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Adultery डॉक्टर की कहानी डॉक्टर की जुबानी

mastmast123

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सरिता और श्रद्धा का ये किस्सा पुराना है, इसमें आगे
सरिता ने श्रद्धा को अपने बेडरूम में बुलाया हुआ है,
सरिता श्रद्धा तू मेरी बहु है लेकिन बेटी से ज्यादा है मेरे लिए आ मेरे पास बैठ और श्रद्धा को अपने पास खींच लिया, उसके हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा कैसी तबियत अब मेरी बेटी की
श्रद्धा क्या बोले उसे पता है क्यों वो बुझी बुझी सी है, एक प्यास है जिसे वो किसी से भी share नहीं कर सकती है और वो प्यास बुझा भी नहीं सकती है, लेकिन ऊपरी मन से कहती है ठीक हूं मम्मी,
सरिता लेकिन लगती तो नहीं है प्रफुल्ल ने जो दवाइयां दी थी वो ले रही है ना
श्रद्धा मन ही मन धीरे से बोलती है दवाओं से ठीक हो सकती है ये काश!!!
सरिता सुन लेती है और पूछती है फिर कैसे ठीक हो सकती है बता न मुझे
श्रद्धा झेंप जाति है की सास ने सुन लिया और शर्मा जाति है
सरला समझ जाती है बात कुछ और है वो बोलती है तू मुझे अपनी मां मानती है या नहीं
श्रद्धा हां ना
सगी वाली मानती है या पति की मां
श्रद्धा दोनों ही तो मां हैं ना मां,
नहीं , और श्रद्धा को अपनी गोद में सुला लेती है और कहती है आज से तू मेरी बेटी हुई, प्रफुल के सामने मेरी बहु, मगर जब हम दोनों हो तो सिर्फ मां, वैसे हमेशा अब तू मेरी बेटी ही है सिर्फ प्रफुल्ल के होने पर तुझे बहु बुलाऊंगी। मैं ये बात दिल से कह रही हूं तू मुझसे सब शेयर कर सकती है चाहे कितनी भी पर्सनल हो, मुझे सुना मैं तेरी मदद करूंगी। और ऐसा कह के उसके होंठों पर अपनी उंगली फेर दी, सरिता कई दिनों से श्रद्धा से अंतरंग होना चाहती थी मगर हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, आज उसने पक्का मन बना लिया था और कैसे भी वो श्रद्धा को अहसास करवाना चाह रही थी कि वो उससे चिपक कर सेक्सी खेल खेलना चाहती है
होठों को छूने पर श्रद्धा ने सरिता को देखा , वो हैरान थी मम्मी क्या कर रही है, तभी सरिता श्रद्धा के गले और थोड़ा नीचे सहलाने लगी, बोली बेटी बता ना तुझे कैसे खुशी मिलेगी, तू मुझ पर विश्वास कर पूरा बेटी , में तेरा नाम कभी बदनाम नहीं होने होने दूंगी, और हाथ को उसके विशाल वक्षों के ऐसे छुआ जैसे गलती से छू गए हों,
श्रद्धा सिहर गई और शर्मा गई बोली मम्मी pls और शर्मा के गोदी में मुंह छुपा लिया। सरिता समझ गई इसको बुरा नहीं लगा मतलब आगे बढ़ सकती हूं।
उसने पूछा श्रद्धा का चेहरा वापस ऊपर के, अच्छा लगा बेटी,
श्रद्धा शर्म से लाल हो गई बोली आपकी बहू हूं ऐसा मत कीजिए ना,
सरिता अगर मां होती तो तब भी इतनी शर्म आती।श्रद्धा ना में सिर हिलाती है, सरिता मैने कहा ना आज से मैं तेरी सगी से भी सगी मां हूं, मुझसे मत शरमा और अपनी मां स्वीकार कर ना मुझे बेटी श्रद्धा।
श्रद्धा धीरे से हां मैं सिर हिलाती है, सरिता थैंक्स श्रद्धा मुझे बहुत खुशी हुई।
फिर उसके होंठों को उंगली से सहलाती हुई पूछती है क्या बात है बेटी इतनी बुझी बुझी सी क्यों है, कितनी सुंदर है ,और उसके बॉब्स को दोनों हाथों से पकड़ते हुए दबाती हुई बोली कितने बड़े कड़क और नुकीले बोबे है मेरी बेटी के,
श्रद्धा अब गनगना रही थी बोली मम्मी ऊऊऊऊऊऊ और सिसकी और सरिता के पेट को जुबान से गीला करते हुए चूमने लगी, सरिता की चूत बहने लगी हाय मेरी बेटी और उसके ब्लाउस के हुक खोलने लगी, श्रद्धा बोली दरवाजा खुला है मम्मी,
