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Erotica ड्रेगन हार्ट (लव, सेक्स एण्ड क्राईम)

parkas

Well-Known Member
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Update 036 -

मैं अपने रूम की तरफ जा ही रही थी कि तभी रास्ते में मुझे रघु मिल गया। तो मैं अपना सारा सामान और हैण्ड बैग उसे देकर बोली

निशा- यह मेरा सामना अपने पास रखो। मैं बापिस आकर तुमसे ले लूगी।

अब मेरे पास केवल मेरा मोबाईल और करीब 2 हजार रूपये कैश रह गए थे। जो मैंने अपनी जींस की पॉकेट में रखे हुए थे। मेरा पर्सनल मोबाईल और बाकी का सारा सामन मेरे हैंड बैग में था। जो मैंने रघू को दे दिया था। अपना सामान रघु को देने के बाद मैं होटल से बाहर निकल गई और पैदल ही उस पार्क की तरफ बड गई। करीब 10 मिनट बाद ही मैं उस पार्क के अंदर थी। इस वक्त पार्क पूरी तरह से खाली था। जिसे देखकर मेरी बुरी तरह फट गई थी।

मैं वहां से बापिस जाने ही बाली थी कि तभी अचानक से एक आदमी मेरे पीछे आया और उसने मेरे मूँह पर कपड़ा रख दिया। उस कपडे में से एक अजीब सी महक आ रही थी। इससे पहले मैं कुछ समझ पाती मेरी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा जिसके बाद मैं गहरी नींद में चली गई। जब मेरी आँख खुली तो मैं किसी खण्डहर में बंधी हुई जमीन पर पडी थी। मुझे आस पास कुछ लोगों की आवाजें आ रहीं थी। मैंने धीरे से अपनी आँखें खोली तो देखा वहाँ करीब 10-15 आदमी खडे हुए थे।

जिनमें से 3 लोगों को मैं तुरंत पहचान गई। उनमें से एक एम.पी. गवर्मेंट में मिनिस्टर प्रकाश राज था, दूसरा आदमी भोपाल के ए.पी. महेश वर्मा और तीसरा आदमी भोपाल का एक बड़ा बिजनेश मैन धनराज था। इन सभी के फोटो मैंने न्यूज पेपर में कई बार देखे थे। बाकी के सभी लोग मेरे लिए एकदम अंजान थे। जैसे ही मैं होश में आई तो मैं चीखते हुए बोली

निशा- क् कौन हो तुम लोग और मुझे यहाँ क्यों लाए हो।

मेरे चीखने से उन सभी की नजर मुझपर पडी, तो वे सभी लोग मेरे चारों तरफ खडे हो गए फिर उनमें से एक आदमी हंसते हुए बोला

“अच्छा तो तुम्हें होश आ गया”

इससे पहले बो कुछ और कहता खण्डहर के बाहर से तीन आदमी अंदर आये और बोले

“गनपत भाई इस लड़की के होटल रूम की अच्छी तरह से तलासी ली है। पर कुछ भी नहीं मिला“

गनपत वही आदमी था जो कुछ देर पहले मुझसे बात कर रहा था। उसका नाम सुनकर मैं उसे तुरंत पहचान गई। क्योंकि गगन के पिता का नाम भी गनपत था। इसलिए मुझे यकीन हो गया कि यह गगन के पिता गनपत ही हैं। उस आदमी की बात सुनकर गनपत गुस्से से बोला

गनपत- क्या बकवास कर रहे हो तुम। अगर माल इसके पास नहीं है तो फिर गया कहाँ

गनपत की बात सुनकर उसके पास में ही खड़ा एक दूसरा आदमी बोला

“अरे शांत हो जाओ गनपत, क्यों परेशान होते हो। ये लड़की है ना हमारे पास। यही बताऐगी कि हमारा माल कहाँ छिपा रखा है इसने“

गनपत- ठीक कहा जफर तूने, ये लडकी है ना… अब यही बताऐगी सब कुछ।

इतना बोलकर गनपत ने एक जोरदार लात मेरी गाँड पर मारी, जिस कारण मुझे तेज दर्द हुआ और मेरे मूँह से चीख निकल गई

निशा- आआआआआआहहहहहह

मेरे चीखने और मेरे दर्द की परवाह किए बिना गनपत गुस्से में बोला

गनपत- बता साली राण्ड….. कहाँ छिपा रखा है मेरा माल

गनपत की बात सुनकर मैं डरते हुए बोली

निशा- म माल….. कौन सा माल

गनपत- बही माल साली…. जो तूने मेरे बेटे गगन के घर से चुराया था

गनपत की बात सुनकर मैं अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली

निशा- क् कौन गगन…. मैं किसी गगन को नहीं जानती

लेकिन उन लोगों को मेरी किसी भी बात पर यकीन नहीं हो रहा था। इसलिए जफर गुस्से में बोला

जफर- लगता है ये साली बहनचोद ऐसे मूँह नहीं खोलेगी। ऐ एस.पी. जरा दिखा इसे अपनी पुलिस का पॉवर

जफर की बात सुनकर एस.पी. महेश वर्मा मुस्कुराते हुए मेरे पास आए और अपने हाथ में पकडी छडी से एक के बाद एक मेरी गाँड पर मारने लगे। महेश इतनी जोर से मुझे मार रहा था, जिससे मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई खौलता हुआ लवा मेरी गांड पर डाल रहा हो। दर्द के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी और मेरी आँखों से आँशू भी निकलने लगे थे। मैं लगातार दर्द से चीख रही थी

आआआआआआहहहहहह

आआआआआआहहहहहह

आआआआआआहहहहहह

आआआआहहहह बचाओ

मेरी इस हालत पर उन सभी को हंसी आ रही थी। तभी गनपत बोला

गनपत- हाँ हाँ चीख साली बहनचोद जितना चीखना है चीख, तुझे बचाने ले लिए यहाँ कोई नहीं आने बाला। इस वक्त तम भोपाल से बाहर जंगल में बने एक खण्डहर में हो। यहाँ दूर दूर तक तेरी मदद करने के लिए कोई नहीं है।

तभी एक दूसरा आदमी मेरे पास आकर बोला

“वस अब रुक जाओ महेश वर्ना, ये लडकी कुछ बोलने लायक नहीं रहेगी“

उस आदमी की बात सुनकर ए.पी. महेश बोला

महेश- अरे कुछ नहीं होगा जेलर सहाब। ये साली राण्ड है इसे तो इतना दर्द सहने की आदत होगी

तभी मंत्री प्रकाश राज बोले

प्रकाश राज- योगेश सही कह रहा है महेश, रुक जाओ शायद इतनी मार के बाद यब सब सच बताने के लिए मान जाऐ।

मंत्री जी की बात सुनकर महेश तुरंत रुक गया, जिसके बाद गनपत मेरे पास नीचे जमीन पर बैठते हुए बोला

गनपत- अब तुझे याद आया गगन कौन है

मैं दर्द के कारण रोते हुए बोली

निशा- हाँ हाँ याद आया। एक दो बार दोस्तों के साथ मिली हूँ उससे

गनपत- तू उसके घऱ भी गई थी…. है ना

निशा- हाँ। लेकिन अपनी मर्जी से नहीं गई थी। गगन ने मुझे ड्रिंक में कुछ मिलाकर पिला दिया था। जिसके बाद मुझे कुछ होश नहीं रहा। जब होश आया तो मैं बिना कपडों के उसके साथ सो रही थी। इसलिए मैंने जल्दी से अपने कपडे पहने और वहाँ से भाग गई।

मेरी बात सुनकर गनपत बोला

गनपत- और साथ मैं मेरा माल लेकर भी भाग गई

मेरी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी, मेरा दिल कह रहा था कि उन्हें सब कुछ सच सच बता दूँ। पर मैं जानती थी कि सारा सच जानने के बाद वो लोग पक्का मुझे जान से मार देंगे, इसलिए मैं अपने आप को बचाने के लिए एक बार फिर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली

निशा- म माल कैसा माल…. मैं किसी माल के बारे में नहीं जानती

गनपत- झूठ बोल रही है तू। तूने ही मेरे बेटे के घर से बो दो बाक्स चुराए हैं।

निशा- मैं सच कह रही हूँ। मैंने गगन के घर पर कोई बाक्स नहीं देखे हैं

मेरी बात सुनकर गनपत ने एक जोरदार थप्पड मेरे गाल पर मारा, जिस कारण एक बार फिर मेरी चीख निकल गई

आआआआहहहहहह

निशा- मैं सच कह रही हूँ गनपत जी…. मुझे कुछ भी नहीं पता…. प्लीज मुझे जाने दो

गनपत मेरी बात पर ध्यान दिए बिना फिर से बोला

गनपत- कितनी तारीख को गई थी गगन के घर

निशा- त तीन नबम्बर की रात को

मेरी बात सुनकर जफर तुरंत बोला

जफर- उसी दिन तो माल आया था गनपत

जफर की बात सुनने के बाद गनपत गुस्से में मुझे घूरते हुए बोला

गनपत- कितने बजे गई थी उसके साथ

निशा- रात को 8 बजे मैं और गगन एक बियरबॉर में मिले थे। जिसके बाद वो मुझे अपनी कार में ले गया था। उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है। पर रात करीब 1 बजे के आस पास मुझे होश आया था। उस वक्त गगन मेरे बगल में ही सो रहा था। मैं बहुत डर गई थी। इसलिए मैं बिना उसे कुझ कहे वहां से भाग गई

मेरी बात सुनकर जफर थोडा चौंकते हुए बोला

जफर- तुम सच कह रही हो ना कि रात को 1 बजे तुम और गगन दोनों ही उसके घर पर थे

जफर की बात सुनकर मैं तुरंत बोली

निशा- हाँ मैं सच कह रही हूँ।

मेरा जबाब सुनकर जफर थोडा परेशान होते हुए बोला

जफर- तो फिर वो कौन था जो हमारा माल लेने आया था।

निशा- मुझे नहीं पता और तुम लोग किस माल की बात कर रहे हो। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।

मेरी बात सुनकर धनराज गुस्से से पागल होते हुए बोला

धनराज- हमारा करोडों का सोना और हीरों की बात कर रहे हैं हम। मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि हम इस लड़की से इतने प्यार से बात क्यों कर रहे हैं। साली को मारो तब जाकर सच बोलेगी

धनराज की बात सुनकर सभी लोग एक साथ मुझे लातों और डण्डों से मारने लगे। मेरे नाक से और मूँह से खून निकलने लगा था। तभी किसी ने मेरे पेट में एक लात मारी। एक दो दिन में ही मेरे पीरियड शुरू होने बाले थे। लेकिन इतनी पिटाई और दर्द के कारण उसी वक्त मेरे पीरियड शुरू हो गया। जिस कारण मेरी चूत से भी खून रिसने लगा था। मैं लगातार दर्द से चीख रही थी। पर किसी पर कोई फर्क नहीं पड रहा था और ना ही किसी को मुझ पर दया आ रही थी।

कुछ ही देर तक यूँ ही मार खाते खाते दर्द के कारण मैं बेहोश हो गई और जब मुझे दोबारा होश आया तो उस खण्डहर के कमरे में मेरे अलावा गनपत, जफर, मंत्री प्रकाश राज, एस.पी. महेश, जेलर योगेश और विजनेश मैन धनराज मौजूद थे। वो आपस में बातें कर रहे थे। दर्द के कारण मेरा बुरा हाल था। पर मैं अपने दर्द को किसी तरह बरदास्त कर चुपचाप उनकी बातें सुनने की कोशिश करने लगी। क्योंकि मैं जानती थी कि अगर उन्हें पता चल गया कि मुझे होश आ गया है, तो एक बार फिर वो मुझे टार्चर करना शुरू कर देंगे।

