सर्वप्रथम आपको एक नई कहानी की शुरुआत के लिए बधाई। वैसे तो गुजारिश 2 पढ़ने वाला था परंतु उसके 70 अपडेट्स लिखे जा चुके थे, और फिलहाल के लिए समय निकालना कुछ कठिन है, कारण, मैं आपकी लेखनी से परिचित हूं और जानता हूं कि यदि एक बार उसे पढ़ना शुरू किया तो पूर्ण करने से पूर्व रुक नही पाऊंगा। खैर, देखते हैं कब कुछ खाली समय मिलता है और उसे पढ़ने का संयोग बनेगा। बहरहाल, दिल अपना प्रीत पराई...
शब्द नही हैं उसकी तारीफ के लिए!! आभार आपका कि आपने ये कालजयी कहानी लिखी।
तो, “तेरे प्यार में", कहानी की शुरुआत हुई है एक कोचवान और उस जंगल से जिसमें इस कहानी का मुख्य भाग बसा दिखाई पड़ रहा है। कहानी का नायक अपने साथी मंगू के साथ जंगल के रास्ते निकल रहा था और वहीं से वो कोचवान भी। कोचवान ने निश्चित ही कोई ऐसी चीज़ देखी जिसके कारण उसका डर से बुरा हाल हो गया। क्या कोई मृत देह..? या फिर कुछ और, कहानी अभी शुरू ही हुई है परंतु पहले ही भाग से रोमांच पैदा होना आरंभ हो गया है।
देखते हैं कि नायक को उसकी नियति जो यहां लाई है, आगे उसके साथ क्या होता है। बहरहाल, लगता है कि कोचवान ने ही मंगू को पीछे से पकड़ लिया है, शायद डर के कारण। शुरुआत,बेहतरीन है भाई, यूंही लिखते रहिए।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में...