ओह ऐसा बोलकर सरिता उठी और नौकरों को डिस्टर्ब नहीं करने की हिदायत देकर कमरे में आई और लॉक लगा लिया।
अब श्रद्धा के पास बैठ कर उसका ब्लाउज खोलने लगी, श्रद्धा बोली शर्म आ रही है मम्मी, सरिता मां से कैसी शर्म बेटी
श्रद्धा मां जब खुद के छुपा के बैठी हो और बेटी के उजागर करने लगे तो शर्म आयेगी ही न मम्मी,
अच्छा ये बात है, और सरिता खड़ी हुई और सारे कपड़े खोल कर एकदम नंगी हो गई और बोली अब तो शर्म नहीं आएगी न मेरी लाडली बेटी श्रद्धा को।
श्रद्धा चकित सी सरिता का नंगा बदन देख रही थी सांचे में ढला 38 के बोबे 42 की गांड और पतली कमर पर लहराते हुए लंबे बाल, चूत चिकनी सपाट रस टपकाती हुई, श्रद्धा ने साफ देखा एक बूंद धीरे से दोनों टांगों के बीच टपकी।
सरला पलंग पर बैठने लगी श्रद्धा बोली मम्मी रुको न थोड़ी देर तो निहारने दो इस कामुक बदन को सरिता हंसी और बोली ले देख ले आराम से, श्रद्धा पलंग से उठकर नीचे आई और सरिता को बीच कमरे में खीच कर लाई और गोल गोल घूमकर मां का सैक्सी शरीर देखने लगी और बोली क्या मैं इस कयामत बदन को छू सकती हूं ऐ सेक्स की महारानी, श्रद्धा अब मूड में आ गई थी, उसकी इच्छा कई सालों से एक नारी शरीर को देखने और छूने की हो रही थी, आज उसको मौका सरिता ने आगे हो कर दे दिया था।
सरिता इजाजत है श्रद्धा लेकिन एक शर्त है
क्या
आप मुझे रोकेगी नहीं और मुझे हाथ भी नहीं लगाएगी और जब मैं बठने का में बोलूं खड़ी ही रहेगी चाहे जो हो जाए।
सरिता मंजूर है लेकिन मेरी बारी पर तुम्हें भी मेरी शर्त माननी पड़ेगी।
श्रद्धा ठीक है, अब वो सरिता के पीछे गई और उसकी पीठ सहलाने लगी सरिता मस्त होने लगी, श्रद्धा ने कमर पर हल्की सी गुदगुदी करते हुए दिनों हाथ आगे बढ़ा कर एक हाथ से मांसल पेट को सहलाया और दूसरे हाथ की एक उंगली सरिता की नाभी में घुसा कर गोल गोल घुमाने लगी, इसका असर ये हुआ सरिता के बोबे सांस के साथ ऊपर नीचे होने लगे और दोनों निप्पल कच्चे अंगूर की तरह कड़क हो कर सनसनाने लगे और सरिता की चूत की नदी में प्रचंड हिलोरे लहराने लगी।
अब श्रद्धा ने हाथ पीछे लिए और सरिता की गांड दोनों हाथो से पकड़ कर जोरों से मसलने लगी सरिता वासना के वेग से खुद को स्थिर खड़ा रखते हुए सिसियाने लगी, स्वाति भी शादी शुदा ही थी बहुत चुदी हुई हां सिर्फ पति से ही सही मगर बहुत सेक्सी औरत, गांड को जोरों से मसलते हुए सरिता को मचलने पर मजबूर कर रही थी, अचानक वो रुकी और ड्रेसिंग टेबल तक गई और एक हाथ की पांचों उंगलियों को तेल से सराबोर कर वापिस आई और बिना तेल वाले हाथ से सरिता की गांड को दबाना फिर शुरू किया और तेल वाली उंगलियों से सरिता की गांड की दरार को चौड़ा किया और बीच वाली उंगली को उसके गांड के छेद के आसपास गोल गोल घुमाने लगी अब सरिता की मुश्किल बहुत बढ़ गई थी और वो जोर जोर से आहें भरने लगी और बोली मेरी बेटी श्रद्धा ये क्या कर रही है और सीत्कार करने लगी बहुत जोर से, चूंकि इस घर के सारे बेडरूम साउंड प्रूफ हैं इसलिए आवाज बाहर जाने का कोई सवाल नही था, इसीलिए सरिता खुल कर आहें भर रही थी चिल्ला रही थी, तभी श्रद्धा ने अपनी उंगली सरिता की गांड में आधा इंच अंदर डाल थी तेल लगी हुई थी तो बहुत आराम से गांड में सरक गई थी अब सरिता सातवें आसमान पर थी, श्रद्धा ने सरिता के कान में धीरे से कहा मम्मी इस कातिल गांड ने आज तक कितने लंड खाए हैं, सरिता अवाक हुई सोचने लगी लंड का नाम ले रही है मतलब पूरी लाइन पर आ गई है अब जरूर अपना राज खोलेगी, और