मुझे इस वक्त समय का कोई अंदाजा नहीं था पर उस कमरे से बाहर आती रोशनी से मैंने अंदाजा लगाया की शायद दोपहर होने बाली है। इसका मतलब था कि मैं सारी से रात वहाँ बेहोश पडी हुई थी। तभी एस.पी. महेश बोला

महेश- लगता है यह लड़की सच में कुछ नहीं जानती। बर्ना इतनी मार खाने के बाद तो मुर्दे भी बोलने लगते हैं।

जफर- तो फिर हमारा माल आखिर गया कहाँ

प्रकाश राज- शायद हमारा कोई दुशमन ले गया हो

गनपत- इस शहर में हमारा ऐसा कौन सा दुशमन पैदा हो गया जो हमारे माल को उठाने की हिम्मत कर सके

योगेश- क्या पता तुम्हारा ही कोई आदमी हो, बैसे भी माल कब और कहाँ आने बाला है यह बात केवल जफर और तेरा बेटा गगन जानता था

जेलर योगेश की बात सुनकर गनपत गुस्से से चीखता हुआ बोला

गनपत- क्या बकवास कर रहा है जेलर। तेरा मतलब है कि मैं और जफर तुम लोगों से झूठ बोल रहे हैं और हमने ही अपना माल कहीं गायव करवा दिया

प्रकाश राज- अरे गनपत योगेश का कहने का मतलब वो नहीं है। वो तो बस इतना बोल रहा है कि तुम्हारी गैंग में कोई गद्दार भी तो हो सकता है।

गनपत- मेरे सारे आदमी सालों से मेरे बफादार हैं। वो मेरे साथ धोखा नहीं कर सकते

प्रकाश राज- पैसा अच्छे अच्छों का ईमान खराब कर सकता है। बैसे भी तुम इतने सालों से जेल में हो और तेरा बेटा भी तेरी ही तरह अय्याशी में लगा रहता था। क्या पता गैंग के किसी आदमी को नशे की हालत में सब बक दिया हो।

मंत्री प्रकाश राज की बात सुनकर गनपत खामोश रहा। शायद उसे भी मंत्री की बात सही लग रही थी। तभी जफऱ बोला

जफर- अगर हमारे ही किसी आदमी ने गद्दारी की है तो फिर उसका जिंदा रहना हमारे लिए ठीक नहीं है। क्योंकि कोई नहीं जानता की हम सब पाटनर्स हैं। मेरे और गनपत के अलाबा बाकी किसी का कोई भी क्रिमनल रिकार्ड भी नहीं है। महेश और योगेश तो पहले से ही पुलिस डिपार्टमेंट में काम करते हैं। अगर उस गद्दार ने हमारा राज खोल दिया तो फिर सब खत्म समझो

गनपत- शायद तुम सही कह रहे हो। अगर कोई गद्दार है तो हम उसका पता लगा ही लेंगे।

धनराज- हाँ हाँ ठीक है पता करते रहना। पहले यह बताओ कि हमारा बाकी माल कहाँ है। कहीं इस माल की तरह वो भी तो किसी गद्दार के हाथ ना लग गया हो। अगर उसके बारे में किसी को पता चल गया, तो फिर हम सबकी हालत भिखारियों जैसी हो जाऐगी।

धनराज की बात सुनकर गनपत उसे समझाते हुए बोला

गनपत- तुम उसकी चिंता मत करो। हमारा बाकी का सारा माल पूरी तरह से सुरक्षित है।

धनराज- पर वो आखिर है कहाँ

गनपत- वो मैं किसी को नहीं बता सकता। अब मुझे किसी पर भी यकीन नहीं है। बस इतना समझ लो कि बो मेरी नजरों के सामने ही है।

योगेश- देखो गनपत अब हम लोग और लफडे में नहीं पडना चाहते। बैसे भी तुम्हारे जेल से भागने के कारण मुझ पर भी इन्क्वारी चल रही है।

गनपत- जेलर यह तेरी प्राब्लम है। बैसे भी मुझे जेल से भगाकर तूने कोई एहसान नहीं किया है। तू और एस.पी. केवल इसीलिए हमारे पार्टनर है, ताकि पुलिस बगैरह के लफडे से हमें बचा सकें और अगर हम में से कोई पकडा जाऐ तो जेल में हमारा पूरा ध्यान रखा जाऐ। बैसे भी वो सारा माल हमने इकट्ठा किया था।

गनपत की बात सुनकर जेलर योगेश गुस्से से बिफरता हुआ बोला

योगेश- तुम कहना क्या चाहते हो… तुम्हारा मतलब है कि उस माल में मेरा कोई हिस्सा नहीं है।

योगेश की बात सुनकर जफर उसे समझाते हुए बोला

जफर- गनपत का ऐसा कोई मतलब नहीं है

योगेश- तो फिर हमारा हिस्सा हमें दे दो। हम अब और यह सब नहीं कर सकते

गनपत- ओह तो अब तुम्हें अपना हिस्सा याद आने लगा, जेलर मैं तेरा और एस.पी. का प्लान अच्छी तरह समझ रहा हूँ। तुम लोग अपना हिस्सा लेकर मेरा इन्काऊंटर करवाना चाहते हो। पर मैं तुम्हारा प्लान कभी कामयाब नहीं होने दूँगा। अगर मुझे कुछ हुआ तो तुम सबका हिस्सा भी मेरे साथ हमेशा हमेशा के लिए चला जाऐगा। इसलिए अपना हिस्सा माँगने की जगह मुझे इस देश से बाहर निकालने के बारे में सोचो

प्रकाश राज- अरे यार तुम लोग आपस में झगड क्यों रहे हो और गनपत मैं गारंटी लेता हूँ कि कोई तुम्हारा इन्काऊंटर नहीं करेगा।

गनपत- मैं कुछ नहीं जानता। अगर अपना अपना हिस्सा चाहिए तो पहले मेरा विदेश जाने का इंतजाम करो। उसके बाद ही मैं सबको उनका हिस्सा दूँगा

गनपत की बात सुनकर जफर भी उसकी हाँ में हाँ मिलाता हुआ बोला

जफर- गनपत सही कह रहा है। अब हम दोनों को तुम लोगों पर कोई भरोसा नहीं है। बैसे भी दुनिया की नजर में हम दोनों की क्रिमनल हैं। अगर हमें कुछ हो गया तो किसी को कोई फर्क नहीं पडेगा, उल्टा तुम लोगों को इनाम मिलेगा। इसलिए पहले हमारे विदेश जाने के लिए नये नाम और पहचान के साथ बीजा और पासपोर्ट की जुगाड करो। विदेश में सेटल होने के 1 साल बाद हम फिर से इक्ट्ठे होंगे। तब हम सारा माल आपस में बांटकर अपने अपने रास्ते अलग कर लेंगे।

धनराज- हम तुम पर कैसे यकीन कर लें कि विदेश जाने के बाद तुम हमें हमारा हिस्सा दे दोगे

गनपत- बेबकूफ आदमी, माल तो यहीं भोपाल मैं है ना। उसे लेने तो हमें यहाँ आना ही पडेगा। बैसे भी इतना सारा सोना और हीरे हम अपने साथ नहीं ले जा सकते। हमारा जो माल गायब हुआ है, वो तो बस 20 पससेंट है। वाकि का 80 परसेंट माल अब भी हमारे पास सुरक्षित है। बैसे भी तब तक हम अपने बीच छिपे उस गद्दार का पता भी लगा लेंगे।

प्रकाश राज- मुझे लगता है कि जफर और गनपत ठीक कह रहे हैं। धनराज तुम इनके नये नाम और पहचान के लिए डॉक्यूमेंट तैयार करवा दो। मैं इनके बीजा और पासपोर्ट का काम देख लूँगा। रहा यहाँ से सुरक्षित जाने और बापिस आने का मामला तो वो महेश और येगेश देख लेंगे।

मंत्री जी की बात सुनकर वहाँ कुछ देर के लिए खामोशी छा गई।


कहानी जारी है ....
Bahut hi shaandar update diya hai redhat.ag bhai....
Nice and lovely update....
 

park

Well-Known Member
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Update 036 -

मैं अपने रूम की तरफ जा ही रही थी कि तभी रास्ते में मुझे रघु मिल गया। तो मैं अपना सारा सामान और हैण्ड बैग उसे देकर बोली

निशा- यह मेरा सामना अपने पास रखो। मैं बापिस आकर तुमसे ले लूगी।

अब मेरे पास केवल मेरा मोबाईल और करीब 2 हजार रूपये कैश रह गए थे। जो मैंने अपनी जींस की पॉकेट में रखे हुए थे। मेरा पर्सनल मोबाईल और बाकी का सारा सामन मेरे हैंड बैग में था। जो मैंने रघू को दे दिया था। अपना सामान रघु को देने के बाद मैं होटल से बाहर निकल गई और पैदल ही उस पार्क की तरफ बड गई। करीब 10 मिनट बाद ही मैं उस पार्क के अंदर थी। इस वक्त पार्क पूरी तरह से खाली था। जिसे देखकर मेरी बुरी तरह फट गई थी।

मैं वहां से बापिस जाने ही बाली थी कि तभी अचानक से एक आदमी मेरे पीछे आया और उसने मेरे मूँह पर कपड़ा रख दिया। उस कपडे में से एक अजीब सी महक आ रही थी। इससे पहले मैं कुछ समझ पाती मेरी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा जिसके बाद मैं गहरी नींद में चली गई। जब मेरी आँख खुली तो मैं किसी खण्डहर में बंधी हुई जमीन पर पडी थी। मुझे आस पास कुछ लोगों की आवाजें आ रहीं थी। मैंने धीरे से अपनी आँखें खोली तो देखा वहाँ करीब 10-15 आदमी खडे हुए थे।

जिनमें से 3 लोगों को मैं तुरंत पहचान गई। उनमें से एक एम.पी. गवर्मेंट में मिनिस्टर प्रकाश राज था, दूसरा आदमी भोपाल के ए.पी. महेश वर्मा और तीसरा आदमी भोपाल का एक बड़ा बिजनेश मैन धनराज था। इन सभी के फोटो मैंने न्यूज पेपर में कई बार देखे थे। बाकी के सभी लोग मेरे लिए एकदम अंजान थे। जैसे ही मैं होश में आई तो मैं चीखते हुए बोली

निशा- क् कौन हो तुम लोग और मुझे यहाँ क्यों लाए हो।

मेरे चीखने से उन सभी की नजर मुझपर पडी, तो वे सभी लोग मेरे चारों तरफ खडे हो गए फिर उनमें से एक आदमी हंसते हुए बोला

“अच्छा तो तुम्हें होश आ गया”

इससे पहले बो कुछ और कहता खण्डहर के बाहर से तीन आदमी अंदर आये और बोले

“गनपत भाई इस लड़की के होटल रूम की अच्छी तरह से तलासी ली है। पर कुछ भी नहीं मिला“

गनपत वही आदमी था जो कुछ देर पहले मुझसे बात कर रहा था। उसका नाम सुनकर मैं उसे तुरंत पहचान गई। क्योंकि गगन के पिता का नाम भी गनपत था। इसलिए मुझे यकीन हो गया कि यह गगन के पिता गनपत ही हैं। उस आदमी की बात सुनकर गनपत गुस्से से बोला

