छुटकी बहिनिया की...
लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,
" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "
और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,
" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "
तब तक वो आ गयी , एक बड़ी सी शीशी , वैसी ही जो हर गौने की रात में भौजाइयां देवर के सुहागरात के कमरे में रख के आती हैं , देसी सरसों के तेल से गले तक भरा ,
जब तक वो लड़की कुछ पूछे , जेठानी ने तेल निकाल के अपनी हथेली पर और संदीप के खूंटे पर ऊपर से नीचे तक आठ दस बार, और कुछ तेल उसकी बहन की हथेली पर ,
" हे तू भी लगा न , भाई की हल्दी तेल की रस्म तो बहन ही करती है, लगा दे प्यार से , "
जेठानी को हाथ पकड़ना भी नहीं पड़ा और उसने खुद हाथ में लगा सारा तेल , अच्छे से मूसल पे चुपड दिया,... मालूम तो उसे भी था क्या है पर किस के साथ होना है उसका जरा भी अंदाज उसे नहीं था।
जेठानी ने अब बहन के भैया को काम पे लगाया,
" इसकी चुनमुनिया देखनी है तो कुछ मेहनत करो "
लेकिन बहन और भाई मिल गए , संदीप ने उस कच्ची कोरी के कान में कुछ कहा और जब तक तक जेठानी समझें पेटीकोट का नाडा खुल चूका था। और सरसर कर के साया साथ छोड़ गया , अब जेठानी और संदीप पूरी तरह , और सिर्फ छुटकी सिर्फ चड्ढी में , वो भी मस्ती के रस से गीली।
जेठानी जी ने मन में तय कर लिया था अब तो इस स्साली की चड्ढी मैं इसके भैया से ही उतरवाउंगी, और रुला रुला के फड़वाउंगी उसकी, पक्की छिनार बना के रहूंगी इसको।
बस, उसके दोनों हाथ पीछे से मोड़ के उसके भइया के सामने ले जा के बोलीं
" अरे देख तोहरी छुटकी बहिनिया ने कौन सा खजाना यहाँ छिपा के रखा है जो किसी को दिखा नहीं रही "
वो छटपटाती रही पर संदीप ने आराम से धीरे धीरे अपनी बहन की चड्ढी प्यार से सरका सरका के,... और जेठानी ने उसे वहीँ फेंक दिया जहाँ उसकी ब्रा पड़ी थी,...
और सच में , बहिनी की चड्ढी उसका भइया उतारे उससे रसीली बात क्या हो सकती थी,
कच्ची एकदम कोरी कुंवारी चूत, गोरी गोरी, भूरी भूरी बस दो चार रेशम सी झांटे,.. फांके एकदम चिपकी जैसे लंड को चैलेन्ज कर रही हों , घुस के तो दिखाओ,...
वैसे ही तन्नाया भैया का लंड , एकदम पागल हो गया , यही तो वो चाहता था, एकदम कच्ची अनचुदी बुर,... जिसे पहली बार उसका मस्त खूंटा छुए,,एकदम अक्षत
और इस बिल में तो अभी ऊँगली भी ठीक से नहीं घुसी थी ,
लेकिन तबतक जेठानी जी की हथेली ने उसे ढंक लिया,
"अरे जरा तेल मालिश तो कर दूँ, बहुत नजरा लिए " और हाथ में लगा सारा कडुआ तेल संदीप की बहिनिया की बिल पे ले के धीमे मसलने लगीं,
कुछ देर में वो मिटटी के फर्श पे लेटी थी, टाँगे हवा में उठी और जेठानी जी बीच में, उनके हाथ में वही सरसों के तेल को बोतल, और अबकी पूरी ताकत से उसकी दोनों फांकों को जेठानी की उँगलियों ने फैला दिया, और तेल की खुली बोतल का मुंह सीधे दोनों फांकों के बीच में, कम से कम चार ढक्क्न के बराबर तेल तो गया ही होगा, और बोतल हटाने के साथ ही उनकी उँगलियों ने दोनों फांको को कस के चिपका के जैसे सील कर दिया, जिससे एक बूँद भी तेल बाहर न आ पाए और उस टीनेजर के दोनों चूतड़ दूसरे से पकड़ के हवा में उठा दिए,...
