chapter 1
PBA रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 2 पे b11 ट्रेन pba स्टेशन से 24 घंटे की सफर कर ssa के लिये निकलने वाली थी अनासमेंट बार बार हो रही थी की pba ट्रेन 10 मिनट मे अपने मजिल् के लिये रवाना होगी कई सारे यात्री तो लेट हो चुके थे जल्दी जल्दी अपने बोगी मे चड रहे थे चारों तरफ सोर सराबा था
लेकिन खिरकी के सीट पे एक लरका जिसने जीन्स सर्ट पेहना था बैठे खिरकी के बाहर देखे जा रहा था लरका बहुत हैंडसम था हाथो मे एक घरी गले मे एक लोकेट था लरके को कोई सोर सराबा सुनाई नही दे रहा था ना ही उसे ये पता था कोन उसके सामने वाली और उसके सीट पे कोन बैठ रहा है कियुंकी लरका बाहर किसी चीजो पे फोकस कर कही खोया हुवा था उस लरके के चेहरे पे खुशी गम दोनों थे लेकिन कोई भी उस लरके के चेहरे को देख बता नही सकता था की वो लरका खुश है या दुखी है
10 मिनट हो चुके थे ट्रेन एक जोर दार होर्रन मार अपने मंजिल की तरफ निकल परती है लरके को अहसास होता है ट्रेन चल परी है फिर भी ना वो अपने आस पास कोन बैठा है देखता है लरका बस बाहर देखे जा रहा था जैसे उनको आस पास किया हो रहा है उससे उसे कोई मतलम ही ना हो लरका अपने होठो को ठोरा खोल बस इतना केहता है धीरे से मा मे आ रहा हु
4 साल पेहले - जब हमारा हीरो 15 साल का था
संडे का दिन था एक कमरे मे अभय आराम से सोया हुवा था बिंदास कमरे मे आसा आती है और अभय को आराम से सोता देख उसके चेहरे पे एक बरी इस्माइल् आ जाती है आसा अभय के पास जाके बालों को गालो को सहलाते हुवे धीरे से प्यार से उठ जा मेरे लाल सुबह हो चुकी है कब तक सोता रहेगा तेरी गुरिया भाई दोनों कब का उठ चुके है
अपनी मा की प्यारी मीठी आवाज जैसे ही अभय के कानों मे जाती है अभय की नींद टूट जाती है अभय अपनी आखे धीरे के खोलता है तो उसके सामने आसा का प्यारा खूबसूरत चेहरा दिखाई देता है अभय अपनी मा को देख प्यार से मा सुबह सुबह जब मे आपकी मीठी आवाजे और आपका प्यारा खूबसूरत चेहरा देखता हु ना तो मेरा पुरा दिन अच्छा जाता है
आसा अभय को प्यार से गालो पे किस करते हुवे मुस्कुराते हुवे अच्छा ऐसा है किया मेरे लाल अभय अंगराई लेते हुवे उठ कर बैठ मा को देखते हुवे हा और आपकी किस्सी जब रोज सुबह मिलती है तो पूरा दिन बन जाता है आसा हस्ते हुवे अभय के गालो पे प्यार से चाता मारते हुवे शैतान लाडला
तभी अंदर मे सबकी लाडली अदिति आती है कमर पे दोनों हाथो को रखे हुवे अभय को देख एक प्यारा सा चेहरा बनाते हुवे भाई जब आप मेरा चेहरा देखते है तो अभय अदिति की तरफ थोरि देर देखता है और फिर अजीब सा चेहरा बनाते हुवे अदिति को देख जब सुबह तेरा चेहरा देखता हु तो पूरा दिन बेकार जाता है
अपने भाई की बात सुनने के बाद अपनी बइजति होने के बाद अदिति रोना सुरु कर देती है अदिति अपने हाथो से आखो को मलते हुवे बच्चो वाली आवाज मे रोते हुवे किया मे इतनी बुरी दिखती हु जो आपने मुझे ऐसा कहा आसा अदिति अभय को देख अपना सर पकर खरी होते हुवे तुम दोनों का ये रोज का नाटक है एक दूसरे मे जान बस्ती है तुम दोनों की लेकिन नाटक करना बंद नही करोगो आसा जाते हुवे मुझे बहोत काम है आसा ये केह चली जाती है
