप क्या चाहते हैं।

फिर उसने राजू को बाहर भेजा और सुषमा को बोला: आपने देखा कि वह आपका दीवाना सा हो गया है। आपको उसके लिए कुछ करना ही चाहिए।

सुषमा: मगर गुप्ता जी , जो वह माँग रहा है वह मैं कैसे से सकती हूँ, आख़िर वह मेरा बेटा है?

गुप्ता: देखिए आजकल कई लोग इन्सेस्ट में विश्वास करने लगे हैं। हालाँकि खुल कर कोई बोलता नहीं। अब ये तो आपके घर की बात होगी किसी को क्या मतलब कि आपके घर में क्या चल रहा है?

राजन: देखो अभी यहाँ बात करने का कोई मतलब नहीं है, हम घर जा कर इसपर बात करेंगे।

फिर वो उसकी फ़ीस देकर फिर आने का कहकर चले गए।

गुप्ता अब नमिता के पास गया और बोला: क्या लगता है, सुषमा मान जाएगी?

नमिता: राजन तो बिलकुल तय्यार है इसके लिए और वह सुषमा को मना ही लेगा। आप ठीक बोले कि मेरे पड़ोस का परिवार भी इन्सेस्ट हो गया ।

गुप्ता: मज़ा आया कि नहीं इस सब में ?

नमिता ने अपनी बुर सहलायी और बोली: उधर घर पर राज मेरी चुचि और गाँड़ दबा दबा कर मुझे पागल कर रहा है। इधर आज तीन तीन लौड़े देखकर मेरी बुर बहुत गरम हो चुकी है, चलो इसे ठंडा करो अभी।

ये कहते हुए उसने गुप्ता के लौड़े को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया।

गुप्ता भी मस्त होकर उसकी चुचि दबाकर बोला: चलो बिस्तर पर , पर याद हैं ना चोदना तो तुम्हें ही है मुझे।

नमिता हँसते हुए पलंग के पास जाकर अपने पूरे कपड़े उतार दी और उधर गुप्ता भी नंगा जो गया और बिस्तर पर लेट गया।उसका लंड खड़ा था और ऊपर नीचे हो रहा था। नमिता उसपर लेट गयी और गुप्ता ने उसकी चूचियाँ पकड़ ली और दबाने लगा। वह उसके होंठ भी चूस रहा था। फिर उसने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की। नमिता भी मस्ती से भरकर उसके निपल्ज़ को दबाने लगी और जीभ से निपल्ज़ को छेड़ने लगी।



उसने हाथ बढ़ाकर उसका लौड़ा पकड़ लिया और सहलाने लगी।

अब वह नीचे होकर उसके लौड़े को सहलायी और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी। थोड़ी देर तक वह उसका लंड चूसी फिर उसके बॉल्ज़ भी चाटने लगी । अब गुप्ता बोला: रानी आओ ना तुम्हारी बुर मैं भी चाट दूँ , आओ बैठो मेरे मुँह पर।



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नमिता अपने चूतरों को उठाके उसके मुँह पर ऐसे बैठी जैसे पेशाब करने के लिए बैठी हो।


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गुप्ता ने उसकी बुर और उसके दाने (clit) को जीभ से छेड़कर उसको मस्त कर दिया। वह आऽऽहहहह करके चिल्ला उठी।



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अब नमिता को लगा कि वह झड़ जाएगी। इसलिए वह उठी और उसके लौंडे पर अपनी बुर रखकर उसको अंदर कर ली। गुप्ता ने भी नीचे से धक्का मारा और अपना लौड़ा अंदर ठूँस दिया। अब नमिता ऊपर नीचे होकर चुदायी करने लगी। गुप्ता उसकी लटकती हुई चूचियाँ दबाने लगा।
नमिता मस्त होकर आऽऽह्ह्ह्ह्। हाय्य्य्य्य्य्य करने लगी। गुप्ता भी नीचे से धक्का मार रहा था और नमिता उछल कर अपनी कमर दबाकर पूरा लौड़ा अंदर करके चुदवा रही थी।



फिर नमिता और गुप्ता झड़ने के क़रीब आ गए और चिल्लाकर ह्म्म्म्म्म्म्म्म और उइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगे।



फिर नमिता उसके ऊपर लुढ़क गयी। अब दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और फिर बाथरूम से फ़्रेश होकर नमिता ने कपड़े पहने और गुप्ता को फिर मिलूँगी कहकर चली गयी। नमिता

आज चुदवा कर हल्का महसूस कर रही थी। राज के साथ वह उत्तेजित तो हो जाती है पर चुदायी नहीं हो पाने के कारण अशांत सी हो जाती थी। आज थोड़ी सी शांति सी महसूस कर रही थी।


घर पहुँचकर वह राज के कमरे में गयी और उसे पढ़ता देख बोली: बेटा सब ठीक है?


राज: हाँ माँ सब ठीक है। आपका ऑफ़िस कैसा रहा?

नमिता: ठीक ही था।

वह उसे क्या बोलती कि आज कौन से ऑफ़िस गयी थी।

राज उसको बोला: माँ आओ ना मेरी गोद में बैठो , थोड़ा प्यार करूँगा।

नमिता चुदायी से थकी हुई थी सो बोली: बेटा अभी मैं थोड़ा कपड़े बदल कर आती हूँ और फिर प्यार कर लेना।

राज: हाँ माँ , आप आज बस आप मेरी एक हाफ़ पैंट पहनो बस।

वह उठा और इलास्टिक वाली हाफ़ पैंट माँ को दिया नमिता हँसते हुए बोली: मैं ये पहनूँगी?

राज: हाँ माँ प्लीज़ ये और ये मेरी टी शर्ट । नीचे कुछ नहीं।

नमिता: ओह चल ट्राई करती हूँ। पर एक घंटे बाद ही आऊँगी , थोड़ा आराम करके।

राज : ओके माँ ।

नमिता उसको चूम करके चली गयी

राज को पता नहीं क्यों लग रहा था कि माँ थकी दिख रही थी शायद चुदवा के आइ थी। वह सोचने लगा कि उसके कारण शायद वह उत्तेजित हो जाती होगी और बाहर जा कर सुधाकर से या मनीष से चुदवा लेती होगी।


नमिता अपने कमरे में जाकर लेट गयी और इसकी आँख लग गयी। जब वह उठी और बाथरूम में फ़्रेश होकर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और राज की हाफ़ पैंट और टी शर्ट पहनी । अब उसने शीशे में अपने आप को देखा और उसके टी शर्ट में उसके निपल्ज़ कड़े से दिख रहे थे। उसकी चूचियाँ ब्रा के बिना थोड़ी सी अपने वज़न से नीचे की ओर झुकी दिख रही थी।


उसकी पैंट से उसकी मादक जाँघें और उभरे हुए चूतर बड़े कामुक दिख रहे थे। वह मुस्कुराती हुई किचन में गयी और खाने की तय्यारी करने लगी।
राज बाहर आया और नमिता को किचन में अपने कपड़ों में देखा और देखते ही रह गया। वह पीछे से आकर माँ के चूतरों को दबाकर बोला: माँ आप बहुत सेक्सी लग रही हो। वह उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा। फिर उसने हाथ बढ़ाकर उसकी बिना ब्रा की छातियाँ दबाने लगा। अब वह निपल्ज़ भी मसलने लगा। राज अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में अड़ा दिया।


राज: माँ क्या मस्त चूचियाँ है आपकी , इनको दबाकर दिल ही नहीं भरता। वह उनको दबाते हुए बोला

नमिता: आऽऽऽहहह कितनी ज़ोर से दबा रहा है ? ज़रा धीरे भी दबा सकता है ना तू?

