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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कहानी में बिना कबीर की मायूसी दिखाए बिना भी दम खम बाकी है जैसे की चम्पा चमेली/अंजू रानी व् नन्दिनी भाभी की चुप दायी और इसके इलावा अगर राज़ परत दर परत खुले तो और भी मज़ा

अगर चाहो तो निशा का हनीमून भी दिखावा देना फिर तो कहानी में चार चांद लग जायेंगे :D
नहीं ये सब बोझ होगा, और फिर कभी दूसरा भाग लिखना प़ड गया तो
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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writer sir aap updates etna small kyun dete ho, padhne me interest aane lagata hai, tab updates hi khtam ho jata hai bhai....Awesome story.
मेरी जगह आप होते तो यकीन मानिये इस शौक को पूरा करने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती आपको. जितना लिख पाते है आपके लिए पोस्ट कर देते है. आप लोगों के प्रति मेरा प्रेम है कि मैं कोशिश कर रहा हूं रोज अपडेट आए.
 

Studxyz

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नहीं ये सब बोझ होगा, और फिर कभी दूसरा भाग लिखना प़ड गया तो

दूसरा भाग आ जाये तो फिर तो सुरंग वाली सोने की खान पे सुहागा हो जाये पर वो एक ब्रेक लेकर देने पर फोरम पर दर्शन देते रहना ताकि पाठकों को संतोष रहे
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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Behad shandar update he Fauji Bhai,

Anju, Kabir ko Sunaina ki asli samadhi par le gayi......aisa lagta he ki wo shayad sone ke bare jankari na rakhit ho............ya fir janbujh kar Kabir ko asli samadhi pat le gayi......taki uske upar Kabir shaz na kare.......aur vo chupchap apne khel khelti rahe..........

Mangu ne jaise kisi tape recorder ki tarah jawab diye......wo kuch atpata sa laga.......jo Mangu pehle Kavita ke sath pane rishte ko bhi nahi manta tha..........wo kaise itni aasani se Prakash ke khun ki baat kabool gaya............shayad ye bhi Ray Sahab ki ek sochi samajhi chaal ho..........wo jaanbhujh kar Kabir ka dhyan Prakash ke qatil ke upar se hatana chahte ho............

Bank me bhi kuch haat nahi laga.............

Chachi ke saath aakhir Kabir ne apni pyaas bujha hi li..........lekin chachi jaise bina kuch bole gahne lekar chali gayi....aur Kabir ki chacha ko wapis lane wali baat par bhi bina koi reaction diye chale jana........kuch to gadbad hone ke sanket deta he............


Keep posting Bhai
 

brego4

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Fauji bhai suspense tab tak hi hai, jab tak wo kabir ko bhi pata nahi
Lekin......
Jab kabir ko kuchh pata chal jaye aur readers ko bataya hi na jaye...
To.... Wo suspense nahi irritation and confusion hota hai...

Jo ab hamein ho raha hai

1- nisha ki asliyat
2- khandhar ki diwar par likha
3- mej par ukera hua

Aur bhi kuchh chhoot gaya ho to Studxyz brego4 jo xossip ke jamane se hi record tod reader rahe hain, ye batayeinge

Kabir ko jab pata hai to hamein bhi pata ho, warna.. Kabir ko bhi pata mat lagne do

Akele readers hi kyon chutiya banein... Writer (hero) bhi sath mein chutiya bana rahna chahiye :D

our hands are tied seeing its last story of the writer as per him and new one will come only after a break so we all are restrained and enjoying the moments this story is providing :D
 