अभय अदिति को देखते हुवे मुस्कुराते हुवे अदिति के पास जाता है अदिति रोना बंद कर अभय को देखती है अभय अदिति के गालो को पकर दबा देता है अदिति के होठ खुल जाते है उसी के साथ अदिति का चेहरा बहोत फनी भी बन जाता है अभय के फनी चेहरे को देखते हुवे गुरिया चेहरा जब सुबह देखता हु ना तो मेरे चेहरे पे पूरे दिन इस्माइल् रेहती है
अदिति अपने भाई को देखती है फिर अपने भाई के हाथो से अपने चेहरे को छुराते हुवे अभय को देख मुह बनाते हुवे अच्छा सची मे आप झुठ तो नही बोल रहे है ना अभय अदिति के गालो पे किस करते हुवे सच्ची मे अब मे जाता हु अभय मुस्कुराते हुवे बाहर निकल आता है
अभय कमरे से बाहर आता है तो विनय रेडी होकर अपने कमरे से बाहर निकल रहा था विनय की नजर अभय पे जाती है विनय अभय के पास आते हुवे कियु रे इतनी देर कोन सोता है और तुम खुद सुबह कियु नही उठते अभय अपने भाई को देख मुस्कुराते हुवे भाई मा की मीठी आवाज सुने बिना मेरी नींद नही टूटती है
तभी अदिति गुस्से से लाल पीली होते हुवे चिलाते हुवे बाहर आते हुवे अभय को देख भाई आज मे आपको नही छोरुगी ये केह अभय के पीछे पर जाती है अभय अदिति को पूरे गुस्से मे देख समझ जाता है और अभय तेजी से घर के बाहर भागते हुवे गुरिया तुम मुझे पकर नही पाओगी बाय बाय गुरिया
अदिति घर के बाहर तक आती है लेकिन देखती है अभय कही दिखाई नही दे रहा है अदिति गुस्से से आपने अच्छा नही किया भाई जायेंगे कहा जब घर आयेगे तो आपको देख लुंगी
अदिति गुस्से मे इस लिये थी जब अदिति आईने के सामने जाके अपने गालो को पकर दबाती है जैसे अभय ने किया था तो अदिति देखती है उसका चेहरा बहोत अजीब फनी बन गया था ये देख अदिति को समझ मे आ जाता है की उसके भाई के केहने का किया मतलम था की उसका चेहरा देख पूरे दिन उसके चेहरे पे इस्माइल् रेहती है बस बेचारी इसी लिये बहोत गुस्सा थी अभय पे
विनय दोनों की नौटंकी देख ये दोनों का पता नही किया होगा आगे आशा विनय के पास आते हुवे जो होगा नेकिन इन दोनों की वजह से ही घर मे चहल पहल रेहती है विनय मा को देख मुस्कुराते हुवे आप ने सही कहा मा विनय फिर घर से बाहर जाते हुवे ठीक है मा खेतो से होकर आता हु आसा अपने कमरे मे जाते हुवे ठीक है बेटा विनय फिर निकल परता है अदिति गुस्से से अंदर आते हुवे देख लुंगी
अब जानते है अभय का घर कैसा है घर की हालत कैसी है
अभय का घर पूरा घास फुस का है चार कमरे है बीच मे बहोत बरा आगन्
एक कमरा आगन् दूसरा कमरा
बाथरूम
चौथा कमरा आगे मैन दरवाजा तीसरा कमरा
अभय खेतो की तरफ जाता है और आते टाइम कुछ दोस्त मिल जाते है तो दोस्तो से बातें भी करने मे लग जाता है
(परजेंट )
तभी वो लरका अपने यादों से बाहर आ जाता है उस लरके को एहसास होता है ट्रेन रुक चुकी है लेकिन फिर भी वो लरका जैसे का तैसा ही रेहता था हा ये लरका ही हमारा हीरो अभय है जो 4 साल बाद अपने घर जा रहा है
अभय के बिल्कुल सामने खिरकी के सीट पे एक बहोत ही खूबसूरत लरकी बैठी हुई थी उस लरकी की नजर सुरु से ही अभय को ही देखे जा रही थी लरकी के मन मे कई सवाल उठ रहे थे अभय को देख कर लरकी के बगल के एक लरका बैठा था और उस लरके के बगल मे अंकल ऑन्टी