राज: माँ आपके पास आकर पागल हो जाता हूँ।
आज आप मुझसे एक बार चुदवा लो ना, प्लीज़।

नमिता: फिर वही बात? नियम मानो समझे?

राज : माँ कल के पेपर के बाद तो आप सिर्फ़ पैंटी में होंगी मेरे सामने। ठीक है ना?

नमिता: बिलकुल तू नम्बर ले आ। और मैं अपनी शर्त को पूरा करूँगी।

चल पहले खाना खा ले फिर ये सब कर लेना।
राज ने हाथ बढ़ाकर नमिता की टी शर्ट उतार दी। नमिता उसको सवालिया निगाहों से देखने लगी।

राज बोला: माँ आज ऐसे ही खाना खाएँगे।

नमिता चुपचाप अपनी छातियाँ हिलाते हुए खाना लगाने लगी। अब वह कुर्सी पर बैठी और उसकी बड़ी छातियाँ टेबल पर रखी हुई दिख रही थीं।

अब राज और नमिता खाना खाने लगे। राज की आँखें उसकी छातियों पर ही जमी हुई थी।

राज: माँ देखो ना आपकी चूचियाँ क्या मस्त दिख रही है ।

नमिता: हम्म तुझे पसंद है बस मेरे लिए यही बहुत है।

राज: माँ जल्दी हीं हम पूरे नंगे होकर भी खाना खाएँगे।

नमिता: ह्म्म्म्म्म ।

खाने के बाद राज बोला: माँ मेरा काफ़ी कोर्स अभी बचा है। मैंने रात को ही आपसे एक बार मज़ा लूँगा।

नमिता: ठीक है बेटा, तो मैं ये टी शर्ट पहन लूँ?
राज उसके पास आया और उसकी चूचियों को बारी बारी से चूसा और फिर उसने ख़ुद उसको टी शर्ट पहना दिया

राज पढ़ने बैठ गया। नमिता आराम करने चली गयी।



राज और नमिता फिर शाम की चाय पर मिले पर थोड़ा चूमा चाटी के अलावा कुछ ज़्यादा नहीं हुआ । राज का ध्यान कोर्स ख़त्म करने में लगा था रात को डिनर के बाद भी रात को सोने से पहले मिलने का कहकर वह चुपचाप चला गया अपने कमरे में। रात को वह गुड नाइट करने आया और उससे लिपट गया और प्यार करते हुए बोला: माँ मैं नर्वस हो रहा हूँ।

नमिता ने उसके बालों पर हाथ फेरा और कहा: बेटा इतनी पढ़ाई की है फिर नर्वस क्यों हो रहा है?

राज: माँ मुझे इस विषय में हमेशा डर लगता है।
नमिता उसको खींच कर अपनी छाती से

चिपकाकर बोली: सब ठीक होगा बेटा,परेशान मत हो।


राज: माँ तुम तो मेरा ईनाम काट ही दोगी अगर नम्बर अच्छे नहीं आए तो? वह उसका ब्लाउस खोलकर उसके दूध पीते हुए बोला।

नमिता: नहीं अब मैं जान गयी हूँ कि तेरा ध्यान वापस से पढ़ाई में आ गया है। मैं तुझे ईनाम दूँगी ही, चाहे रिज़ल्ट कुछ भी आए, बस अब ख़ुश???


राज ख़ुशी से उसके दूसरे दूध को भी चूमा और बोला: बस माँ अब कोई टेन्शन नहीं है।

आऽऽहहहह मैं कल इसको पैंटी में देखूँगा और बहुत चुमूँगा और सूँघूँगा। उसने उसकी बुर को पेटिकोट के ऊपर से दबाकर मुट्ठी में भींचते हुए कहा।

नमिता: आऽऽऽहहह छोड़ ना, मार डालेगा क्या। हाय्य्य्य्य इतनी ज़ोर से क्यों दबाया?

राज: सॉरी माँ ज़्यादा ख़ुश हो गया था। अच्छा माँ , एक बात मानोगी?

नमिता: बोल क्या बात है?

राज: माँ, आपके पास ऐसी पैंटी है जिसमें पिछले हिस्से में सिर्फ़ एक रस्सी सी होती है?

नमिता: नहीं मेरे पास ऐसी पैंटी नहीं है।

राज: माँ कल एक ख़रीद लेना प्लीज़। मुझे आपको कल ऐसी पैंटी में ही देखनी है।

नमिता: ओह अच्छा देखूँगी।

राज: नहीं माँ ले ही लेना प्लीज़।

नमिता ने हाथ बढ़ा कर उसका लौड़ा पकड़ लिया जो लोअर में पूरा खड़ा था और बोली:
अच्छा बाबा ले लूँगी। तू तो पीछे ही पड़ जाता है। अच्छा अभी बोल मूठ्ठ मार दूँ?

राज: माँ पहले चूस लो फिर मार देना।

नमिता: चूसूँगी नहीं हाँ चूम लूँगी । जब इसके अगले पेपर में अच्छे नम्बर लाएगा तब चूसूँगी।

राज: माँ क्या फ़र्क़ पड़ेगा आज ही चूस दो ना?

नमिता: नियम नहीं तोड़ेंगे बेटा हम।

राज: ठीक है माँ चलो ऐसा ही सही।

अब राज बिस्तर पर लेट गया। नमिता का ब्लाउस खुला हुआ था। उसकी चूचियाँ बिना ब्रा के इधर उधर डोल रही थीं। राज की आँखें उसी पर चिपकी हुई थीं। नमिता उठी और उसके लोअर को उतार दी और उसके चड्डी में क़ैद शैतान को देखकर मस्ती से अपनी जीभ को होंठों पर फेरी और झुक कर उसकी चड्डी में चमकते हुए प्रीकम को चाट ली। राज के हाथ अभी भी उसके बदन पर फिर रहे थे। नमिता ने उसकी चड्डी के अंदर हाथ डाला और उसके लौड़े को पकड़कर टेढ़ा किया और चड्डी को नीचे खिसकायी। अब उसका लौड़ा ऐसे ऊपर नीचे होने लगा जैसे कि उसमें स्प्रिंग लगा हो।


उसने अपने हाथ में उसको पकड़ लिया और उसकी पूरी लम्बाई और मोटाई का अहसास करने लगी। अब उसकी बुर पनियाने लगी थी।
उसने अपने आप को ऐसे पोज़ में रखा ताकि राज उसकी चूचियाँ दबा पाए। राज के हाथ अब उसकी चूचियाँ दबाने लगे।


फिर नमिता ने अपनी जीभ निकाली और उसके लौड़े को पूरी लंबाई में चूमना और चाटना चालू किया। राज मस्ती से भरा जा रहा था।


