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chapter 33
आंगन मे आसा मिनिता काजल बैठे बाते कर रहे थे कमरे मे अदिति कोमल कि बाते चल रही थी बाहर अभय विजय बाते कर रहे थे
अभय विजय एक जगह खरे थे
अभय - जीत जीतू से बात हुई
विजय - जी बॉस
अभय - ये बताओ अपना काम कैसा चल रहा है
विजय - सही अपने टाइम से हो रहा है
अभय -.......?
विजय - ......?
अभय - .......?
विजय - ......?
अभय आसमान को देखते हुवे - मे तो बस अपने परिवार के साथ एक अच्छी लाइफ जीना चाहता हु और कुछ लोगो की मदद करना पर ये दुनिया सांति से जीने नही देती
विजय अभय को देख मन मे - सोच कर हि डर लग रहा है कियुंकी सब को पता है बॉस का गुस्सा यानी खूनी खेल
अभय विजय को देख - याद रहे मूवी मे विलेन पहले पंगा लेते है हीरो से
विजय - जी बॉस आपकी बात समझ गया
अभय - एक और बात सावधानी सबसे जायदा जरूरी है कैद मे जीना मारना दो चोइस थे लेकिन यहा हम आजाद है हर मा कहती है मेरी वजह से उनके बच्चे उनके पास है तो मे किसी को खोना नही चाहता हम ताकतवर है लेकिन इस दुनिया मे हमने भी जायदा ताकतवर लोग है
विजय - बॉस अच्छे से समझ गया आप ने जैसा कहा वैसा होगा
अदिति कोमल - बिस्तर पे लेते बाते कर रहे थे
कोमल - अदिति तुझे कैसा लरका चाहिये अपने पति के रूप मे जिसके साथ तुम अपनी पूरी लाइफ जीना चाहोगी
अदिति छत को देखते हुवे - मेने कभी इसके बारे मे सोचा नही कियुंकी भाई के खोने मे बाद कैसे मे अपनी लाइफ के बारे मे सोच सकती थी
कोमल अदिति को देख - समझ सकती हु सेम मेरा भी लेकिन अब तो सोच कर बता सकती हो ना
अदिति कोमल को देख - मेरे भाई जैसा लेकिन मेरे भइया जैसा कोई हो ही नही सकता
कोमल मुह बना के - क्या वो बंदर मुझे तो किस का भूखा ठरकी लगता है
अदिति कोमल कोई देख मुस्कुराते हुवे - हा है तो लेकिन मेरे भइया मेरी जान है
कोमल अदिति को देखती है फिर छत को देखते हुवे -छोटे भी मेरी जान है आज वो मेरे पास है तेरे भाई कि वजह से हम ये कभी
तभी कोमल अपनी चुत कपड़े के ऊपर से ही सेहलाते हुवे - यार ये खुजली भी ना
अदिति कोमल को चुत सेहलाते देख सॉक हैरान सर्म से - दीदी आप ये क्या कर रही है
कोमल चुत से हाथ हटा के अदिति को देख - अरे यार नीचे बरे बरे बाल हो गये थे तो मेने आज ट्रिमर से काटा है लेकिन खुजली हो रही है
अदिति सर्म से लाल होके - अच्छा समझ गई लेकिन आप क्रीम यूज कर सकती थी ना
कोमल अदिति को देख - जानती हु लेकिन उस सब मे खतरा रहता है
अदिति सर्म से - कैसा खतरा
कोमल अदिति को अजीब नजर से देख - यार अदिति तुम हद से जायदा सर्मिली हो देखो कितना शर्मा रही हो अरे हम दोनो लरकिया है जो तेरे पास है वो मेरे पास भी है बस बरा छोटा का फर्क है
अदिति सर्म से नजरे नीचे कर - क्या दीदी आप भी ना वो बताया नही
कोमल अदिति को देख गहरी सास लेके - ये लरकी कितना सरमाती है क्रीम यूज इसलिये नही करती कियुंकी काला पड़ना या रिएक्शन का खतरा रहता है
अदिति हैरान सर्म से कोमल को देख - अच्छा ये बात है
कोमल अदिति देख मुस्कुराते हुवे - और मे नही चाहती मेरा वो काला हो जाये नही तो शादी के बाद पति देखेगा तो बोलेगा चेहरा बदन गोरा खजाना ही काला निकला
कोमल की बात सुन अदिति सर्म से लाल होते हुवे अपना चेहरा दोनो हाथो से छुपा के - छी दीदी आप कितनी गंदी बाते करती है
कोमल हस्ते हुवे - अरे मेरी बुलबुल कभी कभी गंदी बाते कर लेनी चाहिये तुम बताओ अपना वो कैसे साफ करती हो क्या साफ है या अभी जंगल है वहा
अदिति अभी भी अपना चेहरा हाथों से धके हुवे - दीदी बहोत सर्म आ रही है
कोमल - अरे यार बता भी दे
अदिति - वो क्रीम से
कोमल मुस्कुराते हुवे - अच्छा लेकिन अभी साफ है या जंगल है
अदिति सर्म से - दीदी वो
कोमल हस्ते हुवे - समझ गई जंगल है यार अदिति इतना भी मत सरमाया कर नही तो मे ये सोच रही हु तेरी शादी जब होगी fi सुहागरात की दिन कैसे अपने पति को अपना खजाना दिखायेगी
अदिति सर्म से पानी पानी होते हुवे - छी छी दीदी मुझे आपसे बात नही करनी आप बहोत गंदी बाते करती हो
कोमल हस्ते हुवे - बुलबुल थोरा बहोत ज्ञान होना जरूरी है अच्छा मुझे नींद आ रही है मे जा रही हु और हा कल साफ कर लेना
कोमल मुस्कुराते हुवे आंगन मे आ जाती है वही अदिति बिस्तर पे सर्म से लाल - दीदी कैसी कैसी बाते करती है
अदिति अपने चुत के ऊपर हाथ रख बाल मेहसूस करते हुवे - हा बरे बरे हो गये है मुझे भी अब ट्रिमर से ही बाल काटने चाहिये मे नही चाहती मेरा वो छी छी छी दीदी के बाते सुन मेरे दिमाग मे भी गंदी बाते आने लगी है
आंगन मे
कोमल मिनिता काजल को देख - मा मे जा रही हु मुझे नींद आ रही है
मिनिता काजल कोमल को देख - ठीक है जा हम थोरि देर मे आ जायेंगे
कोमल - ठीक है
कोमल बाहर आती है तो देखती है अभय विजय खरे बाते कर रहे थे कोमल दोनो के पास जाके खरी हो जाती है अभय विजय कोमल का देख चुप हो जाते है
कोमल दोनो को देख - क्या बाते हो रही है
अभय कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - हम प्लान बना रहे है तुम्हारी शादी बहोत दूर करने का
कोमल हैरान अभय को देख - और ऐसा कियु
अभय हस्ते हुवे - ताकि बंदरिया का चेहरा मुझे ना देखना परे
अभय की बात सुन कोमल के कान से गुस्से का धुवा निकलने लगता है अभय कोमल को गुस्से मे देख डर जाता है
कोमल गुस्से से अभय के पेट मे जोर का मुक्का मारते हुवे - मेरे पीछे लरके पागल है मेरे चेहरे को कोई देख ले तो देखता हि रेह जाता है तेरी ये हिम्मत
अभय पेट कमरे दर्द मे मर गया रे
विजय अभय को देख अंदर हि अंदर हस्ते हुवे - बॉस किसी से नही डरते लेकिन लरकी या औरतो के सामने तो किसी की नही चलती है
कोमल विजय को देख - मे घर जा रही हु मुझे नींद आ रही है
विजय - दीदी मे भी चलता हु मुझे भी नींद आ रही है
कोमल अभय को देख - हा चल मुझे भी इस बंदर का चेहरा नही देखना
विजय अभय को देख - भाई मे जा रहा हु
अभय - ठीक है जा अपनी
कोमल गुस्से से अभय को देख -बोलो क्या बोल रहे थे
अभय मुस्कुराते हुवे - खूबसूरत बेहन को लेके हा यही केह रहा था
कोमल मुस्कुराते हुवे - हा अब तुम मुझे अच्छे लगे गुड नाइट
अभय दर्द मे - हा गुड नाइट
कोमल विजय फिर घर जाने लगते है
विजय - दीदी आप भाई को मारती कियु रहती है
कोमल विजय को देख - तुझे बरी चिंता है उसकी मेरी तो इतनी चिंता नही करता
विजय - अरे नही आप तो मेरी प्यारी दीदी है
कोमल - बस कर झूठा
अभय अंदर जाता है और अपनी मा के गोद मे बैठ जाता है आसा भी मुस्कुराते हुवे अभय को बाहों मे भर लेती है
मिनिता अभय को देख - दीदी आ गया आपका बच्चा
आसा अभय को प्यार से बाल सेहलाते हुवे - हा मेरा प्यारा बच्चा
काजल हस्ते हुवे - भाभी आप अभय का एक छोटे बच्चे के तरह प्यार देती है
आसा मुस्कुराते हुवे - मा के लिये बच्चे जीतने बरे हो जाये बच्चे हि रहेगे
मिनिता अभय को देख - मेरा लाल गया गया
अभय मिनिता को देख - दोनो घर चले गये
मिनिता - अच्छा ये बात है
काजल अभय को देख - तो भतीजे शोपिंग पे किस दिन जाना है
अभय मुस्कुराते हुवे - कल चलेंगे 12 बजे बहोत सारी खरीदारी करनी है
मिनिता - हा शादी ऐसे हि थोरि हो जाती है
आसा अभय को प्यार करते हुवे - अपने लाला को दुल्हे के रूप मे देखने के लिये बेचैन हु
काजल - भाभी हर मा यही चाहती है
अभय काजल की आखो मे देख - बुआ आज मेरे यहा रुक जाओ ना ये भी आपका हि घर है
आसा मिनिता हैरान होते है अभय की बात सुन तो वही काजल का दिल धक धक करने लगता है
मिनिता अभय को देख - वाह बेटा मुझे आज तक एक दिन भी नही कहा ऑन्टी रुक जाओ लेकिन बुआ को कितने प्यार से केह रहा है
अभय मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - कल आप रुक जाना
मिनिता मुस्कुराते हुवे - सोचुगी
अभय काजल को देख - बुआ रुकेगी या
काजल अभय को देख मुस्कुराते हुवे - ये भी मेरा हि घर है ठीक है
अभय खुश होते हुवे - ये हुई ना बात
आसा मुस्कुराते हुवे - लगता है बुआ भतीजे मे बहोत प्यार है
मिनिता मुस्कुराते हुवे - हा दीदी मुझे भी लगता है
रात 11 बज गये थे बाते करते हुवे
मिनिता आसा को देख - दीदी यहा आके बाते करते हुवे बता भी नही चलता टाइम कैसे गुजर गया अब में चलती हु
आसा मिनिता को देख - ठीक है अभय बेटा ऑन्टी का घर छोर के आ रात बहोत हो गई है
अभय खरा होते हुवे - जी मा
अभय मिनिता बाहर आते है सब गाव वाले सो चुके थे और बहोत अंधेरा भी था
अभय बिना देरी किये मिनिता के हाथ पकर अपनी तरफ खिचता है मिनिता सीधा अभय के सीने से आह करते हुवे चिपक जाती है अभय अपना एक हाथ मिनिता के पीछे कमर पे रख अपनी तरफ दबा के मिनिता को पूरा अपने बॉडी से चिपका लेता है मिनिता के मुह से सिसकिया निकल परती है दोनो पूरा चिपके थे बीच मे थोरा भी गेप नही था अभय मिनिता के शरीर कि गर्मी खुशबु अपने सीने पी दो बरे मुलायम चूचे दबे हुवे और मिनिता की चुत की भी