लरकी अभय को उपर से नीचे देख मन मे आखिर ये हैंडसम लरका है कोन उसके चेहरे मे खुशी है और गम भी मे सुरु से ही देख रही हु 5 घंटे हो गये है लेकिन फिर भी ये लरका ना हिलता है ना ही आस पास किसी को देख रहा है जैसे इनको किसी से कोई मतलब ही नही है ना ही आस पास किया हो रहा है मुझे तो लगता है इस लरके ने मुझे भी अभी तक नही देखा होगा
लरकी फिर अभय के कमरे बॉडी चेहरे बालों के स्टाइल को देख मन मे कुछ भी कहो ऐसा हैंडसम अच्छे बॉडी वाले लरके को आज तक नही देखा लरकी फिर अपने आप को उपर से नीचे तक देखते हुवे हु मेरे दोनों बड़े बरे है पतली कमर है पीछे का दोनों बम भी बरे है चेहरा भी बहोत खूबसूरत है बोले तो मे भी बहोत खूबसूरत हु लरकी फिर अभय को देख ये लरका जब मुझे देखेगा तो देखता ही रेह जायेगा लरकी फिर मुस्कुराने लगती है ( लरकी अपने मन मे ही कई कहानी बनाये अभय को देखे जा रही थी )
ट्रेन कोई स्टेशन पे नही रुकी थी सिंगनल ना मिलने के कारन बीच मे रुकी हुई थी दोनों साइड खेत और छोटे मोटे जंगल झारीया थी कुछ किसान दूर दूर देखो मे काम करते दिखाई दे रहे थे
अभय की नजर उन किसान मे जाती है तो अभय को अपने गाव की याद जोरों से आने लगती है अभय के चेहरे पे एएम्प्रेसन चेंज होने लगते है जो की लरकी देख देती है लरकी अभय कि नजरो का पीछा कर बाहर देखती है तो पाती है अभय किसान लोगो को खेतो मे काम करते हुवे देख रहा है लरकी अभय को देखते हुवे मन मे लगता है ये लरका किसी गाव से है और उसे अपनी गाव की याद आ रही है लेकिन ये लरका अकेला है कहा गया था कितने समय बाद जा रहा है अपने गाव समझ नहीं आ रहा है मुझे तो ये लरका ही पूरा अजीब लग रहा है
अभय सब से अंजान बाहर किसानों को देखे जा रहा था तभी अभय की नजर अपने पास वाली झरियों पे जाती है जो हिल रही थी तभी उस झारियो से 2 लोग निकलते है दोनों 30 या 32 साल के थे नॉर्मल कपड़े पेहने हुवे अभय अपनी आखे पूरा फोकस कर दोनों कोई उपर से नीचे तक देखता है उनकी हरकत देखने का नजरिया अभय को उन दोनों को देख बुरी फीलिंग आती अभय को कुछ गर्बर् लगता है उन दोनों मे दोनों को देख समझ अभय की आखे फैल जाती है और अभय का सरीर हिलता है लरकी अभय कि हर हरकत को देख रही थी
अभय देखता है दोनों लोग नॉर्मल बाते करते हुवे ट्रेन कि तरफ बढ़ने लगते है अभय ये देख अपना सरीर सीधा करते हुवे सामने देखता है तो अभय को वही लरकी देखाई देती है लरकी भी अभय के पूरे चेहरे को अच्छे से हैरान हो जाती है उसी के साथ अचानक अभय को अपने आप को देखता देख थोरा शर्मा भी रही थी लेकिन उससे सर्म दूर हो जाते है जल्दी ही
अभय लरकी से अपनी नजरे हटा के अपने चारों तरफ पेहली बार नजरे दोराता है अभय अपने बगल मे देखता है तो एक अंकल और उसके बाद ऑन्टी और एक लरका था
लरकी अभय को अपनी तरफ ना देखता देख उसको अपनी बेज़ती मेहसूस होती है लरकी अभय को देख गुस्से मे ये लरका अपने आप को समझता किया है किया मे खूबसूरत हॉट नही हु जो वो मुझे देख नही रहा अरे मेरे पीछे तो कई लरको के लाइन लगे रेहते है जरूर ये लरका मेरे सामने कुल बनने की कोसिस कर रहा है ताकि वो मुझे इम्प्रेस कर सके ( लरकी अपनी कहानी खुद बना रही खुद से बातें भी करने मे लगी थी )