बोली सब बताऊंगी मेरी बेटी थोड़ा सब्र रख, अब श्रद्धा ने गांड को छोड़ा उंगली निकाली और जाकर दोनों हाथों में ढेर सारा तेल मल कर सरिता के सामने आई और उसके मचलते दोनों बोबों को हटेलियों में दबोचा और जोर दार मालिश करने लगी, सरिता आंहों की लगातार चीत्कार करने लगी उसके लिए खड़ा रहना मुश्किल हो गया, और रिक्वेस्ट के अंदाज में बोली श्रद्धा मेरी प्यारी बच्ची मुझे पलंग पर बैठने दे pls, श्रद्धा बोली बिल्कुल नहीं यही तो खास मजा है बोबे मसल रहे हों चूत बुरी तरह रस बहा रही हो कोई बेहद चुदासी औरत खुद को इस खतरनाक चुदासी हालत में भी खड़ा रखे, मेरी नजर में वो एक महान चुड़ककड़ रही होगी या है, जो आप साबित कर रही हो अब तक तो, बस थोड़ी देर और हिम्मत रखो और आप एक bestest चुड़क्कड औरत का गरिमामय अवार्ड पा लोगी।
सरिता का सिसियाना जारी था उसकी चुदास के आगे उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, अब श्रद्धा ने सरिता के दोनों कड़क हो चुके निप्पल को उंगली और अंगूठे के बीच अंगूर की तरह गोल गोल दबाना शुरू किया, सरिता अब बेकाबू होकर अपना सिर हवा में पटकने लगी और दोनों जांघो को आपस में रगड़ने लगी और वासना में डूबी हुई लगभग रोती हुई बोली बेटी अब मुझे छोड़ दे मैं इस चुदास में मर जाऊंगी बेटी दया कर मुझ पर, पर उसकी आंखे बंद थी और उसका पूरा शरीर चूत की प्यास में फड़फड़ा रहा था।
श्रद्धा को रहम आया और बोबे छोड़ कर एक साइड हुई और सरिता के हाथ के पास खड़ी हुई और एक हाथ आगे चूत पर रखा और दूसरा हाथ गांड के छेद पर, सरिता की चूत भट्टी सी दहक रही थी और बुरी तरह रस बहा रही थी उसका चूत रस दोनों पैरों से बहता हुआ अब एड़ी तक जा पंहुचा था सोचिए सब महिला पाठक सरिता का क्या हाल हो रहा था, औरतें ही सरिता की हालत अच्छे से बयान कर सकती है क्योंकि किसी पुरुष ने ये अनुभव कभी नहीं लिया है सो मेरी लेखनी सरिता की हाल की अवस्था बयान करने में असमर्थ है, खेर अब श्रद्धा ने अपनी दो उंगली सरिता की चूत में डाली और एक बड़ी उंगली सरिता की गांड में धीरे धीरे पूरी सरका दी और चूत और गांड दोनों को अच्छे से चोदने लगी, सरिता ने अपना सिर श्रद्धा के कंधे पर टिका लिया लेकिन मानना पड़ेगा इतने खतरनाक हमले को जो उसके दिनों छेदों पर एक साथ ही रहा था बड़े साहस से झेल रही थी और tan कर सीधी खड़ी थी, क्या ही चुदेल औरत होगी मम्मी, श्रद्धा सोचने लगी, अब सरिता पूरी शक्ति से सिसियते हुए चूत और गांड के हमले का आनंद लेने लगी, अब तक लगातार सात बार वो झड़ गई थी लेकिन एक बार भी उसने श्रद्धा को नहीं रोका था, अब उससे सहन नहीं हुआ लगातार एक घंटे तक इस वासना के प्रहार को झेलते हुए आठवी बार बहुत जोरों से झड़ी उसके झड़ने का वेग श्रद्धा समझ गई और उसने उंगली चूत से तुरत बाहर निकल ली सरिता का ऑर्गेज्म एक धार के रूप में होने लगा श्रद्धा ने सरिता को छाती के पास से कस कर पकड़ लिया, सरिता का रस एक धार के रूप में दो फीट दूर तक पहुंच रहा था फव्वारे के रूप में श्रद्धा सरिता के इस रूप को देखकर अचंभित थी और गर्वित भी की उसकी सास कितनी बड़ी चुदेल हैं श्रद्धा बहुत खुश थी ऐसी सास पाकर, उसे लगा अब उसका और उसकी चूत का अवश्य उद्धार होगा, इधर सरिता झड़ने के बाद निस्तेज हो गई और गिरने ही वाली थी, श्रद्धा ने सरिता को कस कर पकड़ा हुआ था उसे गिरने नही दिया और धीरे धीरे लगभग घसीटते हुए पलंग पर ले जा कर लिटा दिया और खुद भी उसी के पास ढेर हो गई अपनी नदी बहाती हुई चूत को लेकर।
 