नमिता ने काफ़ी देर लौड़ा मसला पर वह झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। नमिता ने राज की आँखों में देखा और मुस्करायी और अपना ब्लाउस निकाल दिया। अब उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ हिले जा रही थीं।


अब उसने उसके लौड़े के ऊपर अपनी छातियाँ रखी और अपने दोनों हाथों में अपने एक चुचि को लेकर उसके बीच में उसका लौड़ा रखी और अपनी चुचियां ऊपर नीचे करने लगी। राज मस्ती से माँ की चूचियों में फंसा अपना लौड़ा देख कर बहुत उत्तेजित हो गया। अब वह भी नीचे से अपनी कमर उछालके उसकी चूचियों को चोदने लगा।


नमिता की बुर गीली होने लगी थी। नमिता ने अब अपनी जीभ भी बाहर निकाली और जब उसका लौड़ा ऊपर आता तो वह उसके सुपाडे को जीभ से चाट देती। राज अब मस्त हो गया और बहुत मज़े से उसकी चूचियों में अपना लौड़ा रगड़ने लगा और ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। उसके लौड़े का रस नमिता के जीभ और मुँह में गिरने लगा। जल्दी ही उसका मुँह ढेर सारे वीर्य से सन गया। अब वह अपने जीभ से उसका रस चाट ली। उसका पेटिकोट उसकी बुर के पानी से गीला हुए जा रहा था।


फिर उसने अपने ब्लाउस से अपना मुँह पोंछा। फिर बाथरूम जाकर सफ़ाई करके बिना ब्लाउस के बाहर आयी और आकर बिस्तर पर बैठ गयी। अब राज ने उसके गोद में अपना सिर रखा और उसकी चूचियों को चूमने लगा। नमिता ने अपने ब्लाउस से ही उसका लौड़ा भी साफ़ कर दिया।


अब राज उठा और बोला: माँ आज तो आपने बहुत मज़ा दिया । आपकी नरम चूचियों में लौड़ा चोदने का मज़ा पागल कर देने वाला था।

नमिता: सच मज़ा आया?

राज: हाँ माँ। बहुत बहुत।

नमिता: चल अब जा पढ़ाई कर , कल अच्छे नम्बर लाना।

राज: हाँ माँ , अब जाता हूँ पढ़ाई करने। थैंक्स वेरी मच ।

नमिता उसके लौड़े को हल्के से दबाकर बोली: बाई बाई। गुड नाइट।

राज : गुड नाइट माँ बाई बाई। वह भी उसकी चुचि दबाकर बोला।


राज के जाने के बाद नमिता ने एक ब्लाउस निकाल कर पहना और सोने को कोशिश करने लगी। बुर बहुत गरम थी, आख़िर उसने ऊँगली की और झड़ने के बाद सो गयी।

सुबह वह जब राज को चाय देने पहुँची तो वह पढ़ाई में डूबा हुआ था।

राज माँ से लिपट कर गुड मॉर्निंग बोला।नमिता ने उसे प्यार किया और चाय दी।

नमिता: बेटा कोर्स पूरा दोहरा लिया?

राज: जी माँ पूरा हो ही गया है।

नमिता: चल अब नहा ले , मैं नाश्ता बनाती हूँ।
वह उसे चूमकर बाहर आ गयी।

राज नाश्ता करके माँ के हाथ से दहीं शक्कर खा कर स्कूल के लिए तय्यार हो गया।

नमिता: बेटा, बेस्ट ओफ़ लक। पूरे ध्यान से करना।

राज: माँ एक बात बोलूँ ?

नमिता: आइ लव यू ।

राज को अपने गले लगा कर वह बोली: हाँ बेटा जानती हूँ।

राज: माँ वह पैंटी ज़रूर पहन ले लेना ।

नमिता: हट बदमाश भाग यहाँ से ।

राज हँसते हुए चले गया। नमिता भी घर के काम में लग गयी।

नमिता भी तय्यार होकर ऑफ़िस चली गयी। वहाँ ऑफ़िस में एक सामान्य दिन था , सुधाक
र बहुत सी मीटिंग्स में व्यस्त था। वह १२ बजे निकल गयी क्योंकि उसको राज की पसंद की पैंटी लेनी थी।

वह पास की एक दुकान में गयी जहाँ से वह हमेशा ब्रा व पैंटी लेती थी। वह एक सलीम नाम के आदमी की दुकान थी जिसमें उसकी बीवी भी रहती थी और महिलाओं को वह ही सामान देती थी।

नमिता इसकी दुकान में घुसी तो सिर्फ़ सलीम ही था ।

नमिता: आदाब भाई जान, भाभी नज़र नहीं आ रहीं ?

सलीम: अरे उसकी तबियत थोड़ा नासाज़ है। वही औरतों वाली तकलीफ़। जिसने हम मर्द बिचारे भूक़े प्यासे रह जाते हैं।

नमिता का चेहरा उसकी बात से शर्म से लाल हो चला था, वह समझ गयी थी वह उसके पिरीयड आने की ओर इशारा कर रहा था।

नमिता: मैं बाद में आ जाऊँगी।

सलीम: अरे बहन आपको क्या चाहिए बताइए ना। इसने क्या शर्माना?

नमिता सोची कि अगर नोर्मल ब्रा या पैंटी लेनी होती तो कोई बात नहीं थी, पर उसे तो राज की पसंद की नॉटी पैंटी लेनी थी।

नमिता: जी वो कुछ पैंटी दिखा दीजिए।

सलीम: अभी लो बहनजी। ज़रा साइज़ बता दीजिए ना?

नमिता: ३२ साइज़ की ।

वह अंदर जाकर कुछ डिब्बे लाया और उसको पैंटी दिखाने लगा। नमिता ने देखा कि वह सादी सी दिखने वाली पैंटी लाया था।

नमिता: भाईजान,कुछ अच्छी सी दिखायीये ना। ये तो बड़ी सादी सी हैं।

सलीम: बहनजी, अच्छी तो है, यहाँ कौन आपकी साड़ी के अंदर झाँक कर देखेगा कि आपने कैसी पैंटी पहनी है? ये कहकर वह खि खि कर हँसने लगा।

नमिता: छि भाईजान आप भी कुछ भी बोलते हैं। मैं बाद में आ जाऊँगी।

सलीम: अरे मैं तो मज़ाक़ कर रहा था , आप बुरा मान गयी। अभी और सैम्पल लाता हूँ।

अब वह और डब्बे लाया और उसने और थोड़ी फ़ैन्सी पैंटी दिखायी।

नमिता ने देखा कि एक पैंटी में सामने से जाली लगी थी जो शायद ही बुर को छिपा पाती ।

सलीम: बहनजी ये ठीक रहेगी, आप की दिखेगी भी और छिपेगी भी।

वह फिर से खि खि करके हँसने लगा।

नमिता सोची कि क्या कमीना आदमी है।
नमिता ने दूसरा डब्बा खोला उसने उसे ऐसी पैंटी दिखी जिसने बस सामने एक छोटा सा पट्टा था और पीछे भी पट्टा सा था। अगली पैंटी वैसी ही थी जैसी उसे चाहिए थी। सामने छोटी सी पट्टी और पीछे एक रस्सी जो गाँड़ की दरार में ही धँस जाए।

नमिता ने थोड़ा शर्माते हुए कहा: भाईजान ये दे दीजिए।

सलीम ने उसको उठाया और आगे पीछे देखा और बोला: बहनजी ये आपको आ जाएगी?