दोनो फिर एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है ( अभय मिनिता को देख - आपकी बॉडी की गर्मी आपके सरीर की खुशबु मुझे पागल कर देती है ( मिनिता सर्म से नजरे नीचे किये - वो कैसे भला
अभय मिनिता की आखो मे देख - किसी दिन अच्छे से बताउग अभी तो मुझे आपके होठो का रस पीना है
अभय कि बात सुन मिनिता के होठ अपने आप खुलने लगते है मिनिता अपने होठ अभय कि तरफ ले जाने लगती हो अभय भी मिनिता के होठ से होठ सता देता है मिनिता अभय को पकर लेती है फिर सुरु होता है एक दूसरे के होठो का रस पीने का सिलसिला

मिनिता अभय के जिब को मुह मे लेके अच्छे से चूस गट गट पीते हुवे सर्म से मन मे - इस लरके ने मुझे कैसी आदत लगा दी है किस का बात सुनते ही मुझे कुछ होने लगता हो फिर मेरे होठ अपने आप खुल जाते है आह उफ़ पर ये एहसास अभय बेटे के बाहों मे समा के किस करने का रस पीने का उसका स्वाद मेरे रोम रोम को खिला देता है मेरी आत्मा मेरा तन मन सब बहोत खुश हो जाते है पर कियु

दोनो लगे हुवे थे जोर सोर से एक दूसरे का रस पीने मे जैसे दोनो के बीच बेतल चल रहा हो कोन किसका कितना रस पियेगा ( अभय मन मे - दिन पर दिन ऑन्टी बहोत तेज होती जा रही है मेरे जिब होठ को मुह मे लेके कैसे मजे से चूस रही है उफ़ 3 मिनट बाद

अभय मिनिता के चूचे के थोरा उपर किस करने लगता हो मिनिता के पूरे सरीर काप् जाते है मिनिता को करेंट लगता है मिनिता को वहा किसी ने ऐसे किस नही क्या था मिनिता को अजीब फीलिंग आ रही थी मिनिता जोर जोर से आह करते हुवे सिसकिया लेने लगती है
मिनिता - उफ़ मा बेटा ये तु क्या कर रहा है आह रुक जा मुझे मुझे अजीब लग रहा है मुझे कुछ हो रहा है प्लेस रुक जाओ
मिनिता के पैर भी कापने लग गये थे सायद वो जगह मिनिता कि सबसे संसेटिप् जगह थी
अभय मिनिता की बात सुन अपने आप को रोक मिनिता को छोर देता है मिनिता नीचे बैठ तेज तेज सासे लेने लगती है और सर्म से लाल अभय से नजरे भी नही मिला पा रही थी
अभय मिनिता को देख - ऑन्टी आप ठीक है
मिनिता कापते होठो से - हा
मिनिता फिर खरी होती है तो अभय एकदम से मिनिता को गोदी मे उठा लेता है मिनिता हैरान अभय को देख बेटा अभय मिनिता को घर की तरफ ले जाने लगता हो रात के 11.20 हो रहे थे गाव मे तो 9 बजे ही सब सो जाते है तो रास्ता साफ था अंधेरे मे दूर से कोई देख भी नही सकता था मिनिता बस अभय को प्यार से देखती रहती है

अभय भी मिनिता को प्यार से देखने लगता है मिनिता मन मे - आज तक किसी मे मुझे ऐसे गोद मे नही उठाया मुझे बहोत अच्छा लग रहा है अभय बेटा मेरे साथ जो करता है अजीब होता है लेकिन मुझे उसमे मजा आता है हमारे बीच मे जो हो रहा है नॉर्मल है या नही समझ नही आता
अभय आखिर कर मिनिता को गोद मे उठा के घर के बाहर मिनिता को नीचे उतार देता है मिनिता सर्म से नजरे नीचे किये - सुक्रिया बेटा
अभय मिनिता के होठ मे उंगली रख मिनिता को प्यार से देख - कभी मुझे आप सुक्रिया मत केहना आप तो मेरी प्यार ऑन्टी है आपके लिये मे कुछ भी कर जाऊ
अभय की बात मिनिता के दिल को छु जाती है मिनिता आगे बढ़ अभय के कान मे - नही कहूगी
अभय मुस्कुराते हुवे - तब ठीक है गुड नाइट ऑन्टी
मिनिता अभय के होठ पे किस कर सर्म से - गुड नाइट बेटा
मिनिता अभय को एक बार देखती है फिर अंदर चली जाती है अभय भी मस्त गाना गाते घर आ जाता है
अभय आसा के कमरे मे जाता है तो आसा बिस्तर पे नाइटी पहने बैठे अभय का ही इंतज़ार कर रही थी
आसा अभय को देख - आ गया ऑन्टी को छोर के
अभय बिस्तर पे जाके बैठ आसा को देख - हा मा आ गया
अभय फिर बिस्तर पे पेट के बल लेत दोनो हाथो हो बिस्तर के रख प्यार से आसा को देखने
आसा अभय को ऐसे देखता देख सर्म से लाल हो जाती है आसा भी अभय की तरह बिस्तर पे लेत अभय को देखने लगती है