गनपत- क्या बकवास कर रहे हो तुम। अगर माल इसके पास नहीं है तो फिर गया कहाँ

गनपत की बात सुनकर उसके पास में ही खड़ा एक दूसरा आदमी बोला

“अरे शांत हो जाओ गनपत, क्यों परेशान होते हो। ये लड़की है ना हमारे पास। यही बताऐगी कि हमारा माल कहाँ छिपा रखा है इसने“

गनपत- ठीक कहा जफर तूने, ये लडकी है ना… अब यही बताऐगी सब कुछ।

इतना बोलकर गनपत ने एक जोरदार लात मेरी गाँड पर मारी, जिस कारण मुझे तेज दर्द हुआ और मेरे मूँह से चीख निकल गई

निशा- आआआआआआहहहहहह

मेरे चीखने और मेरे दर्द की परवाह किए बिना गनपत गुस्से में बोला

गनपत- बता साली राण्ड….. कहाँ छिपा रखा है मेरा माल

गनपत की बात सुनकर मैं डरते हुए बोली

निशा- म माल….. कौन सा माल

गनपत- बही माल साली…. जो तूने मेरे बेटे गगन के घर से चुराया था

गनपत की बात सुनकर मैं अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली

निशा- क् कौन गगन…. मैं किसी गगन को नहीं जानती

लेकिन उन लोगों को मेरी किसी भी बात पर यकीन नहीं हो रहा था। इसलिए जफर गुस्से में बोला

जफर- लगता है ये साली बहनचोद ऐसे मूँह नहीं खोलेगी। ऐ एस.पी. जरा दिखा इसे अपनी पुलिस का पॉवर

जफर की बात सुनकर एस.पी. महेश वर्मा मुस्कुराते हुए मेरे पास आए और अपने हाथ में पकडी छडी से एक के बाद एक मेरी गाँड पर मारने लगे। महेश इतनी जोर से मुझे मार रहा था, जिससे मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई खौलता हुआ लवा मेरी गांड पर डाल रहा हो। दर्द के कारण मेरी हालत खराब हो गई थी और मेरी आँखों से आँशू भी निकलने लगे थे। मैं लगातार दर्द से चीख रही थी

आआआआआआहहहहहह

आआआआआआहहहहहह

आआआआआआहहहहहह

आआआआहहहह बचाओ

मेरी इस हालत पर उन सभी को हंसी आ रही थी। तभी गनपत बोला

गनपत- हाँ हाँ चीख साली बहनचोद जितना चीखना है चीख, तुझे बचाने ले लिए यहाँ कोई नहीं आने बाला। इस वक्त तम भोपाल से बाहर जंगल में बने एक खण्डहर में हो। यहाँ दूर दूर तक तेरी मदद करने के लिए कोई नहीं है।

तभी एक दूसरा आदमी मेरे पास आकर बोला

“वस अब रुक जाओ महेश वर्ना, ये लडकी कुछ बोलने लायक नहीं रहेगी“

उस आदमी की बात सुनकर ए.पी. महेश बोला

महेश- अरे कुछ नहीं होगा जेलर सहाब। ये साली राण्ड है इसे तो इतना दर्द सहने की आदत होगी

तभी मंत्री प्रकाश राज बोले

प्रकाश राज- योगेश सही कह रहा है महेश, रुक जाओ शायद इतनी मार के बाद यब सब सच बताने के लिए मान जाऐ।

मंत्री जी की बात सुनकर महेश तुरंत रुक गया, जिसके बाद गनपत मेरे पास नीचे जमीन पर बैठते हुए बोला

गनपत- अब तुझे याद आया गगन कौन है

मैं दर्द के कारण रोते हुए बोली

निशा- हाँ हाँ याद आया। एक दो बार दोस्तों के साथ मिली हूँ उससे

गनपत- तू उसके घऱ भी गई थी…. है ना

निशा- हाँ। लेकिन अपनी मर्जी से नहीं गई थी। गगन ने मुझे ड्रिंक में कुछ मिलाकर पिला दिया था। जिसके बाद मुझे कुछ होश नहीं रहा। जब होश आया तो मैं बिना कपडों के उसके साथ सो रही थी। इसलिए मैंने जल्दी से अपने कपडे पहने और वहाँ से भाग गई।

मेरी बात सुनकर गनपत बोला

गनपत- और साथ मैं मेरा माल लेकर भी भाग गई

मेरी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी, मेरा दिल कह रहा था कि उन्हें सब कुछ सच सच बता दूँ। पर मैं जानती थी कि सारा सच जानने के बाद वो लोग पक्का मुझे जान से मार देंगे, इसलिए मैं अपने आप को बचाने के लिए एक बार फिर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली

निशा- म माल कैसा माल…. मैं किसी माल के बारे में नहीं जानती

गनपत- झूठ बोल रही है तू। तूने ही मेरे बेटे के घर से बो दो बाक्स चुराए हैं।

निशा- मैं सच कह रही हूँ। मैंने गगन के घर पर कोई बाक्स नहीं देखे हैं

मेरी बात सुनकर गनपत ने एक जोरदार थप्पड मेरे गाल पर मारा, जिस कारण एक बार फिर मेरी चीख निकल गई

आआआआहहहहहह

निशा- मैं सच कह रही हूँ गनपत जी…. मुझे कुछ भी नहीं पता…. प्लीज मुझे जाने दो

गनपत मेरी बात पर ध्यान दिए बिना फिर से बोला

गनपत- कितनी तारीख को गई थी गगन के घर

निशा- त तीन नबम्बर की रात को

मेरी बात सुनकर जफर तुरंत बोला

जफर- उसी दिन तो माल आया था गनपत

जफर की बात सुनने के बाद गनपत गुस्से में मुझे घूरते हुए बोला

गनपत- कितने बजे गई थी उसके साथ

निशा- रात को 8 बजे मैं और गगन एक बियरबॉर में मिले थे। जिसके बाद वो मुझे अपनी कार में ले गया था। उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है। पर रात करीब 1 बजे के आस पास मुझे होश आया था। उस वक्त गगन मेरे बगल में ही सो रहा था। मैं बहुत डर गई थी। इसलिए मैं बिना उसे कुझ कहे वहां से भाग गई

मेरी बात सुनकर जफर थोडा चौंकते हुए बोला

जफर- तुम सच कह रही हो ना कि रात को 1 बजे तुम और गगन दोनों ही उसके घर पर थे

जफर की बात सुनकर मैं तुरंत बोली

निशा- हाँ मैं सच कह रही हूँ।

मेरा जबाब सुनकर जफर थोडा परेशान होते हुए बोला

जफर- तो फिर वो कौन था जो हमारा माल लेने आया था।

निशा- मुझे नहीं पता और तुम लोग किस माल की बात कर रहे हो। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।

मेरी बात सुनकर धनराज गुस्से से पागल होते हुए बोला

धनराज- हमारा करोडों का सोना और हीरों की बात कर रहे हैं हम। मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि हम इस लड़की से इतने प्यार से बात क्यों कर रहे हैं। साली को मारो तब जाकर सच बोलेगी

धनराज की बात सुनकर सभी लोग एक साथ मुझे लातों और डण्डों से मारने लगे। मेरे नाक से और मूँह से खून निकलने लगा था। तभी किसी ने मेरे पेट में एक लात मारी। एक दो दिन में ही मेरे पीरियड शुरू होने बाले थे। लेकिन इतनी पिटाई और दर्द के कारण उसी वक्त मेरे पीरियड शुरू हो गया। जिस कारण मेरी चूत से भी खून रिसने लगा था। मैं लगातार दर्द से चीख रही थी। पर किसी पर कोई फर्क नहीं पड रहा था और ना ही किसी को मुझ पर दया आ रही थी।

कुछ ही देर तक यूँ ही मार खाते खाते दर्द के कारण मैं बेहोश हो गई और जब मुझे दोबारा होश आया तो उस खण्डहर के कमरे में मेरे अलावा गनपत, जफर, मंत्री प्रकाश राज, एस.पी. महेश, जेलर योगेश और विजनेश मैन धनराज मौजूद थे। वो आपस में बातें कर रहे थे। दर्द के कारण मेरा बुरा हाल था। पर मैं अपने दर्द को किसी तरह बरदास्त कर चुपचाप उनकी बातें सुनने की कोशिश करने लगी। क्योंकि मैं जानती थी कि अगर उन्हें पता चल गया कि मुझे होश आ गया है, तो एक बार फिर वो मुझे टार्चर करना शुरू कर देंगे।

मुझे इस वक्त समय का कोई अंदाजा नहीं था पर उस कमरे से बाहर आती रोशनी से मैंने अंदाजा लगाया की शायद दोपहर होने बाली है। इसका मतलब था कि मैं सारी से रात वहाँ बेहोश पडी हुई थी। तभी एस.पी. महेश बोला

महेश- लगता है यह लड़की सच में कुछ नहीं जानती। बर्ना इतनी मार खाने के बाद तो मुर्दे भी बोलने लगते हैं।

जफर- तो फिर हमारा माल आखिर गया कहाँ

प्रकाश राज- शायद हमारा कोई दुशमन ले गया हो

गनपत- इस शहर में हमारा ऐसा कौन सा दुशमन पैदा हो गया जो हमारे माल को उठाने की हिम्मत कर सके

योगेश- क्या पता तुम्हारा ही कोई आदमी हो, बैसे भी माल कब और कहाँ आने बाला है यह बात केवल जफर और तेरा बेटा गगन जानता था

जेलर योगेश की बात सुनकर गनपत गुस्से से चीखता हुआ बोला

गनपत- क्या बकवास कर रहा है जेलर। तेरा मतलब है कि मैं और जफर तुम लोगों से झूठ बोल रहे हैं और हमने ही अपना माल कहीं गायव करवा दिया

प्रकाश राज- अरे गनपत योगेश का कहने का मतलब वो नहीं है। वो तो बस इतना बोल रहा है कि तुम्हारी गैंग में कोई गद्दार भी तो हो सकता है।

गनपत- मेरे सारे आदमी सालों से मेरे बफादार हैं। वो मेरे साथ धोखा नहीं कर सकते

प्रकाश राज- पैसा अच्छे अच्छों का ईमान खराब कर सकता है। बैसे भी तुम इतने सालों से जेल में हो और तेरा बेटा भी तेरी ही तरह अय्याशी में लगा रहता था। क्या पता गैंग के किसी आदमी को नशे की हालत में सब बक दिया हो।

मंत्री प्रकाश राज की बात सुनकर गनपत खामोश रहा। शायद उसे भी मंत्री की बात सही लग रही थी। तभी जफऱ बोला

जफर- अगर हमारे ही किसी आदमी ने गद्दारी की है तो फिर उसका जिंदा रहना हमारे लिए ठीक नहीं है। क्योंकि कोई नहीं जानता की हम सब पाटनर्स हैं। मेरे और गनपत के अलाबा बाकी किसी का कोई भी क्रिमनल रिकार्ड भी नहीं है। महेश और योगेश तो पहले से ही पुलिस डिपार्टमेंट में काम करते हैं। अगर उस गद्दार ने हमारा राज खोल दिया तो फिर सब खत्म समझो

