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Incest तीनो की संमति से .....

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Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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Funlover

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रमेश ने अब मंजू को थोडा आगे की ऑर किया और कान में फुसफुसाया “मंजू खुश हो ना !! मन से करा रही हो ना”|

मंजू ने उसके कान में भी फुसफुसाई “अब मेरे दो पति है जैसा की तुमने कहा है रमेश बस अब जो चाहो करो मेरी गांड को तुम्हारी इस ऊँगली से सन्तुष्ट करो मुझे मेरी गांड मरवाने से मजा आता है, मेरी गांड को उसका खुराक चाहिए ही चाहिए”|



अब मंजू को पूजा ने थोडा अलग किया और बिस्तर पे बिठाया और रमेश को एक बोबला देते हुए बोली “चलो अब इसे भी खाली करना है बाद में उसकी चूत से ज्यादा से ज्यादा पानी निकालना है”|



और पूजा ने एक बोबले को चुसना चालु कर दिया सामने रमेश को मंजू ने इशारा किया की दूसरा स्तन पे चालु हो जाओ| रमेश थोडा झुका और नीपाल को मुह में ले लिए| जैसे ही निपल उसके मुह में गई उसने थोडा काट लिया| तो मम्मी थोड़ी हिली और बोली: “पूजा क्या कर रही हो जरा धीरे से चूस ना तेरा माल थोड़ी है?” कह के उसके कुल्हे पे एक थप्पड़ लगा थी|

हालाकि ये रमेश का काम था पर पूजा ये समजी की उस से चूसते हुए कुछ हुआ तो कुछ नहीं बोली. पर मंजू ने रमेश के सर पर अपना हाथ फेराते हुए “ऊऊऊऊऊ हम्म्म्म सही है, मुझे मजा आ रही है आह्ह्ह”|



और उसने झुकी हुई पूजा की गांड में एक ऊँगली सरका दी और उसे चोद ने लगी| उसने देखा की उसकी गांड भीउसके चूत रस और जेल से भरी हुई है| थोड़ी मुस्कुराई और फिर से उसकी गांड मारने लगी और ये दोनौसके बोबले को रुई बना रहे थे| ये देख के मंजू बहोत खुश्हो रही थी उसकी चूत से भीअब काफी रस बहार आ रहा था| तभी एक हाथ उसके चूत पर जा गिरा उसने निचे देखा तो रमेश की उंगलिया उसकी चूत से खेल ने लग गयी थी| उसने रमेश को सर से पीठ तक हाथ पसारे जा रही थी और रमेश उसकी चूत से खेल रहा था| क्यों की उसकी चूत ग-string के सामने बाद इथिउसके चूत के होठ ग=बहार आ चुके थे तभी पूजा ने भी उसकी g-स्ट्रिं की एक डोर छोड़ दी बस अब क्या ख=एहना था, रमेश का था अब उसकी चूत के द्वार पे था और उंगलिया को उसके चूत रस से भिगो रहा था और थोड़ी देर में वो अप्निउन्ग्लिया चाट रहा था| “ऊउईईइ, aaah” के दोनों की मुह से आ रहे नारे रम को और भी मादक बना रहे थे और इस संगीत में रमेश खोया जा रहा था|



कभी कभी पूजा मम्मी की ऊँगली सही तरीके से पकड़ के अपनी गांड में डाल रही थी और संगीत की तर्ज बना रही थी और वही मंजू अपने बोबले को चुसे जाने की वजह से उसी संगीत को दुगुना कर रही थी| उसने अपब अपनी टाँगे फैला दी ताकि रमेश को सुहूलियत रहे उसकी भोस के साथ खेलने में| वो आँखे बंद कर के एक हाथ से पूजा की गांड मार रही थी तो दुसरे हाथ से वो धीरे धीरे रमेश के लंड की ऑर बढ़ रही थी| ये सब थोड़ी देर चलता रहा रमेश ने बहोत ज्यादती के साथ मंजू के निपल को चुसे थे, क्यों की जब उसने मुह को थोडा दूर ले जाके जितना उसकी निपल को खीच सकता था खीच के छुट गयी तो नीपाल एक धक्के से वापिस अपनी जगह पे आगे लेकिन तब उसकी निपल एक दम लाल हो गई थी| जब की पूजा अभी भी उसके निपल को मुह में लेके चूस रही थी|