आसा के अभय की तरह लेटने से आसा की नाइटी के कोर आसा के बरे उजले चूचे के वजन को संभाल नही पाती और आसा के बरे उजले चूचे साफ दिखने लग जाते है और सबसे कामुक् नजरा आसा के चूचे के बीच दरार बना रहा था आसा के हर अंग जो दिख रहे था दूध जैसे उजले थे ये सीन अभय ने कई बार देखा था
आसा मस्त अदा से अपना पैर हिलाते हुवे प्यार से अभय को देख - ऐसे क्या देख रहा है
अभय आसा को प्यार से देख - मा आप सुरु से ही इतनी खूबसूरत गोरी थी या बाद मे हुई कोई साबुन लगा के
अभय की बात सुन आसा जोर जोर से हस्ते हुवे सर्म से - तेरी मा पैदा हि गोरी हुई
अभय आसा को देख - अच्छा यानी नानी बहोत खूबसूरत थी
आसा मुस्कुराते हुवे - हा बहोत खूबसूरत थी
अभय - अरे हा बुआ कहा है
आसा मुस्कुराते हुवे - तेरे कमरे मे है अपने घर वालो से बात कर रही है
अभय - अच्छा
अभय आगे घिसते हुवे आसा के चेहरे के पास अपना चेहरा लाके - सेक्सी डार्लिंग मा किस चाहिये आपके लाला को

आसा मुस्कुराते हुवे अभय के होठ पे होठ सता के किस करते हुवे -ले
अभय मुस्कुराते हुवे -हा अच्छा मा गुड नाइट बुआ केहगी मुझे रोकने बोल अकेला छोर दिया
आसा हस्ते हुवे - हा ठीक कहा गुड नाइट लाला
अभय फिर अदिति के पास आके किस कर गुड नाइट बोल अपने कपड़े मे आता है मिनिता फोन से घर बात कर बिस्तर पे लेती हुई थी अभय को आते देख - हा गया
अभय मुस्कुराते हुवे काजल के ऊपर आके लेत अपना चेहरा काजल के बिल्कुल सामने कर आखो मे देख - बुआ डार्लिंग आपने कहा था मुझे चूचे चूसने दोगी
अभय की बात सुन काजल की सासे उखड़नेलगती है काजल अपने दोनो हाथ को बिस्तर पे रख अपनी उंगली से कस के बिस्तर पकर सर्म से नजरे दूसरी तरफ कर तेज सासे कापते होठों के साथ अपने होठ पे दात से काटते हुवे - ठीक है चूस ले

अभय काजल को गोर से देखता है सर्म से नजरे फेरे हुई थी अभय काजल के हाथ को देखता जो बिस्तर को पकरे हुवे थी अभय काजल के सीने को देखता है जो तेज सासे लेने कि वजह से उपर नीचे हो रहे है काजल अपने दोनो पैर सीधा किये हुवे थी और अभय भी वैसे हि काजल के ऊपर लेता था लेकिन अभय का लंड काजल के चुत से पूरा सता चुत कि गर्मी के मजे ले रहा था
अभय बुआ म सुरु करता हु -
काजल सर्म से अभय को बिना देखे - ठीक है
अभय कापते हाथो से काजल के चूचे की तरफ हाथ बढ़ा के सारी सीने से हटा देता है सामने का नजरा देख अभय का लंड कई झटके मारता है आज अभय अपने लंड को आजाद छोर दिया था

सीने से सारी हटने के बाद काजल के दो बरे उजले दूध बरी मुश्किल से ब्लाउस मे कैद थे दोनो बाहर आने के लिये पूरे बेचैन लग रहे थे जैसे अभय से केह रहे हो भाई हमे बाहर निकाल सास लेनी है अभय भी जैसे दोनो चूचे से केह रहा हो निकाल दुगा और दबा के पियुगा
अभय फिर धीरे से आराम ब्लाउस के बटन खोलने लगता है तो काजल तेज सासे लेने लगती है सीना उपर नीचे होने लगता है
अभय सारे बटन खोल दोनो चूचे को कैद से आजाद कर देता है फिर गोर से देखने लगता है अभय मन मे - उफ़ इस उमर की औरतो का कितना अच्छा बदन चूचे होते है कसम से किस्मत वाला हु में जो बुआ के चूचे कर चूसने का मोक्का मिला

काजल सर्म से बिस्तर कर के पकरे तेज सासे लेते हुवे एक नजर अभय को देखती है तो पाती है अभय उसके चूचे को बरे प्यार से देखे जा रहा है काजल ये देख और सर्म से लाल हो जाती है काजल मन मे - उफ़ बेटा मेरे चूचे को ऐसे कियु देख रहा है उफ़ मुझे कुछ होने लगा है आह मेरा दिल तेजी से धक धक करने लगा है
अभय के दिमाग के क्या आता है अभय काजल के निपल को उंगली से पकर उपर की तरफ जोर से खीचने लगता है काजल के चूचे रबर की तरह टाइट हो जाते है काजल दर्द मे सिसकिया लेते हुवे - बेटा अभय बहोत दर्द हो रहा है आह इतना मत खिच

अभय भी जायदा नही खिचता और एकदम से निपल छोर देता है काजल के चूचे तेजी से नीचे आके चारों तरफ फैल पुलुर् रबर कि तरह इधर उधर कर हिलने लगते है आयन ये सब देख उसका लंड कई झटके मारता है काजल आह मा करते हुवे बिस्तर कस लेती है
काजल उपर से पूरी नंगी थी अभय काजल के भरे कमर गहरी ढोरी देख रोक नही पाता और काजल के चूचे दबाते हुवे पेट ढोरी को चूमने जिब से चाटने लगता है काजल का के शरीर झटका खाता है काजल मछली बिन पानी के जैसे तरपति है तरप रही थी तेज सिसकिया तेज सासे की आवाज कमरे मे गुज रही थी
काजल लेती हुई थी लेकिन काजल के बरे चूचे खरे रबर की तरह अभय के दबाने से हिल रहे थे पहली बार कोई काजल के शरीर को चूचे को इस तरह से दबा रहा था चाट रहा था सब काजल के लिये नया और पागल कर देने वाला एहसास था

pictures that make you high
अभय तो आज अपने मजे की दुनिया मे खोया था अभय को कोई होस नही था अभय के जिब काजल के मुलायम पेट पे चल रहे थे और हाथ चूचे को दबाने मे लगे थे दो तरफा काजल अपने पेट पे अभय का खुरखुरा गर्म जिब फिल कर पागल हो रही थी और अपने चूचे पे अभय का हाथ फिल कर मचल रही थी
अभय अच्छा से काजल के चूचे दबाने पेट को चाटने के बाद अपने दोनो हाथ चूचे पर रख जितना उंगली मे आता है पकर दबाने लगता है काजल जल्दी से अपना एक हाथ से मुह बंद कर दर्द मे मचलते हुवे - उफ़ दर्द हो रहा है बेटा थोरा धीरे दबा आज तो मे गई मा

अभय काजल को देख ठीक है बुआ अभय नही चाहता था आसा अदिति को पता चले अभय काजल के चूचे पकरे दबाते हुवे उफ़ कितना मुलायम सॉफ्ट है बुआ के चूचे दबाने मे अलग ही हि मजा आ रहा है ( वही काजल मचलने लगती है काजल की सिसकिया और तेज हो जाती है ये देख अभय रुक जाता है तो काजल भी सांत हो जाती है
काजल अपने सासो पे काबू करते हुवे सर्म से दूसरी तरफ चेहरा किये - आह मेरे अंदर ये कैसी हलचल हो रही है
अभय काजल को एक नजर देखता है फिर झुक कर अपने होठ चूचे के तरफ ली जाने लगता हो काजल जब देखती है तो काजल की सासे फिर तेज हो जाती है काजल फिर बिस्तर को कस के पकर लेती है
अभय अपने गांड का दबाव काजल के चुत मे लगाता है जिसकी वजह से अभय का लंड काजल के चुत से पूरी तरह चिपक जाता है काजल और कस मे बिस्तर को पकर अपने चेहरे को बेचैनी से इधर उधर मचलते हुवे एक तेज आह करती है
अभय अपने खरे लंड से काजल की चुत मे धीरे से आगे पीछे कर घिसने लगता हो काजल मछली की तरह तरप् आह उफ़ सिसकिया लेके मचलते रहती है
अभय काजल के एक चूचे मुह मे लेके चूस कर पीने लगता है साथ मे धीरे धीरे काजल के चुत से धक्का मारे जा रहा था जैसे चुदाई कर रहा हो काजल के अंदर का सांत सोया तूफान जाग जाता है काजल अपने दोनो टांगे हवा मे उठा के फैला के अभय को पूरा जगह दे देती है ताकि अभय अच्छे से उसकी चुत मे अपना लंड रगर सके
अभय काजल के ऊपर काजल नीचे अभय काजल को अच्छे से पकरे हुवे मजे से काजल के चूचे मुह मे लेके चूसने मे लगा था काजल भी अभय को पकर अपने सीने से सताने हुवे अभय के नीचे परी मचलते हुवे - आह उफ़ मा बेटा आह धीरे से प्यार से चूस बुआ के चूचे काटना मत दर्द होगा आह उफ़ मुझे कुछ हो रहा है बेटा अभय आह
अभय धीरे धीरे धके काजल की चुत पे सारी के ऊपर से मारे जाता रहा था काजल हवा मे दोनो टांगे फैलाये अभय को पकरे तरप् मचल रही थी अभय - उफ़ मजा आ रहा हुआ आपके चूचे मुह मे लेके चूसने मे आह दूध आ रहा होगा तो और मजा आता काजल की सारी भी उठ कर उपर आ चुकी थी काजल के मोटे गोरे जांघे दिखने लग गये थे