गनपत- शायद तुम सही कह रहे हो। अगर कोई गद्दार है तो हम उसका पता लगा ही लेंगे।

धनराज- हाँ हाँ ठीक है पता करते रहना। पहले यह बताओ कि हमारा बाकी माल कहाँ है। कहीं इस माल की तरह वो भी तो किसी गद्दार के हाथ ना लग गया हो। अगर उसके बारे में किसी को पता चल गया, तो फिर हम सबकी हालत भिखारियों जैसी हो जाऐगी।

धनराज की बात सुनकर गनपत उसे समझाते हुए बोला

गनपत- तुम उसकी चिंता मत करो। हमारा बाकी का सारा माल पूरी तरह से सुरक्षित है।

धनराज- पर वो आखिर है कहाँ

गनपत- वो मैं किसी को नहीं बता सकता। अब मुझे किसी पर भी यकीन नहीं है। बस इतना समझ लो कि बो मेरी नजरों के सामने ही है।

योगेश- देखो गनपत अब हम लोग और लफडे में नहीं पडना चाहते। बैसे भी तुम्हारे जेल से भागने के कारण मुझ पर भी इन्क्वारी चल रही है।

गनपत- जेलर यह तेरी प्राब्लम है। बैसे भी मुझे जेल से भगाकर तूने कोई एहसान नहीं किया है। तू और एस.पी. केवल इसीलिए हमारे पार्टनर है, ताकि पुलिस बगैरह के लफडे से हमें बचा सकें और अगर हम में से कोई पकडा जाऐ तो जेल में हमारा पूरा ध्यान रखा जाऐ। बैसे भी वो सारा माल हमने इकट्ठा किया था।

गनपत की बात सुनकर जेलर योगेश गुस्से से बिफरता हुआ बोला

योगेश- तुम कहना क्या चाहते हो… तुम्हारा मतलब है कि उस माल में मेरा कोई हिस्सा नहीं है।

योगेश की बात सुनकर जफर उसे समझाते हुए बोला

जफर- गनपत का ऐसा कोई मतलब नहीं है

योगेश- तो फिर हमारा हिस्सा हमें दे दो। हम अब और यह सब नहीं कर सकते

गनपत- ओह तो अब तुम्हें अपना हिस्सा याद आने लगा, जेलर मैं तेरा और एस.पी. का प्लान अच्छी तरह समझ रहा हूँ। तुम लोग अपना हिस्सा लेकर मेरा इन्काऊंटर करवाना चाहते हो। पर मैं तुम्हारा प्लान कभी कामयाब नहीं होने दूँगा। अगर मुझे कुछ हुआ तो तुम सबका हिस्सा भी मेरे साथ हमेशा हमेशा के लिए चला जाऐगा। इसलिए अपना हिस्सा माँगने की जगह मुझे इस देश से बाहर निकालने के बारे में सोचो

प्रकाश राज- अरे यार तुम लोग आपस में झगड क्यों रहे हो और गनपत मैं गारंटी लेता हूँ कि कोई तुम्हारा इन्काऊंटर नहीं करेगा।

गनपत- मैं कुछ नहीं जानता। अगर अपना अपना हिस्सा चाहिए तो पहले मेरा विदेश जाने का इंतजाम करो। उसके बाद ही मैं सबको उनका हिस्सा दूँगा

गनपत की बात सुनकर जफर भी उसकी हाँ में हाँ मिलाता हुआ बोला

जफर- गनपत सही कह रहा है। अब हम दोनों को तुम लोगों पर कोई भरोसा नहीं है। बैसे भी दुनिया की नजर में हम दोनों की क्रिमनल हैं। अगर हमें कुछ हो गया तो किसी को कोई फर्क नहीं पडेगा, उल्टा तुम लोगों को इनाम मिलेगा। इसलिए पहले हमारे विदेश जाने के लिए नये नाम और पहचान के साथ बीजा और पासपोर्ट की जुगाड करो। विदेश में सेटल होने के 1 साल बाद हम फिर से इक्ट्ठे होंगे। तब हम सारा माल आपस में बांटकर अपने अपने रास्ते अलग कर लेंगे।

धनराज- हम तुम पर कैसे यकीन कर लें कि विदेश जाने के बाद तुम हमें हमारा हिस्सा दे दोगे

गनपत- बेबकूफ आदमी, माल तो यहीं भोपाल मैं है ना। उसे लेने तो हमें यहाँ आना ही पडेगा। बैसे भी इतना सारा सोना और हीरे हम अपने साथ नहीं ले जा सकते। हमारा जो माल गायब हुआ है, वो तो बस 20 पससेंट है। वाकि का 80 परसेंट माल अब भी हमारे पास सुरक्षित है। बैसे भी तब तक हम अपने बीच छिपे उस गद्दार का पता भी लगा लेंगे।

प्रकाश राज- मुझे लगता है कि जफर और गनपत ठीक कह रहे हैं। धनराज तुम इनके नये नाम और पहचान के लिए डॉक्यूमेंट तैयार करवा दो। मैं इनके बीजा और पासपोर्ट का काम देख लूँगा। रहा यहाँ से सुरक्षित जाने और बापिस आने का मामला तो वो महेश और येगेश देख लेंगे।

मंत्री जी की बात सुनकर वहाँ कुछ देर के लिए खामोशी छा गई।


कहानी जारी है ....
Nice and superb update....
 

redhat.ag

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Update 037 -

कुछ देर की खमोशी के बाद जेलर योगेश कुछ सोचते हुए बोला

येगेश- ठीक है….. मुझे मंजूर है। लेकिन अब इस लड़की का क्या करें

प्रकाश राज- मार देते हैं साली को। बैसे भी यह हमारे अब किसी काम की नहीं है।

गनपत- नहीं पहले मैं इसके पूरे मजे लूँगा, उसके बाद तुम लोगों को इसके साथ जो करना है करते रहना

गनपत की बात सुनकर धनराज चिढते हुए बोला

धनराज- ये फिर शूरू हो गया

धनराज की बात सुनकर एस.पी. महेश गनपत को समझाते हुए बोला

महेश- गनपत मुझे जानकारी मिली है कि ये लड़की डी.जी.पी. सर के सीधे कॉन्टेक्ट में है। इसलिए हमें कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए। कहीं यह कोई सीक्रेट ऐजेंट हुई तो।

गनपत- तो क्या कर लेगी। बैसे भी इसकी हालत तो देखो। यह कुछ भी करने की हालत में है क्या

महेश- तुझे और भी कई लडकियाँ मिल जाऐंगी। उनके साथ जी भरकर मजे कर लेना। बैसे भी इसकी हालत नहीं है तुझे बरदास्त करने की

गनपत- मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता। मेरी नजर में तो यह एक दम टंच माल है। मैं इसे नहीं छोडने बाला, बैसे भी यह लडकी मेरे बेटे गगन के मौत की जिम्मेदार है। तो फिर इसे सजा देना तो बनता है। अब अगर तुम भी इसके साथ मजे करना चाहते हो तो रुको, बर्ना यहाँ से जा सकते हो। मजे लेने के बाद मैं इसे ठिकाने लगा दूँगा

गनपत की बात सुनकर जफर भी अपनी लार टपकाता हुआ बोला

जफर- भाई माल तो है यह लडकी। मैं क्या सोच रहा हूँ कि क्यों ना मैं भी वहती गंगा में हाथ धो लूँ

जफर और गनपत की बातें सुनकर मंत्री जी भी उनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोले

प्रकाश राज- अरे भई अब जब सबका मन मजे करने का है ही, तो फिर मिलकर मजे करते हैं। देखते हैं कि यह लडकी कब तक हमें बरदास्त कर सकती है।

गनपत- यह भी तुमने ठीक कहा मंत्री जी। आज हम इसे इतना चोदेंगे की ये अपने आप ही मर जाए। बैसे भी यहाँ हम लोगों के अलाबा हमारे कुछ आदमी भी तो हैं यहाँ। वो भी तो मजा लेंगे ना।

गनपत की बात सुनकर सभी लोग जोर जोर से हंसने लगे। इस वक्त उनकी हंसी मुझे बहुत डरावनी लग रही थी। बैसे भी दर्द के कारण मेरा पहले ही बुरा हाल था। क्योंकि इन लोगों ने जानवरों की तरह मुझे मारा था। ऊपर से ये सब मिलकर मेरी इस हालत में भी मेरा रेप भी करना चाहते थे। जिसके बारे में सोचकर ही मेरा पूरा शरीऱ पशीने से भीग गया था। तभी अचानक मेरा मोबाईल रिंग होने लगा।जिसकी आवाज सुनकर सभी लोग मेरी तरफ देखने लगे। सबको यूँ मुझे घूरते देखकर मैं बुरी तरह डर से काँपने लगी।

वो लोग मेरे पास आये और एस.पी. ने मेरे जींस की पॉकेट से मेरा मोबाईल निकालकर देखा तो उसमें हरीश अंकल की कॉल आ रही थी। जिसे देखकर एस.पी. बुरी तरह से डरते हुए बोला

महेश- य ये ये तो ड ड डी.जी.पी. सर की कॉल है। मैंने तो पहले ही कहा था कि ये लड़की सीधे उनके कान्टेक्ट में है। अगर उन्हें शक हो गया और इसका मोबाईल ट्रेक करके वो यहाँ आ गए तो

गनपत- अबे एस.पी. मुझे समझ में नहीं आता कि तू आखिर एस.पी. कैसे बन गया। अबे मोबाईल ट्रेक तो तब होगा ना जब कोई कॉल रिसीब होगी।

इतना बोलकर गनपत ने एस.पी. के हाथ से मेरा मोबाईल लेकर जमीन पर पटक दिया और अपने जूते से मसलने हुए बोला

गनपत- लो हो गया इस लड़की के मोबाईल का खेल खत्म। अब इस लड़की की बारी है

इतना बोलकर वो मुझे खोलने लगा तो मैं डर के कारण चीखते हुए बोली

निशा- न नहींहीहीहीं नहीं छ छोड दो मुझे......... म मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी...... प्लीज मुझे जाने दो।

पर किसी पर भी मेरे गिडगिडाने का कोई असर नहीं हो रहा था। जैसे ही गनपत ने मेरे हाथों और पैरों की रस्सियाँ खोली। पता नहीं कहाँ से मुझ में ताकत आ गई और मैं अपना सारा दर्द भूलकर उसे धक्का देकर वहाँ से भागने लगी। मुझे यूँ भगता देखकर मंत्री जी ने मुझे पकडने की कोशिश की, तभी मेरे टॉप का एक हिस्सा उनके हाथों में आ गया था। जिस कारण मेरे भागने की बजह से मेरा टॉप चररररर की आबाज के साथ फट कर उनके हाथ में आ गया।

अब मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से पर मात्र ब्रा रह गई थी। टॉप फटने के बजह से मेरे शरीर का काफी ज्यादा हिस्सा दिखाई दे रहा था जो उन लोगों की मार-पीट की बजह से हरा नीला पड गया था। पर मेरे पास अभी अपने शरीर की हालत देखने का बिल्कुल भी समय नहीं था। मैं बस किसी भी तरह उन लोगों से बहुत दूर भाग जाना चाहती थी।

पर यहाँ भी मेरी किस्मत मुझे धोखा दे गई। क्योंकी उस कमरे के बाहर उन लोगों के कई सारे आदमी खडे हुए थे। जिस कारण मैं जैसे ही बाहर की तरफ भागी उन लगों ने रास्ता बंद कर लिया। तब तक गनपत और बाकी लोग भी मरे पास आ गए थे। तभी गनपत ने मेरे बालों को पकडा और मेरे गाल पर एक जोरदार उस थप्पड मारा