थोड़ी छोटी नहीं लग रही ? वैसे भी इसमें छुपाना तो क्या होगा दिखाना ही ज़्यादा होगा। वह फिर खि खि करके हँसने लगा। नमिता के गाल लाल हो गए।

नमिता: क्या क़ीमत होगी इसकी?

सलीम: आप चाहें तो पीछे के कमरे में जाकर ट्राइयल ले सकती हैं। उसने अपना लौड़ा खुजाते हुए कहा। नमिता का ध्यान अनायास ही उसके पैंट के सामने वाले हिस्से पर चला गया जहाँ वक बड़ा सा तंबू बन गया था। उसने सोचा कि कितना कमीना है यह इंसान।

नमिता: नहीं नहीं ठीक है ये सब । बस दे दीजिए।

उसने वह ख़रीद ली और जल्दी से दुकान से बाहर आ गयी।

नमिता की आँखों में बार बार उसका तंबू आ रहा था।

घर पहुँची तो थोड़ी देर आराम करी और फिर राज के आने के पहले वह उठ गयी और बाथरूम जाकर पूरी नंगी हो गयी। अब वह अपने बदन को देखकर मुस्कुराती हुए सोचने लगी कि आज राज तो पागल ही हो जाएगा। फिर उसने अपनी बुर और गाँड़ का हिस्सा बहुत अच्छे से साफ़ किया और फिर नंगी ही अपने कमरे में जाकर उसने एक छोटा सा ब्लाउस निकाला जो कई साल पहले वह पहनती थी। वह आज भी एकदम नया सा था क्योंकि वह उसको टाइट हो गया था।




To be continue
 

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आज जब उसने वह पहना तो उसकी छातियाँ उसने तो समा ही नहीं रहे थे। यही वह चाहती थी कि राज उसकी छातियाँ देखकर दीवाना हो जाए। फिर उसने नयी पैंटी पहनी और शीशे के सामने ख़ुद को देखकर शर्मा गयी। वह एकदम वासना की पुतली लग रही थी। उसके ब्लाउस से चूचियाँ जैसे बाहर आने को बेताब थीं और उसकी बुर सिर्फ़ एक पट्टी से ढकी हुई थी। वह मुश्किल से उसकी बुर की फाँकों को ही ढक पा रहे थे। कपड़ा भी इतना पतला था कि उसकी फाँकों के बीच की लकीर अलग से दिख रही थी।


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फिर वह पलटी और ख़ुद ही शर्मा गयी। पीछे की रस्सी उसके गाँड़ की दरार में घुसी हुई थी। अब उसके दोनों मोटे मोटे चूतर एकदम नंगे थे। वह सोची कि आज तो उसके बेटे ने पागल होकर शायद उसकी बुर फाड़ ही देनी है।


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अब नमिता ने उसके ऊपर पेटिकोट पहन लियाऔर किसी अभिसारिका की तरह अपने बेटे का इंतज़ार करने लगी।


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वह TV देख रही थी जब राज घर में घुसा और आकर उसके पास बैठ गया। वह बोला: माँ पानी दो ना, बहुत गरमी है।

नमिता उसको चुमी और पानी लेकर उसको दी और वह पीने लगा।

नमिता: बेटा पेपर कैसा हुआ?

राज: माँ आज तो आपका टारगेट पूरा नहीं कर पाया। अब उसने अपने बैग से पेपर निकाल कर नमिता को दिया। नमिता ने देखा कि उसे २१/२५ यानी कि ८४% नम्बर मिले हैं।

वह मुस्कुरा कर बोली: बहुत अच्छे नम्बर तो आए है बेटा, मैंने ८५% कहा था और तुम सिर्फ़ एक पर्सेंट से ही पीछे हो । कुछ नहीं होता ।

राज: माँ तो मेरा ईनाम मिलेगा ना?

नमिता: हाँ बेटा ज़रूर मिलेगा।

राज ख़ुशी से उसके गोद मे लेट गया और अपना मुँह उसके पेट पर रगड़ कर उसके पेट को चूमने लगा और उसकी नाभि में जीभ फिराने लगा।

नमिता भी उसके बालों में हाथ फेरती हुई झुक कर उसके गाल चूम ली।

राज ने ब्लाउस को देखा और बोला: माँ आपको चूचियाँ तो इसमें समा ही नहीं रही है। ये कब का ब्लाउस है। ये कहकर वह उसके मम्मे दबाने लगा।

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नमिता: हाँ ये पुराना ब्लाउस है,तब मेर थोड़े छोटे थे।

राज: माँ अब तो बहुत बड़े हो गए हैं । देखो माँ मेरे एक हाथ में भी पूरे नहीं आ रहे हैं।

नमिता उसको चूमे जा रही थी और बोली: ह्म्म्म्म्म


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राज: माँ ब्लाउस निकाल दो ना। मुझे दुद्दु पीना है।

नमिता ने ब्लाउस के हुक खोले और हाथ उठाकर ब्लाउस निकाल दिया। जैसे ही उसकी चूचियाँ नंगी हुईं वह उन पर टूट ही पड़ा । पहले ख़ूब दबाया और फिर एक दूध मुँह में लेकर चूसने लगा।


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नमिता भी उसके सिर को अपनी चूचि पर दबाकर मस्ती से भर गई। अब उसकी बुर पनिया गई थी।

अब राज ने चूचि बदलकर दूसरी वाली अपने मुँह में ले ली।

नमिता ने हाथ बढ़ाकर उसका लंड पकड़ लिया और उसके पैंट के ऊपर से ही उसको सहलाने लगी। राज थोड़ी देर बाद उठा और बोला: माँ चलो बेडरूम में चलते हैं।

अब वह दोनों बेडरूम पहुँचे तो नमिता बिस्तर पर बैठ गयी। उसके पैर नीचे थे वह इस समय ऊपर से नंगी थी। राज उसके सामने खड़ा हुआ और बोला: माँ मुझे नंगा करो।



नमिता मुस्कुराकर उसकी बेल्ट खोलने लगी , फिर पैंट भी नीचे गिरा दी। अब चड्डी में उसका लौड़ा फ़नफ़ना रहा था। चड्डी उतरते ही वह हवा में झूलने लगा। नमिता ने उसको अपनी नरम मुट्ठी में भर लिया और उसको सहलाने लगी।


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फिर वह झुकी और उसके सुपाडे को चूम ली और जीभ से उसके छेद पर लगा प्रीकम चाट ली।



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फिर वह उसके पूरे लौड़े को लम्बाई में जीभ से चाटने लगी। राज उसकी ये हरकत से जैसे दीवाना सा हो गया। वह हाथ बढ़ाकर उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था। अब उसने ख़ुद ही क़मीज़ उतार दी।

राज: माँ आपको वह पैंटी मिली कि नहीं?

नमिता: हाँ मिली और मैंने पहनी है।

राज: ओह माँ आप कितनी अच्छी हैं , मेरी हर इच्छा पूरी करती हैं?