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mastmast123

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मेरी पत्नी श्रद्धा की कहानी और मेरी सुहागरात अदिति के साथ inter related है इसलिए पाठकों से निवेदन है कि श्रद्धा का वृतांत पूरा होने तक मेरे और अदिति के कार्य क्रम का इंतजार करें, श्रद्धा की और अदिति के साथ मेरे मिलन की कहानी एक विशेष दिन पर अलग अलग एक साथ चलेगी एक ही समय पर, pls wait till patiently,,,
thanks
 
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mastmast123

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सरिता आधे घंटे तक सोती रही फिर उसकी नींद खुली उसने देखा श्रद्धा पास ही सो रही है ,अब तक सरिता का ज्वार उतर चुका था और अब वो श्रद्धा को निचोड़ना चाह रही थी, औरत कभी कभी ऐसी औरत के संपर्क में आती है कि उसे उस औरत का साथ अच्छा लगता है और वो उससे शारीरिक रूप से जुड़ने की चाह रखती है, सारिका श्रद्धा के साथ भी वही जुड़ाव महसूस करती रही है और आज उसकी इच्छा पूरी हुई है, वो आगे बढ़ कर श्रद्धा के होठों को अपने होठों में भर लेती है श्रद्धा आधी जागी आधी सोई हालत में थी, चूत तो शांत हुई नहीं थी इसलिए तुरंत चुदासी हो गई और सरिता को जोरों से चूमने लगी, श्रद्धा के चुम्बन में सरिता से ज्यादा कामुकता और तीव्रता थी, श्रद्धा ज्यादा कामुक थी लेकिन अपनी प्यास दबाए रखती थी।
सरिता ने धीरे धीरे श्रद्धा के सारे कपड़े खोल दिए और उसे अपनी तरह नंगा कर दिया और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगी, श्रद्धा की हालत बुरी हो गई वो जोरों से चीखें मार रही थी और हाथ पैर पटक रही थी चूत की चुदास के मारे , उसे एक मोटे ताजे सख्त लंड की जरूरत थी उसका उंगली से काम नहीं चल सकता था, उसने सरिता का हाथ चूत से हटा दिया और बोली आप हटा दीजिए मम्मी मेरा ऐसे काम नहीं चल सकता है।
सरिता बैठ गए और श्रद्धा का सिर अपनी गोद में रखा और उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली बहु अब तो बता सकती है ना क्या बात है जो दिन ब दिन मुरझाए जा रही है।
श्रद्धा बताऊंगी पर मुझे पहले आपके बारे में जानना है कि मैं आप पर विश्वास कर सकती हूं या नहीं।
सरिता समझ गई कि किसी भी औरत के लिए अपनी पर्सनल लाइफ किसी के साथ शेयर करना मुश्किल होता है, अभी इसको और विश्वास में लेने की जरूरत है।
सरिता बोली ठीक है,
श्रद्धा उठकर सरिता के गले लग गई सॉरी मम्मी मैं थोड़ा ज्यादा बोल गई सॉरी, सरिता बोली तेरी मां हूं तू ऐसा मत बोल।
अब श्रद्धा थोड़ा नॉर्मल हुई और सरिता के पपीतों को घूरने लगी, सरिता उसकी नज़र देख रही थी श्रद्धा से सरिता की आंखों में देखा और इशारे से पूछा ये क्या,
सरिता बोली क्या पूछ रही है
श्रद्धा के हाथों में अभी भी तेल था उसने दोनो निप्पल दबाते हुए पूछा मम्मी ये पपीते कितने मर्दों के हाथ लगने से पके हैं सच सच बताना।