चचटटटटाटाटाटाक

उस थप्पड की आबाज काफी तेज थी। थप्पड पडने से मेरे मूँह से खून भी निकल आया था। पर गनपत को मुझ पर बिल्कुल भी दया नहीं आई। वो मेरे बालों को पकडे हुए मुझे खींच कर अंदर ले आया और मुझे धक्का देकर जमीन पर पटक दिया। मैं उसके इरादे अच्छी तरह समझ गई थी, इसलिए मैं उसके सामने गिडगिडाते हुए बोली

निशा- न नहीं प्लीज छोड दो मुझे

लेकिन मेरे गिडगिडाने का उन लोगों पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा बो सभी मुझ पर हंसने लगे थे। तभी गनपत ने अपनी जेव से एक चाकू निकाला और घुटनों के बल मेरे पास बैठकर अपने चाकू को मेरी ब्रा के ऊपर हल्के से चालाने लगा। मैं लगातार चीख रही थी पर उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। बो तो सभी लोग मेरे साथ खिलबाड कर रहे थे

निशा- नहीं नहीं छोडो मुझे

गनपत- ऐसे कैसे छोड दें मेरी जान, अभी तो हमने कुछ किया ही नहीं। बैसे तेरे मम्मे बडे मस्त हैं। इन्हें कैद क्यों कर रखा है साली

जफर- तू है ना आजाद करने के लिए। कर दे आजाद…. जरा हम भी तो देखें कैसे हैं इसके मम्मे

जफऱ की बात सुनकर गनपत ने मेरी ब्रा के स्ट्रिप नें चाकू फंसाया और एक झटके में मेरी ब्रा की स्ट्रिप काट दी और फिर अगले ही पल उसने दूसरी स्ट्रिप भी काट दी थी। जिसके बाद वो चाकू को मेरे दोनों बूब्स के बीच में रखकर मेरी ब्रा को काटने लगा। उसका चाकू काफी ज्यादा धारदार था। जिस कारण थोडा सा हिलने पर मेरे दाऐं बूब्स में एक कट लग गया था। जिससे मुझे काफी तेज दर्द हुआ और मैं चीख पडी। मेरे चीखने पर गनपत हंसते हुए बोला

गनपत- देख साली ज्यादा नखऱे कर रही थी ना। अब देख तेरे मम्मे पर कट लग गया ना। अब दूसरे पर भी कट लगाना पडेगा। वर्ना एक साईड अच्छा नहीं लगेगा

गनपत की बात सुनकर तो मेरे होश ही उड गए थे। मैं डर के कारण चीखते हुए बोली

निशा- नहीं नहीं नहीं प्लीज मत करो आआआआहहहहहहहह

गनपत पर मेरे रोने धोने का कोई असर नहीं पडा और उसने मेरे दूसरे बूब्स पर भी कट लगा दिया। जिसके बाद उसने मेरी ब्रा पूरी तरह से काटकर मेरे सीने से अलग कर दी। अब मैं ऊपर से पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। गनपत बेरहमी से मेरे बूब्स को मसलते हुए बोला

गनपत- बडे मस्त मम्मे हैं इसके। माँ कसम आज तो मजा ही आ गया

प्रकाश राज- अब ज्यादा समय क्यों खराब कर रहा है। जल्दी से इसके बाकी के कपडे भी निकाल। हम भी तो देखें इस साली ने कपडों के अंदर कौन सा खजाना छिपा रखा है।

मंत्री की बात सुनकर गनपत अपने चाकू को मेरे पेट पर फेराते हुए मेरी कमर तक ले आया। जैसे ही वो मेरे जींस का बटन खोलने लगा तो मैंने अपने हाथों से उसे रोकते हुए कहा

निशा- प्लीज मत निकालो इसे। मेरे पीरिय़ड शुरू हो गए हैं।

मेरी बात सुनकर सभी लोग हंसने लगे। क्योंकि वे लोग मेरे जींस पर मेरी गाँड और चूत के पास लगे खून को पहले ही देख चुके थे। कुछ देर हंसने के बाद गनपत बोला

गनपत- साली बहनचोद राण्ड…. तेरे पीरियड से हमें क्या हमें तो तेरी चूत में लण्ड घुसाने से मतलब है।

इतना बोलकर गनपत जबरदस्ती मेरा जींस उतारने लगा। जब मैंने उसे रोकने की कोशिश की तो मंत्री प्रकाश राज और जफर ने मेरे हाथ पकड लिए। जिसके बाद गनपत ने मुझे जबरदस्ती पूरी तरह से नंगा कर दिया। मेरे सारे कपडे उतारने के बाद मंत्री और जफर ने मुझे छोड दिया। पर गनपत मेरी कमर के पास ही बैठा रहा और मेरे पूरे शरीर को बासना भरी नजर से देखने लगा। मैंने अपने हाथों से अपने शरीर को छुपाने की कोशिश की, पर कोई फायदा नहीं था।

हालाँकि में पहले ही कई मर्दों के साथ सेक्स कर चुकी थी और उनके सामने अपने सारे कपडे उतारकर नंगी भी हो चुकी थी। पर वो सब मैंने अपनी मर्जी से किया था। अब तक किसी ने जबरदस्ती मेरे साथ यह सब नहीं किया था। बैसे भी पीरियड के दौरान लडकियाँ कुछ ज्यादा ही सेंसटिव हो जाती हैं और अपने प्रायवेट पार्टस को किसी को दिखाने में उन्हें बहुत ज्यादा शर्म महसूस होती है।

पिछले 20-22 दिनों से मैं एक कॉलगर्ल की जिंदगी जी रही थी। इस दौरान मुझे कभी भी इतनी शर्म महसूस नहीं हूई थी, जितनी आज हो रही थी और ना ही आज तक किसी ने मुझ इस तरह ह्यूमिलेट किया था। मेरे शरीर को वासना भरी नजर से देखने के बाद गनपत ने अपने कपडे उतारने शूरू कर दिए। मैं उसके सामने हाथ जोडकर गिडगिडाती रही पर उसपर कोई असर नहीं हुआ। वो अपने कपडे उतार कर मेरे ऊपर सबार हो गया और बेरहमी से मेरे बुब्स को मसलने लगा।

साथ ही साथ वो मेरे गालों पर और गर्दन पर काट भी रहा था। जिस कारण मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मेरे आँखों से आँशू निकल रहे थे। पर मुझे दर्द में तडपते देखकर उन लोगों को मजा आ रहा था। अचानक से गनपत ने मेरे होंठों को चूमना और काटना शूरू कर दिया जिस कराण मेरी आवाज मेरे गले के अंदर ही घुटकर रह गई। ठीक तभी उसने अपना किसी जानबर जैसा बड़ा और मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

पीरियड शूरू होने के कारण मेरी चूत में से पहले से ही खून रिश रहा था और उसमें हल्की सी सूजन भी आ गई थी। गनपत के मोटे और बडे लण्ड के अंदर जाने से मेरी चूत अंदर से बुरी तरह फट गई। जिस कारण मुझे अपनी चूत में बहुत तेज दर्द महसूस होने लगा था। पर मैं चीख भी नहीं पा रही थी। मेरी चूत से और भी तेजी से खून निकलने लगा था। मैं उस जनबर के नीचे दर्द के कारण बुरी तरह तडप रही थी और उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। पर मेरी सारी कोशिश बेकार जा रहीं थी।

गनपत ने मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाते ही मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। आज पहली बार मुझे चुदाई करवाने में बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था। बल्कि मुझे इस सबसे नफरत हो रही थी। पर किसी को भी मेरी इस फीलिंग से कोई फर्क नहीं पड रहा था। गनपत किसी जानबर की तरह मुझे लगातार चोद रहा था और बाकी सब मुझे तडपता हुआ देखकर मेरे मजे ले रहे थे। गनपत काफी देर तक मुझे यूं ही जानबरों की तरह चोदता रहा और फिर वो मेरी चूत में ही ठण्डा हो गया।

गनपत के अलग होते ही जफर भी मुझपर किसी भूखे भेडिए की तरह टूट पडा। मैं रोती गिडगिडाती रही पर किसी पर भी कोई फर्क नहीं पडा और सभी लोग एक एक कर के जानबरों की तरह मुझे नोचते रहे। जब वो सभी लोग मेरा मजा लूट चुके तो मुझे छोड कर अलग हो गए और अपने अपने कपडे पहनने लगे। मेरे पूरे शरीर में तेज दर्द हो रहा था और मुझे अपनी कमर से नीचे का हिस्सा अब बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा है ही नहीं।

उनके अलग होते ही मैंने हिम्मत करके खडे होने की कोशिश की, लेकिन दर्द के कारण मैं खडी नहीं हो पा रही थी। वो लोग मुझे ऐसा करते देख हंसने लगे। जिस कारण मुझे उनकी हंसी अब और भी ज्यादा भयानक लग रही थी। जब कई बार कोशिश करने के बाद भी मैं खडी नहीं हो पाई, तो मैं जैसे तैसे घुटनों के बल होकर किसी कुतिया की तरह चलते हुए बाहर जाने की कोशिश करने लगी। मैं बस किसी भी तरह उन सबसे दूर भागना चाहती थी। मुझे यह भी होश नहीं था कि इस वक्त मेरे शरीर पर कपडे का एक रेशा तक मौजूद नहीं है।

मुझे ऐसे बाहर जाते देख एस.पी. बोला

महेश- इस लड़की में अब भी इतनी जान बची है कि ये यहाँ से भागने की कोशिश कर रही है

योगेश- अरे जायेगी कहाँ…. बाहर भी तो हमारे ही आदमी खडे हैं। उन्हें भी मजे करने दो। देखते हैं है ये कब तक और बरदास्त कर पाती है।

अब मुझे उनकी किसी भी बात से कोई मतलब नहीं था और ना ही किसी बात का कोई डर मेरे अंदर रह गया था। इतना दर्द और यातना झेलने के बाद मुझे अपनी मौत अपनी आँखों के सामने दिखने लगी थी। मैं मन ही मन उस दिन को कोश रही थी। जिस दिन मैंने अपना काम खत्म होने के बाद भी यहाँ भोपाल में रुकने का फैसला किया था और उस दिन को भी जिस दिन मैंने गगन से उलझने की भूल की थी।

मैं ना तो यहाँ भोपाल में रुकने का फैसला करती, ना कभी मेरी गगन से मुलाकात होती और ना ही आज मेरी यह हालत होती। पर अब कुछ नहीं हो सकता था। ऐसा नहीं था कि मेरे अंदर पैसों का लालच था, जिस कारण मैंने उस सोने और हीरों के बारे में इन सब को नहीं बताया। बल्कि मैं यह बात अच्छी तरह जानती थी कि अगर मैं सब सच बता भी देती, तो भी ये लोग मेरे साथ यह सब करते।


कहानी जारी है..........
 