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कहानी की रूपरेखा... कहानी के अंदर सस्पेंस... कहानी मे उत्तेजक प्रसंग... कहानी के अंदर चमत्कारिक घटनाक्रम...और सबसे महत्वपूर्ण कहानी अपडेट दर अपडेट मे कौतुहल फैक्टर सब कुछ माइंड ब्लोइंग लिखा गया है। ऐसा करना कोई मजाक नही है लेकिन मुझे हंड्रेड पर्सेंट यकीन था कि यह आप कर सकते है।
रीडर्स भ्रमित इसलिए हुए कि पुरी कहानी नायक कबीर के नजरिए से लिखी गई और कबीर के पता होने के बावजूद भी रीडर्स सच्चाई से अनभिज्ञ रह गए।
थर्ड पर्सन या न्यूट्रल तरीके से लिखा गया होता तो कहानी और भी ज्यादा रियलिस्टिक लगती। और कोई सवाल पूछने का कारण भी नही होता।

HalfbludPrince फौजी भाई , आप की लेखनी का हम सभी लोहा मानते आए है और हमारी दिली ख्वाहिश भी है कि कभी भी अपने इस गाॅड गिफ्टेड हुनर से हमे मरहूम न कीजियेग।
कहानी भले ही अंतिम पड़ाव पर आ चुका हो पर आपका जर्नी हमारे साथ यूं ही सदैव चलते रहे। अपने लेखनी से लोगों की दुआएं बटोरते रहिए।
 
Last edited:

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#115

सुबह मेरा सर बहुत दुःख रहा था .कल की रात बड़ी मुश्किल से बीती थी. मैंने भैया को देखा जो आँगन में ही बैठे मालिश करवा रहे थे . मैं उनके पास गया .

भैया- सही समय पर आया है छोटे, तू भी बदन खोल ले .

मैं- फिर कभी , अभी कुछ बात करनी है .

भैया - क्या

साथ ही उन्होंने मालिश वाले को जाने को कहा

मैं- चाचा का पता चल गया है जल्दी ही वो घर आयेंगे

भैया- क्या, कहाँ है चाचा

मैं- जहाँ भी है उन्होंने कहा है की वो सही समय का इंतज़ार कर रहे है घर लौटने को .

भैया- कहाँ है वो बता मुझे अभी के अभी मैं जाऊंगा उनको लेने

जीवन में पहली बार मुझे अधीरता लगी भैया के व्यवहार में .

मैं- उन्होंने कहा था की आते ही वो सबसे पहले आपसे ही मिलेंगे.

तभी मैंने राय साहब को आते देखा तो मैं उठ कर उनके पास चला गया .

मैं- प्रकाश को मरवाने की क्या जरूरत आन पड़ी थी

पिताजी- तुझे कोई मतलब नहीं इस से

मैं- मतलब है मुझे. जानने की इच्छा है की इतने रसूखदार इन्सान को प्रकाश क्यों ब्लेकमेल कर रहा था .

पिताजी- अभी इतने नहीं हुए हो की हमसे आँख मिला कर बात कर सको

मैं- इतना हो गया हूँ की आप नजरे झुका कर बात करेंगे.

पिताजी- तेरी ये जुर्रत , जानता है किसके सामने खड़ा है घर में शादी नहीं होती तो अभी के अभी तुम्हारी पीठ लाल हो चुकी होती.

मैं- किस शादी की बात करते है आप. अपनी बेटी समान लड़की को तो खुद ख़राब कर चुके हो. दो कौड़ी की रमा के साथ राते रंगीन करने वाला ये इन्सान रसूख की बात करते अच्छा नहीं लगता. वैसे भी मै चाचा से मिल कर आया हूँ जल्दी ही वो घर लौट आयेंगे.

पिताजी ने धक्का दिया मुझे और अपने कमरे में चले गये.

“वसीयत के चौथे पन्ने का राज जान गया हूँ मैं , जल्दी ही आपको बेनकाब करूँगा ” मैंने पीछे से कहा पर पिताजी ने जैसे सुना ही नहीं.

सुबह ऐसी थी तो दिन कैसा होगा मैंने चाय की चुस्की लेते हुए सोचा. जेब से चाचा की तस्वीर निकाल कर मैं कुछ देर देखता रहा और फिर वापिस उसे जेब में रख लिया.