लेकिन काजल की हालत तो बहोत बुरी थी आज पहली बार काजल अपने चुत पे अभय का मोटा लम्बा गर्म लंड घिसते आगे पीछे होते मेहसूस कर रही थी ( काजल कापते हुवे मन मे अभय बेटे का लंड मेरे चुत को घिस रगर रहा है मा उफ़ मे फिल कर सकती हु अभय बेटे का लंड बहोत मोटा लम्बा है बस काजल को मेहसूस होता है कुछ उसकी चुत से बाहर निकलने वाला है
काजल पूरे बेचैन से बिस्तर को पूरी ताकत से कस के पकर् अपना पैर मारते तरपते बिस्तर पे मछली कि तरह छतपटाते हुवे आखो मे आसु लिये मन मे रोते हुवे - नही नही नही प्लेस नही मे झर नही सकती मुझे अपने आप को रोकना होगा ये होना नही चाहिये अभय बेटा क्या सोचेगा ( अभय काजल को इतना मचलते पैर मारते आखो मे आसु देख अभय समझ जाता है मामला क्या है लेकिन अभय भी उस मोर पे था जहा वो खुद रुक नही सकता था

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अभय अपना कमर गांड हिलाते हुवे और तेज अपना लंड काजल के चुत पे घिसने लगता है साथ मे काजल के चूचे बदन को भी चुमे चाटे जा रहा था अभय का लंड पूरा टाइट लोहे जैसा था काजल से चड्डी नही पहनी थी नतीजा अभय अपना लंड पीछे कर तेज धक्का मरता है और होता ये है अभय का लंड लोहे का बन गया था लम्बा भी था तो सारी के साथ ही अभय का लंड का टोपा काजल के चुत के फाके फैला के थोरा अंदर सारी के साथ घुस जाता है ये मेहसूस कर काजल जो अपने आप को रोके हुई थी दर्द मे रोते हुवे - मा नही करते हुवे काजल कमर गांड उपर उठा उठा के झरने लगती है काजल का पूरा सरीर कापते हुवे झटके मारे जा रहा था और काजल एक मिनट तक बिस्तर पकरे गांड उठा उठा के झरते रहती है

आयन भी काजल के चुत मे अपने लंड का टोपा फिल कर आह करते झर जाता है अभय के लंड का तोप काजल के बस चुत के मुह तक गया था सारी की जगह नाइटी होती तो पूरा घुस जाता
काजल कापते रहती है पूरा सरीर काजल का कप कपा रहा था आखो से आसु बेह रहे थे और कई साल से जबा हुआ चुत का रस काजल आज निकाल चुकी थी काजल की सारी अंदर से खराब हो गई थी और अभय का पैंट भी अभय काजल के ऊपर गिर जाता है
काजल ने बिस्तर जो कस के पकरे थे छोर देती है पैर नीचे कर लेती है सासे तेज चल रही थी पूरा सरीर पसीने से भीगा हुआ था पर काजल के आखो से आसु रोकने का नाम नही ले रहा था
2 मिनट बाद
अभय को अब एहसास होता है उसने क्या कर दिया सेम काजल भी आखो मे आसु लिये समझ चुकी थी इतना आगे नही जाना था
अभय काजल के ऊपर से साइड मे बिस्तर पे लेत जाता है काजल करवट लेके दूसरी तरफ चेहरा कर सिसक सिसक् कर रोने लगती है
काजल को रोता देख अभय के दिल मे दर्द होता है अभय काजल की तरफ करवट लेके काजल के बाजू पकर अपनी तरफ घुमा के देखता है तो काजल का चेहरा आसुओ से भीगा हुआ था काजल की ऐसी हालत देख अभय के आखो से भी आसु आ जाते है काजल जब अभय को रोता देखती है तो काजल के दिल मे भी दर्द होने लगता है
अभय काजल के आसु साफ कर रोते हुवे - बुआ माफ कर दो सब मेरी गलती है मे जो कहता गया आपने क्या लेकिन इस बार मे रुक नही पाया मे आपका गुनेगार् हु आप जो सजा दोगे मुझे मंजूर है
काजल अभय के आसु साफ कर - पागल तु कियु रोता है गलती जो तूने क्या मेरी मर्जी से किया हा इस बार जायदा हो गया
अभय काजल को देख - माफ कर दो बुआ
काजल अभय को अपने नंगे चूचे से सता के बाहों मे लेके - मे गुस्सा नही हु तुम बुरा फिल मत कर
अभय आखो मे आसु लिये काजल की आखो मे देख - मेरी कसम
काजल अभय को देख मुस्कुराते हुवे - हा तेरी कसम
अभय काजल के गले लगा के बाहों मे कस - थैंक्स बुआ आप बहोत अच्छी है
काजल अभय के बाल सेहलाते हुवे - मेरा बच्चा अच्छा अब छोर मुझे बाहर जाना है
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - आपके कपड़े सब गिले हो गये मेरे भी
काजल सर्म से पानी पानी होते हुवे - छी बेसर्म मारुगी
काजल सर्म से लाल खरी होके ब्लाउस मे चूचे कस बटन लगा के सारी अच्छे से पेहन बाहर जाने लगती है
अभय - मुझे भी लगी है
काजल फिर सर्म से पानी पानी हो जाती है
काजल सर्म से - ठीक है चल
अभय खुश हो जाता है
दोनो घर के पीछे आते है
काजल अभय को देख सर्म से - जा आगे कर ले मे
अभय मुस्कुराते हुए आगे जाके पिसाब करने लगता है काजल भी एक जगह बैठ तेज धार मारते हुवे पिसाब करने लगती हो काजल के चुत पानी से गिला था लेकिन अब सुख गया था
काजल मन मे - उफ़ अजीब गिला गिला लग रहा है आज ऐसे हि सोना परेगा
काजल अभय कमरे मे आते है
अभय - बुआ गंदे सारी मे ही सोयेगी
काजल सर्म गुस्से से - तो कहा से लाउ
अभय - माफ करना बात तो सही है मेरा चड्डी गिला है बदलना है
काजल फिर सर्म से पानी पानी होके दूसरी तरफ घूम - बदल ले
अभय पैंट निकाल गीली चड्डी निकाल काजल को देख - आप देखना चाहती है तो देख सकती है
काजल तेज सासे लेते हुवे सर्म से कापते होठो से - बेशरम बहोत बोलने लगा है सर्म कर
अभय भी चड्डी बदल एक जगह रखते हुवे हस के - अच्छा
अभय फिर बिस्तर पे आके काजल को बाहों मे लेके आखो मे देख - मजा आया ना आज मेरी बुआ डार्लिंग
काजल अभय के सीने मे अपना चेहरा छुपा के - बेटा मत कर ऐसी बाते सर्म आ रही है
अभय काजल को बाहों मे कस लेता है काजल भी अभय की बाहों मे समा जाती है
अभय मन मे - काजल बुआ बहोत शर्मा गई है तो फिर कभी पूछ लुगा लेकिन एक बात का एहसास हो गया आज मे बुआ से प्यार करने लगा हु इस लिये कल मे बुआ को गर्लफ्रेंड बनने के लिये परपोस् करुगा
आज के लिये इतना ही