नमिता: अरे मेरे बेटे तेरे सिवा मेरा दुनिया में और है ही कौन, मैं तेरे लिए ही तो जी रही हूँ।

राज: माँ अब उठो ।

राज अब बिस्तर पर पैर लटका के बैठ गया और नमिता खड़ी हो गयी। राज ने उसका पेटिकोट का नाड़ा खोला। नमिता अब पेटिकोट धीरे से नीचे खिसकाइ और उसकी पैंटी दिखाई दी ।


फिर वह पेटिकोट नीचे गिरा दी। अब राज की आँखों के सामने नमिता सिर्फ़ एक छोटी सी पैंटी में खड़ी थी। राज की आँखें उसकी गदरायी हुई जाँघों और उसके जोड़ पर ही चिपक सी गयी थीं। एक छोटी सी पट्टी में उसका ख़ज़ाना मानो छिप ही नहीं पा रहा था। उसकी मस्त फाँकें और बीच का चीरा साफ़ दिखाई पड़ रहा था। राज का लौड़ा अब और प्रीकम छोड़ दिया। उसने नमिता को अपने पास खिंचा और उसकी जाँघों को चूमते हुए उसकी बुर तक पहुँचा और फिर उसने पैंटी के ऊपर अपनी नाक लगा दी।

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उसको सूंघकर वह बोला: माँ आऽऽऽऽऽऽहहह क्या मस्त गंध है। फिर जीभ से उसकी गीली हो चुकी बुर को पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा। अब वह उसके फाँक को भी पैंटी के ऊपर से अपने होंठों में भरकर चूस रहा था।


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नमिता हाऽऽऽऽऽय्ह्ह्य्य बेटाआऽऽऽऽ मत कर नाआऽऽऽ। आऽऽऽऽहहहह मर जाऊँगीइइइइइइइ कहकर चिल्लाने लगी।


अब राज ने नमिता को घुमाया और उसके सामने क़रीब पूरे नंगे बड़े बड़े गोल गोल चूतर थे। पैंटी की बद्दी जैसे उसके गाँड़ की दरार में घुस सी गई थी। उसने पागलों की तरह उसके चूतरों को चूमा और चाटा । फिर उसने दोनों हाथों से उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ में अपना मुँह डालकर उसको चूमने और चाटने लगा। नमिता उसकी जीभ का अहसास अपनी नंगी गाँड़ में महसूस कर के आऽऽऽहनह सीइइइइइइ करने लगी । अब राज ने अपनी एक ऊँगली में ढेर सारा थूक लगाया और ऊँगली को उसकी गाँड़ में डाल दिया। नमिता उईइइइइइइइइइइइ आऽऽऽहहह कर उठी।





फिर उसने उसको घुमाया और उसकी पैंटी हटाकर बुर चाटने की कोशिश किया। नमिता ने उसके मुँह को हटाया और बोली: नियम नहीं तोड़ना है।


राज : माँ। बस एक बार चूम लेने दो ना बुर को।


नमिता: इंतज़ार करो बेटा, इसका भी समय आएगा।



राज आऽऽहहह करके पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा।


नमिता: बेटा क्या मुझे पूरे टाइम खड़ा ही रखेगा?

राज: ओह माँ आओ चलो लेट जाओ।



नमिता लेट गयी और वह भी लेट गया। अब दोनों ही एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके करवट में लेते थे। नमिता ने हाथ बढ़ाकर उसका लौड़ा पकड़ा और उसको सहलाने लगी। राज ने भी उसके होंठ चूसे और फिर उसकी चूचियाँ पीने और दबाने लगा। उसके निपल्ज़ दबाकर उसको बहुत कामुक कर दिया। अब राज ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर में ऊँगली करनी शुरू की।


नमिता भी उसका लौड़ा अब जल्दी जल्दी हिलाने लगी।


दोनों एक दूसरे को मज़ा दे रहे थे। राज के मुँह में उसकी चुचि थी और एक हाथ उसकी दूसरी चुचि पर था और एक हाथ उसकी बुर को मसल रहा था। नमिता भी एक हाथ से उसके लौड़े को हिला रही थी और दूसरा हाथ राज के चूतरों पर दबा रही थी। फिर नमिता ने उसकी दरार में हाथ डाला और राज की गाँड़ के छेद पर अपनी उँगलियाँ चलाने लगी। राज अब आनंद से भरकर ह्म्म्म्म्म्म्म कहता हुआ अपना पानी छोड़ने लगा। उधर नमिता भी उसके हाथ में अपना पानी पैंटी के ऊपर हो छोड़ने लगी ।


अब दोनों पूरे लस्त होकर एक दूसरे की बाहों में पड़े हुए थे।


फिर राज अपने कमरे में जाकर फ़्रेश होकर वापस आया। तब तक नमिता भी फ़्रेश होकर ब्लाउस और पेटकोट में आ चुकी थी। फिर दोनों ने खाना खाया।


नमिता: बेटा परसों हिंदी है ना?


राज: हाँ माँ और उसने आपने मुझे ८०% का टार्गट दिया है।


नमिता: इतने तो तेरे पहले भी आ ही जाते थे।


राज: जी माँ इसका इनाम याद है?


नमिता हँसते हुए : हाँ याद है कि अब पैंटी भी उतर जाएगी।


राज: माँ आह्ह्ह्ह्ह्ह कितना मज़ा आएगा जब मैं आपकी बुर को देखूँगा। मैं तो उसको चूम चूम कर लाल कर दूँगा।


नमिता: हट बदमाश, चल जा अब पढ़ने बैठ जा।


राज उठा और अपने लोअर में खड़े लौड़े को दिखाकर बोला: माँ देखो आपकी बुर का सोच कर ही मेरा खड़ा होने लगा है।


नमिता ने उसके लौड़े को बड़े प्यार से दबाया और बोली: इसको बोल कि कल तक का इंतज़ार करे। चल अब भाग। ये कहते हुए उसने उसके लौड़े पर एक हल्की सी चपत मारी।
राज हँसते हुए अपनी माँ को चूमा और उसकी चुचि दबाकर पढ़ने चला गया।



नमिता भी आराम करने चली गयी।


थोड़ा आराम करने के बाद वह उठी और राज को चाय पिलाकर वह सुषमा के घर गयी और उसकी काल बेल बजायी।


सुषमा ने क़रीब 5 मिनट बाद दरवाज़ा खोला जब नमिता वापिस ही आने वाली थी। वह बहुत उदास लग रही थी जैसे अभी ही रो कर उठी हो। सुषमा की हालत देख कर नमिता हैरान रह गयी।
सुषमा के दुःख का राज क्या था? ----


अंदर जाकर दोनों सोफ़े पर बैठीं और नमिता ने सुषमा को पूछा: राजू स्कूल गया है क्या?

नमिता: नहीं वह फ़िल्म देखने अभी ही गया है।

नमिता: और भाई सांब?

सुषमा: वह आज देर से ऑफ़िस से आएँगे। उनका एक डिनर मीटिंग है।

नमिता: ओह, अच्छा यह बताओ कि तुम इतनी उदास क्यों दिख रही हो?