अभय एक बरी अंगराई लेते हुवे अपने सरीर को हिलाते हुवे हल्का करता है तभी सभी को चिलाने की और आवाजे सुनाई देती है दोनों तरफ से जिसे सुन सभी आवाज की तरफ देखने लगते है लेकिन अभय अपनी आखे बंद कर सीट से सत् सो जाता है
दो लोग जिसे अभय ने देखा था वो दोनों ट्रेन के अंदर आके गन से डरा के लोगो से पैसे वसूल रहे थे और लोग डर के मारे अपनी जान बचाने के लिये पैसे जो सब दे रहे थे ( जान है तो जहान है)
लरकी के पास बैठा लरका लरकी से डरते हुवे दीदी ट्रेन मे दो लोग आके लूट पाट कर रहे है और दोनों के हाथो मे गन भी है लरकी ये सुन हैरान और डर भी जाती है लरकी डरते हुवे सीट से उठ जाके धीरे से मुंडी आगे कर देखती है तो दोनों लोग उनके पास जल्दी ही आने वाले थे लरकी डरते हुवे उसकी सीट पे बैठे अंकल ऑन्टी से मा पापा अब हम किया करेगे अंकल पीछे देखते हुवे बेटा तुम अपनी सीट पे बैठ जाओ जाके उन लोगो को सिर्फ पैसा चाहिये वो लोग लोगो को नहीं मारेगे अगर सब आराम से सब दे देगे तो लरकी अपनी सीट पे जाके बैठ जाती है और अभय को देख हैरानी से मन मे ट्रेन मे दो लोग आके लूट पाट कर रहे है उनके हाथो मे गन है सभी डरे हुवे है लेकिन इसे देखो जरा कैसे आराम से बैठा हुवा है लरकी अपने बाल जोर जोर से खुजाते हुवे आखिर इस लरके कि प्रॉब्लम किया है
ट्रेन मे दो लोग जो गन दिखा के लूट रहे थे दोनों लोग दोनों तरफ से लोगो को लूटते हुवे आगे बढ़ रहे थे ताकि कोई भी भाग ना पाये आखिर कर एक बंदा अभय के पास आ जाता है
लुटेरा 1 - सभी को गन दिखा मे तुम लोगो के पास जो भी जल्दी जल्दी सब निकाल के मुझे दे दो
लुटेरो ने अंदर आने से पेहले अपने चेहरे पे रुमाल बाँध लिया था
लरकी के पापा जल्दी से पैसे जोकि बहोत ज्यादा थे निकाल के लुटेरे को देते हुवे केहता है ये लो बहोत ज्यादा पैसे है अंकल अपनी बेटी बेटा बीवी को देख ये मेरे बच्चे बीवी है उनके पास कुछ नही है इन लोगो को कुछ मत करो प्लेस
लुटेरा - अंकल से पैसे लेते हुवे चलो ठीक है तुम समझदार हो लगता है तुमने सब पैसे तो दे दिये जोकि बहोत है लेकिन लुटेरा लरकी ऑन्टी को देख इनके गले मे कान नाक मे जो है वो
अंकल - अपनी बीवी बेटी से जल्दी से सब देदो निकाल के
अंकल मन मे जान बहोत कीमती है जैसे भी मे बहोत अमीर हु पैसों की कोई कमी नही है मेरे पास घर पहुच कर इससे मेहगे गेहने खरीद दुगा
ऑन्टी लरकी जल्दी से डरते हुवे नाक नाक गले मे सोने का जो था सब उस लुटेरे को दे देते है
लुटेरा - मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छे बहोत अच्छे
लुटेरा फिर अभय के बगल मे जो लोग थे उनकी तरफ देखता है तो पेहले से ही सब के पास जो था निकाल के लुटेरे को दे देते है
लुटेरा - सभी को देख मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छे बहोत अच्छे
लुटेरा फिर अभय की तरफ देखता है जो आराम से आखे बंद कर सो रहा था
लुटेरा - अभय को देख इस लरके को पता भी है किया हो रहा है उसके आप पास कुम्भ करण की औलाद लगता है
लरकी - लुटेरे को देख डरते हुवे देखिये उस लरके को छोर दीजिये वैसे भी उसके पास से आपको जायदा कुछ नही मिलेगा वो तो देखने मे गरीब भी लगता है