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कुछ देर की खमोशी के बाद जेलर योगेश कुछ सोचते हुए बोला

येगेश- ठीक है….. मुझे मंजूर है। लेकिन अब इस लड़की का क्या करें

प्रकाश राज- मार देते हैं साली को। बैसे भी यह हमारे अब किसी काम की नहीं है।

गनपत- नहीं पहले मैं इसके पूरे मजे लूँगा, उसके बाद तुम लोगों को इसके साथ जो करना है करते रहना

गनपत की बात सुनकर धनराज चिढते हुए बोला

धनराज- ये फिर शूरू हो गया

धनराज की बात सुनकर एस.पी. महेश गनपत को समझाते हुए बोला

महेश- गनपत मुझे जानकारी मिली है कि ये लड़की डी.जी.पी. सर के सीधे कॉन्टेक्ट में है। इसलिए हमें कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए। कहीं यह कोई सीक्रेट ऐजेंट हुई तो।

गनपत- तो क्या कर लेगी। बैसे भी इसकी हालत तो देखो। यह कुछ भी करने की हालत में है क्या

महेश- तुझे और भी कई लडकियाँ मिल जाऐंगी। उनके साथ जी भरकर मजे कर लेना। बैसे भी इसकी हालत नहीं है तुझे बरदास्त करने की

गनपत- मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता। मेरी नजर में तो यह एक दम टंच माल है। मैं इसे नहीं छोडने बाला, बैसे भी यह लडकी मेरे बेटे गगन के मौत की जिम्मेदार है। तो फिर इसे सजा देना तो बनता है। अब अगर तुम भी इसके साथ मजे करना चाहते हो तो रुको, बर्ना यहाँ से जा सकते हो। मजे लेने के बाद मैं इसे ठिकाने लगा दूँगा

गनपत की बात सुनकर जफर भी अपनी लार टपकाता हुआ बोला

जफर- भाई माल तो है यह लडकी। मैं क्या सोच रहा हूँ कि क्यों ना मैं भी वहती गंगा में हाथ धो लूँ

जफर और गनपत की बातें सुनकर मंत्री जी भी उनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोले

प्रकाश राज- अरे भई अब जब सबका मन मजे करने का है ही, तो फिर मिलकर मजे करते हैं। देखते हैं कि यह लडकी कब तक हमें बरदास्त कर सकती है।

गनपत- यह भी तुमने ठीक कहा मंत्री जी। आज हम इसे इतना चोदेंगे की ये अपने आप ही मर जाए। बैसे भी यहाँ हम लोगों के अलाबा हमारे कुछ आदमी भी तो हैं यहाँ। वो भी तो मजा लेंगे ना।

गनपत की बात सुनकर सभी लोग जोर जोर से हंसने लगे। इस वक्त उनकी हंसी मुझे बहुत डरावनी लग रही थी। बैसे भी दर्द के कारण मेरा पहले ही बुरा हाल था। क्योंकि इन लोगों ने जानवरों की तरह मुझे मारा था। ऊपर से ये सब मिलकर मेरी इस हालत में भी मेरा रेप भी करना चाहते थे। जिसके बारे में सोचकर ही मेरा पूरा शरीऱ पशीने से भीग गया था। तभी अचानक मेरा मोबाईल रिंग होने लगा।जिसकी आवाज सुनकर सभी लोग मेरी तरफ देखने लगे। सबको यूँ मुझे घूरते देखकर मैं बुरी तरह डर से काँपने लगी।

वो लोग मेरे पास आये और एस.पी. ने मेरे जींस की पॉकेट से मेरा मोबाईल निकालकर देखा तो उसमें हरीश अंकल की कॉल आ रही थी। जिसे देखकर एस.पी. बुरी तरह से डरते हुए बोला

महेश- य ये ये तो ड ड डी.जी.पी. सर की कॉल है। मैंने तो पहले ही कहा था कि ये लड़की सीधे उनके कान्टेक्ट में है। अगर उन्हें शक हो गया और इसका मोबाईल ट्रेक करके वो यहाँ आ गए तो

गनपत- अबे एस.पी. मुझे समझ में नहीं आता कि तू आखिर एस.पी. कैसे बन गया। अबे मोबाईल ट्रेक तो तब होगा ना जब कोई कॉल रिसीब होगी।

इतना बोलकर गनपत ने एस.पी. के हाथ से मेरा मोबाईल लेकर जमीन पर पटक दिया और अपने जूते से मसलने हुए बोला

गनपत- लो हो गया इस लड़की के मोबाईल का खेल खत्म। अब इस लड़की की बारी है

इतना बोलकर वो मुझे खोलने लगा तो मैं डर के कारण चीखते हुए बोली

निशा- न नहींहीहीहीं नहीं छ छोड दो मुझे......... म मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी...... प्लीज मुझे जाने दो।

पर किसी पर भी मेरे गिडगिडाने का कोई असर नहीं हो रहा था। जैसे ही गनपत ने मेरे हाथों और पैरों की रस्सियाँ खोली। पता नहीं कहाँ से मुझ में ताकत आ गई और मैं अपना सारा दर्द भूलकर उसे धक्का देकर वहाँ से भागने लगी। मुझे यूँ भगता देखकर मंत्री जी ने मुझे पकडने की कोशिश की, तभी मेरे टॉप का एक हिस्सा उनके हाथों में आ गया था। जिस कारण मेरे भागने की बजह से मेरा टॉप चररररर की आबाज के साथ फट कर उनके हाथ में आ गया।

अब मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से पर मात्र ब्रा रह गई थी। टॉप फटने के बजह से मेरे शरीर का काफी ज्यादा हिस्सा दिखाई दे रहा था जो उन लोगों की मार-पीट की बजह से हरा नीला पड गया था। पर मेरे पास अभी अपने शरीर की हालत देखने का बिल्कुल भी समय नहीं था। मैं बस किसी भी तरह उन लोगों से बहुत दूर भाग जाना चाहती थी।

पर यहाँ भी मेरी किस्मत मुझे धोखा दे गई। क्योंकी उस कमरे के बाहर उन लोगों के कई सारे आदमी खडे हुए थे। जिस कारण मैं जैसे ही बाहर की तरफ भागी उन लगों ने रास्ता बंद कर लिया। तब तक गनपत और बाकी लोग भी मरे पास आ गए थे। तभी गनपत ने मेरे बालों को पकडा और मेरे गाल पर एक जोरदार उस थप्पड मारा

चचटटटटाटाटाटाक

उस थप्पड की आबाज काफी तेज थी। थप्पड पडने से मेरे मूँह से खून भी निकल आया था। पर गनपत को मुझ पर बिल्कुल भी दया नहीं आई। वो मेरे बालों को पकडे हुए मुझे खींच कर अंदर ले आया और मुझे धक्का देकर जमीन पर पटक दिया। मैं उसके इरादे अच्छी तरह समझ गई थी, इसलिए मैं उसके सामने गिडगिडाते हुए बोली

निशा- न नहीं प्लीज छोड दो मुझे

लेकिन मेरे गिडगिडाने का उन लोगों पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा बो सभी मुझ पर हंसने लगे थे। तभी गनपत ने अपनी जेव से एक चाकू निकाला और घुटनों के बल मेरे पास बैठकर अपने चाकू को मेरी ब्रा के ऊपर हल्के से चालाने लगा। मैं लगातार चीख रही थी पर उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। बो तो सभी लोग मेरे साथ खिलबाड कर रहे थे

निशा- नहीं नहीं छोडो मुझे

गनपत- ऐसे कैसे छोड दें मेरी जान, अभी तो हमने कुछ किया ही नहीं। बैसे तेरे मम्मे बडे मस्त हैं। इन्हें कैद क्यों कर रखा है साली

जफर- तू है ना आजाद करने के लिए। कर दे आजाद…. जरा हम भी तो देखें कैसे हैं इसके मम्मे

जफऱ की बात सुनकर गनपत ने मेरी ब्रा के स्ट्रिप नें चाकू फंसाया और एक झटके में मेरी ब्रा की स्ट्रिप काट दी और फिर अगले ही पल उसने दूसरी स्ट्रिप भी काट दी थी। जिसके बाद वो चाकू को मेरे दोनों बूब्स के बीच में रखकर मेरी ब्रा को काटने लगा। उसका चाकू काफी ज्यादा धारदार था। जिस कारण थोडा सा हिलने पर मेरे दाऐं बूब्स में एक कट लग गया था। जिससे मुझे काफी तेज दर्द हुआ और मैं चीख पडी। मेरे चीखने पर गनपत हंसते हुए बोला

गनपत- देख साली ज्यादा नखऱे कर रही थी ना। अब देख तेरे मम्मे पर कट लग गया ना। अब दूसरे पर भी कट लगाना पडेगा। वर्ना एक साईड अच्छा नहीं लगेगा

गनपत की बात सुनकर तो मेरे होश ही उड गए थे। मैं डर के कारण चीखते हुए बोली

निशा- नहीं नहीं नहीं प्लीज मत करो आआआआहहहहहहहह

गनपत पर मेरे रोने धोने का कोई असर नहीं पडा और उसने मेरे दूसरे बूब्स पर भी कट लगा दिया। जिसके बाद उसने मेरी ब्रा पूरी तरह से काटकर मेरे सीने से अलग कर दी। अब मैं ऊपर से पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। गनपत बेरहमी से मेरे बूब्स को मसलते हुए बोला

गनपत- बडे मस्त मम्मे हैं इसके। माँ कसम आज तो मजा ही आ गया

प्रकाश राज- अब ज्यादा समय क्यों खराब कर रहा है। जल्दी से इसके बाकी के कपडे भी निकाल। हम भी तो देखें इस साली ने कपडों के अंदर कौन सा खजाना छिपा रखा है।

मंत्री की बात सुनकर गनपत अपने चाकू को मेरे पेट पर फेराते हुए मेरी कमर तक ले आया। जैसे ही वो मेरे जींस का बटन खोलने लगा तो मैंने अपने हाथों से उसे रोकते हुए कहा

निशा- प्लीज मत निकालो इसे। मेरे पीरिय़ड शुरू हो गए हैं।

मेरी बात सुनकर सभी लोग हंसने लगे। क्योंकि वे लोग मेरे जींस पर मेरी गाँड और चूत के पास लगे खून को पहले ही देख चुके थे। कुछ देर हंसने के बाद गनपत बोला

गनपत- साली बहनचोद राण्ड…. तेरे पीरियड से हमें क्या हमें तो तेरी चूत में लण्ड घुसाने से मतलब है।

इतना बोलकर गनपत जबरदस्ती मेरा जींस उतारने लगा। जब मैंने उसे रोकने की कोशिश की तो मंत्री प्रकाश राज और जफर ने मेरे हाथ पकड लिए। जिसके बाद गनपत ने मुझे जबरदस्ती पूरी तरह से नंगा कर दिया। मेरे सारे कपडे उतारने के बाद मंत्री और जफर ने मुझे छोड दिया। पर गनपत मेरी कमर के पास ही बैठा रहा और मेरे पूरे शरीर को बासना भरी नजर से देखने लगा। मैंने अपने हाथों से अपने शरीर को छुपाने की कोशिश की, पर कोई फायदा नहीं था।

हालाँकि में पहले ही कई मर्दों के साथ सेक्स कर चुकी थी और उनके सामने अपने सारे कपडे उतारकर नंगी भी हो चुकी थी। पर वो सब मैंने अपनी मर्जी से किया था। अब तक किसी ने जबरदस्ती मेरे साथ यह सब नहीं किया था। बैसे भी पीरियड के दौरान लडकियाँ कुछ ज्यादा ही सेंसटिव हो जाती हैं और अपने प्रायवेट पार्टस को किसी को दिखाने में उन्हें बहुत ज्यादा शर्म महसूस होती है।