सुषमा: नहीं तो बस ऐसे ही। कुछ ख़ास बात नहीं है।

नमिता: चलो नहीं बताना है तो ना बताओ।

अच्छा गुप्ता के यहाँ क्या हुआ? उसने अनजान बनते हुए पूछा।

सुषमा: आह वही तो सब मुसीबतों की जड़ है।

नमिता: क्यों उसने क्या किया?

सुषमा: अब तुम्हें कैसे बताऊँ कि वहाँ क्या क्या हुआ? और वहाँ से वापस आकर इस घर की तो शांति ही भंग हो गयी है।

ये कहते हुए वह फिर से रुआंसी हो गई।

नमिता ने उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर उसको सांत्वना देते हुए कहा: अरे ऐसे क्यों अप्सेट हो रही हो। देखो मैं तुम्हारे बड़ी बहन जैसी हूँ। चाहो तो मुझे सब बता सकती हो। और अपना दिल हल्का कर सकती हो।

सुषमा: दीदी बात ही कुछ ऐसी है कि मैं आपको नहीं बताना चाहूँगी।

और मुझे कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा है।

उसकी आँखों में आँसू आ गए।

नमिता ने उसको खींचकर अपनी बाहों में भर लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली: अरे क्या पागलपन है। देखो अब मैं कुछ नहीं सुनूँगी।

मुझे सब बताओ। क्या गुप्ता ने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत की है?

सुषमा: अरे नहीं, ये बात नहीं है। मैं आपको बताती हूँ ओर आप किसी को नहीं बताना।

नमिता ने उसको अपने से सटा लिया और बोली: एक बात बोलूँ? बुरा तो नहीं मानोगी?

सुषमा: नहीं दीदी बोलो ना?

नमिता: आज तुमको इतने पास पा कर मेरी बरसों पुरानी एक प्यास जाग गयी है।

सुषमा उसकी आँखों में देखकर बोली: कैसी प्यास?

नमिता: जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो हॉस्टल मेंतुम्हारे जैसी इकहरे बदन की लड़कियों को मैं लाइन मारती थीं। दरअसल मैं एक भरे पूरे बदन वाली लड़की थी और मुझे तुम्हारे जैसी लड़कियाँ अच्छी लगती थीं।

सुषमा: क्या आप उनके साथ सब कुछ करती थीं?

नमिता: हाँ सब कुछ। मैं असल में उस समय बाईसेक्शूअल थी। शादी के बाद तो कोई मौक़ा ही नहीं मिला। आज तुमको अपने पास पाकर मेरी प्यास फिर से जाग गयी है।

ये कहते हुए उसने सुषमा को अपने से पूरा सटा लिया और उसकी आँखों में झाँकने लगी।


सुषमा के जवाब ने उसे चौंका दिया: मैं भी हॉस्टल लाइफ़ में बाइसेक्शूअल थी और मुझे कुछ तगड़ी लड़कियाँ बहुत प्यार करती थीं। मैं अपने रूप के कारण बहुत डिमांड में रहती थी।


नमिता हैरानी से उसकी तरफ़ देखी और बोली: तुम भी बाई सेक्शूअल हो? वह, ये तो बड़ी मज़ेदार बात हो गयी? तो शादी के बाद कभी किसी लड़की से मज़ा लिया?


सुषमा: नहीं ऐसा कोई मौक़ा ही नहीं आया।


अब नमिता ने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और चूम कर बोली: लो आज मौक़ा आ गया है, बोलो क्या कहती हो?


अब सुषमा को नमिता ने अपनी बाहों में जकड़ लिया था।

सुषमा मुस्कुरा कर बोली: आज मैं भी हॉस्टल के दिन को याद करना चाहती हूँ। और ये कहते हुए उसने अपने होंठ नमिता के होंठ से सटा दिए। अब वह दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
नमिता ने उसको खींच कर अपनी गोद में खींच लिया और सुषमा भी उससे चिपक कर मस्ती से भरने लगी।


नमिता ने अब उसकी साड़ी के आँचल को गिराया और ब्लाउस के ऊपर से उसके दूध को पकड़कर दबाने लगी।


सुषमा की क़द काठी नमिता से अलग थी। वह थोड़ी कम भरी हुई थी।कॉलेज के दिनों में तो वह काफ़ी दुबली थी पर अब वह थोड़ी सी भर गयी थी। उसकी चूचियाँ अब काफ़ी बड़ी हो गयी थी पर नमिता से काफ़ी छोटी थीं।


उसका बदन भी पहले से भर गया था पर नमिता का शरीर ज़्यादा भरा हुआ था। अब सुषमा भी उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसकी बड़ी चूचि को दबाने लगा। सुषमा नमिता की गोद में बैठी उसका ब्लाउस खोल दी और उसके दूध को ब्रा के ऊपर से चूमने लगी। नमिता भी सुषमा का ब्लाउस खोली और उसके दूध दबाकर चूमने लगी।


अब दोनों मज़े से एक दूसरे की चूचि दबा रही थीं। नमिता उसके होंठ चूसने के बाद बोली: चल ना बेडरूम में । यहाँ मज़ा नहीं आएगा।


सुषमा उसको लेकर अपने बेडरूम में आयी और दोनों खड़े खड़े ही एक दूसरे से चिपक गयी। अब नमिता ने सुषमा की साड़ी खोल दी। सुषमा का ब्लाउस खुल चुका था और उसकी ब्रा भी नमिता ने खोल दिया। अब सुषमा की चूचियाँ सामने थीं और नमिता ने देखा कि वह काफ़ी ठोस थीं और बहुत ही सुंदर और गोल गोल थीं। नमिता उनको दबाने और चूसने लगी। सुषमा आऽऽहहहह करने लगी। अब सुषमा ने भी नमिता की साड़ी उतार दी और ब्लाउस के हुक खोल दिए। ब्रा में कसे नमिता के बड़े बड़े दूध देखकर सुषमा उनको दबाने और चूमने लगी। फिर उसने उसकी ब्रा खोली और दूध चूसने लगी। नमिता के बड़े काले निपल पूरे खड़े थे और वह उसपर जीभ फेर रही थी।



फिर दोनों ने एक दूसरे के पेटिकोट का नाड़ा खोला और उनकी गोरी जाँघें और उनमें फँसी पैंटी सामने आ गयी । वो एक दूसरे के जाँघें सहलाने लगीं। नमिता ने पैंटी के ऊपर से उसकी बुर दबोच ली और मसलने लगी। सुषमा हाऽऽऽऽऽऽऽय्यय कर उठी। नमिता ने उसको बिस्तर पर लिटाया और ख़ुद उसके ऊपर आ गयी। अब वो उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबा रही थी। फिर नमिता उसके गर्दन और चुचिचूमते हुए नीचे उसके पेट और नाभि को चुमी। फिर उसकी जाँघें चूमकर वह उसकी पैंटी उतारने लगी। सुषमा ने कमर उठाके उसकी मदद की। अब नमिता के सामने उसकी बुर खुली हुई थी। मस्त चिकनी और अंदर से गुलाबी थी। नमिता ने एक तकिया लगाया उसके चूतरों के नीचे और अब उसकी बुर को चूमने लगी