पूरे चार मिनट तक, जब तक पूरा तेल अंदर तक रिस नहीं गया, और उसके बाद भी जो दो चार बूँद निकला, पहले तो निचले होंठो के अंदरूनी हिस्सों पे , धक्का यहीं तो लगना था , और बाकी की तेल मालिश पूरी चुनमुनिया पे, साथ में अंगूठे से कभी वो क्लिट की रगड़ाई कर देतीं तो कभी दो उँगलियाँ फांको के बीच में डाल के अंदर बाहर ,
बहिनिया मचल रही थी, और ऊपर का हिस्साउसके भैया के हाथ, दोनों कच्ची अमियाँ जो रोज फ्राक के अंदर से उसका मन ललचाती थीं , अब खुल के हाथों में,
पहली बार किसी मर्द का हाथ पड़ा था, वो भी भैया का, भले अमियाँ बस आ रही थीं लेकिन वो ख़ुशी से फूल गयी, मस्ती से पथरा गयीं,
जेठानी ने एक बार फिर थोड़ा सा तेल हथेली में लेकर फांको के बीच और उसे छेड़ते हुए
" लेगी इसमें भैया का,... "
तुरंत जवाब नहीं में मिला।
" क्यों हाथ में लिया, ऊपर वाले मुंह में लिया तो बिचारे नीचे वाले से क्या गलती हो गयी है,... " जेठानी ने हलके हलके ऊँगली करते हुए कहा,
"फिर फुसफुसाते हुए बोलीं
" अरे यार चुदवाने को थोड़ी कह रही हूँ , मैं हूँ चुदवाने के लिए,... बस खाली एक बार ऊपर से टच करा लो , मैं बोल दूंगी उनको, सिर्फ टच,.. हलके से गईं के दस तक गिनती गईं के और तुम मना करोगी बोलोगी तो हट जाएंगे , अरे हाथ से छुआ , होंठ से छुआ दोनों जगह चमड़ी ही तो है , यहाँ भी वही,... '
वो चुप रही , और जेठानी को मौका मिल गया ,
" सुना न , चुप का मतलब हाँ, ... और बस स्किन पे टच,... कर ये जैसे ही बोले भैया निकाल लो तो निकाल लेना। "
इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,
अब वो दोनों जाँघों के बीच,
और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना के निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात
cbutki apne bhaya ki ki tyar karte hue....Superb superb updateचुसस्म चुसाई
छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...
एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता
" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "
और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,
थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।
और जेठानी ने संदीप के बहन के चूजों की भी आजाद कर दिया, ... साथ में उनकी ब्रा भी उतर गयी
लेकिन लाज शरम से उसकी बहन की आँखे बंद थी और ब्रा से ज्यादा जरूरी इस शरम को उतारना था।
एक बार ये शर्म का ढक्क्न उतर गया तो खुद टांग फैलाना शुरू कर देगी।
दोनों बहनें मिल के अभी भी जब खूंटा बाहर आ गया था तो भी मुठिया रही थीं , नीचे संदीप की बहिना का हाथ ऊपर से जेठानी का हाथ, उसे पकडे हुए धीरे धीरे गाइड करता,...
कुछ देर में जेठानी ने अपना हाथ हटा लिया, पर संदीप की बहिना का हाथ अभी अपने भैया के लंड पर चल रहा था , हलके हलके पकड़ के वो आगे पीछे , आगे पीछे,...
कौन भाई होगा जिसकी हालत अपनी छोटी जवान होती बहन का हाथ लंड पर पाकर, खराब नहीं हो जायेगी , और संदीप की वही हालत हो रही थी,...
