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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

lpncc7m5

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#125



“क्या सोच रहा है छोटे, चला गोली ”भैया ने फिर कहा



मैं- ये तरीका कामयाब नहीं होगा भैया. आपका भाई इतना भी चुतिया नहीं है की इस नाटक को समझ नहीं पायेगा. ग्रेट अभिमानु ठाकुर जो अपने दिल में इतना सब कुछ छिपाए हुए है वो इतनी आसानी से आदमखोर का राज मुझे बता रहा है, मामला इतना भी सीधा नहीं है .



मैंने पिस्तौल टेबल पर रखी और भैया से फिर मुखातिब हुआ.



मैं- अतीत के तमाम तार मैंने जोड़ लिए है भैया, मैं जानता हूँ की आपने भरकस कोशिश की अतीत को छुपाने की पर चूँकि मेरी आने वाली जिन्दगी का भी हिस्सा ये अतीत बन गया है तो मैं चाहता हूँ की पूर्ण ईमानदारी से मेरा भाई मुझे अतीत में ले जाये.



भैया- अतीत कुछ भी नहीं है सिवाय बीते वक्त के.



मैं- वही तो मैं जानना चाहता हूँ की बीते वक्त में ऐसा क्या हुआ था की मेरे भाई ने आज इतने सालो बाद इस कमरे में अपने पैर रखे. अब कोई झूठ नहीं भैया, मैं बिलकुल भी यकीन नहीं करूँगा की आप इस जगह के बारे में पहले से नहीं जानते थे. इस जगह से आदमखोर के तार जुड़े है वो भी जानता है इस जगह को , तो बड़े भैया बता भी दो मुझे कौन है वो आदमखोर और इतने लोगो के कातिल को क्यों बचा रहे हो आप.

भैया- कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए छोटे. मैं तुझसे वादा करता हूँ की आज के बाद वो आदमखोर इस गाँव में , इस इलाके में कभी नहीं दिखेगा.

मैं- वो मेरे और उसकी अगली मुलाकात पर निर्भर करेगा. फ़िलहाल मैं वो सुनना चाहता हूँ जो सबसे छिपा है . आप ही बताओ कहाँ से शुरू करे, मुझे लगता है की चाचा की मौत से शुरू से करते है . अब ये मत कहना की आपको मालूम नहीं था की चाचा का. और वो गाडी कहाँ गायब की आपने.

भैया ने गहरी नजरो से मुझे देखा और बोले- मुझे लगता था की मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा . मैंने कोशिश भी की . सब ठीक हो भी गया था जिन्दगी में मैं आगे भी बढ़ गया था पर फिर तुम, मेरे भाई तुम. तुमने भी जंगल को अपना साथी चुन लिया . मेरा किसान भाई जमीनों की दोस्ती छोड़ कर जंगल में भटक रहा था . शुरू में मैंने सोचा की नयी जवानी है , आसमान खुला है उड़ने दो . पर तुम वो सब करते गए जो नहीं होना चाहिए था .



मैं- मैंने कुछ नहीं किया भैया, मैंने हमेशा सच को सच कहा, गलत को गलत कहा.

भैया- दुनियादारी में सबसे बड़ा गुनाह यही तो है. तुम्हारे नजरिए की वजह से पिताजी और तुम्हारे रिश्ते में दरार आनी शुरू हो गयी . मैं हरगिज नहीं चाहता था की घर की नींव कमजोर हो. क्योंकि मैं हमेशा सबको साथ लेकर चला.



मैं- आपकी यही सोच आपके पैरो की बेडिया बन गयी भैया. आपने चीजो को छुपाना बेहतर समझा , ना की उन्हें सामने लाना.



भैया- वो ही बेहतर रास्ता था . ये मैं समझता हूँ तू नहीं समझेगा.



मैं- चाचा की पहेली से शुरू करते है

मैंने फिर से दोहराया.

भैया- चाचा एक नालायक आदमी था . कुल का कलंक. शराब शबाब में डूबा हुआ एक अय्याश जमींदार . जिसे कभी परिवार की फ़िक्र नहीं थी , उसे परवाह थी तो बस अपनी उन रंडियों की जो सारी शर्म लिहाज बेच कर चाचा के बिस्तर में घुसी रहती थी .



मैं- मुझे उसकी मौत क्यों , किन हालातो में हुई . किसने मारा ये जानना है .आपने हमेशा मुझसे कहा की हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए की किसी के जीवन पर संकट हो और आप खुद चाचा की मौत में शामिल रहे.