सुषमा की सिसकियाँ निकलने लगी। फिर नमिता ने उसकी बुर की फाँकों को फैलाया और उसमें अपनी जीभ डाल कर हिलाने लगी।
सुषमा हाऽऽऽऽऽयहय दीदीइइइइइइइइइ कहकर चिल्लाई।



अब नमिता ने अपनी दो उँगलियाँ उसकी बुर में डाल दिया और अपनी जीभ से उसकी clit को छेड़ने लगी। सुषमा अपनी कमर उछालकर अपनी बुर उसके मुँह ओर रगड़ने लगी।



अचानक ही उसका जैसे कामरस का भंडार खुला और वह मरीइइइइइओओओओ कहकर झड़ने लगी। उसका पानी नमिता के मुँह में भरने लगा, जिसे उसने पूरा पी लिया।


सुषमा :आह्ह्ह्ह्ह्ह दीदी क्या मज़ा मिला है आज बरसों के बाद। सच हॉस्टल लाइफ़ याद आ गयी।


नमिता का पूरा मुँह गीला था वह उसके ऊपर आयी और उसके होंठ चूसने लगी। सुषमा ने भी उसका साथ दिया और उसकी जीभ चूसने लगी ।


थोड़ी देर दोनों एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरे और फिर सुषमा नमिता की टाँगो के बीच जाकर उसकी बुर को सहलायी और फिर चूमने और चाटने लगी। अब नमिता की सिसकियाँ निकलने लगी।


अब नमिता बोली: सुषमा आओ ना ६९ करते हैं।
सुषमा मुस्कुराती हुई उलटी हुई और अपनी बुर को नमिता के मुँह के ऊपर रखी और ख़ुद अपना मुँह उसकी बुर पर रख दिया।



अब दोनों एक बार फिर से बुर चाटना चालू की। वो दोनों बुर में उँगलियाँ भी डाल रही थीं और जीभ भी। नमिता ने उसकी गाँड़ भी चाटी और उसमें ऊँगली भी डाली। सुषमा ने भी अपने मुँह को नीचे किया और नमिता के गाँड़ पर अपनी जीभ और ऊँगली से हमला किया । अब जल्दी ही दोनों आह्ह्ह्ह्ब कहकर झड़ने लगी और कमरा उनकी आहों और सिसकारियों से भर गया। दोनों ने एक दूसरे का कामरस भी पी लिया।


थोड़ी देर बाद थक कर वो एक दूसरे की बाहों में पड़ी हुई थीं।


नमिता: कैसा लगा? मज़ा आया


सुषमा: आऽऽहहह दीदी बहुत मज़ा आया।


नमिता: अच्छा बता तो तू उस समय उदास क्यों थी और क्यों रो पड़ी?


सुषमा: मैं आपको कभी नहीं बताती, पर अब जो हमारे बीच में ये सम्बंध बन गया है तो अब मैं आपको सब बता दूँगी। असल में उस दिन जब हम गुप्ता से मिले तो वह हम सबको अलग कमरों मैं बिठाया और ख़ुद राज से सवाल करने लगा।


ये सब तो नमिता को पता ही था। फिर उसने विस्तार से बताया कि क्या सवाल जवाब हुए और उसिमे राजू ये बताया कि वह पापा के साथ अपनी माँ को चोदना चाहता है। आख़िर में वह बतायी कि राज़ू ने उसके सामने मूठ भी मारी।



सुषमा आगे बतायी: बाद में गुप्ता बोला कि अगर राजू को सामान्य करना है तो उसकी बात माननी चाहिए। राजन बहुत उत्तेजित था। उसका लौड़ा पूरा खड़ा था। पता नहीं मुझे लगा कि वह भी यही चाहता है। घर पर आ कर राजन मुझे कमरे में ले आया और मेरी ज़बरदस्त चुदायी किया।



बाद में वह बोला कि ये कल्पना ही उसके लिए मस्त करने वाली है कि बाप बेटा मुझे साथ में चोदेंग़े। वह आगे बोला कि उसको कई बार टूर पर जाना पड़ता है तो मैं मज़े से राजू से चुदवा सकूँगी।

नमिता: ओह फिर क्या हुआ?

सुषमा : अब बताओ मैं कैसे हाँ करती? घर आकर सबसे ज़्यादा मुझे राजन ने हैरत में डाला था। वह बोले जा रहा था कि वह बहुत समय से चाहता था कि वह मुझे किसी और से चुदवाए और जब वो आदमी अपना बेटा ही होगा तो क्या मस्त मज़ा आएगा। मैं तो उसके मुँह की तरफ़ ही देखते रह गयी।


नमिता: ओह ये बात है? राजन से ये उम्मीद नहीं थी।


सुषमा: बस इसी बात से मेरा मूड कल से ही ख़राब है। मैंने अपने आप को गेस्ट रूम में बंद कर लिया है और दोनों बाप बेटे से बात नहीं कर रही हूँ। आख़िर तुम बोलो मैं अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती हूँ?


नमिता ने उसके होंठ चूसे और उसकी चूचि दबा कर बोली :देख, यह सही है कि बेटे से चुदवाने की कल्पना एक माँ के लिए बहुत अजीब है। पर इसका एक दूसरा पक्ष भी है कि तुम एक औरत हो जिसे चुदायी का मज़ा लेने ला उतना ही हक़ है जितना किसी मर्द को है ।


सुषमा: हाँ वह तो सही है पर इसका मतलब ये कहाँ हुआ कि मैं अपने बेटे से ही चुदवा लूँ।
नमिता उसके निपल को दबाते हुए बोली: तुझे एक बात सोचनी होगी कि तेरे लिए तेरा बेटा कितना महत्व रखता है? अगर उसे ठीक करने के लिए ये त्याग करना होगा तो तुझे करना चाहिए। जैसे मैं कर रही हूँ।



ना जाने कैसे उसके मुँह से निकल गया।


सुषमा हैरानी से उसको देखी और बोली: आप कर रही हो? मतलब?


नमिता थोड़ा हड़बड़ायी कि उसके मुँह से ये कैसे निकल गया पर बाद में सोची कि अब इसके साथ नंगी पड़ी है तो इससे क्या छिपाना!


नमिता: हाँ मैं भी अपने बेटे के साथ अगले तीन चार दिनों में सेक्स करने वाली हूँ।


उसके बाद उसने सुषमा को सब बात बतायी कि कैसे वह राज को वापस पढ़ाई में खींच लायी और उसके लिए वह उसके साथ क्या क्या करता है। और यह भी कि वह उसका लौड़ा सहलाती है और आधी नंगी रहती हे उसके साथ।


सुषमा उसकी बातें सुनकर पहले हैरान हुई फिर वह उत्तेजित होने लगी और नमिता की चूचि दबाकर चूसने भी लगी।


नमिता ने सुषमा की बुर में ऊँगली डाली और उसने गीलापन को महसूस किया।


नमिता: तू तो गरम हो गयी।


सुषमा: आपने बात ही ऐसी की है। राज को देखकर कौन सोच सकता है कि वह अब बहुत जल्दी ही मादरचोद बन जाएगा।


नमिता हँसते हुए बोली: तो तूने क्या सोचा राजू को भी मादरचोद बनाएगी या नहीं?