" हे आँख तो खोल ,देख कित्ता मस्त है जबरदस्त तेरे भैया का हथियार " हलकी सी चिकोटी काटते हुए जेठानी ने उसे चिकोटी काटी,
छुटकी की आँख खुल तो गयी, पर ये देख के की उसने अपने हाथ में भैया का बौराया मोटा मूसल पकड़ रखा है,
झट से छोड़ दिया।
जेठानी ने एक झटके से संदीप का शार्ट उतार के दूर फेंक दिया और उसकी बहन से बोली, अरे सिर्फ देखने पकड़ने में ही नहीं चूसने चाटने में बहुत मस्त है तेरे भैया का चल चख के दिखाती हूँ , और एक धक्के में पुआल पे संदीप को गिरा दिया और खुद उसकी जाँघों के बीच में बैठ के बस अपनी पूरी जीभ निकाल के मोटे मांसल सुपाड़े को चाटने लगी, और कनखियों से संदीप की छुटकी बहिनिया को देख रही थी,...
कुछ देर तो उसने शर्माने का नाटक किया फिर टकटकी लगाके अपने भाई के मोटे मूसल को देखने लगी,... जेठानी अब साथ साथ एक हाथ से हलके हलके मुठिया भी रही थीं,, ... और अचानक एक झटके से पूरा मुंह खोल के , पूरी ताकत से उन्होंने उस मोटे सुपाड़े को घोंट लिया, और अब खुल के छोटी बहन को दिखा दिखा के चुभलाने लगीं,
मुठियाने के साथ जेठानी की उँगलियाँ संदीप के बॉल्स को भी कभी टच करता, कभी स्क्रैच कर देता,.. और संदीप सिसक उठता,...
अपने भैया की देख , भैया की बहिनिया की भी हालत खराब हो रही थी, और यही तो जेठानी चाहती थीं ,
कुछ देर में सुपाड़े को मुंह से बाहर निकाल के उसे संदीप की बहिनिया को दिखाती बोलीं,
" चाहे तो एक लिक ले ले, "
थूक से भीगा सुपाड़ा खूब चमक रहा था, एकदम मस्त प्यारा , लीची ऐसा, रसीला,...
और अब जेठानी की जीभ उस चर्म दंड पर ऊपर नीचे ऊपर नीचे और अबकी जब उन्होंने मुंह उठाया तो फिर संदीप की बहिनिया को उकसाया,
" अच्छा चल एक छोटी सी चुम्मी, बस छोटी सी चुम्मी "
कुछ इसरार कुछ जबरदस्ती मन तो उस कच्ची कली का कर ही रहा था , और उसके भीगे कुंवारे रसीले होंठों पहली बार शिश्न पर, जैसे भौंरे का पहला स्पर्श कली को हुआ हो , भाई बहन दोनों को जबरदस्त झटका लगा,
जेठानी ने कस के उसका सर दबा रखा था उसके भैया के खूंटे पे, थोड़ी देर में जेठानी दूर बैठी थीं और बहन अभी चाट रही थी,...
कुछ देर तक कभी जेठानी कभी वो , धीरे धीरे लंड से उसकी झिझक दूर हो रही थी , अब अपने आप वो पकड़ भी रही थी , दबा भी रही थी,...
लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,
" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "
और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,
" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "
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Suparb updateखिल गयी कली
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संदीप भी अब रुक गया था पहली , बार वो ये देख रहा था , लेकिन ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया था , और पहली बार उसने किसी कली को फूल बनाया था , और वो भी अपनी ही बगिया की ,
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जेठानी जी जानती थीं थोड़ी देर में ये खुद चूतड़ उठा उठा के लंड मांगेगी, बस उन्होंने उसके गाल सहलाने शुरू किये , कभी आँखों को चूम लेती तो कभी होंठों को , उसके ऊपर से उन्होंने दबाव हटा लिया था , अब दोनों हथेलियों को सहला रही थीं
और कुछ देर में उसने आँखे खोल दी, शिकायत की निगाह से उसने जेठानी की ओर देखा , और उन्होंने संदीप की ओर
और संदीप इशारा समझ के अब झुक के कभी उसके होंठ चूमता कभी निप्स चूसता,... थोड़ी देर में एक बार फिर से वो गरमाने लगी थी ,
random coin toss
बस जेठानी ने संदीप के कान में समझाया ,
जो थोड़ा बचा है वो भी ठेल दो
और अबकी संदीप ने दोनों छोटी छोटी चूँचियों को दबाते मसलते , हचक के पेल दिया , बस चार पांच धक्के और खूंटा पूरा अंदर,....