जैसे ही रमेश उठ खड़ा हुआ उसका लंड मंजू के आगे आके खड़ा हो गया और अपनी हाजरी पुराने लगा| उसका लंड मंजू को सलामी देते हुए कह रहा था की तुम्हरे मुह को थोड़ी देर चोद ने के लिए दे दो|

मंजू से अब रहा भी नहीं जाता था उसका खुराक उसके सामने था पर ये पूजा थी जो किसी तरह उसे रोके राखी थी| लंड को देख के उसके मुह में पानी पानी भरा हुआ था और अभी उसका लंड मुह में समा लू अभी समा लू जैसा हाल था| उसने पूजा की गांड से ऊँगली निकल के चाट के फिर उसके लंड पर रख दिया और दूसरा हाथ रमेश की छाती के बाल से खेल रहा था| (लंड वैसे तो कुछ खास नहीं था पर मै यहाँ आप लोगो को अनुमान करने के लिए उसका विवरण नहीं दे रही|)



अब आगे रमेश से ही सुनते है की उसने क्या देखा और क्या किया|

बने रहिये
 
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Lovely..keep it going
 

Sexybabu

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Bhai kya chutiya Bana Rahe ho Bahan apne bhai se chudi kyuki uska husband use chudi nhi paya ab whi gandu husband bi bibi ki ma ko chodne ja rha hai wahhh
 

gop1

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Nice beautiful update
 
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LUSSY

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GOOD STORY KEEP IT UP
 

Funlover

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Bhai kya chutiya Bana Rahe ho Bahan apne bhai se chudi kyuki uska husband use chudi nhi paya ab whi gandu husband bi bibi ki ma ko chodne ja rha hai wahhh
Aap ** ban hi rahe ho to mai kya kar sakti hu?

Chalo maan liya mai **** bana rahi hu par aap kyu ban rahe hai?

Kher aap ne puri kahani nahi padhi aur end tak padhna shayad aap ko aap ka sawal ka javaab mil jaye.

Aap ka javaab vaise mere pichhle koi episode mai hai dhundh lijiye ya fir end tak padhte rahiye

Tab tak agar aap ki ichchha ho to **** bante rahiye.... Word mai nahi likh rahi....

Thanks for comment
 
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Funlover

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GOOD STORY KEEP IT UP
Thank you for n appreciation
Stay tuned
 

Funlover

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सासुमा ने धीरे से अपना हाथ मेरी नाभि के नीचे लाया लेकिन फिर झिझकते हुए रुक गई। मैंने उसकी ओर मुस्कुराया और उसके हाथ को नीचे मेरे लंड तक ले गया। जैसे ही उसका हाथ मेरे लंड को छूता है, मैं खुशी से उछल पड़ा, और मेरे होंठों से कराह निकल जाती है। “आआआह्ह्ह्ह”

मेरे सामने पेरी स्वप्नसुंदरी थी और वो अब मेरा लंड से खेलने को उत्साहित थी|

मेरा लिंग अभी भी छिपा हुआ था अपनी चमड़ी के seath में। मैंने अपना हाथ मंजू के हाथ पर रखा और उसे अपनी उंगलियाँ मेरे लंड के चारों ओर लपेटने को कहा। मंजू थोडा मुस्कुराई और मेरे लंड को पकड़ लिया। उसने उसे अपने हाथों में पकड़ा, उसका आकार बढ़ता गया। वह चुप थी लेकिन उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं। उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी। उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था लेकिन वह अभी भी उसे हिला नहीं रही थी।

तभी पूजा बोली: “क्या मोम अभी भी शरम महसूस कर रही हो या मेरे सामने नहीं कर सकती? चलो आगे बढ़ो मै अब नहीं देखूंगी बस”?