भैया- घर को घर बनाये रखने के लिए जरुरी था कबीर, कभी कभी जो सच नहीं कर पाता वो झूठ कर देता है . घर आज भी भरम में जी रहा है की चाचा कभी न कभी लौटेगा. ये झूठी उम्मीद उस सच से लाख गुना बेहतर है जिसे तू खोज रहा है .



मैं- मैं सिर्फ उस वजह को खोज रहा हूँ जिसकी वजह से चाचा को मरना पड़ा. अब ये मत कहना की चाचा को किसी और ने नहीं बल्कि उसकी हवस ने मारा था मैं जानता हु की कोई तो बात थी जो चाचा को बहुत परेशां किये हुए थी. अपने अंतिम दिनों में उसने घर आना छोड़ दिया था वो जंगल में था. इस जंगल में जहाँ हम सबने अपने अपने राज छुपाये है . पहले तो मैंने सोचा की चाचा ही वो आदमखोर है पर वो जो की है ही नहीं वो कैसे हो सकता है



भैया- कैसी परेशानी हो सकती थी चाचा को

मैं- ये मैं आपसे पूछता हूँ भैया. क्योंकि उस दौर में आप भी इसी जंगल में घूमते रहते थे.

भैया-रमा थी वो वजह जो चाचा और पिताजी की तल्खी का कारन बन गयी थी. रमा से दोनों भाइयो का चक्कर था . दोनों रमा पर अपना अधिकार मानते थे .

तो भैया भी पिताजी के रंगारंग कार्यकर्मो की जानकारी रखते थे .

भैया- हमारा घर जितना दुनिया को चका चौंध से भरा दिखाई देता है, उस घर की नींव धोखे, लालच और अनैतिक क्रत्यो पर टिकी हुई है छोटे, मैंने कभी नहीं चाहा था की तुझ पर छींटे पड़े पर खैर, पिताजी ने अपनी कुंठा में रमा के पति को मरवा दिया.

मुझे कोई खास हैरानी नहीं हुई ये जानकार.

मैं- लालच, पिताजी की नाराजगी का कारन केवल रमा ही नहीं थी बल्कि वो सोना भी था जो चाचा अपनी रंडियों पर लुटा रहे थे , पिताजी को सबसे ज्यादा प्यार अपनी उसी दौलत से है ये तो आप भी मानते होंगे भैया.

भैया- राय साहब किसी से प्यार नहीं करते वो बस इस्तेमाल करते है मन भर गया तो कोई और खिलौना पसंद कर लेते है .

मैं- चाचा की लाश कहाँ है. और वो गाडी .

लाश के बारे में पूछना बहुत जरुरी था मेरे लिए क्योंकि भैया के एक जवाब से मुझे बहुत कुछ मिलता , ये बात भी मालूम होती की क्या उनके सम्बन्ध भी थे चाची से मेरे जैसे.

मैं- अब जब सब कुछ उलझा हुआ है ये भी तो हो सकता है की अल्हड जवानी में आपका दिल आ गया हो चाची पर और आपने चाचा को रस्ते से हटाने की ठान ली हो ताकि घर में कोई रोक टोक न रह सके. आप दोनों जी भर कर अपनी प्यास बुझा सके. वैसे भी हवस तो हमारे खून में दौड़ती है .

इस से पहले की मेरी बात पूरी होती भैया का थप्पड़ इतनी जोर से मेरे गाल पर पड़ा की उसकी आवाज बड़ी जोर से गूंजी ,अगले ही पल मेरे गिरेबान को भैया ने पकड़ लिया

भैया- किसी और ने ये बात की होती तो अब तक उसकी लाश धरती पर पड़ी होती. तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा सोचने की .

मैं- क्यों न सोचु, चाचा के मरने का सबसे जायदा फायदा किसी को हुआ है तो वो आपको. आपने बड़ी आसानी से चाचा की जगह ले ली. हर जगह मेरी तलाश की सुई सिर्फ एक नाम पर आकर अटक जाती है ठाकुर अभिमानु सिंह पर . हर जगह जहाँ आपके होने की उम्मीद नहीं होती आप मिले मुझे. यहाँ तक की उस सूरजभान को मुझ से ज्यादा वरियत दी आपने. आदमखोर को भी बचा रहे है आप क्यों भैया क्यों ............ अपने भाई की परवाह नहीं आपको. मेरे जख्मो पर मरहम लगाने की जगह आप उस आदमखोर को बचाने के रस्ते तलाश रहे है क्यों भैया क्यों........ ऐसा क्या है जिसने आपके और मेरे बीच दिवार खड़ी कर दी है भैया. क्या है वो वजह आज आपको बताना पड़ेगा भैया....