सरिता बोली तुझासे कुछ भी नहीं छुपाऊंगी चाहे तू अपनी मत बताना, मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है।
सुन मैं अपनी जवानी में बहुत चुड़ककड़ थी या बन गई थी अपने सब रिश्तेदार औरतों के बीच सबसे चुदासी औरत के रूप में फेमस थी, हम औरतें आपस में सब कुछ शेयर करती थी कुछ छुपाती नहीं थी लेकिन हमारी कोई बात बाहर आज तक नहीं आई।
तुझे बताऊं मुझे चुड़ककड़ किसने बनाया।
हां मम्मी,
पता है मैं मेरी सुहागरात के तीसरे दिन ही दूसरे लंड से चुद गई थी
श्रद्धा हाय मम्मी सच।
हां बेटी सच, वो तेरे ससुर का बहुत दूर का कजिन था और शादी में आया था, मेरी ही उम्र का था कुंवारा, एक दम लाल और बहुत गोरा, शादी के दिन से ही मेरे पीछे पड़ा था, मुझे लगातार देखे जा रहा था, शादी की सारी विधियों में मेरे सामने ही बैठा रहा, और घूरे जा रहा था, सिर्फ हम दोनों को ही पता था, इस तरह वो देखता था, मेरे मन में भी कुछ कुछ होने लगा था, तुझे तो पता है तेरे ससुर कैसे दिखते थे सांवले और दुबले पतले, और वो स्मार्ट कट्टर जवान, उसको समझ आ गया था, मैं उस से imprest हो रही हूं, जब मांग में सिंदूर भरने की रस्म मेरे साइड में खड़े होकर तेरे ससुर कर रहे थे सब मुझे ही देख रहे थे वो एकदम मेरे सामने बहुत करीब बैठ कर मुझे बहुत गौर से देख रहा था, में भी उसे देख रही थी सोचो सब से important रस्म मेरे जीवन की और मेरा ध्यान उसने पूरा अपने पर कर लिया था मैं मुग्ध होकर उसे ही देखे जा रही थी उसने मुझे आंख मारी और किस फेंका होठों से , में शर्म से दोहरी हो गई हल्की हंसी से उसे देखती रही, लोग समझ रहे थे मांग भराई की रस्म से मैं खुश हो रही हूं, मगर मेरी खुशी तो मेरे सामने बैठा था, उसने दूसरी बार आंख मारी और किस fly किया, उसकी हिम्मत देख के मैं हैरान थी और खुश भी, मैने उस पर से अपनी नज़र नहीं हटाई और उसका हौसला देखो लगातार तीसरी बार उसने आंख मारी और 💋 दे मारा फ्लाइंग सिर्फ होठों ही होठों में, तभी जोर जोर से तालियां बजने लगी मेरा ध्यान टूटा रस्म पूरी हो गई थी मैं होश में आई और नीचे देखने लगी शर्म के मारे और मुझे हंसी भी बहुत आ रही थी जो उसने अच्छे से देख ली थी वो भी खुश था, उसके तुरंत बाद कोई और रस्म चल रही थी बहुत से लोग आते जा रहे थे हम जोड़े को कपड़े देते जा रहे थे बहुत भीड़ हो गई थी किसी का ध्यान मुझ पर नहीं था अब वो धीरे धीरे आकर मेरे बगल में बैठ गया , मैं पालकी मार कर विवाह वेदी के सामने बैठी थी मेरा उसकी तरफ वाला मैं घुटने केनीचे किए बैठी थी अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी हथेली अपनी हथेली में दबोच ली, मेरी तो सांस ही रुक गई, में कुछ बोल भी नही सकती थी अवाक सी तिरछी नज़र से उसे देखा वो साला मुस्करा रहा था, भिड़ इतनी थी किसी का ध्यान हमारी तरफ नहीं था और इसी का फायदा उसने उठा लिया था और मेरा हाथ करीबन दस पन्द्रह सेकंड तक दबाया और छोड़ कर शरीफ बन कर बैठ गया, अब मैं थोड़ी सेंस में आई, मैं तो घबराहट सनसनी खुशी के मिले जुले भाव में