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वो एक बार फिर छटपटा रही थी , चूतड़ पटक रही थी , हाँ चीखना उसने बंद कर दिया था, ... एक बार फिर पूरा ठुस के संदीप रुक गया
जेठानी ने उसके होंठों को चूम के मुस्कराते हुए पूछा,...
" कैसा लगा '
" दी , बहुत दर्द हुआ , ... बस जान नहीं निकली,... " वो शिकायत भरे स्वर में बोली,...
" बस अब आगे सिर्फ मज़ा आएगा , और दर्द तो एक बार होना ही होता है, तेरे भैया का मोटा भी ज्यादा है , लेकिन जितना ज्यादा मोटा उतना ज्यादा मज़ा "
जेठानी अब उसे दुलार से समझा रही थीं और चूम रही थीं और साथ में उसके भैया को भी उन्होंने हड़का लिया,
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" हे आराम से कर , ये कहीं भागी तो जा नहीं रही, ... न मना कर रही है, आराम से धीरे धीरे, ... और फिर ये तो घर में ही है , जब चाहो चोद लेना , कभी मना नहीं करेगी,... है न ,... छुटकी। "
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और अब सच में संदीप ने आराम से धीरे धीरे,... और चीखें सिसकियों में बदल गयीं,.. साथ में जेठानी की उँगलियाँ कभी क्लिट कभी निपल , भैया का मोटा लंड जड़ तक धंसा , दो चार मिनट में वो तूफ़ान के पत्ते की तरह काँप रही थी, जाँघे आपस में रगड़ रही थी, मुट्ठी खोल बंद कर रही थी ,
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जब तक वो झड़ती रही , संदीप रुका रहा फिर पहले धीरे धीरे , फिर पूरी ताकत से
और अब जेठानी ने उन दोनों को छोड़ दिया था , बगल में बैठ के खेल देख रहीं , ...
सात आठ मिनट के धक्कों के बाद जब उस टीन ने झड़ना शुरू किया,... अपने भैया को कस के दबोच लिया तो संदीप भी साथ में,... पूरी तरह अंदर , जैसे ज्वालामुखी का लावा उबल रहा हो , एक बार दो बार ,
पूरी कटोरी भर अपनी मलाई अपनी बहन की बुर में,...
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देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे , और जब अलग हुए तो जेठानी ने उस किशोरी की जाँघों के बीच मजे से देखा,
सफ़ेद और लाल, खून के थक्के और गाढ़ा वीर्य अभी भी चूत से बूँद बूँद कर के रिस रहा था,...
उसी की चड्ढी से अच्छी तरह उन्होंने खून वीर्य सब साफ़ कर के उसे दिखाया,
खून देख के वो चौंकी, दी इत्ता खून,...