आंगन मे आसा मिनिता काजल बैठे बाते कर रहे थे कमरे मे अदिति कोमल कि बाते चल रही थी बाहर अभय विजय बाते कर रहे थे
अभय विजय एक जगह खरे थे
अभय - जीत जीतू से बात हुई
विजय - जी बॉस
अभय - ये बताओ अपना काम कैसा चल रहा है
विजय - सही अपने टाइम से हो रहा है
अभय -.......?
विजय - ......?
अभय - .......?
विजय - ......?
अभय आसमान को देखते हुवे - मे तो बस अपने परिवार के साथ एक अच्छी लाइफ जीना चाहता हु और कुछ लोगो की मदद करना पर ये दुनिया सांति से जीने नही देती
विजय अभय को देख मन मे - सोच कर हि डर लग रहा है कियुंकी सब को पता है बॉस का गुस्सा यानी खूनी खेल
अभय विजय को देख - याद रहे मूवी मे विलेन पहले पंगा लेते है हीरो से
विजय - जी बॉस आपकी बात समझ गया
अभय - एक और बात सावधानी सबसे जायदा जरूरी है कैद मे जीना मारना दो चोइस थे लेकिन यहा हम आजाद है हर मा कहती है मेरी वजह से उनके बच्चे उनके पास है तो मे किसी को खोना नही चाहता हम ताकतवर है लेकिन इस दुनिया मे हमने भी जायदा ताकतवर लोग है
विजय - बॉस अच्छे से समझ गया आप ने जैसा कहा वैसा होगा
अदिति कोमल - बिस्तर पे लेते बाते कर रहे थे
कोमल - अदिति तुझे कैसा लरका चाहिये अपने पति के रूप मे जिसके साथ तुम अपनी पूरी लाइफ जीना चाहोगी
अदिति छत को देखते हुवे - मेने कभी इसके बारे मे सोचा नही कियुंकी भाई के खोने मे बाद कैसे मे अपनी लाइफ के बारे मे सोच सकती थी
कोमल अदिति को देख - समझ सकती हु सेम मेरा भी लेकिन अब तो सोच कर बता सकती हो ना
अदिति कोमल को देख - मेरे भाई जैसा लेकिन मेरे भइया जैसा कोई हो ही नही सकता
कोमल मुह बना के - क्या वो बंदर मुझे तो किस का भूखा ठरकी लगता है
अदिति कोमल कोई देख मुस्कुराते हुवे - हा है तो लेकिन मेरे भइया मेरी जान है
कोमल अदिति को देखती है फिर छत को देखते हुवे -छोटे भी मेरी जान है आज वो मेरे पास है तेरे भाई कि वजह से हम ये कभी
तभी कोमल अपनी चुत कपड़े के ऊपर से ही सेहलाते हुवे - यार ये खुजली भी ना
अदिति कोमल को चुत सेहलाते देख सॉक हैरान सर्म से - दीदी आप ये क्या कर रही है
कोमल चुत से हाथ हटा के अदिति को देख - अरे यार नीचे बरे बरे बाल हो गये थे तो मेने आज ट्रिमर से काटा है लेकिन खुजली हो रही है
अदिति सर्म से लाल होके - अच्छा समझ गई लेकिन आप क्रीम यूज कर सकती थी ना
कोमल अदिति को देख - जानती हु लेकिन उस सब मे खतरा रहता है
अदिति सर्म से - कैसा खतरा
कोमल अदिति को अजीब नजर से देख - यार अदिति तुम हद से जायदा सर्मिली हो देखो कितना शर्मा रही हो अरे हम दोनो लरकिया है जो तेरे पास है वो मेरे पास भी है बस बरा छोटा का फर्क है
अदिति सर्म से नजरे नीचे कर - क्या दीदी आप भी ना वो बताया नही
कोमल अदिति को देख गहरी सास लेके - ये लरकी कितना सरमाती है क्रीम यूज इसलिये नही करती कियुंकी काला पड़ना या रिएक्शन का खतरा रहता है
अदिति हैरान सर्म से कोमल को देख - अच्छा ये बात है
कोमल अदिति देख मुस्कुराते हुवे - और मे नही चाहती मेरा वो काला हो जाये नही तो शादी के बाद पति देखेगा तो बोलेगा चेहरा बदन गोरा खजाना ही काला निकला
कोमल की बात सुन अदिति सर्म से लाल होते हुवे अपना चेहरा दोनो हाथो से छुपा के - छी दीदी आप कितनी गंदी बाते करती है
कोमल हस्ते हुवे - अरे मेरी बुलबुल कभी कभी गंदी बाते कर लेनी चाहिये तुम बताओ अपना वो कैसे साफ करती हो क्या साफ है या अभी जंगल है वहा
अदिति अभी भी अपना चेहरा हाथों से धके हुवे - दीदी बहोत सर्म आ रही है
कोमल - अरे यार बता भी दे
अदिति - वो क्रीम से
कोमल मुस्कुराते हुवे - अच्छा लेकिन अभी साफ है या जंगल है
अदिति सर्म से - दीदी वो
कोमल हस्ते हुवे - समझ गई जंगल है यार अदिति इतना भी मत सरमाया कर नही तो मे ये सोच रही हु तेरी शादी जब होगी fi सुहागरात की दिन कैसे अपने पति को अपना खजाना दिखायेगी
अदिति सर्म से पानी पानी होते हुवे - छी छी दीदी मुझे आपसे बात नही करनी आप बहोत गंदी बाते करती हो
कोमल हस्ते हुवे - बुलबुल थोरा बहोत ज्ञान होना जरूरी है अच्छा मुझे नींद आ रही है मे जा रही हु और हा कल साफ कर लेना
कोमल मुस्कुराते हुवे आंगन मे आ जाती है वही अदिति बिस्तर पे सर्म से लाल - दीदी कैसी कैसी बाते करती है
अदिति अपने चुत के ऊपर हाथ रख बाल मेहसूस करते हुवे - हा बरे बरे हो गये है मुझे भी अब ट्रिमर से ही बाल काटने चाहिये मे नही चाहती मेरा वो छी छी छी दीदी के बाते सुन मेरे दिमाग मे भी गंदी बाते आने लगी है
आंगन मे
कोमल मिनिता काजल को देख - मा मे जा रही हु मुझे नींद आ रही है
मिनिता काजल कोमल को देख - ठीक है जा हम थोरि देर मे आ जायेंगे
कोमल - ठीक है
कोमल बाहर आती है तो देखती है अभय विजय खरे बाते कर रहे थे कोमल दोनो के पास जाके खरी हो जाती है अभय विजय कोमल का देख चुप हो जाते है
कोमल दोनो को देख - क्या बाते हो रही है
अभय कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - हम प्लान बना रहे है तुम्हारी शादी बहोत दूर करने का
कोमल हैरान अभय को देख - और ऐसा कियु
अभय हस्ते हुवे - ताकि बंदरिया का चेहरा मुझे ना देखना परे
अभय की बात सुन कोमल के कान से गुस्से का धुवा निकलने लगता है अभय कोमल को गुस्से मे देख डर जाता है
कोमल गुस्से से अभय के पेट मे जोर का मुक्का मारते हुवे - मेरे पीछे लरके पागल है मेरे चेहरे को कोई देख ले तो देखता हि रेह जाता है तेरी ये हिम्मत
अभय पेट कमरे दर्द मे मर गया रे
विजय अभय को देख अंदर हि अंदर हस्ते हुवे - बॉस किसी से नही डरते लेकिन लरकी या औरतो के सामने तो किसी की नही चलती है
कोमल विजय को देख - मे घर जा रही हु मुझे नींद आ रही है
विजय - दीदी मे भी चलता हु मुझे भी नींद आ रही है
कोमल अभय को देख - हा चल मुझे भी इस बंदर का चेहरा नही देखना
विजय अभय को देख - भाई मे जा रहा हु
अभय - ठीक है जा अपनी
कोमल गुस्से से अभय को देख -बोलो क्या बोल रहे थे
अभय मुस्कुराते हुवे - खूबसूरत बेहन को लेके हा यही केह रहा था
कोमल मुस्कुराते हुवे - हा अब तुम मुझे अच्छे लगे गुड नाइट
अभय दर्द मे - हा गुड नाइट
कोमल विजय फिर घर जाने लगते है
विजय - दीदी आप भाई को मारती कियु रहती है
कोमल विजय को देख - तुझे बरी चिंता है उसकी मेरी तो इतनी चिंता नही करता
विजय - अरे नही आप तो मेरी प्यारी दीदी है
कोमल - बस कर झूठा
अभय अंदर जाता है और अपनी मा के गोद मे बैठ जाता है आसा भी मुस्कुराते हुवे अभय को बाहों मे भर लेती है
मिनिता अभय को देख - दीदी आ गया आपका बच्चा
आसा अभय को प्यार से बाल सेहलाते हुवे - हा मेरा प्यारा बच्चा
काजल हस्ते हुवे - भाभी आप अभय का एक छोटे बच्चे के तरह प्यार देती है
आसा मुस्कुराते हुवे - मा के लिये बच्चे जीतने बरे हो जाये बच्चे हि रहेगे
मिनिता अभय को देख - मेरा लाल गया गया
अभय मिनिता को देख - दोनो घर चले गये
मिनिता - अच्छा ये बात है
काजल अभय को देख - तो भतीजे शोपिंग पे किस दिन जाना है
अभय मुस्कुराते हुवे - कल चलेंगे 12 बजे बहोत सारी खरीदारी करनी है
मिनिता - हा शादी ऐसे हि थोरि हो जाती है
आसा अभय को प्यार करते हुवे - अपने लाला को दुल्हे के रूप मे देखने के लिये बेचैन हु
काजल - भाभी हर मा यही चाहती है
अभय काजल की आखो मे देख - बुआ आज मेरे यहा रुक जाओ ना ये भी आपका हि घर है
आसा मिनिता हैरान होते है अभय की बात सुन तो वही काजल का दिल धक धक करने लगता है
मिनिता अभय को देख - वाह बेटा मुझे आज तक एक दिन भी नही कहा ऑन्टी रुक जाओ लेकिन बुआ को कितने प्यार से केह रहा है
अभय मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - कल आप रुक जाना
मिनिता मुस्कुराते हुवे - सोचुगी
अभय काजल को देख - बुआ रुकेगी या
काजल अभय को देख मुस्कुराते हुवे - ये भी मेरा हि घर है ठीक है
अभय खुश होते हुवे - ये हुई ना बात
आसा मुस्कुराते हुवे - लगता है बुआ भतीजे मे बहोत प्यार है
मिनिता मुस्कुराते हुवे - हा दीदी मुझे भी लगता है
रात 11 बज गये थे बाते करते हुवे
मिनिता आसा को देख - दीदी यहा आके बाते करते हुवे बता भी नही चलता टाइम कैसे गुजर गया अब में चलती हु
आसा मिनिता को देख - ठीक है अभय बेटा ऑन्टी का घर छोर के आ रात बहोत हो गई है
अभय खरा होते हुवे - जी मा
अभय मिनिता बाहर आते है सब गाव वाले सो चुके थे और बहोत अंधेरा भी था
अभय बिना देरी किये मिनिता के हाथ पकर अपनी तरफ खिचता है मिनिता सीधा अभय के सीने से आह करते हुवे चिपक जाती है अभय अपना एक हाथ मिनिता के पीछे कमर पे रख अपनी तरफ दबा के मिनिता को पूरा अपने बॉडी से चिपका लेता है मिनिता के मुह से सिसकिया निकल परती है दोनो पूरा चिपके थे बीच मे थोरा भी गेप नही था अभय मिनिता के शरीर कि गर्मी खुशबु अपने सीने पी दो बरे मुलायम चूचे दबे हुवे और मिनिता की चुत की भी