डूब गई थी , जब सेंस आया वो थोड़ा मेरी तरफ मुड़ कर भोला बन कर बैठा था, में उसे रूक रूक कर देखती वो आंखों आंखों में ही मुस्कराकर पूछता कैसा लगा अच्छा लगा, में भी आंखों में ही मुस्करा देती और इशारे में कहती थैंक्स, ऐसा कोई आधे घंटे तक चला, फिर उसके बाद उसको टाइम नहीं मिला, बारात बिदा होकर मेरे सुसराल आ गई, चूंकि मेरी सास का वो लाडला था तो सारे घर में बे रोक टोक इधर उधर सब जगह चला जाता था, मुझे ऊपर ले जा कर एक कमरे में बिठा दिया था शादी के भारी जोड़े में ही, सब अपने अपने काम में लगे थे, शादी के घर में हजारों काम होते हैं, किसी का ध्यान ऊपर नहीं था तेरे ससुर जी भी थक गए होंगे तो वो रिलेक्स करने दोस्तों के साथ बाहर चले गए, अब इन महाशय की हिम्मत देखो ये बेधड़क मेरे कमरे में घुस आया, और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, मैने देखा और घबरा गई और बोली ये क्या बदतमीजी है वो हंसते हुए बोला क्यों अपनी बीबी से मिलना बदतमीजी होती है, मैं बोली आपकी पत्नी कैसे वो बोला फेरों से लेकर सिंदूर की रस्म तक आपके साथ रहा हूं साए की तरह देवी जी एकतरह से आप से शादी हुई है सरिता जी, मैं होठ दबा कर हंसती हुई बोली धत्त कुछ भी बकते हो,
वो बेशर्म मेरे पैरों मैं जमीन पर बैठ गया और एक अंगूठी निकाली और लगभग पूरी शिद्दत से पूरी मोहब्बत से मेरी आंखों में देखता हुआ बोला सरिता पता नहीं आपने क्या जादू किया है मैंने आपको अपनी देवी अपना ईश्वर मान बैठा हूं जब से आपके यहां आपके घर आपकी शादी में आया हूं , आपको एक पल भी नजरों से दूर नहीं कर पा रहा हूं, और तो और मैने आपके साथ फेरे भी लिए है और आंखों ही आंखों आपकी मांग भी भरी है आपने तो पूरे ध्यान से देखा है वो भी एक बार नहीं तीन तीन बार , मैं हंस पड़ी उसकी उस समय की शरारत पर अब मुझे खुलकर हंसी आई थी , वो बोला मेरी अर्द्धांगिनी मेरी सरिता अपने प्रिय अपने पति से ये अंगूठी स्वीकार करो उसकी मासूमियत और सच्चाई में मैं खो गई थी और उसने मेरे सीधे हाथ की बीच वाली उगली में ये अंगूठी पहना दी, मैं हक्कीबक्की सब जानते हुए भी उसके प्यार में बेबस हो कर उसे सब करने देती रही।
अब वो जल्दी से खड़ा हुआ मुझे भी हाथ पकड़ कर खड़ा किया और जोर से अपनी बांहों में भर लिया मेरे होठों के होंठो से चूम लिया कोई दस सेकंड तक मैं ठगी सी और उसमे खोई सुध बुध खो कर उसका साथ देती रही, उसने मेरे दोनों स्तनों को अपने ताकत वर हाथों में पकड़ कर जोर से दबाया और चूचियों को मसलते हुए बोला आपके साथ सुहागरात भी मनाउगा आप देखती रहो और एक हाथ को झुककर मेरे घाघरे में तेजी से डाला और पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को दबोचा उसे मेरी चूत का रस उसके हाथों में महसूस हुआ, बोला ओह तो ये भी रेडी है, तुरत हाथ निकाला जो थोड़ा भी चूत रस उसकी हथेली पर आया था उसे चाटते हुए फ्लाइंग किस देते हुए bye सरिता डार्लिंग सुहागरात पर मिलूंगा और दरवाजा खोल कर ये जा वो जा।
 