लुटेरा - लरकी को देख मुस्कुराते हुवे कियु छोर दु ये तुमहारा कुछ लगता है किया वैसे भी हमारा रूल है हम किसी को नही छोरते अमीर हो या गरीब लुटेरा अभय के ऊपर गन तान ओये लरके अपनी आखे खोल कर देख और जल्दी से माल निकाल जो तेरे पास है
अभय अपनी एक आखे खोल लुटेरे को देखता है और लुटेरा जब तक समझ पाता अभय लुटेरे के जिस हाथो मे गन था उस हाथो को पकर तेजी से अपनी तरफ करता है और चार पाच बार तेजी से लुटेरे के सीने पे वार करता है लुटेरे को अपने पास को बचाने का समय भी नही मिलता है ना ही की मुह से कोई आवाज निकल पाती है और लुटेरा बेहोस हो जाता है अभय लुटेरे को पकर आराम से नीचे लेता देता है और गन को लेकर अपने पास रख लेता है
लरकी अंकल जो लोगो ने देखा था सभी पूरी तरह से हैरान अभय को देखे जा रहे थे लेकिन अभय किसी पे ध्यान नही देता है और अपने सर्ट को सही करता है फिर आगे बढ़ पीछे झाक दूसरे लुटेरे को देखता है जो सभी को लूटते हुवे उसी तरफ आ रहा था दूसरे लुटेरे को पता भी नही था उसके साथी के साथ किया हुवा है अभय आराम से एक जगह साइड मे छुप जाता है
जैसे ही दूसरा लुटेरा अभय के पास आता है अभय पेहले उस लुटेरे के हाथो पे वार करता है गन नीचे गिर जाती है लुटेरा अपने हाथ को पकरे दर्द मे अभय को देखता है लेकिन अभय बिना टाइम बर्बाद किये लुटेरे के सीने पे जोर का मुक्का मारता है लुटेरा दर्द मे चिलाते हुवे नीचे बैठ जाता है अभय गन उठा लेता है फिर उस लुटेरे को पकर सीने पे मार उसे भी बेहोस कर देता है और उस लुटेरे को अपने सीट के पास लाके पेहले लुटेरे के पास लेता देता है
उस अभय के पास वाले सभी अभय को आखे फार देख रहे थे लेकिन अभय अपने काम मे लगा हुवा था अभय अपना बैग नीचे से निकाल खोलता है और अंदर से रस्सी निकल दोनों लुटेरो के हाथ पैर बांध देता है और बैग को बंद कर अंदर रख देता है उसके बाद आराम से अपनी सीट पे अपने पैर पे पैर रख बैठ जाता है जैसे उसके लिये ये सब कुछ था ही नही
लरकी अंकल अभी भी अभय को हैरानी से आखे फ़ारे देखे जा रहे थे
अभय - उन सब को घूर ऐसे किया देख रहे हो मे इंसान ही हु अभय लुटेरो को देख इनके पास तुम सब का समान है उसे लेलो और बाकी सभी को भी कहो ले जाये अपना जो भी है
लरकी लरकी तो अभय के हिम्मत एक्शन और पेहली बार बोलता देख अभय की आवाज देख उसे कुछ कुछ होने लगता है
अभय की बात सुन जल्दी से जिनका अपना जो था पैसे गेहने सब ले लेते है लरकी भी अपना सब जो था ले लेती है थोरि देर बाद सभी को अपना समान मिल गया था अभय जिस बोगी मे था उस बोगी के सभी को पता चल चुका था अभय के बारे मे और सभी अभय के बारे मे ही बात कर रहे थे
अंकल - अभय को देख बेटा तुमने इतनी आसानी से गन लेस दोनों लोगो को कैसे पकर लिया किया तुम्हे डर नही लग रहा था कही तुम्हे गर्बर् हो जाता तो जो लोग मार देते तुम्हे
अभय - अंकल को देखता है और नॉर्मल खिरकी से बाहर देखते हुवे डर सब को लगता है मुझे भी लेकिन मेने खैर समझ लीजिये मुझसे हो गया बस
अभय की की बात किसी को सही से समझ नही आती है लेकिन किसी के अंदर हिम्मत नही थी सच पूछने की
अंकल - अभय को देख थैंक्स बेटा सब के लिये
अभय - अंकल को देख नॉर्मल तरीके से कोई बात नही