मैं अब बेशर्मी से जोर-जोर से कराह रहा था। एक तो मेरी स्वप्नसुंदरी और उसमे भी सासुमा और मेरा पहला नशा जो मैंने कब से पाल रखा था| सासुमा को शर्म आ रही थी। या फिर साली नाटक कर रही थी तय करना मुश्किल था| आखिर भारतीय परंपरा में सास के लिए अपने दामाद का लंड हाथ में पकड़ना वर्जित है। और यह हो रहा था। शायद झिजक रही थी, मेरे पास शब्द नहीं थे। मुझे नहीं पता था कि क्या कहे। यह बहुत अप्रत्याशित था। उसे सख्त लंड का एहसास अच्छा लगा और साथ ही वह भाग जाना चाहती थी क्योंकि मैं उसका अपना दामाद था। खैर चुपचाप अब वो मेरे लंड की पूरी लम्बाई पर अपना हाथ फिरा रही थी।

मैंने पूजा की तरफ देखा। पूजा इस शो का मज़ा ले रही थी। उसने अपना अंगूठा हवा में उठाया और मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया।

मैंने अपना शर्ट उतार फेका और संपूर्ण नग्न हो गया ससुमा ने कुछ नहीं कहा क्योंकि उसकी नज़र मेरे धड़कते हुए लंड पर टिकी हुई थी।

मैं बेशर्मी से कराह रहा था और वो इसका मज़ा ले रही थी। उसे मेरे नंगे लंड को इस तरह देखने की उम्मीद नहीं थी बल्कि उसे पकड़कर जल्दी से मुठ मारने की उम्मीद थी, लेकिन यहाँ मैं बिना किसी कपड़े के लेटा हुआ था और वो मेरे लंड को रोशनी में पकड़े हुए थी।

मंजू भी अब गर्म और कामुक हो रही थी और उसकी चूत में चूत का रस बह रहा था और गीली हो रही थी। वो बेशर्मी से मेरे लंड की लम्बाई पर हाथ फिरा रही थी और मुझे अच्छी तरह से हस्तमैथुन करवा रही थी। मैंने उसकी चूत की तरफ अपना हाथ बढाया तो मंजू के पैर अपने आप फ़ैल गए ताकि मेरा हाथ सही जगह पहुचे, मैंने मेरे हाथ को उसकी भोस पर ले गया जी काफी गीली थी, और क्यों ना हो कब से बेचारी गरम हो राखी थी पता नहीं पहले पूजा के साथ बाद में मेरे साथ खेल रही थी| मैंने उसका चुतरस को अपने ऊँगली पे लिया और आराम से चाट गया जिस को देख के वो और भी कामुक हो गई लगती थी|

“वाह क्या स्वाद है मंजू तेरे इस चूत में मुझे ये स्वाद कब से चाहिए था जो आज पूरा हो गया” मैंने झुक कर उसके स्तनों को थोडा दबाते हुए कहा|

मेरा लंड का सिर आंशिक रूप से लंड की ढाल के नीचे ढका हुआ था। जब वो अपना हाथ नीचे ले जाती, तो मांस (चमड़ी) खिंच जाता और लंड का सिर अपनी सीमा से बाहर आ जाता और जब वो अपना हाथ ऊपर खींचती, तो वो फिर से अपने आवरण में ढक जाता। मंजू इस खेल का आनंद ले रही थी। वो अपनी चूत को छूना और रगड़ना चाहती थी, लेकिन चूँकि वो मेरी सास थी, इसलिए वो मेरे सामने ऐसा नहीं कर सकती थी। लेकिन ये काम पूजा ने बड़ी आसानी से कर दिया, पूजा झुकी और उसनी चूत में अपनी उंगलिया डाली और सीधे मेरे मुह में रख दी और बोली: “जानू अब सब मजे ले ही लो ये लो तुम्हारा खुराक जिस के लिए तुम तड़प रहे थे”|