mastmast123

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मैं अब और भी ज्यादा इंप्रेस हो गई थी उसकी हिम्मत से, एक नई नवेली दुल्हन को, शादी से भरे घर में, उसके कमरे में घुस कर अंगूठी पहना कर seduce भी कर गया, मैं उसकी बहादुरी पर गर्व करने लगी और मन ही मन अपना पति मान कर उसकी पहनाई हुई अंगूठी को निहारने लगी।
आज कुछ और रस्म और पूजा बाकी थी, सो आज तो सुहाग रात होनी नहीं थी मुझे रात को भगवान के कमरे में सोने को कहा गया, क्योंकि सुहागरात होने के पहले तक दुल्हन हो देवी माना जाता है वो रात मैं और मेरी सास दोनों वहीं सोए।
अगले दिन हमारे रूम को सजाया गया और सुहाग रात की तैयारी की गई। रात को तेरे ससुर जी कोई ग्यारह बजे आए मेरे पास बैठे घूंघट उठाया और मेरी सुंदरता में खो गए, भावुक होकर मेरी तारीफ करते रहे मुझे भी अच्छा लग रहा था इधर की शादी की बातें हुई और इसी सब में तीन बज गए, उन्होंने मुझे बांहों में भरा मुझे किस किया gently, और पूछने लगे सरु ये नाम उन्होंने उसी दिन मुझे दिया था, बोले सरु मैं हमारा वैवाहिक जीवन बहुत सौम्य तरीके से शुरू करना चाहता हूं, यदि ये रात हम कल मनाएं तो तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं है, मैने जैसा आपको ठीक लगे मुझे कोई ऐतराज नहीं है।
वो मुझे बांहों में लेकर सो गए, सुबह नौ बजे मेरी नींद खुली ये बिस्तर में नहीं थे मैने उठकर अंगड़ाई ली ही थी कि ये चाय का कप लेकर आए और बोले सरू यार आज बहुत जरूरी काम आ गया है मुझे बाहर जाना होगा परसों तक आ जाऊंगा, pls यार जाना बहुत बहुत अर्जेंट है यार , सॉरी तुम यहीं आराम करो आज कल और परसों भी मैने मां को बोल दिया है कोई तुमको डिस्टर्ब नहीं करेगा।
मैं क्या बोलती ठीक है।
वो चले गए। मैं नहा धो कर नीचे गई मां को प्रणाम किया मां बोली तुम बाहर सोफे पर बैठो मैं आती हूं, मैं वहां जाकर बैठी मां भी आ गई तभी ये महाशय , अरे इनका नाम नहीं बताया अब तक, शरद भी कहीं अचानक प्रकट हुए और मां से बोले मौसी मुझे भी इजाजत दीजिए मैं भी चलूं बहुत दिन हो गए है सब मेहमान भी गए मुझे भी जाने दीजिए, मैं तो कुछ और ही सोच रही थी और ये तो जनाब जाने की बात कर रहे हैं वो मां के सामने जमीन पर इस तरह बैठा था कि वो मां के साथ साथ मुझे भी देख सकता था मगर मां मुझे नही देख सकती थी, मैने शरद को गुस्से से देखा वो भी मुझे ही देख रहा था मैने बहुत गुस्से से देखते हुए उसे हाथ से मारने का इशारा किया। वो मुझे इग्नोर कर के मां से बात करने लगा, मां बोली तू पागल है क्या शरद तेरे भाई को आज बाहर जाना पड़ा अर्जेंट और तू भी जाने का बोल रहा है शादी के घर में कोई नहीं है खबरदार जो तीन दिन से पहले जाने की बात की तो चल ऊपर सोफे पे बैठ चुपचाप मैं कुछ लाती हूं चाय नाश्ता तब तक जरा अपनी भाभी का ध्यान रख बेचारी नए घर में अकेली गुमसुम है, बहु तुम इस नालायक के कान खींचो और समझाओ जाने की सोचे भी ना।
मां अंदर गई और जनाब मुस्कराते हुए मेरी तरफ मुखातिब हुए मैं समझ गई कैसे भोली भाली मां को बेवकूफ बनाकर खुद का रुकना जस्टिफाई कर लिया आसानी से।
मैं बोली बहुत चतुर हो आप देख रही हूं और धीरे से मुस्कराई।
अभी देखा कहां है सरिता डार्लिंग, आज रात को दिखाऊंगा, सुहागरात पर।
मैं चिढ़ाते हुए बोली जाओ जाओ ख्वाब देखो बड़े आए सुहागरात मनाने वाले।
वो बोला देखो सीरियसली सुनो टाइम कम है अभी मौसी आ जायेगी, सुनो मैं रात दस बजे आऊंगा दरवाजा खुला रखना, और हां शादी का वही जोड़ा पहनना और घूंघट ओढ़ कर बैठना ,
मैं बोली जी पतिदेव और कुछ।
और हां जोड़ा कुछ इस स्टाइल में पहनना जैसा किसी दुल्हन ने आज तक पहना ना हो ओर आगे भी पहनने की सोच भी ना सके।
मैने कहा जो आज्ञा सरकार।
तभी मां आती दिखी मैं डांटते हुए उसको बोली आप मां को कैसे परेशान कर सकते हो दो तीन दिन में कौन सा कारू का खजाना लुटने वाला है जो जा रहे हो , वो ब्रेस्ट को देखते हुए बोला आपको क्या मालूम उससे भी कई गुना कीमती खजाना है , मैं समझ गई किस की बात कर रहा है मां का ध्यान मेरी तरफ नहीं था मैने नजरों से उसे झिड़का और थप्पड़ मारने का इशारा किया वो धृष्टता से हंसने लगा, मां बोली चुप कर भाभी से जबान लड़ाता है कहीं नहीं जाना चुपचाप बैठ यहीं। चल चाय और नाश्ता दे भाभी को।
वो चाय लेकर उठा मां सामने खड़ा हो कर मुझे उनसे पूरा छुपा लिया और मेरे गाल को हाथ से पकड़ कर खिंचाओर चाय देते हुए बोला लीजिए भाभी जी चाय मैने उसकी आंखों में देखते हुए जुबान निकाल कर भौहें चढ़ा कर चिढ़ाया, वो भी होठों से चूमने का इशारा करते हुए पलट कर बैठ गया।
अब हम दोनों को रात दस बजे का इंतजार था।
 