दिन भर मैं घर में ही रहा . सबको देखता रहा . घर के छोटे मोटे काम किये. भैया-पिताजी दोनों ही घर पर थे. भैया ने ज्यादातर समय आराम करते हुए ही बिताया .सब अपनी मस्ती में मस्त थे पर मुझे चैन नहीं था . एक बात और जिसकी मुझे बेहद फ़िक्र थी की निशा को लाने के बाद रखूँगा कहाँ, बेशक भाभी ने स्वीकारती दे दी थी पर राय साहब के रहते ये मुमकिन नही था .

मैं एक ऐसे मोड़ पर खड़ा था जहाँ से बन कुछ नहीं सकता था पर बिगड़ना सब कुछ था .जो मैं करने जा रहा था उसके क्या परिणाम होंगे ये नहीं जानता था मैं . पर इतना जरुर जानता था की चार दिन बाद पूनम की रात थी , चंपा का ब्याह था और दो दिन बाद फाग के दिन मुझे निशा को लेने जाना था .

रात के सन्नाटे में ख़ामोशी से मैं इंतज़ार कर रहा था, जरा जरा सी आहट मुझे चेता रही थी की मैं अकेला नहीं हूँ यहाँ पर जंगल भी जाग रहा है . और ये जागा हुआ जंगल अपनी हद में इन्सान के आने से खफा तो था. इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था पर मैंने सुना था की सब्र का फल मीठा होता है .



देर, बहुत देर में बीतने लगी थी , तनहा रात में खड़े खड़े मुझे कोफ़्त होने लगी थी .झपकी लगभग आ ही गयी थी की कुछ आवाजो से मेरे कान खड़े हो गए. शाल ओढ़े उसे अपनी तरफ आते देख कर मेरे होंठो पर अनचाहे ही एक मुस्कान आ गयी . मैं जानता था की कोई तो जरुर आयेगा पर कौन ये देखने की बात थी .



कुवे की मुंडेर पर झुक कर उसने कुछ देर देखा. और फिर मुंडेर पर उसके हाथ चलने लगे. लग रहा था की वो साया कुछ तलाश कर रहा है . धीमी सांसे लेते हुए मेरी नजर एक एक क्रियाकलाप पर जमी थी. कुवे पर कुछ तो था . तभी उस साए का हाथ कही लगा और , और फिर वो हुआ जो कोई सोच भी नहीं सकता था .

साए ने पास पड़ी कुदाल उठाई और जमीन खोदने लगा. बहुत देर तक वो खोदता रहा और फिर उसने हाथो से मिटटी हटानी शुरू की जब उसके हाथ किसी चीज से लगे तो वो शांत हो गया. कुछ देर उसकी उंगलिया कुछ टटोलती रही और जब वो सुनिश्चित हो गया तो उसने गड्ढा भरना शुरू किया.

यही समय था उस साये से रूबरू होने का.

मैं दबे पाँव उसके पीछे गया और , उसे पकड लिया. हाथ लगाते ही मैं जान गया की वो कोई औरत है. मैंने उसे कमरे की तरफ धक्का दिया और तुरंत बल्ब जला दिया. अचानक हुई रौशनी से उसकी आँखे चुंधिया गयी पर जब मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी तो चुन्धियाने की बारी मेरी थी .

उस चेहरे को देखते ही मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी . जुबान को जैसे लकवा मार गया हो. समझ नहीं आ रहा था की कहूँ तो क्या कहूँ कभी सोचा नहीं था की ऐसे हालात हम दोनों के दरमियान होंगे. वो मुझे देखती रही मैं उसे देखता रहा. वो चाहती तो भाग सकती थी पर नहीं, शायद जानती थी की अब जाएगी तो कहाँ जाएगी.



गड्ढा जो उसने खोदा था मैंने उसमे झाँक कर देखा , और जो देखा दिल धक्क से रह गया. मैं वही दिवार का सहारा लेकर बैठ गया.

“क्यों, क्यों किया तुमने ऐसा ” मैंने पूछा

“और कोई चारा नहीं था मेरे पास ” उसने हौले से कहा.

 
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