अंकल - अभय को देख अपना एक कार्ड अभय को देते हुवे मेरा नाम है जितेन् रावत जितेन् फिर अपनी बीवी को देख ये है मेरी बीवी सेखा रावत जितेन् बेटे को देख ये है मेरा बेटा बिपिन और लरकी की तरफ देख ये है मेरी बेटी है पायल
अभय कार्ड लेकर देखता है फिर अपनी जेब मे रख देता है
अंकल - अभय को देख बेटा उस कार्ड मे मेरा नंबर है कभी भी मेरी जरूरत परी तो जरूर मुझे फोन करना तुम मुझे बहोत हिम्मत वाले और एक अच्छे लरके लगे बेटा अब कम से कम अपना नाम तो पता दो ताकि हमे पता तो रहे की हमारे समान पैसे और खतरनाक लुटेरो को बहादुरी से पकरे वाला कोन था
अभय - अपनी नजर घुमाते हुवे अभय अभय सिंह नाम है मेरा अभय फिर खिरकी से बाहर खेतो मे काम कर रहे किसानों को देखने लगता है
लरकी - अभय को देख मुस्कुराते हुवे मन मे अभय अभय सिन्हा तुमहारा नाम में कभी भी नही भुलुगी
पायल - अपने पापा को देख पापा इस लुटेरे का किया करेगे
जितेन् - बेटा अब तो सीधा अपने ये ट्रेन अपनी मंजिल के ही जाके रुकेगी तो वही इन दोनों को पुलिस के हवाले कर देगे
पायल - अच्छा समझ गई पायल फिर अभय को देख मन मे थोरा गुस्से मे मुझे थोरा देख लेगा तो किया बिगर जायेगा इसका यहा मेरी जवानी है देखने के लिये लेकिन नही उसे तो बाहर ही देखना है कमीना कुता
( पास्ट 4 साल पेहले )
अभय घर आता है और अंदर जाके चारो तरफ देखता है जब अभय को अदिति कही दिखाई नही देती तो आराम से धीरे से जल्दी से अपने कमरे मे चला जाता है
अभय - अपने कमरे मे आके अपने सीने पे हाथ रख जोर से सासे छोरते हुवे चलो बच गया मे
तभी अचानक अभय के उपर कोई खुद अपना है पीछे से अभय इस हमले से अंजान था अभय सीधा बिस्तर पे गिरता है और अभय के उपर थी अदिति जो गुस्से से अभय को देखे जा रही थी
अभय - अदिति को देख डरते हुवे गुरिया मेने तो तुम्हे देखा था तुम दिखी नही थी लेकिन अचानक तुम कैसे अंदर आ गई
अदिति - अभय को देख शैतानी हसी हस्ते हुवे कियुंकी मे पेहले से ही इस कमरे मे थी भाई
अभय - के पसीने आने लगते है अभय डरते हुवे अदिति को देख लेकिन मेने तो अंदर आते वक़्त कमरे मे तुम्हे नही देखा था
अदिति - मुस्कुराते हुवे अभय को देख मेने आपको आते हुवे देख लिया था और मे पेहले ही आके आपके कमरे के दरवाजे के पीछे छुप गई थी
अभय - अदिति को प्यार से तुम तो मेरी गुरिया हो ना तुम मेरे साथ कुछ नही करोगी ना
अदिति - मुस्कुराते हुवे अभय को देख नही मे भला अपने प्यारे बरे भाई के साथ कुछ कैसे कर सकती हु बस आप ही मेरा मजाक उरा सकते है कियु सही कहा ना
अदिति ये केह अभय के सीने पे मुक्के से मारना सुरु कर देती है अभय दर्द से आह लग गई जोर से अदिति मारना बंद कर के कितना नाटक करते है मेने तो धीरे से ही मारा है अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे मुझे तू जोर से लगी
तभी आसा जोर से चिला के तुम दोनों का हो गया हो तो आके खाना खा लो आसा खाना लगाते हुवे जब देखो तब दोनों लरते रेहते है
मा की आवाज सुन अदिति अभय के उपर से नीचे उतर अपने कमर पे दोनों हाथ रख एतिटूट मे अपने भाई को देख दुबारा आगर आपने मेरा मजाक उराया तो छोरुगी नही
अभय डरते हुवे ठीक है गुरिया मे समझ गया
आशा खाना निकाल चुकी थी सभी आके बैठ खाना खाने लगते है