पिछले 20-22 दिनों से मैं एक कॉलगर्ल की जिंदगी जी रही थी। इस दौरान मुझे कभी भी इतनी शर्म महसूस नहीं हूई थी, जितनी आज हो रही थी और ना ही आज तक किसी ने मुझ इस तरह ह्यूमिलेट किया था। मेरे शरीर को वासना भरी नजर से देखने के बाद गनपत ने अपने कपडे उतारने शूरू कर दिए। मैं उसके सामने हाथ जोडकर गिडगिडाती रही पर उसपर कोई असर नहीं हुआ। वो अपने कपडे उतार कर मेरे ऊपर सबार हो गया और बेरहमी से मेरे बुब्स को मसलने लगा।

साथ ही साथ वो मेरे गालों पर और गर्दन पर काट भी रहा था। जिस कारण मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मेरे आँखों से आँशू निकल रहे थे। पर मुझे दर्द में तडपते देखकर उन लोगों को मजा आ रहा था। अचानक से गनपत ने मेरे होंठों को चूमना और काटना शूरू कर दिया जिस कराण मेरी आवाज मेरे गले के अंदर ही घुटकर रह गई। ठीक तभी उसने अपना किसी जानबर जैसा बड़ा और मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

पीरियड शूरू होने के कारण मेरी चूत में से पहले से ही खून रिश रहा था और उसमें हल्की सी सूजन भी आ गई थी। गनपत के मोटे और बडे लण्ड के अंदर जाने से मेरी चूत अंदर से बुरी तरह फट गई। जिस कारण मुझे अपनी चूत में बहुत तेज दर्द महसूस होने लगा था। पर मैं चीख भी नहीं पा रही थी। मेरी चूत से और भी तेजी से खून निकलने लगा था। मैं उस जनबर के नीचे दर्द के कारण बुरी तरह तडप रही थी और उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। पर मेरी सारी कोशिश बेकार जा रहीं थी।

गनपत ने मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाते ही मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। आज पहली बार मुझे चुदाई करवाने में बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था। बल्कि मुझे इस सबसे नफरत हो रही थी। पर किसी को भी मेरी इस फीलिंग से कोई फर्क नहीं पड रहा था। गनपत किसी जानबर की तरह मुझे लगातार चोद रहा था और बाकी सब मुझे तडपता हुआ देखकर मेरे मजे ले रहे थे। गनपत काफी देर तक मुझे यूं ही जानबरों की तरह चोदता रहा और फिर वो मेरी चूत में ही ठण्डा हो गया।

गनपत के अलग होते ही जफर भी मुझपर किसी भूखे भेडिए की तरह टूट पडा। मैं रोती गिडगिडाती रही पर किसी पर भी कोई फर्क नहीं पडा और सभी लोग एक एक कर के जानबरों की तरह मुझे नोचते रहे। जब वो सभी लोग मेरा मजा लूट चुके तो मुझे छोड कर अलग हो गए और अपने अपने कपडे पहनने लगे। मेरे पूरे शरीर में तेज दर्द हो रहा था और मुझे अपनी कमर से नीचे का हिस्सा अब बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा है ही नहीं।

उनके अलग होते ही मैंने हिम्मत करके खडे होने की कोशिश की, लेकिन दर्द के कारण मैं खडी नहीं हो पा रही थी। वो लोग मुझे ऐसा करते देख हंसने लगे। जिस कारण मुझे उनकी हंसी अब और भी ज्यादा भयानक लग रही थी। जब कई बार कोशिश करने के बाद भी मैं खडी नहीं हो पाई, तो मैं जैसे तैसे घुटनों के बल होकर किसी कुतिया की तरह चलते हुए बाहर जाने की कोशिश करने लगी। मैं बस किसी भी तरह उन सबसे दूर भागना चाहती थी। मुझे यह भी होश नहीं था कि इस वक्त मेरे शरीर पर कपडे का एक रेशा तक मौजूद नहीं है।

मुझे ऐसे बाहर जाते देख एस.पी. बोला

महेश- इस लड़की में अब भी इतनी जान बची है कि ये यहाँ से भागने की कोशिश कर रही है

योगेश- अरे जायेगी कहाँ…. बाहर भी तो हमारे ही आदमी खडे हैं। उन्हें भी मजे करने दो। देखते हैं है ये कब तक और बरदास्त कर पाती है।

अब मुझे उनकी किसी भी बात से कोई मतलब नहीं था और ना ही किसी बात का कोई डर मेरे अंदर रह गया था। इतना दर्द और यातना झेलने के बाद मुझे अपनी मौत अपनी आँखों के सामने दिखने लगी थी। मैं मन ही मन उस दिन को कोश रही थी। जिस दिन मैंने अपना काम खत्म होने के बाद भी यहाँ भोपाल में रुकने का फैसला किया था और उस दिन को भी जिस दिन मैंने गगन से उलझने की भूल की थी।

मैं ना तो यहाँ भोपाल में रुकने का फैसला करती, ना कभी मेरी गगन से मुलाकात होती और ना ही आज मेरी यह हालत होती। पर अब कुछ नहीं हो सकता था। ऐसा नहीं था कि मेरे अंदर पैसों का लालच था, जिस कारण मैंने उस सोने और हीरों के बारे में इन सब को नहीं बताया। बल्कि मैं यह बात अच्छी तरह जानती थी कि अगर मैं सब सच बता भी देती, तो भी ये लोग मेरे साथ यह सब करते।


कहानी जारी है..........
Nice update....
 

sunoanuj

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Update 037 -

कुछ देर की खमोशी के बाद जेलर योगेश कुछ सोचते हुए बोला

येगेश- ठीक है….. मुझे मंजूर है। लेकिन अब इस लड़की का क्या करें

प्रकाश राज- मार देते हैं साली को। बैसे भी यह हमारे अब किसी काम की नहीं है।

गनपत- नहीं पहले मैं इसके पूरे मजे लूँगा, उसके बाद तुम लोगों को इसके साथ जो करना है करते रहना

गनपत की बात सुनकर धनराज चिढते हुए बोला

धनराज- ये फिर शूरू हो गया

धनराज की बात सुनकर एस.पी. महेश गनपत को समझाते हुए बोला

महेश- गनपत मुझे जानकारी मिली है कि ये लड़की डी.जी.पी. सर के सीधे कॉन्टेक्ट में है। इसलिए हमें कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए। कहीं यह कोई सीक्रेट ऐजेंट हुई तो।

गनपत- तो क्या कर लेगी। बैसे भी इसकी हालत तो देखो। यह कुछ भी करने की हालत में है क्या

महेश- तुझे और भी कई लडकियाँ मिल जाऐंगी। उनके साथ जी भरकर मजे कर लेना। बैसे भी इसकी हालत नहीं है तुझे बरदास्त करने की

गनपत- मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता। मेरी नजर में तो यह एक दम टंच माल है। मैं इसे नहीं छोडने बाला, बैसे भी यह लडकी मेरे बेटे गगन के मौत की जिम्मेदार है। तो फिर इसे सजा देना तो बनता है। अब अगर तुम भी इसके साथ मजे करना चाहते हो तो रुको, बर्ना यहाँ से जा सकते हो। मजे लेने के बाद मैं इसे ठिकाने लगा दूँगा

गनपत की बात सुनकर जफर भी अपनी लार टपकाता हुआ बोला

जफर- भाई माल तो है यह लडकी। मैं क्या सोच रहा हूँ कि क्यों ना मैं भी वहती गंगा में हाथ धो लूँ

जफर और गनपत की बातें सुनकर मंत्री जी भी उनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोले

प्रकाश राज- अरे भई अब जब सबका मन मजे करने का है ही, तो फिर मिलकर मजे करते हैं। देखते हैं कि यह लडकी कब तक हमें बरदास्त कर सकती है।

गनपत- यह भी तुमने ठीक कहा मंत्री जी। आज हम इसे इतना चोदेंगे की ये अपने आप ही मर जाए। बैसे भी यहाँ हम लोगों के अलाबा हमारे कुछ आदमी भी तो हैं यहाँ। वो भी तो मजा लेंगे ना।

गनपत की बात सुनकर सभी लोग जोर जोर से हंसने लगे। इस वक्त उनकी हंसी मुझे बहुत डरावनी लग रही थी। बैसे भी दर्द के कारण मेरा पहले ही बुरा हाल था। क्योंकि इन लोगों ने जानवरों की तरह मुझे मारा था। ऊपर से ये सब मिलकर मेरी इस हालत में भी मेरा रेप भी करना चाहते थे। जिसके बारे में सोचकर ही मेरा पूरा शरीऱ पशीने से भीग गया था। तभी अचानक मेरा मोबाईल रिंग होने लगा।जिसकी आवाज सुनकर सभी लोग मेरी तरफ देखने लगे। सबको यूँ मुझे घूरते देखकर मैं बुरी तरह डर से काँपने लगी।

वो लोग मेरे पास आये और एस.पी. ने मेरे जींस की पॉकेट से मेरा मोबाईल निकालकर देखा तो उसमें हरीश अंकल की कॉल आ रही थी। जिसे देखकर एस.पी. बुरी तरह से डरते हुए बोला

महेश- य ये ये तो ड ड डी.जी.पी. सर की कॉल है। मैंने तो पहले ही कहा था कि ये लड़की सीधे उनके कान्टेक्ट में है। अगर उन्हें शक हो गया और इसका मोबाईल ट्रेक करके वो यहाँ आ गए तो

गनपत- अबे एस.पी. मुझे समझ में नहीं आता कि तू आखिर एस.पी. कैसे बन गया। अबे मोबाईल ट्रेक तो तब होगा ना जब कोई कॉल रिसीब होगी।

इतना बोलकर गनपत ने एस.पी. के हाथ से मेरा मोबाईल लेकर जमीन पर पटक दिया और अपने जूते से मसलने हुए बोला

गनपत- लो हो गया इस लड़की के मोबाईल का खेल खत्म। अब इस लड़की की बारी है

इतना बोलकर वो मुझे खोलने लगा तो मैं डर के कारण चीखते हुए बोली

निशा- न नहींहीहीहीं नहीं छ छोड दो मुझे......... म मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी...... प्लीज मुझे जाने दो।

पर किसी पर भी मेरे गिडगिडाने का कोई असर नहीं हो रहा था। जैसे ही गनपत ने मेरे हाथों और पैरों की रस्सियाँ खोली। पता नहीं कहाँ से मुझ में ताकत आ गई और मैं अपना सारा दर्द भूलकर उसे धक्का देकर वहाँ से भागने लगी। मुझे यूँ भगता देखकर मंत्री जी ने मुझे पकडने की कोशिश की, तभी मेरे टॉप का एक हिस्सा उनके हाथों में आ गया था। जिस कारण मेरे भागने की बजह से मेरा टॉप चररररर की आबाज के साथ फट कर उनके हाथ में आ गया।

अब मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से पर मात्र ब्रा रह गई थी। टॉप फटने के बजह से मेरे शरीर का काफी ज्यादा हिस्सा दिखाई दे रहा था जो उन लोगों की मार-पीट की बजह से हरा नीला पड गया था। पर मेरे पास अभी अपने शरीर की हालत देखने का बिल्कुल भी समय नहीं था। मैं बस किसी भी तरह उन लोगों से बहुत दूर भाग जाना चाहती थी।