SKYESH

Well-Known Member
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kahani main ek aur kahani ............. :wink:
 

mastmast123

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शाम को सात बजे जब थोड़ा अंधेरा होने को था मैं बाहर बगीचे में टहल रही थी मां अंदर ही थी वैसे बाहर कम ही निकलती थी, तभी वो भी बाहर आकर साथ टहलने लगा था बाहर एक दम खुला था सिर्फ बात हो सकती थी और कुछ नहीं, मुझे देखकर बोला और डार्लिंग कैसी हो,
बहुत बहुत डार्लिंग करते हो रात में मालूम पड़ जायेगा कितने पानी में हो मैं बोली,
हम दोनों नीचे ही देख रहे थे डायरेक्ट एक दूसरे को नहीं ताकि मां या कोई नौकर देखे तो समझे देवर भाभी घूम रहे हैं।
वो बोला पानी तो मैं निकालूंगा बाल्टी भर के किसी के कुंए से।
और निर्लज्ज हंसी हंसा।
कुएं के पानी का तो बाद में सोचे कोई, पहले अपने खूंटे की मालिश करे जा कर रात को कहीं टांय टांय फिस्स ही न हो जाए।
हम दोनों से अब रात के दस का इंतजार नहीं हो रहा था और अश्लीलता पर उतर आए थे।
वो बोला अरे जाओ जाओ, किसी के दोनों विशाल पहाड़ों पर कब्जा जमा कर वहां उनके शिखरों को इस कदर रगड़ा जाएगा कि उसकी गुफा में खलबली न मच जाए तो कहना और हां गुफा से याद आया कहीं गुफा के आस पास घना जंगल तो नहीं उगा रक्खा है किसी ने, में तो बाबा देखता तक नहीं ऐसी जगह को। वो बोला।

जाओ जाओ तीन दिन से कोई लार टपकाता आगे पीछे घूम रहा है गुफा का एक नजारा पाने को, वो तो हम हैं जो घास भी नहीं डाल रहे हैं, और उसकी तरफ देखकर जुबान निकाल आंखें घूमा कर उसे चिढ़ाया।
वो भी प्यार से हंसते हुए बोला घास से तो कोई अपनी सुरंग सजाए बैठा है हमको क्या डालेगा।

मैं नकली गुस्से से बोली जंगल और घास से सजाती होगी कोई आपकी वाली, हम तो एक तिनका भी उगने नहीं देते आज तक, उगने के पहले ही काट कर सफाया कर देते हैं, आज तक देखी नहीं होगी ऐसी जगह आज तक, समझे जनाब।
वो सरेंडर करता हुआ बोला हां हां देवी वो तो देख रहा हूं ऐसी हूर परी देखी तो क्या गुजरी भी नहीं दूर दूर से भी।
मैं मुस्कराई झूठी तारीफें हर एक को आपसे सीखना चाहिए।
वो बोला आप क्या हो आज रात को बतलाऊंगा एक एक अंग को छूकर।
ये सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और रोमांच से सिहरते हुए बोली, क्या सच में आज आप मेरी जान ले लोगे।
वो बोला मेरी हालत क्या हो रही है आप नहीं जानती हो मेरी ही जान रात दस बजे तक बच जाए वही बहुत है।
हम दोनों बहुत बेताब हो रहे थे और समय हम से काटे नहीं कट रहा था,

मैं बोली अरे शरद सुनो वो मेरी तरफ देखने लगा, आप दस के पहले बिलकुल मत आना, मुझे कई तैयारियां करनी है पहले आकर मेरी सुहागरात मत बिगाड़ देना।
सुहाग रात सुन कर शरद रोमांचित हो गया और लाल भभूका होकर मेरी और देख कर बोला आप तो स्वर्ग की अप्सरा मेनका हो आपको क्या किसी तैयारी की जरूरत।
मैं बोली आपको औरतों के बारे में कुछ पता भी है बड़े आए क्या तैयारियां, और मस्ती में हंसने लगी।
वो पागल सा हो गया था बोला शायद आपकी तैयारियां देख कर मैं जिंदा भी रह पाऊंगा , सुंदरता की देवी के अंग प्रत्यंग क्या क्या कहर ढाने वाले हैं मुझ पर।
मैं बोली अब बस पतिदेव ज्यादा तारीफें में सह नहीं पाऊंगी, अब भागो यहां से और ध्यान रखो दस के एक सेकंड भी पहले मत आना और हम दोनों अलग रास्तों से घर के अंदर की और चल पड़े।
 
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