सुषमा: आपकी बात सुनने के बाद में ऐसा ही सोच रही हूँ और फिर उसका बाप भी यही चाहता है कि राजू मदरचोद बने तो ठीक है ।


सुषमा नमिता की चूचि चूसने लगी।


नमिता: एक काम करना आज तू दुल्हन की तरह सजना जब बाप बेटे आ जाएँ तो ही बाहर निकलना और उनको चौका देना। फिर उनको बढ़िया खाना खिलाना और रात को राजू की दुल्हन बन कर चुदवाना और राजन को बोलना कि राजू आज से उसका दूसरा पति है। फिर उसको बोलना कि राजू का लंड वह अपने हाथ से पकड़कर तेरी बुर में ख़ुद डाले।


यह सुन कर सुषमा अपनी बुर नमिता की जाँघ से रगड़ने लगी और बोली: दीदी मैं इतनी उत्तेजित क्यों हो रही हूँ?


नमिता हँसते हुए बोली: इसलिए कि आज तू अपने बेटे से चुदेगी ।

नमिता: देख आज से तेरे जीवन में एक की जगह दो दो मर्दों का सुख होगा। चल अब कपड़े पहन लेते हैं।

दोनों ने एक बार फिर से एक दूसरे को चूमा और फिर फ़्रेश होकर तय्यार हुईं और नमिता जाते जाते बोली: रात को चुदायी के बाद SMS करना कि क्या हुआ।

सुषमा: ज़रूर करूँगी।

फिर नामिता ने जाते जाते उसके होंठ चूमे और अपने घर आ गयी।

राज अभी भी पढ़ायी कर रहा था। उसने खाना बनाया और फिर राज को आवाज़ दी। दोनों ने खाना खाया और पढ़ाई की बातें किए।


राज नमिता को चूमकर और उसके चूतरों को दबाकर बोला: माँ रात को आपके साथ सो जाऊँ? हिंदी का पेपर है ज़्यादा कठिन नहीं है।


नमिता उसको चूमकर बोली: चल ठीक है आ जाना , पर ज़्यादा तंग तो नहीं करेगा ना?


राज: हा हा माँ आप भी ना, बस आप सिर्फ़ पैंटी में ही सोना और कुछ भी नहीं पहनना ।

नमिता: तेरा बस चले तो मुझे दिन भर नंगी ही रखेगा।

राज: माँ ये तो होगा ही कि आपको मैं दिन भर नंगी रखूँगा कुछ दिन बाद।

नमिता: भाग यहाँ से , कुछ भी बोलता है।
राज हँसते हुए चला गया।



नमिता ने थोड़ी देर TV देखा और फिर सोचने लगी कि पड़ोस के घर में क्या हो रहा होगा?


शायद आज सुषमा अपने बेटे से चुद ही जाएगी। और एक वह है जो अभी तक अपने बेटे से जवानी का खेल ही खेले जा रही है और अब तक चुदायी तक नहीं पहुँच पाई है।


अब वह बाथरूम में गयी और पूरी नंगी होकर नहाई और तौलिए से पोंछ कर सिर्फ़ उस नई पैंटी में ही आ गयी जो आज ही ख़रीदी थी।

फिर वह चादर ओढ़ कर राज का इंतज़ार करने लगी।


राज रात के क़रीब ११बजे आया और उसने देखा कि माँ सो चुकी है।


उसने अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा होकर उसकी चादर हटाया और उसको पूरी नंगी सिवाय एक पैंटी के देखकर मस्त हो गया और उसके साथ लेट गया। नमिता की पीठ उसकी तरफ़ थी। उसके बड़े बड़े चूतर पैंटी से झाँक रहे थे। उसकी गाँड़ के ऊपर एक रस्सी सी थी। वह ऊपर आ कर झाँका और उसकी चूचियाँ भी देखा जो कि अपने वज़न से ही नीचे को झुकी जा रही थी। तभी नमिता की नींद खुली। राज को अपनी चूचियाँ झाँकते हुए देख कर वह पलटी और पीठ के बल हो गयी और उसकी चूचियाँ उसके सामने आ गयीं। उसकी पैंटी से फूली हुई बुर भी साफ़ दिख रही थी। राज का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। अब वह अपनी माँ के ऊपर झुका और उसके होंठ चूसने लगा। नमिता भी शायद गरम थी उसने आज उसे होंठ चूसने से मना नहीं किया।



अब वह उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दिया और नमिता उसकी जीभ चूसने लगी। राज उसकी चूचियाँ सहलाने लगा फिर फिर मुँह में लेकर चूसने लगा। नमिता आह्ह्ह्ह्ह करके उसका मुँह अपनी छाती पर दबाने लगी। फिर राज के हाथ नीचे जाकर उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। नमिता भी चूचि पिलाते हुए मस्त हो चली थी उसने राज का लौड़ा पकड़ा और सहलाने लगी। अचानक राज ने उसकी जाँघ के जोड़ सहलाते हुए उसकी बुर के अंदर ऊँगली डालने की कोशिश की। नमिता ने उसके हाथ को थप्पड़ मारकर हटा दिया और बोली: नियम नहीं तोड़ो। हाथ हटाओ।


राज हाथ हटा कर उसको पेट के बल कर दिया और अब उसके चूतरों को दबाकर मस्ती से चूमने लगा। बहुत देर तक चूमने के बाद उसने उनको फैलाया और उसकी गाँड़ के छेद पर रखी रस्सी को हटाया और उसके गाँड़ के छेद को सहलाने लगा। फिर जीभ से चाटने लगा अपनी माँ की गाँड़। बाद में उसने ढेर सारा थूक लगा कर उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाली और उसको अंदर बाहर करने लगा ।



नमिता आह्ह्ह्ह्ह करने लगी। फिर राज ने अपने लौड़े में थूक लगाया और लौड़े का सुपाड़ा नमिता की गाँड़ के छेद पर रखा और धीरे से धक्का लगाया । पर उसका सुपाड़ा उसकी गाँड़ में नहीं घुस पाया क्योंकि नमिता ने अपने चूतरों को हिला कर उससे दूर कर लिया।

नमिता: मैंने कहा ना कि नियम मत तोड़ो। आज तुम सुन नहीं रहे हो।

राज: माँ गाँड़ में डालने दो ना।

नमिता: नहीं , मतलब नहीं।

राज अब बोला: ठीक है माँ मैं आपकी चूचियाँ ही चोद लेता हूँ।

नमिता के ऊपर आकर वह अपना लौड़ा उसकी चूचियों के बीच में रखकर उसको रगड़ने लगा। वह अब नमिता के सीने पर घुटनो के बल बैठा था।

नमिता ने अपनी चूचियों को हाथ से पकड़ और उनके बीच में लौड़ा दबा लिया और राज अपना लौड़ा वहाँ ऊपर नीचे करने लगे। अब उसने चूचियों को चोदना चालू किया । नमिता भी अपनी जीभ से उसके सुपाडे को और उसके छेद को जीभ से चाटने लगी। अपनी माँ को ये करते देख वह बहुत गरम हो गया और जल्दी ही उत्तेजना से भर कर उसका झड़ने लगा। उसका रस आज भी उसके गले और मुँह पर ही गिरा। नमिता ने अपना मुँह खोला और उसका वीर्य पीने लगी।








To be continue
 
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