पर यहाँ भी मेरी किस्मत मुझे धोखा दे गई। क्योंकी उस कमरे के बाहर उन लोगों के कई सारे आदमी खडे हुए थे। जिस कारण मैं जैसे ही बाहर की तरफ भागी उन लगों ने रास्ता बंद कर लिया। तब तक गनपत और बाकी लोग भी मरे पास आ गए थे। तभी गनपत ने मेरे बालों को पकडा और मेरे गाल पर एक जोरदार उस थप्पड मारा

चचटटटटाटाटाटाक

उस थप्पड की आबाज काफी तेज थी। थप्पड पडने से मेरे मूँह से खून भी निकल आया था। पर गनपत को मुझ पर बिल्कुल भी दया नहीं आई। वो मेरे बालों को पकडे हुए मुझे खींच कर अंदर ले आया और मुझे धक्का देकर जमीन पर पटक दिया। मैं उसके इरादे अच्छी तरह समझ गई थी, इसलिए मैं उसके सामने गिडगिडाते हुए बोली

निशा- न नहीं प्लीज छोड दो मुझे

लेकिन मेरे गिडगिडाने का उन लोगों पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा बो सभी मुझ पर हंसने लगे थे। तभी गनपत ने अपनी जेव से एक चाकू निकाला और घुटनों के बल मेरे पास बैठकर अपने चाकू को मेरी ब्रा के ऊपर हल्के से चालाने लगा। मैं लगातार चीख रही थी पर उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। बो तो सभी लोग मेरे साथ खिलबाड कर रहे थे

निशा- नहीं नहीं छोडो मुझे

गनपत- ऐसे कैसे छोड दें मेरी जान, अभी तो हमने कुछ किया ही नहीं। बैसे तेरे मम्मे बडे मस्त हैं। इन्हें कैद क्यों कर रखा है साली

जफर- तू है ना आजाद करने के लिए। कर दे आजाद…. जरा हम भी तो देखें कैसे हैं इसके मम्मे

जफऱ की बात सुनकर गनपत ने मेरी ब्रा के स्ट्रिप नें चाकू फंसाया और एक झटके में मेरी ब्रा की स्ट्रिप काट दी और फिर अगले ही पल उसने दूसरी स्ट्रिप भी काट दी थी। जिसके बाद वो चाकू को मेरे दोनों बूब्स के बीच में रखकर मेरी ब्रा को काटने लगा। उसका चाकू काफी ज्यादा धारदार था। जिस कारण थोडा सा हिलने पर मेरे दाऐं बूब्स में एक कट लग गया था। जिससे मुझे काफी तेज दर्द हुआ और मैं चीख पडी। मेरे चीखने पर गनपत हंसते हुए बोला

गनपत- देख साली ज्यादा नखऱे कर रही थी ना। अब देख तेरे मम्मे पर कट लग गया ना। अब दूसरे पर भी कट लगाना पडेगा। वर्ना एक साईड अच्छा नहीं लगेगा

गनपत की बात सुनकर तो मेरे होश ही उड गए थे। मैं डर के कारण चीखते हुए बोली

निशा- नहीं नहीं नहीं प्लीज मत करो आआआआहहहहहहहह

गनपत पर मेरे रोने धोने का कोई असर नहीं पडा और उसने मेरे दूसरे बूब्स पर भी कट लगा दिया। जिसके बाद उसने मेरी ब्रा पूरी तरह से काटकर मेरे सीने से अलग कर दी। अब मैं ऊपर से पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। गनपत बेरहमी से मेरे बूब्स को मसलते हुए बोला

गनपत- बडे मस्त मम्मे हैं इसके। माँ कसम आज तो मजा ही आ गया

प्रकाश राज- अब ज्यादा समय क्यों खराब कर रहा है। जल्दी से इसके बाकी के कपडे भी निकाल। हम भी तो देखें इस साली ने कपडों के अंदर कौन सा खजाना छिपा रखा है।

मंत्री की बात सुनकर गनपत अपने चाकू को मेरे पेट पर फेराते हुए मेरी कमर तक ले आया। जैसे ही वो मेरे जींस का बटन खोलने लगा तो मैंने अपने हाथों से उसे रोकते हुए कहा

निशा- प्लीज मत निकालो इसे। मेरे पीरिय़ड शुरू हो गए हैं।

मेरी बात सुनकर सभी लोग हंसने लगे। क्योंकि वे लोग मेरे जींस पर मेरी गाँड और चूत के पास लगे खून को पहले ही देख चुके थे। कुछ देर हंसने के बाद गनपत बोला

गनपत- साली बहनचोद राण्ड…. तेरे पीरियड से हमें क्या हमें तो तेरी चूत में लण्ड घुसाने से मतलब है।

इतना बोलकर गनपत जबरदस्ती मेरा जींस उतारने लगा। जब मैंने उसे रोकने की कोशिश की तो मंत्री प्रकाश राज और जफर ने मेरे हाथ पकड लिए। जिसके बाद गनपत ने मुझे जबरदस्ती पूरी तरह से नंगा कर दिया। मेरे सारे कपडे उतारने के बाद मंत्री और जफर ने मुझे छोड दिया। पर गनपत मेरी कमर के पास ही बैठा रहा और मेरे पूरे शरीर को बासना भरी नजर से देखने लगा। मैंने अपने हाथों से अपने शरीर को छुपाने की कोशिश की, पर कोई फायदा नहीं था।

हालाँकि में पहले ही कई मर्दों के साथ सेक्स कर चुकी थी और उनके सामने अपने सारे कपडे उतारकर नंगी भी हो चुकी थी। पर वो सब मैंने अपनी मर्जी से किया था। अब तक किसी ने जबरदस्ती मेरे साथ यह सब नहीं किया था। बैसे भी पीरियड के दौरान लडकियाँ कुछ ज्यादा ही सेंसटिव हो जाती हैं और अपने प्रायवेट पार्टस को किसी को दिखाने में उन्हें बहुत ज्यादा शर्म महसूस होती है।

पिछले 20-22 दिनों से मैं एक कॉलगर्ल की जिंदगी जी रही थी। इस दौरान मुझे कभी भी इतनी शर्म महसूस नहीं हूई थी, जितनी आज हो रही थी और ना ही आज तक किसी ने मुझ इस तरह ह्यूमिलेट किया था। मेरे शरीर को वासना भरी नजर से देखने के बाद गनपत ने अपने कपडे उतारने शूरू कर दिए। मैं उसके सामने हाथ जोडकर गिडगिडाती रही पर उसपर कोई असर नहीं हुआ। वो अपने कपडे उतार कर मेरे ऊपर सबार हो गया और बेरहमी से मेरे बुब्स को मसलने लगा।

साथ ही साथ वो मेरे गालों पर और गर्दन पर काट भी रहा था। जिस कारण मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मेरे आँखों से आँशू निकल रहे थे। पर मुझे दर्द में तडपते देखकर उन लोगों को मजा आ रहा था। अचानक से गनपत ने मेरे होंठों को चूमना और काटना शूरू कर दिया जिस कराण मेरी आवाज मेरे गले के अंदर ही घुटकर रह गई। ठीक तभी उसने अपना किसी जानबर जैसा बड़ा और मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

पीरियड शूरू होने के कारण मेरी चूत में से पहले से ही खून रिश रहा था और उसमें हल्की सी सूजन भी आ गई थी। गनपत के मोटे और बडे लण्ड के अंदर जाने से मेरी चूत अंदर से बुरी तरह फट गई। जिस कारण मुझे अपनी चूत में बहुत तेज दर्द महसूस होने लगा था। पर मैं चीख भी नहीं पा रही थी। मेरी चूत से और भी तेजी से खून निकलने लगा था। मैं उस जनबर के नीचे दर्द के कारण बुरी तरह तडप रही थी और उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। पर मेरी सारी कोशिश बेकार जा रहीं थी।

गनपत ने मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाते ही मेरी चुदाई शुरू कर दी थी। आज पहली बार मुझे चुदाई करवाने में बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था। बल्कि मुझे इस सबसे नफरत हो रही थी। पर किसी को भी मेरी इस फीलिंग से कोई फर्क नहीं पड रहा था। गनपत किसी जानबर की तरह मुझे लगातार चोद रहा था और बाकी सब मुझे तडपता हुआ देखकर मेरे मजे ले रहे थे। गनपत काफी देर तक मुझे यूं ही जानबरों की तरह चोदता रहा और फिर वो मेरी चूत में ही ठण्डा हो गया।

गनपत के अलग होते ही जफर भी मुझपर किसी भूखे भेडिए की तरह टूट पडा। मैं रोती गिडगिडाती रही पर किसी पर भी कोई फर्क नहीं पडा और सभी लोग एक एक कर के जानबरों की तरह मुझे नोचते रहे। जब वो सभी लोग मेरा मजा लूट चुके तो मुझे छोड कर अलग हो गए और अपने अपने कपडे पहनने लगे। मेरे पूरे शरीर में तेज दर्द हो रहा था और मुझे अपनी कमर से नीचे का हिस्सा अब बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा है ही नहीं।

उनके अलग होते ही मैंने हिम्मत करके खडे होने की कोशिश की, लेकिन दर्द के कारण मैं खडी नहीं हो पा रही थी। वो लोग मुझे ऐसा करते देख हंसने लगे। जिस कारण मुझे उनकी हंसी अब और भी ज्यादा भयानक लग रही थी। जब कई बार कोशिश करने के बाद भी मैं खडी नहीं हो पाई, तो मैं जैसे तैसे घुटनों के बल होकर किसी कुतिया की तरह चलते हुए बाहर जाने की कोशिश करने लगी। मैं बस किसी भी तरह उन सबसे दूर भागना चाहती थी। मुझे यह भी होश नहीं था कि इस वक्त मेरे शरीर पर कपडे का एक रेशा तक मौजूद नहीं है।

मुझे ऐसे बाहर जाते देख एस.पी. बोला

महेश- इस लड़की में अब भी इतनी जान बची है कि ये यहाँ से भागने की कोशिश कर रही है

योगेश- अरे जायेगी कहाँ…. बाहर भी तो हमारे ही आदमी खडे हैं। उन्हें भी मजे करने दो। देखते हैं है ये कब तक और बरदास्त कर पाती है।

अब मुझे उनकी किसी भी बात से कोई मतलब नहीं था और ना ही किसी बात का कोई डर मेरे अंदर रह गया था। इतना दर्द और यातना झेलने के बाद मुझे अपनी मौत अपनी आँखों के सामने दिखने लगी थी। मैं मन ही मन उस दिन को कोश रही थी। जिस दिन मैंने अपना काम खत्म होने के बाद भी यहाँ भोपाल में रुकने का फैसला किया था और उस दिन को भी जिस दिन मैंने गगन से उलझने की भूल की थी।

मैं ना तो यहाँ भोपाल में रुकने का फैसला करती, ना कभी मेरी गगन से मुलाकात होती और ना ही आज मेरी यह हालत होती। पर अब कुछ नहीं हो सकता था। ऐसा नहीं था कि मेरे अंदर पैसों का लालच था, जिस कारण मैंने उस सोने और हीरों के बारे में इन सब को नहीं बताया। बल्कि मैं यह बात अच्छी तरह जानती थी कि अगर मैं सब सच बता भी देती, तो भी ये लोग मेरे साथ यह सब करते।


कहानी जारी है..........

बहुत ही खतरनाक तरीके से बुरा हाल किया है इन लोगों ने सपना का !

बहुत ही शानदार जा रही है स्टोरी अब अगले भाग की प्रतीक्षा बहुत मुश्किल है ! जल्दी से अगला भाग भी पोस्ट कीजिए !
 
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