“मैं हूँ वो वजह कबीर..............”एक तीसरी आवाज गूँज उठी उस कमरे में ......................
Ye aai bhabhi
 

HalfbludPrince

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अभिमानु सब राज दबा कर बैठा है
बोला था न की ज्यादा मीठा मधुमेह का कारण बनता है
अभिमानु ठाकुर जीतने राज छुपा कर बैठा उस हिसाब से आदमखोर के हर हमले का जिम्मेदार अभिमानु ठाकुर है

और उसमे कोई शक नही की सच में अभिमानु का संबंध चाची से निकले या राय साहब साहब का संबंध हो

निशा को यहाँ होना चाहिए था उसके conclusion satisfied कर देते है

खैर अब कौन आया है, चाची भाभी या चंपा में से कोई होगा

वैसे फौजी भाई इस कहानी में सूरजभान और रूढ़ा का किरदार समझ नही आया

खैर जो भी हो आपसे उम्मीद है की आदमखोर और अभिमानु दोनो को सजा मिले वो भी सबके सामने

रमा की बेटी, लाली और उसका बॉयफ्रेंड, शेखर की मौत की सजा तो मिलनी ही चाहिए

बहुत ही शानदार अपडेट भाई,
कहानी अंत की ओर है उम्मीद है इसका अंत भी उतना ही शानदार होगा जितना ये कहानी रही है अब तक
निशा का यहां नहीं होना बहुत सही था भाई अगर इस पल वो यहां होती तो कहानी के मायने बदल जाते और मेरी योजना भी. सूरजभान और रूढ़ा के किरदार को रोक के रखा है मैंने ताकि सही समय पर धार दे सके वो कहानी को.
 

HalfbludPrince

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अभिमन्यु का राज़ छुपाना भी कबीर की नज़रों में उसका सब से बड़ा जुर्म बन गया जबकि असली आदमखोर अंत में पधारे है

कबीर वाकई में नादान है अपने अंदर भी झांक ले कि केसे चाची को घोड़ी बना बना के चोदता रहा है और चुत भी चुसता रहा सो अलग वही इलज़ाम अपने भाई पर लगा दिया जोकि बेतुका सा लगा (ज़रूरी नही की राये साब व् कबीर चोदुओं के चोदू हैं तो अभिमानु भी हो जबकि उस से तो अपनी टाइट चुत वाली बीवी भी न ढंग से चोदी गयी) तो वो विवाहित चाची से क्या रिश्ता रखता और क्या उसे चोदता

बल्कि इसको तो मुख्या बिंदु पर केंद्रित रहना चाहिए की इसके परिवार का इतिहास क्या रहा है व् आदमख़ोर कोण है

चूँकि अब 900 पेज पूरे हो गये हैं कहानी को अपने मुख्य क्लाइमेक्स पर आना चाहिए इलज़ाम विल्ज़ाम लगाने का समय निकल चुका अभिमन्यु ने जो चाचा के बारे में बताया वो तो पहले ही चाची कबीर को बता चुकी है कुछ नया राज नहीं खुला
अपने अंदर कौन झाँक कर देखता है. इतिहास अगर इतनी आसानी से जान गए तो फिर उसका क्या ही मजा रहेगा नमस्ते
 

HalfbludPrince

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भाई फोजी जी कहानी का जो चर्म पर रोमांच आदमख़ोर के क़त्लेआम से शिखर पर पहुंचा वो अब फिर से निम्न स्तर पर आ गया है जबकि अब तो हर अपडेट में बड़े खुलासे होना चाहिए
एक ही अपडेट मे निपटा दु पूरी कहानी
 

HalfbludPrince

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Mast update,
Abhimanyu aadamkhor nhi hai, jaisa andesha tha lekin raj kholne ko teyar nhi hai,
Bat bat wahi gol gol ghumane me lage hai,
Ye rama bhi sabko chutiya banate aa rhi hai aur is kahani ki main kadi wahi banti ja rhi hai, usi ke chut ke chakkr me pura privar ghum rha hai,
Shayad ab kamre me bhabhi aayi hai aur wahi aadam khor bhi ho sakti hai,
देखते है कौन होगा वो
 
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