मैंने उसे अपना दूसरा हाथ मेरे अंडकोष के नीचे रखने और उन्हें सहलाने के लिए कहा। ससुमा ने तुरंत अपना दूसरा हाथ मेरे अंडकोष के नीचे रखा और अपने नाखूनों से उसके नीचे खरोंचना शुरू कर दिया। और मेरे सुपारे और अंडकोष से खेल ने लगी|

मैं सातवें आसमान पर था और अपनी सास से पहली बार हस्तमैथुन का आनंद ले रहा था। मुझे पता था कि मेरी पत्नी पूजा पीछे खड़ी थी और अपनी माँ को मेरे साथ काम करते हुए देख रही थी। और अपनी चूत और उसकी मा की चूत से खेल रही थी और मुझे ज्यादा कामुक बना रही थी|

ससुमा की चूत अब गीली हो रही होगी। क्यों की वो अब थरथरा रही थी मुझे लग रहा था की वो अभी अपना फुवारा छोड़ेगी| उसका सिर घूम रहा था और वह हाथ में लिए लंड की खूबसूरती में खोई हुई थी। मुझे लग रहा था कि मेरा चरमोत्कर्ष करीब आ रहा है।

मैंने एक और कदम उठाया और जल्दी से बोला,"सासुमा! यह आने वाला है। मेरा माल अब छूटेगा, हे भगवान, मैं स्खलित होने वाला हूँ। सासुमा! यह पूरे बिस्तर और तुम्हारे हाथों को गंदा कर देगा। कृपया जल्दी करो और इसे ढकने के लिए अपना मुँह लगाओ।"

मैं जल्दी-जल्दी कर रहा था और ऐसे हिल रहा था जैसे मैं स्खलित होने वाला हूँ। सासुमा हैरान थी और उसे नहीं पता था कि क्या कहना है। हालाँकि वह अब बहुत कामुक हो चुकी थी और उसकी चूत उसके रस से गीली हो चुकी थी। लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि मैं उससे अपना लंड मुँह में लेने के लिए कहूँगा।

मैंने फिर से जल्दी की और इससे पहले कि सासुमा कुछ बोल पाती, मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन के पीछे रखा और उसका चेहरा अपने सख्त लंड पर खींच लिया। इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, उसका मुँह मेरे लंड के सिर के पास था। उसके होंठ अपने आप खुल गए या शायद वो कुछ कहना चाहती थी, लेकिन तब तक मैंने उसे नीचे खींच लिया और उसके खुले होंठ मेरे गर्म लंड को छू गए।

उसके मुँह से कराह निकली और उसके खुले होंठ मेरे लंड पर फिसल गए और करीब 2 इंच लंड उसके मुँह में था। ससुमा स्तब्ध थी लेकिन ये मेरे लिए बहुत ज़्यादा था। मैंने अपने श्रोणि को ऊपर की ओर झटका दिया और मेरा आधा लंड उसके मुँह में था। इससे पहले कि ससुमा कुछ सोच पाती, उसके होंठ मेरे लंड से चिपक गए और उसका मुँह अपने आप मेरे लंड पर चलने लगा। उसके गाल अंदर की ओर खिंच गए और वो मेरे लंड को कैंडी की तरह चूसने लगी। मैंने उसे फिर से अपने लंड पर खींचा और अब मेरा लगभग पूरा लंड उसके मुँह में था। ससुमा अब स्वेच्छा से मुझे अच्छा मुखमैथुन दे रही थी। वह बहुत कामुक थी और उसने अपने गालों को अंदर की ओर खींचा हुआ था और मेरे कठोर लिंग पर अपना मुँह हिला रही थी। उसने उसे अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा था, इसलिए एक हाथ से वह उस पर चल रही थी और दूसरे हाथ से मेरे अंडकोषों के नीचे खरोंच रही थी।