अरे ये तो होना ही था , चल अब तू मेरी बिरादरी में आ गयी, और उसे गले लगाते हुए छेड़ते हुयी जेठानी बोलीं,
" एक बार और हो जाए "
" ना ना अबकी आप का नंबर "
पर जेठानी जानती थीं बिना दुबारा इसे चुदवाये ले जाना खतरे से खाली नहीं , एक बार अगर उसने टाँगे सिकोड़ लीं तो दुबारा फैलवाना मुश्किल होगा।
उस को दिखा के चड्ढी उसकी उन्होंने अपने पर्स में रख ली। कुछ देर बाद संदीप और जेठानी की चुदाई चालू हो गयी , और, वो कुछ देर पहले की कच्ची कली खूब मजे ले ले कर देख रही थी अपने भैया को उकसा रही थी,... असल में जेठानी ही संदीप के ऊपर चढ़ के चोद रही थीं , जिससे उस लड़की के मन से डर तो निकल ही जाए , बुर में आते जाते लंड को देख के वो फिर गरमा जाए,
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वही हुआ,
पर कुछ देर बाद पुआल के गट्ठरों पर जेठानी निहुरी हुयी थीं और संदीप कुतिया की तरह उन्हें चोद रहा था,... और वो छोटी सी छोरी और उकसा रही थी ,
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" हाँ भैया , हां और कस के अरे अभी बहुत बचा है बाहर , दी को मजा नहीं आता आधे में ,... "
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और संदीप भी हचक हचक के
पर जेठानी कौन कम थीं , चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही और गरिया भी रहीं, बगल में बैठी संदीप की बहिनिया को,
" घबड़ा मत, भैया की दुलारी , भैया की रखैल, अगला नंबर तेरा ही लगवाउंगी, घोंटना अपने भैया का कस कस के पूरा। '
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और हुआ भी यही, अगला राउंड जेठानी ने फिर संदीप और उसकी छुटकी बहिनिया का, .... चीख चिल्लाहट भी हुयी उउउ आअह्ह्ह्हह भी निकली, लेकिन थोड़ी देर में मामला आह से आहा तक पहुँच गया।
और इस बार जब संदीप अपनी बहिन की बिल में झड़ा,... तो फिर एक बार उसीकी चड्ढी जिसमें खून और मलाई लगी थी उसी से फिर अच्छी तरह पोंछा , अंदर तक ऊँगली में फंसा के डाल के साफ़ किया ,.... और चड्ढी वापस जेठानी के बैग में, , उसकी ब्रा भी उन्होंने जब्त कर ली.
बाइक पर बैठने के पहले छुटकी ने लाख जिद्द की चड्ढी के लिए पर जेठानी
" अरे यार उसमें इतना खून लगा है ,... कोई पूछेगा ,... रहने दे मेरे पास "
लेकिन असली शरारत कुछ और थी बाइक पे छुटकी दोनों टाँगे फैला के बैठी , फ्राक उठी हुयी, गाँव का रास्ता , झटके और हर बार उसकी ताज़ी चुदी चूत बाइक से रगड़ खाती, पहले तो कुछ उसे अनकुस लगा , लेकिन थोड़ी देर में मज़ा आने लगा, और ढाबे तक पहुँचते वो एक बार फिर गरमा गयी,.... मस्ती के कारण उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ भी पथरा गयी थीं निप्स फ्राक को फाड़ रहे थे , ( ढक्क्न जेठानी ने पहले ही अपने कब्जे में कर लिया था )
ढाबे में सब की निगाह बस उस की छोटी छोटी लेकिन कड़ी कड़ी चूँची पर,....
जितने मर्दो की निगाह किसी लड़की के उभारों पर पड़ती है , उसके उभार उतनी जल्दी गदराते हैं , और वो उतनी जल्दी जवान होती है,...
खाना खाते समय भी , एक जांघ पर संदीप का हाथ , दूसरे पर जेठानी का हाथ , और फिर जेठानी ने पकड़ कर उसका हाथ एक बार फिर संदीप के पैंट के बल्ज पर रख दिया
जितनी जल्दी इसकी शर्म ख़तम हो,... बस जेठानी की पूरी कोशिश यही थी।
घर लौट के जेठानी सीधे उसे अपने कमरे में ले गयी, ...गरम दूध में हल्दी मिला के दिया, हलके गरम पानी से सिंकाई भी और थोड़ी देर में छटकी सो गयी , और सो के उठी तो सारा दर्द छूमंतर।
छुटकी भाग १८ पोस्टेडकोमल जी जल्दी से दो रहा नहीं जा रहा आपके बिना
thanks so muchआपके इस स्पेशल एपिसोड को पता नही कितनी बार पढ़ चुका हूँ और हर बार एक नई ताजगी का अहसास होता है
आपका एक बार फिर हृदय से आभार![]()