दोनो फिर एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है ( अभय मिनिता को देख - आपकी बॉडी की गर्मी आपके सरीर की खुशबु मुझे पागल कर देती है ( मिनिता सर्म से नजरे नीचे किये - वो कैसे भला
अभय मिनिता की आखो मे देख - किसी दिन अच्छे से बताउग अभी तो मुझे आपके होठो का रस पीना है
अभय कि बात सुन मिनिता के होठ अपने आप खुलने लगते है मिनिता अपने होठ अभय कि तरफ ले जाने लगती हो अभय भी मिनिता के होठ से होठ सता देता है मिनिता अभय को पकर लेती है फिर सुरु होता है एक दूसरे के होठो का रस पीने का सिलसिला

मिनिता अभय के जिब को मुह मे लेके अच्छे से चूस गट गट पीते हुवे सर्म से मन मे - इस लरके ने मुझे कैसी आदत लगा दी है किस का बात सुनते ही मुझे कुछ होने लगता हो फिर मेरे होठ अपने आप खुल जाते है आह उफ़ पर ये एहसास अभय बेटे के बाहों मे समा के किस करने का रस पीने का उसका स्वाद मेरे रोम रोम को खिला देता है मेरी आत्मा मेरा तन मन सब बहोत खुश हो जाते है पर कियु

दोनो लगे हुवे थे जोर सोर से एक दूसरे का रस पीने मे जैसे दोनो के बीच बेतल चल रहा हो कोन किसका कितना रस पियेगा ( अभय मन मे - दिन पर दिन ऑन्टी बहोत तेज होती जा रही है मेरे जिब होठ को मुह मे लेके कैसे मजे से चूस रही है उफ़ 3 मिनट बाद

अभय मिनिता के चूचे के थोरा उपर किस करने लगता हो मिनिता के पूरे सरीर काप् जाते है मिनिता को करेंट लगता है मिनिता को वहा किसी ने ऐसे किस नही क्या था मिनिता को अजीब फीलिंग आ रही थी मिनिता जोर जोर से आह करते हुवे सिसकिया लेने लगती है
मिनिता - उफ़ मा बेटा ये तु क्या कर रहा है आह रुक जा मुझे मुझे अजीब लग रहा है मुझे कुछ हो रहा है प्लेस रुक जाओ
मिनिता के पैर भी कापने लग गये थे सायद वो जगह मिनिता कि सबसे संसेटिप् जगह थी
अभय मिनिता की बात सुन अपने आप को रोक मिनिता को छोर देता है मिनिता नीचे बैठ तेज तेज सासे लेने लगती है और सर्म से लाल अभय से नजरे भी नही मिला पा रही थी
अभय मिनिता को देख - ऑन्टी आप ठीक है
मिनिता कापते होठो से - हा
मिनिता फिर खरी होती है तो अभय एकदम से मिनिता को गोदी मे उठा लेता है मिनिता हैरान अभय को देख बेटा अभय मिनिता को घर की तरफ ले जाने लगता हो रात के 11.20 हो रहे थे गाव मे तो 9 बजे ही सब सो जाते है तो रास्ता साफ था अंधेरे मे दूर से कोई देख भी नही सकता था मिनिता बस अभय को प्यार से देखती रहती है

अभय भी मिनिता को प्यार से देखने लगता है मिनिता मन मे - आज तक किसी मे मुझे ऐसे गोद मे नही उठाया मुझे बहोत अच्छा लग रहा है अभय बेटा मेरे साथ जो करता है अजीब होता है लेकिन मुझे उसमे मजा आता है हमारे बीच मे जो हो रहा है नॉर्मल है या नही समझ नही आता
अभय आखिर कर मिनिता को गोद मे उठा के घर के बाहर मिनिता को नीचे उतार देता है मिनिता सर्म से नजरे नीचे किये - सुक्रिया बेटा
अभय मिनिता के होठ मे उंगली रख मिनिता को प्यार से देख - कभी मुझे आप सुक्रिया मत केहना आप तो मेरी प्यार ऑन्टी है आपके लिये मे कुछ भी कर जाऊ
अभय की बात मिनिता के दिल को छु जाती है मिनिता आगे बढ़ अभय के कान मे - नही कहूगी
अभय मुस्कुराते हुवे - तब ठीक है गुड नाइट ऑन्टी
मिनिता अभय के होठ पे किस कर सर्म से - गुड नाइट बेटा
मिनिता अभय को एक बार देखती है फिर अंदर चली जाती है अभय भी मस्त गाना गाते घर आ जाता है
अभय आसा के कमरे मे जाता है तो आसा बिस्तर पे नाइटी पहने बैठे अभय का ही इंतज़ार कर रही थी
आसा अभय को देख - आ गया ऑन्टी को छोर के
अभय बिस्तर पे जाके बैठ आसा को देख - हा मा आ गया
अभय फिर बिस्तर पे पेट के बल लेत दोनो हाथो हो बिस्तर के रख प्यार से आसा को देखने
आसा अभय को ऐसे देखता देख सर्म से लाल हो जाती है आसा भी अभय की तरह बिस्तर पे लेत अभय को देखने लगती है