अब यह दामाद या सास नहीं था, बल्कि यह शुद्ध वासना थी।

वह मुझे जोर-जोर से चूस रही थी और उसका एक हाथ उसकी उसकी योनि पर फिसल गया। जहा पूजा पहले से मौजूद थी पर अब हालत देखते हुए वो कड़ी हो के तमाशा देखने लगी, मंजू बेशर्मी से अपनी योनि को रगड़ रही थी। मैंने पूजा की ओर देखा और मेरी पत्नी जो की वो मेरे बगल में खड़ी थी और अपनी माँ को अपने दामाद का लिंग चूसते हुए देख रही थी। जैसे ही हमारी आँखें मिलीं, उसने आँख मारी और मुझे उत्साहित करने के लिए अपना अंगूठा उठाया और आगे बढ़ने का संकेत दिया। चूसने सहज क्रिया थी और सासुमा ने इसे किया था। वह यह सब देखकर बहुत खुश दिख रही थी।



यह मेरे लिए भी बहुत ज़्यादा हो रहा था। मैं अब और नहीं रोक पाया और चिल्लाया, "मंजू मेरी जान! जल्दी चूसो। मैं झड़ने वाला हूँ। हे भगवान हे भगवान........"

और इसी के साथ मैंने अपनी कमर को ऊपर खींच लिया और अपना लंड अपनी ससुमा के मुँह में पूरा घुसा दिया। मेरा लंड जोर-जोर से फड़कने लगा और उसके सिरे से वीर्य की एक पतली सी धार निकली और ससुमा के गले से होते हुए सीधे उसके पेट में चली गई। इसके बाद एक और छोटी धार निकली। तब तक ससुमा ने अपने गालों को मेरे फड़कते हुए लंड के चारों ओर कस लिया और मैं जोर-जोर से कराहता रहा और हिंसक रूप से उछलता रहा। ससुमा ने मेरा सारा वीर्य पी लिया और फिर भी उसने मेरे लंड को अपने मुँह में रखा और लॉलीपॉप की तरह चाटती रही। वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे वो आम हो और उसे उसका सारा रस चूसना हो।

मेरा लंड सिकुड़ गया और फिर ससुमा ने उसे अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। वो उसकी लार से चमक रहा था। अब ससुमा बहुत गर्म हो गई थी और उसकी अपनी चूत वासना से जल रही थी।

उसने तुरंत अपना हाथ हटा लिया, लेकिन इसके कारण मेरा अपना हाथ सीधे उसकी चूत पर आ गया। जैसे ही उसकी फूली हुई चूत मेरे हाथों में आई, मैंने उसकी चूत को अपने हाथों में लिया और अपनी मुट्ठी में दबा लिया। ससुमा जोर से कराह उठी, लेकिन उसने मेरे हाथ को अपनी योनि से दूर धकेलने की कोशिश की। लेकिन मैंने उसकी योनि को हथेली में पकड़ा और अपनी उंगलियों को उसकी योनि की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया। इससे वह शांत हो गई और वह भी धीरे-धीरे कराहने लगी।

पूजा अब आगे बढ़ी और मंजू को बिस्तर में सुला दिया और बोली : “रमेश आओ अब तुम मेरी मा के खजाने को देखो और उसे चुसो उसमे काफी माल भरा पड़ा हुआ है तेरे लिए”|

मै अब बिस्तर पे चढ़ गया और मंजू की चूत की तरफ बढ़ा, मंजू मंद मंद हस रही थी और मुझे आख से इशार आकिया की जाओ अब तुम मेरे उस कदों छेदों की मुलाक़ात ले ही लो| पूजा थोड़ी आगे की ऑर बढ़ी और उसने मंजू के पैर ऐलाने में मदद की क्यों की मंजू की अब हालत खराब थी वो अब जितना हो सके जल्दी ही शांत होना चाहती थी|

ससुमा स्वर्ग में थी। उसका अपना दामाद उसकी योनि को और उसकी अनलजेल से भरी हुई गांड को रगड़ रहा था। वह चाहती थी कि ऐसा हो, इसलिए उसने मेरे हाथ को धकेलने की कोशिश आधे मन से की। वो भी पूजा के होते हुए पर जब भी मौक़ा मिलता और हमारी आँखे मिलती वो आगे बढ़ने का इशारा कर ही देती|


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