अभय मा के पास और अभय के पास अदिति फिर विनय
अभय - मा को देख मुह खोल आह करते हुवे मा मुझे खाना खिलाओ ना
अदिति - अभय की हरकत देख मा खिला दीजिये एक बच्चा आपको प्यार से केह रहा है बेचारा बच्चा खुद से खा भी नही सकता है
अभय - अदिति को घूर के देख गुरिया तुम मेरा मजाक उरा रही हो
अदिति - खाना कहते हुवे मुस्कुरा के सही समझे भाई
अभय - अदिति को देख देख लुगा तुम्हे
अदिति - हस्ते हुवे अभय को देख थोरि देर पेहले किया हुवा था भूल तू नही गये भाई
अभय अदिति तो देख मुह बना के याद है
आसा दोनों को देख तुम दोनों खाना खाते वक़्त तो खाना आराम से खाओ आसा फिर एक निवाला अभय के मुह मे डालते हुवे ले खाले अभय खाना खाते हुवे मा को देख आपके हाथो से खाना खाने के बाद खाने का स्वाद और बढ़ जाता है मा आसा अभय को देख मुस्कुरा देती है
अदिति - खाना खाते हुवे मुह बना के मा का लाडला बच्चा
विनय - अभय को देख सही कहा मा का लाडला ही है
अभय - विनय अदिति को देख हु तो आप लोगो को जलन हो रही है किया
विनय अदिति - खाना खाते हुवे हमे कियु होगी भला
अभय - अपनी मा को देख मुह खोल मा
आसा - मुस्कुराते हुवे एक निवाला अभय के मुह मे दाल देती है औद् अभय को देखते हुवे आज तो मा मा केह मेरे हाथो से बच्चो की तरह खाना खाता है लेकिन जिस जिन तेरी सादी होगी तो बीवी के हाथो से ही खायेगा मा के हाथो का खाना फिर अच्छा नही लगेगा
मा की बात सुन अभय अपनी मा के हाथो को पकर हाथो को चूमते हुवे मा का प्यार मा के हाथो से बने खाने का स्वाद लार दुलार अपने बच्चो के लिये फिकर अपने बच्चो के लिये सब कुछ सेह जाने वाली अपने बच्चो के लिये सब कुछ कर जाने वाली मा होती है और मा का मुकाबला इस दुनिया मे कोई नही कर सकता है मा मा होती है
अभय मा को प्यार से देख इस लिये मेरी दुनिया आप से है और रहेगी मा अगर आगे मेरी सादी होती है तो भी सब से पेहले मेरे लिये मेरी मा आगे रहेगी आपके बिना एक पल जीने के बारे मे सोच भी नही सकता
अभय की बात सुन आसा इमोसनल हो जाती है आसा अभय को अपने सीने से लगाते हुवे मेरे लिये भी तुम सब ही मेरी दुनिया हो आसा के आखो मे आसु आ गये थे अभय के आखो मे भी आसु थे
विनय अदिति भी ये देख इमोसनल हो जाते है और खुश भी
( रात 9 बजे )
एक कमरे मे अभय विनय अदिति तीनों भाई बेहन एक साथ बैठ पढाई करने मे लगे थे जोरों सोरों से कियुंकी तीनों को पता था की उसकी मा किस तरफ से उनको पालती आ रही है इस लिये सभी पढ लिख कर बरा आदमी बन अपनी मा को पूरी दुनिया की खुशी देना चाहते थे
तो वही आसा अपने कमरे मे आखे बंद किये हुवे लेती थी लेकिन सोई हुई नही थी आसा के दोनों पैर उपर उठें फैले हुवे थे उपर से आसा ने चड्डी नही पेहना था तो आसा का सब कुछ साफ दिख रहा था

बोले तो आसा की फूली मोटी चुत साफ दिख रही थी अगर कोई अंदर आ जाये तो उसको आसा का खजाना जो ऐसे ही बेकार हो रहा था दिख जाता
आसा आखे बंद किये लेती हुई अपने पुराने पल मे चली जाती है
एक कमरे मे आसा अपने पति के ऊपर थी और जोर जोर से अपने पति के लंड की सवारी किये जा रही थी आसा जोस मे थी पूरी

आसा को पूरा मजा चाहिये था इस लिये खुद अपनी चुत मे लंड जोर जोर से उपर नीचे गांड करते हुवे अपनी पति का लंड चुत की गहराई मे लिये जा रही थी