आसा के अभय की तरह लेटने से आसा की नाइटी के कोर आसा के बरे उजले चूचे के वजन को संभाल नही पाती और आसा के बरे उजले चूचे साफ दिखने लग जाते है और सबसे कामुक् नजरा आसा के चूचे के बीच दरार बना रहा था आसा के हर अंग जो दिख रहे था दूध जैसे उजले थे ये सीन अभय ने कई बार देखा था
आसा मस्त अदा से अपना पैर हिलाते हुवे प्यार से अभय को देख - ऐसे क्या देख रहा है
अभय आसा को प्यार से देख - मा आप सुरु से ही इतनी खूबसूरत गोरी थी या बाद मे हुई कोई साबुन लगा के
अभय की बात सुन आसा जोर जोर से हस्ते हुवे सर्म से - तेरी मा पैदा हि गोरी हुई
अभय आसा को देख - अच्छा यानी नानी बहोत खूबसूरत थी
आसा मुस्कुराते हुवे - हा बहोत खूबसूरत थी
अभय - अरे हा बुआ कहा है
आसा मुस्कुराते हुवे - तेरे कमरे मे है अपने घर वालो से बात कर रही है
अभय - अच्छा
अभय आगे घिसते हुवे आसा के चेहरे के पास अपना चेहरा लाके - सेक्सी डार्लिंग मा किस चाहिये आपके लाला को

आसा मुस्कुराते हुवे अभय के होठ पे होठ सता के किस करते हुवे -ले
अभय मुस्कुराते हुवे -हा अच्छा मा गुड नाइट बुआ केहगी मुझे रोकने बोल अकेला छोर दिया
आसा हस्ते हुवे - हा ठीक कहा गुड नाइट लाला
अभय फिर अदिति के पास आके किस कर गुड नाइट बोल अपने कपड़े मे आता है मिनिता फोन से घर बात कर बिस्तर पे लेती हुई थी अभय को आते देख - हा गया
अभय मुस्कुराते हुवे काजल के ऊपर आके लेत अपना चेहरा काजल के बिल्कुल सामने कर आखो मे देख - बुआ डार्लिंग आपने कहा था मुझे चूचे चूसने दोगी
अभय की बात सुन काजल की सासे उखड़नेलगती है काजल अपने दोनो हाथ को बिस्तर पे रख अपनी उंगली से कस के बिस्तर पकर सर्म से नजरे दूसरी तरफ कर तेज सासे कापते होठों के साथ अपने होठ पे दात से काटते हुवे - ठीक है चूस ले

अभय काजल को गोर से देखता है सर्म से नजरे फेरे हुई थी अभय काजल के हाथ को देखता जो बिस्तर को पकरे हुवे थी अभय काजल के सीने को देखता है जो तेज सासे लेने कि वजह से उपर नीचे हो रहे है काजल अपने दोनो पैर सीधा किये हुवे थी और अभय भी वैसे हि काजल के ऊपर लेता था लेकिन अभय का लंड काजल के चुत से पूरा सता चुत कि गर्मी के मजे ले रहा था
अभय बुआ म सुरु करता हु -
काजल सर्म से अभय को बिना देखे - ठीक है
अभय कापते हाथो से काजल के चूचे की तरफ हाथ बढ़ा के सारी सीने से हटा देता है सामने का नजरा देख अभय का लंड कई झटके मारता है आज अभय अपने लंड को आजाद छोर दिया था

सीने से सारी हटने के बाद काजल के दो बरे उजले दूध बरी मुश्किल से ब्लाउस मे कैद थे दोनो बाहर आने के लिये पूरे बेचैन लग रहे थे जैसे अभय से केह रहे हो भाई हमे बाहर निकाल सास लेनी है अभय भी जैसे दोनो चूचे से केह रहा हो निकाल दुगा और दबा के पियुगा
अभय फिर धीरे से आराम ब्लाउस के बटन खोलने लगता है तो काजल तेज सासे लेने लगती है सीना उपर नीचे होने लगता है
अभय सारे बटन खोल दोनो चूचे को कैद से आजाद कर देता है फिर गोर से देखने लगता है अभय मन मे - उफ़ इस उमर की औरतो का कितना अच्छा बदन चूचे होते है कसम से किस्मत वाला हु में जो बुआ के चूचे कर चूसने का मोक्का मिला

काजल सर्म से बिस्तर कर के पकरे तेज सासे लेते हुवे एक नजर अभय को देखती है तो पाती है अभय उसके चूचे को बरे प्यार से देखे जा रहा है काजल ये देख और सर्म से लाल हो जाती है काजल मन मे - उफ़ बेटा मेरे चूचे को ऐसे कियु देख रहा है उफ़ मुझे कुछ होने लगा है आह मेरा दिल तेजी से धक धक करने लगा है
अभय के दिमाग के क्या आता है अभय काजल के निपल को उंगली से पकर उपर की तरफ जोर से खीचने लगता है काजल के चूचे रबर की तरह टाइट हो जाते है काजल दर्द मे सिसकिया लेते हुवे - बेटा अभय बहोत दर्द हो रहा है आह इतना मत खिच

अभय भी जायदा नही खिचता और एकदम से निपल छोर देता है काजल के चूचे तेजी से नीचे आके चारों तरफ फैल पुलुर् रबर कि तरह इधर उधर कर हिलने लगते है आयन ये सब देख उसका लंड कई झटके मारता है काजल आह मा करते हुवे बिस्तर कस लेती है
काजल उपर से पूरी नंगी थी अभय काजल के भरे कमर गहरी ढोरी देख रोक नही पाता और काजल के चूचे दबाते हुवे पेट ढोरी को चूमने जिब से चाटने लगता है काजल का के शरीर झटका खाता है काजल मछली बिन पानी के जैसे तरपति है तरप रही थी तेज सिसकिया तेज सासे की आवाज कमरे मे गुज रही थी
काजल लेती हुई थी लेकिन काजल के बरे चूचे खरे रबर की तरह अभय के दबाने से हिल रहे थे पहली बार कोई काजल के शरीर को चूचे को इस तरह से दबा रहा था चाट रहा था सब काजल के लिये नया और पागल कर देने वाला एहसास था

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अभय तो आज अपने मजे की दुनिया मे खोया था अभय को कोई होस नही था अभय के जिब काजल के मुलायम पेट पे चल रहे थे और हाथ चूचे को दबाने मे लगे थे दो तरफा काजल अपने पेट पे अभय का खुरखुरा गर्म जिब फिल कर पागल हो रही थी और अपने चूचे पे अभय का हाथ फिल कर मचल रही थी
अभय अच्छा से काजल के चूचे दबाने पेट को चाटने के बाद अपने दोनो हाथ चूचे पर रख जितना उंगली मे आता है पकर दबाने लगता है काजल जल्दी से अपना एक हाथ से मुह बंद कर दर्द मे मचलते हुवे - उफ़ दर्द हो रहा है बेटा थोरा धीरे दबा आज तो मे गई मा

अभय काजल को देख ठीक है बुआ अभय नही चाहता था आसा अदिति को पता चले अभय काजल के चूचे पकरे दबाते हुवे उफ़ कितना मुलायम सॉफ्ट है बुआ के चूचे दबाने मे अलग ही हि मजा आ रहा है ( वही काजल मचलने लगती है काजल की सिसकिया और तेज हो जाती है ये देख अभय रुक जाता है तो काजल भी सांत हो जाती है
काजल अपने सासो पे काबू करते हुवे सर्म से दूसरी तरफ चेहरा किये - आह मेरे अंदर ये कैसी हलचल हो रही है
अभय काजल को एक नजर देखता है फिर झुक कर अपने होठ चूचे के तरफ ली जाने लगता हो काजल जब देखती है तो काजल की सासे फिर तेज हो जाती है काजल फिर बिस्तर को कस के पकर लेती है
अभय अपने गांड का दबाव काजल के चुत मे लगाता है जिसकी वजह से अभय का लंड काजल के चुत से पूरी तरह चिपक जाता है काजल और कस मे बिस्तर को पकर अपने चेहरे को बेचैनी से इधर उधर मचलते हुवे एक तेज आह करती है
अभय अपने खरे लंड से काजल की चुत मे धीरे से आगे पीछे कर घिसने लगता हो काजल मछली की तरह तरप् आह उफ़ सिसकिया लेके मचलते रहती है
अभय काजल के एक चूचे मुह मे लेके चूस कर पीने लगता है साथ मे धीरे धीरे काजल के चुत से धक्का मारे जा रहा था जैसे चुदाई कर रहा हो काजल के अंदर का सांत सोया तूफान जाग जाता है काजल अपने दोनो टांगे हवा मे उठा के फैला के अभय को पूरा जगह दे देती है ताकि अभय अच्छे से उसकी चुत मे अपना लंड रगर सके
अभय काजल के ऊपर काजल नीचे अभय काजल को अच्छे से पकरे हुवे मजे से काजल के चूचे मुह मे लेके चूसने मे लगा था काजल भी अभय को पकर अपने सीने से सताने हुवे अभय के नीचे परी मचलते हुवे - आह उफ़ मा बेटा आह धीरे से प्यार से चूस बुआ के चूचे काटना मत दर्द होगा आह उफ़ मुझे कुछ हो रहा है बेटा अभय आह
अभय धीरे धीरे धके काजल की चुत पे सारी के ऊपर से मारे जाता रहा था काजल हवा मे दोनो टांगे फैलाये अभय को पकरे तरप् मचल रही थी अभय - उफ़ मजा आ रहा हुआ आपके चूचे मुह मे लेके चूसने मे आह दूध आ रहा होगा तो और मजा आता काजल की सारी भी उठ कर उपर आ चुकी थी काजल के मोटे गोरे जांघे दिखने लग गये थे

लेकिन काजल की हालत तो बहोत बुरी थी आज पहली बार काजल अपने चुत पे अभय का मोटा लम्बा गर्म लंड घिसते आगे पीछे होते मेहसूस कर रही थी ( काजल कापते हुवे मन मे अभय बेटे का लंड मेरे चुत को घिस रगर रहा है मा उफ़ मे फिल कर सकती हु अभय बेटे का लंड बहोत मोटा लम्बा है बस काजल को मेहसूस होता है कुछ उसकी चुत से बाहर निकलने वाला है
काजल पूरे बेचैन से बिस्तर को पूरी ताकत से कस के पकर् अपना पैर मारते तरपते बिस्तर पे मछली कि तरह छतपटाते हुवे आखो मे आसु लिये मन मे रोते हुवे - नही नही नही प्लेस नही मे झर नही सकती मुझे अपने आप को रोकना होगा ये होना नही चाहिये अभय बेटा क्या सोचेगा ( अभय काजल को इतना मचलते पैर मारते आखो मे आसु देख अभय समझ जाता है मामला क्या है लेकिन अभय भी उस मोर पे था जहा वो खुद रुक नही सकता था

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अभय अपना कमर गांड हिलाते हुवे और तेज अपना लंड काजल के चुत पे घिसने लगता है साथ मे काजल के चूचे बदन को भी चुमे चाटे जा रहा था अभय का लंड पूरा टाइट लोहे जैसा था काजल से चड्डी नही पहनी थी नतीजा अभय अपना लंड पीछे कर तेज धक्का मरता है और होता ये है अभय का लंड लोहे का बन गया था लम्बा भी था तो सारी के साथ ही अभय का लंड का टोपा काजल के चुत के फाके फैला के थोरा अंदर सारी के साथ घुस जाता है ये मेहसूस कर काजल जो अपने आप को रोके हुई थी दर्द मे रोते हुवे - मा नही करते हुवे काजल कमर गांड उपर उठा उठा के झरने लगती है काजल का पूरा सरीर कापते हुवे झटके मारे जा रहा था और काजल एक मिनट तक बिस्तर पकरे गांड उठा उठा के झरते रहती है

आयन भी काजल के चुत मे अपने लंड का टोपा फिल कर आह करते झर जाता है अभय के लंड का तोप काजल के बस चुत के मुह तक गया था सारी की जगह नाइटी होती तो पूरा घुस जाता
काजल कापते रहती है पूरा सरीर काजल का कप कपा रहा था आखो से आसु बेह रहे थे और कई साल से जबा हुआ चुत का रस काजल आज निकाल चुकी थी काजल की सारी अंदर से खराब हो गई थी और अभय का पैंट भी अभय काजल के ऊपर गिर जाता है
काजल ने बिस्तर जो कस के पकरे थे छोर देती है पैर नीचे कर लेती है सासे तेज चल रही थी पूरा सरीर पसीने से भीगा हुआ था पर काजल के आखो से आसु रोकने का नाम नही ले रहा था
2 मिनट बाद
अभय को अब एहसास होता है उसने क्या कर दिया सेम काजल भी आखो मे आसु लिये समझ चुकी थी इतना आगे नही जाना था
अभय काजल के ऊपर से साइड मे बिस्तर पे लेत जाता है काजल करवट लेके दूसरी तरफ चेहरा कर सिसक सिसक् कर रोने लगती है
काजल को रोता देख अभय के दिल मे दर्द होता है अभय काजल की तरफ करवट लेके काजल के बाजू पकर अपनी तरफ घुमा के देखता है तो काजल का चेहरा आसुओ से भीगा हुआ था काजल की ऐसी हालत देख अभय के आखो से भी आसु आ जाते है काजल जब अभय को रोता देखती है तो काजल के दिल मे भी दर्द होने लगता है
अभय काजल के आसु साफ कर रोते हुवे - बुआ माफ कर दो सब मेरी गलती है मे जो कहता गया आपने क्या लेकिन इस बार मे रुक नही पाया मे आपका गुनेगार् हु आप जो सजा दोगे मुझे मंजूर है
काजल अभय के आसु साफ कर - पागल तु कियु रोता है गलती जो तूने क्या मेरी मर्जी से किया हा इस बार जायदा हो गया
अभय काजल को देख - माफ कर दो बुआ
काजल अभय को अपने नंगे चूचे से सता के बाहों मे लेके - मे गुस्सा नही हु तुम बुरा फिल मत कर
अभय आखो मे आसु लिये काजल की आखो मे देख - मेरी कसम
काजल अभय को देख मुस्कुराते हुवे - हा तेरी कसम
अभय काजल के गले लगा के बाहों मे कस - थैंक्स बुआ आप बहोत अच्छी है
काजल अभय के बाल सेहलाते हुवे - मेरा बच्चा अच्छा अब छोर मुझे बाहर जाना है
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - आपके कपड़े सब गिले हो गये मेरे भी
काजल सर्म से पानी पानी होते हुवे - छी बेसर्म मारुगी
काजल सर्म से लाल खरी होके ब्लाउस मे चूचे कस बटन लगा के सारी अच्छे से पेहन बाहर जाने लगती है
अभय - मुझे भी लगी है
काजल फिर सर्म से पानी पानी हो जाती है
काजल सर्म से - ठीक है चल
अभय खुश हो जाता है
दोनो घर के पीछे आते है
काजल अभय को देख सर्म से - जा आगे कर ले मे
अभय मुस्कुराते हुए आगे जाके पिसाब करने लगता है काजल भी एक जगह बैठ तेज धार मारते हुवे पिसाब करने लगती हो काजल के चुत पानी से गिला था लेकिन अब सुख गया था
काजल मन मे - उफ़ अजीब गिला गिला लग रहा है आज ऐसे हि सोना परेगा
काजल अभय कमरे मे आते है
अभय - बुआ गंदे सारी मे ही सोयेगी
काजल सर्म गुस्से से - तो कहा से लाउ
अभय - माफ करना बात तो सही है मेरा चड्डी गिला है बदलना है
काजल फिर सर्म से पानी पानी होके दूसरी तरफ घूम - बदल ले
अभय पैंट निकाल गीली चड्डी निकाल काजल को देख - आप देखना चाहती है तो देख सकती है
काजल तेज सासे लेते हुवे सर्म से कापते होठो से - बेशरम बहोत बोलने लगा है सर्म कर
अभय भी चड्डी बदल एक जगह रखते हुवे हस के - अच्छा
अभय फिर बिस्तर पे आके काजल को बाहों मे लेके आखो मे देख - मजा आया ना आज मेरी बुआ डार्लिंग
काजल अभय के सीने मे अपना चेहरा छुपा के - बेटा मत कर ऐसी बाते सर्म आ रही है
अभय काजल को बाहों मे कस लेता है काजल भी अभय की बाहों मे समा जाती है
अभय मन मे - काजल बुआ बहोत शर्मा गई है तो फिर कभी पूछ लुगा लेकिन एक बात का एहसास हो गया आज मे बुआ से प्यार करने लगा हु इस लिये कल मे बुआ को गर्लफ्रेंड बनने के लिये परपोस् करुगा
आज के लिये इतना ही







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