आसा एक संस्कारी सर्मिलि साफ दिल की औरत जरूर है लेकिन जब पति से प्यार लेने का वक़्त आता था तो पीछे नही हटती थी ना सरमाती थी
सब कुछ सही चल रहा था समय गुजरा आसा एक पेहले बेटे को जन्म दिया जिसका नाम आसा ने विनय रखा दूसरी बार भी आसा मा बनी और दूसरी बार भी आसा ने बेटे को जन्म दिया अभय तीसरी बार लरकी हुई जिसका नाम अदिति रखा गया
आसा बहोत खुश थी तीनों बच्चो को बहोत लाल दुलार से पालने पोसने लगी समय गुजरा विनय 12 साल को हो गया था तो वही अभय 11 अदिति 10 लेकिन यही वो समय था जब उमेस् सब को छोर अपने प्यार के साथ भाग गया
उसके बाद से ही आसा मे अपनी इक्छा जो मार अपना पूरा ध्यान बच्चो के देखभाल और उनके भविस्ये के लिये लगा दिया
आज चार साल हो चुचे है विनय 16 का अभय 15 का अदिति 14
आसा अपने ख्यालो से बहार आती है चेहरे पे दुख साफ दिख रहा था आसा करवट बदल आखे खोल के आप कियु चले गये जब मुझे और हमारे बच्चो को आपकी बहोत जरूरत थी
6 दिन बाद सनिवार् - दोपहर 11 बजे
स्कूल से आने के बाद खाना खाने के बाद विनय अदिति पढाई करने लग जाते है तो वही अभय अपने दोस्तो के साथ खेलने के लिये जाने लगता है आसा अभय को देख लेती है
आसा - अभय के पास आके फिर दोस्तो के पास जा रहे हो जल्दी आ आना
अभय - मा की बात सुन रुक कर पीछे देखता है तो आसा मुस्कुराते हुवे अभय को देखे जा रही थी
अभय मुस्कुराते हुवे आसा के पास जाके गले लगाते हुवे आपको पता ही है मेरी खूबसूरत मा मे जल्दी ही आ जायुगा अभय ये केह अपनी मा के गाल पे किस कर अलग हो जाता है
आसा - अभय के गालो पे किस करते हुवे मे जानती हु लेकिन किया करू तु पास नही रेहता है तो दिल घबराने लगता है
अभय - अपनी मा के हाथो को पकर हस्ते हुवे अरे मा मे मे कुछ देर खेलने की तो जा रहा हु जोकि मे रोज जाता हु फिर समय पे आ जाता हु आप को जानती ही है
आसा - अभय के सर सहलाते हुवे मुस्कुरा के जानती हु ठीक है जा और जल्दी आ जाना किसी से लराई मत करना
अभय - जाते हुवे मा आपको पता है ना मुझे लराइ करना बिल्कुल पसंद नही लराइ से मे तो दूर रेहता हु आप चिंता मत कीजिये ये केहते हुवे अभय घर से निकल परता है
आसा - अभय के जाते देखती है फिर अपने काम मे लग जाती है
दोपहर 12 बजे
अभय अपने दोस्तो के साथ घर से 10 मिनट की दूरी पे खेतो के बीच बहोत बरा पीपल का पेर था अभय वही छाव के नीचे अपने दोस्तो से बातें कर रहा था थोरि बातें खेलने के बाद अभय घर खेतो से होते हुवे जाने लगता है
अभय खेतो से होकर रोड पे आता है गाव के बीच से एक रास्ता ईट से बनाया गया था अभय उसी रास्ते से घर लौटने लगता है अभय चलते हुवे सरक पे जो छोटे पथर् परे थे उसे पैरो से मारते हुवे चल रहा था
तभी एक वेन आकर अभय के पास रुकती है अभय कुछ समझ कर पाता उससे पेहले एक बंदा तेजी से वेन से निकल अभय के मुह को रुमाल से दबा देता है अभय कुछ कर भी नही पाता और बेहोस हो जाता है एक बंदा वेन मे बैठा था वो जल्दी से दरवाजा खोलता है और दोनों अभय को पकर अंदर ले लेते है अंदर मे एक लरका और भी बेहोस परा था अभय को अंदर लेने के बाद वेन तेजी से आगे निकल परती है
आज के लिये इतना ही



